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#सहजन के पोषक तत्व
merikheti · 2 years
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सुरजना पौधे का महत्व व उत्पादन की संपूर्ण विधि|
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पश्चिमी देशों में ‘न्यूट्रिशन डायनामाइट‘ (Nutrition Dynamite) के नाम से लोकप्रिय सुरजना एक सदाबहार और पर्णपाती वृक्ष होता है।
भारत के अलग-अलग राज्यों में इसे मुनगा, सेजन और सहजन (Munga, Sahjan, Moringa oleifera, Drumstick) नामों से जाना जाता है। बारहमासी सब्जी देने वाला यह पेड़ विश्व स्तर पर भारत में ही सर्वाधिक इस्तेमाल में लाया जाता है।
सुरजना पौधे का महत्व
यह वृक्ष स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उपयोगी समझा जाता है और इसकी पत्तियां तथा जड़ों के अलावा तने का इस्तेमाल भी कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। सुरजना या ड्रमस्टिक (Drumstick) कच्चा, सूखा, हरा हर हाल में बेशकीमती है मुनगा ।
सभी प्रकार की मृदाओं में उगाया जा सकने वाला यह पौधा राजस्थान जैसे रेगिस्तानी और शुष्क इलाकों में भी आसानी से उगाया जा सकता है।सीधी धूप पड़ने वाले इलाकों में इस पौधे की खेती सर्वाधिक की जा सकती है।
इस पौधे का एक और महत्व यह होता है कि इससे प्राप्त होने वाले बीजों से कई प्रकार का तेल निकाला जा सकता है और इस तेल की मदद से कई आयुर्वेदिक दवाइयां तैयार की जाती है।
इसके बीज को गंदे पानी में मिलाने से यह पानी में उपलब्ध अपशिष्ट को सोख लेता है और अशुद्ध पानी को शुद्ध भी कर सकता है।
कम पानी वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकने वाला यह पौधा जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के अलावा एक प्राकृतिक खाद और पोषक आहार के रूप में भी इस्तेमाल में लाया जाता है।
आयुष मंत्रालय के अनुसार केवल एक सहजन के पौधे से 200 से अधिक रोगों का इलाज किया जा सकता है।
यदि बात करें इस पौधे की पत्तियों और तने में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की, तो यह विटामिन ए, बी और सी की पूर्ति के अलावा कैल्शियम, आयरन और पोटेशियम जैसे खनिजो की कमी को भी दूर करता है। इसके अलावा इसकी पत्तियों में प्रोटीन की भी प्रचुर मात्रा पाई जाती है।
वर्तमान में कई कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा इस पौधे की जड़ का इस्तेमाल रक्तशोधक बनाने के लिए किया जा रहा है। इस तैयार रक्तशोधक से आंखों की देखने की क्षमता को बढ़ाने के अलावा हृदय की बीमारियों से ग्रसित रोगियों के लिए आयुर्वेदिक दवाइयां तैयार की जा रही है।ये भी पढ़ें: घर में ऐसे लगाएं करी-पत्ता का पौधा, खाने को बनाएगा स्वादिष्ट एवं खुशबूदार
सुरजना पौधे के उत्पादन की संपूर्ण विधि :
जैसा कि हमने आपको पहले बताया सुरजना का बीज सभी प्रकार की मृदाओं में आसानी से पल्लवित हो सकता है।
इस पौधे के अच्छे अंकुरण के लिए ताजा बीजों का इस्तेमाल करना चाहिए और बीजों की बुवाई करने से पहले, उन्हें एक से दो दिन तक पानी में भिगोकर रख देना चाहिए।
सेजन पौधे की छोटी नर्सरी तैयार करने के लिए बालू और खेत की मृदा को जैविक खाद के साथ मिलाकर एक पॉलिथीन का बैग में भर लेना चाहिए। इस तैयार बैग में 2 से 3 इंच की गहराई पर बीजों का रोपण करके दस दिन का इंतजार करना चाहिए।
इन बड़ी थैलियों में समय-समय पर सिंचाई की व्यवस्था का उचित प्रबंधन करना होगा और दस दिन के पश्चात अंकुरण शुरू होने के बाद इन्हें कम से कम 30 दिन तक उन पॉलिथीन की थैलियों में ही पानी देना होगा।
इसके पश्चात अपने खेत में 2 फीट गहरा और 2 फीट चौड़ा एक गड्ढा खोदकर थैली में से छोटी पौधों को निकाल कर रोपण कर सकते है।
पांच से छह महीनों में इस पौधे से फलियां प्राप्त होनी शुरू हो जाती है और इन फलियों को तोड़कर अपने आसपास में स्थित किसी सब्जी मंडी में बेचा जा सकता है या फिर स्वयं के दैनिक इस्तेमाल में सब्जी के रूप में भी किया जा सकता है।
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सुरजना पौधे के उत्पादन के दौरान रखें इन बातों का ध्यान :
���ुरजाना पौधे के रोपण के बाद किसान भाइयों को ध्यान रखना होगा कि इस पौधे को पानी की इतनी आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए सिंचाई का सीमित इस्तेमाल करें और खेत में जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए पर्याप्त जल निकासी की व्यवस्था भी रखें।
रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल की सीमित मात्रा में करना चाहिए, बेहतर होगा कि किसान भाई जैविक खाद का प्रयोग ही ज्यादा करें, क्योंकि कई रासायनिक कीटनाशक इस पौधे की वृद्धि को तो धीमा करते ही हैं, साथ ही इससे प्राप्त होने वाली उपज को भी पूरी तरह से कम कर सकते है।
घर में तैयार नर्सरी को खेत में लगाने से पहले ढंग से निराई गुड़ाई कर खरपतवार को हटा देना चाहिए और जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों के द्वारा जारी की गई एडवाइजरी का पूरा पालन करना चाहिए।ये भी पढ़ें: जैविक खेती पर इस संस्थान में मिलता है मुफ्त प्रशिक्षण, घर बैठे शुरू हो जाती है कमाई
सेजन उत्पादन के दौरान पौधे में लगने वाले रोग और उनका उपचार :
वैसे तो नर्सरी में अच्छी तरीके से पोषक तत्व मिलने की वजह से पौधे की प्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी हो जाती है, लेकिन फिर भी कई घातक रोग इसके उत्पादकता को कम कर सकते है, जो कि निम्न प्रकार है :-
डंपिंग ऑफ रोग (Damping off Disease) :
पौधे की नर्सरी तैयार होने के दौरान ही इस रोग से ग्रसित होने की अधिक संभावना होती है। इस रोग में बीज से अंकुरित होने वाली पौध की मृत्यु दर 25 से 50 प्रतिशत तक हो सकती है। यह रोग नमी और ठंडी जलवायु में सबसे ज्यादा प्रभावी हो सकता है और पौधे में बीज के अंकुरण से पहले ही उसमें फफूंद लग जाती है।
इस रोग की एक और समस्या यह है कि एक बार बीज में यह रोग हो जाने के बाद इसका इलाज संभव नहीं होता है, हालांकि इसे फैलने से जरूर बचाया जा सकता है।
इस रोग से बचने के लिए पौधे की नर्सरी को हवादार बनाना होगा, जिसके लिए आप नर्सरी में इस्तेमाल होने वाली पॉलिथीन की थैली में चारों तरफ कुछ छेद कर सकते है, जिससे हवा आसानी से बह सके।
यदि बात करें रासायनिक उर्वरकों की तो केप्टोन (Captan) और बेनोमील प्लस (Benomyl Plus) तथा मेटैलेक्सिल (metalaxyl) जैसे फंगसनाशीयों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
पेड़ नासूर रोग (Tree Canker Disease) :
सेजन के पौधों में यह समस्या जड़ और तने के अलावा शाखाओं में देखने को मिलती है।
इस रोग में पेड़ के कुछ हिस्से में कीटाणुओं और इनफैक्ट की वजह से पौधे की पत्तियां, तने और अलग-अलग शाखाएं गलना शुरू हो जाती है, हालांकि एक बार इस रोग के फैलने के बाद किसी भी केमिकल उपचार की मदद से इसे रोकना असंभव होता है, इसीलिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा दी गई सलाह के अनुसार पेड़ के नासूर ग्रसित हिस्से को काटकर अलग करना होता है।
कुछ किसान पूरे पेड़ पर ही केमिकल का छिड़काव करते हैं, जिससे कि जिस हिस्से में यह रोग हुआ है इसका प्रभाव केवल वहीं तक सीमित रहे और पेड़ के दूसरे स्वस्थ भागों में यह ना फैले।
पेड़ के हिस्सों को काटने की प्रक्रिया सर्दियों के मौसम में करनी चाहिए, क्योंकि इस समय काटने के बाद बचा हुआ हिस्सा आसानी से रिकवर हो सकता है।ये भी पढ़ें: गर्मियों के मौसम में हरी सब्जियों के पौधों की देखभाल कैसे करें
गर्मी और बारिश के समय में इस प्रक्रिया को अपनाने से पेड़ के आगे के हिस्से की वृद्धि दर भी पूरी तरीके से रुक जाती है।
इसके अलावा कई दूसरे पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों जैसे कि फंगस, वायरस और बैक्टीरिया की वजह कई और रोग भी हो सकते हैं परंतु इनका इलाज इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (Integrated Pest Management) विधि की मदद से बहुत ही कम लागत पर आसानी से किया जा सकता है।
आशा करते हैं कि हमारे किसान भाइयों को हर तरह से पोषक तत्व प्रदान करने वाला ‘न्यूट्रिशन डायनामाइट’ यानी कि सुरजना की फसल के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी और भविष्य में आप भी कम लागत पर वैज्ञानिकों के द्वारा जारी एडवाइजरी का सही पालन कर अच्छा मुनाफा कर पाएंगे।
Source सुरजना पौधे का महत्व व उत्पादन की संपूर्ण विधि
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hindimerecipes · 2 years
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Munga Aloo ki Sabji
Munga Aloo ki Sabji
Munga Aloo ki Sabji in Hindi Munga aloo ki sabji खाने में बहुत ही स्वादिष्ट सब्जी लगती हैं। आज के ब्लॉग में हम जानेंगे ये कैसे बनता हैं। इसकी पूरी जानकारी इस पोस्ट में स्टेप बाय स्टेप फोटो साथ उपलब्ध हैं। मुनगा को कईऔर भी नमो से जाना जाता हैं -सहजन ,ड्रमस्टिक ,सुट्टी ,मुरुंगक्कई मुनगा फल्ली में बहुत सरे पोषक तत्व पाये जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत फ़ायदेमंदा हैं। अलावा इसमें खनिज और…
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thesuergicalnews · 3 years
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सहजन, पालक आदि के सेवन से बढ़ेगी रोग-प्रतिरोधक क्षमता
सहजन, पालक आदि के सेवन से बढ़ेगी रोग-प्रतिरोधक क्षमता
ग़ाज़ीपुर: राष्ट्रीय पोषण माह के अंतर्गत बच्चों, गर्भवती व धात्री को सुपोषित करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडे ने बताया कि हरी पत्तेदार सब्जियों में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इनके नियमित सेवन से कई बीमारियों से बचा सकता है। जो लोग इनको पसंद नहीं करते वह इनके फायदे जानेंगे तो आहार में शामिल जरूर करेंगे। हरा साग हर सीजन में खाना चाहिए, लेकिन…
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zamania-news · 3 years
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हरी साग-सब्जी खाएं, बीमारियों को दूर भगाएँ
हरी साग-सब्जी खाएं, बीमारियों को दूर भगाएँ
