कबीर, अभ्यागत आगम निरखि, आदर मान समेत।
भोजन छाजन, बित यथा, सदा काल जो देत।।
भावार्थ:- आपके घर पर कोई अतिथि आ जाए तो आदर के साथ भोजन तथा बिछावना अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार सदा समय देना चाहिए।
विश्व प्रसिद्ध संत रामपाल जी महाराज ही दुनिया में एकमात्र संत हैं जो पूरे विश्व को निःशुल्क भण्डारा ग्रहण करवा सकते हैं।
जिसका जीता जागता उदाहरण श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या, उत्तरप्रदेश में देखने को मिल रहा है, जहां संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रतिदिन चौबीसों घंटे लाखों लोगों को निःशुल्क व ऐतिहासिक देसी घी से निर्मित भण्डारा करवाया जा रहा है।
जितने भी नकली संत, महंत हैं वे सभी सनातन धर्मग्रंथ के विपरीत विधान बताते हैं कि परमात्मा निराकार है।
जबकि संत रामपाल जी महाराज सनातन धर्म ग्रंथ पवित्र यजुर्वेद अध्याय 1 मंत्र 15, अध्याय 5 मंत्र 1, पवित्र ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, सूक्त 86 मंत्र 26-27 आदि से स्पष्ट करते हैं कि परमात्मा मानव सदृश्य साकार, राजा के समान दर्शनीय है, उसका नाम कबीर है।
In the seventh canto of Srimaddevi Bhagwat Purana, Chapter 36, "Goddess Durga ji preaches knowledge to the Himalayan king and tells him to worship Brahma". To know about that Brahma, definitely read Gyan Ganga.
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जिस प्रकार भक्त प्रह्लाद ने भक्ति करके परमेश्वर को याद किया जिससे उसकी सदैव रक्षा हुई। तो क्यों ना हम भी उस परमेश्वर को सदा याद करें जिससे हमारी भी सदैव रक्षा हो।
गरीब, एक राम कहते राम है, जिनके दिल हैं एक। बाहिर भीतर रमि रह्या, पूर्ण ब्रह्म अलेख।।
जिन साधकों का दिल परमात्मा में रम (लीन हो) गया, वे एक परमात्मा का नाम जाप करके राम हो जाते हैं यानि आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करके देव के समान पद प्राप्त कर लेते हैं यानि देवताओं जितनी आध्यात्मिक शक्ति वाले हो जाते हैं। परमात्मा शरीर के कमलों में तथा बाहर सब जगह विद्यमान है।
प्रारब्ध कर्म:- प्रारब्ध कर्म वे कर्म हैं जो जीव को जीवन काल में भोगने होते हैं जो संचित कर्मों से औसत करके बनाए जाते हैं। उदाहरण के लिए यदि पाप कर्म एक हजार (1000) हैं और पुण्य कर्म पाँच सौ (500) हैं तो दोनों से औसत में लिए जाते हैं। प्रारब्ध कर्म यानि जीव का भाग संचित कर्मों से Average में लेकर बनाया जाता है। यदि 20-20 प्रतिशत लेकर प्रारब्ध बना तो पाप कर्म 50 और पुण्य कर्म 25 बने। इस प्रकार प्रारब्ध कर्म यानि जीव का भाग्य बनता है। इनको प्रारब्ध कर्म कहते हैं।
गरीब, बैरागर की खानिकूं, जो कोई लेवे चाहिI
बिना धनी की बंदगी, नगर लगौ तिस भाहिII
यदि कोई (बरागर) हीरे की खान की इच्छा रखता है। भक्ति पूर्ण परमात्मा की नहीं करता है। उस नगर को (भाहि) आग लगे।
Sant Rampal Ji Maharaj is organising huge bhandara for the devotees who are coming to visit Ram Janm Bhumi Ayodhya. And the devotees are appreciating it