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#रानी की मृत्यु
trendingwatch · 2 years
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ब्रिटेन और दुनिया ने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को ऐतिहासिक अंतिम संस्कार में अंतिम विदाई दी
ब्रिटेन और दुनिया ने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को ऐतिहासिक अंतिम संस्कार में अंतिम विदाई दी
द्वारा पीटीआई लंदन: राजाओं और रानियों, दुनिया के नेताओं, सड़कों पर अश्रुपूर्ण शोक मनाने वालों और स्क्रीन के चारों ओर इकट्ठा हुए लोगों ने सोमवार को महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को अंतिम विदाई दी, क्योंकि ब्रिटेन के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले सम्राट को सैन्य परिशुद्धता के लिए आयोजित एक ऐतिहासिक अंतिम संस्कार समारोह में आराम करने के लिए रखा गया था। पैमाने पहले कभी नहीं देखा। ब्रिटेन ने यहां…
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krazyshoppy · 2 years
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बदला गूगल लोगो का रंग, जानिए बेरंग होने की वजह
बदला गूगल लोगो का रंग, जानिए बेरंग होने की वजह
Google Grey Logo: Google ने अपने होमपेज पर अपने रंगीन लोगो को ग्रे मोनोक्रोम टेक्स्ट से बदल दिया है. इसका लोगो आमतौर पर चमकीले लाल, पीले, नीले और हरे रंग में दिखाई देता है, लेकिन अब लोगो का कलर ग्रे कर दिया गया है. क्या आप जानते हैं कि इसका क्या कारण है?  आपको बता दें कि सर्च इंजन Google ने ब्रिटेन की सबसे लंबे समय तक राज करने वाली महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को श्रद्धांजलि देने का फैसला किया है,…
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mwsnewshindi · 2 years
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वह प्रक्रिया जिसके द्वारा चार्ल्स के सिंहासन पर प्रवेश को औपचारिक रूप दिया जाता है
वह प्रक्रिया जिसके द्वारा चार्ल्स के सिंहासन पर प्रवेश को औपचारिक रूप दिया जाता है
यहाँ एक नए सम्राट के परिग्रहण के आसपास के प्रोटोकॉल का स्पष्टीकरण दिया गया है लंडन: ब्रिटेन के इतिहास में सबसे लंबे समय तक राज करने वाली महारानी एलिजाबेथ का गुरुवार को 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया, उनके बेटे चार्ल्स ने उन्हें राजा बना दिया। यहाँ एक नए सम्राट के परिग्रहण के आसपास के प्रोटोकॉल का स्पष्टीकरण दिया गया है। सम्राट की मृत्यु के तुरंत बाद चार्ल्स गद्दी पर बैठा। एक परिग्रहण परिषद जल्द…
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nesnashreem · 2 years
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'यह असंभव था': राफेल नडाल बताते हैं कि उन्होंने एक बार महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से मिलने से इनकार क्यों किया
‘यह असंभव था’: राफेल नडाल बताते हैं कि उन्होंने एक बार महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से मिलने से इनकार क्यों किया
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के साथ एक मुलाकात कुछ ऐसी है जिसे कई एथलीट ठुकराने की हिम्मत नहीं करेंगे। लेकिन जब आप महान राफेल नडाल हों, तो आप ऐसा कर सकते हैं। रिकॉर्ड 22 ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने वाले स्पैनियार्ड ने एक बार रानी से मिलने का निमंत्रण ठुकरा दिया था, जिनका गुरुवार को निधन हो गया। यह सब 2010 विंबलडन चैंपियनशिप में हुआ था जब महामहिम ने ऑल इंग्लैंड क्लब का दौरा किया था। जब रानी से मिलने के…
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studycarewithgsbrar · 2 years
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जब पद्मिनी कोल्हापुरे ने प्रिंस चार्ल्स का किया किस से अभिवादन, देखें वीडियो
जब पद्मिनी कोल्हापुरे ने प्रिंस चार्ल्स का किया किस से अभिवादन, देखें वीडियो
