Hanuman Jayanti 2024: Hanuman was no ordinary child. The words of the revered Almighty Kabir Ji described in Kabir Sagar say that Hanuman was the 11th Rudra incarnation of Lord Shiva.
साधु रूप धरि शिव बन आये, जहँ अंजनी को मंडप छाये। छलकर बीज सीख तब डारी, ऐसे उपजे देह हमारी।
According to the Hindu calendar, the birth anniversary of Ram Bhakt Hanuman Ji is celebrated on the full moon day of Chaitra month. Hanuman Jayanti is celebrated six days after Ram Navami. This year it will be celebrated on 23 April, Tuesday, due to which its importance will increase even more for those who worship Lord Hanuman as their deity. Hanuman Ji is also called Sankatmochan Bhagwan, but in reality, Hanuman Ji himself met Sankatmochan Purna Parmatma after leaving Ayodhya! Know how?
: https://bit.ly/3EfMgKa
For more information, listen to the nectar sermons of Jagat Guru Rampal Ji Maharaj based on the holy scriptures of all the holy religions on Sadhna TV at 7.30 pm.
आध्यात्मिक जानकारी प्राप्त करने के लिए अवश्य सुनें संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन Sant Rampal Ji Maharaj YouTube चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8:30 बजे तक। संत रामपाल जी महाराज ही इस विश्व में एकमात्र पूर्ण गुरु है। आप सभी से विनम्र निवेदन है कि संत रामपाल जी महाराज से बिना एक सेकंड बर्बाद किये निःशुल्क नाम दीक्षा लें, और अपना मानव जीवन सफल बनाएं।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
सुरत-फुर्कानि नं. 25 आयत 58:- व तवक्कल् अलल् हरिूल्लजी ला यमूतु व सब्बिह् ��िहम्दिही व कफा बिही बिजुनूबि अिबादिही खबीरा(कबीरा)।58।
हजरत मुहम्मद जी जिसे अपना प्रभु मानते हैं वह कुरान ज्ञान दाता अल्लाह (प्रभु) किसी और पूर्ण प्रभु की तरफ संकेत कर रहा है कि ऐ पैगम्बर उस कबीर परमात्मा पर विश्वास रख जो तुझे जिंदा महात्मा के रूप में आकर मिला था। वह कभी मरने वाला नहीं है अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
कुरआन मजीद का ज्ञान नाजिल करने वाले खुदा ने अपने नबी-ए-करीम मुहम्मद (सल्लम) को सृष्टि की उत्पत्ति करने वाले अल्लाह के विषय में सम्पूर्ण जानकारी नहीं दी है।प्रमाण :— सूरः फुरकानि—25 आयत नं. 59 में लिखा है कि (हे मुहम्मद) अल्लाह ने सारी कायनात को छः दिन में उत्पन्न किया। फिर आसमान में तख्त (सिंहासन) पर जा बैठा। उसकी (खबर) सम्पूर्ण जानकारी किसी (बाखबर) जानकार यानि तत्त्वदर्शी संत से पूछो।(जानो)
वह बाख़बर संत रामपाल जी महाराज जी है।
अधिक जानकारी हेतु अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक “मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरान ”
अक्सर लोग सोचते हैं कि मानव को गुरु दीक्षा ले���ी क्यों जरूरी है? तो इस विषय पर कबीर साहेब कहते हैं, “गुरु बिन माला फेरते,गुरु बिन देते दान। गुरु बिन दोनों निष्फल है, चाहे पूछ लो वेद पुराण।।” अर्थात किसी भी दान, धर्म, पूजा, साधना, धर्म-कर्म का कोई महत्व नहीं है यदि आपने पूर्ण गुरु से उपदेश नहीं ले रखा है और अनुपदेशी प्राणी मनुष्य जन्म पाने का अधिकारी भी नहीं होता, क्योंकि अनुपदेशी द्वारा किया गया दान व्यर्थ होता है। पवित्र गीता भी इसे प्रमाणित करती है। अनुपदेशी मनुष्य अपने कीमती मानव जीवन को यूं ही व्यर्थ गंवा देता है और अगले जन्म में गधे कुत्तों की योनियों में अपने द्वारा किए हुए सभी पाप को भोगता है और जन्म मरण का कष्ट और 84 लाख योनियों का कष्ट कर्म आधार पर उठाता है।
जानिए पूर्णसंत, सतगुरु रामपाल जी महाराज से कैसे प्राप्त की जा सकती है गुरु दीक्षा?:
