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#मेरा असली रूप
mwsnewshindi · 1 year
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8 दिसंबर को लॉन्च हुआ रियलमी 10 प्रो 5जी मोबाइल, भारत में पहली सेल दोपहर 12 बजे फ्लिपकार्ट पर शुरू; कीमतों पर छूट, ऑफर की जांच करें
8 दिसंबर को लॉन्च हुआ रियलमी 10 प्रो 5जी मोबाइल, भारत में पहली सेल दोपहर 12 बजे फ्लिपकार्ट पर शुरू; कीमतों पर छूट, ऑफर की जांच करें
नई दिल्ली: 8 दिसंबर को, Realme ने अपने 5G स्मार्टफोन लाइनअप का अनावरण किया, जिसमें Realme 10 Pro 5G भी शामिल है। Realme 10 Pro और Realme 10 Pro+ सीरीज के दो फोन हैं। आज भारत में Realme 10 Pro 5G की बिक्री की शुरुआत होगी। दोपहर या 12 बजे स्मार्टफोन फ्लिपकार्ट पर पेश किया जाएगा। फोन में अधिकतम 8 जीबी रैम और क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 695 प्रोसेसर है। असीम के मालिक होने के लिए तैयार हो जाओ!…
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newsdaliy · 2 years
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Realme Buds Air 3s ट्रू वायरलेस ईयरबड्स फास्ट चार्जिंग सपोर्ट के साथ लॉन्च, कीमत 2,499 रुपये
Realme Buds Air 3s ट्रू वायरलेस ईयरबड्स फास्ट चार्जिंग सपोर्ट के साथ लॉन्च, कीमत 2,499 रुपये
रियलमी बड्स एयर 3एस ट्रू वायरलेस ईयरबड्स अब आधिकारिक हो गए हैं। अपनी नवीनतम स्मार्टवॉच के साथ-साथ रियलमी ने देश में ट्रू वायरलेस ईयरबड्स की एक नई किफायती जोड़ी – रियलमी बड्स एयर 3एस भी लॉन्च की। ट्रू वायरलेस ईयरबड्स 11mm टाइटेनियम ड्राइवर यूनिट के साथ आते हैं और यह सिलिकॉन ईयर विंग टिप्स को स्पोर्ट करता है। कीमत और उपलब्धतामेरा असली रूप बड्स एयर 3एस 2,499 रुपये के प्राइस टैग के साथ आता है।…
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Realme GT 2 एक्सप्लोरर मास्टर संस्करण 5,000mAh की बैटरी पैक करने की पुष्टि करता है
Realme GT 2 एक्सप्लोरर मास्टर संस्करण 5,000mAh की बैटरी पैक करने की पुष्टि करता है
Realme GT 2 एक्सप्लोरर मास्टर एडिशन का चीन लॉन्च कुछ ही दिन दूर है और कंपनी आगामी स्मार्टफोन के विनिर्देशों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से छेड़ रही है। Realme GT 2 मास्टर एक्सप्लोरर संस्करण अब 100W फास्ट चार्जिंग के समर्थन के साथ 5,000mAh की बैटरी पैक करने की पुष्टि करता ह���। स्मार्टफोन को 12 जुलाई को Realme Buds Air 3 Neo इयरफ़ोन के साथ लॉन्च किया जाएगा। Realme GT 2 एक्सप्लोरर मास्टर…
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nageshchandramishra · 19 days
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राजवर्धन आज़ाद की नई किताब : “नीम का शहद” आद्योपांत पढ़ा।बारंबार पढ़ने का मन हुआ,इसलिए कई बार पढ़ा ।
इस किताब के बारे में कुछ कहने से पहले, एक वाक़या शेयर करना चाहूँगा । सुप्रसिद्ध हार्ट सर्जन डॉ पी. वेणु गोपाल से एम्स,दिल्ली में भेँट हुई ।उन्होंने मेरे बड़े भाई की ओपेन हार्ट सर्जरी की थी- जहां तक मुझे याद है,वह तारीख़ थी 12 जनवरी 1992 ! मैंने उनके प्रति कृतज्ञता प्रगट की और उन्होंने आत्मीय भाव से मेरी ओर देखा । मैं उनका फ़ैन हो गया ।बाद के बर्षों में जब उन्होंने सफलतापूर्वक पहला हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी किया और एक के बाद एक नयी ऊँचाइयों को छूने लगे- तभी किसी इंटरव्यू में उनसे किसी ने सवाल किया, “डॉक्टर साहब,आप शत प्रतिशत सफलता के साथ इतने सारे कठिन सर्जरी कैसे कर लेते हैं ?”
डॉक्टर वेणु गोपाल ने बड़ी सादगी से ऊपर ईश्वर की ओर देखने की मुद्रा में जवाब दिया, “आइ सिम्पली मूव माइ हैंड्स, रेस्ट एवरीथिंग इज डन बाइ द ऑलमाइटी हिमसेल्फ” !
डॉ. पी. वेणु गोपाल जैसे सुविख्यात हार्ट सर्जन और डॉ. राजबर्धन आज़ाद जैसे सुविख्यात रेटिनल सर्जन की सृजन शक्तियों में यह ‘कॉमन थ्रेड’ नजर आया - इसलिए मैंने उस वाक़ये की चर्चा की । कोई ज़रूरी नहीं है कि उनके अन्य विचार भी एक-दूसरे से मिलते ही हों । मुझे लगता है कि किसी भी सफल और ईमानदार प्रोफेशनल के लिए- चाहे साइंटिस्ट,डॉक्टर , इंजीनियर हो , लेखक या किसी अन्य विधा में पारंगत व्यक्ति - “ग्रैटिच्युड” प्राईम मूवर है - “Finding smoother pebbles on the sea shore” (न्यूटन)
“नीम का शहद” के सभी 240 कविताओं को पढ़कर,रचनाकार में वही भाव दिखे जिसमें कहीं कर्ता होने का लेश मात्र कोई दंभ नहीं है।
किसी रचनाकार की कृतियों को पढ़ने से पहले, मेरा सहज स्वभाव है कि यह जानूँ कि उसने अपनी कृति किन्हें समर्पित किया है और खुद अपनी बात में, उनका क्या कहना है ?
इन्होंने “जिन लक्ष्मी दुर्गा सरस्वती” को अपनी यह पहली कृति समर्पित किया है,उन्हें उसी श्रद्धा के साथ प्रणाम करता हूँ जिन्हें महर्षि अरविन्द ‘प्लेन्स ऑफ कॉन्शसनेस’ सत्-चित्-आनन्द ( Existence-Consciousness-Bliss ) कहते हैं - ये ही मोटिवेशन की अक्षय ऊर्जा के स्रोत हैं।
“अपनी बात” में रचनाकार ने प्रयोगवादी नई कविता का ज़िक्र करते समय अज्ञेय द्वारा सम्पादित ‘दूसरा सप्तक’ की चर्चा की है- अपने स्कूली जीवन के दौरान अज्ञेय कृत गद्य रचनाएँ यथा: “नदी के द्वी��”; “शेखर : एक जीवनी” पढ़ पाया,पर ‘दूसरा सप्तक’ मैंने अभी तक नहीं पढ़ा था । राज वर्धन जी की प्रेरणा से,
अज्ञेय सम्पादित “तार सप्तक”, “दूसरा सप्तक” , “तीसरा सप्तक” और “चौथा सप्तक” के दरवाज़ों पर सिर्फ़ दस्तक देकर ताका-झांका- इसी क्रम में, अज्ञेय की प्रिय कविता, “दु:ख सबको माँजता है” की यादें ताज़ा हो गईं ।
”नदी के द्वीप” उपन्यास के शुरुआती पन्ने पर ‘अज्ञेय’ ने पी.बी. शेली की कविता उद्धरित कर इसका अनुवाद इस तरह से किया है:
दु:ख सबको मांजता है
व्यथा के गहरे और फैले सागर में
कई हरे - भरे द्वीप भी अवश्य होंगे
नहीं तो थका-हारा सागरिक
कभी ऐसे यात्रा करता न रह सकता!”
