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#लखनऊ विधानसभा सीट पर सपा उम्मीदवार
dainiksamachar · 7 months
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गठबंधन के दलों को कभी निराश नहीं किया, यूपी में 65 सीटों पर चुनाव लड़ने पर बोले अखिलेश यादव
सहारनपुर: 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 में से 65 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के संकेत देने वाले सपा अध्यक्ष ने गुरवार को कहा कि अपने गठबंधन के सहयोगियों को पहले कभी निराश नहीं किया है और आगे भी नहीं करेंगे। यादव ने सपा की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में 65 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के संकेत देने और बाकी 15 सीटों पर गठबंधन के साथियों के संतुष्ट होने की सम्भावना से जुड़े सवाल पर संवाददाताओं से कहा कि सपा ने अब तक जितने भी गठबंधन किए हैं, उनमें हमारी कोशिश रही है कि गठबंधन के सहयोगी दलों का पूरा सम्मान किया जाए। मैं आज आपके सामने कह रहा हूं, जो भी हमारे गठबंधन के साथी हैं वे कभी पहले निराश नहीं हुए, वे आगे भी निराश नहीं होंगे। सपा अध्यक्ष देवबंद सीट से पूर्व विधायक माविया अली के बेटे के वलीमे (शादी के बाद की दावत) में शामिल होने आए थे।इस सवाल पर कि क्या सपा उत्तर प्रदेश की 80 में से 65 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, अखिलेश यादव ने कहा कि यह गिनती (संख्या), इसलिए भी थी, क्योंकि वहां पर आए (बैठक में आए) प्रदेश कार्यकारिणी के लोगों ने कई तरह के सुझाव दिए थे कि सपा को इतनी सीटें लड़नी चाहिए, लेकिन मैं आपसे कह रहा हूं कि अब तक हमने जितने भी गठबंधन किए हैं उनके साथियों को निराश नहीं किया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव यादव ने बुधवार को लखनऊ में हुई पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में 65 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि प्रदेश में कोई भी गठबंधन सपा की मदद के बिना चुनाव नहीं जीत सकता, इसलिए सपा सभी 80 सीटों पर बूथ स्तर तक पुख्ता तैयारी करे। वो बात खत्म हो गई...मध्य प्रदेश के सवाल पर बोले अखिलेश मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) गठबंधन के तहत टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस के साथ हाल में हुई तल्खी के बारे में सवाल किया गया। इस पर सपा प्रमुख ने कहाकि मध्य प्रदेश में जो बात खत्म हो गई है, उस बात को हम लोग न उठाएं। ये शायद हमारी समझ के बाहर था या फिर हमने ज्यादा समझ लिया था उन्होंने कहा कि मुझे लगा कि मध्य प्रदेश में अगर उनके (कांग्रेस) लोग बातचीत कर रहे हैं तो हमें साथ लेकर चलेंगे। अब साफ हो गया है कि राज्य स्तर पर कोई गठबंधन नहीं है तो कोई बात नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर जो गठबंधन है उसको पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) एक रणनीति के तहत मदद करेगा। राजग के लोगों ने पीडीए को धोखा दिया- अखिलेश उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि पीडीए ही भाजपा नीत राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को हराएगा। राजग के लोगों ने पीडीए को धोखा दिया है। भाजपा के राज में पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, मुसलमान सबसे ज्यादा पीड़ित हैं और उनके साथ सबसे ज्यादा अन्याय हुआ है। आम आदमी पार्टी नेता एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय की ओर से नोटिस भेजे जाने के सवाल पर सपा प्रमुख ने कहा कि चाहे अरविंद केजरीवाल हों या आदरणीय आजम खान हों या फिर सपा के और विधायक हों, अगर वे जनता की आवाज उठाएंगे तो इन पर मुकदमा दर्ज हो जाएगा। ये सब इसलिए परेशान किए जा रहे हैं, क्योंकि भाजपा को लगता है कि ये ताकत बनकर उभरेंगे। अगर उनको यही दबा देंगे तो उनके दल का मनोबल गिर जाएगा। इस आरोप पर कि सपा आजम खान के मामले में उनकी मदद नहीं कर रही है, यादव ने कहा कि सपा मदद कर रही है और आगे भी करती रहेगी। http://dlvr.it/SyHtxF
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tezlivenews · 2 years
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BJP vs कांग्रेस, SP vs BSP... लखनऊ की 9 विधानसभा सीटों पर किसने किसे उतारा? देखें लिस्ट
BJP vs कांग्रेस, SP vs BSP… लखनऊ की 9 विधानसभा सीटों पर किसने किसे उतारा? देखें लिस्ट
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के मतदान की तारीख नजदीक आते ही सियासी सरगर्मियां चरम पर हैं। भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के बीच उम्मीदवारों (Assembly Election 2022 Candidates list) को लेकर भी नूरा-कुश्ती जारी है। अब चौथे चरण के चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तारीख से महज एक दिन पहले मंगलवार को सपा और बीजेपी (BJP Candidate List…
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countryinsidenews · 2 years
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उत्तर प्रदेश के नोएडा सीट से राजनाथ सिंह के सुपुत्र पंकज सिंह की बड़े मार्जिन से जीत, सपा प्रत्याशी को हराया
उत्तर प्रदेश के नोएडा सीट से राजनाथ सिंह के सुपुत्र पंकज सिंह की बड़े मार्जिन से जीत, सपा प्रत्याशी को हराया
लखनऊ, निखिल दुबे : उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जनपद की नोएडा विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राजनाथ सिंह के सुपुत्र पंकज सिंह ने एक लाख 81 हजार 369 वोटों से बड़ी जीत दर्ज की है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज को 2 लाख 44 हजार 91 वोट मिले हैं. वहीं, बीजेपी प्रत्याशी के मुकाबले समाजवादी पार्टी उम्मीदवार को 62 हजार 722 वोट मिले हैं. इसके बाद बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रत्याशी…
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mykrantisamay · 2 years
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लखनऊ की मोहनलालगंज रिजर्व सीट सपा के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई; भाजपा को 'विकास योजनाओं में उम्मीद'
लखनऊ की मोहनलालगंज रिजर्व सीट सपा के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई; भाजपा को ‘विकास योजनाओं में उम्मीद’
2017 में, लखनऊ के मोहनलालगंज (रिजर्व) विधानसभा सीट पर सबसे कड़ा मुकाबला देखा गया था, जब समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अंबरीश पुष्कर ने बहुजन समाज पार्टी के राम बहादुर को केवल 500 मतों से हराया था। हालांकि इस बार सपा और बसपा दोनों ने अपने प्रत्याशी बदल लिए हैं। सपा ने जहां अपनी वरिष्ठ नेता सुशीला सरोज को मैदान में उतारा, वहीं बसपा ने देवेंद्र कुमार सरोज को मैदान में उतारा। अमरेश कुमार भारतीय जनता…
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shahar-e-aman · 2 years
