आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिंगल एक्स-रे का उपयोग करके भविष्य में हृदय रोग, स्ट्रोक से मौत के जोखिम की भविष्यवाणी करता है
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिंगल एक्स-रे का उपयोग करके भविष्य में हृदय रोग, स्ट्रोक से मौत के जोखिम की भविष्यवाणी करता है
एक एक्स-रे का उपयोग करके, यह एआई दिल के दौरे या स्ट्रोक के जोखिम की भविष्यवाणी कर सकता है।
हृदय रोग दुनिया भर में मौत का प्रमुख कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हृदय रोग (सीवीडी) हर साल 17.9 मिलियन लोगों की जान लेने का अनुमान है। इस बीमारी के विनाशकारी परिणामों ने शोधकर्ताओं को हृदय रोग और जोखिम कारकों के इलाज और रोकथाम की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया है।
एकल छाती…
10 लाख लोगों में केवल सात...कोविशील्ड से कितना खतरा, क्या डरने की जरूरत है?
नई दिल्ली: एक बार फिर कोरोना की चर्चा शुरू है लेकिन वायरस नहीं बल्कि कोविड वैक्सीन की। पहले कोरोना से डर लगता था तो वहीं अब कोरोना वैक्सीन के नाम से अचानक लोगों को डर लगने लगा है। इस डर की शुरुआत हुई ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के एक खुलासे से। इस खुलासे के बाद कोरोना की वैक्सीन लेने वाले लोगों के मन में कई सवाल पैदा हो गए। वैक्सीन निर्माता ने कोर्ट में माना है कि दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस (TTS) का कारण बन सकता है। इससे खून के थक्के बन सकते हैं और प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कई गंभीर मामलों में यह स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। इस खुलासे के बाद भारत में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई। एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाई। भारत में बड़े पैमाने पर ये वैक्सीन लगाई गई है। लोगों के मन में कई सवाल हैं और इन सवालों के बीच भारत में अधिकांश हेल्थ एक्सपर्ट यह मान रहे हैं कि यह केवल दुर्लभ मामलों में ही हो सकता है। भारत में भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। एक वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जांच के लिए मेडिकल एक्सपर्ट का पैनल बनाया जाए। वैक्सीन के कारण किसी भी रिस्क फैक्टर का परीक्षण करने का निर्देश दिया जाए और यह सब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में किया जाना चाहिए। हालांकि देखा जाए तो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने साल 2021 में इस टीके से होने वाले साइड इफेक्ट के बारे में अपनी साइट पर जानकारी दी है। सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वेबसाइट पर अगस्त 2021 में कोविशील्ड टीका लगाने के बाद होने वाले साइड इफेक्ट की जानकारी दी है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया या प्लेट्सलेट की संख्या कम होने की वजह से ब्लड क्लाटिंग की समस्या हो सकती है। कंपनी ने कहा है कि यह एक लाख में से एक से भी कम लोगों में हो सकती है और कंपनी ने इसे बहुत ही दुर्लभ मामला बताया है। ICMR के पूर्व महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को लेकर कहा कि इसका साइड इफेक्ट टीका लेने के अधिकतम तीन से चार हफ्तों तक ही हो सकता है। वह भी केवल दुर्लभ मामलों में ही। भारत में कोविशील्ड के करोड़ों डोज लगाए गए हैं लेकिन न के बराबर मामलों में ही साइड इफेक्ट देखने को मिला। उनकी ओर से कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने के दो-ढाई साल बाद साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं है और इससे बेवजह डरने की जरूरत नहीं।ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि वैक्सीन के लॉन्च होने के 6 महीने के अंदर टीटीएस को एडेनोवायरस वेक्टर वैक्सीन के एक साइड इफेक्ट के रूप में पहचाना गया था। इस वैक्सीन की समझ में कोई नया चेंज नहीं है। उनकी ओर से कहा गया कि यह समझने की जरूरत है कि टीका लगवाने वाले दस लाख लोगों में केवल सात या आठ लोगों को ही खतरा है। मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा कि TTS रक्त वाहिकाओं में थक्का बना सकता है, लेकिन कुछ टीकों के इस्तेमाल के बाद इसका होना बेहद दुर्लभ होता है। जयदेवन केरल में नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि कोविड वैक्सीन ने कई मौतों को रोकने में मदद की है। न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, 'TTS का मतलब खून के थक्के बनने से है��� कम प्लेटलेट काउंट के साथ दिमाग या अन्य रक्त वाहिकाओं में इससे थक्का बन सकता है।' http://dlvr.it/T6Jt7Y
covishield new information: कोविशील्ड,कोरोना वैक्सीन से ब्रेन स्ट्रॉक व हार्ट अटैक का खतरा, निर्माता ब्रिटिश कंपनी का कोर्ट में हलफनामा, 175 करोड़ लोंगो को लगे थे डोज, आईसीएमआर की विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में
नयी दिल्ली: ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. हालांकि ऐसा बहुत रेयर मामलों में ही होगा. एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड नाम से वैक्सीन बनाई. ब्रिटिश मीडिया के अनुसार, एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन से कई लोगों की मौत हो गई. वहीं कई अन्य को गंभीर बीमारियों का सामना करना…
क्या आप जानते हैं? डिप्रेशन सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य की चिंता नहीं है; यह आपके हृदय स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है, खासकर महिलाओं में। अनुसंधान सुझाव देता है कि डिप्रेशन हृदय अटैक के जोखिम को काफी बढ़ाता है, विशेष रूप से महिलाओं में।
डॉ। एम डी फ़रहान शिकोह, रांची के सुकून हार्ट केयर में एक अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट, मानसिक स्वास्थ्य और हृदय स्वास्थ्य के बीच के संबंध को पहचानने के महत्व को बढ़ावा देते हैं। डिप्रेशन का सामना करना न केवल आपके मानसिक बेहतरीनी को सुनिश्चित करता है बल्कि आपके हृदय की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अगर आप या आपके पासवाले डिप्रेशन के लक्षणों का सामना कर रहे हैं या हृदय स्वास्थ्य के बारे में कोई चिंता है, तो हमें संपर्क करने से हिचकिचाइए नहीं। Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology) से सुकून हार्ट केयर पर संपर्क करें। उनकी विशेषज्ञता और दयालु देखभाल के साथ, वह आपको बेहतर हृदय स्वास्थ्य और समग्र कल्याण की दिशा में मार्गदर्शन कर सकते हैं। हमें 6200784486 पर संपर्क करें या drfarhancardiologist.com पर जाएं और अधिक जानकारी प्राप्त करें।
दिल की सेहत को नुकसान पहुंचने के पीछे कई कारण हो सकते हैं और इसी वजह से आज उम्रदराज लोगों के साथ नौजवानों में भी हार्ट अटैक का खतरा बढ़ रहा है। इन तरीकों से अपने दिल की करें देखभाल।
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प्रिय पाठकों अक्सर लोग यह सोचते है, कि हमें सुबह उठकर सबसे पहले क्या खाना चाहिए? रात को सोते समय अक्सर हम सभी के दिमाग में यही रहता है। कि सुबह उठकर सबसे पहले क्या खाना चाहिए। और सुबह के समय में ऐसा क्या खाएं जिससे शरीर को पूरा पोषण मिले। सुबह उठकर सबसे पहले क्या खाना चाहिए
सुबह का समय एक नए दिन की शुरुआत के लिए महत्वपूर्ण है। और सही आहार से शुरुआत करना हमारे स्वास्थ्य और ऊर्जा को पोषण पहुँचाने में मदद कर सकता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि सुबह उठते ही कौन से आहार का सेवन करना चाहिए ताकि हम दिनभर ताजगी और सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ सकें।
शरीर की आवश्यकताएं:
सुबह का आहार हमारे शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करता है जिससे हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बना रहता है। सुबह उठने के बाद, हमारे शरीर को ताजगी और ऊर्जा की आवश्यकता होती है ताकि हम दिनभर की चुनौतियों का सामना कर सकें।
हम अक्सर भागदौड़ भरी जिंदगी में अच्छा नाश्ता नहीं कर पाते हैं। यह सीधे हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। अगर आप भी इसी तरह के सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं। तो इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि किन -किन चीजों को सुबह उठकर सबसे पहले खाना चाहिए।
यह चीजें आयुर्वेद में वर्णित है। आयुर्वेद के अनुसार इन चीजों का सेवन आपको सवस्थ रखता है। सुबह उठकर इन्हें खाने से जल्द ही सेहत भी बन जाती हैं। केवल शर्त यह है। कि इन चीजों को अपनी खाली पेट खाना है।
गुड़ (Jaggery)
गुड़ आयुर्वेद के अनुसार खाली पेट गुड़ खाना चाहिए। क्योंकि सुबह उठकर सबसे पहले गुड़ खाना बेहद फायदेमंद माना जाता है। गुड़ के साथ अगर गुनगुना पानी हो तो क्या कहना, इसके अलावा अब गुड के साथ चने भी मिलाकर खा सकते हैं।
इससे शरीर को बहुत अधिक ऊर्जा मिलती है, खून साफ होता है, कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। इससे दिनभर एसिडिटी भी नहीं होती है।
चने
भीगे हुए काले चने में बादाम की तुलना में अधिक पोषक तत्व है। यह महिलाओं एंव पुरूषों के लिए प्रोटीन, फाइबर, खनीज और विटामिन के लिए सबसे अच्छा स्रोत है। दिन की शुरुआत में इसे खाने से शरीर में दिनभर उर्जा का संचार होता है।
एक शोध के अनुसार अगर रोज़ सुबह एक मुट्ठी भीगे हुए चने को शहद या गुड़ के साथ खाया जाए तो यह प्रजनन क्षमता को भी बढ़ाता है।अगर आप बिना नमक डालें रोजाना एक मुट्ठी चना खाते हैं। तो इससे आपकी त्वचा भी साफ और ग्लोइंग हो जाती है।
किशमिश
सुबह उठकर खाली पेट किशमिश खाएं। अगर आप बासी मुँह भीगे हुए किशमिश खाते हैं तो यह ज्यादा फायदेमंद होती है कि इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं।
दूध
एक गिलास दूध में प्रोटीन होता है और एक अध्ययन से यह भी पता चला है, कि रोजाना दूध पीने से याददाश्त भी तेज होती है। दूध एक एनर्जी बूस्टर है। यह त्वचा बालों और हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद है। सुबह उठकर प्रतिदिन एक गिलास दूध पीने वाले लोग अन्य लोगों की तुलना में कम बीमार पड़ते है।
खासतौर पर उन महिलाओं एंव बच्चों के लिए दूध बहुत जरूरी हैं। जो माँ बन चुकी है और उनका बच्चा माँ का दूध पीता है।
लहसुन
लहसुन सुबह खाली पेट लहसुन खाने से कई फायदे होते हैं। सुबह उठकर खाली पेट लहसुन की कली खाएं। यह पाचन के लिए रामबाण औषधि है। अगर आपका पेट फूलने की समस्या है। तो यह बहुत फायदेमंद होगा। सुबह खाली पेट एक गिलास पानी के साथ कच्चा लहसुन खाने से आपकी सेहत को कई तरह के फायदे होते है। लहसुन खाने से खून का जमाव नहीं होता और हार्ट अटैक का खतरा भी कम किया जा सकता है।
पुरुषों के लिए कच्चे लहसुन खाने का लाभ उनकी मर्दाना ताकत को बढ़ाता है। लहसुन को चाहे आप कच्चा खाएं भूनकर खाएं। यह हर तरह से सेहत को लाभ पहुंचाता है।
डायबीटीज के लक्षणों पर ध्यान दें!
डायबीटीज के लक्षणों को समझना और सही समय पर कदम उठाना जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
बार-बार पेशाब आना: यदि आप बार-बार पेशाब जा रहे हैं, तो यह एक डायबीटीज के संकेत हो सकता है।
प्यास लगाना: अत्यधिक प्यास का अहसास होना भी डायबीटीज का संकेत हो सकता है।
बार-बार भूख लगना: अगर आपको अनियत भूख लग रही है, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
थकान और देखने में दिक्कत: अनाराम और अच्छे से देखने में कमी डायबीटीज के लक्षण हो सकते हैं। परिणाम: दृष्टिहीनता: यदि डायबीटीज नियंत्रित नहीं होती, तो दृष्टिहीनता का खतरा बढ़ सकता है।
हार्ट अटैक
रक्त का सही से संचार नहीं होना
किडनी की बीमारी
पेशाब से जुड़ी परेशानी
इलाज के लिए:
इंसुलिन का इंजेक्शन
