Hartyana News: दस दिन से प्रदूषण स्तर हुआ डेंजर, जिम्मेदार मौन
Hartyana News: दस दिन से प्रदूषण स्तर हुआ डेंजर, जिम्मेदार मौन
हरियाणा: दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा में मौसम में पिछले एक सप्ताह स्मॉग छाई हुई है। इतना ही रेवाडी में भी पिछले 10 दिनो से लगातार प्रदूषण खतरनाक बना हुआ है। हल्की स्मॉग व धूल कणों की वजह से सिविल अस्पताल के साथ ही निजी अस्पतालों में भी आंखों की एलर्जी व सांस के रोगियों की संख्या एकाएक बढ़ गई।
कागजो में चल रहा अभियान, धरातल पर कुछ नही: पोलूशन कंट्रोल करने व पोलूशन फैलाने वाले पर कार्रवाई के लिए हर…
View On WordPress
0 notes
#हरि_आये_हरियाणे_नू
फाल्गुन मास की सुदी द्वादशी को दिन के लगभग 10 बजे (परमेश्वर कबीर साहिब)दस वर्षीय गरीबदास जी को जिन्दा महात्मा के वेश में मिले और ज्ञांनोपदेश दिया।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें आध्यात्मिक पुस्तक "ज्ञान - गंगा या Download करें हमारी Official App
"Sant Rampal Ji Maharaj"
23 notes
·
View notes
#गरिमा_गीता_की_Part_121
‘‘मुझ दास (रामपाल दास) को तत्व भेद प्राप्ति’’
एक दिन इस दास (रामपाल दास) ने अपने पूज्य गुरूदेव स्वामी रामदेवानंद जी से पूछा कि हे गुरूवर! यह सारनाम क्या है? जिसके विषय में बार-बार सतग्रन्थ साहेब तथा परमेश्वर कबीर साहेब जी की वाणी में आता है। तब उन्होंने कहा कि आज तक किसी ने मेरे से इस विषय में नहीं पूछा। लाखों का समूह है। परंतु ये प्रभु नहीं चाहते ये तो माया चाहते हैं या प्रभुत्ता। गुरु जी ने कहा कि आपके दादा गुरु जी ने मुझे कहा था कि आपसे कोई एैसी बात पूछे तो उसे यह वास्तविक मन्त्र तथा सारशब्द का भेद देना। वह पूर्ण संत होगा तथा कबीर परमेश्वर का वास्तविक भक्ति मार्ग प्रारम्भ होगा। ऐसा कह कर पूज्य गुरुदेव स्वामी रामदेवानन्द जी महाराज ने उनके पास उपस्थित संगत को अपनी कुटिया से बाहर कर दिया तथा सर्व भेद समझाया और कहा कि रामपाल तेरे समान संत इस पृथ्वी पर नहीं होगा। मुझे तेरा ही इंतजार था। सतलोक प्रस्थान करने से पूर्व सर्व आश्रम त्याग कर मुझ दास के पास जीन्द(हरियाणा) कुटिया में स्वामी जी चालीस दिन रहे तथा कहा कि किसी को नहीं बताना कि मैंने तेरे को सारनाम तथा सारशब्द दिया है। क्योंकि तेरे दादा गुरु जी की आज्ञा थी कि जो शिष्य सारशब्द के विषय में पूछे केवल उसी को बताना। वह एक ही होगा। अन्य को सारशब्द नहीं देना। इसलिए अन्य जो शिष्य हैं वे अधिकारी नहीं हैं। उन्हें पता चलेगा तो वे द्वेष करेंगे तथा पाप के भागी हो जाएंगे। यदि ये सर्व इसी जन्म में या अगले जन्मों में तेरे (रामपाल दास के) बनेंगे तो इनका उद्धार होगा।
मुझ दास के पास चालीस दिन जीन्द कुटिया में ठहर कर स्वामी जी 24 जनवरी 1997 को पंजाब में बने आश्रम कस्बा तलवण्डी भाई में गए। वहाँ पर 26 जनवरी 1997 को सुबह 10 बजे सतलोक प्रस्थान किया। सन् 1994 को मुझ दास को नाम दान करने का आदेश दिया तथा अपने सर्व शिष्यों से कह दिया कि आज के बाद यह रामपाल ही तुम्हारा गुरु है। आज के बाद मैं तुम्हारा गुरु नहीं हूँ। जिसने कल्याण करवाना हो, इस रामपाल से उपदेश प्राप्त करो। इन शब्दों द्वारा पूज्य गुरुदेव ने भी नकली शिष्यों का भार अपने सिर से डाल दिया। यह सारशब्द अभी तक पूर्ण रूप से गुप्त रखना था।
पूज्य गुरुदेव के सतलोक सिधारने के पश्चात् यह दास(रामपाल दास) बहुत अकेलापन महसूस करने लगा। बहुत चिंतित रहने लगा। अब मेरे साथ कौन रहेगा ? मैं क्या करूँ ? इतनी बड़ी जिम्मेवारी को यह अकेला दास कैसे निभा पाएगा ? परमेश्वर कबीर साहेब जी ने सारनाम व शब्द देना मना किया हुआ है। मेरी यह चिंता गहन होने लगी। मार्च 1997 में फाल्गुन शुक्ल एकम संवत् 2054 को दिन के दस बजे परमेश्वर कबीर साहेब जी अपने वास्तविक रूप में म��झे मिले तथा कहा कि चिंता मत कर, मैं तेरे साथ हूँ। अब सारनाम तथा सारशब्द प्रदान करने का समय आ गया है तथा कहा कि संत गरीबदास से भी मैंने ही कहा था कि आप की परम्परा में केवल एक संत को सारनाम व शब्द बताना है। उसे कसम दिलाना है कि केवल एक ही शिष्य को वह भी सारनाम व शब्द बताए जो ऐसे प्रश्न पूछे। यह परम्परा संत गरीबदास जी से संत शीतल दास जी को तथा अब केवल तेरे(रामपाल दास) तक पहूँची है। यह रहस्य जान बूझ कर रखा था। कहा पुत्र निश्ंिचत हो कर मेरा गुनगान कर। अब सारी पृथ्वी पर तत्व ज्ञान