Tumgik
#बैंगन
merikheti · 2 years
Text
बैंगन की खेती|
Tumblr media
दोस्तों आज हम बात करेंगे बैगन या बैंगन की खेती की, किसानों के लिए बैगन की खेती (Baigan ki kheti – Brinjal farming information in hindi) करना बहुत मुनाफा पहुंचाता है। बैगन की खेती से किसानों को बहुत तरह के लाभ पहुंचते हैं। क्योंकि बैगन की खेती करने से किसानों को करीब प्रति हेक्टर के हिसाब से 120 क्विंटल की पैदावार की प्राप्ति होती है। इन आंकड़ों के मुताबिक आप किसानों की कमाई का अनुमान लगा सकते हैं। बरसात के सीजन में बैगन की खेती में बहुत ज्यादा उत्पादकता होती है। बैगन की खेती से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक  बातों को जानने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बनें रहे।
बैगन की खेती करने का मौसम :
बैगन की बुवाई खरीफ के मौसम में की जाती है। वैसे तो किसान खरीफ के सीजन में विभिन्न प्रकार की फसलों की बुवाई करते हैं। जैसे:  ज्‍वार, मक्का, सोयाबीन इत्यादि। परंतु बैगन की खेती करने से बेहद ही मुनाफा पहुंचता है।
बैगन की फसल की बुवाई किसान वर्षा कालीन के आरंभ में ही कर देते हैं। क्‍यांरियां थोड़ी थोड़ी दूर पर तैयार की जाती है। किसान 1 हेक्टेयर भूमि पर 20 से 25 क्‍यारियां लगाते हैं। भूमि में क्यारियों को लगाने से पहले उच्च प्रकार से खाद का चयन कर लेना फायदेमंद होता है।
बैगन की फसल की रोपाई का सही समय :
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार बैंगन के पौधे तैयार होने में लगभग 30 से 40 दिन का समय लेते हैं।
पौधों में बैगन की पत्तियां नजर आने तथा पौधों की लंबाई लगभग 14 से 15 सेंटीमीटर हो जाने पर रोपाई का कार्य शुरू कर देना चाहिए। किसान बैगन की फसल की रोपाई का सही समय जुलाई का निश्चित करते हैं।
ध्यान रखने योग्य बात : बैगन की फसल रोपाई के दौरान आपस में पौधों की दूरी लगभग 1 सेंटीमीटर से 2 सेंटीमीटर रखना उचित होता है।
किसानों के अनुसार हर एकड़ पर लगभग 7000 से लेकर 8000 पौधों की रोपाई की जा सकती है। किसान बैगन की फसल की उत्पादकता 120 क्विंटल तक प्राप्त करते हैं।
बैगन की कुछ बहुत ही उपयोगी प्रजातियां हैं, जो इस प्रकार है : पूसा पर्पल, ग्रांउड पूसा, अनमोल आदि प्रजातियां की बुवाई किसान करते हैं।
ये भी पढ़ें: इजराइल की मदद से अब यूपी में होगी सब्जियों की खेती, किसानों की आमदनी बढ़ाने की पहल
बैगन की फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी का चयन:
बैगन की फसल की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए किसान हमेशा दोमट मिट्टी का ही चयन करते हैं। बलुई और दोमट दोनों प्रकार की मिट्टियां बैगन की फसल के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। बैगन की फसल की पैदावार को बढ़ाने के लिए  कार्बनिक पदार्थ से निर्मित मिट्टी का भी चयन किया जाता है।
खेत रोपण करते वक्त इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि खेतों में जल निकास की व्यवस्था को सही ढंग से बनाए रखना चाहिए। क्योंकि बैगन की फसल बरसात के मौसम में लगाई जाती है, ऐसे में जल एकत्रित हो जाने से फसल खराब होने का भय होता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार बैगन की फसल के लिए सबसे अच्छा मिट्टी का पीएच करीब 5 से 6 अच्छा होता है।
बैंगन की फसल के लिए खाद और उर्वरक की उपयोगिता:
बैगन की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए कुछ चीजों को ध्यान में रखना बहुत ही ज्यादा उपयोगी है। जिससे आप बैंगन की फसल की ज्यादा से ज्यादा उत्पादकता को प्राप्त कर सकेंगे। खेतों में आपको लगभग 1 हेक्टेयर में 130 और 150 किलोग्राम नाइट्रोजन का इस्तेमाल करना चाहिए। वहीं दूसरी ओर 65 से 75 किलोग्राम फास्फोरस का इस्तेमाल करें। 40 से 60 किलोग्राम पोटाश खेतों में छोड़े, वहीं दूसरी ओर डेढ़ सौ से दो सौ क्विंटल गोबर की खाद खेतों में भली प्रकार से डालें।
ये भी पढ़ें: बारिश में लगाएंगे यह सब्जियां तो होगा तगड़ा उत्पादन, मिलेगा दमदार मुनाफा
बैंगन की फसल की तुड़ाई का सही समय:
बैगन की फसल की तुड़ाई करने से पहले कुछ चीजों का खास ख्याल रखना चाहिए। सबसे पहले आपको तुड़ाई करते समय चिकनाई और उसके आकर्षण को भली प्रकार से जांच कर लेना चाहिए। बैगन ज्यादा पके नहीं तभी तोड़ लेनी चाहिए। इससे बैगन में ताजगी बनी रहती है और मार्केट में अच्छी कीमत पर बिकते हैं। बैगन की मांग मार्केट में बहुत ज्यादा होती है। बैगन के आकार को जांच परख कर ही तुड़ाई करना चाहिए। बैगन की तुड़ाई करते समय आपको इन चीजो का खास ख्याल रखना चाहिए।
दोस्तों हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह आर्टिकल बैगन की खेती पसंद आया होगा। हमारे इस आर्टिकल में बैगन की खेती से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक और महत्वपूर्ण जानकारियां मौजूद है। जो आपके बहुत काम आ सकती है। हमारे इस आर्टिकल से यदि आप संतुष्ट हैं। तो हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया  तथा अन्य प्लेटफार्म पर शेयर करें।
Source बैंगन की खेती
0 notes
allindiafoodsrecipe1 · 11 months
Text
बैंगन का भर्ता भुने हुए बैंगन और मसालों से बना एक लोकप्रिय भारतीय व्यंजन है। यह एक स्वादिष्ट और सेहतमंद व्यंजन है जो नान या रोटी के साथ परोसने के लिए एकदम सही है। यहाँ बैंगन भरता के लिए एक नुस्खा है:
Tumblr media
अवयव:
1 बड़ा बैंगन
2 बड़े चम्मच तेल
1/2 छोटा चम्मच जीरा
1 प्याज, बारीक कटा हुआ
