कुतुब मीनार हिंदू मंदिर पर निर्मित, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण 1871 की रिपोर्ट
1871-72 की रिपोर्ट से कुछ महत्वपूर्ण टेकअवे निम्नलिखित हैं:
एक एकल हिंदू मंदिर के उपनिवेश में स्तंभों को उनके मूल स्थानों में फिर से स्थापित किया गया है । उनकी वर्तमान ऊंचाई मूल हिंदू उपनिवेश के समान है ।
जिस छत पर मस्जिद वर्तमान में बैठती है, वह पहले ए
अंग्रेजी में मेरे लेख का हिंदी संस्करण निम्नलिखित है । मैंने लेख के समापन की ओर अंग्रेजी लेख का लिंक प्रदान किया है ।
मैंने भारत में मुगलों के योगदान पर लेख प्रकाशित किए थे । भारत में इस्लाम द्वारा नष्ट किए गए मंदिरों की सूची । हुमायूं के मकबरे में विष्णु के पैर । कैसे, मालाबार में, टीपू सुल्तान द्वारा ब्राह्मणों का नरसंहार किया गया और कैसे उन्हें मांस खाने के लिए मजबूर किया गया और इस्लाम में…
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Shaheed Diwas 2023: 23 मार्च को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए
Shaheed Diwas : 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश सरकार ने लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी थी
हर साल 23 मार्च को भारत शहादत दिवस मनाया जाता है। भारत के तीन वीर सपूतों ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे । ये तीनों ही युवाओं के लिए आदर्श और प्रेरणा है। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु भारत की आजादी के लिए अपनी जान देने वाले क्रांतिकारियों में से एक थे। 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु नाम के तीन युवकों को ब्रिटिश सरकार ने फांसी दे दी थी। वह 23 वर्ष के थे। इसलिए ,शहीदों को श्रद्धांजलि के रूप में, भारत सरकार ने 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में घोषित किया। लेकिन क्या आपको पता है कि इन तीनों शहीदों की मौत भी अंग्रेजी हुकूमत की एक साजिश थी? भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव सभी को 24 मार्च को फाँसी देनी तय हुई थी, लेकिन अंग्रेजों ने एक दिन पहले 23 मार्च को भारत के तीनों वीर पुत्रो को फांसी पर लटका दिया। आखिर इसकी वजह क्या थी? आखिर भगत सिंह और उनके साथियों ने ऐसा क्या अपराध किया था कि उन्हें फांसी की सजा दी गई। भगत सिंह की पुण्यतिथि पर जानिए उनके जीवन के बारे में कई दिलचस्प बातें।
देश की आजादी के लिए सेंट्रल असेंबली में बम फेंका गया।
8 अप्रैल, 1929 को दो क्रांतिकारियों, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम फेंका और ‘साइमन गो बैक’ नारे में भी संदर्भित किया गया था। जहां कुख्यात आयोग के प्रमुख सर जॉन साइमन मौजूद थे। साइमन कमीशन को भारत में व्यापक विरोध का सामना करना पड़ा था। बम फेंकने के बाद दोनों ने भागने की कोशिश नहीं की और सभा में पर्चे फेंक कर आजादी के नारे लगाते रहे और अपनी गिरफ्तारी दी। जो पर्चे गिराए उनमें पहला शब्द “नोटिस” था। उसके बाद उनमें पहला वाक्य फ्रेंच शहीद अगस्त वैलां का था। लेकिन दोनों क्रांतिकारियों द्वारा दिया गया प्रमुख नारा ‘’इंकलाब जिंदाबाद’’ था । इस दौरान उन्हें करीब दो साल की सजा हुई।
करीब दो साल की मिली कैद