-अज्ञेय
Many a green isle needs must be
In the deep wide sea of Misery,
Or the mariner, worn and wan,
Never thus could voyage on
- P.B. Shelley
“नीम का शहद” काव्य संग्रह में रचनाकार ने अपनी अकुलाहट,छटपटाहट,मानवीय संवेदनाओं को कम-से-कम शब्दों में कहने का प्रयास किया है ।किसी एक कविता में औसतन 50 शब्द ही पूरे पेज पर दिखेंगे (हो सकता है,कुछ कविताओं में अधिकतम 100 शब्द भी मिल जायें ) पर वे आपको ‘गागर में सागर’ की तरह महसूस होंगे । सभी कविताएँ स्वत:स्फूर्त हैं ।ये सब ’देखन में छोटन’ भले लगते हों,पर ‘गंभीर घाव’ नहीं करते बल्कि अंधेरे से वास्तविकता की ओर ले जाते हैं मानो ज्योति के लिए तरस रहे किसी मरीज़ के आँख की पट्टी खुलते ही अचानक रोशनी दिख जाने पर उसके चेहरे पर उल्लास की ख़ुशी दमक उठे ! रचना काल 2021 - 22 है जो कोरोना-काल की यादें लेकर दर्द का एहसास भी ताज़ा कराता है ।
अपने रोज़मर्रा ज़िंदगी के ऐसे ‘डिफाइनिंग मोमेंट्स’ को बिना किसी आयास के कम से कम शब्दों में गढ़ने की अद्भुत क्षमता है रचनाकार में - उनमें यह नैसर्गिक गुण ईश्वर प्रदत्त है। वे ‘ओम्’ की असीम शक्ति कम से कम शब्दों में पिरोना चाहते हैं जिसे वे ‘मौन की अभिव्यक्ति’ के रूप में देखते हैं - यही तो असली साधना और इबादत है ।
‘कर्टेन रेजर’ के बतौर “नीम का शहद” काव्य संग्रह से , मात्र सात कविताएँ शेयर कर रहा हूँ जिन्हें ‘सप्तक’ की तरह पढ़कर शेष दो सौ तैंतीस ( 233 ) कविताओं का रसास्वादन करने की उत्कंठा आपमें बनी रहे और राजकमल प्रकाशन का यह अनूठा काव्य संग्रह , मूल्य 895 रू. ( आमेजन पर उपलब्ध हार्ड कवर 605/- रूपये में ) आप मंगा कर पढ़ सकें ।
1) धृतराष्ट्र आज भी ज़िन्दा है:
धृतराष्ट्र आज भी
ज़िन्दा है
फ़र्क़ इतना है कि
ऑंख होते हुए भी
अंधा है
2) ज़िन्दगी :
ज़िन्दगी है उल्फ़त
ज़िन्दगी है क़िस्मत
जिनके हैं ख़ादिम
उनकी है जन्नत
ज़िन्दगी है दीवानी
करती है मनमानी
चाहत की आड़ में
लिख रही कहानी
ज़िन्दगी ज़माना है
आना और जाना है
चलती किसी की नहीं
लिक्खा ठिकाना है
3) बीमार है मुल्क :
हवा लिये कन्धे पर
हवा को ढूँढ़ रहे हैं
बिस्तर लिये सर पर
घर को ढूँढ़ रहे हैं
बीमार है मुल्क
बीमार हैं कुर्सियाँ
बीमार हकीम से
हम दवा पूछ रहे हैं
श्मशान में है भीड़
हम घाट ढूँढ़ रहे हैं
बचे हैं जो लोग
चालीसा पढ़ रहे हैं
कुदरत का है क़हर
परवरदिगार बेख़बर
हर गाँव हर शहर
हम रहमत ढूँढ़ रहे हैं
4) कब तक साथ चलोगी मॉं तुम
कब तक साथ चलोगी मॉं तुम
कब तक साथ चलोगे पापा
कष्ट सहकर दिया जन्म
पढ़ा- लिखाकर बड़ा किया
खड़ा पॉंव पर कर मॉं तुमने
ब्याह रचाकर घर दिया
पग-पग पर पापा तुमने
मुश्किल से आगाह किया
जीने का मूल मंत्र देकर
बढ़ने की राह प्रशस्त किया
माँ तुमने घर और बाहर
हम सबको सँभाल दिया
पापा तुमने साहस देकर
कवच में हमको ढ़ाल दिया
हम तो चाहते हैं तुम दोनों
अनन्त काल तक संग रहो
ईश्वर की भी है इच्छा
समस्त परिवार के अंग रहो
पर जीवन तो क्षणभंगुर है
यही तो है इसका स्यापा
कब तक साथ चलोगी मॉं तुम
कब तक साथ चलोगे पापा
5) नीतीश कुमार:
ऑंखें तेज़
आवाज़ बुलन्द
चाल सहज
भाषा स्वच्छन्द
अपार शक्ति
अपरिमित क्षमता
इच्छा सेवा
विश्वास समता
देश- सेवा
करने तैयार
चित्त उदार
नीतीश कुमार
6) नीम का शहद
कुर्सी बनी जागीर
खोखले बने अमीर
नकार का ताज
लिये स्वयं आज
लिख रहे रोज़ लेख
अनभिज्ञता का आलेख
प्रतिरूप अवरोध का
बन रहे हैं प्रत्येक
गा रहे जो संगीत
द्रव्य का हर तरफ़
पिला रहे सदियों से
वो नीम का शहद
7) सात दशक :
सात दशक
पहचानी महक
हर रोज़
दे रही दस्तक
एक फूल
मेरा रसूल
कभी प्रतिकूल
कभी अनुकूल
एक चिन्तन की
अनोखी पाठशाला
वो चमका
जिसने पढ़ डाला
एक लौ जिसने
किया उजाला
एक शक्ति पुंज
अनन्त वाला
हर दशक की
अपनी झलक
थोड़ी ललक
थोड़ी कसक
मेरे संग थे
मेरे उसूल
घर बना
हमारा गुरूकुल
अंत में, मेरे मन में यह जिज्ञासा उठी कि डॉ. राजवर्धन आज़ाद ने अपने इस खूबसूरत काव्य संग्रह के शीर्षक का नाम “नीम का शहद” ही क्यों चुना ?
क्या इसलिए कि विश्व रूप दर्शन कराने के लिए श्रीमद्भागवत गीता के ग्यारहवें अध्याय में वर्णित, “पश्य मे पार्थ रूपाणि” की दिव्य दृष्टि चाहिए जो भगवत्कृपा के बिना संभव नहीं है, अत: साधारण ऑंखों से, उन चकाचौंध तेज शक्ति-पुंज के सौम्य दर्शन हेतु, कोरेंटाइन औषधीय गुणों से परिपूर्ण “नीम का शहद” एक प्रयोगात्मक प्रतीक ( Allegorical Significance ) के रूप में सहजता प्रदान कर सके ?