फैलेगा। परमेश्वर कबीर साहेब जी ने कहा कि अभी किसी से मत कहना कि मुझे कबीर प्रभु मिले थे। आप पर कोई विश्वास नहीं करेगा। तुझे कुछ समय उपरांत फिर मिलूँगा। परमेश्वर कबीर साहेब जी दास को समय-समय पर दर्शन देकर कृत्यार्थ करते रहते हैं। अब परमेश्वर का स्पष्ट संकेत हो गया है। इसलिए दास वर्णन कर रहा है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि आदरणीय गरीबदास जी की वाणी “सुमरण का अंग” में लिखा है कि ‘सोहं ऊपर और है, सत सुकृत एक नाम‘। जो अभी तक संत गरीबदास पंथ में उस सारनाम का ज्ञान नहीं था। अब इस दास (रामपाल दास) से विमुख हुए गुरु द्रोही ही उन्हें बताने लगे हैं। लेकिन अब शिक्षित समाज है, इनकी दाल नहीं गलने देगा। कुछे बातें ऐसी होती हैं जो गुप्त रखनी होती है। परमेश्वर कबीर साहेब जी ने स्वामी रामानन्द जी को भी यही कसम दिलाई थी कि मेरा भेद मत देना।
आप मेरे गुरु बने रहो तथा संत धर्मदास जी को भी यही कहा था कि -
“गुप्त कल्प तुम राखो मोरी, देऊं मकरतार की डोरी”
भावार्थ है कि अन्य किसी को मेरे विषय में मत बताना। क्योंकि कोई आप पर विश्वास नहीं करेगा और जो भक्ति मार्ग मैं तुझे बता रहा हूँ यह किसी को मत बताना। मैं तुझे सतलोक जाने की वह(मकरतार अर्थात् मकड़ी के तार की तरह अभेद भक्ति मार्ग जिस के सहारे प्राणी भ्रमित न होकर सतलोक चला जाता है वह प्रभु पाने की) विशेष विधि बताता हूँ जिसके द्वारा आप सतलोक पहुँच जाओगे। परमेश्वर कबीर साहेब जी ने अपने प्रिय शिष्य धर्मदास जी साहेब से कहा था कि यह सारशब्द मैं तुझे प्रदान करता हूँ। परंतु आप यह सारशब्द अन्य किसी को नहीं देना। तुझे लाख दुहाई है अर्थात् सख्त मना है। यदि यह सारशब्द किसी अन्य के हाथ में पड़ गया तो आने वाले समय में जो बिचली(मध्य वाली) पीढ़ी पार नहीं हो पावेगी। धर्मदास जी ने शपथ ली थी कि प्रभु आपके आदेश की अवहेलना कभी नहीं होगी। इसलिए धर्मदास जी ने अपने किसी भी वंशज को यह वास्तविक नाम जाप तथा सारशब्द नहीं बताया। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि संत धर्मदास जी ने पुरी(जगन्नाथ पुरी) में शरीर त्यागा। जहाँ कबीर परमश्वेर ने एक पत्थर चैरा(चबुतरा) जिस पर बैठ कर समुंद्र को रोक कर श्री जगन्नाथ जी के मन्दिर की रक्षा की थी। संत धर्मदास जी तथा धर्मपत्नी भक्तमति आमिनी देवी दोनों की यादगार वहाँ पुरी में बनी है। यह दास कई सेवकों सहित इस तथ्य को आँखों देख कर आया है। बाद में श्री चुड़ामणी जी को (जो संत धर्मदास जी को कबीर परमेश्वर की कृपया से नेक संतान प्��ाप्त हुई थी।) कबीर परमेश्वर जी ने धर्मदास जी पुत्र चूड़ामणी जी को केवल प्रथम मन्त्र जो सात नामों का है, प्रदान किया। वह प्रथम वास्तविक नाम भी धर्मदास की सातवीं पीढ़ी में काल का दूत महंत बना उसने काल के बारह पंथों में एक टकसारी पंथ भी है, उसके प्रवर्तक की बातों में आकर प्रथम नाम छोड़कर जो वर्तमान में दामाखेड़ा (छत्तीसगढ़) की गद्दी वाले महंत एक पूरा श्लोक अजर नाम, अमर नाम पाताले सप्त सिंधु नाम दीक्षा में देते हैं, नामदान करने प्रारम्भ कर दिये। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि श्री चूड़ामणी जी की महंत परम्परा में यह वास्तविक मंत्र नहीं दिया जाता केवल मनमुखी नाम दिए जाते हैं जो अजर नाम, अमर नाम, पाताले सप्त सिंधु नाम, आदि... हैं। इससे सिद्ध हुआ कि यह भी मनमुखी साधना तथा गद्दी
परम्परा चला रहे हैं।
सतलोक आश्रम बरवाला (हिसार) में मुझ दास(रामपाल दास) से उपदेश लेने से सर्व सुख व लाभ भी प्राप्त होंगे तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त होगा। कहते हैं - आम के आम, गुठलियों के दाम।
कृप्या निःशुल्क प्राप्त करें।
गरीब, समझा है तो शिर धर पाव। बहुर नहीं है ऐसा दाव।।
मुझ दास की प्रार्थना है कि मानव जीवन दुर्लभ है, इसे नादान संतों, महंतों व आचार्यों, महर्षियों तथा पंथों के पीछे लग कर नष्ट नहीं करना चाहिए। पूर्ण संत की खोज करके उपदेश प्राप्त करके आत्म कल्याण करवाना ही श्रेयकर है। सर्व पवित्र सद्ग्रन्थों के अनुसार अर्थात् शास्त्र अनुकूल यथार्थ भक्ति मार्ग मुझ दास(रामपाल दास) के पास उपलब्ध है। कृपया निःशुल्क प्राप्त करें।
सर्व पवित्र धर्मों की पवित्र आत्माऐं तत्वज्ञान से अपरिचित हैं। जिस कारण नकली गुरुओं, संतों, महंतों तथा ऋषियों तथा पंथों का दाव लगा हुआ है। जिस समय पवित्र भक्त समाज आध्यात्मिक तत्वज्ञान से परिचित हो जाएगा उस समय इन नकली संतों, गुरुओं व आचार्यों को छुपने का स्थान नहीं मिलेगा। सर्व प्रभु प्रेमियों का शुभ चिन्तक तथा दासों का भी दास।
