jamshedpur-rural-बहरागोड़ा में झामुमो कार्यकर्ताओं ने 1932 खतियान लागू होने पर मनाया जश्न
jamshedpur-rural-बहरागोड़ा में झामुमो कार्यकर्ताओं ने 1932 खतियान लागू होने पर मनाया जश्न
बहरागोड़ा: 1932 का खतियान लागू करने और ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मिलने की खुशी में गुरुवार को बहरागोड़ा में झामुमो नेताओं ने जश्न मनाया और लड्डू का वितरण किया. झामुमो के केंद्रीय सदस्य आदित्य प्रधान ने कहा कि 1932 का खतियान लागू होने से झारखंडियों को उनका हक और अधिकार मिलेगा. कहा कि 1932 खतियान लागू होने से भूमिहीनों को घबराने की जरूरत नहीं है, भूमिहीनों की पहचान ग्राम सभा के माध्यम से की जाएगी और…
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आरक्षण लिस्ट जारी होते ही हार गए कई ग्राम प्रधान दावेदार
आरक्षण लिस्ट जारी होते ही हार गए कई ग्राम प्रधान दावेदार
यूपी के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर जारी नये आरक्षण में ग्राम प्रधान पद के लिये ज्यादा बदलाव नहीं है।कुछ सीटों के आरक्षण में बदलाव किया गया है। जिसकी वजह से दावेदार मायूस हो गये हैं और उनकी मेहनत नाकामयाब गयी, तो कइयों दावेदार फूल की तरह खिलेंगे।
शनिवार की देररात को जिला प्रशासन ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिये आरक्षण जारी कर दिया गया है। जिसमें ग्राम प्रधान पद, बीडीसी सदस्य, ग्राम पंचायत…
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जानिए उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में कितना कर सकतें है खर्च? और कितनी है जमानत राशि, जानें सभी विवरण
जानिए उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में कितना कर सकतें है खर्च? और कितनी है जमानत राशि, जानें सभी विवरण
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव
लखनऊ– UP Panchayat chunav 2021: उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी तेज हो गई है। राज्य में जिलेवार आरक्षण की लिस्ट ब्लॉक और जिला मुख्यालय पर चिपकाया जा रहा है। वहीं फाइनल लिस्ट 15 मार्च को जारी होगी। इसके बाद ही State Election Commission त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी करेगा। ऐसे में चुनाव की तैयारी में लगे भावी प्रधान समेत अन्य प्रत्याशी चुनाव…
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UP पंचायत चुनाव: ग्राम-जिला पंचायत की सीटें कम, पंचायत अध्यक्ष को लेकर सरगर्मियां तेज
UP पंचायत चुनाव: ग्राम-जिला पंचायत की सीटें कम, पंचायत अध्यक्ष को लेकर सरगर्मियां तेज
अमित त्रिपाठी/महाराजगंज: उत्तर प्रदेश का महाराजगंज जनपद, जहां त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जिले में राजनीतिक पार्टियों की सरगर्मी बढ़ गई है. राजनैतिक दल गांव-गांव जाकर, लोगों के बीच बैठकर रणनीति तैयार कर रहे हैं. हम आपको बता दें, महाराजगंज जनपद में कुल 12 ब्लॉक हैं. यहां ग्राम पंचायत की संख्या 882 है, तो वहीं क्षेत्र पंचायत की संख्या 1166. हालांकि, जिला पंचायत सदस्यों की संख्या घटकर 47 हो गई…
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स्थानीय स्वशासन राज्य सूची का विषय है।
प्रकार - दो
1. ग्रामीण स्वशासन
2. शहरी स्वशासन
स्थानीय स्वशासन का जनक - लार्ड रिपन
1882 ई. में लार्ड रिपन ने स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के संदर्भ में एक प्रस्ताव पेश किया जिसे स्थानीय स्वशासन का मेग्नाकार्टा कहा जाता है।
शासन काल शासन की छोटी ईकाई शासन का मुख्या
बौद्ध कालीन ग्राम ग्रामयोजक
गुप्तकाल ग्राम ग्रामीक/ग्रामणी
मुगलकाल ग्राम मुकदम
आधुनिक काल ग्राम संरपच
