साम्ययोग : पसायदान ते जय जगत्
साम्ययोग : पसायदान ते जय जगत्
साम्ययोग : पसायदान ते जय जगत्
लोकमान्यांनी संत साहित्याचे सखोल अध्ययन केले नव्हते तरी ते संतांच्या योगदानाचे महत्त्व जाणून होते
मराठय़ांचा इतिहास लिहिताना जेम्स ग्रँट डफ यांनी युद्धकेंद्री भूमिका घेतली. त्या मांडणीला उत्तर म्हणून न्यायमूर्ती रानडे यांनी ‘मराठी सत्तेचा उत्कर्ष’ हे पुस्तक लिहिले. त्याच वेळी इतिहासाचार्य राजवाडे यांनी समाजाच्या अवनतीसाठी संतांना जबाबदार धरले. त्यांना प्रत्युत्तर…
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EVM को लेकर मीडिया की राष्ट्रद्रोही भूमिका – सुप्रीम कोर्ट के द्वारा EVM के विरोध मे 08अक्टूबर2013 को जो निर्णय दिया, इसकी कोई खबर या कोई जानकारी सारे देश के लोगो को या मतदाताओ को नही है| इसकी कोई जानकारी देश के लोगो को क्यों नही है? EVM के विरोध मे सुप्रीम कोर्ट का यह एक लैण्डमार्क जजमेन्ट और ऐतिहासिक जजमेन्ट है| इसकी खबर अखबार वालो को अपने-अपने अखबार मे फ्रंट पेज पर लीड न्यूज मे छापनी चाहिए थी और इस पर एडिटोरियल लिखना चाहिए था| इस जजमेंट पर एक्सपर्ट्स लोगो के ओपेनियन लिखे जाने चाहिए थे| इस खबर को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मे प्रमुखता से प्रसारित करना चाहिए था, मगर भारत के प्रिन्ट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इस खबर को ब्लैक आउट किया| इस खबर को ना ही प्रिंट मीडिया ने छापा और न ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इसे प्रसारित किया| जिस देश मे सुप्रीम कोर्ट के लैण्डमार्क जजमेंट की खबर मीडिया नही छापता है, वह मीडिया कितना एरोगेन्ट हो गया होगा, आप इसकी कल्पना भी नही कर सकते है| लोकतंत्र की हत्या करने का जो षड्यंत्र इस देश मे चल रहा है, भारत की मीडिया उस षड्यंत्र मे संगठित रूप से सहभागी है| यदि भारत का मीडिया लोकतंत्र की हत्या करने के षड्यंत्र मे सहभागी है, तो भारत का मीडिया जनद्रोही और राष्ट्रद्रोही है| संवैधानिक लोकतंत्र के विरोध मे जो षड्यंत्र इस देश मे चल रहा है, उस षड्यंत्र मे भारत की मीडिया सहभागी है| इसलिए संवैधानिक लोकतंत्र की हत्या करने मे अगर भारत की मीडिया सहभागी है तो ये संवैधानिक लोकतंत्र के विरोध मे गद्दारी है| इसीलिए मैं कह रहा हूँ कि भारत का मीडिया राष्ट्रद्रोही कार्य मे लगा हुआ है| मैंने चुनाव आयोग के विरोध मे कानूनी कार्यवाई करने की कोशिश की| मैं इसकी भी तैयारी कर रहा हूँ कि भारत के मीडिया पर क्या कानूनी कार्यवाई की जा सकती है और इसके विरोध मे राष्ट्रव्यापी आन्दोलन करने के लिए क्या किया जा सकता है? इस पर भी मैं अभी विचार कर रहा हूँ| -WamanMeshram #वामनमेश्राम https://www.instagram.com/p/Co4f6pesCre/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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आर्टिल्स: एक देश-एक राशन कार्ड
आर्टिल्स: एक देश-एक राशन कार्ड
केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने ‘एक देश-एक राशन कार्ड’ (One Nation One Ration Card – ONORC) प्रणाली की ओर आगे बढ़ने की घोषणा की। इस प्रणाली के आरंभ होने पर लाभार्थी देश में कहीं भी किसी भी राशन की दुकान से अपने कोटे का अनाज ले सकते हैं। प्रवासियों के लिये यह ONORC प्रणाली अत्यंत उपयोगी साबित होगी। इस योजना के लाभों को जानने के लिये मूल्य श्रृंखला में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public…
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जगभरात कोरोना व्हायरसमुळे हाहाकार माजला आहे. भारतात सुद्धा याचा संसर्ग दिवसेंदिवस वाढत चालला आहे. कोरोनाच्या संकटावर मात करण्यासाठी देशात लॉकडाऊन सुरु आहे. या पार्श्वभूमीवर, लोकमत समूहाच्या एडिटोरियल बोर्डाचे चेअरमन विजय दर्डा यांनीही सुरक्षित राहा, घरीच राहा असं आवाहन केलं आहे. लॉकडाऊनच्या काळात रेखाटलेलं चित्र आणि आशादायी संदेश त्यांनी फेसबुकवर पोस्ट केला आहे. लाकडाऊनमुळे स्वत:ला आत्मपरीक्षण करण्यासाठी खूप वेळ आणि जागा मिळाल्याचे सांगत प्राणघातक कोरोना व्हायरसचे चित्र रेखाटण्याचा प्रयत्न विजय दर्डा यांनी केला आहे. "काम थांबत नाही; मात्र या लॉकडाऊनने मला आत्मपरीक्षण करण्यासाठी खूप वेळ दिला आहे. काल, बऱ्याच दिवसांनंतर मी हातात ब्रश घेतला आणि कोरोना व्हायरसचे चित्र रेखाटण्याचा प्रयत्न केला आहे", असे विजय दर्डा यांनी म्हटले आहे...https://www.lokmat.com/topics/vijay-darda/
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जगभरात कोरोना व्हायरसमुळे हाहाकार माजला आहे. भारतात सुद्धा याचा संसर्ग दिवसेंदिवस वाढत चालला आहे. कोरोनाच्या संकटावर मात करण्यासाठी देशात लॉकडाऊन सुरु आहे. या पार्श्वभूमीवर, लोकमत समूहाच्या एडिटोरियल बोर्डाचे चेअरमन विजय दर्डा यांनीही सुरक्षित राहा, घरीच राहा असं आवाहन केलं आहे. लॉकडाऊनच्या काळात रेखाटलेलं चित्र आणि आशादायी संदेश त्यांनी फेसबुकवर पोस्ट केला आहे. लाकडाऊनमुळे स्वत:ला आत्मपरीक्षण करण्यासाठी खूप वेळ आणि जागा मिळाल्याचे सांगत प्राणघातक कोरोना व्हायरसचे चित्र रेखाटण्याचा प्रयत्न विजय दर्डा यांनी केला आहे. "काम थांबत नाही; मात्र या लॉकडाऊनने मला आत्मपरीक्षण करण्यासाठी खूप वेळ दि��ा आहे. काल, बऱ्याच दिवसांनंतर मी हातात ब्रश घेतला आणि कोरोना व्हायरसचे चित्र रेखाटण्याचा प्रयत्न केला आहे", असे विजय दर्डा यांनी म्हटले आहे...https://www.lokmat.com/topics/vijay-darda/
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जगभरात कोरोना व्हायरसमुळे हाहाकार माजला आहे. भारतात सुद्धा याचा संसर्ग दिवसेंदिवस वाढत चालला आहे. कोरोनाच्या संकटावर मात करण्यासाठी देशात लॉकडाऊन सुरु आहे. या पार्श्वभूमीवर, लोकमत समूहाच्या एडिटोरियल बोर्डाचे चेअरमन विजय दर्डा यांनीही सुरक्षित राहा, घरीच राहा असं आवाहन केलं आहे. लॉकडाऊनच्या काळात रेखाटलेलं चित्र आणि आशादायी संदेश त्यांनी फेसबुकवर पोस्ट केला आहे. लाकडाऊनमुळे स्वत:ला आत्मपरीक्षण करण्यासाठी खूप वेळ आणि जागा मिळाल्याचे सांगत प्राणघातक कोरोना व्हायरसचे चित्र रेखाटण्याचा प्रयत्न विजय दर्डा यांनी केला आहे. "काम थांबत नाही; मात्र या लॉकडाऊनने मला आत्मपरीक्षण करण्यासाठी खूप वेळ दिला आहे. काल, बऱ्याच दिवसांनंतर मी हातात ब्रश घेतला आणि कोरोना व्हायरसचे चित्र रेखाटण्याचा प्रयत्न केला आहे", असे विजय दर्डा यांनी म्हटले आहे...https://www.lokmat.com/topics/vijay-darda/
