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#किसी का भाई किसी का जान
mwsnewshindi · 1 year
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सलमान खान ने नई तस्वीर के साथ किसी का भाई किसी की जान शेड्यूल रैप की घोषणा की
सलमान खान ने नई तस्वीर के साथ किसी का भाई किसी की जान शेड्यूल रैप की घोषणा की
सलमान खान ने इस छवि को साझा किया। (शिष्टाचार: assalmankhan) नई दिल्ली: सलमान खान ने शनिवार को अपने आगामी प्रोजेक्ट पर एक अपडेट साझा किया किसी का भाई किसी की जान. फिल्म का नाम पहले रखा गया था कभी ईद कभी दिवाली. अभिनेता ने सोशल मीडिया पर फिल्म के सेट से एक तस्वीर साझा की और उन्होंने खुलासा किया कि फिल्म का शेड्यूल रैप हो गया है। सलमान खान प्रिंटेड जैकेट पहने और लंबे बालों में देखा जा सकता है, उनका…
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news-trust-india · 1 year
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KKBKKJ Advance Booking : सलमान की फिल्म की एडवांस बुकिंग शुरू
KKBKKJ Advance Booking : मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ को लेकर सलमान खान सुर्खियों में हैं। बता दें कि यह मूवी ईद के शुभ अवसर पर रिलीज होने वाली है। वहीं, इसकी एडवांस बुकिंग भी शुरू हो चुकी है, मूवी के गानों और ट्रेलर ने फैंस का बज हाई किया हुआ है, जिसके बाद लोग इसे बड़े पर्दे पर देखने के लिए काफी ज्यादा उत्साहित हैं। Karnataka Assembly Election 2023 : जगदीश शेट्टार BJP छोड़…
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newschakra · 1 year
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सलमान खान ने शहनाज़ गिल को आगे बढ़ने के लिए कहा और सिडनाज़ के प्रशंसकों का दिल टूट गया
आज इसका ट्रेलर किसी का भाई किसी की जान जारी किया गया था। सलमान ख़ान और पूजा हेगड़ेकी फरहाद सामजी द्वारा निर्देशित फिल्म 21 अप्रैल, 2023 को रिलीज होगी। एक बड़ा ट्रेलर लॉन्च इवेंट आयोजित किया गया था, जहां सभी सितारे पहुंचे थे। फिल्म में सितारे भी हैं शहनाज गिल, पलक तिवारी, राघव जुयाल, विजेंद्र सिंह, वेंकटेश दग्गुबाती, सिद्धार्थ निगम, जस्सी गिल गंभीर प्रयास। यह फिल्म शहनाज गिल की हिंदी फिल्मों में…
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lok-shakti · 1 year
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'किसी का भाई किसी की जान' के सेट से सलमान खान की अनदेखी तस्वीर आई सामने, ब्लैक लुक में दिखें कूल
‘किसी का भाई किसी की जान’ के सेट से सलमान खान की अनदेखी तस्वीर आई सामने, ब्लैक लुक में दिखें कूल
किसी का भाई किसी की जान से सलमान खान की अनदेखी तस्वीर: हिंदी सिनेमा की सबसे अवेटेड फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ की शूटिंग पूरी हो गई है। काफी समय से सलमान खान (Salman Khan) की इस फिल्म की चर्चे फिल्मी हो रहे थे. अब आखिरकार इसकी शूटिंग पूरी तरह से ठप हो गई है और जल्द ही सिनेमा में धमाल मच जाएगा। सलमान खान ने सेट से अपनी अनसीन तस्वीर शेयर की है, जिसमें अभिनेता का एक अलग अवतार देखने को मिल रहा…
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सलमान खानचा नवा लूक पाहिला का? पूर्ण झालं 'किसी का भाई किसी की जान'चं शूटिंग
सलमान खानचा नवा लूक पाहिला का? पूर्ण झालं ‘किसी का भाई किसी की जान’चं शूटिंग
सलमान खानचा नवा लूक पाहिला का? पूर्ण झालं ‘किसी का भाई किसी की जान’चं शूटिंग Kisi Ka Bhai Kisi Ki Jaan Shoot Wrapped: फरहाद सामजी दिग्दर्शित ‘किसी का भाई किसी की जान’ हा सिनेमा याचवर्षी प्रदर्शित होणार होता. परंतु निर्मात्यांनी सलमानची प्रमुख भूमिका असलेल्या या सिनेमाचे प्रदर्शन लांबणीवर टाकले. हा सिनेमा आता २०२३ मध्ये ईदला प्रदर्शित होणार आहे. या सिनेमाचं चित्रीकरण पूर्ण झाल्याची माहिती खुद्द…
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newsdaliy · 2 years
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मोहक वीडियो के साथ सलमान खान 'किसी का भाई किसी की जान' की एक झलक देते हैं | अब देखिए
मोहक वीडियो के साथ सलमान खान ‘किसी का भाई किसी की जान’ की एक झलक देते हैं | अब देखिए
छवि स्रोत: Twitter/BEINGSALMANKHAN ‘किसी का भाई किसी की जान’ में सलमान खान ने दी एक झलक जैसा सलमान खान बॉलीवुड में 34 शानदार साल पूरे करने के बाद, अभिनेता ने अपनी बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ की घोषणा के साथ प्रशंसकों का मनोरंजन किया। फिल्म, जिसमें पूजा हेगड़े भी हैं, पिछले कुछ समय से बन रही है और सुपरस्टार दर्शकों के लिए इसे देखने और आनंद लेने के लिए तैयार है। सोमवार को, सलमान…
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loksutra · 2 years
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27 ऑगस्ट मनोरंजन विश्वातील मोठी बातमी, येथे वाचा बातम्या
27 ऑगस्ट मनोरंजन विश्वातील मोठी बातमी, येथे वाचा बातम्या
27 ऑगस्ट 2022 रोजीच्या मनोरंजन बातम्या: 27 ऑगस्ट रोजी मनोरंजन क्षेत्रातून अनेक रंजक बातम्या समोर आल्या आहेत. शहनाज गिलने त्याच्या इंस्टाग्राम अकाउंटवर एक व्हिडिओ शेअर केला आहे. यामध्ये ती स्टुडिओमध्ये नेहा कक्करचे ‘चलो ले चलें तुम्मे तारों के शहर में’ हे गाणे गात आहे. सोशल मीडिया प्रभावक जस्ट सुल आणि ताजिक गायक अब्दू राजिक सलमान खान स्टारर ‘किसी का भाई किसी का जान’ मध्ये कॅमिओ भूमिकेत दिसणार…
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naveensarohasblog · 1 year
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#गरिमा_गीता_की_Part_121
‘‘मुझ दास (रामपाल दास) को तत्व भेद प्राप्ति’’
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एक दिन इस दास (रामपाल दास) ने अपने पूज्य गुरूदेव स्वामी रामदेवानंद जी से पूछा कि हे गुरूवर! यह सारनाम क्या है? जिसके विषय में बार-बार सतग्रन्थ साहेब तथा परमेश्वर कबीर साहेब जी की वाणी में आता है। तब उन्होंने कहा कि आज तक किसी ने मेरे से इस विषय में नहीं पूछा। लाखों का समूह है। परंतु ये प्रभु नहीं चाहते ये तो माया चाहते हैं या प्रभुत्ता। गुरु जी ने कहा कि आपके दादा गुरु जी ने मुझे कहा था कि आपसे कोई एैसी बात पूछे तो उसे यह वास्तविक मन्त्र तथा सारशब्द का भेद देना। वह पूर्ण संत होगा तथा कबीर परमेश्वर का वास्तविक भक्ति मार्ग प्रारम्भ होगा। ऐसा कह कर पूज्य गुरुदेव स्वामी रामदेवानन्द जी महाराज ने उनके पास उपस्थित संगत को अपनी कुटिया से बाहर कर दिया तथा सर्व भेद समझाया और कहा कि रामपाल तेरे समान संत इस पृथ्वी पर नहीं होगा। मुझे तेरा ही इंतजार था। सतलोक प्रस्थान करने से पूर्व सर्व आश्रम त्याग कर मुझ दास के पास जीन्द(हरियाणा) कुटिया में स्वामी जी चालीस दिन रहे तथा कहा कि किसी को नहीं बताना कि मैंने तेरे को सारनाम तथा सारशब्द दिया है। क्योंकि तेरे दादा गुरु जी की आज्ञा थी कि जो शिष्य सारशब्द के विषय में पूछे केवल उसी को बताना। वह एक ही होगा। अन्य को सारशब्द नहीं देना। इसलिए अन्य जो शिष्य हैं वे अधिकारी नहीं हैं। उन्हें पता चलेगा तो वे द्वेष करेंगे तथा पाप के भागी हो जाएंगे। यदि ये सर्व इसी जन्म में या अगले जन्मों में तेरे (रामपाल दास के) बनेंगे तो इनका उद्धार होगा।
मुझ दास के पास चालीस दिन जीन्द कुटिया में ठहर कर स्वामी जी 24 जनवरी 1997 को पंजाब में बने आश्रम कस्बा तलवण्डी भाई में गए। वहाँ पर 26 जनवरी 1997 को सुबह 10 बजे सतलोक प्रस्थान किया। सन् 1994 को मुझ दास को नाम दान करने का आदेश दिया तथा अपने सर्व शिष्यों से कह दिया कि आज के बाद यह रामपाल ही तुम्हारा गुरु है। आज के बाद मैं तुम्हारा गुरु नहीं हूँ। जिसने कल्याण करवाना हो, इस रामपाल से उपदेश प्राप्त करो। इन शब्दों द्वारा पूज्य गुरुदेव ने भी नकली शिष्यों का भार अपने सिर से डाल दिया। यह सारशब्द अभी तक पू���्ण रूप से गुप्त रखना था।
