Human life is rare. Intoxication and gambling are prohibited in all religious books. It is a great sin. Intoxication is not for human beings. It turns a human being into a devil.
By doing true devotion, the intoxication goes away automatically.
17 से 20 फरवरी 2024 को "संत रामपाल जी महाराज के बोध दिवस" और "कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस" पर होने वाले महासमागम पर आप सभी परिवार सहित सादर आमंत्रित हैं।
हमारे धर्म गुरुओं ने जो भी गीता अनुवादित की है सबने गीता अध्याय 18 के श्लोक 66 में "व्रज" शब्द का अर्थ आना किया है। जबकि संस्कृत हिन्दी शब्द कोश में साफ लिखा है व्रज का मतलब जाना। यानि अर्जुन तू केवल उस परमात्मा कि शरण में जा। वो परमात्मा कौन है। इस सवाल को छिपाने के लिए धर्म गुरुओ ने व्रज शब्द का मतलब ही गलत कर दिया। ये हमारे साथ धोखा है।
जितने भी नकली संत, महंत हैं वे सभी सनातन धर्मग्रंथ के विपरीत विधान बताते हैं कि परमात्मा निराकार है।
जबकि संत रामपाल जी महाराज सनातन धर्म ग्रंथ पवित्र यजुर्वेद अध्याय 1 मंत्र 15, अध्याय 5 मंत्र 1, पवित्र ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, सूक्त 86 मंत्र 26-27 आदि से स्पष्ट करते हैं कि परमात्मा मानव सदृश्य साकार, राजा के समान दर्शनीय है, उसका नाम कबीर है।
Hindu Saheban! It is not understood in the books of Gita, Vedas, Puranas that how Sanatani Puja came to an end and how Sanatani Puja will be resurrected. Must read the sacred book,
गरीब, एक राम कहते राम है, जिनके दिल हैं एक। बाहिर भीतर रमि रह्या, पूर्ण ब्रह्म अलेख।।
जिन साधकों का दिल परमात्मा में रम (लीन हो) गया, वे एक परमात्मा का नाम जाप करके राम हो जाते हैं यानि आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करके देव के समान पद प्राप्त कर लेते हैं यानि देवताओं जितनी आध्यात्मिक शक्ति वाले हो जाते हैं। परमात्मा शरीर के कमलों में तथा बाहर सब जगह विद्यमान है।