'स्क्वीड गेम' स्टार ली जंग-जे श्रृंखला स्पिन-ऑफ में 'डिलीवर अस फ्रॉम एविल' से फिर से भूमिका निभाने के लिए
‘स्क्वीड गेम’ स्टार ली जंग-जे श्रृंखला स्पिन-ऑफ में ‘डिलीवर अस फ्रॉम एविल’ से फिर से भूमिका निभाने के लिए
नई दिल्ली: “स्क्वीड गेम” के अभिनेता ली जंग-जे 2020 की कोरियाई एक्शन-हॉरर फिल्म “डिलीवर अस फ्रॉम एविल” पर आधारित एक टीवी श्रृंखला “रे” में एक उन्मत्त हत्यारे के रूप में अपनी भूमिका को फिर से करने के लिए तैयार हैं।
कोरियाई मीडिया सूत्रों की रिपोर्ट है कि ली अपनी कलाकार स्टूडियो कंपनी के माध्यम से श्रृंखला का सह-निर्माण और सह-निर्माण करेंगे और अधिक जानकारी के लिए “डिलीवर अस फ्रॉम एविल” के निर्माता…
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Assalamu Alaikum Meaning In Hindi
Assalamu Alaikum Meaning In Hindi
यानि आप पर सलामती हो! और ये दुआ है जो एक मुसलमान दूसरे मुसलमान से जब भी मिलता है या देखता है तो उसे हमेशा देता है। इसकी बहोत सी फ़ज़ीलत हदीस में बतलाई गई है| यहाँ सलामती अल्लाह पाक की तरफ से होती है। यानी जब अल्लाह त’आला किसी को सलामत रखता है। तो उस पर अल्लाह पाक की तरफ से बरकतें नाज़िल होती है।
(more…)
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#सत_भक्ति_संदेश
कबीर, पानी केरा बुदबुदा, अस मानुस की जात । एक दिना छिप जाएगा, ज्यों तारा परभात ||
📲अधिक जानकारी के लिए "Sant Rampal Ji Maharaj " Youtube Channel पर विजिट करें।
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रघुपति बिमुख जतन कर कोरी कवन सकइ भव बंधन छोरी
जीव चराचर बस कै राखे सो माया प्रभु सों भय भाखे
श्री रघुनाथजी से विमुख रहकर मनुष्य चाहे करोड़ों उपाय करे परन्तु उसका संसार बंधन कौन छुड़ा सकता है जिसने सब चराचर जीवों को अपने वश में कर रखा है वह माया भी प्रभु से भय खाती है
भृकुटि बिलास नचावइ ताही अस प्रभु छाड़ि भजिअ कहु काही
मन क्रम बचन छाड़ि चतुराई भजत कृपा करिहहिं रघुराई
भगवान उस माया को भौंह के इशारे पर नचाते हैं ऐसे प्रभु को छोड़कर कहो (और) किसका भजन किया जाए मन वचन और कर्म से चतुराई छोड़कर भजते ही श्री रघुनाथजी कृपा करेंगे
जय श्री सीताराम🏹ᕫ🌷🙏
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#गहरीनजरगीता_में_part_308 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#गहरीनजरगीता_में_part_309
हम पढ़ रहे है पुस्तक "गहरी नजर गीता में"
पेज नंबर 611-612
प्रश्न: एक भक्त कह रहा था कि सातवीं पीढ़ी के बाद सुधार कर लिया था?
उत्तर: यदि सुधार कर लिया होता तो उनके पास सतनाम मंत्र होता। यह भी किसी काल
के दूत की ही सोच है। यदि अब कोई मुझ दास से नाम प्राप्त करके ढोंग रचे कि मेरे पास
भी वही मंत्र हैं तो वह अनअधिकारी होने के कारण व्यर्थ है।
प्रश्न: आप तीन बार नाम देते हो तथा फिर सारशब्द भी प्रदान करके चौथा पद प्राप्त
कराते हो। परंतु दामा खेड़ा वाले तथा अन्य कबीर पंथी महंत, संत तो नाम एक ही बार देते हैं। कौन सा सत्य है ? इसकी परख कैसे हो ?