पूज्य गुरुदेव के सतलोक सिधारने के पश्चात् यह दास(रामपाल दास) बहुत अकेलापन महसूस करने लगा। बहुत चिंतित रहने लगा। अब मेरे साथ कौन रहेगा ? मैं क्या करूँ ? इतनी बड़ी जिम्मेवारी को यह अकेला दास कैसे निभा पाएगा ? परमेश्वर कबीर साहेब जी ने सारनाम व शब्द देना मना किया हुआ है। मेरी यह चिंता गहन होने लगी। मार्च 1997 में फाल्गुन शुक्ल एकम संवत् 2054 को दिन के दस बजे परमेश्वर कबीर साहेब जी अपने वास्तविक रूप में मुझे मिले तथा कहा कि चिंता मत कर, मैं तेरे साथ हूँ। अब सारनाम तथा सारशब्द प्रदान करने का समय आ गया है तथा कहा कि संत गरीबदास से भी मैंने ही कहा था कि आप की परम्परा में केवल एक संत को सारनाम व शब्द बताना है। उसे कसम दिलाना है कि केवल एक ही शिष्य को वह भी सारनाम व शब्द बताए जो ऐसे प्रश्न पूछे। यह परम्परा संत गरीबदास जी से संत शीतल दास जी को तथा अब केवल तेरे(रामपाल दास) तक पहूँची है। यह रहस्य जान बूझ कर रखा था। कहा पुत्र निश्ंिचत हो कर मेरा गुनगान कर। अब सारी पृथ्वी पर तत्व ज्ञान फैलेगा। परमेश्वर कबीर साहेब जी ने कहा कि अभी किसी से मत कहना कि मुझे कबीर प्रभु मिले थे। आप पर कोई विश्वास नहीं करेगा। तुझे कुछ समय उपरांत फिर मिलूँगा। परमेश्वर कबीर साहेब जी दास को समय-समय पर दर्शन देकर कृत्यार्थ करते रहते हैं। अब परमेश्वर का स्पष्ट संकेत हो गया है। इसलिए दास वर्णन कर रहा है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि आदरणीय गरीबदास जी की वाणी “सुमरण का अंग” में लिखा है कि ‘सोहं ऊपर और है, सत सुकृत एक नाम‘। जो अभी तक संत गरीबदास पंथ में उस सारनाम का ज्ञान नहीं था। अब इस दास (रामपाल दास) से विमुख हुए गुरु द्रोही ही उन्हें बताने लगे हैं। लेकिन अब शिक्षित समाज है, इनकी दाल नहीं गलने देगा। कुछे बातें ऐसी होती हैं जो गुप्त रखनी होती है। परमेश्वर कबीर साहेब जी ने स्वामी रामानन्द जी को भी यही कसम दिलाई थी कि मेरा भेद मत देना।
आप मेरे गुरु बने रहो तथा संत धर्मदास जी को भी यही कहा था कि -
“गुप्त कल्प तुम राखो मोरी, देऊं मकरतार की डोरी”
भावार्थ है कि अन्य किसी को मेरे विषय में मत बताना। क्योंकि कोई आप पर विश्वास नहीं करेगा और जो भक्ति मार्ग मैं तुझे बता रहा हूँ यह किसी को मत बताना। मैं तुझे सतलोक जाने की वह(मकरतार अर्थात् मकड़ी के तार की तरह अभेद भक्ति मार्ग जिस के सहारे प्राणी भ्रमित न होकर सतलोक चला जाता है वह प्रभु पाने की) विशेष विधि बताता हूँ जिसके द्वारा आप सतलोक पहुँच जाओगे। परमेश्वर कबीर साहेब जी ने अपने प्रिय शिष्य धर्मदास जी साहेब से कहा था कि यह सारशब्द मैं तुझे प्रदान करता हूँ। परंतु आप यह सारशब्द अन्य किसी को नहीं देना। तुझे लाख दुहाई है अर्थात् सख्त मना है। यदि यह सारशब्द किसी अन्य के हाथ में पड़ गया तो आने वाले समय में जो बिचली(मध्य वाली) पीढ़ी पार नहीं हो पावेगी। धर्मदास जी ने शपथ ली थी कि प्रभु आपके आदेश की अवहेलना कभी नहीं होगी। इसलिए धर्मदास जी ने अपने किसी भी वंशज को यह वास्तविक नाम जाप तथा सारशब्द नहीं बताया। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि संत धर्मदास जी ने पुरी(जगन्नाथ पुरी) में शरीर त्यागा। जहाँ कबीर परमश्वेर ने एक पत्थर चैरा(चबुतरा) जिस पर बैठ कर समुंद्र को रोक कर श्री जगन्नाथ जी के मन्दिर की रक्षा की थी। संत धर्मदास जी तथा धर्मपत्नी भक्तमति आमिनी देवी दोनों की यादगार वहाँ पुरी में बनी है। यह दास कई सेवकों सहित इस तथ्य को आँखों देख कर आया है। बाद में श्री चुड़ामणी जी को (जो संत धर्मदास जी को कबीर परमेश्वर की कृपया से नेक संतान प्राप्त हुई थी।) कबीर परमेश्वर जी ने धर्मदास जी पुत्र चूड़ामणी जी को केवल प्रथम मन्त्र जो सात नामों का है, प्रदान किया। वह प्रथम वास्तविक नाम भी धर्मदास की सातवीं पीढ़ी में काल का दूत महंत बना उसने काल के बारह पंथों में एक टकसारी पंथ भी है, उसके प्रवर्तक की बातों में आकर प्रथम नाम छोड़कर जो वर्तमान में दामाखेड़ा (छत्तीसगढ़) की गद्दी वाले महंत एक पूरा श्लोक अजर नाम, अमर नाम पाताले सप्त सिंधु नाम दीक्षा में देते हैं, नामदान करने प्रारम्भ कर दिये। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि श्री चूड़ामणी जी की महंत परम्परा में यह वास्तविक मंत्र नहीं दिया जाता केवल मनमुखी नाम दिए जाते हैं जो अजर नाम, अमर नाम, पाताले सप्त सिंधु नाम, आदि... हैं। इससे सिद्ध हुआ कि यह भी मनमुखी साधना तथा गद्दी
परम्परा चला रहे हैं।
सतलोक आश्रम बरवाला (हिसार) में मुझ दास(रामपाल दास) से उपदेश लेने से सर्व सुख व लाभ भी प्राप्त होंगे तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त होगा। कहते हैं - आम के आम, गुठलियों के दाम।
कृप्या निःशुल्क प्राप्त करें।
गरीब, समझा है तो शिर धर पाव। बहुर नहीं है ऐसा दाव।।
मुझ दास की प्रार्थना है कि मानव जीवन दुर्लभ है, इसे नादान संतों, महंतों व आचार्यों, महर्षियों तथा पंथों के पीछे लग कर नष्ट नहीं करना चाहिए। पूर्ण संत की खोज करके उपदेश प्राप्त करके आत्म कल्याण करवाना ही श्रेयकर है। सर्व पवित्र सद्ग्रन्थों के अनुसार अर्थात् शास्त्र अनुकूल यथार्थ भक्ति मार्ग मुझ दास(रामपाल दास) के पास उपलब्ध है। कृपया निःशुल्क प्राप्त करें।
सर्व पवित्र धर्मों की पवित्र आत्माऐं तत्वज्ञान से अपरिचित हैं। जिस कारण नकली गुरुओं, संतों, महंतों तथा ऋषियों तथा पंथों का दाव लगा हुआ है। जिस समय पवित्र भक्त समाज आध्यात्मिक तत्वज्ञान से परिचित हो जाएगा उस समय इन नकली संतों, गुरुओं व आचार्यों को छुपने का स्थान नहीं मिलेगा। सर्व प्रभु प्रेमियों का शुभ चिन्तक तथा दासों का भी दास।
“सत् साहेब”
संत रामपाल दास
सतलोक आश्रम बरवाला, जिला हिसार (हरियाणा)।
दूरभाष: 8222880541ए 8222880542
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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santram · 2 years
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कबीर बड़ा या कृष्ण Part 46
‘‘श्राद्ध करने की श्रेष्ठ विधि’’
श्री विष्णु पुराण के तीसरे अंश में अध्याय 15 श्लोक 55.56 पृष्ठ 153 पर लिखा है कि श्राद्ध के भोज में यदि एक योगी यानि शास्त्रोक्त साधक को भोजन करवाया जाए तो श्राद्ध भोज में आए हजार ब्राह्मणों तथा यजमान के पूरे परिवार सहित तथा सर्व पितरों का उद्धार कर देता है।
विवेचन:- मेरे (लेखक के) तत्वज्ञान को सुन-समझकर भक्त दीक्षा लेकर साधना करते हैं। ये योगी यानि शास्त्रोक्त साधक हैं। हम सत्संग समागम करते हैं। उसमें भोजन-भण्डारा (लंगर) भी चलाते हैं। जो व्यक्ति उस भोजन-भण्डारे में दान करता है। उससे बने भोजन को योगी यानि मेरे शिष्य तथा यह दास (लेखक) सब खाते हैं। यह दास (लेखक) सत्संग सुनाकर नए व्यक्तियों को यथार्थ भक्ति ज्ञान बताता है। शास्त्रों के प्रमाण प्रोजेक्टर पर दिखाता है। जिस कारण से श्रोता शास्त्र विरूद्ध साधना त्यागकर शास्त्रोक्त साधना करते हैं। इस प्रकार उस परिवार का उद्धार हुआ। उनके द्वारा दिए दान से बने भोजन को भक्तों ने खाया। इससे पितरों का उद्धार हुआ। पितर जूनी छूटकर अन्य जन्म मिल जाता है। सत्संग में यदि हजार ब्राह्मण भी उपस्थित हों तो वे भी सत्संत सुनकर शास्त्र विरूद्ध साधना त्यागकर अपना कल्याण करवा लेंगे। जैसे आप जी ने पहले पढ़ा कि कबीर जी ने गंगा के तट पर ब्राह्मणों को ज्ञान देकर उनकी शास्त्रा विरूद्ध साधना को गलत सिद्ध करके सत्य साधना के लिए प्रेरित किया। उन ब्राह्मणों ने सतगुरू कबीर जी से दीक्षा लेकर अपना कल्याण करवाया। अन्य साधना जो शास्त्रों के विरूद्ध थी, त्याग दी। सुखी हुए।
दास की प्रार्थना है कि वर्तमान में मानव समाज शिक्षित है, वह अवश्य ध्यान दे तथा शास्त्र विधि अनुसार साधना करके पूर्ण परमात्मा के सनातन परमधाम (शाश्वतम् स्थानम्) अर्थात् सतलोक को प्राप्त करे जिससे पूर्ण मोक्ष तथा परम शान्ति प्राप्त होती है।(गीता अध्याय 15 श्लोक 4 तथा अध्याय 18 श्लोक 62 में जिसको प्राप्त करने के लिए कहा है।) इसके लिए तत्वदर्शी संत की तलाश करो। (गीता अध्याय 4 श्लोक 34 )
एक श्रद्धालु ने कहा कि मैं आप से उपदेश लेकर आप द्वारा बताई साधना भी करता रहूँगा तथा श्राद्ध भी निकालता रहूँगा तथा अपने घरेलू देवी-देवताओं को भी उपरले मन से पूजता रहूँगा। इसमें क्या दोष है?
