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#खाने योग्य तेल
mwsnewshindi · 1 year
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जीएम प्रौद्योगिकी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण, केंद्र कहते हैं
जीएम प्रौद्योगिकी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण, केंद्र कहते हैं
केंद्र ने गुरुवार को कहा कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए जीई तकनीक को अपनाना देश के लिए महत्वपूर्ण है। अक्टूबर में, सरकार ने स्वदेशी रूप से विकसित जीएम सरसों के बीज के लिए पर्यावरणीय मंजूरी दी थी। पर्यावरण मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा, “भारतीय कृषि में उभरती चुनौतियों का सामना करने और विदेशी निर्भरता को कम करते हुए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित…
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trendingwatch · 2 years
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केंद्र ने खाद्य तेल कंपनियों से कीमतों में 15 रुपये प्रति लीटर की कटौती करने को कहा
केंद्र ने खाद्य तेल कंपनियों से कीमतों में 15 रुपये प्रति लीटर की कटौती करने को कहा
अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। नई दिल्ली: उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने कहा कि खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने प्रमुख खाद्य तेल संघों को खाद्य तेलों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में तत्काल प्रभाव से 15 रुपये (प्रति लीटर) की कमी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। शुक्रवार को। सरकार ने यह भी सलाह दी है कि निर्माताओं और…
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jyotishwithakshayg · 4 months
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आज दिनांक - 18 जनवरी 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग
दिन - गुरूवार
विक्रम संवत् - 2080
अयन - उत्तरायण
ऋतु - शिशिर
मास - पौष
पक्ष - शुक्ल
तिथि - अष्टमी रात्रि 08:44 तक तत्पश्चात नवमी
नक्षत्र - अश्विनी 19 जनवरी प्रातः 02:58 तक तत्पश्चात भरणी
योग - सिद्ध दोपहर 02:48 तक तत्पश्चात साध्य
राहु काल - दोहर 02:12 से 03:34 तक
सूर्योदय - 07:23
सूर्यास्त - 06:17
दिशा शूल - दक्षिण
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:16 तक
व्रत पर्व विवरण - पंचक समाप्त (प्रातः 03-33)
विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
यज्ञ के समय ध्यान रखने योग्य बातें
यज्ञ करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है :
१] याजक को यज्ञ करते समय सिले हुए चुस्त कपड़े नहीं पहनने चाहिए, खुले कपड़े पहनने चाहिए ताकि यज्ञ का जो वातावरण या सात्त्विक धुआँ है वह रोमकूपों पर सीधा असर करे ।
२] अग्नि की ज्वाला सीधी आकाश की तरफ जाती है अत: यज्ञमंडप के ऊपर छप्पर होना चाहिए ताकि यज्ञ की सामग्री का जो प्रभाव है वह सीधा ऊपर न जाय, आसपास में फैले ।
३] यज्ञ में जो वस्तुएँ डाली जाती हैं उनके लाभकारी रासायनिक प्रभाव को उत्पन्न करने में जो लकड़ी मदद करती है वैसी ही लकड़ी होनी चाहिए । इसलिए कहा गया है : ‘अमुक यज्ञ में पीपल की लकड़ी हो.... अमुक यज्ञ में आम की लकड़ी हो....’ ताकि लकड़ियों का एवं यज्ञ की वस्तुओं का रासायनिक प्रभाव वातावरण पर पड़े ।
शात्रों में वर्णित गौ-महिमा
जो प्रतिदिन स्नान करके गौ का स्पर्श करता है, वह मनुष्य सब प्रकार के स्थूल पापों से भी मुक्त हो जाता है । जो गौओं के खुर से उडी हुई धूल को सिर पर धारण करता है, वह मानो तीर्थ के जल में स्नान कर लेता है और सभी पापों से छुटकारा पा जाता है । (पद्म पुराण, सृष्टि खंड, अध्याय:५७)
गौ का स्पर्श करने, सात्त्विक-सदाचारी ब्राह्मण को नमस्कार करने और सद्गुरु, देवता का भलीभाँति पूजन करने से गृहस्थ सारे पापों से छुट जाते हैं । (स्कंद पुराण, प्रभास खंड)
गंडस्पर्श कर लेने मात्र से ही गौएँ मनुष्य के समस्त पापों को नष्ट कर देती हैं और आदरपूर्वक सेवन किये जाने पर अपार सम्पत्ति प्रदान करती हैं । वे ही गायें दान दिये जाने पर सीधे स्वर्ग ले जाती हैं । ऐसी गौओं के समान और कोई भी धन नहीं हैं । (बृहत्पराशर स्मृति)
जो प्यास से व्याकुल हुई गौओं को पानी पीने से विघ्न डालता है, उसे ब्रह्मघाती समझना चाहिए । (महाभारत, अनुशासन पर्व : २४.७ )
जो एक वर्ष तक प्रतिदिन स्वयं भोजन के पहले दुसरे की गाय को एक मुट्ठी घास खिलाता है, उसका वह व्रत समस्त कामनाओं को पूर्ण करनेवाला होता है । (महाभारत, अनुशासन पर्व : ६९.१२)
प्रतिपदा का चन्द्र-दर्शन केवल गाय ही कर पाती है । यमदूतों व प्रेतत्माओं को देख लेने में गाय सक्षम है । उनके दिखने पर वह विशिष्ट प्रकार की आवाज निकालने लगती है । गाय रँभाने की तरंगे जहाँ तक पहुँचती हैं वहाँ तक आसुरी शक्तियों का प्रभाव नष्ट हो जाता है ।
गुरुवार विशेष
हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।
गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :
एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।
ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।
फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।
गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।
गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।
जय श्री राम
#akshayjamdagni #hindu #hindi #panchang #rammandir
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superfoodiesblog · 2 years
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भोजन पकाने की कला :  पाक कला
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भोजन को पकाना एक कला है | कच्चे भोज्य पदार्थो को पकाकर खाने योग्य बनाना एवं भोजन के पोषक तत्वों को भी बनाये रखना यह कला प्रशंसा के योग्य है | प्रत्येक संस्कृति का अपना भोजन होता है, भोजन से हम  उस संस्कृति के बारे में जान सकते है भोजन एक सार्वभौमिक जरुरत है केवल इंसान ही पृथ्वी पर एकमात्र जीव है जो भोजन को पकाने की कला को जनता है, खाना पकाना पहले भी और आज भी  मनुष्य के विकास में खास अहमियत रखता है , इंसान ने सिर्फ आग पर ही काबू नहीं पाया बल्कि भोजन के लिए नए नए उपकरणों की खोज भी की | खाना पकाना एक सामाजिक गतिविधि है खाने को पकाना और से  परिवार या समुदायों के बीच  साझा करना | भोजन के बगैर त्योहार भी अर्थहीन हो जाते है : सेवई के बगैर ईद अधूरी है, केक के बगैर क्रिसमस अधूरा, और मिठाई के बगैर दिवाली का  क्या ही महत्व रह जाता है ?