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कशमकश में शहर की आवाम सपा-भाजपा किसे बनाएगी उम्मीदवार जनता की पुकार नया चेहरा सामने आए लखनऊ/प्रयागराज: आगामी 2022 विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद तमाम दलो ने अपने-अपने उम्मीदवार का ऐलान करना शुरू कर दिया है। वहीं प्रयागराज में भी भाजपा व सपा को छोड़ अन्य दलों ने प्रत्याशी घोषित कर दिया किंतु दो दलों द्वारा अभी तक प्रत्याशियों की घोषणा ना होने से कयास बाजी का दौर शुरू हो गया है शहर की 3 विधानसभा सीटों में से किसी पर भी समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है यूं तो 2 सीटों पर माना जा रहा है कि पुराने ही उम्मीदवार पर भरोसा करेगी भाजपा जिनमें दक्षिणी और पश्चिमी है किंतु उत्तरी सीट पर कौन आएगा यह कहना मुश्किल है क्योंकि सूत्र की माने तो वहां से हो सकता है कि बीजेपी नया चेहरा लाए जहां तक शहर की आवाम के नज़रिए की बात है तो इन तीनों सीटों पर जनता युवा चेहरा चाहती है यानी नौजवान को ज्यादातर तरजीह देने के मूड में है जहां तक समाजवादी पार्टी की बात है तो सपा से दावेदारी करने वालों की 2 सीटों पर लंबी फेहरिस्त है जिन में दक्षिणी और पश्चिमी शामिल है पश्चिमी से एक महिला को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। किंतु यहां पर उसे भी टिकट देने में देरी की जा रही है इसके पीछे भी वजह है जाति समीकरण जहां तक समीकरण की बात है तो बस यही एक खास कारण है जिसकी वजह से इस तेज तर्रार महिला प्रति आलाकमान गंभीर नहीं दिख रहा है किंतु आम जनों के दुख दर्द पर 24 घंटा खड़े रहने वाली इस महिला को टिकट देने से वंचित रखा गया तो शायद यह अन्याय होगा दूसरी तरफ शहर के दक्षिणी इलाके में यूं तो कई लोगों ने दावेदारी पेश की है किंतु पार्टी आलाकमान किस पर भरोसा जताती है यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय के पास प्रयागराज के कई सफेदपोश इन दिनों डेरा डाले हुए हैं जिनमें पेशे से अधिवक्ता व एक अन्य लीडर शामिल है अब देखना यह है कि इस सीट पर पार्टी हाईकमान पुराने लोगों पर भरोसा करेंगा या नए युवा नेता को मौका देंगे लेकिन जहां तक शहर की 3 सीटों का सवाल है 3 सीटों में समझा जा रहा है कि एक सीट पर अल्पसंख्यक समुदाय का उम्मीदवार उतार सकते हैं पार्टी अध्यक्ष। अब यह तो 48 से 72 घंटे में साफ हो जाएगा शहर की 3 विधानसभा सीटों से समाजवादी पार्टी से उम्मीदवार किसे बनाती है लेकिन जनता तीनों सीटों पर युवा चेहरा चाहती है अब देखना यह है कि अखिलेश इन तीनों सीटों पर नौजवान उम्मीदवार की शक्ल में किसे उतारेंगे जहां तक शहर के पश्चिमी सीट का सवाल है यहां पर भी युवा चेहरे को उतारा जा सकता https://www.instagram.com/p/CY_9KalviLQ/?utm_medium=tumblr
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abhay121996-blog · 3 years
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कोरोना वायरस ने यूपी में चुनाव से पहले BJP के लिए खड़ी की नई चुनौतियां! Divya Sandesh
#Divyasandesh
कोरोना वायरस ने यूपी में चुनाव से पहले BJP के लिए खड़ी की नई चुनौतियां!
लखनऊ उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमितों को उपचार मिलने में पेश आने वाली समस्याओं से आम जनता के साथ-साथ खुद भाजपा नेताओं में भी खासा रोष है। उन्होंने इसके लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में लोगों की नाराजगी सत्तारूढ़ दल के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती हैं। प्रदेश के हरदोई जिले से भाजपा विधायक श्याम प्रकाश कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने में प्रशासन की कोशिशों से संतुष्ट नहीं हैं और कहते हैं कि आम लोगों की बात तो दूर, अति महत्वपूर्ण (VIP) समझे जाने वाले लोगों के लिए भी व्यवस्था नहीं हो पाई।
हरदोई जिले की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित गोपामऊ विधानसभा सीट से श्याम प्रकाश 2017 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर 87,693 मतों से निर्वाचित हुए और उन्होंने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी की राजेश्वरी को 31,387 मतों से पराजित किया था। श्याम प्रकाश इससे पहले 2012 में गोपामऊ निर्वाचन क्षेत्र से ही सपा के टिकट पर निर्वाचित हुए थे और पिछले चुनाव से ठीक पहले उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था। प्रकाश ने कहा, ‘कोरोना वायरस से निपटने की व्यवस्था से लोग संतुष्ट नहीं हैं। आम लोगों की छोडि़ए वीआईपी की भी व्यवस्था नहीं हो पाई।’
श्याम प्रकाश अकेले जनप्रतिनिधि नहीं हैं जिन्होंने संक्रमण प्रबंधन को लेकर सरकार के प्रयासों पर इस तरह की टिप्पणी की है। अप्रैल के दूसरे सप्ताह में उत्तर प्रदेश के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने अपर मुख्‍य सचिव (चिकित्सा व स्वास्थ्य) तथा प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) को पत्र लिखकर चिंता व्यक्त की थी। पाठक ने अपने पत्र में लिखा था, ‘अत्यंत कष्ट के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि वर्तमान समय में लखनऊ जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं का अत्यंत चिंताजनक हाल है। विगत एक सप्ताह से हमारे पास पूरे लखनऊ जनपद से सैकड़ों फोन आ रहे हैं, जिनको हम समुचित इलाज नहीं दे पा रहे हैं।’
केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने भी मुख्यमंत्री और सरकार के प्रमुख लोगों को पत्र लिखकर अव्‍यवस्‍था की ओर इशारा किया था। बलिया के विधायक सुरेंद्र सिंह भी कोरोना प्रबंधन को लेकर सरकार के खिलाफ असंतोष जता चुके हैं। फिरोजाबाद जिले के जसराना से भाजपा विधायक राम गोपाल लोधी की पत्नी को उपचार के लिए आठ घंटे इंतजार करना पड़ा। वह आगरा में बेड के लिए भटकीं तो विधायक ने सरकारी तंत्र के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। प्रदेश भाजपा में शीर्ष स्तर पर ऐसा मानने वालों की कमी नहीं है कि कोरोना की दूसरी लहर ने राजनीतिक तौर पर पार्टी का काफी नुकसान किया है।
एक प्रदेश पदाधिकारी और वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘कुछ विधायकों और कार्यकर्ताओं ने सार्वजनिक तौर पर असंतोष व्यक्त किया है। कार्यकर्ताओं के बीच व्यापक स्तर पर नाराजगी है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने खुद मोर��चा संभाला है और वह राज्य के जिलों का दौरा करके गांवों तक व्यवस्था की समीक्षा कर रहे हैं।’