मुझ दास की प्रार्थना:- संविधान की किसी भी धारा का उल्लंघन कर देने पर सजा अवश्य मिलेगी। इसलिए पवित्रा गीता जी व पवित्रा चारों वेदों में वर्णित व वर्जित विधि के विपरीत साधना करना व्यर्थ है। (प्रमाण पवित्रा गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23-24 में) यदि कोई कहे कि मैं कार में पैंचर उपरले मन से कर दूंगा। नहीं, राम नाम की गाड़ी में पैंचर करना मना है। ठीक इसी प्रकार शास्त्र विरुद्ध साधना हानिकारक ही है।
एक श्रद्धालु ने कहा कि मैं और कोई विकार (मदिरा-मास आदि सेवन) नहीं करता। केवल तम्बाखू (बीड़ी-सिगरेट-हुक्का) सेवन करता हूँ। आपके द्वारा बताई पूजा व ज्ञान अति उत्तम है। मैंने गुरु जी भी बनाया है, परन्तु यह ज्ञान आज तक किसी संत के पास नहीं है, मैं 25 वर्ष से घूम रहा हूँ तथा तीन गुरुदेव बदल चुका हूँ। कृप्या मुझे तम्बाखू सेवन की छूट दे दो, शेष सर्व शर्ते मंजूर हैं। तम्बाखू से भक्ति में क्या बाधा आती है?
लेखक की प्रार्थना:- दास ने प्रार्थना की कि अपने शरीर को आॅक्सीजन की आवश्यकता है। तम्बाखू का धुआँ कार्बन-डाई-आॅक्साइड है जो फेफड़ों को कमजोर व रक्त दूषित करता है। मानव शरीर प्रभु प्राप्ति व आत्म कल्याण के लिए ही प्राप्त हुआ है। इसमें परमात्मा पाने का रस्ता सुष्मना नाड़ी से प्रारम्भ होता है। जो नाक के दोनों छिद्र हैं उन्हें दायें को ईड़ा तथा बाऐं को पिंगुला कहते हैं। इन दोनों के मध्य में सुष्मणा नाड़ी है जिसमें एक छोटी सूई में धागा पिरोने वाले छिद्र के समान द्वार होता है जो तम्बाखू के धुऐं से बंद हो जाता है। जिससे प्रभु प्राप्ति के मार्ग में अवरोध हो जाता है। यदि प्रभु पाने का रस्ता ही बन्द हो गया तो मानव शरीर व्यर्थ हुआ। इसलिए प्रभु भक्ति करने वाले साधक के लिए प्रत्येक नशीले व अखाद्य (माँस आदि) पदार्थों का सेवन निषेध है।
एक श्रद्धालु ने कहा कि मैं तम्बाखु प्रयोग नहीं करता। माँस व मदिरा सेवन जरूर करता हूँ। इससे भक्ति में क्या बाधा है? यह तो खाने-पीने के लिए ही बनाई है तथा पेड़-पौधों में भी तो जीव है, वह खाना भी तो मांस भक्षण तुल्य ही है।
दास की प्रार्थना:- यदि कोई हमारे माता-पिता-भाई-बहन व बच्चों आदि को मारकर खाए तो कैसा लगे?
जैसा दर्द आपने होवै, वैसा जान बिराने।
कहै कबीर वे जाऐं नरक में, जो काटें शिश खुरांनें।।
जो व्यक्ति पशुओं को मारते समय खुरों तथा शीश को बेरहमी से काट कर माँस खाते हैं, वे नरक के भागी होंगे। जैसा दुःख अपने बच्चों व सम्बन्धियों की हत्या का होता है, ऐसा ही दूसरे को जानना चाहिए। रही बात पेड़-पौधों को खाने की। इनको खाने का प्रभु का आदेश है तथा ये जड़ जूनी के हैं। अन्य चेतन प्राणियों का वध प्रभु आदेश विरुद्ध है, इसलिए अपराध (पाप) है। मदिरा सेवन भी प्रभु आदेश नहीं है, परन्तु स्पष्ट मना है तथा मानव जीवन को बर्बाद करने का है। शराब पान किया हुआ व्यक्ति कुछ भी गलती कर सकता है। मदिरा पान धन-तन व पारिवारिक शान्ति तथा समाज सभ्यता की महाशत्रु है। प्यारे बच्चों के भावी चरित्र पर कुप्रभाव पड़ता है। मदिरा पान करने वाला व्यक्ति कितना ही नेक हो परन्तु उसकी न तो इज्जत रहती है तथा न ही विश्वास।
एक समय यह दास एक गाँव में सत्संग करने गया हुआ था। उस दिन नशा निषेध पर सत्संग किया। सत्संग के उपरान्त एक ग्यारह वर्षीय कन्या फूट-फूट कर रोने लगी। पूछने पर उस बेटी ने बताया कि महाराज जी मेरे पिता जी पालम हवाई अड्डे पर बढ़िया नौकरी करते हैं। परन्तु सर्व पैसे की शराब पी जाते हैं। मेरी मम्���ी के मना करने पर इतना पीटते हैं कि शरीर पर नीले दाग बन जाते हैं। एक दिन मेरे पापा जी मेरी मम्मी को पीटने लगे। मैं अपनी मम्मी के ऊपर गिर कर बचाव करने लगी तो मुझे भी पीटा। मेरा होंठ सूज गया। दस दिन में ठीक हुआ। मेरी मम्मी जी हमें छोड़ कर मेरे मामा जी के घर चली गई। छः महीने में मेरी दादी जी जाकर लाई। तब तक हम अपनी दादी जी के पास रहे। पापा जी ने दवाई भी नहीं दिलाई। सुबह शीघ्र ही उठकर नौकर पर चला गया। शाम को शराब पीकर आता। हम तीन बहनें हैं, दो मेरे से छोटी हैं। अब जब पापा जी शाम को आते हैं तो हम तीनों बहनें चारपाई के नीचे छुप जाती हैं।
विचार करो पुण्यात्माओं! जिन बच्चों को पिताजी ने सीने से लगाना चाहिए था तथा बच्चे पिता जी के घर आने की राह देखते हैं कि पापा जी घर आयेंगे, फल लायेंगे। आज इस मानव समाज की दुश्मन शराब ने क्या घर घाल दिए? शराबी व्यक्ति अपनी तो हानि करता है साथ में बहुत व्यक्तियों की आत्मा दुःखाने का भी पाप सिर पर रखता है। जैसे पत्नी के दुःख में उसके माता-पिता, बहन-भाई दुःखी, फिर स्वयं के माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी आदि परेशान। एक शराबी व्यक्ति आस-पास के भद्र व्यक्तियों की अशान्ति का कारण बनता है क्योंकि घर में झगड़ा करता है। पत्नी व बच्चों की चिल्लाहट सुनकर पड़ौसी बीच-बचाव करें तो शराबी गले पड़ जाऐ, नहीं करें तो नेक व्यक्तियों को नींद नहीं आए। इस दास से उपदेश लेने के उपरान्त प्रतिदिन शराब पीने वाले लगभग एक लाख व्यक्तियों ने सर्व नशीले पदार्थ व मांस भक्षण पूर्ण रूप से त्याग दिया है तथा जिस समय शाम को शराब प्रेतनी का नृत्य होता था, अब वे पुण्यात्मायें अपने बच्चों सहित बैठकर संध्या आरती करते हैं। हरियाणा प्रदेश व निकटवर्ती प्रान्तों में लगभग दस हजार गाँवों व शहरों में आज भी प्रत्येक में चार -पाँच चैम्पियन (एक नम्बर के शराबी) उदाहरण हैं जो सर्व विकारों से रहित होकर अपना मानव जीवन सफल कर रहे हैं। कुछ कहते हैं कि हम इतनी नहीं पीते-खाते, बस कभी ले लेते हैं। जहर तो थोड़ा ही बुरा है, जो भक्ति व मुक्ति में बाधक है।
मान लिजिए दो किलो ग्राम घी का हलवा बनाया (सतभक्ति की)। फिर 250 ग्राम बालु रेत(तम्बाखु-मांस-मदिरा सेवन व आन उपासना कर ली) भी डाल दिया। वह तो किया कराया व्यर्थ हुआ। इसलिए पूर्ण परमात्मा (परम अक्षर ब्रह्म) की पूजा पूर्ण संत से प्राप्त करके आजीवन मर्यादा में रहकर करते रहने से ही पूर्ण मोक्ष लाभ होता है।
उपरोक्त प्रमाणों को पढ़कर बुद्धिजीवी समाज विचार करे और अंध श्रद्धा भक्ति त्यागकर सत्य श्रद्धा करके जीवन धन्य बनाऐं।
दास (लेखक) के परमार्थी प्रयत्न को आलोचना न समझें। मेरा उद्देश्य आप जी को शास्त्रोक्त भक्ति साधना बताकर आपके ऊपर भविष्य में आने वाले पर्वत जैसे कष्ट (चैरासी लाख प्रकार के प्राणियों के शरीरों में कष्ट उठाने तथा नरक जाने से) से बचाना है। मेरे अनुयाई इस तत्वज्ञान से परिचित हैं। वे भी आप तक मेरे द्वारा लिखी पुस्तक पहुँचाकर आपके भविष्य को सुखी बनाने के उद्देश्य से वितरित करते हैं। परंतु कुछ धर्मोंन्ध व्यक्ति अपने स्वार्थवश आप और परमेश्वर के बीच में दीवार बनकर खड़े हैं। मेरे को तथा मेरे अनुयाईयों पर झूठे आरोप लगाकर बदनाम करते हैं।
आप जी अपनी आँखों प्रमाण देखो और सत्य की राह पकड़ो। हमारा उद्देश्य है कि हम संसार के लोगों को बुराईयों-कुरीतियों से दूर करके सुखी देखना चाहते हैं। हम अपना प्रयत्न जारी रखेंगे। आप कब समझेंगे? इंतजार करेंगे।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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anitadasisworld · 2 years
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#कबीर_बड़ा_या_कृष्ण_Part98
‘‘शेष कथा‘‘