“सत् साहेब”
संत रामपाल दास
सतलोक आश्रम बरवाला, जिला हिसार (हरियाणा)।
दूरभाष: 8222880541ए 8222880542
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
74 notes
·
View notes
#SantGaribdasJiMaharaj
संत गरीबदास जी का जन्म गाँव-छुड़ानी जिला-झज्जर
प्रांत-हरियाणा में सन् 1717 (विक्रमी संवत् 1774) में हुआ।
फाल्गुन मास की सुदी द्वादशी को दिन के लगभग 10 बजे परम अक्षर ब्रह्म (परमेश्वर कबीर साहिब) दस वर्षीय गरीबदास जी को जिन्दा महात्मा के वेश में मिले और ज्ञानोपदेश दिया।
6Days Left For Bodh Diwas
10 notes
·
View notes
चाहिए थोड़ा दुख
खबरें देखता रहता हूं दिन भर और
कुछ नहीं लिखता मैं
देखता हूं रील, त��्वीर और वीडियो
दूसरों का नाच गाना सोना नहाना
सब कुछ पर बेमन
सीने में जाने किसका है वजन
जो काटे नहीं कटता वक्त की तरह
गोकि मैं हूं बहुत बहुत व्यस्त और
ऐसा सिर्फ दिखाने के लिए नहीं है चूंकि
मैं फोन नहीं उठाता किसी का
मैं वाकई व्यस्त हूं, और जाने
किन खयालों में मस्त हूं कि अब
कुछ भी छू कर नहीं जाता
निकल लेता है ऊपर से या नीचे से
या दाएं से और बाएं से
सर्र से पर मेरी रूह को तो छोड़ दें
त्वचा तक को कष्ट नहीं होता।
ये जो वजन है
यही दुख का सहन है
वैसे कारण कम नहीं हैं दुखी होने के
दूसरी सहस्राब्दि के तीसरे दशक में, लेकिन
दुख की कमी अखरती है रोज-ब-रोज
जबकि समृद्धि इतनी भी नहीं आई
कि खा पी लें दो चार पुश्तें
या फिर कम से कम जी जाएं विशुद्ध
हरामखोर बन के ही बेटा बेटी
या अकेले मैं ही।
मैंने सिकोड़ लिया खुद को बेहद
तितली से लार्वा बनने के बाद भी
फोन आ जाते हैं दिन में दो चार
और सभी उड़ते हुए से करते हैं बात
चुनाव आ गया बॉस, क्या प्लान है
मेरा मन तो कतई म्लान है यह कह देना
हास्यास्पद बन जाने की हद तक
संन्यस्त हो जाने की उलाहना को आमंत्रित करता
बेकल आदमी का एकल गान है।
एक कल्पना है
जिसका ठोस प्रारूप कागज पर उतारना
इतना कठिन है कि महीनों हो गए
और इतना आसान, कि लगता है
एक रोज बैठूंगा और लिख दूंगा
रोज आता है वह एक रोज
और बीत जाता है रोज
अब उसकी भी तीव्रता चुक रही है
तारीख करीब आ रही है और धौंकनी
धुक धुक रही है
कि क्या 4 जून के बाद भी करते रहना होगा
वही सब चूतियापा
जिसके सहारे काट दिए दस साल
अत्यंत सुरक्षित, सुविधाजनक
बिना खोए एक क्षण भी आपा
बदले में उपजा लिए कुछ रोग जिन्हें
डॉक्टर साहब जीवनशैली जनित कहते हैं
जबकि इस बीच न जीवन ही खास रहा
न कोई शैली, सिवाय खुद को
बचाने की एक अदद थैली
आदमी से बन गए कंगारू
स्वस्थ से हो गए बीमारू
कीड़े पनपते रहे भीतर ही भीतर
बाहर चिल्लाते रहे फासीवाद और
भरता रहा मन में दुचित्तेपन का
गंदा पीला मवाद।
यार, ऐसे तो नहीं जीना था
सिवाय इस राहत के कि
जीने की भौतिक परिस्थितियां ही
गढ़ती हैं मनुष्य को
यह दलील चाहे जितना डिस्काउंट दे दे
लेकिन मन तो जानता है (न) कि
दुनिया के सामने आदमी कितनी फानता है
और घर के भीतर चादर कितनी तानता है।
अगर ये सरकार बदल भी जाए तो क्या होगा मेरा
यही सोच सोच कर हलकान हुआ जाता हूं
जबकि सभी दोस्त ठीक उलटा सोच रहे हैं
जरूरी नहीं कि दोस्त एक जैसा सोचें
बिलकुल इसी लोकतांत्रिक आस्था ने दोस्त
कम कर दिए हैं और जो बच रहे हैं
वे फोन करते हैं और मानकर चलते हैं
मैं उनके जैसी बात कहूंगा हुंकारी भरूंगा
मैं तो अब किसी को फोन नहीं करता
न बाहर जाता हूं मिलने
बहुत जिच की किसी ने तो घर
बुला लेता हूं और जानता हूं कि
दस में से दो आ जाएं तो बहुत
इस तरह कटता है मेरा क्लेश और
बच जाता है वक्त
चूंकि मैं हूं बहुत बहुत व्यस्त
बचे हुए वक्त में मैं कुछ नहीं करता
यह जानते हुए भी लगातार लोगों से बचता
फिरता हूं क्योंकि वे जब मिलते हैं तो
ऐसा लगता है कि बेहतर होता कुछ न करते
घर पर ही रहते और ऐसा
तकरीबन हर बार होता है
हर दिन बस यही संतोष
मुझे बचा ले जाता है
कि मेरा खाली समय कोई बददिमाग
पॉलिटिकली करेक्ट
बुनियादी रूप से मूर्ख और अतिमहत्वाकांक्षी
लेकिन अनिवार्यत: मुझे जानने वाला मनुष्य
नहीं खाता है।
लोगों को ना करते दुख होता है
ना नहीं करने के अपने दुख हैं
आखिर कितनों की इच्छाओं, महत्वाकांक्षाओं
और मूर्खतापूर्ण लिप्साओं की आत्यंन्तिक रूप से
मौद्रिक परियोजनाओं में
आदमी कंसल्टेंट बन सकता है एक साथ?