नई दिल्ली: ब्रिटेन की सबसे लंबे समय तक राज करने वाली महारानी एलिजाबेथ का गुरुवार को 96 साल की उम्र में निधन हो गया। बकिंघम पैलेस ने एक बयान में कहा, “रानी का आज दोपहर बाल्मोरल में शांतिपूर्वक निधन हो गया।” उनकी मृत्यु के बाद, उनके बेटे प्रिंस चार्ल्स अब राजा हैं। शुक्रवार को किं��� चार्ल्स और पद्मिनी कोल्हापुरे की एक पुरानी तस्वीर और वीडियो इंटरनेट पर फिर से वायरल हो गया। वीडियो 1981 में चार्ल्स की…
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helputrust · 6 months
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हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट कर रहा है रक्तदान महादान के कथन को चरितार्थ - डा० रूपल अग्रवाल
रक्तदान करवा कर लखनऊ में रक्त की कमी को पूरा करना है हमारा लक्ष्य - डा० रूपल अग्रवाल
लखनऊ, 01.12.2023 | हेल्प यू ब्लड डोनर कैंपेन के अंतर्गत विश्व एड्स दिवस 2023 के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा सहारा अस्पताल के संयुक्त तत्वावधान में रक्तदान शिविर का आयोजन ब्लड सेंटर, सहारा अस्पताल, गोमती नगर लखनऊ में किया गया | शिविर में 8 रक्तदाताओं शशांक श्रीवास्तव, योगेश कश्यप, आयुष वर्मा, सौरभ जयसवाल, संतोष कुमार, राहुल कनौजिया, प्रिंस साहू तथा अंकित चौहान ने स्वैच्छिक रक्तदान किया तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ ब्लड  का रिश्ता बनाया |
रक्तदान शिविर का शुभारंभ सहारा श्री स्वर्गीय श्री सुब्रतो रॉय के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया तत्पश्चात सहारा अस्पताल के निदेशक डॉ मजहर हुसैन, वरिष्ठ सलाहकार श्री अनिल विक्रम सिंह तथा डॉक्टर अंजू शुक्ला, विभागाध्यक्ष, ब्लड बैंक ने दीप प्रज्वलन किया |
सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सलाहकार श्री अनिल विक्रम सिंह  ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आभार व्यक्त किया तथा कहा कि "हमारे माननीय अभिभावक सहाराश्री जी की सोच को आगे बढ़ाने की दिशा में समस्त सहारा हॉस्पिटल टीम दिन-रात अग्रसर है । आज वो हमारे बीच में नहीं है परन्तु हर‌ पल उनकी उपस्थिति व आशीर्वाद हम सबके साथ है । उन्होंने मानवता को सदैव सर्वोपरि रखा तथा इसी क्रम में आज रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिससे जरूरतमंद लोगों को रक्त की उपलब्धता हो सके|"
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के न्यासी डा० रूपल अग्रवाल ने बताया कि "विश्व एड्स दिवस के अवसर पर हेल्प यू ब्लड डोनर कैंपेन के तहत आज इस रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है | हेल्प यू ब्लड डोनर कैंपेन का लक्ष्य प्रतिवर्ष 1000 यूनिट रक्तदान करवाने का है जिससे लखनऊ शहर में रक्त की कमी के कारण किसी भी रोगी की मृत्यु ना हो | रक्तदान महादान है क्योंकि किसी के जीवन को बचाने से ज्यादा पुण्य का काम कोई और नहीं हो सकता | हमारी आप सभी से अपील है कि हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा चलाई गई हेल्प यू ब्लड डोनर कैंपेन का हिस्सा बनकर जनहित में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कीजिए | हेल्प यू ब्लड डोनर कैंपेन की संपूर्ण जानकारी ट्रस्ट की सोशल मीडिया https://www.facebook.com/HelpUBloodDonor पर उपलब्ध है |"
रक्तदान शिविर में डॉ मजहर हुसैन, श्री अनिल विक्रम सिंह, डॉ अंजू शुक्ला, डॉ पल्लवी रानी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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naveensarohasblog · 1 year
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#गरिमा_गीता_की_Part_76
देवी-देवताओं का राजा इन्द्र भी गधा बनता है।।