श्री कृष्ण भगवान ने अपनी शक्ति से युधिष्ठिर को उन सर्व महा मण्डलेश्वरों के आगे होने वाले जन्म दिखाए जिसमें किसी ने कैंचवे का, किसी ने भेड़-बकरी, भैंस व शेर आदि के रूप धारण किए थे। यह सब देख कर युधिष्ठिर ने कहा - हे भगवन! फिर तो पृथ्वी संत रहित हो गई है।। भगवान कृष्ण जी ने कहा जब पृथ्वी संत रहित हो जाएगी तो यहाँ आग लग जाएगी। सर्व जीव-जन्तु आपस में लड़ मरेंगे। यह तो पूरे संत की शक्ति से सन्तुलन बना रहता है। समय-समय पर मैं (भगवान विष्णु) पृथ्वी पर आ कर राक्षस वृत्ति के ��ोगों को समाप्त करता हूँ जिससे संत सुखी हो जाते है। जिस प्रकार जमींदार अपनी फसल से हानि पहुँचने वाले अन्य पौधों को जो झाड़-खरपतवार आदि को काट-काट कर बाहर डाल देता है तब वह फसल स्वतन्त्रता पूर्वक फलती-फूलती है। यानी ये संत उस फसल में सिचांई का सुख प्रदान करते हैं। पूर्ण संत सबको समान सुख देते हैं। जिस प्रकार वर्षा व सिंचाई का जल दोनों प्रकार के पौधों (फसल व खरपतवार) का पोषण करते हैं। उनमें सर्व जीव के प्रति दया भाव होता है। अब मैं आपको पूर्ण संत के दर्शन करवाता हूँ। एक महात्मा काशी में रहते हैं। उसको बुलवाना है। तब युधिष्ठिर ने कहा कि उस ओर संतों को आमन्त्रिात करने का कार्य भीमसेन को सौंपा था। पूछते हैं कि वह उन महात्मा तक पहुँचा या नहीं। भीमसेन को बुलाकर पूछा तो उसने बताया कि मैं उस से मिला था। उनका नाम स्वपच सुदर्शन है। बाल्मीकि जाति में गृहस्थी संत हैं। एक झौंपड़ी में रहता है। उन्होंने यज्ञ में आने से मना कर दिया। इस पर श्री कृष्ण जी ने कहा कि संत मना नहीं किया करते। सर्व वार्ता जो उनके साथ हुई है वह बताओ।
तब भीम सेन ने आगे बताया कि मैंने उनको आमन्त्रिात करते हुए कहा कि हे संत परवर ! हमारी यज्ञ में आने का कष्ट करना। उनको पूरा पता बताया। उसी समय वे (सुदर्शन संत जी) कहने लगे भीम सैन आप के पाप के अन्न को खाने से संतों को दोष लगेगा। करोड़ों सैनिकों की हत्या करके आपने तो घोर पाप कर रखा है। आज आप राज्य का आनन्द ले रहे हो। युद्ध में वीरगति को प्राप्त सैनिकों की विधवा पत्नी व अनाथ बच्चे ��ह-रह कर अपने पति व पिता को याद करके फूट-फूट कर घंटों रोते हैं। बच्चे अपनी माँ से लिपट कर पूछ रहे हैं - माँ, पापा छुट्टी नहीं आए? कब आएंगे? हमारे लिए नए वस्त्र लाएंगे। दूसरी लड़की कहती है कि मेरे लिए नई साड़ी लाएंगे। बड़ी होने पर जब मेरी शादी होगी तब मैं उसे बाँधकर ससुराल जाऊँगी। वह लड़का (जो दस वर्ष की आयु का है) कहता है कि मैं अब की बार पापा (पिता जी) से कहूँगा कि आप नौकरी पर मत जाना। मेरी माँ तथा भाई-बहन आपके बिना बहुत दुःख पाते हैं। माँ तो सारा दिन-रात आपकी याद करके जब देखो एकांत स्थान पर रो रही होती है। या तो हम सबको अपने पास बुला लो या आप हमारे पास रहो। छोड़ दो नौकरी को। मैं जवान हो गया हूँ। आपकी जगह मैं फौज में जा कर देश सेवा करूँगा। आप अपने परिवार में रहो। आने दो पिता जी को, बिल्कुल नहीं जाने दूँगा। (उन बच्चों को दुःखी होने से बचाने के लिए उनकी माँ ने उन्हें यह नहीं बताया कि आपके पिता जी युद्ध में मर चुके हैं क्योंकि उस समय वे बच्चे अपने मामा के घर गए हुए थे। केवल छोटा बच्चा जो डेढ़ वर्ष की आयु का था वही घर पर था। अन्य बच्चों को जान बूझ कर नहीं बुलाया था।) इस प्रकार उन मासूम बच्चों की आपसी वार्ता से दुःखी होकर उनकी माता का हृदय पति की
याद के दुःख से भर आया। उसे हल्का करने के लिए (रोने के लिए) दूसरे कमरे में जा कर फूट-फूट कर रोने लगी। तब सारे बच्चे माँ के ऊपर गिरकर रोने लगे। सम्बन्धियों ने आकर शांत करवाया। कहा कि बच्चों को स्पष्ट बताओ कि आपके पिता जी युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए। जब बच्चों को पता चला कि हमारे पापा (पिता जी) अब कभी नहीं आएंगे तब उस स्वार्थी राजा को कोसने लगे जिसने अपने भाई बटवारे के लिए दुनियाँ के लालों का खून पी लिया। यह कोई देश रक्षा की लड़ाई भी नहीं थी जिसमें हम संतोष कर लेते कि देश के हित में प्राण त्याग दिए हैं। इस खूनी राजा ने अपने ऐशो-आराम के लिए खून की नदी बहा दी। अब उस पर मौज कर रहा है। आगे संत सुदर्शन (सुपच) बता रहे हैं कि भीम ऐसे-2 करोड़ों प्राणी युद्ध की पीड़ा से पीड़ित हैं। उनकी हाय आपको चैन नहीं लेने देगी चाहे करोड़ यज्ञ करो। ऐसे दुष्ट अन्न को कौन खाए ? यदि मुझे बुलाना चाहते हो तो मुझे पहले किए हुए सौ (100) यज्ञों का फल देने का संकल्प करो अर्थात् एक सौ यज्ञों का फल मुझे दो तब मैं आपके भोजन पाऊँ। सुदर्शन जी के मुख से इस बात को सुन कर भीम ने बताया कि मैं बोला आप तो कमाल के व्यक्ति हो, सौ यज्ञों का फल मांग रहे हो। यह हमारी दूसरी यज्ञ है। आपको सौ का फल कैसे दें? इससे अच्छा तो आप मत आना। आपके बिना कौन सी यज्ञ सम्पूर्ण नहीं होगी। जब स्वयं भगवान कृष्ण जी हमारे साथ हैं। तो तेरे न आने से क्या यज्ञ पूर्ण नहीं होगा। सर्व वार्ता सुन कर श्री कृष्ण जी ने कहा भीम संतों के साथ ऐसा आपत्तिजनक व्यवहार नहीं करना चाहिए। सात समुद्रों का अंत पाया जा सकता है परंतु सतगुरु (कबीर साहेब) के संत का पार नहीं पा सकते। उस महात्मा सुदर्शन वाल्मिीकि के एक बाल के समान तीन लोक भी नहीं हैं। मेरे साथ चलो, उस परमपिता परमात्मा के प्यारे हंस को लाने के लिए। तब पाँचों पाण्डव व श्री कृष्ण भगवान स्वपच सुदर्शन की झोंपड़ी की ओर रथ में बैठकर चले। एक योजन अर्थात् 12 किलोमीटर पहले रथ से उतरकर नंगे पैरों चले तथा रथ को खाली लेकर रथवान पीछे-पीछे चला।
उस समय स्वयं कबीर साहेब सुदर्शन सुपच का रूप बना कर झोपड़ी में बैठ गए व सुदर्शन को अपनी गुप्त प्रेरणा से मन में संकल्प उठा कर कहीं दूर के संत या भक्त से मिलने भेज दिया जिसमें आने व जाने में कई रोज लगने थे। तब सुदर्शन के रूप में सतगुरु की चमक व शक्ति देख कर सर्व पाण्डव बहुत प्रभावित हुए। स्वयं श्रीकृष्णजी ने लम्बी दण्डवत् प्रणाम की। तब देखा देखी सर्व पाण्डवों ने भी ऐसा ही किया। कृष्ण जी की तरफ नजर करके सुपच सुदर्शन ने आदर पूर्वक कहा कि - हे त्रिभुवननाथ! आज इस दीन के द्वार पर कैसे? मेरा अहोभाग्य है कि आज दीनानाथ विश्वम्भरनाथ मुझ तुच्छ को दर्शन देने स्वयं चल कर आए हैं। सबको आदर पूर्वक बैठा दिया तथा आने का कारण पूछा। उस समय श्री कृष्ण जी ने कहा कि हे जानी-जान! आप सर्व गति (स्थिति) से परिचित हैं। पाण्डवों ने यज्ञ की है। वह आपके बिना सम्पूर्ण नहीं हो रही है। कृपा इन्हें कृतार्थ करें। उसी समय वहां उपस्थित भीम की ओर संकेत करते हुए सुदर्शन रूप धारी परमेश्वर जी ने कहा कि यह वीर मेरे पास आया था तथा अपनी मजबूरी से इसे अवगत करवाया था। उस समय श्री कृष्ण जी ने कहा कि - हे पूर्णब्रह्म! आपने स्वयं अपनी वाणी में कहा है कि -
‘‘संत मिलन को चालिए, तज माया अभिमान। जो-जो पग आगे धरै, सो-सो यज्ञ समान।।‘‘
आज पांचों पाण्डव राजा हैं तथा मैं स्वयं द्वारिकाधीश आपके दरबार में राजा होते हुए भी नंगे पैरों उपस्थित हूँ। अभिमान का नामों निशान भी नहीं है तथा स्वयं भीम ने भी खड़ा हो कर उस दिन कहे हुए अपशब्दों की चरणों में पड़ कर क्षमा याचना की। श्री कृष्ण जी ने कहा हे नाथ! आज यहाँ आपके दर्शनार्थ आए आपके छः सेवकों के कदमों के यज्ञ समान फल को स्वीकार करते हुए सौ आप रखो तथा शेष हम भिक्षुकों को दान दीजिए ताकि हमारा भी कल्याण हो। इतना आधीन भाव सर्व उपस्थित जनों में देख कर जगतगुरु साहेब करूणामय सुदर्शन रूप में अति प्रसन्न हुए।
कबीर, साधू भूखा भाव का, धन का भूखा नाहिं।
जो कोई धन का भूखा, वो तो साधू नाहिं।।
उठ कर उनके साथ चल पड़े। जब सुदर्शन जी यज्ञशाला में पहुँचे तो चारों ओर एक से एक ऊँचे सुसज्जित आसनों पर विराजमान महा मण्डलेश्वर सुदर्शन जी के रूप व वेश (दोहरी धोती घुटनों से थोड़ी नीचे तक, छोटी-2 दाड़ी, सिर के बिखरे केश न बड़े न छोटे, टूटी-फूटी जूती। मैले से कपड़े, तेजोमय शरीर) को देखकर अपने मन में सोच रहे हैं कि ऐसे अपवित्र व्यक्ति से शंख सात जन्म भी नहीं बज सकता है। यह तो हमारे सामने ऐसे है जैसे सूर्य के सामने दीपक। श्रीकृष्ण जी ने स्वयं उस महात्मा का आसन अपने हाथों लगाया (बिछाया) क्योंकि श्री कृष्ण जी श्रेष्ठ आत्मा हैं। फिर द्रोपदी से कहा कि हे बहन! सुदर्शन महात्मा जी आए हैं, भोजन तैयार करो। बहुत पहुँचे हुए संत हैं। द्रोपदी देख रही है कि संत लक्षण तो एक भी नहीं दिखाई देते हैं। यह तो एक दरिद्र गृहस्थी व्यक्ति है। न तो वस्त्र भगवां, न गले में माला, न तिलक, न सिर पर बड़ी जटा, न मुण्ड ही मुण्डवा रखा और न ही कोई चिमटा, झोली, कमण्डल लिए हुए था। श्री कृष्ण जी के कहते ही स्वादिष्ट भोजन कई प्रकार का बनाकर एक सुन्दर थाल (चांदी का) में परोस कर सुदर्शन जी के सामने रख कर द्रोपदी ने मन में विचार किया कि आज तो यह भक्त भोजन को खाएगा तो ऊँगली चाटता रह जाएगा। जिन्दगी में ऐसा भोजन कभी नहीं खाया होगा।