1 बड़ा चम्मच अदरक-लहसुन का पेस्ट
1 हरी मिर्च, बारीक कटी हुई
2 मध्यम आकार के टमाटर, बारीक कटे हुए
1/2 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर
1/2 चम्मच हल्दी पाउडर
1/2 छोटा चम्मच धनिया पाउडर
नमक स्वाद अनुसार
गार्निशिंग के लिए कटा हुआ धनिया
निर्देश:
ओवन को 400°F पर प्रीहीट करें। बैंगन में फोर्क से छेद करें और ओवन में 30-40 मिनिट तक भुनें, जब तक कि यह नरम न हो जाए और त्वचा जल न जाए। बैंगन को ठंडा होने दें, फिर उसका छिलका हटा दें और फोर्क की मदद से गूदे को मैश कर लें। एक बड़े पैन में, मध्यम आँच पर तेल गरम करें। जीरा डालें और फूटने दें। बारीक कटा हुआ प्याज़ डालें और सुनहरा भूरा होने तक भूनें। अदरक-लहसुन का पेस्ट और हरी मिर्च डालकर 1-2 मिनिट तक भूनें। बारीक कटे हुए टमाटर डालें और नरम और मुलायम होने तक पकाएं। लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर और स्वादानुसार नमक डालें। अच्छी तरह से मलाएं। मसला हुआ बैंगन डालें और अच्छी तरह मिलाएँ। धीमी आंच पर 10-15 मिनट तक बीच-बीच में हिलाते हुए पकाएं। कटे हुए हरा धनिया से सजाकर नान या रोटी के साथ गरमागरम परोसें।
अपने स्वादिष्ट बैंगन भर्ता का आनंद लें!
Click on our blog link to know more:- https://allindianfoodsrecipe.blogspot.com/2023/05/blog-post_12.html
बैंगन का भरता
,बैंगन का भरता रेसिपी,
0 notes
khutkhuta · 1 year
Text
इस तरह बनायेंगे बैंगन का भुरता तो आएगा और भी ज्यादा स्वाद
चटपटा बैंगन का भुरता लिट्टी, परांठा, पूरी, दाल-चावल और चपाती सभी के साथ अच्छा लगता है। वैसे तो बैंगन का भुरता पारंपरिक भारतीय व्यंजनों में आता है लेकिन आजकल देश तो क्या विदेशों तक इसकी धूम है। ढाबे या रेस्टोरेंट का बना बैंगन का भुरता या चोखा तो बहुत ही स्वादिष्ट लगता है लेकिन जब हम इसको घर पर बनाते हैं तो अक्सर इतना स्वादिष्ट नहीं बन पाता। तो चलिए बताते हैं आपको एक ऐसी ट्रिक जिससे आपका बैंगन का…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
rudrjobdesk · 2 years
Text
Baingan Bhaja Recipe: ट्राई करें बंगाली स्टाइल बैंगन भाजा की रेसिपी, झटपट बनकर होगी तैयार
Baingan Bhaja Recipe: ट्राई करें बंगाली स्टाइल बैंगन भाजा की रेसिपी, झटपट बनकर होगी तैयार
बंगाली स्टाइल बैंगन भाजा (Bengali Style Baingan Bhaja): घर पर बैंगन की सब्जी ज्यादातर बच्चे खाने से कतराते हैं. उन्हें इस सब्जी में बिल्कुल इंटरेस्ट नहीं आता. इसी वजह से कई बार घर बैंगन बनने का सिलसिला कम हो जाता है. आज हम आपको बैंगन से जुड़ी एक ऐसी रेसिपी बताने जा रहे हैं, जिसे छोटे-बड़े मौकों पर ख़ास तौर से बनाया जाता है. बड़े तो इसका स्वाद लेकर खाते ही हैं, बच्चे भी इसे बड़े चाव से खाते हैं. इस…
View On WordPress
0 notes
hindisoup · 1 year
Text
Tumblr media
Gardening Vocabulary
बाग़बानी - gardening, horticulture (feminine), also उद्यान-विज्ञान (masculine) खेती, कृषि - farming, agriculture (feminine) माली - gardener (masculine), मालिन (feminine) बग़ीचा, बाग़ - garden (masculine), also उद्यानभूमि (feminine) * सब्ज़ियों का बाग़ / बग़ीचा - vegetable garden (masculine) * जड़ी बूटियों का बगीचा - herb garden (masculine) फलों का वृक्ष / पेड़ - fruit tree (masculine) बेरी की झाड़ी - berry bush (feminine) लता - creeper, vine (feminine) सब्ज़ी, तरकारी - vegetable (feminine), also साग (masculine) * जड़ वाली सब्ज़ी - root vegetable (feminine) पौधा, पादप - plant (masculine) * a plant can be खाद्य (edible), सजावटी (decorative, ornamental), औषधीय (medicinal) or मसालेदार (spice plant). * also पत्तेदार (leafy), फलदार (fruitful, fruit-bearing), स्वस्थ (healthy), पुष्ट (thriving, nourished) or रोगग्रस्त (diseased). फूल, पुष्प - flower (masculine) * a flower can be for example सुगंधित (fragrant) or खिलता हुआ (blooming). कंद - bulb (masculine) पत्ती - leaf (feminine) किशलय - new, fresh leaf (masculine) तना - stem (masculine) टहनी - twig (feminine) डाल, डाली - branch (feminine) पानी - water (masculine) जारक - oxygen (masculine) सूर्य का प्रकाश - sunlight (masculine) ताप - heat, warmth (masculine) प्रकाश संश्लेषण - photosynthesis (masculine)
Planting and Growing Crops
बुवाई - sowing (feminine) बुवाई का मौसम - sowing season (masculine) बढ़ने का मौसम - growing season (masculine) बढ़ना, उगना - to grow (intransitive) उगाना - to grow [plants, flowers, berries etc.] (transitive) की देख रेख करना - to nurse, take care of (transitive) मुरझाना - to wither (intransitive) जोताई, जुताई - plowing, tillage (feminine) जोतना - to plow (transitive) बीज - seed, seedling (masculine) बोना, रोपना, बीज लगाना - to sow, plant (transitive) पंक्तियों में लगाना - to sow in rows (transitive) पादपों की परस्पर दूरी - distance between plants (feminine) भूमि, ज़मीन, मिट्टी - soil, ground, earth (feminine) * soil can be हल्की, बालुकामय (light, sandy) or भारी, चिकनी (heavy, clay soil). * ground can be सूखी (dry) or नम (wet, moist). भूमि की आर्द्रता / नमी - soil moisture (feminine) गमला - pot (masculine) गमले में लगा पौधा - potted plant (masculine) गमले की मिट्टी - potting soil (feminine) मिट्टी