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#कितना सुंदर है यह धरती
tapan0948 · 8 months
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9142827685 · 4 months
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( #Muktibodh_part173 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part174
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 335-336
कबीर परमेश्वर जी को संत रविदास जी ने सुबह ही बता दिया था कि हे कबीर जी! आज तो विरोधियों ने बनारस छोड़कर भगाने का कार्य कर दिया। आपके नाम से पत्र भेज रखे हैं और ऐसा-ऐसा लिखा है। लगभग 18 लाख व्यक्ति साधु-संत लंगर खाने पहुँच चुके हैं। कबीर जी ने कहा कि मित्र आजा बैठ जा! दरवाजा बंद करके सांगल लगा ले। आज-आज का दिन बिताकर रात्रि में अपने परिवार को लेकर भाग जाऊँगा। कहीं अन्य शहर-गाँव में निर्वाह कर लूंगा। जब उनको कुछ खाने को मिलेगा ही नहीं तो झल्लाकर गाली-गलौच करके चले जाएंगे। हम सांकल खोलेंगे ही नहीं, यदि किवाड़ तोड़ेंगे तो हाथ जोड़ लूंगा कि मेरा सामर्थ्य आप जी को भण्डारा कराने का नहीं है। गलती से पत्रा डाले गए, मारो भावें छोड़ो। दोनों संत माला लेकर भक्ति करने लगे। मुँह बोले माता-पिता तथा मृतक जीवित किए हुए लड़का तथा लड़की सुबह सैर को गए थे। इतने में दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी ने दरवाजा खटखटाया। संत रविदास जी ने कहा प्रभु! लगता है कि अतिथि यहाँ पर भी पहुँच गए हैं।
कबीर जी ने कहा कि देख सुराख से बच्चे तो नहीं आ गए हैं। रविदास जी ने देखकर बताया कि नहीं, कोई और ही है। दो-तीन बार दरवाजा खटखटाकर राजा सिकंदर ने अपना परिचय देकर बताया कि आपका दास सिकंदर आया है, आपके दर्शन करना चाहता है। परमेश्वर कबीर जी ने कहा राजन! आज दरवाजा नहीं खोलूंगा। मेरे नाम से झूठी चिट्ठियाँ भेज रखी हैं, लाखों संत-भक्त पहुँच चुके हैं। रात्रि होते ही मैं अपने परिवार को लेकर कहीं दूर चला जाऊँगा। सिकंदर लोधी ने कहा परवरदिगार! आप मुझे नहीं बहका सकते, मैं आपको निकट से जान चुका हूँ। आप एक बार दरवाजा खोलो, मैं आपके दर्शन करके ही जलपान करूँगा।
परमेश्वर की आज्ञा से रविदास जी ने दरवाजा खोला तो सिकंदर लोधी मुकट पहने-पहने ही चरणों में लोट गया और बताया कि आप अपने आपको छिपाकर बैठे हो, आपने कितना सुंदर भण्डारा लगा रखा है। आपका मित्र केशव आपके संदेश को पाकर सर्व सामान लेकर आया है।
आपके नाम का अखण्ड भण्डारा चल रहा है। सर्व अतिथि आपके दर्शनाभिलाषी हैं। कह रहे हैं कि देखें तो कौन है कबीर सेठ जिसने ऐसे खुले हाथ से लंगर कराया है। मेरी भी प्रार्थना है कि आप एक बार भण्डारे में घूमकर सबको दर्शन देकर कृतार्थ करें। तब परमेश्वर कबीर जी उठे और कुटिया से बाहर आए तो आकाश से कबीर जी पर फूलों की वर्षा होने लगी तथा आकाश से आकर सिर पर सुन्दर मुकुट अपने आप पहना गया। तब हाथी पर बैठकर कबीर जी तथा रविदास जी व राजा चले तो सिकंदर लोधी परमेश्वर कबीर जी पर चंवर करने लगे और पीलवान से कहा कि हाथी को भण्डारे के साथ से लेकर चल। जो भी देखे और पूछे काशी वालों से कि कबीर सेठ कौन-सा है, उत्तर मिले कि जिसके सिर पर मोरपंख वाला मुकुट है, वह है कबीर सेठ जिस पर सिकंदर लोधी दिल्ली के बादशाह चंवर कर रहे हैं। सब एक स्वर में जय
बोल रहे थे। जय हो कबीर सेठ की, जैसा लिखा था, वैसा ही भण्डारा कराया है। ऐसी व्यवस्था कहीं देखी न सुनी। भोजन खाने का स्थान बहुत लम्बा-चौड़ा था। उसमें घूमकर फिर वहाँ पर आए जहाँ पर केशव टैंट में बैठा था। हाथी से उतरकर कबीर जी तम्बू में पहुँचे तो अपने आप एक सुंदर पलंग आ गया, उसके ऊपर एक गद्दा बिछ गया, ऊपर गलीचे बिछ गए जिनकी झालरों में हीरे, पन्ने, लाल लगे थे। टैंट को ऊपर कर दिया गया जो दो तरफ से बंद था।
खाना खाने के पश्चात् सब दर्शनार्थ वहाँ आने लगे, तब परमेश्वर कबीर जी ने उन परमात्मा के लिए घर त्यागकर आश्रमों में रहने वालों तथा अन्य गृहस्थी व्यक्ति व ब्राह्मणों को आपस में
(केशव तथा कबीर जी ने) आध्यात्मिक प्रश्न-उत्तर करके सत्यज्ञान समझाया। 8 पहर (24 घण्टे) तक सत्संग करके उनका अज्ञान दूर किया। कई लाख साधुओं ने दीक्षा ली और अपना
कल्याण कराया। विरोधियों ने तो परमेश्वर का बुरा करना चाहा था, परंतु परमात्मा को इकट्ठे करे-कराए भक्त मिल गए अपना ज्ञान सुनाने के लिए। उन भक्तों को सतलोक से आया हुआ
उत्तम भोजन कराया जिसके खाने से अच्छे विचार उत्पन्न हुए। उन्होंने परमेश्वर का तत्त्वज्ञान समझा, दीक्षा ली तथा कबीर जी ने उनको वर्षों का खर्चा भी दक्षिणा रूप में दे दिया। सब
भण्डारा पूरा करके सर्व सामान समेटकर बैलों पर रखकर जो सेवादार आए थे, वे चल पड़े।
तब सिकंदर लोधी, शेखतकी, कबीर जी, केशव जी तथा राजा के कई अंगरक्षक भी खड़े थे। अंगरक्षक ने आवाज लगाई कि बैल धरती से छः इन्च ऊपर चल रहे हैं। पृथ्वी पर पैर नहीं रख रहे। यह लीला देखकर सब हैरान थे। फिर कुछ देर बाद देखा तो आसपास तथा दूर तक न बैल दिखाई दिए और न बनजारे सेवक। सिकंदर लोधी ने पूछा हे कबीर जी! बनजारे और बैल कहाँ गए? परमेश्वर कबीर जी ने उत्तर दिया कि जिस परमात्मा के लोक से आए थे, उसी में चले गए। उसी समय केशव वाला स्वरूप देखते-देखते कबीर जी के शरीर में समा गया। सिकंदर राजा ने कहा हे अल्लाहु अकबर! मैं तो पहले ही कह रहा था कि यह सब आप कर रहे
हो, अपने आपको छिपाए हुए हो। शेखतकी तो जल-भुन रहा था। कहने लगा कि ऐसे भण्डारे तो हम अनेकों कर दें। यह तो महौछा-सा किया है। हम तो जग जौनार कर देते।
महौछा कहते हैं वह धर्म अनुष्ठान जो किसी पुरोहित द्वारा पित्तर दोष मिटाने के लिए थोप��� गया हो। उसमें व्यक्ति बताए गए नग (Items) मन मारकर सस्ती कीमत के लाकर पूरे करता है, हाथ सिकोड़कर लंगर लगाता है।
जग जौनार कहते हैं जिसके घर कई वर्षों उपरांत संतान उत्पन्न होती है तो दिल खोलकर खर्च करता है, भण्डारा करता है तो खुले हाथों से।
संत गरीबदास जी ने उस भण्डारे के विषय में जिसकी जैसी विचारधारा थी, वह बताई :-
गरीब, कोई कहे जग जौनार करी है, कोई कहे महौछा।
बड़े बड़ाई कर्या करें, गाली काढ़ै औछा।।
◆ भावार्थ है कि जो भले पुरूष थे, वे तो बड़ाई कर रहे थे कि जग जौनार करी है। जो विरोधी थे, ईर्ष्यावश कह रहे थे कि क्या खाक भण्डारा किया है, यह तो महौछा-सा किया है। जब शेखतकी ने ये वचन कहे तो गूंगा तथा बहरा हो गया, शेष जीवन पशु की तरह जीया। अन्य के लिए उदाहरण बना कि अपनी ताकत का दुरूपयोग करना अपराध होता है, उसका भयंकर
फल भोगना पड़ता है।
केशव आन भया बनजारा षट्दल किन्ही हाँस है।
परमेश्वर कबीर जी स्वयं आकर (आन) केशव बनजारा बने। षट्दल कहते हैं गिरी-पुरी, नागा-नाथ, वैष्णों, सन्यासी, शैव आदि छः पंथों के व्यक्तियों को जिन्होंने हँसी-मजाक करके चिट्ठी डाली थी। परमात्मा ने यह सिद्ध किया है कि भक्त सच्चे दिल से मेरे पर विश्वास करके चलता है तो मैं उसकी ऐसे सहायता करता हूँ।
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क्रमशः________________
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kaminimohan · 3 years
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काव्यस्यात्मा 980
" तपस्यारत हैं तब तक "
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एक जीवन में;
मौत से पहले
नहीं चाहिए कोई स्वप्न स्वर्ग की तरह।
साधना, आराधना है
तपस्या भूमि की तरह,
जिसने पीछे छोड़ दी है एक लंबी यात्रा
आगे बढ़ते हुए पुच्छलतारे के पूँछ की तरह।
यह हमें रखती है गर्म मौसम में उड़ती धूल की तरह,
जहाँ पेड़ों की पत्तियाँ सब ढँक लेती हैं
दिखती हैं पुरानी किताब के फटे पन्ने की तरह।
वे जिनकी साँसों ने ठंडा-गरम सब अपनी नसों में उड़ेल लिया है,
मिट्टी के बीवर ने धड़कन के साथ धड़कना शुरु कर दिया है।
ख़ुद को कितना सुंदर, कितना पावन कर लिया है,
परछाईं ने शरीर में बसना शुरु कर दिया है।
यह जिद्दी-सा लगता है,
कोमल देह ने अपने कवच के भीतर समाहित होना शुरु कर दिया है।
जंगल आगे झुकता है,
धूप-दीप को देह पर भेजता है।
एक तितली आकर बैठ गई है,
अंतर्ध्यान यात्रा को देख रही है
परित्यक्त देह को मिट्टी में ढूँढ़ रही है।
कछुआ वर्षों से नदी के नीचे उड़ान भर कर जमीन पर आता है,
अपनी पंच इंद्रियों को समेटकर तपस्वी को देख जाता है।
सब बच निकलना चाहते हैं,
पर कोई है जिसने पूरी सत्ता को घेर लिया है।
युगीन पाठशालाओं के वन में,
अंतहीन तरंगों को चारों ओर समेट लिया है।
जीवन की धूप--छांव में हम बैठे हैं
यों तो दोनों ही सरकते जाते हैं,
पर एक नया दरवाज़ा नए जगह पर खोलते जाते हैं।
हर जीव के भीतर अंतहीन अथक,
तपस्या की कामना भरते जाते हैं।
ये धरती, ये आकाश
ये नदियाँ, ये समंदर
सूरज, चाँद, तारे
सब हैं अपने पास,
सब खोलते हैं दरवाज़ा,
बुलाकर कहते हैं पास आ जा।
भीतर है इनके अनेको खिड़कियाँ,
प्रवेश के बाद दिखाती हैं,
भीतर की झिड़कियाँ।
बीत चुकीं तपस्या के दिनों को,
देर से शुरु हुई यात्रा को
वीराने और हरियाली के बीच स्तब्ध खड़े पाँव को
निगाहों में घुले-मिले मंजर को
बंद आँखों से इंतजार को
अधबनी सड़क और उसमें गुज़री
स्मृतियाँ सब देखती रहती हैं।
साँसों का अनुनाद नहीं,
परम दूर है पास नहीं
किसी तत्व की कोई आस नहीं
अपने पास कुछ ख़ास नहीं
प्राणों का कोई लाभ नहीं
तपस्वी का कोई गान नहीं
सुनता है पर मुस्कान नहीं।
ब्रह्म की ध्वनि का
नौ छिद्र में जब तक वास नहीं,
देह की बाँसुरी,
बस हाड़-मांस है
कुछ ख़ास नहीं।
तपस्यारत हैं तब तक;
जब तक-
उनके होंठों तक पहुँचा भोग नहीं,
बाँसुरी पर उँगलियों का पोर नहीं
जब तक-
योगेश्वर से होता योग नहीं।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
-काव्यस्यात्मा
#kaminimohan
#काव्यस्यात्मा
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disuv · 3 years
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छेड़ रहे हो ?
दिल्ली / 03-10-2021
-दिशव दा , इस गीत को सुनिए । गज़ब लिखित है !
-कौन सा ?
-भीगी भीगी रातों में , मिठी मिठी बातों में ..ऐसी बरसातों में .. वीडियो
ही देखिए .. लीजिये ..
-कैसा लगा दिशव दा ?
-बेहतरीन ।
-आनंद बक्शी जी ने लिखा है । हाय .. क्या लिखा है .. "ऐसा लगता है तुम बनके बादल मेरे बदन को छेड़ रहे हो ... ! गज़ब है कि नही ?
-बिल्कुल गज़ब है ।
-बस एक बात की कमी रह गई !
-क्या ?
- "छेड़ रहे हो", नही होना चाहिए था यहाँ !
- तो फिर क्या ?
-"चोद रहे हो"
-बाप.रे , तुम पगला गए हो क्या ?
-अरे , आप एक बार इस शब्द के साथ गा के देखिए तो सही , यक़ीन मानिए , बक्शी साहब के दिमाग मे ये शब्द कौंधा ही होगा ।
- बस भी करो । ऐसी बाहियात बात करने की जरूरत नही ।
-अरे ! आप देखिए तो सही । "कैसा लगता है ? " के आगे '' ऐसा लगता है तुम बनके बादल मेरे बदन को भिगो के मुझे चोद रहे हो" .
-पागल हो चुके हो तुम ! बेहद बेहूदापन है ये ।
-आप तो पढ़े-लिखे हैं । कम से कम आप तो ऐसे ना कहिये ? "चोद" शब्द कोई अभद्र शब्द तो नही , यह तो अति पवित्र शब्द है । आप इसे उन अनपढ़ों की भांति ना लीजिये जो दिन-रात गायत्री मंत्र जपते हैं या फिर डोर बेल के माध्यम से सुनते रहते हैं - प्रचोदयात ..परन्तु शब्द "चोद" को टैबू मानते हैं ।
-नही , मैं ये नही कह रहा कि शब्द "चोद" खराब है । मैं ये कह रहा हूँ कि यह गीत -जनमानस सुनते हैं और सामाजिक दृष्टिकोण से ऐसे शब्द को सार्वजनिक रुपमे स्वीकृति नही है ।
-वाह वाह .. ? और ॐ भूर्भुवः.. प्रचोदयात स्वीकार है !
-बात को समझो , ॐ भूर्भुवः या अन्य सभी मंत्र संस्कृत भाषा मे है , और भारतीय लोग संस्कृत जानते ही नही । संस्कृत में जो भी है वह तो अब सिर्फ मंत्र है । अर्थ से किसी को कोई लेना देना नही है ।
-तो इसमें मैं क्या कर सकता हूँ । अब वे नही जानते तो उनके समूह के अनुरूप मैं क्यों सोचूंगा ! मैं तो वही कहूंगा जो मैं सोच पा रहा हूँ । और वही आपसे कहा भी है ।
-हाँ , तुम ये सोच सकते हो लेकिन सार्वजनिक तौर पर नही । समाज जिस चीज़ से परिचित नही उसे वह कभी आत्मसात नही करेगी । तुम ये भी जान लो ।
-परवाह किसे है ! मैंने इसीलिए तो मेरे विचार आपको बताया । परन्तु आप भी बौखला उठे । अब तो मानेंगे ना कि "छेड़ रहे हो " के बदले "चोद रहे हो" अति सुंदर होता ।
-मेरे मनाने या ना मनाने से क्या फर्क है । तुम मानते हो तो मानो ।
-यानी कि आप इसे अब भी अभद्र प्रविष्ट कहेंगे ?
-तुम सही हो ।
- सबकुछ स्पष्ट हो जाने पर भी आप यदि इसे अभद्र कह रहे हैं फिर तो आपसे भी बात करना व्यर्थ है ।
-तो मत करो । कौन धकेल रहा है !
-आप वेब सी���ीज़ देखते हैं दिशव दा ?
-देखता हूँ ।
-मिर्जापुर वेब सीरीज़ देखे ?
- देखी !
-हिट सीरीज़ है कि फ्लॉप ?
-हिट है ।
-कैसे ?
-सभी ने प्रशंसा की है इसलिए । खूब चली ।
-लौडू ललित-- लौडु ललित को आप ने सराहा या ओ भोसड़ीवाले चाचा " को ?
-फिर तुम सुरु हो गए !
-नही , आपने सुरु करबा दी है , अब कहिये भी ।
-भाई , वह वेब सीरीज़ है और लेखक को वहाँ सम्पूर्ण स्वतंत्रता है कि क्या शब्द जोड़ें और क्या हटा दें ।
-मतलब कि , वेब पर देखके प्रिंट मीडिया में वाहवाही ठीक लेकिन सार्वजनिक रूप से उन वेब सीरीजों को दिखाया नही जा सकता ?
-यही सामाजिक व्यवस्था है ।
-कुव्यवस्था कहिये ।
-क्यों ?
-क्योंकि इसे पाखंड कहते हैं ।
-पाखंड को ही व्यवस्था की जरूरत है । जहाँ पाखंड नही वहाँ समाज कैसे निर्मित होगा । क्या तुमने कभी पंछियों को सामाजिक होते देखा है ?
-ध्यान रहे ..आप मुझसे सहमति हो रहे हैं ।
-बिल्कुल भी नही ।
-अभी अभी आपने कहा ।
-क्या ?
-कि पाखंड को व्यवस्था की जरूरत है ।
-हाँ , तो ?
-मैं भी तो यही कह रहा हूँ ।
-नही । तुम कुछ और कह रहे हो ! तुम कह रहे हो कि रात और दिन को एक साथ कर दो , ना सबेरा , ना धूप, ना रात बस प्राकृतिक खिचड़ी ।
-नही , मैं ऐसा नही कह रहा । मैं कह रहा हूँ कि जिसे समाज अभद्र समझती है , असल मे वे अभद्र नही है । और चूंकि शब्द अभद्र नही इसलिए बिना किसी लागलपेट के "चोद" शब्द को सार्वजनिक रूप से प्रयोग करना चाहिए ।
-फिर तो तुम "चूत" शब्द के लिए भी ऐसा ही सोचते होगे ?
-क्यों नही ? अच्युतम केशवं दामोदरम - लोग सार्वजनिक रूप से गा रहे हैं । मैं पूछता हूँ क्यों नही ? यदि लिंग शब्द को स्वीकृति है तो फिर चोद या चूत क्यों नही ?
-तो तुम करो । कौन रोकता है । जो शब्द लिखना चाहो लिखो ।
-हाँ तो मैं लिखूंगा ही । मुझे आपकी भी स्वीकृति नही चाहिए । एक सरल शब्द को आप अभद्र घोषित करने पर लगे हैं । जब आप जैसे लोग नकाब में रहना सुलभ समझते हैं तो मेरे पास कोई उपाय कहाँ!
-एक बात बताओ ..क्या करोगे लिखकर ?
-मतलब क्या है आपका ?
-मतलब ये कि क्या करोगे लिखकर ? सबकुछ तो लिखा जा चुका है । अब तो कुछ बचा भी नही लिखने को । सामग्री उपलब्ध है । लोग वही पढ़ेंगे जो उनके चित में होगा । इस परिस्थिति में जो तुम जोर दे रहे हो कि तुम वो लिखोगे जिसे गलत ढंग से लोग परिभाषित कर रहे हैं तो इसके पीछे मकसद क्या है तुम्हारा ? तुम्हें क्या लगता है औरों ने प्रयास नही किये होंगे ?
-मैं तो बस अपनी बात अपने तरीके से व्यक्त करूँगा । जिन्होंने पहले की उनसे मेरा कोई सरोकार नही । मैं तो वर्तमान से हूँ और वर्तमान में ही लिखना चाहता हूँ । बात बस इतनी सी थी कि इस गीत में जो मुझे सही लगा वह मैंने व्यक्त कर दी । अब इसमें क्या गलत कहा मैंने ?
-प्रश्न गलत और सही का नही है । प्रश्न है कि क्या तुम माईक लेकर इसी गीत को सार्वजनिक रूप से , या सोशल मीडिया पर उसी ढंग से कह सकोगे ?
-क्यों नही ?
-तो बनाओ इस गीत का एक क्लिपिंग । लाओ कैमरा मैं धरता हूँ । तुम छेड़ रहे हो के बदले चोद रहे हो गाना चाहते हो ना , तो गाओ ।
-ये क्या कह रहे हैं ! मैं इस माध्यम से नही जाना चाहता ।
-क्यों ? क्या बुराई है ? हम दोनों जानते हैं कि अर्थ सही है ।
-लेकिन फिर भी , फिर भी ये अतिक्रमण होगा ।
-अब अपने बारे में क्या कहते हो ? इसे नक़ाब नही कहोगे ।
-बात कुछ और है , इसलिए मैं ऐसा नही करूँगा ।
-तर्क से सत्य को परिभाषित नही किया जा सकता है । कुछ भी हो , अब तुम बचाव के लिए तर्क ढूंढोगे । और तर्क सिर्फ कांट-छांट कर सकता है ।
-नही मैं तर्क नही दे रहा । मैं बस ये कह रहा हूँ कि मैं अपनी बात सिर्फ उन्हीं से कहूंगा जो समझ सकते हैं । भीड़ से कहने की मेरी कोई इच्छा नही है ।
-तो फिर तुमने बेबजह बहस की । समाज को बीच मे घसीटकर क्या सत्यापित करना चाहते थे । डोर बेल , मंत्र इत्यादि इत्यादि के माध्यम से किसे सुना रहे थे ?
-वह तो आपसे कह रहा था । मेरा प्रयोजन बस इतना था कि आप समझें ।
-मैं समझ गया । बात खत्म करो यहीं पर । यदि तुम्हारा उद्वेश्य बस मुझी तक था तो बात खत्म हुई ।
-हाँ , बात तो खत्म हुई परंतु हैरानी है कि लोग कभी भी मूल अर्थ नही जान पाएंगे । सबकुछ ऐसे ही चलता रहेगा ।
-तुम जानते हो ना मूलार्थ ! तुम सही जान रहे हो ना , फिर लोगों से क्या काम तुम्हारा ? कोई जाने या नही जाने ये तुम्हारा काम नही है । तुम तो खुश हो जाओ की तुम मूल अर्थ से वाकिफ़ हो ।
-आप इसे मज़ाक में ना लें ।
-मज़ाक तो तुम कर रहे हो । इस धरती पर कौन कितना जान सका है? जो नही जानते वे जाननेवाले से रतिभर भी कम नही हैं । और तुम कह रहे हो कि लोग बिना जाने ही मरते जाएंगे । इसे मैं क्या समझूँ ! क्या तुम ये नही कहना चाहते कि बांकी लोग व्यर्थ में जी रहे हैं ।
-बिल्कुल व्यर्थ में जी रहे हैं । क्या प्रयोजन ऐसे जीने का जिसमे शब्दों के प्रति कोई होश नही ।
-यदि तुम को होश है तो तुम क्या कर दोगे ? अधिक से अधिक दस-पांच किताब लिख दोगे । उससे क्या हो जाएगा । क्या इस दुनिया मे किताबों की कमी है । क्या किताबें समाज को बदल पाई है । लगभग सभी किताबों में वही रूप रेखा है । मनुष्य और मनुष्य के द्वारा कृत । कौन सी ऐसी किताब है जिसमे खून , वासना, चोरी, धर्म , हिंसा, अहिंसा , स्त्री या पुरुष की बात न हो ?
-जब मनुष्य ही किताब लिख रहा है तो बात फिर मनुष्य के सन्दर्भ में ही होगा ना दिशव दा !,
-जब ��ात मनुष्य के संदर्भ में ही होना है तो जानने को फिर बचा क्या ? प्राचीन से प्राचीन कोई किताब पकड़ लो , पढ़ लो , जानलो । देखलो यदि प्राचीनतम और आधुनिक मनुष्य के प्रवृत्ति में को अंतर घटित हुआ है कि नही । यदि नही , तो फिर कहने को कुछ बचा नही । यदि हाँ ,तो उसे व्यक्त करो ।
-गज़ब बात कर रहे हैं आप ! मतलब की मनुष्य ने कोई विकास किया ही नही अबतक । आपके अनुसार ये इंटरनेट, सूख-सुविधाएं जो आज के दौर में उपलब्ध है वह पहले भी था ।
-मैं मानसिक विकास की बात कर रहा हूँ पदार्थ की नही ।
-अरे , तो पदार्थ भी तो मनुष्य ने ही उतपन्न किया है । अपने आप तो नही आ गया । मनुष्य ने सोचा है तभी तो प्रत्यक्ष है ।
-मैं बहस नही करना चाहता ।
-ये बहस तो नही । यह तो अटूट सत्य है ।
-जब तुम पदार्थ को ही व���कास कहते हो तो फिर मेरे कहने को कुछ भी शेष नही ।
-आप पदार्थ को विकास नही कहते ?
-उस मायने में नही जिस मायने में तुम कह रहे हो ।
-पदार्थ का एक ही मतलब है - भोग ।
-तुम्हारे लिए मैं कौन हूँ ? एक पदार्थ या एक मनुष्य ?
-मतलब ?
-बस जबाब दो ।
-आप पदार्थ थोड़े ना हैं , आप मेरे लिए मनुष्य हैं ।
-वाकई ?
-आप साफ साफ कहिये ।
-जिस तरह से तुम ने पदार्थ को परिभाषित किया है उसके अनुसार मैं सिर्फ तुम्हारे लिए एक पदार्थ हूँ । और इसमें तुम्हारा कोई दोष भी नही, असल मे प्रत्येक मनुष्य एक दूसरे के लिए पदार्थ ही हैं । जो शक्तिशाली है वे भोग करते हैं और करेंगे ही । क्योंकि सदियों से मनुष्य ने स्वयं को पदार्थ समझा है इसलिए पदार्थो को बढ़ाने के अलावा कुछ और बढ़ाने की तरफ ध्यान ही नही दिया ।
-यह तो सामान्य है । इसमें मैं कोई दिक्कत नही देखता । एक दूसरे के सहयोग क�� बिना विकास असंभव है । काम तो लेना ही पड़ेगा ।
-इसे तुम सहयोग कहते हो ! अजीब बात है कि तुमने अभी अभी कहा था कि तुम सबकुछ जानते हो । एक मनुष्य दूसरे मनुष्य को शरीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित करे और उसे तुम सहयोग कह दोगे ?
-नही मैंने ऐसा नही कहा ।
-तुमने बिल्कुल यही कहा है । मैं भूल ही गया था कि तुम "चोद" का अर्थ जानते हो । फिर तुम तो ये भी जानते होगे की चोद से ही चोदन और फिर उसी से चोदना की उत्तप्ति है जिसका एक ही अर्थ है - रगड़ना , मथना , आदि आदि । मैथुन से ही मंथन है । और तुम वही कर रहे हो । मथ रहे हो । बात चोद रहे हो । लेकिन बात को चोदने से कुछ हासिल नही होगा । यदि चोदना है तो "परिणाम" को चोदो । इस चोदन या मंथन से पता चलेगा कि बुनियादी भूल कहाँ पर हुई ।
-दिशव दा , आप तो कुपित हो उठे । बात में से बात निकलती है । कहाँ आनंद बक्शी साहब का एक गीत और उस गीत से यहाँ तक हम पहुँच गए । अब आगे और नही । आप गीत सुनिए । मैं चला ।
-एक सिगरेट देते जाओ ।
-अहा । लीजिये , लीजिये ।
-सुलगा के दो ।
-क्यों नही । ये लीजिये ।
-तीली में आग और सिगरेट में धुंआ देखा तुमने ।
-मैंने ही जलाया है दिशव दा , क्यों नही देखा । देखा ..देखा ।
- रगड़ से उतपन्न हुई चीज ही चोदन है । जैसे ये ब्रम्हांड ।
- हाँ , वैज्ञानिक भी कहते हैं - बिग बैंग थ्योरी ।
- वही ..वही । बैंग बैंग । अब निकलो भी । मुझे और भी काम है ।
- काम या काम दिशव दा ..!!
-हाहाहा ..
-हाहाहा.......... !!!