मेरा यह पूर्ण विश्वास है कि “नीम का शहद” कृति को अप्रत्याशित सफलता मिलेगी । डॉक्टर राजवर्धन आज़ाद को दिल की गहराइयों से बहुत बहुत बधाई , हार्दिक शुभकामनाएँ एवं अनेकों धन्यवाद - भगवान श्री राम एवं माता जानकी की कृपा उनके समस्त परिवार पर सदैव बनी रहे !
मेरी ओर से इस खूबसूरत काव्य संग्रह को फ़ाइव स्टार 🌟 🌟 🌟 🌟 🌟 !
शुभाकांक्षी : नागेश चन्द्र मिश्र
पटना, 9 अप्रैल 2024 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
चैती नवरात्र का पहला दिन: नव वर्ष का आरंभ
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sanjaylodh · 3 months
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Life
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Life
Had established its existence in water and soil since the time life came into existence on earth.
Friends, we humans have already known that our ancestors were a unique type of monkey species.
But there is one more truth I can say with evidence
Well no evidence is needed
I saw a video on my YouTube channel a few days ago
Where it was definitely said that we human ancestors swam across the ocean and reached the island.
I don't see any logic in this
but i have a question
How was Lord Ram able to create a monkey army?
Well, this tactic also won't last.
If our ancestors are monkeys
This means that whatever we know today, our ancestors came from water.
So did the original descendants of the monkey species grow up in water?
Did monkeys come from the sea?
More than 30 million years ago, monkeys crossed the Atlantic and reached South America. In a strange twist of evolutionary history, the ancestors of modern South American monkeys such as capuchins and woolly monkeys first came to the New World by floating across the Atlantic Ocean on a mat of vegetation and earth. 9 April 2020
Meaning, were the real ancestors of humans sea dwellers?
Did human ancestors live in water?
The Aquatic Ape Theory states that our ancestors once spent a significant part of their life in water. Presumably, early apes were plant and fruit eaters in tropical forests. Early hominids also ate aquatic food; at first mainly weeds and tubers, later sea shore animals, especially shellfish.
Bag-like sea creature was humans' oldest known ancestor
University of Cambridge
https://www.cam.ac.uk › research › news › bag-like-se...
30 Jan 2017
A tiny sea creature identified from fossils found in China may be the earliest known step on an evolutionary path that eventually led to the emergence of humans
We think that as an early deuterostome this may represent the primitive beginnings of a very diverse range of species, including ourselves
Simon Conway Morris
Researchers have identified traces of what they believe is the earliest known prehistoric ancestor of humans – a microscopic, bag-like sea creature, which lived about 540 million years ago.
Named Saccorhytus, after the sack-like features created by its elliptical body and large mouth, the species is new to science and was identified from microfossils found in China. It is thought to be the most primitive example of a so-called 'deuterostome' – a broad biological category that encompasses a number of sub-groups, including the vertebrates.
Translate Hindi
जीवन 
पानी में भी और मिट्टी में भी अपना असताना जमाया था जब से पृथ्वी में जीवन का अस्तित्व रचणा हुआ था
दोस्तों वैसे तो हम इंसान जान ही चुके है हमारा पूर्वज एक अनोखा किस्म की बानर प्रजाति थे
लेकिन एक सच्चाई और भी है मैं एविडेंस के साथ बोल सकता हूँ
खैर एविडेंस की जरूरत नहीं है
मैं कुछ दिन पहले ही मेरी यूट्यूब चैनेल में एक वीडियो देखा था
जहां निश्चित होकर बोला गया था हम इंसान की पूर्वज समुद्र में से तैर कर आइलैंड पहुंचे थे
मुझे इस बारे में कुछ भी तर्क नहीं सूझता है
मगर मेरा एक प्रश्न है
भगवान राम कैसे बानर सेना बना पाए थे
खैर यह भी युक्ति नहीं टिकने वाला है
अगर हमारे पूर्वज वानर गोष्ठी है
इसका मतलब है जो हम आज जान पाए हमारी पूर्वज पानी में से आया है
तो क्या वानर प्रजाति का असली वंश पानी में पले थे
क्या बंदर समुद्र से आये थे?
30 मिलियन वर्ष से भी पहले, बंदर अटलांटिक पार करके दक्षिण अमेरिका तक पहुंचे। विकासवादी इतिहास के एक अजीब मोड़ में, आधुनिक दक्षिण अमेरिकी बंदरों जैसे कैपुचिन और ऊनी बंदरों के पूर्वज पहली बार वनस्पति और पृथ्वी की चटाई पर अटलांटिक महासागर में तैरते हुए नई दुनिया में आए थे। 9 अप्रैल 2020
मतलब क्या इंसानों की असली पूर्वज समुद्र निवासी थे
क्या मानव पूर्वज पानी में रहते थे?
जलीय वानर सिद्धांत कहता है कि हमारे पूर्वजों ने एक बार अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पानी में बिताया था। संभवतः, प्रारंभिक वानर उष्णकटिबंधीय जंगलों में पौधे और फल खाने वाले थे। प्रारंभिक होमिन��ड्स जलीय भोजन भी खाते थे; पहले मुख्य रूप से खरपतवार और कंद, बाद में समुद्री किनारे के जानवर, विशेषकर शंख।
बैग जैसा समुद्री जीव मनुष्य का सबसे पुराना ज्ञात पूर्वज था
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
https://www.cam.ac.uk › शोध › समाचार › bag-like-se...
