महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् || मंत्र को आदर्श रूप से 108 बार पढ़ा जाता है | दिन में दो बार- एक बार भोर में और एक बार शाम को। मृत्युंजय के रूप में शिव को समर्पित महान मंत्र ऋग्वेद में पाया जाता है। इसे महा मृत्युंजय मंत्र, महान मृत्यु-विजय मंत्र कहा जाता है। यह चिंतन और मनन के लिए उपयोग किए जाने वाले मंत्रों में सर्वोच्च स्थान रखता है |
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सोमवार व्रत के नियमन ।। न करें ये गलतियां। रूठ जाएंगे भगवान शिव
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उल्लू का घर आना शुभ होता या अशुभ
दोस्त घर में सवेरे सवेरे जब उल्लू आकार बैठे तो समझो साक्षात आपके घर में देवी लक्ष्मी कवर होने वाला है माता रानी उल्लू प्रति सवार होकर आपके घर में अब निवास करने वाली है ऐसे में उल्लू को गलती से भी भगवान नहीं सवेरे सवेरे उल्लु का आना अत्यंत मंगलकारी मन गया है क्योंकि उल्लू माता लक्ष्मी का बहन है लेकिन याद रहे रात के समय जब घर में उल्लू आता है तो यह अशोक संदेश ही लेकर आता है ऐसे में इसे शुभ नहीं मन जाता है इसे यह पता चलता है कि अब आप के ऊपर कर्ज बढ़ाने वाला है आपका पैसा खर्च करने वाला है
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नीला सियार
एक बार एक जंगल में एक सियार रहता था उसे दिन भर का भोजन नहीं मिल रहा था इसलिए वह बहुत भूखा था और वह जंगल में जाता ,लेकिन उसे वहां कोई भोजन नहीं मिलता , अंत में उसने शहर जाने का फैसला किया, शहर में उसके पास कुछ भी खाने को नहीं था, वह खाने के लिए भटक रहा था, लेकिन जल्द ही उसे कुत्तों का एक समूह उसकी ओर दौड़ता हुए दिखा , वह डरकर पास के एक घर में गया, और वहां , एक नीले रंग की डाई वाले टब में गिर गया, कुत्तों ने उसे बहुत ढूंढा और वह नहीं मिला , अंत में वह वापस लौट गए , उसके बाद वह सियार उस टब से बहार निकला और जंगल में चला गया, जंगल में जानवर एक नए जानवर को देखकर डर गए, सियार को एहसास हुआ कि सभी जानवर उससे डर रहे हैं, और स्थिति का फायदा उठाते हुए उसने जानवरों को अपनी ओर बुलाया, और बोलै मैं तुम्हारा दोस्त हूँ, मुझे स्वर्ग में देवताओं द्वारा तुम्हारी रक्षा के लिए भेजा गया है, मैं जंगल का राजा बनूंगा सभी जानवर इस सेवा और भोजन से बहुत खुश थे और उसकी सभी जरूरतों का ख्याल रखते थे, सभी जानवर अपनी समस्यायें लेकर, उसके पास जाते थे, सब खुश थे, एक दिन सियार अपनी आवाज़ से चिलाता वह बहुत खुश था , तुरंत ही सभी जानवरों को पता चल गया कि वह वास्तव में कौन था। गुस्से में उसका पीछा किया लेकिन वह सियार पहले से ही भाग रहा था,
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खरगोश और कछुआ
खरगोश और कछुआ कि कहानी खरगोश और कछुआ दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे | एक दिन उन्होंने एक दौड़ लगाने का फैसला किया | दौड़ शुरू हुई खरगोश तेजी से दौड़ा | और पेड़ तक पहुंच गया | वह पीछे मुड़ा और देखा कछुआ बहुत पीछे था | तो खरगोश ने सोचा अभी तो कछुआ बहुत दूर है | क्यों ना कुछ देर आराम कर लू | उसने कुछ देर आराम करने का सोचा और गहरी नींद में सो गया | कछुआ लगातार चलता रहा और अपने लक्ष्य तक पहुँच गया | कछुआ दौड़ जीत गया | और खरगोश सोता रह गया | इस कहानी से हमे ये शिक्षा मिलती है कि | धेर्य और लगन से काम करने वाला हमेसा विजय होता है |
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DR APJ ABDUL KALAM: Motivating Story
एपीजे (अवुल पकिर जैनुलाब्दीन) अब्दुल कलाम 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्हें इस क्षेत्र में उनके अकल्पनीय कार्यों के लिए "भारत के मिसाइल मैन" के रूप में भी जाना जाता था। इस वीडियो में उनके असाधारण प्रयासों और सफलता के मंत्र को समझाया गया है जो आपको जीवन बदलने वाला अनुभव देगा। ऐसे और शानदार वीडियो के लिए बने रहें।
