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#ग्रे मोनोक्रोम टेक्स्ट
krazyshoppy · 2 years
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बदला गूगल लोगो का रंग, जानिए बेरंग होने की वजह
बदला गूगल लोगो का रंग, जानिए बेरंग होने की वजह
Google Grey Logo: Google ने अपने होमपेज पर अपने रंगीन लोगो को ग्रे मोनोक्रोम टेक्स्ट से बदल दिया है. इसका लोगो आमतौर पर चमकीले लाल, पीले, नीले और हरे रंग में दिखाई देता है, लेकिन अब लोगो का कलर ग्रे कर दिया गया है. क्या आप जानते हैं कि इसका क्या कारण है?  आपको बता दें कि सर्च इंजन Google ने ब्रिटेन की सबसे लंबे समय तक राज करने वाली महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को श्रद्धांजलि देने का फैसला किया है,…
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raghav-shivang · 4 years
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सस्ता बजट स्मार्टफोन चाहने वालो के लिए टेक कंपनी एलजी ने फोल्डर 2 फ्लिप स्मार्टफोन लॉन्च कर दिया है। इसमें 4G सपोर्ट मिलेगा। इसमें दो स्क्रीन्स हैं और फोन एंट्री लेवल स्पेसिफिकेशन से लैस है। इसे खासतौर से उन लोगों के लिए बनाया गया है जो कम बजट में फोल्डेबल स्मार्टफोन खरीदना चाहते हैं। यह फ्लिप फोन फिलहाल सिर्फ साउथ कोरियाई बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध है। कंपनी ने इसे ओरिजनल फोल्डर फोन के अपग्रेड वर्जन के तौर पर लॉन्च किया है, जिसे फरवरी 2018 में बाजार में उतारा गया था।
सेकेंडरी स्क्रीन पर देख सकेंगे कॉल नोटिफिकेशन यह फोन दो कलर प्लेटिनम ग्रे और व्हाइट कलर में अवेलेबल है। इसकी कीमत 198000 वॉन यानी 12400 रुपए है। यह सिर्फ 127 ग्राम वजनी है। इसमें दो स्क्रीन मिलेंगे, जिसमें 2.8 इंच का QVGA LCD प्राइमरी स्क्रीन और 0.9 इंच की सेकेंडरी मोनोक्रोम पैनल मिलेगा, जिसमें टेक्स्ट और कॉल्स के नोटिफिकेशन दिखाई देंगे। यह एंड्ऱॉयड ओएस पर काम करता है, इसमें 1470 एमएएच बैटरी दी गई है।
8 जीबी का इंटरनल स्टोरेज मिलेगा इसमें SOS बटन भी दी गई है। इमरजेंसी में इस बटन को तीन बार दबाने पर प्री-रजिस्टर्ड फोन नंबर पर इमरजेंसी एसएमएस और लोकेशन की जानकारी पहुंच जाएगी। इसमें T9 कीपैड है जिसमें एआई वॉयस सर्विस को एक्सेस करने के लिए हॉट-की दी गई है। फोन क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 210 चिपसेट से लैस है। इसमें 1 जीबी रैम और 8 जीबी का स्टोरेज मिलेगा।
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LG Folder 2 flip phone price| LG launches Folder 2 flip phone the cheapest foldable smartphone, price is 12 thousand rupees, Folder 2 flip phoneweighing just 127 grams
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bkpoints · 7 years
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मॉनीटर(Monitor)
Monitor एक आउटपुट डिवाइस है। इसको विजुअल डिस्प्ले यूनिट भी कहा जाता है। यह देखने में टीवी की तरह होता है। माॅनीटर एक सबसे महत्वपूर्ण आउटपुट डिवाइस है। इसके बिना कम्प्यूटर अधूरा होता है। यह आउटपुट को अपनी स्क्रीन पर Soft Copy के रूप में प्रदर्शित करता है। माॅनिटर द्वारा प्रदर्शित रंगों के आधार पर यह तीन प्रकार के होते है।
मोनोक्रोम (Monochrome):-
यह शब्द दो शब्दों मोनो (Mono) अर्थात एकल (Single) तथा क्रोम (Chrome) अर्थात रंग (Color) से मिलकर बना है इसलिये इसे Single Color Display कहते है तथा यह मॉनीटर आउटपुट को Black & White रूप में प्रदर्शित (Display) करता है|
ग्रे-स्केल (Gray-Scale):-
यह मॉनीटर मोनोक्रोम जैसे ही होते हैं लेकिन यह किसी भी तरह ���े Display को ग्रे शेडस (Gray Shades) में प्रदर्शित (Show) करता हैं इस प्रकार के मॉनीटर अधिकतर हैंडी कंप्यूटर जैसे लैप टॉप (Laptop) में प्रयोग किये जाते हैं
रंगीन मॉनीटर (Color Monitors):- ऐसा मॉनीटर RGB (Red-Green-Blue) विकिरणों के समायोजन के रूप में आउटपुट को प्रदर्शित करता है सिद्धांत के कारण ऐसे मॉनीटर उच्च रेजोल्यूशन (Resolution) में ग्राफिक्स (Graphics) को प्रदर्शित करने में सक्षम होते हैं कंप्यूटर मेमोरी की क्षमतानुसार ऐसे मॉनीटर 16 से लेकर 16 लाख तक के रंगों में आउटपुट प्रदर्शित करने की क्षमता रखते हैं|
