Tumgik
#पंक्तियां
helputrust · 4 months
Text
Tumblr media Tumblr media
इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में
तुमको लग जाएंगी सदियां हमें भुलाने में।
आज भी होती है दुनिया पागल
जाने क्या बात है नीरज के गुनगुनाने में।
लखनऊ 04.01.2024 | गीत ऋषि पद्मभूषण डॉ गोपाल दास नीरज जी द्वारा लिखी गई यह पंक्तियां उनके शानदार व्यक्तित्व व सफलता की कहानी कहती हैं  | नीरज जी जैसे व्यक्तित्व को भूल पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है | आज नीरज जी 99वी जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के सेक्टर 25, इंदिरा नगर स्थित कार्यालय मे, ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक तथा महाकवि "गीतों के दरवेश" पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास 'नीरज' जी को श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया |
नीरज जी के साथ अपनी यादों को ताजा करते हुए ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्षवर्धन अग्रवाल ने बताया कि, " अपने पूरे जीवन में हमने नीरज जी जैसा व्यक्तित्व नहीं देखा | इतने महान शायर, जिंदा दिल कवि, मशहूर गीतकार, मस्त मौला संचालक व पद्म भूषण गोपाल दास नीरज जी ने कभी अपनी सफलता का घमंड नहीं किया | वह सबको एक ही नजरों से देखते थे | उनका रहन-सहन इतना साधारण था कि पहली बार उनसे मिलने पर किसी को यकीन ही नहीं होता कि वह अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पद्म भूषण माननीय गोपाल दास नीरज जी हैं, जिनके गीतों की धूम सिर्फ भारत में नहीं बल्कि विदेशों तक गूंजती है | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट से नीरज जीका बहुत ही गहरा नाता था | ट्रस्ट के संरक्षक के रूप में उन्होंने हमें  हमेशा समाज व देश के लिए कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित किया | आज उन्हीं के आशीर्वाद से हम निरंतर ही जनहित में कार्य कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे | आज नीरज जी की 99वी जन्म जयंती पर उन्हें शत-शत नमन |"
#NamanNeeraj #महाकवि #गीतों_के_दरवेश #पद्मभूषण #गोपालदास_नीरज #Mahakavi #Geeton_Ke_Darvesh #Gopaldas_Neeraj #Neeraj
@KaviGopalDassNeeraj @HelpUKaviGopalDassNeeraj
#NarendraModi #PMOIndia
#YogiAdityanath #UPCM
#HelpUTrust #HelpUEducationalandCharitableTrust
#KiranAgarwal #DrRupalAgarwal #HarshVardhanAgarwal
www.helputrust.org
@narendramodi @pmoindia
@MYogiAdityanath @cmouttarpradesh
@HelpUEducationalAndCharitableTrust @HelpU.Trust
@KIRANHELPU
@HarshVardhanAgarwal.HVA @HVA.CLRS @HarshVardhanAgarwal.HelpUTrust
@HelpUTrustDrRupalAgarwal @RupalAgarwal.HELPU @drrupalagarwal @HelpUTrustDrRupal
9 notes · View notes
aedilkisikiyaadmein · 4 months
Text
मेरी पंक्तियां बिखरने लगते 
जब तुम्हारे मेरे फासले बढ़ने लगते है
मेरी सियाही रूठने लगती है
जब तुम्हारी जबान से नाम फिसलने 
लगते है
बस एक क्षण अगर 
तुम अपनी आखों से मुझे बांध लो 
अपनी हृदय का एक कतरा मुझे 
सौंप दो 
मेरी हथेली पर अपने हाथ रख कर
उसे सितारों के आसमान सा सजा दो 
तो शायद मेरे मोहल्ले में 
रूठा अमावस भी
चांद के प्रेम में 
झलक जाय,
मेरे दरवाजे पर परवाने फिर
लौट आए,
अगर बस तुम्हारा थोड़ा प्रेम 
मेरी चौखट पर आहट दे जाय।
-bahara
3 notes · View notes
the-sound-ofrain · 1 year
Text
नही मैं वो नही हूं ll जो नही था, मैं वही हूं ।।
( बस अचानक ये पंक्तियां गुनगुनाने लगा )
9 notes · View notes
bakaity-poetry · 1 year
Text
शायरी, कविता, नज़्म, गजल, सिर्फ दिल्लगी का मसला नहीं हैं। इतिहास गवाह है कि कविता ने हमेशा इंसान को सांस लेने की सहूलियत दी है। जब चारों ओर से दुनिया घेरती है; घटनाओं और सूचनाओं के तेज प्रवाह में हमारा विवेक चीजों को छान-घोंट के अलग-अलग करने में नाकाम रहता है; और विराट ब्रह्मांड की शाश्वत धक्कापेल के बीच किसी किस्म की व्यवस्था को देख पाने में असमर्थ आदमी का दम घुटने लगता है; जबकि उसके पास उपलब्ध भाषा उसे अपनी स्थिति बयां कर पाने में नाकाफी मालूम देती है; तभी वह कविता की ओर भागता है। जर्मन दार्शनिक विटगेंस्टाइन कहते हैं कि हमारी भाषा की सीमा जितनी है, हमारा दुनिया का ज्ञान भी उतना ही है। यह बात कितनी अहम है, इसे दुनिया को परिभाषित करने में कवियों के प्रयासों से बेहतर समझा जा सकता है।