लार्ड मेयों ने 1870 ई. में राज्य प्रशासन को निम्न लिखित तीन विषयों - शिक्षा, स्वास्थ्य व पंचायत राज पर आर्थिक संसाधन उपलब्ध करावायें जाये।
भारत में आर्थिक/वित्तीय विक्रेन्दीकरण का जनक लार्ड मेया को माना जाता है।
जे.एल. नेहरू ने स्थानीय स्वशासन को प्रजातंत्र का आधार स्तम्भ तथा लोकतंत्र कि प्रथम पाठशाला माना है जहां से स्थानीय लोग राजनीति सीखना प्रारम्भ करते है।
लोकतंत्रात्मक विकेन्द्रीकरण स्थानीय स्वशासन में निहित है।
ग्रामीण स्वशासन/पंचायती राज -
अनुच्छेद 40 - राज्य ग्राम पंचायतों का गठन करेगा।
महात्मा गांधी ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक - My
picture of free India में ग्राम स्वराज्य कि कल्पना कि थी।
पंचायती राज से सम्बंधित प्रमुख समितियां -
2 अक्टूबर 1952 को भारत सरकार के द्वारा गांवों में विकास के लिए सामुदायिक विकास कार्यक्रम चलाया गया जो असफल रहा।
अध्यक्ष - नरेन्द्र कुमार
सामुदायिक विकास कार्यक्रम की असफलता के बाद भारत सरकार ने बलवंत राय मेहता समिति का गठन (1957) किया।
प्रधानमंत्री - जवाहरलाल नेहरू
रिपोर्ट - त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था प्रारम्भ कि जायें।
ग्राम स्तर - ग्राम पंचायत
खण्ड स्तर - पंचायत समिति
जिला स्तर - जिला परिषद्
नोट - इस समिति कि सिफारिस पर भारत सरकार ने 2 अक्टूबर 1959 को भारत में सर्वप्रथम राजस्थान राज्य के नागौर जिले के बगदरी गांव में पंचायती राज व्यवसथा को प्रारम्भ किया। जिसका उद्घाटन - जे.एल. नेहरू ने किया।
नोट - 2 अक्टूबर 2009 को पंचायती राज व्यवस्था के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष पर बगदरी गांव में पंचायती राज स्मारक/मेमोरेण्डम कि स्थापना की जिसका उद्घाटन - सोनिया गांधी ने किया।
11 अक्टूबर 1959 को आंध्रप्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था को प्रारम्भ करने वाला दुसरा राज्य था।
पंचायती राज का जनक - बलवंतराय मेहता।
आधनिक पंचायती राज का जनक - राजीव गांधी।
राजस्थान में पंचायती राज का जनक- मोहनलाल सुखाड़िया।
अशोक मेहता समिति - 1977
पी.एम. मोरार जी देसाई
रिपोर्ट - द्विस्तरीय पंचायती राज शुरू कि किया जाये।
जिला स्तर - जिला परिषद
ग्राम स्तर - मण्डल पंचायत
जी.वी.के. राॅव समिति - 1985
प्रधानमंत्री - राजीव गांधी
रिपोर्ट - ग्रामीण विकास व गरीबी उन्मूलन कि सिफारिस।
चार स्तरीय पंचायत राज व्यवस्था प्रारम्भ कि जाये।
राज्य स्तर - राज्य विकास परिषद
जिला स्तर - जिला परिषद
खण्ड स्तर - पंचायत समिति
ग्राम स्तर - ग्राम पंचायत
नोट: पं. बंगाल में वर्तमान में चार स्तरीय पचायती राज व्यवसथा है।
एल.एम. सिंघवी समिति- 1986
पी.एम. राजीव गांधी
रिपोर्ट - पंचायती राज व्यवथा को संवैधानिक मान्यता दि जाये।
पंचायत राज व्यवस्था को वित्तीय संसाधन उपलब्ध करवाना।
पी.के. थुगंन - 1988,
पी.एम. राजीव गांधी
रिपोर्ट - पंचायती राज व्यवस्था के नियत कालीन चुनाव (5 वर्ष) होने चाहिए।
-पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा दिया जाये।
नोट: 1989 ई. में राजीव गांधी सरकार के समय पंचायती राज और शहरी स्वशासन से जुडे हुये 64वां व 65वां
संविधान संसोधन लोकसभा में पारित किया गया परन्तु राज्य सभा में पारित नहीं हुये।
पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार के समय - 1992 में
73वां संविधान संसोधन, 74वां संविधान संसोधन किया गया।
73वां - 1992 - 11वीं अनुसूचि - पंचायती राज - भाग 9 - विषय 29 - अनुच्छेद 243 व 243 ए से ओ
नोट - पंचायती राज अधिनियम 24 अप्रेल 1993 को भारत में लागु किया गया।
पंचायती राज अधिनियम 23 अप्रेल 1994 को राजस्थान में लागु किया गया।
नोट: पंचायती राज दिवस 24 अप्रेल को मनाया जाता है।