~दिशव
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fullformworld · 3 years
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[150+]Birthday quotes in hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी
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Birthday Quotes in Hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी
Birthday quotes in hindi -जन्मदिन साल में एक बार आता है। अगर हम किसी दोस्त, रिश्तेदार को उनके जन्मदिन पर अलग तरीके से विश करें तो यह न सिर्फ उन्हें खुशी का एक खास अनुभव देगा, बल्कि यह हमें उनके लिए खास भी बनाता है। साल का यह एक दिन सभी के जीवन में ढेर सारी खुशियां लेकर आता है। हर किसी के जीवन में साल में एक दिन ऐसा आता है जो बहुत ही खास होता है वो होता है जन्मदिन का दिन। इस दिन उन्हें चारों तरफ से खुशियां और शुभकामनाएं मिलती हैं। इस मौके पर आपके दोस्त, दोस्तों और परिवार के रिश्तेदारों को शुभकामनाएं देने के लिए हम आपके लिए लेकर आए हैं Birthday quotes in hindi अनोखा कलेक्शन ।
Birthday Quotes in Hindi
तुम जियो हजारो साल, साल के दिन हो पचास हज़ार जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाये !
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Birthday Quotes in Hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी खुशी से बीते हर दिन हर सुहानी रात हो जिस तरफ आपके कदम पड़े वहां फूलों की बरसात हो। जन्मदिन की बधाई अपना जीवन मुस्कान से जिएं, आंसुओं से नहीं। अपनी उम्र को दोस्तों से हराएं, सालों से नहीं जन्मदिन मुबारक   ALSO CHECK OUT : - Good Morning quotes in hindi - Good night quotes in hindi - Love quotes in hindi - Nature quotes in hindi - Gulzar quotes in hindi - Very heart touching sad quotes in hindi - Emotional quotes in hindi मैं लिख दू तुम्हारी उम्र चाँद सितारों से… मैं मनाऊ जन्मदिन तुम्हारा फूल बहारों से ऐसी खूबसूरती दुनिया  से लेकर आऊ मैं के सारी महफ़िल सज जाए हसीं नजारो सेजन्मदिन की बधाई  जन्मदिन मुबारक। मैं प्रार्थना करता हूं कि आपके जन्मदिन की सभी शुभकामनाएं पूरी हों  
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Birthday quotes in hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी ख़ुशी से बीते हर दिन हर सुहानी रात हो जिस तरफ आपके कदम पड़े वहा फूलो की बरसात हो शुभ जन्मदिन हो आपका हमेशा जन्मदिन हमें और अधिक केक खाने के लिए कहने का प्रकृति का तरीका है! याद रखें कि सर्वश्रेष्ठ आना अभी बाकी है जन्मदिन मुबारक  
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Birthday quotes in hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी  सूरज रौशनी ले कर आया और चिड़ियों न गाना गाया फूलों ने हंस हंस कर बोला मुबारक हो तुम्हारा जन्मदिन आया    आप इतने बूढ़े नहीं दिखते, लेकिन फिर भी आप उतने युवा नहीं दिखते जन्मदिन मुबारक  
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Birthday quotes in hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी काश मैं आपका जन्मदिन आपके साथ बिता पाता, लेकिन पता है कि आप मेरे दिमाग में और मेरे दिल में हैं ️ जन्मदिन के ये ख़ास लम्हें मुबारक आँखों में बसे नए ख़्वाब मुबारक जिंदगी जो लेकर आई है आपके लिए आज वो तमाम ख़ुशियों की हंसीं सौगात मुबारक। Happy Birthday   ALSO CHECK OUT : - Truth of life quotes in hindi - Motivational quotes for students in hindi - Heart touching quotes in hindi - Trust quotes in hindi - Sad quotes in hindi - Birthday quotes in hindi
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Birthday quotes in hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी आप एक साल में बहुत बढ़ गए हैं। मुझे तुम पर हमेशा बहुत गर्व है जन्मदिन मुबारक आप अपने लिए एक सुंदर जीवन बना रहे हैं—इसका आनंद लें, विशेष रूप से आज दुनिया की खुशियाँ आपको मिल जायें अपनों से मिलके आपका मन खिल जाये चेहरे पर दुःख की कभी शिकन भी न हो आपके जन्मदिन पर मेरी दिल से शुभकामनाएं. सूर्य के चारों ओर एक और यात्रा के लिए आपको बधाई  
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Birthday quotes in hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी आपको 24 घंटे की खुशी की शुभकामनाएं, हालांकि आप जीवन भर इसके लायक हैं। खुशी यह है कि आपका सबसे अच्छा दोस्त आपके साथ बड़ा हो रहा है! जन्मदिन मुबारक! आसमान की बुलंदियों पर नाम हो आपका चांद की धरती पर मुकाम हो आपका, हम तो रहते हैं छोटे सी दुनिया में, पर ईश्वर करे सारा जहां हो आपका जन्मदिन की बधाई मेरे अपूरणीय सबसे अच्छे दोस्त को जन्मदिन की बधाई। मेरे हमेशा के लिए युवा दोस्त को जन्मदिन की बधाई  
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Birthday quotes in hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी जन्मदिन के ये ख़ास लम्हें मुबारक आँखों में बसे नए ख्वाब मुबारक जिंदगी जो लेकर आई है आपके लिए आज वो तमाम खुशियों की हंसीं सौगात मुबारक आप आज कल से बड़े हैं लेकिन कल से छोटे हैं जन्मदिन मुबारक हो मैं जितना बड़ा होता जाता हूं, उतना ही मुझे एहसास होता है कि मैं अभी भी आपसे थोड़ा छोटा हूं जन्मदिन मुबारक फूलों की मुस्कान आपके चेहरे पर रहे झरनों सा तराना आपकी आवाज़ में रहे आपके जन्मदिन पर यही शुभकामनायें हैं आपके चेहरे की मुस्कान सदा बनी रहे  
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Birthday Quotes in Hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी आशा है कि आपके जन्मदिन की सभी इच्छाएँ पूरी होंगी। आकाश में जो इतने तारे की अंधेरो का नाम न हो आपके जीवन में हो इतनी खुशियां की आपके जीवन में गमो का नाम न हो जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाये आप मेरे जीवन में प्रकाश और प्रेम लाएं। जन्मदिन मुबारक! अतीत को भूल जाएं; भविष्य के लिए तत्पर रहें, क्योंकि सबसे अच्छी चीजें अभी बाकी हैं ALSO CHECK OUT : - Motivational Quotes in hindi - Bhagavad gita quotes in hindi - Krishna quotes in hindi - Mahadev quotes in hindi - Father quotes in hindi - Maa quotes in hindi - Osho quotes in hindi मैं लिख दू तुम्हारी उम्र चाँद सितारों से मैं मनाऊ जन्मदिन तुम्हारा फूल बहारों से ऐसी खूबसूरती दुनिया से लेकर आऊ मैं के सारी महफ़िल सज जाए हसीं नजारो से जीवन एक सफर है। हर मील का आनंद लें।  
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Birthday Quotes in Hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी जन्मदिन मुबारक! मुझे आशा है कि यह आपके अब तक के सबसे  शानदार वर्ष की शुरुआत है! जन्मदिन के ये ख़ास लम्हें मुबारक आँखों में बसे नए ख्वाब मुबारक जिंदगी जो लेकर आई है आपके लिए आज वो तमाम खुशियों की हंसीं सौगात मुबारक. जन्मदिन की शुभकामनाएं आपको बूढ़ा होना है, लेकिन आपको बड़ा नहीं होना है।  
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Birthday Quotes in Hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी उगता हुआ सूरज दुआ दे आपको खिलता हुआ फूल खुशबु दे आपको मैं तो कुछ दे नहीं सकता, देने वाला लंबी उम्र दे आपको जन्मदिन हार्दिक शुभकामनाएं मैं अपने सबसे अच्छे दोस्त के साथ एक और जन्मदिन मनाने के लिए बहुत आभारी हूं। आपको जन्मदिन की शुभकामनाएं, और आपकी तरफ से सूर्य के चारों ओर एक और अद्भुत वर्ष  
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Birthday quotes in hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी प्यार से भरी जिंदगी मिले आपको खुशियाँ से भरे पल मिले आपको कभी किसी ग़म का सामना ना करना पड़े ऐसा आने वाला कल मिले आपको जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक   एक जन्म-तिथि जीवन का जश्न मनाने के साथ-साथ जीवन को updateकरने के लिए एक अनुस्मारक है। हर बड़े व्यक्ति के अंदर एक छोटा व्यक्ति है जो सोच रहा है कि आखिर क्या हुआ?  
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Birthday quotes in hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी अपनी जीवन यात्रा का जश्न मनाएं Happy Birthday  हमारी तो दुआ है कोई गिला नही वो गुलाब जो आजतक खिला नही आज के दिन आपको वो सब कुछ मिले जो आजतक किसी को कभी मिला नही  जन्मदिन की बधाई  केवल अपने वर्षों की गणना न करें, अपने वर्षों को गिनें। किसी असाधारण व्यक्ति को शानदार जन्मदिन की बधाई ऐ खुदा, मेरे यार का दामन खुशियों से सजा दे उसके जन्मदिन पर उसकी कोई रज़ा दे दर पर आऊंगा तेरे मैं हर साल की उसको गिले की कोई वजह न दे जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं  
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Birthday Quotes in Hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी उम्र मामले पर दिमाग का मामला है। अगर आपको कोई आपत्ति नहीं है तो कोई बात नहीं। आपके आने वाले वर्ष का प्रत्येक दिन अद्भुत हो कम से कम उतना ही अद्भुत हो जितना आप हैं और अपने दिल में वही आनंद लाएं जो आप अपने आस-पास के सभी लोगों के लिए करते हैं जन्मदिन मुबारक हो दिल से मेरी दुआ है कि खुश रहो तुम मिले न कोई गम जहाँ भी रहो तुम समंदर की तरह दिल है गहरा तुम्हारा सदा खुशियों से भरा रहे दामन तुम्हारा जन्मदिन मुबारक हो आप बूढ़े नहीं होते, आप बेहतर होते जाते हैं।  
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Birthday quotes in hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी मुझे आशा है कि आपको जश्न मनाने के लिए कुछ मजेदार करने को मिलेगा फूल खिलखिला उठे हैं पहाड़ों में! परिया गा रही है मंगल बहारों में। सुनने में आया है आज है जन्मदिन उसका जो एक है लाखों-करोड़ों और हजारों में। जन्मदिन मुबारक हो आशा है कि आपके जन्मदिन की सभी इच्छाएं पूरी हों जन्मदिन मुबारक हो कोई भी तोहफा कभी इतना बयां नहीं कर सकता आप मेरे लिए मायने रखते हैं, और कितना अविश्वसनीय रूप से मैं आपको अपने जीवन में रखने की सराहना करता हूं।जन्मदिन मुबारक हो  
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Birthday Quotes in Hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी ऐ खुदा, मेरे यार का दामन खुशियों से सजा दे उसके जन्मदिन पर उसकी कोई रज़ा दे दर पर आऊंगा तेरे मैं हर साल की उसको गिले की कोई वजह न दे जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं तुमसे न ख़ुशी कभी अलग जाए देख तुम्हारी ख़ुशी गम दूर भाग जाए तुम्हारे जन्मदिन पर बस यही दुआ मांगते है की हमारी उम्र भी तुम को लग जाए.  
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Birthday quotes in hindi-बर्थडे कोट्स इन हिंदी उगता हुआ सूरज दुआ दे आपको, खिलता हुआ फूल खुशबु दे आपको, मैं तो कुछ दे नहीं सकता, देने वाला लंबी उम्र दे आपको ALSO CHECK OUT : - Funny Quotes in Hindi - Inspirational Quotes in hindi - Dosti quotes in hindi - Self respect quotes in hindi - Friendship  quotes in hindi - Relationship quotes in hindi - Success quotes in hindi Read the full article
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karanaram · 3 years
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🚩रक्षा बंधन कैसे शुरू हुआ, इसका क्या महत्व है? वैदिक राखी से क्या होगा लाभ? 21 अगस्त 2021
🚩भारतीय संस्कृति में श्रावणी पूर्णिमा को मनाया जानेवाला रक्षाबंधन पर्व भाई-बहन के पवित्र स्नेह का प्रतीक है। यह पर्व मात्र रक्षासूत्र के रूप में राखी बाँधकर रक्षा का वचन देने का ही नहीं, वरन् प्रेम, स्नेह, समर्पण, संस्कृति की रक्षा, निष्ठा के संकल्प के जरिये हृदयों को बाँधने का वचन देने का भी पर्व है। हमारी भारतीय संस्कृति त्याग और सेवा की नींव पर खड़ी होकर पर्वरूपी पुष्पों की माला से सुसज्जित है। इस माला का एक पुष्प रक्षाबन्धन का पर्व भी है। इस साल 22 अगस्त को रक्षाबंधन है। राखी बांधने का समय सूर्योदय से शाम 5:30 बजे तक है।
🚩वैदिक रक्षासूत्र बाँधने की परम्परा तो वैदिक काल से रही है, जिसमें यज्ञ, युद्ध, आखेट, नये संकल्प और धार्मिक अनुष्ठान के आरम्भ में कलाई पर सूत का धागा (मौली) बाँधा जाता है।
🚩कैसे शुरू हुआ रक्षाबंधन?
सब कुछ देकर त्रिभुवनपति को अपना द्वारपाल बनानेवाले बलि को लक्ष्मीजी ने राखी बाँधी थी। राखी बाँधनेवाली बहन अथवा हितैषी व्यक्ति के आगे कृतज्ञता का भाव व्यक्त होता है। राजा बलि ने पूछा :) ‘‘तुम क्या चाहती हो?'' लक्ष्मीजी ने कहा : ‘‘वे जो तुम्हारे नन्हे-मुन्ने द्वारपाल हैं, उनको आप छोड़ दो।'' भक्त के प्रेम से वश होकर जो द्वारपाल की सेवा करते हैं, ऐसे भगवान नारायण को द्वारपाल के पद से छुड़ाने के लिए लक्ष्मीजी ने भी रक्षाबंधन-महोत्सव का उपयोग किया।
शचि ने इन्द्र को राखी बाँधी तो इन्द्र में प्राणबल का विकास हुआ और इन्द्र ने युद्ध में विजय प्राप्त की। धागा तो छोटा सा होता है लेकिन बाँधने वाले का शुभ संकल्प और बँधवाने वाले का विश्वास काम कर जाता है।
🚩कुंती ने अभिमन्यु को राखी बाँधी और जब तक राखी का धागा अभिमन्यु की कलाई पर बँधा रहा तब तक वह युद्ध में जूझता रहा। पहले धागा टूटा, बाद में अभिमन्यु मरा। उस धागे के पीछे भी तो कोई बड़ा संकल्प ही काम कर रहा था कि जब तक वह बँधा रहा, अभिमन्यु विजेता बना रहा।
🚩लोकमान्य तिलक जी कहते थे कि मनुष्यमात्र को निराशा की खाई से बचाकर प्रेम, उल्लास और आनंद के महासागर में स्नान कराने वाले जो विविध प्रसंग हैं, वे ही हमारी भारतीय संस्कृति में हमारे हिन्दू पर्व हैं। हे भारतवासियों ! हमारे ऋषियों ने हमारी संस्कृति के अनुरूप जीवन में उल्लास, आनंद, प्रेम, पवित्रता, साहस जैसे सदगुण बढ़ें ऐसे पर्वों का आयोजन किया है।
🚩तिलक जी ने यह ठीक ही कहा कि अपने राष्ट्र की नींव धर्म और संस्कृति पर यदि न टिकेगी तो देश में सुख, शांति और अमन-चैन होना संभव नहीं है।
🚩रक्षाबंधन के पर्व पर एक-दूसरे को आयु, आरोग्य और पुष्टि की वृद्धि की भावना से राखी बाँधते हैं।
🚩रक्षाबंधन का उत्सव श्रावणी पूनम को ही क्यों रखा गया?
भारतीय संस्कृति में संकल्पशक्ति के सदुपयोग की सुंदर व्यवस्था है। ब्राह्मण कोई शुभ कार्य कराते हैं तो कलावा (रक्षासूत्र) बाँधते हैं ताकि आपके शरीर में छुपे दोष या कोई रोग, जो आपके शरीर को अस्वस्थ कर रहे हों, उनके कारण आपका मन और बुद्धि भी निर्णय लेने में थोड़े अस्वस्थ न रह जायें। सावन के महीने में सूर्य की किरणें धरती पर कम पड़ती हैं, किस्म-किस्म के जीवाणु बढ़ जाते हैं, जिससे किसीको दस्त, किसीको उलटियाँ, किसीको अजीर्ण, किसीको बुखार हो जाता है तो किसीका शरीर टूटने लगता है । इसलिए रक्षाबंधन के दिन एक-दूसरे को वैदिक रक्षासूत्र बाँधकर तन-मन-मति की स्वास्थ्य-रक्षा का संकल्प किया जाता है । रक्षासूत्र में कितना मनोविज्ञान है, कितना रहस्य है!
अपना शुभ संकल्प और शरीर के ढाँचे की व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए यह श्रावणी पूनम का रक्षाबंधन महोत्सव है।
‘रक्षाबंधन के दिन वैदिक रक्षासूत्र बाँधने से वर्ष भर रोगों से हमारी रक्षा रहे, बुरे भावों से रक्षा रहे, बुरे कर्मों से रक्षा रहे'- ऐसा एक-दूसरे के प्रति सत्संकल्प करते हैं।
🚩कैसे बनायें वैदिक रक्षासूत्र?
दुर्वा, चावल, केसर, चंदन, सरसों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर एक पीले रंग के रेशमी कपड़े में बांध लें, यदि इसकी सिलाई कर दें तो यह और भी अच्छा रहेगा। इन पांच पदार्थों के अलावा कुछ राखियों में हल्दी, कौड़ी व गोमती चक्र भी रखा जाता है। रेशमी कपड़े में लपेटकर बांधने या सिलाई करने के पश्चात इसे कलावे (मौली) में पिरो दें। आपकी राखी तैयार हो जाएगी।
🚩 वैदिक राखी का महत्व :
वैदिक राखी का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि सावन के मौसम में यदि रक्षासूत्र को कलाई पर बांधा जाये तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। साथ ही यह रक्षासूत्र हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचरण भी करता है।
🚩रक्षाबंधन के दिन बहन भैया के ललाट पर तिलक-अक्षत लगाकर संकल्प करती है कि ‘जैसे शिवजी त्रिलोचन हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, वैसे ही मेरे भाई में भी विवेक-वैराग्य बढ़े, मोक्ष का ज्ञान, मोक्षमय प्रेमस्वरूप ईश्वर का प्रकाश आये'। ‘मेरे भैया की सूझबूझ, यश, कीर्ति और ओज-तेज अक्षुण्ण रहें।'
🚩बहनें रक्षाबंधन के दिन ऐसा संकल्प करके रक्षासूत्र बाँधें कि ‘हमारे भाई भगवत्प्रेमी बनें ।' और भाई सोचें कि ‘हमारी बहन भी चरित्रप्रेमी, भगवत्प्रेमी बने।' अपनी सगी बहन व पड़ोस की बहन के लिए अथवा अपने सगे भाई व पड़ोसी भाई के प्रति ऐसा सोचें। आप दूसरे के लिए भला सोचते हो तो आपका भी भला हो जाता है। संकल्प में बड़ी शक्ति होती है। अतः आप ऐसा संकल्प करें कि हमारा आत्मस्वभाव प्रकटे।
🚩सर्वरोगोपशमनं सर्वाशुभविनाशनम्। सकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत्।।
‘इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है। इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्ष भर मनुष्य रक्षित हो जाता है।' (भविष्य पुराण)
🚩येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
जिस पतले रक्षासूत्र ने महाशक्तिशाली असुरराज बलि को बाँध दिया, उसीसे मैं आपको बाँधती हूँ। आपकी रक्षा हो। यह धागा टूटे नहीं और आपकी रक्षा सुरक्षित रहे। - यही संकल्प बहन भाई को राखी बाँधते समय करे। शिष्य गुरु को रक्षासूत्र बाँधते समय ‘अभिबध्नामि' के स्थान पर ‘रक्षबध्नामि' कहें।
🚩रक्षाबंधन पर्व समाज के टूटे हुए मनों को जोड़ने का सुंदर अवसर है। इसके आगमन से कुटुम्ब में आपसी कलह समाप्त होने लगते हैं, दूरी मिटने लगती है, सामूहिक संकल्पशक्ति साकार होने लगती है।
🚩उपाकर्म संस्कार: इस दिन गृहस्थ ब्राह्मण व ब्रह्मचारी गाय के दूध, दही, घी, गोबर और गौ-मूत्र को मिलाकर पंचगव्य बनाते हैं और उसे शरीर पर छिड़कते, मर्दन करते व पान करते हैं, फिर जनेऊ बदलकर शास्त्रोक्त विधि से हवन करते हैं। इसे उपाकर्म कहा जाता है। इस दिन ऋषि उपाकर्म कराकर शिष्य को विद्याध्ययन कराना आरम्भ करते थे।
🚩उत्सर्जन क्रिया: श्रावणी पूर्णिमा को सूर्य को जल चढाकर सूर्य की स्तुति तथा अरुंधती सहित सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है और दही-सत्तू की आहुतियाँ दी जाती हैं। इस क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं। ( स्रोत: संत आसारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित साहित्य ऋषि प्रसाद एवं लोक कल्याण सेतु से संकलित )
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shamakhanna · 3 years
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1) एक क़दम मानवता की ओर
जिसनेहमें बनाया जीवन दिया
उसीने परिंदों को भी जीवन दिया
बोलने को शब्द नहीं दिये फिर भी
बिना कहे कुछ समझाने की कला तो दी
मुर्ग़े ने सुबहा कुकड़ूकू की बाँग जो लगाई
धरती पर सूरज के आने की खबर फैलाई
हर रात के बाद जैसे सुबह निश्चित है
वैसे ही दुखों के बाद सुबहा लक्षित है
धरती पर बरखा की ख़बर चिड़िया लाती है
गरम धूल में ज़ब पंख खोलकर नहाती है
कौआ मुंढेर पर कांव कांव चिल्लाता है
कोई आयेगा?ऐसा सबको बतलाता है
देख आम का बौर कोयल बौरा जाती है
आने को हैं आम हम सबकोसमझाती है
सिखाओ तो तोता भी राम राम टरटराता है
ना समझो तो बस शोर है
समझो तो बोली में छिपा कुछ और है
इतने सुंदर पक्षी सुंदर इनकी भाषा है
भूख मिटाने को ईंसान इन्हें मारकर खाता है
वो मूक पक्षी कुछ कह -कर नहीं सकता है
पर !हिसाब सबका कुदरत रख रही थी
कर्मों का फल चुकता करना है यहीं
कोई दूसरी दुनिया है ही नहीं
संध्या वेले जलाकर शमा करें सब दुआ
क्षमा करो प्रभु हमारी की हुई गल्तियाँ
शमा खन्ना
2) शर्मसार मानवता
सीखो पक्षी से खुशी बाँटना दुख समेटना
मिल जाये तो खा लेना वरना भूखा सो जाना
पर ईंसान मौक़े का फ़ायदा उठाने से चूकता नहीं
कोरोना काल में भी बिमार लाचारों से शर्म नहीं
लूट रहा निरंतर पैसा हवा मानव अंग
लाशों पर बना रहे घर पर घर
शमा खन्ना
3) अद्भुत उपचार
सुबह सवेरे जब सैर पर जाती हूँ
प्रकृति से दो चार बात कर लेती हूँ
अपने ध्यान से बाहर निकल
कोयल की कुहुक कुहुक सुन!!
ऊपर कर निगाह !मीठी आवाज़ को जो तलाशा
बौर के बोझ से झूलता आम का पेड़ दिखा
कच्चे-पके ,हरे-पीले ,खट्टे-मीठे ,रसीले
आमों का सीज़न आ गया
बच्चे -बूढ़े और नेता -अभिनेता
कोई बिरला ही होगा जिसे आम ना भाये
पेड़ों पर हरी-भरी बौर देख मन खिल जाये
भले ही उस पेड़ के फल ना खा पाये
कुछ दिन के अंतराल पर कच्ची अमियां
पैरों से कुचली ;तोते की झूठी अमियां
आते-जाते राही को रिझाती
बच्ची होती तो झोली भर लाती
कौआ मुंढेर पर काँव कॉंव करके
किसी अतिथि के आगमन के कर रहा था इशारे
घोंसला बनाने की ख़ातिर तिनके चुनते
कीड़े चोंच में दबा कर बच्चों का पेट भरते
चिड़िया मैना के अनगिनत जोड़े दिख जाते
इन सुनहरे पलों में सुनहरी खिलती धूप में
अद्भुत प्रकृति से रोज़ ही मुलाक़ात हो जाती है
पिछले दिन की टेंशन-थकान पल में उतर जाती है
शमा खन्ना
4) दो गंज दूरी ज़रूरी
साल के शुरूआत मे जागी थी इक अास
सन्21 में हो चुका कोरोना का नाश
तभी तो कर रहे थे पार्टियाँ बिना पहने मास्क
जीत की जश्न ,चुनाव का बेधड़क प्रचार
मॉल में बढ़ती भीड़ ,कुंभ के मेले का मिलन
सब कुछ अच्छा लग रहा था
हर कोई खुलकर हंस रहा था
शायद !!!
कोरोना की चेतावनी भूल गया था
अभी तो कोरोना का तांडव बाक़ी था
किसी राक्षस सा चुपचाप नहीं आया था
वो बार बार सबको समझा रहा था
दवाई ,सफ़ाई और मॉस्क है ज़रूरी
भीड़भाड़ नहीं ,रखो दो गज की दूरी
तभी तो दनदनाता वो आया
कोई परमाणु बम छोड़े बिना
लाशों के ढेर लगाता चला गया
पूरा परिवार, पूरा गाँव ,पूरा शहर
पूरा देश ,पूरा का पूरा संसार!!!
मसानों में शमशानों में बदल गया
हर कोई डरा-डरा,हर कोईसहमा-सहमा
जीवित रहेंगे तभी तो घूमेंगे बाहर निकलेंगे
मॉल भी जायेंगे कुंभ भी नहायेंगे
कुछ लम्हों की मौज-मस्ती के लिये
खुद को स्वामिभक्त दिखाने के लिये
चल देते हैं आँखें बंद किये नेताओं के पीछे
जो किसी के सगे नहीं हैं
बस कुर्सी से चिपके पड़े हैं
घर ही सुरक्षित है,घर ही मंदिर है
घर का पानी ही गंगा सा पावन है
माथे का टीका नहीं कंधे के दो टीके
कोरोना की लड़ाई में जितायेंगे
अब भी ना समझे तो कब समझेंगे
स्वस्थ रहेंगे तभी तो गंगा में संध्या वेले
आरतियाँ गाते हुये ख़ुशहाली की शमा जलायेंगे
शमाखन्ना
5) कोरोना में होली
आ गया होली का त्योहार
दिला रहा है याद
पिछले सालों में खेली होली
बचपन में मायके में खेली
छतों ,गलियों में शोर मचाती
रंग बिरंगे मस्तों की टोली
रंग से बचने को छिपती
रसोई में केसरिया गुझिया बनाती
पकवानों की ख़ुशबू से रिझाती
मईया की प्यारी सा चालबाज़ी
पर पापा से खुद को ना बचा पाती
इस धीमी की याद से आँख भर जाती
शादी के बाद ससुराल की होली
दाऊजी क़स्बे मे गाँव मे खेली
देवर भाभी के बीच हुरंगा होली
रंगों के भरे तालाब में कपड़ा फाड़ती
मनचले देवरों को पीटती, भाभी के कहकहे
कहो कोई भला कैसे भूल सके?
कितने बरस बीत गये खेलते होली!!
हर साल ,इक नई कहानी ,नई याद !
पर नहीं भूलती ! पिछले साल की याद
कोरोना काल था
हर कोई सहमा -सहमा
वायरस के संक्रमण से डरा -डरा
ना कोई ख़ुशी ,ना इंतज़ार
आकर चला गये त्योहार
कोरोना वैक्सिन आ गई
घर -घर ख़ुशी छा गई
पर इस बार फिर से!!