Types of Monitor (मोनीटर के प्रकार):-
CRT Monitor
Flat Panel Monitor
LCD (Liquid Crystal Display)
LED ( Light Emitting Diode)
CRT Monitor:-
CRT Monitor सबसे ज्यादा Use होने वाला Output Device हैं जिसे VDU (Visual display Unit) भी कहते हैं इसका Main Part cathode Ray tube होती हैं जिसे Generally Picture tube कहते हैं अधिकतर मॉनीटर में पिक्चर ट्यूब एलीमेंट होता है जो टी.वी. सेट के समान होता है यह ट्यूब सी.आर.टी. कहलाती है सी.आर.टी. तकनीक सस्ती और उत्तम कलर में आउटपुट प्रदान करती है CRT में Electron gun होता है जो की electrons की beam  और cathode rays को उत्सर्जित करती है ये Electron beam, Electronic grid से पास की जाती है ताकि electron की Speed को कम किया जा सके CRT Monitor की Screen पर फास्फोरस की Coding की जाती है इसलिए जैसे ही electronic beam Screen से टकराती है तो Pixel चमकने लगते हैं और Screen पर Image या Layout दिखाई देता हैं
LCD (Liquid Crystal Display):-
CRT Monitor बिलकुल टेलीविजन की तरह हुआ करते थे  Technology के विकास के साथ Monitor ने भी अपने रूप बदले और आज CRT Monitor के बदले LCD Monitor प्रचलन में आ गए है यह Monitor बहुत ही आकर्षित होते हैं Liquid Crystal Display को LCD के नाम से भी जाना जाता हैं यह Digital Technology हैं जो एक Flat सतह पर तरल क्रिस्टल के माध्यम से आकृति बनाता हैं यह कम जगह लेता है यह कम ऊर्जा लेता है तथा पारंपरिक Cathode ray tube Monitor की अपेक्षाकृत कम गर्मी पैदा करता हैं  यह Display सबसे पहले Laptop में Use होता था परन्तु अब यह स्क्रीन Desktop Computer के लिए भी प्रयोग हो रहा हैं
Flat panel Monitor:–
CRT तकनीक के स्थान पर यह तकनीक विकसित की गयी जिसमे कैमीकल व गैसों को एक प्लेट में रखकर उसका प्रयोग Display में किया जाता है यह बहुत पतली स्क्रीन (Screen) होती है| flat Panel वजन में हल्की तथा बिजली की खपत कम करने वाली होती है इसमें द्रवीय क्रिस्टल डिस्प्ले (Liquid Crystal Display-LCD) तकनीक प्रयोग की जाती है LCD में CRT तकनीक की अपेक्षा कम स्पष्टता होती है इनका Use Laptop आदि में किया जाता हैं
मॉनीटर के लक्षण:-
किसी भी प्रकार के मॉनीटर के अंदर कुछ खास लक्षण होते है जिनके आधार पर ही इनके गुणवत्ता को परखा जाता है मॉनीटर के मुख्य लक्षण रेजोल्यूशन रिफ्रेश दर डोंट पिच इंटरलेसिंग नॉन इंटरलेसिंग बिट मेपिंग आदि है जिनके आधार पर इनकी गुणवत्ता को परखा जाता हैं
 रेजोल्यूशन (Resolution):-
मॉनीटर का महत्वपूर्ण गुण – रेजोल्यूशन (Resolution) यह स्क्रीन (Screen) के चित्र (Picture) की स्पष्टता (Sharpness) को बताता है अधिकतर डिस्प्ले (Display) डिवाइसेज में चित्र (Image) स्क्रीन (Screen) के छोटे छोटे डॉट (Dots) के चमकने से बनते है स्क्रीन के ये छोटे छोटे डॉट (Dots) पिक्सल (Pixels) कहलाते है यहाँ पिक्सल (Pixels) शब्द पिक्चर एलीमेंट (Picture Element) का संक्षिप्त रूप है स्क्रीन पर जितने अधिक पिक्सल होगें स्क्रीन का रेजोल्यूशन (Resolution) भी उतना ही अधिक होगा अर्थात चित्र (Image) उतना ही स्पष्ट होगा एक डिस्प्ले रेजोल्यूशन (Resolution) माना 640*480 है तो इसका अर्थ है कि स्क्रीन 640 डॉट के स्तम्भ (Column) और 480 डॉट की पंक्तियों (Row) से बनी है|
Refresh Rate:- माॅनीटर लगातार कार्य करता रहता है । कम्प्यूटर स्क्रीन पर इमेज दायें से बायें एवं ऊपर से नीचे मिटती बनती रहती है। जो इलेक्ट्रान गन से व्यवस्थ��त होता रहता है। इसका अनुभव हम तभी कर पाते है जब स्क्रीन क्लिक करते  है या जब रिफ्रेश दर कम होती है । माॅनीटर में रिफ्रेश रेट को हर्टज में नापा जाता है।
Dot Pitch:- डाॅट पिच एक प्रकार की मापन तकनीकी है। जो यह प्रदर्शित करती है। की दो पिक्सल के मध्य horizontal अन्तर या दूरी कितनी है। इसका मापन मिलीमीटर में किया जाता है। यह माॅनीटर की गुणवत्ता को प्रदर्षित करता है। माॅनीटर में डाॅटपिच कम होना चाहिये। इसको फाॅस्फर पिच भी कहा जाता है। कलर माॅनीटर की डाॅट पिच 0.15 MM से .30 MM तक होती है।