.👌सहजन, पालक आदि के सेवन से बढ़ेगी रोग-प्रतिरोधक क्षमता ग़ाज़ीपुर। राष्ट्रीय पोषण माह के अंतर्गत बच्चों, गर्भवती व धात्री को सुपोषित करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडे ने बताया कि हरी पत्तेदार सब्जियों में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इनके नियमित सेवन से कई बीमारियों से बचा सकता है। जो लोग इनको पसंद नहीं करते वह इनके फायदे जानेंगे तो आहार में…
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sabkuchgyan · 3 years
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हड्डियों को मजबूत करता है सहजन, जानिए कैसे
हड्डियों को मजबूत करता है सहजन, जानिए कैसे
सहजन सब्जी का नाम तो आपने सुना ही होगा। अगर नहीं, तो हम आपको इसी के बारे में आज बताने वाले हैं। इस सब्जी के सेवन कई खतरनाक बीमारियों को भी रोका जा सकता है। इन बीमारियों में आंखों की बीमारी, मोच आ जाना और गठिया आदि शामिल हैं। सहजन के कुछ बड़े फायदों में हड्डियों को मजबूत करना भी शामिल है। आईए आपको विस्तार से बताते हैं। सहजन में मोजूद हैं ये सभी पोषक तत्व विटामिन ए, बी1, बी2, बी3, बी5, बी6 और…
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chaitanyabharatnews · 4 years
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ठंड में बीमारियों से बचने के लिए आहार में शामिल करें ये चीजें, बढ़ाएगी रोगों से लड़ने की क्षमता
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चैतन्य भारत न्यूज ठंड के मौसम में सर्दी, जुकाम, बुखार, त्वचा आदि समस्याएं आम होती हैं। इसलिए मौसम के अनुसार खुद का ख्याल रखना बहुत जरुरी है। तो आइए जानते हैं सर्दियों में अपनी सेहत का ध्यान कैसे रखें। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); आहार में शामिल करें लहसुन सुबह खाली पेट या भोजन में लहसुन खाना चाहिए। इसके लिए लहसुन की तीन-चार कलियां कूटकर पेस्ट बनाएं। आप चाहे तो इसे चटनी या तड़के के रूप में भी रोजाना खा सकते हैं। मुनक्का शहद ठंड के दिनों में मुनक्का और शहद का सेवन करने की सलाह दी जाती है। पानी में भीगा हुआ एक मुनक्के को एक शाम छोटे चम्मच शहद के साथ सुबह और शाम सेवन करें। इसके अलावा सूखे मेवे भी रोजाना खा सकते हैं। आहार में इन्हें जरूर करें शामिल मैथी, पालक, बधुआ, साग, हरी मिर्च, हरे पत्तेदार सब्जियों का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए। इसके अलावा गाजर, सहजन, चुकंदर, मशरूम खाएं। साथ ही मशरूम का आम सब्जियों की तरह या उनके साथ सेवन कर सकते हैं। दरअसल मशरूम में ऐसे गुण मौजूद होते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं लेकिन इसे अच्छी तरह से धोकर और उबालकर ही खाएं। तिल और एसेंशियल ऑइल सर्दी-जुकाम होने पर गर्म में पानी मिलाकर लगा सकते हैं। सर्दी-जुकाम होने पर गर्म पानी में तेल की कुछ बूंदे डालकर भाप ले सकते हैं। तिल और तिल से बनी गजक, लड्डू आदि भी खाएं। तिल के तेल से रोजाना जोड़ों और शरीर की मालिश करें। फल-सब्जियों में विटामिन-सी विटामिन-सी शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है। ऐसे फल खाएं जिनमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन-सी हो जैसे कि मौसम्बी, संतरा, नींबू, आंवला, कीवी, शिमला मिर्च आदि। साथ ही सीताफल में अधिक मात्रा में विटामिन-ए, विटामिन- सी, आयरन, पोटैशियम, मैग्नेशियम और कॉपर जैसे पोषक तत्व होते हैं। रोजाना इसका सेवन करें। ये भी पढ़े... सर्दी में जरूर करें मूंगफली का सेवन, वजन घटाने समेत इन बीमारियों को करती है दूर शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है अदरक वाला दूध बारिश के मौसम में सर्दी-जुकाम दूर करने के लिए तुरंत अपनाएं यह घरेलु नुस्खा Read the full article
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chaltapurza-blog · 5 years
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सहजन है सेहत से भरपूर, जानिए सहजन के सूप के फायदे
सहजन एक ऐसा पेड़ है जिसका हर भाग मानव सेहत में लिए बहुत फायदेमंद है। सहजन के पौधे की जड़, फली, फूल और पत्तियां यानि पूरा पौधा उपयोगी है, इसका उपयोग हम सब्जी, सूप आदि के रूप में कर सकते हैं।
सहजन का वैज्ञानिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। इसे स्थानीय भाषा में मोरिंगा, सुरजना, मुनगा, सहजन (ड्रमस्ट‍िक) नाम से जाना जाता है। इसमें अनेक पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जिनमें प्रोटीन, अमीनो एसिड, बीटा कैरोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और अनके प्रकार के खनिज तत्वों आदि हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं।
इसकी सब्जी बहुत स्वादिष्ट और सेहत से भरी होती है। इसे दक्षिण भारत में यह पूरे साल इस्तेमाल किया जाता है और विशेषकर सांभर बनाने में होता है। इसके फूलों की भी सब्जी बनाई जाती है। सहजन की फली से वात व उदरशूल रोग में फायदा मिलता है तो इसके फूलों से उदर व कफ रोगों बेहद फायदेमंद है। वहीं पत्तियों से नेत्ररोग, मोच, सायटिका, गठिया आदि की तकलीफों में राहत मिलती है। सब्जी के अलावा हम इसका सूप बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं जोकि सेहत के लिए काफी फायदेमंद रहता है। Read More- health benefits of drumstick soup
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ivxtimes · 4 years
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चेहरे की झुर्रियों को चुटकियों में गायब कर देगा सहजन से बना फेस मास्क, यूं बनाएं Image Source : INSTAGRAM/KLASSYMISSYBD
सहजन के पत्तियों में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसे पौष्टिक सुपर फूड कहा जाता है और सहजन के पेड़ को चमत्कारी पेड़ कहा जाता है। सहजन को सेंजन, मुनगा, मोरिंगा जैसे नामों से भी जाना जाता है। सहजन के पेड़, पत्ते, फूल, फल और बीज अद्भुत औषधीय गुणों से भरपूर हैं। सहजन के पत्तों में संतरे/ नींबू की तुलना में सात गुना अधिक विटामिन सी होता है। इसके अलावा बहुत सारे एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन होते हैं जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। सहजन के फेस पैक का इस्तेमाल फायदो के बारे में। 
एंटी एजिंग
सहजन का तेल और पत्तियों का पाउडर स्किन पर मौजूद महीन रेखाओं और झुर्रियों को दूर करता है। सहजन हमारी स्किन की चमक को भी बढ़ाता है और झुर्रियों और विभिन्न धब्बों को दूर करके स्किन को जवां बनाए रखने में मदद करता है। 
होठों को बनाएं मुलायम अगर आप हमेशा ट्राई और बेजान होठों से परेशान रहते हैं तो सहजन का तेल काफी कारगर हो सकता है।  
बढ़ती उम्र में भी दिखना चाहते हैं जवां तो एंटी एजिंग के लिए अपनाएं ये जापानी सीक्रेट
पाएं ग्लोंग स्किन स्किन की झुर्रियों, झाइयों और अन्य समस्याओं को दूर करता है। जिससे आपको  बेदाग खूबसूरत स्किन पा सकते हैं। 
विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में करें मदद  विषाक्त पदार्थों के कारण त्वचा पर मुंहासे और धब्बे हो सकते हैं। सहजन पाउडर खून को शुद्ध करता है ताकि आपक स्किन साफ और स्वस्थ रहे।
रोम छिद्रों को करें कम  सहजन में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो स्किन में  कोलोजन की मात्रा को बढ़ा देता है। जिससे स्किन के खुले छिद्रों को कम करने में मदद में मदद मिलती है।
पपीता स्किन के लिए है वरदान, यूं इस्तेमाल कर पाएं चेहरे और बालों की हर समस्या से छुटकारा
सहजन फेस पैक बनाने का तरीका सहजन के फेसपैक बनाने के लिए सहजन की पत्तियों को सुखा लें। इसके बाद इसे पीस लें। अब एक बाउल 2-3 चम्मच सहजन की पत्तियों का पाउडर, 1 चम्मच नींबू का रस, 1 चम्मच शहद डालकर अच्छी तरह से मिक्स कर लें। अगर पेस्ट गाढ़ा है तो इसमें गुलाब जल  या कच्चा दूध डाल सकते हं। अब इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। करीब 20-30 मिनट तक सुखने के बाद साफ पानी से धो लें। इसके बाद मॉश्चराइजर लगा लें। 
झुर्रियों से चंद दिनों में ही छुटकारा दिला देगा घर पर बना ये टोनर, बस रोजाना ऐसे करें इस्तेमाल
सहजन का तेल बनाने का तरीका सहजन के बीज कढ़ाई या पैन में डालकर हल्का भून लें। इसके बाद इसे थोड़ा सा कूट लें। इसके बाद थोड़ा सा पानी गर्म करें और उसमें सहजन के बीजों को डालकर धीमी आंच में पकाएं। इस पानी को तब तक उबलने दें जब तक कि तेल ऊपर न दिखाई देने लगे। इसके बाद गैस बंद करके इसे ठंडा होने दें। आप देखेंगे कि पानी और तेल अलग जाएगा। इसके बाद तेल को कंटेनर में भर लें। 
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gethealthy18-blog · 5 years
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सहजन और इसके पत्ते के 12 फायदे और नुकसान – Drumstick (Moringa) and its Leaves’ Benefits in Hindi
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सहजन और इसके पत्ते के 12 फायदे और नुकसान – Drumstick (Moringa) and its Leaves’ Benefits in Hindi
सहजन और इसके पत्ते के 12 फायदे और नुकसान – Drumstick (Moringa) and its Leaves’ Benefits in Hindi Arpita Biswas Hyderabd040-395603080 October 25, 2019
फल और साग-सब्जियों के मामले में भारत एक धनी देश माना जाता है। यहां नॉनवेज की तुलना में शाकाहारी भोजन के असंख्य प्रकार आपको दिख जाएंगे, लेकिन जानकारी के अभाव में लोग सभी स्वादिष्ट सब्जियों का आनंद नहीं उठा पाते। अगर आप भी खाने-पीने के शौकीन हैं और अपने आहार में गुणकारी खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहते हैं, तो स्टाइलक्रेज का यह लेख आपके लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है। यहां हम गुणकारी सहजन के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिसके विभिन्न स्वास्थ्य फायदों के बारे में शायद आपको पता न हो। हमारे साथ जानिए स्वास्थ्य के लिए सहजन के लाभ। इसके अलावा, हम इस लेख में शरीर के लिए सहजन का उपयोग कैसे करना है, वो भी जानकारी देंगे।
सबसे पहले जानते हैं कि सहजन क्या है और उसके बारे में कुछ अन्य बातें भी जान लेते हैं।
विषय सूची
सहजन क्या है?