कोरोना संक्रमण से 30 अप्रैल को उबरने के बाद योगी ने जिलों का दौरा शुरू कर जमीनी सच्चाई परखी। अब तक वह करीब 50 जिलों में कोविड प्रबंधन की समीक्षा कर चुके हैं और आगे भी उनके कार्यक्रम विभिन्न जिलों में हैं। राज्‍य में आधिकारिक रूप से अब तक सरकार के तीन मंत्री और पांच विधायकों समेत 18,978 संक्रमित अपनी जान गंवा चुके हैं और अब तक साढ़े 16 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। राज्य में अगले वर्ष की शुरुआत (फरवरी-मार्च) में विधानसभा चुनाव होंगे। इसे देखते हुए विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने संक्रमण के प्रबंधन को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राज्य की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि ‘देश और प्रदेश के प्रधान (मोदी और योगी) के बीच परस्पर प्रशंसा का जो आदान-प्रदान हो रहा है उसमें जनता पिस रही है। अगर कोरोना के टीके, बेड, ऑक्सीजन की व्यवस्था में ध्यान दिया जाए तो शायद और लोगों की जान बच जाए।’ उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा ‘भाजपा सरकार सच्चाई स्वीकार करने के बजाय गलत आंकड़े प्रस्तुत कर रही है। नदियों में तैरते शवों के दृश्‍य हर हाल में खुद को सही मानने वाले हुक्मरान के घमंड का नतीजा हैं।’
विपक्ष के हमलों के बीच सबसे ज्यादा परेशानी में भाजपा के कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि हैं, जिन्हें इस दौरान अपने अपने इलाकों में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर, अस्पतालों में बेड, रेमडेसिविर आदि के अभाव से दो चार होना पड़ा है। आजमगढ़ ज़िले के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने कहा ‘जल्द ही विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज होगी और हम लोग उन मतदाताओं का सामना कैसे करेंगे जिनके परिजनों को बेड, ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा सुविधा हम नहीं दिला पाये।’
गौरतलब है कि 2017 के चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 325 सीटें जीती थीं। मुख्य विपक्षी दल सपा 50 का आंकड़ा नहीं पार कर सकी और कांग्रेस दहाई से भी नीचे सिमट गई। बहुजन समाज पार्टी को भी 19 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। कोरोना के कहर में अपने परिवार के सदस्य गंवा चुके लखनऊ के मोहनलालगंज के भाजपा सांसद कौशल किशोर ने अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था ‘संबंधित संस्‍थानों के जिम्मेदार अधिकारी मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं जिससे सरकार की छवि को नुकसान हो रहा है।’
राजधानी लखनऊ के एक वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, ‘अब 2017 के परिणाम को दोहराना सपना है और इसे कोई चमत्कार ही वापस ला सकता है।’ उन्होंने राज्य में पंचायत चुनाव का उदाहरण दिया जहां भाजपा को दावों के विपरीत मुंह की खानी पड़ी। कार्यकर्ता ने कहा ‘ पंचायत चुनाव में 70 फीसद से ज्यादा मतदान प्रतिशत रहने के बावजूद भाजपा को इतना बड़ा झटका लगा तो विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत कम होने पर स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं।’
उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम पंचायत प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्य के पदों के लिए पिछले महीने चार चरणों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हुए थे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने दावा किया है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बेहतर परिणामों के बाद अब पार्टी अधिकतर जिलों में जिला व क्षेत्र पंचायतों में बोर्ड के गठन में जुटेगी और उसे सफलता मिलेगी। अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों पर कोरोना के प्रभाव के बारे में पूछने पर विधायक श्याम प्रकाश ने कहा ‘ 2022 के लिए स्थिति बहुत खराब रहेगी क्योंकि जनता में आक्रोश है।’
हालांकि भाजपा के बांदा जिले के विधायक प्रकाश द्विवेदी कोरोना के कहर और पंचायत चुनाव में मिले परिणामों से 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को अलग बताते हैं। प्रकाश द्विवेदी ने कहा ‘ पंचायत चुनाव में प्रधान, बीडीसी सदस्य और जिला पंचायत सदस्य ���म्मीदवार होते हैं और सर्वाधिक प्राथमिकता ग्राम प्रधान के लिए होती है। जब गांव की राजनीति होती है तो पार्टी किनारे हो जाती है। लोग-बाग निजी संबंधों को ज्यादा तरजीह देते हैं।’
सत्तारूढ़ दल के विधायक द्विवेदी ने पत्र लिखकर पंचायत चुनाव टालने की भी मांग की थी। वह यह भी कहते हैं ‘ कोरोना को लेकर तात्कालिक नाराजगी जरूर रही लेकिन अब पूरी व्यवस्था नियंत्रण में है।’ कोरोना के चलते भाजपा के प्रति लोगों में अगर नाराजगी है तो 2022 के चुनाव में इसका लाभ किसे मिलेगा, इस सवाल पर शाहजहांपुर के भाजपा विधायक रोशन लाल वर्मा ने बचते हुए कहा, ‘विपक्ष को जो भूमिका निभानी चाहिए वह निभा नहीं पाया। संकट की इस घड़ी में विपक्ष लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा।’
उधर, भाजपा के गोरखपुर क्षेत्र से पूर्व मंत्री अजय तिवारी ने कहा ‘यह सही है कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ जब तक जिलों में नहीं जा रहे थे तब तक स्थिति खराब थी लेकिन अब सब कुछ नियंत्रण में है और लोगों की नाराजगी दूर हो रही है। योगी ने सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा है।’ लखनऊ स्थित राजनीतिक विश्लेषक बंशीधर मिश्र ने कहा ‘कोविड-19 की दूसरी लहर में जिन घरों से लोगों की जान गई हैं उनको और उनके आसपास के लोगों के मन से यह बात कौन दूर सकता है कि उनके घर-परिवार का ‘भविष्य’ सरकार की अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया। 2022 के चुनाव में भाजपा को इसका ‘भुगतान’ करना पड़ेगा।’
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kisansatta · 4 years
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मुख्यमंत्री की मौजूदगी में जय प्रकाश निषाद ने भरा पर्चा,निर्वाध चुना जाना तय
  लखनऊ : उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की खली हुई सीटों के उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जय प्रकाश निषाद गुरुवार को नामांकन दाखिल किया | राज्यसभा उप चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 13 अगस्त है। भाजपा के मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित ने बताया कि भाजपा प्रत्याशी जय प्रकाश निषाद 13 अगस्त को नामांकन दाखिल करेंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डॉ दिनेश शर्मा समेत प्रमुख नेता उपस्थित रहेंगे।
73वें स्वतंत्रता दिवस पर शामिल होने वाले सुरक्षाकर्मियों की हुई कोरोना जांच, सुरक्षा चाक-चौबंद
गौरतलब है कि सपा के बेनी प्रसाद वर्मा के निधन के कारण खाली सीट हुई थी | पूर्वांचल के जयप्रकाश निषाद मल्लाह बिरादरी से हैं, जिसका असर बिहार चुनाव में दिखाई पड़ सकता हैं | 2018 में सीएम योगी ने पार्टी मे जयप्रकाश निषाद को शामिल कराया था | भारत के उत्तर प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा सभा में विधायक रहे है | 2012 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश की चौरी-चौरा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र (निर्वाचन संख्या-326) से चुनाव जीता था |जयप्रकाश निषाद का निर्विरोध चुना जाना तय माना जा रहा है |आगामी 24 अगस्त को मतदान होगा |
लोकतंत्र बचाने के लिए BJP को मजबूत और कांग्रेस को कमजोर बता बैठे दिग्विजय सिंह
मई 2022 तक रहेगा निषाद का कार्यकाल