संवैधानिक मान्यता प्राप्ति के बाद पंचायती राज अधिनियम को लागु करने वाला भारत का पहला राज्य ‘मध्यप्रदेश’
अनुच्छेद 243 - परिभाषाऐं
अनुच्छेद 243A ग्राम सभा
अनुच्छेद 243C पंचायतों का गठन
अनुच्छेद 243D आरक्षण
अनुच्छेद 243E कार्यकाल
अनुच्छेद 243F योग्यता
अनुच्छेद 243I वित्त आयोग
अनुच्छेद 243K राज्य निर्वाचन आयोग
वर्तमान मंे राजस्थान में मुख्य निर्वाचन आयुक्त प्रेमसिंह मेहरा
राजस्थान में पंचायत राज से सम्बंधित प्रमुख गठित समितियां सादिक अली समिति - 1964
सी.एम. मोहनलाल सुखाड़िया
रिपोर्ट - ग्राम सभा व वार्ड सभा को संवैधानिक दर्जा दिया जाये।
गिरधारी लाल व्यास कमेटी - 1973
सी.एम. हरिदेव जोशी
रिपोर्ट - ग्राम पंचायत में ग्राम सेवक का पद सृजित किया जायें।
नाथुराम मिर्धा समिति - 1993
मुख्यमंत्री - भैरूसिंह शेखावत
इस समिति कि सिफारिश पर राजस्थान में 73वें संविधान संसोधन को लागु किया।
गुलाबचंद कटारिया समिति - 2009
मुख्यमंत्री - अशोक गहलोत
रिपोर्ट - इस समिति ने यह कहा कि जिला प्रबन्ध समिति (आयोजना समिति) का अध्यक्ष कलेक्टर को हटाकर जिला प्रमुख को मनाया जाये।
वी.एस. व्यास कमेटी - 2010
सी.एम. अशोक गहलोत, इस कमेटी कि सिफारिश पर राज. सरकार द्वारा 2 अक्टूबर 2010 में पंचायत राज को 5 नये कार्य दिये गये। जो निम्न है -
प्राथमिक शिक्षा
कृषि
सामाजिक न्याय व अधिकारिता
महिला एवं बाल विकास
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
नोट: राजस्थान में वर्तमान में पंचायती राज के पास कुल 23 कार्य (विषय) है।
राजस्थान में पंचायती राज
1928 बीकानेर राज. में पहली देशी रियासत थी जिन्होंने ग्राम पंचायत अधिनियम बनाया।
1949 राज. में पंचायती राज विभाग कि स्थापना कि गई।
1953 राज. ग्राम पंचायत अधिनियम बनाया गया।
राजस्थान में पंचायती राज के सर्वप्रथम चुनाव 1960 में हुये। राजस्थान में पंचायती राज कि विशेषताएं -
वर्तमान में त्रिस्तरीय पचायती राज व्यवस्था है -
जिला परिषद - उच्च स्तर - 33 (वर्तमान)
पंचायत समिति - मध्यम स्तर - 295 (वर्तमान)
ग्राम पंचायत - निम्न स्तर - 9891 (वर्तमान)
गठन
ग्राम पंचायत न्यु जनसंख्या 3000 न्यु सदस्य 9, अतिरिक्त सदस्य 1000 = +2
पंचायत समिति न्यु जनसंख्या 1 लाख, न्यु सदस्य 15, अतिरिक्त सदस्य 15000 = +2
जिला परिषद न्यु जनसंख्या 4 लाख, न्यु सदस्य 17, अतिरिक्त सदस्य 1 लाख = +2
निवार्चन प्रणाली -
जिला परिषद Election system
शपथ - पीठासीन अधिकारी (Retarning Officer)
ग्राम पंचायत - Teacher
पचायत समिति - RAS
जिला परिषद - IAS
त्यागपत्र -
वार्ड पंच व सरपंच - खण्ड विकास अधिकारी
पंचायत समिति सदस्य - प्रधान
प्रधान - जिला प्रमुख
जिला परिषद सदस्य - जिला प्रमुख
जिला प्रमुख - सम्भागीय आयुक्त
प्रशासनिक अधिकारी -
ग्राम पचायत - ग्राम सेवक
पंचायत समिति - बी.डी.ओ. (खण्ड विका अधिकारी)
जिला परिषद - सी.ई.ओ. (मुख्य कार्यकारी अधिकारी)
बैठक
ग्राम पचायत - 15 दिन में 1 बार
अध्यक्षता - सरपंच
बैठक में भाग - वार्ड पंच
पंचायत समिति
प्रत्येक माह में 1 बार
अध्यक्षता - प्रधान
भाग - सदस्य (ब्लाक मैबर)
जिला परिषद - प्रत्येक 3 माह में 1 बार
अध्यक्षता - जिला प्रमुख
भाग - जिला परिषद सदस्य
ग्राम सभा - बैठक वर्ष में चार बार
26 जनवरी
1 मई
15 अगस्त
2 अक्टूबर
अध्यक्षता - सरपंच
सदस्य - ग्राम पंचायत के सभी मतदाता
नोट - भारत में ग्राम सभा एक मात्र प्रत्यक्ष लोकतंत्र का उदाहरण हेै
वार्ड सभा - वर्ष 2 बैठक (कभी भी)
अध्यक्षता - वार्ड पंच
सदस्य - वार्ड के सभी मतदाता
पंचायती राज कि सबसे छोटी ईकाई वार्ड सभा
पदेन सदस्य -
पंचायत समिति - पंचायत समिति में सभी ग्राम पंचायतों के सरपंच
पंचायत समिति के क्षेत्र का विधान सभा सदस्य।
जिला परिषद -
जिले में सभी पंचायत समितियों के प्रधान व जिला परिषद क्षेत्र के लोकसभा व विधानसभा सदस्य।
