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#माता पिता ने बच्चे को बेचा
rudrjobdesk · 2 years
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मां ने साढे 5 लाख में 15 दिन के मासूम को बेचा, पति ने भी दिया साथ, पैसों से खरीदी बाइक-फ्रिज और टीवी
मां ने साढे 5 लाख में 15 दिन के मासूम को बेचा, पति ने भी दिया साथ, पैसों से खरीदी बाइक-फ्रिज और टीवी
इंदौर. मध्य प्रदेश के इंदौर में एक नवजात बच्चे को बेचने का मामला सामने आया है. मामले का खुलासा करते हुए पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. नवजात को साढ़े पांच लाख रुपये में देवास के एक दंपत्ति को बेचा गया था. सबको कमीशन मिलने के बाद बच्चे के माता पिता को आधे पैसे मिले थे. बच्चे को बेचने वाले मां बाप ने पैसों से मोटर साइकिल और घरेलू सामान खरीद लिया था. दरअसल 15 दिन के बच्चे के खरीद फरोख्त का…
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nationalnewsindia · 2 years
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news-on · 4 years
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दैनिक भास्कर के जर्नलिस्ट बंबई से बनारस के सफर पर निकले हैं। उन्हीं रास्तों पर जहां से लाखों लोग अपने-अपने गांवों की ओर चल पड़े हैं। नंगे पैर, पैदल, साइकिल, ट्रकों पर और गाड़ियों में भरकर। हर हाल में वे घर जाना चाहते हैं, आखिर मुश्किल वक्त में हम घर ही तो जाते हैं। हम उन्हीं रास्तों की जिंदा कहानियां आप तक ला रहे हैं। पढ़ते रहिए…
14वीं रिपोर्ट, वाराणसी के कोरोना हॉट स्पॉट गांव रुस्तमपुर से:
बनारस से लगभग आठ किलोमीटर दूर वाराणसी सदर तहसील का रुस्तमपुर गांव कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया है। इस गांव के प्रधान राममूरत यादव बताते हैं कि उनके गांव में मुंबई से आए राजेश गुप्ता की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है। उसके परिवार के लोगों के साथ गांव वाले बहुत ही बुरा बर्ताव कर रहे हैं। जब उसे घरवाले दूर से खाना देने आते हैं, तो लोग उन्हें गालियां बकते हैं।
रुस्तमपुर गांव के प्रधान बताते हैं, गांव में अब तक लगभग 40-45 लोग मुंबई और बाकी शहरों से आये हैं। जिसमें से गांव के सरकारी स्कूल में 4 लोगों को क्वारैंटाइन किया गया है। बाकी लोग डीएम के आदेश पर होम क्वारैंटाइन है।
सरकारी स्कूल में क्वारैंटाइन हुए नत्थू यादव विरार में वड़ापाव बेचा करते थे। रोजाना करीब 4-5 हजार रुपए का धंधा होता था और लगभग हजार रुपए खर्च निकालकर बाकी बचा लेते थे। उनकी दुकान चलाने में मदद करने वाले दो लड़के सूरज और हेरू यादव भी स्कूल में ही क्वारैंटाइन हैं। वे विरार से सारनाथ तक एक जीप से आए हैं। उनकी शिकायत है कि गांव के लोग उनके साथ अछूतों जैसा व्यवहार करते हैं। जबकि हम लोग अपनी ओर से पूरी सावधानी बरत रहे हैं।
रुस्तमपुर गांव के इसी स्कूल में बाहर से लौटे 4 लोगों को क्वारैंटाइन किया गया है।
नत्थू यादव और उनके साथ आए दोनों लड़कों की टेस्ट रिपोर्ट आना अभी बाकी है। मगर जिस स्कूल में ये लोग क्वारैंटाइन हैं। उसी में बगल के कमरे में राजेश गुप्ता की रिपोर्ट पॉजिटिव आने से ये लोग डरे हुए हैं।