Interlacing or non Interlacing:- यह एक ऐसी डिस्प्ले तकनीकी है। जो की माॅनीटर में रेजोल्यूशन की गुणवत्ता में और अधिक वृद्वि करती है। इन्टरलेसिंग माॅनीटर में इलेक्ट्रान गन केवल आधी लाईन खीचती थी क्योंकि इन्टरलेसिंग माॅनीटर एक समय में केवल आधी लाइन को ही रिफ्रेष करता है। यह माॅनीटर प्रत्येक रिफ्रेष साइकिल में दो से अधिक लाइनों को प्रदर्षित कर सकता है। इसकी केवल यह कमी थी कि इसका तमेचवदेम जपउम धीमा होता था।दोनों प्रकार के माॅनीटर की रेजोलूषन क्षमता अच्छी होती है। परन्तु नाॅन इन्टरलेसिंग माॅनीटर ज्यादा अच्छा होता है।
Bit Mapping:- पहले जो माॅनीटरस का प्रयोग किया जाता था उनमें केवल टेक्स को हो डिस्प्ले किया जा सकता था और इनकी पिक्सेल की संख्या सीमित होती थी। जिससे टेक्स का निमार्ण किया जाता था। ग्राफिक्स विकसित करने के लिये जो तकनीकी प्रयोग की गई जिसमें टेक्स और ग्राफिक्स दोनों को प्रदर्षित किया जा सकता हैं वह बिट मैपिंग कहलाती है। इस तकनीकी में बिट मैप ग्राफिक्स का प्रत्येक पिक्सेल आॅपरेट के द्वारा नियन्त्रित होता है। इससे आॅपरेटर किसी भी आकृति को स्क्रीन पर बनाया जा सकता है।
वीडियो मानक या डिस्प्ले पद्धति (Video Standard or Display Modes)
वीडियो मानक से तात्पर्य मॉनीटर में लगाये जाने वाले तकनीक से है| पर्सनल कंप्यूटर की वीडियो तकनीक में दिन प्रतिदिन सुधार आता जा रहा है| अब तक परिचित हुए मानकों में वीडियो स्टैंडर्ड के कुछ उदाहरण निम्नलिखित है
कलर ग्राफिक्स अडैप्टर (Color graphics Adapter)
इन्हैंन्स्ड ग्राफिक्स अडैप्टर (Enhanced Graphics Adapter)
वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Video graphics Array)
इक्स्टेण्डेड ग्राफिक्स ऐरे (Extended Graphics Array)
सुपर वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Super Video graphics Array)
कलर ग्राफिक्स अडैप्टर (Color graphics Adapter):-
कलर ग्राफिक्स अडैप्टर (Color graphics Adapter) को संक्षिप्त में सी.जी.ए.(CGA) कहते है| इसका निर्माण 1981 में इंटरनेशनल बिजनेस मशीन (International business Machine) नामक कंपनी ने किया था यह डिस्प्ले (Display) चार रंगों को प्रदर्शित करने की क्षमता रखता था तथा प्रदर्शन क्षमता 320 पिक्सेल (Pixels) क्षेतिज (Horizontal) तथा 200 पिक्सेल (Pixels) उदग्र (Vertical) थी यह प्रणाली विंडोज के साधारण खेलो के लिए प्रयोग में आती थी यह ग्राफिक्स (Graphics) या इमेज (Image) के लिए पर्याप्त नहीं था
इन्हैंन्स्ड ग्राफिक्स अडैप्टर (Enhanced Graphics Adapter):-
इसका निर्माण भी इंटरनेशनल बिसनेस मशीन (International business Machine) ने सन् 1984 में किया था यह डिस्प्ले सिस्टम (Display System) 16 अलग-अलग रंगों को प्रदर्शित करता था इसकी प्रदर्शन क्षमता सी.जी.ए. (CGA) की अपेक्षा अधिक बेहतर यानि पिक्सल (Pixels) क्षैतिज (Horizontal) तथा पिक्सल उदग्र (Vertical) थी इस सिस्टम ने अपनी प्रदर्शन क्षमता को सी.जी.ए. (CGA) से और अधिक बेहतर बनाया यह डिस्प्ले सिस्टम टेक्स्ट (Text) की अपेक्षा अधिक आसानी से पढ़ सकता था इसके बावजूद ई.जी.ए. (EGA) अधिक क्षमता वाली ग्राफिक्स (Graphics) तथा डेस्कटॉप पब्लिशिंग (Desktop Publishing) के लिए उपयुक्त नहीं था
वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Video graphics Array):-
इसका निर्माण भी इंटरनेशनल बिसनेस मशीन (International business Machine) कंपनी द्वारा 1987 में किया गया था इसकी स्पष्टता इसमें प्रयोग किये जाने वाले रंगों (Colors) पर निर्भर होती थी इसमें 16 रंग (Color) 640*480 पिक्सेल (Pixels) पर व 256 रंग (Color) 320*200 पिक्सेल (Pixels) पर प्रयोग (Use) किये जा सकते हैं आजकल VGA मॉनीटर का प्रयोग बहुत अधिक मात्रा में किया जाता है
इक्स्टेण्डेड ग्राफिक्स ऐरे (Extended Graphics Array):-
इसका निर्माण भी इंटरनेशनल बिसनेस मशीन (International business Machine) कंपनी ने सन् 1990 में किया था इसमें 16 लाख रंगों (Colors) में 800*600 पिक्सेल का रेजोलुशन (Resolution) तथा 65536 मिलियन रंगों (Colors) में 1024*768 पिक्सेल (pixel) का रेजोलुशन (Resolution)  प्रदर्शित करता था
सुपर वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Super Video graphics Array):-