भोजन अनेक यादो व अवसरों को जोड़कर रखता है, किसी भी समारोह के लिए भोजन का होना आवश्यक है उसके स्वाद से लोगो के मन में यादें रह जाती है | यह सभी बातें खाना पकाने को बहुमुखी कला बनाती है, भोजन को पकाने के साथ  उसे परोसने  या प्रदर्शित करना भी एक कला है जिसे (culinary arts ) पाक शाला कला कहते है |
भोजन को पकाने के एकाग्रता व धैर्य की आवश्यकता होती है भारत के मध्य प्रदेश के इंदौर में रहने वाली एक महिला शेफ लता टंडन ने लगातार 87 घंटो तक खाना पकाकर अपना नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया|
खाना पकाना न केवल कला है, बल्कि इसका मानसिक और शारीरिक स्वस्थ्य पर  भी  अच्छा  प्रभाव होता है| अगर हम कभी  कुछ अच्छा बनाते है और अपने परिवार या मित्रो को खिलाते  है और वे उसकी तारीफ करे तो हमें अंदर से अच्छा महसूस होता  है और हमारे अंदर विश्वास उत्त्पन  होता है  कि हम कुछ अच्छा कर सकते है, कुकिंग को थैरेपेटिक भी  माना  गया  है | भोजन पकाने से आप धैर्य रखना सीख सकते है कोई भी  अच्छी डिश बनाने के लिए इंतज़ार करना पड़ता है, सब्र  रखना होता है | भोजन को पकाना हर तरफ से एक कला ही है अगर आप कुकिंग कर रहे है तो धैर्य रखना भी सीख जायेंगे|
भोजन को सही तरीके से पकाना भी एक कला है, यह सिर्फ ये नहीं है कि खाने को  सिर्फ नरम या खाने योग्य ही बनाना है बल्कि  उसे इस प्रकार से पकाया जाये कि खाने के पोषक तत्व भी नष्ट न हो, और स्वस्थ्य के लिए बेहतर और  स्वादिष्ट हो, भोजन को पकने के निम्न तरीके होते है :
 
 
 
तलना
भोज्य पदार्थ को घी अथवा कोई भी तेल के माध्यम से सेंकने की प्रक्रिया को तलना कहते हैं। कड़ाही अथवा अन्य किसी छिछले बर्तन में घी अथवा तेल चूल्हे पर चढ़ा दिया जाता है। अच्छी तरह गरम हो जाने पर इसमें वस्तुएँ डाल दी जाती हैं। घी अथवा तेल इतना रहता है कि वस्तु उसमें भली प्रकार डूबी रहे। इस तरह पूरी, कचौड़ी, पकौड़ी इत्यादि बनाई जाती है। इस प्रक्रिया में भोजन के कुछ तत्वों की हानि भी हो जाती है।
सेंकना
भोज्य पदार्थों को थोड़ी चिकनाई के साथ, अथवा बिना चिकनाई के, पकाने की प्रक्रिया को सेंकना कहते हैं। रोटी और टोस्ट बिना चिकनाई के सेंके जाते हैं। ये वस्तुएँ तवे अथवा टोस्टर की सहायता से तैयार की जाती हैं। पराठे, चीले, दोसा, ऑमलेट इत्यादि थोड़ी चिकनाई के साथ तवे पर सेके जाते हैं।
भाप से पकाना[
इस प्रक्रिया से भोज्य पदार्थ भाप के द्वारा पकाए जाते हैं। पकाने के लिए कई प्रकार के उपकरण बने हैं। आधुनिकतम उपकरण प्रेशर कुकर कहलाते हैं। ये एक प्रकार के ढक्कनदार भगौने से होते हैं। पेंदों में कुछ पानी डालकर, डब्बों में भरकर, जो कुछ पकाना हो इसमें जमा देते हैं और ढक्कन बंद करके आग पर चढ़ा देते हैं। इससे पानी गरम होने पर जो भाप बनती है वह अंदर ही रहती है और भोज्य पदार्थ कुछ ही मिनट में पक जाते हैं। दाल, चावल, चना इत्यादि में कुछ पानी डालना पड़ता है, परंतु नरम वस्तुएँ बिना पानी के भी गल जाती हैं। एक सादा कुकर भी होता है। कई डिब्बे भोज्य पदार्थ सहित एक के ऊपर एक जमाकर कस दिए जाते हैं। फिर साथ में जो लंबी बाल्टी सी होती है, उसमें पानी डालकर ये डब्बे रख दिए जाते हैं। नीचे छोटी सी सिगड़ी होती है, जिसमें-कोयले सुलगाकर रख देते हैं। इस कुकर में भोजन दो या तीन घंटे में तैयार होता है। एक तीसरी प्रक्रिया और है। किसी चौड़े मुहँ के बंर्तन में पानी चढ़ा देते हैं। उसके मुँह पर कपड़ा बाँध देते हैं, या जाली की चलनी इत्यादि रख देते हैं। किसी भी प्रकार से भाप का प्रयोग पकाने में किया जाय, भोजन लाभप्रद ही होता है। इस प्रकार पकाए गए भोजन के पोषक तत्व बहुत बड़ी मात्रा में सुरक्षित रहते हैं।
स्टूइंग
यह प्रक्रिया कुछ कुछ उबालने की प्रक्रिया से मिलती हैं। इसमें भी माध्यम जल रहता है। अंतर केवल ताप का होता है। कच्चे भोज्य पदार्थ पानी में डालकर चूल्हे पर चढ़ा दिए जाते हैं आँच बहुत कम रखी जाती है, जिससे पानी खौले नहीं। धीमे धीमे मंदी आँच पर पकता रहे। इस प्रकार पकाए भोज्य पदार्थों के पोष तत्व उबालने की अपेक्षा अधिक सुरक्षित रहते हैं। समस्त प्रकार के सूप इसी प्रकार बनते हैं। पकने के लिए प्रयुक्त पानी भी सूप में काम जाता है, अत: पोषक तत्व नष्ट नहीं होते। कई प्रकार की तरकारी मिलाकर इसी प्रकार पकाई जाती है। कदाचित् इसीलिए इस प्रक्रिया को "स्टूइंग" कहते हैं।
 बेकिंग या रोस्टिंग 
सब्जियों को बेक करना या भूनना भरपूर स्वाद पाने के लिए अच्छा विकल्प है। आपने देखा होगा पनीर को बेक करके या रोस्ट करके खाने से उसका टेस्ट भी बढ़ जाता है। भोजन को बेक करने से पहले उस पर ऑलिव ऑयल लगा लें। गाजर, आलू और प्याज जैसी सब्जियों को बिना न्यूट्रीएंट नष्ट किए खाने का टेस्ट कर लें।
बेकिंग
इस प्रक्रिया से भोज्य पदार्थ न तो चिकनाई के माध्यम से, न पानी के माध्यम से और न भाप के माध्यम से पकाए जाते हैं। एक तरह से यह कहना अधिक उपयुक्त होगा कि ये उष्ण वायु में पकते हैं। एक विशेष प्रकार के चूल्हे हाते हैं, जिन्हें ओवेन या तंदूर कहते हैं। इन्हें आग जलाकर खूब गरम कर लेते हैं। जो वस्तु पकानी होती है उसे इसमें बंद कर देते हैं। वस्तुएँ ऊपर नीचे दोनों तरफ से सिक जाती हैं। पाव रोटी, बिस्कुट, केक, पेस्ट्री, नानखटाई मुख्यत: इसी प्रकार बनाई जाती हैं। ओवेन या तंदूर कई तरह के होते हैं, पुरानी पद्धति के तो लकड़ी के कोयले से गरम कर लिए जाते हैं। अब बिजली द्वारा गरम किए जानेवाले ओवेन भी बन गए हैं। ये बहुत सुविधाजनक हैं
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buzzinfo · 2 years
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Moringa Powder Benefits: बाल और त्‍वचा दोनों के लिए अमृत समान
Moringa Powder Benefits: बाल और त्‍वचा दोनों के लिए अमृत समान
मोरिंगा क्या है? मोरिंगा, जिसे आमतौर पर “ड्रमस्टिक” के रूप में जाना जाता है, भारत का मूल निवासी है। इसके फल की फली, फूल और पत्ते खाने योग्य होते हैं और अक्सर विभिन्न व्यंजनों में उपयोग किए जाते हैं। मोरिंगा के पेड़ की जड़ों और सभी खाने योग्य भागों का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है। यह मौखिक और सामयिक उपयोग दोनों के लिए पूरक, तेल और पाउडर के रूप में उपलब्ध है। मोरिंगा का पेड़ सेहत के लिए…
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dinmantimes · 2 years
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बढ़ती महंगाई के बीच मिली थोड़ी राहत, सभी खाने वाले तेलों में आयी गिरावट
बढ़ती महंगाई के बीच मिली थोड़ी राहत, सभी खाने वाले तेलों में आयी गिरावट
भारत में महंगाई से परेशान लोगों के लिए कई महीनों बाद राहत की खबर आई है। देश के घरेलू बाजारों में सरसों, मूंगफली सहित सभी खाने योग्य तेल की कीमतों में गिरावट आई है। इसके दामों में सात से दस रुपए प्रति लीटर की कमी आई है। हालांकि अभी भी विदेशी बाजारों में तेल की कीमतों में गिरावट नहीं आई है। मिली जानकारी के अनुसार तेल के कीमतों में गिरावट इंडोनेशिया से निर्यात किए जाने के बाद आई है। सोयाबीन और…
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mykrantisamay · 3 years
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केंद्र ने राज्य को खाद्य तेल की कीमतों पर आयात शुल्क में कटौती के बाद 15-20 रुपये प्रति किलोग्राम देने का निर्देश दिया
केंद्र ने राज्य को खाद्य तेल की कीमतों पर आयात शुल्क में कटौती के बाद 15-20 रुपये प्रति किलोग्राम देने का निर्देश दिया