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मजदूरों की यात्रा पर राजनीति- वेद प्रताप वैदिक
मजदूरों की यात्रा पर राजनीति- वेद प्रताप वैदिक
(संवाद परिक्रमा)
भारत सरकार ने यह फैसला देर से किया लेकिन अच्छा किया कि प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए रेलें चला दीं। यदि बसों की तरह रेलें भी गैर-सरकारी लोगों के हाथ में होतीं या राज्य सरकारों के हाथ में होतीं वे उन्हें कब की चला देते। करोड़ों मजदूरों की घर-वापसी हो जाती और अब तक काम पर लौटने की उनकी इच्छा भी बलवती हो जाती लेकिन अब जबकि रेलें चल रही हैं, बहुत ही शर्मनाक और दर्दनाक नज्जारा…
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पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ भर्ती - सीनियर एडिटोरियल असिस्टेंट नौकरी वेकेंसी, ऑनलाइन आवेदन करें
पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ भर्ती – सीनियर एडिटोरियल असिस्टेंट नौकरी वेकेंसी, ऑनलाइन आवेदन करें
पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़ (पीजीआईएमईआर चंडीगढ़) ने वरिष्ठ संपादकीय सहायक के रिक्त पद को भरने के लिए एक अधिसूचना प्रकाशित की है। विवरण बॉक्स में आवेदन कैसे करें, पात्रता, साक्षात्कार आदि के बारे में विस्तार से जानें
आवेदन करने की अंतिम तिथि: 10-सितंबर-2021
नियोक्ता: पीजीआईएमईआर चंडीगढ़
पता: पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़ सेक्टर…
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मुद्रीकरण की चुनौतियाँ (एडिटोरियल)
मुद्रीकरण की चुनौतियाँ (एडिटोरियल)
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गुजराती लेखकों के विरोधी स्वरों की गूँज
गुजरात साहित्य अकादमी एक सरकारी संस्था है और गुजराती साहित्य परिषद गुजराती साहित्य के विकास और उन्नति के लिए सही अर्थों में साहित्य परिषद है, जिसकी स्थापना रणजीत राय मेहता (25.10.1881 - 04.06.1917) ने गुजराती समाज के सभी वर्गों के लिए साहित्य सृजन और जन जन में साहित्य भावना उत्पन्न करने के लिए 1905 में की थी। अहमदाबाद के आश्रम मार्ग पर यह परिषद स्थित है। 1936 में महात्मा गांधी इस साहित्य परिषद के अध्यक्ष थे। कन्हैया लाल मुंशी 1955 में इसके अध्यक्ष बने थे।
गुजराती साहित्य परिषद के पहले अध्यक्ष गोवर्धन राम माधवराव त्रिपाठी थे। परिषद का भवन ‘गोवर्धन भवन’ है। परिषद की अध्यक्ष नाम सूची से यह ज्ञात होगा कि यहां कितने बड़े और महत्वपूर्ण लेखक रहे हैं। बकुल त्रिपाठी, नारायण देसाई, भोला भाई पटेल, धीरू पारीक जैसे लेखक परिषद के अध्यक्ष थे। वर्तमान में 80 वर्षीय प्रकाश एन शाह परिषद के अध्यक्ष हैं। लेखक, पत्रकार, सम्पादक प्रकाश एन शाह के पहले प्रसिद्ध गुजराती कवि सीतांशु यशश्चन्द्र परिषद के अध्यक्ष थे। प्रकाश एन शाह का चयन 562 वोटों से हुआ था और दूसरे स्थान पर हर्षद त्रिवेदी थे, जिन्हें 533 वोट प्राप्त हुए थे।
