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#पूर्ण बिजली
ravinderbhan · 1 year
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#मगहर_लीला God Kabir Nirvana diwas 💎 *कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस* 💎 आज से लगभग 505 वर्ष पूर्व सन् 1518 वि. स. 1575 महीना माघ शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहेब जी सशरीर सतलोक गये थे। परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं। चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखें सकल जिहाना हो। च्यारि दाग से रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाना हो।। हिंदू राजा बीर सिंह बघेल और मुस्लिम राजा बिजली ख़ाँ पठान को कबीर परमात्मा ने सतलोक जाने से पहले कहा जो मेरे जाने के बाद मिले आधा आधा बांट लेना। दो चद्दर और सुगंधित फूल मिले, परमात्मा का शरीर नहीं मिला था। शरीर की जगह सुगन्धित पुष्प मिले जिस वजह से हिन्दू मुस्लमान का भयंकर युद्ध टला था। वे सभी एक दूसरे के सीने से लग कर रोये थे जैसे किसी बच्चे की माँ मर जाती है। यह समर्थता कबीर परमेश्वर जी ने दिखाई जिससे गृहयुद्ध टला। बीरसिंघ बघेला करै बीनती, बिजली खाँ पठाना हो। दो चदरि बकसीस करी हैं, दीनां यौह प्रवाना हो।। कबीर परमेश्वर सन् 1398, ज्येष्ठ मास की पूर्णमासी को ब्रह्म मुहूर्त में अपने निज धाम सतलोक से चलकर आए और काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर शिशु रूप धारण करके विराजमान हुए। जहाँ से नीरू-नीमा उठा कर ले गये और पुत्रवत पालन किया। कबीर, ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया। काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।। कबीर साहेब ही एक ऐसे सच्चे भगवान हैं जिन्होंने ऐसी लीला की जिसका प्रमाण हमारे वेदों में भी मिलता है। आज तक जितने भी अवतार हुए हैं सभी ने मां के गर्भ में जन्म लिया है श्रीराम जी, श्रीकृष्ण जी, परशुरामजी आदि और वे सब मृत्यु को भी प्राप्त हुए। जबकि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी चारों युगों में आते हैं और सशरीर ही आते हैं और सशरीर ही जाते हैं जैसा एक कलियुग का वर्णन आपने ऊपर पढ़ा। वो परमात्मा सन् 1398 से सन् 1518 तक 120 वर्ष तक इस धरातल पर अपनी लीला करके गये। ऋग्वेद मण्डल नं 9 सुक्त 94 मंत्र 1 में कहा है कि वह कबीर परमेश्वर कवियों की तरह आचरण करता हुआ इधर-उधर जाता है यानि घूम-फिरकर कविताओं, लोकोक्तियों द्वारा तत्वज्ञान बताता फिरता है। #कबीरपरमेश्वर_निर्वाणदिवस 1 फरवरी 2023 #मगहर_लीला #SantRampalJiMaharaj अधिक जानकारी के लिए Sant Rampal Ji Maharaj > App Play Store से डाउनलोड करें और Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें। संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें। ⬇️⬇️ https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry https://www.instagram.com/p/Cn3IAlBSvRs/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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akhaidas · 1 year
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🎈 *कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस* 🎈 आज से लगभग 505 वर्ष पूर्व सन् 1518 वि. स. 1575 महीना माघ शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहिब जी सशरीर सतलोक गये थे। परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं! चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखें सकल जिहाना हो। च्यारि दाग से रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाना हो।। हिंदू राजा बीर सिंह बघेल और मुस्लिम राजा बिजली ख़ाँ पठान को कबीर परमात्मा ने सतलोक जाने से पहले कहा जो मेरे जाने के बाद मिले आधा-आधा बांट लेना। दो चद्दर और सुगंधित फूल मिले, परमात्मा का शरीर नहीं मिला था। शरीर की जगह सुगन्धित पुष्प मिले जिस वजह से हिन्दू मुस्लमान का भयंकर युद्ध टला था। वे सभी एक दूसरे के सीने से लग कर रोये थे जैसे किसी बच्चे की माँ मर जाती है। यह समर्थता कबीर परमेश्वर जी ने दिखाई जिससे गृहयुद्ध टला। बीरसिंह बघेला करै बीनती, बिजली खाँ पठाना हो। दो चदरि बकसीस करी हैं, दीनां यौह प्रवाना हो।। कबीर परमेश्वर सन् 1398, ज्येष्ठ मास की पूर्णमासी को ब्रह्म मुहूर्त में अपने निज धाम सतलोक से चलकर आए और काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर शिशु रूप धारण करके विराजमान हुए। जहाँ से नीरू-नीमा उठा कर ले गये और पुत्रवत पालन किया। कबीर, ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया। काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।। कबीर साहेब ही एक ऐसे सच्चे भगवान हैं जिन्होंने ऐसी लीला की जिसका प्रमाण हमारे वेदों में भी मिलता है। आज तक जितने भी अवतार हुए हैं सभी ने मां के गर्भ में जन्म लिया है श्रीराम जी, श्रीकृष्ण जी, परशुरामजी आदि और वे सब मृत्यु को भी प्राप्त हुए। जबकि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी चारों युगों में आते हैं और सशरीर ही आते हैं और सशरीर ही जाते हैं जैसा एक कलियुग का वर्णन आपने ऊपर पढ़ा। वो परमात्मा सन् 1398 से सन् 1518 तक 120 वर्ष तक इस धरातल पर अपनी लीला करके गये। ऋग्वेद मण्डल नं 9 सुक्त 94 मंत्र 1 में कहा है कि वह कबीर परमेश्वर कवियों की तरह आचरण करता हुआ इधर-उधर जाता है यानि घूम-फिरकर कविताओं, लोकोक्तियों द्वारा तत्वज्ञान बताता फिरता है। #कबीरपरमेश्वर_निर्वाणदिवस 1 फरवरी 2023 #मगहर_लीला #SantRampalJiMaharaj अधिक जानकारी के लिए Sant Rampal Ji Maharaj > App Play Store से डाउनलोड करें और Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें। संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें। ⬇️⬇️ https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry https://www.instagram.com/p/Cn2K9F4IwD_/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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igsdc · 2 years
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एमएसएमई पंजीकरण - भारत में एमएसएमई पंजीकरण की अवधारणा को समझना
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2019 में कोरोना महामारी के प्रकोप ने भारत में सब कुछ बदल दिया और ज्यादातर युवा स्टार्टअप की ओर झुकने लगे, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक बदलाव आए। इसे देखने के बाद, भारत सरकार ने MSME पंजीकरण के नियमों में भी कई संशोधन किए  हैं जो इन स्टार्टअप के लिए बेहतर भविष्य लेकर आए हैं। इन छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप को स्थिरता प्रदान करने के लिए एमएसएमई पंजीकरण एक महत्वपूर्ण कारक है। यह लेख एमएसएमई पंजीकरण पर सटीक रूप से प्रकाश डालने के इरादे से लिखा गया है।
एमएसएमईडी अधिनियम 2006