एक समय मार्कण्डेय ऋषि निरंकार ईश्वर मान कर ब्रह्म (काल) की कई वर्षों से साधना कर रहे थे। इन्द्र (जो स्वर्ग का राजा है) को चिंता बनी कि कहीं यह साधक अधिक तप करके इन्द्र की पदवी प्राप्त न करले। चूंकि इन्द्र की पदवी (पोस्ट) अधिक यज्ञ करके या अधिक तप करके प्राप्त की जाती है। उसका (इन्द्र का) शासन काल बहत्तर चैकड़ी (चतुर्युगी) युग का होता है। उसके शासन काल के दौरान यदि कोई साधक इन्द्र की पदवी पाने योग्य साधना कर लेता है तो उस वर्तमान इन्द्र (स्वर्ग के राजा) को बीच में ही पद से हटा कर नए साधक को इन्द्र पद दे दिया जाता है। इसलिए इन्द्र को यह चिंता बनी रहती है कि कोई तप या यज्ञ करके मेरे राज्य को न छीन ले। इसलिए वह उस साधक का तप या यज्ञ बीच में खण्ड करवा देता है।
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इसी उद्देश्य से इन्द्र ने मार्कण्डेय ऋषि के पास एक उर्वशी स्वर्ग से भेजी। उर्वसी ने अपनी सिद्धि शक्ति से सुहावना मौसम बनाया तथा खूब नाची-गाई। अंत में निवस्त्र हो गई। तब मार्कण्डेय ऋषि ने कहा कि हे बहन! हे बेटी! हे माई! आप यहाँ किस लिए आई? इस पर उर्वसी ने कहा कि हे मार्कण्डेय गुसांई! आप जीत गए मैं हार गई। आप एक बार इन्द्र लोक में चलो नहीं तो मेरा मजाक करेंगे कि तू हारकर आई है। मार्कण्डेय बोले मैं जहाँ की साधना (महास्वर्ग-ब्रह्म लोक की साधना) कर रहा हूँ। वहाँ पर जो नाचने वाली तथा गाने वाली हैं उनके पैर धोने वाली तेरे जैसी सात-2 बान्दियाँ हैं। तेरे को क्या देखूं। तेरे से अगली कोई अधिक सुन्दर हो उसे भेज दे। इस पर उर्वशी ने कहा कि इन्द्र की पटरानी मैं ही हूँ अर्थात् मेरे से सुन्दर कोई नहीं है।
इस पर मार्कण्डेय गोंसाई बोले कि जब इन्द्र मरेगा तब क्या करेगी? उर्वशी बोली मैं चैदह इन्द्र वरूंगी अर्थात् मैं तो एक बनी रहूँगी मेरे सामने चैदह इन्द्र अपनी-2 इन्द्र पदवी भोग कर मर जाएंगे। मेरी आयु स्वर्ग की पटरानी के रूप में है। (72 गुणा 14 = 1008 चतुर्युग तक अर्थात् एक ब्रह्मा के दिन (एक कल्प) की आयु एक इन्द्र की पटरानी शची की है।
मार्कण्डेय ऋषि बोले चैदह इन्द्र भी मरेंगे तब क्या करेगी? उर्वसी बोली जितने इन्द्र मैं भोगुंगी वे गधे बनेंगे तथा मैं गधी बनूंगी। मार्कण्डेय ऋषि बोले, हे सुंदरी! जिस लोक का राजा तो गधा बनेगा और रानी गधी बनेगी, ऐसे लोक में चलने के लिए क्यों कह रही है?
उर्वशी बोली, मेरी इज्जत रखने के लिए। वहाँ मेरा उपहास करेंगे कि तू तो हारकर आई है। मार्कण्डेय ऋषि बोले कि गधियों की कैसी इज्जत? तू आज भी गधी है क्योंकि तू चैदह खसम करेगी यानि चैदह पुरूषों को पति बनाएगी। मरने के पश्चात् तो गधी बनेगी ही। उर्वशी शर्मिन्दा होकर चली गई।
इस प्रसंग से यह भी सिद्ध हुआ है कि काल ब्रह्म के लोक में तथा अक्षर पुरूष यानि परब्रह्म के लोक में कितनी ही लंबी आयु हो, अंत अवश्य है। मृत्यु निश्चित है, परंतु सत्यलोक में ऐसा नहीं है।
संत गरीबदास जी ने बताया है कि इतनी लंबी आयु के बाद भी यहाँ मृत्यु होगी। आपको सत्यपुरूष की भक्ति बताने वाला तत्वदर्शी संत नहीं मिला। जिस कारण से जन्म-मृत्यु का कष्ट झेल रहे हो।
गरीब, एती उम्र, बुलंद मरेगा अंत रे। सतगुरु लगे न कान, न भेटैं संत रे।।
स्वर्ग लोक से इन्द्र आया तथा कहने लगा कि हे बन्द निवाज! आप जीत गए हम हार गए।
चलो इन्द्र की गद्दी प्राप्त करो। इस पर मार्कण्डेय ऋषि बोले- रे-रे इन्द्र क्या कह रहा है? इन्द्र का राज मेरे किस काम का। मैं तो ब्रह्म लोक की साधना कर रहा हूँ। वहाँ पर तेरे जैसे इन्द्र अलिलों (नील संख्या) में हैं उन्होंने मेरे चरण छुए। तू भी अनन्य मन से (नीचे की साधना - ब्रह्मा, विष्णु, शिव तथा देवी-देवताओं की आस्था त्यागकर एक प्रभु में आस्था को अनन्य मन कहते हैं) ब्रह्म की साधना कर ले। ब्रह्म लोक में साधक कल्पों तक मुक्त हो जाता है।
