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#सोयाबीन
kisanofindia · 10 months
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सोयाबीन की नई किस्में: ये किस्में किसानों को देंगी ज़्यादा पैदावार और अच्छा मुनाफ़ा
कम समय में पकने वाली, जलवायु अनुकूल और प्रतिरोधक क्षमता में उन्नत
इन नई किस्मों में से एक किस्म ऐसी है जो किसान एक साल में अलग-अलग दो फसलें के साथ लगा सकते हैं। उन किसानों के लिए ये सोयाबीन की नई किस्में पहली पसंद हो सकती है। इंदौर स्थित सोयाबीन अनुसंधान के भारतीय संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक संजय गुप्ता ने इस किस्म को विकसित किया है। 
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सोयाबीन की नई किस्में (New Soybean Varieties): देश के किसानों की हालत में सुधार, उनकी आय में वृद्धि के उद्देश्य से कृषि वैज्ञानिक आधुनिक तकनीक और फसलों की उन्नत किस्में लगातार विकसित करते रहे हैं। अभी हाल ही में अलग-अलग फसलों की 35 नई किस्मों की सौगात किसानों को दी गई। ये नई किस्में जलवायु अनुकूल और कुपोषण मुक्त भारत के अभियान को रफ़्तार देने में मददगार होंगी।
देश के अलग-अलग कृषि संस्थानों द्वारा ईज़ाद की गई इन किस्मों में सूखा प्रभावित क्षेत्र के लिए चने की नई किस्म, कम समय में तैयार होने वाली अरहर, जलवायु अनुकूल और रोग प्रतिरोधी धान की किस्में, पोषक तत्वों से भरपूर गेहूं, बाजरा, मक्का की किस्में शामिल हैं। इसके अलावा किनोवो, कुट्टू, विंग्डबीन और बाकला की उन्नत किस्में और उच्च गुणवत्ता वाले सरसों और सोयाबीन की प्रमुख किस्में की वैरायटी भी किसानों को समर्पित की गईं। इस लेख में आगे आप सोयाबीन की नई किस्मों की खासियत और उत्पादन क्षमता के बारे में जानेंगे। 
सोयाबीन की जो नई किस्में आईं हैं, वो कई मायनों में ज़्यादा उन्नत हैं, जो इसकी खेती करने वाले किसानों को अच्छे उत्पादन के साथ-साथ गुणवत्ता भी देंगी। सोयाबीन प्रोटीन की मात्रा से भरपूर होता है। इसमें प्रोटीन की मात्रा लगभग 40 से 50 फ़ीसदी पाई जाती है। इसके नियमित सेवन से प्रोटीन की कमी से होने वाली बीमारियों से बचाव होता है। सोयाबीन के इन गुणों को देखते हुए ही लोगों के बीच इसकी अच्छी मांग रहती है। इस वजह से किसान अगर उन्नत किस्मों की खेती करेंगे तो उन्हें लाभ की संभावना ज़्यादा रहेगी।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- सोयाबीन अनुसंधान के भारतीय संस्थान इंदौर (ICAR-IISR) ने सोयाबीन की नई किस्मों को लेकर विस्तार से जानकारी दी है। आइए जानते हैं इन सोयाबीन की नई किस्मों के बारे में।
सोयाबीन किस्म एन. आर. सी. 128
सोयाबीन की एन. आर. सी. 128 किस्म (Soybean Varieties nrc 128) की खासियत है कि ज़्यादा पानी गिरने और जलभराव वाली स्थिति में भी इस किस्म को नुकसान नहीं पहुंचता। इस किस्म में रोए होते हैं जिस कारण कीड़ों का प्रकोप कम होता है। ये किस्म बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के किसानों के लिए अच्छी है। साथ ही उत्तर मैदानी क्षेत्र पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के लिए भी ये किस्म उपयुक्त है। पूर्वी क्षेत्र और उत्तर मैदानी क्षेत्र के किसानों को इस किस्म की खेती से फ़ायदा होगा। इस किस्म को विकसित करने का श्रेय डॉ. एम. शिवकुमार को जाता है।
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सोयाबीन किस्म एन. आर. सी. 127
सोयाबीन की किस्म एन. आर. सी. 127 खाद्य प्रोडक्ट बनाने के लिए बेहद उपयुक्त है। अन्य किस्मों को जहां इस्तेमाल से पहले उबालना पड़ता है। ये किस्म कड़वा मुक्त होने के कारण इसे खाया जा सकता है। ये किस्म 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। ये किस्म मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के लिए उपयुक्त है। 
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सोयाबीन किस्म एन. आर. सी. 130
एन. आर. सी. 130 बहुत ही कम समय में पकने वाली किस्म है। जो किसान एक साल में अलग-अलग तीन फसलें लगाना चाहते हैं, उन किसानों के लिए ये किस्म पहली पसंद हो सकती है। इंदौर स्थित सोयाबीन अनुसंधान के भारतीय संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक संजय गुप्ता ने इस किस्म को विकसित किया है। 
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bhavtarininews · 2 years
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अब सरकार सीधे किसानों से खरीदेगी पोषण आहार की सामग्री https://jagatgaon.com/Now-the-government-will-buy-nutritional-food-items-directly-from-farmers #मध्य प्रदेश, #पोषण आहार, #कच्चा माल, #हल्दी, #सोयाबीन, #चना दाल, #मूंग दाल, #गेहूं, #चावल, #राज्य आजीविका मिशन, #आंगनबाड़ी केंद्र https://www.instagram.com/p/Ces9m6jMeK7/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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todaymandibhav · 7 days
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Soybean Price: सोयाबीन भाव में 50 रुपये की तेजी, देखें आज 31 मई 2024 का ताजा रेट
Soybean Price 31 May 2024 – सोयाबीन भाव में आज मामूली बदलाव आया, लातूर मंडी में आज 50 रुपये की तेज़ी जबकि अकोला मंडी में 70 रुपये की गिरावट आई। देश की विभिन्न मंडियों में वर्तमान बाजार दरों के अनुसार आज का सोयाबीन का ताजा भाव और आवक की ताजा जानकारी यहाँ प्रकाशित की गई है । सोयाबीन का मंडी भाव अपडेट 31-05-2024 Aaj Ka Soyabean Ka Bhav: दिनांक 31 मई 2024 दिन शुक्रवार को सोयाबीन के भाव की लेटेस्ट…
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tajamandibhav · 1 year
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Discover the benefits of weather-based crop insurance in protecting farmers from climate change impacts and promoting sustainable agriculture.