डालना - to pour soil (transitive) अंकुर - shoot, bud, sprout (masculine) अंकुरित - sprouting, budding (adjective) अंकुरण - sprouting (masculine) जड़ - root (feminine) जड़ वाला - rooted (adjective) जड़ जमाना - to root, take root (transitive) छिड़काव करना - to spray, water (transitive) पानी डालना - to water (transitive) सिंचाई - irrigation (feminine) सींचना, सिंचाई करना - to irrigate (transitive) भूमि को नम रखना - to keep the soil moist (transitive) खाद, उर्वरक - fertilizer, manure (masculine) खाद डालना - to apply fertilizer (transitive) कीटनाशक - insecticide, pesticide (masculine) कीट, कीड़ा - pest, insect (masculine) छँटाई - pruning (feminine) काट-छाँट करना - to prune (transitive) घास पात - weeds (masculine) गोड़ना - to hoe, scrape (transitive) गोड़ाई निराना, निराई करना, गुड़ाई करना - to weed (transitive) फूलना, फूल लगना, खिलना - to bloom, flower (intransitive) फलना - to flourish, carry fruit (intransitive) फसल - crop, harvest (feminine) उपज - yield, produce (feminine) उत्पादन करना - to produce [fruit, berries, crops] (transitive)
Common Garden Plants
प्रजाति, जाति - species (feminine) मटर - pea (feminine) मूली - radish (feminine) गाजर - carrot (feminine) चुक़ंदर - beet (masculine) शलजम - turnip, rutabaga, swede (masculine) पालक - spinach (feminine) अजमोद - parsley (masculine) अजवायन - celery (masculine) आलू - potato (masculine) शकरकंद - sweet potato (masculine) शतावरी - asparagus (feminine) हरी सेम - green beans (feminine) राजमा - kidney beans (feminine) मिर्च - chili (feminine) शिमला मिर्च - bell pepper, capsicum (feminine) फूलगोभी - cauliflower (feminine) हरी फूलगोभी - broccoli (feminine) बंद गोभी - Brussel sprout, cabbage (feminine) लाल पत्तागोभी - red cabbage (feminine) बैंगन, ब्रिंजल - aubergine, eggplant (masculine) प्याज - onion (masculine) हरा प्याज - spring onion (masculine) हरे प्याज के पत्ते - chives (masculine) लहसुन - garlic (masculine) खीरा - cucumber (masculine) तुरई, तोरी - zucchini (feminine) कद्दू - pumpkin (masculine) टमाटर - tomato (masculine) मकई - corn, maize (feminine), also मक्का (masculine) गुलाब - rose (masculine) नरगिस - daffodil (masculine) नीलक - lilac (masculine) सूरजमुखी - sunflower (feminine) स्रीवत - pansy (masculine) गेंदा - marigold (masculine)
Garden Tools
औज़ार - tool (masculine) बागवानी दस्ताने - gardening gloves (masculine) खुरपी - trowel, spade (masculine) * खुरपियाना - to weed with a trowel or spade (transitive) हल - plow, plough (masculine) * हल जोतना - to plow (transitive) सींचने का कनस्तर - watering can (masculine) पानी का पाइप - water hose (masculine) बागवानी कैंची - pruning shears (feminine) खुदाई का कांटा - garden fork (masculine) * खुदाई करना - to dig (transitive) कुदाल, कुदार - hoe (masculine) बेलचा - shovel (masculine) बगीचे का ठेला - wheelbarrow (masculine)
18 notes · View notes
Note
hey vi hope you’re feeling better! how about ☾ & ✌️for the language asks?
hi antania! thank you dear, i am doing better!!! i don't have to tell you about how much i am continuously amazed by and in love with your edits 😭❤️
for the speak your language day ask:
☾ : favourite word(s) from your language
this is more difficult than i thought help because i don't remember any words with a profound meaning but there are some words which have the most beautiful hindi/urdu/punjabi songs written around them like दिल (dil - heart), इश्क़ (ishq - love), नैना (naina - eyes), ज़िन्दगी (zindagi - life), मेहरबान (meherbaan - benevolent), दीवाना (deewanapan - crazy in love with someone or something), मोहोब्बत (mohobbat - love), मेहबूब (mehboob - the one who is loved), बातें (baatein - conversation), दिलदार (dildaar - beloved), पल (pal - moment), जान (jaan - life/can be used to address someone affectionately), ख़याल (khayal - thought)
✌ : favourite proverb/saying from your language
okay i have a few of these, most of these are to tease or make fun of someone lol
नाच न जाने आंगन टेढ़ा (naach na jaane, aangan tedha); literally translates to 'complaints that the floor is tilted when they don't know how to dance': it's used when someone makes excuses or blames something else when one doesn't know the work
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद (bandar kya jaane adrak ka swaad); literally translates to 'what does monkey know about the taste of ginger': it basically means that an ignorant/foolish person cannot appreciate fine/good/better things of life, basically an indirect way to call someone a fool sksks
थाली का बैंगन (thaali ka baingan); literally translates to 'plate's brinjal/eggplant/aubergine': it's used to adress someone who's fickle minded and changes their sides/opinion as it suits them.