सुदर्शन जी ने नाना प्रकार के भोजन को थाली में इक्ट्ठा किया तथा खिचड़ी सी बनाई। उस समय द्रौपदी ने देखा कि इसने तो सारा भोजन (खीर, खांड, हलुवा, सब्जी, दही, दही-बड़े आदि) घोल कर एक कर लिया। तब मन में दुर्भावना पूर्वक विचार किया कि इस मूर्ख हब्शी ने तो खाना खाने का भी ज्ञान नहीं। यह काहे का संत? कैसा शंख बजाएगा। (क्योंकि खाना बनाने वाली स्त्री की यह भावना होती है कि मैं ऐसा स्वादिष्ट भोजन बनाऊँ कि खाने वाला मेरे भोजन की प्रशंसा कई जगह करे)। प्रत्येक बहन की यही आशा होती है।
{वह बेचारी एक घंटे तक धुएँ से आँखें खराब करे और मेरे जैसा कह दे कि नमक तो है ही नहीं, तब उसका मन बहुत दुःखी होता है। इसलिए संत जैसा मिल जाए उसे खा कर सराहना ही करते हैं। यदि कोई न खा सके तो नमक कह कर ‘संत‘ नहीं मांगता। संतों ने नमक का नाम राम-रस रखा हुआ है। कोई ज्यादा नमक खाने का अभ्यस्त हो तो कहेगा कि भईया- रामरस लाना। घर व���लों को पता ही न चले कि क्या मांग रहा है? क्योंकि सतसंग में सेवा में अन्य सेवक ही होते हैं। न ही भोजन बनाने वालों को दुःख हो। एक समय एक नया भक्त किसी सतसंग में पहली बार गया। उसमें किसी ने कहा कि भक्त जी रामरस लाना। दूसरे ने भी कहा कि रामरस लाना तथा थोड़ा रामरस अपनी हथेली पर रखवा लिया। उस नए भक्त ने खाना खा लिया था। परंतु पंक्ति में बैठा अन्य भक्तों के भोजन पाने का इंतजार कर रहा था कि इकट्ठे ही उठेंगे। यह भी एक औपचारिकता सतसंग में होती है। उसने सोचा रामरस कोई खास मीठा खाद्य पदार्थ होगा। यह सोच कर कहा मुझे भी रामरस देना। तब सेवक ने थोड़ा सा रामरस (नमक) उसके हाथ पर रख दिया। तब वह नया भक्त बोला - ये के कान कै लाना है, चैखा सा (ज्यादा) रखदे। तब उस सेवक ने दो तीन चमच्च रख दिया। उस नए भक्त ने उस बारीक नमक को कोई खास मीठा खाद्य प्रसाद समझ कर फांका मारा। तब चुपचाप उठा तथा बाहर जा कर कुल्ला किया। फिर किसी भक्त से पूछा रामरस किसे कहते हैं? तब उस भक्त ने बताया कि नमक को रामरस कहते हैं। तब वह नया भक्त कहने लगा कि मैं भी सोच रहा था कि कहें तो रामरस परंतु है बहुत खारा। फिर विचार आया कि हो सकता है नए भक्तों पर परमात्मा प्रसन्न नहीं हुए हों। इसलिए खारा लगता हो। मैं एक बार फिर कोशिश करता, अच्छा हुआ जो मैंने आपसे स्पष्ट कर लिया। फिर उसे बताया गया कि नमक को रामरस किस लिए कहते हैं ?}
सुपच सुदर्शन जी ने थाली वाले मिले हुए उस सारे भोजन को पाँच ग्रास बना कर खा लिया। पाँच बार शंख ने आवाज की। उसके पश्चात् शंख ने आवाज नहीं की।
व्यंजन छतीसों परोसिया जहाँ द्रौपदी रानी। बिन आदर सतकार के, कही श्ंख न बानी।।
पंच गिरासी वाल्मिीकि, पंचै बर बोले। आगे शंख पंचायन, कपाट न खोले।।
बोले कृष्ण महाबली, त्रिभुवन के साजा। बाल्मिक प्रसाद से, कण कण क्यों न बाजा।।
द्रोपदी सेती कृष्ण देव, जब एैसे भाखा। बाल्मिक के चरणों की, तेरे न अभिलाषा।।
प्रेम पंचायन भूख है, अन्न जग का खाजा। ऊँच नीच द्रोपदी कहा, शंख कण कण यूँ नहीं बाजा।।
बाल्मिक के चरणों की, लई द्रोपदी धारा। शंख पंचायन बाजीया, कण-कण झनकारा।।
युधिष्ठर जी श्री कृष्ण जी के पास आए तथा कहा हे भगवन्! आप की कृपा से शंख ने आवाज की है हमारा कार्य पूर्ण हुआ। श्री कृष्ण जी ने सोचा कि इन महात्मा सुदर्शन के भोजन खा लेने से भी शंख अखण्ड क्यों नहीं बजा? फिर अपनी दिव्य दृष्टि से देखा ? तो पाया कि द्रोपदी के मन में दोष है जिस कारण से शंख ने अखण्ड आवाज नहीं की केवल पांच बार आवाज करके मौन हो गया है। श्री कृष्ण जी ने कहा युधिष्ठर यह शंख बहुत देर तक बजना चाहिए तब यज्ञ पूर्ण होगी। युधिष्ठर ने कहा भगवन्! अब कौन संत शेष है जिसे लाना होगा। श्री कृष्ण जी ने कहा युधिष्ठर इस सुदर्शन संत से बढ़कर कोई भी सत्यभक्ति युक्त संत नहीं है। इसके एक बाल समान तीनों लोक भी नहीं हैं। अपने घर में ही दोष है उसे शुद्ध करते हैं। श्री कृष्ण जी ने द्रौपदी से कहा - द्रौपदी, भोजन सब प्राणी अपने-2 घर पर रूखा-सूखा खा कर ही सोते हैं। आपने बढ़िया भोजन बना कर अपने मन में अभिमान पैदा कर लिया। बिना आदर सत्कार के किया हुआ धार्मिक अनुष्ठान (यज्ञ, हवन, पाठ) सफल नहीं होता। आपने इस साधारण से व्यक्ति को क्या समझ रखा है? यह पूर्णब्रह्म हैं। इसके एक बाल के समान तीनों लोक भी नहीं हैं। आपने अपने मन में इस महापुरुष के बारे में गलत विचार किए हैं उनसे आपका अन्तःकरण मैला (मलिन) हो गया है। इनके भोजन ग्रहण कर लेने से तो यह शंख की स्वर्ग तक आवाज जाती तथा सारा ब्रह्मण्ड गूंज उठता। यह केवल पांच बार बोला है। इसलिए कि आपका भ्रम दूर हो जाए क्योंकि और किसी ऋषि के भोजन पाने से तो यह टस से मस भी नहीं हुआ। आप अपना मन साफ करके इन्हें पूर्ण परमात्मा समझकर इनके चरणों को धो कर पीओ, ताकी तेरे हृदय का मैल (पाप) साफ हो जाए।
उसी समय द्रौपदी ने अपनी गलती को स्वीकार करते हुए संत से क्षमा याचना की और सुपच सुदर्शन के चरण अपने हाथों धो कर चरणामृत बनाया। रज भरे (धूलि युक्त) जल को पीने लगी। जब आधा पी लिया तब भगवान कृष्ण जी ने कहा द्रौपदी कुछ अमृत मुझे भी दे दो ताकि मेरा भी कल्याण हो। यह कह कर कृष्ण जी ने द्रौपदी से आधा बचा हुआ चरणामृत पीया। उसी समय वही पंचायन शंख इतने जोरदार आवाज से बजा कि स्वर्ग तक ध्वनि सुनि। तब पाण्डवों की वह यज्ञ सफल हुई।
प्रमाण के लिए अमृत वाणी
(पारख का अंग)
गरीब, सुपच शंक सब करत हैं, नीच जाति बिश चूक। पौहमी बिगसी स्वर्ग सब, खिले जो पर्वत रूंख।।
गरीब, करि द्रौपदी दिलमंजना, सुपच चरण पी धोय। बाजे शंख सर्व कला, रहे अवाजं गोय।।
गरीब, द्रौपदी चरणामृत लिये, सुपच शंक नहीं कीन। बाज्या शंख अखंड धुनि, गण गंधर्व ल्यौलीन।।
गरीब, फिर पंडौं की यज्ञ में, शंख पचायन टेर। द्वादश कोटि पंडित जहां, पड़ी सभन की मेर।।
गरीब, करी कृष्ण भगवान कूं, चरणामृत स्यौं प्रीत। शंख पंचायन जब बज्या, लिया द्रोपदी सीत।।
गरीब, द्वादश कोटि पंडित जहां, और ब्रह्मा विष्णु महेश। चरण लिये जगदीश कूं, जिस कूं रटता शेष।।
गरीब, वाल्मिीकि के बाल समि, नाहीं तीनौं लोक। सुर नर मुनि जन कृष्ण सुधि, पंडौं पाई पोष।।
गरीब, वाल्मिीकि बैंकुठ परि, स्वर्ग लगाई लात। शंख पचायन घुरत हैं, गण गंर्धव ऋषि मात।।
गरीब, स्वर्ग लोक के देवता, किन्हैं न पूर्या नाद। सुपच सिंहासन बैठतैं, बाज्या अगम अगाध।।
गरीब, पंडित द्वादश कोटि थे, सहिदे से सुर बीन। संहस अठासी देव में, कोई न पद में लीन।
गरीब, बाज्या शंख स्वर्ग सुन्या, चैदह भवन उचार। तेतीसौं तत्त न लह्या, किन्हैं न पाया पार।।
।। अचला का अंग।।
गरीब, पांचैं पंडौं संग हैं, छठ्ठे कृष्ण मुरारि। चलिये हमरी यज्ञ में, समर्थ सिरजनहार।।97।।
गरीब, सहंस अठासी ऋषि जहां, देवा तेतीस कोटि। शंख न बाज्या तास तैं, रहे चरण में लोटि।।98।।
गरीब, सुपच रूप धरि आईया, सतगुरु पुरुष कबीर। तीन लोक की मेदनी, सुर नर मुनिजन भीर।।99।।
गरीब, पंडित द्वादश कोटि हैं, और चैरासी सिद्ध। शंख न बाज्या तास तैं, पिये मान का मध।।100।।
गरीब, पंडौं यज्ञ अश्वमेघ में, सतगुरु किया पियान। पांचैं पंडौं संग चलैं, और छठा भगवान।।101।।
गरीब, सुपच रूप धरि आईया, सब देवन का देव। कृष्णचन्द्र पग धोईया, करी तास की सेव।।102।।
गरीब, सुपच रूप को देखि करि, द्रौपदी मानी शंक। जानि गये जगदीश गुरु, बाजत नाहीं शंख।।103।।
गरीब, छप्पन भोग संजोग करि, कीनें पांच गिरास। द्रौपदी के दिल दुई हैं, नाहीं दृढ़ विश्वास।।104।।
गरीब, पांचैं पंडौं यज्ञ करी, कल्पवृक्ष की छांहिं। द्रौपदी दिल बंक हैं, कण कण बाज्या नांहि।।105।।
गरीब, छप्पन भोग न भोगिया, कीन्हें पंच गिरास। खड़ी द्रौपदी उनमुनी, हरदम घालत श्वास।।107।।
गरीब, बोलै कृष्ण महाबली, क्यूं बाज्या नहीं शंख। जानराय जगदीश गुरु, काढत है मन बंक।।108।।
गरीब, द्रौपदी दिल कूं साफ करि, चरण कमल ल्यौ लाय। वाल्मिीकि के बाल सम, त्रिलोकी नहीं पाय।।109।।
गरीब, चरण कमल कूं धोय करि, ले द्रौपदी प्रसाद। अंतर सीना साफ होय, जरैं सकल अपराध।।110।।