खुद की लापरवाही से ,
हिदायतें भूल कर
बढ़ा लिया कोरोना का डर
मन उदास है ,फिर भी इक आस है
हो कोई ऐसा करिश्मा
चिड़िया बन जाये शमा
अपने पंखों मे छिपा इंद्रधनुषी रंग
पहुँच खेलूं ह��ली बच्चों और सखियों के संग
चिड़िया की उड़ान पर कोई रोक नहीं
बिना रोके टोके उड़ती फिरती कहीं भी
और अद्रश्य पोटली से केसरिया गुझिंया निकाल
कर दूँ अपने प्यारे बच्चों और सखियों को हैरान
जब तक वो समझे भर लूँ फिर से उड़ान
मुँडेर पर बैठ लगाऊँ बाँग ऊँची
हो शुभ सबको रंग बिरंगी होली
शमाखन्ना
6)गहरी बात लिख दी है किसी नें 👌👌👌😳😳😳😳😇😇
👉बेजुबान पत्थर पे लदे है करोडो के गहने मंदिरो में।
उसी दहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हे हाथो को देखा है।।
😘😘😘
👉सजे थे छप्पन भोग और मेवे मूरत के आगे।
बाहर एक फ़कीर को भूख से तड़प के मरते देखा है।।😘😘😘
👉लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार।
पर बाहर एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है।।😘😘😘
👉वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में हॉल के लिए।
घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई को बदलते देखा है।।😘😘😘
👉सुना है चढ़ा था सलीब पे कोई दुनिया का दर्द मिटाने को।
आज चर्च में बेटे की मार से बिलखते माँ बाप को देखा है।।😩😩😩😩
👉जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की दिन रात पुजारन।
आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत से लड़ते देखा है।।😘😘😩
👉जिसने न दी माँ बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी।
आज लगाते उसको भंडारे मरने के बाद देखा है।।😳😳😳
👉दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था जिस बेटी को जबरन बाप ने।
आज पीटते उसी शौहर के हाथो सरे राह देखा है।।
👉मारा गया वो पंडित बे मौत सड़क दुर्घटना में यारो।
जिसे खुद को काल, सर्प, तारे और हाथ की लकीरो का माहिर लिखते देखा है।।
👉जिसे घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों।
आज उसी आँगन में खिंचती दीवार को देखा है।।
👉बन्द कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर।
अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा।।
👉आत्म हत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर।
अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता।।
👉गिद्ध भी कहीं चले गए लगता है उन्होंने देख लिया कि।
इंसान हमसे अच्छा नोंचता है।।
👉कुत्ते कोमा में चले गए, ये देखकर।
क्या मस्त तलवे चाटते हुए इंसान देखा
7)मदर्स डे
दिन बीत गये कितने
कोरोना ने निगल लिये
कितनों के प्यारे अपने
खो जाने के डर से
बिछड़ने के ग़म में
कितना रोये
कितना घबराये
जानेवाले चले गये
बिना दवाई
बिना ऑक्सीजन
हस्पताल के बैड पर
हस्पताल के बाहर
सड़क पर वैन में
आटो रिक्शा में
अपने प्यारे की गोद में
फूँक दिये अपने प्यारे
कूड़े की तरह चिता में फेंककर
कोई विधिवत संस्कार नहीं
चौथा क्रिया में कोई संगी नहीं
ऐसा भी होगा कभी सोचा नहीं
कितनी माँये बिछड़ गई बच्चों से
कितने बच्चे बिछड़ गये माँओं से
कितनी माँये बिछड़ गई पतियों से
सब कुछ बिखरा बिखरा है
कुछ भी तो अच्छा नहीं है
कैसे कोई दर्दभरे दिनों को भुला पायेगा?
कैसे कोई कल मदर्स डे मना पायेगा?
किसी को रोता देख क्या कोई हँस पायेगा?
आओ इस बार बिछड़ी माँओं की याद में
ईश्वर से मन ही मन चुपके से
अपनी माँ की दीर्घायु की प्रार्थना करें
बता दें दोस्तों को हम सब साथ साथ हैं
शमा खन्ना
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pk25ng · 4 years
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देश मेरा यह सबसे न्यारा कितना सुंदर, कितना प्यारा| पर्वत ऊँचे ऊँचे इसके करते हैं रखवाली| लंबी लंबी नदियाँ इसकी फैलाएँ हरियाली| देश मेरा यह सबसे न्यारा कितना सुंदर, कितना प्यारा| झर-झर करते निर्मल झरने गीत ख़ुशी के गाएं| सर सर करती हवा चले तो पेड़ खड़े लहराए… देश मेरा यह सबसे न्यारा कितना सुंदर, कितना प्यारा| बारी-बारी रितुए आतीं अपनी छटा दिखलाती फल-फूलों से भरे बगीचे चिड़ियाँ मीठे गीत सुनाती, देश मेरा यह सबसे न्यारा कितना सुंदर, कितना प्यारा| कितना प्यारा देश हमारा सबको है यह भ���ता, इस धरती का बच्चा-बच्चा गुन इसके है गाता, देश मेरा यह सबसे न्यारा कितना सुंदर, कितना प्यारा| (at Dindori, Madhya Pradesh) https://www.instagram.com/p/CD4U0K2pRLI/?igshid=z7boarszibxh
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Christian Choir Song | "राज्य गान: राज्य जगत में अवतरित होता है" | विस्‍तारित प्रीव्‍यू
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जोशीला राज्य-गान गूँज चुका है, जो पूरी कायनात में लोगों के मध्य परमेश्वर के आगमन का ऐलान कर रहा है! परमेश्वर का राज्य आ चुका है! सभी लोग प्रसन्न हैं, हर चीज़ आनंदित है! पूरे स्वर्ग में हर चीज़ उमंग में है। उल्लास के ये कौन से मोहक दृश्य हैं?
इंसानों के मध्य, जो कष्ट में जीता है और जिसने हज़ारों साल तक शैतान की भ्रष्टता को झेला है, उसमें से परमेश्वर के आगमन की लालसा, परमेश्वर के आगमन की तड़प, किसके अंदर नहीं है? समस्त युगों में, शैतान के प्रभाव में, परमेश्वर के कितने विश्वासियों और अनुयायियों ने कष्ट, मुसीबतें, उत्पीड़न और अलगाव को सहा है? किसे आशा नहीं है कि परमेश्वर के राज्य का आगमन शीघ्र होगा? मानवता के सुख-दुख का स्वाद लेकर, इंसानों में ऐसा कौन है जो नहीं चाहता कि इंसानों के बीच सत्य और धार्मिकता की सत्ता कायम हो?
जब परमेश्वर का राज्य आएगा, तो अंतत: सभी राष्ट्रों और लोगों द्वारा चिर-प्रतीक्षित दिवस का आगमन होगा! ऐसे समय में, धरती और स्वर्ग में सभी चीज़ों के मध्य कैसा दृश्य होगा? राज्य में जीवन कितना सुंदर होगा? "राज्य गान: राज्य जगत में अवतरित होता है," के साथ सहस्राब्दी की प्रार्थना साकार होगी!
ईसाई गीत—चुने हुए भजनों को सूची—यह वास्तव में हृदय से गाया गया गीत है।
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अध्याय 14
मनुष्य ने परमेश्वर के वचन से कभी भी कुछ नहीं सीखा है। इसके बजाय, मनुष्य परमेश्वर के वचन की केवल सतह को ही सँजोए रखता है, किन्तु इसके सही अर्थ को नहीं जानता है। इसलिए, यद्यपि अधिकांश लोग परमेश्वर के वचन से प्रेम करते हैं, फिर भी परमेश्वर कहता है कि वे वास्तव में इसे सँजोए नहीं रखते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि परमेश्वर के दृष्टिकोण में, भले ही उसका वचन एक मूल्यवान वस्तु है, फिर भी लोगों ने इसकी सच्ची मिठास को नहीं चखा है। इसलिए, वे केवल "बेर के फलों के विचारों से अपनी प्यास बुझा सकते हैं,"[क] और इस तरह अपने लालची हृदय को शांत कर सकते हैं। परमेश्वर का आत्मा न केवल सभी लोगों के बीच कार्य में लगा है, बल्कि इसमें परमेश्वर के वचन की प्रबुद्धता भी है। बात सिर्फ इतनी है कि लोग इतने लापरवाह हैं कि वास्तव में इसके सार की सराहना करने में अक्षम हैं। मनुष्य के मन में, यह राज्य का युग है जो अब पूरी तरह से महसूस किया जा रहा है, किन्तु वास्तविकता में ऐसा नहीं है। यद्यपि परमेश्वर उसी की भविष्यवाणी करता है जो उसने पूरा किया है, वास्तविक राज्य अभी तक पूरी तरह से पृथ्वी पर नहीं आया है। बजाय, मानवजाति में परिवर्तन के साथ, कार्य में प्रगति के साथ, पूर्व से आती हुई चमकती बिजली के साथ, अर्थात्, परमेश्वर के वचन के गहरे होते जाने के साथ, राज्य धीरे धीरे पृथ्वी पर आएगा, धीरे-धीरे किन्तु पूरी तरह से पृथ्वी पर आ जाएगा। राज्य के आने की प्रक्रिया पृथ्वी पर दिव्य कार्य की प्रक्रिया भी है। इसी के साथ-साथ, परमेश्वर ने पूरी पृथ्वी के पुनर्गठन के लिए पूरे ब्रह्माण्ड में उस कार्य को आरंभ कर दिया है जो कि इतिहास के किसी भी युग में नहीं किया गया है। उदाहरण के लिए, इजरायल राज्य में परिवर्तन, संयुक्त राज्य अमेरिका में राज्यविप्लव, मिस्र में परिवर्तन, सोवियत संघ में परिवर्तन, और चीन में तख्तापलट सहित, संपूर्ण ब्रह्मांड में भारी परिवर्तन हैं। जब पूरा ब्रह्मांड शांत हो जाता है और सामान्य रूप से बहाल हो जाता है, तभी पृथ्वी पर परमेश्वर का कार्य पूरा होगा; तभी राज्य पृथ्वी पर आएगा। यही "जब विश्व के सभी राष्ट्र तितर-बितर हो जाते हैं, यह ठीक तब होगा जब मेरा राज्य स्थापित होकर आकार ले लेगा और साथ ही जब मैं भी रूपान्तरित होकर समस्त विश्व की ओर मुड़ूँगा।" इन वचनों का सही अर्थ है। परमेश्वर मानवजाति से कुछ भी नहीं छुपाता है, उसने लगातार अपनी समृद्धि के बारे में लोगों को बताया है, किन्तु वे उसका अर्थ नहीं समझ सकते हैं, वे केवल मूर्ख की तरह उसके वचन को स्वीकार करते हैं। कार्य के इस चरण पर, मनुष्य ने परमेश्वर की अगाधता को सीखा है और इसके अलावा वह महसूस कर सकता है कि उसे समझने का कार्य कितना विशाल है; इस कारण से उन्होंने महसूस किया है कि परमेश्वर पर विश्वास करना सबसे कठिन कार्य है। वे पूरी तरह से असहाय हैं—यह एक सुअर को गाना सिखाने जैसा है, या चूहेदानी में फँसे किसी चूहे की तरह है। निस्संदेह, इस बात की परवाह किए बिना कि किसी व्यक्ति के पास कितनी सामर्थ्य है या किसी व्यक्ति का कौशल कितना निपुण है, या चाहे किसी व्यक्ति के अंदर असीम क्षमताएँ हैं, जब परमेश्वर के वचन की बात आती है, तो ये बातें कोई मायने नहीं रखती हैं। यह ऐसा है मानो कि परमेश्वर की नज़रों में मानवजाति, किसी भी मूल्य से पूरी तरह से रहित, जले हुए कागज़ की राख का ढेर है, उपयोग की तो बात ही छोड़ो। यही "मनुष्य की भ्रष्टता के साथ मैं मनुष्यों से और भी अधिक छिप गया हूँ उनके लिए अधिक से अधिक अथाह बन गया हूँ" वचनों के सही अर्थ का परिपूर्ण उदाहरण है। इससे यह देखा जा सकता है कि परमेश्वर का कार्य प्राकृतिक अनुक्रम का अनुसरण करता है और मानव के बोधात्मक अंग क्या समझ सकते हैं इसके आधार पर किया जाता है। जब मानवजाति का स्वभाव दृढ़ और अविचलित होता है, तो परमेश्वर जिन वचनों को बोलता है वे पूरी तरह से उनकी धारणाओं के अनुरूप होते हैं और ऐसा प्रतीत होता है मानो कि परमेश्वर और मानवजाति की धारणाएँ, बिना किसी अंतर के, बिल्कुल एक जैसी हैं। यह लोगों को परमेश्वर की वास्तविकता के बारे में कुछ-कुछ अवगत कराता है, किन्तु यह परमेश्वर का प्राथमिक उद्देश्य नहीं है। परमेश्वर धरती पर अपना सच्चा कार्य शुरू करने से पहले लोगों को औपचारिक रूप से बसने की अनुमति देता है। इसलिए, इस शुरुआत के दौरान जो कि मानवजाति के लिए भ्रामक है, मानवजाति को महसूस होता है कि उसके पूर्व के विचार गलत थे और परमेश्वर और मनुष्य स्वर्ग और पृथ्वी के समान भिन्न हैं और बिल्कुल भी समान नहीं हैं। क्योंकि मनुष्य की धारणाओं के आधार पर परमेश्वर के वचनों का अब और मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है, इसलिए मनुष्य तुरंत एक नई रोशनी में परमेश्वर को देखना शुरू कर देता है, और उसके बाद वे विस्मय से परमेश्वर को टकटकी लगा कर देखते हैं, मानो कि व्यावहारिक परमेश्वर उतना ही अगम्य है ��ितना कि अदृश्य और अस्पृश्य परमेश्वर है, मानो कि परमेश्वर का देह केवल बाह्य रूप से और उसके सार के बिना है। लोगों को लगता है कि[ख] यद्यपि वह पवित्रात्मा का देहधारण है, फिर भी वह पवित्रात्मा के रूप में परिवर्तित हो सकता है और किसी भी समय बह कर दूर जा सकता है। इसलिए, लोगों ने कुछ-कुछ संरक्षित मानसिकता विकसित कर ली है। परमेश्वर के उल्लेख पर, लोग उसे अपनी धारणाओं के वस्त्र पहनाते हैं, यह कहते हैं कि वह बादलों और कोहरे पर सवारी कर सकता है, पानी पर चल सकता है, मनुष्य के बीच अचानक प्रकट हो सकता है और गायब हो सकता है, और कुछ अन्य लोगों के पास और भी अधिक वर्णनात्मक स्पष्टीकरण भी हैं। मानवजाति की अज्ञानता और अंतर्दृष्टि के अभाव की वजह से, परमेश्वर ने कहा "जब वे मानते हैं कि उन्होंने मेरा विरोध किया है या मेरी प्रशासनिक राजाज्ञा का अपमान किया है, तो मैं तब भी अपनी आँख मूँद लेता हूँ।"
जब परमेश्वर मानवजाति के कुरूप पक्ष और उसकी आंतरिक दुनिया को प्रकट करता है, तो वह, जरा से भी विचलन के बिना, सचमुच में पूर्णतः सही होता है। यहाँ तक कि यह भी कहा जा सकता है कि इसमें कुछ भी त्रुटि नहीं होती है। यह वो सबूत है जो पूरी तरह से लोगों को मनाता है। परमेश्वर के कार्य के सिद्धांत की वजह से, उसके कई वचन और कर्म ऐसी छाप छोड़ते हैं जिसे मिटाना असंभव है, और लोगों को उसके बारे में गहरी समझ होती हुई प्रतीत होती है, मानो कि वे उन चीज़ों को खोज लेते हैं जो उसमें अधिक मूल्यवान है। "उनकी स्मृति में, मैं ऐसा परमेश्वर हूँ जो मनुष्यों को ताड़ित करने की अपेक्षा उन पर दया दिखाता है, या मैं परमेश्वर स्वयं हूँ जिसके कहने का आशय वह नहीं होता जो वो कहता है। ये सब मनुष्यों के विचारों में जन्मी कल्पनाएँ हैं और ये तथ्यों के अनुसार नहीं है।" यद्यपि मानवजाति ने परमेश्वर के वास्तविक चेहरे को कभी महत्व नहीं दिया है, फिर भी वे "उसके स्वभाव के पार्श्व पक्ष" को बहुत अच्छी प्रकार से जानते हैं; वे हमेशा परमेश्वर के वचनों और कार्यों में दोष निकालते रहते हैं। इसका कारण यह है कि मानवजाति, परमेश्वर के कर्मों को केवल निम्नतर समझते हुए, हमेशा नकारात्मक चीजों पर ध्यान देने और सकारात्मक चीजों की उपेक्षा करने के लिए तैयार रहती है। परमेश्वर जितना अधिक कहता है कि वह विनम्रतापूर्वक अपने निवास स्थान में खुद को छुपाता है, उतना ही अधिक मानवजाति उससे अपेक्षा करती है। वे कहते हैं: "यदि देहधारी परमेश्वर मनुष्य के हर कर्म को देख रहा है और मानव जीवन का अनुभव ले रहा है, तो ऐसा क्यों है कि अधिकांश समय परमेश्वर हमारी वास्तविक स्थिति के बारे में नहीं जानता है। क्या इसका यह अर्थ है कि परमेश्वर सचमुच छुपा हुआ है?" यद्यपि परमेश्वर मानव हृदय में गहराई से देखता है, तब भी वह, अस्पष्ट और अलौकिक ना होते हुए, मानवजाति की वास्तविक स्थिति के अनुसार कार्य करता है। मानवजाति के भीतर के पुराने स्वभाव से पूरी तरह से छुटकारा पाने के लिए, परमेश्वर ने विभिन्न परिप्रेक्ष्यों से बोलने का कोई प्रयास नहीं छोड़ा है: उनकी वास्तविक प्रकृति को अनावृत करना, उनकी अवज्ञा पर न्याय घोषित करना; एक पल कहना कि वह सभी लोगों के साथ निपटेगा, और अगले पल कहना कि वह लोगों के एक समूह को बचाएगा; या तो मानवजाति पर अपेक्षाएँ रखना है या उन्हें चेतावनी देना; बारी-बारी से उनके भीतरी भाग का विश्लेषण करना, बारी-बारी से उपाय प्रदान करना। इस प्रकार, परमेश्वर के वचन के मार्गदर्शन के अधीन, ऐसा लगता है मानो कि मानवजाति ने पृथ्वी के हर कोने में यात्रा की हो और एक भरे-पूरे उद्यान में प्रवेश किया हो जहाँ प्रत्येक फूल सबसे सुंदर होने के लिए स्पर्धा करता हो। परमेश्वर जो कुछ भी कहेगा मानवजाति उसके वचन में प्रवेश करेगी, ठीक वैसे जैसे कि परमेश्वर कोई चुंबक हो और लोहे वाली कोई चीज़ उसकी ओर आकर्षित हो जाएगी। जब वे "मानवजाति मुझ पर कोई ध्यान नहीं देती है, इसलिए मैं भी उन्हें गंभीरता से नहीं लेता हूँ। मनुष्य मुझ पर कोई ध्यान नहीं देता है, इसलिए मुझे भी उन पर प्रयास लगाने की आवश्यकता नहीं है। क्या दोनों संसारों का यही सर्वोत्तम नहीं है?" इन वचनों को देखते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है कि परमेश्वर के सभी लोगों को, पूरी तरह से ���यभीत करते हुए, फिर से अथाह गड्ढे में धक्का दे दिया गया हो या फिर से उनके मर्म स्थल पर चोट की हो, और इस तरह वे फिर से मेरे कार्य करने की पद्धति में फिर से प्रवेश करते हैं।[ग] वे विशेष रूप से "यदि, राज्य में मेरे लोगों में से एक के रूप में, तुम लोग अपने कर्तव्य का पालन करने में असमर्थ हो, तो तुम लोग मेरे द्वारा तिरस्कृत और अस्वीकृत कर दिए जाओगे!" वचन के संबंध में भ्रमित होते हैं। अधिकांश लोगों के हृदयविदारक आँसू आ जाते हैं: "अथाह गड्ढे में से चढ़ कर बाहर निकलना मेरे लिए बहुत मुश्किल था, इसलिए यदि मैं इसमें फिर से गिर जाऊँ तो मुझे बिल्कुल भी आशा नहीं होगी। मुझे, अपने जीवन में हर तरह की कठिनाइयों और परेशानियों से गुज़र कर, मानव जीवन में कुछ भी नहीं मिला है। विशेष रूप से, आस्था में आने के बाद, मैं अपने प्रियजनों से परित्याग, परिवारों से उत्पीड़न, संसारिक लोगों से लांछन से गुजरा, और मैंने दुनिया की खुशी का आनंद नहीं उठाया। यदि मैं फिर से अथाह गड्ढे में गिरता हूँ, तो क्या मेरी ज़िन्दगी और भी अधिक व्यर्थ नहीं हो जाएगी?" (मनुष्य जितना अधिक इस बारे में सोचता है वह उतना ही अधिक दुःखी होता है।) "मेरी सभी उम्मीदें परमेश्वर के हाथों में सौंप दी गई हैं। यदि परमेश्वर मेरा परित्याग करता है, तो इससे अच्छा कि मैं अभी मर जाऊँ ...। ठीक है, सभी कुछ परमेश्वर ने पूर्वनियत किया है, अब मैं केवल परमेश्वर से प्यार करने की कोशिश कर सकता हूँ, अन्य सब कुछ गौण है। मेरा ऐसा भाग्य किसने बनाया?" मनुष्य जितना अधिक सोचते हैं, वे परमेश्वर के मानकों और उसके वचनों के उद्देश्य के उतना ही अधिक करीब होते हैं। इस तरह से उसके वचनों का उद्देश्य प्राप्त होता है। जब मनुष्य परमेश्वर के वचनों को देखते हैं उसके बाद, उन सभी के भीतर एक वैचारिक संघर्ष होता है। उनका एकमात्र विकल्प भाग्य के आदेशों के प्रति समर्पण करना है, और इस तरह से परमेश्वर का उद्देश्य प्राप्त होता है। परमेश्वर के वचन जितना अधिक कठोर होते हैं, परिणामस्वरूप उतनी ही अधिक जटिल मानवजाति की आंतरिक दुनिया बन जाती है। यह किसी घाव को स्पर्श करने जैसा है; जितना कस कर इसे स्पर्श किया जाता है उतना ही अधिक दर्द पहुँचाता है, इस हद तक कि वे जीवन और मृत्यु के बीच मँडराते हैं और यहाँ तक ​​कि जीवित बचे रहने का विश्वास भी खो देते हैं। इस तरह, जब मानवजाति सबसे अधिक पीड़ित होती है और निराशा की गहराईयों में होती है केवल तभी वे अपने सच्चे हृदय परमेश्वर को सौंप सकते हैं। मानवजाति की प्रकृति है ऐसी है कि यदि यदि लेशमात्र भी आशा बची रहती है तो वे सहायता के लिए परमेश्वर के पास नहीं जाएँगे, बल्कि प्राकृतिक उत्तरजीविता के आत्मनिर्भर तरीके अपनाएँगे। इसका कारण यह है कि मानवजाति की प्रकृति दंभी है, और वे हर किसी को तुच्छ समझते हैं। इसलिए, परमेश्वर ने कहा: "एक भी मनुष्य सुख में होने के समय मुझसे प्रेम करने में समर्थ नहीं है। एक भी व्यक्ति अपने शांति और आनंद के समय में नहीं पहुँचा है ताकि मैं उनकी खुशी में सहभागी हो सकूँ।" यह निस्संदेह निराशाजनक है: परमेश्वर ने मानवजाति बनाई, किन्तु जब वह मानव दुनिया में आता है, तो वे उसका विरोध करने की कोशिश करते हैं, उसे अपने इलाके से निकाल देते हैं, मानो कि वह कोई भटकता हुआ अनाथ हो, या दुनिया में एक राज्यविहीन व्यक्ति हो। कोई भी परमेश्वर से अनुरक्त महसूस नहीं करता है, कोई भी वास्तव में उसे प्यार नहीं करता है, किसी ने भी उसके आने का स्वागत नहीं किया है। इसके बजाय, जब वे परमेश्वर के आगमन को देखते हैं, तो उनके हर्षित चेहरे पलक झपकते ही उदास हो जाते हैं, मानो कि अचानक कोई तूफान आ रहा हो, मानो कि परमेश्वर उनके परिवार की खुशियों को छीन लेगा, मानो कि परमेश्वर ने मानवजाति को कभी भी आशीष नहीं दिया हो, बल्कि इसके बजाय मानवजाति को केवल दुर्भाग्य ही दिया हो। इसलिए, मानवजाति के मन में, परमेश्वर उनके लिए कोई वरदान नहीं है, बल्कि कोई ऐसा है जो हमेशा उन्हें शाप देता है; इसलिए, मानवजाति उस पर ध्यान नहीं देती है, वे उसका स्वागत नहीं करते हैं, वे उसके प्रति हमेशा उदासीन रहते हैं, और यह कभी भी नहीं बदला है। क्योंकि मानवजाति के हृदय में ये बातें हैं, इसलिए परमेश्वर कहता है कि मानवजाति अतर्कसंगत और अनैतिक है, और यहाँ तक ​​कि उन भावनाओं को भी उनमें महसूस नहीं किया जा सकता है जिनसे मनुष्यों को सुसज्जित होना माना जा सकता है। मानवजाति परमेश्वर की भावनाओं के लिए कोई मान नहीं दिखाती है, किन्तु परमेश्वर से निपटने के लिए तथाकथित "धार्मिकता" का उपयोग करती है। मानवजाति कई वर्षों से इसी तरह की है और इस कारण से परमेश्वर ने कहा है कि उनका स्वभाव नहीं बदला है। यह दिखाता है कि उनके पास कुछ पंखों से अधिक सार नहीं है। ऐसा कहा जा सकता है कि मनुष्य मूल्यहीन अभागे हैं क्योंकि वे स्वयं को नहीं सँजोए रखते हैं। यदि वे स्वयं से भी प्यार नहीं करते हैं, किन्तु स्वयं को ही रौंदते हैं, तो क्या यह इस बात को नहीं दर्शाता है कि वे मूल्यहीन हैं? मानवजाति एक अनैतिक स्त्री की तरह है जो स्वयं के साथ खेल खेलती है और जो दूषित किए जाने के लिए स्वेच्छा से स्वयं को दूसरों को देती है। किन्तु फिर भी, वे अब भी नहीं जानते हैं कि वे कितने अधम हैं। उन्हें दूसरों के लिए कार्य करने, या दूसरों के साथ बातचीत करने, स्वयं को दूसरों के नियंत्रण के अधीन करने में खुशी मिलती है; क्या यह वास्तव में मानवजाति की गंदगी नहीं है? यद्यपि मैं मानवजाति के बीच किसी जीवन से नहीं गुज़रा हूँ, मुझे वास्तव में मानव जीवन का अनुभव नहीं रहा है, फिर भी मुझे मनुष्य की हर हरकत, उसके हर क्रिया-कलाप, हर वचन और हर कर्म हर की बहुत स्पष्ट समझ है। मैं मानवजाति को उसकी गहरी शर्मिंदगी तक उजागर करने में भी सक्षम हूँ, इस हद तक कि वे अपनी चालाकियाँ दिखाने का और अपनी वासना को मार्ग देने का अब और साहस नहीं करते हैं। घोंघे की तरह, जो अपने खोल में शरण ले लेता है, वे अपनी स्वयं की बदसूरत स्थिति को उजागर करने का अब और साहस नहीं करते हैं। क्योंकि मानवजाति स्वयं को नहीं जानती है, इसलिए उनका सबसे बड़ा दोष अपने आकर्षण का दूसरों के सामने स्वेच्छा से जुलूस निकालना है, अपने कुरूप चेहरे का जूलूस निकालना है; यह कुछ ऐसा है जिससे परमेश्वर सबसे ज्यादा घृणा करता है। क्योंकि लोगों के बीच संबंध असामान्य हैं, और लोगों के बीच कोई सामान्य अंतर्वैयक्तिक संबंध नहीं हैं, इसलिए परमेश्वर के साथ उनका सामान्य[घ] संबंध तो बिल्कुल भी नहीं है। परमेश्वर ने बहुत अधिक कहा है, और ऐसा करने में उसका मुख्य उद्देश्य मानवजाति के हृदय में एक स्थान को अधिकार में लेना है, लोगों को उनके हृदय की सभी मूर्तियों से छुटकारा दिलवाना है, ताकि परमेश्वर समस्त मानवजाति पर सामर्थ्य का उपयोग कर सके और पृथ्वी पर होने का अपना उद्देश्य प्राप्त कर सके।