सहजन एक प्रकार की हरी सब्जी है, जिसे अंग्रेजी में ड्रमस्टिक (Drumstick) या मोरिंगा (Moringa) कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा (Moringa Oleifera) है। आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि भारत मोरिंगा का सबसे बड़ा उत्पादक है, यहां इसका वार्षिक उत्पादन 1.1 से 1.3 मिलियन टन है (1)। सहजन का पेड़ बहुत ही तेजी से बढ़ता है और इसकी फलियों के साथ इसके पत्ते और फूल का भी इस्तेमाल खाने के लिए किया जाता है। सहजन के ये तीनों भाग बहुत गुणकारी होते हैं। लेख के आगे के भाग में हम न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए, बल्कि त्वचा के लिए भी सहजन के फायदे की जानकारी देंगे।
सहजन के फायदे – Benefits of Drumstick (moringa) in Hindi
1. मोटापे के लिए सहजन के फायदे
अगर आप मोटापे या बढ़ते वजन की समस्या से परेशान हैं, तो अब आपको काफी हद तक राहत मिल सकती है। अपनी हरी सब्जियों की लिस्ट में सहजन को शामिल कर आप बढ़ते वजन की परेशानी को कुछ हद तक नियंत्रित कर सकते हैं। दरअसल, इसमें क्लोरोजेनिक एसिड (Chlorogenic Acid) मौजूद होता है, जिसमें एंटी-ओबेसिटी गुण मौजूद होते हैं, जिससे मोटापे या वजन की परेशानी से लड़ने में मदद मिल सकती है (2)। आप इसे एक स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ के रूप में अपने आहार में शामिल कर सकते हैं (3)।
2. कैंसर के लिए सहजन के लाभ
सहजन में मौजूद औषधीय गुण कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। दरअसल, सहजन और सहजन की पत्तियों में एंटी-कैंसर और एंटी-ट्यूमर गुण मौजूद होते हैं (4) (5)। इसके अलावा, सहजन की पत्तियां पॉलीफेनोल्स (Polyphenols) और पॉलीफ्लोनोइड्स (Polyflavonoids) से समृद्ध होती हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर यौगिक होते हैं, जो इस घातक बीमारी के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं (6)।
3. मधुमेह के लिए सहजन के लाभ
सहजन में एंटी-डायबिटिक गुण मौजूद होते हैं, जो आपके लिए गुणकारी साबित हो सकते हैं और आपके मधुमेह के स्तर को कम कर सकते हैं (4) (5)। अगर आपको सहजन खाना पसंद न हो, तो आप डॉक्टर की सलाह से सहजन की पत्तियों की टैबलेट भी ले सकते हैं, क्योंकि इसमें भी एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं (2) (7)।
4. हड्डियों के लिए सहजन के फायदे
बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों की देखभाल और उन्हें स्वस्थ रखना भी जरूरी है। आप अपनी हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए सहजन का सेवन कर सकते हैं। मोरिंगा को कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस का अच्छा स्रोत माना गया है, जो हड्डियों के लिए जरूरी पोषक तत्व हैं (8) (9)। इन गुणों की मौजूदगी की वजह से सहजन हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। फिलहाल, अभी इस पर और शोध की जरूरत है। इसके अलावा, इसमें एंटी-ऑस्टियोपोरोटिक (Anti-Osteoporotic) गुण भी होते हैं, जो ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डी की बीमारी के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं (10)।
5. हृदय को स्वस्थ रखने के लिए
हृदय शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। ऐसे में हृदय को स्वस्थ रखना और उसका ध्यान रखना जरूरी है। अगर आप अपने हृदय को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो अपने आहार में सहजन की पत्तियों को शामिल करें। सहजन की पत्तियों में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो शरीर में इंफ्लेमेशन के कारण होने वाली समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करते हैं और हृदय संबंधी परेशानी उन्हीं में से एक है। सहजन की पत्तियों में मौजूद बीटा कैरोटीन (β carotene) एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य कर हृदय को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है (2)।
6. एनीमिया के लिए
सहजन के गुण की बात करें, तो आप सहजन या इसकी पत्तियों का सेवन एनीमिया यानी लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से बचाव के लिए भी कर सकते हैं। सहजन की पत्तियों के एथनोलिक एक्सट्रैक्ट (Ethanolic Extract) में एंटी-एनीमिया गुण मौजूद होते हैं और इसके सेवन से हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार हो सकता है, जिससे लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में मदद मिल सकती है (11) (12)।
7. मस्तिष्क के लिए सहजन के फायदे
सहजन मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में भी मदद कर सकता है। बढ़ती उम्र का असर मस्तिष्क पर भी हो सकता है और मस्तिष्क संबंधी बीमारी जैसे – अल्जाइमर (Alzheimer’s Disease- भूलने की बीमारी), पार्किंसंस (Parkinson’s Disease- सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़ा विकार ) और ऐसी ही कई अन्य समस्याएं हो सकती है। ऐसे में सहजन का सेवन काफी लाभदायक हो सकता है। यह नोओट्रॉपिक (Nootropics- मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए एक तरह की दवा) की तरह काम कर सकता है, यानी मस्तिष्क संबंधी परेशानियों को दूर करने में मदद कर सकता है। यह अल्जाइमर रोगियों में यानी जिन्हें भूलने की बीमारी हो जाती है, उनमें याददाश्त तेज या सुधार करने में भी सहायक हो सकता है (2)।
8. लिवर के लिए सहजन
गलत खान-पान और जीवनशैली का लिवर पर काफी गलत प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में जरूरी है वक्त रहते अपने खान-पान को सुधार लें और न सिर्फ सही वक्त पर खाना, बल्कि सही आहार को अपने डाइट में शामिल करें। आप अन्य आहारों के साथ अपने डाइट में सहजन या इसकी पत्तियों को शामिल कर सकते हैं। इसमें क्वारसेटिन (Quercetin) नामक फ्लैवनॉल होते हैं, जो हेपाटोप्रोटेक्टिव (Hepato-Protective) की तरह कार्य करते हैं, यानी लिवर को किसी भी प्रकार की क्षति से बचाकर सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, सहजन या सहजन की पत्तियों को अपनी डाइट में शामिल करें और अपने लिवर को घातक बीमारियों के जोखिम से बचाएं (2)।
9. इम्युनिटी के लिए सहजन का उपयोग
अगर क���सी व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, तो उस व्यक्ति के बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में जरूरी है कि अपनी डाइट में उन खाद्य पदार्थों को शामिल किया जाए, जो रोग-प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करने में मदद करें। इन्हीं खाद्य पदार्थों में से एक है सहजन। सहजन या इसकी पत्तियों के सेवन से इम्युनिटी में सुधार हो सकता है। इसका संतुलित मात्रा में सेवन रोग-प्रतिरोधक क्षमता में सुधार कर सकता है। ध्यान रहे कि इसे अगर जरूरत से ज्यादा खाया गया, तो इसमें इसोथियोसीयानेट (Isothiocyanate) और ग्लाइकोसाइड सायनाइड (Glycoside Cyanides) नामक विषैले तत्व होते हैं, जो तनाव को बढ़ा सकते हैं और इसके एंटीऑक्सीडेंट असर को कम कर सकते हैं। इसलिए, इसका सेवन संतुलित मात्रा में करें (13)।
10. पेट के लिए सहजन के फायदे
सहजन या सहजन की पत्तियों का सेवन कई पेट संबंधी समस्याओं जैसे – पेट दर्द और अल्सर से बचाव कर सकते हैं (12)। इसमें एंटी-अल्सर गुण मौजूद होते हैं, जिस कारण इसके सेवन से अल्सर के जोखिम से बचाव हो सकता है। वहीं, ऊपर हमने पहले ही आपको जानकारी दी है कि यह लिवर की समस्याओं से भी राहत दिला सकता है (4) (5)। इतना ही नहीं इसकी छाल भी पेट के लिए उपयोगी है, यह पाचन क्रिया में सुधार करने में मदद कर सकती है।
11. त्वचा के लिए सहजन के गुण
सिर्फ स्वास्थ्य को ही नहीं, बल्कि त्वचा को भी स्वस्थ रखना आवश्यक है। आपकी त्वचा भी आपके अच्छे और बुरे स्वास्थ्य के बारे में संकेत देती है। अगर त्वचा में चमक न हो तो इसका मतलब यह है कि आपकी त्वचा स्वस्थ नहीं है। ऐसे में सहजन या सहजन की पत्तियों के सेवन से आप अपनी त्वचा को स्वस्थ बना सकते हैं। सहजन में मौजूद एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल व एंटीफंगल गुण त्वचा के रैशेज, त्वचा संबंधी संक्रमण या अन्य त्वचा संबंधी बीमारियों के जोखिम से बचाव कर सकते हैं (4) (5) (12)।
12. एंटी-एजिंग के लिए सहजन के लाभ
बढ़ती उम्र का असर चेहरे पर भी दिखने लगता है, नतीजतन चेहरे की चमक कम होने लगती है और झुर्रियां बढ़ने लगती हैं। ऐसे में आप में से कई लोग एंटी-एजिंग क्रीम का भी सहारा लेते होंगे, जिसका असर कुछ वक्त तक ही रहता है। इस कारण इसका उपयोग बार-बार करने की जरूरत होती है। इस स्थिति में बेहतर है कि आप अपनी डाइट का सही तरीके से चुनाव करें, क्योंकि कहीं न कहीं आपकी डाइट का असर आपकी त्वचा और चेहरे पर पड़ता है। आप अपने डाइट में सहजन को या इसकी पत्तियों को शामिल कर सकते हैं। इसका सेवन आपके चेहरे पर बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता (12) है। इतना ही नहीं इसके बीज भी कम उम्र में त्वचा पर एजिंग के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं (4)।
लेख के इस भाग में हम आपको इसमें मौजूद पौष्टिक तत्वों की जानकारी देंगे, जो इसे इतना गुणकारी बनाते हैं।
सहजन के पौष्टिक तत्व – Drumstick Nutritional Value in Hindi
नीचे जानिए उन पौष्टिक तत्वों के बारे में जो सहजन को इतना लाभदायक बनाता है (14)।
पौष्टिक तत्व   मात्रा पानी 88.2 ग्राम एनर्जी 37 केसीएल एनर्जी 155 केजे प्रोटीन 2.1 ग्राम टोटल लिपिड (फैट) 0.2 ग्राम ऐश 0.97 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, बाय डिफरेंस 8.53 ग्राम फाइबर, ��ोटल डाइटरी 3.2 ग्राम कैल्शियम 30 मिलीग्राम आयरन 0.36 मिलीग्राम मैग्नीशियम 45 मिलीग्राम फास्फोरस 50 मिलीग्राम पोटैशियम 461 मिलीग्राम सोडियम 42 मिलीग्राम जिंक 0.45 मिलीग्राम कॉपर 0.084 मिलीग्राम मैंगनीज 0.259 मिलीग्राम सेलेनियम 0.7 माइक्रोग्राम विटामिन सी, टोटल एस्कॉर्बिक एसिड 141 मिलीग्राम थायमिन 0.053 मिलीग्राम राइबोफ्लेविन 0.074 मिलीग्राम नियासिन 0.62 मिलीग्राम पैंटोथैनिक एसिड 0.794 मिलीग्राम विटामिन बी-6 0.12 मिलीग्राम फोलेट, टोटल 44 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड 0 माइक्रोग्राम फोलेट, फूड 44 माइक्रोग्राम फोलेट, डीएफई 44 माइक्रोग्राम विटामिन बी-12 0 माइक्रोग्राम विटामिन ए, आरएई 4 माइक्रोग्राम रेटिनॉल 0 माइक्रोग्राम विटामिन ए , आईयू 74 आईयू(IU) विटामिन डी (डी2 +डी3) 0 माइक्रोग्राम विटामिन डी 0 आईयू(IU) फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड 0.033 ग्राम फैटी एसिड, टोटल मोनोअनसैचुरेटेड 0.102 ग्राम फैटी एसिड, टोटल पॉलीअनसैचुरेटेड 0.003 ग्राम फैटी एसिड, टोटल ट्रांस 0 ग्राम कोलेस्ट्रॉल 0 मिलीग्राम अल्कोहल, एथिल 0 ग्राम