इन्द्र ने कहा ऋषि जी, फिर कभी देखेंगे। अब तो आनन्द करने दो। यहाँ विशेष विचारने की बात है कि इन्द्र जी को मालूम है कि इस क्षणिक स्वर्ग के राज का सुख भोग कर गधा बनुंगा। फिर भी मन व इन्द्रियों के वश हुआ विकारों के आनन्द को नहीं त्यागना चाहता। इसी प्रकार जो शराब पीता है उसे उत्तम मान कर त्यागना नहीं चाहता। इसी प्रकार ब्रह्मा, विष्णु, शिव भी अपनी पदवी को भोग कर मर जाएंगे और फिर चैरासी लाख योनियों को प्राप्त होगें। नई श्रेष्ठ आत्मा काल निरंजन के घर प्रकृति (अष्टंगी) के उदर से जन्म लेती है तथा उन्हें फिर तीन लोक का राज्य दे देता है- ब्रह्मा को शरीर बनाना, विष्णु को स्थिति और शिव को संहार (प्रलय)। चूंकि काल (ब्रह्म) शापवश प्रतिदिन एक लाख (मनुष्य-देव-ऋषि) शरीर धारी प्राणी खाता है। उसके लिए इसके तीनों पुत्र व्यवस्था बनाए रखते हैं।
आदरणीय गरीबदास साहेब जी कह रहे हैं कि हे मूर्ख मन! असंख्यों जन्म हो गए इस काल लोक में कष्ट उठाते। अब जीवित मर ले। जीवित मरना है - न पृथ्वी के राज की चाह, न स्वर्ग के राज की, न ब्रह्मा-विष्णु-शिव बनने की चाह, न शराब-तम्बाखू-सुल्फा, न अफीम, न माँस प्रयोग की इच्छा तथा तीन लोक व ब्रह्म लोक की साधना को त्याग कर उस पूर्ण परमात्मा (पूर्णब्रह्म सतपुरुष) की साधना अनन्य (अव्याभिचारिणी) भक्ति करके सतलोक (सच्चखण्ड) चला जा। फिर तेरा जन्म-मरण सदा के लिए समाप्त हो जाएगा। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण पवित्र गीता जी के अध्याय 13 में तथा रह-रह कर प्रत्येक अध्याय में दिया है।
फिर कहा है कि कोई पूर्ण संत (सतगुरु) मिले तो सही ज्ञान (जो गीता जी के अध्याय 13 पूरे में है) बता कर उत्तम साधना सतनाम तथा सारनाम दे कर पार करे। जहाँ (सतलोक में) चार मुक्ति जो ब्रह्म साधना की अंतिम उपलब्धि है वहाँ (सतलोक के) के स्थाई सुख के सामने तुच्छ है तथा माया (सर्व सुविधा देने वाली) वहाँ आम भक्त (हंस) की सेवक है। अर्थात् हर सुविधा तथा सुख चरणों में पड़ा रहता है। इन्द्र का स्वर्ग राज, सतलोक की तुलना में कौवे की बीट (टटी) के समान है। तथा मिले राम अविनाशी (परम अक्षर ब्रह्म) की प्राप्ति हो जाएगी। उसको प्राप्त करके पूर्ण मुक्त (परम गति को प्राप्त) हो जाएगा।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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jeevanjali · 1 day
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Valmiki Ramayana Part 143: कैकेयी ने भरत को बताई राम के वनवास जाने की बात! जानिए फिर आगे क्या हुआValmiki Ramayana Part 143: वाल्मीकि रामायण के पिछले लेख में आपने पढ़ा कि अपनी माता रानी कैकेयी से भरत को अपने पिता राजा दशरथ की मृत्यु का समाचार प्राप्त होता है।
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bnnbharat · 4 months
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13 फरवरी का इतिहास : आज का इतिहास : Today in History
आज यानी 13 फरवरी की ऐतिहासिक घटनाये इस प्रकार हैं। 13 फरवरी की ऐतिहासिक घटनाये : History of 13 February 1462 – वेस्टमिंस्टर की संधि को इंग्लैंड के एडवर्ड IV और द्वीपों के स्कॉटिश लॉर्ड्स के बीच अंतिम रूप दिया गया था. 1503 – बारलेटा के पास 13 इतालवी और 13 फ्रांसीसी नाइट्स के बीच टूर्नामेंट हुआ था. 1542 – इंग्लैंड की रानी कैथरीन हवाई को मृत्यु दंड दिया गया 1575 – फ्रांस के हेनरी III को रेम्स में…
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iammanhar · 4 months
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Day☛1182✍️+91/CG11☛Lewai ☛ 21/01/24 (Sun) ☛ 21:54
आज हमलोग लेवाई में है ,सुबह को मैं ,रानू और आंचल जी बस से लेवाई आ गए है ,यहाँ पर करीब 15 बजे पहुंचे है ,गाँव में शहर की अपेक्षा ठण्ड थोड़ा ज्यादा है ,लेकिन गाँव का माहौल सुपर से उपर रहता है |
acually में कल बिटिया रानी की जन्म उत्सव मनाएंगे जिसके लिए आज लेवाई आये है ,मात्र केक ही काटेंगे बाकि ज्यादा कुछ नहीं कर पाएंगे ,हाँ अगर माँ होती तो जरुर जन्म उत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाने की सोचते किन्तु यह सब सोचना गलत एवं मिथ्या होगी .......