कबीर को उलटबांसी लिखने की जरूरत क्यों पड़ी? खुसरो डूबने के बाद ही पार लगने की बात क्यों कहते हैं? गालिब के यहां दर्द हद से गुजरने के बाद दवा कैसे हो जाता है? पाश अपनी-अपनी रक्त की नदी को तैर कर पार करने और सूरज को बदनामी से बचाने के लिए रात भर खुद जलने को क्यों कहते हैं? फैज़ वस्ल की राहत के सिवा बाकी राहतों से क्या इशारा कर रहे हैं? दरअसल, एक जबरदस्त हिंसक मानवरोधी सभ्यता में मनुष्य अपनी सीमित भाषा को ही अपनी सुरक्षा छतरी बना कर उसे अपने सिर के ऊपर तान लेता है। उसकी छांव में वह दुनियावी कोलाहल को अपने ढंग से परिभाषित करता है, अपनी ठोस राय बनाता है और उसके भीतर अपनी जगह तय करता है। एक कवि और शायर ऐसा नहीं करता। वह भाषा की तनी हुई छतरी में सीधा छेद कर देता है, ताकि इस छेद से बाहर की दुनिया को देख सके और थोड़ी सांस ले सके। इस तरह वह अपने विनाश की कीमत पर अपने अस्तित्व की संभावनाओं को टटोलता है और दुनिया को उन आयामों में संभवत: समझ लेता है, जो आम लोगों की नजर से प्रायः ओझल होते हैं।
भाषा की सीमाओं के खिलाफ उठी हुई कवि की उंगली दरअसल मनुष्यरोधी कोलाहल से बगावत है। गैलीलियो की कटी हुई उंगली इस बगावत का आदिम प्रतीक है। जरूरी नहीं कि कवि कोलाहल को दुश्मन ही बनाए। वह उससे दोस्ती गांठ कर उसे अपने सोच की नई पृष्ठभूमि में तब्दील कर सकता है। यही उसकी ताकत है। पाश इसीलिए पुलिसिये को भी संबोधित करते हैं। सच्चा कवि कोलाहल से बाइनरी नहीं बनाता। कविता का बाइनरी में जाना कविता की मौत है। कोलाहल से शब्दों को खींच लाना और धूप की तरह आकाश पर उसे उक���र देना कवि का काम है।
कुमाऊं के जनकवि गिरीश तिवाड़ी ‘गिरदा’ इस बात को बखूबी समझते थे। एक संस्मरण में वे बताते हैं कि एक जनसभा में उन्होंने फ़ैज़ का गीत 'हम मेहनतकश जगवालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे' गाया, तो देखा कि कोने में बैठा एक मजदूर निर्विकार भाव से बैठा ही रहा। उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ा, गोया कुछ समझ ही न आया हो। तब उन्हें लगा कि फ़ैज़ को स्थानीय बनाना होगा। कुमाऊंनी में उनकी लिखी फ़ैज़ की ये पंक्तियां उत्तराखंड में अब अमर हो चुकी हैं: ‘हम ओढ़, बारुड़ी, ल्वार, कुल्ली-कभाड़ी, जै दिन यो दुनी धैं हिसाब ल्यूंलो, एक हांग नि मांगूं, एक भांग नि मांगू, सब खसरा खतौनी किताब ल्यूंलो।'
प्रेमचंद सौ साल पहले कह गए कि साहित्य राजनीति के आगे चलने वाली मशाल है, लेकिन उसे हमने बिना अर्थ समझे रट लिया। गिरदा ने अपनी एक कविता में इसे बरतने का क्या खूबसूरत सूत्र दिया है:
ध्वनियों से अक्षर ले आना क्या कहने हैं
अक्षर से फिर ध्वनियों तक जाना क्या कहने हैं
कोलाहल को गीत बनाना क्या कहने हैं
गीतों से कोहराम मचाना क्या कहने हैं
प्यार, पीर, संघर्षों से भाषा बनती है
ये मेरा तुमको समझाना क्या कहने हैं
कोलाहल को गीत बनाने की जरूरत क्यों पड़ रही है? डेल्यूज और गटारी अपनी किताब ह्वॉट इज फिलोसॉफी में लिखते हैं कि दो सौ साल पुरानी पूंजी केंद्रित आधुनिकता हमें कोलाहल से बचाने के लिए एक व्यवस्था देने आई थी। हमने खुद को भूख या बर्बरों के हाथों मारे जाने से बचाने के लिए उस व्यवस्था का गुलाम बनना स्वीकार किया। श्रम की लूट और तर्क पर आधारित आधुनिकता जब ढहने लगी, तो हमारे रहनुमा ही हमारे शिकारी बन गए। इस तरह हम पर थोपी गई व्यवस्था एक बार फिर से कोलाहल में तब्दील होने लगी। इसका नतीजा यह हुआ है कि वैश्वीकरण ने इस धरती पर मौजूद आठ अरब लोगों की जिंदगी और गतिविधियों को तो आपस में जोड़ दिया है लेकिन इन्हें जोड़ने वाला एक साझा ऐतिहासिक सूत्र नदारद है। कोई ऐसा वैचारिक ढांचा नहीं जिधर सांस लेने के लिए मनुष्य देख सके। आर्थिक वैश्वीकरण ने तर्क आधारित विवेक की सार्वभौमिकता और अंतरराष्ट्रीयतावाद की भावना को तोड़ डाला है। ऐसे में राष्ट्रवाद, नस्लवाद, धार्मिक कट्टरता आदि हमारी पहचान को तय कर रहे हैं। इतिहास मजाक बन कर रह गया है। यहीं हमारा कवि और शायर घुट रहे लोगों के काम आ रहा है।
7 notes · View notes
mysteryoflove24 · 10 months
Text
Tumblr media
एक सौ सोलह चांद की रातें एक तुम्हारे कांधे का तिल