आपके बगैर तो ये नहीं होगा
आपका होना तो जरूरी है
रोज दो चार लोग ऐसी बातें कह के मुझे
फुलाते रहते हैं और घंटे भर की ऊर्जा
उनके निजी स्वार्थों की भेंट चढ़ जाती है
इतने में दस आदमी कांग्रेस से भाजपा में और
चार आदमी भाजपा से कांग्रेस में चले जाते हैं
हेडलाइन बदल जाती है
किसी के यहां छापा पड़ जाता है
तो किसी को जेल हो जाती है
फिर अचानक कोई ऐसा नाम ट्रेंड करने लगता है
जिसे जानने में बची हुई ऊर्जा खप जाती है।
मुझे वाकई ये बातें जानने का शौक नहीं
ज्यादा जरूरी यह सोचना है कि अगले टाइम
क्या छौंकना है लौकी, करेला या भिंडी
और किस विधि से उन्हें बनना है
यह और भी अहम है पर संतों के कहे
ये दुनिया एक वहम है और मैं
इस वहम का अनिवार्य नागरिक हूं
और औसत लोगों से दस ग्राम ज्यादा
जागरिक हूं और यह विशिष्टता 2014 के बाद
अर्जित की हुई नहीं है क्योंकि उससे पहले भी
मैं जग रहा था जब सौ करोड़ हिंदू
सो रहा था इस देश का जो आज मुझसे
कहीं ज्यादा जाग चुका है और
मेरे जैसा आदमी बाजार से भाग चुका है
भागा हुआ आदमी घर में दुबक कर
खबरें ही देख सकता है और गाहे-बगाहे सजने वाली
महफिलों में अपने प्रासंगिक होने के सुबूत
उछाल के फेंक सकता है।
दरअसल मैं इसी की तैयारी करता हूं
इसीलिए खबरें देखता रहता हूं
पर लिखता कुछ नहीं
बस देखता हूं दूसरों का नाच गाना
सोना नहाना सब कुछ
नियमित लेकिन बेमन।
कब आ जाए परीक्षा की घड़ी
खींच लिया जाए सरेबाजार और
पूछ दिया जाए बताओ क्या है खबर
और कह सकूं बेधड़क मैं कि सरकार बहादुर
गरीबों में बांटने वाले हैं ईडी के पास आया धन।
छुपा ले जाऊं वो बात जो पता है
सारे जमाने को लेकिन कहने की है मनाही
कि एक स्वतंत्र देश का लोकतांत्रिक ढंग से
चुना गया प्रधानमंत्री कर रहा था सात साल से
धनकुबेरों से हजारों करोड़ रुपये की उगाही
खुलवाकर कुछ लाख गरीबों का खाता जनधन।
सच बोलने और प्रिय बोलने के द्वंद्व का समाधान
मैंने इस तरह किया है
बीते बरसों में जमकर झूठ को जिया है
स्वांग किया है, अभिनय किया है
जहां गाली देनी थी वहां जय-जय किया है
और सीने पर रख लिया है एक पत्थर
विशालकाय
अकेले बैठा पीटता रहता हूं छाती हाय हाय
कि कुछ तो दुख मने, एकाध कविता बने
लगे हाथ कम से कम भ्रम ही हो कि वही हैं हम
जो हुआ करते थे पहले और अकसर सोचा करते थे
किसके बाप में है दम जो साला हमको बदले।
ये तैंतालीस की उम्र का लफड़ा है या जमाने की हवा
छूछी देह ही बरामद हुई हर बार जब-जब
खुद को छुवा
हर सुबह चेहरे पर उग आती है फुंसी गोया
दुख का निशान देह पर उभर आता हो
मिटाने में जिसे आधा दिन गुजर जाता हो
दुख हो या न हो, दिखना नहीं चाहिए
ऐसी मॉडेस्टी ने हमें किसी का नहीं छोड़ा
भरता गया मवाद बढ़ता गया फोड़ा
अल्ला से मेघ पानी छाया कुछ न मांगिए
बस थोड़ा सा जेनुइन दुख जिसे हम भी
गा सकें, बजा सकें और हताशाओं के
अपने मिट्टी के गमले में सजा सकें
और उसे साक्षी मानकर आवाहन करें
प्रकृति का कि लौट आओ ओ आत्मा
कम से कम कुछ तो दो करुणा कि
स्पर्श कर सकें वे लोग, वे जगहें, वे हादसे
जिनकी खबरें देखता रहता हूं मैं
दिन भर और कुछ भी नहीं लिख पाता।
4 notes
·
View notes
कोविड त्रासदी में पुलिस ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई - हर्ष वर्धन अग्रवाल
21.10.2023, लखनऊ | पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा शहीद पुलिसकर्मियों को "श्रद्धांपूर्ण पुष्पांजलि" का आयोजन ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय, 25/2G, सेक्टर-25 में किया गया | कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने लद्दाख के हॉट स्प्रिंग क्षेत्र में चीनी सैनिकों द्वारा हमले में शहीद दस भारतीय पुलिसकर्मियों की स्मृति में पुलिस स्मारक के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण करके, शहीद पुलिसकर्मियों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि "प्रति वर्ष 21 अक्टूबर को देश की सेवा करते हुए अपनी जान गंवाने वाले 10 CRPF जवानों की शहादत को याद करने के लिए पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है । इस दिन के पीछे एकमात्र विचार हॉट स्प्रिंग्स में चीनी सैनिकों के हमले के दौरान मारे गए बहादुरों के बलिदान और श्रद्धांजलि को याद करना है । देश के रक्षक के रूप में पुलिस के जवान निरंतर अपना कर्तव्य निभाते हैं व उन्हीं कर्तव्यों को निभाते हुए अपनी जान की बाजी लगा देते हैं | चाहे सीमाओं की सुरक्षा हो, आतंकवाद का सामना करना हो, नक्सलियों का सामना करना हो या सड़क पर चुपचाप व्यवस्था सुधारने का काम हो सभी में पुलिस के जवान मुस्तैदी से अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं । यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि आज जो हम अपने-अपने घरों में शांतिपूर्वक जीवन बिता रहे हैं वह कहीं ना कहीं सीमा पर डटे हुए हमारे जवानों के कारण है | कोविड त्रासदी में पुलिस ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | आज पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर हम सभी शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों के प्रति अत्यंत आदर के साथ कृतज्ञता व्यक्त करते हैं तथा उन्हें सादर नमन करते हैं |"
#पुलिस_स्मृति_दिवस #PoliceSmritiDiwas #PoliceCommemorationDay #UttarPradeshPolice #UPPolice #LucknowPolice #SaluteToOurHeroes #PoliceHeroes #PoliceBravery #HonorTheProtectors #DutyFirst #RememberingOurHeroes #PoliceService #police #lawenforcement #cops #policeofficer #military #army
#NarendraModi #PMOIndia
#YogiAdityanath #ChiefMinisterUttarPradesh
#HelpUTrust #HelpUEducationalandCharitableTrust
#KiranAgarwal #DrRupalAgarwal #HarshVardhanAgarwal
www.helputrust.org