भगत सिंह करीब दो साल तक जेल में रहे। उन्होंने बहुत सारे क्रांतिकारी लेख लिखे, जिनमें से कुछ ब्रिटिश लोगों के बारे में थे, और अन्य पूंजीपतियों के बारे में थे। जिन्हें वह अपना और देश का दुश्मन मानते थे। उन्होंने कहा कि श्रमिकों का शोषण करने वाला कोई भी व्यक्ति उनका दुश्मन है, चाहे वह व्यक्ति भारतीय ही क्यों न हो।
जेल में भी जारी रखा विरोध
भगत सिंह बहुत बुद्धिमान थे और कई भाषाएँ जानते थे। वह हिंदी, पंजाबी, उर्दू, बांग्ला और अंग्रेजी आती जानते थे । उन्होंने बटुकेश्वर दत्त से बंगाली भी सीखी थी। भगत सिंह अक्सर अपने लेखों में भारतीय समाज में लिपि, जाति और धर्म के कारण आई लोगों के बीच की दूरी के बारे में चिंता और दुख व्यक्त करते थे।
राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव की फांसी की तारीख तय की गई
दो साल तक कैद में रहने के बाद, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च, 1931 को फाँसी दी जानी थी। हालाँकि, उनकी फाँसी की ख़बर से देश में बहुत हंगामा हुआ और ब्रिटिश सरकार प्रतिक्रिया से डर गई। वह तीनों सपूतों की फांसी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। भारतीयों का आक्रोश और विरोध देख अंग्रेज सरकार डर गई थी।
डर गई अंग्रेज सरकार
ब्रिटिश सरकार को इस बात की चिंता थी कि भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु की फाँसी के दिन भारतीयों का गुस्सा उबलने की स्थिति में पहुँच जाएगा, और स्थिति और भी बदतर हो सकती है। इसलिए, उन्होंने उसकी फांसी की तारीख और समय को बदलने का फैसला किया।
तय समय से पहले दी भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु को फांसी
ब्रिटिश सरकार ने जनता के विरोध को देखते हुए 24 मार्च जो फांसी का दिन था उसे 11 घंटे पहले 23 मार्च का दिन कर दिया। इसका पता भगत सिंह को नहीं था। 22 मार्च की रात सभी कैदी मैदान में बैठे थे। तभी वार्डन चरत सिंह आए और बंदियों को अपनी-अपनी कोठरियों में जाने को कहा। कुछ ही समय बाद नाई बरकत की बात कैदियों के कानों में पड़ी कि उस रात भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी जाने वाली है।
23 मार्च 1931 को शाम 7.30 बजे फांसी दे दी जायगी । कहते है कि जब भगत सिंह से उनकी आखिरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने कहा कि वह लेनिन (Reminiscences of Leni) की जीवनी पढ़ रहे थे और उन्हें वह पूरी करने का समय दिया जाए। लेकिन जेल के अधिकारियों ने चलने को कहा तो उन्होंने किताब को हवा में उछाला और कहा – ’’ठीक है अब चलो।’’
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 7 बजकर 33 मिनट पर 23 मार्च 1931 को शाम में लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई। शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव एक दूसरे से मिले और उन्होंने एक-दूसरे का हाथ थामे आजादी का गीत गाया।
”मेरा रँग दे बसन्ती चोला, मेरा रँग दे। मेरा रँग दे बसन्ती चोला। माय रँग इे बसन्ती चोला।।’’
साथ ही ’इंक़लाब ज़िन्दाबाद’ और ’हिंदुस्तान आजाद हो’ का नारा लगये ।
उनके नारे सुनते ही जेल के कैदी भी इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। कहा जाता है कि फांसी का फंदा पुराना था लेकिन जिसे फांसी दी गई वह काफी तंदुरुस्त था। मसीद जलाद को फाँसी के लिए लाहौर के पास शाहदरा से बुलाया गया था। भगतसिंह बीच में खङे थे और अगल-बगल में राजगुरु और सुखदेव खङे थे। जब मसीद जल्लाद ने पूछा कि, ’सबसे पहले कौन जाएगा?’