दिल्ली में बीते दिन उमस से भरे थे मगर कल रात से जो सावन बरसा है, वह दिल को सुकून देने वाला है। कल रात देर रात चार बजे तक जागा और फिर सुबह उठके देखा तो बाहर रिम झिम बारिश हो रही थी, अब तो खैर संध्या का वक्त हो चुका है मगर यह दिलकश अभाव को महसूस कर एक गाना याद आया है, गाना है इजाज़त फिल्म का मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है, जो कि जावेद अख्तर द्वारा लिखा गया है, संगीत मेरे मनपसंदीदा राहुल देव बर्मन का और स्वर दिए है आशा भोंसले ने। यह गाना मेरे दिल के बेहद करीब है। जब आपके आस पास वर्षा हो रहीं हो तो यह गाना अपने आप ही ज़हन में उतर ही आता है। मैं इस गाने की कुछ पंक्तियां लिखना चाहूंगा।
मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है, हो सावन के कुछ भीगे भीगे दिन रखें है, और मेरे एक खत में लिपटी रात पड़ी है, वो रात बुझा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
Tumblr media
पतझड़ है कुछ, है ना? पतझड़ में कुछ पत्तो की गिरने की आहट कानो में ए��� बार पहन के लौट आई थी, पतझड़ की वो शाख अभी तक कांप रही थी, वो शाख गिरा दो मेरा वो सामान लौटा दो।
है ना कितनी उम्दा पंक्तियां, अब मेरा सबसे पसंदीदा अंतरा
एक अकेली छत्री में जब आधे आधे भीग रहे थे, आधे सूखे आधे गीले सुखा तो मैं ले आई थी, गीला मन शायद बिस्तर के पास पड़ा हो, वो भिजवा दो मेरा कुछ सामान लौटा दो
एक सौ सोलह चांद की रातें, एक तुम्हारे कंधे का तिल, गीली मेहंदी की खुश्बू, झूठमूठ के शिकवे कुछ, झूठमूठ के वादे भी सब याद करा दो, सब भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो, सब भिजवा दो मेरा वो सामान लौटा दो, एक इजाज़त दे दो बस, जब इसको दफनाऊंगी, में भी वही सो जाऊंगी, में भी वही सो जाऊंगी
वाकई में यह गीत किसी जादू से कम नहीं, अपनी ही खयालों की दुनिया में मुझे खो देता है।
3 notes · View notes
manishprajapati3311 · 22 days
Text
मोदी साहब के ह्रदय से निकली पंक्तियां....
#PhirEkBaarModiSarkar #Shorts 🚩
0 notes
satyanewshindi · 2 months
Link
नीतीश कुमार की एनडीए मे वापसी की स्टोरी पर केदारनाथ सिंह की पंक्तियां ।
0 notes
bhishmsharma95 · 5 months
Text
वो गाने न दिखते हमको नित जिनको पक्षी गाते
इस आनंदपूर्ण कविता को कभी मैं अपने रात्रिनिद्रागत जीवंत स्वप्न में किसी मित्र के साथ गा रहा था जिसकी शुरुआती दो पंक्तियां ही मैं याद रख पाया था, जिसे मैंने उसी समय जाग कर लिख लिया था। बाद में समय मिलने पर मैंने इस कविता को पूरा भी कर लिया था। वो गाने न दिखते हमकोनित जिनको पक्षी गाते।सुंदर झील किनारे चींचींकिसको नहीं सुहाती है।मीठी पवन की वो लहरी जोमन के भाव बहाती है।।सारस बन उड़ जाए ऊपरनिखिल जगत…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
n7india · 7 months
Text
Jharkhand में ऐसे गरीब जिनका है आलीशान मकान, बेटा और बहू RIMS के डॉक्टर
Ramgarh: गरीब शब्द परिवार की उसे दशा को दर्शाता है, जिसे कोई भी इंसान अपनाना नहीं चाहता। लेकिन उस गरीबी का चोला वैसे लोग ओढ़ रहे हैं जो करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं। यह किसी उपन्यास की पंक्तियां नहीं है। रामगढ़ में यह हकीकत अब सरकारी दस्तावेजों में उकेरे जा रहे हैं। जिला आपूर्ति पदाधिकारी रंजीता टोप्पो जब राशनकार्ड धारकों के घर पहुंच रही हैं तो उन्हें ऐसे ऐसे गरीब मिल रहे हैं, जिन्हें देखकर…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
helputrust · 1 year
Photo
Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने “स्वर्गीय गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना” प्रारंभ करके नीरज जी को अमर किया – हर्ष वर्धन अग्रवाल लखनऊ में जल्द ही लगेगी नीरज जी की भव्य प्रतिमा – हर्ष वर्धन अग्रवाल हम तो मस्त फकीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना रे। जैसा अपना आना प्यारे, वैसा अपना जाना रे। लखनऊ 04.01.2023 | गीत ऋषि पद्मभूषण डॉ गोपाल दास नीरज जी द्वारा लिखी गई यह पंक्तियां उनके व्यक्तित्व पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं | नीरज जी जैसा मस्त मौला कवि, साहित्य का पुजारी, प्रेम का दीवाना व्यक्ति कोई दूसरा हो ही नहीं सकता | आज नीरज जी 98वी जन्म जयंती के अवसर पर ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय मे, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक तथा महाकवि "गीतों के दरवेश" पद्मभूषण (डॉ०) गोपालदास 'नीरज' जी को श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, ट्रस्ट के स्वयंसेवकों, लाभार्थियों आदि ने नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया | उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी को आभार व्यक्त करते हुए ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि, “प्रत्येक वर्ष पांच नवोदित कवियों को स्वर्गीय गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना का प्रारंभ करके तथा लखनऊ में नीरज जी की प्रतिमा लगाने के ट्रस्ट के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने पर साहित्य जगत में योगी जी के नेतृत्व को स्थायी स्थान प्राप्त हो गया है I मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने “स्वर्गीय गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना” प्रारंभ करके नीरज जी को अमर कर दिया है I   हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट से नीरज जी का बहुत ही गहरा नाता था | उनके साथ अपनी यादों को ताजा करते हुए हर्ष वर्धन अग्रवाल कहते हैं कि नीरज जी से पहली बार मुलाकात ट्रस्ट द्वारा 02 जुलाई 2013 को आयोजित कार्यक्रम “एक शाम जगजीत सिंह के नाम” मे हुयी थी जिसमें नीरज जी स्वयं पधारे थे I नीरज जी उस कार्यक्रम से और हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा जनहित में किए जा रहे कार्यों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संरक्षक बनने की हमारी प्रार्थना को स्वीकार किया और हमें अपना आशीर्वाद प्रदान किया | उसके बाद नीरज जी के संरक्षण में हमने अनेकों कार्यक्रमों का आयोजन किया तथा जब तक वह जीवित थे उनके हर जन्मदिन को भव्य तरीके से मनाया, नीरज जी के अंतिम 5 वर्षों में उनकी सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ | नीरज जी के मार्ग दर्शन में हमने कॉफ़ी टेबल बुक गीतों के दरवेश : गोपाल दस नीरज तैयार की, जिसका विमोचन स्वयं अमिताभ बच्चन ने अपने जुहू, मुंबई स्थित अपने आवास पर 24 फरवरी 2018 को किया था I वर्ष 2014 से नीरज जी के जीवित रहने तक, ट्रस्ट को नीरज जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ, जिससे ट्रस्ट ने समाज, साहित्य, आध्यात्म, एवं संस्कृति के क्षेत्र में भव्य आयोजन किये तथा जनहित में अनेकों पुस्तकों का प्रकाशन किया l नीरज जी के साथ तथा उनके संरक्षण में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने 11 मार्च 2013 को अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन और मुशायरा का आयोजन, 21 नवंबर 2013 को विचार गोष्ठी भारत में लोकतंत्र: कितना सफल और कितना असफल का आयोजन, 03 जनवरी 2014 को नीरज जी का 90वे जन्मदिन का आयोजन, 04 फरवरी 2014 को नीरज जी की पुस्तकें नीरज संचयन व काव्यांजलि का विमोचन तथा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और मुशायरा का आयोजन, 23 मई 2014 को रूहानी संगम - उर्दू शायरी में गीता किताब का विमोचन, 01 अक्टूबर 2014 को गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर परिचर्चा "वर्तमान समय में गांधी जी के विचारों की प्रासंगिकता" का आयोजन, 05 दिसंबर 2014 को परिचर्चा - "धर्म और धर्माडंबर" का आयोजन, 04 जनवरी 2015 को 'नीरज' के 91वें जन्मदिन के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम "नीरज निशा" और "हेल्प यू बाल गोपाल शिक्षा योजना" का शुभारंभ, 08 अप्रैल 2015 को नीरज जी की पुस्तक 'गीत श्री' का विमोचन, 26 अप्रैल 2015 को "भारतीय संस्कृति पर संस्कृत का प्रभाव" विषय पर गोष्ठी व लघु नाटक "श्रावणो अभवद वैशाखः" का आयोजन, 17 मई 2015 को 21वीं सदी में भारतीय महिलाओं की सामाजिक चुनौतियां व योगदान विषय पर व्याख्यान एवं महिला काव्य गोष्ठी का आयोजन, 04 जनवरी 2016 को डॉ श्री गोपाल दास 'नीरज' के 92वें जन्मदिन का आयोजन, 08 मार्च 2016 को "हेल्प यू नारी अस्मिता सम्मान-2016" कार्यक्रम, 18 अगस्त 2016 को सामाजिक रक्षाबंधन समारोह, 04 जनवरी 2017 को नीरज जी के 93वें जन्मदिन का आयोजन किया गया I नीरज जी की मृत्यु के उपरांत कारवां चलता रहा और 19 जुलाई 2019 को पद्मभूषण डॉ० गोपालदास 'नीरज' जी की प्रथम पुण्यतिथि पर "नीरज स्मृति" का आयोजन, 03 जनवरी 2022 को नीरज जी की 97वीं जयंती की पूर्व संध्या पर कवि सम्मलेन काव्यांजलि तथा 04 जनवरी 2022 को नृत्य प्रस्तुति "बेमिसाल नीरज : कारवाँ गुज़र गया”, 19 जुलाई 2022 को पद्मभूषण डॉ श्री गोपाल दास नीरज जी की चौथी पुण्यतिथि पर आयोजित ऑनलाइन सांस्कृतिक कार्यक्रम “गीतों के दरवेश : गोपालदास