Saint Garibdas ji was 10 years old and in the year 1727, on the day of Phalgun month Sudi Dwadashi, at around 10 o'clock, Lord Kabir met him in the guise of a living Mahatma. He has
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हमारा उद्देश्य:- विश्व के मानव को सत्य ज्ञान सुनाकर सनातनी बनाना है क्योंकि पिछला इतिहास बताता है कि पहले केवल एक सनातन धर्म ही था। तत्त्वज्ञान के अभाव से हम धर्मों में बंटते चले गए जो विश्व में अशांति का कारण बना है। एक-दूसरे के जानी दुःश्मन बन गए हैं।
यह बात विश्व का मानव निर्विरोध मानता है कि सबका मालिक एक है। परंतु वह कौन है? कैसा है यानि साकार है या निराकार है? मानव रूप में या अन्य रूप में? यह प्रश्न वाचक चिन्ह ❓अभी तक लगा है। अब संत रामपाल जी महाराज ने यह प्रश्नवाचक चिन्ह ( ❓) पूर्ण रूप से हटा दिया है।
सूक्ष्मवेद में बताया है कि विश्व के सभी जीवात्मा परमशांति वाले सनातन परम धाम में उस परमात्मा के पास रहते थे जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है कि हे भारत! तू सर्वभाव से उस परमेश्वर की शरण में जा, उसकी कृपा से ही तू परमशांति को तथा (शाश्वतम् स्थानम्)सनातन परम धाम यानि सत्यलोक को प्राप्त होगा। जो 16 शंख कोस दूर है।
अक्सर लोग सोचते हैं कि मानव को गुरु दीक्षा लेनी क्यों जरूरी है? तो इस विषय पर कबीर साहेब कहते हैं, “गुरु बिन माला फेरते,गुरु बिन देते दान। गुरु बिन दोनों निष्फल है, चाहे पूछ लो वेद पुराण।।” अर्थात किसी भी दान, धर्म, पूजा, साधना, धर्म-कर्म का कोई महत्व नहीं है यदि आपने पूर्ण गुरु से उपदेश नहीं ले रखा है और अनुपदेशी प्राणी मनुष्य जन्म पाने का अधिकारी भी नहीं होता, क्योंकि अनुपदेशी द्वारा किया गया दान व्यर्थ होता है। पवित्र गीता भी इसे प्रमाणित करती है। अनुपदेशी मनुष्य अपने कीमती मानव जीवन को यूं ही व्यर्थ गंवा देता है और अगले जन्म में गधे कुत्तों की योनियों में अपने द्वारा किए हुए सभी पाप को भोगता है और जन्म मरण का कष्ट और 84 लाख योनियों का कष्ट कर्म आधार पर उठाता है। जानिए पूर्णसंत, सतगुरु रामपाल जी महाराज से कैसे प्राप्त की जा सकती है गुरु दीक्षा?:
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के बोध दिवस तथा पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी के निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में 17 से 20 फरवरी तक सतलोक आश्रमों में विशाल भंडारा तथा सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें रक्तदान के अलावा दहेज रहित विवाह विशेष चर्चा का विषय बने हुए हैं। दहेज एक ऐसी बुराई है जिससे छूटना बहुत ही मुश्किल है लेकिन संत रामपाल जी महाराज इस बुराई को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। एक ओर जहां शादियों में फ़िज़ूल का खर्च और दिखावा किया जाता है। वहीं दूसरी ओर संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में मात्र 17 मिनट में गुरुवाणी द्वारा बेहद सादगीपूर्ण ढंग से दहेज मुक्त विवाह संपन��न किये जा रहे हैं जिसमें सर्व देवी देवताओं के आह्वान के साथ पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की स्तुति की जाती है। भविष्य को सुदृढ़ औऱ सुंदर बनाने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा ‘दहेज मुक्त मानव समाज’ मिशन चलाया जा रहा है। इस अद्भुत मिशन के लिए सम्पूर्ण मानव समाज सदैव सच्चे समाजसुधारक संत रामपाल जी महाराज जी का ऋणी रहेगा। पढ़ें खबर विस्तार से औऱ जानें कैसे दहेज रूपी कुप्रथा से मिलेगी पूर्ण आजादी: https://bit.ly/3I8BXug
The Objective Of Sant Rampal Ji Maharaj Is To Free Living Beings From The Cycle Of Birth And Death .