@narendramodi @pmoindia
@MYogiAdityanath @cmouttarpradesh
@HMOfficeIndia @governmentofup @uppolice
@HelpUEducationalAndCharitableTrust @HelpU.Trust
@KIRANHELPU
@HarshVardhanAgarwal.HVA @HVA.CLRS @HarshVardhanAgarwal.HelpUTrust
@HelpUTrustDrRupalAgarwal @RupalAgarwal.HELPU @drrupalagarwal @HelpUTrustDrRupal
9 notes
·
View notes
( #MuktiBodh_Part116 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part117
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 229-230
कथा :- शंकर जी का मोहिनी स्त्री के रूप पर मोहित होना
जिसमें दक्ष की बेटी यानि उमा (शंकर जी की पत्नी) ने श्री रामचन्द्र जी की बनवास में सीता रूप बनाकर परीक्षा ली थी। श्री शिव जी ऐसा न करने को कहकर घर से बाहर चले गए थे। सीता जी का अपहरण होने के पश्चात् श्रीराम जी अपनी पत्नी के वियोग में विलाप कर रहे थे तो उनको सामान्य मानव जानकर उमा जी ने शंकर भगवान की उस बात पर विश्वास नहीं हुआ कि ये विष्णु जी ही पृथ्वी पर लीला कर रहे हैं। जब उमा जी सीता जी का रूप बनाकर श्री राम जी के पास गई तो वे बोले, हे दक्ष पुत्र माया! भगवान शंकर को कहाँ छोड़ आई। इस बात को श्री राम जी के मुख से सुनकर उमा जी लज्जित हुई और अपने निवास पर आई। शंकर जी की आत्मा में प्रेरणा हुई कि उमा ने परीक्षा ली है। शंकर जी ने विश्वास के साथ कहा कि परीक्षा ले आई। उमा जी ने कुछ संकोच करके
भय के साथ कहा कि परीक्षा नहीं ली अविनाशी। शंकर जी ने सती जी को हृदय से त्याग दिया था। पत्नी वाला कर्म भी बंद कर दिया। बोलना भी कम कर दिया तो सती जी अपने घर राजा दक्ष के पास चली गई।
राजा दक्ष ने उसका आदर नहीं किया क्योंकि उसने शिव जी के साथ विवाह पिता की इच्छा के विरूद्ध किया था। राजा दक्ष ने हवन कर रखा था। हवन कुण्ड में छलाँग लगाकर सती जी ने प्राणान्त कर दिया था। शंकर जी को पता चला तो अपनी ससुराल आए। राजा दक्ष का सिर काटा, फिर उस पर बकरे का सिर लगाया। अपनी पत्नी के कंकाल को उठाकर दस हजार वर्ष तक उमा-उमा करते हुए पागलों की तरह फिरते रहे। एक दिन भगवान विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से उस कंकाल को टुकड़े-टुकड़े कर दिया। जहाँ पर धड़ गिरा, वहाँ पर वैष्णव देवी मंदिर बना। जहाँ पर आँखें गिरी, वहाँ पर नैना देवी मंदिर बना।
जहाँ पर जीभ गिरी, वहाँ पर ज्वाला जी का मंदिर बना तथा पर्वत से अग्नि की लपट निकलने लगी। तब शंकर जी सचेत हुए तथा अपनी दुर्गति का कारण कामदेव (sex) को माना। कामदेव वश हो जाए तो न ��्त्री की आवश्यकता हो और न ऐसी परेशानी हो। यह विचार करके हजारों वर्ष काम (sex) का दमन करने के उद्देश्य से तप किया। एक दिन कामदेव उनके निकट आया और शंकर जी की दृष्टि से भस्म हो गया। शंकर जी को अपनी सफलता पर असीम प्रसन्नता हुई। जो भी देव उनके पास आता था तो उससे कहते थे कि मैंने कामदेव को भस्म कर दिया है यानि काम विषय पर विजय प्राप्त कर ली है। मैं कभी भी किसी सुंदरी से प्रभावित नहीं हो सकता। अन्य जो विवाह किए हुए हैं, वे ऊपर से सुखी नजर आते हैं, अंदर से महादुःखी रहते हैं। उनको सदा अपनी पत्नी की रखवाली, समय पर घर पर न आने से डाँटें खाना आदि-आदि परेशानियां सदा बनी रहती हैं। मैंने यह दुःख निकट से देखा है। अब न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।
काल ब्रह्म को चिंता बनी कि यदि सब इस प्रकार स्त्री से घृणा करेंगे तो संसार का अंत हो जाएगा। मेरे लिए एक लाख मानव का आहार कहाँ से आएगा? इस उद्देश्य से नारद जी को प्रेरित किया। एक दिन नारद मुनि जी आए। उनके सामने भी अपनी कामदेव पर विजय की कथा सुनाई। नारद जी ने भगवान विष्णु को यथावत सुनाई। श्री विष्णु जी को काल ब्रह्म ने प्रेरणा की। भाई की परीक्षा करनी चाहिए कि ये कितने खरे हैं। काल ब्रह्म की प्रेरणा से एक दिन शिव जी विष्णु जी के घर के आँगन में आकर बैठ गए। सामने बहुत बड़ा फलदार वृक्षों का बाग था। भिन्न-भिन्न प्रकार के फूल खिले थे। बसंत जैसा मौसम था। श्री विष्णु जी, शिव जी के पास बैठ गए। कुशलमंगल जाना। फिर विष्णु जी ने पूछा, सुना है
कि आपने काम पर विजय प्राप्ति कर ली है। शिव जी बोले, हाँ, मैंने कामदेव का नाश कर दिया है। कुछ देर बाद शिव जी के मन में प्रेरणा हुई कि भगवान मैंने सुना है कि सागर मंथन के समय आप जी ने मोहिनी रूप बनाकर राक्षसों को आकर्षित किया था। आप उस रूप में कैसे लग रहे थे? मैं देखना चाहता हूँ। पहले तो बहुत बार विष्णु जी ने मना किया, परंतु शिव जी के हठ के सामने स्वीकार किया और कहा कि कभी फिर आना। आज मुझे किसी आवश्यक कार्य से कहीं जाना है। यह कहकर विष्णु जी अपने महल में चले गए। शिव जी ने कहा कि जब तक आप वह रूप नहीं दिखाओगे, मैं भी जाने वाला नहीं हूँ। कुछ ही समय के बाद शिव जी की दृष्टि बाग के एक दूर वाले कोने में एक अपसरा पर पड़ी जो सुन्दरता का सूर्य थी। इधर-उधर देखकर शिव जी उसकी ओर चले पड़े, ज्यों-ज्यों निकट गए तो वह सुंदरी अधिक सुंदर लगने लगी और वह अर्धनग्न वस्त्र पहने थी। कभी गुप्तांग वस्त्र से ढ़क जाता तो कभी हवा के झोंके से आधा हट जाता। सुंदरी ऐसे भाव दिखा रही थी कि जैसे उसको कोई नहीं देख रहा। जब शिव जी को निकट देखा तो शर्मशार होकर तेज चाल से चल पड़ी। शिव जी ने भी गति बढ़ा दी। बड़े परिश्रम के पश्चात् तथा घने वृक्षों के बीच मोहिनी का हाथ पकड़ पाए। तब तक शिव जी का शुक्रपात हो चुका था। उसी समय सुंदरी वाला स्वरूप श्री विष्णु रूप था। भगवान विष्णु जी शिव जी की दशा देखकर मुस्काए तथा कहा कि ऐसे उन राक्षसों से अमृत छीनकर लाया था। वे राक्षस ऐसे मोहित हुए थे जैसे मेरा छोटा भाई कामजीत अब काम पराजित हो गया। शिव जी ने उसके पश्चात् हिमालय राजा की बेटी पार्वती से अंतिम बार विवाह किया। पार्वती वाली आत्मा वही है जो सती जी थी। पार्वती रूप में अमरनाथ स्थान पर अमर मंत्रा शिव जी से प्राप्त करके अमर हुई है। इस प्रकार वाणी में कहा है कि शंकर जी की समाधि तो अडिग (न डिगने वाली) थी जैसा पौराणिक मानते हैं। वह भी मोहे गए। माया के वश हो गए।