                                                स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
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theindiapost · 5 years
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हिंदू कोई धर्म नहीं है यह प्राचीन भारत में रहने वाले लोगों की जीवनशैली है : श्वेता चक्रवर्ती
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प्रश्न- धर्म से क्या समझते है? और सभी धर्मों का समन्वय क्या हो सकता है? इस विषय पर मुझे कुछ बोलना है दीदी इस विषय के बारे में कुछ मार्ग दर्शन कीजिये उत्तर- वेद ही वैदिक सनातन धर्म की नींव है, जिसे ऋषियों ने तपकरके पाया। धर्म का अर्थ होता है, धारण, अर्थात जिसे धारण किया जा सके, धर्म ,कर्म प्रधान है। जब मानव सभ्यता ने जन्म लिया तो ऋषि संसद ने ईश्वरीय आदेश से अध्यात्म एवं विज्ञान के आधार पर वैदिक सनातन धर्म जो कि मानवीय जीवन और समाज का आध्यात्मिक संविधान था की स्थापना की, इसमें मनुष्य कद कर्तव्य औऱ अधिकारों की विवेचना की गई। मनुष्य की जीवन शैली, समाज की संरचना पर विचार किया गया। मनुष्य के कल्याण हेतु स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, अध्यात्म इत्यादि विषयों की पूर्ण विवेचना किया गया। जिसका लक्ष्य था प्राणी मात्र का कल्याण। ऐसी विधिव्यस्था बनाई जिसके पालन से प्रकृति में सन्तुलन और मनुष्यों में देवत्व रहे। यह धरती स्वर्ग के समान सुंदर हो और मनुष्य सुखपूर्वक रहे। वैदिक सनातन धर्म 90 हज़ार वर्षों से भी अधिक वर्षों से पुराना है। हिंदू कोई धर्म नहीं है यह प्राचीन भारत में रहने वाले लोगों की जीवनशैली है। इसी तरह मुस्लिम, ईसाई, जैन या बौद्ध आदि धर्म नहीं है यह सम्प्रदाय या समुदाय मात्र हैं। “सम्प्रदाय” एक परम्परा के मानने वालों का समूह है। इन सभी सम्प्रदाय के स्थापकों ने अपने ज्ञान और प्रभाव से कुछ नियम, विधिव्यस्था और परंपराएं बनाई। जिसका नामकरण किया औऱ उन सभी नियम, विधिव्यस्था, परम्पराओं को अपने अपने ग्रन्थों में लिखा। जंगल औऱ अच्छी जलवायु में रहने के कारण और वैदिक सनातन धर्म को अपनाने के कारण हिंदुओ ने चिताअग्नि के माध्यम से अंतिम संस्कार को वरीयता दी। रेगिस्तान में पनपे साम्प्रदायों ने लकड़ी की कमी होने के कारण रेगिस्तान व बंजर ज़मीन में दफन करने को वरीयता दी। जो सम्प्रदाय बर्फ़ीले जगहों में थे जहाँ भोजन पकाने के लिए लकड़ी भी बड़ी मुश्किल से मिलता था उन्होंने भी अंतिम सँस्कार के लिए दफ़नाने का उपक्रम अपनाया। जहाँ जल पर्याप्त मात्रा में था वहां पूजन पूर्व स्नान द्वारा पवित्र होना अनिवार्य हुआ और जहां जल की कमी थी वहाँ मात्र हाथ पै�� धोने(वजू) को पवित्र होन��� की विधि मान ली गयी। जहां ठण्ड बर्फ अधिक थी वहाँ चेयर कुर्सी में प्रार्थना हुई और कसे हुए वस्त्र और गलाबन्द(टाई) उपयोग हुआ। जहाँ खुशनुमा मौसम था वहां हल्के सूती वस्त्र परिधान बने। जहाँ तपती चमड़ी जला देने वाली धूप थी उन्होंने सर से लेकर पांव तक लबादा (बुर्का/सर ढँकने) का वस्त्र ईजाद किया। सबने अपनी सुविधानुसार बोली और लिपि बनाई। आइये जानते हैं , सम्प्रदाय जिसे लोग भ्रमवश धर्म समझते हैं। कौन सा कितना पुराना है? कुछ वर्षों पहले जिन सम्प्रदाय ने जन्म लिया हो वो वैदिक सनातन धर्म के समकक्ष कैसे हो सकेंगे? 1- हिन्दू धर्म : स्वायंभुव मनु हुए 9057 ईसा पूर्व, वैवस्वत मनु हुए 6673 ईसा पूर्व, श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व और श्रीकृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व हुआ। इस मान से 12 से 15 हजार वर्ष प्राचीन वर्तमान शोधानुसार ज्ञात रूप से लगभग 24 हजार वर्ष पुराना धर्म। हालांकि पौराणिक मान्यताओं अनुसार 90 हजार वर्ष प्राचीन है। जैन धर्म : जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ स्वायंभुव मनु (9057 ईसा पूर्व) से पांचवीं पीढ़ी में इस क्रम में हुए- स्वायंभुव मनु, प्रियव्रत, अग्नीघ्र, नाभि और फिर ऋषभ। 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने इस धर्म को एक नई व्यवस्‍था दी।यहूदी धर्म : आज से लगभग 4 हजार साल पुराना यहूदी धर्म वर्तमान में इसराइल का राजधर्म है। हजरत आदम की परंपरा में आगे चलकर हजरत इब्राहिम हुए और फिर हजरत मूसा। ईसा से लगभग 1500 वर्ष पूर्व हुए ह. मूसा ने यहूदी धर्म की स्थापना की थी।पारसी धर्म : पौराणिक इतिहास अनुसार ईसा से लगभग 1200 से 1500 वर्ष पूर्व ईरान में महात्मा जरथुस्त्र हुए थे। उन्होंने ही पारसी धर्म की स्थापना की थी। यह धर्म कभी ईरान का राजधर्म हुआ करता था। हालांकि इतिहासकारों का मत है कि जरथुस्त्र 1700-1500 ईपू के बीच हुए थे। 5.. बौद्ध धर्म : ईसाई और इस्लाम धर्म से पूर्व बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई थी। गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से 563 साल पहले जब कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी अपने नैहर देवदह जा रही थीं, तो रास्ते में लुम्बिनी वन में हुआ। ईसाई धर्म : हजरत इब्राहिम की परंपरा में ही आगे चलकर 5वीं ईसा पूर्व ईसा मसीह हुए। उनका जन्म फिलिस्तीन के बेथलेहम में नाजारेथ के एक यहूदी बढ़ई के यहां हुआ था। ईसा मसीह के 12 शिष्यों ने ईसाई धर्म की नींव रखी थी।इस्लाम धर्म : हज. मुहम्मद अलै. का जन्म सन् 571 ईस्वी. में मक्का में पीर के दिन हुआ था। आपने इस्ला‍म धर्म की स्थापना की। आगे चलकर खलिफाओं ने इस धर्म को फैलाया।सिख धर्म : सिख धर्म के दस गुरुओं की कड़ी में प्रथम हैं गुरु नानक जिनका जन्म 1469 को तलवंडी, पंजाब में हुआ था। अब यह हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है। सिख धर्म में कुल 10 गुरु हुए हैं। अंतिम गुरु गोविंदसिंह जी थे। दुनिया में शिंतो, ताओ, जेन, यजीदी, पेगन, वूडू, बहाई धर्म, अहमदिया, कन्फ्यूशियस, काओ दाई आदि अनेक धर्म हैं लेकिन ये सभी उपरोक्त धर्मों से निकले ही धर्म हैं। ईश्वर एक है, और धर्म भी एक ही है। धर्म इंसान को अच्छाई के मार्ग पर लेकर जाता है। ये विभिन्न संप्रदाय के लोग धर्म के नाम पर वही लड़ते हैं, जो धर्म का मर्म नहीं समझते। अरे अच्छे मौसम और पर्याप्त जल की व्यवस्था होने पर बुर्के से समस्त शरीर ढँकने की क्या आवश्यकता? गर्मी में कोट टाई की क्या आवश्यकता? अत्यधिक ढंड में धोती कुर्ता व साड़ी कैसे चलेगा? अक्ल का प्रयोग करके गहन चिंतन करेंगे तो समन्वय हो जायेगा। वैज्ञानिक अध्यात्मवाद को अपनाएं औऱ अपने मूल वैदिक सनातन धर्म का गहन अध्ययन करें तो समन्वय हो जाएगा। सभी धर्म के लोग सभी धर्मों की पुस्तकों का अध्ययन कर लें, उनकी वैज्ञानिकता जांच लें। विचार मंथन करके एक मंच पर एकजुट हो जाये। समन्वय हो जाएगा। प्राचीन समय मे सब शास्त्रार्थ करते थे। जो हारता था वो जीतने वाले की विचारधारा अपना लेता था। धर्म के नाम पर ज्ञान से शास्त्र से वाक युद्ध-शास्त्रार्थ होता था। क्योंकि अब ज्ञान तो लोगों को है, वो सभी साहित्य पढ़���े नहीं। इसलिए आतंकवाद और शस्त्र का सहारा लेते है और जबरन धर्म परिवर्तन बन्दूक की नोक पर करवाते हैं। सूर्य, चन्द्रमा, तारे, जल, पृथ्वी, आकाश इत्यादि एक ही है। नाम बदलने से या किसी भाषा केबोलने पर यह नहीं बदलते। फिंर इंनको बनाने वाले उस परमेश्वर को विभिन्न नाम रखने से वो कैसे बदलेगा। वो भी तो एक ही है। भेदबुद्धि रखने वाले अज्ञानी है।जो ज्ञानी है वो जानता है, ईश्वर एक है और मानव धर्म एक ही है। Read the full article
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portfoliosmedia · 4 years
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छवियों के साथ एक हजार से अधिक  अद्वितीय  जन्मदिन इच्छाओं के हमारे अद्भुत संग्रह का अन्वेषण करें  ! प्रत्येक जन्मदिन एक ऐसा अनूठा मील का पत्थर होता है, जो एक महान उत्सव का हकदार होता है। चाहे कोई कितना भी आए, आपको हमेशा खुशी और निडरता से सामना करना चाहिए। हालांकि, कभी-कभी सही शब्दों को ढूंढना मुश्किल हो सकता है। जन्मदिन की शुभकामना में आपके संदेश की सामग्री, भावना, संरचना और शब्द सबसे महत्वपूर्ण तत्व हैं। जब जन्मदिन की बधाई की बात आती है, तो यह आकर्षक या प्यारा नहीं है। आप एक सच्ची भावना व्यक्त करना चाहते हैं जो किसी तरह से व्यक्ति का सम्मान करती है। जन्मदिन की बधाई औपचारिक और विनोदी या खुशी के साथ मनाई जा सकती है, जो कि उत्सव के संदेश और संदेश के साथ आपके रिश्ते पर निर्भर करता है। यदि आप अपने जीवन में विशेष लोगों के लिए अद्वितीय जन्मदिन की शुभकामनाएं बनाने के लिए प्रेरणा की तलाश कर रहे हैं, तो आप सही जगह पर आए हैं। सौभाग्य से, अद्वितीय जन्मदिन की शुभकामनाएं आप अभी उपयोग कर सकते हैं इस जीवन में, बहुत सारे रोमांच हैं और उन्हें आनंद लेने के लिए बहुत कम समय है। आपके लिए नहीं। तुमने हमेशा छलांग लगाई है; इतनी आग और रेत के साथ पहले सिर। मेरे साथ जीवन एक अंतहीन रोमांच है। एक चैंपियन को जन्मदिन की शुभकामनाएं। खुशी और खुशी के इस दिन, मैं आपको सफलता से भरे जीवन की कामना करना चाहता हूं, क्योंकि एक व्यक्ति जितना अविश्वसनीय होगा, आप उतने ही योग्य होंगे कि आपके सभी सपने सच होंगे। जन्मदिन की शुभकामनाएं! मैं आपके साथ हर जन्मदिन बिताने की उम्मीद करता हूं क्योंकि आप खुशी का एक बंडल हैं। हर दिन, आप मुझे हर बादल के माध्यम से सूरज को चमकदार बनाने की अपनी क्षमता के साथ विस्मित करते हैं। आप एक महान उत्सव के लायक हैं, और मैं यह कर रहा हूं। यह केवल आपके विशेष दिन के लिए नहीं, उत्सव का दिन है। यह वह दिन भी है जब हम अपने जीवन में आपको धन्यवाद देते हैं। तुम एक आशीर्वाद हो। एक उत्सव कुछ प्रतिबिंब और आत्मनिरीक्षण के बिना पूरा नहीं होता है। अपने पीछे देखने के लिए समय निकालें; आपके भविष्य के लिए सुराग मौजूद हैं। केवल आप ही निर्धारित कर सकते हैं कि आप कितने साल के हैं। इसलिए आगे बढ़ें, यदि आवश्यक हो तो लाल रंग की पोशाक के साथ उस बैंगनी टोपी को पहनें। एक पहाड़ पर चढ़ने और एक चट्टान नीचे स्लाइड अगर आप साहसिक कार्य के लिए देख रहे हैं। यह आपका जीवन है, आपका अपना है। आप जहां भी जाते हैं, मुस्कुराहट के साथ जगह भरते हैं। इसलिए आपके जन्मदिन के लिए, मैं चाहता हूं कि जीवन आपको हमेशा मुस्कुराने का कारण दे, जब तक आप रहते हैं। जन्मदिन मुबारक हो स्वीटी! जन्मदिन का मतलब एक नई शुरुआत है; एक और साल के आशीर्वाद पर आभार के साथ वापस देखने का समय। यह अधिक महत्वपूर्ण लाभों के लिए नए सिरे से आशा के साथ देखने का समय भी है। अपने अगले मील के पत्थर का सामना करने पर आपको सच्ची खुशी मिल सकती है। आज के दिन, जिस दिन आपका जन्मदिन मनाने का एकमात्र उद्देश्य है, मैं चाहूंगा कि जो भी आपने कभी सपना देखा था वह सच हो। अपने सपनों को अपने जन्मदिन के केक मोमबत्तियों में आग की तुलना में तेज चमकने दें! जन्मदिन की शुभकामनाएं! जन्मदिन इस तथ्य को मनाने के बारे में है कि हम जीवित हैं। और ऐसे शानदार व्यक्ति होने के नाते, बाकी दुनिया को इस तथ्य का जश्न मनाना चाहिए कि आप भी सक्रिय हैं! जैसे ही आपके जीवन में एक नया अध्याय शुरू होता है, मैं चाहता हूं कि आप चाहते हैं कि मैं आपके लिए वह सारा प्यार और खुशी लाऊं जिसकी आपने कभी आशा की थी। जन्मदिन की शुभकामनाएं! यह आपका जन्मदिन है, और आप अभी भी उतने ही सुंदर, वास्तविक और दयालु हैं, जितने दिन मैं आपसे मिली थी। मैं आपको कृतज्ञता के साथ जन्मदिन की शुभकामनाएं देता हूं। कुछ नया सीखने के लिए आप कभी बूढ़े नहीं होते हैं। आप कुछ अलग करने की कोशिश करने के लिए बहुत अजीब नहीं हैं। अपने जीवन के एक और अध्याय में आपका स्वागत है। मेरी आपसे यही कामना है कि आप जीवन से प्यार करते रहें और सपने देखना कभी बंद न करें। न केवल आपके विशेष दिन पर, बल्कि हमेशा सुंदरता और खुशी आपको घेरे रहती है। आप अविश्वसनीय से अधिक हैं। हो सकता है कि आपका जन्मदिन महत्वपूर्ण सफलताओं के एक और वर्ष की घोषणा करे और सपने सच हों। जन्मदिन की शुभकामनाएं। बुढ़ापे का लाभ यह है कि आप अपने प्यार को कई अन्य लोगों तक पहुंचा सकते हैं। आपका विशेष दिन उन लोगों के लिए बहुत उत्साह, आनन्द और प्रशंसा ला सकता है, जो आपसे प्यार करते हैं। मैं आपसे ज्यादा योग्य किसी के बारे में नहीं सोच सकता! आपके सबसे अच्छे दोस्त के लिए जन्मदिन की बधाई यदि सामान्य इच्छाएं आपके लिए लागू नहीं होती हैं, और आप कुछ अधिक अद्वितीय और व्यक्तिगत चाहते हैं, तो मेरा अगला सबसे अच्छा शर्त यह है कि आप अपने किसी मित्र के जन्मदिन के संदेश की तलाश कर रहे हैं, शायद सबसे अच्छा दोस्त भी। इसके अलावा, यह समझ में आता है क्योंकि यह हमारे दोस्त हैं जो उन छोटे से बॉक्स में सबसे अधिक जगह लेते हैं जिन्हें हम "हमारे प्रियजन" कहते हैं। वे शायद ऐसे लोग हैं जिन्हें आप काफी समय से जानते हैं और एक साथ बहुत सारी कठिनाइयों से गुजर रहे हैं। इसलिए, यह स्वाभाविक है कि आप अपने दोस्त के जन्मदिन के लिए कुछ खास करना चाहते हैं। एक कारण है कि आप इन सभी वर्षों के लिए मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं। आपके बिना, दुनिया एक उबाऊ जगह है, इसलिए आपको धन्यवाद और जन्मदिन मुबारक हो। तुम मेरे लिए कोई बात नहीं कर रहे हो। ���ैं आपसे प्यार करता हूं, मेरे प्यारे दोस्त, और मैं आपके साथ अपने विशेष दिन को साझा करने के लिए बहुत उत्साहित हूं। जब यह दोस्तों की बात आती है, तो आप निश्चित रूप से सबसे अच्छे लोगों में से एक हो सकते हैं! आपने दुनिया को दिखाया है कि एक दोस्त को कैसे कार्य करना चाहिए और यही कारण है कि आप वास्तव में सर्वश्रेष्ठ के हकदार हैं। जन्मदिन मुबारक़ हो मित्र! इस साल अपने जन्मदिन के केक पर मोमबत्तियां गिनने के बजाय, उन सभी यादों को गिनें जो हम दोनों को पसंद हैं! आपके सबसे अच्छे दोस्त को जन्मदिन की शुभकामनाएं! अकेले शब्द यह व्यक्त करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं कि मैं कितना खुश हूं कि आप अपने जीवन का दूसरा वर्ष मना रहे हैं! आपके जन्मदिन पर मेरी आपकी इच्छा है कि आप हैं, और हमेशा खुश और स्वस्थ रहेंगे! कभी न बदलो आप जैसा दोस्त अजीब है। वास्तव में,आप जरूरत के समय में मेरे लिए हैं। तो ऐसे में आप एक खास दिन हैं । आप हर तरह से सर्वश्रेष्ठ की कामना करते हैं। ! मेरे सबसे अच्छे दोस्त को जन्मदिन मुबारक हम इतने लंबे समय से एक साथ हैं; मैं तुम्हारे बिना जीवन के बारे में सोच भी नहीं सकता। हालांकि, मैं आपको जन्मदिन की शुभकामनाएं देते नहीं थकूंगा। लम्बा जीवन जियो, प्रेम करो और हर पल सराबोर रहो। आपका जन्मदिन अपने आप में एक खूबसूरत अवसर है। हालांकि, मेरे लिए, यह एक विशेष दिन है जो मुझे उन सभी के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करने की अनुमति देता है जो आपकी दोस्ती का मतलब है। चूँकि हम छोटे थे, आप हमेशा मेरी मदद करने के लिए वहाँ रहे हैं। मुझे खुशी है कि हम अभी भी दोस्त हैं, और मैं शर्त लगाता हूं कि एक दिन हम नर्सिंग होम में अपनी रॉकिंग कुर्सियों में कंधे से कंधा मिलाकर बैठे रहेंगे और अपने सभी पगलों को एक साथ हँसाएंगे। मेरा सबसे अच्छा दोस्त दुनिया में सबसे अच्छी पार्टी का हकदार है, और मेरा लक्ष्य आपको इसे देना है। जश्न मनाने के लिए तैयार हो जाओ! जैसे ही हम साथ होते हैं, पार्टी शुरू हो जाती है। आज उत्सव का समय है; मुझे आशा है कि आपके पास बहुत प्यार और आश्चर्य के साथ एक सुंदर दिन होगा। हो सकता है कि आपका जन्मदिन अगली बार तक आपको सबसे अच्छी यादें दे, हो सकता है कि आपको आगे इंतजार करने में सफलता मिले। आपके साथ बिताए सभी दिनों ने मुझे जश्न मनाने का एक कारण दिया है। हालाँकि, आज सभी का सबसे महत्वपूर्ण कारण है। यह इसलिए है क्योंकि यह सबसे शानदार दोस्त का जन्मदिन है जिसने कभी इस धरती पर पैर रखा है। बहुत सारा प्यार!मैं आप जैसे दोस्तों को जन्म देने वाला सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं और आपके द्वारा जन्म की तारीख मेरे लिए बहुत खुशी का क्षण था। यह उस दिन का प्रतिनिधित्व करता है जो एक असाधारण व्यक्ति इस दुनिया में आया था। उसके जन्मदिन पर, मैं उन सभी अद्भुत क्षणों के बारे में सोचने के लिए कुछ समय लेना चाहूंगा जिन्हें हमने एक साथ साझा किया है। मैं अपने कारनामों और दोस्तों के रूप में हमारे द्वारा की गई सभी चीजों के लिए आभारी हूं। मैं आपके साथ कई और यादें बनाने की उम्मीद करता हूं। हमारी दोस्ती के बारे में बहुत सारी बातें हैं जो मुझे पसंद हैं। आपका जन्मदिन आपके विशेष दिन को मनाने का सही समय होगा और यह सब हमारी दोस्ती का मतलब है। मुझे उम्मीद है कि मैं आपको दिखा सकता हूं कि मैं कितना ध्यान रखता हूं। मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि आप जैसा दोस्त पाकर मैं कितना भाग्यशाली हूं। आप मेरे जीवन के प्रत्येक दिन को इतना अनूठा बनाते हैं। मेरा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि आपका जन्मदिन इतिहास के सबसे खास दिनों में से एक हो। मैं तुम्हारे साथ पार्टी करने के लिए इंतजार नहीं कर सकता! मेरे सबसे अच्छे दोस्त के रूप में आपके पास होने का सबसे अच्छा हिस्सा पागल और जंगली कार्य करने में सक्षम है, और दुनिया में कोई चिंता नहीं है। मैं वास्तव में ऐसा महसूस करता हूं कि जब मैं आपके साथ होता हूं तो मैं अपने बालों को कम कर सकता हूं। हम एक-दूसरे को हमेशा से जानते हैं। हर साल, मैं आपको अपने जन्मदिन पर वही बातें बताता हूं, और आप इसे ऐसे देखते हैं जैसे मैं बहुत ही मूल हूं। हालाँकि, आप जिस तरह के व्यक्ति हैं: मधुर, विनम्र और देखभाल करने वाले हैं। मुझे आशा है कि आप कभी भी ऐसा नहीं सुनेंगे। अपने जीवन के इस विशेष दिन पर, मुझे आशा है कि आपको वह सब कुछ मिलेगा जो आप हमेशा से चाहते थे। मैं आपको दुनिया की सभी खुशियों की कामना करता हूं, इस शानदार दिन का जितना हो सके उतना आनंद लें। मेरे सबसे अच्छे दोस्त को जन्मदिन मुबारक हो, एक शानदार। जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें मेरे प्रिय मित्र। मुझे नहीं पता कि मैं कभी भी आपको बता सकता हूं कि आप मेरे लिए कितना मायने रखते हैं। मैं सोच भी नहीं सकता कि मैं तुम्हारे बिना अब कहां रहूंगा। आपने मेरी जिंदगी बेहतर के लिए बदल दी है। आप जैसे दोस्त होने से मेरी ज़िंदगी इतनी आसान हो गई है। आप हमेशा मेरे मुश्किल समय के माध्यम से मेरी मदद करने के लिए मौजूद रहते हैं। यही कारण है कि आज, आपका विशेष दिन, मेरे लिए आपके द्वारा किए गए हर काम का जश्न मनाने का एक अच्छा समय है। आप जैसा मित्र सबसे सुंदर हीरे से अधिक मूल्यवान है। वह न केवल भरोसेमंद और बुद्धिमान है, बल्कि दयालु और विचारशील भी है। यह दिन आपको यह दिखाने का सही मौका है कि मैं आपको अपने जीवन में कितना खुश और आभारी हूं। मेरे प्यारे दोस्त, आज आपका जन्मदिन है, और मैं पूरे साल आपके साथ इस दिन को मनाने की उम्मीद करता हूं। मैंने कई आनंददायक गतिविधियों की योजना बनाई है, और जब आप मेरे लिए अपने स्टोर में देखते हैं तो मैं आपके चेहरे को देखने के लिए इंतजार नहीं कर सकता। एक दोस्त के लिए सबसे गहरा जन्मदिन की शुभकामनाएं उनके विशेष दिन पर, मुझे याद है कि हम सभी अच्छे समय को एक साथ समेटे हुए हैं। आप हमेशा मेरे चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान लाएं! आपको मेरा जन्मदिन मुबारक हो, मेरा एक खास दोस्त, जो मेरे दिल में हमेशा एक खास जगह रखेगा। मेरे प्यारे दोस्त, हर पल की खुशी के लिए आपने मुझे दिया है, मैं चाहूंगा कि आपका जन्मदिन आपको 