सही डाइट
नियमित व्यायाम
ब्लड शुगर की निगरानी
डायबीटीज को समझना और जागरूकता बढ़ाना हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है। अपने सवालों को साझा करें और स्वस्थ जीवन की दिशा में एक छोटा सा कदम बढ़ाएं।
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डॉ. सोनिका पांडे, जिन्होंने अपने चिकित्सा क्षेत्र में 12 साल से अधिक का अनुभव है, वे सीनियर कंसलटेंट मेडिसिन हैं और उन्होंने MBBS (स्वर्ण पदक विजेता) और MD मेडिसिन की डिग्री प्राप्त की है।
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डॉ. सोनिका पांडे के नेफ्रो केयर क्लिनिक में आने का समय:
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भारत में दिल के दौरे के संकट से निपटने के लिए आपके मार्गदर्शक 'आयुर्वेद सही है' में आपका स्वागत है। आज के जीवन के लिए प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान का अन्वेषण करना आसान बना दिया गया है। हम यहां प्राकृतिक समाधानों और समग्र तरीकों से हृदय स्वास्थ्य में बदलाव लाने के लिए हैं। जानें कि कैसे आयुर्वेद जोखिमों को कम कर सकता है और स्वस्थ हृदय का समर्थन कर सकता है। 'आयुर्वेद सही है' के साथ, एक कल्याण यात्रा में कदम रखें जो परंपरा और आधुनिकता का मिश्रण है। इस बड़े खतरे के खिलाफ खुद को तैयार करें और आयुर्वेदिक तरीके से स्वस्थ हृदय अपनाएं। और पढ़ें - हार्ट अटैक की वजह और उपाय
Healthy Food For Heart: दिल को स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए अपनी डायट में शामिल करें ये फूड्स, नहीं होगा हार्ट अटैक का खतरा
Healthy Food For Heart: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में कम उम्र में ज्यादातर लोगों को दिल की बीमारी (Heart Diseases) से लेकर हार्ट अटैक जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. आज भारत में दिल से जुड़ी बीमारियों और हार्ट अटैक (Heart Attack) का खतरा लोगों में बहुत अधिक देखा जा रहा है.
हार्ट अटैक एक गंभीर समस्या बन गई है, जिसमें ध्यान न देने पर व्यक्ति की जान भी जा सकती है. वहीं, गलत खान-पान, मोटापा, हाई बीपी, डायबिटीज (Diabetes) , स्ट्रेस या डिप्रेशन जैसी अन्य समस्याओं की वजह से लोगों में हार्ट अटैक का खतरा सबसे बढ़ जाता है. लेकिन आप अपनी डाइट में हेल्दी फूड्स (Healthy Foods) को शामिल करके हार्ट अटैक और दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कम कर सकते है. तो आइए जानते है इन फूड्स के बारे में.
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ओमेगा 3 (Omega 3)
ओमेगा 3 एक तरह का गुड फैट होता है जो फिश और फ्लैक्स सीड्स में सबसे ज्यादा पाया जाता है. ओमेगा 3 सोयबीन और उसके ऑयल के साथ साथ कनोला ऑयल में भी होता है. ओमेगा 3 हमारे दिल के अलावा लंग्स को भी स्वस्थ्य रखता है.
फाइबर (Fiber)
फाइबर हमारी बॉडी से LDL (Low Density Lipoprotein) को कम करता है. LDL बैड कोलेस्ट्रोल के नाम से भी जाना जाता है जो हेल्दी हार्ट के लिये बढ़ा हुआ नहीं होना चाहिये . फाइबर के लिये चोकर वाली या मल्टी ग्रेन आटे की रोटी खायें. इसके दालें, चना, पेयर फ्रूट , चिया सीड्स और बादाम में खूब पाया जाता है.
विटामिन (Vitamins)
विटामिन B के लिये मिल्क प्रोडक्ट, पनीर चीज खायें. विटामिन A पालक, गाजर, शकरकंद में पायी जाती है. विटामिन C खट्टे फल जैसे संतरा, नींबू , मौसमी में होता है, विटामिन D दूध, सीरियल और फिश में होता है. विटामिन E साबुत अनाज, पत्तेदार सब्जियों, ड्राईफ्रूट्स में होता है.
फाइटोकैमिकल (Phytochemical)
हमें खाने में कलरफुल सब्जियां और फल खाने चाहिये. रुटीन में लाल और पीली शिमला मिर्च, ब्रोकली, बीटरूट, बैंगन, गाजर सब खाने में शामिल करना चाहिये . कलरफुल सब्जी और फ्रूट्स खाने से इम्यून बढ़ता है और ये डैमेज सेल्स को सही करता है. ये कैंसर वाली सेल्स को भी कम करता है.