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merikheti · 2 years
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किसानों में मचा हड़कंप, केवड़ा रोग के प्रकोप से सोयाबीन की फसल चौपट|
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जैसा कि आप सभी को पता होगा कि महाराष्ट्र सोयाबीन (soyabean) का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। विटामिन और प्रोटीन से भरपूर सोयाबीन स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से‌ गजब का फायदेमंद है। विश्वस्त सूत्रों द्वारा ज्ञात हुआ है कि वर्तमान समय में सोयाबीन को किसी की नजर लग गयी है। दरअसल, सोयाबीन की फसल पर केवड़े रोग (Bacterial blight of soybean) का भयानक प्रकोप हुआ है। अचानक ऐसी गंभीर, भयावह व दुर्लभ स्थितियों से सामना ‌करना किसानों को भारी‌ पड़ रहा है। संकट की‌ इस घड़ी में बौखलाए हुए किसानों ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगायी है। आखिरकार, परिस्थितियों के मारे इन किसानों के पास अन्य कोई चारा भी तो नहीं है।
‌‌‌‌‌‌‌‌वैसे, खरीफ की फसल की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। बारिश की अनियमितता की वजह से किसानों का तो मानो सारा का सारा कारोबार ही ठप पड़ गया है। इन दिनों‌ किसान बेहद घाटे में चल रहे हैं। लगातार दिन रात अनवरत बारिश की वजह से खेती और खेतिहर दोनों ही बुरी तरह से आहत हुए हैं। दरअसल, किसान सोयाबीन की फसलों से काफी उम्मीदें लगाए बैठे थे। किंतु यहाँ तो पासा ही पलट गया है।
केवड़ा (केवडा रोग) रोग के कीटों ने तो सोयाबीन की फसलों को पूर्ण रूप से ही बर्बाद कर के रख दिया है। किसानों के अनेकों बार जिला प्रशासन से गुहार लगाने के बावजूद अभी‌ तक कोई हल नहीं निकल पाया है। किंतु उम्मीद पर दुनिया कायम है। यथा शीघ्र कृषि क्षेत्र से संबंधित इन कठिन समस्याओं पर नियंत्रण अवश्य किया जाएगा। किसानों को निराश एवं हताश होने की आवश्यकता नहीं है।
दरअसल कभी कभ��‌ प्रकृति भी‌ बेरहम हो जाती है। अगर देखा जाए तो मौसम का भी‌ फसलों‌ पर जबरदस्त असर पड़ता है। सोयाबीन के फसलों से‌ किसान बहुत अच्छी कमाई कर लेते हैं। ‌‌‌‌‌लेकिन, वर्तमान परिस्थितियों के अवलोकन से ऐसा लगता है मानो इन किसानों के सारे किए कराये पर पानी फिर गया हो‌। कीटों से बचाव के लिए कृषि विभाग वालों ने आवश्यक निर्देश दिए हुए हैं।
ये भी पढ़ें: ICAR ने बताए सोयाबीन कीट एवं रोग नियंत्रण के उपाय
किसानों ने पौधों में दवाइयों के छिड़काव में कोई कसर नहीं छोड़ी है। किसान सचेत हैं। कहीं ना कहीं उन्हें भय है कि कहीं फसल फिर से दूसरी बार भी ना खराब हो जाए। किसानों ने केवड़ा रोग‌ के प्रकोप से निजात पाने के लिए कृषि विभाग से तथाकथित नुकसान के एवज में मुआवजे की मांग की है। जहाँ एक ओर केवड़ा रोग के प्रकोप से सोयाबीन की फसल बुरी तरह से ग्रस्त ‌है, वहीं दूसरी‌ ओर खरीफ की फसलों की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है।
जलवायु परिवर्तन के कारणों से अचानक इन फसलों पर कीट- फतिंगों की बाढ़ सी आ गयी है। कुल मिलाकर स्थिति बेहद चिंताजनक है। सोयाबीन के लहलहाते फूलों को देखकर किसानों के मन में उम्मीद‌ की एक छोटी सी‌ किरण जगी थी। किंतु, घनघोर बारिश और उस पर से पसीना छुड़ा देने वाली गर्मी की वजह से सब कुछ अनायास ही बर्बादी के कगार पर चला गया है। किसानों की स्थिति बेहद ही दयनीय हो चुकी‌ है।
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आपके जेहन में अब यह सवाल अवश्य उठ रहा होगा कि इतना सब कुछ बिगड़ जाने के बावजूद भी जिला प्रशासन आखिर खामोश क्यों है ??? पर, ऐसा कुछ भी‌ नहीं है। कृषि विभाग वालों ने किसानों को आश्वासन दे दिया है। सही समय में, सही स्थान पर, कृषि विभाग द्वारा अनुमोदित दवाइयों को ही छिड़काव करने का निर्देश जारी‌ किया गया है। कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गये प्रमाणित खाद एवं बीजों को ही इस्तेमाल करने की सलाह दी गयी है।‌
संक्रमित फसलों को हटाकर कहीं अन्यत्र फेंकने का प्रावधान किया गया है। दरअसल, बारिश के मौसम में साफ सफाई के बिना गंदगी में किटाणुओं का तीव्र गति से पनपना तो लाजिमी है। कहा जाता है कि जुलाई और अगस्त में महाराष्ट्र के नांदेर जिले में इतनी अधिक बारिश हुई‌ की खेत खलिहानों‌ में पानी का बहाव पर्याप्त समय सीमा से ऊपर आ गया। जिसकी वजह से आम जन जीवन काफी हद तक प्रभावित हो गया है। किसानों पर तो मानो मुसीबतों का पहाड़ ही टूट पड़ा है। पर, आश्चर्य वाली बात यह है कि अधिकांश इलाकों में तो दूर दूर तक बारिश का नामो निशां तक नहीं है। परिणामस्वरूप फसलों का अधिकांश हिस्सा लगभग बर्बाद हो गया है।