तब सुखदेव ने सबसे पहले फांसी पर लटकाने की सहमति दी। मसीद जल्लाद ने सावधानी से एक-एक करके रस्सियों को खींचा और उनके पैरों के नीचे लगे तख्तों को पैर मारकर हटा दिया। लगभग 1 घंटे तक उनके शव तख्तों से लटकते रहे, उसके बाद उन्हें नीचे उतारा गया और लेफ्टिनेंट कर्नल जेजे नेल्सन और लेफ्टिनेंट एनएस सोढ़ी द्वारा उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
तीन क्रांतिकारियों, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का अंतिम संस्कार
ब्रिटिश सरकार की योजना थी इन सबका अंतिम दाह संस्कार जेल में करने की योजना बनाई थी। हालांकि, अधिकारियों को चिंता हुई कि अगर जेल से दाह संस्कार की प्रक्रिया से निकलने वाले धुएं को देखा तो जनता नाराज हो जाएगी। इसलिए, उन्होंने जेल की दीवार को तोड़ने और कैदियों के शवों को जेल के बाहर ट्रकों पर फेंकने का फैसला किया।
इससे पहले ब्रिटिश सरकार ने तय किया था कि भगत सिंह राजगुरु सुखदेव का अंतिम संस्कार रावी नदी के तट पर किया जाएगा, लेकिन उस समय रावी में पानी नहीं था। इसलिए उनके शव को फिरोजपुर के पास सतलुज नदी के कि��ारे लाया गया। उनके शवों को आग लगाई गई। इसके बारे में जब आस-पास के गाँव के लोगों को पता चल गया, तब ब्रिटिश सैनिक शवों को वहीं छोङकर भाग गये। कहा जाता है कि सारी रात गाँव के लोगों ने उन शवों के चारों ओर पहरा दिया था।
अगले दिन जब तीनों क्रांतिकारियों की मौत की खबर फैली तो उनके सम्मान में तीन मील लंबा जुलूस निकाला था। इसको लेकर लोगों ने ब्रिटिश सरकार का विरोध किया ।
फांसी से पहले भगत सिंह ने अपने साथियों को एक पत्र लिखा था।
साथियों,
स्वाभाविक है कि जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए। मैं इसे छिपाना नहीं चाहता, लेकिन एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूँ कि मैं कैद होकर या पाबंद होकर जीना नहीं चाहता।
मेरा नाम हिन्दुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है और क्रांतिकारी दल के आदर्शों और कुर्बानियों ने मुझे बहुत ऊँचा उठा दिया है- इतना ऊँचा कि जीवित रहने की स्थिति में इससे ऊँचा मैं हर्गिज नहीं हो सकता। आज मेरी कमजोरियाँ जनता के सामने नहीं हैं। अगर मैं फाँसी से बच गया तो वे जाहिर हो जाएँगी और क्रांति का प्रतीक चिन्ह मद्धिम पड़ जाएगा या संभवतः मिट ही जाए।
लेकिन दिलेराना ढंग से हँसते-हँसते मेरे फाँसी चढ़ने की सूरत में हिन्दुस्तानी माताएँ अपने बच्चों के भगतसिंह बनने की आरजू किया करेंगी और देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि क्रांति को रोकना साम्राज्यवाद या तमाम शैतानी शक्तियों के बूते की बात नहीं रहेगी।
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Gussa Shayari Hindi Mein: स्वागत है आपका एक नए लेख पर जहाँ आपको गुस्से पर शायरी मिलेगी। यह गुस्सैल शायरी स्टेटस पर भी लगाई जा सकती है। गुस्सा मानव के अनेक व्यवहारों में से एक ऐसा व्यवहार है जिस पर नियंत्रण पाना काफी कठिन है। हालाँकि कुछ जगहों पर गुस्सा जायज़ होता है लेकिन जहाँ तक हो सके गुस्सा होने से बचना चाहिए, क्यूंकि यह हर बार काम नहीं आता। अगर आप गुस्से के लिए शायरी खोज रहे हैं तो यहाँ आपको वो सब मिलेगा जो आप ढूंढ रहे हो।
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बहुत दिनों से मैं इंतजार कर रहा था कि कोई मुझे रेणु की मैला आँचल किताब भेंट में दें। मै अपने कई मित्रो के सामने भी इस विचार को रखा। लेकिन सब के सब निठल्ले निकले। अंत में हार कर सोचा, जाने भी दो मेरी ही गलती है। मेरे मित्रगण मेरे मज़ाकिया व्यवहार को कभी गंभीरता से लिए ही नहीं। वो मेरी इस मांग को भी मज़ाक ही समझ लिए हो।