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डिप्रेशन एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जिसमें व्यक्ति का मूड, व्यवहार और सोचने का तरीका प्रभावित होता है। यह एक ऐसी समस्या है जो आमतौर पर सभी लोगों को अपने जीवन में एक बार तो अनुभव करते ही हैं। इसके अलावा, जिन लोगों के जीवन में अधिक तनाव, दुख और चिंता होती है, उनमें इस समस्या के बढ़ने का खतरा ज्यादा होता है।
डिप्रेशन के कारण
डिप्रेशन के कई कारण हो सकते हैं। यह एक जटिल समस्या है जो अक्सर कई कारणों के संयोग से होती है। कुछ मुख्य कारणों में शामिल हैं।
गंभीर रोग - कुछ बीमारियां जो डिप्रेशन का कारण बनती हैं उनमें कैंसर, हार्ट अटैक, अल्जाइमर रोग, अपच, पार्किंसन रोग आदि शामिल हैं।
तनाव और चिंता - यह दो मुख्य कारण हैं जो डिप्रेशन के बढ़ते होने का कारण बनते हैं। तनाव और चिंता के कारण व्यक्ति नींद नहीं ले पाता है और उसकी जिंदगी में उलझन रहती है।
वातावरण और समाज -
वातावरण और समाज भी डिप्रेशन का मुख्य कारण हो सकते हैं। अक्सर ऐसे समाज में जहां लोगों की ज़िन्दगी बहुत तनावपूर्ण होती है, डिप्रेशन का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे माहौल में आईसोलेशन, लोगों से दूर रहना और तनाव से भरी ज़िन्दगी जीना, डिप्रेशन का मुख्य कारण बनता है।
डिप्रेशन के लक्षण
डिप्रेशन के लक्षण कई तरह के हो सकते हैं। इनमें से कुछ मुख्य लक्षणों में शामिल हैं।
आत्महत्या की बातें करना।
नींद नहीं आती या बहुत अधिक नींद आती है।
उदास महसूस करना।
भोजन कम या ज्यादा करना।
तनाव या चिंता में रहना।
जीवन में दुख या तकलीफ का अनुभव करना।
अकसर खुश नहीं रहना।
डिप्रेशन से निजात पाने के उपाय
डिप्रेशन से निजात पाना मुश्किल तो है, लेकिन इससे बाहर आना भी मुमकिन है। डिप्रेशन के लिए उपचार के कुछ उपाय हैं जो निम्नलिखित हैं।
अपने दोस्तों या परिवार के साथ समय बिताएं।
स्वस्थ भोजन लें। यदि आपका भोजन सही नहीं होता है, तो आप दबे हुए मूड में रहते होंगे।
अपने दैनिक जीवन में योग, मेडिटेशन और व्यायाम शामिल करें।
समय पर सोएं और उठें। एक नियमित नींद अवश्यक है ताकि आपके दिमाग को आराम मिल सके।
अपनी अंग्रेजी और सामाजिक कनेक्शन को मजबूत करने के लिए अपन�� नेटवर्क बढ़ाएं।
नई गतिविधियों का अनुभव करें। एक नई कला सीखें या कोई नई शौक अपनाएं।
किसी भी नेगेटिविटी को नजरअंदाज़ करें। ध्यान दें कि जीवन में हर किसी को कुछ ना कुछ दुख मिलता है। आपके पास इससे बाहर निकलने के लिए शक्ति है।
समाप्ति
डिप्रेशन एक गंभीर मानसिक समस्या है जो बहुत से लोगों को प्रभावित करती है। आपको इस समस्या को नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए। उसके लक्षणों को समझें और इससे निजात पाने के लिए कुछ उपाय करें। धीरे-धीरे, आप अपने आपको बेहतर महसूस करने लगेंगे और अपने जीवन को एक नई उद्देश्य दें और उस पर काम करें। जिंदगी का एक महत्वपूर्ण अंग है कि हम एक लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम करते हैं। यदि आपके पास एक उद्देश्य नहीं है, तो एक नया उद्देश्य ढूंढें और उसके लिए प्रयास करें।
डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए उपरोक्त उपायों का पालन करें और सब्र करें। इससे अपनी मानसिक स्थिति को सुधारने में वक़्त लग सकता है, लेकिन अपने दृढ़ संकल्प और धैर्य के साथ आप इस समस्या से निपट सकते हैं।
यदि आप डिप्रेशन के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं और आपके उपचार से संबंधित कोई समस्या हो तो कृपया एक विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह लें।