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कुदरत का भी अजीब करिश्मा है। कहीं तो पानी की‌ बहुतायत है। तो कहीं बिना पानी फसल सूख सूख कर झड़ रही हैं। जो भी हो किसानों को ऐसे संकट की घड़ी में अपने आत्मबल को कायम रखना चाहिए।
सरकार कदम कदम पर आपके साथ है। यदि एकजुट होकर आप समस्याओं से निपटेंगे, तो सफलता निश्चित है। आने वाली सुबह आपके लिए ढेर सारी खुशियाँ लेकर आएगी। कर्म करते रहिए। आपका परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाएगा।
Source किसानों में मचा हड़कंप, केवड़ा रोग के प्रकोप से सोयाबीन की फसल चौपट
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trendingwatch · 2 years
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बच्चों के भोजन के लिए सोया को आपकी पेंट्री में क्यों रखा जाना चाहिए?
बच्चों के भोजन के लिए सोया को आपकी पेंट्री में क्यों रखा जाना चाहिए?
जैसे-जैसे गर्मी की छुट्टियां समाप्त होती हैं और बच्चे वापस स्कूल जाते हैं, माताओं के लिए उन खाद्य पदार्थों की निरंतर खोज को फिर से शुरू करना आम बात है जो उनके बच्चे के समझदार तालू को संतुष्ट करते हैं और उनकी दैनिक पोषण संबंधी आवश्यकताओं को भी पूरा करते हैं। उनके जीवन का चरण वह है जिसमें पोषक तत्वों से भरपूर भोजन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है जो उनके उच्च ऊर्जा स्तर और उनके शरीर के…
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mandibhav · 2 years
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सोयाबीन का भाव 2022
सोयाबीन का भाव 2022 जानिये प्रतिदिन प्याज लहसुन सब्जियों के ताज़ा मंडी भाव mpmandibhav.com सर्च करे सोयाबीन का भाव !
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janchowk · 2 years
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बिजली संशोधन विधेयक से उपभोक्ताओं की होगी लूट और निजी कंपनियों को होगा भारी मुनाफा
बिजली संशोधन विधेयक से उपभोक्ताओं की होगी लूट और निजी कंपनियों को होगा भारी मुनाफा
किसान संघर्ष समिति की 296वीं किसान पंचायत पूर्व विधायक डॉ सुनीलम की अध्यक्षता में संपन्न हुई। किसान पंचायत में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र की समस्याओं पर प्रस्ताव पर चर्चा कर प्रस्ताव पारित किए, जिसमें अग्निपथ योजना रद्द करने, अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों में नष्ट हुई फसलों का सर्वे एवं रीवां और आसपास के जिलों में सूखे से प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे कराने, प्याज सोयाबीन की…
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kvksagroli · 13 hours
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समूह प्रथम दर्शनी प्रात्यक्षिके- सोयाबीन साठी निवड झालेल्या शेतकऱ्यांना पेरणीपूर्व प्रशिक्षण व निविष्ठापुरवठा ... संस्कृति संवर्धन मंडळ कृषी विज्ञान केंद्र सगरोळी जि. नांदेड कडून खरीप हंगाम 2024 साठी राष्ट्रीय अन्नसुरक्षा अभियानांतर्गत 80 हेक्टरवर 200 शेतकऱ्याकडे सोयाबीन पिकाचे पीक प्रात्यक्षिके राबवण्यात येणार आहेत. या प्रात्यक्षिकासाठी देगलूर तालुक्यातील शेळगाव, कोटेकलूर, नंदुर व शेकापूर आणि नायगाव तालुक्यातील धानोरा, कांडाळा, गोळेगाव व खंडगाव या गावातील 200 शेतकऱ्यांची निवड करण्यात आली होती. देगलूर तालुक्यातील शेतकऱ्यांना आज पेरणीपूर्व प्रशिक्षण व निविष्ठा पुरवठा करण्यात आला. या प्रात्यक्षिकात एकात्मिक पीक व्यवस्थापन तंत्रज्ञान ज्यामध्ये सुधारित वाणाचा वापर, माती परीक्षणावर आधारित खताचा वापर, बीबीएफ द्वारे पेरणी, एकात्मिक कीड व रोग नियंत्रण इत्यादी तंत्रज्ञानाचा अवलंब करण्यात येणार आहे. या प्रशिक्षणाचे प्रास्ताविक कृषी विज्ञान केंद्राच्या प्रमुख डॉ. माधुरी रेवणवार व तांत्रिक मार्गदर्शन प्रा. कपिल इंगळे यांनी केले. #खरीप_हंगाम_२०२४ #सोयाबीन #पीक #प्रात्यक्षिके #राष्ट्रीय_अन्नसुरक्षा_अभियान #कृषि_विज्ञान_केंद्र_सगरोळी
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healthcareamroha · 21 days
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योनि को टाइट करने के लिए खाए