100 और प्रदान करे! आप वास्तव में इस जीवन की पेशकश की गई सभी सही चीजों के लायक हैं। जन्मदिन की शुभकामनाएं! आपका जन्मदिन मनाने का एक समय है जो आपको अद्वितीय बनाता है। मेरा मित्र बनने के लिए धन्यवाद। वास्तव में, आप एक दुर्लभ खोज हैं! एक दोस्त वह है जो आपके अतीत को जानता है और फिर भी आपसे प्यार करता है। एक मित्र वह होता है जो आपके इतिहास के बावजूद आपके भविष्य पर विश्वास करता है। आप मेरे इतने अच्छे दोस्त रहे हैं। आने वाले इस वर्ष आपकी सभी इच्छाएँ पूरी हों। आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि ये पिछले साल कितने खूबसूरत रहे हैं। बस इस तथ्य कि मैंने तुम्हें एक दोस्त के रूप में समर्थन दिया है इस समय ने मेरे जीवन को सार्थक बना दिया है। तुम्हारे बिना, मुझे यकीन नहीं है कि मैं अब कहां रहूंगा। इसके अलावा, इसके लिए, मैं ईमानदारी से आपको धन्यवाद देता हूं। जन्मदिन की शुभकामनाएं! जब मैं आपसे मिला, मैं अपने जीवन में बहुत अंधेरी जगह पर था। एक दोस्त की तरह क्या होना चाहिए उसका अद्भुत खुलासा, जो मुझे मिला है, और उसके लिए मैं ईमानदारी से उसे धन्यवाद देता हूं। जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें मेरे प्रिय मित्र! एक बार जब आप उन मोमबत्तियों को बाहर निकालते हैं, तो उम्मीद है कि आपकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी। अगर कोई दुनिया की सारी खुशियों का हकदार है, तो वह आप हैं। मेरे लिए हमेशा वहां रहने के लिए धन्यवाद। हर बीतता साल बस एक और याद दिलाता है कि हमारी दोस्ती कितनी मजबूत है। इसलिए मैं आपको एक ईमानदार "जन्मदिन ���ुबारक" की कामना करना चाहता हूं, कि आपकी हर इच्छा पूरी हो, क्योंकि आप ही वह व्यक्ति हैं जो इसके सबसे ज्यादा हकदार हैं! आज, मैं आपको सबसे प्यार और खुशी की कामना करता हूं। काश आपके सारे सपने सच हो जाएं। हालांकि, इससे भी अधिक, यह आपको बहुत सारे सच्चे प्यार और दोस्ती लाता है। आपकी दोस्ती मेरे जीवन की सबसे अच्छी चीजों में से एक है। आपकी संवेदना, जीवन के प्रति आपका उत्साह और मेरे साथ आपकी समझदारी को साझा करने के लिए धन्यवाद। उन्होंने हमें बताया कि हमें पुरानी शान से बढ़ना सीखना होगा। आप जो कुछ भी करते हैं और कहते हैं उसमें आप पहले से ही सुरुचिपूर्ण हैं, इसलिए आपको जीवन जीने की कला में महारत हासिल है। आप खुशी का एक उत्कृष्ट स्रोत हैं! आपका विशेष दिन आपके लिए हर उस चीज़ का एक अतिरिक्त हिस्सा लेकर आए जो आपको दुनिया में सबसे अधिक खुशहाल बनाए। यह मत सोचिए कि आपका जन्मदिन एक और पिछले वर्ष की याद दिलाता है, क्योंकि, मेरे लिए, यह वह उत्सव है जो मेरे जीवन में मिले सबसे अच्छे व्यक्ति के जन्म का प्रतीक है। भगवान आपको आशीर्वाद दे, उम्मीद है कि वह आपको कई और वर्षों तक बंद रखेगा। आपका जन्मदिन मनाने का एक अवसर है, हालाँकि आपके जैसे असाधारण लोगों को हर साल मनाया जाना चाहिए, न कि केवल एक वर्ष में एक बार! इसलिए सबसे अच्छा संबंध है, मेरे प्यारे दोस्त! एक दोस्त वह है जो आपके अतीत को समझता है, आपके भविष्य पर विश्वास करता है, और आपको स्वीकार करता है जैसे आप हैं, भले ही आप बड़े हो रहे हों। उस दोस्त होने के लिए धन्यवाद। एक महान दोस्त और जन्मदिन की शुभकामनाएं: यही आप हैं और यही मैं आपके लिए चाहता हूं। मैं आपको बता दूं कि हर बीतते साल के साथ आप सबसे बुद्धिमान और सबसे सुंदर दोस्त बनते जा रहे हैं, जिनसे मैं कभी मिला हूं! आप अपने जीवन में सर्वश्रेष्ठ लाने के लिए जारी रख सकते हैं! आप मेरे सबसे खास दोस्त हैं, और मुझे बहुत खुशी है कि मैं आपको अपना सबसे अच्छा दोस्त कह सकता हूं। मुझे आशा है कि आप सभी का सबसे खुशी का दिन होगा। प्रेरणादायक जन्मदिन की डली एक जन्मदिन उत्सव के साथ फिर से जोड़ने के लिए एक विशेष घटना है। आपका रिश्ता चाहे जो भी हो, चाहे वह परिवार, दोस्त, या व्यावसायिक संबंध हो, आपके जन्मदिन की बधाई हमेशा सकारात्मक होनी चाहिए। आप जन्मदिन मनाने वाले को दिखाना चाहते हैं कि आप आ रहे हैं क्योंकि आप पहचानते हैं कि यह एक विशेष व्यक्ति के लिए एक विशेष दिन है जो प्रशंसा की पात्रता रखता है। आप फेसबुक, ट्विटर या अन्य प्लेटफार्मों पर सोशल मीडिया के माध्यम से एक संदेश भेज सकते हैं, जो आपके सर्कल में दूसरों की याद दिलाने के रूप में भी काम करेगा। आप अपने परिवार और दोस्तों को कैंडी या फूलों के साथ ईमेल या पुराने ग्रीटिंग कार्ड के माध्यम से बधाई दे सकते हैं। आप चाहे कोई भी विकल्प चुनें, आप चाहते हैं कि आपका संदेश उस व्यक्ति के लिए विचारशील और वैयक्तिकृत हो।  इस सूची के उद्धरणों के साथ जन्मदिन की शुभकामनाओं का उपयोग करें  या अपना खुद का बनाने के लिए प्रेरणा के रूप में इन उद्धरणों का उपयोग करें। वह यात्रा है जो मायने रखती है, मंजिल नहीं। यह हमारे जन्मदिन पर गिने जाने वाले वर्षों की संख्या नहीं है। यह आपके साथ बिताए गए धन्य अवसरों की राशि है। यह एक जटिल सूत्र है। आयु मन की एक अवस्था है। आप उतने ही बूढ़े हैं जितना आप सोचते हैं कि आप हैं। सकारात्मक सोचो। जीवन शुरू करने के लिए यह एक अच्छा समय है। आपके नए साल / नए जीवन समारोह में आपका स्वागत है। आप सब कुछ हासिल कर सकते हैं, इसलिए मजबूत बनें और खुद पर विश्वास करें। बुरे समय में अच्छे दोस्तों की आवश्यकता होती है। इसलिए मैं यहां हूँ। मैं आपकी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा। ये परीक्षा आपके जीवन की लड़ाई हो सकती है। यह आपके जीवन की लड़ाई नहीं है। आपके जीवन में सब कुछ उतना ही महत्वपूर्ण है जितना आप चाहते हैं कि यह हो। तय करें कि वास्तव में क्या मायने रखता है और आगे बढ़ना है। यदि आप एक बचाव का रास्ता नहीं देखते हैं, तो एक स्थापित करने का प्रयास करें। मुझे तुम पर विश्वास है। याद रखें कि एक नई शुरुआत हमेशा स्वागत करती है। एक इच्छा करो और अभी करो। उन्होंने बताया कि यह असंभव है। यह है कि वे इसे कैसे देखते हैं। जाओ और पता करो कि क्या वे सही नहीं हैं। बस इसे फिर से करें। यदि आप अपनी सीमा जानते हैं, तो उन्हें अनदेखा करें। यदि आप नहीं करते हैं, तो उन्हें खोजें। केवल आपके विचार ही आपको अकेला महसूस करवा सकते हैं। तुम अकेले नहीं हो। एक बुरा दिन एक नई शुरुआत का एक अच्छा कारण हो सकता है। हिम्मत मत हारो अलग होने से पहले ही फर्क पड़ा है। सपने देखना कभी बंद नहीं करें। जीवन की उपलब्धियों के लिए कोई गुप्त समय सीमा नहीं है। आगे देखते रहें और सोचें कि कोने के आसपास और अधिक रोमांच का इंतजार है। जब आप निराशा के बजाय उत्सव पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो आपका जीवन पार्टियों की अंतहीन श्रृंखला बन जाता है। यह सबसे आसान काम है, जो एक साधारण इच्छा की तरह आपके जीवन की गिनती करता है। यह आपकी पसंद है कि आपके जीवन की चिंगारी कब और कैसे शुरू होती है, उम्र नहीं। वर्षों की गिनती मत करो। इच्छाओं और सभी चियर्स की गणना करें। जीवन एक यात्रा है। हर मील का आनंद लें। स्वर्ग में स्वर्ग की तलाश मत करो। अपना स्वर्ग यहीं बनाओ। विशेष दिन की हार्दिक शुभकामनाएं जीवन अद्भुत है जब आप हर दिन एक नए दिन और एक नया रोमांच का वादा करते हैं। अपने कप में ड्रिंक से लेकर अपने केक पर आइसिंग तक, अपने आस-पास की कंपनी के लिए, अपने जन्मदिन को अपने लायक मीठा उत्सव बनाएं! आज, हम आपको विश्वास दिलाएंगे कि आप ब्रह्मांड के केंद्र हैं। मुझे बहुत खुशी है कि आप पैदा हुए क्योंकि आप मेरे जीवन को उज्ज्वल करते हैं और इसे खुशी से भर देते हैं। मैं आपको प्यार और खुशी से भरे दिन की कामना करता हूं। उम्मीद है कि आपका दिन आपके लिए उतना ही अनूठा है। खुश रहो! आज वह दिन है जिसे आप अपने आसपास के लोगों के लिए एक आशीर्वाद और प्रेरणा बनने के लिए इस दुनिया में लाए थे! तुम एक सुंदर व्यक्ति हो। कि वे आपके सभी सपनों को पूरा करने के लिए आपको अधिक जन्मदिन दें। आज सबसे अच्छी पार्टी मनाएं, लेकिन हर दिन खुशी के साथ, हर दिन को मनाने के लिए मत भूलना। आपको जीवन के सभी पहलुओं में सच्चा आनंद और संतुष्टि मिल सकती है क्योंकि आप चुनौतियों का एक और वर्ष और महान रोमांच का सामना करते हैं। आप मेरी प्रेरणा हैं, मेरा प्यार हैं। क्योंकि आज एक विशेष दिन है बस इच्छाएं भेज रहा हूं, मैं नहीं करूंगा। तो मैं आपको एक दिन भेजता हूं जब आपके सभी सपने सच हो जाएंगे और एक साल जो आपके लिए अधिक मायने रखता है! आज, मैं चाहता हूं कि आपके जीवन के रास्ते पर चलते हुए आपके सभी सपने सच हों। हर दिन अपने आशीर्वाद की गणना करें और महसूस करें कि आपके जीवन में वर्ष से अधिक हैं! अपना दिन मनाएं! आज आपका जन्मदिन है! तुम जानते हो इसका क्या अर्थ है? यह टोपी पहनने, मोमबत्तियाँ उड़ाने और केक काटने का समय है, लेकिन उन सभी इच्छाओं के बारे में सोचना न भूलें जिन्हें आप पूछना चाहते हैं! अपने दिन का आनंद लें! हम हमेशा के लिए सबसे अच्छे दोस्त रहे हैं। मैं जन्मदिन की शुभकामनाएं दे रहा हूं, इसलिए मैं और क्या कह सकता हूं? मैं आपको आज और आने वाले दिनों में एक सुंदर दिन की शुभकामना देता हूं। जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ मुझे आशा है कि आपका जन्मदिन आपके लिए उतना ही मज़ेदार है, लेकिन यह बहुत ही उच्च स्तर निर्धारित करता है। आपका जन्मदिन हर 365 दिनों में आता है। यदि यह आपके इच्छित तरीके को चालू नहीं करता है, तो पुनः आरंभ करने के लिए अन्य 365 दिनों की प्रतीक्षा करें। एक आदर्श दुनिया में, ________ और _____________ और आपके जैसे अधिक लोग होंगे। (शांति और खुशी, चॉकलेट और धूप आसमान, कोई मेद खाना और केवल सुंदर लड़के, तुम्हारा लिखना)। प्रत्येक बीतते साल के साथ, ज्ञान थोड़ा बढ़ता है। ____ की उम्र में, आपने दुनिया पर राज करने के लिए पर्याप्त ज्ञान अर्जित किया है। जन्मदिन को इस तथ्य से विचलित करने के लिए मज़ेदार दिन माना जाता है कि आप अब आधिकारिक तौर पर एक वर्ष के लिए वृद्ध हो गए हैं। उम्र सिर्फ एक संख्या है। यदि आप उससे संतुष्ट नहीं हैं, तो एक पल रुकिए और दूसरा दिखाई देगा। जन्मदिन आपके लिए सही हो। अध्ययनों से पता चलता है कि जिन लोगों ने सबसे अधिक जन्मदिन मनाया है उनमें सबसे लंबे जीवन हैं। आपके पास आने के लिए और भी बहुत कुछ हो सकता है। कुछ लोग बूढ़े दिखते हैं और युवा महसूस करते हैं। कुछ लोग युवा दिखते हैं और बूढ़े लगते हैं। हम जैसे कुछ लोग युवा दिखते हैं और युवा महसूस करते हैं। अपने जन्मदिन पर पार्टी करना अच्छा लगता है, है ना? जब छोटे बच्चे पूछते हैं कि आप अपनी पार्टी में कितने साल के हैं, तो आपको आगे बढ़कर उन्हें बताना चाहिए। जब वे उस उच्च को गिनने की कोशिश में विचलित होते हैं, तो आप उनके केक को काट सकते हैं। मुझे आशा है कि आप अपने नए युग से प्यार करेंगे। वह आपसे प्यार करता है क्योंकि यह आप पर अच्छा लगता है। यदि मोमबत्तियाँ उड़ाना एक ओलंपिक खेल था, तो आप स्वर्ण पदक जीतेंगे। हो सकता है कि पृथ्वी पर शांति हो, और यह आपके जन्मदिन की पार्टी के ठीक बाद शुरू हो। आज, वह अपने वर्षों में ज्ञान की एक और मोमबत्ती जोड़ता है। कुछ और और आपने दुनिया को रोशन करने के लिए पर्याप्त संग्रह किया होगा। मैं वह उम्र रही हूं। मैं उस उम्र में पहुंच गया हूं। मजा आता है। का आनंद लें! आप एक और वर्ष में पहुँच गए। यही कारण है कि जश्न मनाने के लिए पर्याप्त है। बहुत से लोग कहते हैं कि किसी विशेष दोस्त के जन्मदिन को याद करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसे एक बार भूल जाएं। मुझे लगता है कि Google कैलेंडर बेहतर काम करता है। दोस्तों के लिए 100 मजेदार जन्मदिन संदेश वे कहते हैं कि आप एक ओर अपने सच्चे दोस्तों की गिनती कर सकते हैं। मुझे यकीन है कि आप एक दूसरे पर अपने जन्मदिन की गिनती नहीं कर सकते। एक आकर्षक, प्रतिभाशाली और साधन संपन्न व्यक्ति को जन्मदिन की शुभकामनाएं, और मुझे खुद को बहुत याद दिलाता है। मैं हमेशा आपका जन्मदिन भूल जाता हूं, और यह मेरी स्मृति नहीं है जो मुझे बनाती है; यह तुम्हारा प्लास्टिक सर्जन है। मुझे आशा है कि आपका जन्मदिन पैंट के बिना चिंपांजी के रूप में खुश है! चिकित्सा में सभी अग्रिमों के बावजूद, आम जन्मदिन के लिए अभी भी कोई इलाज नहीं है। अगले साल के लिए जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ नमस्कार! जन्मदिन भेजना आपको आगे एक सुंदर वर्ष की शुभकामना देता है। आपके भाग्यशाली सितारे चमकते रहें और आपके सभी सपने सच हों। स्टोर में आपके सभी सुखों के साथ अपने दिन का आनंद लें। पिछले साल आपके साथ हुई अच्छी चीजें सबसे बुरी चीजें बन सकती हैं जो इस साल आपके साथ होंगी। यह आपके लिए और भी बड़ा वर्ष है। और भी अधिक अनुभव होने पर बधाई। मुझे यकीन नहीं है कि आपने इस वर्ष क्या सीखा है, लेकिन प्रत्येक अनुभव हमें उन लोगों में बदल देता है जो हम आज हैं। बता दें कि जितने साल आप रह चुके हैं, आप कितने साल पुराने हैं, लेकिन जीवन में जो कुछ भी हुआ है उसके लिए पदक नहीं है। मुझे उम्मीद है कि आज आपके लिए एक और अद्भुत वर्ष की शुरुआत हो। एक और साल बीत गया है, और मैं आपको बताऊं कि वर्षों की गिनती के बजाय हम आप पर कितना भरोसा करते हैं। मैं आपको शानदार जन्मदिन की शुभकामनाएं देता हूं। उन सभी तरीकों के लिए जो आपने वर्षों से अपना प्यार और समर्थन दिखाया है, मैं चाहता हूं कि आप यह जान लें कि मैं वास्तव में आभारी हूं। सुपर स्पेशल डे है! एक और साल पुराना, दूसरा साल समझदार। ठीक है, कम से कम आप बड़े हो रहे हैं जो आपको होना चाहिए: दुनिया की सबसे सेक्सी लड़की। एक और मोमबत्ती बाहर रखने का मतलब है कि आप एक और खुशी का साल जी चुके हैं और आपने इस दुनिया को एक बेहतर जगह बना दिया है। अपने जीवन के हर दिन और हर मोमबत्ती की गिनती करें। एक प्यारा सा जन्मदिन है! मैं आपको शानदार वर्ष की शुभकामना देता हूं। आपका जन्मदिन एक राष्ट्रीय अवकाश होना चाहिए क्योंकि आप एक अद्वितीय राष्ट्रीय खजाना हैं आराध्य को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जो वह हर जीवन को छूता है, जिसमें वह प्रवेश करता है, जो आपके द्वारा मिलने वाले सभी लोगों के लिए खुशी फैलाता है: हो सकता है कि जो प्यार और खुशी आप दूसरों के साथ साझा करते हैं, वह दस बार आपके पास लौट आए। मैं आपको कई और जन्मदिन की शुभकामनाएं देता हूं! मैं जन्मदिन की शुभकामनाओं का जीनियस हूं। आज, आपकी प्रत्येक इच्छा मेरा आदेश है। यह प्रस्ताव आधी रात को समाप्त होता है। एक शानदार जन्मदिन है, मेरा प्यार। इस दुनिया में मेरे लिए सबसे ज्यादा मायने रखने वाले व्यक्ति को जन्मदिन की शुभकामनाएं। मुझे उम्मीद है कि आपकी इच्छाएं पूरी होंगी। मुझे पता है कि मेरा वह दिन था जब मैं तुमसे मिला था। हमेशा मेरी तरफ से होने के लिए धन्यवाद, प्रिय। आपके जन्मदिन के लिए, मैं आपको बताना चाहता हूं: मुझे आशा है कि आप देख सकते हैं कि आप मेरे लिए कितने खास हैं। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु। मुझे आशा है कि आपके पास एक अद्भुत जन्मदिन है! मुझे आशा है कि आपके पास प्यार और खुशी से भरा एक जादुई दिन है! मैं भाग्यशाली हूं कि जब आप संकोच करते हैं, तो मेरे पीछे पड़ जाते हैं, जब मैं गिर जाता हूं और मेरे सामने होता है जब ऐसा लगता है कि मैं खो गया हूं। अनमोल व्यक्ति को जन्मदिन की शुभकामनाएं। मुझे आशा है कि आपके बड़े दिन में एक ठंडा दिन और एक गर्म रात शामिल है। मैं तुमसे प्यार करता हूँ। आप के बारे में एक शानदार दिन है। Happy Birthday, Hindi, wishes
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amrita112-blog · 6 years
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संसार के 7 अजूबे – किसकी उम्र कितनी बाकि है
कितनी सुंदर लगती है न दुनियाँ जब हमें मनभावन दृश्य देखने को मिलते हैं. मन को कितना आनंद प्राप्त होता है. हमार��� दुनियाँ में ऐसे कई कुदरती स्थान होंगे जिसे देख कर मन ख़ुशी से भर जाता है. परन्तु इस से अलग इस धरती पर कुछ ऐसे स्मारक और इमारतें भी हैं जो कलाकारी का एक अद्भुत उदाहरण हैं और जिन्हें देख कर बहुत आश्चर्य होता है, और जिन्हें दुनियाँ के
7 अजूबे
कहा जाता है. इतना ही नहीं कुछ इमारतें सदियों से अपनी पहचान बनाये रखने में आज तक सक्षम रही हैं.आइये आज हम जानते हैं इन अजूबों की उम्र क्या है? कब बने थे ये अजूबे और इनमे से कौन सा अजूबा सबसे पहले अपने अस्तित्व को खोएगा, मतलब समाप्त हो जाएगा.
उम्र के आधार पर ये रहे दुनियाँ के सात अजूबे
ग्रेट गीजा पिरामिड(2560 ई.पू.)
चीन की महान दीवार (700 ई.पू) चीन
पेट्रा (312 ई.पू), जॉर्डन
रोमन कोलॉज़िअम (80 ई.) रोम, इटली
चिचेन इत्ज़ा में पिरामिड (600 ई.) युकातान प्रायद्वीप, मैक्सिको
माचू पिच्चु (1450 ई.), पेरू
ताज महल (1643 ई.) आगरा, भारत
ग्रेट गीजा पिरामिड(2560 इ.पू.) :-
मिस्र कि सभी ऐतिहासिक इमारतों में मिस्र के पिरामिड सबसे ज्यादा मजबूत है. हर साल इन्हें देखने लाखों टूरिस्ट आते हैं. इनमे से एक “ग्रेट गीजा पिरामिड (Great Giza Pyramid)” का शुमार प्राचीन विश्व के सात आश्चर्यों में होता है. ग्रेट ग़िज़ा पिरामिड (Great Giza Pyramid) 450 फ़ीट ऊंचा है. 4300 सालों तक यह दुनियाँ की सबसे ऊंची संरचना रहा. 19 वि सदी में इसका यह रिकॉर्ड टूट गया. पिरामिड में 2 से लेकर 30 टन तक के 23 लाख चूना पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है.
चीन की महान दीवार (700 इ.पू) चीन :-
700इ.पू चीन की महान दीवार को मौजूदा किलेबंदी को संयुक्त रक्षा प्रणाली के साथ जोड़कर निर्मित किया गया था, जिसका उद्देश्य मंगोल जनजाति के हमलावरों को चीन से बाहर रखना था. यह अब तक का मानव निर्मित सबसे बड़ा स्मारक है और यह विवादित है कि केवल यही अंतरिक्ष से भी दिखाई देता है. इस भारी निर्माण में लगे कई हजार लोगों को अपनी जान देनी पड़ी होगी.
पेट्रा (312 इ.पू), जॉर्डन :-
अरब रेगिस्तान के किनारे, पेट्रा राजा एरिटास चतुर्थ (9 ई.पू. से 40 ई.) के नाबाटिअन साम्राज्य की शानदार राजधानी स्थित थी. जल प्रौद्योगिकी में माहिर, नाबाटिअन लोगों ने अपने शहर को बेहतरीन सुरंगों और वाटर चैम्बर्स का निर्माण प्रस्तुत किया. ग्रीक रोमन प्रोटोटाइप पर आधारित, इस थियेटर में 4000 दर्शकों के बैठने की क्षमता थी. आज, पेट्रा के महलनुमा मकबरे, जिनमें अल दैर मठ पर 42 मीटर ऊंचे यूनानी मंदिर के मुखौटे हैं, मध्य पूर्वी संस्कृति का शानदार उदाहरण हैं.
रोमन कोलॉज़िअम (80 ई.) रोम, इटली :-
रोम के केंद्र में इस महान रंगभूमि को सफल सैनिकों को ईनाम देने और रोमन साम्राज्य के गौरव का जश्न मनाने के लिए बनाया गया था। इसकी डिजाइन अवधारणा आज भी अनूठी है, और कुछ 2,000 साल बाद अब भी लगभग हर आधुनिक खेल स्टेडियम पर कोलॉज़ीयम की मूल डिजाइन की अनिवार्य छाप होती है. आज, फिल्मों और इतिहास की पुस्तकों के माध्यम से, हम इस जगह पर होने वाली क्रूर लड़ाई और खेलों के बारे में और भी अधिक जानते हैं, जिससे दर्शकों का खूब मनोरंजन होता है.
चिचेन इत्ज़ा में पिरामिड (600 ई.) युकातान प्रायद्वीप, मैक्सिको :-
अत्यंत प्रसिद्ध मायान मंदिर का शहर, चिचेन इत्ज़ा, मायान सभ्यता का राजनीतिक और आर्थिक केंद्र था. इसकी विभिन्न संरचनाओं में कुकुल्कान का पिरामिड, चक मूल का मंदिर, हजार खंभों का हॉल, और कैदियों के खेल का मैदान आज भी देखे जा सकते हैं और वास्तुशिल्प के क्षेत्र तथा रचना करने की असाधारण प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं. खुद पिरामिड सभी मायान मन्दिरों में से अंतिम और यकीनन सबसे बड़ा था.
माचू पिच्चु (1450 इ.), पेरू :-
15 वीं शताब्दी में इंकेन सम्राट पैचाक्यूटेक ने पर्वत पर बादलों में एक शहर का निर्माण किया जिसे माचू पिच्चु (पुरानेपर्वत)माचू पिच्चुके रूप में जाना जाता है. यह असाधारण रिहायशी जगह एंडेस पठार पर आधी ऊंचाई तक स्थित है, जो अमेज़न के जंगल में अन्दर और उरुबम्बा नदी के ऊपर है. इसे शायद चेचक फैलने की वजह से इंकैस द्वारा छोड़ दिया गया था और स्पेन वासियो द्वारा इंकैन साम्राज्य को हरा दिए जाने के बाद, यह शहर लगभग तीन शताब्दियों से अधिक तक गुमनाम रहा. इसे हीराम बिंघम द्वारा पुनः खोजा गया था.
ताज महल (1643 ई.) आगरा, भारत :-
यह विशाल समाधि पांचवें मुगल सम्राट शाहजहां के आदेश पर, उनकी प्रिय दिवंगत पत्नी की स्मृति  में बनायी गयी थी. सफेद संगमरमर से निर्मित और औपचारिक रूप से बाहरी दीवारों से घिरे उद्यानों के बीच स्थित, ताज महल को भारत में मुस्लिम कला का उत्कृष्ट रत्न माना जाता है. बाद में सम्राट को जेल में बंद कर दिया गया था और यह कहा जाता है, कि वहां की कोठरी की छोटी से खिड़की से वे केवल ताजमहल देख सकते थे.
तो ये थे हमारे इस खुबसूरत संसार के आलिशान अजूबे. जैंसे हर एक चीज की उम्र है इनकी भी उम्र है. ये भी एक न एक दिन ख़त्म हो जाएगे, लेकिन जब तक हैं, इस दुनियाँ की शान है.