कुछेक दिन पहले भैया से बात हो रही थी, उन्होंने मुझे बताया कि वो रेणु को पढ़ रहे हैं वो भी मैला आँचल। मुझसे रहा न गया, मै झट से अमेज़न से किताब को आर्डर कर दिया।
किताब मुझे कल मिली। जब मै लिफाफा को खोलकर किताब को पकड़ा तो नास्टैल्जिया हुआ। महज मै कक्षा छठी या सातवीं का विद्यार्थी रहा हूँगा। मेरे छोटे वाले मामाजी जो मेरे बड़े भैया से एकाध साल के ही बड़े होंगे, को शायद पढ़ने का शौक़ रहा होगा। वो पहली बार हमसबकों, मेरे तीनो भाई-बहन और माँ को बैठाकर, संवदिया, जो कि रेणु के ही लिखी हुई कहानी है, पाठ किया और हरेक गद्यांश को सरलता से समझाया। हालाँकि रेणु भाषावली हमलोगो के लिए जटिल बिलकुल भी नहीं है क्योंकि वो जिन बोली से अपने भाषावली बनाते थे वो हमारे लिए अनजान नहीं था ब्लकि हम ऐसे शब्दों और कहावतों को आम दिनों में जीते थे। लेकिन, साहित्य या यों कहे कि किसी भी कला कृति से वास्ता नहीं होने से, हममे वो कल्पान्तक भाव को पहचानना जटिलता जैसे ही लगाती थी। मामाजी ने उसे इतने सरल से बताया कि जब सवांदिया बड़ी बहुरानी के पाँव पकड़ कर, अंत में, रो रहा था तो मेरी माँ की भी आँखे नम हो गई थी। मै भी भावुक हो गया था पर रोया नहीं। मैं अपने आप को मर्द बनाने की ट्रेनिंग जो दे रहा था।
ख़ैर, संवदिया की शब्दावली, भावुकता से सराबोर और बरौनी जंकशन का जिक्र, मुझे रेणु से आत्मीय रूप से करीब लेकर आया। तब से रेणु की लिखी कहानियां हिंदी के टेक्सटबुक्स में ढूंढते रहता। और जो भी कहानी मिल जाती, उसे मैं छुप-छुपाकर पढ़ लेता। छुपाना ���सलिए पड़ता था, क्योंकि घरवाले को लगता था कि कहानी या साहित्य पढ़ने के बदले कुछ रसायन भौतिक गणित पढ़े तो जिंदगी में कुछ कर पावे। जो कभी स्कूल की चौखट न देखे हो, और जीवन मजूरी में बीत रही हो तो शिक्षा रोटी-पानी का एक सम्मानपूर्ण जरिया बनकर रहा जाता है।
परन्तु मैं इस मामले में, अपनेआप को सौभग्यपूर्ण मानता हूँ की, बिना ज्यादा पढ़े लिखे मैं अपने कक्षा में ठीक-ठाक कर लेता था, घर वालो की सिर्फ फ़िक्र थी तो वो मेरी लिखावट की, जो अभी तक बनी रही है। इसी वजह से मैं कहानी और साहित्य में रूचि बनवाने में अपवाद रहा हूँ। जो भी हिंदी की किताब मिल जाती उसे मैं किसी कमरे के एक अकेलेपन वाले कोने जाकर पढ़ लेता। उसी समय महादेवी वर्मा, प्रेंचन्द, राहुल संकृत्यायन आदि के लिखे कहानियां और लेख पढ़ने का मौका मिला। कवितायेँ भी पढ़ी, लेकिन कहानियों के और झुकाव काफी था।
दिल्ली आने के बाद हिंदी से लगभग वास्ता ही नहीं रह गया था। फिर चतुर सेन की वैशाली की नगरवधू हाथ लगी, और फिर से हिंदी पढ़ना शुरू किया।
रेणु की मैला आँचल शायद मै स्कूल समय में पढ़ रखा हूँ। लेकिन यह ठीक से याद नहीं है कि पूरी पढ़ी थी या नहीं। शायद पूरी पढ़ ली थी क्योंकि, कल जब मै ऐसे ही पन्ने पलट रहा था, 'चकई के चक-धूम' वाले गान, जिसे रेणु ने मैला आँचल में जगह दिए, पर नजर गई। तब मुझे याद आया कि मै इसे पहले भी पढ़ा हूँ। हालाँकि, उस उसमे इसे समझने का न ही तजुर्बा था न ही उम्र और साथ ही साथ यादास्त भी आजकल धोखा देती रहती है। इसलिए कल फिर से इसे पढना शुरू किआ। मेरीगंज की कहानी पढ़कर आँखे भर आयी और लगा मतलबी दुनिया प्यार के पागलपन को कांके का ही पागलपन समझेगा।
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मेरा पहला ब्लॉग
नमस्कार साथी ब्लॉगर्स,
मेरा नाम स्मृति। यह मेरा पहला ब्लॉग है। मैं इसे मेरी सार्वजनिक डायरी कहूँगी। मैं साहित्य में पोस्ट ग्रैजुएट हूँ। मुझे भाषा में दिलचस्पी है।
हिंदी भाषा से मुझे प्यार है। अंग्रेजी भाषा की फिल्में, सिट्कोम देखना बहुत पसंद है। अभी हाल ही में मैंने बंगला भाषा का एक छोटा सा लेख हिंदी में अनुवाद किया। कभी वह भी साझा करूंगी। इस पोस्ट के लिए इतना ही।
शुक्रिया!
