गोवर्धन पूजा | श्रीमद भागवत कथा | sheleshanand ji Maharaj
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गोवर्धन पूजा 2022: इस अवसर के लिए शुभकामनाएं, उद्धरण, संदेश, एचडी चित्र, फेसबुक और व्हाट्सएप स्थिति
गोवर्धन पूजा 2022: इस अवसर के लिए शुभकामनाएं, उद्धरण, संदेश, एचडी चित्र, फेसबुक और व्हाट्सएप स्थिति
भारत में 26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा मनाई जा रही है
गोवर्धन पूजा 2022: भगवान कृष्ण की पूजा के लिए समर्पित शुभ अवसर गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को मनाई जाएगी। सूर्य ग्रहण के कारण बुधवार को उत्सव होगा और भाई दूज भी उसी दिन पड़ेगा। हिंदू शास्त्रों के अनुसार और भागवत पुराण में वर्णित, गोवर्धन पूजा को मुख्य रूप से भगवान कृष्ण के साथ पहचाना जाता है। उन्होंने इंद्र के प्रचंड क्रोध से शरण लेने वालों की रक्षा…
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मरहठा छंद "कृष्ण लीलामृत"
धरती जब व्याकुल, हरि भी आकुल, हो कर लें अवतार।
कर कृपा भक्त पर, दुख जग के हर, दूर करें भू भार।।
द्वापर युग में जब, घोर असुर सब, देन लगे संताप।
हरि भक्त सेवकी, मात देवकी, सुत बन प्रगटे आप।।
यमुना जल तारन, कालिय कारन, जो विष से भरपूर।
कालिय शत फन पर, नाचे जम कर, किया नाग-मद चूर।।
दावानल भारी, गौ मझधारी, फँस कर व्याकुल घोर।
कर पान हुताशन, विपदा नाशन, कीन्हा माखनचोर।।
विधि माया कीन्हे, सब हर लीन्हे, गौ अरु ग्वालन-बाल।
बन गौ अरु बालक, खुद जग-पालक, मेटा ब्रज-जंजाल।।
ब्रह्मा इत देखे, उत भी पेखे, दोनों एक समान।
तुम प्रभु अवतारी, भव भय हारी, ब्रह्म गये सब जान।।
ब्रज विपदा हारण, सुरपति कारण, आये जब यदुराज।
गोवर्धन धारा, सुरपति हारा, ब्रज का साधा काज।
मथुरा जब आये, कुब्जा भाये, मुष्टिक चाणुर मार।
नृप कंस दुष्ट अति, मामा दुर्मति, वध कर दी भू तार।।
शिशुपाल हने जब, अग्र-पूज्य तब, राजसूय था यज्ञ।
भक्तन के तारक, दुष्ट विदारक, राजनीति मर्मज्ञ।।
पाण्डव के रक्षक, कौरव भक्षक, छिड़ा युद्ध जब घोर।
बन पार्थ शोक हर, गीता दे कर, लाये तुम नव भोर।।
ब्रज के तुम नायक, अति सुख दायक, सबका देकर साथ।
जब भीड़ पड़ी है, विपद हरी है, आगे आ तुम नाथ।।
हे कृष्ण मुरारी! जनता सारी, विपदा में है आज।
कर जोड़ सुमरते, विनती करते, रखियो हमरी लाज।
मरहठा छंद विधान -
मरहठा छंद प्रति पद कुल 29 मात्रा का सम-पद मात्रिक छंद है। इसमें यति विभाजन 10, 8,11 मात्रा का है।
मात्रा बाँट:-
प्रथम यति 2+8 =10 मात्रा
द्वितीय यति 8,
तृतीय यति 8+3 (ताल यानि 21) = 11 मात्रा
अठकल में दो चौकल या 3+3+2 लिये जा सकते हैं। अठकल चौकल के सब नियम लगेंगे।
मरहठा छंद "कृष्ण लीलामृत"
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लखनऊ, 14.11.2023 | 'गोवर्धन पूजा' के पावन अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में “गोवर्धन पूजन” कार्यक्रम का आयोजन किया गया I आयोजन के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉक्टर रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने गोवर्धनधारी भगवान श्री कृष्ण के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर, भगवान कृष्ण से सभी देशवासियों के ऊपर अपनी कृपा बरसाने हेतु प्रार्थना की |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, “आज श्री गोवर्धन जी की पूजा का पावन पर्व है ।यह हमें स्मरण दिलाता है की कैसे देवताओं के राजा इंद्रदेव के भयंकर प्रकोप से बाल श्रीकृष्ण ने अपनी कानी अंगुली पर श्री गोवर्धन जी महाराज के विशालकाय पर्वत को धारण कर जन-जन को बहुत बड़े नुकसान से रक्षा की । गोवर्धन गिरि भगवान के रूप में माने जाते हैं और इस दिन उनकी पूजा अपने घर में करने से धन, धान्य, संतान और गोरस की वृद्धि होती है ।गोवर्धन पूजा हमें यह सिखाती है कि हम सभी को आपसी प्रयास से समाज में फैली हुईबुराई को नष्ट करने के लिए कदम उठाना चाहिए एवं निरंतर गरीब एवं असहायो की मदद करनी चाहिए |"