विलेपार्ले में रहने वाला विशाल कुमार प्रजापति भी यहां क्वारैंटाइन है। वह मुंबई में वैल्डिंग का काम करता था और 20 हजार रुपए पगार पाता था। विशाल मुंबई से साढ़े तीन हजार रुपए देकर ट्रक से सारनाथ पहुंचा था। उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। उसे क्वारैंटाइन हुए लगभग नौ दिन पूरे हो गए हैं।
मुंबई से लौटे ज्यादातर परिवार घर में होम क्वारैंटाइन हैं।
खेत में मचान बना क्वारैंटाइन में रह रहा दिनेश
वैसे तो गांव में ज्यादातर लोग अपने अपने घरों में ही क्वारैंटाइन हैं। जिनके घर में जगह नहीं है उनके परिवार उन्हें घर पर नहीं रहने दे रहे हैं। वे लोग खेतों खलिहानों में मचान बनाकर रह रहे हैं। दिनेश यादव भी अपने खेत में मचान बनाकर रह रहे हैं।
दिनेश मुंबई के मलाड में रहते थे जहां आरओ फिटिंग का काम करते थे। वह भी हर हाल में मुंबई वापस जाएंगे। उनका कहना है गांव में ज्यादा से ज्यादा एक महीने तक खा लेंगे उसके बाद ��ुखमरी के दिन आएंगे।
वह कहते हैं कि उनके परिवार में उनकी पत्नी, बच्चे, भाई और माता-पिता हैं। उन लोगों ने उन्हें घर पर नहीं रहने दिया, इसलिए वह मचान पर रह रहे हैं। उबलती दोपहर में वह अपनी मचान में पपीता खा रहे हैं।
दिनेश बताते हैं कि उन्होंने स्थानीय दीन दयाल उपाध्यय अस्पताल से कोरोना की जांच करवाई रिपोर्ट नॉर्मल आई है बावजूद इसके परिवार का कहना है कि उसे 14 दिन घर से बाहर रहना चाहिए। दिनेश ने भी परिवार वालों की बात मान ली क्योंकि वह नहीं चाहता कि घर में उसकी वजह से किसी और को कोई दिक्कत आए।
वाराणसी में 4640 लोग ट्रेन से आए, बाकी बिना सूचना के ट्रक, टेंपो, जीप और ऑटो से वाराणसी सदर के एसडीएम महेंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक, बनारस में अभी तक 4640 लोग ट्रेन से आए हैं। इसके अलावा बिना सूचना के ट्रक, टेंपों, जीप और ऑटो रिक्शा से भी बड़ी संख्या में लोग मुंबई, दिल्ली और गुजरात के शहरों से आए हैं। सभी की पहचान कर उनकी मेडिकल जांच कराई जा रही है। रुस्तमपुर गांव में पॉजिटिव केस मिला है, इसलिए इस गांव को हॉटस्पॉट घोषित कर दिया गया है। जिस स्कूल में मजदूर को क्वारैंटाइन रखा गया था। उसे सील कर दिया गया है। इसके अलावा पॉजिटिव मिले व्यक्ति की पत्नी माधुरी गुप्ता व अन्य सदस्य की भी मेडिकल जांच करवाई जानी है।
बंबई कब खुलेगा मुझे बस यह बताओ…
गांव रूस्तमपुर संतोष मौर्या अपने घर में क्वारैंटाइन हैं। अकेले अलग थलग से कमरे में वह दूर से ही हमसे बात कर रहे हैं। उनकी एक ही चिंता है ‘बंबई कब खुलेगा, खुलेगा या नहीं, गांव में तो 5 रुपये का काम नहीं, वहां मैं रोज 500 कमा लेता था।’ मौर्या 1996 में मुंबई गए थे।
संतोष मौर्या के पास जमीन भी नहीं है। वह बीते छह दिन से घर में हैं। मुंबई में नालासोपारा में टेलरिंग का काम करते थे। अपने साले के साथ चार दिन में ऑटो से मुंबई से रूस्तमपुर पहुंचे।
संतोषअपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का बहुत शौक था। वह कहते हैं ‘मैं बंबई न गया तो बच्चे न पढ़ा सकूंगा क्योंकि यहां तो मेरे पास पढ़ाने के पैसे तो दूर खाने की भी दिक्कत आ रही है।’
संतोष के अनुसार राशकार्ड पर तीन लोगों का गेंहू-चावल मिलता है लेकिन इसके अलावा भी खाने के लिए चाहिए होता है। मसाले, सब्जी, दूध, बच्चों की फीस, दवा वगैरह।संतोष के पांच बच्चे हैं और सभी गांव के एसएसबी इंटर मीडिएट कॉलेज स्कूल में पढ़ते हैं। पांचों की 250-250 रुपये फीस है।