‘निरीक्षक’ गुजराती साहित्य परिषद का पाक्षिक पत्र है। इसके सम्पादकीय में अभी प्रकाश एन शाह ने प्रसिद्ध डेनिस लेखक एच सी एण्डरसन (02.04.1805 – 04.08.1875) की प्रसिद्ध कहानी ‘ द एम्परर्स न्यू क्लास’ की समानता ‘नंगा राजा’ से की है। पारुल खक्कर ने ‘शव वाहिनी गंगा’ कविता में ‘मेरा साहब नंगा’ लिखा है। एण्डरसन की कहानी 7 अप्रैल 1837 को ‘द लिटिल मरमेड’ शीर्षक से प्रकाशित हुई थी, जो दूसरे शीर्षक से इनके पहले संग्रह ‘फेयरी टेल्स टोल्ड फॉर चिल्ड्रन’ में है। इस कहानी का 100 से अधिक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
‘निरीक्षक’ पत्रिका के 16 जून 2021 के अंक में पारुल खक्कर की एक नयी कविता 'तारे बोलावन नहीं' (आपको बोलना नहीं चाहिए) प्रकाशित है। यह कविता इनकी पूर्व कविता ‘शव वाहिनी गंगा’ के विरोधी स्वरों के कारण लिखी गयी है। इस कविता का विरोध गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष और वहां से प्रकाशित पत्रिका ‘शब्द सृष्टि’ के सम्पादक विष्णु पण्ड्या ने किया था। पण्ड्या ने अपने सम्पादकीय में कविता और कवयित्री का नामोल्लेख न कर ‘एक गुजराती कविता’ की बात कही थी और यह लिखा था कि कविता खराब है, यद्यपि कवि अच्छा है।
गुजराती साहित्य परिषद की पत्रिका ‘निरीक्षक’ के ता���े अंक (16 जून) के लेखकों में से लगभग आधे (आठ) गुजरात साहित्य अकादमी के विरोध में है। इस प्रकार गुजरात साहित्य अकादमी और गुजराती साहित्य परिषद एवं दोनों संस्थाओं के अध्यक्ष के विचार एक दूसरे से सर्वथा भिन्न हैं । सलिल त्रिपाठी, रमेश सवानी, मनीषी जानी, योगेश जोशी, रवीना दादरी और अन्य कई लेखक पारुल के समर्थन में आ गये हैं। आरम्भ में गुजराती लेखकों के बीच शांति और चुप्पी सी थी, वह अब पूर्णतः समाप्त हो गयी है।
गुजरात के बाहर इस घटनाक्रम को लाने में अँग्रेजी के दो समाचार पत्रों ‘द टेलीग्राफ’ और ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की बड़ी भूमिका रही है। 19 जून (शनिवार) के टेलीग्राफ के पहले पृष्ठ की ‘लीड स्टोरी’ मेहुल देवकला की है – ‘हाउ टू आर्डर गंगा स्नान ऑफ पोएट्री’। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार (18 जून, ऋतु शर्मा, लिटरेचियर्श डिमाण्ड विथ्ड्रावल ऑफ गुजरात साहित्य अकादेमी एडिटोरियल ) गुजरात के 169 सुप्रसिद्ध साहित्यिक हस्तियों ने सम्पादक और सरकार से सम्पादकीय वापस लेने की मांग की है।
यह भी पढ़ें - चित्रा मुद्गल और पारुल खक्कर
बड़ी बात यह है कि इसमें केवल कवि, लेखक और साहित्यकार ही नहीं है। 84 वर्षीय अंतरराष्ट्रीय ख्याति के चित्रकार, लेखक, कला-समालोचक पदम भूषण से सम्मानित गुलाम मोहम्मद शेख, 68 वर्षीय सुप्रसिद्ध नृत्यांगना मल्लिका साराभाई (अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की पुत्री, पदम भूषण से सम्मानित), 82 वर्षीय सुप्रसिद्ध समाजशास्त्री घनश्याम शाह, जो यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में विजिटिंग प्रोफेसर रहे हैं, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री इन्दिरा हीखे (सेन्टर फॉर डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स, अहमदाबाद में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर और निदेशक) और अन्तर्राष्ट्रीय गोल्डन फॉक्स अवार्ड 2020 से सम्मानित एवं ‘कौन से बाबू’ फिल्म के निर्देशक मेहुल देवकला भी हैं। इन सभी 169 व्यक्तियों के नाम और काम से हिन्दी संसार बहुत कम परिचित है।
