Shaapit Murti | शापित मूर्ति | Hindi Horror Stories | सच्ची कहानी | Horror Kahaniyan | Akshu Tv
हम सभी अपनी डेली लाइफ मै कई मूर्तिओं से रूबरू होते है! पर कभी अपने सोचा है की जो मूर्ति आपको मन मोहक और सुन्दर लगती है उस के अंदर कोई । आत्मा या किसी भयानक चुड़ैल का वास हो? सोच कर ही दिल देहल जाता है! ऐसा ही कुछ हुआ हमारी इस Horror Story कई एक रोमांटिक कपल के साथ जब वो एक मूर्ति अपने घर ले आएं! और उन्होंने महसूस किया की उनके साथ और कोई भी अब उसके साथ रहने लगा हैं! अगर आपको ये Hindi Horror Story अच्छी लगी तो वीडियो को लाइक जरूर करें, और हमारे चैनल Akshu Tv को सब्सक्राइब करें
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BLACK COLOUR STORY-काले रंग के परिवार की कहानी
काले रंग के परिवार की कहानी
एक व्यक्ति जिसका नाम गौरीशंकर था पर उसका रंग काला था उसकी नौकरी शहर में लग गई। वह खुशी खुशी गांव के जीवन से अपने आपको शहर के रंग ढंग में ढालने लगा। खान पान से लेकर उठने और बैठने,बोलने,पहनने तक बनावटीपन डालना शुरू कर दिया। उसे इस प्रकार के बनावटीपन की आदत नहीं थी.Read more...
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आवाज़ें
वह जब भी मेरे पास आता था, उसकी एक ही तकलीफ रहती थी। वो मुझसे बार-बार यही कहता था कि डॉक्टर साहब कुछ भी करके ये शोर कम कर दीजिए। मैंने उसे कुछ दवाइयाँ भी दी थी लेकिन लगता है उसने वही किया जिसके लिए मैंने उसे सख्त मना किया था।
राहुल मेरे पास पहली बार तब आया था जब उसका स्कूल खत्म हुआ था और कॉलेज शुरू होने ही वाला था। पहले उसकी तकलीफें कम और शिकायतें ज्यादा थी। जब देखो कहता कान मे दर्द हो रहा है, उसने बताया था कि कोई व्यक्ति अजीब सी वेश भूषा मे उसके सामने आया और भीख मांगते-मांगते कान मे फूँक मारकर चल गया। मुझे ये बात बड़ी अटपटी सी लगी। उसकी माँ तो मानो तुरंत समझ गईं थी कि मेरे लड़के पर किसी ने टोटका कर दिया है और अब उसे एक अच्छे पंडित से मिलना चाहिए। मैंने अपने हासिल किये हुए ज्ञान से यही पाया कि राहुल की मानसिक स्थिति बिगड़ रही थी। उसे तरह तरह की आवाज़ें सुनाई देने लगीं थीं, मानो कोई उसे पुकार रहा हो, चिढ़ा रहा हो, गालियां दे रहा हो। वो हर समय परेशान रहने लगा। उसके दोस्त भी उसे पागल कहते और दूर भागते। मैंने उसे सीधी सलाह दी की "राहुल, ये आवाज़ें तुम्हारे दिमाग मे हैं, इन पर ज्यादा ध्यान मत दो और भूल कर भी इनका जवाब बिल्कुल मत देना वरना हालत बिगड़ सकती है"। उसे देखकर ऐसा लगा जैसे उसे मेरी बात समझ मे आ गई हो। लेकिन फिर भी उसने वही किया जिसके लिए मैंने उसे मना किया था, पता नहीं क्यों उसने मेरी बात नहीं मानी।
राहुल के कान का दर्द बढ़ता गया, और अब उसका कॉलेज मे भी ध्यान न लगता। वो जब फिरसे मेरे पास आया तब अपनी माँ और एक पंडित जी को साथ लाया था। पंडित मुझे पैनी आँखों से घूरने लगा और उसकी माँ ने तुरंत मेरे कैबिन के सोफ़े पर उसे लिटा दिया। मेरी असिस्टन्ट उनके पीछे पीछे अंदर आई, उसने मेरी तरफ देखा और मैंने उसे बाहर जाने का इशारा किया। देखने मे लग रहा था कि ये इनका घर है और मैं यहाँ कोई मेहमान हूँ। राहुल की हालत बहुत खराब थी। पंडित ने मुझे नजदीक बुलाया और राहुल का तापमान और दिल की धड़कने मापने को कहा। मैंने अकढ़ मे पहले उन्हे डांटना चाहा लेकिन स्थिति की गंभीरता देखते हुए मैंने कुछ नहीं बोला।
राहुल चिल्लाने लगा। कहता "ये आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं! इन्हे रोको!"