पंचायत राज के प्रमुख प्रावधान
योग्यता - न्यूनतम आयु - 21 वर्ष
कार्यकाल - 5 वर्ष
शैक्षणिक योग्यता -
वार्ड पंच - 5वीं पास,
सरपंच - 8वीं पास,
पंचायत समिति व जिला परिषद सदस्य - 10वीं पास
नोट: नवम्बर 1995 के बाद जिस व्यक्ति के तीसरी सन्तान पैदा होती है वह इन चुनावों के लिए अयोग्य है।
आरक्षण - एस.सी., एस.टी., ओ.बी.सी. को क्षेत्र कि जनसंख्या के आधार पर तथा महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण
नोट: महिलाओं का आरक्षण चक्राकार है।
पद से हटाने कि प्रक्रिया - दो वर्ष बाद ही अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। एक बार पारित न होने पर पुनः 1 वर्ष बाद लाया जाता है। प्रस्ताव पारित करने के लिए 3/4 बहुमत कि आवश्यता होती है।
चुनाव -
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा करवाये जाते है। जिसकी अधिसूचना राज्यपाल के द्वारा जारी कि जाती है।
वर्तमान में मुख्य राज्य निर्वाचन आयुक्त - प्रेमसिंह मेहरा
वेतन - राज्य वित्त आयोग
लोक सभा व विधानसभा का सदस्य पंचायती राज का चुनाव नहीं लड़ सकता।
व्यक्ति एक साथ किसी एक जगह से ही पंचायत राज का चुनाव लड़ सकता।
जो व्यक्ति (ग्राम पंचायत) जिस जगह से चुनाव लड़ता है। उस मतदाता सूची में उसका नाम होना अनिवार्य है।
1996 का पैसा अधिनियम -
सविधान के भाग 9 तथा 5वीं अनुसुचि में वर्णित क्षेत्रों पर लागु नहीं होता परन्तु संसद इन प्रावधानों को कुछ अपवादों तथा संशोधन करके उक्त क्षेत्रों पर लागु कर सकती है।
यह अधिनियम वर्तमान में 9 राज्यों में लागु है - ओडिसा, मध्यप्रदेश, आन्ध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखण्ड, छतीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश,
ट्रिक - ओम आम खाकर रांझा बनकर छगु के साथ हिमाचल चला गया।
शहरी स्वशासन
सन् 1687 ई. को भारत में सर्वप्रथम मद्रास में नगर निगम कि स्थापना कर शहरी स्वशासन को प्रारम्भ किया।
सन् 1864 ई. को माउन्ट आबू में प्रथम नगर पालिका स्थापित करके राजस्थान में शहरी स्वशासन कि शुरूआत कि गई।
राजस्थान की प्रथम निर्वाचित नगरपालिका ब्यावर।
स्वतंत्रता के पश्चात राजस्थान में सर्वप्रथम 1951 में राजस्थान नगरपालिका अधिनियम पारित करके लागु किया गया।
1959 में संशोधित नगरपालिका अधिनियम पारित करके लागु किया गया।
नोट - 74वां संविधान संशोधन (1992) केे द्वारा सविधान में अनुसूची 12 को जोड़ा गया।
उल्लेख - शहरी निकाय
भाग - 9 क
विषय - 18
अनुच्छेद 243 P (त) से 243 ZG (त छ)
नोट: शहरी स्वशासन को 1 जुन 1993 को सम्पूर्ण भारत में एक साथ लागु किया गया।
शहरी स्वशासन के निकाय -
गठन -
1. नगर पालिका - न्युनतम जनसंख्या 20,000 - 1,00,000
2. नगर परिषद - न्युनतम जनसंख्या 1,00000 - 5,00000
3. नगर निगम - न्युनतम जनसंख्या 5,00000 से अधिक
नोट: नगरपालिका व नगरपरिषद में न्युनतम सदस्य संख्या - 13
निर्वाचन प्रणाली -
नगर निगम
अध्यक्ष - मेयर/महापौर - अप्रत्यक्ष
सदस्य - वार्ड पार्षद - प्रत्यक्ष
नगर परिषद
अध्यक्ष - Chairperson/सभापति - अप्रत्यक्ष
सदस्य - वार्ड पार्षद - प्रत्यक्ष
नगर पालिका
अध्यक्ष - Chairmen/सभापति - अप्रत्यक्ष
सदस्य - वार्ड पार्षद - प्रत्यक्ष
नोट - 2014 को राजस्थान सरकार अध्यादेश के द्वारा शहरी निकायों के अध्यक्षों की निर्वाचन प्रणाली को अप्रत्यक्ष किया गया।
योग्यता - न्युनत्तम आयु 21 वर्ष
शैक्षणिक योग्यता - 10वीं पास
कार्यकाल - 5 वर्ष
आरक्षण - महिलाओं को 33 प्रतिशत
राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 के द्वारा महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया।