सहजन के फायदे आपको तभी मिलेंगे, जब आप इसका सही तरीके से उपयोग करेंगे। इसलिए, लेख के इस भाग में हम आपको सहजन का उपयोग बता रहे हैं, ताकि आप सहजन के गुण का लुत्फ उठा सकें।
सहजन का उपयोग – How to Use Drumstick (Sahjan) in Hindi
नीचे कुछ आसान तरीकों से सहजन का उपयोग जानें और स्वास्थ्य के लिए सहजन के लाभ का आनंद लें।
आप सहजन का उपयोग सब्जी बनाकर कर सकते हैं।
आप सहजन की पत्तियों की सब्जी बना सकते हैं या आप इसे सांभर में भी उपयोग कर सकते हैं।
आप सहजन को काटकर उसका उपयोग सूप में भी कर सकते हैं।
आप सहजन के पाउडर का उपयोग सलाद, सूप और सब्जी में भी कर सकते हैं।
हर चीज के फायदे और नुकसान दोनों होते हैं। अगर किसी चीज को जरूरत से ज्यादा या गलत तरीके से सेवन किया जाए, तो उसके नुकसान भी हो सकते हैं। वैसे ही सहजन के नुकसान भी हो सकते हैं, अगर उसका सही तरीके से सेवन न किया जाए।
सहजन के नुकसान – Side Effects of Drumstick (Sahjan) in Hindi
नीचे जानिए सहजन के नुकसान।
गर्भावस्था के दौरान सहजन का सेवन करने से बचना चाहिए या इसके सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह ले लें। इसके या इसकी छाल के सेवन से गर्भपात होने का खतरा हो सकता है (15)। हालांकि, आप संतुलित मात्रा में इसकी पत्तियों का सेवन कर सकते हैं (16), लेकिन बेहतर होगा कि सेवन करने से पहले विशेषज्ञ की राय लें।
सहजन के पत्ते हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं (17), लेकिन ध्यान रहे कि जिनको लो ब्लड प्रेशर की परेशानी है, वो इसका सेवन न करें। यह लो ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है।
जैसा कि हमने ऊपर आपको बताया कि इसके सेवन से मधुमेह में राहत मिल सकती है, लेकिन इसके अधिक सेवन से ब्लड ग्लूकोज के स्तर में जरूरत से ज्यादा कमी भी हो सकती है, जो खतरनाक हो सकता है।
नोट: बताए गए नुकसान धारणाओं और अनुमान के आधार पर हैं, इन पर अभी और शोध की जरूरत है। हमने इनके बारे में आपको इसलिए बताया ताकि आप इसका सेवन संतुलित मात्रा में करें और सहजन के लाभ का आनंद लें।
सहजन के नुकसान से डरने की जरूरत नहीं है, क्यों���ि इसकी सही मात्रा में उपयोग स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है। अगर अभी तक आपने सहजन को अपने आहार में शामिल नहीं किया है, तो आशा करते हैं कि ऊपर सहजन के फायदे जानने के बाद आप इसे अपनी डाइट में जरूर शामिल करेंगे। मोरिंगा आवश्यक पोषक तत्वों से परिपूर्ण है। यह आसानी से उपलब्ध है और आप आसानी से सहजन का उपयोग कर सकते हैं। इसका सेवन करें और सहजन के गुण के अनुभव को हमारे साथ शेयर करना न भूलें। साथ ही अगर आपको भी सहजन के लाभ और इसके उपयोग के बारे में कुछ जानकारी है, जो इस लेख में नहीं है, तो उसके बारे में भी हमें नीचे दिए कॉमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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Arpita Biswas
अर्पिता ने पटना विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में स्नातक किया है। इन्होंने 2014 से अपने लेखन करियर की शुरुआत की थी। इनके अभी तक 1000 से भी ज्यादा आर्टिकल पब्लिश हो चुके हैं। अर्पिता को विभिन्न विषयों पर लिखना पसंद है, लेकिन उनकी विशेष रूचि हेल्थ और घरेलू उपचारों पर लिखना है। उन्हें अपने काम के साथ एक्सपेरिमेंट करना और मल्टी-टास्किंग काम करना पसंद है। इन्हें लेखन के अलावा डांसिंग का भी शौक है। इन्हें खाली समय में मूवी व कार्टून देखना और गाने सुनना पसंद है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/sahjan-aur-iske-patte-ke-fayde-aur-nuksan-in-hindi/
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merikheti · 2 years
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सुरजना पौधे का महत्व व उत्पादन की संपूर्ण विधि
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पश्चिमी देशों में ‘न्यूट्रिशन डायनामाइट‘ (Nutrition Dynamite) के नाम से लोकप्रिय सुरजना एक सदाबहार और पर्णपाती वृक्ष होता है।
भारत के अलग-अलग राज्यों में इसे मुनगा, सेजन और सहजन (Munga, Sahjan, Moringa oleifera, Drumstick) नामों से जाना जाता है। बारहमासी सब्जी देने वाला यह पेड़ विश्व स्तर पर भारत में ही सर्वाधिक इस्तेमाल में लाया जाता है।
सुरजना पौधे का महत्व
यह वृक्ष स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उपयोगी समझा जाता है और इसकी पत्तियां तथा जड़ों के अलावा तने का इस्तेमाल भी कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। सुरजना या ड्रमस्टिक (Drumstick) कच्चा, सूखा, हरा हर हाल में बेशकीमती है मुनगा ।
सभी प्रकार की मृदाओं में उगाया जा सकने वाला यह पौधा राजस्थान जैसे रेगिस्तानी और शुष्क इलाकों में भी आसानी से उगाया जा सकता है।सीधी धूप पड़ने वाले इलाकों में इस पौधे की खेती सर्वाधिक की जा सकती है।
इस पौधे का एक और महत्व यह होता है कि इससे प्राप्त होने वाले बीजों से कई प्रकार का तेल निकाला जा सकता है और इस तेल की मदद से कई आयुर्वेदिक दवाइयां तैयार की जाती है।
इसके बीज को गंदे पानी में मिलाने से यह पानी में उपलब्ध अपशिष्ट को सोख लेता है और अशुद्ध पानी को शुद्ध भी कर सकता है।
कम पानी वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकने वाला यह पौधा जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के अलावा एक प्राकृतिक खाद और पोषक आहार के रूप में भी इस्तेमाल में लाया जाता है।
आयुष मंत्रालय के अनुसार केवल एक सहजन के पौधे से 200 से अधिक रोगों का इलाज किया जा सकता है।
यदि बात करें इस पौधे की पत्तियों और तने में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की, तो यह विटामिन ए, बी और सी की पूर्ति के अलावा कैल्शियम, आयरन और पोटेशियम जैसे खनिजो की कमी को भी दूर करता है। इसके अलावा इसकी पत्तियों में प्रोटीन की भी प्रचुर मात्रा पाई जाती है।
वर्तमान में कई कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा इस पौधे की जड़ का इस्तेमाल रक्तशोधक बनाने के लिए किया जा रहा है। इस तैयार रक्तशोधक से आंखों की देखने की क्षमता को बढ़ाने के अलावा हृदय की बीमारियों से ग्रसित रोगियों के लिए आयुर्वेदिक दवाइयां तैयार की जा रही है।ये भी पढ़ें: घर में ऐसे लगाएं करी-पत्ता का पौधा, खाने को बनाएगा स्वादिष्ट एवं खुशबूदार
सुरजना पौधे के उत्पादन की संपूर्ण विधि :
जैसा कि हमने आपको पहले बताया सुरजना का बीज सभी प्रकार की मृदाओं में आसानी से पल्लवित हो सकता है।
इस पौधे के अच्छे अंकुरण के लिए ताजा बीजों का इस्तेमाल करना चाहिए और बीजों की बुवाई करने से पहले, उन्हें एक से दो दिन तक पानी में भिगोकर रख देना चाहिए।
सेजन पौधे की छोटी नर्सरी तैयार करने के लिए बालू और खेत की मृदा को जैविक खाद के साथ मिलाकर एक पॉलिथीन का बैग में भर लेना चाहिए। इस तैयार बैग में 2 से 3 इंच की गहराई पर बीजों का रोपण करके दस दिन का इंतजार करना चाहिए।
इन बड़ी थैलियों में समय-समय पर सिंचाई की व्यवस्था का उचित प्रबंधन करना होगा और दस दिन के पश्चात अंकुरण शुरू होने के बाद इन्हें कम से कम 30 दिन तक उन पॉलिथीन की थैलियों में ही पानी देना होगा।
इसके पश्चात अपने खेत में 2 फीट गहरा और 2 फीट चौड़ा एक गड्ढा खोदकर थैली में से छोटी पौधों को निकाल कर रोपण कर सकते है।
पांच से छह महीनों में इस पौधे से फलियां प्राप्त होनी शुरू हो जाती है और इन फलियों को तोड़कर अपने आसपास में स्थित किसी सब्जी मंडी में बेचा जा सकता है या फिर स्वयं के दैनिक इस्तेमाल में सब्जी के रूप में भी किया जा सकता है।
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सुरजना पौधे के उत्पादन के दौरान रखें इन बातों का ध्यान :
सुरजाना पौधे के रोपण के बाद किसान भाइयों को ध्यान रखना होगा कि इस पौधे को पानी की इतनी आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए सिंचाई का सीमित इस्तेमाल करें और खेत में जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए पर्याप्त जल निकासी की व्यवस्था भी रखें।
रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल की सीमित मात्रा में करना चाहिए, बेहतर होगा कि किसान भाई जैविक खाद का प्रयोग ही ज्यादा करें, क्योंकि कई रासायनिक कीटनाशक इस पौधे की वृद्धि को तो धीमा करते ही हैं, साथ ही इससे प्राप्त होने वाली उपज को भी पूरी तरह से कम कर सकते है।
घर में तैयार नर्सरी को खेत में लगाने से पहले ढंग से निराई गुड़ाई कर खरपतवार को हटा देना चाहिए और जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों के द्वारा जारी की गई एडवाइजरी का पूरा पालन करना चाहिए।ये भी पढ़ें: जैविक खेती पर इस संस्थान में मिलता है मुफ्त प्रशिक्षण, घर बैठे शुरू हो जाती है कमाई
सेजन उत्पादन के दौरान पौधे में लगने वाले रोग और उनका उपचार :
वैसे तो नर्सरी में अच्छी तरीके से पोषक तत्व मिलने की वजह से पौधे की प्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी हो जाती है, लेकिन फिर भी कई घातक रोग इसके उत्पादकता को कम कर सकते है, जो कि निम्न प्रकार है :-
डंपिंग ऑफ रोग (Damping off Disease) :
पौधे की नर्सरी तैयार होने के दौरान ही इस रोग से ग्रसित होने की अधिक संभावना होती है। इस रोग में बीज से अंकुरित होने वाली पौध की मृत्यु दर 25 से 50 प्रतिशत तक हो सकती है। यह रोग नमी और ठंडी जलवायु में सबसे ज्यादा प्रभावी हो सकता है और पौधे में बीज के अंकुरण से पहले ही उसमें फफूंद लग जाती है।
इस रोग की एक और समस्या यह है कि एक बार बीज में यह रोग हो जाने के बाद इसका इलाज संभव नहीं होता है, हालांकि इसे फैलने से जरूर बचाया जा सकता है।
इस रोग से बचने के लिए पौधे की नर्सरी को हवादार बनाना होगा, जिसके लिए आप नर्सरी में इस्तेमाल होने वाली पॉलिथीन की थैली में चारों तरफ कुछ छेद कर सकते है, जिससे हवा आसानी से बह सके।
यदि बात करें रासायनिक उर्वरकों की तो केप्टोन (Captan) और बेनोमील प्लस (Benomyl Plus) तथा मेटैलेक्सिल (metalaxyl) जैसे फंगसनाशीयों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
पेड़ नासूर रोग (Tree Canker Disease) :
सेजन के पौधों में यह समस्या जड़ और तने के अलावा शाखाओं में देखने को मिलती है।
