अप्सरेपेक्षाही सुंदर आहे सौरभ गांगुलीची लेक सना गांगुली, सालसता व मादकता दोन्हीवर लाखोच्या संख्येने तरूण घायाळ
अप्सरेपेक्षाही सुंदर आहे सौरभ गांगुलीची लेक सना गांगुली, सालसता व मादकता दोन्हीवर लाखोच्या संख्येने तरूण घायाळ
अप्सरेपेक्षाही सुंदर आहे सौरभ गांगुलीची लेक सना गांगुली, सालसता व मादकता दोन्हीवर लाखोच्या संख्येने तरूण घायाळ
इंडियन क्रिकेट टीमचा माजी कॅप्टन आणि BCCI चा माजी अध्यक्ष असलेला सौरव गांगुली (Sourav ganguly) एक असे व्यक्तिमत्व आहे जे कधीच कोणताही क्रिकेट रसिक विसरू शकणार नाही. त्याची कारकीर्दच इतकी भन्नाट आणि जबरदस्त होती की आजही त्याची खेळी अनेक जणांना आठवते. त्याने टीशर्ट काढून केलेले सेलिब्रेशन…
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अपना हाता
मेरे आसपास आजकल बहुत कुछ घट रहा है
और बहुत तेजी से
कुछ दोस्तों ने मुखौटे बदल लिए हैं
कुछ दुश्मनों ने चेहरे।
एक बस है जो लगता है छूटने वाली है
एक और बस है ठसाठस भरी हुई
उसका खलासी गायब है
चलने का वक़्त भी नहीं पता
लोग भाग रहे हैं बेतहाशा
इधर से उधर
उधर से इधर
कुछ खड़े हैं जो असमंजस में
छूट जाने के डर से अकेले
दांव तौल रहे हैं
इधर जाएं
या उधर
किसी को मिल गए हैं बारहमासा टिकाऊ जूते
किसी ने तान ली है छतरी धूप में।
मुझसे कहता है पकी दाढ़ी वाला घुटा हुआ एक आदमी
बेटा जी लो अपनी ज़िन्दगी, कमा लो पैसे
फिर नहीं आने का सुनहरा मौका
क्यों जी रहे हो जैसे तैसे
वह अभी अभी चढ़ा है एक बस में
और पुकार रहा है मुझे सीढ़ी से ही
वो छूटने वाली बस का है मुसाफिर
उसकी दौड़ ज़्यादा लंबी नहीं, जानते हुए भी
दे रहा है मुझे आखिरी आवाज़
दिस इज़ द लास्ट कॉल फॉर पैसेंजर नंबर फलां फलां
मैं असमंजस में हूं
पैरों के नीचे की धरती कर सकता हूं महसूस
थोड़ा और शिद्दत के साथ
वह मुझे गुब्बारे दिखाता है
गुब्बारे रंग बिरंगे उसकी छतरी हैं गोया उल्टा पैराशूट
आकाश की ओर उतान जिनमें भरी है
निष्प्राण, निरर्थक, नीरस गैस
मेरे सिर के ठीक ऊपर चमकाता है वह
अपने बारहमासा जूते
जिनसे अगले पांच माह वह काट लेगा कम से कम
ऐसा दावा करता है।
मेरे साथी कह रहे हैं चढ़ जाओ
मेरी संगिन कहती है तोड़ दो दीवारें जो
बना रखी हैं तुमने अपने चारों ओर।
एक देश है जहां उत्तेजना ऐसी है गोया
सोलह मई को नेहरू जी संसद से करेंगे
ट्रिस्ट विद डेस्टिनी का भाषण
और आज़ाद हो जाएंगे सवा अरब लोग
चौक चौराहों और ट्रेनों में बैठे लोग किसी को
देख रहे हैं आता हुए सवार सफेद घोड़े पर
उसके पीछे उड़ती हुई एक चादर है और उसके
हाथों में जादू की एक छड़ी
बिल्कुल ऐसा ही हुआ था पांच साल पहले
लेकिन कोई याद नहीं करना चाहता उस घोड़े को
जिसकी टाप ने कर दिया था हमें बहरा
जिसके खुरों से उड़ने वाली धूल का कण अब भी
गड़ता है हमारी आंखों में और घुड़सवार के उतरते ही
हुई थी आकाशवाणी
हार कर जीतने वाले को बाज़ीगर कहते हैं
उसने हवा में जो रुमाल लहराया था उसमें लगी इत्र
की मादकता अब भी सिर चढ़ कर बोलती है
आदमी पागल
औरत पागल
बच्चे पागल
पागल बुज़ुर्ग
भीतर से दरकता हुआ एक दुर्ग
बाहर सवारियों को समेटती खचाखच भरी बस
कोई छूटने न पाए
सबका साथ ही सबका विकास है।
मेरे आसपास आजकल बहुत कुछ घट रहा है
और बहुत तेजी से
और मैं असमंजस में हूं और यह कोई नई बात नहीं है
क्योंकि शादियों में उदास हो जाना अचानक बचपन से मेरी फितरत रही है
कोई मर जाए तो निस्संग हो कर मलंग हो जाना पुरानी
अदा रही है अपनी
एकाध बार पूछते हैं, कहते हैं लोग हाथ बढ़ाकर-
चढ़ जाओ
फिर प्रेरणा के दो शब्द कह कर हो लेते हैं फरार
अबकी बार मजबूत सरकार।
मैंने पिछले एक हफ्ते में दर्जनों लोगों से पूछा है कि प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस का वोट कैसे बढ़ेगा
सबके मन में केवल विश्वास है
पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब वाला
विश्वास पर दुनिया कायम है तो कांग्रेस क्यों नहीं?