संतोष की पत्नी बिमला देवी बताती हैं जो होता था इनके पैसों से ही होता था। जितना चलता था यही (संतोष) चलाते थे। अब खाली बैठे हैं। बिमला के अनुसार यह लोग कर्ज पर पैसे लेने की सोच रहे थे लेकिन ब्याज नहीं चुका सकते, इसलिए नहीं लिया। बिमला का कहना है कि ब्याज पर पैसे नहीं मिलेंगे क्योंकि लोगों को पता है कि हम लोग न तो मूल भी चुका नहीं पाएंगे।
खेती और पशु के अलावा गांव में आजीविका के ज्यादा साधन नहीं हैं।
बिमला बताती हैं ‘गांव में तो पहले से भी कुछ नहीं था, इसीलिए तो बंबई गए थे। जो थी वो इनकी कमाई थी।’ बिमला को भी चिंता है कि शायद अब उसके बच्चे प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ पाएंगे। वह कहती है कि स्कूल खुल भी जाएंगे तो उनके पास बच्चों की फीस भरने के पैसे नहीं ���ैं।
बंबई से बनारस तक मजदूरों के साथ भास्कर रिपोर्टरों के इस 1500 किमी के सफर की बाकी खबरें यहां पढ़ें:
बंबई से बनारस Live तस्वीरें / नंगे पैर, पैदल, साइकिल से, ट्रकों पर और गाड़ियों में भरकर अपने घर को चल पड़े लोगों की कहानियां कहतीं चुनिंदा तस्वीरें
पहली खबर: 40° तापमान में कतार में खड़ा रहना मुश्किल हुआ तो बैग को लाइन में लगाया, सुबह चार बजे से बस के लिए लाइन में लगे 1500 मजदूर
दूसरी खबर:2800 किमी दूर असम के लिए साइकिल पर निकले, हर दिन 90 किमी नापते हैं, महीनेभर में पहुंचेंगे
तीसरी खबर:मुंबई से 200 किमी दूर आकर ड्राइवर ने कहा और पैसे दो, मना किया तो गाड़ी किनारे खड़ी कर सो गया, दोपहर से इंतजार कर रहे हैं
चौथी खबर: यूपी-बिहार के लोगों को बसों में भरकर मप्र बॉर्डर पर डंप कर रही महाराष्ट्र सरकार, यहां पूरी रात एक मंदिर में जमा थे 6000 से ज्यादा मजदूर
पांचवीं खबर: हजारों की भीड़ में बैठी प्रवीण को नवां महीना लग चुका है और कभी भी बच्चा हो सकता है, सुबह से पानी तक नहीं पिया है ताकि पेशाब न आए
छठी खबर: कुछ किमी कम चलना पड़े इसलिए रफीक सुबह नमाज के बाद हाईवे पर आकर खड़े हो जाते हैं और पैदल चलने वालों को आसान रास्ता दिखाते हैं
सातवीं खबर:60% ऑटो-टैक्सी वाले गांव के लिए निकल गए हैं, हम सब अब छह-आठ महीना तो नहीं लौटेंगे, कभी नहीं लौटते लेकिन लोन जो भरना है
आठवीं खबर: मप्र के बाद नजर नहीं आ रहे पैदल मजदूर; जिस रक्सा बॉर्डर से दाखिल होने से रोका, वहीं से अब रोज 400 बसों में भर कर लोगों को जिलों तक भेज रहे हैं
नौवीं खबर: बस हम मां को यह बताने जा रहे हैं कि हमें कोरोना नहीं हुआ है, मां को शक्ल दिखाकर, फिर वापस लौट आएंगे
दसवीं खबर: रास्ते में खड़ी गाड़ी देखी तो पुलिस वाले आए, पूछा-पंचर तो नहीं हुआ, वरना दुकान खुलवा देते हैं, फिर मास्क लगाने और गाड़ी धीमी चलाने की हिदायत दी
ग्यारहवीं खबर: पानीपत से झांसी पहुंचे दामोदर कहते हैं- मैं गांव आया तो जरूर, पर पत्नी की लाश लेकर, आना इसलिए आसान था, क्योंकि मेरे साथ लाश थी
बारहवीं खबर :गांव में लोग हमसे डर रहे हैं, कोई हमारे पास नहीं आ रहा, जबकि हमारा टेस्ट हो चुका है और हमें कोरोना नहीं है, फिर भी गांववालों ने हउआ बनाया
तेरहवीं खबर: वे जंग लगी लूम की मशीनें देखते हैं, कूड़े में कुछ उलझे धागों के गुच्छे हैं; कहते हैं, कभी हम सेठ थे, फिर मजदूर हुए, अब गांव लौटकर जाने क्या होंगे