2010 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश द्वारा महिलाओं के 50 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगा दी गई।
अविश्वास प्रस्ताव
दो वर्ष बाद कुल सदस्यों के 1/3 बहुमत से प्रस्ताव पेश किया जाता है। तथा प्रस्ताव पारित करने के लिये 3/4 बहुमत कि आवश्यकता होती है। प्रस्ताव पारीत करने के बाद Right to Recall का प्रावधान है।
राजस्थान में अब तक एक बार Right to Recall का प्रयोग किया गया है।
इसका प्रयोग 2012 में मंगरोल (बारा) नगरपालिका के अध्यक्ष अशोक जैन के विरूद्ध किया गया लेकिन जनमत संग्रह अशोक जैन के पक्ष में रहा।
वर्तमान में नगरपलिका - 149
वर्तमान में नगर परिषद - 34
वर्तमान में नगर निगम - 7 (सभी संभाग मुख्यालयों पर)
प्रमुख अधिकारी -
नगरपालिका - ई.ओ.
नगर परिषद - सी.ई.ओ.
नगर निगम - कमिश्नर (आयुक्त)
नगरीय स्वशासन की अन्य संस्थाऐं -
नगर विकास न्यास
कुल संख्या - 15
नगर विकास न्यास का अध्यक्ष - राज्य सरकार नियुक्त करती है।
नगर विकास प्राधिकरण
कुल संख्या - 3
1. जयपुर 2. जोधपुर 3. अजमेर (14 अगस्त 2013)
नोट: राज. में एक मात्र छावनी मण्डल - नसीराबाद (अजमेर) जिसका अध्यक्ष कमांडिग आॅफिसर होता है।
जिला आयोजना समिति -
अध्यक्ष - जिला प्रमुख
कुल सदस्य - 25 (जिनमें 3 पदेन, 2 राज्य सरकार द्वारा मनोनित तथा 20 सदस्य जिले की ग्रामीण व नगरिय क्षेत्रों की जनसंख्या के अनुपात में जिला परिषद व नगर निकायों के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों में से निर्वाचित होते है।
अनुच्छेद - 243T आक्षरण
अनुच्छेद - 243U कार्यकाल
अनुच्छेद - 243V योग्यता
नोट - स्थानिय स्वशासन की किसी भी संस्था के अध्यक्षता पद
मध्यावधि में रिक्त होने पर अधिकत 6 माह में पुनः निर्वाचन होना आवश्यक है तथा पुनः निर्वाचित अध्यक्ष का कार्यकाल शेष अवधि के लिए होता है।
http://advancestudytricks.blogspot.com/2020/04/local-self-government.html
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सुझाव: किसी भी स्तर पर लिए जाने वाले निर्णय सूझ बूझ से सम्पादित किये जाने चाहियें
सुझाव: किसी भी स्तर पर लिए जाने वाले निर्णय सूझ बूझ से सम्पादित किये जाने चाहियें
उत्तराखण्ड राज्य बने 22 बर्ष होने जा रहे हैं, इस पहाड़ी राज्य में अनेक क्षेत्रों में कुछ न कुछ नया हुआ है, महिलाओं को त्रिस्तरीय पंचायतों में 33% आरक्षण देकर प्रतिनिधित्व का मौका दिया है, लेकिन कुछ बिरले उदाहरणों को छोड़कर अभी भी इस पुरुष प्रधान समाज में ग्राम प्रधान से लेकर अध्यक्ष जिला पंचायत के महत्वपूर्ण निर्णय पिछले दरवाजे से प्रधानपतियों का हस्तक्षेप होता है, कभी गलत वित्तीय निर्णय लेकर महिला…
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Question: How Will The Development Of The Veil Cover - सवाल : घूंघट की आड़ से कैसे होगा विकास
Question: How Will The Development Of The Veil Cover – सवाल : घूंघट की आड़ से कैसे होगा विकास
ग्राम पंचायत कादरगंज में शपथ लेतीं उपासना।
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, बरेली
ख़बर सुनें
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ज्यादातर महिला प्रधानों ने घूंघट हटाए बगैर अपने पतियों की मौजूदगी में ली शपथ
बरेली। एक पहलू यह है कि 33 फीसदी महिला आरक्षण के अनुपात में इस बार जिले की करीब 49 फीसदी ग्राम पंचायतों में इस बार महिला प्रधान चुनी गईं और दूसरा यह कि ज्यादातर महिला प्रधान इस बार भी घूंघट में ही शपथ ग्रहण करती नजर आईं।…
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पंचायत चुनाव में Divya Sandesh
#Divyasandesh
पंचायत चुनाव में