आयात शुल्क में कटौती के बाद खुदरा खाद्य तेल की कीमतों में लगभग 15-20 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट की उम्मीद है, केंद्र ने गुरुवार को कहा और आठ प्रमुख उत्पादक राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि यह लाभ उपभोक्ताओं को दिया जाए, जिससे त्योहारी सीजन के दौरान राहत मिल सके। बुधवार को, सरकार ने कच्चे पाम, सूरजमुखी और सोयाबीन तेलों की किस्मों पर बुनियादी सीमा शुल्क को समाप्त कर दिया था और…
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mrdevsu · 3 years
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देश में 11 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे खाद्य तेलों के दाम, बढ़ती महंगाई से परेशान जनता पर सरकार ने भी जताई चिंता
देश में 11 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे खाद्य तेलों के दाम, बढ़ती महंगाई से परेशान जनता पर सरकार ने भी जताई चिंता
देश में 11 साल के स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाले वित्तीय क्षेत्र के लिए, बढ़ने से किसान पर भी सरकार प्रभावित होगी। Source link
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                            सैमफायर एचजीविन सिरप, टेबलेट्स व तेल
                                          मधुमेह  रोगियों  के लिए
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 आजकल के इस भागदौड़ भरे युग में अनियमित जीवनशैली के चलते जो बीमारी सर्वाधिक लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है वह है मधुमेह। मधुमेह को धीमी मौत भी कहा जा सकता है। यह ऐसी बीमारी है जो एक बार किसी के शरीर को पकड़ ले तो उसे फिर जीवन भर छोड़ती नहीं। इस बीमारी का जो सबसे बुरा पक्ष यह है कि यह शरीर में अन्य कई बीमारियों को भी निमंत्रण देती है। मधुमेह रोगियों को आंखों में दिक्कत, किडनी और लीवर की बीमारी, ह्रदय रोग, शारीरिक कमजोरी, स्ट्रोक, त्वचा व पेट से जुड़ी कई समस्याएं और पैरों में दिक्कत उत्पन्न हो सकती हैं। पहले यह बीमारी चालीस की उम्र के बाद ही होती थी लेकिन आजकल बच्चों में भी इसका मिलना चिंता का एक बड़ा कारण हो गया है। इस बीमारी से रोगी के क्रिएटिनिन बढ़ने से किडनी में दिक्कत होनी शुरू हो जाती है, जिस के कारण डायलिसिस भी करवाना पढ़ सकता है।
सैमफायर कंपनी इस उद्देश्य से काम कर रही है कि इस गंभीर जानलेवा बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने व लोगों को मधुमेह के साथ बेहतर जीवन यापन करने के योग्य बनाने से है। हमारा प्रयास है की धीरे-धीरे अंग्रेजी दवाईयों का उपयोग कम करके अंग्रेजी दवाईयाँ छुड़वा दे व आयुर्वेदिक पद्धति से मधुमेह का इलाज करें क्योंकि आयुर्वेदिक दवाईयों का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं होता है और ये लगातार खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाकर शरीर को अंदर से मजबूत व निरोगी बनाती है। अंत हमारी अपील है की मधुमेह से ग्रसित रोगी पूरी लगन से चिकित्सा सलाह ले कर नियमित रूप से एचजीविन किट (सिरप, टेबलेट्स और तेल) का प्रयोग करें, व्यायाम करें और संतुलित आहार खाएं व समाज को रोग मुक्त बनाने में सहभागी बने, ताकि आने वाली पीढ़ीयों को मधुमेह रोग से बचाया जा सके।
कई सालों के तजुर्बों व अध्यन से सैमफायर कंपनी ने आयुर्वेदिक प्रणाली से एक ऐसा उत्पाद बनाया है जिसमें एचजीविन सिरप, टेबलेट्स और तेल जो मधुमेह रोग के लक्षण को कम करने में सहायक है और रोगी को बिना किसी साइड इफेक्ट मधुमेह के दुष्प्रभाव से मुक्त करा कर सुखमई जीवन व्यतीत करने में मदद करता है।
यह दवा मधुमेह रोगियों के लिए वरदान साबित हो रही है। इसके सेवन से मधुमेह रोगियों के हालत में शीघ्र ही सुधार होता है। आज के दौर में लोग अंग्रेजी दवाईयों की तुलना में आयुर्वेदिक दवाईयों का ज्यादा सेवन कर रहे है, कयोंकि आधुनिक जीवन शैली में उनकी बिमारियों का स्थाई और सुरक्षित इलाज केवल आयुर्वेदिक दवाईयां ही है कयोंकि इन दवाईयां का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता बल्कि यह शरीर की रोग प्रति रोधक क्षमता को बढ़ा कर शरीर को अंदर से मजबूत व निरोगी बनाती है।
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सैमफायर एचजीविन सिरप 36 गुणकारी जड़ी बूटियों जैसे करेला, गुड़मार, जामुन, इन्द्र जौ, पनीर डोडी, नीम पत्र, सनाय, गुलाब, रेवंद चीनी, ब्राह्मी, पित्तपापड़ा, मंजिष्ठा, सौंठ, सौंफ, अजवाइन, धनिया, कपूर कचरी, काला नमक, पुदीना, हल्दी, दालचीनी, मुनक्का, बड़ी इलायची, तुलसी, कत्था, लौंग, नागरमोथा, आंवला, हरड़, बहेड़ा, बादियान खताई, मुलेठी, अश्वगंधा, भृंगराज, पुनर्नवा और मकोय इन सबके क्वाथ को मिला कर बनाया जाता है।
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सैमफायर एचजीविन टेबलेट्स 18 गुणकारी जड़ी बूटियों जैसे गुड़मार, जामुन, चिरायता, गोरखमुंडी, अर्जुन छाल, गिलोय, करेला, अश्वगंधा, आंवला, नीम, शतावरी, पनीर डोडी, कारंजवा, तुलसी, मेथी, कुटकी, अजाबल्ली और शिलाजीत इन सबके एक्सट्रेक्ट को मिला कर बनाया जाता है।
सैमफायर एचजीविन तेल में 11 तरह की जड़ी बूटियों के तेल है जैसे कि नीम, कलौंजी, बादाम, नारियल, सत पुदीना, कपूर, ब्राह्मी, तिल, खसखस, ऑलिव और सरसों का तेल जो डायबिटीज से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कम करने के साथ साथ मांस-पेशियाँ में दर्द, रक्त का प्रवाह तेज करने, सिरदर्द से आराम, त्वचा और बालों के लिए भी काफी लाभकारी है। इसे रोजाना नियमित रूप से पैरों और सिर पर मालिश करने पर पैरों की तले में होने वाली जलन, सिर में होने वाली खारिश और हाथों व पैरों की ऊँगली के बीच में होने वाली खुश्की को दूर करने में सहायक है।
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  सैमफायर एचजीविन सिरप, टेबलेट्स व तेल की प्रमुख्य विशेषताएँ :-
ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है।
इंसुलिन के स्त्राव को बढ़ावा देकर शुगर स्तर को स्थिर रखता हैै।
शरीर के वजन को नियंत्रण में रखता है।
मधुमेह में आने वाली शारीरक कमजोरी को दूर करता है।
मधुमेह के कारण हृदय, किडनी, आंख, नर्व और त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं होने से बचाव करता है।
यह सिरप कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में लाभदायक है।
यह पाचन तंत्र को मजबूती प्रदान करता हैं, जो एक स्वस्थ शरीर के लिए बहुत जरूरी है।
यह शरीर को अंदर से साफ़ करके लिवर को मजबूती प्रदान करने में मददगार है।
यह लिवर, पाचन और इम्युनिटी को मजबूत करने में मदद करता है।
इस के लगातार इस्तेमाल से मधुमेह के कारण शरीर को डायलिसिस होने से बचाया जा सकता है। 
सेवन विधि : बेहतर इलाज के लिए  किट के अंदर दिए गए बुकलेट को जरूर पढे और बताई गयी विधि द्वारा सैमफायर एचजीविन सिरप, टेबलेट्स व तेल को इस्तेमाल करने से मधुमेह नियंत्रण होने के साथ-साथ मधुमेह से होने वाली बाकी समस्याएं में भी लाभ होता है।
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HGWIN Syrup                  2 x 1 Ltr.
HGWIN Tablets                4 x 15 Tablets
HGWIN Oil                       100 ml.
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24gnewshindi · 3 years
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आरबीआई वार्षिक रिपोर्ट 2021: डंडल और बदल की बदली में अपडेट, अपडेट-चावल साफ हो जाएगा!
आरबीआई वार्षिक रिपोर्ट 2021: डंडल और बदल की बदली में अपडेट, अपडेट-चावल साफ हो जाएगा!