माँ आप रहते तो कितना बढ़िया होता सोचा था कि आपको एक बार लेवाई का दर्शन अवश्य कराऊंगा ,आपको by कार यहाँ लेकर आऊंगा यही सोचा था ,साथ रहकर केक काटेंगे ,धूमधाम से बिटिया रानी की जन्म उत्सव मनाएंगे | सभी सोच धरी के धरी रह गई ,माँ आप हर दृष्टि से ठीक थी ,आप बहुत दूरदर्शी थे ,आप पहले से बोले थे की जन्म दिवस को सिंपल तरीके से मनाएंगे ,अगले साल बड़ी धूमधाम मनाएंगे | सॉरी माँ आपकी एक भी सपना पूरी नहीं हो पाई है ,उधर भाई साहब अकेला बिलासपुर में है ,कल आने से मना कर दिया है ,आज वो अकेली घर में है ......
खैर दुनिया की रीती से कोई अछूता नहीं है ,जन्म से मृत्यु तक सब कुछ एक सिस्टम से चलती है ,सब के सब लोगो के साथ सुख और दुखों का गठरी है ,किसी की भरी तो किसी की भारी ..............
ओके गुड नाईट
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trendingwatch · 2 years
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महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए ब्रिटेन पहुंचे राष्ट्रपति मुर्मू
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए ब्रिटेन पहुंचे राष्ट्रपति मुर्मू
द्वारा पीटीआई लंदन: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को वेस्टमिंस्टर एब्बे में निर्धारित ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होने और भारत सरकार की ओर से संवेदना व्यक्त करने के लिए तीन दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंची हैं। भारतीय राष्ट्राध्यक्ष, जो शनिवार शाम को पहुंचे थे, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और दुनिया भर के राजघरानों सहित लगभग 500 विश्व नेताओं के साथ, स्थानीय…
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sharpbharat · 8 months
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jamshedpur court news : धालभूमगढ़ के सुनीता सीट हत्याकाण्ड मामले में पति, सास और देवर को उम्रकैद, 10-10 हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया गया
जमशेदपुर : जमशेदपुर के ग्रामीण इलाका कोकपाड़ा नरसिंगढ़ धालभूमगढ़ निवासी सुनीता सीट आत्महत्या मामले में आरोपी पति बिशवनाथ सीट, देवर दीनानाथ सीट और सास बबलू रानी सीट को अदालत ने बुधवार को उम्रकैद का सजा सुनाई हैं. साथ ही 10-10 हजार रूपए का जुर्माना भी लगाई गई हैं. जुर्माना नहीं देने पर एक साल के लिए अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई हैं जबकि इस मामले की अन्य एक आरोपी ससुर मनमोहन सीट की मृत्यु हो गई…
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mwsnewshindi · 2 years
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महारानी एलिजाबेथ की मृत्यु के बाद, द क्राउन टू हॉल्ट शूटिंग
महारानी एलिजाबेथ की मृत्यु के बाद, द क्राउन टू हॉल्ट शूटिंग
अभी भी से ताज. (शिष्टाचार: द क्राउननेटफ्लिक्स) लॉस एंजिल्स: नेटफ्लिक्स रॉयल ड्रामा ताज ब्रिटेन के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली महारानी एलिजाबेथ द्���ितीय के लिए “सम्मान से बाहर” अपने छठे सीज़न पर फिल्मांकन को रोकने की उम्मीद है, जिनका गुरुवार को निधन हो गया। 70 साल तक शासन करने के बाद स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कैसल में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मृत्यु हो गई। वह 96 वर्ष की थीं। एंटरटेनमेंट न्यूज…
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lucknow-samachar · 11 months
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बुजुर्ग महिला नाती के लाश के साथ रही 10 दिन से रह रही थी
Lucknow Samachar 28 जून 2023: बाराबंकी में नाती के शव के साथ 10 दिनों से रह रही मिथलेश उर्फ़ रानी देवी के जीवन में एक और रहस्य शामिल हो गया है। अपने 2 बेटों के लापता होने एवं बेटी-दामाद की बीमारी से मृत्यु का दर्द झेल रही अब नाती की मृत्यु के पश्चात पूरी तरह से अपने होशो-हवाश खो बैठी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी प्रियांशु की मृत्यु का कारण पता नहीं चल पाया। रानी देवी को सबसे बड़ी बेटी एवं दामाद…
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casualflowerglitter · 11 months
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माया
सुदामा ने एक बार श्रीकृष्ण से पूछा, "कान्हा, मैं आपकी माया के दर्शन करना चाहता हूँ, कैसी होती है ?"
