दो चेहरे
अजीब से समय में हूँ
कही बीच में खड़ा हूँ
आगे बढ़ूँ तो कुछ पीछे खींचता है
जैसे कोई डोर है ।
दो जीवन जी रहा हूँ
दो चेहरे लेकर चल रहा हूँ
आइना देखूँ तो लगता है
जैसे कोई और है ।
डर है इस दोहरी ज़िंदगी में,
भूल ना जाऊँ खुद को कहीं,
जिस दिन इस नींद से जागूँ,
सपने सो ना जाए कहीं,
अपने खो ना जाए कहीं,
बस मैं यहाँ रहूँ और अविरोध की तरफ़ भागूँ ॥
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सच्चाई
देख वो तेरी परछाई है,
तुझ संग इतनी दूर चली आयी है,
तूने उसके साथ ज़िंदगी बितायी है।
अब उससे आँचल छुड़ा,
एक सफ़र उसका अलग,
एक सफ़र तेरा अलग,
यही तो जीवन की सच्चाई है ॥
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सफलता का सफ़र…
चुनौतियों की आँखो से आँखे मिलाना,
सीने में हिम्मत भरकर कदमों को आगे बढ़ाना,
तुम्हें पाना है ये ज़माना,
खुद को हर पल ये याद दिलाना
जब टूटने लगे हौसला कभी,
हम आज भी यही हैं, कल भी यही रहेंगे ,
तुम मुड़कर बस एक आवाज़ लगाना ।
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Snippet…
As I looked at the downpour through my balcony,
on a typical monsoon evening
I muse of a young girl
Parched for love,
Longing to be heard,
Yearning for acceptance,
Having a tiff with her consciousness,
Moulding herself to fit in,
Hauling the weight of expectations,
Giving away every piece of herself,
Waiting for the return...
In spur of the moment
I am jolted with the comprehension
It was me
It is me
Still waiting....
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ज़िन्दगी और इश्क़
आज नशे में लगती हूँ
बहकी बहकी बाते करती हूँ
होश नहीं , ख्याल नहीं
खोयी खोयी सी रहती हूँ
न रात को सोया करती हूँ
न दिन में रोया करती हूँ
चुप हूँ पर शब्द बोल रहे है
अलफ़ाज़ पिरोया करती हूँ
ज़िन्दगी के नशे में लगती हूँ
या इश्क़ के नशे में लगती हूँ।
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क़ामयाबियों की तलाश है
ये जो सफ़र है, बहुत ख़ास है
इसमें चलना चाहती हूँ
इसे पार करना चाहती हूँ
कुछ करना चाहती हूँ ।
हर कदम पर लगता है, मंज़िल बस पास है
उस तक दौड़ना चाहती हूँ
उसमें थकना चाहती हूँ
पर कुछ करना चाहती हूँ ।
हर हार के साथ, ये मन निराश है
इससे लड़ना चाहती हूँ
इसको हँसाना चाहती हूँ
पर कुछ करना चाहती हूँ
मुझमें एक प्यास है, कामयाबी की तलाश है
उसे छूना चाहती हूँ
उसमें जीना चाहती हूँ
बस कुछ ऐसा करना चाहती हूँ ॥
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