नई दिल्ली: भारतीय बैंक (भारतीय रिजर्व बैंक) ने बुधवार को अपनी संवत् जारी किया।नाड़ी) और विज्ञापन विज्ञापन (खाने योग्य तेल) जैसे आइटम्स के भाव में तेज गति। यह भी बढ़ सकता है। मौसम में आने वाले समय में परेशानी हो सकती है। सर्वेक्षण के लिए परागण के लिए कहा जाता है जब लहरें प्रक्रिया में प्रक्रिया के बाद प्रक्रिया के बाद प्रक्रिया में शामिल होंगी। केन्द्रीय यह कहा गया है कि शक्तिशाली लागत (WPI) और…
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trendingwatch · 2 years
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एक सप्ताह के भीतर खाद्य तेल में 10-12 रुपये प्रति लीटर की गिरावट: सूत्र
एक सप्ताह के भीतर खाद्य तेल में 10-12 रुपये प्रति लीटर की गिरावट: सूत्र
तेल की कीमतों में कमी केंद्र सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को कम करने के कारण उन्हें सस्ता करने के मद्देनजर आई है। Source link
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jyotishwithakshayg · 5 months
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🌞आज का वैदिक हिन्दू पंचांग तुलसी विशेषांक 🌞
👉दिनांक - 05 दिसम्बर 2023*
👉दिन - मंगलवार*
👉विक्रम संवत् - 2080*
👉अयन - दक्षिणायन*
👉ऋतु - हेमंत*
👉मास - मार्गशीर्ष*
👉पक्ष - कृष्ण*
👉तिथि - अष्टमी रात्रि 12:37 तक तत्पश्चात नवमी*
👉नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी 06 दिसम्बर प्रातः 03:38 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
👉योग - विष्कम्भ रात्रि 10:42 तक तत्पश्चात प्रीति*
👉राहु काल - दोपहर 03:12 से 04:33 तक*
👉सूर्योदय - 07:06*
👉सूर्यास्त - 05:54*
👉दिशा शूल - उत्तर*
👉ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:21 से 06:13 तक*
👉निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:04 से 12:57 तक*
👉व्रत पर्व विवरण - योगी अरविंद पुण्यतिथि, कालभैरव जयंती*
👉विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
👉‘स्कंद पुराण’ (का.खं. :२१.६६) में आता है : ‘जिस घर में तुलसी – पौधा विराजित हो, लगाया गया हो, पूजित हो, उस घर में यमदूत कभी भी नहीं आ सकते ।’*
👉जहाँ तुलसी – पौधा रोपा गया है, वहाँ बीमारियाँ नहीं हो सकतीं क्योंकि तुलसी – पौधा अपने आसपास के समस्त रोगाणुओं, विषाणुओं को नष्ट कर देता है एवं २४ घंटे शुद्ध हवा देता है । वहाँ निरोगता रहती है, साथ ही वहाँ सर्प, बिच्छू, कीड़े-मकोड़े आदि नहीं फटकते । इस प्रकार तीर्थ जैसा पावन वह स्थान सब प्रकार से सुरक्षित रहकर निवास-योग्य माना जाता है । वहाँ दीर्घायु प्राप्त होती है ।*
👉‘तुलसी निर्दोष है । सुबह तुलसी के दर्शन करो । उसके आगे बैठे के लम्बे श्वास लो और छोड़ो, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, दमा दूर रहेगा अथवा दमे की बीमारी की सम्भावना कम हो जायेगी । तुलसी को स्पर्श करके आती हुई हवा रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाती है और तमाम रोग व हानिकारक जीवाणुओं को दूर रखती है ।’*
👉तुलसी रोपने तथा उसे दूध से सींचने पर स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । तुलसी की मिट्टी का तिलक लगाने से तेजस्विता बढ़ती है ।*
👉दूध के साथ तुलसी वर्जित है, बाकी पानी, दही, भोजन आदि हर चीज के साथ तुलसी ले सकतें हैं । रविवार को तुलसी ताप उत्पन्न करती है, इसलिए रविवार को तुलसी न तोड़ें, न खायें । ७ दिन तक तुलसी – पत्ते बासी नहीं माने जाते ।*
👉विज्ञान का आविष्कार इस बात को स्पष्ट करने में सफल हुआ है कि तुलसी में विद्युत् – तत्त्व उपजाने और शरीर में विद्युत् – तत्त्व को सजग रखने का अद्भुत सामर्थ्य है । थोडा तुलसी – रस लेकर तेल की तरह थोड़ी मालिश करें तो विद्युत् – प्रवाह अच्छा चलेगा ।*
💥श्रीमद् भगवद्गीता माहात्म्य 💥
👉 जो मनुष्य भक्तियुक्त होकर नित्य एक अध्याय का भी पाठ करता है, वह रुद्रलोक को प्राप्त होता है और वहाँ शिवजी का गण बनकर चिरकाल तक निवास करता है ।*
👉 जो मनुष्य गीता के दस, सात, पाँच, चार, तीन, दो, एक या आधे श्लोक का पाठ करता है वह अवश्य दस हजार वर्ष तक चन्द्रलोक को प्राप्त होता है । गीता के पाठ में लगे हुए मनुष्य की अगर मृत्यु होती है तो वह (पशु आदि की अधम योनियों में न जाकर) पुनः मनुष्य जन्म पाता है ।*
👉जो पुरुष इस पवित्र गीताशास्त्र को सावधान होकर पढ़ता है वह भय, शोक आदि से रहित होकर श्रीविष्णुपद को प्राप्त होता है ।
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ideacitinews · 3 years
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Darbhanga: सीएम ने की संभावित बाढ़ पूर्व तैयारी की समीक्षा...
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Darbhanga: संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ के लिए अग्रिम तैयारी को लेकर संबंधित विभाग के माननीय मंत्री, अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, सभी प्रमंडलीय आयुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस उपमहानिरीक्षक, जिलाधिकारी, वरीय पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक के साथ बैठक की गई। बैठक में आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार के प्रधान सचिव श्री प्रत्यय अमृत ने पावर प्वाइंट प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बाढ़ एवं सूखा पूर्व तैयारी के लिए किए जाने वाली व्यवस्था को बिंदुवार प्रस्तुत किया जिसके अनुसार बताया गया कि मानसून वर्ष 2021 वर्षापात का पूर्वानुमान 16 अप्रैल, 2021: भारत मौसम विज्ञान विभाग के दीर्घकालीन पूर्वानुमान के अनुसार इस वर्ष मानसून अवधि (जून से सितंबर) के दौरान संपूर्ण देश में सामान्य वर्षापात की संभावना है। पूरे भारत में मात्रात्मक रूप से दीर्घकालिक औसत का 98 प्रतिशत(+_ 5 प्रतिशत मॉडल त्रुटि के साथ) वर्षापात की संभावना है। समूचे भारत में मॉनसून ऋतु में वर्षा का दीर्घावधि (1961-2010) और 88 सेंटीमीटर है। मई माह के अंतिम सप्ताह में वर्षापात पूर्वानुमान को अद्यतन करते हुए रीजन वाइज अनुमान जारी किया जाएगा। साथ ही अलग से जून माह के लिए स्पेसिफिक पूर्वानुमान भी जारी किया जाएगा। बाढ़ पूर्व तैयारी संबंधी महत्वपूर्ण बिन्दु एनडीआरएफ/एसडीआरएफ की प्रतिनियुक्ति, नाव की व्यवस्था, पॉलीथिन शीट की व्यवस्था, राहत सामग्रियों-चूड़ा, गुड़, चना, सत्तू, नमक आदि खाद्य पदार्थों का दर निर्धारण एवं आपूर्तिकर्ता का चयन। अन्य सामग्रियों यथा जनरेटर, राहत शिविरों में उपयोग हेतु बर्तन आदि के भाड़ा का निर्धारण एवं आपूर्तिकर्ता का चयन। संभावित बाढ़ के मद्देनजर आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा की जा रह कार्रवाई दिनांक 5 मई 2021 को सभी जिलों को बाढ़ आपदा प्रबंधन द्वारा संचालन प्रक्रिया के अनुसार बाढ़ पूर्व सभी आवश्यक तैयारियां पूर्ण कर लेने का विस्तृत दिशा निर्देश निर्गत किया गया है।      