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।। विकारी प्राणी भक्ति नहीं कर सकते।।
अध्याय 16 के श्लोक 14 का अर्थ है कि वे राक्षस वृति के व्यक्ति कहा करते हैं कि वे शत्रु मेरे द्वारा मार दिए गए हैं। उन दूसरे शत्रुओं को भी मैं मार डालूंगा। मैं भगवान हूँ - मैं सिद्ध, बलवान व सुखी हूँ।
गीता अध्याय 16 का श्लोक 15, 16:- वे राक्षस स्वभाव के कहा करते हैं कि मैं बड़ा धनी और बड़े कुटुम्ब वाला हूँ। मेरे समान दूसरा कौन है? यज्ञ करूंगा, दान दूंगा, मस्ती करूँगा। इस प्रकार अज्ञान से मोहित अनेक प्रकार से चित वाले मोह जाल में फंसे विषयों में विशेष आसक्त (राक्षस लोग) घोर गंदे नरक में गिरते हैं।
गीता अध्याय 16 श्लोक 17 से 20 तक का भावार्थ है कि जो शास्त्र विधि रहित मनमानी पूजा {तीनों गुणों रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु, तमगुण शिवजी तथा अन्य निम्न देवों की पूजा करना, पितर पूजना (श्राद्ध निकालना) भूत पूजना (पिण्ड भरवाना, तेरहवीं-सतरहवीं करना), फूल (अस्थियाँ) उठा कर क्रिया कर्म करवाने ले जाना आदि शास्त्र विधि रहित पूजा है, प्रमाण पवित्र गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 तथा 20 से 23 तथा गीता अध्याय 9 श्लोक 22 से 25 तक में है} करने वाले पापियों, घमण्डियों, एक दूसरे की निंदा करने वालों को जो मेरी आज्ञा का उल्लंघन करने वालों क्रुरकर्मी नीच व्यक्तियों को मैं (ब्रह्म) बार-बार असुर योनियों में डालता हूँ। वे मूर्ख मुझे न प्राप्त होकर अर्थात् मेरे महास्वर्ग में (जो ब्रह्मलोक में बना है) न जाकर क्षणिक सुख स्वर्गादि में भोग कर अति नीच गति को प्राप्त होते हैं अर्थात् घोर नरक में गिरते हैं। फिर इसी से सम्बन्धित गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में है कि जो व्यक्ति शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण (पूजा) करते हैं वह न तो सुख प्राप्त करता है, न कोई कार्य सिद्ध होता है तथा न ही परमगति को प्राप्त होता है। इसलिए अर्जुन जो भक्ति करने तथा न करने ��ोग्य पूजा विधि है, उनके लिए तो शास्त्र ही प्रमाण हैं। अन्य किसी व्यक्ति विशेष या संत,ऋषि विशेष के द्वारा दिए भक्ति मार्ग को स्वीकार नहीं करना चाहिए, जो शास्त्र विरुद्ध हो।
अध्याय 16 के श्लोक 21, 22 का भाव है कि काम,क्रोध, लोभ जीव को नरक के द्वार में डालने वाले हैं। जो इनसे रहित है केवल वही परमगति (पूर्णमुक्ति) को प्राप्त कर सकते हैं अन्यथा नहीं। कबीर साहेब भी प्रमाण देते हैं -
कबीर, कामी क्रोधी लालची, इन से भक्ति न होय।
भक्ति करै कोई सूरमा, जाति वर्ण कुल खोय।।
।। शास्त्र विरूद्ध पूजा व्यर्थ ।।
अध्याय 16 के श्लोक 23, 24 में कहा है कि जो व्यक्ति शास्त्र विधि को छोड़कर अपनी मन मर्जी से {रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु, तमगुण शिवजी तथा अन्य देवी-देवों की पूजा, मूर्ती पूजा, पितर पूजा, भूत पूजा, श्राद्ध निकालना, पिण्ड भरवाना, धाम पूजा, गोवर्धन की परिक्रमा करना, तीर्थों के चक्कर लगाना, तप करना, पीपल-जाँटी-तुलसी की पूजा, बिना गुरु के नाम जाप, यज्ञ, दान करना, गुड़गांवा वाली देवी, बेरी वाली, कलकते वाली, सींक पाथरी वाली माता की पूजा, समाध की पूजा, गुगा पीर, जोहड़ वाला बाबा, तिथि पूजा (किसी भी प्रकार का व्रत करना), बाबा श्यामजी की पूजा, हनुमान आदि की पूजा शास्त्र विरूद्ध कहलाती हैं।} पूजा करते हैं, वे न तो सुखी हो सकते, उनको न सिद्धि यानि आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है और न ही उनको मुक्ति प्राप्त होती। इसलिए अर्जुन शास्त्र विधि से करने योग्य कर्म कर जो तेरे लिए शास्त्र ही प्रमाण हैं कि गलत साधना लाभ के स्थान पर हानिकारक होती है।