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Go to Source बनारस में कोरोना का हॉटस्पाट है गांव रुस्तमपुर, इकलौते पॉजिटिव मरीज के परिवार के लोग उसे क्वारैंटाइन सेंटर में खाना देने आते हैं तो गांववाले गालियां बकते हैं दैनिक भास्कर के जर्नलिस्ट बंबई से बनारस के सफर पर निकले हैं। उन्हीं रास्तों पर जहां से लाखों लोग अपने-अपने गांवों की ओर चल पड़े हैं। नंगे पैर, पैदल, साइकिल, ट्रकों पर और गाड़ियों में भरकर। हर हाल में वे घर जाना चाहते हैं, आखिर मुश्किल वक्त में हम घर ही तो जाते हैं। हम उन्हीं रास्तों की जिंदा कहानियां आप तक ला रहे हैं। पढ़ते रहिए...
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chaitanyabharatnews · 5 years
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क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाने और मोबाइल खरीदने के लिए महिला ने बेच दिए जुड़वां बच्चे, दो हफ्ते से भी कम थी उम्र
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चैतन्य भारत न्यूज कई लोगों के शौक बड़े ही अजीबोगरीब होते हैं। कुछ लोग तो अपने शौकों को पूरा करने के चक्कर में ऐसे काम कर बैठते हैं जिसकी कोई उम्मीद भी नहीं कर सकता है। ऐसा ही एक महिला ने किया, जिसने अपने शौक को पूरा करने के चक्कर में अपने बच्चों को ही बेच दिया। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); जी हां... यह मामला चीन के झ���जिआंग के सिक्सी का है जहां रहने वाली एक महिला ने अपने क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाने के लिए अपने दो जुड़वां बच्चों को बेच दिया। सूत्रों के मुताबिक, महिला के क्रेडिट कार्ड का बिल 6 लाख 56 हजार रुपए तक पहुंच गया था। बिल चुकाने के लिए जब उसके पास पैसे नहीं बचे तो उसने अपने जुड़वां बच्चों को ही बेच दिया। सूत्रों के मुताबिक, बच्चों की उम्र अभी दो हफ्ते भी नहीं हुई थी और उसने अपने दोनों बच्चों अलग-अलग परिवारों को बेच दिया। बच्चों को खरीदने वाले परिवार महिला के घर से करीब 700 किलोमीटर दूर रहते हैं। इतना ही नहीं बल्कि बच्चों को बेचकर जो पैसे मिले उससे महिला ने नया फोन भी खरीद लिया। महिला और उसके पार्टनर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और उनके बच्चों को रेस्क्यू कर महिला के माता-पिता को सौंप दिया गया है। महिला की उम्र 25-30 वर्ष बताई जा रही है। स्थानीय पुलिस के मुताबिक, महिला ने अपने एक बच्चे को 4.5 लाख रुपए में और दूसरे बच्चे को 2 लाख रुपए में बेचा था। महिला ने सितंबर में ही प्रीमैच्योर बच्चों को जन्म दिया था। जब उसका पार्टनर अस्पताल नहीं आया और न ही उसके घरवालें महिला की मदद के लिए आए तो उसे दोनों बच्चे बोझ लगने लगे और फिर उसने ऐसा कदम उठाया। ये भी पढ़े.... खूबसूरती न घट जाए इसलिए निर्दयी मां ने एक महीने की बेटी को स्तनपान कराने से किया मना प्यार में धोखा मिला तो मां ने स्तन पर जहर लगाकर बच्चे को दूध पिलाकर मार डाला पति की मौत के 10 साल बाद प्रेग्नेंट पत्नी ने दिया 2 बच्चों को जन्म   Read the full article
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journalistcafe · 4 years
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बॉलीवुड की मशहूर प्लेबैक सिंगर नेहा कक्कड़ को आज किसी परिचय की जरूरत नहीं है। सिंगर आज अपना 32वां जन्मदिन मना रही हैं। उनका जन्म 6 जून 1988 को ऋषिकेश में हुआ था।