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कैलाश मानसरोवर का रहस्य
आज हम जानेगे कैलाश मानसरोवर के रहस्य के बारे में , कैलाश मानसरोवर में साक्षात भगवान शिव विराजमान हैं। यह धरती का केंद्र है। दुनिया के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित कैलाश मानसरोवर के पास ही कैलाश पर्वत और आगे मेरू पर्वत स्थित है। कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22,068 फुट ऊंचा है तथा हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित है। रहस्य और चमत्कार से परिपूर्ण इस स्थान की महिमा वेद और पुराणों में भरी पड़ी है।
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सोमवार व्रत के नियमन ।। न करें ये गलतियां। रूठ जाएंगे भगवान शिव
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कैसे भगवान शिव का मंदिर समुद्र की गोद में समा जाता है
क्या है इस चमत्कारी मंदिर का रहस्य जानने के लिए बने रहें वीडियो के अंत तक। और अगर अभी तक चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है तो कर लें। चमत्कारी पल उस वक्त देखने का मिलता है जब समुद्र में प्रतिदिन दो बार आने वाले ज्वारभाटे के दौरान मंदिर समुद्र की गोद में समा जाता है। लेकिन यहां ज्वारभाटे का सीधा मतलब यह है कि हर दिन दो बार भगवान शिव का जलाभिषेक भी होता है। इस दौरान किसी भी व्यक्ति को मंदिर या समुद्र के पास जाने की अनुमति नहीं होती है। आज के लिए बस इतना ही , वीडियो अच्छा लगा हो तो ऐसे लिखे और शेयर करें , साथ ही चैनल को सब्सक्राइब भी करें।
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मधुमखी ने शहद का रहस्य बताया चिड़िया को?
एक चिड़िया ने मधुमक्खी से पूछा | लगातार कड़ी मेहनत करने के बाद | तुम शहद तैयार करो | लेकिन तुम्हारा शहद इन्शान चुरा ले जाता है | तो क्या इस बात से तुम उदास महसूस नहीं करती हो | तो मधुमक्खी ने उत्तर दिया | कभी नहीँ | तब उस चिड़िया ने पूछा क्यू | तो मधुमक्खी ने मुस्कराते हुय बोली क्योंकि एक आदमी मेरा शहद चुरा सकता है | लेकिन मेरा शहद बनाने की कला या मेरी मेहनत नहीं | इस कहानी से हमे ये शिक्षा मिलती है कि | अपने आप पर भरोसा रखो |
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स्वार्थी लोमड़ी की कहानी
एक भूखी लोमड़ी जंगल में इधर - उधर घूम रही थी | अचानक से उसकी नजर रसीले अंगूर पर पड़ी | अंगूर काफी उचाई पर लगे थे | लोमड़ी ने छलांग लगाकर अंगूर तोड़ने कि बहुत कोशिश कि | लेकिन वह उन तक पहुंच नहीं पाई | वह छलांग लगा लगाकर अंगूर तोड़ने कि कोशिश करती रही | लेकिन उसे सफलता नहीं मिला | वह कोशिश कर के थक गई | अंत में थक - हारकर खुद को विश्वास दिलाते हुए कही | खटटे अंगूर है | ये कहकर लोमड़ी वह से चली गई | इस कहनी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि | अपनी असफलता के लिए दुसरो को दोष ना ठहराए |
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क्या अच्छा क्या बुरा
कहानी शुरू होती है एक किसान से जिसका एक छोटा सा घर था और जैसे तैसे खेती करके अपना गुजारा चला रहा था। उसका कहना था कि ईश्वर जो भी करते हैं, हमारे भले के लिए करते हैं। एक दिन की बात है , उसका घोड़ा रस्सी तोड़कर जंगल की ओर भाग गया। इस पर उसके पड़ोसियों ने आकर दुख जताया। लेकिन किसान शांत रहा। दो दिन बाद किसान का घोड़ा वापस आ गया और अपने साथ तीन जंगली घोड़े और लाया। लोगों ने आकर ख़ुशी प्रकट की। लेकिन किसान तब भी शांत रहा। दो दिन बाद उन्हीं में से एक जंगली घोड़े की सवारी करते समय उसका पुत्र गिर गया। उसकी एक टांग