जयप्रकाश निषाद का राज्यसभा कार्यकाल 5 मई 2022 तक रहेगा. वह गोरखपुर क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष हैं | निषाद बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर 2012 में चौरीचौरा असेंबली सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे | वह सपा में भी रह चुके हैं | जयप्रकाश 2018 में भाजपा में शामिल हुए थे | उत्तर प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल ब्राह्मण वोटों को लुभाने की जुगत में लगे हैं |
राजीव त्यागी का हार्ट अटैक से हुआ निधन
यूपी में 14% है निषाद समुदाय की आबादी
बता दें कि प्रदेश में निशाओं की कुल अबै का 14 % ही | इसलिए bjp ने इसे आगामी चनाव को निशाने में रख कर निषाद पर दांव खेला है | इस बीच भाजपा ने जयप्रकाश निषाद पर दांव आजमा कर पूर्वांचल में अति पिछड़ों में पकड़ मजबूत करने के की रणनीति को आगे बढ़ाया है | प्रदेश में निषाद समुदाय के लोग गोरखपुर और आसपास की कुछ विधानसभा सीटों पर खासा प्रभा��� रखते हैं |
  https://kisansatta.com/jai-prakash-nishad-filled-up-the-form-in-the-presence-of-the-chief-minister-election-is-sure-to-be-elected/ #ElectionIsSureToBeElected, #JaiPrakashNishadFilledUpTheFormInThePresenceOfTheChiefMinister election is sure to be elected, Jai Prakash Nishad filled up the form in the presence of the Chief Minister State, Top, Trending #State, #Top, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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vsplusonline · 4 years
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6 मंत्रियों समेत सिंधिया गुट के 17 विधायक दिल्ली-बेंगलुरु पहुंचे, भोपाल में कमलनाथ ने कैबिनेट मीटिंग बुलाई; दिल्ली में अमित शाह के घर बैठक
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6 मंत्रियों समेत सिंधिया गुट के 17 विधायक दिल्ली-बेंगलुरु पहुंचे, भोपाल में कमलनाथ ने कैबिनेट मीटिंग बुलाई; दिल्ली में अमित शाह के घर बैठक
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ज्योतिरादित्य सिंधिया फिलहाल दिल्ली में, सचिन पायलट से मिले; सोनिया गांधी से भी हो सकती है मुलाकात
प्रद्युम्न सिंह, महेंद्र सिंह सिसोदिया, तुलसी सिलावट, इमरती देवी, गोविंद सिंह और प्रभुराम चौधरी बेंगलुरु गए
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कैबिनेट की बैठक बुलाई, मंगलवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी बुलाई गई
भाजपा विधायक दल की बैठक भी मंगलवार को होगी, शिवराज सिंह चौहान विधायक दल के नेता चुने जा सकते हैं
Dainik Bhaskar
Mar 09, 2020, 10:07 PM IST
भोपाल. मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी ड्रामे में सोमवार को बड़ी उथल-पुथल सामने आई। 6 मंत्रियों समेत 17 विधायक दिल्ली और बेंगलुरु पहुंच गए हैं। ये सभी सिंधिया गुट के हैं। इनके फोन बंद आ रहे हैं। खबर लगते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ दिल्ली से भोपाल लौट आए हैं। उन्होंने तुरंत बैठक बुलाई। कमलनाथ थोड़ी देर में कैबिनेट के साथ भी बैठक करेंगे। मंगलवार सुबह कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी बुलाई गई है। भाजपा ने भी इसी दिन विधायक दल की बैठक बुलाई है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी दिल्ली में हैं। वे आधे घंटे के लिए अपने आवास से अकेले बाहर निकले थे। सूत्रों ने बताया कि सिंधिया ने सचिन पायलट से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि सिंधिया सोनिया गांधी से भी मुलाकात कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस मध्य प्रदेश का संकट को टालने के लिए कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष या राज्यसभा सदस्य बना सकती है।
शिवराज बन सकते हैं भाजपा विधायक दल के नेता
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में अमित शाह के आवास पर मध्य प्रदेश भाजपा नेताओं की बैठक चल रही है। इसमें नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज सिंह मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान को बैठक में विधायक दल का नेता चुना जा सकता है। इस बीच, मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने छुट्टियां कैंसल कर दी हैं। वे मंगलवार को भोपाल लौट रहे हैं। वे 5 दिन के लिए लखनऊ गए हुए थे।
इन मंत्रियों-विधायकों के फोन बंद
मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, तुलसी सिलावट, इमरती देवी, गोविंद सिंह राजपूत और प्रभुराम चौधरी बेंगलुरु गए हैं। भास्कर ने जब सभी को फोन लगाया तो इनके फोन बंद मिले। राजवर्धन सिंह, ओपीएस भदौरिया, जसवंत जाटव, बिजेंद्र यादव, जसपाल जज्जी, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव, रक्षा सिरोनिया, मुन्ना लाल गोयल, रघुराज कंषाना और सुरेश धाकड़ से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है। बेंगलुरु के बाहरी इलाके में स्थित एक रिसॉर्ट में विधायकों को ठहराया गया है। यहां 400 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, कुछ विधायक दिल्ली में हैं।
कमलनाथ ने सिंधिया पर नहीं दिया कोई जवाब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार को दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष से कई मसलों पर चर्चा हुई है। उनका मार्गदर्शन मिला है, उसका पालन करूंगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजे जाने के सवाल पर कमलनाथ ने कोई जवाब नहीं दिया।
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कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया (बाएं) और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ।
पिछले महीने बढ़ी कमलनाथ और सिंधिया के बीच तल्खी कमलनाथ और सिंधिया के बीच फरवरी में वचनपत्र को लेकर सिंधिया के बयान के बाद तकरार बढ़ गई थी। जब सिंधिया ने कहा था कि वचन पत्र के वादे पूरे नहीं हुए तो सड़कों पर उतरूंगा। इस बयान के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था- उतर जाएं…। उस वक्त भी मुख्यमंत्री कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले थे। बताया जा रहा था कि कमलनाथ ने सरकार पर सिंधिया के हमलों को लेकर नाराजगी जाहिर की थी।
मध्य प्रदेश में 26 मार्च को राज्यसभा की 3 सीटों का चुनाव, क्रॉस वोटिंग की आशंका 26 मार्च को मध्य प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव होना है। किसी भी पार्टी के प्रत्याशी को जीतने के लिए 58 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। कांग्रेस के पास अपने 114 विधायकों के अलावा सपा-बसपा और निर्दलियों समेत 121 विधायक हैं। ऐसे में कांग्रेस को दो सीट मिल सकती हैं। 107 सीट वाली भाजपा का एक सीट पर जीतना तय है। भाजपा दो सीटों पर उम्मीदवार उतारने की बात कर रही है। वोटिंग होना तय है, जिसमें कुछ विधायकों की क्रॉस वोटिंग से दोनों पार्टियों का खेल बन या बिगड़ सकता है।