◆ वाणी नं. 140 में बताया है कि भगवान शिव की पत्नी पार्वती तीनों लोकों में सबसे सुंदर स्त्रियां में से एक है। शिव राजा ऐसी सुंदर पत्नी को छोड़ मोहिनी स्त्री के पीछे चल पड़े। पहले अठासी हजार वर्ष तप किया। फिर लाख वर्ष तप किया काम (sex) पर विजय पाने के लिए और भर्म भी था कि मैनें काम जीत लिया। फिर हार गया।
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 145 :-
गरीब, कष्ण गोपिका भोगि करि, फेरि जती कहलाय। याकी गति पाई नहीं, ऐसे त्रिभुवनराय।। 145।।
◆ सरलार्थ :- श्री कृष्ण के विषय में श्रीमद् भागवत (सुधा सागर) में प्रमाण है कि श्री कृष्ण मथुरा वृंदावन की गोपियों (गोपों की स्त्रियों) के साथ संभोग (sex) किया करते थे। वे फिर भी जती कहलाए। (अपनी स्त्री के अतिरिक्त अन्य की स्त्री से कभी संभोग न करने वाला या पूर्ण रूप से ब्रह्मचारी को जती कहते हैं।) उसका भेद ही नहीं पाया। ऐसे ये तीन लोक के मालिक {श्री कृष्ण के अंदर प्रवेश करके काल ब्रह्म गोपियों से सैक्स करता था। स्त्रियों को तो श्री कृष्ण नजर आता था। काल ब्रह्म सब कार्य गुप्त करता है।} हैं।
◆ वाणी नं. 142-144 :-
गरीब, योह बीजक बिस्तार है, मन की झाल किलोल। पुत्र ब्रह्मा देखि करि, हो गये डामांडोल।।142।।
गरीब, देह तजी दुनियां तजी, शिब शिर मारी थाप।
ऐसे ब्रह्मा पिता कै, काम लगाया पाप।।143।।
गरीब, फेरि कल्प करुणा करी, ब्रह्मा पिता सुभान।
स्वर्ग समूल जिहांन में, योह मन है शैतान।।144।।
◆ सरलार्थ :- एक समय ब्रह्मा जी देवताओं तथा ऋषियों को वेद ज्ञान समझा रहे थे। मन तथा इंद्रियों पर संयम रखने पर जोर दे रहे थे। ब्रह्मा जी की बेटी सरस्वती पति चुनने के लिए अपने पिता की सभा में गई जिसमें युवा देवता तथा ऋषि विराजमान थे। उनको आकर्षित करने के लिए सब श्रृंगार करके सज-धजकर गई थी। अपनी पुत्र की सुंदरता देखकर काम (sex) के वश होकर संयम खोकर विवेक का नाश करके अपनी बेटी से संभोग (Sex) करने को उतारू हो गया था। ब्रह्मा पाप के भागी बने। मन तो कबीर परमात्मा की भक्ति तथा तत्वज्ञान से काबू में आता है।
क्रमशः__________
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
6 notes
·
View notes
क्या तुम अपने दोस्त के साथ cigarette पीते वक़्त उस लड़की की बात करते हो जिसका नाम लेकर वो तुम्हें चिढ़ाता है? क्या तुम भी उसकी छोटी-छोटी बातों को सुलझाकर फिर से जोड़ते हो?
क्या तुम भी ये सोचकर हताश हो जाते हो कि वो तुम्हारी आधी-रात की जाम और दिन की दस कश को कभी नहीं समझ पाएगी, भले ही वो समझना चाहती हो?
3 notes
·
View notes
#SantGaribdasJiMaharaj
#noidagbnup16
फाल्गुन मास की सुदी द्वादशी को दिन के लगभग 10 बजे (परमेश्वर कबीर साहिब)दस वर्षीय गरीबदास जी को जिन्दा महात्मा के वेश में मिले और ज्ञांनोपदेश दिया।
6Days Left For Bodh Diwas
Get Free Books +91 7496801825
4 notes
·
View notes
🚩🚩🚩*व्रत पर्व विवरण - गणेश चतुर्थी, शिवा चतुर्थी, मंगलवारी चतुर्थी* 🚩🚩🚩
⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹मंगलवारी चतुर्थी - 19 सितम्बर 2023🌹
🔸 पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर 01:43 तक
Also read :Budh Gochar 2022: बुध का धनु राशि में प्रवेश इन राशियों को देगा अपार धन लाभ
🌹जैसे सूर्य ग्रहण को दस लाख गुना फल होता है, वैसे ही मंगलवारी चतुर्थी को होता है । बहुत मुश्किल से ऐसा योग आता है । मत्स्य पुराण, नारद पुराण आदि शास्त्र में इसकी भारी महिमा है ।
🌹इस दिन अगर कोई जप, दान, ध्यान, संयम करता है तो वह दस लाख गुना प्रभावशाली होता है, ऐसा वेदव्यास जी ने कहा है ।
🔹 कर्जे से छुटकारा के लिए🔹
🔹मंगलवार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना । जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है । बिना नमक का भोजन करें, मंगल देव का मानसिक आह्वान करें । चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें । कितना भी कर्जदार हो... काम धंधे से बेरोजगार हो... रोजी रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा ।
🌹विघ्न निवारण हेतु🌹
🌹गणेश चतुर्थी के दिन 'ॐ गं गणपतये नमः ।' का जप करने और गुड़मिश्रित जल से गणेशजी को स्नान कराने एवं दूर्वा व सिंदूर की आहुति देने से विघ्नों का निवारण होता है तथा मेधाशक्ति बढ़ती है ।
2 notes
·
View notes
संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य कर रहे दहेज मुक्त विवाह
संत रामपाल के अनुयायियों द्वारा बिना दहेज के कराई गये दो विवाह, मात्र 16 मिनट में विवाह हुआ संपन
लखनऊ (जन एक्सप्रेस संवाददाता) संत रामपाल जी महराज द्वारा बन्दर किए लड़का-लड़की का विवाह गर इसमें कोई जाता का धन नहीं होत बीबहुत धारण दम से लड़की और लड़के के परिवार दोनों पक्ष के लोग विवाह (रमैनी) में सम्मिलित होते हैं। यह रमैनी परमात्मा के दो परिप्रेक्ष्य में आज बुद्धेश्वर नामदान केंद्र में दो मैनी विवाह अलि दस 25 पुत्र दिनेशदास 26 वर्ष पुत्र जिला महेंद्रगढ़ हरियाणा तथा शालिनी दासी 18 वर्ष पुरुपको लखनऊ अंकुश दास 25 पुत्र या प्रसाद रतन खंड सिटी लखनऊ के दिन में दोनों पक्षों की में पूर्ण हुई।
6
अन्य समाचार
17 मिनट में हुआ दहेजमुक्त विवाह आज के आधुनिक युग में एक अद्वितीय पहल
प
सिर्फ द जपक के लिए रूपय की की और महाद द्व किये जाते है।
ए गिरी के हर कदा के
सेव एक और की ग्रामी नमक-20 वर्षा
एक
FREE
के से
हमें ह ()
के क देने को , theme, v
संत रामपाल जी महाराज जी से
निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र :