आजकल सभी PC कंप्यूटर में SVGA का प्रयोग किया जा रहा है यह मॉनीटर 1 करोड़ 60 लाख रंगों (Color) को प्रदर्शित (Display) करने की क्षमता रखता है छोटे आकार के SVGA Monitor 800 पिक्सेल (Pixel) क्षैतिज (Horizontal) तथा 600 पिक्सेल (Pixel) उदग्र (Vertical) प्रदर्शित करते हैं तथा बड़े आकार के SVGA  मॉनीटर 1280*1024 या 1600*1200 पिक्सेल (Pixel) रेजोलुशन (Resolution) प्रदर्शित (Display) करते हैं
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bkpoints · 7 years
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मॉनीटर(Monitor)
Monitor एक आउटपुट डिवाइस है। इसको विजुअल डिस्प्ले यूनिट भी कहा जाता है। यह देखने में टीवी की तरह होता है। माॅनीटर एक सबसे महत्वपूर्ण आउटपुट डिवाइस है। इसके बिना कम्प्यूटर अधूरा होता है। यह आउटपुट को अपनी स्क्रीन पर Soft Copy के रूप में प्रदर्शित करता है। माॅनिटर द्वारा प्रदर्शित रंगों के आधार पर यह तीन प्रकार के होते है।
मोनोक्रोम (Monochrome):-
यह शब्द दो शब्दों मोनो (Mono) अर्थात एकल (Single) तथा क्रोम (Chrome) अर्थात रंग (Color) से मिलकर बना है इसलिये इसे Single Color Display कहते है तथा यह मॉनीटर आउटपुट को Black & White रूप में प्रदर्शित (Display) करता है|
ग्रे-स्केल (Gray-Scale):-
यह मॉनीटर मोनोक्रोम जैसे ही होते हैं लेकिन यह किसी भी तरह के Display को ग्रे शेडस (Gray Shades) में प्रदर्शित (Show) करता हैं इस प्रकार के मॉनीटर अधिकतर हैंडी कंप्यूटर जैसे लैप टॉप (Laptop) में प्रयोग किये जाते हैं
रंगीन मॉनीटर (Color Monitors):- ऐसा मॉनीटर RGB (Red-Green-Blue) विकिरणों के समायोजन के रूप में आउटपुट को प्रदर्शित करता है सिद्धांत के कारण ऐसे मॉनीटर उच्च रेजोल्यूशन (Resolution) में ग्राफिक्स (Graphics) को प्रदर्शित करने में सक्षम होते हैं कंप्यूटर मेमोरी की क्षमतानुसार ऐसे मॉनीटर 16 से लेकर 16 लाख तक के रंगों में आउटपुट प्रदर्शित करने की क्षमता रखते हैं|
Types of Monitor (मोनीटर के प्रकार):-
CRT Monitor
Flat Panel Monitor
LCD (Liquid Crystal Display)
LED ( Light Emitting Diode)
CRT Monitor:-
CRT Monitor सबसे ज्यादा Use होने वाला Output Device हैं जिसे VDU (Visual display Unit) भी कहते हैं इसका Main Part cathode Ray tube होती हैं जिसे Generally Picture tube कहते हैं अधिकतर मॉनीटर में पिक्चर ट्यूब एलीमेंट होता है जो टी.वी. सेट के समान होता है यह ट्यूब सी.आर.टी. कहलाती है सी.आर.टी. तकनीक सस्ती और उत्तम कलर में आउटपुट प्रदान करती है CRT में Electron gun होता है जो की electrons की beam  और cathode rays को उत्सर्जित करती है ये Electron beam, Electronic grid से पास की जाती है ताकि electron की Speed को कम किया जा सके CRT Monitor की Screen पर फास्फोरस की Coding की जाती है इसलिए जैसे ही electronic beam Screen से टकराती है तो Pixel चमकने लगते हैं और Screen पर Image या Layout दिखाई देता हैं
LCD (Liquid Crystal Display):-
CRT Monitor बिलकुल टेलीविजन की तरह हुआ करते थे  Technology के विकास के साथ Monitor ने भी अपने रूप बदले और आज CRT Monitor के बदले LCD Monitor प्रचलन में आ गए है यह Monitor बहुत ही आकर्षित होते हैं Liquid Crystal Display को LCD के नाम से भी जाना जाता हैं यह Digital Technology हैं जो एक Flat सतह पर तरल क्रिस्टल के माध्यम से आकृति बनाता हैं यह कम जगह लेता है यह कम ऊर्जा लेता है तथा पारंपरिक Cathode ray tube Monitor की अपेक्षाकृत कम गर्मी पैदा करता हैं  यह Display सबसे पहले Laptop में Use होता था परन्तु अब यह स्क्रीन Desktop Computer के लिए भी प्रयोग हो रहा हैं
Flat panel Monitor:–
CRT तकनीक के स्थान पर यह तकनीक विकसित की गयी जिसमे कैमीकल व गैसों को एक प्लेट में रखकर उसका प्रयोग Display में किया जाता है यह बहुत पतली स्क्रीन (Screen) होती है| flat Panel वजन में हल्की तथा बिजली की खपत कम करने वाली होती है इसमें द्रवीय क्रिस्टल डिस्प्ले (Liquid Crystal Display-LCD) तकनीक प्रयोग की जाती है LCD में CRT तकनीक की अपेक्षा कम स्पष्टता होती है इनका Use Laptop आदि में किया जाता हैं
मॉनीटर के लक्षण:-