गरीब, बाज्या शंख सुभान गति, कण कण भई अवाज। स्वर्ग लोक बानी सुनी, त्रिलोकी में गाज।।111।।
गरीब, पंडौं यज्ञ अश्वमेघ में, आये नजर निहाल। जम राजा की बंधि में, खल हल पर्या कमाल।।113।।
‘‘अन्य वाणी सतग्रन्थ से’’
तेतीस कोटि यज्ञ में आए सहंस अठासी सारे। द्वादश को��ि वेद के वक्ता, सुपच का शंख बज्या रे।।
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sandipdoke · 2 years
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Kabir Saheb Prakat Divas कबीर साहेब जी को जनसाधारण, एक संत, कवि मानता है जब कि वे वास्तव में पूर्ण परमात्मा हैं जो अपने ऋतधाम (सतलोक) से आकर, अपने सत्य ज्ञान का प्रचार शब्दों, दोहों, साखियों, कविताओं के माध्यम से करते हैं। परमेश्वर कबीर साहेब सशरीर गुरु, संत या अवतार (संदेशवाहक) के रूप में आते हैं तथा कुछ समय संसार में मानव जैसा जीवन जीकर दिखाते हैं। उस समय चल रहे कुभक्ति मार्ग को अपने ज्ञान शब्द-साखियों के माध्यम से प्रमाणित करते हैं। कबीर परमेश्वर सभी धर्मों के लोगों को संदेश देते हुए कहते हैं, हिंदू-मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, आपस में सब भाई-भाई। आर्य-जैनी और बिश्नोई, एक प्रभु के बच्चे सोई।। कबीर परमेश्वर ने कहा है कि, आप हिंदू-मुस्लिम, सिक्‍ख-ईसाई, आर्य- बिश्नोई, जैनी आदि-आदि धर्मों में बंटे हुए हो। लेकिन सच तो यह है कि आप सब एक ही परमात्मा के बच्चे हो। हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना। आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना।। भावार्थ: परमेश्वर कबीर जी कहते हैं कि हिन्दू, राम के भक्त हैं और तुर्क (मुस्लिम) को रहमान प्यारा है। इसी बात पर दोनों लड़-लड़ कर मौत के मुंह में जा पहुंचे, तब भी दोनों में से कोई सच को न जान पाया। हिन्दू मुस्लिम दोनों भुलाने, खटपट मांय रिया अटकी | जोगी जंगम शेख सेवड़ा, लालच मांय रिया भटकी।। भावार्थ- हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही आज ईश्वर-पथ से भटक गए हैं, क्योंकि इन्हें कोई सही रास्ता बताने वाला नहीं है। पंडित, मौलवी, योगी और फ़क़ीर सब सांसारिक मोह-माया और धन के लालच में फंसे हुए हैं। वास्तविक ईश्वर-पथ का ज्ञान जब उन्हें खुद ही नहीं है तो वो आम लोगों को क्या कराएंगे। जब कि वास्तव में, "जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा, हिन्दू,मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।" हम सभी की जीव जाति है यानी हम सभी परमात्मा की प्यारी जीव आत्माएं है और सर्व प्रथम हमारा मानव धर्म ही सबसे बड़ा धर्म है। चाहे आज हम तत्वज्ञान के अभाव में अज्ञानता वश किसी भी जाति या धर्म में क्यों ना बंटे हुए हो। वास्तव में हम सभी एक ही परमात्मा के बच्चे हैं। #santrampaljimaharaj #KabirlsGod #TrueWayOfWorship #LordKabir #Greatchyren #TRUEGuru #SupremeGod #Sa_news_channel #SANews #SANewsChannel #SaintRampalJi #KabirisGod #Kabir_is_God #god #maharashtra #up #india #photos #photography #SaintRampalJi #spiritualsaintrampalji (at India) https://www.instagram.com/p/Cew845mos4n/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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gurujitmshastri · 17 days
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Today's Horoscope -
मेष (चु, चे, चो, ला, लि, लु, ले, लो, अ):-आज आप अपनी व्यवहार कुशलता से बिगड़े कार्यो को भी बनाने की क्षमता रखेंगे। कार्य क्षेत्र पर जिस काम को हाथ मे लेंगे उसमे निश्चित सफलता मिलेगी। आज के दिन आप अपने हास्य भरे व्यवहार से आस पास का वातावरण खुशनुमा बनाएंगे। व्यवहार में भी नरमी रहने से लोग आपके साथ समय बिताना पसंद करेंगे। आध्यात्मिक पक्ष एवं परोपकार की भावना भी प्रबल रहेगी। धार्मिक क्षेत्र की यात्रा दान पुण्य के अवसर मिलेंगे।
वृषभ (इ, उ, ए, ओ, वा, वि, वु, वे, वो):-कार्य क्षेत्र पर आए अनुबंद हाथ लगेंगे परन्तु लापरवाही के कारण इनसे उचित लाभ नही उठा पाएंगे। आज किसी गलती के कारण आलोचना होगी फिर भी आज आपको कोई कुछ भी कहे जल्दी से बुरा नही मानेंगे। परिजन विशेष कर बुजुर्ग आपकी बेपरवाह प्रवृति से चिंतित रहेंगे। मन मे लंबी यात्रा की योजना बनेगी परन्तु अभी करना आर्थिक एवं शारीरिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है।
मिथुन (का, कि, कु, घ, ङ, छ, के, को ):-आपको अपनी सोच का दायरा बढ़ाना होगा। जो साथी आपसे दूर हो गए हैं उनसे बातचीत करके संबंधों को ठीक करें। आशावादी रहकर अपने रुके हुए कार्यों को गति प्रदान करें। यह आपके कार्य क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में मदद करेगा। परिवारिक सदस्यों के साथ किसी बात को लेकर बहस हो सकती है। छोटी-छोटी समस्याओं को सूझबूझ से सुलझाने की कोशिश करें। किसी भी प्रकार के कानूनी पचड़े से अपने को दूर रखें।
कर्क (हि, हु, हे, हो, डा, डि, डु, डे, डो):-आपके आय के साधनों में बढ़ोतरी होगी। दांपत्य जीवन में पूर्ण भोग करेंगे। प्रेम संबंधों में सफलता मिलेगी। नया प्रेम प्रस्ताव भी मिलेगा। नौकरीपेशा के पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में अच्छी सफलता मिलने के चांस हैं। सारी इच्छाएं पूर्ण होंगी।
सिंह (मा, मि, मु, मे, मो, टा, टि, टु, टे):-धन सम्बन्धी समस्या आज दूर हो सकती हैं। रिश्तों में अपनेपन की कमी रहेगी। संबंधों को समय देने और एक दूसरे की भावनाओं को समझने की आवश्यकता है। प्रेम प्रसंगों के अवसर तो प्राप्त होंगे पर उनसे निश्चित दूरी बनाकर रखें। वैवाहिक संबंध सुखद रहेंगे। किसी मित्र से सहयोग व भावनात्मक संबल मिलेगा।
कन्या (टो, पा, पि, पु, ष, ण, ठ, पे, पो):-आज आप अपने परिवार के प्रति काफी सचेत और जिम्मेदार रहेगें। बड़ा और महत्वपूर्ण फैसले लेने से पहले अपने हितों के विषय में पूरा विचार कर लें। पराक्रम और निष्ठा से किया गया परिश्रम अवश्य लाभकारी होगा। मन में अनेक प्रकार की चिंताओं के बावजूद आज आप अपने परिवार को पूरा समय देंगे। शाम तक आप आराम की जरुरत महसूस करेगें।
तुला (रा, रि, रु, रे, रो, ता, ति, तु, ते):-किसी के मार्गदर्शन से लाभ मिलेगा। नकारात्मक विचारों को अपने पर हावी ना होने दें। ध्यान और योग आपके लिए उत्तम रहेगा। पूराने अधूरे पड़े कार्यों को फिर से शुरू करें, इससे आपको लाभ भी होगा और आत्मविश्वास भी आएगा। परिजनों से आपको सुख और दुख दोनों मिल सकते हैं, इसलिए आप सिर्फ अपने काम पर ध्यान दें।
वृश्चिक (तो, ना, नि, नु, ने, नो, या, यि, यु) :-अपने मजाकिया व्यवहार से आस-पास का वातावरण हल्का बनाएंगे। कुछ व्यर्थ के खर्चे आपके सामने आ सकते हैं। ना चाहते भी धन खर्च करना पड़ सकता है। आज आपका ध्यान मनोरंजन की ओर ज्यादा रहेगा। सेहत में सुधार अनुभव होगा। समाज के उच्चप्रतिष्ठित लोगो से जान पहचान बनेगी। विरोधी भी आज आपकी प्रशंसा करेंगे।
धनु (ये, यो, भा, भि, भु, धा, फा, ढा, भे):-आज आपको अपनी सेहत के प्रति सचेत रहना होगा क्योंकि उसमें कमी आ सकती है। यदि आपको कोई रोग लंबे समय से परेशान कर रहा था, तो उसमें आज वृद्धि हो सकती है। आज आपको अपने किसी परिचित से कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। आज आप अपनी संतान के भविष्य से संबंधित कुछ अहम फैसलों पर निर्णय ले सकते हैं, जिनमें आपको परिवार के लोगों की सलाह की आवश्यकता होगी।
मकर(भो,जा,जि,जु,जे,जो,ख,खि,खु,खे,खो,गा,गि) :- महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करेंगे। जोश में आकर किसी से कोई वादा भी न करें। परिवार और दोस्तों के बीच अच्छा समय बीतेगा। आपके मन सकारात्मक विचार आएंगे और आप अधिक मेहनत भी करेंगे।आप खुद को नई ज्ञान की बातों से अपडेट करेंगे। इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर धन खर्च करेंगे। आपकी दक्षता लोगों को प्रभावित करेगी। आपका प्रदर्शन पहले से बेहतर रहेगा।