एक बस में अंधविश्वास का भरा है पेट्रोल
दूसरे में विश्वास का
संदेह वर्जित है
विरासत में मिला जो कुछ भी है वही अर्जित है
हाउ इज़ द जोश
सब महामिलावट का है दोष।
मेरे आसपास आजकल बहुत कुछ घट रहा है
और बहुत तेजी से
इसीलिए
मैंने किया है निश्चय बहुत धीरे धीरे
ऐन चुनाव के बीच बच्चों को गणित पढ़ाऊंगा
तेजी से घटती हुई दुनिया में उन्हें जोड़ना सिखाऊंगा
न इस बस से आऊंगा
न उस बस से जाऊंगा
अपनी हदों में रहूंगा
पकी दाढ़ी वाले घुटे हुए आदमी की बातों में
नहीं आऊंगा
न पहनूंगा जूता न तानूंगा छाता
किसी के बाप का क्या जाता
अपना खेल
अपना हाता।
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Word of The Hour: intoxication
English: intoxication 1. a poisoning, as by a spirituous or a narcotic substance 2. inebriation; ebriety 3. the state of being intoxicated or drunk ------------ - French: intoxication - German: die Vergiftung - Hindi: मादकता - Italian: intossicazione - Portuguese: intoxicação - Spanish: intoxicación ------------ Fill in missing translations @ https://wordofthehour.org/r/translations
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जलतरंग बजता, जब चुंबन करता प्याले को प्याला,
वीणा झंकृत होती, चलती जब रूनझुन साकीबाला,
डाँट डपट मधुविक्रेता की ध्वनित पखावज करती है,
मधुरव से मधु की मादकता और बढ़ाती मधुशाला।।११।
Charan Sparsh Guruji🚩🙏🌹
Love
Ef Bharat Gupta
Kutch,Gujarat🌹🌹🌹
@srbachchan
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प्रमिताक्षरा छंद "मधुर मिलन"
सजती सदा सजन से सजनी।
शशि से यथा धवल हो रजनी।।
यह भूमि आस धर के तरसे।
कब मेघ आय इस पे बरसे।।
लगता मयंक नभ पे उभरा।
नव चाव रात्रि मन में पसरा।।
जब शुभ्र आभ इसकी बिखरे।
तब मुग्ध होय रजनी निखरे।।
सजना सजे सजनियाँ सहमी।
धड़के मुआ हृदय जो वहमी।।
घिर बार बार असमंजस में।
अब चैन है न इस अंतस में।।
मन में मची मिलन आतुरता।
अँखियाँ करें चपल चातुरता।।
उर में खिली मदन मादकता।
तन में बढी प्रणय दाहकता।।
प्रमिताक्षरा छंद विधान -
"सजसासु" वर्ण सज द्वादश ये।
'प्रमिताक्षरा' मधुर छंदस दे।।
"सजसासु" = सगण जगण सगण सगण।
112 121 112 112 = 12 वर्ण का वर्णिक छंद। चार चरण, दो दो समतुकांत।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
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आशाएं
आशाएं जगी हैं मन में
होगा कुछ नया जीवन में
नया साल है विश्वास नया है
जन मन में उत्साह नया है
होगा कुछ विशेष जीवन में,
आशाएं जगी हैं मन में ।
फिजाओं में एक खुशबू फैली है
जैसे हर पंखुड़ी में कली खिली है
फूलों में मादकता घुली है
प्रकृति भी बनी शर्मीली है
जैसे नव जागृति की उमंग भरी है
खुशियां भरी सृष्टि की तन मन में,
आशाएं जगी हैं मन में
होगा कुछ नया जीवन में ।।
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Suryakant Tripathi Nirala - Koonj koonj koyal bolti hai
Suryakant Tripathi Nirala – Koonj koonj koyal bolti hai
कुंज-कुंज कोयल बोली है
कुंज-कुंज कोयल बोली है,
स्वर की मादकता घोली है।
कांपा है घन पल्लव-कानन,
गूँजी गुहा श्रवण-उन्मादन,
तने सहज छादन-आच्छादन,
नस ने रस-वशता तोली है।
गृह-वन जरा-मरण से जीकर
प्राणों का आसव पी-पीकर