मध्य प्रदेश में सियासी ड्रामे के 6 दिन 3 मार्च: सुबह दिग्विजय सिंह के ट्वीट कर भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप लगाए और कहा कि कांग्रेस विधायकों को दिल्ली ले जाया गया। शाम को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह दिल्ली पहुंचे। कांग्रेस ने देर रात दावा किया कि भाजपा ने कांग्रेस के 6, बसपा के 2 और एक निर्दलीय विधायक को गुड़गांव के आईटीसी मराठा होटल में बंधक बनाया। भोपाल से मंत्री जीतू पटवारी और जयवर्धन सिंह को दिल्ली भेजा गया। 4 मार्च: इस दिन दोपहर को सपा के राजेश शुक्ला (बब्लू), बसपा के संजीव सिंह कुशवाह, कांग्रेस के ऐंदल सिंह कंसाना, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव और बसपा से निष्कासित राम बाई भोपाल पहुंचीं। कांग्रेस के बिसाहूलाल, हरदीप सिंह डंग, रघुराज कंसाना और निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा की लोकेशन नहीं मिल रही थी। दिग्विजय ने फिर आरोप लगाया कि भाजपा ने 4 विधायकों को जबरन गुड़गांव से बेंगलुरु शिफ्ट किया है। 5 मार्च: कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेज दिया। कांग्रेस के एक अन्य लापता विधायक बिसाहूलाल सिंह के बेटे ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भोपाल के टीटी नगर थाने में दर्ज कराई। 6 मार्च: कमलनाथ ने कैबिनेट की बैठक ली, सभी विधायकों को भोपाल बुलाया। दिल्ली में तोमर के घर भाजपा नेताओं की बैठक जारी। भाजपा विधायक पीएल तंतुवाय के गायब होने की खबरें आईं। दोपहर में वे सामने आए और कहा- मेरा फोन बंद था, गायब नहीं हुआ। 7 मार्च: निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा बेंगलुरू से वापस आए थे। निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा का वीडियो सामने आ गया है, जिसमें वह कहते हुए दिख रहे हैं कि उन्हें बहुत परेशान किया गया है, लेकिन वह कमलनाथ के साथ हैं और वह उनके बॉस हैं। शनिवार को सुबह भोपाल आए थे और सीएम से मुलाकात की थी। 8 मार्च: बेंगलुरू में बीते छह दिन से जमे तीन कांग्रेसी विधायकों में से एक बिसाहूलाल सिंह रविवार को भोपाल लौटे थे। यहां आते ही उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात की और इसके बाद कहा- मैं तो तीरथ करने गया था। मुझे किसी ने बंधक नहीं बनाया। मैं कांग्रेस में ही रहूंगा।
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inhindinews · 5 years
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विधानसभा उपचुनाव 2019: सपा ने 2 प्रत्याशियों का किया ऐलान - Samajwadi party announces two candidates for bypoll lucknow cantt govind nagar kanpur
विधानसभा उपचुनाव 2019: सपा ने 2 प्रत्याशियों का किया ऐलान – Samajwadi party announces two candidates for bypoll lucknow cantt govind nagar kanpur
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समाजवादी पार्टी ने विधानसभा उपचुनाव 2019 के लिए दो सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. पार्टी ने लखनऊ कैंट सीट से मेजर आशीष चतुर्वेदी और गोविंदनगर, कानपुर सीट से सम्राट विकास को प्रत्याशी बनाया है. समाजवादी पार्टी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
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toldnews-blog · 5 years
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सपा से गठबंधन और कई प्रदेशों में BSP की धमक ने बढ़ा दिया है मायावती का कद - Sp bsp alliance mayawati third front prime minister candidate tpt
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समाजवादी पार्टी से गठबंधन और तमाम नेताओं के बसपा सुप्रीमो मायावती के प्रति नरम बयानों ने उनका कद एकाएक बढ़ा दिया है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उन्हें जिस तरह तवज्जो दे रहे हैं उससे ऐसा लगने लगा है कि वह कम से कम लोकसभा चुनावों में बीएसपी को सपा से बड़ी ताकत मान रहे हैं. हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल और छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी बसपा के साथ हाथ मिला रखा है. जबकि महाराष्ट्र में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार बसपा को गठबंधन में हिस्सा बनाने की बात कह चुके हैं. ऐसे में बसपा सुप्रीमो की धमक यूपी ही नहीं बल्कि देश भर के राज्यों में भी नजर आ रही है.
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने लखनऊ में आकर जिस तरह से मायावती का आशीर्वाद लिया है उससे यह तय माना जा रहा है कि सपा-बसपा गठबंधन को बिहार में भी तवज्जो मिलने जा रही है. मायावती के जन्मदिन पर अजीत जोगी समेत तमाम नेताओं का मिलना यह बताता है कि बसपा अध्यक्ष को सियासी तौर पर कम करके नहीं आंका जा रहा है.
बसपा आज भले ही आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय पार्टी न हो लेकिन कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान में पार्टी का विधायक चुने जाने के बाद बसपा की धमक बढ़ गई है. छत्तीगढ़ में भी बसपा ने अजीत जोगी की पार्टी से गठबंधन करके राजनीतिक समीक्षकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है.
बता दें कि यूपी में सपा-बसपा गठबंधन से पहले ही मायावती देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दलों के साथ हाथ मिलाकर चुनावी किस्मत आजमा चुकी है. कर्नाटक में जेडीएस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और उनकी पार्टी का एक विधायक जीतने में सफल रहा. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरी और दो विधायक जीतने में सफल रहे हैं. इसके अलावा हरियाणा में इनेलो के साथ गठबंधन किया है. जबकि महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार कह चुके हैं कि महाराष्ट्र में से बसपा का एक सांसद चुना जाना चाहिए.
देखा जाए तो तीसरे मोर्चे के प्रयास में लगे चंद्रबाबू नायडू, गैर बीजेपी गैर कांग्रेस का नारा बुलंद करने वाले तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव और अब कांग्रेस से परहेज न करने वाली ममता बनर्जी से मायावती आगे निकलती दिख रही हैं. अखिलेश पहले ही कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री यूपी से होना चाहिए, सभी जानते हैं कि उनके पिता मुलायम सिंह की इच्छा पीएम बनने की है लेकिन जिस तरह से अखिलेश माया को तवज्जो दे रहे हैं उससे कहीं से ऐसा नहीं लगता कि वह पीएम पद के लिए मायावती का विरोध कर सकेंगे.
मायावती के जन्मदिन पर बसपा प्रवक्ता सुंधीद्र भदोरिया ने जिस तरह से ट्वीट करते हुए उन्हें बधाई दी थी और लिखा था ‘भारत की भावी प्रधानमंत्री बहन मायावती जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं’. यह ट्वीट एक पोस्टर के तौर पर किया गया है जिसमें मायावती के फोटो के साथ मैसेज लिखा हुआ है. इस पोस्टर के सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो कहीं न कहीं पार्टी के जरिए मायावती के नाम को आगे बढ़कर बाकी दलों के रिएक्शन को देखना चाहती हैं.