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What is the story of Godaan? - Munshi Premchand || Prabhat Prakashan
प्रेमचंद एक अद्वितीय हिंदी कथाकार थे जो आधुनिक हिंदी साहित्य के अग्रणी कथाकारों में से एक थे।
उन्होंने लगभग पैंतीस वर्ष की साहित्य-साधना के दौरान 14 उपन्यास और 300 से अधिक कहानियां लिखीं।
प्रेमचंद के लेखन का मुख्य उद्देश्य समाज में सुधार और विचारों को प्रसार करना था।
उनकी उपन्यास 'सेवासदन', 'प्रतिज्ञा', 'निर्मला', 'गोदान', 'कर्मभूमि', 'गबन' आदि उनके महत्वपूर्ण लेख हैं।
'सेवासदन' में उन्होंने वेश्या-समस्या और उसके समाधान का चित्रण किया।
'प्रतिज्ञा' में वह प्रेमा की कहानी को कुछ परिवर्तन के साथ प्रस्तुत करते हैं।
'गोदान' में उन्होंने कृषक और कृषि-जीवन के विध्वंस की त्रासद कहानी को लिखा है।
प्रेमचंद ने हिंदी उपन्यास को भारतीय मुहावरा दिया और साधारण व्यक्ति को नायक बनाकर नया आदर्श प्रस्तुत किया।
उनकी रचनाएँ हिंदी भाषा को मानक रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों में भारतीय समाज की विविधता और समस्याओं का चित्रण किया गया है।
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Arnold schwarzenegger encyclopedia of modern bodybuilding workouts-अर्नोल्ड श्वार्जनेगर आधुनिक बॉडीबिल्डिंग वर्कआउट का विश्वकोश
Remedie Healthy
इस लेख मे मै आपक/ arnold schwarzenegger encyclopedia of modern bodybuilding workouts/ के बारे में बताऊंग इस लेख मे body kaise banaye पुरी जानकारी दूँगा हिंदी में तो चलिए जानते है
1. अर्नोल्ड श्वार्जनेगर के विश्वकोश के साथ बॉडीबिल्डिंग के लिए अंतिम गाइड की खोज करें।
2. श्वार्जनेगर के सिद्ध मांसपेशी-निर्माण वर्कआउट्स के बारे में अंदरूनी जानकारी प्राप्त करें।
3. इन कसरत…
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हिंदी की प्रसिद्ध पुस्तकें, ज्ञान और मनोरंजन का अद्भुत संगम
हिंदी साहित्य का अनमोल धरोहर है, जिसमें पुस्तकों का विशेष स्थान है। “हिंदी की प्रसिद्ध पुस्तकें: ज्ञान और मनोरंजन का अद्भुत संगम” इस विषय पर आज हम चर्चा करेंगे। यह लेख हमें हिंदी साहित्य के विभिन्न पहलुओं और प्रसिद्ध पुस्तकों के बारे में जानकारी देगा, जो ज्ञान और मनोरंजन का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हैं। हिंदी साहित्य अपनी समृद्ध परंपरा और विविधता के लिए जाना जाता है। अनेक प्रतिभाशाली लेखकों ने…
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खो खो, एक पारंपरिक भारतीय खेल, हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग रहा है। इस लेख में, हम kho kho game in hindi की पेचीदगियों पर प्रकाश डालेंगे, इसके नियमों की खोज करेंगे, आवश्यक जानकारी प्रदान करेंगे और एक व्यापक मार्गदर्शिका पेश करेंगे। चाहे आप एक अनुभवी खिलाड़ी हों या नौसिखिया, जो हिंदी में खो-खो के बारे में जानने के लिए उत्सुक हों, इस रोमांचक खेल का सार जानने के लिए आगे पढ़ें।
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ऑपरेटिंग सिस्टम में Deadlock क्या हैं? 2024 का अल्टिमेट गाइड़
Deadlock in OS in Hindi - OS में डेडलॉक हिंदी मेंइस लेख में, हम ऑपरेटिंग सिस्टम में डेडलॉक की व्याख्या करेंगे, डेडलॉक के कारणों और विशेषताओं का पता लगाएंगे, और डेडलॉक से निपटने के लिए रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।