योनि को टाइट करने में एक्‍सरसाइज के अलावा डायट भी बहुत अहम भूमि‍का निभाती है। आपको अपनी डायट में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाएि जिनमें एस्‍ट्रोजन मिलता हो जैसे कि अनार, सोयाबीन, गाजर, सेब आदि। इससे शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती है इसके आलावा आप हमारे हाशमी प्रॉडक्ट vagitot cream का सेवन भी कर सकते है
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dgnews · 1 month
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मदंसौर पुलिस थाना दलौदा द्वारा अंतर्राज्यीय अवैध मादक पदार्थ तस्करो के विरूद्ध की गई प्रदेश की अब तक की दुसरी बडी कार्यवाही ।
अंतर्राज्यीय तस्करो के कब्जे वाले ट्रक जिसके आगे व पीछे पृथक पृथक नंबर की प्लेटे लगाकर की जा रही थी तस्करी । आरोपीगणो के कब्जे से 28 क्विंटल 40 किलोग्राम अवैध मादक पदार्थ डोडाचुरा किमती 02 करोड़ 84 लाख रुपये व ट्रक को जप्त कर 02 आरोपियो को किया गिरफ्तार । पशुओ के खाने की सोयाबीन चुरी के कट्टो के नीचे जमा रखे थे डोडाचुरा के कट्टे। मंदसौर –  आगामी लोकसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुऐ पूरे प्रदेश में…
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kisanofindia · 11 months
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कम उपजाऊ भूमि में सरगुजा की खेती कैसे करें? जानिए किन बातों का रखें ध्यान
सरगुजा की खेती बरसात के मौसम में ही की जाती है
मूंगफली, तिल, असली की तरह ही सरगुजा भी एक तिलहनी फसल है, जो मुख्य रूप से झारखंड के आदिवासी किसानों द्वारा उगाई जाती है। इसका तेल बहुत फ़ायदेमंदहोता है जिसे खाने से लेकर दवा बनाने तक में इस्तेमाल किया जाता है। जानिए सरगुजा की खेती से जुड़ी अहम बातें।
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सरगुजा की खेती: मूंगफली, तिल, सूरजमुखी, सोयाबीन, सरसों और असली के तेल के बारे में तो आपने सुना ही होगा और खाते भी होंगे, लेकिन क्या आपने कभी सरगुजा के बारे में सुना है? दरअसल, ये झारखंड के आदिवासी समुदाय की प्रमुख तिलहनी फसल है, जिसका इस्तेमाल वो खाद्य तेल के रूप में करते हैं।
सरगुजा का तेल ओमेगा-3 फैटी एसिड और लिनेलोइक एसिड से भरपूर होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है। खाने के अलावा, इस तेल का इस्तेमाल दवा बनाने के लिए भी किया जाता है। मगर इतना फ़ायदेमंद होने के बाद भी इसका तेल बाकी तेल की तरह लोकप्रिय नहीं है। भारत के तिलहन उत्पादन में सरगुजा तेल का योगदान सिर्फ़ 3 प्रतिशत ही है और इसकी वजह है जानकारी का अभाव।
सरगुजा के बारे में जागरुकता फैलाकर और किसानों को सरगुजा की खेती के लिए प्रेरित करके उनकी आमदनी में इज़ाफ़ा किया जा सकता है, क्योंकि सरगुजा कीखेती विपरित परिस्थितियों में भी की जा सकती है। इसलिए कम उपजाऊ और पानी वाले इलाकों के लिए भी ये फसल उपयुक्त है।
कहां होती है सरगुजा की खेती
सरगुजा की खेती झारखंड के साथ ही राजस्थान, महाराष्ट्रस मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू, कर्नाटक, गुजरात, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और पूर्वोत्तर राज्यों में की जाती है। इसकी खेती मुख्य रूप से झारखंड के जनजातीय समुदाय द्वारा की जाती है। वो इसे आमतौर पर कम उपजाऊ भूमि में लगाते हैं और खाद व उर्वरकों का भी सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करते हैं जिससे उपज कम होती है। अगर वैज्ञानिक पद्धति से इसकी खेती की जाए, तो किसानों को अच्छी उपज प्राप्त हो सकती है।
जलवायु और मिट्टी
सरगुजा की खेती 13 से 23 डिग्री तापमान में की जा सकती है। सरगुजा के लिए हल्की बलुई मिट्टी से लेकर भारी काली मिट्टी जिसका पी.एच. मान 5.2 से 7.3 तक हो अच्छी मानी जाती है। इसकी खेती लवणीय मिट्टी में भी की जा सकती है, इसमें पौधों का विकास अच्छी तरह होता है।
खेत की तैयारी
इसकी खेती के लिए पहले देसी हल से खेत में दो बार गहरी जुताई कर पाटा लगा दें। अंतिम जुताई के समय 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 5% एल्ड्रिन धूल या 10% बी.एच.सी. मिट्टी में मिला दें। इससे दीमक का असर कम हो जाता है।
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airnews-arngbad · 2 months
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar
Date – 21 April 2024
Time 18.10 to 18.20
Language Marathi
आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक – २१ ए��्रिल २०२४ सायंकाळी ६.१०
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तिसऱ्या टप्प्यातल्या निवडणुकीसाठी राज्यातल्या अकरा मतदारसंघांत ३१७ उमेदवारांचे अर्ज वैध
देशात आता स्मार्ट खेड्यांची गरज - नितीन गडकरी यांचं प्रतिपादन
पक्ष प्रचार गीतातून हिंदू धर्म आणि जय भवानी हे शब्द वगळणार नाही- उद्धव ठाकरे
आणि
आयपीएल क्रिकेट स्पर्धेत कोलकाता संघाचं बंगळुरू संघासमोर २२३ धावांचं आव्हान
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राज्यात लोकसभा निवडणुकीच्या तिसऱ्या टप्प्यातलं मतदान सात मे रोजी होणार आहे. या टप्प्यासाठी राज्यातल्या अकरा मतदारसंघात ३६१ उमेदवारांचे ५२२ अर्ज दाखल झाले होते. अर्जांची छाननी केल्यानंतर एकूण ३१७ उमेदवारांचे अर्ज वैध ठरले असल्याची माहिती मुख्य निवडणूक अधिकारी कार्यालयातर्फे देण्यात आली आहे. अर्ज छाननीमध्ये रायगड लोकसभा मतदार संघात २१, बारामती- ४६, उस्मानाबाद- ३५, लातूर- ३१, सोलापूर- ३२, माढा इथं ३८ अर्ज वैध ठरले आहे. त्याच बरोबर सांगली इथं २५ अर्ज तर सातारा- २१, रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग- ९, कोल्हापूर- २७ आणि हातकणंगले मतदारसंघात- ३२ अर्ज वैध ठरले असल्याचं निवडणूक कार्यालयानं कळवलं आहे.
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देशात आता `स्मार्ट` शहरांची नव्हे तर `स्मार्ट` खेड्यांची गरज असल्याचं केंद्रीय मंत्री आणि भाजपचे नेते नितीन गडकरी यांनी म्हटलं आहे. त्यांनी आज नांदेड जिल्ह्यात मुखेड इथं उमेदवार प्रताप पाटील चिखलीकर यांच्या प्रचारासाठी सभा घेतली, त्यावेळी गडकरी बोलत होते. शेतकऱ्यांना आता अन्नदाता होण्यासोबत ऊर्जादाता, इंधनदाता बनवण्याची गरज आहे, असं ते म्हणाले. देशामध्ये इंधनावरचा खर्च कमी करण्यासाठी इथेनॉलचे पंप उघडण्यात आल्यास प्रदूषणापासून मुक्ती मिळेल आणि सोबत देशाचा इंधनावरचा खर्च कमी होईल, असं त्यांनी नमूद केलं. शेतीसाठी आधुनिक साधनांचा वापर व्हावा. मराठवाडा, विदर्भात कापूस, संत्रा, सोयाबीन या पीक उत्पादनांवर प्रक्रिया करणारे उद्योग सुरू केले जात असल्याचं गडकरी म्हणाले. यावेळी भाजपचे प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुळे तसंच खासदार अशोक चव्हाण यांनी मनोगतं व्यक्त केली. केंद्रीय वाहतूक मंत्री नितीन गडकरी यांची देगलूर इथंही प्रचार सभा झाली त्यावेळी विकासासाठी भाजपच्या पाठीशी उभं राहण्याचं आवाहन त्यांनी केलं.
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शिवसेना उद्धव बाळासाहेब ठाकरे पक्षाच्या प्रचार गीतातून हिंदू धर्म आणि जय भवानी हे शब्द वगळण्याची सूचना केंद्रीय निवडणूक आयोगानं केली असली तरी आपण प्रचारगीतातून हे शब्द वगळणार नाही, असं पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे यांनी आज मुंबईत पत्रकार परिषदेत सांगितलं. यासाठीचा न्यायालयीन लढा आपण लढू, असंही ते मातोश्री या आपल्या निवासस्थानी घेतलेल्या पत्रकार परिषदेत म्हणाले. काही दिवसांपूर्वी आपण मशाल चिन्हासाठीचं प्रचारगीत बनवलं होतं. मध्यप्रदेश आणि कर्नाटक विधानसभांच्या निवडणूक प्रचारात पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी जय बजरंग बली म्हणत मतदान करण्याचं आवाहन केलं होतं. तर, सत्ता आल्यास सर्वांना मोफत अयोध्या दौरा घडवण्याचं विधान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह यांनी केलं होतं. हे प्रकार धर्माच्या आधारावर मत मागण्याचा प्रचार नाही का, अशी विचारणा आपण निवडणूक आयोगाकडे केली होती, असं ठाकरे म्हणाले. त्याबाबतचं स्मरणपत्रही आपण पाठवलं होतं पण अद्याप निवडणूक आयोगानं यावर आपल्याला उत्तर दिलं नाही, असं ठाकरे यांनी सांगितलं.
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भारत आज पाचवी मोठी अर्थव्यवस्था बनली आहे आणि आपल्याला आता लवकरच जगातली तिसरी मोठी अर्थव्यवस्था बनायचं असेल तर हे सरकार पुन्हा यायला हवं, असं भाजपचे राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा यांनी म्हटलं आहे. त्यांनी आज बुलडाणा लोकसभा मतदार संघाचे महायुतीचे उमेदवार प्रताप जाधव यांच्या प्रचारासाठी संग्रामपूर तालुक्यातल्या वरवट बकाल इथं सभा घेतली, त्यावेळी नड्डा बोलत होते. मजबूत आणि स्थिर सरकार होतं म्हणून आपण ३७० कलम हटवू शकलो, तीन तलाक रद्द करू शकलो. आता आपल्याला २०४७ पर्यंत विकसित भारत बनवायचा असेल तर भाजप पुन्हा सत्तेत यायला हवं, असंही नड्डा यांनी यावेळी नमूद केलं.