नीरज - गीत श्रद्धांजलि” का आयोजन किया गया | नीरज जी कहा करते थे कि, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने मेरी उम्र बढ़ा दी है और हेल्प यू ट्रस्ट अपने नाम को सार्थक कर रहा है | आज नीरज जी का ही आशीर्वाद है कि हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर ही जनहित के कार्यों में अपनी सेवाएं दे रहा है तथा आगे आने वाले वर्षों में हमारे द्वारा यह प्रयास है कि हम हेल्प यू एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की शाखाएं पूरे भारतवर्ष में खोलें और सिर्फ लखनऊ में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लोगों की मदद कर सकें |
#YogiAdityanath
#GopalDasNeeraj
Coffee Table Book "Geeton Ke Darvesh : Gopal Das Neeraj" 
#HelpUTrust #HelpUEducationalandCharitableTrust
www.helputrust.org
#kiranagarwal #harshvardhanagarwal #drrupalagarwal
9 notes · View notes
newswave-kota · 7 months
Text
अपनी कठिनाइयों से फाइटर की तरह लडना सीखो - केप्टन योगेंद्र सिंह
Tumblr media
मोटिवेशनल सेशन ‘योद्धा’ : कोटा में कोचिंग विद्यार्थियों से कहा, अपने सपने को आत्मा से जोडकर पढ़ो और जीयो अरविंद न्यूजवेव @ कोटा परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर ऑनरेरी केप्टन योगेंद्र सिंह यादव ने कोटा में कोचिंग विद्यार्थियों से खुले संवाद में कहा कि आप भी एक सैनिक की तरह फाइटर बनकर अपनी परीक्षा की तैयारी करें। हर रोज अपने सपने को पूरे जोश के साथ जीएं। हर कठिनाई से योद्धा की तरह लडना सीखो। एलन कॅरिअर इंस्टीट्यूट के मोटिवेशनल सेशन ‘योद्धा’ (Yodhha) में उन्होंने बताया, मैने कक्षा-6 में फौजी बनकर युद्ध लड़ने का सपना देखा था। मैं आत्मा (Soul) के साथ उस ख्वाब को जीता रहा। हमारी आत्मा में ईश्वर का अंश होता है, जो हमें आगे बढने की शक्ति देता है। मैं 16 साल 5 माह की उम्र में फौजी बन गया। 9 माह की ट्रेनिंग के दौरान कमांडर ने हमें खूब तपाया। 4 जुलाई,1999 को 19 वर्ष की उम्र में मुझे कश्मीर में पहली पोस्टिंग मिली। ऐसा लगा जैसे मुझे मेरा सपना पूरा करने का अवसर मिला हो। उन दिनों पाकिस्तान की शह पर कश्मीर में उग्रवाद और दशहतगर्दी चरम पर थी। केप्टन यादव ने कहा कि आज 24 साल बाद भी हमें कारगिल युद्ध करते हुये 90 डिग्री सीधी और उंची चट्टानें आंखों के सामने दिखाई देती है। युद्ध में रोज नई चुनौतियां पहाड़ जैसी थी। माइनस 20 से माइनस 60 डिग्री तापमान में बस आगे ही बढना था। हम तीन जवान लगातार 22 दिन भूखे रहकर भी हिम्मत नहीं हारे। टाट की बोरियों से लिपटी पूरियों की परतें पानी में घोलकर पी लेते थे। असंभव को ‘हो जायेगा’ कहकर संभव किया
Tumblr media
उन्होंने कहा, एक सैनिक की जीवन रेखा ईसीजी (ECG) की तरह होती है। उसे हर पल नई चुनौतियों से लडते हुये चलना होता है। हमारी टुकड़ी को अपने साथियों को सामान पहुंचाना था। हमारे सामने 17 हजार फीट उंची टाइगर हिल पर विपरीत हालातों में चढ़ते रहने की चुनौती थी। बर्फीली पहाडी के दूसरे छोर से पाक बंकरों से लगातार गोलियों की बौछारें जारी रही। चट्टानों के नीचे बंकरों में छिपे पाक सैनिकों को मारना बडी चुनौती थी। हर असंभव दिखने वाले कार्य को हमने ‘हो जायेगा’ कहकर संभव कर दिखाया। पाक की एक कंपनी में 150 जवान और हमारी कंपनी में 7 जवान ही शेष थे। उस दिन 5 घंटे लगातार युद्ध चला। मेरे साथियों को आंखों के सामने गोलियां लगती रही। एक-एक करके शहीद हो गये। चारों ओर मौत से सामना करना था। मैं हताश नहीं हुआ। युद्ध के दौरान भारतीय सेना की एक टुकडी के 10 में से 9 जवान भी शहीद हो जाये तो 10वां फौजी सीना तानकर अंतिम सांस तक लडता है। 15 गोेलियां खाकर आहत हुआ पर हताश नहीं भारत माता ने अपने सीने पर दूध पिलाकर हमें यौद्धा बनाया था, हम जानते थे कि उस सीने पर गोली खा लेना अच्छा है लेकिन कभी पीठ मत दिखाना। हर भारतीय शहीद को देख लेना, दुश्मन की गोली उसके सीने में लगी होती है, पीठ पर नहीं। मैने वही किया। मन और मस्तिष्क में संकल्प कर लिया कि मेरे साथियों के बलिदान को देशवासियों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मुझ पर है। युद्ध करते हुये मेरे एक हाथ व पैरों में 15 गोलियां लगी। आहत हुआ पर हताश नहीं। तब मन और मस्तिष्क से सिर्फ आगे बढने का दृढ़ संकल्प याद कर लिया। उसी साहस की बदौलत आज आपके सामने खडा हूं। वो पल आज भी आंखों में तैरते हैं...