लखनऊ। यूपी के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दिग्गजों को चुनावी हार का झटका लगा है। भाजपा के तमाम क्षत्रप जहां वर्चस्व बनाने में सफल रहे‚ वहीं अधिकांश को जोर का झटका धीरे से लगा है। प्रदेश में जिला पंचायत सदस्य पद के कुल ३‚०५१ सीटों पर मतदान हुआ था। त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव चार चरणों में हÙए थे। ७५ जिलों में ८२९ केंद्रों पर रविवार सÙबह ८ बजे से मतगणना शुरू हुई। कोविड़ प्रोटोकॉल का पालन तो नहीं हो सका। भाजपा के तमाम दिग्गज अपना वर्चस्व संभाल पाने में नाकाम रहे। यह सही है कि जिला पंचायत सदस्यों के कुल पदों में सर्वाधिक जीत भाजपा की हुई है। दूसरे नम्बर पर सपा और तीसरे नम्बर पर बसपा के प्रत्याशी जीत दर्ज कराने में आगे रहे।
प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में काबीना मंत्री रमापति शास्त्री के भतीजे जहां ग्राम प्रधान का चुनाव हार गये‚ वहीं गोंड़ा में भाजपा समर्थित प्रत्याशी व भाजपा के अवध क्षेत्र के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष पीयूष मिश्रा मनकापुर चतुर्थ से सपा प्रत्याशी विजय कुमार यादव से ६१५ से अधिक मतों से चुनाव हार गये। इसी तरह पूर्व काबीना मंत्री रामबीर उपाध्याय की धर्मपत्नी सीमा उपाध्याय ने भी अपनी देवरानी और भाजपा प्रत्याशी को चुनाव हराकर बड़ी जीत दर्ज की है। यही हाल बलिया में भाजपा के बिल्थरारोड़ क्षेत्र के विधायक धनन्जय कन्नौजिया की मां सर्यकुमारी देवी भी नगरा क्षेत्र पंचायत के वार्ड़ संख्या १९ से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार गई हैं। इसके अलावा भाजपा के पूर्व सांसद हरिनारायण राजभर के बेटे अटल राजभर जिला पंचायत के वार्ड़ संख्या २४ से‚ भाजपा के गोरक्षनाथ प्रांत के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र यादव जिला पंचायत के वार्ड़ संख्या संख्या १० से चुनाव हार गए हैं।
आज़मगढ़ में भाजपा समर्थित जिला पंचायत प्रत्याशी ज्योति राय को करारी हार मिली है। ज्योति पूर्व जिला अध्यक्ष विनोद राय की पÙत्र वधÙ हैं। विनोद भाजपा के गोरखपÙर प्रांत के उपाध्यक्ष हैं। यही नहीं‚ सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की भतीजी संध्या यादव भी चुनाव हार गयी हैं। वह पंचायत चुनाव के पहले सैफई परिवार से बगावत करके भाजपा में शामिल हुई थीं। भाजपा ने उन्हें टिकट दिया था‚ जिस पर वह मैनपुरी के जिला पंचायत सदस्य पद के लिए वार्ड़ संख्या–१८ से चुनाव लड़़ा था। सपा समर्थित प्रत्याशी प्रमोद कुमार ने संध्या यादव को १९०० वोटों से हरा दिया। ऐसे ही नेता विपक्ष रामगोविंद चौधरी के पुत्र रंजीत चौधरी भी चुनाव हार गये हैं। हालांकि आरक्षण के चलते सपा संस्थापक मÙलायम के गांव सैफई में आजादी के बाद पहली बार प्रधान पद के लिए मतदान हÙआ। इस सीट पर सपा समर्थित प्रत्याशी की जीत हÙई। अखिलेश यादव के चचेरे भाई अभिषेक यादव सैफई द्वितीय से जिला पंचायत सदस्य का चÙनाव जीत गए। यह अभी जिला पंचायत अध्यक्ष हैं।
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जौनपुर में सभी आपत्तियां खारिज, नहीं बदलेगा कोई आरक्षण।
जौनपुर में सभी आपत्तियां खारिज, नहीं बदलेगा कोई आरक्षण।
जौनपुर(आँचल सिंह)। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण की सूची पर आई सभी आपत्तियां खारिज हो गई हैं। पंचायत के किसी भी पद का आरक्षण नहीं बदला है। आपत्तियों का निस्तारण पांच सदस्यीय टीम ने किया है। आरक्षण सूची का अंतिम प्रकाशन 26 मार्च को होगा।
कोर्ट के निर्णय के बाद जिले के 1740 ग्राम प्रधान, 21544 ग्राम पंचायत सदस्य, 2027 बीडीसी सदस्य, 83 जिला पंचायत सदस्य व 21 ब्लाक प्रमुख पदों के लिए दोबारा…
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UP पंचायत चुनाव: वोट देकर जिसे बनाएंगे प्रधान, जानिए उसे कितनी मिलती है सैलरी?