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जगातले प्रमुख उद्योगपती एलन मस्क यांनी आपला नियोजित भारत दौरा लांबणीवर टाकला आहे कारण त्यांना आता देशात सरकार बदलणार असल्याचा अंदाज आला असल्याचं काँग्रेस पक्षाचे प्रवक्ते अनंत गाडगीळ यांनी म्हटलं आहे. त्यांनी आज मुंबईत या संदर्भातलं निवेदन केलं.
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जैन धर्मियांचे चोविसावे तिर्थंकर वर्धमान भगवान महावीर यांची जयंती आज देशभरात विविध उपक्रमांनी साजरी होत आहे. दरवर्षी चैत्र महिन्यातील शुक्ल पक्षाच्या तेराव्या तिथीला हा उत्सव साजरा केला जातो. पंतप्रधानांच्या हस्ते आज नवी दिल्लीमध्ये दोन हजार पाचशे पंन्नासाव्या भगवान महावीर निर्वाण महोत्सवाचं उद्घाटन करण्यात आलं आणि टपाल तिकीटासह नाण्याचं अनावरण करण्यात आलं. छत्रपती संभाजीनगर इथं महावीर जयंतीनिमित्त क्रांती चौक-पैठण गेटमार्गे गुलमंडी अशी मिरवणूक काढण्यात आली. पालघर जिल्ह्यातही बोईसर, पालघर शहर तसंच सांगली शहरातही महावीर जयंतीनिमित्त मिरवणूक काढण्यात आली.
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आज नागरी सेवा दिन आहे. यानिमित्त राष्ट्रपती द्रौपदी मुर्मू आणि उपराष्ट्रपती जगदीप धनखड यांनी सर्व सनदी अधिकाऱ्यांना शुभेच्छा दिल्या आहेत.
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आयपीएल क्रिकेट स्पर्धेत आज कोलकाता इथं कोलकाता नाईट रायडर संघानं रॉयल चॅलेंजर्स बंगळुरू संघासमोर विजयासाठी २२३ धावांचं आव्हान ठेवलं आहे. कोलकाता संघानं निर्धारित २० षटकांत सहा बाद २२२ धावा केल्या. त्यात कर्णधार श्रेयस अय्यरच्या ३६ चेंडुंमध्ये ५० धावा तसंच फिलीप्स सॉल्टच्या १४ चेंडुंमध्ये ४८ धावांचा समावेश होता. आतापासून थोड्या वेळापुर्वी पर्यंत बंगळुरू संघानं तीन षटकांत एक बाद पस्तीस धावा केल्या आहेत.
आजचा दुसरा सामना पंजाब किंग्स आंणि गुजरात टायटन्स दरम्यान चंदीगडच्या महाराजा यादविंद्र सिंग मैदानावर संध्याकाळी साडेसात वाजता खेळला जणार आहे.
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नांदेडमध्ये आज नवमतदार आणि शाळकरी खेळाडुंनी मतदान जनजागृती ‍फेरी आणि उपक्रमामध्ये सहभाग घेतला. शहरातले मान्यवर, खेळाडू, शासकीय, निमशासकीय कार्यालयाचे कर्मचारी या फेरीमध्ये सहभागी झाले. जिल्हाधिकारी अभिजीत राऊत यांच्या हस्ते `मतदान करणारचं` या `सेल्फी पॉइंट`चं यावेळी उद्घाटन करण्यात आलं.
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लातूर लोकसभा निवडणुकीत मतदानाची टक्केवारी वाढवण्यासाठी लातूर जिल्हा प्रशासनातर्फे 'स्वीप' उपक्रम राबवण्यात आला. या उपक्रमात जिल्हा निवडणूक अधिकारी कार्यालय आणि लातूरच्या सायकल संघटनेतर्फे मतदार जनजागृती फेरी काढण्यात आली. 'सायकल चालवा आरोग्यासाठी, मतदान करा लोकशाहीसाठी' असा संदेश याद्वारे देण्यात आला. लातूर जिल्हाधिकारी कार्यालय इथं ही फेरी सुरू झाली आणि शहरातील प्रमुख मार्गावरुन पुन्हा कार्यालयात फेरीचा समारोप झाला.
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सोलापूर जिल्ह्यातल्या सेालापूर लेाकसभा आणि माढा लोकसभा निवडणुकीसाठी दाखल झालेल्या उमेदवारी आर्जांच्या छानणी काल झाली. यात माजी उपमुख्यमंत्री विजयसिंह मोहिते पाटील तसंच सेालापूर लोकसभेचे उमेदवार राम सातपुते यांच्या पत्नी संस्कृती सातपुते यांचे उमेदवारी अर्ज अवैध ठरले. माढा लोकसभेसाठीच्या चार उमेदवारांचे आठ तर, सोलापूर लोकसभेच्या नऊ उमेदवारांचे दहा उमेदवारी अर्जही अवैध ठरले. या निवडणुकीतून उमेदवारी अर्ज मागं घेण्याची मुदत उद्या दुपारी तीन वाजेपर्यंत आहे.