नोट:- कृपा देखें सीधा तथा उल्टा रोपा गया भक्ति रूपी पौधे का चित्र जिससे शीघ्र संशय समाप्त हो जाएगा। कबीर जी ने कहा है कि:-
कबीर एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।
माली सींचे मूल कूँ, फलै फूलै अघाय।।
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जय श्री कृष्ण🦚᳀ᕫ🚩🙏
आपसभीको गिरी गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं भगवान सभी प्राणियों का मंगलकरे
जय श्री कृष्ण🦚᳀ᕫ🚩🙏
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 26 अक्टूबर 2022 सूर्योदय :- 06:29 सूर्यास्त :- 17:53 सूर्य राशि :- तुला चंद्र राशि :- तुला मास :- कार्तिक तिथि :- प्रतिपदा ( प्रतिपदा तिथि संध्या 14:43 तक तत्पश्चात द्वितीया ) वार :- बुधवार नक्षत्र :- स्वाति योग :- प्रीति करण :- बव अयन:- दक्षिणायन पक्ष :- शुक्ल ऋतू :- शरद लाभ :- 16:27 - 17:52 अमृत:- 07:54 - 09:19 शुभ :- 10:45 - 12:10 राहु काल :- 12:11 - 13:37 जय महाकाल महाराज :- *गोवर्धन पूजा, धोक पड़वा, चित्रगुप्त जयंती, यम द्वितीया:-* कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। गोवर्धन को ‘अन्नकूट पूजा’ भी कहा जाता है। दिवाली के अगले दिन पड़ने वाले त्योहार पर लोग घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करते हैं और परिक्रमा लगाते हैं। इस दिन भगवान को अन्नकूट का भोग लगाकर सभी को प्रसाद दिया जाता है। *भगवान गोवर्धननाथ जी का आशीर्वाद सदैव आप सब बार बना रहे।* आज का मंत्र :- ""|| ॐ गं गणपतये नमः।। ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय महाकालेश्वर महाराज। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय महाकालेश्वर महाराज🌹🙏 महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 26 अक्टूबर 2022 ( बुधवार ) जय महाकालेश्वर महाराज। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/CkKYDsNSOtF/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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गोवर्धन पूजा हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। लोग इसे #अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं ।
यह #दिवाली के दूसरे दिन ही मनाया जाता है । #गोवर्धनपूजा को पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है । इस पर्व पर भगवान श्री #कृष्ण के गोवर्धन स्वरुप की पूजा की जाती है और उन्हें छप्पन भोग और अन्नकूट का प्रसाद चढ़ाया जाता है ।
कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी दिवाली के दूसरे दिन को "परीवा" कहा जाता है और इसी दिन गोवर्धन पूजा की जाती है ।
इस पर्व पर लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं । कहते हैं कि सही मुहूर्त पर गोवर्धन की पूजा की जाए तो बहुत ही शुभ फल प्राप्त होते हैं।