इस रोग में पेड़ के कुछ हिस्से में कीटाणुओं और इनफैक्ट की वजह से पौधे की पत्तियां, तने और अलग-अलग शाखाएं गलना शुरू हो जाती है, हालांकि एक बार इस रोग के फैलने के बाद किसी भी केमिकल उपचार की मदद से इसे रोकना असंभव होता है, इसीलिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा दी गई सलाह के अनुसार पेड़ के नासूर ग्रसित हिस्से को काटकर अलग करना होता है।
कुछ किसान पूरे पेड़ पर ही केमिकल का छिड़काव करते हैं, जिससे कि जिस हिस्से में यह रोग हुआ है इसका प्रभाव केवल वहीं तक सीमित रहे और पेड़ के दूसरे स्वस्थ भागों में यह ना फैले।
पेड़ के हिस्सों को काटने की प्रक्रिया सर्दियों के मौसम में करनी चाहिए, क्योंकि इस समय काटने के बाद बचा हुआ हिस्सा आसानी से रिकवर हो सकता है।ये भी पढ़ें: गर्मियों के मौसम में हरी सब्जियों के पौधों की देखभाल कैसे करें
गर्मी और बारिश के समय में इस प्रक्रिया को अपनाने से पेड़ के आगे के हिस्से की वृद्धि दर भी पूरी तरीके से रुक जाती है।
इसके अलावा कई दूसरे पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों जैसे कि फंगस, वायरस और बैक्टीरिया की वजह कई और रोग भी हो सकते हैं परंतु इनका इलाज इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (Integrated Pest Management) विधि की मदद से बहुत ही कम लागत पर आसानी से किया जा सकता है।
आशा करते हैं कि हमारे किसान भाइयों को हर तरह से पोषक तत्व प्रदान करने वाला ‘न्यूट्रिशन डायनामाइट’ यानी कि सुरजना की फसल के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी और भविष्य में आप भी कम लागत पर वैज्ञानिकों के द्वारा जारी एडवाइजरी का सही पालन कर अच्छा मुनाफा कर पाएंगे।
source सुरजना पौधे का महत्व व उत्पादन की संपूर्ण विधि
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hindiayurved-blog · 7 years
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टीबी का घरेलू इलाज - TB Treatment in Hindi
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टीबी का घरेलू इलाज - TB Treatment in Hindi
TB Treatment in Hindi – आज इस लेख में क्षय रोग / टीबी के कारण, लक्षण और उपचार के बारें में जानेंगे। आयुर्वेद के अनुशार क्षय रोग / टीबी रोग को राजयक्ष्मा कहा गया है। जिसका अर्थ है रोगों का राजा। यह शरीर के फेफड़े में होने वाला रोग है। जब फेफड़ों (Lungs) में “Mycobacterium Tuberculosis” नाम का जीवाणु असर के कारण यह रोग होता है। किसी भी उम्र के व्यक्ति क्षय रोग यानी टीबी की बीमारी हो सकती है। 1 अनुमान के अनुशार पूरी दुनिया में लगभग 3 में से 1 व्यक्ति टीबी की बीमारी से पीड़ित है।
यक्ष्मा या क्षय रोग का क्या है – गल जाना यक्ष्मा शब्द का मतलब होता है। यानी उस हिस्से का खोखला हो जाना या ख़राब हो जाना।
TB Treatment in Hindi – यह बीमारी जल्दी पकड़ में नहीं आती है। लेकिन समय रहते अगर TB रोग का इलाज न हुआ। तो रोगी की मौत भी हो सकती है। हर वर्ष भारत में लाखों लोग इस रोग के चपेट आ रहे है। एक आंकड़े के अनुशार पुरे विश्व में टीबी के के कारन हर वर्ष लगभग 30 लाख लोगो की मौत हो रही है।
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क्षय रोग के कारण – TB Causes in Hindi
TB Causes in Hindi – यह एक संक्रमण रोग है। कई बार ऐसा होता है की हमारे आस-पास T.B. के जीवाणु होते है। अब जिनका रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। उन्हें यह संक्रमन रोग हो सकता है। इसके अलावा इस रोग को फ़ैलाने में, कई बार टीबी से पीड़ित व्यक्ति सबसे बड़ा वाहक होता है। TB का मरीज जब थूकता है या खांसता और छिकता है। तब TB के जीवाणु हवा में फ़ैल जाता है। HIV से पीड़ित व्यक्ति को क्षय रोग की बीमारी जल्दी होती है। यह रोग इंसानों के अलावा जानवरों में भी पाया जाता है। टीबी होने के कई कारण हो सकते है।
Image Source : LiveStrong.com
गंदगी एक सबसे बड़ा कारण है।
शरीर में पोषण तत्व का कमी होना। जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। यह भी टीबी होने का 1 कारण है।
टीबी रोगी का खून किसी दुसरे के शरीर में चढ़ाने से होता है।
गाय का कच्चा दूध पीने की वजह से टी.बी. होने की आशंका बढ़ जाती है।
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कई बीमारियाँ जैसे – एचआईवी, मीजल्स और न्यूमोनिया इत्यादि होने की वजह से भी T.B. हो सकती है।
रोगी का वस्तुओं का उपयोग करना और रोगी के सम्पर्क में रहना
TB Symptoms in Hindi | टीबी के लक्षण | TB ke Lakshan
खांसी का अधिक समय तक होना यानी 3 सप्ताह से ज्यादा होना।
बार-बार खांसी (Cough) की शिकायत होना।
भूख में कमी का होना।
खाँसने के द्वारा खून का बाहर आना।
बलगम में रक्त का आना।
रात के वक्त ज्यादा पसीना निकलना।
शरीर के वजन का अचानक कम हो जाना।
हमेशा कमजोरी और थकान का अनुभव होना।
शाम के वक़्त बुखार का आना।
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ज्यादा समय का बुखार।
गले के आस-पास सुजन होना।
गले के पास गिलटी का होना।
लम्बे वक़्त तक सिने में दर्द का होना।
अगर टीबी रीड की हड्डी में है, तो पैरो में कमजोरी और पीठ में दर्द महसूस होना।
TB Treatment in Hindi – टीबी का घरेलू इलाज
1. TB Treatment in Hindi
टीबी का घरेलू इलाज – सबसे पहले गुनगुना बकरी का दूध लगभग 20 ग्राम ल��जिये। अब उसमें लगभग 10 ग्राम पीपल के पेड़ की राख मिलाकर सेवन करें। ऐसा रोजाना सुबह और शाम करें। आब चाहे तो इसमें शहद या मिश्री भी मिला सकते है। इस घरेलु उपाय के द्वारा टीबी के रोग से छुटकारा पाया जा सकता है।
इसे भी अवश्य पढ़े : बरगद के पेड़ के बेहतरीन और अनोखे फायदे हिंदी में।
2. TB Treatment in Hindi
टीबी का घरेलू इलाज – सहजन की फली और पत्ते का सेवन करें। क्यूंकि यह जीवाणु को ख़त्म करने का काम करता है। उसके साथ-साथ यह सुजन नाशक भी होता है। लगभग 1 गिलास पानी में 1 मुठ्ठी सहजन का पत्ता डालकर उबालें। अब उसमें निम्बू का रस, नमक और काली मिर्च मिलाये। इसे रोजाना सुबह खली पेट पिए। यह T.B. के जवाणुओं को खत्म करता है।
यह भी अवश्य पढ़े : लगभग 300 बिमारियों में सहजन के फायदे हिंदी में।
3. TB Treatment in Hindi
टीबी का घरेलू इलाज – क्षय रोग की समस्या में लहसुन फायदेमंद होता है। इसमें एलीसिन नाम का तत्व होता है। जो जीवाणु को बढ़ने नहीं देता है। यह घरेलु उपाय आपके लिए लाभकारी होगा। सबसे पहले 4 से 5 लहसुन की कली को पीस लें। अब 4 कप पानी में लगभग 1 कप दूध में पीसी हुई लहसुन डालकर उबाले। अब तब तक उबालें, जब तक ¼ न रह जाये। उसके बाद ठंडा करके पी लें। दिन में ऐसा 2 से 3 बार करें। इसके अलावा 1 गिलास गर्म दूध में लगभग 8 से 10 बूंद लहसुन का रस डालकर पीजिये। रात में सोने से पहले पिए, आपको फायदा होगा।
इसे भी जरुर पढ़े : लहसुन के गुण और उसके फायदे की जानकारी हिंदी में।
टीबी का घरेलू इलाज | TB Treatment in Hindi
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4. TB Treatment in Hindi
टीबी का घरेलू इलाज – यह घरेलु नुस्खे अपनाकर टी.बी. की समस्या को दूर कर सकते है। सबसे पहले 100 ग्राम शुद्ध घी में 200-200 मिश्री और शहद मिला लें। अब इस मिश्रण को 5 ग्राम चाटें और ऊपर से बकरी या गाय का दूध पी लें। ऐसा दिन 2 se 3 बार करें। आपको अत्यंत फायदा होगा।
यह भी जरुर पढ़े : गाय का दूध पीने के फायदे की जानकारी हिंदी में।
5. TB Treatment in Hindi
टीबी का घरेलू इलाज – इस बीमारी में रुदंती का फल लाभकारी होता है। इसके फल से बना चूर्ण का सेवन फायदेमंद होता है। आप चाहे रुदंती के कैप्सूल का इस्तेमाल कर सकते है। आपको फायदा होगा।
6. TB Treatment in Hindi
टीबी का घरेलू इलाज – यह विधि भी कारगर होता है। सबसे पहले 1 गिलास गाय का दूध लीजिये। अब उसमें 1 चम्मच हल्दी पाउडर और ½ चम्मच गाय का घी डालकर गर्म करें। इस मिश्रण को रात में सोने से पहले पिए। इससे आपको जल्द ही फायदा दिखेगा।
इसे भी अवश्य पढ़े : गाय के घी के अनोखे लाभ की जानकारी हिंदी में।
7. TB Treatment in Hindi
टीबी का घरेलू इलाज – इस समस्या में आंवला का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। इसमें जीवाणु नाशक गुण पाया जाता है। साथ ही साथ आंवला शरीर को जरुरी पोषक तत्व प्रदान करता है। सबसे पहले 4 से 5 लें। अब उन सभी का बीज निकाल लें। फिर जूसर के द्वारा उसका रस निकाल लें। अब उस आंवले के रस को सुबह खली पेट सेवन करें। इसके अलावा आप चाहे तो, आंवले का चूर्ण या कच्चा आंवला का भी सेवन कर सकते है।
टी बी का आयुर्वेदिक उपचार – Tuberculosis in Hindi
8. TB Treatment in Hindi
टीबी का घरेलू इलाज – इस रोग को दूर करने के लिए, केला एक अच्छा घरेलु उपाय है। केला पोष्टिक तत्व से भरपूर होता है। जो शरीर के रोग प्रति रोधक क्षमता को मजबूत बनाता है। यह घरेलु नुस्खा जरुर अपनाये। सबसे पहले 1 कप नारियल का पानी लें। अब उसमे 1 पका हुआ केला मसलकर मिलाये। फिर उसमें 1 चम्मच शहद और ½ कप दही मिलाकर सेवन करें। ऐसा दिन में 2 बार करें, फायदा होगा।
यह भी अवश्य पढ़े : केला के बेहतरीन लाभ की जानकारी हिंदी में।
9. TB Treatment in Hindi
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टीबी का घरेलू इलाज – इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को रोजाना प्याज का रस पीना चहिये। सबसे पहले प्याज का रस लगभग ½ कप निकाल लें। अब उसमे थोडा सा हींग डाल दें। अब इस नुस्खे को खली पेट सेवन करें। ऐसा सुबह और शाम करें। कुछ ही दिनों में आपको फर्क महसूस होगा।
इसे भी जरुर पढ़े : प्याज के रस के फायदे हिंदी में।
10. TB Treatment in Hindi
टीबी का घरेलू इलाज – यह भी एक कारगर नुस्खा है। जो टी.बी. की समस्या से छुटकारा दिलाता है। सबसे पहले पत्थर के कोयले का सफ़ेद राख लगभग ½ ग्राम लीजिये। अब गाय के दूध के साथ राख का सेवन करें। ऐसा सुबह और शाम को करें। आप चाहे तो मक्खन या मलाई का भी इस्तेमाल कर सकते है। इससे आपको लाभ मिलेगा।
TB ka ilaj | टीबी का घरेलू इलाज | Tuberculosis in Hindi
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11. TB Treatment in Hindi
टीबी का घरेलू इलाज – संतरा का लगातार सेवन करने से, यह प्रतिरक्षा प्रणाली को सही बनाता है। संतरे का सेवन करने से, यह कफ को आसानी से बाहर निकाल देता है। रोजाना सुबह और शाम 1 गिलास संतरे के रस में 1 चम्मच शहद और चुटकी भर नमक मिलाकर सेवन करें। आपको अत्यंत फायदा मिलेगा।
टी.बी. से बचने के अन्य उपाय
कोई व्यक्ति अगर आपके आस-पास ज्यादा समय तक खांसता है, तो उस व्यक्ति के नजदीक न जाये।
जुकाम अथवा खांसी होने पर खुद का ही रुमाल का इस्तेमाल करें।
कैल्शियम, विटामिन्स, प्रोटीन, मिनरल और फाइबर इत्यादि युक्त आहार का सेवन करें। पोषण युक्त पोष्टिक आहार प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है।