वर्ष 2006 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम स्तर के व्यवसायियों को सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करने के लिए एक नया अधिनियम लागू किया गया था। इस अधिनियम के तहत, प्रत्येक व्यवसाय को व्यावसायिक ऋण प्राप्त करने तथा विभिन्न प्रकार की सरकारी सुविधाएं प्राप्त करने के लिए पंजीकरण करवाना जरूरी है। इस अधिनियम के तहत पंजीकृत किए जाने वाले विभिन्न उद्योगों के बारे में जानकारी जानकारी नीचे दी जा रही है-
अति लघु उद्योग
इस प्रकार की योजनाओं के तहत 25 लाख रूपयों तक का निवेश किया जा सकता है और यह इस सीमा से ऊपर नहीं हो सकती है। भारत में एमएसएमई पंजीकरण की बुनियादी आवश्यकता को पूरा करने के लिए उपकरण तथा मशीनों की लागत 10 लाख रूपये से कम होनी चाहिए।
छोटे पैमाने के उद्यम
प्लांट और मैन्युफैक्चरिंग में निवेश 25 लाख से 5 करोड़ के बीच होना चाहिए। जबकि मशीनरी और बुनियादी लागत 19 लाख से 2 करोड़ रुपये के दायरे के बीच होनी चाहिए।
मध्यम स्तर के उद्यम
इस तरह के उद्यम के लिए न्यूनतम 5 करोड़ और अधिकतम 20 करोड़ के निवेश की आवश्यकता होती है। इसलिए बुनियादी पूंजी और मशीनरी की लागत 5 करोड़ से 10 करोड़ के बीच होनी चाहिए।
 एमएसएमई पंजीकरण के लिए बुनियादी आवश्यकता की सूची
MSME पंजीकरण एक ऑनलाइन प्रक्रिया है जिसके तहत सत्यापन करवाने के लिए आपके मूल दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। इसके लिए जरूरी दस्तावेजों में आधार कार्ड प्रमुख है। हालांकि कोई व्यक्ति आधार कार्ड की भौतिक प्रति प्रदान किए बिना भी ऑनलाइन तरीके से प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकता है। 
जो लोग पहले से एमएसएमई उद्यमों का संचालन कर रहे हैं उन लोगों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को पूर्ण करना अधिक आसान होता है और वे एमएसएमई पंजीकरण के साथ-साथ आईएसओ प्रमाणपत्र भी सरलता से प्राप्त कर सकते हैं।
MSME के ​​तहत पंजीकृत होने के लाभ
एमएसएमई पंजीकरण करवाने के कई लाभ है आईये इनके बारे में विस्तार से जानें-
बैंक ऋणों तक बेहतर पहुंच
कम बिजली बिल
आईएसओ प्रमाणन शुल्क प्रतिपूर्ति
औद्योगिक प्रोत्साहन सब्सिडी पात्रता
ओवरड्राफ्ट ब्याज दर में छूट
विलंबित भुगतानों से सुरक्षा
आईजीएस डिजिटल सेंटर लिमिटेड
अब आप एमएसएमई पंजीकरण और इसके निकटवर्ती लाभों से अवगत हो चुके हैं जो आपके व्यवसाय को गुणवत्ता आश्वासन के साथ अधिक ऊंचाईयां प्राप्त करने में मदद करते हैं। आईजीएस डिजिटल सेंटर लिमिटेड सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन के उच्चतम स्तर के साथ आपकी सभी सीए सेवाओं के लिए एक वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म है। हालाँकि आजकल सुरक्षा और गुणवत्ता के पहलू प्रदान करने के लिए हर व्यवसाय को MSME के ​​तहत पंजीकरण करना अनिवार्य है। आप आईजीएस डिजिटल सेंटर लिमिटेड के प्रमाणित एजेंट बनकर आसानी से अपने ग्राहकों का एमएसएमई रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं और 300 से अधिक सरकारी एवं गैर-सरकारी सेवाएं प्रदान करके बढ़िया कमाई कर सकते हैं।
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naveensarohasblog · 2 years
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#कबीर_बड़ा_या_कृष्ण_Part80
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चौरासी लाख प्रकार के जीवों से मानव देह उत्तम है
गीता अध्याय 13 श्लोक 22 में भी गीता ज्ञान दाता ने अपने से अन्य परमात्मा का प्रत्यक्ष प्रमाण बताया है। गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित गीता में इस श्लोक का अर्थ बिल्कुल गलत किया है।
Gita Adhyay 13 Shlok 22
यथार्थ अनुवाद:- जैसे पूर्व के श्लोकों में वर्णन आया है कि परमात्मा प्रत्येक जीव के साथ ऐसे रहता है, जैसे सूर्य प्रत्येक घड़े के जल में स्थित दिखाई देता है। उस जल को अपनी उष्णता दे रहा है। इसी प्रकार परमात्मा प्रत्येक जीव के हृदय कमल में ऐसे विद्यमान है जैसे सौर ऊर्जा सयन्त्र जहाँ भी लगा है तो वह सूर्य से उष्णता प्राप्त करके ऊर्जा संग्रह करता है। इसी प्रकार प्रत्येक जीव के साथ परमात्मा रहता है। इसलिए इस श्लोक (गीता अध्याय 13 श्लोक 22) में कहा है कि वह परमात्मा सब प्रभुओं का भी स्वामी होने से “महेश्वर”, सब का धारण-पोषण करने से “भर्ता”, सत्यलोक में बैठा प्रत्येक प्राणी की प्रत्येक गतिविधि को देखने वाला होने से “उपदृष्टा”, जीव परमात्मा की शक्ति से सर्व कार्य करता है। जीव परमात्मा का अंश है। (रामायण में भी कहा है, ईश्वर अंश जीव अविनाशी) जिस कारण से जीव जो कुछ भी अपने किए कर्म का सुख, दुःख भोगता है तो अपने अंश के सुख-दुःख का परमात्मा को भी अहसास होता है। सूक्ष्म वेद में लिखा है:-
“कबीर कह मेरे जीव को दुःख ना दिजो कोय।
भक्त दुःखाऐ मैं दुःखी मेरा आपा भी दुःखी होय।।‘‘
गीता अध्याय 17 श्लोक 5-6 में भी कहा है कि जो शास्त्रविरूद्ध घोर तप को तपते हैं। वे परमात्मा को क्रश करने वाले (घोर कष्ट देने वाले) अज्ञानी घोर नरक में गिरते हैं यानि परमात्मा भी दुःख को महसूस करता है।
इसलिए “भोक्ता” कहलाता है। प्रत्येक प्राणी को गुप्त रूप से उचित राय देता है, जिस कारण से परमात्मा “अनुमन्ता” कहलाता है। (परमात्मा शब्द का संधि विच्छेद = परम+आत्मा = श्रेष्ठ आत्मा = परमात्मा।) यदि कोई दुःख का भोग भी देता है, सुख का भोग भी देता है। जैसे कर्म करेगा जीव वैसे अवश्य भोगेगा तो वह “परमात्मा” नहीं कहा जा सकता, वह श्रेष्ठ आत्मा नहीं होता। जैसे इस काल (ब्रह्म के) लोक में विधान है कि जैसा कर्म करोगे, वैसा फल आपको भगवान अवश्य देगा। तो यह प्रभु (स्वामी)तो है, परन्तु ‘‘परम आत्मा’’ नहीं है। इस मानव शरीर में (परः) दूसरा (पुरूषः) परमात्मा जो जीव के साथ अभिन्न रूप से रहता है, जैसे सूर्य प्रत्येक को अपनी ऊर्जा देता है, उसी प्रकार यह दूसरा परमात्मा उपरोक्त महिमा वाला है। जैसे सौर ऊर्जा से जो बल्ब जगता है, उसमें सूर्य होता है यानि सूर्��� की ऊर्जा कार्य करती है। इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा की भूमिका समझें।
गीता अध्याय 13 श्लोक 23 में भी अन्य (पुरूषम्) परमात्मा बताया है। कहा है कि जो सन्त उपरोक्त प्रकार से (पुरूषम्) परमात्मा, प्रकृति, तथा गुणों सहित जानता है, वह सन्त-साधक सब प्रकार से परमात्मा में लीन (वर्तमान) रहता हुआ पुनर्जन्म को प्राप्त नहीं होता अर्थात् उसका पूर्ण मोक्ष हो जाता है।
Gita Adhyay 13 Shlok 23
गीता अध्याय 13 श्लोक 24 भी अन्य परमात्मा का वर्णन है जो गीता ज्ञान दाता से अन्य है। कहा है कि जो परमात्मा सूर्य के सदृश जीवात्मा के साथ अभेद रूप से रहता है। उसको साधक ध्यान द्वारा दिव्य दृष्टि से हृदय में देखते हैं जैसे बिजली को टैस्टर द्वारा देख लेते हैं, अन्य साधक ज्ञान सुनकर विश्वास करके परमात्मा का स्वरूप स्वीकार कर लेते हैं। अन्य भक्तजन (कर्मयोगेन) परमात्मा के कर्मों अर्थात् लीलाओं को देखकर परमात्मा का अस्तित्व जान लेते हैं। जैसे संसार में लगभग 7 अरब जनसँख्या है। किसी का भी चेहरा (face) एक-दूसरे से नहीं मिलता। (कवि ने कहा है:- कई अरब बनाए बन्दे आँख, नाक, हाथ लगाए, एक-दूसरे के नाल कोई भी रलदे नहीं रलाए) इससे भी सिद्ध होता है कि कोई सर्वज्ञ शक्ति है, उसे “परमात्मा” कहा जाता है। कुछ भक्तजन परमात्मा के इस प्रकार के कार्य देखकर परमात्मा को मानते हैं।