किसी भी प्रकार के मॉनीटर के अंदर कुछ खास लक्षण होते है जिनके आधार पर ही इनके गुणवत्ता को परखा जाता है मॉनीटर के मुख्य लक्षण रेजोल्यूशन रिफ्रेश दर डोंट पिच इंटरलेसिंग नॉन इंटरलेसिंग बिट मेपिंग आदि है जिनके आधार पर इनकी गुणवत्ता को परखा जाता हैं
 रेजोल्यूशन (Resolution):-
मॉनीटर का महत्वपूर्ण गुण – रेजोल्यूशन (Resolution) यह स्क्रीन (Screen) के चित्र (Picture) की स्पष्टता (Sharpness) को बताता है अधिकतर डिस्प्ले (Display) डिवाइसेज में चित्र (Image) स्क्रीन (Screen) के छोटे छोटे डॉट (Dots) के चमकने से बनते है स्क्रीन के ये छोटे छोटे डॉट (Dots) पिक्सल (Pixels) कहलाते है यहाँ पिक्सल (Pixels) शब्द पिक्चर एलीमेंट (Picture Element) का संक्षिप्त रूप है स्क्रीन पर जितने अधिक पिक्सल होगें स्क्रीन का रेजोल्यूशन (Resolution) भी उतना ही अधिक होगा अर्थात चित्र (Image) उतना ही स्पष्ट होगा एक डिस्प्ले रेजोल्यूशन (Resolution) माना 640*480 है तो इसका अर्थ है कि स्क्रीन 640 डॉट के स्तम्भ (Column) और 480 डॉट की पंक्तियों (Row) से बनी है|
Refresh Rate:- माॅनीटर लगातार कार्य करता रहता है । कम्प्यूटर स्क्रीन पर इमेज दायें से बायें एवं ऊपर से नीचे मिटती बनती रहती है। जो इलेक्ट्रान गन से व्यवस्थित होता रहता है। इसका अनुभव हम तभी कर पाते है जब स्क्रीन क्लिक करते  है या जब रिफ्रेश दर कम होती है । माॅनीटर में रिफ्रेश रेट को हर्टज में नापा जाता है।
Dot Pitch:- डाॅट पिच एक प्रकार की मापन तकनीकी है। जो यह प्रदर्शित करती है। की दो पिक्सल के मध्य horizontal अन्तर या दूरी कितनी है। इसका मापन मिलीमीटर में किया जाता है। यह माॅनीटर की गुणवत्ता को प्रदर्षित करता है। माॅनीटर में डाॅटपिच कम होना चाहिये। इसको फाॅस्फर पिच भी कहा जाता है। कलर माॅनीटर की डाॅट पिच 0.15 MM से .30 MM तक होती है।
Interlacing or non Interlacing:- यह एक ऐसी डिस्प्ले तकनीकी है। जो की माॅनीटर में रेजोल्यूशन की गुणवत्ता में और अधिक वृद्वि करती है। इन्टरलेसिंग माॅनीटर में इलेक्ट्रान गन केवल आधी लाईन खीचती थी क्योंकि इन्टरलेसिंग माॅनीटर एक समय में केवल आधी लाइन को ही रिफ्रेष करता है। यह माॅनीटर प्रत्येक रिफ्रेष साइकिल में दो से अधिक लाइनों को प्रदर्षित कर सकता है। इसकी केवल यह कमी थी कि इसका तमेचवदेम जपउम धीमा होता था।दोनों प्रकार के माॅनीटर की रेजोलूषन क्षमता अच्छी होती है। परन्तु नाॅन इन्टरलेसिंग माॅनीटर ज्यादा अच्छा होता है।
Bit Mapping:- पहले जो माॅनीटरस का प्रयोग किया जाता था उनमें केवल टेक्स को हो डिस्प्ले किया जा सकता था और इनकी पिक्सेल की संख्या सीमित होती थी। जिससे टेक्स का निमार्ण किया जाता था। ग्राफिक्स विकसित करने के लिये जो तकनीकी प्रयोग की गई जिसमें टेक्स और ग्राफिक्स दोनों को प्रदर्षित किया जा सकता हैं वह बिट मैपिंग कहलाती है। इस तकनीकी में बिट मैप ग्राफिक्स का प्रत्येक पिक्सेल आॅपरेट के द्वारा नियन्त्रित होता है। इससे आॅपरेटर किसी भी आकृति को स्क्रीन पर बनाया जा सकता है।
वीडियो मानक या डिस्प्ले पद्धति (Video Standard or Display Modes)
वीडियो मानक से तात्पर्य मॉनीटर में लगाये जाने वाले तकनीक से है| पर्सनल कंप्यूटर की वीडियो तकनीक में दिन प्रतिदिन सुधार आता जा रहा है| अब तक परिचित हुए मानकों में वीडियो स्टैंडर्ड के कुछ उदाहरण निम्नलिखित है
कलर ग्राफिक्स अडैप्टर (Color graphics Adapter)
इन्हैंन्स्ड ग्राफिक्स अडैप्टर (Enhanced Graphics Adapter)
वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Video graphics Array)
इक्स्टेण्डेड ग्राफिक्स ऐरे (Extended Graphics Array)
सुपर वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Super Video graphics Array)
कलर ग्राफिक्स अडैप्टर (Color graphics Adapter):-
कलर ग्राफिक्स अडैप्टर (Color graphics Adapter) को संक्षिप्त में सी.जी.ए.(CGA) कहते है| इसका निर्माण 1981 में इंटरनेशनल बिजनेस मशीन (International business Machine) नामक कंपनी ने किया था यह डिस्प्ले (Display) चार रंगों को प्रदर्शित करने की क्षमता रखता था तथा प्रदर्शन क्षमता 320 पिक्सेल (Pixels) क्षेतिज (Horizontal) तथा 200 पिक्सेल (Pixels) उदग्र (Vertical) थी यह प्रणाली विंडोज के साधारण खेलो के लिए प्रयोग में आती थी यह ग्राफिक्स (Graphics) या इमेज (Image) के लिए पर्याप्त नहीं था