बीसीजी (B.C.G) का टिका बच्चों को जरुर लगवाए। ��ह टिका T.B. होने की संभावना को कम करता है।
अगर किसी व्यक्ति को लगभग 2 सप्ताह से ज्यादा समय तक खांसी की समस्या है। तो उस व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर संपर्क करना चाहिए।
बाहर से आने के बाद, घर में घुसते ही हाथ और पांव को अच्छी तरह धो लें।
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thesuergicalnews · 3 years
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सहजन, पालक आदि के सेवन से बढ़ेगी रोग-प्रतिरोधक क्षमता
सहजन, पालक आदि के सेवन से बढ़ेगी रोग-प्रतिरोधक क्षमता
हरी साग-सब्जी खाएं, बीमारियों को दूर भगाएँ ग़ाज़ीपुर।राष्ट्रीय पोषण माह के अंतर्गत बच्चों, गर्भवती व धात्री को सुपोषित करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडे ने बताया कि हरी पत्तेदार सब्जियों में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इनके नियमित सेवन से कई बीमारियों से बचा सकता है। जो लोग इनको पसंद नहीं करते वह इनके फायदे जानेंगे तो आहार में शामिल जरूर…
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sabkuchgyan · 3 years
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एक साथ कई बिमारियों को जड़ से खत्म कर देती है यह चीज
एक साथ कई बिमारियों को जड़ से खत्म कर देती है यह चीज #Ayurveda #Healthcare
सहजन के फायदे : रोजाना हम हर तरह की सब्जियां खाते है। कुछ सब्जियां पकाकर खाई जाती है तो कुछ सलाद के रूप में। यह सब्जियां औषधीय गुणों से भरपूर होती है, लेकिन हम उनके गुणों से अंजान रहते है। सहजन भी एक ऐसी ही औषधीय गुणों से भरपूर सब्जी है। इसमें कार्बोहैड्रेट, विटामिन्स, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते है| इस सब्जी के सेवन से कई सारी बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। सहजन के औषधीय गुण: 1.…
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gethealthy18-blog · 5 years
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बालों के लिए अदरक के फायदे और घरेलू उपाय – Ginger For Hair Care in Hindi
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बालों के लिए अदरक के फायदे और घरेलू उपाय – Ginger For Hair Care in Hindi
Somendra Singh Hyderabd040-395603080 August 26, 2019
दूसरों के खूबसूरत और स्वस्थ बाल देखने के बाद आप सोचते होंगे कि इनके जैसे बाल मेरे पास क्यों नहीं हैं। ऐसा बालों का ठीक से ख्याल न रखने या फिर पर्याप्त पोषक तत्व न मिलने के कारण होता है। अगर आप भी अपने बालों को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको बालों की देखभाल के लिए ऐसे खाद्य पदार्थ के बारे में बता रहे हैं, जो बालों से जुड़ी कई समस्याओं को ठीक करने की क्षमता रखता है। हम बात कर रहे हैं अदरक की। इस लेख में जानिए अदरक का बालों के लिए उपयोग कैसे करें, जिससे आपके बाल स्वस्थ और खूबसूरत दिखें।
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि बालों के लिए अदरक किस प्रकार फायदेमंद है।
विषय सूची
बालों के लिए अदरक के फायदे – Benefits of Ginger for Hair in Hindi
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बालों के लिए अदरक के फायदे निम्नलिखित रूप में देखे जा सकते हैं –
1. बालों के स्वास्थ्य के लिए
बालों को स्वस्थ रखने के लिए अदरक के फायदे देखे जा सकते हैं। अदरक में सिलिकॉन नामक कार्बनिक यौगिक पाया जाता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, सिलिकॉन बालों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकता है (1)।
2. बालों को झड़ने से रोकने के लिए
जिंक और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों की कमी से बालों के झड़ने की समस्या उत्पन्न हो सकती है। यहां अदरक की अहम भूमिका देखी जा सकती है। अदरक जिंक और मैग्नीशियम से समृद्ध होता है और शरीर में इन दोनों पोषक तत्वों की पूर्ति अदरक का सेवन कर की जा सकती है (2) (3) (4)।
3. रूसी को कम करने के लिए
रूसी को खत्म करने के लिए अदरक का लाभकारी प्रभाव देखा जा सकता है। अदरक में जिंक पाया जाता है और एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, जिंक युक्त शैम्पू का इस्तेमाल करने से रूसी की समस्या में सुधार किया जा सकता है (2), (5)।
4. बालों का रूखापन दूर करे
बालों का रूखापन दूर करने में भी अदरक के फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, अदरक में जिंक की मात्रा पाई जाती है और एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, मौखिक रूप में जिंक का सेवन करने से बालों का रूखापन दूर हो सकता है (6)। हालांकि, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
5. रक्त प्रवाह बढ़ाकर
अदरक का उपयोग रक्त प्रवाह बढ़ाने में भी किया जा सकता है। दरअसल, अदरक में जिंजरोल नामक तत्व पाया जाता है, जो रक्त प्रवाह में बढ़ाने में सुधार कर सकता है (7)। बढ़ा हुआ रक्त का प्रवाह बालों के लिए फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, इस विषय पर अभी और वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता है।
6. बालों के लिए कंडीशनर के रूप में
कंडीशनर का इस्तेमाल बालों से गंदगी हटाकर उसे मुलायम बनाने के लिए किया जाता है। बालों के लिए कंडीशनर के रूप में अदरक का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, अभी इस पर पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण की आवश्यकता है। इसलिए, कंडिशनर के रूप में अदरक के इस्तेमाल को अपनाने से पहले एक बार डॉक्टरी सलाह अवश्य लें।
अभी आपने बालों के लिए अदरक के फायदे के बारे में पढ़ा, अब हम बता रहे हैं कि अदरक का उपयोग कैसे किया जा सकता है।
बालों को बढ़ाने के लिए अदरक का उपयोग – Ginger (Adrak) for Hair Growth in Hindi
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बालों को बढ़ाने के लिए अदरक का प्रयोग इस प्रकार किया जा सकता है।
सामग्री:
अदरक के 2-3 छोटे टुकड़े
एक छोटी ओखली
इस्तेमाल करने का तरीका:
सबसे पहले अदरक को धो लें।
अब इसे ओखली में डालकर अच्छी तरह कूट लें।
जब तक इसका रस न निकलने लगे, तब तक कूटते रहें।
अब एक कटोरी लें और अदरक को हल्के हाथों से दबाते हुए अदरक का रस छन्नी के सहारे कटोरी में निकाल लें।
अब बालों की जड़ों में इस रस को लगाएं।
इस प्रक्रिया को हफ्ते में दो बार दोहराया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
अदरक का उपयोग बालों के लिए काफी फायद���मंद हो सकता है। विशेषज्ञों द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार यह बताया गया है कि अदरक का रस बालों का झड़ना कम कर सकता है और बालों के विकास में मदद भी कर सकता है (8)।
ऊपर बालों के विकास में अदरक का उपयोग जानने के बाद अब आपको अदरक के हेयर मास्क के बारे में जानकारी दी जा रही है।
अदरक के हेयर मास्क – Ginger Hair Masks In Hindi
अदरक का बालों के लिए उपयोग हेयर मास्क के रूप में इस प्रकार किया जाता है।
1. अदरक और एसेंशियल ऑयल
सामग्री:
अदरक के 2 छोटे टुकड़े
2 छोटे चम्मच जैतून का तेल
इस्तेमाल करने का तरीका:
सबसे पहले अदरक को बारीक पीस लें, जिससे पेस्ट बन जाए।
अब इसमें जैतून के तेल को हल्का गर्म करके डालें।
फिर इसे अच्छी तरह से मिला लें।
इसके बाद यह पेस्ट बालों में लगाएं।
इसे आधे घंटे तक लगा रहने दें, फिर इसे ठंडे पानी से धो लें।
इस प्रक्रिया को हफ्ते में एक बार किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
बालों के लिए अदरक का रस और जैतून तेल के तेल का मास्क बालों की सेहत सुधारने का काम कर सकता है। जैसा कि हमने अभी आपको ऊपर बताया कि अदरक का रस बालों के विकास के लिए फायदेमंद है (9)। वहीं, जैतून के तेल में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो आपके स्कैल्प को इन्फेक्शन से बचाते हैं। जैतून का तेल स्कैल्प को पोषण देता है, जो न केवल आपके बालों को मजबूत करता है, बल्कि स्कैल्प की रक्षा करता है और बालों की इलास्टिसिटी बनाए रखने में मदद करता है (10)।
2. अदरक और नींबू तेल का हेयर मास्क
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सामग्री:
अदरक का रस एक बड़ा चम्मच
नींबू का तेल एक छोटा चम्मच
इस्तेमाल करने का तरीका:
एक कटोरी लें और इसमें अदरक का रस डालें।
अब ऊपर से नींबू का तेल डालें।
इसे उंगली के सहारे से मिला लें।
अब इस मिश्रण को बालों की जड़ों तक लगाकर हल्के हाथों से मालिश करें।
इसे पांच मिनट तक लगा रहने दें।
बालों को अब शैम्पू से धो लें।
इस उपाय को हफ्ते में एक बार किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
अदरक का रस और नींबू का तेल भी बालों के स्वास्थ्य के लिए असरकारक है। नींबू के तेल में पीनेन (pinene), कैम्फीन (Camphene), सैबिनीन (sabinene) जैसे कई आवश्यक तत्व पाए जाते हैं। नींबू तेल में मौजूद यही गुण बालों की सफाई के रूप में प्रयोग किए जाते हैं (11)।
3. अदरक का पेस्ट बालों को बढ़ाने के लिए
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सामग्री:
अदरक के दो-तीन छोटे टुकड़े
नारियल के तेल की दो बूंदें
इस्तेमाल करने का तरीका:
अदरक को धोकर पीस लें और इसका पेस्ट तैयार कर लें।
अब इस पेस्ट को एक कटोरी में रख लें।
फिर इस पेस्ट में नारियल के तेल को मिला लें।
अब बालों में इस पेस्ट को लगाकर 5 मिनट तक लगा रहने दें।
इसके बाद बालों को शैम्पू से धो लें।
आप इस प्रक्रिया को हफ्ते में एक बार दोहरा सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
बालों के लिए अदरक का उपयोग पेस्ट के रूप में भी किया जा सकता है। अदरक में बालों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए सिलिकन नामक पोषक तत्व पाया जाता है (1)। यह तत्व बालों को स्वस्थ रखने का काम कर सकता है। बालों को संवारने के लिए प्री-वॉश और पोस्ट-वॉश के रूप में नारियल का तेल प्रयोग करने पर एक वैज्ञानिक अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन के अनुसार नारियल का तेल एकमात्र ऐसा तेल है, जो बालों में प्रोटीन की हानि को कम कर सकता है (12)।
4. अदरक और सहजन
सामग्री:
अदरक का रस एक चम्मच
सहजन का तेल 3-4 बूंदें
इस्तेमाल करने का तरीका:
एक कटोरी लें।
अब इसमें अदरक का रस डालें।
फिर इसमें सहजन का तेल डालें।
इसके बाद मिश्रण को बालों की जड़ों में लगाकर हल्के हाथों से मसाज करें और आधे घंटे के लिए छोड़ दें।
अब बालों को शैम्पू से धो लें।
इस प्रक्रिया को हफ्ते में एक बार किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