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बालसाहित्य लिहिणाऱ्यांनी नव्या पिढीच्या संकल्पना समजून घेण्याबाबत जागरुक राहायला हवं, अशी अपेक्षा नामवंत कवी प्रा. दासू वैद्य यांनी व्यक्त केली आहे. त्यांच्या अध्यक्षतेखाली अखिल भारतीय मराठी बालकुमार साहित्य संमेलन काल पैठण तालुक्यातल्या बिडकीन इथं झालं, त्यावेळी वैद्य बोलत होते. निवृत्त न्यायमूर्ती अंबादास जोशी यांनी या संमेलनाचं उदघाटन केलं.
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छत्रपती संभाजीनगर इथं आज दिवंगत संजय उबाळे अर्थात बुध्दप्रिय कबीर यांच्या ५५ व्या जयंती निमित्त त्यांच्या जीवनावरचं `कॉम्रेड, जयभीम` या डॉ. श्यामल गरूड लिखित काव्यात्मक पुस्तकाचं प्रकाशन करण्यात आलं. सुभाष लोमटे, प्रा.राम बाहेती, मंगला खिवंसरा, प्रा.दिलीप महालिंगे, डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विद्यापीठाचे प्र-कुलगुरू वाल्मिक सरवदे यांनी यावेळी मनोगतं व्यक्त केली. बुद्ध लेणी परिसरातल्या विहारामध्ये झालेल्या या प्रकाशानाला दिवंगत बुद्धप्रिय कबीर यांचा मित्र परिवार उपस्थित होता.
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लोकसभा निवडणुकीच्या पार्श्वभूमीवर परभणी इथं उत्पादन शुल्क विभागाच्या कारवाईत २१ लाख रुपये किंमतीपेक्षा अधिक रकमेचा बनावट, विदेशी मद्य साठा जप्त करण्यात आला आहे. मार्च आणि एप्रिल महिन्यातली ही कारवाई असल्याचं कार्यालयातर्फे कळवण्यात आलं आहे.
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मुंबई-पुणे जलद महामार्गावर आज पहाटे तीन वाजेच्या सुमारास झालेल्या भीषण मोटार अपघातामध्ये एका पोलिस उप निरीक्षकचा मृत्यू झाला. सूरज चौगुले असं या अधिकाऱ्यांचं नाव आहे. ते मुंबईच्या विक्रोळीमधील पोलीस ठाण्यात कार्यरत होते.
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पावसाळापूर्व कामांचा भाग म्हणून मुंबई महानगरातल्या मोठ्या आणि लहान नाल्यांमधून गाळ काढण्याची कामं वेगानं सुरू असल्याचं महापालिकेनं म्हटलं आहे. यंदा पावसाळ्यापूर्वी एकूण १० लाख २१ हजार ७८२ मेट्रीक टन गाळ काढण्याचं उद्दिष्ट निश्चित करण्यात आलं आहे. पैकी आतापर्यंत ४ लाख ६४ हजार ३७४ मेट्रीक टन म्हणजे निर्धारित उद्दिष्टाच्या ४५.४४ टक्के गाळ काढण्‍यात आला आहे. पावसाळ्यापूर्वी म्हणजे दिनांक ३१ मे पर्यंत नाल्‍यातील गाळ काढण्‍याचं काम पूर्ण केलं जाईल, असंही मुंबई महानगरपालिका प्रशासनातर्फे कळवण्यात आलं आहे.
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todaymandibhav · 5 months
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Soybean Bhav 12 January: सोयाबीन का मंडी भाव आज का
Soybean Mandi Bhav 12 January 2024 : मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों की स्थानीय अनाज मंडियो में आज सोयाबीन भाव (Soybean Bhav) में मिलाजुला असर देखने को मिला। आइये देखें आज के सोयाबीन के भाव और आमदन की ताजा स्थिति… Soybean Bhav 12 January 2024 अकोला मंडी सोयाबीन भाव ₹4400/4650 तेजी +25आवक (ARRIVAL)-8000 बोरी (BAG) नागपुर मंडी सोयाबीन भाव ₹3700/4650 तेजी +25आवक (ARRIVAL)-1000 बोरी…
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zecomet · 2 months
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खोज रहे हैं गुना मंडी के ताजा भाव? 🌾🍅 हमारे नए आर्टिकल में पाएं गुना मंडी के दैनिक अपडेट्स, जहाँ आपको मिलेगी सोयाबीन, गेहूं, चना समेत सभी प्रमुख फसलों की नवीनतम मंडी कीमतें। 💰🌱 अपने किसान भाइयों के साथ इस महत्वपूर्ण जानकारी को साझा करें और उन्हें उनकी फसल का सही मूल्य पाने में मदद करें।
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merikheti · 2 years
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सोयाबीन फसल की सुरक्षा के उपाय
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दोस्तों आज हम बात करेंगे सोयाबीन की फसल की सुरक्षा के बारे में, सोयाबीन की फसल किसानों के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी होती है। ऐसे में इस फसल की सुरक्षा करना बहुत ही जरूरी है। सोयाबीन की फसल में विभिन्न प्रकार के रोग लग जाते हैं जिनके कारण फसल खराब होने का भय रहता है।
जैसे सोयाबीन की फसल में कभी-कभी विनाशकारी सफेद मक्खी कीट का रोग लग जाता है, जिससे फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है। सोयाबीन की फसल को इस भयंकर कीटों से बचाव करने के लिए हमें विभिन्न प्रकार के तरीके अपनाने चाहिए। सोयाबीन की फसल से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक बातों को जानने के लिए हमारे इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे।