Tumblr media
नम आंखों से केप्टन यादव ने बताया कि पाक सैनिकों ने उंची पहाडी पर हमारे मृत सैनिकों को पैरों से कुचलकर देखा कि कोई जिंदा तो नहीं है। वे यह सोचकर पीछे चल गये कि हम सब मर चुके हैं। तभी मैने घायल अवस्था में लडखडाते हुये एक हाथ से पाक बंकर पर हेंड ग्रेनेड फेंका। फिर उसी हाथ से गोलियां चलाकर बैंकर में छिपे पाक सैनिकों को मार गिराया। पीछे हमारी सेना की दूसरी टुकडी गोलियों की बौछारें करती आगे आ रही थी, उन्हें देख पाक सैनिक भाग खडे हुये। पाक बंकर को हमने कब्रिस्तान बना दिया था। फिर हम सब जवानों ने मिलकर सबसे उंची टाइगर हिल्स पर तिरंगा लहराया। याद रहे, कारगिल युद्ध में हमारे 527 वीर शहीदों ने बलिदान दिया है लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के 6500 जवानों को मौत के घाट उतारा भी है। मन टूटने लगे तो अपने आप से कनेक्ट हो जाओ उन्होंने विद्यार्थियों से कहा, आप शेर और शेरनी की तरह हो। जब भी आपका मन टूटने लगे तो बस, अपने आप से कनेक्ट हो जाओ। जीवन की डोर किसी ओर को नहीं सौंपे। आप यौद्धा बनें। हमारा शरीर तो एक साधन मात्र है। मोबाइल से दूर होकर आत्मा से बात करेंगे तो भावनाओं और संवेदनाओं का सागर उमडने लगेगा। आत्मा से जुडकर आपको आंतरिक उर्जा और आत्मविश्वास मिलेगा। आप पढाई करते समय एक सैनिक को याद करके फाइटर बन जाना, आपकी जीत ही होगी। अंत में ये पंक्तियां सुनाकर उन्होंने युवाओं में देशभक्ति का जज्बा पैदा किया- ‘सांसो के तराने हिंद का नव गान गायेगा, हमारी शौर्य ध्वजा लेकर क्षितिज में वो चंद्रयान गायेगा, हमारे लहू का हर कतरा हिंदुस्तान गायेगा। ’ केप्टन यादव एलन (ALLEN) के 16 प्रेरक सत्रों में 25 हजार से अधिक कोचिंग विद्यार्थियों को देशभक्ति से जोड चुके हैं। वे इन दिनों कोटा में देशभर के 1.25 लाख विद्यार्थियों को सपने सच करने का विजयी मंत्र सिखा रहे हैं। एलन के निदेशक नवीन माहेश्वरी, सीनियर वाइस प्रेसीडेंट सी.आर. चौधरी, वाइस प्रेसीडेंट विजय सोनी ने उनका अभिनंदन किया। विद्यार्थियों के लिये 10 विजयी मंत्र- परपज (Purpose), पैशन (Passion) और परफॉर्मेंस (Performance )इन तीन ‘P’ के साथ अपने सपने को जीयें। जब चारों ओर से चुनौतियों से घिर जायें तो मन के रथ को सारथी रूपी माता-पिता के हवाले कर दें। वो हर चुनौती से पार करवा देंगे। किसी एक टेस्ट में आउटपुट कम आये तो बॉडी (Body) और ब्रेन (Brain) को बेलेंस करके चलें। शिक्षक नॉलेज को हमारे मस्तिष्क में ट्रांसफार्म (Transform) करते हैं, सवालों के जवाब तो हमारे अंदर ही छिपे होते हैं। समय बेशकीमती है, जो इससे कदम मिलाकर चलता है वो कामयाब होता है। जीवन की डोर किसी अनजान को नहीं सौंपें, आप योद्धा बनकर कठिनाइयों से लडना सीखें। मन टूटने लगे तो खूब रोकर या हंसकर मोबाइल से दूर आत्मा (Soul) से जुडने की कोशिश करो। आत्मा से जुडकर आंतरिक एनर्जी और आत्मविश्वास महसूस करेंगे। हम मोबाइल या रील बनाने से दूर होकर बस अपने सपने से कनेक्ट हो जायें। एक फाइटर बनकर अपनी तैयारी करें, आपकी जीत अवश्य होगी। Read the full article
0 notes
roh230 · 9 months
Link
0 notes
samacharchakra · 10 months
Text
वर्दी के दीवानों से बच नहीं पाए अपराधी, कई बड़े मामलों का हुआ खुलासा
समाचार चक्र संवाददाता पाकुड़। लोगों को होगी तलब मुहब्बत की, हम तो वर्दी के बाद चाय के दीवाने हैं। यह पंक्तियां पाकुड़ पुलिस के लिए है। शहर में चोरी की घटनाओं ने पुलिस के सामने चुनौतियां खड़ी कर दी थी। अज्ञात अपराधी कभी बंद घरों को निशाना बनाता, तो कभी बाईकों को गायब कर देता। यहां तक कि महिलाओं के गले से चेन उड़ा ले जाते। पुलिस चोरी की घटनाओं से जहां परेशान थी, वहीं लोगों में दहशत का माहौल भी था।…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
kamlakar-das · 10 months
Text
Tumblr media
SA NewsTRUTH ONLY
HomeBlogsसच्चे गुरु की पहचान क्या है? जानिए प्रमाण सहित
सच्चे गुरु की पहचान क्या है? जानिए प्रमाण सहित
By:SA NEWS
Date:
April 17, 2022
आज हम आप को इस ब्लॉग के माध्यम से सच्चे गुरु की पहचान के बारे में बताएँगे, जैसे वर्तमान में सच्चा गुरु कौन है?, सच्चे गुरु को कैसे पहचाने?, सच्चा गुरु कहां और कैसे मिलेगा? आदि.