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Jis bhi haal mein the, Mumma Papa ne Humein Humesha Khush Rakha ❤️🙏🏼 Lucky to have the Best Parents in the world!! 🙌🏼 Love You Maa Papa ❤️ #HappyChildrensDay #NehaKakkar #ChotiNehu #KakkarFamily
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#GoaBeach Out Tomorrow! 🏖❤️ . 10th Feb 😇 @tonykakkar 🙌🏼
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नेहा बॉलीवुड की इकलौती ऐसी सिंगर हैं जिनके इंस्टाग्राम पर 38 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। नेहा ने बॉलीवुड में अपने दम पर आज एक बड़ा मुकाम हासिल किया है। लेकिन नेहा आज जिस मुकाम पर हैं, उसकी राह आसान नहीं थी।
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Chandrapur was Bigger Crowd than Expected!! It was hugeeeeeeee 😍 . Thank you #MaharashtraPolice and #Chandrapur for making #NehaKakkarLive most Rocking!! 🔥❤️🙏🏼 . Flying Back to #Mumbai now ❤️😇 . #NehuDiaries #NehaKakkar
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Fly 🦋 . #NehaKakkar #NehuDiaries #Bali . Outfit: @stylebysugandhasood . Outfit by @mehakmurpanalabel . Jewellery: @gewelsbymona . Assisted by @jangidpooja1998
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पिता बेचते थे समोसा-
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#HappyFathersDay to the #BestFather in the world!! I love you Papa.. Most Hardworking Man I’ve come across.. 🙌🏼♥️ हम तीनो आपके बिना कुछ भी नहीं बन सकते थे पापा.. सब आपकी वजह से ही है!! 🙏🏼 #JaiKakkar #NehaKakkar #KakkarFamily
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Happy Birthday to the Best Father in the world!! 🙏🏼 Love you #Papa ♥️ #KakkarFamily #KakkarSiblings @sonukakkarofficial @tonykakkar #SonuKakkar#TonyKakkar #NehaKakkar #FamilyGoals 😍
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नेहा ने कई इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने बचपन में काफी गरीबी देखी है। नेहा की शुरुआती शिक्षा ऋषिकेश से हुई है, वो बताती हैं कि जिस स्कूल में वो पढ़ती थीं उसी के बाहर उनके पिता समोसा बेचा करते थे। इस कारण बच्चे उन्हें बेहद चिढ़ाते थे।
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Yellow Yellow Clean and Tidy Fellow!! 😋 #NehaKakkar 💛 #NehuDiaries . . 📷 @themediatronic . #LoveYellow #Style
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I’m in #Miami B….!! I mean I Was 😋 #NehaKakkar #NehuDiaries ♥️. #MiamiBeach #BeachLife . 📷 @themediatronic
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जागरण में गाया करती थीं नेहा-
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#LifeIsBeautiful 💖😇 #NehaKakkar #NehuDiaries . . 📷 @deepikasdeepclicks 😘
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One of my Favourite Looks from My Next Single #NikleCurrant 🔥 #6Days to go!! 😬 Excited?! . #NehaKakkar Cute Top by @iamkenferns 😎 . @ritikavatsmakeupandhair