श्रीकृष्ण ने टालना चाहा, लेकिन सुदामा की जिद पर श्रीकृष्ण ने कहा, "अच्छा, कभी वक्त आएगा तो बताऊंगा।"
एक दिन कृष्ण ने कहा- सुदामा ! आओ, गोमती में स्नान करने चलें। दोनों गोमती के तट पर गए। वस्त्र उतारे। दोनों नदी में उतरे। श्रीकृष्ण स्नान करके तट पर लौट आए। पीतांबर पहनने लगे।
सुदामा ने देखा, कृष्ण तो तट पर चले गये है, मैं एक डुबकी और लगा लेता हूँ और जैसे ही सुदामा ने डुबकी लगाई सुदामा को लगा, गोमती में बाढ़ आ गई है, वह बहे जा रहे हैं। सुदामा जैसे-तैसे तक घाट के किनारे रुके। घाट पर चढ़े। घूमने लगे। घूमते-��ूमते गांव के पास आए और वहाँ एक हथिनी ने उनके गले में फूल माला पहना दी। सुदामा हैरान...!
लोग इकट्ठे हो गए। लोगों ने कहा, "हमारे देश के राजा की मृत्यु हो गई है। हमारा नियम है, राजा की मृत्यु के बाद हथिनी, जिस भी व्यक्ति के गले में माला पहना दे, वही हमारा राजा होता है। हथिनी ने आपके गले में माला पहनाई है, इसलिए अब आप हमारे राजा हैं।"
सुदामा ह���रान हुए, मैं राजा बन गया। एक राजकन्या के साथ उनका विवाह भी हो गया। दो पुत्र भी पैदा हो गए।
एक दिन सुदामा की पत्नी बीमार पड़ गई, आखिर में मर गई। सुदामा दुख से रोने लगे, उसकी पत्नी जो मर गई थी, जिन्हें वह बहुत चाहता था, सुंदर थी, सुशील थी। लोग इकट्ठे हो गए, उन्होंने सुदामा को कहा, आप रोएं नहीं, आप हमारे राजा हैं। लेकिन रानी जहाँ गई है, वहीं आपको भी जाना है, यह मायापुरी का नियम है। आपकी पत्नी को चिता में अग्नि दी जाएगी। आपको भी अपनी पत्नी की चिता में प्रवेश करना होगा। आपको भी अपनी पत्नी के साथ जाना होगा।
यह सुनकर तो सुदामा की सांस रुक गई, हाथ-पांव फूल गए, अब मुझे भी मरना होगा, मेरी पत्नी की मौत हुई है, मेरी तो नहीं, भला मैं क्यों मरूँ, यह कैसा नियम है ?'
सुदामा अपनी पत्नी की मृत्यु को भूल गये। उसका रोना भी बंद हो गया। अब वह स्वयं की चिंता में डूब गये, कहा भी, 'भई, मैं तो मायापुरी का वासी नहीं हूँ। मुझ पर आपकी नगरी का कानून लागू नहीं होता, मुझे क्यों जलना होगा ? लोग नहीं माने, कहा, 'अपनी पत्नी के साथ आपको भी चिता में जलना होगा, मरना होगा, यह यहाँ का नियम है।
आखिर सुदामा ने कहा, 'अच्छा भई, चिता में जलने से पहले मुझे स्नान तो कर लेने दो,' पहले तो लोग माने नहीं। फिर बात मान उन्होंने हथियारबंद लोगों की ड्यूटी लगा दी।
सुदामा को स्नान करने दो, देखना कहीं भाग न जाए। रह-रह कर सुदामा रो उठते। सुदामा इतना डर गये कि उनके हाथ-पैर कांपने लगे, वह नदी में उतरे, डुबकी लगाई और फिर जैसे ही बाहर निकले उन्होंने देखा, मायानगरी कहीं भी नहीं, किनारे पर तो कृष्ण अभी अपना पीतांबर ही पहन रहे थे और वह एक दुनिया घूम आये है। मौत के मुँह से बचकर निकले हैं।
सुदामा नदी से बाहर आये और सुदामा रोए जा रहे थे। श्रीकृष्ण हैरान हुए, सबकुछ जानते थे फिर भी अनजान बनते हुए पूछा, "सुदामा तुम रो क्यों रो रहे हो?"
सुदामा ने पूछा, "कृष्ण मैंने जो देखा है, वह सच था या यह जो मैं देख रहा हूँ ??"