UP पंचायत चुनाव: वोट देकर जिसे बनाएंगे प्रधान, जानिए उसे कितनी मिलती है सैलरी?
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों (UP Panchayat Chunav 2021) को लेकर माहौल अब अपने चरम पर है. आरक्षण की सूची( Reservation List) जारी होने के बाद से प्रत्याशी अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. चुनाव जीतने के लिए वे घर-घर का चक्कर लगाने लगे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए प्रत्याशी इतनी मेहनत कर रहे हैं, उनको…
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यूपी पंचायत चुनाव आरक्षण सूची पर आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई ग्राम प्रधान सूची पर होगी फैसला
यूपी पंचायत चुनाव आरक्षण सूची पर आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई ग्राम प्रधान सूची पर होगी फैसला
यूपी पंचायत चुनाव आरक्षण सूची सुप्रीम कोर्ट: यूपी पंचायत चुनाव में जारी आरक्षण सूची के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर आज सुनवाई होनी है। आपको बता दें कि अंतिम आरक्षण सूची भी आज ही जारी की जानी है, हालांकि सूची गुरुवार रात को ही कुछ जिलों में जारी की गई है। ऐसे में सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट में होने वाली इस सुनवाई पर टिकी हैं।
मैं सुनवाई के बाद ही फैसला लूंगा: पंचायत चुनाव में आरक्षण…
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पंचायत चुनाव में आरक्षण की पहली सूची आज हो सकती है प्रकाशित
पंचायत चुनाव में आरक्षण की पहली सूची आज हो सकती है प्रकाशित
पंचायत चुनाव में आरक्षण की पहली सूची आज हो सकती है प्रकाशित
बढ़ रही संभावित प्रत्याशियों की धड़कन
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद बदल चुकी है आरक्षण नियमावली
जिला पंचायत , ब्लाक प्रमुख के साथ-साथ ग्राम प्रधान की कई सीटों के बदलने के आसार
एक बार फिर महीनों से प्रचार प्रसार में जुटे चुनाव लड़ने वालों कई उम्मीदवारों की उम्मीद पर लटकी तलवार
सेटिंग गेटिंग का खेल करने वालों के दरवाजों पर दे रहे…
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आरक्षण सूची जारी होने के बाद बरेली प्रशासन के पास पहुंची 400 आपत्तियां, 26 मार्च को होगा अंतिम प्रकाशन------
आरक्षण सूची जारी होने के बाद बरेली प्रशासन के पास पहुंची 400 आपत्तियां, 26 मार्च को होगा अंतिम प्रकाशन——
ब्लॉक के गांव के ग्राम पंचायतों के प्रधान पद की आरक्षण सूची जारी की गई
बरेली, । पिछली आरक्षण सूची घोषित होने के बाद एक हजार से अधिक आपत्तियां पंद्रह ब्लॉक से पहुंची थी। उम्मीदवारी की आस में खुली चर्चा का दावा अफसरों ने किया था। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश आने के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के आरक्षण दोबारा निर्धारित किया गया। हालांकि दूसरी बार आरक्षण सूची जारी होने के बाद सोमवार को 400 आपत्तियां…
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बीकेटी ब्लॉक में आरक्षण को लेकर कई गांवों से आई आपत्ति
बीकेटी ब्लॉक में आरक्षण को लेकर कई गांवों से आई आपत्ति
लखनऊ बख्शी का तालाब विकास खण्ड के अंतर्गत कई गांवों से ब्लॉक बीकेटी मुख्यालय पर आकर लगाई दर्जनों आपत्ति। वही गुलालपुर निवासी अनुराग सिंह ने बताया कि हमारी ग्राम पंचायत गुलालपुर में 2010 में सीट अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित की गई थी और 2021 में पुनः इसी वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गयी जबकि 2015 में सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित की गई थी जिसमें भी अनुसूचित वर्ग का ही प्रधान एवं क्षेत्र पंचायत सदस्य…