बैगनी शादी मैं अब्दुल्लाह दीवाना (beygani shaadi main Abdullah deewana); literally translates to 'Abdullah going crazy at a stranger's wedding': it's used when someone's way too involved about a situation that has literally nothing to do with them
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए, टूटे से फिर न जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाए। (rahiman dhaaga prem ka, mat todoh chatkaaye. toote se fir na jude, jude gaanth pad jaaye); literally translates to 'don't snap break the thread of love. it won't mend if it breaks, and if it does, there will always be a knot': it's pretty self-explanatory and Rahim Das' version of uwu girl saying saying sorry to the glass you broke doesn't fix it lol
this got very long sorry!!! hope you're having a great day 😘🌹
4 notes · View notes
dehaat-india · 4 days
Text
छोटी/कम जमीन में अधिक पैदावार तथा कमाई वाली फसलें - DeHaat गाइड
भारतीय कृषि (Indian Agriculture) की बात करें तो छोटी जमीन पर खेती करना एक आम चुनौती है। लेकिन, इस चुनौती को अवसर में बदलने की क्षमता भी हमारे पास है। ‘DeHaat: Seeds to Market’ आपको इस दिशा में मार्गदर्शन करने के लिए सदैव तत्पर है। हम आपको अपनी कम जमीन के माध्यम से अच्छी पैदावार वाली फसलों की पूरी जानकारी प्रदान कर रहे हैं। यदि आप भी एक किसान हैं और अपनी खेती की आय को बढ़ने के इच्छुक हैं तो यह ब्लॉग आपके लिए काफी लाभदायक हो सकता है। 
छोटी जमीन पर खेती की चुनौतियाँ और संभावनाएँ 
Challenges and Opportunities in Farming on Small Land: -
छोटी जमीन पर खेती करते समय किसानों को अक्सर उत्पादन (Production) में सीमितता का सामना करना पड़ता है। लेकिन, उचित योजना और तकनीकों के उपयोग से इस सीमित जगह को भी अधिकतम उत्पादकता का स्थान बनाया जा सकता है। वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming), मल्टी-लेयर फार्मिंग (Multi-layer Farming), और प्रिसिजन एग्रीकल्चर (Precision Agriculture) जैसी नवीन तकनीकें इसमें सहायक हो सकती हैं।
अधिक पैदावार और आय के लिए नवीन तकनीकों का महत्व
Importance of Innovative Techniques for Higher Yield and Income:-
आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके किसान न केवल अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि उनकी आय में भी वृद्धि कर सकते हैं। ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation), हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics), और एक्वापोनिक्स (Aquaponics) जैसी तकनीकें जल संरक्षण के साथ-साथ फसलों की गुणवत्ता और मात्रा में भी सुधार लाती हैं। इन तकनीकों को अपनाकर किसान बाजार (Farmer Market) में बेहतर स्थान प्राप्त कर सकते हैं और अपने उत्पादों को उचित मूल्य (Fair Price Sale) पर बेच सकते हैं।
इस ब्लॉग के माध्यम से, हम आपको छोटी जमीन पर अधिक पैदावार और आय (Higher production and income on small land) प्राप्त करने के लिए आवश्यक जानकारी और तकनीकों से परिचित कराएंगे। पढ़ें, DeHaat’ का यह ब्लॉग पूरा और अपने खेती के सपनों को साकार बनायें। 
उन्नत बुआई तकनीकें और फसल चयन
कृषि क्षेत्र में नवाचार और प्रगति के साथ, उन्नत बुआई तकनीकें (Advanced Sowing Techniques) और सही फसल चयन (Crop Selection) का महत्व बढ़ गया है। आइए जानते हैं कि कैसे ये तकनीकें और चयन आपकी खेती को लाभकारी बना सकते हैं।
विभिन्न प्रकार की फसलें जो कम जमीन में अधिक लाभ देती हैं।
छोटी जमीन पर अधिकतम उत्पादन (Maximizing Production) और लाभ (Profit) प्राप्त करने के लिए, फसलों का सही चयन अत्यंत आवश्यक है। ऐसी फसलें जो कम जगह में उगाई जा सकती हैं और अच्छी आय देती हैं, उनमें शामिल हैं:
मूली (Radish): यह तेजी से उगने वाली फसल है जो कम समय में तैयार होती है और बाजार में इसकी अच्छी मांग होती है।
बैंगन (Eggplant): यह फसल विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उग सकती है और इसे वर्ष भर बोया जा सकता है।
मिर्च (Chili): यह उच्च मूल्य वाली फसल है जो छोटे क्षेत्र में भी अच्छी आय दे सकती है।
धनिया (Coriander): यह फसल जल्दी उगती है और इसकी पत्तियों का उपयोग मसाले के रूप में होता है।
केला (Banana): यह फसल लंबे समय तक फल देती है और इसकी खेती से नियमित आय हो सकती है।
पपीता (Papaya): यह फसल कम समय में उगती है और इसके फलों की बाजार में अच्छी मांग होती है।
मौसम और मिट्टी के अनुसार फसलों का चयन।
फसलों का चयन करते समय मौसम (Weather) और मिट्टी के प्रकार (Soil Type) का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उदाहरण के लिए:
रेतीली मिट्टी (Sandy Soil) में बाजरा और मूंगफली अच्छी उपज देती हैं।