30 जनवरी 2017
चीन में पाए गए जीवाश्मों से पहचाना गया एक छोटा समुद्री जीव विकासवादी पथ पर सबसे पहला ज्ञात कदम हो सकता है जिससे अंततः मनुष्यों का उदय हुआ।
हम सोचते हैं कि प्रारंभिक ड्यूटेरोस्टोम के रूप में यह स्वयं सहित बहुत ही विविध प्रकार की प्रजातियों की आदिम शुरुआत का प्रतिनिधित्व कर सकता है
साइमन कॉनवे मॉरिस
शोधकर्ताओं ने उन निशानों की पहचान की है जिनके बारे में उनका मानना ​​है कि यह मनुष्यों का सबसे पहला ज्ञात प्रागैतिहासिक पूर्वज है - एक सूक्ष्म, बैग जैसा समुद्री जीव, जो लगभग 540 मिलियन वर्ष पहले रहता था।
इसके अण्डाकार शरीर और बड़े मुँह द्वारा बनाई गई बोरी जैसी विशेषताओं के आधार पर इसका नाम सैकोरहाइटस रखा गया, यह प्रजाति विज्ञान के लिए नई है और इसकी पहचान चीन में पाए गए सूक्ष्म जीवाश्मों से की गई थी। ऐसा माना जाता है कि यह तथाकथित 'ड्यूटेरोस्टोम' का सबसे आदिम उदाहरण है - एक व्यापक जैविक श्रेणी जिसमें कशेरुक सहित कई उप-समूह शामिल हैं।
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prabudhajanata · 6 months
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इस बार एमपी चुनाव में भारी पड़ रहे हैं उपनामोन वाले उम्मीदवार,भाभी’’, ‘‘बाबा’’, ‘‘पिंटू’’, ‘‘चिंटू’’ और ‘‘गोलू’’ मध्य प्रदेश के इंदौर जिले की नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनावों में हर बार की तरह इस बार भी मुख्य उम्मीदवारों के असली नामों पर उनके प्रचलित उपनाम भारी पड़ रहे हैं। सोशल मीडिया से लेकर मैदानी चुनाव प्रचार और नारों व भाषणों तक उनके ये उपनाम ही छाए हैं। इंदौर के चुनावी समर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस की ओर से उतरे ज्यादातर प्रत्याशी आम जन मानस में अपने असली नाम से कम और उपनाम से ज्यादा पहचाने जाते हैं। इंदौर-1 के भाजपा प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय को उनके कई स्थानीय समर्थक ‘‘बॉस’’ कहकर पुकारते हैं, तो इस सीट के मौजूदा कांग्रेस विधायक और उम्मीदवार संजय शुक्ला के लिए ‘‘संजू भैया’’ का संबोधन इस्तेमाल किया जाता है। उम्मीदवारों में शामिल इंदौर-2 के भाजपा विधायक रमेश मेंदोला ‘‘दादा’’, इंदौर-4 की भाजपा विधायक मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ ‘‘भाभी’’ और इंदौर-5 के भाजपा विधायक महेंद्र हार्डिया ‘‘बाबा’’ के नाम से मशहूर हैं।इंदौर-2 में रमेश मेन्दोला उर्फ ‘‘दादा’’ का गढ़ ढहाने की कोशिश में जुटे कांग्रेस प्रत्याशी का मूल नाम वैसे तो चिंतामणि चौकसे है, लेकिन लोग उन्हें उनके उपनाम ‘‘चिंटू’’ चौकसे से ही जानते हैं। इसी तरह, इंदौर-5 में महेंद्र हार्डिया उर्फ ‘‘बाबा’’ के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनावी मोर्चा संभाल रहे सत्यनारायण पटेल ‘‘सत्तू’’ पटेल कहकर पुकारे जाते हैं। इंदौर-3 के उम्मीदवारों की बात करें, तो शहर के पारम्परिक बाजारों वाले इस क्षेत्र में कांग्रेस के ‘‘पिंटू’’ जोशी और भाजपा के ‘‘गोलू’’ शुक्ला के बीच मुख्य चुनावी भिड़ंत है। हालांकि, पिंटू का असली नाम ‘‘दीपक जोशी’’ और गोलू का मूल नाम ‘‘राकेश शुक्ला’’ है।दीपक जोशी उर्फ पिंटू ने मंगलवार को ‘‘पीटीआई-भाषा’’ से कहा, ‘‘मुझे अपने उपनाम पिंटू के रूप में पुकारे जाने पर कभी-कभी खुद हंसी आती है। वैसे लोग बड़े प्यार से मेरा उपनाम लेते हैं, तो मुझे पिंटू के संबोधन से कोई परेशानी नहीं है।’’ राकेश शुक्ला उर्फ गोलू ने कहा, ‘‘मुझे अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत से ही गोलू के उपनाम से पुकारा जाता रहा है। मुझे यह उपनाम अच्छा लगता है क्योंकि यह मुझे मेरे माता-पिता ने दिया है।’’अधिकारियों ने बताया कि इंदौर में कई प्रत्याशियों ने 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करते वक्त अपने मूल नाम के साथ उपनाम भी जोड़ा है ताकि मतदाता जब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का बटन दबाएं, तो उम्मीदवार की पहचान को लेकर उनमें भ्रम की कोई भी गुंजाइश नहीं l
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dharmarajdas · 11 months
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⚡️परमेश्वर कबीर साहेब प्रकट दिवस⚡️
जो अजन्मा है, स्वयंभू है, वह प्रकट होता है। कबीर साहेब, अमर पुरूष लीला करते हुए बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होते हैं।
इन पंक्तियों में कबीर साहेब जी की महिमा का गुणगान किया गया।
गरीब, भक्ति मुक्ति ले उतरे, मेटन तीनूं ताप।
मोमन के डेरा लिया, कहै कबीरा बाप।
चारों युगों में सिर्फ कबीर परमात्मा के प्रकट होने के ही प्रमाण हैं
सतयुग में सत सुकृत नाम से,
त्रेता में मुनीन्द्र नाम से,
द्वापर में करुणामय नाम से,
और कलयुग में अपने असली नाम कबीर नाम से प्रकट होते हैं।
सन् 1398 (विक्रमी संवत् 1455) ज्येष्ठ मास शुद्धि पूर्णमासी को ब्रह्ममूहूर्त में अपने सत्यलोक से सशरीर आकर परमेश्वर कबीर बालक रूप बनाकर लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर विराजमान हुए।
और नीरु नीमा जुलाहे नि:संतान दंपति को मिले।
इस सारे दृश्य को ऋषि अष्टानन्दजी स्वामी रामानंद जी के शिष्य ने आंखों देखा
पूर्ण परमात्मा कबीर जी का जन्म कभी मां के गर्भ से नहीं होता।
इसलिए उनका प्रकट दिवस मनाया जाता है
कबीर जी अपने प्रकट होने के बारे में कहते हैं -
न मेरा जन्म न गर्भ बसेर, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा तहां जुलाहे ने पाया।।
फिर परमात्मा को घर लेकर आये तो सारे काशी के लोग देखने को आये। फिर परमात्मा ने अपनी लीला शुरू कर दी। काजी आये कुरान लेकर नाम रखने के लिए तो परमात्मा ने उनको चमत्कार दिखाया और अपना नाम कबीर रखाया।
फिर परमात्मा ने 25 दिन तक आहार नहीं किया तो नीरु नीमां चिंतित हो गए तो मालिक ने कुंवारी गाय का दूध पीने की लीला की जिसका प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में स्पष्ट है।