एक्टिविस्ट निर्झरी सिन्हा (प्रावदा मीडिया फाउण्डेशन की डायरेक्टर) भी हस्ताक्षर कर्ताओं में हैं , जिनके पति मुकुल सिन्हा ने ‘जन संघर्ष मंच’ का (स्वतंत्र नागरिक अधिकार संगठन) गठन किया था। भरत मेहता, अदिति देसाई, अनिल जोशी, इला जोशी, इलियास शेख, मीनाक्षी जोशी, प्रकाश एन शाह, सुधीर चंद्र, विजय मेहता आदि का नाम-यश बड़ा है। पारुल खक्कर की कविता के समर्थन में इतिहासकार, समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री, फिल्मकार, चित्रकार, सक्रियतावादी सब एक साथ हैं और सब ने मिलकर उस सम्पादकीय पर एक साथ प्रबल स्वरों में विरोध प्रकट किया है, जिसमें कविता और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर हमला किया गया था।
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गुजरात के लेखकों, बौद्धिकों, विविध क्षेत्रों में कार्यरत, विविध अनुशासनों के प्रमुख प्रतिष्ठित व्यक्तियों के एक बड़े समूह ने विष्णु पण्ड्या के सम्पादकीय के विरोध में एक वक्तव्य जारी किया है। इस वक्तव्य में सम्पादकीय की भर्त्सना है और ‘शब्द सृष्टि’ पत्रिका के पृष्ठ 89 पर लिखे इस कथन का विरोध है कि ‘यह कविता नहीं है, यह अराजकता के लिए एक कविता का दुरुपयोग है’। वक्तव्य में अपने सम्पादकीय में लेखक के नाम के ना होने को अनैतिक, आपराधिक और खतरनाक सरकारी प्रक्रिया के अनुसार कहा गया है। वक्तव्य में यह कहा गया है कि आलोचना, संवाद और विरोध एक शक्तिशाली लोकतन्त्र की शक्ति है। सम्पादकीय को ‘हथौड़े से कलम पर प्रहार’ कहा गया है।
गुजरात के लेखकों, बुद्धिजीवियों के अनुसार यह एक खतरनाक और फासिस्ट प्रवृत्ति है। सम्पादकीय को परोक्ष रूप से गुजरात के लेखकों को दी गयी धमकी के रूप में देखा गया है। लेखक को कोई भी सम्पादक एक सत्तावादी अधिकारी स्वर में यह नहीं कह सकता कि उसे क्या लिखना चाहिए और क्या नहीं लिखना चाहिए। गुजराती लेखकों ने हाल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गये आदेश-निर्देश या मत का उल्लेख किया है कि सरकार की आलोचना राष्ट्रद्रोह नहीं है। लेखकों ने गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विष्णु पण्ड्या और गुजरात सरकार दोनों से सम्पादकीय को गुजराती भाषा और गुजरात पर एक दाग/धब्बा कहकर इसे वापस लेने की मांग की है।
केवल देश में ही नहीं, विदेश में भी पारुल खक्कर की कविता चर्चा में रही है। ‘द गार्जियन’ में इस पर लिखा गया और पिछले महीने जर्मनी के एक प्रमुख पत्र में नृतत्वविद शालिनी रंडेरिया और बल्गेरियाई जर्मन लेखक इलिजा द्रोजानो द्वारा ‘शव वाहिनी गंगा’ का अनुवाद प्रकाशित हुआ और कविता की व्याख्या भी की गयी। यह समय एकजुट होने का है और गुजरात के लेखक, बौद्धिक एकजुट हैं। उनके विरोधी स्वर हमें सुनने चाहिए और उन स्वरों में अपने स्वर भी मिलाने चाहिए।
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शमाचा मुलगा आता तरी शाळा शिकेल?
शमाचा मुलगा आता तरी शाळा शिकेल?