श्रीकृष्ण मुस्कराए और कहा, "जो देखा, भोगा वह सच नहीं था, भ्रम था, स्वप्न था, माया थी मेरी और जो तुम अब मुझे देख रहे हो यही सच है। मैं ही सच हूँ। मेरे से भिन्न, जो भी है, वह मेरी माया ही है और जो मुझे ही सर्वत्र देखता है, महसूस करता है, उसे मेरी माया स्पर्श नहीं करती। माया स्वयं का विस्मरण है माया अज्ञान है, माया परमात्मा से भिन्न, माया नर्तकी है नाचती है..नचाती है।"
जो प्रभु श्रीकृष्ण से जुड़ा है, वह नाचता नहीं, भ्रमित नहीं होता। माया से निर्लेप रहता है। वह जान जाता , सुदामा भी जान गये थे जो जान गया वह श्रीकृष्ण से अलग कैसे रह सकता है।
~PPG~
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naveensarohasblog · 2 years
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#गहरीनजरगीता_में_Part_233 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#गहरीनजरगीता_में_part_234
हम पढ़ रहे है पुस्तक "गहरी नजर गीता में"
पेज नंबर 449—450
।। देवी-देवताओं का राजा इन्द्र भी गधा बनता है।।
एक समय मार्कण्डेय ऋषि निरंकार ईश्वर मान कर ब्रह्म (काल) की कई वर्षों से साधना कर रहे थे। इन्द्र (जो स्वर्ग का राजा है) को चिंता बनी कि कहीं यह साधक अधिक तप करके इन्द्र की पदवी प्राप्त न करले। चूंकि इन्द्र की पदवी (पोस्ट) अधिक यज्ञ करके या अधिक तप करके प्राप्त
की जाती है। उसका (इन्द्र का) शासन काल बहत्तर चैकड़ी (चतुर्युगी) युग का होता है। उसके शासन काल के दौरान यदि कोई साधक इन्द्र की पदवी पाने योग्य साधना कर लेता है तो उस
वर्तमान इन्द्र (स्वर्ग के राजा) को बीच में ही पद से हटा कर नए साधक को इन्द्र पद दे दिया जाता है। इसलिए इन्द्र को यह चिंता बनी रहती है कि कोई तप या यज्ञ करके मेरे राज्य को न छीन ले।
इसलिए वह उस साधक का तप या यज्ञ बीच में खण्ड करवा देता है।
इसी उद्देश्य से इन्द्र ने मार्कण्डेय ऋषि के पास एक उर्वसी स्वर्ग से भेजी। उर्वसी ने अपनी सिद्धि शक्ति से सुहावना मौसम बनाया तथा खूब नाची-गाई। अंत में निवस्त्र हो गई। तब मार्कण्डेय ऋषि ने कहा कि हे बहन! हे बेटी! हे माई! आप यहाँ किस लिए आई? इस पर उर्वसी ने कहा कि हे
मार्कण्डेय गुसांई! आप जीत गए मैं हार गई। आप एक बार इन्द्र लोक में चलो नहीं तो मेरा मजाक करेंगे कि तू हारकर आई है। मार्कण्डेय बोले मैं जहाँ की साधना (महास्वर्ग-ब्रह्म लोक की साधना) कर रहा हूँ। वहाँ पर जो नाचने वाली तथा गाने वाली हैं उनके पैर धोने वाली तेरे जैसी सात-2
बान्दियाँ हैं। तेरे को क्या देखूं। तेरे से अगली कोई अधिक सुन्दर हो उसे भेज दे। इस पर उर्वसी ने कहा कि इन्द्र की पटरानी मैं ही हूँ अर्थात् मेरे से सुन्दर कोई नहीं है।
इस पर मार्कण्डेय गोंसाई बोले कि जब इन्द्र मरेगा तब क्या करेगी? उर्वसी बोली मैं चैदह इन्द्र वरूंगी अर्थात् मैं तो एक बनी रहूँगी मेरे सामने चैदह इन्द्र अपनी-2 इन्द्र पदवी भोग कर मर
जाएंगे। मेरी आयु स्वर्ग की पटरानी के रूप में है। (72 गुणा 14/ 1008 चतुर्युग तक अर्थात् एक ब्रह्मा
के दिन (एक कल्प) की आयु एक इन्द्र की पटरानी शची की है।
मार्कण्डेय ऋषि बोले चैदह इन्द्र भी मरेंगे तब क्या करेगी? उर्वसी बोली जितने इन्द्र मैं भोगुंगी वे गधे बनेंगे तथा मैं गधी बनूंगी। मार्कण्डेय ऋषि बोले, हे सुंदरी! जिस लोक का राजा तो
गधा बनेगा और रानी गधी बनेगी, ऐसे लोक में चलने के लिए क्यों कह रही है?