कुम्भ (गु, गे, गो, सा, सि, सु, से, सो, दा) :-अपने विचारों को स्पष्ट रखें। अपनी योजनाओं को किसी के सामने ज्यादा जाहिर न करें। मेहमानों के आने से थकान का अनुभव करेंगे। भूमि वाहन इत्यादि की सुख सुविधा प्राप्ति में भी व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। भाई बंधुओं के साथ संबंधों में सुधार होगा। आज का दिन सिद्धिदायक है लेकिन आज किसी भी कार्य को करने से पहले उसकी योजना बनाकर ही करें सफलता निश्चित मिलेगी इसके विपरीत जल्दबाजी में किया कार्य केवल हानि ही कराएगा।
मीन (दि, दु, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, चि) :-अपेक्षित कार्यों में अप्रत्याशित बाधा आ सकती है। तनाव रहेगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। आज का दिन कुछ भावुकता वाला रहेगा। दोपहर के पश्चात आप ऊर्जावान रहेंगे। राजनीति से जुड़े व्यक्तियों के लिए आज का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण साबित होगा। भविष्य में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। ���्रियजनों से कुछ बातों को लेकर तनाव की स्थिति बन सकती है।
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो। समस्या चाहे कैसी भी हो 100% समाधान प्राप्त करे:- स्पेशलिस्ट- मनचाही लव मैरिज करवाना, पति या प्रेमी को मनाना, कारोबार का न चलना, धन की प्राप्ति, पति पत्नी में अनबन और गुप्त प्रेम आदि समस्याओ का समाधान। एक फोन बदल सकता है आपकी जिन्दगी। Guru Ji T M Shastri Ji Call Now: - +91-9872539511 फीस संबंधी जानकारी के लिए #Facebook page के message box में #message करें। आप Whatsapp भी कर सकते हैं। #famousastrologer #astronews #astroworld #Astrology #Horoscope #Kundli #Jyotish #yearly #monthly #weekly #numerology #rashifal #RashiRatan #gemstone #real #onlinepuja #remedies #lovemarraigespecilist #prediction #motivation #dailyhoroscope #TopAstrologer
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tvsandeshbharat09 · 29 days
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Viral Photo: मां के सामने दोनों बच्चियों की मौत… बाथरूम में इस हालत में मिलीं विधायक की दोनों भतीजियां
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Mohammad Salim Shabbo Qureshi: मुरादाबाद देहात सीट से सपा विधायक नासिर कुरेशी के छोटे भाई और देश के सबसे बड़े मांस निर्यातक हाजी मोहम्मद सलीम शब्बो कुरेशी के दिल्ली स्थित घर में भीषण आग लग गई। इससे पहले कि पुलिस और अग्निशमन दल आग पर काबू पाते, मांस निर्यातक की दो बेटियों गुलश्ना (15) और अनाया (13) की दम घुटने से मौत हो गई। निर्यातक की पत्नी गुलिस्तां कुरैशी, नौकर आदि ने किसी तरह भागकर जान बचा ली, लेकिन उनकी दो बेटियां पहली मंजिल पर बाथरूम में फंस गईं। मीट निर्यातक सलीम का उत्तरी दिल्ली के सदर बाजार के कुरैश नगर में चमेलियन रोड पर आलीशान दो मंजिला बंगला है। करीब 750 गज जमीन पर बने इस बंगले में उनकी पत्नी गुलिस्तां कुरैशी, बेटे शारिक और खिजर के अलावा दो बेटियां गुलश्ना और अनाया रहती थीं। सलीम बिजनेस के सिलसिले में दुबई गया हुआ है।
Mohammad Salim Shabbo Qureshi: बचावकर्मी बंगले के अंदर जाते हैं
मंगलवार दोपहर 2.07 बजे बंगले के ग्राउंड फ्लोर पर बने होम थिएटर से अचानक धुआं उठने लगा। देखते ही देखते धुएं ने आग का रूप ले लिया। ग्राउंड फ्लोर पर होने के कारण सलीम की पत्नी गुलिस्तां, गार्ड, ड्राइवर और दो नौकर बाहर चले गए।
आग लगने के कारणों का पता लगाने में जुटी टीम
पहली मंजिल पर कमरे में मौजूद दोनों बेटियां फंस गईं। बचने के लिए दोनों ने खुद को बाथरूम में बंद कर लिया. इसी बीच पुलिस और फायर ब्रिगेड पहुंच गई और आग पर काबू पाने के प्रयास शुरू कर दिए। फायर ब्रिगेड कर्मी बीए सेट (मास्क) पहनकर घर में दाखिल हुए। शीशा तोड़कर धुआं निकाला गया।
रेस्क्यू टीम शीशा तोड़कर अंदर दाखिल हुई
आग पर काबू पाने के बाद जब घर की तलाशी ली गई तो बेटियां कहीं नजर नहीं आईं। पहली मंजिल पर बंद बाथरूम का दरवाजा तोड़ा गया तो दोनों बेहोश मिले। उन्हें तुरंत पास के जीवन माला अस्पताल ले जाया गया, जहां दोनों को मृत घोषित कर दिया गया। जांच टीम ने जांच के लिए नमूने लिए। दोनों बच्चियों की मौत उनकी मां के सामने ही हो गई मंगलवार दोपहर कुरैश नगर के अमानत मकान में जब आग लगी तो सलीम के चारों बच्चे गहरी नींद में सो रहे थे। दरअसल, रोजे की वजह से सभी लोग सुबह सेहरी खाकर देर से उठते थे. दोपहर को जब घर में आग लगी तो सलीम के दोनों बेटे ग्राउंड फ्लोर पर बने कमरे में सो रहे थे। दोनों बेटियां पहली मंजिल पर बने कमरे में सो रही थीं। जांच टीम ने जांच के लिए नमूने लिए। मां गुलिस्तां अपने काम में व्यस्त थी। आग लगने के बाद जब थिएटर से धुआं उठा तो गुलिस्तां ने अपने बेटों शारिक और खिजर को बाहर निकाला। दोनों बेटियां ऊपर अपने कमरे में फंस गईं। बेटों को बाहर छोड़कर गुलिस्तां ने घर में घुसने की कोशिश की तो अंदर आग और धुआं फैला हुआ था।
Mohammad Salim Shabbo Qureshi: जांच टीम मौके पर
इसके बावजूद जब गुलिस्तां अंदर घुसने लगा तो बाहर मौजूद लोगों की भीड़ ने उसे रोक दिया. गुलशना और अनाया की मौत उनकी मां के सामने ही हो गई. परिवार के एक सदस्य ने बताया कि हाजी सलीम का बड़ा बेटा बीबीए प्रथम वर्ष का छात्र है। बड़ी बेटी 11वीं क्लास में आ गई थी.
घटना के बाद जांच टीम मौके पर पहुंची
अनाया आठवीं क्लास में पढ़ती थी. छोटा बेटा खिजर छठी क्लास में पढ़ता है. एक पड़ोसी ने बताया कि हाजी सलीम कुरेशी का आलीशान मकान पूरे इलाके में चर्चा में था. घर में सेंट्रलाइज्ड एसी के अलावा 12-14 लोगों के लिए मूवी देखने के लिए थिएटर भी है. थिएटर में आग एसी से शुरू हुई. थिएटर में ज्वलनशील पदार्थ होने के कारण यह तेजी से पूरे घर में फैल गया और दो लड़कियों की जान चली गयी.
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#राम_रंग_होरी_हो
#noidagbnup16
फिर प्रहलाद की बुआ होलिका अपने भाई हिरण्यकशिपु की आज्ञा से चिता के ऊपर प्रहलाद जी को गोद में लेकर बैठ गई। होलिका के पास एक चादर थी। उसको ओढ़कर यदि अग्नि में प्रवेश कर जाए तो व्यक्ति जलता नहीं था। उस चादर को ओढ़कर अपने को पूरा ढ़ककर प्रहलाद को उससे बाहर गोडों में बैठा लिया। कहा, बेटा। देख मैं भी तो बैठी हूँ। कुछ नहीं होगा तेरे को। अग्नि लगा दी गई। परमात्मा ने शीतल पवन चलाई। तेज आँधी आई। होलिका के शरीर से चादर उड़कर प्रहलाद भक्त पूरा ढ़क गया। होलिका जलकर राख हो गई। भक्त को आँच नहीं आई। प्रहलाद जी का विश्वास बढ़ता चला गया। ऐसे-ऐसे चौरासी कष्ट भक्त प्रहलाद को दिए गए। परंतु परमात्मा ने भक्त के विश्वास को देखकर उसकी दृढ़ता से प्रसन्न होकर उसके पतिव्रता धर्म से प्रभावित होकर प्रत्येक संकट में उसकी सहायता की।
हिरण्यकशिपु ने श्री ब्रह्मा जी की भक्ति करके वरदान प्राप्त कर रखा था कि मैं सुबह मरूँ ना शाम मरूँ, दिन में मरूँ न रात्रि में मरूँ, बारह महीने में से किसी में ना मरूँ, न अस्त्र-शस्त्र से मरूँ, पृथ्वी पर मरूँ ना आकाश में मरूँ। न पशु से मरूँ, ना पक्षी, ना कीट से मरूँ, न मानव से मरूँ। न घर में मरूँ, न बाहर मरूँ। हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद को मारने के लिए एक लोहे का खम्बा अग्नि से गर्म करके तथा तपाकर लाल कर दिया। प्रहलाद जी को उस खम्बे के पास खड़ा करके हिरण्यकशिपु ने कहा कि क्या तेरा प्रभु इस तपते खम्बे से भी तेरी जलने से रक्षा कर देगा? हज़ारों दर्शक यह अत्याचार देख रहे थे।
प्रहलाद भक्त भयभीत हो गए कि परमात्मा इस जलते खम्बे में कैसे आएगा? उसी समय प्रहलाद ने देखा कि उस खम्बे पर बालु कीड़ी (भूरे रंग की छोटी-छोटी चींटियाँ) पंक्ति बनाकर चल रही थी। ऊपर-नीचे आ-जा रही थी। प्रहलाद ने विचार किया कि जब चीटियाँ नहीं जल रही तो मैं भी नहीं जलूँगा। हिरण्यकशिपु ने कहा, प्रहलाद। इस खम्बे को दोनों हाथों से पकड़कर लिपट, देखूँ तेरा भगवान तेरी कैसे रक्षा करता है?