दोमट मिट्टी (Loamy Soil) में गेहूं और चना जैसी फसलें बेहतर उपज देती हैं।
बीजों की गुणवत्ता और उनका प्रबंधन।
बीजों की गुणवत्ता (Seed Quality) और उनके प्रबंधन (Management) से फसलों की उपज में काफी अंतर आता है। उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना और उन्हें सही तरीके से भंडारित (Storage) करना फसल की सफलता के लिए अनिवार्य है।
इन तकनीकों और चयनों का उपयोग करके आप अपनी कम जमीन से भी अधिकतम उत्पादन (Maximum production from less land) और लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। खेती की और अधिक उन्नत तकनीकों और फसलों के चयन के बारे में जानने के लिए, हमारे इस ब्लॉग को पूरा जरूर पढ़ें। 
सिंचाई और जल प्रबंधन
जमीन चाहे छोटी हो या बड़ी, अच्छी फसल के लिए सिंचाई और जल प्रबंधन (irrigation and water management) बेहद अहम है। पारंपरिक सिंचाई विधियों में 50% से भी ज्यादा पानी बर्बाद हो जाता है! आइए देखें कैसे हम जल संरक्षण की तकनीकों (water conservation techniques) और आधुनिक सिंचाई पद्धतियों (modern irrigation methods) को अपनाकर कम पानी में भी अच्छी पैदावार (high yield) ले सकते हैं।
जल संरक्षण
फलों और सब्जियों को उनकी ज़रूरत के हिसाब से पानी देना ही समझदारी है। हर फसल को अलग मात्रा में पानी चाहिए।
जल संरक्षण की तकनीकें:
फसल जरूरत के अनुसार सिंचाई (मिट्टी जांच उपकरण) (crop water requirement, soil moisture meter)
मल्चिंग (सूखी घास/पुआल) - 30% तक पानी की बचत (mulching)
जल निकास - जमीन की सेहत के लिए जरूरी (drainage)
वर्षा जल संचयन (खेत के आसपास गड्ढे/तालाब) (rainwater harvesting)
आधुनिक सिंचाई पद्धतियाँ
पानी बचाना ही पैसा बचाना है! आधुनिक सिंचाई पद्धतियां कम पानी में ज़्यादा फसल उगाने में मदद करती हैं।
सिंचाई पद्धति (Irrigation method)
विवरण (Description)
लाभ (Benefits)
ड्रिप सिंचाई (Drip irrigation)
पौधों की जड़ों के पास पानी की बूंदें टपकती रहें 
50% तक पानी की बचत, कम खरपतवार (water saving, weeds)
स्प्रिंकलर सिंचाई (Sprinkler irrigation)
पानी को हवा में छिड़का जाता है
पारंपरिक सिंचाई से कम पानी बर्बादी (water waste)
फरो सिंचाई (Furrow irrigation)
खेत में छोटी-छोटी नालियां बनाकर पानी बहे 
कम लागत (low cost)
दिलचस्प बात ये है कि दुनिया में उपयोग होने वाले मीठे पानी का 70% सिंचाई में ही खर्च हो जाता है। इसलिए जल संरक्षण और आधुनिक सिंचाई अपनाना बहुत ज़रूर��� है।
फसलों की देखभाल और बाजार तक पहुँच 
फल लगने से लेकर बाजार तक पहुंचाने तक फसल की देखभाल अहम है। कीटों और रोगों से बचाव (pest and disease management), जैविक खेती (organic farming) अपनाना और सही बाजार का चुनाव अधिक पैदावार (high yield) और कमाई (income) सुनिश्चित करता है।
कीट और रोग प्रबंधन 
नियमित जांच से शुरुआत करें ताकि शुरुआती अवस्था में ही कीटों और रोगों का पता लगाया जा सके। रासायनिक दवाओं (chemical pesticides) के अत्यधिक प्रयोग से बचें। जैविक कीटनाशकों (organic pesticides) का इस्तेमाल करें, लाभकारी कीटों (beneficial insects) को बढ़ावा दें और फसल चक्र (crop rotation) अपनाकर रोगों को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करें।
गौर करें (Fact): भारत में फसल नुकसान का 30-40% हिस्सा कीटों और रोगों के कारण होता है। प्रभावी प्रबंधन से इस नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
जैविक खेती 
पर्यावरण के अनुकूल खेती, स्वस्थ भोजन का उत्पादन, उर्वर भूमि (fertile soil) का निर्माण और बेहतर मुनाफा - ये हैं जैविक खेती के कुछ लाभ। साथ ही मिट्टी के जैविक पदार्थों (organic matter) में वृद्धि से जलधारण क्षमता (water holding capacity) बढ़ती है, जिससे कम सिंचाई की आवश्यकता होती है।
जानें (Did You Know?): जैविक उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है और पारंपरिक उत्पादों की तुलना में 20-30% अधिक कीमत मिलती है। जैविक खेती अपनाकर आप न सिर्फ पर्यावरण बचाते हैं बल्कि अच्छी कमाई भी करते हैं।
"किसानों की सफलता ही देश की सफलता है" - देहात (DeHaat)
अपनी फसल बेचने के लिए सही बाजार का चुनाव फायदेमंद है। आइए देखें कैसे बाजार अनुसंधान (market research) और सही चैनल चुनकर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है
निष्कर्ष
छोटी जमीन में भी अधिक पैदावार और कमाई संभव है! सही फसल चयन, उन्नत खेती विधियों को अपनाने और फसल को उचित बाजार तक पहुँचाने से आप अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। देहात (DeHaat) हर कदम पर आपका साथी है। हम आपको बीजों से लेकर बाजार तक हर जरूरी जानकारी और सहायता प्रदान करते हैं।
DeHaat - Seeds to Market Imp Links:
देहात की वेबसाइट (URL HERE) पर जाएं और अपने क्षेत्र के लिए उपयुक्त फसलों की जानकारी प्राप्त करें।