इन्हैंन्स्ड ग्राफिक्स अडैप्टर (Enhanced Graphics Adapter):-
इसका निर्माण भी इंटरनेशनल बिसनेस मशीन (International business Machine) ने सन् 1984 में किया था यह डिस्प्ले सिस्टम (Display System) 16 अलग-अलग रंगों को प्रदर्शित करता था इसकी प्रदर्शन क्षमता सी.जी.ए. (CGA) की अपेक्षा अधिक बेहतर यानि पिक्सल (Pixels) क्षैतिज (Horizontal) तथा पिक्सल उदग्र (Vertical) थी इस सिस्टम ने अपनी प्रदर्शन क्षमता को सी.जी.ए. (CGA) से और अधिक बेहतर बनाया यह डिस्प्ले सिस्टम टेक्स्ट (Text) की अपेक्षा अधिक आसानी से पढ़ सकता था इसके बावजूद ई.जी.ए. (EGA) अधिक क्षमता वाली ग्राफिक्स (Graphics) तथा डेस्कटॉप पब्लिशिंग (Desktop Publishing) के लिए उपयुक्त नहीं था
वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Video graphics Array):-
इसका निर्माण भी इंटरनेशनल बिसनेस मशीन (International business Machine) कंपनी द्वारा 1987 में किया गया था इसकी स्पष्टता इसमें प्रयोग किये जाने वाले रंगों (Colors) पर निर्भर होती थी इसमें 16 रंग (Color) 640*480 पिक्सेल (Pixels) पर व 256 रंग (Color) 320*200 पिक्सेल (Pixels) पर प्रयोग (Use) किये जा सकते हैं आजकल VGA मॉनीटर का प्रयोग बहुत अधिक मात्रा में किया जाता है
इक्स्टेण्डेड ग्राफिक्स ऐरे (Extended Graphics Array):-
इसका निर्माण भी इंटरनेशनल बिसनेस मशीन (International business Machine) कंपनी ने सन् 1990 में किया था इसमें 16 लाख रंगों (Colors) में 800*600 पिक्सेल का रेजोलुशन (Resolution) तथा 65536 मिलियन रंगों (Colors) में 1024*768 पिक्सेल (pixel) का रेजोलुशन (Resolution)  प्रदर्शित करता था
सुपर वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Super Video graphics Array):-
आजकल सभी PC कंप्यूटर में SVGA का प्रयोग किया जा रहा है यह मॉनीटर 1 करोड़ 60 लाख रंगों (Color) को प्रदर्शित (Display) करने की क्षमता रखता है छोटे आकार के SVGA Monitor 800 पिक्सेल (Pixel) क्षैतिज (Horizontal) तथा 600 पिक्सेल (Pixel) उदग्र (Vertical) प्रदर्शित करते हैं तथा बड़े आकार के SVGA  मॉनीटर 1280*1024 या 1600*1200 पिक्सेल (Pixel) रेजोलुशन (Resolution) प्रदर्शित (Display) करते हैं
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bkpoints · 7 years
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मॉनीटर(Monitor)
Monitor एक आउटपुट डिवाइस है। इसको विजुअल डिस्प्ले यूनिट भी कहा जाता है। यह देखने में टीवी की तरह होता है। माॅनीटर एक सबसे महत्वपूर्ण आउटपुट डिवाइस है। इसके बिना कम्प्यूटर अधूरा होता है। यह आउटपुट को अपनी स्क्रीन पर Soft Copy के रूप में प्रदर्शित करता है। माॅनिटर द्वारा प्रदर्शित रंगों के आधार पर यह तीन प्रकार के होते है।
मोनोक्रोम (Monochrome):-
यह शब्द दो शब्दों मोनो (Mono) अर्थात एकल (Single) तथा क्रोम (Chrome) अर्थात रंग (Color) से मिलकर बना है इसलिये इसे Single Color Display कहते है तथा यह मॉनीटर आउटपुट को Black & White रूप में प्रदर्शित (Display) करता है|
ग्रे-स्केल (Gray-Scale):-
यह मॉनीटर मोनोक्रोम जैसे ही होते हैं लेकिन यह किसी भी तरह के Display को ग्रे शेडस (Gray Shades) में प्रदर्शित (Show) करता हैं इस प्रकार के मॉनीटर अधिकतर हैंडी कंप्यूटर जैसे लैप टॉप (Laptop) में प्रयोग किये जाते हैं
रंगीन मॉनीटर (Color Monitors):- ऐसा मॉनीटर RGB (Red-Green-Blue) विकिरणों के समायोजन के रूप में आउटपुट को प्रदर्शित करता है सिद्धांत के कारण ऐसे मॉनीटर उच्च रेजोल्यूशन (Resolution) में ग्राफिक्स (Graphics) को प्रदर्शित करने में सक्षम होते हैं कंप्यूटर मेमोरी की क्षमतानुसार ऐसे मॉनीटर 16 से लेकर 16 लाख तक के रंगों में आउटपुट प्रदर्शित करने की क्षमता रखते हैं|
Types of Monitor (मोनीटर के प्रकार):-
CRT Monitor
Flat Panel Monitor
LCD (Liquid Crystal Display)
LED ( Light Emitting Diode)
CRT Monitor:-