ऑपरेटिंग सिस्टम में Deadlock क्या है? डेडलॉक एक गंभीर समस्या है जो ऑपरेटिंग सिस्टम में तब उत्पन्न हो सकती है जब कई प्रोसेसेज आगे नहीं बढ़ सकती हैं क्योंकि प्रत्येक प्रोसेस एक रिसोर्स की प्रतीक्षा कर रही है जो किसी अन्य प्रोसेस द्वारा आयोजित की जा रही है। इस लेख में, हम ऑपरेटिंग सिस्टम में डेडलॉक की व्याख्या करेंगे, OS में डेडलॉक के कारणों और विशेषताओं का पता उदाहरणों के साथ लगाएंगे, और OS में डेडलॉक से निपटने और ऑपरेटिंग सिस्टम में डेडलॉक को रोकने के लिए विभिन्न रणनीतियों पर चर्चा करेंग��।
यह सर्वविदित है कि सिस्टम पर होने वाली प्रत्येक प्रोसेस को एक्सीक्यूट करने के लिए कुछ रिसोर्सेस की सहायता की आवश्यकता होती है। रिसोर्स सिस्टम के सीपीयू या कुछ प्लग-इन डिवाइस जैसे स्टैंडर्ड इनपुट या आउटपुट डिवाइस के रूप में हो सकता है। और जैसे ही प्रोसेस समाप्त होती है, उपयोग में आने वाला रिसोर्स विधिवत जारी कर दिया जाता है। लेकिन जब एक सिस्टम पर कई प्रोसेसेस एक साथ चलने लगती हैं, तो संभावना है कि इनमें से प्रत्येक प्रोसेस को एक रिसोर्स के लिए प्रतिस्पर्धा करनी होगी। इस प्रतियोगिता की परिणति तकनीकी विशेषज्ञों ने OS में Deadlock के रूप में की है।
इस ब्लॉग में, हम विस्तार से विश्लेषण करेंगे कि OS में Deadlock Kya Hai? OS में डेडलॉक उदाहरण के साथ एक स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करें, इससे निपटने के तरीके और भी बहुत कुछ। तो, धैर्य रखें और अंत तक पढ़ें।
Deadlock in OS in Hindi - OS में डेडलॉक हिंदी में
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UPSC: खान ग्लोबल स्टडीज़ के साथ यूपीएससी की तैयारी
यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) एक महत्वपूर्ण संगठन है जो भारतीय सरकार के विभिन्न पदों के लिए सिविल सेवा परीक्षाएं आयोजित करता है। इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए उम्मीदवारों को एक अच्छी तैयारी की आवश्यकता है। खान ग्लोबल स्टडीज़ यूपीएससी की तैयारी के क्षेत्र में अपनी अद्वितीयता के लिए मशहूर है।
खान ग्लोबल स्टडीज़: UPSC की तैयारी का सर्वोत्तम स्थान
खान ग्लोबल स्टडीज़ ने यूपीएससी की तैयारी को सरल और प्रभावी बनाया है। यहाँ प्रदान की जाने वाली उनकी UPSC की तैयारी के पाठ्यक्रम ने छात्रों को सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंचाया है।
UPSC कोर्सेस
खान ग्लोबल स्टडीज़ UPSC की तैयारी के लिए विशेष पाठ्यक्रम प्रदान करता है। इन कोर्सों में शामिल हैं ऑनलाइन लाइव क्लासेस, स्वतंत्र अभ्यास सामग्री, और महत्वपूर्ण परीक्षा प्रश्न। ये सभी तत्व एक संपूर्ण तैयारी के लिए साहायक होते हैं।
UPSC में हिंदी में करंट अफेयर्स
UPSC की तैयारी के लिए करंट अफेयर्स को अपडेट रखना महत्वपूर्ण है, और खान ग्लोबल स्टडीज़ इसे हिंदी में प्रदान करता है। इससे छात्रों को ताज़ा जानकारी मिलती है और वे परीक्षा के संदर्भ में अद्यतित रह सकते हैं।
UPSC पाठ्यक्रम 2024 का अन्वेषण
खान ग्लोबल स्टडीज़ ने अपने पाठ्यक्रम को 2024 के UPSC पाठ्यक्रम के साथ समन्वित किया है। यह सुनिश्चित करता है कि छात्र नवीनतम परीक्षा पैटर्न के अनुसार तैयारी कर रहे हैं और सफलता प्राप्त करने के लिए तैयार हैं।
इस लेख के माध्यम से हमने देखा कि खान ग्लोबल स्टडीज़ कैसे UPSC की तैयारी को सरल बनाता है और छात्रों को सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंचाता है। इससे साफ होता है कि एक अच्छी तैयारी और मेंटरिंग के साथ सही दिशा में कदम बढ़ाना हमेशा महत्वपूर्ण होता है।