O in P
दैनिक झलकते शब्द
SPIRITUAL LEADER SAINT RAMPAL JI
+917496801825
@SAINTRAMPALJIM
SANT RAMPAL JI MAHARAJ
SUPREMEGOD.ORG
2 notes
·
View notes
#ऐसेमिले_भगवान_संतगरीबदास_को
Watch Live Program Today
⬇️⬇️
https://www.youtube.com/live/6v5laWNT_0A
फाल्गुन मास की सुदी द्वादशी को दिन के लगभग 10 बजे (परमेश्वर कबीर साहिब)दस वर्षीय गरीबदास जी को जिन्दा महात्मा के वेश में मिले और ज्ञांनोपदेश दिया।
5 notes
·
View notes
#Wayofliving_Part220
भक्ति आचार संहिता || भाग-N (14)
कर्म कांड के बारे में एक वास्तविक कहानी (समारोह)
मेरे (संत रामपाल दास के) परम पूज्य गुरुदेव स्वामीरामदेवानंद जी महाराज 16 वर्ष की आयु में सत्संग सुनकर विभक्त हो गए
महात्मा जी । एक दिन वो खेतों में गया था। पास ही एक जंगल था। वन में गया, अपने कपड़े फाड़कर मृत पशु की हड्डियों के पास फेंक दिया, और स्वयं थीहत्मा जी के साथ चला गया।
उसकी तलाशी ली तो परिजनों ने देखा कि जंगल में हड्डियों के पास फटे कपड़े पड़े हैं। उन्हें लगा कि कोई जंगली जानवर खा गया। वे कपड़े और हड्डियां घर लेकर आए और अंतिम संस्कार किया। इसके बाद उन्होंने तेराहवीन (मरने के तेरह दिन बाद संस्कार), छहमाही (मरने के छह महीने बाद संस्कार), बरसोड़ी (मरने के एक वर्ष बाद संस्कार) और फिर श्राद्ध करने लगे (हर साल बरसोड़ी के बाद मृत व्यक्ति के लिए किया जाता था)।
जब मेरे पूज्य गुरदेव बहुत बूढ़े हो गए थे तब एक बार घर चले गए थे। तब उन घर वालों को पता चला कि वो जिंदा है और घर से निकल गया है। उन्होंने बताया कि जब वह घर से निकला तो हमने उसकी तलाश की। हमें जंगल में उसके कपड़े मिले। कुछ हड्डियां उनके बगल में पड़ी थीं। हमने सोचा कि किसी जंगली जानवर ने उसे खा लिया है और उन कपड़े और हड्डियों को घर लाया और प्रदर्शन किया है
अंतिम संस्कार
तब मैंने (संत रामपाल दास) अपने पूज्य गुरुदेव के छोटे भाई की पत्नी से पूछा कि उनकी अनुपस्थिति में आपने क्या किया? शेटोल्ड, "जब मेरी शादी हुई, तो मैंने पाया कि उनके श्राद्ध निकाले जा रहे थे। मैंने उनके लगभग 70 श्राद्ध अपने हाथों से किए हैं। "उसने बताया कि जब भी कोई नुकसान होता था; जैसे भैंस दूध न दे रही हो, चूल्हे में कोई समस्या हो, कोई अन्य नुकसान आदि हो, तब हम लोग बाहरी लोगों के पास जाते थे। कहते थे आपके घर में कोई अविवाहित मर गया है भूत बन गया है इसलिए परेशान कर रहा है। तब हम उसके कपड़े आदि बाहरी को दे देते थे।
फिर मैंने कहा, "वह दुनिया को बचा रहा है। किसको परेशान कर रहा था ये
वह अब खुशी का दाता है। " तो मैं (संत रामपाल जी महाराज)
उस बुढ़िया से कहा, "अब वो तुम्हारे सामने है, अब तो रुक जाओ
इन बेकार साधनाओं को करना जैसे,श्राद्ध करना। " फिर उसने जवाब दिया, " पुराना रिवाज़ है। मैं इसे कैसे छोड़ सकता हूँ? " दूसरे शब्दों में,
हम अपने पुराने रिवाजों में इतने मशगूल हो गए हैं कि अपनी आँखों से देख कर भी हम गलत कर रहे हैं तो छोड़ नहीं सकते
यह तो है ही. इस बात से स्पष्ट होता है कि श्राद्ध और पूजन-
पिंग पितृस आदि सब बेकार है।
11. संतान के जन्म पर शास्त्र विरुद्ध पूजा अर्चना करना वर्जित है:- संतान के जन्म पर कोई छठाती (जन्म के बाद छठा दिन) आदि नहीं मनाना है। सूतक के कारण (बच्चे के जन्म के बाद किसी के घर में रहने वाली अशुद्धता की स्थिति) )' नित्य पूजा, भक्ति, आरती, दीप प्रज्वलन आदि का समापन नहीं करना चाहिए।
इस प्रसंग में आपको एक लघु कथा सुनाता हूँ। एक व्यक्ति को एक बच्चा मिला
उसकी शादी के दस साल बाद। पुत्र रत्न प्राप्ति की खुशी में खूब मनाया उसने पच्चीस गाँव भोजन पर आमंत्रित किए और वहाँ बहुत नाच गाना हुआ। दूसरे शब्दों में, उसने बहुत पैसा खर्च किया। फिर एक साल बाद वो बेटा गुजर गया। फिर वही परिवार नर्क की तरह रोया, और अपने दुर्भाग्य को दोष दिया। इसलिए भगवान
कबीर हमें बताते हैं कि -
Kabir, beta jaaya khushi hui, bahut bajaaye thaal |
aana jaana lag raha, jyon keedi ka naal ||
Kabir, patjhad aavat dekh kar, ban rovae man maahi |
oonchi daali paat the, ab peele ho ho jaahin ||
Kabir, paat jhadanta yoon kahae, sun bhai taruvar raay |
ab ke bichhude nahin mila, na jaane kahaan gireinge jaay ||
Kabir, taruvar kehta paat se, suno paat ek baat |
yahaan ki yaahey reeti hai, ek aavat ek jaat ||
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी प्राप्त करने के लिए संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर रोजाना शाम 7:30-8:30 बजे से संत रामपाल जी महाराज के मंगल आध्यात्मिक प्रवचन जरूर सुने। संत रामपाल जी महाराज ही इस दुनिया में एकमात्र पूर्ण गुरु है। आप सभी से विनम्र निवेदन है कि बिना एक सेकंड बर्बाद किए संत रामपाल जी महाराज से निःशुल्क नाम दीक्षा लें, और अपने मानव जीवन को सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
25 notes
·
View notes
#GodMorningSunday
कबीर, काल हमारे संग है, कैसे जीवन की आस।
दस दिन नाम संभार ले, जब लग पिंजर सांस।
Download our official app
"Sant Rampal Ji Maharaj"
In Playstore से करें।
2 notes
·
View notes
जगहें
यहां आए नौ महीने पूरे हुए
बल्कि दस दिन ज्यादा
इतने में पनप सकता था एक जीवन
बदली जा सकती थी दुनिया
बच सकते थे बचे-खुचे जंगल
लिखी जा सकती थी एक कविता
या कोई उपन्यास, लंबी कहानी
पलट सकती थी सत्ताएं तानाशाहों की
मूर्त हो सकती थीं जिसके रास्ते
कुछ योजनाएं और थोड़ा बहुत लोकमंगल।
जगह बदलने से क्या बदल जाता है
जीवन भी और इतना कि पूर्ववर्ती जगहों
के अभाव में उपजे नए खालीपन से
घुल-मिल कर पुरानी एकरसताएं
नए भ्रम रचती हैं? क्या आदमी
वही रहता है और केवल धरा नचती है
दिशाएं ठगती हैं?