गीता अध्याय 13 श्लोक 25 में कहा है कि जो शिक्षित नहीं और जो न ध्यान करते हैं, न ज्ञान को समझ पाते हैं और न वे परमात्मा की संरचना से परमात्मा को समझ पाते हैं। वे अन्य शिक्षित, विद्वान व्यक्तियों से परमात्मा की महिमा सुनकर मान लेते हैं कि जब यह शिक्षित और ज्ञानी व्यक्ति कह रहा है तो परमात्मा है। फिर वे उपासना करने लग जाते हैं। वे उसे सुनने के कारण परमात्मा के अस्तित्व को मानकर उपासना करने के कारण इस मृतलोक (मृत्यु संसार) से पार हो जाते हैं।
Gita Adhyay 13 Shlok 25
गीता अध्याय 13 श्लोक 26 में तो इतना ही कहा है कि सर्व प्राणी क्षेत्र अर्थात् दुर्गा के शरीर तथा क्षेत्रज्ञ अर्थात् गीता ज्ञान दाता क्षर ब्रह्म के संयोग से उत्पन्न होते हैं। ध्यान रहे गीता ज्ञान दाता ने गीता के इसी अध्याय 13 के श्लोक 1 में कहा है कि “क्षेत्र” तो शरीर को कहते हैं तथा जो शरीर के विषय में जानता है, उसे “क्षेत्रज्ञ” कहते हैं। गीता अध्याय 13 श्लोक 2 में कहा है कि क्षेत्रज्ञ मुझे जान यानि गीता ज्ञान दाता क्षेत्रज्ञ हुआ। इस काल लेाक (इक्कीस ब्रह्माण्डों के क्षेत्र में) में जितने प्राणी उत्पन्न होते हैं, वे दुर्गा जी तथा काल भगवान के संयोग से होते हैं अर्थात् नर-मादा से काल प्रेरणा से काल सृष्टि उत्पन्न होती है।
Gita Adhyay 13 Shlok 26
गीता अध्याय 13 श्लोक 27 में अन्य परमेश्वर स्पष्ट है जो गीता ज्ञान दाता से अन्य है। (भिन्न है):- जैसे पूर्व के श्लोकों में प्रमाण सहित बताया गया है कि परमेश्वर प्रत्येक प्राणी के शरीर में हृदय में एैसे बैठा दिखाई देता है जैसे सूर्य जल से भरे घड़ों में दिखाई देता है। इसी प्रकार इस श्लोक 27 में कहा है कि परमेश्वर हृदय में बैठा है। जब प्राणी का शरीर नष्ट हो जाता है तो भी परमेश्वर नष्ट नहीं होता। जैसे कोई घड़ा फूट गया, उसका जल पृथ्वी पर बिखर गया और पृथ्वी में समा गया तो भी सूर्य तो यथावत् है। इसलिए परमेश्वर अविनाशी है जो सन्त परमात्मा को इस दृष्टिकोण से देखता है, वह सही जानता है, वह तत्वज्ञानी सन्त है।
Gita Adhyay 13 Shlok 27
इस श्लोक (गीता अध्याय 13 श्लोक 27) में परमेश्वर शब्द लिखा है। जिससे भी गीता ज्ञान दाता से अन्य परमात्मा का बोध होता है। आओ जानें:-
“परमेश्वर” का सन्दिछेद = परम+ईश्वर
व्याख्या:- “ईश” का अर्थ है स्वामी, प्रभु, मालिक। “वर” का अर्थ है श्रेष्ठ, पति
ईश् तो गीता ज्ञान दाता “क्षर पुरूष” अर्थात् क्षर ब्रह्म है जो केवल इक्कीस ब्रह्माण्डों का प्रभु है।
ईश्वर = ईश् अर्थात् क्षर पुरूष से श्रेष्ठ प्रभु। वह केवल 7 शंख ब्रह्माण्डों का प्रभु है। इसे अक्षर पुरूष तथा परब्रह्म भी कहा जाता है।
परमेश्वर = ईश्वर अर्थात् अक्षर पुरूष से परम अर्थात् श्रेष्ठ है, जो असँख्य ब्रह्माण्डों का प्रभु है, उसे परम अक्षर ब्रह्म भी कहा जाता है। (गीता अध्याय 8 श्लोक 3 में प्रमाण है) गीता अध्याय 15 श्लोक 16-17 में तीन पुरूषों का वर्णन है। क्षर पुरूष - यह गीता ज्ञान दाता ईश् है तथा अक्षर पुरूष = यह ईश्वर है तथा गीता अध्याय 15 श्लेाक 17 में कहा है कि (उत्तम पुरूषः) पुरूषोत्तम अर्थात् वास्तव में सर्व श्रेष्ठ प्रभु तो ऊपर के श्लोक (गीता अध्याय 15 श्लोक 16) में कहे दोनों (क्षर पुरूष तथा अक्षर पुरूष) से भिन्न है, उसी को वास्तव में “परमात्मा” कहा जाता है। वही तीनों लोकों (क्षर पुरूष के 21 ब्रह्माण्डों का क्षेत्र काल लोक कहा जाता है तथा अक्षर पुरूष के 7 शंख ब्रह्माण्डों के क्षेत्र को परब्रह्म का लोक कहा जाता है और ऊपर चार लोकों (सत्यलोक, अलख लोक, अगम लोक तथा अकह लोक) का क्षेत्र अमर लोक परमेश्वर का लोक कहा जाता है। इस प्रकार तीन लोकों का यहाँ पर वर्णन है। इन तीनों लोकों में प्रवेश करके सब का धारण-पोषण करता है। वह वास्तव में अविनाशी परमेश्वर है। गीता अध्याय 13 श्लोक 27 में “परमेश्वर” शब्द है जो गीता ज्ञान दाता से भिन्न सर्व शक्तिमान, सर्व का पालन कर्ता का बोधक है।
गीता अध्याय 13 श्लोक 28 में भी गीता ज्ञान दाता से अन्य प्रभु का प्रमाण है। इस श्लोक में “ईश्वर” शब्द परमेश्वर का बोधक है, जैसे ईश् का अर्थ स्वामी, वर का अर्थ श्रेष्ठ। वास्तव में सब का “ईश” स्वामी तो परम अक्षर ब्रह्म है। वही श्रेष्ठ ईश है, इसलिए “ईश्वर” शब्द प्रकरणवश पूर्ण परमात्मा का बोधक है। यदि अन्य “ईश” नकली स्वामी नहीं होते तो ईश्वर तथा परमेश्वर शब्दों की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए इस श्लोक में “ईश्वर” शब्द सत्य पुरूष का बोध जानें।
Gita Adhyay 13 Shlok 28
गीता अध्याय 13 श्लोक 28 का भावार्थ है कि गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि जो साधक सब प्रकार से परमेश्वर को समभाव में देखता हुआ (आत्मानम्) अपनी आत्मा को (आत्मना) अपनी अज्ञान आत्मा द्वारा नष्ट नहीं करता अर्थात् वह परमात्मा को सही समझकर उसकी साधना करके (ततः) उससे (पराम् = परा) दूसरी (गतिम्) गति अर्थात् मोक्ष को (याति) प्राप्त होता है अर्थात् वह साधक गीता ज्ञान दाता वाली परमगति (जो गीता अध्याय 8 श्लोक 13 में कही है) से अन्य गति (जो गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कही है, उसे) को प्राप्त होता है।
गीता अध्याय 13 श्लोक 30 में स्पष्ट है कि गीता ज्ञान दाता ने अपने से अन्य परमात्मा की महिमा बताई है। इस श्लोक में भी गीता अध्याय 18 श्लोक 66 वाला ’’एक‘‘ शब्द है जिसका अर्थ ’’उस एक परमात्मा‘‘ किया है। इसलिए गीता अध्याय 18 श्लोक 66 में ’’एकम् शरणं व्रज‘‘ कहा है, उसका अर्थ भी ’’उस एक परमात्मा की शरण में जा‘‘ सही अर्थ है। कहा है कि जो सन्त सर्व प्रणियों की स्थिति भिन्न-भिन्न होते हुए भी एक परमात्मा सर्वशक्तिमान के अन्तर्गत मानता है तो वह समझो ‘‘सच्चिदानन्द घन ब्रह्म‘‘ अर्थात् परम अक्षर ब्रह्म को प्राप्त हो गया है, वह सत्य भक्ति करके उस परमेश्वर को प्राप्त हो जाता है।
Gita Adhyay 13 Shlok 30
गीता अध्याय 13 श्लोक 31 में भी गीता ज्ञान दाता ने अपने से अन्य “परमात्मा” के विषय में कहा है। इस श्लोक में “परमात्मा” शब्द है जिसकी स्पष्ट परिभाषा गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में बताई है। कहा है कि जो उत्तम पुरूष अर्थात् सर्वश्रेष्ठ प्रभु है। वह तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण-पोषण करता है। वह वास्तव अविनाशी परमेश्वर है। उसी को “परमात्मा” कहा जाता है। वह क्षर पुरूष तथा अक्षर पुरूष से अन्य है।
Gita Adhyay 13 Shlok 31