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सहसवान विकासखंड कार्यलय के अंतर्गत 104 पंचायतों के प्रधान पद के लिए होने वाले आरक्षण की सूची
सहसवान विकासखंड कार्यलय के अंतर्गत 104 पंचायतों के प्रधान पद के लिए होने वाले आरक्षण की सूची
सहसवान विकास खंड में 35 ग्राम पंचायत महिलाओ के लिए आरक्षित सहसवान विकासखंड कार्यलय के अंतर्गत 104 पंचायतों के प्रधान पद के लिए होने वाले आरक्षण की सूची जिला मुख्यालय से जारी कर दी गई है 104 ग्राम पंचायतों में 35 ग्राम पंचायतों को महिलाओं के लिए जिसमें 7अनुसूचित जाति 10 पिछड़ा वर्ग तथा 18 सामान्य जाति की स्रियों को तथा पिछड़ा वर्ग के लिए 19 अनुसूचित जाति के लिए 13 ओर सामान्य जातियों के लोगो को 37…
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UP पंचायत चुनाव: कभी शादी नहीं करने की ली थी शपथ, ग्राम प्रधान बनने के लिए अब बिना मुहूर्त रचाई शादी
चैतन्य भारत न्यूज
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की सरगर्मी लगातार तेज हो रही है। लोगों में चुनाव को लेकर उत्साह चरम पर है। बलिया के एक गांव में प्रधानी का चुनाव लड़ने के लिए एक उम्मीदवार ने तो सालों पहले के अपने एक व्रत को तोड़ दिया। दरअसल इस शख्स ने प्रतिज्ञा ली थी कि वो आजीवन शादी नहीं करेगा और अपने गांव के लोगों की सेवा करेगा। लेकिन उसने अपनी प्रतिज्ञा तब तोड़ दी जब उसे पता चला कि ग्राम प्रधान चुनाव में उसके क्षेत्र से पुरुष की जगह अब महिला चुनाव में उतरेंगी।
महिला सीट हुई आरक्षित
दरअसल, बलिया के करण छपरा गांव के रहने वाले 45 साल के हाथी सिंह बीते एक दशक से समाजसेवा में लगे हुए हैं। इन्होने पिछली बार भी प्रधानी के चुनाव का पर्चा भरा था लेकिन तब उसे जीत नहीं मिली और वह दूसरे स्थान पर रहा। फिर इस बार ग्राम प्रधान बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए उन्होंने जमकर तैयारी की थी लेकिन जब आरक्षण की लिस्ट आई, तो उनकी उम्मीद टूट गई। उनके गांव की सीट महिला आरक्षित घोषित कर दी गई। अब समस्या यह थी कि हाथी सिंह ने आजीवन शादी न करने का व्रत लिया था।
हिंदू परंपराओं और ज्योतिष के अनुसार नहीं हुई शादी
इसके बाद हाथी सिंह के समर्थकों ने उन्हें सुझाव दिया कि वह शादी कर लें, ताकि उनकी पत्नी चुनाव लड़ सके। ऐसे में उन्होंने अपना व्रत तोड़कर हर कीमत पर अपनी पत्नी को चुनाव में जिताने का प्रण लिया। फिर उन्होंने आखिरकार 26 मार्च को शादी कर ली। दिलचस्प बात यह है कि इस विवाह को खर-मास के दौरान संपन्न कराया गया, जिसे हिंदू परंपराओं के अनुसार शुभ नहीं माना जाता। हाथी सिंह ने कहा, 'उनकी शादी हिंदू परंपराओं और ज्योतिष के अनुसार नहीं हुई। मुझे 13 अप्रैल को नामांकन से पहले शादी करनी थी।' उनकी पत्नी स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही हैं और अब ग्राम पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं।
किसके कहने पर तोड़ी ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा?:
हाथी सिंह ने अपनी ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा समर्थकों के कहने पर तोड़कर शादी की। हाथी सिंह ने बताया कि उसकी मां 80 साल की हैं जिनका ध्यान वो अकेले नहीं रख पाता है और दूसरी तरफ ग्राम प्रधान का चुनाव था जिसमें महिला कैंडिडेट ही हिस्सा ले सकती थी इसलिए महिला कैंडिडेट के रूप में पत्नी को भेज कर अपना सपना पूरा करने के लिए उसने शादी की है।
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