सहजन और अदरक का संयुक्त उपयोग बालों को मजबूत बना सकता है। अदरक के फायदे बालों के लिए तो होते ही हैं, जिसकी जानकारी इस लेख में ऊपर बालों के लिए अदरक के फायदे वाले भाग में दी जा चुकी है। वहीं, सहजन का तेल भी बालों के लिए लाभकारी माना जाता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, सहजन का तेल स्कैल्प की नमी में सुधार करने, बालों को मजबूत करने के साथ-साथ एंटी डैंड्रफ के रूप में काम कर सकता है। इसके अलावा, यह दो मुंहे बालों की समस्या से भी बचाव कर सकता है (13)।
5. अदरक, खीरा, नारियल तेल और तुलसी तेल से बना हेयर मास्क
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सामग्री:
अदरक का पेस्ट 2 चम्मच
नारियल के तेल की 4 बूंदें
तुलसी के तेल की 4 बूंदें
आधा चम्मच खीरे का पेस्ट
इस्तेमाल करने का तरीका:
एक कटोरी में अदरक का पेस्ट लें और उसमें खीरे का पेस्ट मिलाएं।
अब इस पेस्ट में नारियल और तुलसी का तेल मिक्स करें।
फिर चम्मच के सहारे सामग्री को अच्छी तरह से मिला लें।
इसके बाद यह मिश्रण बालों में लगाकर 10 मिनट के लिए छोड़ दें।
फिर इसे शैम्पू से धो लें।
इस विधि को सप्ताह में एक बार इस्तेमाल किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
अदरक बालों के लिए फायदेमंद है, यह तो आपको पता ही है। वहीं, खीरे में मैग्नीशियम एस्कोर्बिल फॉस्फेट (विटामिन सी का घुलनशील रूप) पाया जाता है, जो बालों के विकास में मदद कर सकता है (14), (15)। वहीं, तुलसी के तेल में फैटी एसिड पाया जाता है, जो बालों को संवारने और गंजेपन की स्थिति को सुधारने में मदद कर सकता है (16), (17)। नारियल तेल की बात की जाए, तो इसमें बालों को नुकसान से बचाए जाने का गुण पाया जाता है और बालों के लिए बनाए जाने वाले प्रोडक्ट में इसका इस्तेमाल भी किया जाता है (18)।
6. अदरक और प्याज बालों को बढ़ाने के लिए
सामग्री:
2 चम्मच अदरक का रस
एक छोटा चम्मच प्याज का रस
इस्तेमाल करने का तरीका:
एक कटोरी में अदरक का रस डालें।
अब इसमें प्याज का रस मिला लें।
फिर इसे हल्के हाथों से बालों की जड़ों में लगाएं।
10 मिनट तक लगा रहने के बाद बालों को पानी से धो लें।
इस प्रक्रिया को सप्ताह में दो बार, तीन दिन के अंतर पर दोहरा सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
अदरक का रस बालों के लिए उपयोगी होता है (19), जबकि प्याज का रस भी बालों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, यह देखा गया है कि प्याज का रस बालों के फिर से विकास के संबंध में काफी अधिक प्रभावी हो सकता है और यह एलोपेसिया ( बाल झड़ने की एक गंभीर समस्या) के इलाज में भी काम आ सकता है (20)।
7. अदरक और लहसुन का हेयर मास्क
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सामग्री:
अदरक का रस एक चम्मच
लहसुन का अर्क एक छोटा चम्मच
इस्तेमाल करने का तरीका:
अदरक के रस में लहसुन का अर्क मिलाएं।
इस मिश्रण को हल्के हाथों से बालों की जड़ों तक लगाएं।
इसे 10 से 15 मिनट तक लगा रहने दें और फिर शैम्पू से बालों को धो लें।
इस मास्क को हफ्ते में एक बार इस्तेमाल कर सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
अदरक का उपयोग बालों को रूसी से बचाने का काम कर सकता है, क्योंकि अदरक एक एंटी-फंगल एजेंट के रूप में काम करता है। इसकी वजह से इसका उपयोग बालों को डैंड्रफ फ्री बनाने वाले शैम्पू में प्रयोग किया जाता है (21)। विशेषज्ञों के द्वारा किए गए एक वैज्ञानिक शोध में यह पाया गया है कि लहसुन का अर्क बालों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ बालों को झड़ने से भी रोकता है (22)।
लेख के अगले भाग में अदरक के हेयर मास्क से जुड़ी कुछ सावधानियों के बारे में बता रहे हैं।
सावधानियां :
बालों के लिए अदरक इस्तेमाल करते समय निम्नलिखित सावधानियां बरतने की जरूरत हो सकती है :
अगर आपका स्कैल्प संवेदनशील है, तो अदरक का हेयर मास्क लगाने से पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
अदरक का हेयर मास्क अधिक उपयोग न करें, नहीं तो इसमें मौजूद जिन्जेरॉल बालों के विकास को रोक भी सकता है (23)।
आपने इस लेख में पढ़ा कि अदरक का पोषण देकर कैसे बालों की विभिन्न समस्याओं को ठीक कर सकता है। हालांकि, इसका सेवन निश्चित मात्रा और उपयोग की एक समय सीमा का ध्यान रखते हुए किया जाए, तो यह बालों के लिए काम आ सकता है। एक जरूरी बात, अगर इसके उपयोग के दौरान आपको कोई भी समस्या हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। अगर आप इस लेख से संबंधित कोई परामर्श लेना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कॉमेंट बॉक्स के जरिए हम तक अपना सवाल जरूर पहुंचाएं।
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Somendra Singh
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/baalo-ke-liye-adrak-ke-fayde-in-hindi/
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क्या आप अक्सर सर्दी-जुकाम, एलर्जी या शारीरिक कमजोरी से पीड़ित रहते हैं? अगर हां, तो ये रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने के लक्षण हो सकते हैं। दोस्तों संक्रमण और बीमारियों से लड़ने के लिए इम्यूनिटी का मजबूत रहना बहुत जरूरी है। अगर कोई व्यक्ति रोग प्रतिरोधक शक्ति की कमजोरी से गुजर रहा है, तो उसके संक्रमण की चपेट में आने के आसार बढ़ जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए स्टाइलक्रेज का यह लेख फायदेमंद साबित हो सकता है। इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहे हैं, जिनके सेवन से आप अपने इम्यून सिस्टम को बूस्ट कर सकते हैं।
आइए, सबसे पहले जान लेते हैं कि रोग प्रतिरोधक क्षमता की कार्यप्रणाली को समझ लेते हैं।
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आइए, अब जानते हैं कि किन कारणों से हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है।
इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण – Causes of Low Immunity in Hindi
इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कई कारण हो सकते हैं। यह आपके खाने से लेकर आपकी दिनचर्या तक से प्रभावित हो सकता है। नीचे जानिए इम्यून सिस्टम कमजोर होने के विभिन्न कारण (2) –
प्रतिरोधक क्षमता का जन्म से कमजोर होना।
कैंसर के लिए कीमोथेरेपी या अन्य दवाओं के चलते।
अंग प्रत्यारोपण (organ transplants) के बाद, उस अंग को सक्रिय रखने के लिए ली जाने वाली दवाओं का सेवन करने से।
संक्रमण के कारण।
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धूम्रपान करना।
शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना।
एचआईवी (एड्स का मुख्य कारण)
लेख के अगले भाग में जानते हैं कि इम्यून सिस्टम कमजोर होने के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं। 
इम्यून सिस्टम कमजोर होने के लक्षण – Low Immunity Symptoms in Hindi
इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कई लक्षण हैं, जो यहां नीचे बताए जा रहे हैं (3) :
बलगम वाली खांसी या सूखी खांसी
कंपकंपी लगना
जल्दी थकान का अनुभव होना
बेचैनी बनी रहना
बुखार आना
सिरदर्द होना
भूख न लगना
जी मिचलाना या उल्टी होना
गहरी सांस लेने में दिक्कत
सीने में दर्द
लेख के अगले भाग में आपको रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के घरेलू उपाय के बारे में जानकारी दी जा रही है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के घरेलू उपाय – Home Remedies To Boost Immunity in Hindi
रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के लिए आप नीचे बताए जा रहे घरेलू उपाय का प्रयोग कर सकते हैं।
1. अदरक
सामग्री :
एक चम्मच कूटा हुआ अदरक
एक कप से थोड़ा ज्यादा पानी
उपयोग करने की विधि :
सबसे पहले पानी को गर्म होने के लिए रख दें।
पानी को हल्का गर्म हो जाने पर इसमें अदरक को डाल दें।
अब इसे ढककर तीन मिनट तक उबलने दें।
अब इसे छानकर सेवन करें।
इस प्रक्रिया को हफ्ते में दो बार कर सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
आमतौर पर स्वास्थ्य संबंधी फायदे में अदरक का प्रयोग किया जाता है। यह इम्युनोन्यूट्रीशन और एंटी-इन्फ्लेमेटरी (immunonutrition and anti-inflammatory) प्रतिक्रिया से शरीर के कई प्रकार के रोगों को ठीक कर सकता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मांसपेशियों के दर्द पर प्रभावी असर दिखा सकते हैं (4)।
2. लहसुन 
सामग्री :
लहसुन की 3 से 4 कलियां
आधा चम्मच शहद
उपयोग करने की विधि :
लहसुन ���ो कूटकर पेस्ट बना लें।
अब इसमें शहद मिला लें।
अब इस पेस्ट का सेवन सुबह या शाम करें। 
कैसे है लाभदायक :
लहसुन के प्रयोग से भी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाया जा सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, लहसुन में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (immunomodulatory) गुण पाया जाता है, जो इम्यून सिस्टम को मॉड्यूलेट करने में अहम भूमिका निभाते हैं, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ने में मदद मिलती है (5)।
3. ग्रीन टी 
सामग्री :
एक ग्रीन टी बैग
एक कप गर्म पानी
स्वादानुसार चीनी (वैकल्पिक)
उपयोग करने की विधि :
एक कप गर्म पानी में ग्रीन टी-बैग डालें।
टी-बैग को दो-तीन मिनट तक कप में डालकर रखें।
अब टी-बैग निकाल दें।
स्वाद के लिए चीनी मिलाएं और ग्रीन-टी का आनंद लें। 
कैसे है लाभदायक :
रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए ग्रीन-टी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, ग्रीन टी प्रतिरक्षा प्रणाली को ऑक्सीडेंट और मुक्त कणों (free radicals) से बचाकर मजबूत बनाने का काम कर सकती है (6)।
4. हल्दी
सामग्री :
हल्दी की दो छोटी गांठ
शहद 1 छोटा चम्मच
एक कटोरी
एक बड़ा कप पानी 
उपयोग करने की विधि :
कटोरी में एक बड़ा कप पानी डालें।
अब इसमें हल्दी को भिगों दें।
इसे लगभग पांच से छह घंटे तक पानी में ही रहने दें।
फिर इसे निकाल लें और पीसकर पेस्ट बना लें।
अब इसमें शहद मिला लें।
अब एक छोटा चम्मच इस मिश्रण का सेवन करें।
इस विधि को हफ्ते में दो बार इस्तेमाल किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक :
इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए हल्दी के फायदे देखे जा सकते हैं। एक वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, हल्दी का सेवन इम्यून सिस्टम को मजबूत बना सकता है। दरअसल, हल्दी में कर्क्यूमिन नामक तत्व पाया जाता है, जो इम्यून सिस्टम को मॉड्यूलेट करने का काम करता है (7)।
5. सेब का सिरका 