इस श्लोक (गीता अध्याय 13 श्लोक 31) में भी यही स्पष्ट किया है कि वह परमात्मा अनादि होने से, निर्गुण होने से प्रत्येक प्राणी के शरीर में (सूर्य जैसे घड़े में) स्थित होने पर भी न तो कुछ करता है क्योंकि सब कार्य परमात्मा की शाक्ति करती है, (जैसे घड़े के जल में सूर्य दिखाई देता है उससे जल गर्म हो रहा है। वह सूर्य करता नहीं दिखाई देता, उसकी उष्णता कर रही है। सूर्य कुछ नहीं करता दिखता) और न परमात्मा उस शरीर में लिप्त होता है, जैसे सूर्य घड़े के जल में लिप्त नहीं होता।
गीता अध्याय 13 श्लोक 32 में भी यही प्रमाण है।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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anujsinghmar · 2 years
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🪔कबीर साहेब की मगहर लीला🪔
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं जो हर युग में आते रहे हैं जिसकी गवाही हमारे धर्म ग्रंथ भी देते हैं। उन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, पाखंड, मूर्ति पूजा, छुआछूत तथा हिंसा का विरोध किया। साथ ही हिन्दू -मुस्लिम में भेदभाव का पुरजो़र खंडन किया। इसी तरह इस अंधविश्वास को मिटाने के लिए कि आखिरी समय में मगहर (Maghar) में प्राण त्यागने वाला नरक जाएगा, अपने अंत समय में काशी से चलकर मगहर आए। जिसके बाद सबकी धारणा बदल गई।
कबीर साहिब जी ताउम्र काशी में रहे। परंतु 120 वर्ष की आयु में काशी से अपने अनुयायियों के साथ मगहर के लिए चल पड़े। 120 वर्ष के होते हुए भी उन्होंने 3 दिन में काशी से मगहर का सफर तय कर लिया। उन दिनों काशी के कर्मकांडी पंडितों ने यह धारणा फैला रखी थी कि जो मगहर में मरेगा वह गधा बनेगा और जो काशी में मरेगा वह सीधा स्वर्ग जाएगा।
मगहर पहुंचने पर कबीर साहिब जी ने बिजली खाँ पठान से कहा कि , “मैं स्नान करूंगा”। इस पर बिजली खाँ पठान ने कहा “आपके लिए स्वच्छ जल ला रखा है गुरूवर”, परंतु कबीर जी ने कहा कि मैं बहते पानी (दरिया) में स्नान करूंगा।
बिजली खाँ पठान ने बताया कि यहां पास ही ‘आमी नदी’ है जो भगवान शिव के श्राप से सूखी पड़ी है। परमेश्वर कबीर जी ने नदी की और चलने का इशारा किया और नदी में पानी पूरे वेग से बहने लगा। वहां पर खड़े सब लोगों ने “सतगुरु देव की जय के जयकारे” लगाने शुरू कर दिए। आज भी मगहर में वह आमी नदी बहती है।  
परमेश्वर कबीर साहब ने दो चादर मंगवाई और आदेश दिया कि एक चादर नीचे बिछाओ और दूसरी चादर साथ में रख दो। उसे मैं अपने ऊपर ओढूँगा।
परमेश्वर कबीर साहब ने बिजली खाँ पठान और बीर सिंह बघेल से पूछा, आप दोनों यहाँ अपनी अपनी सेनाएं क्यों लेकर आए हैं? इस पर दोनों शर्मसार हो गए और गर्दन नीची कर ली। जो कबीर साहेब से दीक्षित नहीं थे उन्होनें कहा कि, हम आपके शरीर छोड़ने के बाद आपके शरीर का अंतिम संस्कार हमारे धर्म के अनुसार करेंगे चाहे इसके लिए हमें लड़ाई ही क्यों ना करनी पड़े।
इस पर परमेश्वर कबीर साहिब ने सबको डांटते हुए बोला कि इतने दिनों में तुमको मैंने यहीं शिक्षा दी है। साथ ही समझाया कि दफनाने और जलाने में कोई अंतर नहीं है। मरने के बाद ये शरीर मिट्टी है जो मिट्टी में ही मिल जाएगा।
कबीर परमात्मा का शरीर नहीं बल्कि वहां सुगन्धित फूल मिले, जिसको दोनों राजाओं ने आधा-आधा बांट लिया। दोनों धर्मों के लोग आपस में गले लग कर खूब रोए। परमात्मा कबीर जी ने इस लीला से दोनों धर्मों का वैरभाव समाप्त किया।
वर्तमान समय में मगहर में कबीर जी की याद में मुस्लिम लोगों ने मज़ार और हिंदुओं ने समाधि बनाई हुई है। जिसमें मात्र सौ फीट की दूरी का अंतर है। समाधि के भवन की दीवारों पर कबीर के दोहे उकेरे गए हैं। इस समाधि के पास ही एक मंदिर भी है। इसके इलावा कुछ फूल लाकर एक चौरा (चबूतरा) जहां बैठकर कबीर साहेब सत्संग किया करते थे वहां काशी-चौरा नाम से यादगार बनाई गई है जहां अब बहुत बड़ा आश्रम है।
कबीर जी की याद में बने मंदिर तथा मस्जिद एक बहुत बड़े उदाहरण हैं। आज भी यहां के हिंदू तथा मुस्लिम एक दूसरे के साथ बहुत प्रेम से रहते हैं तथा कबीर जी के बताए मार्ग पर चलते हैं।
आज के समय में संत रामपाल जी महाराज जी ही कबीर जी द्वारा बताई हुई सत्य साधना हमारे धर्म ग्रंथों से प्रमाणित करके बताते हैं। संत रामपाल जी महाराज ने कलयुग में कबीर जी को परमेश्वर सिद्ध कर दिया है। हमारे सभी धर्म ग्रंथ भी इसकी गवाही देते हैं कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी ही हैं जिनकी भक्ति करने से मोक्ष प्राप्ति संभव है। इसलिए अपना और समय व्यर्थ ना गवांकर संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा प्राप्त करें तथा अपना कल्याण करवाएं।
#कबीरसाहेब_की_मगहर_लीला
#SantRampalJiMaharaj
अधिक जानकारी के लिए अवश्य download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
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dainiksamachar · 20 hours
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टकाटक, फटाफट और सफाचट...क्या विपक्ष एक बार फिर मोदी को पढ़ने में भूल कर गया?
नई दिल्ली: एग्जिट पोल के आए नतीजों और 4 जून को आने वाले असली नतीजों में कोई बड़ा फर्क नहीं हुआ तो विपक्ष के सामने कोई एक दो सवाल नहीं होंगे। सवाल ऐसे कि शायद ही अगले कुछ महीनों, वर्षों में विपक्ष उसका जवाब खोज पाए। विपक्षी दल खासकर कांग्रेस के लिए मुश्किल घड़ी होगी। जैसा एग्जिट पोल के नतीजे बता रहे हैं उसके मुताबिक विपक्ष के लिए यह चुभने वाली हार होगी। कांग्रेस समेत दूसरे दलों की ओर से चुनाव में तमाम बड़े वादे किए गए लेकिन लगता है कि पब्लिक को उस पर यकीन नहीं हुआ। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी जिनकी बातों पर जनता को अब भी काफी भरोसा है। जो गारंटी की बात कही उस पर विश्वास है। बीजेपी की जीत और विपक्ष की हार के बाद विश्लेषण भी होगा लेकिन एक बात तो तय है कि विपक्ष एक बार फिर पीएम मोदी को पढ़ने में भूल कर गया। चुनाव में टकाटक, फटाफट और चुनाव खत्म होने से कुछ दिन पहले बिहार की धरती से सफाचट की बात कही गई। अब यह उल्टा पड़ता दिख रहा है। मोदी की गारंटी... पब्लिक ने दिया भरपूर साथएक ओर एनडीए गठबंधन जिसकी अगुवाई प्रधानमंत्री कर रहे थे। तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष जिसकी अगुवाई कौन कर रहा किसी को पता नहीं। एनडीए की ओर से सिर्फ मोदी की गारंटी थी तो वहीं विपक्ष की ओर से कांग्रेस, सपा, आरजेडी, आम आदमी पार्टी, डीएमके के अपने-अपने वादे। कोई टकाटक अकाउंट में पैसे देने की बात कर रहा था तो कोई CAA खत्म करने की बात। कोई पीडीए की बात कर रहा था तो कोई पूरे देश में फ्री बिजली देने की बात कर रहा था। कई दल और कई सारे वादे। इन दलों की ओर से कहा जा रहा था कि बहुमत मिला तो हम अपने वादे पूरे कराने के लिए दबाव डालेंगे। कुल मिलाकर कहें कि जितने मुंह उतनी बातें। सभी दलों ने अपने-अपने राज्यों और वोटर्स के हिसाब से वादे किए। वहीं दूसरी ओर सिर्फ मोदी की गारंटी। अब एग्जिट पोल के नतीजों के हिसाब से यह गारंटी सब पर भारी पड़ रही है। टकाटक, फटाफट से सिर्फ काम नहीं चलेगाविपक्षी दलों की ओर से मेहनत नहीं की गई या उनकी रैलियों में