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नेहा कक्कड़ 4 साल की थीं, तो गायकी की शुरुआत हो गई थी। वह माता के जागरण में गाया करती थीं। 2006 में रियलिटी शो इंडियन आइडल में भाग लेने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
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Thank you @westindoha for such amazing hospitality.. Specially The Spa and Hand Made Neha Doll 😍 #NehaKakkar #Doha #Qatar #NehuDiaries
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Do not forget to watch #SuperStarSinger Tonite at 8 pm. Only on Sony 😎 🤗. @thecontentteamofficial Show ♥️🤗 . My outfit by @aomcouture . @stylebysugandhasood . Jewellery: @the_jewel_gallery . Assisted by @jangidpooja1998 . Make Up by @vibhagusainmakeupandhair . Hair: @hairstories_byseema . #NehaKakkar #TheContentTeam
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कई सारे एलबम में अपनी आवाज का जादू बिखेरने के अलावा नेहा ने कई लाइव शोज भी किये हैं। बॉलीवुड की कई फ‍िल्‍मों में गाने गाए हैं।
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How Many of You Like Me in #CurlyHair!?? ☺️♥️. #NehaKakkar . Styled By : @styledose1 Outfit by @Sakk2k11 Coordinated by @stylegurukul Jewellery By @rimayu07 @ritikavatsmakeupandhair . #IndianAttire #IndianIdol #IndianIdol10
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#20Million Views on #NikleCurrant 💃🏻 Can’t thank you guys enough for all the love and support 🤗🙏🏼 I Specially Wanna Thank My #NeHearts & #Jassians YOU guys made this one a Hit! ♥️🙏🏼 . #NehaKakkar #JassieGill #Jaani #MuzicalDoctorz #ArvinderKhaira @tseries.official
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यह भी पढ़ें: जब सेट पर रो पड़ी नेहा कक्कड़
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Neha Kakkar : कभी जगराते में गाती थीं, अब जीती हैं ऐसी जिंदगी, देखें Photos बॉलीवुड की मशहूर प्लेबैक सिंगर नेहा कक्कड़ को आज किसी परिचय की जरूरत नहीं है। सिंगर आज अपना 32वां जन्मदिन मना रही हैं। उनका जन्म 6 जून 1988 को ऋषिकेश में हुआ था।
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shamakhannauniverse · 7 years
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सुच्चा सौदा
भगत जी,आज घर मे खाने को कुछ नही है,आटा, नमक,दाल, चावल,गुड़ शक्कर सब खत्म हो गया है,शाम को बाजार से आते हुए घर के लिए राशन का सामान लेते आईयेगा,, कन्धे पर कपड़े का थान लादे,हाट बाजार जाने की तैयारी करते हुए,भगत कबीर जी को माता लोई जी ने सम्बोधन करते हुए कहा देखता हूँ,लोई जी,अगर कोई अच्छा मूल्य मिला,तो निश्चय ही घर मे आज धन धान्य आ जायेगा कबीर जी ने उत्तर दिया सांई जी,अगर अच्छी कीमत ना भी मिले तब भी इस बुने थान को बेच कर कुछ राशन तो ले आना,घर के बड़े बूढ़े तो भूख बर्दाश्त कर लेंगे पर कमाल ओर कमाली अभी छोटे हैं, उनके लिए तो कुछ ले ही आना जैसी मेरे राम की इच्छा, ऐसा कह के कबीर हाट बाजार को चले गए बाजार में उन्हें किसी ने पुकारा वाह सांई,कपड़ा तो बड़ा अच्छा बुना है,ठोक भी अच्छी लगाई