FAQs
1. UPSC की तैयारी के लिए क्या-क्या सुझाव हैं?
उम्मीदवारों को नियमित रूप से पढ़ाई करनी चाहिए और प्रैक्टिस टेस्ट लेने चाहिए।
2. खान ग्लोबल स्टडीज़ के कोर्सेस क्या-क्या हैं?
खान ग्लोबल स्टडीज़ UPSC की तैयारी के लिए विभिन्न पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
3. UPSC की तैयारी के लिए कितने समय की आवश्यकता है?
यह निर्भर करता है कि छात्र कितने प्रतियोगी हैं, लेकिन सामान्यतः अच्छी तैयारी के लिए 8-10 महीने की आवश्यकता होती है।
4. क्या खान ग्लोबल स्टडीज़ के कोर्सेस हिंदी में उपलब्ध हैं?
हां, खान ग्लोबल स्टडीज़ के कोर्सेस हिंदी में भी उपलब्ध हैं।
5. UPSC सिविल सेवा की परीक्षा कितने चरणों में होती है?
UPSC सिविल सेवा की परीक्षा तीन चरणों में होती है: प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा, और आईएस इंटरव्यू।
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MPL से पैसे कैसे कमाए? 2024 में जित के तरीके और ट्रिक्स
MPL Se Paise Kaise Kamaye - एमपीएल से पैसे कैसे कमाएआज के इस आर्टिकल में हम देखेंगे कि MPL और MPL App Guide से पैसे कैसे कमाए हिंदी में। दोस्तों आपने MPL ऐप का नाम तो सुना ही होगा। अगर आप टीवी देखते हैं तो यह एप्लीकेशन टीवी पर भी आती है। यह हाल के दिनों में एक ट्रेंडी एप्लीकेशन है!
लॉकडाउन के चलते लोग अपना समय बिताने के लिए कई गेमर्स अपने पसंदीदा ऑनलाइन गेम खेलकर पुरस्कार और असली नकद जीत रहे हैं। अगर आप भी पबजी और एमपीएल लूडो जैसे अपने पसंदीदा गेम का आनंद लेते हुए पैसा कमाना चाहते हैं, तो एमपीएल ऐप डाउनलोड करें!
तो आज के इस आर्टिकल में हम आपको MPL ऐप के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं। जैसे MPL से पैसे कैसे कमाए, MPL ऐप क्या है, इसका उपयोग कैसे किया जाता है? और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम इससे पैसे कैसे कमा सकते हैं? लेख को पूरा पढ़ें ताकि एमपीएल एप्लिकेशन का उपयोग करते समय आपको किसी समस्या का सामना न करना पड़े। चलिए, शुरू करते हैं!
MPL Se Paise Kaise Kamaye? MPL से पैसे कैसे कमाए?
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दर्द का समर्पण: पेट के दर्द की दास्तान
सूचना:
अगर आपने इस लेख को देखा है, तो एक बात स्पष्ट है - पेट का दर्द कुछ है जिसके बारे में बात की जा रही है। हम जानते हैं कि Jehanabad एक शहर है, न कि एक अस्पताल या चिकित्सा केंद्र। तो, बिना किसी और बकवास के, आइए पेट के दर्द की राह में चलें!