महाराष्ट्र में लंबे समय तक कांग्रेस के साथ रहे रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के अध्यक्ष रामदास अठावले फिलहाल बीजेपी के साथ हैं. वह सांसद होने के साथ मंत्री भी हैं. विदर्भ का इलाके में उनकी पकड़ मानी जाती है और यहां से कांग्रेस हमेशा फायदे में रहती थी. लेकिन अठावले के बीजेपी के साथ जाने से यह समीकरण बदल गए. एनसीपी के नेता शरद पवार का मानना है मायावती को साथ लाने से इस इलाके में उनकी पार्टी को फायदा हो सकता है. ऐसे में वह बसपा सुप्रीमो मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा से मिल चुके हैं. उनका मानना है कि बसपा का एक सांसद महाराष्ट्र से होना चाहिए.  
12 जनवरी को सपा-बसपा ने लखनऊ में साथ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घोषणा की थी क��� दोनों 2019 का चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे. 38-38 सीटों पर दोनों पार्टियां लड़ेंगी. रायबरेली और अमेठी की सीटों पर गठबंधन का कोई उम्मीदवार नहीं उतारा जाएगा.
मायावती का कहना था कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि बीजेपी उन्हें घर न सके. हालांकि अखिलेश यादव और मायावती ने लिखे हुए भाषण पढ़े. इससे इतना तय है कि दोनों ने एक-दूसरे के भाषण भी देखे होंगे. लेकिन अखिलेश ने मायावती को रिसीव किया, उन्हें पहले बोलने का मौका दिया. राजनीतिक समीक्षकों के मुताबिक इससे ऐसा लग रहा था कि मायावती गठबंधन में बड़ी भूमिका में हैं. मायावती खुद भी इस गठबंधन की नेता के तौर पर अपने को आगे रख रही हैं.  
अगर, दूसरे प्रदेशों में बसपा और मायावती की स्वीकृति की बात की जाए तो कई अन्य नेताओं की अपेक्षा माया का पलड़ा भारी दिखाई देता है. कर्नाटक में उन्होंने जेडीएस के साथ गठबंधन किया था और एक सीट जीतने में कामयाब हुई थीं. लेकिन निकाय चुनाव में बीएसपी ने 13 सीटें जीतकर यह अहसास करा दिया कि कर्नाटक में भी बसपा का वोट बैंक है.
इसी तरह, मध्य प्रदेश में भी बसपा में 2 विधायक सीट निकालने में सफल रहे. मायावती ने बिना किसी शर्त के कांग्रेस सरकार को समर्थन देने की घोषणा कर बड़प्पन का परिचय दे दिया. इसी तरह राजस्थान की बात करें तो विधानसभा चुनाव में बसपा ने अधिकतर सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और पार्टी 6 सीटें जीतने में सफल रही. यहां भी बसपा ने बिना किसी शर्त के अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार को समर्थन दे दिया.
हालांकि बाद में मायावती ने कहा था कि अगर भारत बंद में शामिल लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं लिए गए तो वह समर्थन देने के बारे में पुनर्विचार कर सकती हैं,  लेकिन अशोक गहलोत सरकार ने इसके बाद मुकदमे वापस लेने की कार्रवाई शुरू कर दी. इस तरह देखा जाए तो गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस गठबंधन बनाने की ओर अग्रसर कोई नेता मायावती के बराबर की पकड़ दूसरे राज्यों में नहीं रखता. चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी का अस्तित्व केवल आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ही है.
इसी तरह केसीआर की तेलंगाना राष्ट्र समित की पहुंच तेलंगाना और आंध्र प्रदेश तक ही है. ममता बनर्जी की ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल से बाहर नहीं निकल पाई है. एनसीपी का एक सांसद भले ही बिहार से जीता हो लेकिन पार्टी की पहचान महाराष्ट्र से ही है.
सपा-बसपा गठबंधन यूपी में कमाल दिखाने में कामयाब होता है और पीएम पद की बात होती है तो मायावती के नाम की भी चर्चा हो सकती है. ऐसे में मायावती के नाम पर कांग्रेस कशमकश में पड़ सकती है. कांग्रेस विरोध करके दलित पीएम की राह में रोड़ बनने का आरोप भी नहीं लेना चाहेगी.  
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realtimesmedia · 4 years
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भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश निषाद ने राज्यसभा के लिए दाखिल किया नामांकन, जानिए उनके बारे में
भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश निषाद ने राज्यसभा के लिए दाखिल किया नामांकन, जानिए उनके बारे में
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा उपचुनाव के लिए भाजपा के उम्मीदवार जय प्रकाश निषाद ने गुरुवार को विधान भवन में नामांकन पत्र दाखिल किया। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व भाजपा नेताओं की मौजूदगी में विधानसभा के टंडन हाल में नामांकन भरा। ज्ञात हो कि यह सीट सपा के सांसद बेनी प्रसाद वर्मा के निधन के बाद खाली हुई थी।
इस मौके पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, भाजपा…
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hnewsblog-blog · 5 years
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सपा बसपा गठबन्धन 2019 के लोक सभा चुनाव में उतरेगा खरा या टूट जायेगी जोड़ी आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में महागठबंधन का स्वरूप तय हो गया है. जबकि सीटों के लिहाज से हिंदी पट्टी के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में दो बड़े विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) में गठबंधन की बात कही जा रही है. यूपी में पिछले दिनों हुए लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में एसपी-बीएसपी गठबंधन को मिली अप्रत्याशित सफलता को देखते हुए यह तय माना जा रहा है कि दोनों सियासी दल आम चुनाव साथ लड़ेंगे, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह भी है कि बीएसपी आमतौर पर उपचुनाव नहीं लड़ती लिहाजा, उपचुनाव में BSP के लिए गठबंधन बड़ी बात नहीं थी. पांच राज्यों में हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के बाद अब सभी सियासी दलों ने आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश में टिकी हैं जहां एक- दूसरे के धुर विरोधी दल एसपी और बीएसपी के एक साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. हालांकि, यह इतना आसान नहीं होगा क्योंकि बीएसपी सुप्रीमो मायावती को मोलभाव के मामले में बहुत कड़ा माना जाता है. फिलहाल, बीएसपी के लोकसभा में एक भी सांसद नहीं हैं. जबकि हाल में हुए गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव को मिलाकर एसपी के 7 सांसद हैं.