देहात विशेषज्ञों से जुड़ें (Connect with DeHaat experts) - हमारे हेल्पलाइन नंबर HELPLINEHERE पर कॉल करें या हमारी वेबसाइट पर चैट करें।
देहात ऐप डाउनलोड करें (Download the DeHaat app) - URL HERE
आप सफल किसान बन सकते हैं! देहात के साथ जुड़ें और अपनी खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।
“अस्वीकरण (Disclaimer): इस ब्लॉग में दी गई जानकारी केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। किसी भी निर्णय लेने से पहले हमेशा किसी कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें।
0 notes
jyotishwithakshayg · 5 days
Text
Tumblr media
*आज दिनांक - 21 अप्रैल 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग*
दिनांक - 21 अप्रैल 2024
दिन - रविवार
विक्रम संवत् - 2081
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत
मास - चैत्र
पक्ष - शुक्ल
तिथि - त्रयोदशी रात्रि 01:11 अप्रैल 22 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र - उत्तरफाल्गुनी शाम 05:08 तक तत्पश्चात हस्त
योग- व्याघात रात्रि 03:45 अप्रैल 22 तक तत्पश्चात हर्षण
राहु काल - शाम 05:23 से शाम 06:58 तक
सूर्योदय - 06:17
सूर्यास्त - 06:58
दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से 05:31 तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:03 तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 22 से रात्रि 00:59 अप्रैल 22 तक
*व्रत पर्व विवरण- महावीर स्वामी जयंती*
विशेष - त्रयोदशी को बैंगन को खाने से पुत्र का नाश होता है। चतुर्दशी के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
*प्रातः भ्रमण की महत्ता*
प्रातः एवं सायं भ्रमण उत्तम स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभप्रद है । पशुओं का राजा सिंह सुबह 3.30 से 5 बजे के दौरान अपने बच्चों के साथ उठकर गुफा से बाहर निकल के साफ हवा में भ्रमण कर आसपास की किसी ऊँची टेकरी पर सूर्य की ओर मुँह करके बैठ जाता है । सूर्य का दर्शन कर शक्तिशाली कोमल किरणों को अपने शरीर में लेने के पश्चात ही गुफा में वापस आता है । यह उसके बलशाली होने का एक राज है ।
उत्तम स्वास्थ्य की इस कुंजी के द्वारा आप मानो चरैवेति चरैवेति । आगे बढ़ो, आगे बढ़ो । यह वैदिक संदेश ही जनसाधारण तक पहुँचाना चाहते हैं । पूज्य श्री कहते हैं- "प्रातः ब्राह्ममुहूर्त में वातावरण में निसर्ग की शुद्ध एवं शक्तियुक्त ओजोन वायु का बाहुल्य होता है, जो स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।
प्रातःकाल की वायु को, सेवन करत सुजान।
तातें मुख छवि बढ़त है, बुद्धि होत बलवान।।
रोग प्रतिकारक शक्तिवर्धक अनुभूत प्रयोग
गाय के दूध की जितनी मात्रा हो उससे आधी मात्रा में पानी मिलाकर उसमे सोने की वस्तु (शुद्ध सोने का साफ़ सुथरा गहना चलेगा) डालकर धीमी आंच पर पानी जल जाने तक उबालें । देशी नस्ल की गाय के दूध में प्राकृतिक रूप से स्वर्णक्षार पाए जाते हैं । स्वर्ण के साथ दूध उबालने से स्वर्ण में स्थित स्वर्णक्षार भी दूध में मिल जाते हैं । यह स्वर्णसिद्ध गौदुग्ध रोगप्रतिकारक शक्ति को बढ़ाता है । इसका सेवन कर वृद्ध लोग भी तंदुरुस्त रह सकते हैं l सोना न हो तो चांदी का भी उपयोग किया जा सकता है । *Expert in Astrology, Vastu, Numerology, Horoscope reading, Education, Business, Health, Festivals, and Puja, provide you the best solutions and suggestions for your life's betterment.* 👉*Join Whatsapp Group* t.ly/NhhDY 👉 *983737683* *अधिक जानकारी हेतु विजिट करें हमारे Facebook Page आईडी t.ly/WKpLF या फिर संपर्क करे प्रसिद्ध Astrologer and Vaastu विशेषज्ञ से.........*
0 notes
shivchhaya · 16 days
Text
Tumblr media
बुकिंग चालू है - जी-9 केला टिश्यू कल्चर पौधे
उच्च गुणवत्ता वाले , रोग मुक्त टिश्यू कल्चर पौधे
शिवछाया बायोटेक प्रा. लिमिटेड - भारत में टिश्यू कल्चर पौधों के अग्रणी निर्माता, निर्यातक और आपूर्तिकर्ता।
हम आधुनिक तकनीक का उपयोग करके विश्व स्तरीय प्लांट टिश्यू कल्चर पौधे तैयार करते हैं जो उत्कृष्ट और पर्यावरण के अनुकूल है।
केला, अनार, पपीता, नींबू, अमरूद, स्ट्रॉबेरी, बांस, गन्ना जैसे टिश्यू कल्चर पौधे उपलब्ध है.
खीरा, पत्तागोभी, बैंगन, टमाटर, फूलगोभी, शिमला मिर्च, हल्दी, पपीता आदि सब्जियों के पौधे और फलों के लिए हमसे संपर्क करें।
कार्यालय: +91 77790 21916 ईमेल: [email protected]
0 notes
captobiotech · 25 days
Text
Tumblr media
गर्मियों में बैगन की खेती एक एकड से 8-10 लाख रूपए कमाने का मौका
गर्मी में कैसे करें बैंगन की खेती. वैज्ञानिकों के अनुसार, बैगन की फसल ये अच्छी पैदावार लेने के लिए इसे गर्म मौसम में लगाया जाता हैं.
अधिक जानकारी के लिए कॉल करें +91 9811459488
0 notes
schooloffoodie · 2 months
Text
सिर्फ 1 बार आलू बैंगन की सब्जी इस तरह से बनाकर देखिये उँगलियाँ चाटते रह ...