झरे पराग-गन्ध-मधु-शीकर,
सुरभित पल्लव की चोली है।
तारक-तनु रवि के कर सिंचित,
नियमित अभिसारक जीवित सित,
आमद-पद-भर मंजु-गुंजरित
अलिका की कलिका डोली है।
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रात भर छाए रहे हैं
रात भर छाए रहे हैं
नमस्कार ! श्रावण के महीने में तो मेघराज अपनी प्रियतमा रत्नगर्भा वसुन्धरा पर जी भरकर प्रेम की वर्षा करते ही हैं, लेकिन आजकल भी अच्छी बारिश हो रही है रात दिन… अब बरखा की सुहानी रुत में जब रिमझिम रिमझिम का सितार बजाती बरखा रानी नाच रही हों तो ऐसे में मेघों की बात न हो… उनकी प्रिय सखी दमयन्ती की बात न हो… प्रकृति के कण कण में व्याप्त मादकता की बात न हो… ऐसा तो सम्भव ही नहीं… निश्चित रूप से कोई योगी…
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🌹🌻 प्रभात नमन 🌻🌹 🙏🚩 *बोलिये जय श्री राधा, कटें सिग भव की बाधा*🚩 🙏 !! श्रीबृन्दाविपिन बिहारी जुगल सरकार सकल चराचर जगत कौ मंगल करें!!🙏 🌴🌹🌻🌺🌼🌹🌻🌺🌻🌴 मुरलीधर की मधु भरी, मधुरामृत सी तान! झंकृत ह्वै डोलै हिया,बच री सखी सुजान!! इन्द्रजाल से नयन हैं, भौंहनि चलत कटार! बोलत मादकता चढ़ै, सखि छूटै घर द्वार!! 🌴🌹🌻🌺🌼🌹🌻🌺🌼🌴 🙏तेज✏️मथुरा✍️ #Radhe_Radhe🙏 (at श्रीधाम राधाकुण्ड) https://www.instagram.com/p/Ce417IFJu_3/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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#RealityOfMaharshiDayanand
महर्षि दयानंद भांग पीते थे। तथा माता पिता की सेवा करने के विरोधी थे।
"स्वामी दयानन्द भांग पीते थे तथा माता-पिता की सेवा करने के विरोधी थे > पुस्तक : महर्षि दयानन्द समग्र क्रान्ति के अग्रदूत पृष्ठ 8 तथा 21 पर तथा पुस्तक : "नवजागरण के पुरोधा दयानन्द सरस्वती" पृष्ठ 36 पर लिखा है कि स्वामी दयानन्द जी ने अपने जीवन चरित्र में स्वयं ही स्वीकार किया है कि वे माता पिता की सेवा करने के विरोधी थे तथा स्वामी दयानन्द जी भांग पीते थे तथा भांग की मादकता से बेसुध हो जाते थे।
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Word of The Hour: intoxication
English: intoxication 1. a poisoning, as by a spirituous or a narcotic substance 2. inebriation; ebriety 3. the state of being intoxicated or drunk ------------ - French: intoxication - German: die Vergiftung - Hindi: मादकता - Italian: intossicazione - Portuguese: intoxicação - Spanish: intoxicación ------------ Fill in missing translations @ https://wordofthehour.org/r/translations
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भारत के विनाश की सम्पूर्ण परन्तु दूरगामी योजना
5G स्पेक्ट्रम
G.M. बीज
आर्टिफिशियल इण्टेलीजैंस
विेदेशी कम्पनीज् को खुला आमन्त्रण
सरकारी उपक्रमों का अंधाधुंध निजीकरण
रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशकों का प्रचुर प्रयोग
टीकाकरण व ऐलोपैथी पद्धति को प्राथमिकता
विदेशी शिक्षण संस्थानों को खुला आमन्त्रण
वेदादि शास्त्रों के ज्ञान-विज्ञान का अपमान वा उपेक्षा
निर्धनों, किसानों व श्रमिकों का शोषण व उपेक्षा
डिजीटल इण्डिया बनाने की मादकता
सम्पन्न देशों की अंधी नकल
ज्ञान, चरित्र व शौर्य पर धन का शासन
विदेशी वा संकर गौओं के पालन को प्रोत्साहन व देशी गायों की उपेक्षा