कोरोना वायरस संक्रमण से उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर बाढ़ पूर्व की जाने वाली तैयारियों एवं बाढ़ की स्थिति में राहत एवं बचाव कार्य के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क की पर्याप्त उपलब्धता एवं पहनने की अनिवार्यता, हैंडवाश एवं सैनिटाइजर का प्रयोग तथा अन्य सुरक्षा मानकों का विशेष व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है।     बाढ़ पूर्व तैयारी हेतु आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जिलों को 22.35 करोड़ रुपये दिनांक 6 मई 2021 को आवंटित किया गया है। बाढ़ पूर्व तैयारी संबंधी महत्वपूर्ण बिंदु ⚫बाढ़ शरण स्थलों का चिन्हितकरण एवं वहां की जाने वाली व्यवस्थाएं। ⚫ जिला आपातकालीन संचालन केंद्र(DEOC) नियंत्रण कक्ष की स्थापना करना। ⚫ Gratuitous Relief(GR) वितरण में DBT का प्रयोग करना। ⚫ स्वास्थ्य कर्मियों की प्रतिनियुक्ति एवं मानव दवा की व्यवस्था करना। ⚫ पशुचारा एवं पशु दवा की व्यवस्था करना। तटबंधों की सुरक्षा/ सड़कों की मरम्मति करवाना। एनडीआरएफ/एसडीआरएफ टीमों द्वारा अपने प्रतिनियुक्त वाले जिलों में समुदाय को बाढ़ से बचाव के संबंध में मॉकड्रिल आदि के माध्यम से जागरूकता करना एवं प्रशिक्षण दिलाना। बाढ़ प्रवण जिलों में उपलब्ध मोटरबोट/ लाइफ जैकेट आदि उपकरणों का वाढ़ से पूर्व जांच एवं मरम्मति का कार्य करवाना। बाढ़ आने पर प्रतिनियुक्त आदेश तुरंत जारी कर दें तथा उक्त स्थलों पर नाव चल रहा है अथवा नहीं इसकी जांच समय पर करवाएं। चलाई जा रही नावों पर तख्ती लगी रहे जिस पर अंकित रहे की यह राज्य सरकार की ओर से नि:शुल्क सेवा है। उक्त नावें निश्चित स्थल/ घाट से चलेगी। उक्त घाट पर सूचना पट्ट लगा रहना आवश्यक है, जिसमें नाविकों का नाम तथा संचालन अवधि अंकित रहेगी। नावों कि भाड़ क्षमता का आकलन मोटर यान निरीक्षक से कराकर नावों की निर्धारित भार क्षमता अंकित करा दी जाए ताकि ओवरलोडिंग के कारण नाव दुर्घटनाएं न हो सके। नावों की व्यवस्था आवश्यकतानुरूप पर्याप्त संख्या में निजी देसी नावों की उपलब्धता प्रयास केंद्रित किया जाए। इसके लिए निजी नाव मालिकों के साथ इस आशय का एकरारनामा किया जाए कि बाढ़ आने की स्थिति में वे अपनी नावों (परिचालन योग्य एवं अच्छी स्थिति में) को नाभिक सहित जिला प्रशासन को उपलब्ध कराएंगे। नाव के भाड़े का निर्धारण संबंधित प्रमंडलीय आयुक्त के द्वारा किया जाना, जो अपने अधीनस्थ जिला पदाधिकारी से प्राप्त प्रतिवेदन की समीक्षा कर अपने स्तर से प्रत्येक जिले में निजी नावों को निर्धारित संख्या में रखने की अनुमति देंगे एवं नावों के भारे का निर्धारण अपने प्रमंडल के सभी जिलों के लिए समान रूप से करेंगे।     नाविकों की मजदूरी का भुगतान श्रम संसाधन विभाग प्राइवेट फेरिज एवं एलटीसी के कुशल श्रेणी के कामगारों के लिए निर्धारित मजदूरी संबंधी अधिसूचना के अनुसार।        नावों की देख-रेख एवं रख-रखाव की जिम्मेदारी नाव मालिकों की होगी।उन्हीं नाव मालिकों के साथ एकरारनामा किया जाएगा, जिनके नावों का निबंधन हो तथा सुरक्षा मानकों को पूरा करते हो।प्रत्येक नाव के लिए अलग-अलग लॉगबुक खोला जाएगा, जो नाव पर ही उपलब्ध रहेगा।लॉगबुक का सत्यापन प्रत्येक 3 दिन में एक बार प्रतिनियुक्त कर्मी के द्वारा किया जाएगा। पॉलिथीन शीट् की उपलब्धता विभागीय पत्रांक 1155/आ.प्रा., दिनांक 20.04.2018 के पॉलीथिन शीट के क्रय एवं भंडारण के संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश निर्गत किया गया है। प्रमंडल मुख्यालय के जिलों को पॉलीथिन शीट के क्रय हेतु नोडल जिला बनाया गया है। प्रमंडल अंतर्गत सभी जिलों से प्राप्त अधियाचना के आलोक में नोडल जिला द्वारा चयनित आपूर्तिकर्ता से पॉलीथिन शीट का क्रय किया जाएगा तथा चयनित आपूर्तिकर्ता के द्वारा संबंधित जिलों को उपलब्ध कराया जाएगा।       संबंधित जिलों से पॉलीथिन शीट की प्राप्ति एवं गुणवत्ता संबंधी प्रतिवेदन प्राप्त होने पर नोडल जिला द्वारा आपूर्तिकर्ता को राशि का भुगतान किया जाएगा। राहत सामग्रियों का दर निर्धारण एवं आपूर्तिकर्ताओं का संभावित बाढ़ के मद्देनजर चूड़ा, चना, चीनी, नमक, मोमबत्ती, माचिस आदि राहत सामग्रियों एवं भाड़ा पर जनरेटर, बर्तन आदि के लिए दर निर्धारण 30 मई 2021 तक किया जाना। बाढ़ शरण स्थल      कोविड-19 के आलोक में सोशल डिस्टेंसिंग के अनुपालन हेतु विगत वर्ष की अपेक्षा अधिक संख्या में बाढ़ राहत शिविरों का को चिन्हित करने की आवश्यकता होगी। चिन्हित शरण स्थलों से सम्बद्ध गांव/ टो���ों के निवासियों को इसकी जानकारी दे दी जाए। कोविड-19 के आलोक में बाढ़ शरण स्थलों पर संकटग्रस्त (Vunerable) समूह जैसे- वृद्धजन, दिव्यांगजन, बच्चे, गर्भवती एवं  धात्री महिलाओं के लिए अलग से सेक्शन/ ब्लॉक की समुचित व्यवस्था। चिन्हित शरण स्थलों पर शुद्ध पेयजल, पर्याप्त रोशनी, साफ-सफाई, महिलाओं एवं पुरुषों के लिए अलग-अलग शौचालय आदि की व्यवस्था हेतु योजना बना ली जाए। चिन्हित शरण स्थलों पर चिकित्सा शिविर लगाने हेतु भी स्थल चिन्हित कर लिया जाए। चिकित्सा शिविरों में चिकित्सा दलों की प्रतिनियुक्त एवं पर्याप्त मात्रा में आवश्यक दवाओं की व्यवस्था कर ली जाए। बाढ़ शरण स्थलों में पर्याप्त संख्या में थर्मल स्कैनर एवं मेडिकल स्क्रीनिंग की व्यवस्था कर ली जाए।      मेडिकल स्क्रीनिंग के पश्चात symptomatic व्यक्तियों को शरण स्थल के यथासंभव सुरक्षित दूरी पर बनाए गए हेल्थ क्वॉरेंटाइन सेंटर में भेजने की व्यवस्था कर ली जाए। पशुओं के लिए भी शरण स्थल हेतु उपयुक्त स्थल को चिन्हित कर लिया जाए। आबादी निष्क्रमण, के लिए बताया गया कि कोविड-19 के परिपेक्ष्य में बाढ़ के दौरान आबादी निष्क्रमण विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में पूर्व से ही संकटग्रस्त (Vulnerable) समूह जैसे- वृद्धिजन, दिव्यांगजन, बच्चे गर्भवती एवं धात्री महिलाओं की पहचान कर ली जाए। गाँवों में मास्क की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। ग्राम पंचायतों में इसकी जवाबदेही पूर्व से दी जा चुकी है। जलप्लावित क्षेत्रों में से सुरक्षित स्थानों/ राहत शिविरों में बाढ़ पीड़ितों को लाने के समय सोशल डिस्टेंसिंग का यथासंभव पालन किया जाए। इसके लिए नावों की पर्याप्त व्यवस्था रखी जाए। नावों/ मोटरबोटों को नियमित रूप से सनी टॉयज कराया जाए। नावों का Deployment Plan पूर्व से बना लिया जाए ताकि बाढ़ आने की स्थिति में त्वरित एवं बेहतर ढंग से आबादी निष्क्रमण का कार्य किया जा सके। राहत शिविरों के संचालन के समय विशेष ध्यान शरणार्थियों को राहत कैंपों में सुबह का नाश्ता तथा दोपहर एवं रात्रि खाने की व्यवस्था की जाए। तला हुआ भोजन नहीं परोसा जाए। भोजन तैयार करने एवं परोसने में साफ-सफाई का विशेष ध्यान। मास्क, हैंड सेनीटाइजर एवं हैंड वॉश की