फिर शिशु रुप में कबीर जी की सुन्नत करने आये काजियों को पांच इंद्रियां दिखाये तो बिना सुन्नत किए ही काजी भाग गए
फिर परमेश्वर ने नीरु नीमा की गरीबी दूर की माता-पिता को चिन्तित देख बालक बोला हे माता-पिता! आप चिन्ता न करो।
आपको प्रतिदिन एक सोने की मोहर (दस ग्राम स्वर्ण) पालने के बिछौने के नीचे मिलेगी। आप अपना कर्ज उतार कर अपना तथा गऊ का खर्च निकाल कर शेष बचे धन को धर्म कर्म में लगाना। उस दिन के पश्चात् दस ग्राम स्वर्ण प्रतिदिन नीरू के घर परमेश्वर कबीर जी की कृपा से मिलने लगा।
फिर परमेश्वर कबीर जी ने पांच वर्ष की आयु में स्वामी रामानंद जी को औपचारिक रूप में गुरु बनाया लेकिन वास्तव में कबीर साहेब जी ही रामानंद जी के गुरु थे
रामानंद जी को ज्ञान समझाया उनको सत् भक्ति देकर कल्याण किया रामानंद जी ने कबीर साहेब जी के ज्ञान से परिचित होकर कहा
तुम स्वामी मैं बाल बुद्धि भर्म कर्म किये नाश।
गरीबदास निज ब्रह्म तुम, हमरै दृढ विश्वास।।
सुन बे सुन से तुम परे, ऊरै से हमरे तीर।
गरीबदास सरबंग में, अविगत पुरूष कबीर।।
कोटि-2 सिजदा किए, कोटि-2 प्रणाम।
गरीबदास अनहद अधर, हम परसे तुम धाम।।
बोले रामानन्द जी, सुनों कबीर सुभान।
गरीबदास मुक्ता भये, उधरे पिण्ड अरू प्राण।।
ऐसा कह कर स्वामी रामानन्द जी ��े कबीर परमेश्वर के चरणों में कोटि-2 प्रणाम किया तथा कहा आप परमेश्वर हो, आप ही सतगुरु तथा आप ही तत्त्वदर्शी सन्त हो आप
ही हंस अर्थात् नीर-क्षीर को भिन्न-2 करने वाले सच्चे भक्त के गुणों युक्त हो। कबीर भक्त नाम से यहाँ पर प्रसिद्ध हो वास्तव में आप परमात्मा हो। मैं आपका भक्त आप मेरे गुरु जी।
वास्तव में पूर्ण परमात्मा सर्व सृष्टि रचनहार कुल मालिक कबीर साहेब ही हैं उनकी सत भक्ति करने से ही हम सर्व सुख व पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
वर्तमान में सत भक्ति व सतज्ञान संत रामपाल जी महाराज प्रदान कर रहे हैं।
#KabirPrakatDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#परमेश्वरकबीर_प्रकट दिवस2023
#AppearanceOfGodKabirInKalyug
अधिक जानकारी के लिए "Sant Rampal Ji Maharaj" App Play Store से डाउनलोड करें और "Sant Rampal Ji Maharaj" YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
⬇️⬇️
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
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satlokismyhome · 11 months
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⚡️परमेश्वर कबीर साहेब प्रकट दिवस⚡️
जो अजन्मा है, स्वयंभू है, वह प्रकट होता है। कबीर साहेब, अमर पुरूष लीला करते हुए बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होते हैं।
इन पंक्तियों में कबीर साहेब जी की महिमा का गुणगान किया गया।
गरीब, भक्ति मुक्ति ले उतरे, मेटन तीनूं ताप।
मोमन के डेरा लिया, कहै कबीरा बाप।
चारों युगों में सिर्फ कबीर परमात्मा के प्रकट होने के ही प्रमाण हैं
सतयुग में सत सुकृत नाम से,
त्रेता में मुनीन्द्र नाम से,
द्वापर में करुणामय नाम से,
और कलयुग में अपने असली नाम कबीर नाम से प्रकट होते हैं।
सन् 1398 (विक्रमी संवत् 1455) ज्येष्ठ मास शुद्धि पूर्णमासी को ब्रह्ममूहूर्त में अपने सत्यलोक से सशरीर आकर परमेश्वर कबीर बालक रूप बनाकर लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर विराजमान हुए।
और नीरु नीमा जुलाहे नि:संतान दंपति को मिले।
इस सारे दृश्य को ऋषि अष्टानन्दजी स्वामी रामानंद जी के शिष्य ने आंखों देखा
पूर्ण परमात्मा कबीर जी का जन्म कभी मां के गर्भ से नहीं होता।
इसलिए उनका प्रकट दिवस मनाया जाता है
कबीर जी अपने प्रकट होने के बारे में कहते हैं -
न मेरा जन्म न गर्भ बसेर, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा तहां जुलाहे ने पाया।।
फिर परमात्मा को घर लेकर आये तो सारे काशी के लोग देखने को आये। फिर परमात्मा ने अपनी लीला शुरू कर दी। काजी आये कुरान लेकर नाम रखने के लिए तो परमात्मा ने उनको चमत्कार दिखाया और अपना नाम कबीर रखाया।
फिर परमात्मा ने 25 दिन तक आहार नहीं किया तो नीरु नीमां चिंतित हो गए तो मालिक ने कुंवारी गाय का दूध पीने की लीला की जिसका प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में स्पष्ट है।
फिर शिशु रुप में कबीर जी की सुन्नत करने आये काजियों को पांच इंद्रियां दिखाये तो बिना सुन्नत किए ही काजी भाग गए
फिर परमेश्वर ने नीरु नीमा की गरीबी दूर की माता-पिता को चिन्तित देख बालक बोला हे माता-पिता! आप चिन्ता न करो।
आपको प्रतिदिन एक सोने की मोहर (दस ग्राम स्वर्ण) पालने के बिछौने के नीचे मिलेगी। आप अपना कर्ज उतार कर अपना तथा गऊ का खर्च निकाल कर शेष बचे धन को धर्म कर्म में लगाना। उस दिन के पश्चात् दस ग्राम स्वर्ण प्रतिदिन नीरू के घर परमेश्वर कबीर जी की कृपा से मिलने लगा।
फिर परमेश्वर कबीर जी ने पांच वर्ष की आयु में स्वामी रामानंद जी को औपचारिक रूप में गुरु बनाया लेकिन वास्तव में कबीर साहेब जी ही रामानंद जी के गुरु थे
रामानंद जी को ज्ञान समझाया उनको सत् भक्ति देकर कल्याण किया रामानंद जी ने कबीर साहेब जी के ज्ञान से परिचित होकर कहा
तुम स्वामी मैं बाल बुद्धि भर्म कर्म किये नाश।
गरीबदास निज ब्रह्म तुम, हमरै दृढ विश्वास।।
सुन बे सुन से तुम परे, ऊरै से हमरे तीर।
गरीबदास सरबंग में, अविगत पुरूष कबीर।।
कोटि-2 सिजदा किए, कोटि-2 प्रणाम।
गरीबदास अनहद अधर, हम परसे तुम धाम।।
बोले रामानन्द जी, सुनों कबीर सुभान।
गरीबदास मुक्ता भये, उधरे पिण्ड अरू प्राण।।
ऐसा कह कर स्वामी रामानन्द जी ने कबीर परमेश्वर के चरणों में कोटि-2 प्रणाम किया तथा कहा आप परमेश्वर हो, आप ही सतगुरु तथा आप ही तत्त्वदर्शी सन्त हो आप
ही हंस अर्थात् नीर-क्षीर को भिन्न-2 करने वाले सच्चे भक्त के गुणों युक्त हो। कबीर भक्त नाम से यहाँ पर प्रसिद्ध हो वास्तव में आप परमात्मा हो। मैं आपका भक्त आप मेरे गुरु जी।