कहते हैं द्वापर युग में भगवान नारायण ने पृथ्वी पर धर्म स्थापना हेतु श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया था। ब्रजभूमि में जन्मे श्री कृष्ण एक ग्वाले थे और उन्हें प्रकृति से विशेष लगाव था। उस युग में ब्रजभूमि के लोग भगवान इंद्र को अ���ना अस्तित्व मानते थे । मगर श्रीकृष्ण का मानना था कि जो पर्वत ब्रिज वासियों को फल - फूल और अन्य सुविधाएं देता है उसे छोड़कर देवराज इंद्र की पूजा क्यों की जाती है? जब देवराज इंद्र की पूजा करने के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा ब्रिज वासियों ने की तो देवराज इंद्र ने लगातार बारिश कर पूरी ब्रजभूमि को पानी मय कर दिया था । तब भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र को अहंकार का नाश करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपने हाथों की सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया था और ब्रज वासियों की रक्षा की थी ।
तब से गोवर्धन पूजा हर सा�� धूमधाम से हर घर में की जाती है ।
पूजा सामग्री के लिए #संपन्नमाया अगरबत्ती के द्वारा बताई हुए समस्त सामग्रियाँ आसानी से हर जगह उपलब्ध हैं | www.sampannamaya.com पर अवश्य जाकर देखें | यह अत्यंत शुद्ध है और आपके जीवन को सुगंध-मय बना देता हैl
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#TrueKnowledgeAboutKrishnaJi
कृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत उठाया ताकि हम इंद्र की पूजा न करके पूर्ण परमात्मा की पूजा करें। तीनों देवताओं से भी बड़े पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी हैं।
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#TrueKnowledgeAboutKrishnaJi
असली वासुदेव कौन ? स्वयं श्री कृष्ण ने इंद्र जो देवी - देवताओं का राजा है उसकी पूजा भी छुड़वाकर उस एक परमात्मा की भक्ति कर ने के लिए प्रेरणा दी थी । जिस कारण उन्होनें गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र के कोप से ब्रजवासियों की रक्षा की ।
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*#TrueKnowledgeAboutKrishnaJi*
जन्माष्टमी
के अवसर पर
जानें !
असली
वासुदेव कौन?
स्वयं श्री कृष्ण ने इंद्र जो
देवी-देवताओं का राजा है उसकी
पूजा भी छुड़वाकर उस एक परमात्मा
की भक्ति कर ने के लिए प्रेरणा दी
थी। जिस कारण उन्होंने गोवर्धन
पर्वत को उठाकर इंद्र के कोप से
ब्रजवासियों की रक्षा की।
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दिवाली 2022 दिनांक कैलेंडर: कब है धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज
दिवाली 2022 दिनांक कैलेंडर: कब है धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज
छवि स्रोत: फ्रीपिक दिवाली 2022 दिनांक कैलेंडर
दिवाली सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है। दीपावली वीकेंड नजदीक आने के साथ ही बाजार, घरों और गलियों में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है। रंग-बिरंगी रोशनी से कई घरों को सजाया जा चुका है और हिंदू भक्त इस शुभ अवसर पर देवी लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी कर रहे हैं। दिवाली हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को आती है और राजा रावण को हराकर…
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*#TrueKnowledgeAboutKrishnaJi*
स्वयं श्री कृष्ण ने इंद्र जो देवी-देवताओं का राजा है उसकी पूजा भी छुड़वाकर उस एक परमात्मा की भक्ति करने के लिए प्रेरणा दी थी। जिस कारण उन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र के कोप से ब्रजवासियों की रक्षा की ।
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#GodMorningFriday
#SantRampalJiMaharaj
यह परिक्रमा व गोवर्धन पूजा करके तो आप भगवान श्री कृष्ण जी को चिढ़ाने (खिजाने) यानि अपमान करने जाते हो।
शास्त्रोक्त साधना न होने के कारण लाभ तो मिलता नहीं,
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