पर्याप्त व्यवस्था कर ली जाए। खाना खिलाने के लिए समय को स्ट्रगर करते हुए पालीवार भोजन की व्यवस्था तथा बैठने हेतु सोशल डिस्टेंसिंग नॉर्म्स का सख्ती से अनुपालन किया जाए। राहत शिविर में आवासित प्रत्येक बाढ़ पीड़ित को भोजन के लिए थाली, गिलास, कटोरी की आपूर्ति की जाए। राहत शिविर में आवासित सभी व्यक्ति एवं कार्यरत सभी अधिकारी, कर्मीगण अनिवार्य रूप से मास्क का उपयोग करेंगे। अतः मास्क की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। राहत शिविर में यत्र-तत्र थूकने पर पूर्णत प्रतिबंध रहे। ड्राई राशन पैकेट्स/ फूड पैकेट्स का पैकेटिंग बाढ़ के दौरान प्रभावित परिवारों को आवश्यकतानुसार राशन पैकेट्स (चूड़ा-2.50kg) चना-1kg/ चीनी-0.5kg/ हैलोजन टेबलेट आदि उपलब्ध कराया जाता है। इसके अतिरिक्त विभागीय निर्देश प्राप्त होने पर फूड पैकेटस, चावल- 5kg, दाल- 1kg, आलू- 2KG/ सोयाबीन- 1kg हल्दी, (छोटा पैकेट), नमक-(0.5kg) का वितरण भी किया जाता है। ड्राई राशन पैकेटस/ फूड पैकेटस के पैकेटिंग का कार्य त्वरित गति से कराने की आवश्यकता पड़ती है। अतः पैकेटिंग  स्थलों एवं मानव बल को पूर्व से चिन्हित कर लिया जाए। महत्वपूर्ण-एयर ड्रोपिंग के लिए तैयार किया जाने वाले पैकेट का वजन 10 किग्रा से अधिक नहीं होना चाहिए।     मुख्यमंत्री राहत कोष से की जाने वाली व्यवस्था बाढ़ राहत शिविरों में शरण लेने वाले बाढ़ पीड़ितों के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से वस्त्र, भोजन हेतु बर्तन, साबुन, तेल, कंघी आदि की व्यवस्था। इस हेतु प्रत्येक बाढ़ शरणार्थी के लिए 600 रुपये की अधिसीमा निर्धारित है। बाढ़ अवधि में आबादी निष्क्रमण के दौरान नाव पर, अस्पताल में अथवा राहत शिविरों में जन्म लेने वाले प्रत्येक नवजात बच्चे के लिए 10000 रुपये एवं प्रत्येक नवजात बच्ची के लिए 15000 रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष से व्यवस्था। जिला आपातकालीन संचालन केंद्र(DEOC) नियंत्रण बाढ़ अवधि मेंDEOC को 24×7 के पैटर्न पर 03 शिफ्ट में रखना एवं आवश्यकतानुसार कर्मियों की प्रतिनियुक्ति होगी। DEOC में स्थापित टेलीफोन को चालू स्थिति में रखना होगा। जिला संचार योजना/ दूरभाष निर्देशिका तैयार कर अद्यतन करना। दूरभाष निर्देशिका में जिला से प्रखंड/ पंचायत स्तर तक बाढ़ प्रबंधन से जुड़े सभी महत्वपूर्ण अधिकारियों/ कर्मियों का दूरभाष/ मोबाइल नंबर के साथ आवश्यक सेवाओं, जनप्रतिनिधियों एवं त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों आदि के नाम एवं मोबाइल नंबर सम्मिलित करना। Gratuitous Relief(GR) वितरण में DBT का एसडीआरएफ मानदर के अनुरूप बाढ़ पीड़ित परिवारों को ₹6000 प्रति परिवार की दर से जीआर राशि का भुगतान किया जाता है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांस��र वर्ष 2019 एवं 2020 में पब्लिक फाइनेंसियल मैनेजमेंट सिस्टम का प्रयोग कर सीधे राज्य स्तर से ही सभी बाढ़ पीड़ित परिवारों के बैंक खाते में जीआर की राशि का अंतरण किया गया। इसके लिए एनआईसी के द्वारा आपदा सम्पूर्ति पोर्टल बनाया गया है, जिस पर जिला के सभी परिवारों की वार्डवार सूची (खाता नंबर सहित) अपलोड की जाती है। बाढ़ आने की दशा में प्रभावित पंचायत/ वार्ड को चिन्हित कर बाढ़ प्रभावित परिवारों को जिआर राशि डीबीटी की जाती है। इस वर्ष पुनः परिवारों की सूची अपडेट कर आपदा सम्पूर्ति पोर्टल पर अपलोड करने का निर्देश सभी जिलों को दिया गया है। PFMS प्रणाली के प्रयोग से जीआर वितरण में काफी सुविधा एवं अपेक्षा अधिक पारदर्शिता आई है। तथापि विगत 2 वर्षों में प्राप्त अनुभव के आलोक में जीआर वितरण को और अधिक प्रभावी एवं त्रुटि रहित बनाने हेतु निम्नानुसार कार्यवाही करने का सुझाव है। पारिवारिक सूची को बनाने में पूरी पारदर्शिता बरती जाए। इस सूची का निर्माणअद्दतीकरण निश्चित रूप से 30 मई तक पूर्ण कर लिया जाए एवं पदाधिकारियों के द्वारा कम से कम 25 प्रतिशत रेंडम वेरिफिकेशन करा लिया जाए। बाढ़ आने के उपरांत जीआर वितरण के कार्य को एक माह के अंदर पूर्ण किया जाए वितरण कार्य लंबी अवधि तक चालू रखने से अनियमित होने की संभावना बढ़ जाती है। बैठक में नगर विकास विभाग, बिहार, जल संसाधन विभाग, कृषि विभाग, स्वास्थ्य विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं अभियंत्रण विभाग, पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग, पथ निर्माण विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा अपनी अपनी तैयारी से संबंधित विवरण प्रस्तुत किया गया। बैठक में माननीय मुख्यमंत्री ने बाढ़ सहायता राशि का भुगतान बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सही लाभुकों के बीच करने के निर्देश दिए। साथ ही बाढ़ के दौरान कार्य पर लगाए जाने वाले सरकारी एवं गैर सरकारी लोगों का टीकाकरण करा देने का निर्देश दिया। उन्होंने जल संसाधन विभाग के सचिव को निर्देशित किया कि पूर्व में बाढ़ के दौरान जिन स्थलों पर बांध प्रभावित रहा है पहले वहां की मरम्मति करा ली जाए। उन्होंने ग्रामीण कार्य विभाग को सभी क्षतिग्रस्त सड़कों का निर्माण अच्छी तरह से करवाने के निर्देश दिए। बैठक में बिहार के माननीय उप मुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद, माननीय शिक्षा मंत्री श्री विजय कुमार चौधरी, माननीय ऊर्जा मंत्री श्री विजेंद्र प्रसाद यादव, माननीय कृषि मंत्री श्री अमरेंद्र प्रताप सिंह, माननीय स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडे, माननीय मंत्री जल संसाधन विभाग सह सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग श्री संजय कुमार झा, माननीय मंत्री लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग डॉ.रामप��रीत पासवान एवं माननीय मंत्री पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग श्री मुकेश साहनी उपस्थित थे।     बैठक में मुख्य सचिव श्री त्रिपुरारी शरण, माननीय मुख्यमंत्री के परामर्शी श्री अंजनी कुमार सिंह, माननीय मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार तथा श्री चंचल कुमार, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री संजय कुमार, पीएचईडी के सचिव श्री जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव, कृषि विभाग के सचिव श्री एन श्रवण कुमार, जल संसाधन विभाग के सचिव श्री संजीव हंस उपस्थित थे।      दरभंगा से जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम एवं वरीय पुलिस अधीक्षक श्री बाबूराम ऑनलाइन उपस्थित थे। जिलाधिकारी द्वारा बैठक में बाढ़ के दौरान आकस्मिकता में एमडीएम के चावल का प्रयोग सामुदायिक किचन के लिए करने की अनुमति प्रदान करने अनुरोध किया गया।
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राजू सिंह की रिपोर्ट Read the full article
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abhay121996-blog · 3 years