बाहर मेरे बाकी मरीज ये तमाशा देखकर लौटने लगे। मुझे लगा मेरी बहुत बदनामी हो रही है। राहुल की माँ ने रोना शुरू कर दिया। पर मैंने साहस जुटा कर उनसे कहा कि ये कोई तरीका नहीं हुआ। आप लोग बाहर जाएँ यहाँ से नहीं तो मैं पुलिस को बुला दूंगा, ये मेरा क्लिनिक है। यहाँ मैं इस तमाशे की इजाजत नहीं दूंगा। बोलते ही मुझे लगा शायद नहीं बोलना चाहिए था। पंडित ने तुरंत अपने हाथों से राहुल को उठाया और कोई मंत्र पढ़ते पढ़ते वहाँ से बाहर चला गया। मैं भी उनके साथ बाहर निकला और अपने बाकी मरीजों के सामने ठेठ मे बोलने लगा "न जाने कहाँ से आ जाते हैं"। मेरे बाकी मरीजों को थोड़ी सी तसल्ली हुई और वे सब वापस या गए। खुसुर फुसुर शुरू हुई और मैंने भी हिस्सा लिया। अब सब ठीक लग रहा था। दिन की दिहाड़ी सुरक्षित थी। मैं वापस अपने काम मे लग गया।
कुछ दिनों बाद मुझे राहुल पार्क मे दिखा, वो अब व्हील चेयर पर था। उसके पीछे एक और आदमी खड़ा था जो शायद उसका भाई था। राहुल मुझे देखकर बहुत खुश हो गया। मैं उसके करीब गया, और जाकर घुटनों पर बैठ गया, बोला तुम्हारी अंधविश्वासी माँ ने अगर ठीक तरह से तुम्हारा इलाज कराया होता तो शायद तुम्हें कुछ न हुआ होता।
"लेकिन बीमारी क्या थी?" पीछे खड़े आदमी ने मुसकुराते हुए पूछा। मेरे सामने राहुल का चेहरा लटक गया। मेरे आस पास सब नीला सा हो गया। वो आदमी मेरे पास आया और मेरे कान मे कुछ कहने की बजाय, फूँक मारकर राहुल को अपने साथ ले गया।
मेरी आँखें फिर उसी पार्क मे तीन से चार घंटे बाद खुलीं। एक चौकीदार मुझे अपने पैर से मारकर ये भांप रहा था कि मैं जिंदा हूँ या मर गया। शराबियों के लिए बचाया हुआ ताना उसने मुझपर मार दिया और फिर डांट-डपट कर चला गया। मैं भागता हुआ वहाँ से अपने घर चला गया।
कुछ दिनों बाद मैं अपने क्लिनिक पर ही बैठा कुछ काम कर रहा था। सामने से राहुल अंदर आया, जो अब अपने पैरों पर था। मैं थोड़ा चौंका। मैंने उससे हाल चाल पूछे तो उसने बताया कि अब आवाज़ें नहीं आती हैं। मैंने पार्क मे हुए हादसे के बारे मे पूछने की कोशिश की लेकिन न जाने क्यों मुझे शर्मिंदगी सी हुई। राहुल उठकर जाने लगा और दरवाजे के समीप पहुंचते ही क्षण भर के लिए रुका। अपनी जेब टटोलकर शायद फोन निकालना चाह रहा था। मेरा स्वभाव था कि मैं अक्सर अपने मरीजों को गेट तक छोड़कर आता था लेकिन जब मैंने उठने की कोशिश करी तो देखा कि मेरे पैर एक जगह जम से गए हैं। गर्दन के पीछे एक तेज हवा सुनाई दी। मैंने कुर्सी मोड़ कर पीछे देखा तो पार्क वाला आदमी फटे-फूटे कपड़ों मे खड़ा मुस्कुरा रहा था। देखकर लगा कोई भिकारी है। पीछे से राहुल ने कहा "आवाज़ें तो आएंगी, लेकिन उत्तर मत देना डॉक्टर साहब"। दोबारा पीछे मुड़कर देखा तो राहुल जा चुका था और दरवाजा धीरे धीरे अपनी गति से बंद हो रहा था...
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Kise Dhundh Rahe Ho? | Akshu TV | Hindi Horror Stories | Animated Stories
All the characters, incidents, names, and situations used in this story are fictitious. Resemblance to any person living or dead is purely Co-incidental. Following video contains some horror elements, and suitable for a mature audience (15+). This Channel and Video is not for Kids.
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चालाक गधा /Clever Donkey -Short Stories
एक गांव में एक कुम्हार रहता था। उसके पास एक गधा था। कुम्हार अक्षर गधे को मटके बनाने के लिए मिट्टी लाने के काम में लेता था। एक बार मटके बनाने का काम कमजोर होने के कारण कुम्हार परेशान था....Read More
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