है,तेरा परिवार बसता रहे,ये फकीर ठंड में कांप कांप कर मर जाएगा,दया के घर मे आ,ओर रब के नाम पर 2 चादरे का कपड़ा इस फकीर की झोली में डाल दे 2 चादरे में कितना कपड़ा लगेगा फकीर जी? फकीर ने जितना कपड़ा मांगा, इतेफाक से कबीर जी के थान में कुल कपड़ा उतना ही था कबीर जी ने थान फकीर को दान कर दिया दान करने के बाद,जब घर लौटने लगे तो उनके सामने अपनी माँ नीमा, वृद्ध पिता नीरू,छोटे बच्चे कमाल,ओर कमाली के भूखे चेहरे नजर आने लगे फिर लोई जी की कही बात घर मे खाने की सब सामग्री खत्म है,दाम कम भी मिले तो भी कमाल ओर कमाली के लिए कुछ ले आना अब दाम तो क्या?थान भी दान जा चुका था कबीर गंगा तट पर आ गए जैसी मेरे राम की इच्छा,जब सारी सृष्टि की सार खुद करता है,अब मेरे परिवार की सार भी वो ही करेगा कबीर अपने राम की बन्दगी में खो गए अब भगवान कहां रुकने वाले थे,कबीर ने सारे परिवार की जिम्मेवारी अब उनके सुप���र्द कर दी थी अब भगवान जी ने कबीर जी की झोपड़ी का दरवाजा खटखटाया कौन है माता लोई जी ने पूछा कबीर का घर यहीं है ना? भगवान जी ने पूछा हांजी,लेकिन आप कौन? सेवक की क्या पहचान होती है भगतानी? जैसे कबीर राम का सेवक,वैसे मैं कबीर का सेवक ये राशन का सामान रखवा लो माता लोई जी ने दरवाजा पूरा खोल दिया फिर इतना राशन घर मे उतरना शुरू हुआ कि घर के जीवों की घर में रहने की जगह कम पड़ गई इतना सामान, कबीर जी ने भेजा? मुझे नही लगता हाँ भगतानी,आज कबीर का थान सच्ची सरकार ने खरीदा है जो कबीर का सामर्थ्य था उसने भुगता दिया जो मेरी सरकार का सामर्थ्य है वो चुकता कर रही है जगह और बना,सब कुछ आने वाला है भगत जी के घर में शाम ढलने लगी थी,रात का अंधेरा अपने पांव पसारने लगा था समान रखवाते रखवाते लोई जी थक चुकी थी,नीरू ओर नीमा घर मे अमीरी आते देख खुश थे,कमाल ओर कमाली कभी बोरे से शक्कर निकाल कर खाते, कभी गुड़,कभी मेवे देख कर मन ललचाते, झोली भर भर कर मेवे ले कर बैठे उनके बालमन,अभी तक तृप्त नही हुए थे कबीर अभी तक घर नही आये थे,सामान आना लगातार जारी था आखिर लोई जी ने हाथ जोड़ कर कहा सेवक जी,अब बाकी का सामान कबीर जी के आने के बाद ही आप ले आना,हमे उन्हें ढूंढने जाना है,वो अभी तक घर नही आए वो तो गंगा किनारे सिमरन कर रहे हैं भगवन बोले नीरू,नीमा,लोई जी,कमाल ओर कमाली को ले गंगा किनारे आ गए कबीर जी को समाधि से उठाया सब परिवार को सामने देख,कबीर जी सोचने लगे जरूर ये भूख से बेहाल हो मुझे ढूंढ रहे हैं इससे पहले कबीर जी कुछ बोलते उनकी माँ नीमा जी बोल पड़ी कुछ पैसे बचा लेने थे,अगर थान अच्छे भाव बिक गया था,सारा सामान तूने आज ही खरीद कर घर भेजना था क्या? कबीर जी कुछ पल के लिए विस्मित हुए फिर लोई जी,माता पिता और बच्चों के खिलते चेहरे देख कर उन्हें एहसास हो गया जरूर मेरे राम ने कोई खेल कर दी है अच्छी सरकार को आपने थान बेचा, वो तो समान घर मे फैंकने से रुकता ही नही था,पता नही कितने वर्षों तक का राशन दे गया,उससे मिन्नत कर के रुकवाया,बस कर,बाकी कबीर जी के आने के बाद उनसे पूछ कर कहीं रख्वाएँगे लोई जी ने शिकायत की कबीर हँसने लगे और बोले लोई जी,वो सरकार है ही ऐसी,जब देंना शुरू करती है तो सब लेने वाले थक जाते है,उसकी बख्शीश कभी भी खत्म नही होती,उस सच्ची सरकार की तरह सदा कायम रहती है
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abhay121996-blog · 3 years