उर्वशी बोली, मेरी इज्जत रखने के लिए। वहाँ मेरा उपहास करेंगे कि तू तो हारकर आई है।
मार्कण्डेय ऋषि बोले कि गधियों की कैसी इज्जत? तू आज भी गधी है क्योंकि तू चैदह खसम करेगी ��ानि चैदह पुरूषों को पति बनाएगी। मरने के पश्चात् तो गधी बनेगी ही। उर्वशी शर्मिन्दा होकर चली गई।
इस प्रसंग से यह भी सिद्ध हुआ है कि काल ब्रह्म के लोक में तथा अक्षर पुरूष यानि परब्रह्म के लोक में कितनी ही लंबी आयु हो, अंत अवश्य है। मृत्यु निश्चित है, परंतु सत्यलोक में ऐसा नहीं है।
संत गरीबदास जी ने बताया है कि इतनी लंबी आयु के बाद भी यहाँ मृत्यु होगी। आपको सत्यपुरूष की भक्ति बताने वाला तत्वदर्शी संत नहीं मिला। जिस कारण से जन्म-मृत्यु का कष्ट झेल रहे हो।
गरीब, एती उम्र, बुलंद मरेगा अंत रे। सतगुरु लगे न कान, न भेटैं संत रे।।
स्वर्ग लोक से इन्द्र आया तथा कहने लगा कि हे बन्द निवाज! आप जीत गए हम हार गए।
चलो इन्द्र की गद्दी प्राप्त करो। इस पर मार्कण्डेय ऋषि बोले- रे-रे इन्द्र क्या कह रहा है? इन्द्र का राज मेरे किस काम का। मैं तो ब्रह्म लोक की साधना कर रहा हूँ। वहाँ पर तेरे जैसे इन्द्र अलिलों (नील संख्या) में हैं उन्होंने मेरे चरण छुए। तू भी अनन्य मन से (नीचे की साधना - ब्रह्मा, विष्णु, शिव तथा देवी-देवताओं की आस्था त्यागकर एक प्रभु में आस्था को अनन्य मन कहते हैं) ब्रह्म की साधना कर ले। ब्रह्म लोक में साधक कल्पों तक मुक्त हो जाता है।
इन्द्र ने कहा ऋषि जी, फिर कभी देखेंगे। अब तो आनन्द करने दो। यहाँ विशेष विचारने की बात है कि इन्द्र जी को मालूम है कि इस क्षणिक स्वर्ग के राज का सुख भोग कर गधा बनुंगा। फिर भी मन व इन्द्रियों के वश हुआ विकारों के आनन्द को नहीं त्यागना चाहता। इसी प्रकार जो शराब पीता है उसे उत्तम मान कर त्यागना नहीं चाहता। इसी प्रकार ब्रह्मा, विष्णु, शिव भी अपनी पदवी को भोग कर मर जाएंगे और फिर चैरासी लाख योनियों को प्राप्त होगें। नई श्रेष्ठ आत्मा काल
निरंजन के घर प्रकृति (अष्टंगी) के उदर से जन्म लेती है तथा उन्हें फिर तीन लोक का राज्य दे देता है- ब्रह्मा को शरीर बनाना, विष्णु को स्थिति और शिव को संहार (प्रलय)। चूंकि काल (ब्रह्म) शापवश प्रतिदिन एक लाख (मनुष्य-देव-ऋषि) शरीर धारी प्राणी खाता है। उसके लिए इसके तीनों पुत्र व्यवस्था बनाए रखते हैं।
आदरणीय गरीबदास साहेब जी कह रहे हैं कि हे मूर्ख मन! असंख्यों जन्म हो गए इस काल लोक में कष्ट उठाते। अब जीवित मर ले। जीवित मरना है - न पृथ्वी के राज की चाह, न स्वर्ग के
राज की, न ब्रह्मा-विष्णु-शिव बनने की चाह, न शराब-तम्बाखू-सुल्फा, न अफीम, न माँस प्रयोग की इच्छा तथा तीन लोक व ब्रह्म लोक की साधना को त्याग कर उस पूर्ण परमात्मा (पूर्णब्रह्म सतपुरुष) की साधना अनन्य (अव्याभिचारिणी) भक्ति करके सतलोक (सच्चखण्ड) चला जा। फिर तेरा जन्म-मरण सदा के लिए समाप्त हो जाएगा। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण पवित्रा गीता जी के अध्याय 13
में तथा रह-रह कर प्रत्येक अध्याय में दिया है।
फिर कहा है कि कोई पूर्ण संत (सतगुरु) मिले तो सही ज्ञान (जो गीता जी के अध्याय 13 पूरे में है) बता कर उत्तम साधना सतनाम तथा सारनाम दे कर पार करे। जहाँ (सतलोक में) चार मुक्ति जो ब्रह्म साधना की अंतिम उपलब्धि है वहाँ (सतलोक के) के स्थाई सुख के सामने तुच्छ है तथा
माया (सर्व सुविधा देने वाली) वहाँ आम भक्त (हंस) की सेवक है। अर्थात् हर सुविधा तथा सुख चरणों में पड़ा रहता है। इन्द्र का स्वर्ग राज, सतलोक की तुलना में कौवे की बीट (टटी) के समान है। तथा मिले राम अविनाशी (परम अक्षर ब्रह्म) की प्राप्ति हो जाएगी। उसको प्राप्त करके पूर्ण मुक्त
(परम गति को प्राप्त) हो जाएगा।
( अब आगे अगले भाग में)
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