youtube
0 notes
currenthunt · 3 months
Text
ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर के 17 से अधिक उत्पादों को भौगोलिक संकेत टैग मिला
Tumblr media
ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर के 17 से अधिक उत्पादों को भौगोलिक संकेत (Geographical Indication - GI) टैग मिला है। ओडिशा से किन उत्पादों को GI टैग कपडागंडा शॉल - ओडिशा के रायगढ़ा और कालाहांडी ज़िलों में नियमगिरि पहाड़ियों में विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (Particularly Vulnerable Tribal Group - PVTG) डोंगरिया कोंध जनजाति की महिलाओं द्वारा बुना तथा कढ़ाई की गई शॉल डोंगरिया कोंधों की समृद्ध आदिवासी विरासत को दर्शाता है। लांजिया सौरा पेंटिंग - यह कला लांजिया सौरा समुदाय से संबंधित है, जो एक PVTG है जो मुख्य रूप से रायगड़ा ज़िले में रहता है। - ये पेंटिंग्स घरों की मिट्टी की दीवारों पर चित्रित बाहरी भित्तिचित्रों के रूप में हैं। लाल-मैरून पृष्ठभूमि पर सफेद पेंटिंग दिखाई देती हैं। कोरापुट काला जीरा चावल - काले रंग के चावल की किस्म, जिसे 'चावल का राजकुमार' भी कहा जाता है, अपनी सुगंध, स्वाद, बनावट और पोषण मूल्य के लिये प्रसिद्ध है। - कोरापुट क्षेत्र के आदिवासी किसानों ने लगभग 1,000 वर्षों से चावल की किस्म को संरक्षित रखा है। सिमिलिपाल काई चटनी - लाल चींटियों से बनी चटनी ओडिशा के मयूरभंज ज़िले के आदिवासियों का पारंपरिक व्यंजन है। ये चींटियाँ सिमिलिपाल जंगलों सहित मयूरभंज के जंगलों में पाई जाती हैं। नयागढ़ कांटेईमुंडी बैंगन - यह बैंगन तने और पूरे पौधे पर काँटेदार काँटों के लिये जाना जाता है। पौधे प्रमुख कीटों के प्रति प्रतिरोधी हैं और इन्हें न्यूनतम कीटनाशकों के साथ उगाया जा सकता है। ओडिशा खजूरी गुड़ - ओडिशा का "खजुरी गुड़" खजूर के पेड़ों से निकाला गया एक प्राकृतिक स्वीटनर है और इसकी उत्पत्ति गजपति ज़िले में हुई है। ढेंकनाल माजी - यह भैंस के दूध के पनीर से बनी एक प्रकार की मिठाई है, जो स्वादिष्ट और आकार की दृष्टि से विशिष्ट विशेषताओं से युक्त होती है। अन्य कौन से उत्पाद हैं जिन्हें जीआई टैग प्राप्त हुआ? राज्यउत्पाद का नामसंक्षिप्त विवरणअरुणाचल प्रदेशवांचो लकड़ी (Wancho Wooden) का शिल्प वांचो जनजातियों का अभिन्न जातीय लकड़ी शिल्प जिसका उपयोग सजावट एवं उपहार के रूप में किया जाता है और साथ ही ऐतिहासिक रूप से उनके सामुदायिक जीवन के विभिन्न पहलुओं में उपयोग किया जाता है।आदि केकिरअरुणाचल प्रदेश के अदरक की किस्म।पश्चिम बंगालतंगेल साड़ीविशिष्ट बुनाई पैटर्न से युक्त बंगाल की साड़ी शैली।गारद साड़ीअपनी अनूठी बनावट तथा पैटर्न के लिये मशहूर यह साड़ी बंगाल का एक पारंपरिक परिधान है।कोरियल साड़ीबंगाली साड़ी की एक किस्म जो अपनी बुनाई शैली तथा पारंपरिक महत्त्व के लिये पहचानी जाती है।कालो नुनिया चावलपश्चिम बंगाल के चावल की किस्म।सुंदरबन शहदपश्चिम बंगाल के सुंदरबन क्षेत्र से प्राप्त शहद।गुजरातकच्ची खारेकखलल (अंकुरित अवस्था) में चुने गए खजूर के उत्पाद जो विशिष्ट रंग वाले, कुरकुरा तथा मीठे होते हैं।  जम्मू-कश्मीररामबन अनारदानारामबन अनारदाना जिसे स्थानीय रूप से ध्रुणी कहा जाता है, जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों एवं वनों में उगने वाला एक महत्त्वपूर्ण फल का पेड़ है। Read the full article
0 notes
pankaj1973 · 3 months
Text
*🌞~ आज दिनांक 13 जनवरी 2024 रविवार का हिन्दू पंचांग ~🌞*
Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media
https://youtu.be/oAAXKhpHS7Q?si=Jf3VpDOF5Jkf_29v
*⛅दिनांक - 13 जनवरी 2024*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - द्वितीया सुबह 11:11 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - श्रवण दोपहर 12:49 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*⛅योग - वज्र सुबह 10:14 तक तत्पश्चात सिद्धि*
*⛅राहु काल - सुबह 10:06 से 11:27 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:23*
*⛅सूर्यास्त - 06:14*
*⛅दिशा शूल - पूर्व*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:22 से 01:15 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - पंचक (आरम्भ रात्रि 11:35)*
*⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 सूर्योपासना का पावन पुण्यदायी पर्व – मकर संक्रांति – 15 जनवरी 2024*
*🌹 संक्रांति का स्नान रोग, पाप और निर्धनता को हर लेता है । जो उत्तरायण पर्व के दिन स्नान नहीं कर पाता वह ७ जन्म तक रोगी और दरिद्र रहता है ऐसा शास्त्रों में कहा गया है ।*
*🌹 संक्रांति के दिन देवों को दिया गया हव्य (यज्ञ, हवन आदि में दी जानेवाली आहुति के द्रव्य ) और पितरों को दिया गया कव्य (पिंडदान आदि में दिया जानेवाला द्रव्य ) सूर्यदेव की करुणा-कृपा के द्वारा भविष्य के जन्मों में कई गुना करके तुम्हें लौटाया जाता है ।*
*🌹 मकर संक्रांति के दिन किये हुए शुभ कर्म करोड़ों गुना फलदायी होते हैं । सुर्यापासना और सूर्यकिरणों का सेवन, सूर्यदेव का ध्यान विशेष लाभकारी है ।*
*🌹 इस दिन तो सूर्यदेव के मूलमंत्र का जप करना बहुत हितकारी रहेगा, और दिन भी करें तो अच्छा है । आप जीभ तालू में लगाकर इसे पक्का करिये । अश्रद्धालु, नास्तिक व विधर्मी को यह मंत्र नहीं फलता । यह तो भारतीय संस्कृति के सपूतों के लिए है । बच्चों की बुद्धि बढ़ानी हो तो पहले इस मंत्र की महत्ता बताओ, उनकी ललक जगाओ, बाद में उनको मंत्र बताओ ।*