शमाचा मुलगा आता तरी शाळा शिकेल?
८ सप्टेंबर या आंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिनाच्या निमित्ताने साक्षरतेचा गजर…
डॉ. रोहिणी काशीकर सुधाकर
टाळेबंदीनंतर सगळीकडे शाळा वगैरे नेहमीसारख्या सुरू झाल्या. शमा मला भेटायला आली. ती माझ्याकडे घरातील वरची कामं करण्याकरिता म्हणून नव्याने रुजू होणार होती.
तिला मी विचारलं की तू काय शिकली आहेस?
तर ती म्हणाली, “ काही नाही”.
“का ग शिकली नाहीस?��� मी विचारलं.
तर ती हसली अन्…
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लैंसेट एडिटोरियल मोदी मोदी सरकार की दूसरी लहरों की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए
लैंसेट एडिटोरियल मोदी मोदी सरकार की दूसरी लहरों की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए
नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को केंद्र में सत्तारूढ़ वितरण पर जोर दिया संपादकीय चिकित्सा पत्रिका में प्रकाशित, द लैंसेट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार कोविड महामारी को नियंत्रित करने की कोशिश करने की तुलना में ट्विटर पर आलोचना को हटाने के लिए अधिक इच्छुक थी।
लांसेट ने कहा कि भारत एक स्व-निर्मित राष्ट्रीय आपदा की ओर बढ़ रहा है, राष्ट्रीय आपदा नहीं, बल्कि कांग्रेस नेता अजय…
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Govt Media Jobs : विज्ञान प्रसार ने मीडिया एवं कम्यूनिकेशन सेल के लिये विभिन्न पदों पर निकाली सरकारी नौकरी, जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन डिग्री वाले भी कर सकते हैं अप्लाई, कॉन्ट्रेक्ट पर होगी नियुक्ति Divya Sandesh
#Divyasandesh
Govt Media Jobs : विज्ञान प्रसार ने मीडिया एवं कम्यूनिकेशन सेल के लिये विभिन्न पदों पर निकाली सरकारी नौकरी, जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन डिग्री वाले भी कर सकते हैं अप्लाई, कॉन्ट्रेक्ट पर होगी नियुक्ति
इंटरनेट डेस्क। विज्ञान प्रसार ने अनुबंध (कॉन्ट्रेक्ट) के आधार पर डीएसटी मीडिया कोआर्डिनेशन एंड कम्युनिकेशन सेल के पद पर भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की है। पात्र उम्मीदवार 16 अप्रैल 2021 को या उससे पहले निर्धारित प्रारूप के माध्यम से इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि : 16 अप्रैल 2021
रिक्त पदों का विवरण
1. सीनियर प्रोजेक्ट कंसल्टेंट – (प्रिंट, एडिटोरियल एंड प्रोडक्शन) – 01 पद
2. प्रोजेक्ट कंसल्टेंट -डिजिटल एंड वेब मीडिया मैनेजमेंट – 01 पोस्ट
3. प्रोजेक्ट कंसल्टेंट – (इलेक्ट्रॉनिक एंड सोशल) – 01 पद
4. प्रोजेक्ट कंसल्टेंट- (प्रिंट, एडिटोरियल एंड प्रोडक्शन) – 01 पद
5. एसोसिएट प्रोजेक्ट कंसल्टेंट –डिजिटल एंड वेब मैनेजमेंट- 01 पोस्ट
6. एसोसिएट प्रोजेक्ट कंसल्टेंट- हिंदी- (प्रिंट, एडिटोरियल एंड प्रोडक्शन) – 01 पद
7. एसोसिएट प्रोजेक्ट कंसल्टेंट- अंग्रेजी – (प्रिंट, एडिटोरियल एंड प्रोडक्शन) – 01 पद
8. परियोजना सहयोगी – (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सोशल) – 01 पद