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Motichoor Laddu Recipe In Hindi : आज हनुमान जयंती पर घर में इस तरह बनाएं स्पेशल मोतीचूर के लड्डू, नोट करें आसान रेसिपी Divya Sandesh
#Divyasandesh
Motichoor Laddu Recipe In Hindi : आज हनुमान जयंती पर घर में इस तरह बनाएं स्पेशल मोतीचूर के लड्डू, नोट करें आसान रेसिपी
इंटरनेट डेस्क। आज मंगलवार को देशभर में हनुमान जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन ज्यादातर लोग मोतीचूर के लड्डू बनाकर बजरंगबली का भोल लगाते हैं। कोरोनाकाल को देखते हुए ज्यादातर शहरों में लॉकडाउन और कर्फ्यू जैसी स्थित है। इसलिये दुकानें बंद ही हैं हर जगह। आज हम आपको इसीलिये घर पर मोतीचूर के लड्डू बनाने की रेसिपी बताने जा रहे हैं।
तो आइये जानते हैं मोतीचूर के लड्डू बनाने की रेसिपी के बारे में…
सामग्री
-2 कप बेसन -1 टीस्पून हरी इलायची -½ टीस्पून खाने योग्य फूड कलर -1 लीटर दूध -6 कप घी -1 चुटकी बेकिंग सोडा -3 कप चीनी -4 कप पानी
लड्डू बनाने का तरीका इस प्रकार है…
मोतीचूर के लड्डू बनाने के लिए आप सबसे पहले चीनी की चाशनी तैयार करें। इसके लिए एक बड़े पैन को मध्यम आंच पर रखकर पानी गर्म करें। अब इसमें चीनी मिलाएं। तब तक चलाएं जब तक यह पूरी तरह से पिघल न जाए। उसे उबलने दें। फिर दूध मिलाएं और 5 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं।
उबलते समय यदि झाग आए तो उसे हटा दें। एक समान गाढ़ापन न आ जाए तब तक चलाते रहें। अब इसमें इलायची पाउडर और ऑरेंज फूड कलर डालें और धीरे-धीरे चलाकर अलग रख दें। अब एक बड़े बाउल में बेसन और दूध को तब तक मिक्स करें जब तक कि यह मुलायम न हो जाए।
अब इसमें बेकिंग सोडा डालें और अच्छी तरह से मिलाएं। गहरे फ्रांइग पैन में घी गर्म कर लें। अब करछी की मदद से तेल के ठीक ऊपर एक छेद बनाकर उसमें थोड़ा बैटर डालें। इसे गर्म तेल में डालकर तबतक पकाएं जब तक वह गोल्डन और सॉफ्ट न हो जाए। टिश्यू पर रखेंगे तो तेल निकल जाएगा। अब इसे चीनी की चाशनी में डालकर अच्छी तरह से मिलाएं।
अब इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें और इससे छोटे और मीडियम साइज के लड्डू बनाएं। लीजिये तैयार हैं आपके मोतीचूर के स्पेशल लड्डू। अब सबसे पहले बजरंगबली को इसका भोग लगाएं फिर स्वयं इसका प्रसाद चखें और परिवार के अन्य सदस्यों को भी दें।
इसे हनुमान जयंती के अवसर पर बजरंगबली को प्रसाद में चढ़ाएं.
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वजन कम करने का तरीका
आज के भागती दौड़ती जिंदगी में खुद का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी हो जाता है। अगर आपका आज अच्छा है, तो कल को सही तरीके से बेहतर कर पाएंगे। आज के समय में शरीर को बीमारियों का घर कहा जा सकता है, तो ऐसे में सतर्क रहकर कार्य करें।
कई बीमारियों की वजह बढ़ता वजन  है। डॉक्टर के मुताबिक वजन कम कर लेने से भी कुछ हद तक समस्याओं से बचा जा सकता है। वजन कम करना आसान (wazan kam karne ka tarika) तो नहीं पर कोशिश जरूर की जा सकती है।
वजन कम करना क्यों है जरूरी
ऐसा माना जाता है कि बढ़ता हुआ वजन कई बीमारियों को बुलावा देता है। जिसमें मोटापा, शुगर ,हार्ट प्रॉब्लम मुख्य है। अगर आप के वजन पर कंट्रोल नहीं रखा गया तो कहीं ना कहीं यह सारी बीमारियां अपने विकराल रूप में आ जाती हैं। वजन कम करने से हमारी दैनिक, शारीरिक गतिविधि सही तरीके से सही दिशा में अग्रसर होती है। वजन नियंत्रित रखने से मेटाबॉलिज्म रेट सही रहता है इसलिए वजन पर पूरा ध्यान दें।
अगर आप अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं, तो हम आपको वजन कम करने के कारगर उपाय बताने जा रहे हैं आप जरूर उन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल कर लाभ लें।
कैसे करें वजन कम घरेलू तरीके से
अगर आप बढ़ते वजन से बहुत ज्यादा परेशान हैं, तो घरेलू रूप से उपाय किए जा सकते हैं। wazan kam karne ka tarika in hindi
1) नींबू और शहद
वजन कम करने (wazan kam karne) में इन दो सामग्री का मुख्य योगदान माना गया है। अगर आप सुबह खाली पेट गर्म नींबू पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर रोज पिएं इससे आपको जल्द ही फर्क महसूस होगा।
2) सेब का सिरका
फलों में सेब फायदेमंद है लेकिन अगर आप सेब के सिरके में थोड़ा सा शहद मिला कर पिए तो वजन घटाने में मदद मिल सकती है। सेब में पेपरिन फाइबर वजन घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
3) पत्ता गोभी
पत्तागोभी को ज्यादा से ज्यादा सब्जियों और सलाद के रूप में उपयोग किया जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि पत्ता गोभी में उपस्थित टेरिटरिक एसिड कार्बोहाइड्रेट को वसा में परिवर्तित होने से रोक देता है। ऐसे में पत्ता गोभी को बहुत ज्यादा फ्राई नहीं करें तो बेहतर होगा।
4) अजवाइन पाउडर
अगर आप अजवाइन पाउडर को गर्म पानी में डालकर पिए तो इससे फायदा होगा। साथ में अगर शहद मिला लिया जाए तो और भी अच्छा होगा।
5) इलायची
अगर आप वजन कम करना चाहे तो रोजाना इलायची का सेवन करें। अगर रात में सोने से पहले इसे लिया जाए तो और भी फायदेमंद होगा। इलायची जमे हुए फैट को कम करती है और पाचन में सहायता करती है।
6) त्रिफला चूर्ण
इसमें त्रिफला चूर्ण आपके लिए फायदेमंद है। अगर आप  त्रिफला चूर्ण को रात में ही भीगा कर रख दे और सुबह तब तक उबालें जब तक वह आधा ना हो जाए। साथ ही इसमें एक चम्मच शहद भी मिलाएं। नियमित रूप से सेवन करने से वजन कम किया जा सकते हैं।
7) पुदीना
यह हमारी पाचन संबंधी समस्या को खत्म करती है। यदि पुदीना के रस  को पानी में घोलकर पिया जाए तो निश्चित रूप से ही आपको सफलता होगी।
8) आंवला
आंवला में विटामिन सी पाया जाता है और यह एंटी ऑक्सीडेंट भी है। यह मेटाबॉलिज्म को सही कर वजन कम करने में भी सहायक है। ऐसे में अगर आप रोजाना आंवले का ��ेवन करें तो आपके लिए फायदेमंद है।
9) हल्दी
हल्दी में बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर को मजबूती प्रदान करते हैं। यह पोषक तत्व आयरन, ओमेगा 3 फैटी एसिड, फाइबर होते हैं, जो शरीर से चर्बी को भी कम करते हैं।
10) सौफ
अगर आप सौफ हो बारीक पीस लें और उसे गुनगुने पानी के साथ पिए तो इससे बहुत ही ज्यादा फायदा होगा इसका उपयोग जरूर करें।
11) ग्रीन टी
अगर सोने से पहले ग्रीन टी पिया जाए तो इससे मेटाबॉलिज्म सही रहता है और वजन नियंत्रित रहता है लेकिन इसे बहुत ज्यादा सेवन करने से बचें।
वजन घटाने के बेहतरीन घरेलु नुस्खे
वजन कम करने के लिए खानपान का रखें ख्याल
अगर आप वजन कम करना (wazan kam karne) चाहते हैं, तो अपने खान-पान को व्यवस्थित रखें। कई सारे ऐसे आहार हैं, जो वजन बढ़ाने में सहायक हैं उन्हें पूरी तरह से त्याग दें।
1)  वजन कम करने के लिए यदि आप जौ, बाजरा ,रागी ,मसूर,  आंवला, अंकुरित अनाज, उबली हुई सब्जियों का उपयोग करें तो फायदेमंद होता है।