Table of Contents
सच्चे गुरु की पहचान
वर्तमान में सच्चा गुरु कौन है एवं उसकी पहचान क्या है?
नास्तिकता के पीछे का कारण क्या है?
पवित्र सदग्रंथों के आधार पर सच्चे सद्गुरु की पहचान
महान संतों के आधार पर सच्चे सतगुरु की पहचान क्या है?
परमात्मा साकार है या निराकार?
संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र सच्चे सतगुरु है
सच्चे गुरु की पहचान
भारतीय संस्कृति बहुत पुरातन है और इसमें गुरु बनाने की परंपरा भी बहुत पुरानी रही है। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में एक गुरु अवश्य बनाता है ताकि गुरु उनके जीव��� को नई सकारात्मक दिशा दिखा सके। जिस पर चलकर व्यक्ति अपने जीवन को सफल व सुखमय बना सके एवं मोक्ष प्राप्त कर सके।
गुरु की महत्ता को बताते हुए परमेश्वर कबीर जी कहते हैं कि
कबीर, गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान।
गुरु बिन दोनों निष्फल हैं, पूछो वेद पुराण।।
कबीर, राम कृष्ण से कौन बड़ा, उन्हों भी गुरु कीन्ह।
तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन।
भावार्थ :- कबीर परमेश्वर जी हमें बता रहे हैं कि बिना गुरु के हमें ज्ञान नहीं हो सकता है। गुरु के बिना किया गया नाम जाप, भक्ति व दान- धर्म सभी व्यर्थ है।
■ उपर्युक्त लिखी गई कुछ पंक्तियां एवं दोहों से हमें यह तो समझ में आ गया कि बिना गुरु के ज्ञान एवं मोक्ष संभव नहीं है।
वर्तमान में व्यक्ति के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि यदि वह गुरु धारण करना चाहे तो वह किसे गुरु बनाए? उसकी सामर्थ्य और शक्ति का मापदंड कैसे निर्धारित किया जाए । वर्तमान में बड़ी संख्या में गुरु विद्यमान हैं और अधिकतर से धोखा ही धोखा है ऐसे हालात में क्या हम एक सच्चे और नेक गुरु को खोज पाएंगे? आज पूरे विश्व में धर्म गुरुओं व संतों की बाढ़ सी आई हुई है । मुमुक्षु को समझ में नहीं आता है कि सच्चा (अधिकारी) सतगुरु कौन है जिनसे नाम दीक्षा लेने से उसका मोक्ष संभव हो सकता है?
वर्तमान में सच्चा गुरु कौन है एवं उसकी पहचान क्या है?