सोयाबीन के फसल की खेती वाले राज्य :
सोयाबीन की खेती, किसान खरीफ के मौसम में करते हैं। खरीफ का मौसम सोयाबीन की खेती करने के लिए सबसे उत्तम होता है। बहुत से क्षेत्र हैं जहां सोयाबीन की खेती की जाती है। जैसे भारत में सोयाबीन की खेती महाराष्ट्र, राजस्थान मध्य प्रदेश में भारी मात्रा में उत्पादन की जाती है। यदि हम बात करें इनकी पैदावार की तो मध्यप्रदेश लगभग 45% का उत्पादन करती है। वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र में यह लगभग 40% का भारी उत्पादन करती हैं। इसके अलावा और भी क्षेत्र हैं जहां सोयाबीन की खेती की जाती है। जैसे  बिहार आदि क्षेत्र सोयाबीन की खेती के लिए प्रमुख माने जाते हैं।ये भी पढ़ें: ICAR ने बताए सोयाबीन कीट एवं रोग नियंत्रण के उपाय
सोयाबीन की खेती के लिए उपयुक्त भूमि का चुनाव:
किसानों के अनुसार सोयाबीन की फसल किसी भी भूमि पर आप आसानी से कर सकते हैं। परंतु  हल्की और रेतीली भूमि में सोयाबीन की खेती करना उपयुक्त नहीं होता है। सोयाबीन की फसल दोमट चिकनी मिट्टी में सबसे उत्तम होती है इन भूमि पर सोयाबीन की अधिक पैदावार होती है।
सोयाबीन की फसल में लगने वाले रोग:
सोयाबीन की फसल में सफेद मक्खी कीट तेजी से लग जाते हैं, यदि इनकी रोकथाम सही समय पर ना की जाए तो यह फसल को पूरी तरह से खराब कर देते हैं। बारिश के दिनों में सोयाबीन में पीला मोजेक रोग तथा सेमिलूपर कीट रोग का प्रभाव बन जाता है। यह रोग बारिश के मौसम में नमी के कारण पनपते हैं, ऐसे में यदि जल निकास की व्यवस्था को ठीक ढंग से न बनाया जाए, तो यह रोग पूरी फसल को तहस-नहस कर देते हैं।
सोयाबीन की फसल में सफेद मक्खी रोग के प्रभाव:
वैसे तो आकार में यह मक्खियां बहुत ही छोटी होती है। पर इनके आकार को देखकर आप इनकी शक्ति का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं कि यह किस प्रकार से पूरी फसल को बर्बाद करती है। यह लगभग 8 मिमी की होती है, परंतु इनके कुप्रभाव से पूरी फसल बर्बाद हो जाती है, जिससे किसानों को बहुत हानि पहुंचती है। इन मक्खियों के शरीर तथा परो पर मोमी स्राव मौजूद होता है। यह सफेद मक्खियां खेतों के निचली सतह पर स्थित होती हैं और जब कभी आप खेतों को हिलाते डुलाते हैं तो यह उड़कर मंडराना शुरु कर देती हैं। ज्यादातर यह सफेद मक्खियां सूखी व गर्म स्थानों पर पनपती है।ये भी पढ़ें: तिलहनी फसलों से होगी ��च्छी आय
यह मक्खियां खेतों की निचली सतह पर रहकर अंडे भी उत्पादन करती है। यह सफेद नवजात शिशुओं को पैदा करती है जो दिखने में सफेद तथा अंडकार और हरे पीले होते हैं। इन सफेद मक्खियों की उत्पादकता को कम करने के लिए खेतों से घासफूस हटाना बहुत ही ज्यादा आवश्यक होता है, जिससे इन मक्खियों की आबादी को नियंत्रित किया जा सकता हैं। सोयाबीन की फसल में कुछ इस प्रकार से सफेद मक्खी रोग के कुप्रभाव पढ़ते हैं।
सोयाबीन की फसल को सफेद मक्खियों तथा कीट से बचाने के उपाय :
किसान सफेद मक्खियों के इस प्रकोप को नियंत्रण रखने के लिए सोयाबीन की रोगरोधी किस्म का इस्तेमाल करता है जो सफेद मक्खियों को अपनी ओर बढ़ने से रोकती है।
या सफेद मक्खियां नमी के कारण और ज्यादा पनपती हैं ऐसे में बारिश के दिनों में खेतों में जल निकास की व्यवस्था को सही ढंग से बनाए रखना चाहिए।
सोयाबीन की बुवाई सही समय पर करनी चाहिए। किसानों के अनुसार इसकी बुवाई ना बहुत देर में ना ही जल्दी, दोनों ही प्रकार से नहीं करनी चाहिए, उचित समय पर सोयाबीन की बुवाई करें।
उर्वरीकरण तथा पौधों में संतुलिता को बनाए रखने की कोशिश करें।
फसल की कटाई के बाद सभी प्रकार के पौधों के अवशेषों को जड़ से हटा दें। खरपतवार का खास ध्यान रखें।
फसल को सुरक्षित रखने के लिए कृषि विशेषज्ञों के अनुसार रासायनिक दवाओं का भी इस्तेमाल खेतों में करें।
ये भी पढ़ें: Soyabean Tips: लेट मानसून में भी पैदा करना है बंपर सोयाबीन, तो करें मात्र ये काम
दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल सोयाबीन फसल की सुरक्षा के उपाय पसंद आया होगा। हमारे इस आर्टिकल में सोयाबीन की खेती से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक जानकारियां मौजूद है जिससे आप लाभ उठा सकते हैं। यदि आप हमारी दी हुई जानकारियों से संतुष्ट हैं तो आप हमारे इस आर्टिकल को ज़्यादा से ज़्यादा अपने दोस्तों और सोशल मीडिया पर शेयर करें।
धन्यवाद ।
Source सोयाबीन फसल की सुरक्षा के उपाय
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