आरंभ: पेट का दर्द और उससे जुड़ी समस्याएं
पेट का दर्द, एक ऐसी समस्या है जिसने हम सभी को कम ना कम एक बार तो सताया है। यह एक सामान्य समस्या होने के साथ-साथ, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जो हमें इसे सही से समझने की कोशिश करते हैं।
स्टॉमेक पेन इन हिंदी:
पेट का दर्द विभिन्न कारणों से हो सकता है और इसका आना अचानक या फिर धीरे-धीरे हो सकता है। इसमें तीन मुख्य कारणों का समृद्धि है:
1. खानपान में बदलाव:
कभी-कभी हम अपने खानपान में बदलाव करने का सोचते हैं, और यह दर्द का कारण बन सकता है। तीखा, तली हुई चीजें, और अधिक मसालेदार भोजन खाना इसे बढ़ा सकता है।
2. अस्वस्थ जीवनशैली:
अगर आपकी दिनचर्या में योजना नहीं है और आप समय पर खाना नहीं खाते, तो यह दर्द का कारण बन सकता है। सही तरीके से पानी पीना भी महत्वपूर्ण है!
3. इंफेक्शन और बीमारियाँ:
पेट के दर्द के पीछे छुपे हुए कई कारण हो सकते हैं, जिसमें इंफेक्शन और बीमारियाँ शामिल हैं। किसी भी ऐसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
उपचार और सुझाव:
अब, जब हमने समस्या के कुछ मुख्य कारणों की चर्चा की है, आइए देखें कि इससे बचने और उपचार करने के कुछ तरीके क्या हैं।
1. स्वस्थ खानपान:
अपने खानपान में सुधार करें। तली हुई चीजें कम खाएं और स्वस्थ आहार को अपनाएं।
2. नियमित व्यायाम:
नियमित रूप से व्यायाम करना भी एक स्वस्थ जीवनशैली का हिस्सा है। यह पाचन को सुधारने में मदद कर सकता है और पेट के दर्द को कम कर सकता है।
3. बाकी लें:
अगर आपको दिनभर की भागदौड़ में थकान महसूस होती है, तो बाकी लेना भी बहुत महत्वपूर्ण है।
FAQ:
Q1: पेट का दर्द कितने प्रकार का हो सकता है?
A1: पेट का दर्द विभिन्न कारणों से हो सकता है, जैसे कि खानपान में बदलाव, अस्वस्थ जीवनशैली, और इंफेक्शन।
Q2: क्या खानपान में बदलाव करना दर्द को कम कर सकता है?
A2: हां, सही खानपान दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। तली हुई चीजें कम खाएं और स्वस्थ आहार को अपनाएं।
Q3: क्या पेट का दर्द गंभीर हो सकता है?
A3: हां, कई बार पेट का दर्द गंभीर हो सकता है और इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि दर्द बना रहता है, तो चिकित्सक से संपर्क करें।
निष्कर्ष:
इस लेख के माध्यम से हमने देखा कि पेट का दर्द अनेक कारणों से हो सकता है, लेकिन सही दिशा में कदम बढ़ाने से इसे कम किया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात - अगर दर्द बना रहता है, तो तत्पर चिकित्सक से सलाह लें। इसके अलावा, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और जिंदगी का हर पल खुशियों से भरा हो!
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Saral Kiosk Registration बेरोजगारो के लिए आखिरी मौका Complete Information In हिंदी
Haryana में Saral Kiosk ऑपरेटर ID रजिस्ट्रेशन, सेवाओं और विभागों की सूची, रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूर्ण जानकारी सरल काउंटर पंजीकृत करने के लिए, सेवाओं की सूची, विभागों की सूची Operatitor ID Registration Process
पहले हरियाणा में रहने वाले लोगों को हरियाणा सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए कई पोर्टल पर जाकर आवेदन करना पड़ा, जिससे कई समस्याएं उत्पन्न हुईं। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए, हरियाणा सरकार ने अपनी अधिकांश योजनाओं और सेवाओं को एक ही पोर्टल पर अटैच किया है. इसका अर्थ है कि हरियाणा के नागरिक अब एक ही पोर्टल पर कई योजनाओं में आवेदन कर सकते हैं और कई सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।अगर आप हरियाणा में रहते और काम करते हैं तो राज्य सरकार आपको जन सेवा ऑपरेटर आईडी देती है
आप इस ID के माध्यम से जन सेवा केंद्र पर आने वाले लोगों या आम लोगों को कई सेवाएं दे सकते हैं। हम आज के लेख में हरियाणा में सरल ऑपरेटर आईडी बनाने या लेने के बारे में बताएँगे।
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