वेदों, श्रीमद्भगवद गीता आदि पवित्र सद्ग्रंथों में प्रमाण मिलता है कि जब-जब धर्म की हानि होती है व अधर्म की वृद्धि होती है तथा नकली संतों, महंतों और गुरुओं द्वारा भक्ति मार्ग के स्वरूप को बिगाड़ दिया गया होता है। तब परमेश्वर स्वंय आकर या अपने परम ज्ञानी संत को भेजकर सच्चे ज्ञान के द्वारा धर्म की पुनः स्थापना करते हैं और भक्ति मार्ग को शास्त्रों के अनुसार समझाकर भगवान प्राप्ति के मार्ग प्रशस्त करते हैं।
#GodMorningSaturday
पूर्ण गुरु की पहचान गीता जी अध्याय 15 मंत्र 1 से 4 में वर्णित है
In present time, Complete Guru is only Saint rampal ji Maharaj
अधिक जानकारी के देखी Saint Rampal ji Maharaj Satsang साधना चैनल पर 7:30 बजे#5thApril pic.twitter.com/5qQ7JoVWf3
— Harish Sethi 🇮🇳 (@Harish7Sethi) April 4, 2020
हमेशा से ही हम गुरु महिमा सुनते आए हैं । इतना तो हर कोई समझने लगा है कि गुरु परम्परा का जीवन मे बहुत महत्व है। एक बार सुखदेव ऋषि अपनी सिद्धि शक्ति से उड़कर स्वर्ग पहुच गए थे लेकिन विष्णु जी ने उन्हें यह कहकर स्वर्ग में स्थान नही दिया कि सुखदेव ऋषि जी आपका कोई गुरु नहीं है  अंततः सुखदेव ऋषि को धरती पर वापस आकर राजा जनक जी को गुरु बनाना पड़ा था।कहने का तात्पर्य यह है कि गुरु ही सद्गति का एकमात्र जरिया है।
गु : अर्थात् अंधकार
रु : अर्थात् प्रकाश
गुरु ही मनुष्य को जन्म मरण के रोग रूपी अंधकार से पूर्ण मोक्ष रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं। समाज में फैले अंधविश्वास, रूढ़िवादिता, पाखंडवाद और अंधभक्ति की गहरी नींद से जगाकर समस्त जनसमूह को वास्तविक और प्रमाणित भक्ति प्रदान करते हैं।
इतिहास गवाह है कि जितने भी महापुरुष व संत इस धरती पर हुए हैं सभी ने गुरु किए चाहे वह विष्णु के अवतार राम हो या कृष्ण या फिर गुरु नानक देव जी या गरीब दास जी महाराज। इन्होंने अंतिम स्वांस तक गुरु की मर्यादा में रहकर भक्ति की । श्री रामचंद्र जी ने ऋषि वशिष्ठ जी को अपना आध्यात्मिक गुरु बनाकर उनसे नाम दीक्षा ली थी और अपने घर व राजकाज में गुरु वशिष्ठ जी की आज्ञा लेकर ही कार्य करते थे।
कबीर,सतगुरु के दरबार मे, जाइयो बारम्बार
भूली वस्तु लखा देवे, है सतगुरु दातार।
हमे सच्चे गुरु की शरण मे आकर बार बार उनके दर्शनार्थ जाना चाहिए और ज्ञान सुनना चाहिए।
सच्चे गुरु की पहचान करने के लिए अवश्य पढ़ें गीता अध्याय 15 श्लोक 1#Secrets_Of_BhagavadGita
https://t.co/np4UYjfUaC
— Mãhëñdrâ Graphics Mahi 💻 (@Graphicssrdr) December 8, 2019
श्री कृष्ण जी ने ऋषि संदीपनी जी गुरु बना कर शिक्षा प्राप्त की थी। आज हम अक्षर ज्ञान तो ग्रहण कर रहे हैं लेकिन अध्यात्म ज्ञान से कोसों दूर होते जा रहें हैं और इतने सारे धर्मगुरु व संतों के होने के बावजूद भी लोग नास्तिकता की ओर बढ़ते जा रहे हैं और भगवान में हमारी आस्था खत्म होते जा रही है।
नास्तिकता के पीछे का कारण क्या है?
हमें जो भक्ति हमारे धर्म गुरुओं व संतों द्वारा दी जा रही है, क्या वह सही नहीं है? गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि जो साधक शास्त्र विधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है, न उसे कोई सुख प्राप्त होता है, न उसकी गति यानी मुक्ति होती है अर्थात् शास्त्र के विपरीत भक्ति करना व्यर्थ है।
सच्चे गुरु की पहचान: तो क्या आज तक भक्त समाज को सच्चा सतगुरु नहीं मिला है। गीता ज्ञान दाता खुद बोल रहा है कि शास्त्र विरुद्ध साधना व्यर्थ है और अनअधिकारी संत से नाम दीक्षा लेकर भक्ति करने से हमें कोई लाभ मिलने वाला नहीं है अर्थात हमें सच्चा सद्गुरु ढूंढना होगा। तो चलिए हमारा जो प्रश्न था कि सच्चा सतगुरु कौन है हम इस प्रश्न का उत्तर जानने की कोशिश करते हैं और देखते हैं कि हमारे सद्ग्रंथ व जिन महान संतों को परमात्मा खुद आकर मिले थे अपने तत्वज्ञान से परिचित कराया था उन्होंने सच्चे सद्गुरु की क्या पहचान बताई है?
पवित्र सदग्रंथों के आधार पर सच्चे सद्गुरु की पहचान
सबसे पहले हम पवित्र गीता जी से प्रमाण देखते हैं। गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में गीता ज्ञान दाता ने तत्वदर्शी संत (सच्चा सतगुरु) की पहचान बताते हुए कहा है कि वह संत संसार रूपी वृक्ष के प्रत्येक भाग अर्थात जड़ से लेकर पत्ती तक का विस्तारपूर्वक ज्ञान कराएगा।
यजुर्वेद अध्याय 19 के मंत्र 25 व 26 में लिखा है कि वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा। वह तीन समय की पूजा बताएगा। सुबह पूर्ण परमात्मा की पूजा, दोपहर को विश्व के देवताओं का सत्कार एवं संध्या आरती अलग से बताएगा वह जगत का उपकारक संत होता है।
1 note · View note
Text
"हम सबसे पहले और अंत में भारतीय हैं"
जयपुर की प्रदर्शनी में चित्र के साथ अंकित ये पंक्तियां बाबा साहेब के विराट व्यक्तित्व व देशप्रेम के भाव का अनुगमन करने की प्रेरणा देती हैं।
इस रचनात्मक आयोजन का सहभागी बनकर गर्व की अनुभूति हुई।
Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media Tumblr media
0 notes