वास्तव में पूर्ण परमात्मा सर्व सृष्टि रचनहार कुल मालिक कबीर साहेब ही हैं उनकी सत भक्ति करने से ही हम सर्व सुख व पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
वर्तमान में सत भक्ति व सतज्ञान संत रामपाल जी महाराज प्रदान कर रहे हैं।
#KabirPrakatDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#परमेश्वरकबीर_प्रकट दिवस2023
#AppearanceOfGodKabirInKalyug
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fuleshwari · 11 months
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⚡️परमेश्वर कबीर साहेब प्रकट दिवस⚡️
जो अजन्मा है, स्वयंभू है, वह प्रकट होता है। कबीर साहेब, अमर पुरूष लीला करते हुए बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होते हैं।
इन पंक्तियों में कबीर साहेब जी की महिमा का गुणगान किया गया।
गरीब, भक्ति मुक्ति ले उतरे, मेटन तीनूं ताप।
मोमन के डेरा लिया, कहै कबीरा बाप।
चारों युगों में सिर्फ कबीर परमात्मा के प्रकट होने के ही प्रमाण हैं
सतयुग में सत सुकृत नाम से,
त्रेता में मुनीन्द्र नाम से,
द्वापर में करुणामय नाम से,
और कलयुग में अपने असली नाम कबीर नाम से प्रकट होते हैं।
सन् 1398 (विक्रमी संवत् 1455) ज्येष्ठ मास शुद्धि पूर्णमासी को ब्रह्ममूहूर्त में अपने सत्यलोक से सशरीर आकर परमेश्वर कबीर बालक रूप बनाकर लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर विराजमान हुए।
और नीरु नीमा जुलाहे नि:संतान दंपति को मिले।
इस सारे दृश्य को ऋषि अष्टानन्दजी स्वामी रामानंद जी के शिष्य ने आंखों देखा
पूर्ण परमात्मा कबीर जी का जन्म कभी मां के गर्भ से नहीं होता।
इसलिए उनका प्रकट दिवस मनाया जाता है
कबीर जी अपने प्रकट होने के बारे में कहते हैं -
न मेरा जन्म न गर्भ बसेर, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा तहां जुलाहे ने पाया।।
फिर परमात्मा को घर लेकर आये तो सारे काशी के लोग देखने को आये। फिर परमात्मा ने अपनी लीला शुरू कर दी। काजी आये कुरान लेकर नाम रखने के लिए तो परमात्मा ने उनको चमत्कार दिखाया और अपना नाम कबीर रखाया।
फिर परमात्मा ने 25 दिन तक आहार नहीं किया तो नीरु नीमां चिंतित हो गए तो मालिक ने कुंवारी गाय का दूध पीने की लीला की जिसका प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में स्पष्ट है।
फिर शिशु रुप में कबीर जी की सुन्नत करने आये काजियों को पांच इंद्रियां दिखाये तो बिना सुन्नत किए ही काजी भाग गए
फिर परमेश्वर ने नीरु नीमा की गरीबी दूर की माता-पिता को चिन्तित देख बालक बोला हे माता-पिता! आप चिन्ता न करो।
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फिर परमेश्वर कबीर जी ने पांच वर्ष की आयु में स्वामी रामानंद जी को औपचारिक रूप में गुरु बनाया लेकिन वास्तव में कबीर साहेब जी ही रामानंद जी के गुरु थे
रामानंद जी को ज्ञान समझाया उनको सत् भक्ति देकर कल्याण किया रामानंद जी ने कबीर साहेब जी के ज्ञान से परिचित होकर कहा
तुम स्वामी मैं बाल बुद्धि भर्म कर्म किये नाश।
गरीबदास निज ब्रह्म तुम, हमरै दृढ विश्वास।।
सुन बे सुन से तुम परे, ऊरै से हमरे तीर।
गरीबदास सरबंग में, अविगत पुरूष कबीर।।
कोटि-2 सिजदा किए, कोटि-2 प्रणाम।
गरीबदास अनहद अधर, हम परसे तुम धाम।।
बोले रामानन्द जी, सुनों कबीर सुभान।
गरीबदास मुक्ता भये, उधरे पिण्ड अरू प्राण।।
ऐसा कह कर स्वामी रामानन्द जी ने कबीर परमेश्वर के चरणों में कोटि-2 प्रणाम किया तथा कहा आप परमेश्वर हो, आप ही सतगुरु तथा आप ही तत्त्वदर्शी सन्त हो आप
ही हंस अर्थात् नीर-क्षीर को भिन्न-2 करने वाले सच्चे भक्त के गुणों युक्त हो। कबीर भक्त नाम से यहाँ पर प्रसिद्ध हो वास्तव में आप परमात्मा हो। मैं आपका भक्त आप मेरे गुरु जी।
वास्तव में पूर्ण परमात्मा सर्व सृष्टि रचनहार कुल मालिक कबीर साहेब ही हैं उनकी सत भक्ति करने से ही हम सर्व सुख व पूर्ण मो��्ष प्राप्त कर सकते हैं।
वर्तमान में सत भक्ति व सतज्ञान संत रामपाल जी महाराज प्रदान कर रहे हैं।
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☑️📚पुस्तक और डिलीवरी चार्ज नि: शुल्क (फ्री) है!
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shivnarayankumar · 11 months
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⚡️परमेश्वर कबीर साहेब प्रकट दिवस⚡️
जो अजन्मा है, स्वयंभू है, वह प्रकट होता है। कबीर साहेब, अमर पुरूष लीला करते हुए बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होते हैं।
इन पंक्तियों में कबीर साहेब जी की महिमा का गुणगान किया गया।
गरीब, भक्ति मुक्ति ले उतरे, मेटन तीनूं ताप।
मोमन के डेरा लिया, कहै कबीरा बाप।
चारों युगों में सिर्फ कबीर परमात्मा के प्रकट होने के ही प्रमाण हैं
सतयुग में सत सुकृत नाम से,
त्रेता में मुनीन्द्र नाम से,
द्वापर में करुणामय नाम से,
और कलयुग में अपने असली नाम कबीर नाम से प्रकट होते हैं।
सन् 1398 (विक्रमी संवत् 1455) ज्येष्ठ मास शुद्धि पूर्णमासी को ब्रह्ममूहूर्त में अपने सत्यलोक से सशरीर आकर परमेश्वर कबीर बालक रूप बनाकर लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर विराजमान हुए।
और नीरु नीमा जुलाहे नि:संतान दंपति को मिले।
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फिर परमात्मा ने 25 दिन तक आहार नहीं किया तो नीरु नीमां चिंतित हो गए तो मालिक ने कुंवारी गाय का दूध पीने की लीला की जिसका प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में स्पष्ट है।
फिर शिशु रुप में कबीर जी की सुन्नत करने आये काजियों को पांच इंद्रियां दिखाये तो बिना सुन्नत किए ही काजी भाग गए
फिर परमेश्वर ने नीरु नीमा की गरीबी दूर की माता-पिता को चिन्तित देख बालक बोला हे माता-पिता! आप चिन्ता न करो।
आपको प्रतिदिन एक सोने की मोहर (दस ग्राम स्वर्ण) पालने के बिछौने के नीचे मिलेगी। आप अपना कर्ज उतार कर अपना तथा गऊ का खर्च निकाल कर शेष बचे धन को धर्म कर्म में लगाना। उस दिन के पश्चात् दस ग्राम स्वर्ण प्रतिदिन नीरू के घर परमेश्वर कबीर जी की कृपा से मिलने लगा।