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मां ने ठुकराया... फिर कानूनी चक्कर ने अनाथ बनाया... ढाई साल की मासूम को आखिर मिला घर Divya Sandesh
#Divyasandesh
मां ने ठुकराया... फिर कानूनी चक्कर ने अनाथ बनाया... ढाई साल की मासूम को आखिर मिला घर
नई दिल्ली महाराष्ट्र के चाइल्ड केयर में रह रही ढाई साल की बच्ची को आखिरकार उसका घर मिल ही गया। यह बच्ची अपने जन्म के पांच महीने के बाद ही चाइल्ड केयर होम में रहने को मजबूर थी। शुक्रवार को मामले से जुड़ी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस बच्ची को गोद लेने वाले पेरेंट्स को इसकी अंतरिम कस्टडी लेने का आदेश सुनाया।
अदालत के आदेश से अनाथ हुई थी बच्ची अदालत ने इस मामले में बाल न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम से लेकर पैदा होने वाली त्रासद स्थिति और न्यायिक प्रणाली की स्थिति का भी जिक्र किया। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच ने कहा कि आम तौर पर, एक बच्चा प्राकृतिक घटनाओं (जब माता-पिता दोनों की मृत्यु हो जाती है) से अनाथ हो जाता है। लेकिन इस मामले में, बच्ची अदालत के आदेश से अनाथ हो गई।
बच्ची को अपने पास नहीं रखना चाहती थी मां कोर्ट ने बच्ची को गोद लेने पेरेंट्स कृपाल अमरीक सिंह और उनकी पत्नी बलविंदर कौर को अंतरिम कस्टडी देकर बच्चे को मुंबई के चाइल्डकेअर से घर लेना जाने की अनुमति दी। बच्ची को जन्म देने वाली मां भी इस फैसले के हक में थी। बच्ची की मां ने इसके जन्म की दो वजह बताई थी। इसमें उसके नौकरी देने वाले के रेप के अलावा अपने एक दोस्त के साथ संबंध की बात कही गई थी।
बच्ची को बेचने की थी आशंका लड़की का जन्म 8 जनवरी, 2019 को हुआ था। आठ दिन बाद, एक एनजीओ ‘चाइल्डलाइन’ ने महाराष्ट्र सरकार के तहत बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को सूचित किया कि मां बच्ची की देखभाल नहीं कर रही है। एनजीओ ने यह भी बताया कि उसकी मां बच्ची को किसी को गोद देने या किसी आश्रम में रखने के लिए तैयार थी। एनजीओ ने आशंका जताई कि मां बच्ची को बेच सकती है।
जन्म देने वाली मां और गोद लेने वाले पर केस सीडब्ल्यूसी ने मां को हर महीने एक बार बच्चे के साथ उसके सामने पेश होने का निर्देश दिया। लेकिन 22 जनवरी, 2019 को, मां ने कृपाल अमरीक सिंह और उनकी पत्नी के पक्ष में एक नोटरीकृत एडॉप्शन डीड के माध्यम से अपने बच्चे को गोद लेने की सहमति दे दी। वे लोग बच्ची को पंजाब ले गए। जब एनजीओ को पता चला कि बच्चे को 40,000 रुपये में बेचा गया है तो उसने सीडब्ल्यूसी को सूचित किया। इसके बाद कृपाल अमरीक सिंह और बच्ची की मां के खिलाफ 18 जून, 2019 को केस दर्ज हो गया। सीडब्ल्यूसी ने बालिका को एक वात्सल्य ट्रस्ट को सौंपने का निर्देश दिया।
पिछले डेढ़ साल से कस्टडी लेने का प्रयास अमरीक सिंह का परिवार पिछले डेढ़ साल से बच्ची की कस्टडी के लिए बार-बार सीडब्ल्यूसी और बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा रहा है। लेकिन हाईकोर्ट इस बात पर अड़ा रहा कि इन परिस्थितियों में सीडब्ल्यूसी ने सही काम किया। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अमरीक सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
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