दूसरे स्थान पर रही थी बीएसपी 34 सीटों के साथ, 31 पर एसपी आम तौर पर गठबंधन को लेकर जो फॉर्मूला तय होता है उसमें जिस सीट पर जिसका कब्जा होता है वो तो उसी को मिलती है. फिर देखा जाता है कि पिछले चुनाव में किस सीट पर उस राजनीतिक दल का उम्मीदवार दूसरे स्थान पर था. इस लिहाज से यदि 2014 के आम चुनावों को आधार पर बनाया जाए तो बीएसपी 34 सीटों पर दूसरे स्थान पर थी और समाजवादी पार्टी 31 सीटों पर दूसरे स्थान पर थी. वहीं 80 लोकसभा सीटों में बाकी की बची सीटों को वोट प्रतिशत के आधार पर बांटा जा सकता है. लेकिन एसपी-बीएसपी गठबंधन में असल पेच मुस्लिम बहुल सीटों पर फंस सकता है. मायावती ने 100 मुस्लिमों को दिया था विधासभा का टिकट यादव-मुस्लिम समीकरण को अपना आधार मानने वाली समाजवादी पार्टी अपना अल्पसंख्यक आधार खोना नहीं चाहेगी. वहीं, बहुजन समाज पार्टी लगातार अल्पसंख्यकों को अपने खेमे में लाने का प्रयास करती रही है. इसी उद्देश्य से साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने 100 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था. जबकि एसपी, कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी थी. ऐसे में एसपी और बीएसपी के उम्मीदवारों में वोटों का बिखराव हो गया जिसका फायदा बीजेपी को हुआ. खास मुस्लिम बहुल सीटें मुस्लिम आबादी के लिहाज से रामपुर, मुरादाबाद, सहारनपुर, बिजनौर और अमरोहा ऐसी लोकसभा सीटें हैं जहां मुस्लिम आबादी 35 से 50 फीसदी के बीच है. वहीं मेरठ, कैराना, बरेली, मुजफ्फरनगर, संभल, डुमरियागंज, बहराइच, कैसरगंज, लखनऊ, शाहजहांपुर और बाराबंकी में मुस्लिम आबादी 20 फीसदी से ज्यादा और 35 फीसदी से कम है. हाल के दिनों में बहुजन समाज पार्टी ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपना अल्पसंख्यक आधार बढ़ाया है. लिहाजा, यही वो सीटें हैं जिन्हें लेकर पेच फंस सकता है. इसके बाद बात उन सीटों की आएगी, जहां एसपी और बीएसपी दोनों ही दूसरे स्थान पर नहीं रहीं. ऐसी स्थिति में जातीय समीकरण मायने रखेंगे और जातियों को लेकर जिन सीटों पर जिनका पलड़ा भारी रहेगा उन्हें वे सीटे मिलेंगी. लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान और छ्त्तीसगढ़ के विधानसभा के अनुभव को देखा जाए तो महज कुछ सीटों की ऊंच- नीच पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस के साथ गठबंधन न करने का एकतरफा फैसला ले लिया था।
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गोरखपुर उपचुनाव में प्रवीण निषाद होंगे सपा के उम्मीदवार, अखिलेश ने किया ऐलान लखनऊ। समाजवादी पार्टी ने हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट गोरखपुर पर होने वाले उपचुनाव के लिए अपने सहयोगी दल निषाद पार्टी के प्रवीण कुमार निषाद को अपना प्रत्याशी बनाया है. गौरतलब है कि गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान 11 मार्च को होना है. सपा ने कहा कि फूलपुर के लिए भी उम्मीदवार की घोषणा जल्दी की जाएगी. इन दोनों सीटों पर पिछले विधानसभा चुनाव में सपा की सहयोगी कांग्रेस पार्टी पहले ही अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को प्रेस वार्ता में बताया कि प्रदेश की निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को पार्टी ने गोरखपुर से अपना लोकसभा उपचुनाव का प्रत्याशी घोषित किया है. वह सपा के चुनाव चिन्ह साईकिल पर ही चुनाव लड़ेंगे. इससे पहले प्रदेश के पूर्वांचल की दो छोटी पार्टियों निषाद पार्टी और पीस पार्टी के अध्यक्ष क्रमश: संजय निषाद और मोहम्मद अय्यूब ने समाजवादी के साथ गठजोड़ कर चुनाव लडऩे की घोषणा की है. गठबंधन के भविष्य के संबंध में किए गए सवालों के जवाब में अखिलेश ने कहा, ''हमारा मुख्य उद्देश्य सांप्रदायिक शक्तियों को चुनाव में हराना है.ÓÓ उन्होंने कहा कि गोरखपुर की जनता से हम अपील करेंगे कि उपचुनाव में वह सच्चई के साथ मैदान में उतरने वालों का साथ दें। उन्होंने आरोप लगाया, ''बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पिछले साल आक्सीजन की कमी से सैकड़ों मासूम बच्चों की जान चली गई, लेकिन सरकार ने कोई खास कदम नहीं उठाएं. अब तो वहां के प्रिसिंपल कालेज में आग भी लग गई और जो महत्तवपूर्ण सबूत थे वह भी जलकर राख हो गए। फूलपुर उप चुनाव के प्रत्याशी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि फूलपुर में इस बार कमल का फूल मुरझायेगा, सपा जल्द ही फूलपुर का भी अपना प्रत्याशी घोषित करेगी। गौरतलब है कि गोरखपुर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और फूलपुर से उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य के लोकसभा से इस्तीफा देने के बाद उपचुनाव हो रहे हैं. दोनो प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हो गये हैं. उप चुनाव के लिए इन दोनो सीटों पर 11 मार्च को मतदान है, जबकि 14 मार्च को परिणाम घोषित किए जाएंगे।
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shahar-e-aman · 2 years
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आरएलडी सपा व भाजपा के गढ़ से ओवैसी ने जाटव कायस्थ ब्राह्मण उम्मीदवार उतार दी कड़ी चुनौती लखनऊ: जैसे-जैसे 2022 विधानसभा चुनाव के मतदान की तारीख करीब आ रही है वैसे-वैसे लड़ाई भी और दिलचस्प बनती जा रही है यूं तो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को भाजपा व सपा सहित अन्य पार्टी के लोग एक वर्ग विशेष की पार्टी बताते आ रहे शायद यह बात पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को नागवार गुज़री जिसका जवाब तो वह अपने भाषण में करते भी हैं किंतु वह भाषण तक ही सीमित नहीं रहे उन्होंने अब करके भी दिखाना शुरू कर दिया है कि ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन भारत के संविधान में विश्वास रखती है और सभी वर्ग के लोगों को एक समान समझती है और जहां तक सम्मान देने की बात है तो यह हम बखूबी जानते हैं। इसी कड़ी में ओवैसी की पार्टी ने जो चार लिस्ट उम्मीदवारों की घोषित की उनकी तादाद कुल 20 है लेकिन इन 20 उम्मीदवारों में चार उम्मीदवार ऐसे हैं जिनका नाम सुन विरोधी दलों के लोगों को पसीना आ गया। इनमें मेरठ के हस्तिनापुर सीट से विनोद जाटव बाराबंकी के रामनगर सीट से विकास श्रीवास्तव तथा गाजियाबाद के साहिबाबाद सीट से पंडित मनमोहन झा,भीम सिंह बलियान मुज़फ्फरनगर के बुधाना से पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है बताया जाता है कि इन चार सीट पर भाजपा सपा व आरएलडी का जबरदस्त वर्चस्व है ऐसे में ओवैसी ने गैर मुस्लिम उम्मीदवार को उतारकर लड़ाई को और दिलचस्प बना दिया है इसी तरह पार्टी पदाधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अभी जितने लोगों की लिस्ट आनी है एक चर्चा और आम है कि प्रयागराज के शहर दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र से भी एक गैर मुस्लिम उम्मीदवार उतार सकती है वह भी जिस वर्ग से इसी क्षेत्र के मौजूदा विधायक व कैबिनेट मंत्री हैं इसी तरह शहर के पश्चिमी विधानसभा सीट पर भी कमेरा समाज के उम्मीदवार को अंतिम समय में उतार कर सनसनी फैला दें तो कोई ताज्जुब नहीं अब देखना यह है कि उत्तरी ���िधानसभा सीट पर कौन से वर्ग के लोग को उम्मीदवार बनाया जाएगा लेकिन पार्टी कार्यालय में कुछ कायस्थ समाज के लोगो को आते जाते देखा गया है इससे यह प्रतीत हो रहा है कि इस सीट पर भी इसी वर्ग के उम्मीदवार उतारे जा सकते हैं यह तो आने वाला समय बताएगा कि किस सीट से किस वर्ग के लोगों को दिया जाएगा टिकट लेकिन अभी तक जो जानकारी मिल रही है उसमें अगर वास्तव में सच्चाई है तो यकीनन प्रयागराज शहर की 3 विधानसभा सीट पर भी लड़ाई दिलचस्प होगी और जिसका असर 12 विधानसभा सीट पर पढ़ना लाज़मी है। #Asaduddinowaisi #AIMIM #Akbaruddinowaisi #AIMIMparty #AIMIMpartyup #AIMIMst https://www.instagram.com/p/CY9ZEplMHfp/?utm_medium=tumblr