फिर परमेश्वर कबीर जी ने पांच वर्ष की आयु में स्वामी रामानंद जी को औपचारिक रूप में गुरु बनाया लेकिन वास्तव में कबीर साहेब जी ही रामानंद जी के गुरु थे
रामानंद जी को ज्ञान समझाया उनको सत् भक्ति देकर कल्याण किया रामानंद जी ने कबीर साहेब जी के ज्ञान से परिचित होकर कहा
तुम स्वामी मैं बाल बुद्धि भर्म कर्म किये नाश।
गरीबदास निज ब्रह्म तुम, हमरै दृढ विश्वास।।
सुन बे सुन से तुम परे, ऊरै से हमरे तीर।
गरीबदास सरबंग में, अविगत पुरूष कबीर।।
कोटि-2 सिजदा किए, कोटि-2 प्रणाम।
गरीबदास अनहद अधर, हम परसे तुम धाम।।
बोले रामानन्द जी, सुनों कबीर सुभान।
गरीबदास मुक्ता भये, उधरे पिण्ड अरू प्राण।।
ऐसा कह कर स्वामी रामानन्द जी ने कबीर परमेश्वर के चरणों में कोटि-2 प्रणाम किया तथा कहा आप परमेश्वर हो, आप ही सतगुरु तथा आप ही तत्त्वदर्शी सन्त हो आप
ही हंस अर्थात् नीर-क्षीर को भिन्न-2 करने वाले सच्चे भक्त के गुणों युक्त हो। कबीर भक्त नाम से यहाँ पर प्रसिद्ध हो वास्तव में आप परमात्मा हो। मैं आपका भक्त आप मेरे गुरु जी।
वास्तव में पूर्ण परमात्मा सर्व सृष्टि रचनहार कुल मालिक कबीर साहेब ही हैं उनकी सत भक्ति करने से ही हम सर्व सुख व पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
वर्तमान में सत भक्ति व सतज्ञान संत रामपाल जी महाराज प्रदान कर रहे हैं।
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leenakumbhkar123 · 11 months
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⚡️परमेश्वर कबीर साहेब प्रकट दिवस⚡️
जो अजन्मा है, स्वयंभू है, वह प्रकट होता है। कबीर साहेब, अमर पुरूष लीला करते हुए बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होते हैं।
इन पंक्तियों में कबीर साहेब जी की महिमा का गुणगान किया गया।
गरीब, भक्ति मुक्ति ले उतरे, मेटन तीनूं ताप।
मोमन के डेरा लिया, कहै कबीरा बाप।
चारों युगों में सिर्फ कबीर परमात्मा के प्रकट होने के ही प्रमाण हैं
सतयुग में सत सुकृत नाम से,
त्रेता में मुनीन्द्र नाम से,
द्वापर में करुणामय नाम से,
और कलयुग में अपने असली नाम कबीर नाम से प्रकट होते हैं।
सन् 1398 (विक्रमी संवत् 1455) ज्येष्ठ मास शुद्धि पूर्णमासी को ब्रह्ममूहूर्त में अपने सत्यलोक से सशरीर आकर परमेश्वर कबीर बालक रूप बनाकर लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर विराजमान हुए।
और नीरु नीमा जुलाहे नि:संतान दंपति को मिले।
इस सारे दृश्य को ऋषि अष्टानन्दजी स्वामी रामानंद जी के शिष्य ने आंखों देखा
पूर्ण परमात्मा कबीर जी का जन्म कभी मां के गर्भ से नहीं होता।
इसलिए उनका प्रकट दिवस मनाया जाता है
कबीर जी अपने प्रकट होने के बारे में कहते हैं -
न मेरा जन्म न गर्भ बसेर, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा तहां जुलाहे ने पाया।।
फिर परमात्मा को घर लेकर आये तो सारे काशी के लोग देखने को आये। फिर परमात्मा ने अपनी लीला शुरू कर दी। काजी आये कुरान लेकर नाम रखने के लिए तो परमात्मा ने उनको चमत्कार दिखाया और अपना नाम कबीर रखाया।
फिर परमात्मा ने 25 दिन तक आहार नहीं किया तो नीरु नीमां चिंतित हो गए तो मालिक ने कुंवारी गाय का दूध पीने की लीला की जिसका प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में स्पष्ट है।
फिर शिशु रुप में कबीर जी की सुन्नत करने आये काजियों को पांच इंद्रियां दिखाये तो बिना सुन्नत किए ही काजी भाग गए
फिर परमेश्वर ने नीरु नीमा की गरीबी दूर की माता-पिता को चिन्तित देख बालक बोला हे माता-पिता! आप चिन्ता न करो।
आपको प्रतिदिन एक सोने की मोहर (दस ग्राम स्वर्ण) पालने के बिछौने के नीचे मिलेगी। आप अपना कर्ज उतार कर अपना तथा गऊ का खर्च निकाल कर शेष बचे धन को धर्म कर्म में लगाना। उस दिन के पश्चात् दस ग्राम स्वर्ण प्रतिदिन नीरू के घर परमेश्वर कबीर जी की कृपा से मिलने लगा।
फिर परमेश्वर कबीर जी ने पांच वर्ष की आयु में स्वामी रामानंद जी को औपचारिक रूप में गुरु बनाया लेकिन वास्तव में कबीर साहेब जी ही रामानंद जी के गुरु थे
रामानंद जी को ज्ञान समझाया उनको सत् भक्ति देकर कल्याण किया रामानंद जी ने कबीर साहेब जी के ज्ञान से परिचित होकर कहा
तुम स्वामी मैं बाल बुद्धि भर्म कर्म किये नाश।
गरीबदास निज ब्रह्म तुम, हमरै दृढ विश्वास।।
सुन बे सुन से तुम परे, ऊरै से हमरे तीर।
गरीबदास सरबंग में, अविगत पुरूष कबीर।।
कोटि-2 सिजदा किए, कोटि-2 प्रणाम।
गरीबदास अनहद अधर, हम परसे तुम धाम।।
बोले रामानन्द जी, सुनों कबीर सुभान।
गरीबदास मुक्ता भये, उधरे पिण्ड अरू प्राण।।
ऐसा कह कर स्वामी रामानन्द जी ने कबीर परमेश्वर के चरणों में कोटि-2 प्रणाम किया तथा कहा आप परमेश्वर हो, आप ही सतगुरु तथा आप ही तत्त्वदर्शी सन्त हो आप
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वास्तव में पूर्ण परमात्मा सर्व सृष्टि रचनहार कुल मालिक कबीर साहेब ही हैं उनकी सत भक्ति करने से ही हम सर्व सुख व पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
वर्तमान में सत भक्ति व सतज्ञान संत रामपाल जी महाराज प्रदान कर रहे हैं।
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mwsnewshindi · 1 year
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रियलमी ने लॉन्च किया रियलमी 10 5जी; कीमत, चश्मा, डिज़ाइन और अन्य प्रमुख विवरण देखें
रियलमी ने लॉन्च किया रियलमी 10 5जी; कीमत, चश्मा, डिज़ाइन और अन्य प्रमुख विवरण देखें
नई दिल्ली: चीनी स्मार्टफोन निर्माता Realme ने अपने अधिवास देश चीन में Realme 10 5G लॉन्च किया। समूह ने इस सप्ताह की शुरुआत में Realme 10 4G को वैश्विक बाजार में पेश किया। 5G मॉडल एक रीब्रांडेड Realme 9i 5G जैसा दिखता है, इंटर्नल बिल्कुल अलग हैं। 5G डिवाइस का डिज़ाइन 4G वेरिएंट से अलग है। फोन बजट स्मार्टफोन सीरीज का है। Realme 10 5G में एक 90Hz पैनल और एक MediaTek डाइमेंशन चिपसेट है, और इसकी कीमत…
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newsdaliy · 2 years