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very funny jokes
हिंदी कैसे हमारी ऊर्जा और समय बचाती है देखिये : In english : I am sorry, I can not hear you properly ,can you please repeat what’s the matter? In hindi : ” हैं ”  साइकिल वाले ने एक आदमी को टक्कर मार दी और बोला भाईसाहब आप बहुत किस्मत वाले हो  आदमी : एक तो तूने मुझे टक्कर मारी और ऊपर से मुझे किस्मत वाला कह रहे हो  ? साइकिल वाला : आज छुट्टी है तो साइकिल चला रहा हूँ नहीं तो मैं ट्रक चलाता हूँ  दुकानदार : कैसा सूट दिखाऊँ ? महिला : पड़ोसन तड़प – तड़प कर दम तोड़ दे ऐसा …… सिर्फ अमिताभ बच्चन ने अपने बेटे “अभी” को बचपन में सही शिक्षा दी “बेटा Abhi पढ़ लो बाद में Aish के साथ रहना ” जब शादीशुदा आदमी कहे कि वो सोच कर बताएगा तो इसका सीधा सीधा मतलब होता है वो अपनी पत्नी से पूछ कर बताएगा  दो पड़ोसन आपस में बात कर रही थी पहली पड़ोसन: तुम्हे पता है 24 साल तक मेरे कोई औलाद नहीं हुई दूसरी पड़ोसन : तो फिर तूने क्या किया ?  पहली पड़ोसन : जब मैं 24 साल की हुई तब घरवालों ने जाके मेरी शादी करवाई फिर कहीं जाकर मुन्ना हुआ  दूसर��� पड़ोसन ICU में भर्ती है आजकल के बच्चों से तो मच्छर ज्यादा responsible है  शाम होते ही घर तो आ जाते हैं  खून में तेरे गर्मी , गर्मी में तेरा खून …. ऊपर सूरज निचे धरती बीच में May aur june  हे भगवान्  संजू: आज तो facebook ने बचा लिया राहुल : कैसे ? क्या हुआ ? संजू : आज बीवी का बर्थडे था  दामाद अपनी सास से : आपकी बेटी में कोई बात ढंग की नहीं है  सास : हाँ , बेटा मालूम है तभी तो कोई ढंग का लड़का नहीं मिला  दुकानदार : बताइए जनाब क्या चाहिए ? राहुल: अपने होने वाली बीवी के कुत्ते के लिए केक चाहिए दुकानदार : यहीं खाओगे या पैक कर दूँ  जिस तरह से बैंक रोज नये-नये चार्ज लगा रहे हैं, वह दिन दूर नहीं… जब आप अपने बैंक के सामने से निकलेंगे और आपका फेस CCTV में आ गया तो आपके खाते से ₹101 मुंह दिखाई के काट लिए जाएंगे! संजू ने कल अपनी छोटी सी मासूम भतीजी से पुछा बताओ बिल्ली पूँछ क्यों हिलाती है ? भतीजी : क्यूंकि पूँछ उसकी है वो जो मर्जी करे  ट्यूशन मास्टर : गधे, तूने होमवर्क क्यों नहीं किया? संजू : जरा तमीज से बात करो, कस्टमर से ऐसे बात करते हैं क्या? संजू की पिटाई तो होनी ही थी  बंटू : वेटर, ऐसी चाय पिलाओ जिसे पीकर मन झूम उठे और बदन नाचने लगे वेटर: सर हमारे यहां भैंस का दूध आता है, नागिन का नहीं  संजू : पंडित जी , किसी सुंदर लड़की का हाथ पाने के लिए क्या करूं? पंडित जी: किसी मॉल के बाहर मेहंदी लगाने का काम शुरू कर दे… संजू : आज मैं सब्जीवाले से 5 रुपये में 3 प्याज लेकर आया हूँ राहुल : कैसे? संजू : सब्जीवाले ने 5 रुपये की एक प्याज दी थी…. एक मैं ठेले से उठाकर भाग गया और दूसरी उसने फेंककर मारी  बाबूराव : ऐ राजू… आज मेरी कुत्ती ने अंडा दिया… राजू : ये कुत्ती कब से अंडा देने लगी… बाबूराव : ये बाबूराव का स्टाईल है रे बाबा… अपनी मुर्गी का नाम कुत्ती रखा है…. एक कंजूस अपने बेटे को पिट रहा था… पड़ोसी: क्यों पिट रहे हो बच्चे को…? बनिया: मैंने इसको कहा कि 1-1 सीढी छोड़कर चढ़, चप्पल कम घिसेगी…! नालायक 2-2 सीढ़ी छोड़कर चढ़ा,पाजामा फाड़ लिया…! सुबह एक महिला फल वाले से अंग्रेजी में फल मांग रही थी ये बोलकर – “Give me some destroyed husband” एक घंटा लगा यह समझने में कि वह “नाशपति ” मांग रही थी। बँटी – डाक्टर साहब दस्त ने बेहाल कर रखा है  डाक्टर-कितना पतला आता है? बँटी – समझ लो कि आप उस से कुल्ला कर सकते हो  भारत में जितने भी गाड़ियों के पीछे लिखा होता है-“बुरी नजर वाले तेरा मुँह काला” आप यकीन मानो यदि हकीकत में ऐसा ही होता तो….. अब तक हमारा देश वेस्टइंडीज बन चुका होता  Employee : हेलो बॉस, मुझे टेररिस्ट ने पकड़ लिया है, दोनों हाथ काट दिए, आँख फोड़ दी, किडनी निकाल ली Boss : देख ले…. हो सके तो आजा, आज Audit है.  एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट छत पर खड़ा था… तभी एक पड़ोसी : तो बेटा अब आगे क्या सोचा है? स्टूडेंट: बस अंकल, टंकी भरते ही, मोटर बंद कर दूंगा.. बिस्किट बनाने वाली कंपनियों को विनम्र निवेदन: पहले मारिओ वालो कृपया मारिओ बिस्किट का आकार कम कीजिये या फिर कप बनाने वाली कंपनी के लोगों से एक बार बात करके तो देखें। दूसरा Parle G वालों से निवेदन है कि बिस्किट के घोल में थोडा सा अंबुजा सीमेंट भी मिला कर दें। चाय में डुबोते ही ग़श खा कर उसी कप में आत्महत्या कर लेता है। विवाह क्या है ? विवाह एक ऐसा गठबंधन है जिसमे में 2 लोग मिलकर उन समस्याओं को सुलझाने का जीवन भर प्रयास करते है जो पहले कभी थी ही नहीं  जिस तरह मेगी की जाँच हुई थी, उसी तरह Fair & Lovely की भी जाँच होनी चाहिए… साला 6 हप्ते गिनते-गिनते कॉलेज के ज़माने की साथ की लड़किया बाल बच्चों वाली हो गयी…पर साला निखार नहीं आया…. कामयाब तो बच्चे बोर्नविटा से, पुरुष रजनीगंधा से और महिलाएँ फेयर एण्ड लवली से होते है…. बाकी डिग्री – विग्री तो सब मोहमाया है भाई… मुन्ना भाई के घर लड़की हुई सर्कट : भाई अब तो मोहल्ले के सारे लड़के इसको लाइन मारेंगे मुन्ना : तू फ़िक्र मत कर रे , अपुन इसका नाम दीदी रखेंगे।  कुत्ता : कल मेरे मालिक ने रात के 2:30 बजे चोर पकड़ा दूसरा कुत्ता : तू कहाँ था ? पहला कुत्ता : कुत्ता हूँ इन्सान नहीं जो सारी रात नेट चलाता रहूँ …. मैं तो आराम से सो रहा था। लड़की गिफ्ट की दूकान में – काफी देर गिफ्ट देखने के बाद एक गिफ्ट की तरफ इशारा करते हुए पूछा…ये हँसती हुई चुड़ैल कितने की है ? दुकानदार- मैडम जी ये आईना है एक बार एक ताऊ ने एक ताई छेड़ दी……. ताई ताऊ को गाली देने लग गयी…. पास से एक लड़का गुज़र रहा था बोला क्या बात होगयी ताउजी। ताऊ- कुछ नहीं बेटा,पुराना ट्रांसफार्मर है…….चरड चरड कर रहा है  दो समधी ड्रिंक करने बैठे: लड़के का पिता “कितना पानी डालूँ?” लड़की का पिता “नो वॉटर!” लड़के का पिता “क्यों?” लड़की का पिता “हमारे यहां बेटी के घर का पानी नहीं पीते!” ये होते हैं संस्कार!!!    लड़की: ये टीवी कितने का है?  दुकानदार : 50,000/- रू.  लड़की: इतना महंगा? ऐसा क्या खास है?  दुकानदार : ये लाईट जाने के बाद AUTOMATIC बंद हो जाता है  लड़की: ओह पैक कर दो फिर तो     पंद्रह बीस साधू संत हिमालय का पहाड़ चढ़ रहे थे। एक रिपोर्टर ने यूँ ही पूछ लिया “बाबा आप लोग कहाँ जा रहे हो?” बाबा: “समाधि लेने” रिपोर्टर “पर क्यों ?” बाबा : “जबसे whatsapp आया है बड़े बड़े ज्ञानी पैदा हो गये है…. अब संसार को हमारी जरूरत ही नहीं” आंटी : बेटा पहली बार घर आए हो , कुछ तो लेना पड़ेगा संजू : ठीक है अपनी बेटी देदो  आंटी : साले !! निकल घर से , दुबारा कदम रखा ना तो टाँगे तोड़ दूँगी।      पठान:-वल्लाह तुम्हारा शकल हमारा बीवी से मिलती.! एयर हॉस्टेस:बकवास बन्द कर कमीने.! पठान:माशा अल्लाह।ज़बान भी मिलती है..!! एक औरत कोक पी रही थी उसमें एक मच्छर गिर गया… औरत ने उसे निकाला तो मच्छर बोला, “माँ!” औरत: तूने मुझे माँ क्यों कहा? मच्छर: मैं तेरी कोक से निकला हूँ, माँ!  कुछ बदमाश लड़कों ने College के नोटिस बोर्ड पर लिख दिया : 50 % लडकियां बेवकूफ होती हैं .. लड़कियों ने ये देखा तो उन्हें बहुत बुरा लगा उन्होंने college में हंगामा खड़ा कर दिया ..!!… कॉलेज प्रबंधन ने तुरंत उस नोटिस को निकलवाया.. और उसकी जगह नया नोटिस लगवाया -.. “50 % लडकियां बेवकूफ नहीं होती हैं “.. तब जाकर लडकियों का गुस्सा शांत हुआ….        इस महीने काम बहुत मंदा होने से थोड़ा डिप्रेशन में था ….फिर पान बहार के ऐड में जेम्स बांड 007 को देखा तो समझ गया …..पूरे वर्ल्ड में ही मन्दी का दौर चल रहा है…!!  उसकी कुछ ख्वाहिशें अधूरी थीं, दूरियां भी तो ज़रूरी थीं, यूँ न बेवफा कहो उसे दुनियावालों, क्योंकि … सोनम गुप्ता की भी कुछ मजबूरियाँ थी। गब्बर ने बैंक मैनेजर से पूछा ” कितना इनाम रखे है सरकार हम पर ?” मैनेजर : “कितने भी रखे हों पर अभी 4000 ही मिल सकता है वो भी तुम्हारी ID पर ” कालिया या साम्बा की नहीं चलेगी भक्त : बाबा इंजीनियरिंग किया हूँ, जॉब नही लग रही कोई उपाय बताओ? बाबा : कौन सी ब्रांच है बेटा? भक्त : कम्प्यूटर बाबा : मेरी इलेक्ट्रॉनिक्स थी बेटा  Mark Zuckerberg: मोदी जी भारत में इतनी लड़कियां हैं फिर भी आप बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ चला रहे हैं। मोदी: अबे यार, वह 70% Fake ID हैं। एक लड़का अचानक लड़कियों को देख कर शायर बन गया.. “लफ्ज़ तेरे, गीत मेरे, ग़ज़ल कोई सुना डालूं क्या..?? . . . लड़की बोली- “हाथ मेरे, गाल तेरे, कान के नीचे बजा डालूं क्या ? सब्जीवाला कह रहा था मैं तो 20 के ही टमाटर बेच रहा था ये तो न्यूज़ वालो से पता चला की टमाटर 60 में बिक रहे हैं … वरना मैं तो लुट ही गया था एक बार एक ताऊ प्लेन से लन्दन जा रहा था,बगल में एक अंग्रेज बैठा हुआ था ! ताऊ ने अंग्रेज से पूछा – “आप क्या करते हो ?” अंग्रेज – “मैं एक साईंटिस्ट हूँ… और आप ?” ताऊ – “मैं इंजीनियर हूँ !” अंग्रेज – “वाओ इंजीनियर … क्या हम किसी टॉपिक पर बात कर सकते हैं ?” ताऊ – “बिलकुल !” अंग्रेज – “अच्छा, तुम मुझे न्यूक्लियर पावर के बारे में कुछ बताओ” ताऊ ये सुनकर चुप रह गया ! अंग्रेज -ओह !!! तो तुम नहीं जानते ?” ताऊ – “जानता तो हूँ लेकिन तुम पहले मेरे एक question का answer दो” अंग्रेज – “हम्म पूछो .. ” ताऊ – “मंदिर में भी घंटा होता है और चर्च में भी घंटा होता है, तो फिर चर्च का घंटा मंदिर के घंटे से बड़ा क्यों होता है ..?” अंग्रेज कुछ देर सोचता रहा फिर बोला – “मैं नहीं जानता” ताऊ -ने एक दिया खीच के कान के निचे और बोला “अबे साले .. पता तुझे घंटे का भी नहीं है और बातें न्यूक्लियर पावर की करे है !! लड़की वाले बेटी के लिए लड़का देखने गए… लड़की वाले : कितना कमा लेते हो… लड़का : इस महीने दो करोड़ कमाया… लड़की वाले : फिर क्या हुआ… लड़का : बस, फिर मोबाइल में ‘तीन पत्ती’ हेंग हो गया और सारी कमाई चली गयी… बॉस : क्या आपको ब्रिटिश भाषा आती है? लड़का : हाँ … बॉस : कुछ बोल के दिखाओ.. लड़का : “डूगना लागान डेना पडेगा बुवन “! बॉस : निकल साले… जिन्हें बचपन में उनकी मम्मी घसीटते हुए…..स्कूल छोड़ के आती थी…..वो लड़के भी आजकल व्हाट्सऐप पर “Status” डाल रहे है……”I miss my School Dayzzz…” नाग बोला नागिन से – मेरा दिल तेरे प्यार मैं अँधा है  नागिन बोली – मेरा ख्याल छोड़ दे beta मेरा बॉयफ्रेंड annaconda है  इंजीनिरिंग का फार्म भरते हुए छात्र ने पास खड़े चौकीदार से पूंछा – ये कॉलेज कैसा है…?? चौकीदार :- बहुत बढ़िया है, हमने भी यहीं से इन्जिनारिंग की है…! अर्ज किया है… मैं पीकर नहीं बहकता… बहकता हूँ तो उसे देखकर… अब बताओ ज़रा कि शराब हराम है या वो ?? इतने में मम्मी के कमरे से आवाज़ आई…. शराब हराम है ….और वो हरामजादी हैं …और तू हरामजादा…!  माँ कसम…सब क्लियर हो गया… आज मैंने एक बच्चे से पूछा कौन से स्कूल जाते हो बेटा ? बच्चे का जवाब : मैं जाता नहीं !!!! मुझे भेजते हैं साले  हिंदी serials में इतने बड़े- बड़े घर दिखाते हैं पर invertor किसी ने नहीं लगवाया होता ….. जब लाइट जाती है तो सब मोमबत्ती खोजने लगते हैं सच्चा प्यार एक दिन लौट कर जरूर आता है …..मेरी वाली भी आई थी …शादी का कार्ड देने   बच्चा:- मम्मी गांधीजी के सर पर बाल क्यो नही थे ???? मम्मी:- क्योकीं बेटा वो केवल सत्य बोलते थे…. बच्चा :- अब समझ मे आया की तुम औरतो के बाल लम्बे क्यु होते है…. दे चाटे दे चाटे  गब्बर : – ऐ मोबाइल मुझे दे दे ठाकुर !!! ठाकुर : – देख यार हात- पैर की मजाक ठीक है , चलता है ! बट मोबाइल से मजाक नहीं … क्यूंकि फेसबुक चालू है और बसंती ऑनलाइन !!!! डॉक्टर: क्या खाया था..? लडकी: I ate hamburger, french fries, coke and a corn pizza.. डॉक्टर: जरा इतराओ कम…..ये हॉस्पिटल है,Facebook या Watsapp नही…जाँच में सब सामने आ जाएगा,अब सही बताऔ… लडकी: चाय के साथ बासी रोटी तेल चुपड़ के मैं लड़कियों की driving के बिलकुल खिलाफ नहीं हूँ…. लेकिन एक्सीडेंट के टाइम ब्रेक मारने की जगह चीख मारना कहाँ का इन्साफ है पता है मेरी कोई गर्लफ्रेन्ड क्यु नही है क्युकि मै 2G की तरह धीरे धीरे प्यार का इज्जहार करता हुँ और कम्बखत ये लड़कीया 3G कि speed में question करती है और 4G कि speed में बोल जाती है I have a boyfriend साला हर बार दिल तोड़ जाती है बन्दा स्कूटर पर, स्कूटर 80 पर  बन्दा बुलेट पर, बुलेट 100 पर बन्दा alto पर, alto 110 पर  बन्दा जीप पर, जीप 120 पर  बाद मे ?…. बाद मे क्या ? बन्दा ambulance पर, ambulance 130 पर   पर रहेगा बन्दा स्पीड में ही. एक बार पप्पू ने घड़ी बनाने वाले से पूछा,” इस घड़ी को ठीक करने का क्या लोगे?” घड़ीवालाः जितनी कीमत है, उसका आधा दे देना। अगले दिन जब घड़ीवाले ने पप्पू से जब अपना मेहनताना माँगा तो पप्पू ने उसे दो थप्पड़ मार दिए।:o घड़ीवाला: यह क्या किया तुमने? पप्पू : कुछ नहीं, जब मैंने घड़ी लेने की जिद की थी, तो मेरे पिताजी ने मुझे चार थप्पड़ मारे थे।  एक पुराने दोस्त का फोन आता हैं। Me – वाह…….आज बहुत दिन बाद याद आया दोस्त – नहीं यार, गलती से लग गया था। इज्जत की watt लगा दी दो दोस्त दारू पीकर गाङी चला रहे थे. तभी एक चिल्लाया :- अबे कमीने दिवार है दिवार है आगे दिवार है. तभी गाङी दिवार मे घुस गई अगले दिन दोनो हाँस्पीटल मेँ. पहला दोस्त :- कमीने मे चिल्ला – चिल्ला कर कह रहा था आगे दिवार है फिर तुने सुना क्यो नही. दुसरा दोस्त :- साले बेवङे गाङी तुँ चला रहा था  अगर भारत सरकार FB और Whatsapp पर dp बदलने के लिए 1 रुपये लेना शुरू कर दे तो कुछ ही दिनों में भारत.. अमेरिका चीन को लोन देने में सक्ष्म हो जाएगा!!! अंकल : बेटा क्या करते हो? लड़का : नारी सम्मान सेवा पर काम कर रहा हूं अंकल : सोशल वर्कर हो? लड़का : नहीं अंकल फेसबुक पर सब लड़कियों की फोटो लाइक करता हूं…. आज का ज्ञान !!! जिस छोरी ने स्कूल में वाद-विवाद प्रतियोगिता जीती हो, भूल से भी उससे ब्याह ना करें !!! किसी के पास हनी सिंह का नंबर है क्या?? कहता था … ‘ फोन घुमादु पास करादु’ ..तेरी प्रिंसिपल भी यो यो की फैन है .!! … एग्जाम आ गए है। तेरी जरुरत है…. भाई कहाँ है ……? मेरा नेपाली नौकर कल मेरे पास आया और बोला: शाबजी- “सीरीया का बाशाह मर गया .!!” मैं बड़ा खुश हुआ चलो ISIS का खात्मा हुआ….. मैंने टीवी चैनल देखा….किसी न्यूज़ में ऐसी कोई खबर नहीं थी एक घंटे बाद मैं अपने बगीचे में गया …..और …..वहा मुझे पता चला कि वो कह रहा था कि ….”चिडिया का बच्चा मर गया” मुन्ना : क्या कर रेला है सर्किट ? सर्किट : भाई बल्ब पे बाप का नाम लिख रेला हु.. मुन्ना : क्यों.. ! सर्किट : भाई, बाप का नाम रोशन करने का हे न … 1980 में Bank of india बैंक ने धीरुभाई अँबानी को लोन देने से इन्कार कर दिया था.. पर 2010 में मुकेश अँबानी ने वो ही Bank of india खरीदने का ऑफर कर दिया.. इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है.. परसों AXIS बैंक वालों ने मुझे भी लोन देने से इन्कार कर दिया………देखते हैं…… एक आदमी को रोज सपने में काली साड़ी में एक औरत दिखती थी… उसे देखकर वो घबरा जाता था। एक दिन उसने हिम्मत करके पूछा – देवी आप कौन है? औरत बोली – मैं धन की देवी लक्ष्मी हूँ। आदमी – फिर तो आपको गोल्डन कलर का होना चाहिये। औरत :- बेटा !! मैं ब्लैक मनी हूँ, स्विस बैंक से आई हूँ एक बुढ़िया का दामाद बहोत काला था । सास : दामाद जी आप तो 1 महीना यहाँ रुको दूध, दही खाओ । मौज करो आराम से रहो यहाँ दामाद : अरे वाह सासु माँ आज बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पे । सास : अरे प्यार व्यार कुछ नहीं कलमुहे वो हमारी भैंस का बच्चा मर गया , कम से कम तुम्हे देख कर दूघ तो देती रहेगी । एक माँ अपने बच्चे का फोटो खिंचवाने के लिए फोटो-स्टूडियो लेकर गई. फोटोग्राफर बच्चे को पुचकारते हुए बोला:- “बेटा, मेरी तरफ देखो…इस कैमरे से अभी कबूतर निकलेगा !” बच्चा बोला:- “ फोकस एडजस्ट कर, जाहिलों जैसी बातें मत कर, पोर्ट्रेट मोड यूज करना, मैक्रो के साथ, ISO 200 के अंदर रखना ! High resolution में pic आनी चाहिए… Facebook पे अपलोड करनी है, वरना पैसे नहीं मिलेंगे ….. साला, ‘कबूतर’ निकालेगा…! तेरे बाप ने डाला था कबूतर कैमरे में..? फोटोग्राफर:- बेटा कौन से स्कूल में पढते हो? ��च्चा: आँगन बाड़ी में…. मैनें कभी ईंट का जवाब पत्थर से नहीं दिया…. मैनें बस वही ईंट वापस दे मारी….. पत्थर ढूंढने में कौन टाईम वेस्ट करे भला – चाणक्य की कॉलोनी का एक आदमी। एक शराबी छत पे से नीचे गिर गया…. सब लोग आए और पूछने लगे के क्या हुआ?? शराबी – ” पता नही भाई….. मे भी जस्ट अभी नीचे आया हूं “ कौन कहता है देश में लड़कियों की तरक़्क़ी नही हुई ?? पुराना गाना याद है ? . “डफली वाले , डफली बजा” ?? और आज का गाना सुनो । “डीजे वाले बाबू, मेरा गाना बजा दो” !…….. डफली से डीजे तक आ गई लडकी , और लोग कह रहे तरक़्क़ी नही हुई. शराबी मरने ही वाला था कि उसके सामने शिव भगवान प्रकट हुए… .शिव जी: तुम्हारी कोई अंतिम इच्छा हो, तो बताओ. शराबी: प्रभु अगले जन्म में दांत चाहे एक ही देना, पर लीवर पूरे 32 देना…. शराब के बार के सामने एक छोटा सा तालाब था। झमाझम बारिश हो रही थी और उस बारिश में पूरा भीगा हुआ एक बुजुर्ग आदमी हाथ में एक छड़ी पकड़े था जिससे बँधा धागा तालाब के पानी में डूबा हुआ था। एक राहगीर ने उससे पूछा: “क्या कर रहे हो बाबा ?” बुजुर्ग: “मछली पकड़ रहा हूँ।” राहगीर बारिश में भीगे उस बुजुर्ग को देख बहुत दुखी हुआ, बोला: “बाबा, मैं बार में व्हिस्की पीने जा रहा हूँ। आओ तुम्हें भी एक पैग पिलाता हूँ। ऐंसे तो तुम्हे सर्दी लग जायेगी। आओ अंदर चलें। बार के गर्म माहौल में बुजुर्ग के साथ व्हिस्की पीते हुए महाशय ने बुजुर्ग से पूछा: “हाँ तो, बाबा, आज कितनी मछलियाँ फँसीं ?” बुजुर्ग बोला – तुम आठवीं मछली हो, बेटा! मिस्टर संजू पैंतीस के हो चुके थे, अच्छी-खासी नौकरी करते थे, पर अभी तक अविवाहित थे…. एक दिन एक दोस्त ने टोक ही दिया – अरे संजू , शादी-वादी करने का इरादा है कि नहीं … संजू बोले – कोशिश तो पूरी कर रहा हूँ कि जल्दी ही हो जाए….. अखबारों में विज्ञापन दिया हुआ है, इन्टरनेट पर भी बायोडाटा डाल रखा है … दोस्त – तो फिर किसी का जवाब नहीं आया क्या ? संजू – आया है न ! बहुत सी बहनों ने अपना बायो-डाटा भेजा है …. बस उन्हीं पर विचार चल रहा है !! बॉस नई Audi कार खरीद कर लाया… उसके कर्मचारी जब उसे नई कार की बधाई दे रहे थे तब उसने सभी को संबोधित करते हुए कहा – अगर आप लोग कड़ी मेहनत करेंगे, समय पर ऑफिस आयेंगे, ओवरटाइम करेंगे यहाँ तक कि छुट्टी के दिन भी काम करेंगे तो यकीन मानिए…… अगले साल मैं इससे भी और बड़ी और बेहतर कार खरीद लूँगा … !!! एक छोटा बच्चा अपनी दादी से – दादी माँ आप टेँ बोल कर दिखा सकतीं है मुझे ? दादी – टेँ …! बच्चा – वाह दादी एक बार और ? दादी – टेँ …!! बच्चा – दादी आप तो कमाल की टेँ बोलती हैँ…. एक बार मम्मी को भी बोलकर दिखाओ ना ? दादी – क्यों रे तेरी माँ को क्यों बोलकर दिखाऊं ? बच्चा – नीचे मम्मी अपनी सहेलियों से कह रही हैँ… ये बुढिया पता नहीँ कब “टेँ” बोलेगी ?
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belaroy72-blog · 7 years
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अपरिचिता ~ रवींद्रनाथ टैगोर आज मेरी आयु केवल सत्ताईस साल की है। यह जीवन न दीर्घता के हिसाब से बड़ा है, न गुण के हिसाब से। तो भी इसका एक विशेष मूल्य है। यह उस फूल के समान है जिसके वक्ष पर भ्रमर आ बैठा हो और उसी पदक्षेप के इतिहास ने उसके जीवन के फल में गुठली का-सा रूप धारण कर लिया हो। वह इतिहास आकार में छोटा है, उसे छोटा करके ही लिखूंगा। जो छोटे को साधारण समझने की भूल नहीं करेंगे वे इसका रस समझेंगे। कॉलेज में पास करने के लिए जितनी परीक्षाएं थीं सब मैंने खत्म कर ली हैं। बचपन में मेरे सुंदर चेहरे को लेकर पंडितजी को सेमल के फूल तथा माकाल फल1 के साथ मेरी तुलना करके हंसी उड़ाने का मौका मिला था। तब मुझे इससे बड़ी लज्जा लगती थी; किंतु बड़े होने पर सोचता रहा हूं कि यदि पुनर्जन्म हो तो मेरे मुख पर सुरूप और पंडितजी के मुख पर विद्रूप इसी प्रकार प्रकट हो। एक दिन था जब मेरे पिता गरीब थे। वकालत करके उन्होंने बहुत-सा रुपया कमाया, भोग करने का उन्हें पल-भर भी समय नहीं मिला। मृत्यु के समय उन्होंने जो लंबी सांस ली थी वही उनका पहला अवकाश था। उस समय मेरी अवस्था कम थी। मां के ही हाथों मेरा लालन-पालन हुआ। मां गरीब घर की बेटी थीं; अत: हम धनी थे यह बात न तो वे भूलतीं, और न मुझे भूलने देतीं बचपन में मैं सदा गोद में ही रहा, शायद इसीलिए मैं अंत तक पूरी तौर पर वयस्क ही नहीं हुआ। आज ही मुझे देखने पर लगेगा जैसे मैं अन्नपूर्णा की गोद में गजानन का छोटा भाई होऊं। मेरे असली अभिभावक थे मेरे मामा। वे मुझसे मुश्किल से छ: वर्ष बड़े होंगे। किंतु, फल्गु की रेती की तरह उन्होंने हमारे सारे परिवार को अपने हृदय में सोख 1.बाहर से देखने में सुंदर तथा भीतर से दुर्गंधयुक्त और अखाद्य गुदे वाला एक फल। लिया था। उन्हें खोदे बिना इस परिवार का एक भी बूंद रस पाने का कोई उपाय नहीं। इसी कारण मुझे किसी भी वस्तु के लिए कोई चिंता नहीं करनी पड़ती। हर कन्या के पिता स्वीकार करेंगे कि मैं सत्पात्र हूं। हुक्का तक नहीं पीता। भला आदमी होने में कोई झंझट नहीं है, अत: मैं नितांत भलामानस हूं। माता का आदेश मानकर चलने की क्षमता मुझमें है- वस्तुत: न मानने की क्षमता मुझमें नहीं है। मैं अपने को अंत:पुर के शासनानुसार चलने के योग्य ही बना सका हूं, यदि कोई कन्या स्वयंवरा हो तो इन सुलक्षणों को याद रखे। बड़े-बड़े घरों से मेरे विवाह के प्रस्ताव आए थे। किंतु मेरे मामा का, जो धरती पर मेरे भाग्य देवता के प्रधान एजेंट थे, विवाह के संबंध में एक विशेष मत था। अमीर की कन्या उन्हें पसंद न थी। हमारे घर जो लड़की आए वह सिर झुकाए हुए आए, वे यही चाहते थे। फिर भी रुपये के प्रति उनकी नस-नस में आसक्ति समाई हुई थी। वे ऐसा समधी चाहते थे जिसके पास धन तो न हो, पर जो धन देने में त्रुटि न करे। जिसका शोषण तो कर लिया जाए, पर जिसे घर आने पर गुड़गुड़ी के बदले बंधे हुक्के में1 तंबाकू देने पर जिसकी शिकायत न सुननी पड़े। मेरा मित्र हरीश कानपुर में काम करता था। छुट्टियों में उसने कलकत्ता आकर मेरा मन चंचल कर दिया। बोला, सुनो जी, अगर लड़की की बात हो तो एक अच्छी-खासी लड़की है। कुछ दिन पहले ही एम.ए. पास किया था। सामने जितनी दूर तक दृष्टि जाती, छुट्टी धू-धू कर रही थी; परीक्षा नहीं है, उम्मीदवारी नहीं, नौकरी नहीं; अपनी जायदाद देखने की चिंता भी नहीं, शिक्षा भी नहीं, इच्छा भी नहीं- होने में भीतर मां थीं और बाहर मामा। इस अवकाश की मरुभूमि में मेरा हृदय उस समय विश्वव्यापी नारी-रूप की मरीचिका देख रहा था- आकाश में उसकी दृष्टि थी, वायु में उसका निश्वास, तरु-मर्मर में उसकी रहस्यमयी बातें। ऐसे में ही हरीश आकर बोला, अगर लड़की की बात हो तो। मेरा तन मन वसंत वायु से दोलायित बकुल वन की नवपल्लव-राशि की भांति धूप-छांह का पट बुनने लगा। हरीश आदमी था रसिक, रस उंडेलकर वर्णन करने की उसमें शक्ति थी, और मेरा मन था तृर्षात्त। मैंने हरीश से कहा, एक बार मामा से बात चलाकर देखो! बैठक जमाने में हरीश अद्वितीय था। इससे सर्वत्र उसकी खातिर होती थी। 