9. प्रोजेक्ट एसोसिएट – (प्रिंट, एडिटोरियल एंड प्रोडक्शन) – 2 पद
10. परियोजना असिस्टेंट – (प्रिंट, एडिटोरियल एंड प्रोडक्शन) – 2 पद
विज्ञान प्रसार से संबंधित इस अधिसूचना के बारे में अधिक जानकारी के लिए अभ्यर्थी आधिकारिक वेबसाइट https://vigyanprasar.gov.in/recruitment-active/ पर विजिट कर सकते हैं।
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बगल के कंपर्टमेंट मे एक चचा किसी "अजनवी जान" से बतिया रहे थे, उनके फोन की ओर देखा तो वो झेंप कर सरमा से गये
गाड़ी प्रयाग राज चेअकि रुकी तभी नीचे बैठा गोलु माँ की तरफ देख कर पूछता है की पापा कहा गये, वो मेरी ओर देखने लगी, तभी एक अंजान गुजराती (बिना टिकट डरा हुआ)कहता है आपके बापू( (a group of overextroverts transgenders found in this route जॊ आपको सोचने पर मजबूर करदे की इज्जत प्यारी है या पैसा ) )
अंग्रेजी स्टाइल वाले उरिनल मे छुपे है ।
उसकी पत्नी गुजराती को ऐसे तामतमये देखती है जैसे कोबरा mating k बाद male कैण्डीडेट को खा जाती हो ।
हम तो डर से चद्दर ओढ़ के सोकर एक आँख से नीचे की तरफ देखते हुए overextroverts ke जाने का इंतज़ार कर ही रहे थे की पैंट्री वाला 20 मे 3 समोसा वाला औफर् लेकर आता है, हम सोचे पहिले ई overextroverts निकले तो कुछ पेट पूजा करा जाए, और मोडी जी का make in India सुक्सेसफुल भि हो जायेगा,
20 का रोकडा निकाले और ऐसे दिए जैसे गांधी जी जिन्ना को 🇵🇰 दे रहे हो ।
राजू की मम्मी हमको घूर कर देखते हैं, और राजू समोसे का चटनी पैंट्री वाले के कठौती मे ढूंढता है पर मन मसोस कर हरी मिर्च और काला नमक पाता है, तभी उसके बाबूजी आते हैं और 6० रुपिया का समोसा ऑर्डर करते है, राजू मेरी तरफ देखता है और समोसा उठाके ऐसे कत्ता मारता है जैसे वो बोल रहा हो, ये मै हूँ, ये हमाले पलेंट्स हैं, और ये हमारी pawri हो रही है!।
तभी मै समोसे के साथ फ्री में मिले स्टडी मटेरियल की ओर फोकस कर पड़ने लगता हु, राजू की माँ इशारे से राजु को कहते है, देख ऐसी होती है पढाई करने की लगन, ऐसे पढ़ेगा तो सरकारी नौकरी चुटकी बजाते मिल जाए, पर उन्हें क्या मालूम सरकार निर्मला ताई के साथ पावरी कर रही है ।
अखबार मे १७ फेबररी के एडिटोरियल पन्ने में बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था "छिपाने से और जादा बढ़ेगा ragging का रोग"
(Ragging को बरगर को बगa कहने वाले लोग इनीतिएशं rituals भि कहते फिरते हैं ।)
हमको छट्टी कक्षा वाली प्रेम सर का लेक्चर याद आ गया जिसमे वो factorisation ना पढाने के मूड में अपना मुन्ना भाईSTYLE वाला एक्सपेयरिंस ऐसे share करते है जैसे कल से हमको हाई कोर्ट में किसी अमीर बाप के बेटे ka ragging wala case देखना हो, हम भी मुस्कुराते हैं और खिड़की के बाहर बैठे कुत्ते को देखते हैं, जैसे बता रहे हो की रुक क्लास खतम होने de fir तेरी ragging लेता हूं ।
(हमको गलत नहीं समझे, हम कुत्ता को पतंजलि का शुद्ध आटे की मैग्गी खिलाने वाला ragging लेते हैं
पर वो मैग्गी ना खाकर हमको ऐसे देखता है जैसे हम तुरंत बोले 'वो देखो कैमरा ,हम आपके साथ prank कर रहे थे ।)