भीड़ नहीं हुई, ऐसा नहीं कहा जा सकता। तेजस्वी, ममता बनर्जी, राहुल गांधी, अखिलेश यादव समेत और दूसरे दलों के नेताओं की ओर से कई रैलियां की गईं। फिर ऐसा क्या हुआ कि नतीजे पूरी तरह तो क्या थोड़े बहुत भी फेवर में जाते नहीं दिख रहे। विपक्ष को लेकर जनता के मन में शुरू से सवाल था और यह सवाल पता नहीं कब से है। आखिर कौन विपक्ष की अगुवाई कर रहा है। इन दलों को यह समझना होगा कि सिर्फ यह कह देने से काम नहीं चलेगा कि नतीजों के बाद तय कर लिया जाएगा। यह कहना ही कई बार जनता के मन में संदेह पैदा करता है। कांग्रेस की ओर से महिलाओं को एक खास रकम देने की बात कही गई और भी कई वादे किए गए लेकिन उस पर जनता को यकीन नहीं हुआ। वहीं मोदी अपनी जीत को लेकर शुरू से ही आश्वस्त दिख रहे हैं। फ्री राशन, आवास, जल ऐसी कई योजनाएं थीं जिसका पब्लिक को सीधा लाभ मिल रहा है। यह बात मोदी के फेवर में जाती दिख रही हैं। किंतु परंतु के मूड में नहीं पब्लिक2014, 2019 और अब एग्जिट पोल नतीजों के हिसाब से 2024 में जीत के बाद बनाने जा रहे हैं। 4 जून को नतीजे उलट नहीं हुए तो विपक्ष चाहें जो दलील दे लेकिन एक बात तय है कि पब्लिक के मन में चुनाव की शुरुआत से ही कोई शंका नहीं थी। पब्लिक किसी किंतु परंतु के मूड में शुरू से नहीं है। विपक्ष भले ही जनता और मोदी को भांपने में चूक कर रही थी लेकिन पब्लिक का मत एकदम क्लियर था। लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौटना कोई आसान काम नहीं। मोदी ऐसा करते हुए दिख रहे हैं। सिर्फ केंद्र ही नहीं हाल के कई राज्यों के चुनाव में भी जनता अपना मत स्पष्ट तौर पर दे रही है। जिस दल को सत्ता सौंपनी है उसे पूरी मजबूती के साथ कुर्सी पर बिठाना है। कोई एक या दो बात मोदी के फेवर में गई है ऐसा नहीं कहा जा सकता है। विपक्षी दलों ने मिलकर इंडिया गठबंधन तो बना लिया लेकिन पब्लिक को उस पर पूरी तरह यकीन नहीं हो रहा था। जो साथ आ भी रहे थे वह कंडीशन के साथ। ऐसे में लगता है कि जनता को नियम और शर्तें लागू वाली बात पसंद नहीं आई। http://dlvr.it/T7jp2Z
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iammanhar · 1 month
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Day☛1272✍️+91/CG10☛In Home☛20/04/24 (Sat) ☛ 22:03
आज ऑफिस में बढ़िया दिन गुजरा है ,सुबह से बढ़िया समाचार भी मिला है ,जिसके लिए हमारे मैडम को ढेरों शुभ कामनाए .......परिणाम दिसंबर में आएगा ,जिसकी तैयारी अभी से चल रही है |
अभी कुछ समय पहले हल्की बारिश हुई है ,बारिश के साथ हवा भी चली है ,जिससे बिजली बाधित हुई है ,न जाने कब तक लाइट आएगी | कैंपस के सभी लोग छत पर टहल रहे है ,शहर में एक यही दिक्कत है कि यहाँ पर प्राकृतिक सुलभ नहीं है ,भौतिक सुख सुविधाओ पर पूर्ण से निर्भर है ,लाइट गई तो पूरा शहर सुना सुना लगता है ,जबकि गाँव में नेचुरल चीजे मिलती है |
सुबह जाते समय और शाम को घर आते समय एक बात नोटिस किया हूँ कि अगर आप घर से जैसे वाहन या साधन से निकलते है ,वैसे ही आपको बाहर भी मिलता है ,जिसका घर में नहीं उसका बाहर नहीं ,ऐसा कहावत वास्तव में चरितार्थ होता है |
ok good night
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jyotis-things · 2 months
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( #Muktibodh_part252 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part253
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 485
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 1125-1133 का सरलार्थ :-
‘‘प्रभु कबीर जी का मगहर से सशरीर सत्यलोक गमन तथा सूखी नदी में नीर बहाना’’
उसके बाद इस भ्रम को तोड़ने के लिए कि जो मगहर में मरता है वह गधा बनता है और कांशी में मरने वाला स्वर्ग जाता है। (बन्दी छोड़ कहते थे कि सही विधि से भक्ति करने वाला प्राणी चाहे वह कहीं पर प्राण त्याग दे वह अपने सही स्थान पर जाएगा।) उन अज्ञानियों का भ्रम निवारण करने के लिए कबीर साहेब ने कहा कि मैं मगहर में मरूँगा और सभी ज्योतिषी वाले देख लेना कि मैं कहाँ जाऊँगा? नरक में जाऊँगा या स्वर्ग से भी ऊपर सतलोक में।
कबीर साहेब ने काशी से मगहर के लिये प्रस्थान किया। बीर सिंह बघेला और बिजली खाँ पठान ये दोनों ही सतगुरू के शिष्य थे। बीर सिंह ने अपनी सेना साथ ले ली कि कबीर साहेब वहाँ पर अपना शरीर छोड़ेंगे। इस शरीर को लेकर हम काशी में हिन्दू रीति से अंतिम संस्कार करेंगे। यदि मुसलमान नहीं मानेंगे तो लड़ाई कर के शव को लायेंगे। सेना भी साथ
ले ली, अब इतनी बुद्धि है हमारी। कबीर परमेश्वर जी हर रोज शिक्षा दिया करते कि हिन्दू मुसलमान दो नहीं हैं। अंत में फिर वही बुद्धि। उधर से बिजली खाँ पठान को पता चला
कि कबीर साहेब यहाँ पर आ रहे हैं। बिजली खाँ पठान ने सतगुरू तथा सर्व आने वाले भक्तों तथा दर्शकों की खाने तथा पीने की सारी व्यवस्था की और कहा कि सेना तुम भी तैयार कर
लो। हम अपने पीर कबीर साहेब का यहाँ पर मुसलमान विधि से अंतिम संस्कार करेंगे।
कबीर साहेब के मगहर पहुँचने के बाद बिजली खाँ ने कहा कि महाराज जी स्नान करो।
कबीर साहेब ने कहा कि बहते पानी में स्नान करूँगा। बिजली खान ने कहा कि सतगुरू देव यहाँ पर साथ में एक आमी नदी है, वह भगवान शिव के श्राप से सूखी पड़ी है। उसमें पानी
नहीं है। जैसी व्यवस्था दास से हो पाई है पानी का प्रबंध करवाया है। आपके स्नान के लिए प्रबंध किया है। लेकिन संगत बहुत आ गई। इनके नहाने की तो बात बन नहीं पाएगी। पीने का पानी पर्याप्त मात्रा में बाहर से मंगवा रखा है। कबीर साहेब ने कहा कि वह नदी देखें कहाँ पर है? उस नदी पर जा कर साहेब ने हाथ से ऐसे इशारा किया था जैसे यातायात (ट्रैफिक) का सिपाही रूकी हुई गाडियों को जाने का संकेत करता है। वह आमी नदी पानी
से पूरी भरकर चल पड़ी। “बोलो सतगुरू देव की जय“ ‘‘सत साहेब‘‘। (यह आमी नदी वहाँ पर अभी भी विद्यमान है) सब ने जय जयकार की।
◆ साहेब ने कहा कि एक चदद्र नीचे बिछाओ, एक मैं ऊपर ओढ़ूँगा। (क्योंकि वे जानी जान तो थे) कहने लगे कि ये सेना कैसे ला रखी है तुमने? अब बिजली खाँ पठान और बीर
सिंह बघेला आमने-सामने खड़े हैं। उन्होंने तो मुँह लटका लिया और बोले नहीं। वे दूसरे हिन्दू और मुसलमान बिना नाम वाले बोले कि जी हम आपका अंतिम संस्कार अपनी विधि से करेंगे। दूसरे कहते हैं कि हम अपनी विधि से करेंगे। चढा ली बाहें, उठा लिए हथियार तथा कहने लगे
कि आ जाओ। कबीर साहेब ने कहा कि नादानों क्या मैंने यही शिक्षा दी थी 120 वर्ष तक। इस मिट्टी का तुम क्या करोगे? चाहे फूँक दो या गाड़ दो, इससे क्या मिलेगा? तुमने क्या शिक्षा ली मेरे से? सुन लो यदि झगड़ा कर लिया तो मेरे से बुरा नहीं होगा। वे जानते थे कि ये कबीर साहेब परम शक्ति युक्त हैं। यदि कुछ कह दिया तो बात बिगड़ जाएगी। शांत हो गये पर मन में यही थी कि शरीर छोड़ने दो, हमने तो यही करना है। वे तो जानी जान थे। उस दिन गृहयुद्ध शुरू हो जाता, सत्यानाश हो जाता, यदि साहेब अपनी कृपा न बक्शते। कबीर साहेब ने कहा कि एक काम कर लेना तुम मेरे शरीर को आधा-आधा काट लेना। परन्तु लड़ना मत। ये मेरा अंतिम आदेश सुन लो और मानो, इसमें जो वस्तु मिले उसको आधा आधा कर लेना। महिना माघ शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि. स. 1575 (एक हजार पाँच सौ पचहतर) सन् 1518 को