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50MP कैमरा के साथ Realme C33, भारत में लॉन्च हुई 5000mAh की बैटरी: स्पेसिफिकेशंस, कीमत और बहुत कुछ
50MP कैमरा के साथ Realme C33, भारत में लॉन्च हुई 5000mAh की बैटरी: स्पेसिफिकेशंस, कीमत और बहुत कुछ
मेरा असली रूप ने भारत में एक नए एंट्री-लेवल बजट स्मार्टफोन, Realme C33 का अनावरण किया है। कंपनी का नवीनतम बजट स्मार्टफोन के उत्तराधिकारी के रूप में आता है रियलमी सी31, कुछ महीने पहले देश में लॉन्च किया गया। रियलमी सी33 “असीम सागर” नामक एक नए डिजाइन में आता है। इसके अलावा, स्मार्टफोन में वाटर ड्रॉप-नॉच डिस्प्ले, डुअल कैमरा और साइड-माउंटेड फिंगरप्रिंट सेंसर है। Realme C33: भारत में कीमत,…
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Dizo Buds P TWS ईयरबड्स की कीमत, स्पेसिफिकेशंस इत्तला दे दी, भारत जल्द लॉन्च
Dizo Buds P TWS ईयरबड्स की कीमत, स्पेसिफिकेशंस इत्तला दे दी, भारत जल्द लॉन्च
Dizo भारत में एक नया उत्पाद लॉन्च करने के लिए कमर कस रही है और कंपनी ने सोमवार को सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से इसे छेड़ते हुए कहा कि इसके नाम में “P” होगा। आगामी डिवाइस को Dizo Buds P ट्रू वायरलेस स्टीरियो (TWS) ईयरबड्स होने का अनुमान लगाया जा रहा है। ईयरबड्स की लॉन्च की तारीख अभी तक ब्रांड द्वारा साझा नहीं की गई है, लेकिन इससे पहले, इसके रेंडर, मूल्य विवरण और स्पेसिफिकेशन ऑनलाइन लीक हो गए हैं।…
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जो सीखना चाहता है, वह कहीं से भी सीख सकता है। साधक की दृष्टि ऐसी होनी चाहिए कि जहाँ भी पड़े, साधकोपयोगी उपदेश ही ग्रहण करे। वे सर्वव्यापक गुरूदेव भगवान कभी भी, कहीं भी, किसी भी रूप में उपदेश दें, कैसा ही भला बुरा दृश्य क्यों न आ उपस्थित हो, विवेकवान गुरूसेवी अपने लिए भेजा गया संदेश पकड़ ही लेता है। और लगना हो तो तुक्का भी लग जाए, न लगना हो तो तीर भी न लगे। लोकेशानन्द तो कहता है कि एक ही काफी, और से माफी। कुलटा स्त्री जैसे अपने पति के घर में रहती हुई भी, सब काम प्रसन्नता पूर्वक करती हुई भी, मन ही मन दिन रात अपने यार का चिंतन करती है, तुम भी व्यवहार जगत में सब व्यवहार बढ़िया से बढ़िया निभाते हुए उन भगवान का चिंतन करते रहो। जैसे सगाई हो जाने पर भी कन्या अपने पिता के ही घर में रहती हुई, भीतर ही भीतर अपने होने वाले पति का ही चिंतन करती है, तुम भी जगत में ही रहते हुए, भगवान का स्मरण करो। जैसे विवाह पश्चात अपने मायके आई नवविवाहित बिटिया, विवाहपूर्व की ही तरह, उसी पिता को पिता, माँ को माँ, भाई को भाई कहती है। पुराने ही घर में, पुराने ही कमरे में सोती है। घर का काम भी पहले ही की तरह करती है। पर भूलती नहीं कि यह मेरा घर नहीं है। मैं यहाँ बस दो चार दिन के लिए ही आई हूँ। उसके बाद मुझे अपने असली घर जाना है। वहाँ मेरे पति तड़पते हुए मेरी प्रतीक्षा करते होंगे। ऐसे ही तुम भी जैसे अभी तक जगत में रह रहे हो, वैसे ही रहते हुए, अपने असली घर और अपने असली पति, भगवान को मत भूलो। जैसे लोभी न दिन देखता न रात, न भूख देखता न प्यास, न सुख देखता न चैन, उसे तो हरे हरे नोटों से ही मतलब है। तुम भी भगवान के लोभी बन कर, बस हरि से ही मतलब रखो। जैसे कुल वधु अपने अंग छिपाती है, गर्भवती गर्भ बचा कर चलती है, गाय दुलत्ती मार कर अपना दूध बचाती है, तुम भी अपनी भक्ति, अपना ज्ञान छिपा लो। जैसे कच्चे कूएँ के किनारे बहुत ही सावधानी पूर्वक चला जाता है, ऐसे ही जगत को भी कच्चा कुआँ मानकर, इसके किनारे किनारे सावधानी से चलो, इसमें डूब कर मर मत जाओ। जैसे जल कभी अपना रास्ता नहीं चुनता, अपनी कोई इच्छा नहीं रखता, तुम भी जिद छोड़ कर, जिधर भगवान ले जाएँ, बह चलो। जैसे दौड़ते बादलों के साथ आकाश नहीं दौड़ता, मन लाख दौड़े, आप उसके साथ मत दौड़ो। जैसे सुई के छेद में वही धागा पिरोया जा सकता है जो महीन और सुलझा हुआ हो। वैसे ही भगवान के दरबार में वही साधक प्रवेश पाता है जो सीधा और सरल हो। जैसे पतंगा ��कबार रोशनी देख ले तो फिर अंधकार में नहीं जाता। चींटी एकबार गुड़ देख ले तो फिर उसे छोड़ती नहीं। ऐसे ही तुम भी एकबार माला उठा लो... https://www.instagram.com/p/Cpq14ufyCoj/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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prabudhajanata · 1 year
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मुंबई । एक्ट्रेस Parineeti Chopra ने स्कूबा डाइविंग की शुरुआत शौक के तौर पर की थी, लेकिन अब यह उनका जुनून बन गया है। 9 साल के मुश्किल ट्रेनिंग, रेस्क्यू सेंशन और सौ से अधिक डाइव लगाने के बाद, Parineeti Chopra ने मास्टर स्कूबा डाइवर का खिताब हासिल किया है। इस खास खबर को शेयर करने के लिए परिणीति चोपड़ा ने अपने सोशल मीडिया का सहारा लिया। उसने लिखा: अब मैं एक मास्टर स्कूबा डाइवर हूं! यह बिल्कुल असली एहसास है! 9 साल का मेरा सपना आखिरकार सच हो गया है। उन सभी वर्षों के फोकस, रेस्क्यू ट्रेनिंग और कड़ी मेहनत का नतीजा है! मैं वास्तव में सम्मानित महसूस कर रहा हूं। अब आप परिवार की तरह हैं। साथ ही, मुझे वह सब कुछ सिखाने के लिए जो मैं जानती हूं, अनीस और शमीन अदनवाला का धन्यवाद। आप हमेशा के लिए मेरे डाइव पैरेंट्स हैं! परिणीति को आखिरी बार सूरज बड़जात्या द्वारा निर्देशित ऊंचाई में देखा गया था, जिसे अभिषेक दीक्षित ने सुनील गांधी की एक मूल कहानी के आधार पर लिखा था, और राजश्री प्रोडक्शंस, बाउंडलेस मीडिया और महावीर जैन फिल्म्स द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित किया गया था। इसमें अमिताभ बच्चन, अनुपम खेर, बोमन ईरानी, डैनी डेन्जोंगपा, परिणीति चोपड़ा, नीना गुप्ता और सारिका जैसे कलाकारों है। वह जल्द ही दिलजीत दोसांझ के साथ चमकीला और अक्षय कुमार अभिनीत कैप्सूल गिल में दिखाई देंगी।
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