टूट गयी। पड़ोसियों ने फिर आकर अफसोस प्रकट किया। लेकिन किसान फिर भी शांत ही रहा। अगले दिन राजा की सेना के लोग गांव आये और गांव के नौजवानों को जबरदस्ती सेना में भर्ती करने लगे। किसान का लड़का पैर टूटा होने की वजह से बच गया। --------- इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है की हमे हमेशा ईश्वर के निर्णय को उदारतापूर्वक स्वीकार करना चाहिए। वे कभी किसी का बुरा नहीं करते। हममें से कोई नहीं जानता कि हमारे लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा? इसलिए ईश्वर जो करते है, हमें उसे अपने लिए अच्छा ही मानना चाहिए।
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कैसे भगवान शिव का मंदिर समुद्र की गोद में समा जाता है
क्या है इस चमत्कारी मंदिर का रहस्य जानने के लिए बने रहें वीडियो के अंत तक। और अगर अभी तक चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है तो कर लें। चमत्कारी पल उस वक्त देखने का मिलता है जब समुद्र में प्रतिदिन दो बार आने वाले ज्वारभाटे के दौरान मंदिर समुद्र की गोद में समा जाता है। लेकिन यहां ज्वारभाटे का सीधा मतलब यह है कि हर दिन दो बार भगवान शिव का जलाभिषेक भी होता है। इस दौरान किसी भी व्यक्ति को मंदिर या समुद्र के पास जाने की अनुमति नहीं होती है। आज के लिए बस इतना ही , वीडियो अच्छा लगा हो तो ऐसे लिखे और शेयर करें , साथ ही चैनल को सब्सक्राइब भी करें।
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घर में कबूतर का घर आना शुभ होता या अशुभ
घर में कबूतर का आना भी शुभ माना जाता है जिस व्यक्ति के घर आकार कबूतर बैठे और दाना पानी पीने जाएं तो समझो उसका भाग्य उदय होने वाला है साथ ही साथ अब आपके जीवन में कुछ बदलाव होने वाले हैं कबूतर का घर में बनाना भी शुभ मन जाता है यह अदायगी जब किसी के घर पर आता है तब अच्छे भाव से ही आता है
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गोरैया चिडिया का घर आना शुभ होता या अशुभ
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शिव जी के सिर पर चन्द्रमा
पौराणिक कथानुसार चंद्र जी का विवाह दक्ष प्रजापति की 27 नक्षत्र कन्याओं के साथ संपन्न हुआ। चंद्र एवं रोहिणी बहुत खूबसूरत थीं एवं चंद्र का रोहिणी पर अधिक स्नेह देख शेष कन्याओं ने अपने पिता दक्ष से अपना दु:ख प्रकट किया। दक्ष स्वभाव से ही क्रोधी प्रवृत्ति के थे और उन्होंने क्रोध में आकर चंद्र को श्राप दिया कि तुम क्षय रोग से ग्रस्त हो जाओगे। चंद्र क्षय रोग से ग्रसित होने लगे और उनकी कलाएं क्षीण होना प्रारंभ हो गईं। नारदजी ने उन्हें मृत्युंजय भगवान आशुतोष की आराधना करने को कहा, तत्पश्चात उन्होंंने भगवान आशुतोष की आराधना की। चंद्र अंतिम सांसें गिन रहे थे कि भगवान शंकर ने प्रदोषकाल में चंद्र को पुनर्जीवन का वरदान देकर उन्हें अपने मस्तक पर धारण कर लिया अर्थात चंद्र मृत्युतुल्य होते हुए भी मृत्यु को प्राप्त नहीं हुए। पुन: धीरे-धीरे चंद्र स्वस्थ होने लगे और पूर्णमासी पर पूर्ण चंद्र के रूप में प्रकट हुए। चंद्र क्षय रोग से पीड़ित होकर मृत्युतुल्य कष्टों को भोग रहे थे। भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें पुन:जीवन प्रदान किया अत: हमें भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए जिन्होंने मृत्यु तक पहुंचे हुए चंद्र को मस्तक पर धारण किया था।
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नज़र का खेल आपकी जिंदगी बदल सकती है
एक बार एक बहुत बड़ा नेता एक साधु के छोटे से आश्रम में गया। साधु के बारे में उसने बहुत सुना था तो उसके मन में आया कि मैं एक बार जा करके देखता हूं कि लोग उसकी इतनी तारीफ क्यों करते है।
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