तभी राजु के पापा एक गर्म चाय ऑर्डर कर देते हैं, हमारी ओर देखते हैं
(पर हम सोच रहे थे ki ye पैंट्री वाले चचा subah se गरम चाय बेच रहे हैं,और अवी tk इनकी चai मे वो swad है,इनको DRDO में होना चाइए )
राजू के पापा ऐसे जीव चटकार ke चाय का घूंट लगाते है जैसे अमिताभ बच्चन कुली फिलम मे लगाता है, पर हम तो अंदर ही अंदर सोच के हंस रहे थे की आप overextroverts se एतना डर गए जितना हम होली के पहिले रेसल्ट् आने से भी नही डरते थे,. ।
हम ख्वाबों की दुनिया से बाहर आते,
बगल वाली कंपर्टमेंट के चचा अजनवी जाँ से बतिया के तक चुके है, RAC वाले भइया जी why this कोलावेरी d सुन रहे हैं पर हम भी रिंगटोन बदल के Justin बईबीर के युम्मी song लगा दिए हैं और इंतज़ार कर रहे है कि कोई उधर से काल करे, पता तो चले RAC वाले भइया को की हम सत् परसेंट शुद्ध अंग्रेजी वाला गाना सुनते हैं । अपन फोन में बैलेंसए खतम हो गया ना तो कोई दोस्त के मिसकाल
दे के अपना अंग्रेजी वाला ##swag दिखाते
ये सब सोचते सोचते समोसा खतम हो गया है और कौशिक जी के चेहरे से सीट पर गिरे देश का शुद्ध काला नमक साफ करके सो गये हैं, पर koi लङ्गोटिया ईयार ke काल नही आया है ।
अगर ये पुरा पढ़ लिए हैं तो चिंता नहीं करिए
ये whatsApp यूनिवर्सिटी वाला मोदी जी के 3 घंटा सोने वाला fact se बढ़िया है, अच्छा लगे तो like caughment tagh और sahare जरूर करिएगा ।
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जगभरात कोरोना व्हायरसमुळे हाहाकार माजला आहे. भारतात सुद्धा याचा संसर्ग दिवसेंदिवस वाढत चालला आहे. कोरोनाच्या संकटावर मात करण्या��ाठी देशात लॉकडाऊन सुरु आहे. या पार्श्वभूमीवर, लोकमत समूहाच्या एडिटोरियल बोर्डाचे चेअरमन विजय दर्डा यांनीही सुरक्षित राहा, घरीच राहा असं आवाहन केलं आहे. लॉकडाऊनच्या काळात रेखाटलेलं चित्र आणि आशादायी संदेश त्यांनी फेसबुकवर पोस्ट केला आहे. लाकडाऊनमुळे स्वत:ला आत्मपरीक्षण करण्यासाठी खूप वेळ आणि जागा मिळाल्याचे सांगत प्राणघातक कोरोना व्हायरसचे चित्र रेखाटण्याचा प्रयत्न विजय दर्डा यांनी केला आहे. "काम थांबत नाही; मात्र या लॉकडाऊनने मला आत्मपरीक्षण करण्यासाठी खूप वेळ दिला आहे. काल, बऱ्याच दिवसांनंतर मी हातात ब्रश घेतला आणि कोरोना व्हायरसचे चित्र रेखाटण्याचा प्रयत्न केला आहे", असे विजय दर्डा यांनी म्हटले आहे...https://www.lokmat.com/topics/vijay-darda/
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कोरोना वायरस - मोदी और भागवत। विशेष संपादकीय -वेद प्रताप वैदिक
कोरोना वायरस – मोदी और भागवत। विशेष संपादकीय -वेद प्रताप वैदिक
पिछले एक माह से मैं निरंतर याद दिला रहा हूं, चार बातों की। एक, तबलीगी मौलाना साद की गैर-जिम्मेदाराना हरकत के लिए देश के सारे मुसलमानों पर तोहमत नहीं लगाई जानी चाहिए। दूसरी, विषाणु से लड़ने में हमारे आयुर्वेदिक (हकीमी भी) घरेलु नुस्खों का प्रचार किया जाए और घर-घर में भेषज-होम (हवन) किया जाए। तीसरी, जो लोग, खासतौर से प्रवासी मजदूर, अभी तक अधर में लटके हुए हैं, उनकी घर वापसी का इंतजाम हमारी केंद्र और…
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