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kisansatta · 4 years
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यूपी : राज्यसभा के लिए आज नामांकन करेंगे जय प्रकाश निषाद
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की खली हुई सीटों के उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जय प्रकाश निषाद गुरुवार को नामांकन दाखिल करेंगे। राज्यसभा उप चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 13 अगस्त है। भाजपा के मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित ने बताया कि भाजपा प्रत्याशी जय प्रकाश निषाद 13 अगस्त को नामांकन दाखिल करेंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डॉ दिनेश शर्मा समेत प्रमुख नेता उपस्थित रहेंगे।
गौरतलब है कि सपा के बेनी प्रसाद वर्मा के निधन के कारण खाली सीट हुई थी | पूर्वांचल के जयप्रकाश निषाद मल्लाह बिरादरी से हैं, जिसका असर बिहार चुनाव में दिखाई पड़ सकता हैं | 2018 में सीएम योगी ने पार्टी मे जयप्रकाश निषाद को शामिल कराया था | भारत के उत्तर प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा सभा में विधायक रहे है | 2012 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश की चौरी-चौरा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र (निर्वाचन संख्या-326) से चुनाव जीता था |
कोरोना : देश में कोरोना मामले 24 लाख के पार, मौतों का आंकड़ा 47 हजार के पार
आपको बता दें कि जय प्रकाश निषाद मायावती सरकार में राज्य मंत्री भी रह चुके है | उन्होंने फरवरी 2018 में योगी आदित्यनाथ जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री है | उनकी एक सभा में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की |
घाघरा व शारदा नदियों से आधा सैकड़ा से अधिक गांवों में घुसा बाढ़ का पानी
राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद इस समय भारतीय जनता पार्टी के गोरखपुर क्षेत्र के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष है | उन्हें हाल ही में पूर्वांचल विकास बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया था | बेनी प्रसाद वर्मा के निधन से खाली हुई राज्यसभा की सीट 2022 तक ह�� | बीजेपी ने जयप्रकाश निषाद को राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाकर पिछड़ों पर दांव लगाया है | जयप्रकाश निषाद का कार्यकाल पांच मई 2022 तक रहेगा |
https://kisansatta.com/up-jai-prakash-nishad-to-nominate-for-rajya-sabha-today/ #UPJaiPrakashNishadToNominateForRajyaSabhaToday UP: Jai Prakash Nishad to nominate for Rajya Sabha today State, Top, Trending #State, #Top, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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उप्र निकाय चुनाव : कई सीटों पर बसपा, भाजपा के बीच कड़ी टक्कर has been published on PRAGATI TIMES
उप्र निकाय चुनाव : कई सीटों पर बसपा, भाजपा के बीच कड़ी टक्कर
लखनऊ़,(आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से मिली जीत के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नगर निकाय चुनाव में भी शानदार सफलता की तरफ बढ़ रही है लेकिन रुझानों में उसे कई सीटों पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से कड़ी टक्कर भी मिल रही है।
महापौर की 16 में से 11 सीट पर भाजपा आगे चल रही है, जबकि बसपा के प्रत्याशी पांच सीट पर बढ़त बनाए हुए हैं। महापौर पद के चुनाव में बीते वर्ष सत्ता में रही समाजवादी पार्टी के साथ ही कांग्रेस मुकाबले से बाहर हैं। सपा और कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी हर जगह से पीछे चल रहे हैं। गोरखपुर में महापौर के चुनाव में अब तक हुई लगभग 80,000 वोटों की गिनती में भाजपा प्रत्याशी सीताराम जायसवाल अपने निकटतम प्रत्याशी सपा के राहुल गुप्ता से 21,000 मतों से आगे चल रहे हैं। छह दौर की मतगणना पूरी हो चुकी है। बसपा का प्रत्याशी समाजवादी पार्टी (सपा) के गढ़ माने जाने वाले फिरोजाबाद में भारी मतों से आगे हैं। यहां पर भाजपा का प्रत्याशी दूसरे स्थान पर है। आगरा में भी बसपा प्रत्याशी ने भाजपा के महापौर पद के उम्मीदवार पर बढ़त बना ली है। महापौर पद में दूसरे दौर में बसपा प्रत्याशी दिगंबर सिंह धाकरे 12,000 वोटों से आगे चल रहे हैं। ताजनगरी आगरा में छह सभासद प्रत्याशियों का परिणाम घोषित कर दिया गया है। जिसमें भाजपा के पांच प्रत्याशी जीते हैं जबकि एक पर बसपा के प्रत्याशी ने बाजी मारी है। यहां पर महापौर पद के लिए भाजपा व बसपा के बीच कांटे का मुकाबला है। इलाहाबाद नगर निगम में भाजपा से महापौर प्रत्याशी अभिलाषा गुप्ता नंदी आगे हैं। इसी तरह से लखनऊ में संयुक्ता भाटिया, अलीगढ़ में राजीव अग्रवाल, मुरादाबाद में विनोद अग्रवाल, कानपुर में प्रमिला पाण्डेय और गोरखपुर में भी भाजपा के प्रत्याशी बढ़त बनाए हुए हैं। वाराणसी में भाजपा उम्मीदवार मृदुला जायसवाल को अभी तक 37,861 वोट, सपा की साधना गुप्ता को 21,665, कांग्रेस की शालिनी यादव को 9,624, बसपा की सुधा चौरसिया को 10,301 को वोट मिले हैं। अभी तक की गिनती में नोटा में 1,261 वोट पड़े। लखनऊ में भाजपा उम्मीदवार संयुक्ता भाटिया आगे चल रही हैं। अभी तक भाजपा को 44,126 वोट, सपा को 28,422, कांग्रेस को 13,258 वोट, बसपा के उम्मीदवार को अब तक 10,994 वोट मिले हैं। लखनऊ सहित 16 नगर निगम, 198 नगर पालिका परिषद और 438 नगर पंचायतों में तीन चरणों में हुए चुनाव की मतगणना हो रही है। इन चुनावों में कुल 79,113 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे जिनके भविष्य का फैसला होगा। मतगणना सभी 75 जिलों के 334 केंद्रों पर हो रही है। तीन चरणों में हुए मतदान में कुल 52.50 फीसदी मतदान हुआ था। वहीं तीसरे और अंतिम चरण में 26 जिलों में करीब 53 फीसदी मतदान हुआ। मतगणना के लिए 56,000 सुरक्षा कर्मी लगाए गए हैं।
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