सामग्री :
सेब का सिरका 1 चम्मच
लहसुन की 2 कलियां 
उपयोग करने की विधि :
एक कटोरी लें और उसमें सेब का सिरका डालें।
अब इसमें लहसुन की कलियां 1-2 घंटे तक भिगों दें।
सेब के सिरके में लहसुन को अच्छी तरह से अवशोषित (Absorbed) होने दें।
अब इसका सेवन सप्ताह में एक या दो बार किया जा सकता है। 
कैसे है लाभदायक :
सेब का सिरका भी इम्यून सिस्टम को मजबूत बना सकता है। दरअसल, सेब का सिरका इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (immunomodulatory) प्रक्रिया को बढ़ावा देने का काम करता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूती मिलती है (8)। एक अन्य रिपोर्ट भी इस तथ्य का समर्थन करती है कि सेब का सिरका इम्यूनिटी को बूस्ट करने का का काम कर सकता है (9)।
6. एसेंशियल ऑयल
सामग्री :
यूकेलिप्टस (नीलगिरी) तेल की 4-5 बूंदें
उपयोग करने की विधि :
संक्रमण और फंगल संक्रमण से प्रभावित त्वचा पर हल्के हाथों से तेल लगाएं।
सर्दी-जुकाम जैसी स्थितियों के लिए गर्म पानी में तेल की कुछ बूंदें डालकर भाप ली जा सकती है। हालांकि, इसके लिए एक बार डॉक्टरी परामर्श जरूर लें।
नोट – जिन लोगों की त्वचा संवेदनशील है, वो त्वचा पर तेल लगाने से पहले इसमें पानी की कुछ बूंदें मिला सकते हैं।
 कैसे है लाभदायक :
यूकेलिप्टस (नीलगिरी) एसेंशियल ऑयल इम्यून सिस्टम के कार्य में मदद कर सकता है। यह एंटीसेप्टिक और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होता है, जो रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने के उपाय में काम आ सकता है (10)। एक अन्य वैज्ञानिक शोध के अनुसार, नीलगिरी का तेल सिरदर्द, अस्थमा, बुखार और फ्लू जैसी समस्याओं पर प्रभावी असर दिखा सकता है (11)। हालांकि, यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को कैसे मजबूत बनाता है, इस पर अभी सटीक वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
7. विटामिन सी 
सामग्री :
दो-तीन कीवी
उपयोग करने की विधि :
कीवी को पानी से अच्छी तरह से धो लें।
अब इसके छिलके को साफ कर लें।
अब किवी को छोटा-छोटा काट लें और सेवन करें।
यह एक गुणकारी फल है, जिसका सेवन नाश्ते में किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक :
कीवी विटामिन सी का अच्छा स्रोत माना जाता है (12)। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, यह देखा गया है कि विटामिन सी इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकता है (13)।
8. मशरूम
सामग्री :
मशरूम 100 ग्राम 
उपयोग करने की विधि :
मशरूम का सेवन आप आम सब्जी की तरह कर सकते हैं, लेकिन पकाने से पहले इसे अच्छी तरह धोकर जरूर उबाल लें। 
कैसे है लाभदायक :
मशरूम के सेवन को इम्युनिटी बढ़ाने के घरेलू उपाय में शामिल किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, मशरूम में ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत कर सकते हैं (14)।
9. जिनसेंग 
सामग्री :
2 चम्मच जिनसेंग का पाउडर
1 गिलास पानी
उपयोग करने की विधि :
पहले पानी को गर्म कर लें।
अब इसमें जिनसेंग का पाउडर डाल��र 2 मिनट तक उबलने दें।
अब इसे उतारकर ठंडा होने दें।
फिर इसका सेवन करें।
कैसे है लाभदायक :
जिनसेंग एक जड़ी-बूटी है। यह बाजार में जड़ के रूप में, टी बैग के रूप में और पाउडर के रूप में आपको मिल जाएगी। इम्युनिटी बढ़ाने के घरेलू उपाय में इसका प्रयोग किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, जिनसेंग रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाकर शरीर को संक्रामक बीमारियों से दूर रखने का काम कर सकती है (15)।
10. अजवायन की पत्ती (ऑरिगेनो)
सामग्री :
8-10 ऑरिगेनो की पत्तियां
नमक स्वादानुसार
उपयोग करने की विधि :
अजवायन की पत्तियों को धोकर बारीक पीस लें।
इसे एक कटोरी में रख लें।
ऊपर से नमक का छिड़काव करें।
अब इसका सेवन करें।
रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने की स्थिति में इसका सेवन रोजाना एक बार किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक :
रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने के उपाय में अजवायन की पत्ती लाभदायक साबित हो सकती हैं। दरअसल, ऑरिगेनो विटामिन ए से समृद्ध होता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को मजबूत करने में मदद कर सकता है (16)।
11. नींबू का जूस 
सामग्री :
नींबू
एक गिलास पानी
उपयोग करने की विधि :
पानी में नींबू के रस को मिलाकर सुबह खाली पेट इसका सेवन करें।
कैसे है लाभदायक :
रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने के उपाय में नींबू के रस का सेवन कारगर साबित हो सकता है। दरअसल, नींबू में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है (17)। विटामिन सी एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है (13)।
12. मनुका शहद
सामग्री :
मनुका शहद एक छोटा चम्मच 
उपयोग करने की विधि :
मनुका शहद को एक छोटे चम्मच में लें।
अब इसका सेवन सुबह और शाम करें। 
कैसे है लाभदायक :
रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने के उपाय के रूप में मनुका शहद का सेवन किया जा सकता है। मनुका में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं (18)। शोधकर्ताओं के द्वारा किए गए एक अध्ययन में देखा गया है कि मनुका शहद के सेवन से रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है (19)।
13. सहजन (Moringa)
सामग्री :
सहजन के कटे हुए 6-7 छोटे टुकड़े
दो चम्मच खाना बनाने वाला तेल
नमक स्वादानुसार
 उपयोग करने की विधि :
सहजन को पानी से धो लें।
फिल एक पैन में तेल डालकर सहजन को भूरा होने तक फ्राई करें।
क्रंची रूप में फ्राई करने के बाद इसे प्लेट में डालें।
अब ऊपर से नमक का छिड़काव करें और खाएं।
आप सहजन की सब्जी बनाकर भी सेवन कर सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ाएं यह सवाल आपको जरूर परेशान करता होगा, लेकिन सहजन के सेवन से आप इस सवाल का जवाब पा सकते हैं। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, यह देखा गया है कि सहजन के सेवन से शरीर में फाइटोकेमिकल्स की मात्रा पर्याप्त रूप से मिल सकती है, जो इम्यून सिस्टम के लिए फायदेमंद हो सकती है (20)।
14. जैतून का तेल 
सामग्री :
जैतून का तेल दो छोटे चम्मच
एक प्याज
एक टमाटर
एक मूली
एक खीरा
एक चुकंदर
नमक और नींबू का रस (स्वादानुसार)
उपयोग करने की विधि :
प्याज, टमाटर, मूली, खीरा और चुकंदर को सलाद के रूप में काटकर रख लें।
अब ऊपर से नमक, नींबू का रस और जैतून का तेल डालकर सभी सामग्रियों को अच्छी तरह से मिक्स कर लें।
इस प्रकार आप जैतून के तेल को सलाद में इस्तेमाल कर सेवन कर सकते हैं।
आप चाहें तो खाना बनाने में भी जैतून का तेल प्रयोग में ला सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
इम्युनिटी बढ़ाने के उपाय में जैतून का उपयोग भी शामिल हो सकता है। जैतून के तेल में विटामिन ई की मात्रा पाई जाती है (21)। इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए विटामिन ई एक जरूरी पोषक तत्व है, जिसकी शरीर में पूर्ति जैतून के तेल के जरिए की जा सकती है (22)।
एक अन्य वैज्ञानिक शोध के अनुसार, इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए जैतून के तेल का सेवन फायदेमंद हो सकता है (23)।
14. प्रोबायोटिक्स (Probiotics)
सामग्री :
छाछ एक गिलास
उपयोग करने की विधि :
रोजाना दोपहर को खाना खाने के बाद एक कप छाछ का सेवन करें।
कैसे है लाभदायक :
प्रोबायोटिक्स एक प्रकार का बैक्टीरिया होता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है। दरअसल, प्रोबायोटिक्स के लिए छाछ एक अच्छा स्रोत माना जाता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने का काम कर सकता है (24)।
इम्युनिटी बढ़ाने के घरेलू उपाय जानने के बाद लेख के अगले भाग में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले आहार के बारे में जानते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले आहार – Immunity Boosting Foods in Hindi
रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ाएं यह सवाल आपको परेशान कर सकता है। एक वैज्ञानिक शोध में यह कहा गया है कि विटामिन सी इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकता है (13)।  लेख के इस भाग में आपको जानकारी दी जा रही है, कि किन-किन विटामिन सी युक्त फलों और सब्जियों का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जा सकता (12)।
फल – संतरा, अंगूर, कीवी, आम, पपीता, अनानास, स्ट्रॉबेरी, रसभरी, ब्लूबेरी और तरबूज आदि।
सब्जी – ब्रोकोली, गोभी, पालक, शलजम का साग, सफेद आलू, टमाटर व कद्दू आदि।
अन्य खाद्य पदार्थ : जिंक इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद कर सकता है (25)। इसके लिए आप जिंक युक्त खाद्य पदार्थों (बादाम, लौकी के बीज, काजू व दही) का सेवन कर सकते हैं (26)।
आइए, लेख के अगले भाग में अब जानते हैं कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय और क्या-क्या हो सकते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips To Increase Stamina in Hindi
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के अन्य टिप्स के लिए नीचे कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए जा रहे हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आपकी मदद करेंगे (27) –
धूम्रपान न करें।
फलों और सब्जियों को आहार में शामिल करें।
नियमित रूप से व्यायाम करें।
स्वस्थ वजन बनाए रखें।
अल्कोहल के सेवन से बचें।
पर्याप्त नींद लें।
अपने हाथों को साफ रखें।
मांस को अच्छी तरह से पकाएं।
तनाव से मुक्त रहने की कोशिश करें।
अब तो आप यह जान गए होंगे कि स्वस्थ रहने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत रहना कितना जरूरी है। लेख पढ़कर आप यह भी जान गए होंगे कि रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कैसे मजबूत किया जा सकता है। अपने स्वास्थ्य के लिए दी गई जानकारी को गंभीरता से जरूर लें। आशा है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। लेख से संबंधित सवाल या सुझाव के लिए नीचे दिए गए कॉमेंट बॉक्स का सहारा लें। साथ ही हमें यह भी बताएं कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय अपनाकर आपका अनुभव कैसा रहा।
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Somendra Singh
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/rog-pratirodhak-shakti-badhane-ke-gharelu-upay-in-hindi/
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