For spiritual information, listen to the auspicious sermons of Sant Rampal Ji Maharaj Ji. Sant Rampal Ji Maharaj on YOUTUBE channel daily at 7:30-8.30 pm. Sant Rampal Ji Maharaj Ji is the only complete saint in this world. It is a humble request to all of you to immediately take free Naam Diksha from Sant Rampal Ji Maharaj Ji and make your life successful.
ढेर सारे प्रमाण कि गीता शास्त्र का ज्ञान "काल" ने कहा। सर्व प्रथम गीता से ही प्रमाणित करता हूँ :-
* प्रमाण नं. 1 : गीता अध्याय 11 में प्रमाण है कि जब गीता ज्ञान दाता ने अपना विराट रूप दिखा दिया तो उसको देखकर अर्जुन भयभीत हो गया, काँपने लगा। यहाँ पर यह बताना भी अनिवार्य है कि अर्जुन का साला था श्री कृष्ण क्योंकि श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन से हुआ था। गीता ज्ञान दाता ने जिस समय अपना भयंकर विराट रूप दिखाया जो हजार भुजाओं वाला था। तब अर्जुन ने पूछा कि हे देव! आप कौन हैं? (गीता अध्याय 11 श्लोक 31)
यदि वह विराट रूप वाला श्री कृष्ण होता तो क्या अर्जुन यह पूछता कि हे महानुभाव! आप कौन हो? क्या जीजा अपने साले को नहीं पहचानता? श्री कृष्ण जी तो अर्जुन के साथ अधिकतर रहा करते थे। उनके सारथी भी थे। गीता अध्याय 11 श्लोक 32 में गीता बोलने वाला स्वयं बताता है कि मैं काल हूँ। सबको मारने के लिए अब प्रवृत हुआ हूँ यानि प्रकट हुआ हूँ। श्री कृष्ण यह नहीं कहते। वे तो वहीं थे। श्री कृष्ण जी काल नहीं थे।
विचारणीय विषय है कि क्या हम अपने साले से पूछेंगे कि हे महानुभाव! बताईए आप कौन हैं? एक समय एक व्यक्ति में प्रेत बोलने लगा। साथ बैठे भाई ने पूछा आप कौन बोल रहे हो? उत्तर मिला कि तेरा मामा बोल रहा हूँ। मैं दुर्घटना में मरा था। क्या हम अपने भाई को नहीं जानते? ठीक इसी प्रकार श्री कृष्ण में काल बोल रहा था।]
• गीता अध्याय 11 श्लोक 46: हे सहंस्राबाहु (हजार भुजा वाले) ! आप अपने चतुर्भुज रूप में दर्शन दीजिए (क्योंकि अर्जुन उन्हें विष्णु अवतार कृष्ण तो मानता ही था, परंतु उस समय श्री कृष्ण के शरीर में काल ने अपना अपार विराट रूप दिखाया था) मैं भयभीत हूँ, आपके इस रूप को सहन नहीं कर पा रहा हूँ।
ध्यान रहे :- श्री विष्णु (श्री कृष्ण) केवल चार भुजा से युक्त हैं। ये दो भुजा तो बना सकते हैं, परंतु चार से अधिक का प्रदर्शन नहीं कर सकते। काल ब्रह्म हजार (संहस्र) भुजा युक्त है। यह एक हजार तथा इन से नीचे भुजाओं का प्रदर्शन कर सकता है। हजार भुजाओं से अधिक का प्रदर्शन नहीं कर सकता। चार भुजा, दो भुजा, दस भुजा आदि-आदि बना सकता है। शरीर में बने कमल चक्रों में भी इस काल ब्रह्म के चक्र का नाम संहस्र कमल दल चक्र है।
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