यदि खम्बा नहीं पकड़ा तो देख यह तलवार, इससे तेरी गर्दन काट दूँगा।
डर के कारण प्रहलाद जी ने परमात्मा का नाम स्मरण करके खम्बे को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाए।
उसी के अंदर से नरसिंह रूप धारण करके प्रभु प्रकट हुए। हिरण्यकशिपु भयभीत होकर भागने लगा। नरसिंह प्रभु ने उसे पकड़कर अपने गोडों (घुटनों) के पास हवा में लटका दिया। हिरण्यकशिपु चीखने लगा कि मुझे क्षमा कर दो, मैं कभी किसी को नहीं सताऊँगा। तब प्रभु ने कहा, क्या मेरे भक्त ने तेरे से क्षमा याचना नहीं की थी? तूने एक नहीं सुनी। अब तेरी जान पर पड़ी तो डर लग रहा है। हे अपराधी। देख न मैं मानव हूँ, न पशु, न तू आकाश में है, न पृथ्वी पर, न अभी सुबह है न शाम है। न अभी बारह महीने में से कोई है, यह तेरहवां महीना है, (हरियाणा की भाषा में लौंद का महीना कहते हैं) न मैने अस्त्र ले रखा है, न शस्त्र मेरे पास है
परमात्मा घर के दरवाजे के मध्यम में खड़े होने के कारण बोले कि न मैं घर में, न बाहर हूँ। अब तेरा अंत है। यह कहकर नरसिंह भगवान ने उस राक्षस का पेट फाड़कर आँतें निकाल दी और जमीन पर उस राक्षस को फेंक दिया। प्रहलाद को गोदी में उठाया और जीभ से चाटा (प्यार किया)। उस नगरी का राजा प्रहलाद बना। विवाह हुआ। एक पुत्र हुआ जिसका नाम बैलोचन (विरेचन) रखा।
गोरखनाथ, दत्तात्रेय, शुकदेव, पीपा, नामदेव, धन्ना भक्त, रैदास (रविदास), फरीद, नानक, दादू, हरिदास, गोपीचंद, भरथरी, जंगनाथ (झंगरनाथ), चरपटनाथ, अब्राहिम अधम सुल्तान, नारद ऋषि, प्रहलाद भक्त, ध्रुव, विभीषण, जयदेव, कपिल मुनि, स्वामी रामानंद, श्री कृष्ण, ऋषि दुर्वासा, शंभु यानि शिव, विष्णु, ब्रह्मा आदि सबकी प्रसिद्धि पूर्व जन्म तथा वर्तमान में की गई नाम-सुमरण (स्मरण) की शक्ति से हुई है, अन्यथा ये कहाँ थे यानी इनको कौन जानता था? इसी प्रकार आप भी तन-मन-धन समर्पित करके गुरू धारण करके आजीवन भक्ति मर्यादा में रहकर करोगे तो आप भी भक्ति शक्ति प्राप्त करके अमर हो जाओगे। जिन-जिन साधकों ने जिस-जिस देव की साधना की, उनको उतनी महिमा मिली है।
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bharatlivenewsmedia · 2 years
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काही सेकंदात सलमाननं जिंकलं मन, झाला 'किसी का भाई किसी की जान'
काही सेकंदात सलमाननं जिंकलं मन, झाला ‘किसी का भाई किसी की जान’
काही सेकंदात सलमाननं जिंकलं मन, झाला ‘किसी का भाई किसी की जान’ सलमान खानचा बहुचर्चित सिनेमा ‘किसी का भाई किसी की जान’ सिनेमाचा शॉर्ट टीझर आज प्रदर्शित झाला आहे. अवघ्या ५९ सेकंदाच्या या टीझरमध्ये सलमाननं त्याच्या चाहत्यांवर पुन्हा एकदा भुरळ घातली आहे. सलमान खानचा बहुचर्चित सिनेमा ‘किसी का भाई किसी की जान’ सिनेमाचा शॉर्ट टीझर आज प्रदर्शित झाला आहे. अवघ्या ५९ सेकंदाच्या या टीझरमध्ये सलमाननं…
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dainiksamachar · 2 months
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PM मोदी-नीतीश में दिखी सियासी रिश्तों की खास केमेस्ट्री, बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर दिखेगा असर
पटना: 'आप फिर पधारे हैं यहां तो हम लोगों के लिए बड़ी खुशी की बात है। आप पहले आए थे। इधर, हम गायब हो गए थे। हम आपको आश्वस्त करते हैं। कि अब इधर-उधर होने वाले नहीं हैं। अब रहेंगे आप ही के साथ। इसलिए अब जरा तेजी से यहां वाला काम हो जाए। आप सब तो जानते ही हैं। हम लोग तो एक ही साथ हैं न भाई 2005 से। हम लोग मिलकर लगातार कितना काम किए हैं। पहले जानते हैं कहीं कोई काम था। कुछ नहीं था। कहीं जाने का जगह नहीं था। सारा काम इतना बिहार में करवाए हैं। हम लोग आपस में मिलजुल करके आपस में काम करेंगे।' मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहली बार ये बातें खिलखिला कर हंसते हुए मंच से कह रहे थे। हाल के दिनों में पहली बार नीतीश कुमार इस तरह से खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। उधर, मंच पर पशुपति कुमार पारस, राज्यपाल और बगल में बैठे पीएम मोदी ठहाका मारकर हंस रहे थे। नीतीश कुमार जब भी बोल रहे थे। पीएम मोदी हंस रहे थे। जेडीयू को भी फायदा उससे पूर्व जब उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा विशाल पुष्प का मामला पीएम मोदी को पहनाने लगे तब पीएम मोदी ने नीतीश कुमार को माला के सर्किल के अंदर हाथ पकड़कर खींच लिया। दोनों नेताओं की एक अलग किस्म की केमिस्ट्री मंच पर दिखी। इस दौरान भीड़ ताली बजा रही थी। पीएम मोदी के जयकारे लग रहे थे। इस केमेस्ट्री पर जाने-माने पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक प्रमोद दत्त कहते हैं कि बिहार में जेडीयू के साथ बीजेपी का लोकसभा वाला कनेक्शन हमेशा सफल रहा है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार का एनडीए के पाले में आ जाना राजनीतिक रूप से बीजेपी को फायदा ही पहुंचाएगा। जेडीयू के कई सांसद पहले से ये चाहते थे कि नीतीश कुमार बीजेपी से हाथ मिला लें। उनका मानना था कि लोकसभा चुनाव के दौरान फील्ड में बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने उनकी जीत के लिए काफी मेहनत की थी। पत्रकारों की राय वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र भी कहते हैं कि पीएम मोदी और नीतीश की जुगलबंदी का सीधा असर लोकसभा चुनाव पर दिखेगा। उन्होंने कहा कि पिछली बार एनडीए ने बिहार में 39 सीटों पर कब्जा जमाया। जेडीयू के हिस्से में जो सीटें रही, उसमें ऐसा नहीं था कि सिर्फ वो सीटें जेडीयू की वजह से उनके कब्जे में गईं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के पीछे आरएसएस के जमीनी कार्यकर्ताओं का हाथ होता है। जब किसी गठबंधन के उम्मीदवार भी बीजेपी के साथ मिलकर संसदीय क्षेत्र में चुनाव लड़ते हैं, तब आरएसएस के कार्यकर्ता एक्टिव हो जाते हैं। वो जी जान से उस उम्मीदवार को विजयी बनाने में लग जाते हैं। ये बात नीतीश कुमार को भी पता है। जिस तरह से और नीतीश कुमार आपस में मिले। उनके बीच जो संवाद हुआ। जिस तरह पीएम मोदी ने नीतीश को खींचकर माला के अंदर लाया। वो साफ बता रहा है कि अब ये केमेस्ट्री लोकसभा चुनाव में बड़ा गेम करेगी। विपक्ष में दम नहीं शुरुआत में नीतीश कुमार ने पीएम मोदी का स्वागत किया। उन्होंने ये भी कहा कि खुशी की बात है की पीएम यहां उपस्थित हैं। ��ुझे खुशी है कि लाखों की सं��्या में लोग यहां पहुंचे हैं। रेलवे, पथ निर्माण, नमामि गंगे से जुड़ी परियोजनाओं का उद्घाटन, शिलान्यास पीएम के द्वारा किया जा रहा है। नीतीश कुमार ने आगे लोकसभा चुनाव की चर्चा करते हुए जिस तरह से कहा कि आपको विश्वास दिलाता हूं, मैं हमेशा एनडीए में रह���ंगा। आगे उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अनेक योजनाएं को चला रही हैं, तेजी से विकास हो रहा है। 400 सीट एनडीए जीतेगा। आपस में कोई विवाद नहीं रहेगा, मिलजुल कर काम करना है। पीएम से नीतीश कुमार ने कहा कि जो विकास होगा उसका श्रेय आपको देते रहेंगे। इस बार आप 400 सीट जीतिएगा, खूब आगे बढ़िएगा। एक दूसरे के प्रति दोनों नेताओं का ये भाव देखने लायक था। सियासी जानकार कहते हैं कि एनडीए ने लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश को अपने पाले में कर बहुत बड़ा जंग जीत चुकी है। अब विपक्ष में कोई दम नहीं है। http://dlvr.it/T3WHTn
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