कबीर पंथ में दामाखेड़ा वाले महन्तों द्वारा तथा उन्हीं से भिन्न हुए खरसिया गद्दी वालों
तथा लहरतारा काशी (बनारस) वालों द्वारा जो उपदेश मन्त्र (नाम) दिया जाता है। वह निम्न है:- ‘‘सत सुकृत की रहनी रहो। अजर अमर गहो सत्य नाम। कह कबीर मूल दीक्षा सत्य शब्द प्रमाण। आदि नाम, अजर नाम, अमी नाम, पाताले सप्त सिंधु नाम, आकाशे अदली निज नाम।
यही नाम हंस का काम। खुले कुंजी खुले कपाट पांजी चढ़े मूल के घाट। भर्म भूत का बान्धो
गोला कह कबीर यही प्रमाण पांच नाम ले हंसा सत्यलोक समान’’
उत्तर: कबीर सागर में अमर मूल बोध सागर पृष्ठ 265 पर लिखा है:-
तब कबीर अस कहेवे लीन्हा, ज्ञानभेद सकल कह दीन्हा।।
धर्मदास मैं कहो बिचारी, जिहिते निबहै सब संसारी।।
प्रथमहि शिष्य होय जो आई, ता कहैं पान देहु तुम भाई।।1।।
जब देखहु तुम दृढ़ता ज्ञाना,
ता कहैं कहु शब्द प्रवाना।।2।।
शब्द मांहि जब निश्चय आवै,
ता कहैं ज्ञान अगाध सुनावै।3।।
दोबारा फिर समझाया है -
बालक सम जाकर है ज्ञाना। तासों कहहू वचन प्रवाना।।1।।
जा कहैं सूक्ष्म ज्ञान है भाई। ता कहें स्मरन देहु लखाई।।2।।
ज्ञान गम्य जा कहैं पुनि होई। सार शब्द जा कहैं कह सोई. 3।।
जा कहैं दिव्य ज्ञान परवेशा, ताकहैं तत्व ज्ञान उपदेशा।।4।।
उपरोक्त वाणी से स्पष्ट है कि कड़िहार गुरु तीन स्थिति में सार नाम तक प्रदान करता है तथा चौथी स्थिति में सार शब्द प्रदान करना होता है। धर्मदास जी के माध्यम से इस दास (रामपाल दास) को संकेत है। क्योंकि कबीर सागर में तो प्रमाण बाद में देखा था परंतु उपदेश विधि पहले ही पूज्य गुरुदेव तथा परमेश्वर कबीर साहेब जी ने मुझ दास को प्रदान कर दी थी। जो उपदेश मन्त्र (नाम) दामाखेड़ा वाले व खरसीया तथा लहरतारा काशी वाले देते हैं वह मन्त्र व्यर्थ है। उस में तो सत्यनाम तथा निजनाम (सारनाम) तथा पांच नामों की महीमा बताई है जो यह दास (रामपाल दास) प्रदान करता है। यह उपरोक्त पूरा शब्द(जो दामाखेड़ा व खरसीया व लहरतारा काशी वाले उपदेश में देते हैं) रटने से कुछ लाभ नहीं जो इसमें संकेत है उस सत्यनाम व निज नाम (सारशब्द) तथा पांच नामों को मुझ दास से प्राप्त करके साधना करने से मोक्ष होगा।
धर्मदास जी को तो परमेश्वर कबीर साहेब जी ने सार शब्द देने से मना कर दिया था
तथा कहा था कि यदि सार शब्द किसी काल के दूत के हाथ पड़ गया तो बिचली पीढ़ी वाले हंस पार नहीं हो पाऐंगे।
इसलिए कबीर सागर, जीव धर्म बोध, बोध सागर, पृष्ठ 1937 पर लिखा है:-
धर्मदास तोहि लाख दुहाई, सार शब्द कहीं बाहर नहीं जाई।
सार शब्द बाहर जो परि है, बिचली पीढ़ी हंस नहीं तरि है।
जैसे कलयुग के प्रारम्भ में प्रथम पीढ़ी वाले भक्त अशिक्षित थे तथा कलयुग के अंत में
अंतिम पीढ़ी वाले भक्त कृतघनी हो जाऐंगे तथा अब वर्तमान में सन् 1947 से भारत स्वतंत्र होने के पश्चात् बिचली पीढ़ी प्रारम्भ हुई है। सन् 1951 में मुझ दास को भेजा है। अब सर्व भक्तजन शिक्षित हैं। वह बिचली पीढी वाला भक्ति समय प्रारम्भ हो चुका है। मुझ दास के पास सत्यनाम तथा सार शब्द तथा पांच नाम परमेश्वर कबीर दत्त हैं। उपदेश प्राप्त करके अपना कल्याण
करायें। मानव जीवन तथा बिचली पीढ़ी वाला समय आप को प्राप्त है। अविलम्ब मुझ दास के पास आऐं अन्यथा पश्चात करना पड़ेगा। यथार्थ कबीर पंथ अर्थात् एक पंथ प्रारम्भ हो चुका है। अब यह सत मार्ग सत साधना पूरे संसार में फैलेगी तथा नकली गुरु तथा संत, महंत छुपते फिरेंगे।
पुस्तक “धनी धर्मदास जीवन दर्शन एवं वंश परिचय” के पृष्ठ 46 पर लिखा है कि
ग्यारहवीं पीढ़ी को गद्दी नहीं मिली। जिस महंत जी का नाम “धीरज नाम साहब” कवर्धा में
रहता था। उसके बाद बारहवां महंत उग्र नाम साहेब ने दामाखेड़ा में गद्दी की स्थापना की तथा स्वयं ही महंत बन बैठा। इससे पहले दामाखेड़ा में गद्दी नहीं थी।
इससे स्पष्ट है कि पूरे विश्व में मुझ दास के अतिरिक्त वास्तविक भक्ति मार्ग नहीं है।
सर्व प्रभु प्रेमी श्रद्धालुओं से प्रार्थना है कि प्रभु का भेजा हुआ दास जान कर अपना कल्याण करवाऐं।
यह संसार समझदा नाहीं, कहन्दा श्याम दोपहरे नूं।
गरीबदास यह वक्त जात है, रोवोगे इस पहरे नूं।।
संत रामपाल दास
सतलोक आश्रम बरवाला,
जिला हिसार (हरियाणा)।
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