1. गुड़गुड़ी हुक्का अधिक सम्मान-सूचक समझा जाता है, बंधा हुक्का मामूली हुक्का होता है। मामा भी उसे पाकर छोड़ना नहीं चाहते थे। बात उनकी बैठक में चली। लड़की की अपेक्षा लड़की के पिता की जानकारी ही उनके लिए महत्वपूर्ण थी। पिता की अवस्था वे जैसी चाहते थे वैसी ही थी। किसी जमाने में उनके वंश में लक्ष्मी का मंगल घट भरा रहता था। इस समय उसे शून्य ही समझो, फिर भी तले में थोड़ा-बहुत बाकी था। अपने प्रांत में वंश-मर्यादा की रक्षा करके चलना सहज न समझकर वे पश्चिम में जाकर वास कर रहे थे। व��ां गरीब गृहस्थ की ही भांति रहते थे। एक लड़की को छोड़कर उनके और कोई नहीं था। अतएव उसी के पीछे लक्ष्मी के घट को एकदम औंधा कर देने में हिचकिचाहट नहीं होगी। यह सब तो सुंदर था। किंतु, लड़की की आयु पंद्रह की है यह सुनकर मामा का मन भारी हो गया। वंश में तो कोई दोष नहीं है? नहीं, कोई दोष नहीं- पिता अपनी कन्या के योग्य वर कहीं भी न खोज पाए। एक तो वर की हाट में मंहगाई थी, तिस पर धनुष-भंग की शर्त, अत: बाप सब्र किए बैठे हैं,-किंतु कन्या की आयु सब्र नहीं करती। जो हो, हरीश की सरस रचना में गुण था मामा का मन नरम पड़ गया। विवाह का भूमिका-भाग निर्विघ्न पूरा हो गया। कलकत्ता के बाहर बाकी जितनी दुनिया है, सबको मामा अंडमान द्वीप के अंतर्गत ही समझते थे। जीवन में एकबार विशेष काम से वे कोन्नगर तक गए थे। मामा यदि मनु होते तो वे अपनी संहिता में हावड़ा के पुल को पार करने का एकदम निषेध कर देते। मन में इच्छा थी, खुद जाकर लड़की देख आऊं। पर प्रस्ताव करने का साहस न कर सका। कन्या को आशीर्वाद देने1 जिनको भेजा गया वे हमारे विनु दादा थे, मेरे फुफेरे भाई। उनके मत, रुचि एवं दक्षता पर मैं सोलह आने निर्भर कर सकता था। लौटकर विनु दादा ने कहा, बुरी नहीं है जी! असली सोना है। विनु दादा की भाषा अत्यंत संयत थी। जहां हम कहते थे 'अपूर्व', वहां वे कहते 'कामचलाऊ'। अतएव मैं समझा, मेरे भाग्य में पंचशर का प्रजापति से कोई विरोध नहीं है। 2 कहना व्यर्थ है, विवाह के उपलक्ष्य में कन्या पक्ष को ही कलकत्ता आना पड़ा। कन्या के पिता शंभूनाथ बाबू हरीश पर कितना विश्वास करते थे, इसका प्रमाण यह था कि विवाह के तीन दिन पहले उन्होंने मुझे पहली बार देखा और आशीर्वाद की रस्म बंगालियों में विवाह पक्का करने के लिए एक रस्म होती है- जिसमें वर-पक्ष के लोग कन्या को और कन्या-पक्ष के लोग वर को आशीर्वाद देकर कोई आभूषण दे जाते हैं। पूरी कर गए। उनकी अवस्था चालीस के ही आस-पास होगी। बाल काले थे, मूंछों का पकना अभी प्रारंभ ही हुआ था। रूपवान थे, भीड़ में देखने पर सबसे पहले उन्हीं पर नजर पड़ने लायक उनका चेहरा था। आशा करता हूं कि मुझे देखकर वे खुश हुए। समझना कठिन था, क्योंकि वे अल्पभाषी थे। जो एकाध बात कहते भी थे उसे मानो पूरा जोर देकर नहीं कहते थे। इस बीच मामा का मुंह अबाध गति से चल रहा था- धन में, मान में हमारा स्थान शहर में किसी से कम नहीं था, वे नाना प्रकार से इसी का प्रचार कर रहे थे। शंभूनाथ बाबू ने इस बात में बिल्कुल योग नहीं दिया- किसी भी प्रसंग में कोई 'हां' या 'हूं' तक नहीं सुनाई पड़ी। मैं होता तो निरुत्साहित हो जाता, किंतु मामा को हतोत्साहित करना कठिन था। उन्होंने शंभूनाथ बाबू का शांत स्वभाव देखकर सोचा कि आदमी बिल्कुल निर्जीव है, तनिक भी तेज नहीं। समधियों में और जो हो, तेज भाव होना पाप है, अतएव, मन-ही-मन मामा खुश हुए। शंभूनाथ बाबू जब उठे तो मामा ने संक्षेप में ऊपर से ही उनको विदा कर दिया, गाड़ी में बिठाने नहीं गए। दहेज के संबंध में दोनों पक्षों में बात पक्की हो गई थी। मामा अपने को असाधारण चतुर समझकर गर्व करते थे। बातचीत में वे कहीं भी कोई छिद्र न छोड़ते। रुपये की संख्या तो निश्चित थी ही, ऊपर से गहना कितने भर एवं सोना किस दर का होगा, यह भी एकदम तय हो गया था। मैं स्वयं इन बातों में नहीं था; न जानता ही था कि क्या लेन-देन निश्चित हुआ है। मैं जानता था कि यह स्थूल भाग ही विवाह का एक प्रधान अंग है; एवं उस अंश का भार जिनके ऊपर है वे एक कौड़ी भी नहीं ठगाएंगे। वस्तुत: अत्यंत चतुर व्यक्ति के रूप में मामा हमारे सारे परिवार में गर्व की प्रधान वस्तु थे। जहां कहीं भी हमारा कोई संबंध हो पर्वत ही बुध्दि की लड़ाई में जीतेंगे, यह बिल्कुल पक्की बात थी। इसलिए हमारे यहां कभी न रहने पर भी एवं दूसरे पक्ष में कठिन अभाव होते हुए भी हम जीतेंगे, हमारे परिवार की जिद थी- इसमें चाहे कोई बचे या मरे। हल्दी चढ़ाने की रस्म बड़ी धूमधाम से हुई। ढोने वाले इतने थे कि उनकी संख्या का हिसाब रखने के लिए क्लर्क रखना पड़ता। उनको विदा करने में अवर पक्ष का जो नाकों-दम होगा उसका स्मरण करके मामा के साथ स्वर मिलाकर मां खूब हंसी। बैंड, शहनाई, फैंसी कंसर्ट आदि जहां जितने प्रकार की जोरदार आवाजें थीं, सबको एक साथ मिलाकर बर्बर कोलाहल रूपी मस्त हाथी द्वारा संगीत सरस्वती के पर्विंन को दलित-विदलित करता हुआ मैं विवाह के घर में जा पहुंचा। अंगूठी, हार, जरी, जवाहरात से मेरा शरीर ��सा लग रहा था जैसे गहने की दुकान नीलाम पर चढ़ी हो। उनके भावी जमाता का मूल्य कितना था यह जैसे कुछ मात्रा में सर्वांग में स्पष्ट रूप से लिखकर भावी ससुर के साथ मुकाबला करने चला था। मामा विवाह के घर पहुंचकर प्रसन्न नहीं हुए। एक तो आंगन में बरातियों कै बैठने के लायक जगह नहीं थी, तिस पर संपूर्ण आयोजन एकदम साधारण ढंग का था। ऊपर से शंभूनाथ बाबू का व्यवहार भी निहायत ठंडा था। उनकी विनय अजस्र नहीं थी। मुंह में शब्द ही न थे। बैठे गले, गंजी खोपड़ी, कृष्णवर्ण एवं स्थूल शरीर वाले उनके एक वकील मित्र यदि कमर में चादर बांधे, बराबर हाथ जोड़े, सिर हिलाते हुए, नम्रतापूर्ण स्मितहास्य और गद्गद वचनों से कंसर्ट पार्टी के करताल बजाने वाले से लेकर वरकर्ता तक प्रत्येक को बार-बार प्रचुर मात्रा में अभिषिक्त न कर देते तो शुरू में ही मामला इस पार या उस पार हो जाता। मेरे सभा में बैठने के कुछ देर बाद ही मामा शंभूनाथ बाबू को बगल के कमरे में बुला ले गए। पता नहीं, क्या बातें हुईं। कुछ देर बाद ही शंभूनाथ बाबू ने आकर मुझसे कहा, लालाजी, जरा इधर तो आइए!' मामला यह था- सभी का न हो, किंतु किसी-किसी मनुष्य का जीवन में कोई एक लक्ष्य रहता है। मामा का एकमात्र लक्ष्य था-वे किसी भी प्रकार किसी से ठगे नहीं जाएंगे। उन्हें डर था कि उनके समधी उन्हें गहनों में धोखा दे सकते हैं- विवाह-कार्य समाप्त हो जाने पर उस धोखे का कोई प्रतिकार न हो सकेगा। घर-किराया, सौगात, लोगों की विदाई आदि के विषय में जिस प्रकार की खींचातानी का परिचय मिला उससे मामा ने निश्चय किया था- लेने-देने के संबंध में इस आदमी की केवल जबानी बात पर निर्भर रहने से काम न चलेगा। इसी कारण घर के सुनार तक को साथ लाए थे। बगल के कमरे में जाकर देखा, मामा एक कुर्सी पर बैठे थे। एक सुनार अपनी तराजू, बाट और कसौटी आदि लिए जमीन पर। शंभूनाथ बाबू ने मुझसे कहा, तुम्हारे मामा कहते हैं कि विवाह-कार्य शुरू होने के पहले ही वे कन्या के सारे गहने जंचवा देखेंगे, इसमें तुम्हारी क्या राय है? मैं सिर नीचा किए चुप रहा। मामा बोले, वह क्या कहेगा। मैं जो कहूंगा, वही होगा। शंभूनाथ बाबू ने मेरी ओर देखकर कहा, तो फिर यही तय रहा? ये जो कहेंगे वही होगा? इस संबंध में तुम्हें कुछ नहीं कहना है? मैंने जरा गर्दन हिलाकर इशारे से बताया, इन सब बातों में मेरा बिल्कुल भी अधिकार नहीं है। अच्छा तो बैठो, लड़की के शरीर से सारा गहना उतारकर लाता हूं। यह कहते हुए वे उठे। मामा बोले, अनुपम यहां क्या करेगा? वह सभा में जाकर बैठे। शंभूनाथ बोले, नहीं, सभा में नहीं, यहीं बैठना होगा। कुछ देर बाद उन्होंने एक अंगोछे में बंधे गहने लाकर चौकी के ऊपर बिछा दिए। सारे गहने उ पितामही के जमाने के थे, नए फैशन का बारीक काम न था- जैसा मोटा था वैसा ही भारी था। सुनार ने हाथ में गहने उठाकर कहा, इन्हें क्या देखूं। इसमें कोई मिलावट नहीं है- ऐसे सोने का आजकल व्यवहार ही नह। यह कहते हुए उसने मकर के मुंह वाला मोटा एक बाला कुछ दबाकर दिखाया, वह टेढ़ा हो जाता था। मामा ने उसी समय नोट-बुक में गहनों की सूची बना ली- कहीं जो दिखाया गया था उसमें से कुछ कम न हो जाए। हिसाब करके देखा, गहना जिस मात्रा में देने की बात थी इनकी संख्या, दर एवं तोल उससे अधिक थी। गहनों में ए�� जोड़ा इयरिंग था। शंभूनाथ ने उसको सुनार के हाथ में देकर कहा, जरा इसकी परीक्षा करके देखो! सुनार ने कहा, यह विलायती माल है, इसमें सोने का हिस्सा मामूली ही है। शंभू बाबू ने इयरिंग जोड़ी मामा के हाथ में देते हुए कहा, इसे आप ही रखें! मामा ने उसे हाथ में लेकर देखा, यही इयरिंग कन्या को देकर उन्होंने आशीर्वाद की रस्म पूरी की थी। मामा का चेहरा लाल हो उठा, दरिद्र उनको ठगना चाहेगा, किंतु वे ठगे नहीं जाएंगे इस आनंद-प्राप्ति से वंचित रह गए, एवं इसके अतिरिक्त कुछ ऊपरी प्राप्ति भी हुई। मुंह अत्यंत भारी करके बोले, अनुपम, जाओ तुम सभा में जाकर बैठो! शंभूनाथ बाबू बोले, नहीं, अब सभा में बैठना नहीं होगा। चलिए, पहले आप लोगों को खिला दूं। मामा बोले, यह क्या कह रहे हैं? लग्न शंभूनाथ बाबू ने कहा, उसके लिए चिंता न करें- अभी उठिए! आदमी निहायत भलामानस था, किंतु अंदर से कुछ ज्यादा हठी प्रतीत हुआ। मामा को उठना पड़ा। बरातियों का भी भोजन हो गया। आयोजन में आडंबर नहीं था। किंतु रसोई अच्छी बनी थी और सब-कुछ साफ-सुथरा। इससे सभी तृप्त हो गए। बरातियों का भोजन समाप्त होने पर शंभूनाथ बाबू ने मुझसे खाने को कहा। मामा ने कहा, यह क्या कह रहे हैं? विवाह के पहले वर कैसे भोजन करेगा! इस संबंध में वे मामा के व्यक्त किए मत की पूर्ण उपेक्षा करके मेरी ओर देखकर बोले, तुम क्या कहते हो? भोजन के लिए बैठने में कोई दोष है? मूर्तिमती मातृ-आज्ञा-स्वरूप मामा उपस्थित थे, उनके विरुध्द चलना मेरे लिए असंभव था। मैं भोजन के लिए न बैठ सका। तब शंभूनाथ बाबू ने मामा से कहा, आप लोगों को बहुत कष्ट दिया है। हम लोग धनी नहीं हैं। आप लोगों के योग्य व्यवस्था नहीं कर सके, क्षमा करेंगे। रात हो गई है, आप लोगों का कष्ट और नहीं बढ़ाना चाहता। तो फिर इस समय- मामा बोले, तो, सभा में चलिए, हम तो तैयार हैं। शंभूनाथ बोले, तब आपकी गाड़ी बुलवा दूं? मामा ने आश्चर्य से कहा, मजाक कर रहे हैं क्या? शंभूनाथ ने कहा, मजाक तो आप ही कर चुके हैं। मजाक के संपर्क को स्थायी करने की मेरी इच्छा नहीं है। मामा दोनों आंखें विस्फारित किए अवाक् रह गए। शंभूनाथ ने कहा, अपनी कन्या का गहना मैं चुरा लूंगा, जो यह बात सोचता है उसके हाथों मैं कन्या नहीं दे सकता। मुझसे एक शब्द कहना भी उन्होंने आवश्यक नहीं समझा। कारण, प्रमाणित हो गया था, मैं कुछ भी नहीं था। उसके बाद जो हुआ उसे कहने की इच्छा नहीं होती। झाड़-फानूस तोड़-फोड़कर चीज-वस्तु को नष्ट-भ्रष्ट करके बरातियों का दल दक्ष-यज्ञ का नाटक पूरा करके बाहर चला आया। घर लौटने पर बैंड, शहनाई और कंसर्ट सब साथ नहीं बजे एवं अभ्रक के झाड़ों ने आकाश के तारों के ऊपर अपने कर्त्तव्य का निर्वाह करके कहां महानिर्वाण प्राप्त किया, पता नहीं चला। 3 घर के सब लोग क्रोध से आग-बबूला हो गए। कन्या के पिता को इतना घमंड कलियुग पूर्ण रूप से आ गया है! सब बोले, देखें, लड़की का विवाह कैसे करते हैं। किंतु, लड़की का विवाह नहीं होगा, यह भय जिसके मन में न हो उसको दंड देने का क्या उपाय है? बंगाल-भर में मैं ही एकमात्र पुरुष था जिसको स्वयं कन्या के पिता ने जनवासे से लौटा दिया था। इतने बड़े सत्पात्र के माथे पर कलंक का इतना बड़ा दाग किस दुष्ट ग्रह ने इतना प्रचार करके गाजे-बाजे से समारोह करके आंक दिया? बराती यह कहते हुए माथा पीटने लगे कि विव मां अच्छा और बुरा लगने के बीच दुचिती हो रही थीं। डिब्बे में मैं हूं मर्द, तो भी इसे कोई संकोच नहीं, खासकर वह इस लोभ की भांति खा रही है। यह बात उनको पसंद नहीं आ रही थी; और उसे बेहया कहने का भी उन्हें भ्रम न हुआ। उन्हें लगा, इस लड़की की अवस्था हो गई है, किंतु शिक्षा नहीं मिली। मां एकाएक किसी से बातचीत नहीं कर पातीं। लोगों के साथ दूर-दूर रहने का ही उनको अभ्यास था। इस लड़की का परिचय प्राप्त करने की उनको बड़ी इच्छा थी, किंतु स्वाभाविक बाधा नहीं मिटा पा रही थीं। इसी समय गाड़ी एक बड़े स्टेशन पर आकर रुक गई। उन जनरल साहब के साथियों का एक दल इस स्टेशन से चढ़ने का प्रयत्न कर रहा था। गाड़ी में कहीं जगह न थी। कई बार वे हमारे डिब्बे के सामने से निकले। मां तो भय के मारे जड़ हो गई, मैं भी मन में शांति का अनुभव नहीं कर रहा था। गाड़ी छूटने के थोड़ी देर पहले एक देशी रेल-कर्मचारी ने डिब्बों की दो बैंचों के सिरों पर नाम लिखे हुए दो टिकिट लटकाकर मुझसे कहा इस, डिब्बे की ये दो बैंचें पहले से ही दो साहबों ने रिजर्व करा रखी हैं, आप लोगों को दूसरे डिब्बे में जाना होगा। मैं तो झटपट घबराकर खड़ा हो गया। लड़की हिंदी में बोली, नहीं, हम डिब्बा नहीं छोड़ेंगे। उस आदमी ने जिद करते हुए कहा, बिना छोड़े कोई चारा नहीं। किंतु, लड़की के उतरने की इच्छा का कोई लक्षण न देखकर वह उतरकर अंग्रेज स्टेशन-मास्टर को बुला लाया। उसने आकर मुझसे कहा, मुझे खेद है, किंतु- सुनकर मैंने 'कुली-कुली' की पुकार लगाई। लड़की ने उठकर दोनों आंखों से आग बरसाते हुए कहा, नहीं, आप नहीं जा सकते, जैसे हैं बैठे रहिए! यह कहकर उसने दरवाजे के पास खड़े होकर स्टेशन-मास्टर से अंग्रेजी में कहा, यह डिब्बा पहले से रिजर्व है, यह बात झूठ है। यह कहकर उसने नाम लिखे टिकटों को खोलकर प्लेटफार्म पर फेंक दिया। रात में ठीक से नींद नहीं आई। प्राय: हर स्टेशन पर एक बार मुंह निकालकर देखता, भय होने लगा कि जिसको देख नहीं पाया वह कहीं रात में ही न उतर जाए। दूसरे दिन सुबह एक बड़े स्टेशन पर गाड़ी बदलनी थी हमारे टिकिट फर्स्ट क्लास के थे- आशा थी, भीड़ नहीं होगी। उतरकर देखा, प्लेटफार्म पर साहबों के अर्दलियों का दल सामान लिए गाड़ी की प्रतीक्षा कर रहा है। फौज के कोई एक बड़े जनरल साहब भ्रमण के लिए निकले थे। दो-तीन मिनिट के बाद ही गाड़ी आ गई। समझा, फर्स्ट क्लास की आशा छोड़नी पड़ेगी। मां को लेकर किस डब्बे में चढ लूं, इस बारे में बड़ी चिंता में पड़ गया। पूरी गाड़ी में भीड़ थी। दरवाजे-दरवाजे झांकता हुआ घूमने लगा। इसी बीच सैकंड क्लास के डिब्बे से एक लड़की ने मेरी मां को लक्ष्य करके कहा, आप हमारे डिब्बे में आइए न, यहां जगह है। मैं तो चौंक पड़ा। वही अद्भुत मधुर स्वर और वही गीत की टेक 'जगह है' क्षण-भर की भी देर न करके मां को लेकर डिब्बे में चढ़ गया। सामान चढ़ाने का समय प्राय: नहीं था। मेरे-जैसा असमर्थ दुनिया में कोई न होगा। उस लड़की ने ही कुलियों के हाथ से झटपट चलती गाड़ी में हमारे बिस्तरादि खींच लिए। फोटो खींचने का मेरा एक कैमरा स्टेशन पर ही छूट गया- ध्यान ही न रहा। उसके बाद- क्या लिखूं, नहीं जानता। मेरे मन में एक अखंड आनंद की तस्वीर है- उसे कहां से शुरू करूं, कहां समाप्त करूं? बैठे-बैठे एक वाक्य के बाद दूसरे वाक्य की योजना करने की इच्छा नहीं होती। इस बार उसी स्वर को आंखों से देखा। इस समय भी वह स्वर ही जान पड़ा। मां के मुंह की ओर ताका; देखा कि उनकी आंखों के पलक नहीं गिर रहे थे। लड़की की अवस्था सोलह या सत्रह की होगी, किंतु नवयौवन ने उसके देह, मन पर कहीं भी जैसे जरा भी भार न डाला हो। उसकी गति सहज, दीप्ति निर्मल, सौंदर्य की शुचिता अपूर्व थी, उसमें कहीं कोई जड़ता न थी। मैं देख रहा हूं, विस्तार से कुछ भी कहना मेरे लिए असंभव है। यही नहीं, वह किस रंग की साड़ी किस प्रकार पहने हुए थी, यह भी ठीक से नहीं कह सकता। यह बिल्कुल सत्य है कि उसकी वेश-भूषा में ऐसा कुछ न था जो उसे छोड़कर विशेष रूप से आंखों को आकर्षित करे। वह अपने चारों ओर की चीजों से बढ़कर थी- रजनीगंधा की शुभ्र मंजरी के समान सरल वृंत के ऊपर स्थित, जिस वृक्ष पर खिली थी उसका एकदम अतिक्रमण कर गई थी। साथ में दो-तीन छोटी-छोटी लड़कियां थीं, उनके साथ उसकी हंसी और बातचीत का अंत न था। मैं हाथ में एक पुस्तक लिए उस ओर कान लगाए था। जो कुछ कान में पड़ रहा था वह सब तो बच्चों के साथ ब���पने की बातें थीं। उसका विशेषत्व यह था कि उसमें अवस्था का अंतर बिल्कुल भी नहीं था- छोटों के साथ वह अनायास और आनंदपूर्वक छोटी हो गई थी। साथ में बच्चों की कहानियों की सचित्र पुस्तकें थीं- उसी की कोई कहानी सुनाने के लिए लड़कियों ने उसे घेर लिया था, यह कहानी अवश्य ही उन्होंने बीस-पच्चीस बार सुनी होगी। लड़कियों का इतना आग्रह क्यों था यह मैं समझ गया। उस सुधा-कंठ की सोने की छड़ी से सारी कहानी सोना हो जाती थी। लड़की का संपूर्ण तन-मन पूरी तरह प्राणों से भरा था, उसकी सारी चाल-ढाल-स्पर्श में प्राण उमड़ रहा था। अत: लड़कियां जब उसके मुंह से कहानी सुनतीं तब कहानी नहीं, उसी को सुनतीं; उनके हृदय पर प्राणों का झरना झर पड़ता। उसके उस उद्भासित प्राण ने मेरी उस दिन की सारी सूर्य-किरणों को सजीव कर दिया; मुझे लगा, मुझे जिस प्रकृति ने अपने आकाश से वेष्टित कर रखा है वह उस तरुणी के ही अक्लांत, अम्लान प्राणों का विश्व-व्यापी विस्तार है। दूसरे स्टेशन पर पहुंचते ही उसने खोमचे वाले को बुलाकर काफी-सी दाल-मोठ खरीदी, और लड़कियों के साथ मिलकर बिल्कुल बच्चों के समान कलहास्य करते हुए निस्संकोच भाव से खाने लगी। मेरी प्रकृति तो जाल से घिरी हुई थी- क्यों मैं अत्यंत सहज भाव से, उस हंसमुख लड़की से एक मुट्ठी दाल-मोठ न मांग सका? हाथ बढ़ाकर अपना लोभ क्यों नहीं स्वीकार किया। इस बीच में वर्दी पहने साहब अर्दली के साथ दरवाजे के पास आकर खड़ा हो गया था। डिब्बे में अपना सामान चढ़ाने के लिए पहले उसने अर्दली को इशारा किया था। उसके पश्चात् लड़की के मुंह की ओर देखकर, उसकी बात सुनकर, मुखमुद्रा देखकर स्टेशन-मास्टर को थोड़ा छुपा और उसको ओट में ले जाकर पता नहीं क्या कहा। देखा गया, गाड़ी छूटने का समय बीत चुकने पर भी और एक डिब्बा जोड़ा गया, तब कहीं ट्रेन छूटी। लड़की ने अपना दलबल लेकर फिर दुबारा दाल-मोठ खाना शुरू कर दिया, और मैं शर्म के मारे जंगले के बाहर मुंह निकालकर प्रकृति की शोभा देखने लगा। गाड़ी कानपुर में आकर रुकी। लड़की सामान बांधकर तैयार थी- स्टेशन पर एक अबंगाली नौकर उनको उतारने का प्रयत्न करने लगा। तब फिर मां से न रहा गया। पूछा, तुम्हारा नाम क्या है, बेटी? लड़की बोली, मेरा नाम कल्याणी है। सुनकर मां और मैं दोनों ही चौंक पड़े। तुम्हारे पिता- वे यहां डॉक्टर हैं उनका नाम शंभूनाथ सेन है। उसके बाद ही वे उतर गईं। उपसंहार मामा के निषेध को अमान्य करके माता की आज्ञा ठुकराकर मैं अब कानपुर आ गया हूं। कल्याणी के पिता और कल्याणी से भेंट हुई है। हाथ जोड़े हैं, सिर झुकाया है, शंभूनाथ बाबू का हृदय पिघला है। कल्याणी कहती है, मैं विवाह नहीं करूंगी। मैंने पूछा, क्यों? उसने कहा, मातृ-आज्ञा। जब हो गया! इस ओर भी मातुल हैं क्या? बाद में समझा, मातृ-भूमि है। वह संबंध टूट जाने के बाद से कल्याणी ने लड़कियों को शिक्षा देने का व्रत ग्रहण कर लिया है। किंतु, मैं आशा न छोड़ सका। वह स्वर मेरे हृदय में आज भी गूंज रहा है- वह मानो कोई उस पार की वंशी हो- मेरी दुनिया के बाहर से आई थी, मुझे सारे जगत के बाहर बुला रही थी। और, वह जो रात के अंधकार में मेरे कान में पड़ा था, 'जगह है,' वह मेरे चिर-जीवन के संगीत की टेक बन गई। उस समय मेरी आयु थी तेईस, अब हो गई है सत्ताईस। अभी तक आशा नहीं छोड़ी है, किंतु मातुल को छोड़ दिया है। इकलौता लड़का होने के कारण मां मुझे नहीं छोड़ सकीं। तुम सोच रहे होगे, मैं विवाह की आशा करता हूं। नहीं, कभी नहीं। मुझे याद है, बस उस रात के अपरिचित कंठ के मधुर स्वर की आशा- जगह है। अवश्य है। नहीं तो खड़ा होऊंगा? इसी से वर्ष के बाद वर्ष बीतते जाते हैं- मैं यहीं हूं। भेंट होती है, वही स्वर सुनता हूं, जब अवसर मिलता है उसका काम कर देता हूं- और मन कहता है- यही तो जगह मिली है, ओ री अपरिचिता! तुम्हारा परिचय पूरा नहीं हुआ, पूरा होगा भी नहीं, किंतु मेरा भाग्य अच्छा है, मुझे जगह मिल चुकी है।
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अध्याय 12
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जब सभी लोग सुनते हैं, जब सब कुछ नवीकृत और पुनर्जीवित हो जाता है, जब हर व्यक्ति बिना आशंका के परमेश्वर को समर्पित हो जाता है, और परमेश्वर के बोझ की भारी ज़िम्मेदारी को अपने कंधे पर उठाने के लिए तैयार होता है—तभी ऐसा होता है कि पूर्वी बिजली आगे बढ़ती है, प्रभु यीशुपूर्व से पश्चिम तक सभी को रोशन करते हुए, इस प्रकाश के आगमन के साथ पृथ्वी पर सभी को भयभीत करते हुए; और इस समय, परमेश्वर एक बार फिर अपना नया जीवन शुरू करता है। कहने का अर्थ है इस समय परमेश्वर पृथ्वी पर अपना नया काम शुरू करता है, पूरे विश्व के लोगों के प्रति यह घोषणा करते हुए कि "जब पूर्व से बिजली चमकती है—जो कि निश्चित रूप से वही क्षण भी होता है जब मैं बोलना आरम्भ करता हूँ—जिस क्षण बिजली प्रकट होती है, तो संपूर्ण नभमण्डल जगमगा उठता है, और सभी तारे रूपान्तरित होना शुरू कर देते हैं।" तो, कब वह समय होता है जब बिजली पूर्व दिशा से निकल कर आगे बढ़ती है? जब स्वर्ग पर अंधेरा छाने लगता है और पृथ्वी धुंधली हो जाती है, और ऐसा तब होता है जब परमेश्वर दुनिया से अपना चेहरा छिपा लेता है, और उस क्षण जब आकाश के नीचे सब कुछ एक शक्तिशाली तूफान से घिरने वाला होता है। इस समय, सभी लोग आतंक से ग्रसित हो जाते हैं, गड़गड़ाहट से भयभीत, बिजली की चमक से डरते हुए, और प्रलय के आक्रमण से और भी ज्यादा भयाकुल, इस तरह कि उनमें से ज्यादातर अपनी आँखें मूँद लेते हैं और परमेश्वर के क्रोधित होकर उन्हें मार देने की प्रतीक्षा करते हैं। जैसे ही विभिन्न स्थितियाँ गुजरती हैं, पूर्वी बिजली तत्काल आगे बढती है। जिसका अर्थ है कि दुनिया के पूर्व में, उस समय से लेकर जब खुद परमेश्वर के प्रति गवाही शुरू होती है, और उस समय तक जब वह कार्य करना शुरू करता है, अर्थात् उस समय तक जब देवत्व समग्र पृथ्वी पर अपनी सार्वभौमिक सत्ता का संचालन करने लगता है—यह पूर्वी बिजली की चमचमाती किरणें ही हैं, जो पूरे ब्रह्मांड के लिए सदैव जगमगाती रही हैं। जब धरती के सारे देश मसीह का राज्य बन जाते हैं, तभी पूरा ब्रह्मांड प्रकाशित होता है। अब वह समय है जब पूर्वी बिजली आगे बढ़ती है: देहधारी परमेश्वर कार्य करना शुरू कर देता है, और साथ ही साथ, सीधे दिव्यता में बात करता है। यह कहा जा सकता है कि जब परमेश्वर पृथ्वी पर बात करना शुरू करता है, तभी पूर्वी बिजली प्रकट होती है। अधिक सटीकता से कहें तो, जब सिंहासन से जीवन का जल बहता है—जब सिंहासन से आने वाले कथन शुरू होते हैं—ठीक वही समय होता है जब सातगुना आत्मा के कथन औपचारिक रूप से शुरू होते हैं। इस समय, पूर्वी बिजली आगे बढ़ना शुरू करती है, और समय में अंतर के कारण, रोशनी की मात्रा भी बदलती है, और इसमें, तेजस्विता की एक सीमा भी है। लेकिन जैसे ही परमेश्वर का कार्य चल पड़ता है, और जैसे ही उसकी योजना बदलती है— चूँकि परमेश्वर के पुत्रों और प्रजा पर कार्य अलग-अलग होता है, बिजली अधिकाधिक अपना निहित कार्य करती है, इस तरह कि पूरे ब्रह्मांड में सभी प्रकाशित हो जाते हैं, और कोई तलछट या अशुद्धता नहीं रह जाती है। यह परमेश्वर की 6,000 साल की प्रबंधन योजना का रवाकरण है, और यही वह फल है जिसका परमेश्वर आनंद लेता है। "सितारों" का अर्थ आकाश के सितारे नहीं, बल्कि परमेश्वर के सभी पुत्र और प्रजा हैं जो परमेश्वर के लिए काम करते हैं। चूँकि वे परमेश्वर के राज्य में परमेश्वर की गवाही देते हैं, और परमेश्वर के राज्य में परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करते हैं, और क्योंकि वे जीव हैं, उन्हें "सितारे" कहा जाता है। जो परिवर्तन होते हैं, वे लोगों की पहचान और उनके कद में हुए परिवर्तन हैं: वे पृथ्वी के लोगों से राज्य की प्रजा में बदल जाते हैं, और, इसके अलावा, परमेश्वर उनके साथ होता है, और परमेश्वर की महिमा उनमें होती है। नतीजतन, वे परमेश्वर की जगह पर सार्वभौमिक शक्ति का संचालन करते हैं, और उनके जहर और अशुद्धियों को परमेश्वर के कार्य के कारण शुद्ध कर दिया जाता है, अंततः उन्हें परमेश्वर के द्वारा उपयोग के योग्य और परमेश्वर के हृदय के अनुकूल बनाते हुए—जो इन शब्दों के अर्थ का एक पहलू है। जब परमेश्वर की रोशनी की किरणें समस्त भूमि को प्रकाशित करती हैं, तो स्वर्ग और पृथ्वी की सभी चीजें कम-ज्यादा बदल जाएंगी, और आकाश में तारे भी बदलेंगे, सूरज और चंद्रमा का नवीकरण किया जाएगा, और बाद में पृथ्वी पर लोग भी नवीकृत होंगे--जो स्वर्ग और पृथ्वी के बीच परमेश्वर द्वारा किया गया समूचा कार्य है, और इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।