CRT Monitor सबसे ज्यादा Use होने वाला Output Device हैं जिसे VDU (Visual display Unit) भी कहते हैं इसका Main Part cathode Ray tube होती हैं जिसे Generally Picture tube कहते हैं अधिकतर मॉनीटर में पिक्चर ट्यूब एलीमेंट होता है जो टी.वी. सेट के समान होता है यह ट्यूब सी.आर.टी. कहलाती है सी.आर.टी. तकनीक सस्ती और उत्तम कलर में आउटपुट प्रदान करती है CRT में Electron gun होता है जो की electrons की beam  और cathode rays को उत्सर्जित करती है ये Electron beam, Electronic grid से पास की जाती है ताकि electron की Speed को कम किया जा सके CRT Monitor की Screen पर फास्फोरस की Coding की जाती है इसलिए जैसे ही electronic beam Screen से टकराती है तो Pixel चमकने लगते हैं और Screen पर Image या Layout दिखाई देता हैं
LCD (Liquid Crystal Display):-
CRT Monitor बिलकुल टेलीविजन की तरह हुआ करते थे  Technology के विकास के साथ Monitor ने भी अपने रूप बदले और आज CRT Monitor के बदले LCD Monitor प्रचलन में आ गए है यह Monitor बहुत ही आकर्षित होते हैं Liquid Crystal Display को LCD के नाम से भी जाना जाता हैं यह Digital Technology हैं जो एक Flat सतह पर तरल क्रिस्टल के माध्यम से आकृति बनाता हैं यह कम जगह लेता है यह कम ऊर्जा लेता है तथा पारंपरिक Cathode ray tube Monitor की अपेक्षाकृत कम गर्मी पैदा करता हैं  यह Display सबसे पहले Laptop में Use होता था परन्तु अब यह स्क्रीन Desktop Computer के लिए भी प्रयोग हो रहा हैं
Flat panel Monitor:–
CRT तकनीक के स्थान पर यह तकनीक विकसित की गयी जिसमे कैमीकल व गैसों को एक प्लेट में रखकर उसका प्रयोग Display में किया जाता है यह बहुत पतली स्क्रीन (Screen) होती है| flat Panel वजन में हल्की तथा बिजली की खपत कम करने वाली होती है इसमें द्रवीय क्रिस्टल डिस्प्ले (Liquid Crystal Display-LCD) तकनीक प्रयोग की जाती है LCD में CRT तकनीक की अपेक्षा कम स्पष्टता होती है इनका Use Laptop आदि में किया जाता हैं
मॉनीटर के लक्षण:-
किसी भी प्रकार के मॉनीटर के अंदर कुछ खास लक्षण होते है जिनके आधार पर ही इनके गुणवत्ता को परखा जाता है मॉनीटर के मुख्य लक्षण रेजोल्यूशन रिफ्रेश दर डोंट पिच इंटरलेसिंग नॉन इंटरलेसिंग बिट मेपिंग आदि है जिनके आधार पर इनकी गुणवत्ता को परखा जाता हैं
 रेजोल्यूशन (Resolution):-
मॉनीटर का महत्वपूर्ण गुण – रेजोल्यूशन (Resolution) यह स्क्रीन (Screen) के चित्र (Picture) की स्पष्टता (Sharpness) को बताता है अधिकतर डिस्प्ले (Display) डिवाइसेज में चित्र (Image) स्क्रीन (Screen) के छोटे छोटे डॉट (Dots) के चमकने से बनते है स्क्रीन के ये छोटे छोटे डॉट (Dots) पिक्सल (Pixels) कहलाते है यहाँ पिक्सल (Pixels) शब्द पिक्चर एलीमेंट (Picture Element) का संक्षिप्त रूप है स्क्रीन पर जितने अधिक पिक्सल होगें स्क्रीन का रेजोल्यूशन (Resolution) भी उतना ही अधिक होगा अर्थात चित्र (Image) उतना ही स्पष्ट होगा एक डिस्प्ले रेजोल्यूशन (Resolution) माना 640*480 है तो इसका अर्थ है कि स्क्रीन 640 डॉट के स्तम्भ (Column) और 480 डॉट की पंक्तियों (Row) से बनी है|
Refresh Rate:- माॅनीटर लगातार कार्य करता रहता है । कम्प्यूटर स्क्रीन पर इमेज दायें से बायें एवं ऊपर से नीचे मिटती बनती रहती है। जो इलेक्ट्रान गन से व्यवस्थित होता रहता है। इसका अनुभव हम तभी कर पाते है जब स्क्रीन क्लिक करते  है या जब रिफ्रेश दर कम होती है । माॅनीटर में रिफ्रेश रेट को हर्टज में नापा जाता है।
Dot Pitch:- डाॅट पिच एक प्रकार की मापन तकनीकी है। जो यह प्रदर्शित करती है। की दो पिक्सल के मध्य horizontal अन्तर या दूरी कितनी है। इसका मापन मिलीमीटर में किया जाता है। यह माॅनीटर की गुणवत्ता को प्रदर्षित करता है। माॅनीटर में डाॅटपिच कम होना चाहिये। इसको फाॅस्फर पिच भी कहा जाता है। कलर माॅनीटर की डाॅट पिच 0.15 MM से .30 MM तक होती है।
Interlacing or non Interlacing:- यह ���क ऐसी डिस्प्ले तकनीकी है। जो की माॅनीटर में रेजोल्यूशन की गुणवत्ता में और अधिक वृद्वि करती है। इन्टरलेसिंग माॅनीटर में इलेक्ट्रान गन केवल आधी लाईन खीचती थी क्योंकि इन्टरलेसिंग माॅनीटर एक समय में केवल आधी लाइन को ही रिफ्रेष करता है। यह माॅनीटर प्रत्येक रिफ्रेष साइकिल में दो से अधिक लाइनों को प्रदर्षित कर सकता है। इसकी केवल यह कमी थी कि इसका तमेचवदेम जपउम धीमा होता था।दोनों प्रकार के माॅनीटर की रेजोलूषन क्षमता अच्छी होती है। परन्तु नाॅन इन्टरलेसिंग माॅनीटर ज्यादा अच्छा होता है।