हाई LDL Cholesterol के कारण बढ़ जाता है धमनियों में ब्लॉकेज का खतरा, जानें इससे बचाव के उपाय
Early Sign And Symptoms Of LDL Cholesterol: कोलेस्ट्रॉल वसा का एक प्रकार है। जिसे लाइपोप्रोटीन कहते हैं। लाइपोप्रोटीन दो तरह के होते हैं। पहला लो डेंसिटी लाइपोप्रोटीन या एलडीएल (LDL) और दूसरा हाई डेंसिटी लाइपोप्रोटीन या एचडीएल (HDL)। एक तरफ जहां एचडीएल (HDL) का बढ़ना अच्छा माना जाता है तो वहीं दूसरी तरफ एलडीएल (LDL) का बढ़ना हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक माना जाता है।
कई बीमारियों का जनक है कोलेस्ट्रॉल(LDL Cholesterol)
बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL Cholesterol) विलेन का काम करता है और धमनियों में गंदा चिपचिपा पदार्थ जमा करने लगता है। इससे जीवन ही खतरे में पड़ जाता है। गंदा कोलेस्ट्रॉल हृदय के धमनियों में जमा होने लगता है। जिसके कारण हार्ट में खून पहुंचने में दिक्कत होती है। ऐसे में शरीर के विभिन्न अंगों तक खून नहीं पहुंच पाता है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हार्ट फेल्योर, कार्डिएक अरेस्ट सहित कई तरह की बीमारियों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
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शरीर के बाहर नहीं दिखते लक्षण
LDL Cholesterol कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के प्रमुख लक्षण
आंखों के आसपास फैट जमा हो जाना
वेबएमडी के मुताबिक जब शरीर में (LDL Cholesterol) कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है तो आंखों के आसपास पीले धब्बे बनने लगते हैं। अगर कोलेस्ट्रॉल और ज्यादा हो जाए तो स्किन के नीचे भी पीले रंग का द्रव्य जमा होने लगता है। इसे जेंथोमस कहते हैं।
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गोरखपुर:20 सेकेंड तक सांस रोक हृदय में रेडिएशन के खतरे को कर रहे कम, मरीजों को दी जा रही ट्रेनिंग - Cancer Patients Reducing Risk Of Radiation In Heart By Holding Their Breath For 20 Seconds
कैंसर।
– फोटो : istock
विस्तार
कैंसर मरीज रेडियोथेरेपी के दौरान 20 सेकेंड तक सांस रोक कर हृदय में रेडिएशन के खतरे को कम कर रहे हैं। रेडियोथेरेपी के दौरान मरीजों को सांस र��कने की ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके जरिए कैंसर मरीजों को 50 फीसदी हार्ट अटैक का खतरा कम हो रहा है। जबकि, जो मरीज सांस नहीं रोक पाते हैं, उनमें 20 से 25 फीसदी कैंसर मरीजों को हार्ट अटैक हो रहा है। डॉक्टरों की भाषा में इस तकनीक को…
डॉ. एमडी फरहान शिकोह, एक अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट, सुकून हार्ट केयर, रांची, साइलेंट हृदय अटैक के बारे में जागरूकता की अपील करते हैं। सामान्य हृदय अटैक के ड्रामेटिक लक्षणों के विपरीत, चुपचाप हृदय अटैक बिना स्पष्ट संकेत के होते हैं, जिन्हें पहचानना कठिन होता है।
ये छुपा हुआ इंसीडेंट अक्सर अनदेखा रह जाता है, हृदय को देर से नुकसान पहुंचाते हुए। थकान, हल्की असहजता, या अप्रत्याशित चिंता जैसे सूक्ष्म लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण है। इन संकेतों को नजरअंदाज करना गंभीर परिणामों का कारण बन सकता है।
Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology) जल्दी इन्टरवेंशन का महत्व जताते हैं। नियमित जाँच और उपयुक्त नैदानिक परीक्षण के माध्यम से समय पर छुपे हुए हृदय अटैक को बचाया जा सकता है।
सम्पूर्ण हृदय सेवा और म��र्गदर्शन के लिए संपर्क करें: सुकून हार्ट केयर, सैनिक मार्केट, मुख्य सड़क, रांची, झारखंड - 834001। फ़ोन: 6200784486। अधिक जानकारी के लिए drfarhancardiologist.com पर जाएँ।