जब परमेश्वर लोगों को बचाता है—जो, स्वाभाविक रूप से, उन लोगों को शामिल नहीं करता है जो चुने हुए नहीं हैं—वह ठीक वही समय है जब परमेश्वर लोगों का शुद्धिकरण और न्याय करता है, और सभी लोग फूट फूट कर रोते हैं, या अपने बिस्तरों पर आहत पड़े होते हैं, या परमेश्वर के वचनों की वजह से मृत्यु के नरक में मार गिराए जाते हैं। केवल परमेश्वर की बातों के कारण ही वे खुद को जानना शुरू करते हैं। यदि नहीं, तो उनकी आँखें मेंढक की तरह होंगी, ऊपर ताकती हुईं, उनमें से कोई भी आश्वस्त नहीं होगा, उनमें से कोई भी खुद को नहीं जानता होगा, खुद का वज़न कितना है इससे भी अनजान। लोग वास्तव में एक हद तक शैतान द्वारा भ्रष्ट हो चुके हैं। यह निश्चित रूप से परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता की वजह से है कि मनुष्य का कुरूप चेहरा इतने स्पष्ट रूप से चित्रित किया गया है, जिसके कारण मनुष्य इसे पढ़ने के बाद, अपने वास्तविक चेहरे से इसकी तुलना करता है। सभी लोग जानते हैं कि उनके सिर में मस्तिष्क की कितनी कोशिकाएँ हैं, यह परमेश्वर को स्पष्ट रूप से दिखता है, उनके बदसूरत चेहरों या अंदरूनी विचारों के बारे में कुछ भी न कहना बेहतर होगा। इन शब्दों में "ऐसा प्रतीत होता है मानो पूरी मानवजाति को उचित प्रकार से शुद्ध करने और काट-छाँट करने के अधीन कर दिया गया हो। पूर्व के प्रकाश की इस किरण के नीचे, समस्त मानवजाति को उसके मूल स्वरूप में प्रकट किया जाता है चुँधियाई आँखें, भ्रम में हक्के बक्के" यह देखा जा सकता है कि एक दिन जब परमेश्वर का कार्य समाप्त हो जाता है, तो समस्त मानवजाति से परमेश्वर न्याय कर चुका होगा। कोई भी भाग नहीं पाएगा, परमेश्वर मानवजाति में से लोगों को एक-एक करके संभाल लेगा, उनमें से एक को भी माफ़ नहीं करते हुए, और उसके बाद ही परमेश्वर का दिल संतुष्ट होगा। और इसलिए, परमेश्वर कहता है, "फिर, वे ऐसे पशुओं के समान हैं जो पहाड़ों की गुफाओं में शरण लेने के लिए मेरे प्रकाश से दूर भाग रहे हैं; फिर भी, उन में से एक को भी मेरे प्रकाश के भीतर से मिटाया नहीं जा सकता है।" लोग अधम और नीच पशु हैं। शैतान के हाथों में रहते हुए ऐसा लगता है कि वे पहाड़ों के भीतर गहरे प्राचीन वनों में शरण ले चुके हैं—परन्तु चूँकि सब चीजें परमेश्वर की आग से जलाए जाने से बच नहीं सकतीं, शैतान की शक्तियों के "संरक्षण" के तहत रहते हुए भी, तो परमेश्वर उन्हें कैसे भूल सकते हैं? जब वे परमेश्वर के वचनों के आगमन को स्वीकार करते हैं, तो सभी लोगों की भद्दी शकलें और विकृत स्थितियाँ परमेश्वर की कलम के द्वारा चित्रित होती हैं; परमेश्वर मनुष्य की ज़रूरतों और मानसिकता के अनुरूप बोलता है। इस प्रकार, लोगों के लिए, परमेश्वर मनोविज्ञान में माहिर नज़र आता है। ऐसा लगता है जैसे परमेश्वर एक मनोवैज्ञानिक है, बल्कि यह भी जैसे कि परमेश्वर आंतरिक उपचार का एक चिकित्सक है—कोई आश्चर्य नहीं है कि उसे मनुष्य की, जो "जटिल" है, ऐसी समझ है। जितना अधिक लोग इस बार में सोचते हैं, परमेश्वर की बहुमूल्यता का उन्हें उतना ही अधिक एहसास होता है और उतना ही अधिक उन्हें लगता है कि परमेश्वर गहन और अथाह है। ऐसा लगता है कि मनुष्य और परमेश्वर के बीच, एक अगम्य स्वर्गीय सीमा-रेखा है, बल्कि यह भी कि मानो चू नदी[क] के दो किनारों से वे दोनों एक दूसरे का लिहाज करते हैं, दोनों में से कोई भी दूसरे को देखने के अलावा कुछ भी करने में सक्षम नहीं है। कहने का अर्थ है, पृथ्वी पर रहने वाले लोग केवल अपनी आँखों से परमेश्वर को देखते हैं, उन्हें कभी भी उसका समीप से अध्ययन करने का मौका नहीं मिला है, और उनके पास केवल एक लगाव की भावना मात्र है। उनके दिल में, वे हमेशा एक भावना रखते हैं कि परमेश्वर सुंदर है, परन्तु चूँकि परमेश्वर इतना "बेरहम और निर्दयी है," उनके पास उनके दिल की पीड़ा की बात उसके सामने करने का अवसर कभी नहीं रहा है। वे पति के सामने रही एक खूबसूरत जवान पत्नी की तरह हैं जो अपने पति की सत्यनिष्ठा के कारण, कभी भी अपनी सच्ची भावनाओं का खुलासा करने का अवसर नहीं पा सकी है। लोग खुद से घृणा करने वाले अभागे हैं, और इसलिए, उनकी भंगुरता के कारण, आत्मसम्मान की कमी के कारण, मनुष्य के प्रति मेरी नफरत कुछ हद तक बढ़ जाती है, और मेरे दिल का रोष फूट पड़ता है। मेरे मन मे��, ऐसा लगता है जैसे मैंने एक आघात का सामना किया है। मैं लंबे समय से मनुष्य में आशा खो चुका हूँ, लेकिन क्योंकि "एक बार फिर, मेरा दिन मानवजाति के नज़दीक आ रहा है, एक बार फिर मानवजाति को जाग्रत कर रहा है और मानवता को एक स्थान दे रहा है जहाँ से एक नई शुरूआत की जाए," मैं एक बार फिर से समग्र मानव जाति को जीतने के लिए साहस जुटाता हूँ, बड़े लाल अजगर को पकड़ने और हराने के लिए। परमेश्वर का मूल इरादा इस प्रकार था: चीन में बड़े लाल अजगर के वंश-विस्तार पर विजय पाने से बढ़कर कुछ नहीं करना; केवल इसे ��ी बड़े लाल अजगर की शिकस्त माना जा सकता था, बड़े लाल अजगर की पराजय, और केवल यही साबित करने के लिए पर्याप्त होगा कि परमेश्वर समूची पृथ्वी पर राजा के रूप में शासन करता है, परमेश्वर के महान उद्यम की पूर्ति को साबित करते हुए, और (इसे भी साबित करते हुए कि) पृथ्वी पर परमेश्वर की एक नई शुरुआत है, और पृथ्वी पर उसकी महिमा हुई है। अंतिम सुंदर दृश्य की वजह से, परमेश्वर अपने दिल की उत्कंठा को व्यक्त किये बिना नहीं रह सकता: "मेरा हृदय धड़कता है और, मेरे हृदय की धड़कन की लय का अनुसरण करते हुए पहाड़ आनन्द के लिए उछलते हैं और समुद्र खुशी से नृत्य करता है तथा लहरें समय-समय पर चट्टानी भित्तियों से टकराती हैं। जो मेरे हृदय में है उसे व्यक्त करना कठिन है।" इससे यह देखा जा सकता है कि परमेश्वर द्वारा जो योजना बनाई गई थी, उसे वह पहले से ही पूरा कर चुका है, कि यह परमेश्वर द्वारा पूर्व निर्धारित था, और यह ठीक वही है जो परमेश्वर लोगों को अनुभव कराता और दिखाता है। राज्य की संभावना सुंदर है, राज्य का राजा विजयी है, सिर से पैर तक मांस और रक्त का कोई निशान नहीं है, उसका सब कुछ पवित्र है। उसका पूरा देह पवित्र महिमा से उज्जवल है, मानव विचारों से पूरी तरह से अछूता, उसका सारा शरीर ऊपर से नीचे तक, धार्मिकता और स्वर्ग की आभा के साथ छलकता है, और एक मनोरम सुगंध छोड़ता है। श्रेष्ठ गीत में प्राणप्रिय की तरह, वह सभी संतों की तुलना में अधिक सुंदर है, प्राचीन संतों की तुलना में बढ़कर है, वह सभी लोगों के बीच आदर्श है, और मनुष्य के लिए अतुलनीय है; लोग उसे सीधे देखने के योग्य भी नहीं हैं। कोई भी परमेश्वर के महिमापूर्ण चेहरे को, परमेश्वर की उपस्थिति या परमेश्वर की छवि को, प्राप्त नहीं कर सकता, कोई भी प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता, और कोई भी आसानी से अपने मुंह से इन बातों की प्रशंसा तक नहीं कर सकता।
परमेश्वर के वचनों का कोई अंत नहीं है, एक झरने से फूट पड़ते पानी की तरह वे कभी सूखेंगे नहीं और इस प्रकार कोई भी परमेश्वर की प्रबंधन योजना के रहस्यों की थाह नहीं पा सकता—फिर भी परमेश्वर के लिए, ऐसे रहस्य अनंत हैं। विभिन्न तरीकों और भाषा का प्रयोग करते हुए, परमेश्वर ने कई बार पूरे ब्रह्मांड के अपने नवीकरण और परिवर्तन के बारे में कहा है, हर समय आखिरी बार की तुलना में अधिक गहराई से: "मैं चाहता हूँ कि सभी अशुद्ध चीज़ें मेरे घूरने से जलकर भस्म हो जाएँ। मैं चाहता हूँ कि अवज्ञा के सभी पुत्र मेरी नज़रों के सामने से ओझल हो जाएँ, और आगे से अस्तित्व में न मँडराते रहें।" परमेश्वर बार-बार ऐसी बातों को क्यों कहता है? क्या वह भयभीत नहीं कि लोग इनसे से थक जाएँगे? लोग परमेश्वर के वचनों के बीच यूं ही टटोलते रहते हैं, इस तरह से परमेश्वर को जानना चाहते हुए, लेकिन खुद को जाँचने की कभी याद नहीं रखते। इस प्रकार, परमेश्वर इस साधन का उपयोग करता है उनको याद दिलाने के लिए, ताकि वे खुद को जान सकें, ताकि वे खुद ही मनुष्य की अवज्ञा के बारे में जान सकें, और इस प्रकार परमेश्वर के सामने उनकी अवज्ञा को समाप्त कर सकें। यह पढ़कर कि परमेश्वर "साफ और सुव्यवस्थित करना" चाहता है, उनका मनोभाव तुरंत चिंता में पड़ जाता है, और उनकी मांसपेशियाँ भी निष्क्रिय हो जाती हैं। वे तुरंत खुद की आलोचना करने के लिए परमेश्वर के सामने लौट आते हैं, और इस तरह परमेश्वर को जान पाते हैं। इसके बाद—उनके निश्चय कर लेने के बाद—परमेश्वर इस अवसर का उपयोग उन्हें बड़े लाल अजगर का सार दिखाने के लिए करता है; इस प्रकार, लोग सीधे आध्यात्मिक क्षेत्र से जुड़ते हैं, और उनके संकल्प द्वारा निभाई गई भूमिका के कारण, उनके दिमाग भी एक किरदार निभाना शुरू कर देते हैं, जिससे मनुष्य और परमेश्वर के बीच भावना में बढ़ोतरी होती है—जो देहधारी परमेश्वर के कार्य के लिए अधिक लाभकारी है। इस तरह, लोग अनजाने में गुज़रे समय की ओर पीछे मुड़कर देखना चाहते हैं: पिछले कई वर्षों से लोग एक अस्पष्ट परमेश्वर में विश्वास करते थे, कई सालों से, वे अपने दिलों में कभी भी आज़ाद नहीं थे, वे बहुत आनंद लेने में असमर्थ थे, और यद्यपि वे परमेश्वर में विश्वास करते थे, उनके जीवन में कोई व्यवस्था नहीं थी। ऐसा लगता था कि विश्वासी बनकर भी पहले की तुलना में कोई फर्क नहीं पड़ा था, उनके जीवन अभी भी खाली और निराश महसूस होते थे, ऐसा लगता था कि उस समय उनका विश्वास एक प्रकार की उलझन ही था, और यह कि अगर वे विश्वास न ही करते, तो शायद बेहतर होता। जब से उन्होंने आज के स्वयं व्यावहारिक परमेश्वर को देखा, ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग और पृथ्वी का नवीकरण हो गया है; उनके जीवन उज्ज्वल हो गए हैं, वे अब आशाहीन नहीं हैं, और व्यावहारिक परमेश्वर के आगमन के कारण, वे अपने दिलों में दृढ़ और अपनी आत्माओं के भीतर शांत हैं। वे जो भी करते हैं उसमें अब वे हवा का पीछा नहीं करते और छाया को नहीं पकड़ते, अब उनकी खोज लक्ष्यहीन नहीं है और अब वे यूं ही इधर-उधर हाथ-पैर नहीं मार रहें हैं। आज का जीवन और भी अधिक सुंदर है, लोगों ने अनपेक्षित रूप से राज्य में प्रवेश किया और परमेश्वर की प्रजा में शामिल हो गए हैं, और बाद में ... उनके दिलों में, जितना अधिक लोग सोचते हैं, उतनी अधिक मिठास होती है, जितना अधिक वे सोचते हैं, उतने ही अधिक वे खुश है, और उतने ही अधिक वे परमेश्वर से प्रेम करने के लिए प्रेरित होते हैं। इस प्रकार, उनके यह जाने बिना ही, परमेश्वर और मनुष्य के बीच की दोस्ती बढ़ जाती है। लोग परमेश्वर से अधिक प्रेम करने, और परमेश्वर को और अधिक जानने लगते हैं, और मनुष्य में परमेश्वर का कार्य अधिक आसान होने लग जाता है, और यह कार्य अब लोगों को मजबूर या विवश नहीं करता है, बल्कि प्रकृति के अनुसार चलता है, और मनुष्य अपना अनोखा काम करता है—केवल तभी परमेश्वर को जानने के लिए वे धीरे-धीरे सक्षम होंगे। केवल यही परमेश्वर का ज्ञान है—इसमें थोड़ी-सी भी कोशिश निहित नहीं है, और इसे मनुष्य के स्वभाव के अनुरूप बनाया जाता है। इस प्रकार, इस समय परमेश्वर कहता है, "मानव जगत में मेरे देहधारण के समय, मानवजाति मेरे मार्गदर्शन करने वाले हाथ की सहायता से अनिच्छापूर्वक इस दिन तक पहुँची, मुझे जानने के लिए अनिच्छापूर्वक आयी। लेकिन, जहाँ तक इसकी बात है कि जो मार्ग सामने है उस पर कैसे चला जाए, तो किसी को कोई आभास नहीं है, कोई नहीं जानता है, और किसी के पास कोई सुराग तो और भी कम है कि वह मार्ग उसे किस दिशा में ले जाएगा? जिस पर सर्वशक्तिमान निग़रानी रखेगा केवल वही मार्ग पर अंत तक चल पाने में समर्थ होगा; केवल पूर्व की चमकती हुई बिजली के मार्गदर्शन के द्वारा ही कोई मेरे राज्य की ओर ले जाने वाली दहलीज़ को पार करने में समर्थ होगा।" क्या यह मनुष्य के दिल के बारे में मैंने जो ऊपर वर्णित किया है, उसका सारांश नहीं है? इसी में परमेश्वर के वचनों का रहस्य है। मनुष्य के दिल के विचार वे ही हैं जो परमेश्वर के मुंह से कहे गए हैं, और परमेश्वर के मुंह से जो बात कही जाती है वह मनुष्य द्वारा चाही जात��� है, और यही ठीक वो है जिसमें कि, मनुष्य के दिल को उजागर करने के लिए, परमेश्वर सबसे अधिक कुशल है; यदि नहीं, तो सभी ईमानदारी से कैसे आश्वस्त हो सकते हैं? क्या यही वह परिणाम नहीं है जो कि परमेश्वर बड़े लाल अजगर को जीत कर प्राप्त करना चाहता है?
वास्तव में, जैसा कि परमेश्वर का मूल इरादा था, उसके कई वचनों का मतलब उनके सतही अर्थ में नहीं है। उसके कई वचनों में, परमेश्वर बस जानबूझकर लोगों की धारणाएँ बदल रहा है और उनके ध्यान को दूसरी ओर ले जा रहा है। परमेश्वर इन वचनों को कोई महत्व नहीं देता है, और इस प्रकार कई वचन स्पष्टीकरण के योग्य भी नहीं हैं। जब परमेश्वर के वचनों द्वारा मनुष्य पर प्राप्त विजय उस बिंदु तक पहुँच जाती है जहाँ यह अभी है, तो लोगों की ताकत एक निश्चित सीमा तक पहुँच चुकी होती है, और इसीलिए परमेश्वर चेतावनी के और अधिक वचनों का इस्तेमाल करता है—वह नियमावली जिसे वह परमेश्वर की प्रजा के सामने पेश करता है: "यद्यपि मनुष्य जो पृथ्वी पर बसे हुए हैं वे तारों के समान अनगिनित हैं, फिर भी मैं उन सब को इतना स्पष्ट रूप से जानता हूँ जैसे मैं अपने हाथ की हथेली को देखता हूँ। और, यद्यपि ऐसे मनुष्य जो मुझ से "प्रेम" करते हैं वे भी समुद्र की रेत के कणों के समान अनगिनित हैं, फिर भी मैं थोड़े से लोगों को ही चुनता हूँ: केवल उन्हें जो चमकते हुए प्रकाश का अनुसरण करते हैं, और जो उन से अलग हैं जो मुझ से "प्रेम" करते हैं।" दरअसल, ऐसे कई लोग हैं जो कहते हैं कि वे परमेश्वर से प्यार करते हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे हैं जो उनके दिलों में उससे प्यार करते हैं—जो कि, ऐसा प्रतीत होता है, बंद आँखों से भी स्पष्ट रूप से ज्ञात हो सकता है। यह उन सभी लोगों की दुनिया की वास्तविक स्थिति है जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं। इसमें, हम देखते हैं कि अब परमेश्वर लोगों के निष्कासन के कार्य को कर रहा है, जो यह दर्शाता है कि परमेश्वर जो चाहता है, और जो परमेश्वर को संतुष्ट करता है, वह आज की कलीसिया नहीं है, बल्कि निष्कासन के बाद का राज्य है। इस समय आगे वह सभी "खतरनाक चीज़ों" के प्रति एक चेतावनी देता है: परमेश्वर कार्य ही न करे इसे छोड़ दिया जाए तो, जैसे ही परमेश्वर कार्य करना शुरू करता है, इन लोगों को राज्य से मिटा दिया जाएगा। परमेश्वर कभी भी लापरवाही से चीज़ों को नहीं करता है, वह हमेशा "एक तो एक ही है, और दो तो दो ही है" के सिद्धांत के अनुसार कार्य करता है, और यदि ऐसे लोग हैं जिनकी ओर वह नज़र डालना ही नहीं चाहता है, तो वह हर संभव काम करता है उन्हें मिटाने के लिए, ताकि उन्हें भविष्य में परेशानी पैदा करने से रोका जा सके। इसे "कचरा निकालना और पूरी तरह से सफाई करना" कहा जाता है। जब परमेश्वर मनुष्यों के लिए प्रशासनिक नियमों की घोषणा करता है तो वही वह क्षण है जब अपने चमत्कारिक कार्यों को, और जो कुछ भी उसके भीतर है उसे, वह प्रस्तुत करता है, और इस प्रकार वह बाद में कहता है: "पहाड़ों में असंख्य जंगली जानवर हैं, किन्तु वे सभी मेरे सामने एक भेड़ के समान पालतू हैं; समुद्र की गहराईयों में अथाह रहस्य छिपे हुए हैं, किन्तु वे पृथ्वी की सतह की सभी चीज़ों के समान मेरे सामने स्पष्ट रूप से अपने आपको प्रस्तुत करते हैं; ऊपर नभमण्डल में ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ मनुष्य कभी नहीं पहुँच सकता है, फिर भी मैं उन अगम्य क्षेत्रों में स्वतन्त्र रूप से चलता-फिरता हूँ।" परमेश्वर का तात्पर्य यह है: यद्यपि मनुष्य का हृदय सभी चीजों से अधिक धोखेबाज़ है, और वह लोगों की धारणाओं के नरक के जितना ही रहस्यमय प्रतीत होता है, परमेश्वर मनुष्य की वास्तविक स्थितियों को बहुत अच्छी तरह जानता है। सभी चीजों में, मनुष्य एक ऐसा पशु है जो कि एक जंगली जानवर से भी अधिक खूँखार और क्रूर है, फिर भी परमेश्वर ने मनुष्य पर इस हद तक विजय प्राप्त की है कि कोई भी उठने और विरोध करने की हिम्मत नहीं करता। वास्तव में, जैसा कि परमेश्वर का तात्पर्य है, लोग अपने दिल में जो सोचते हैं वह सभी चीजों में, सभी चीजों की तुलना में, अधिक जटिल है, यह अथाह है, फिर भी परमेश्वर को मनुष्य के दिल से कोई सरोकार नहीं है, वह उसे केवल अपनी आँखों के सामने एक छोटे कीड़े के रूप में देखता है; उसके मुंह से निकले एक शब्द के साथ ही, वह इसे जीतता है, किसी भी समय जब वह चाहे, वह उसे मार गिराता है, अपने हाथ की एक हलकी-सी ही गति के साथ, वह उसे ताड़ना देता है, और वह अपनी इच्छा से इसकी निंदा करता है।
आज, सभी लोग अंधेरों में रहते हैं, परन्तु परमेश्वर के आगमन के कारण, परमेश्वर को देखने के परिणामस्वरूप लोगों को प्रकाश के सार का पता चलता है, और पूरे विश्व में ऐसा लगता है कि पृथ्वी पर एक विशाल काला मटका उलट दिया गया हो; कोई भी सांस नहीं ले सकता है, वे सभी लोग स्थिति को उलटना चाहते हैं, फिर भी कोई भी कभी उस काले मटके को हटा नहीं सका है। यह केवल परमेश्वर के देह्धारण के कारण है कि लोगों की आँखें अचानक खुल गई हैं, और उन्होंने व्यावहारिक परमेश्वर को देखा है, और इस प्रकार, परमेश्वर उनसे सवाल के लहजे में पूछता है: "मनुष्य ने प्रकाश में मुझे कभी नहीं पहचाना है, किन्तु सिर्फ अन्धकार के संसार में ही मुझे देखा है। क्या आज तुम लोग बिल्कुल इसी स्थिति में नहीं हो? यह बड़े लाल अजगर के हिंसात्मक व्यवहार की चरम सीमा का समय था कि मैंने अपने कार्य को करने के लिए विधिवत देह का वस्त्र धारण किया।" आध्यात्मिक क्षेत्र में जो कुछ भी हो रहा है, परमेश्वर उसे छिपाता नहीं है, न ही वह मनुष्य के दिल में क्या हो रहा है, उसे छिपाता है, और इस प्रकार वह बार-बार लोगों को याद दिलाता है: "मैं ऐसा न केवल अपने लोगों को देहधारी परमेश्वर को जानने में सक्षम बनाने के लिए करता हूँ, बल्कि अपने लोगों को शुद्ध करने के लिए भी करता हूँ। मेरी प्रशासनिक आज्ञाओं की कठोरता के कारण, लोगों का एक बहुत बड़ा भाग अभी भी मेरे द्वारा निष्कासित किए जाने के खतरे में है। जब तक तुम लोग स्वयं से निपटने के लिए, अपने शरीर को वश में लाने के लिए हर प्रकार का प्रयास नहीं करते हो, और जब तक तुम लोग ऐसा नहीं करते हो, तब तक तुम लोग निःसन्देह, नरक में फेंके जाने के लिए, एक ऐसी वस्तु बनोगे जिससे मैं घृणा करता हूँ और जिसे मैं अस्वीकार करता हूँ, ठीक वैसे ही जैसे पौलुस ने सीधे मेरे हाथों से ताड़ना प्राप्त की थी, जिससे बचने का कोई रास्ता नहीं था।" जितना अधिक परमेश्वर इस तरह की बातें कहता है, उतना अधिक लोग अपने क़दमों के बारे में सतर्क रहते हैं, और उतना ही अधिक वे परमेश्वर के प्रशासनिक आदेशों से भयभीत होते हैं, और तभी तो परमेश्वर की शक्ति को प्रयोग में लाया जा सकता है और उसकी महिमा को स्पष्ट किया जा सकता है। यहाँ, पौलुस का एक बार फिर उल्लेख किया गया है ताकि लोग परमेश्वर की इच्छा को समझ सकें: उनको ऐसे व्यक्ति नहीं बनना चाहिए जिन्हें परमेश्वर ताड़ना देता है, बल्कि ऐसे लोग बनना चाहिए जो परमेश्वर की इच्छा के प्रति सचेत हैं। केवल यही लोगों को, उनके भय के बीच, परमेश्वर के सामने, उसे पूरी तरह से संतुष्ट करने के लिए किये गए उनके संकल्प की विगत असमर्थता पर ध्यान दिला सकता है, जिससे उन्हें अधिक अफसोस होता है, और जो उन्हें व्यावहारिक परमेश्वर का अधिक ज्ञान प्रदान करता है, और केवल इसी प्रकार यह हो सकता है कि परमेश्वर के वचनों के बारे में उन्हें कोई संदेह न रहे।
"यह मात्र ऐसा नहीं है कि मनुष्य मुझे मेरी देह में नहीं जानता है; उस से भी निकृष्टतर यह है, कि वह अपनी स���वंय की अस्मिता को समझने में असफल हो गया है जो एक दैहिक शरीर में निवास करती है। कितने वर्षों से ऐसा रहा है, और इस पूरे समय में, मेरे साथ एक बाहरी मेहमान के रूप में व्यवहार करते हुए, मनुष्य ने मुझे धोखा दिया है। कितनी बार…?" ये "कितनी बार" परमेश्वर के प्रति मनुष्य के विरोध की वास्तविकता को सूचीबद्ध करते हैं, लोगों को ताड़ना के वास्तविक उदाहरण को दर्शाते हुए; यह पाप का सबूत है, और कोई भी फिर से इसका खंडन नहीं कर सकता है। सभी लोग दिनचर्या की किसी वस्तु की तरह परमेश्वर का उपयोग करते हैं, जैसे कि वह कोई घरेलु आवश्यकता की चीज़ हो जिसका वे इच्छानुसार उपयोग कर सकते हैं। कोई भी परमेश्वर को अपनी आँखों का तारा नहीं मानता है, कोई भी परमेश्वर की सुंदरता को, उसके महिमामय चेहरे को, जानने की कोशिश नहीं करता है, और परमेश्वर के प्रति इच्छापूर्वक समर्पण करने वाले तो और भी कम हैं। न ही किसी ने कभी भी अपने दिल में परमेश्वर को किसी प्रियजन के रूप में देखा है; जब उन्हें उसकी ज़रूरत होती है, तब वे सभी उसे खींच ले आते हैं, और जब उसकी ज़रुरत नहीं होती तो वे उसे एक तरफ फ़ेंक देते हैं और उसकी अवहेलना करते हैं। ऐसा लगता है कि मनुष्य के लिए, परमेश्वर एक कठपुतली है, जिसमें इच्छानुसार मनुष्य हेरफेर कर सकता है, और जैसे भी वह चाहे या इच्छा करे, उसकी माँग कर सकता है। लेकिन परमेश्वर कहता है, "यदि, मेरे देहधारण की अवधि के दौरान, मैंने मनुष्य की कमज़ोरी का ध्यान न रखा होता, तो संपूर्ण मानवजाति, एकमात्र मेरे देहधारण के कारण, भयभीत हो गई होती, और परिणामस्वरूप, अधोलोक में गिर गई होती," जो कि दर्शाता है कि परमेश्वर के अवतार का महत्व कितना विशाल है: देह में, वह समस्त मानव जाति को आध्यात्मिक क्षेत्र से नष्ट कर देने के बजाय मानव जाति पर विजय प्राप्त करने आया है। इस प्रकार, वचन कब देह बन गया, कोई नहीं जान पाया था। अगर परमेश्वर मनुष्य की कमजोरी का ख्याल नहीं करता, तो जब वह देह बना और स्वर्ग तथा पृथ्वी उलट दिए गए, तो सभी लोगों का विनाश हो गया होता। चूँकि यह लोगों की प्रकृति में है कि वे नए को पसंद करें और पुराने से घृणा करें, और जब सब कुछ ठीक चल रहा हो तो वे अक्सर बुरे समय को भूल जाते हैं, और उनमें से कोई भी नहीं जानता कि वे कितने धन्य हैं, तो इस प्रकार परमेश्वर बार-बार उन्हें याद दिलाता है कि उन्हें इस बात को संजोये रखना चाहिए कि आज का दिन कितनी कठिनाई से आया है; आने वाले कल की खातिर, उन्हें आज को और भी अधिक कीमती समझना चाहिए, और उन्हें एक जानवर की तरह नहीं होना चाहिए जो ऊँचाई पर चढ़कर अपने स्वामी को ही न पहचानता हो, और उन्हें उन सभी आशीषों से अनभिज्ञ नहीं होना चाहिए जिनके बीच वे रहते हैं। इस प्रकार, वे अच्छी तरह से व्यवहार करने लगते हैं, अब वे दम्भी या अभिमानी नहीं रहते, और उन्हें पता चल जाता है कि बात यह नहीं है कि मनुष्य का स्वभाव अच्छा है, बल्कि यह कि परमेश्वर की दया और प्रेम मनुष्य पर आ गए हैं; वे लोग ताड़ना से भय करते हैं, तथा और कुछ भी कर डालने की हिम्मत नहीं करते।
                                        स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
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