Bit Mapping:- पहले जो माॅनीटरस का प्रयोग किया जाता था उनमें केवल टेक्स को हो डिस्प्ले किया जा सकता था और इनकी पिक्सेल की संख्या सीमित होती थी। जिससे टेक्स का निमार्ण किया जाता था। ग्राफिक्स विकसित करने के लिये जो तकनीकी प्रयोग की गई जिसमें टेक्स और ग्राफिक्स दोनों को प्रदर्षित किया जा सकता हैं वह बिट मैपिंग कहलाती है। इस तकनीकी में बिट मैप ग्राफिक्स का प्रत्येक पिक्सेल आॅपरेट के द्वारा नियन्त्रित होता है। इससे आॅपरेटर किसी भी आकृति को स्क्रीन पर बनाया जा सकता है।
वीडियो मानक या डिस्प्ले पद्धति (Video Standard or Display Modes)
वीडियो मानक से तात्पर्य मॉनीटर में लगाये जाने वाले तकनीक से है| पर्सनल कंप्यूटर की वीडियो तकनीक में दिन प्रतिदिन सुधार आता जा रहा है| अब तक परिचित हुए मानकों में वीडियो स्टैंडर्ड के कुछ उदाहरण निम्नलिखित है
कलर ग्राफिक्स अडैप्टर (Color graphics Adapter)
इन्हैंन्स्ड ग्राफिक्स अडैप्टर (Enhanced Graphics Adapter)
वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Video graphics Array)
इक्स्टेण्डेड ग्राफिक्स ऐरे (Extended Graphics Array)
सुपर वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Super Video graphics Array)
कलर ग्राफिक्स अडैप्टर (Color graphics Adapter):-
कलर ग्राफिक्स अडैप्टर (Color graphics Adapter) को संक्षिप्त में सी.जी.ए.(CGA) कहते है| इसका निर्माण 1981 में इंटरनेशनल बिजनेस मशीन (International business Machine) नामक कंपनी ने किया था यह डिस्प्ले (Display) चार रंगों को प्रदर्शित करने की क्षमता रखता था तथा प्रदर्शन क्षमता 320 पिक्सेल (Pixels) क्षेतिज (Horizontal) तथा 200 पिक्सेल (Pixels) उदग्र (Vertical) थी यह प्रणाली विंडोज के साधारण खेलो के लिए प्रयोग में आती थी यह ग्राफिक्स (Graphics) या इमेज (Image) के लिए पर्याप्त नहीं था
इन्हैंन्स्ड ग्राफिक्स अडैप्टर (Enhanced Graphics Adapter):-
इसका निर्माण भी इंटरनेशनल बिसनेस मशीन (International business Machine) ने सन् 1984 में किया था यह डिस्प्ले सिस्टम (Display System) 16 अलग-अलग रंगों को प्रदर्शित करता था इसकी प्रदर्शन क्षमता सी.जी.ए. (CGA) की अपेक्षा अधिक बेहतर यानि पिक्सल (Pixels) क्षैतिज (Horizontal) तथा पिक्सल उदग्र (Vertical) थी इस सिस्टम ने अपनी प्रदर्शन क्षमता को सी.जी.ए. (CGA) से और अधिक बेहतर बनाया यह डिस्प्ले सिस्टम टेक्स्ट (Text) की अपेक्षा अधिक आसानी से पढ़ सकता था इसके बावजूद ई.जी.ए. (EGA) अधिक क्षमता वाली ग्राफिक्स (Graphics) तथा डेस्कटॉप पब्लिशिंग (Desktop Publishing) के लिए उपयुक्त नहीं था
वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Video graphics Array):-
इसका निर्माण भी इंटरनेशनल बिसनेस मशीन (International business Machine) कंपनी द्वारा 1987 में किया गया था इसकी स्पष्टता इसमें प्रयोग किये जाने वाले रंगों (Colors) पर निर्भर होती थी इसमें 16 रंग (Color) 640*480 पिक्सेल (Pixels) पर व 256 रंग (Color) 320*200 पिक्सेल (Pixels) पर प्रयोग (Use) किये जा सकते हैं आजकल VGA मॉनीटर का प्रयोग बहुत अधिक मात्रा में किया जाता है
इक्स्टेण्डेड ग्राफिक्स ऐरे (Extended Graphics Array):-
इसका निर्माण भी इंटरनेशनल बिसनेस मशीन (International business Machine) कंपनी ने सन् 1990 में किया था इसमें 16 लाख रंगों (Colors) में 800*600 पिक्सेल का रेजोलुशन (Resolution) तथा 65536 मिलियन रंगों (Colors) में 1024*768 पिक्सेल (pixel) का रेजोलुशन (Resolution)  प्रदर्शित करता था
सुपर वीडियो ग्राफिक्स ऐरे (Super Video graphics Array):-
आजकल सभी PC कंप्यूटर में SVGA का प्रयोग किया जा रहा है यह मॉनीटर 1 करोड़ 60 लाख रंगों (Color) को प्रदर्शित (Display) करने की क्षमता रखता है छोटे आकार के SVGA Monitor 800 पिक्सेल (Pixel) क्षैतिज (Horizontal) तथा 600 पिक्सेल (Pixel) उदग्र (Vertical) प्रदर्शित करते हैं तथा बड़े आकार के SVGA  मॉनीटर 1280*1024 या 1600*1200 पिक्सेल (Pixel) रेजोलुशन (Resolution) प्रदर्शित (Display) करते हैं
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