2) इसके अलावा ककड़ी, गाजर, सेब, चुकंदर आवश्यक रूप से ले।
3) हमेशा मौसमी फलों का सेवन करें इसमें आपको ऊर्जा मिलेगी।
4) हमेशा दूध का सेवन करें दूध में कैल्शियम हैं, जो वजन को कम करने में सहायक है।
5) जब भी रात्रि का भोजन करें तो वह हल्का ही करें। हल्का भोजन जल्दी पचता है और इससे पाचन शक्ति भी मजबूत होती है।
6) रात में भोजन के बाद तुरंत नहीं सोना चाहिए। कम से कम 2 घंटे का अंतराल जरूर रखें।
7) भोजन कभी भी जल्दबाजी में ना करें अच्छे से चबा चबा कर ही भोजन करें।
अपने जीवन शैली में करें बदलाव
अगर आप वजन कम करना (wazan kam karne) चाहते हैं, तो निरंतर रूप से खानपान के अलावा अपनी जीवनशैली में भी बड़ा बदलाव करें।
1) सुबह उठे, आलस त्यागे और सैर पर जाएं।
2) अगर आप सुबह सुबह योग का अभ्यास करें इससे निश्चित रूप से ही आपको फायदा होगा।
3) वजन घटाने के लिए वसा युक्त पदार्थों से दूरी बना ले।
4) ज्यादा से ज्यादा भोजन में हरी सब्जियां, दही, दाल का उपयोग करें।
5) गुनगुने पानी का सेवन करें।
6) अगर आप सप्ताह में 1 दिन उपवास करें तो इससे भी फायदा होगा।
7) आपके लिए अंकुरित अनाज का सेवन करना फायदेमंद होगा।
8) नींद हमेशा 6 से 8 घंटे की ही लें।
7 दिन में पेट की चर्बी कम करने के तरीके
खाना खाना ना छोड़े
कई बार लोग गलतियां कर बैठते हैं वह यह कि वजन कम करने के चक्कर में खाना खाना ही छोड़ देते हैं। शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता होती है ऐसे में आप खाना छोड़ कर खुद को मुसीबत में डाल रहे हैं। आप खाना जरूर खाएं। आपको यह याद रखना है कि आप को संपूर्ण पोषक तत्वों से युक्त भोजन ही करना है। भले ही आप थोड़ा कम खाएं पर खाना छोड़ देना सही नहीं है।
अगर आप खाना छोड़ते हैं, तो शरीर में कमजोरी आ जाएगी। यह भी ध्यान रखने योग्य है खाना भरपेट न खाए बल्कि पेट से थोड़ा कम ही खाएं तब बेहतर फायदा देखा जा सकेगा।
वजन कम करने के लिए बनाए बेहतरीन जूस
अगर आप वजन कम करना चाह रहे हैं लेकिन अपने खानपान में नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं तो ऐसे में आप इस जूस से भी अपना वजन कम कर सकते हैं। इसे बनाना बेहद ही आसान है और सारी सामग्री घर में ही मिल जाती है।
जूस बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
खीरा — एक, धनिया पत्ती — आधी कटोरी, नींबू का रस — एक चम्मच, एलोवेरा रस — 1 बड़ा चम्मच ,अदरक — कीसा हुआ, पानी — एक गिलास
आप सारी सामग्री को मिक्सी में पीस लें और उसे छानकर पी लें। इस बात का ध्यान रहे कि इसमें नमक ना मिला हो।
लौकी का जूस
इसी प्रकार लौकी के रस से भी आप अपना वजन कम कर सकते हैं। आयुर्वेदिक में भी लौकी के जूस को फायदेमंद बताया गया है।
सबसे पहले आप लोकी को छीलकर किस लें। एक गिलास पानी के साथ उसे मिक्सी में पीस लें।  अब उसे छान ले। आप चाहे तो उसमें सेंधा नमक डाला जा सकता है। इस जूस को रोजाना पीने से बहुत ही जल्द फायदा होता है इसे आप जरूर आजमाएं।
वजन कम करने के लिए महत्वपूर्ण डाइट
जब भी वजन कम करने की सोचते हैं, तो एक डाइट चार्ट का होना जरूरी है जो आपकी मदद कर सके।
1) सुबह का ड्रिंक — अगर आप सुबह-सुबह गुनगुना पानी पिए तो निश्चित रूप से फायदेमंद होगा।
2) नाश्ता — नाश्ता वजन कम करने के लिए कम कैलोरी का करें। जिसमें ओट्स, दलिया, ब्राउन ब्रेड, आमलेट लिया जा सकता है।
3) स्नैक्स — ऐसा भी होता है कि आपको स्नेक्स लेने का मन करें। ऐसे में आप दो बिस्किट और ग्रीन टी ले सकते हैं। वजन कम करने के लिए से तरबूज, केला, संतरा भी लिया जा सकता है।
4) लंच — दोपहर के खाने में भी कैलोरी का विशेष ध्यान रखना होगा। ऐसे में आप ब्राउन राइस, फिश, दाल ,ब्रोकली, उबली सब्जी, रोटी ले सकते हैं। साथ ही साथ रायता ,सलाद, हरी सब्जी और दाल लेना भी अनिवार्य है। ऐसे में आप व्हाइट ब्रेड ना ले और कम से कम तेल का उपयोग करें।
5) शाम का नाश्ता — कभी-कभी शाम को भी जोरों की भूख लग जाती है तो आप थोड़े ड्राई फ्रूट्स, उबले अंडे, ग्रिल्ड सेंडविच, फल ले सकते हैं।
6) डिनर — एक बात याद रखें कि डिनर  हल्का ही ले। इसके लिए आप चावल, चपाती, चिकन, राजमा ले सकते हैं।
7) सोने से पहले — अगर आप सोने से पहले ऐसा ड्रिंक ले जो वजन कम करने में सहायक हो तो अच्छा होगा।
उम्र के हिसाब से क्या हो सही डाइट चार्ट
वजन कम करने के लिए डाइट चार्ट का पालन करना जरूरी है लेकिन यदि उम्र के हिसाब से नया डाइट चार्ट बनाया जाए तो और भी फायदेमंद होगा।
1) 20 – 30  वर्ष — यह उम्र नाजुक उम्र है जिसमें सभी प्रकार का आहार लेना अनिवार्य है। इसमें कैल्शियम, आयरन, फालेट होना बहुत जरूरी है। अगर आप दूध, दही, पालक, दाल, मूंगफली, बींस को अपने आहार में शामिल करें, तो बहुत ही फायदेमंद होगा।
2) 30 – 40 वर्ष —  इस उम्र में थोड़ी शारीरिक परेशानी आ जाती है और अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो मैग्नीशियम की मात्रा का जरूर समावेश करें। आप बादाम, पालक, काजू, दही और सभी सब्जियों का उपयोग जरूर करें।
3) 40 — 50 वर्ष — बढ़ती उम्र में वजन करने में बहुत मुश्किल हो सकती हैं। ऐसे में आप विटामिन सी, विटामिन ई युक्त आहार के साथ सब फल, ब्रोकली,  टमाटर ,पीनट बटर, सनफ्लावर तेल, हरी सब्जी ,बादाम, गाजर ले तो बहुत ही फायदेमंद होगा।
4) 50 से ज्यादा वर्ष — इस उम्र में हड्डियां कमजोर हो जाती है इसलिए कैल्शियम और विटामिन डी आहार में जरूर शामिल करें। हड्डियों को मजबूत करने के लिए मछली, चिकन, लो फैट मिल्क, दही, चीज़ का भरपूर उपयोग करें। इस उम्र में वजन कम करने के बारे में गंभीरता से सोचते हुए निर्णय ले।
निष्कर्ष
वजन कम करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन अगर धैर्य और लगन के साथ इसे किया जाए तो निश्चित रूप से आपको सफलता मिलेगी। वजन कम करने में कुछ समय लग सकता है ऐसे में आप कोशिश करते रहिए।
हमारे बताएं सुझावों को अमल में लाकर आपको फायदा होगा। जीवन में आने वाली हर परेशानियों का सामना दृढ़ता से करें और आगे बढ़े। साथ ही अपने परिवार का पूरा ख्याल रखें।
Source : https://www.ghareluayurvedicupay.com/wazan-kam-karne-ka-tarika/
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mykrantisamay · 3 years
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खाद्य तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से फरसान पर पड़ेगा असर, क्या कहा फरसान के कारोबारियों ने?
खाद्य तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से फरसान पर पड़ेगा असर, क्या कहा फरसान के कारोबारियों ने?
खाद्य तेल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी से फरसान के दाम भी ऊपर जाने की संभावना है। ऐसा फरसान के व्यापारी कह रहे हैं। सिंगुलम तेल के बाद बिनौला तेल की कीमतों में भी उछाल आया है। Source link
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