कबीर साहेब ने एक चद्दर नीचे बिछाई और एक ऊपर ओढ़ ली। कुछ फूल कबीर साहेब के नीचे वाली चद्दर पर दो इंच मोटाई में बिछा दिये। थोड़ी सी देर में आकाश वाणी हुई कि मैं तो जा रहा हूँ सतलोक में (स्वर्ग से भी ऊपर)। देख लो चद्दर उठा कर इसमें कोई शव नहीं है। जो वस्तु है वे आधी-आधी ले लेना परन्तु लड़ना नहीं। जब चदद्र उठाई तो सुगंधित फूलों का ढेर शव के समान ऊँचा मिला। बोलो सतगुरू देव की जय ‘‘सत साहेब।‘‘
क्रमशः_______________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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sharpbharat · 2 months
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jamshedpur shanti samity : टेल्को क्षेत्र में शांतिपूर्वक झंडा जुलूस विसर्जन निकालने की तैयारी, थानेदार ने बैठक में टाटा मोटर्स को दी हिदायत
जमशेदपुर : जमशेदपुर के टेल्को थाना प्रभारी शैलेन्द्र कुमार ने टेल्को क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले रामनवमी अखाड़ा समितियों के साथ बैठक कर शांति पूर्ण तरीके से झंडा जुलूस विसर्जन संपन्न कराने हेतु दिशा निर्देश दिया. प्रशासन ने आदर्श आचार संहिता के आलोक में झंडा निकालने की प्रतिवद्धता बताई. साथ ही समय पर सभी अखाड़ों में पानी, बिजली और साफ सफाई करने का निर्देश टाटा मोटर्स टाऊन विभाग को दिया. जुलूस के…
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wegarhwali · 2 months
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संगम पुस्तकालय रुद्रप्रयाग
संगम पुस्तकालय रुद्रप्रयाग | Sangam Library Rudraprayag  अलकनंदा और मन्दाकिनी के संगम तट पर स्तिथ रुद्रप्रयाग में विद्यार्थियों और शोधार्थियों के पठन-पाठन के लिए संगम पुस्तकालय खोला गया है। यह पुस्तकालय बदरीनाथ-केदारनाथ मुख्य राजमार्ग में  मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय के पास स्तिथ है।  पुस्तकालय अंदर से बहुत ही शानदार है और यहाँ बैठने की भी पूर्ण व्यवस्था है। साथ ही बिजली, पानी, और शौचालय की भी…
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thebillionaireinsider · 3 months
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अनिल अंबानी का डिफेंस बिजनेस: उड़ान भरने को तैयार!
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आज हम बात करेंगे अनिल अंबानी के डिफेंस बिजनेस, खासकर नागपुर में डेसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (डीआरएएल) के प्लांट में होने वाले विकास के बारे में।
जैसा कि आप जानते हैं, डीआरएएल फ्रांस की डेसॉल्ट एविएशन के साथ रिलायंस ग्रुप का संयुक्त उद्यम है। यह राफेल लड़ाकू विमान और फाल्कन बिजनेस जेट पार्ट्स बनाता है।
फाल्कन बिजनेस जेट:
फाल्कन बिजनेस जेट दुनिया भर के अरबपतियों और बड़ी कंपनियों द्वारा पसंद किए जाते हैं। यह दुनिया भर में सबसे ज्यादा बिकने वाले बिजनेस जेट में से एक है।
नागपुर प्लांट:
डीआरएएल का नागपुर प्लांट 2018 में शुरू हुआ था। यह राफेल फाइटर जेट और फाल्कन 2000 बिजनेस जेट के पार्ट्स बनाता है। इन पार्ट्स को फ्रांस और डसॉल्ट एविएशन के अन्य विदेशी प्लांट्स में निर्यात किया जाता है।
पूर्ण विकसित फाल्कन जेट:
अब अच्छी खबर यह है कि डीआरएएल नागपुर प्लांट में पूर्ण विकसित फाल्कन बिजनेस जेट बनाने की तैयारी कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पहला फाल्कन 2000 जेट 2025 की शुरुआत में नागपुर से लॉन्च किया जाएगा।
निवेश और विस्तार:
दोनों कंपनियां नागपुर यूनिट के विस्तार में भारी निवेश कर रही हैं। यहाँ करोड़ो रुपए की लागत से दो नये हैंगर बनाये जा रहे हैं।
उत्पादन क्षमता:
शुरू में सालाना 18 फाल्कन जेट बनाने की योजना है, यह संख्या बाद में बढ़कर 22 तक जा सकती है।
भारत का महत्व:
अगले 18 महीनों में इन बिजनेस जेट के उत्पादन के साथ, भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जो बिजनेस जेट का निर्माण करते हैं।
विमानन उद्योग में प्रभाव:
विमानन उद्योग के अनुसार, डेसॉल्ट भारत में बिजनेस जेट श्रेणी में तीसरा सबसे बड़ा ओईएम है। फाल्कन जेट भारत में चार्टर्ड सेवा ऑपरेटरो के बीच बहुत लोकप्रिय हैं, क्योंकि फाल्कन जेट का केबिन आकार बड़ा होता है और इसलिए यह काफी ज्यादा आरामदायक होता है।
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर:
अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप का डिफेन्स कारोबार रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आरआईएल) के अंतर्गत आता है। यह रिलायंस ग्रुप की प्रमुख कंपनी है।
डिफेन्स के अलावा, आरआईएल बीएसईएस के नाम से दिल्ली में बिजली वितरण व्यवसाय में भी है। यह कंपनी टोल रोड और बड़े प्रोजेक्ट्स के निर्माण में भी कार्यरत है।
निष्कर्ष:
अनिल अंबानी का डिफेंस बिजनेस भारत में रोजगार सृजन और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नागपुर प्लांट में पूर्ण विकसित फाल्कन बिजनेस जेट के उत्पादन की शुरुआत भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।
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pradeepdasblog · 3 months
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( #Muktibodh_part217 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part218
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 416-417
‘‘चौरासी लाख प्रकार के जीवों से मानव देह उत्तम है‘‘
गीता अध्याय 13 श्लोक 22 में भी गीता ज्ञान दाता ने अपने से अन्य परमात्मा का प्रत्यक्ष प्रमाण बताया है। गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित गीता में इस श्लोक का अर्थ बिल्कुल गलत किया है।
◆◆ यथार्थ अनुवाद :- जैसे पूर्व के श्लोकों में वर्णन आया है कि परमात्मा प्रत्येक जीव के साथ ऐसे रहता है, जैसे सूर्य प्रत्येक घड़े के जल में स्थित दिखाई देता है। उस जल को अपनी ऊष्णता दे रहा है। इसी प्रकार परमात्मा प्रत्येक जीव के हृदय कमल में ऐसे विद्यमान है जैसे सौर ऊर्जा सयन्त्र जहाँ भी लगा है तो वह सूर्य से ऊष्णता प्राप्त करके ऊर्जा संग्रह करता है। इसी प्रकार प्रत्येक जीव के साथ परमात्मा रहता है। इसलिए इस श्लोक (गीता अध्याय 13 श्लोक 22) में कहा है कि वह परमात्मा सब प्रभुओं का भी स्वामी होने से “महेश्वर”, सबका धारण-पोषण करने से “कर्ता”, सत्यलोक में बैठा प्रत्येक प्राणी की प्रत्येक गतिविधि को देखने वाला होने से “उपदृष्टा”, जीव परमात्मा की शक्ति से सर्व कार्य करता है। जीव परमात्मा का अंश है। (रामायण में भी कहा है, ईश्वर अंश जीव अविनाशी) जिस