*मंत्र है : ॐ ह्रां ह्रीं स: सूर्याय नम: । (पद्म पुराण)*
*🌹 यह सूर्यदेव का मूलमंत्र है । इससे तुम्हारा सुर्यकेन्द्र सक्रिय होगा और यदि भगवान् सूर्य का भ्रूमध्य में ध्यान करोगे तो तुम्हारी बुद्धि के अधिष्ठाता देव की कृपा विशेष आयेगी । बुद्धि में ब्रह्मसुख, ब्रह्मज्ञान का सामर्थ्य आयेगा । अगर नाभि में सूर्यदेव का ध्यान करोगे तो आरोग्य-केंद्र सक्षम रहेगा, आप बिना दवाइयों के निरोग रहोगे ।*
*📖 लोक कल्याण सेतु – दिसम्बर २०१९*
*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*
*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*
*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*
*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*
*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - मई 2018 से*
https://t.me/asharamjiashram/6496
*🌞संत श्री आशारामजी बापू आश्रम🌞*
0 notes
heathcare99 · 4 months
Text
बैंगन से मिलने वाले 3 स्वास्थ्य लाभ #health
0 notes
gardeningabc · 6 months
Text
1 note · View note
bdbhargav · 6 months
Text
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
⛅ दिनांक - ३० अक्टूबर २०२३
⛅ दिन - सोमवार
⛅ विक्रम संवत् - २०८० (गुजरात २०७९)
⛅ शक संवत् - १९४५
⛅ अयन - रविदक्षिणायने (दक्षिणगोले)
⛅ ऋतु - हेमन्त ऋतु
⛅ मास - कार्तिक मास
⛅ पक्ष - कृष्ण पक्ष
⛅ तिथि - द्वितीया २२/२२ तक
तत्पश्चात तृतीया
⛅ नक्षत्र - कृतिका २८/०० तक
तत्पश्चात रोहिणी
⛅ योग - व्यतिपात १७/३२ तक
तत्पश्चात वरियान
⛅ राहुकाल - ७/३० से ९/०० तक
⛅ सूर्योदय - ०६/३६
⛅ सूर्यास्त - १७/३४
🌤️ दिनमान- २७/२५
🌘 रात्रिमान- ३२/३५
👉 *चन्दमा १०/३१, उफायां शुक्र: २५/०५, रेवती ४ मीन में राहु:, चित्रा में केतु: १४/२०, गुरु रामदास जयन्ती, स.सि.योग २८/०० से ।*
⛅ दिशा शूल - पूर्व दिशा में
व्यतिपात योग
⛅ *विशेष-* द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है ।
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः २७.२९-३८)*
✳️ *~ वैदिक पंचांग ~* ✳️
🌷 *व्यतिपात योग*🌷
👉 समय अवधि : २९ अक्टूबर रात्रि ७/५९ से ३० अक्टूबर शाम ५/३२ तक।
👉 व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल १ लाख गुना होता है । *वराह पुराण*
🌷 *कार्तिक मास की महिमा एवं नियम पालन*
👉 कार्तिक मास व्रत : २८ अक्टूबर से २७ नवम्बर २०२३।
🌷 *कार्तिक मास में वर्जित*
👉 ब्रह्माजी ने नारद जी को कहा:- कार्तिक मास में चावल, दालें, गाजर, बैंगन, लौकी और बासी अन्न नहीं खाना चाहिए । जिन फलों में बहुत सारे बीज (जैसे - अमरूद, सीताफल) हों उनका भी त्याग करना चाहिए और संसार – व्यवहार न करें ।
👉 कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी प्रात: स्नान, दान, जप, व्रत, मौन, देव – दर्शन, गुरु – दर्शन, पूजन का अमिट पुण्य होता है । सवेरे तुलसी का दर्शन भी समस्त पाप नाशक है । भूमि पर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन, दीपदान, तुलसी वन अथवा तुलसी के पौधे लगाना हितकारी है ।
👉 भगवदगीता का पाठ करना तथा उसके अर्थ में अपने मन को लगाना चाहिए । ब्रह्माजी नारद जी को कहते हैं कि ‘ऐसे व्यक्ति के पुण्यों का वर्णन महिनों तक भी नहीं किया जा सकता ।’
👉 श्रीविष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करना भी विशेष लाभदायी है । *ॐ नमो नारायणाय ।* इस महा मन्त्र का जो जितना अधिक जप करें, उसका उतना अधिक मंगल होता है । कम – से – कम १०८ बार तो जप करना ही चाहिए ।
👉 प्रात: उठकर करदर्शन करें । पुरुषार्थ से लक्ष्मी, यश, सफलता तो मिलती है पर परम पुरुषार्थ मेरे नारायण की प्राप्ति में सहायक हो’ – इस भावना से हाथ देखें तो कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी होता है ।
👉 सूर्योदय के पूर्व स्नान अवश्य करें।
👉 जो कार्तिक मास में सूर्योदय के बाद स्नान करता है वह अपने पुण्य क्षय करता है और जो सूर्योदय के पहले स्नान करता है वह अपने रोग और पापों को नष्ट करने वाला हो जाता है । पूरे कार्तिक मास के स्नान से पाप शमन होता है तथा प्रभु शवप्रीति और सुख – दुःख व अनुकूलता – प्रतिकूलता में सम रहने के सदगुण विकसित होते हैं ।
✳️ *~ वैदिक पंचांग ~* ✳️
🌷 *३दिन में पूरे कार्तिक मास के पुण्यों की प्राप्ति*
👉 कार्तिक मास के सभी दिन अगर कोई प्रात: स्नान नहीं कर पाये तो उसे कार्तिक मास के अंतिम ३ दिन – त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को 'ॐकार' का जप करते हुए सुबह सूर्योदय से तनिक पहले स्नान कर लेने से महिने भर के कार्तिक मास के स्नान के पुण्यों की प्राप्ति कही गयी है ।
👉 कार्तिक मास में दीपदान का महत्व है।
👉 जो मनुष्य कार्तिक मास में संध्या के समय भगवान श्रीहरि के नाम से तिल के तेल का दीप जलाता है वह अतुल लक्ष्मी, रूप, सौभाग्य एवं संपत्ति को प्राप्त करता है ।
👉 तुलसी वन अथवा तुलसी के पौधे लगाना हितकारी है । तुलसी के पौधे को सुबह आधा-एक गिलास पानी देना सवा मासा (लगभग सवा ग्राम) स्वर्णदान करने का फल देता है ।
👉 भूमि पर अथवा तो गद्दा हटाकर कड़क तख्ते पर सादा कम्बल बिछाकर शयन, ब्रह्मचर्य का पालन – ये कार्तिक मास में करणीय नियम बताये गये हैं, जिससे जीवात्मा का उद्धार होता है ।।
1 note · View note