वैसे, हवा इधर बहुत तेज चलती है
लखपत के किले में जैसे हहराकर गोया
फंस गई हो ईंट-पत्थर के परकोटे में
भटकती हुई कहीं और से आकर
जबकि पौधे बदल ही रहे हैं अभी पेड़ों में
जिन पर बसना बोलना सीख रहे
पक्षी सहसा चहचहा उठते हैं भ्रमवश
आधी रात फ्लड लाइट को समझ कर सूरज
और सहसा नींद उचट जाती है
अब जाकर जाना मैंने इतने दिन बाद
ठीक पांच बजे तड़के यहां भी
कहीं से एक ट्रेन धड़धड़ाती हुई आती है।
जगहें कितनी ही बदलीं मैंने पर
बनी रही मेरी सुबहो�� में ट्रेन की आवाज
धरती पर अलहदा जगहों को जोड़ती होंगी
शायद कुछ ध्वनियां, छवियां, कोई राज
मसलन, नहीं होती जहां रेल की पटरी
बजती थी वहां भी सुबह एक सीटी
जैसे गाजीपुर या चौबेपुर में पांच बजे ठीक
जबकि इंदिरापुरम में हुआ करता था
और अब शहादरे में भी काफी करीब है
रेलवे स्टेशन तो बनी हुई है
पुरानी लीक।
एक बालकनी है यहां भी
बिलकुल वैसी ही
खड़ा होकर जहां बची हुई दुनिया से
आश्वस्त होना मेरा कायम है आदतन
एक शगल की तरह जब तब
एक मैदान है हरे घास वाला
जैसा वहां था
और उसमें खेलते बच्चे भी
और कभी कभार टहलती हुई औरतें बेढब
दिलाती हैं भरोसा कि हवा कितनी ही
हो जाए संगीन बनी रहेगी उसमें सांस
हम सब की किसी साझे उपक्रम की तरह
उसे कैद करने की साजिशें अपने
उत्कर्ष पर हों जब।
देशकाल में स्थिर यही कुछ छवियां हैं
कुछ ध्वनियां हैं
ट्रेन, बच्चे और औरतें
घास के मैदान, बालकनी और बढ़ते हुए पौधे
ये कहीं नहीं जाते
और हर कहीं चले आते हैं
हमारे साथ याद दिलाते
कि हमारे चले जाने के बाद भी
कायम रहती है हर जगह
एक भीतर और एक बाहर से
मिलकर ही बनती है हर जगह
और दोनों के ठीक बीचोबीच होने के
मुंडेर पर लटका आदमी कभी भीतर
तो कभी बाहर झांकते तलाशता है अर्थ
पाने और खोने के।
दो जगहों का फर्क जितना सच है
उतनी ही वास्तविक हैं खिड़कियां
भीत, परदे, मुंडेर और दीवारें
जिनसे बनती है जगहें और
जगहों को जाने वाले।
4 notes
·
View notes
कोरोना काल में पुलिसकर्मियों द्वारा आमजन को प्रदान की गयी मदद के लिए हम सब हैं शुक्रगुजार - हर्ष वर्धन अग्रवाल |
21.10.2022, लखनऊ | पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा शहीद पुलिसकर्मियों को "श्रद्धांपूर्ण पुष्पांजलि" का आयोजन ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय, 25/2G, सेक्टर-25 में किया गया | कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने लद्दाख के हॉट स्प्रिंग क्षेत्र में चीनी सैनिकों द्वारा हमले में शहीद दस भारतीय पुलिसकर्मियों की स्मृति में पुलिस स्मारक के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण करके, शहीद पुलिसकर्मियों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी |
बताते चलें कि पुलिस स्मृति दिवस 1959 में उस दिन की याद दिलाता है, जब लद्दाख के हॉट स्प्रिंग क्षेत्र में चीनी सैनिकों द्वारा बीस भारतीय सैनिकों पर हमला किया गया था, जिसमें दस भारतीय पुलिसकर्मियों की जान चली गई थी और सात कैद हो गए थे। लद्दाख में शहीद हुए उन वीर पुलिसकर्मियों और प्रतिवर्ष के दौरान ड्यूटी पर जान गंवाने वाले अन्य पुलिसकर्मियों को सम्मानित करने लिए तथा उनके सम्मान में प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को 'पुलिस स्मृति दिवस’ मनाया जाता है I
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि "सामान्य दृष्टि से पुलिस का काम सरकारी कर्मी के रूप में दिखाई पड़ता है, किंतु चुपचाप अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले पुलिस के जवानों का देश के प्रगति के पथ पर अग्रसर होने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है । चाहे सीमाओं की सुरक्षा हो, आतंकवाद का सामना करना हो, नक्सलियों का सामना करना हो या सड़क पर चुपचाप व्यवस्था सुधारने का काम हो सभी में पुलिस के जवान मुस्तैदी से अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं । गैर कानूनी गतिविधियों पर रोक लगाना, देश को शांति की दिशा में आगे ले जाने के साथ संघर्ष कर शांति बनाने में भी पुलिसबलों की महत्वपूर्ण भूमिका है । कोविड-19 काल में भी पुलिस के जवान मुस्तैदी से अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन करने से पीछे नहीं हटे I हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा कोविड-19 के दौरान लखनऊ पुलिस की सहायता से आमजन तक भोजन, मास्क, सेनेटाईजर व अन्य आवश्यक सामग्री का वितरण किया गया जिसके लिए हम लखनऊ पुलिस व तत्कालीन पुलिस कमिश्नर श्री सुजीत पांडेय जी के तहे दिल से शुक्रगुजार हैं I पुलिस कल्याण के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने ढेर सारी योजनाएं बनाई हैं जिनमें उत्तम स्वास्थ्य, निवास तथा कार्य करने के लिए उत्तम वातावरण सहित सभी दिशाओं में काम किया गया है । आज पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर हम सभी शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों के प्रति अत्यंत आदर के साथ कृतज्ञता व्यक्त करते हैं तथा उन्हें सादर नमन करते हैं |"
#PoliceCommemorationDay #PoliceCommemorationDay2022 #UPPolice #PoliceCommemorationDay #पुलिस_स्मृति_दिवस #policecommemorationday #Police #JaiHind #Himveers #Police #CommemorationDay #CRPF #NationFirst
#HelpUTrust #HelpUEducationalandCharitableTrust
9 notes
·
View notes