कारण से जीव जो कुछ भी अपने किए कर्म का सुख, दुःख भोगता है तो अपने अंश के सुख-दुःख का परमात्मा को भी अहसास होता है। (सूक्ष्म वेद में लिखा है- “कबीर कह मेरे जीव को दुःख ना दिजो कोय, भक्त दुःखाऐ मैं दुःखी मेरा आपा भी दुःखी होय।‘‘)
इसलिए “भोक्ता” कहलाता है। प्रत्येक प्राणी को गुप्त रूप से उचित राय देता है, जिस कारण से परमात्मा “अनुमन्ता” कहलाता है। परमात्मा शब्द का सन्धिविच्छेद =
परमआत्मा = श्रेष्ठ आत्मा = परमात्मा। यदि कोई दुःख का भोग भी देता है, सुख का भोग भी देता है। जैसे कर्म करेगा जीव वैसे अवश्य भोगेगा तो वह “परमात्मा” नहीं कहा जा सकता, वह श्रेष्ठ आत्मा नहीं होता। जैसे इस काल (ब्रह्म के) लोक में विधान है कि जैसा
कर्म करोगे, वैसा फल आपको भगवान अवश्य देगा। तो यह प्रभु (स्वामी)तो है, परन्तु परम आत्मा नहीं है। इस मानव शरीर में (परः) दूसरा (पुरूषः) परमात्मा जो जीव के साथ अभिन्न
रूप से रहता है, जैसे सूर्य प्रत्येक को अपनी ऊर्जा देता है, उसी प्रकार यह दूसरा परमात्मा उपरोक्त महिमा वाला है। जैसे सौर ऊर्जा से जो बल्ब जगता है, उसमें सूर्य होता है यानि सूर्य की ऊर्जा कार्य करती है। इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा की भूमिका समझें। गीता अध्याय 13 श्लोक 23 में भी अन्य (पुरूषम्) परमात्मा बताया है। कहा है कि जो सन्त उपरोक्त प्रकार से (पुरूषम्) परमात्मा, प्रकृति, तथा गुणों सहित जानता है, वह सन्त-साधक सब प्रकार से परमात्मा में लीन (वर्तमान) रहता हुआ पुनर्जन्म को प्राप्त नहीं
होता अर्थात् उसका पूर्ण मोक्ष हो जाता है।
गीता अध्याय 13 श्लोक 24 भी अन्य परमात्मा का वर्णन है जो गीता ज्ञान दाता से अन्य है। कहा है कि जो परमात्मा सूर्य के सदृश जीवात्मा के साथ अभेद रूप से रहता है। उसको साधक ध्यान द्वारा दिव्य दृष्टि से हृदय में देखते हैं जैसे बिजली को टैस्टर द्वारा देख लेते हैं, अन्य साधक ज्ञान सुनकर विश्वास करके परमात्मा का अस्तित्व स्वीकार कर लेते हैं। अन्य भक्तजन (कर्मयोगेन) परमात्मा के कर्मों अर्थात् लीलाओं को देखकर परमात्मा का
अस्तित्व जान लेते हैं। जैसे संसार में लगभग 7 अरब जनसँख्या है। किसी का भी चेहरा (बिंम) एक-दूसरे से नहीं मिलता। (कवि ने कहा है :- कई अरब बनाए बन्दे आँख, नाक, हाथ लगाए, एक-दूसरे के नाल कोई भी रलदे नहीं रलाए) यह भी सिद्ध होता है कि कोई
सर्वज्ञ शक्ति है, उसे “परमात्मा” कहा जाता है। कुछ भक्तजन परमात्मा के इस प्रकार के कार्य देखकर परमात्मा को मानते हैं।
गीता अध्याय 12 श्लोक 25 में कहा है कि जो शिक्षित नहीं और जो न ध्यान करते हैं, न ज्ञान को समझ पाते हैं और न वे परमात्मा की संरचना से परमात्मा को समझ पाते हैं। वे अन्य शिक्षित, विद्वान व्यक्तियों से परमात्मा की महिमा सुनकर मान लेते हैं कि जब
यह शिक्षित और ज्ञानी व्यक्ति कह रहा है तो परमात्मा है। फिर वे उपासना करने लग जाते हैं। वे उसे सुनने के कारण परमात्मा के अस्तित्व को मानकर उपासना करने के कारण इस
मृतलोक (मृत्यु संसार) से पार हो जाते हैं।
गीता अध्याय 13 श्लोक 26 में तो इतना ही कहा है कि सर्व प्राणी क्षेत्र अर्थात् दुर्गा के शरीर तथा क्षेत्राज्ञ अर्थात् गीता ज्ञान दाता क्षर ब्रह्म के संयोग से उत्पन्न होते हैं। ध्यान
रहे गीता ज्ञान दाता ने गीता के इसी अध्याय 13 के श्लोक 1 में कहा है कि “क्षेत्र” तो शरीर को कहते हैं तथा जो शरीर के विषय में जानता है, उसे “क्षेत्रज्ञ” कहते हैं। गीता अध्याय
13 श्लोक 2 में कहा है। इस काल लोक (इक्कीस ब्रह्माण्डों के क्षेत्र में) में जितने प्राणी उत्पन्न होते हैं, वे दुर्गा जी तथा काल भगवान के संयोग से होते हैं अर्थात् नर-मादा से काल प्रेरणा से काल सृष्टि उत्पन्न होती है।
गीता अध्याय 13 श्लोक 27 में अन्य परमेश्वर स्पष्ट है जो गीता ज्ञान दाता से अन्य है। (भिन्न है) :- जैसे पूर्व के श्लोकों में प्रमाण सहित बताया गया है कि परमेश्वर प्रत्येक प्राणी के शरीर में हृदय में ऐसे बैठा दिखाई देता है जैसे सूर्य जल से भरे घड़ों में दिखाई देता है। इसी प्रकार इस श्लोक 27 में कहा है कि परमेश्वर हृदय में बैठा है। जब प्राणी का शरीर नष्ट हो जाता है तो भी परमेश्वर नष्ट नहीं होता। जैसे कोई घड़ा फूट गया, उसका जल पृथ्वी पर बिखर गया और पृथ्वी में समा गया तो भी सूर्य तो यथावत् है। इसलिए परमेश्वर अविनाशी है जो सन्त परमात्मा को इस दृष्टिकोण से देखता है, वह सही जानता है, वह तत्वज्ञानी सन्त है।
(अब आगे अगले भाग में)
क्रमशः_______________
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veeresh99 · 3 months
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जय हो बंदी छोड़ की पूर्ण ब्रह्म जी रामपाल जी भगवान जी की जय हो कबीर परमेश्वर जी अविनाशी भगवान जी द्वारा सूखी आमी नदी में जल भरना
परमेश्वर कबीर साहेब जी मगहर से सशरीर सतलोक जाने के लिए गये तब उनके साथ काशी के सभी लोग व उनके शिष्य भी साथ चले। वहाँ पहुँच कर मगहर रियासत के राजा बिजली खान पठान जो कि कबीर साहेब के शिष्य थे उनसे कबीर साहेब ने बहते जल में स्नान करने के लिए कहा तब बिजली खान पठान ने उस आमी नदी के विषय में बताया जो शिव जी के श्राप से सूखी पड़ी थी। उसी समय कबीर साहेब जी ने अपने आशीर्वाद से नदी में मानो जल को इशारा किया और नदी जल से पूर्ण होकर बहने लगी। आज भी प्रमाण है वह नदी बह रही है। यह कबीर परमेश्वर के सामर्थ्यवान होने का प्रमाण हैं
अधिक जानकारी के लिए "ज्ञान गंगा पुस्तक पढ़ें फ्री में मंगा सकते हैं मो 7496801825 पर संपर्क करें
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anujsinghmar · 2 years
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🎐कबीर परमेश्वर की मगहर लीला🎐
आज से लगभग 600 वर्ष पूर्व सन् 1518 वि. स. 1575 महीना माघ शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहेब सशरीर सतलोक गये थे।
काशी के ब्राह्मणों ने गलत अफवाह फैला रखी थी कि जो काशी में मरता है स्वर्ग जाता है और जो मगहर में शरीर छोड़ता है वह गधे का जन्म पाता है। कबीर परमेश्वर जी मनमाने लोकवेद का खंडन करने के लिए मगहर में सबके सामने सशरीर गये। शरीर की जगह सुगंधित फूल मिले और भविष्यवाणी कर बताया कि मैं स्वर्ग और महास्वर्ग से ऊपर अविनाशी धाम सतलोक जा रहा हूँ।
"मगहर का मौहल्ला कबीर करम"
कबीर परमेश्वर जी ने मगहर रियासत में 14वीं शताब्दी में पड़े भीषण अकाल को अपनी समर्थ शक्ति से टालकर वर्षा करके सबको जीवनदान दिया। हजारों हिंदू-मुसलमानों ने उपदेश लिया। एक 70 वर्षीय निःसंतान मुसलमान दंपती को पुत्र होने का आशीर्वाद दिया। वर्तमान में उस व्यक्ति का एक पूरा मौहल्ला बना हुआ है, नाम है "मौहल्ला कबीर करम"
मगहर में पहुंचते ही परमात्मा कबीर जी ने जब बहते पानी में स्नान करने की इच्छा जताई तो बिजली खां ने कहा कि यहां एक आमी नदी है जो शिवजी के श्राप से सूखी हुई है। परमात्मा कबीर जी ने नदी के किनारे पर पहुंचकर इशारे से वर्षों से सूखी नदी में जल प्रवाहित कर दिया।
परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं!
चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखें सकल जिहाना हो । च्यारि दाग से रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाना हो ।।
जिंदा जोगी जगत् गुरु, मालिक मुरशद पीर।
दहूँ दीन झगड़ा मंड्या, पाया नहीं शरीर।।
हिंदू राजा बीर सिंह बघेल और मुस्लिम राजा बिजली ख़ाँ पठान को कबीर परमात्मा ने सतलोक जाने से पहले कहा जो मेरे जाने के बाद मिले आधा आधा बांट लेना। दो चद्दर और सुगंधित फूल मिले, परमात्मा का शरीर नहीं मिला था। शरीर की जगह सुगन्धित पुष्प मिले जिस वजह से हिन्दू मुस्लमान का भयंकर युद्ध टला था। वे सभी एक दूसरे के सीने से लग कर रोये थे जैसे किसी बच्चे की माँ मर जाती है। यह समर्थता कबीर परमेश्वर जी ने दिखाई जिससे गृहयुद्ध टला।
बीरसिंघ बघेला करै बीनती, बिजली खाँ पठाना हो।
दो चदरि बकसीस करी हैं, दीना यौह प्रवाना हो।।
मगहर में आज भी जीवंत रूप में देखा जा सकता है।
मगहर में जहाँ कबीर परमेश्वर जी सशरीर सतलोक गए थे, वहां 100-100 फुट की दूरी पर एक-एक यादगार बनाई जो आज भी विद्यमान है।
यह दोनों धर्मों हिंदुओं और मुसलमानों में आपसी भाईचारे व सद्भावना की एक मिसाल का प्रमाण है।
"कबीर, विहंसी कहयो तब तीनसै, मजार करो संभार।
हिन्दू तुरक नहीं हो, ऐसा वचन हमार।"
कबीर परमेश्वर सन् 1398, ज्येष्ठ मास की पूर्णमासी को ब्रह्म मुहूर्त में अपने निज धाम सतलोक से चलकर आए और काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर शिशु रूप धारण करके विराजमान हुए। जहाँ से नीरू - नीमा उठा कर ले गये और पुत्रवत पालन किया।
कबीर, ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
कबीर साहेब ही एक ऐसे सच्चे भगवान हैं जिन्होंने ऐसी लीला की जिसका प्रमाण हमारे वेदों में भी मिलता है
आज तक जितने भी भगवान अवतार हुए हैं सभी ने मां के गर्भ में जन्म लिया है।
जबकि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी चारों युगों में आते हैं और सशरीर ही आते हैं और सशरीर ही जाते हैं जैसा एक कलियुग का वर्णन आपने ऊपर पढ़ा वो परमात्मा सन् 1398 से सन् 1518 तक 120 वर्ष तक इस धरातल पर अपनी लीला करके गये
ऋग्वेद मण्डल नं 9 सुक्त 94 मंत्र 1 इस मंत्र में कहा है कि वह कबीर परमेश्वर कवियों की तरह आचरण करता है यानि घूम-फिरकर कविताओं, लोकोक्तियों द्वारा तत्वज्ञान बताता है।
#कबीरसाहेब_की_मगहर_लीला
#SantRampalJiMaharaj
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पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
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balramdas · 4 months
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बोध दिवस की विशेष तैयारियां | सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र | SA NEWS
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#SantRampalJiBodhDiwas
सतयुग में सतसूकरत का टेरा त्रेता नाम मनिंदर मेरा द्वापर में करुणामय कहा या कलयुग नाम कबीर धराया पूर्ण परमात्मा कबीर साहब चारों युगों में आते हैं और किसी भी निसंतान दंपत्ति को प्राप्त होते हैं कलयुग में भी पूर्ण परमात्मा नीरू नीमा नमक दंपति जो निसंतान थे को प्राप्त हुए वह एक लहरतारा नमक सरोवर कमल के फूल पर मैं प्रकट हुए और मगहर नाम स्थान पर बिजली खान पठान और वीर सिंह बघेल हिंदू राजा के सामने से शरीर सतलोक चले गए अधिक जानकारी के लिए देखें पूरे वीडियो को
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prabudhajanata · 4 months
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गरियाबंद: (Rajim Kumbh) राजिम माघी पुन्नी मेला अब राजिम कुंभ (कल्प) के नाम से जाना जाएगा। छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने नाम बदल दिया है। कैबिनेट में इसका फैसला लिया गया। साय सरकार के मंत्रियों की कैबिनेट बैठक शुक्रवार को विधानसभा में रखी गई थी। सरकार ने राजिम कुंभ (कल्प) मेले को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। जिसका आयोजन 24 फरवरी से 8 मार्च तक होगा। Rajim Kumbh इस बैठक में राजिम के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक वैभव को फिर से स्थापित करने के लिए इस फैसले को जरूरी बताया गया है। कैबिनेट बैठक में जल की शुद्धता बनाए रखने के लिए भारत सरकार की ओर से जल संशोधन विधेयक 2023 के संबंध में विधानसभा में संकल्प लाने का निर्णय लिया गया l धर्मस्व एवं धार्मिक न्यास, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि राजिम कुंभ कल्प का आयोजन 24 फरवरी से 8 मार्च तक होगा। हाल ही में मंत्री ने गरियाबंद, रायपुर, धमतरी जिले के अधिकारी कर्मचारी सहित जनप्रतिनिधि और मेला समिति के सदस्यों के साथ बैठक की है। राजिम कुंभ कल्प को इस बार रामोत्सव के रूप में मनाने की तैयारी है। सरकारी अधिकारियों को निर्देश हैं कि आयोजन में राजिम कुंभ की भव्यता दिखे। मेले में इस दौरान तीन पुण्य स्नान होंगे। देशभर से बड़ी संख्या में नागा साधु संत भी कुंभ में आयेंगे। भाजपा की सरकार आने से पहले कांग्रेस के कार्यकाल में राजिम कुंभ का नाम बदलकर माघी पुन्नी मेला कर दिया गया था। अब भाजपा की सरकार पांच साल बाद राजिम कुंभ को भव्यता से आयोजित करने जा रही है l ��ाजिम के मेले में विश्वस्तरीय साधु संतों में बागेश्वर धाम के बाबा पंडित धीरेंद्र शास्त्री, पंडित प्रदीप मिश्रा भी आयेंगे। दोनों ही संतों को मानने वाले करोड़ों लोग हैं। रायपुर में पिछले दिनों हुए दोनों ही संतों के कार्यक्रमों में 7 से 8 लाख लोग पहुंचे थे। मंत्री अग्रवाल ने पीडब्ल्यूडी अधिकारी से तैयारी की जानकारी ली है। उन्होंने रायपुर से गरियाबंद निर्माणाधीन सड़क सहित छुरा, जतमई, घटारानी, धमतरी सड़क एवं राजिम महासमुंद जाने वाले सड़कों में चल रहे कार्यों की जानकारी लेकर निर्माण कार्यों को पूर्ण कर चलने लायक बनाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सड़कों में उड़ने वाले धूल से बचाव के लिए लगातार पानी भी छिड़काव करने के निर्देश दिए। बिजली विभाग कुंभ मेला के दौरान लाइटिंग, ट्रांसफॉर्मर, जनरेटर की व्यवस्था, सजावट, पुल पुलिया में रोशनी का बंदोबस्त करेगा। पीएचई विभाग को मेला स्थल में पर्याप्त जलापूर्ति करने और लगभग 300 शौचालय निर्माण के निर्देश दिए गए हैं। वन विभाग से पर्याप्त जलाऊ लकड़ी, झोपड़ी निर्माण, यज्ञ के लिए आवश्यक लकड़ी व्यवस्था करने को कहा गया है। मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने मेला अवधि के दौरान तीनों जिलों रायपुर, गरियाबंद, धमतरी के परिवहन विभाग को कोऑर्डिनेशन करते हुए सभी दिशाओं से लगभग 100 बस अलग-अलग टाइमिंग में रात 2:00 बजे तक चलाने के निर्देश दिए हैं। ताकि मेला आने वालों को आवागमन में परेशानी न हो। साथ ही बस में सुरक्षा की दृष्टि से होम गार्ड भी रखना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। खाद्य विभाग को पर्याप्त संख्या में दाल भात केंद्र संचालित करने कहा गया है। तीनों जिलों के अधिकारी को प्लान करके 100 से अधिक दाल भात केंद्र खोलने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने सामाजिक संस्थानों का भी इसमें सहयोग लेने के निर्देश दिए। जिससे मेले में आने वालों को खाने पीने में असुविधा न हो। मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने महानदी में पानी छोड़कर नदी को साफ करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने घाट निर्माण करने भी कहा है l
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