अत्यधिक यन्त्रीकरण
राजनीति क��� अपराधीकरण
साम्प्रदायिकता व जातिवाद (सरकारी व सामाजिक)
WHO व WTO जैसी विदेशी संस्थाओं का अन्धानुगमन
भ्रष्टाचार
आतंकवाद
भारतीय इतिहास व संस्कृति का अपमान
मांस-मदिरा, अण्डा, मुर्गी, मछली, सूअर आदि अभक्ष्य पदार्थों का सेवन
प्यारे देशवासियों एवं देश को चलाने वाले कर्णधारो! आपको मेरी बातों पर विश्वास नहीं होगा परन्तु मैं निश्चित कहता हूँ कि इनमें से अधिकांश बिन्दु इस पृथ्वी को प्राणियों से विहीन कर देंगे, तब मेरी बात संसार को समझ आएगी। आज तो सुविधाओं की मादकता और अपने अहंकार के कारण मदमस्त है।
देशवासियो! जागो, अपनी पीढ़ी को मौत के मुंह में मत धकेलो, अन्यथा आपको आपकी पीढ़ियां कभी क्षमा नहीं करेंगी ।
✍️ आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक
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❤️❤️❤️ ध्यान की अनुपस्थिति है मन 🌸🌸🌸
ध्यान के लिए श्रम करो। मन की सब समस्याएं तिरोहित हो जाएंगी। असल में तो मन ही समस्या है, माइंड इज दि प्रॉब्लम। शेष सारी समस्याएं तो मन की प्रतिध्वनियां मात्र हैं। एक-एक समस्या से अलग-अलग लड़ने से कुछ भी न होगा। प्रतिध्वनियों से संघर्ष व्यर्थ है। पराजय के अतिरिक्त उसका और कोई परिणाम नहीं है। शाखाओं को मत काटो। क्योंकि एक शाखा के स्थान पर चार शाखाएं पैदा हो जाएंगी। शाखाओं के काटने से वृक्ष और भी बढ़ता है। और समस्याएं शाखाएं हैं। काटना ही है तो जड़ को काटो। क्योंकि जड़ के कटने से शाखाएं अपने आप ही विदा हो जाती हैं।
और मन है जड़। इस जड़ को काटो ध्यान से। मन है समस्या। ध्यान है समाधान। मन में समाधान नहीं है। ध्यान में समस्या नहीं है। क्योंकि मन में ध्यान नहीं है। क्योंकि ध्यान में मन नहीं है। ध्यान की अनुपस्थिति है मन। मन का अभाव है ध्यान। इसलिए कहता हूं--ध्यान के लिए श्रम करो।
मन के रहते शांति कहां? क्योंकि वस्तुतः मन ही अशांति है। इसलिए शांति की दिशा में मात्र विचार से, अध्ययन से, मनन से कुछ भी न होगा। विपरीत मन और सबल भी हो सकता है; क्योंकि वे सब मन की ही क्रियाएं हैं। हां, थोड़ी देर को विराम जरूर मिल सकता है; जो कि शांति नहीं, बस अशांति का विस्मरण मात्र है। इस विस्मरण की मादकता से सावधान रहना। शांति चाहिए तो मन को खोना पड़ेगा। मन की अनुपस्थिति ही शांति है। साक्षीभाव, विटनेसिंग से यही होगा। विचार, कर्म--सभी क्रियाओं के साक्षी बनो। कर्ता न रहो। साक्षी बनो। पल-पल साक्षी होकर जीयो। जो भी करो--साक्षी रहो। जैसे कि कोई और कर रहा है और मात्र गवाह रहा हो। फिर धीरे-धीरे मन भोजन न पाने से निर्बल होता जाता है। कर्ताभाव मन का भोजन है। अहंकार मन का ईंधन, (फ्यूल) है। और जिस दिन ईंधन बिल्कुल नहीं मिलता है, उसी दिन मन ऐसे तिरोहित हो जाता है कि जैसे कभी रहा ही न हो।
ओशो ❤️❤️
ध्यान योग-ओशो-(अध्याय-02)
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बड़े ही धूम धाम से निकला ऐतिहासिक बुढ़वा मंगल जुलूस
बड़े ही धूम धाम से निकला ऐतिहासिक बुढ़वा मंगल जुलूस
प्रेम कुमार
चैती बयार के मादकता के संग होरी खेलन निकले बजरंग
दिलदारनगर(गाजीपुर)।फागुन-चैत्र मास के साथ अमराइयों की फिजा में घुली सुगंध और महुए के कोचरों से टपकते मादक सुगंध के साथ जब पालकी पर विराजमान हो होरी खेलन निकले हनुमंत तो मानो दिलदारनगर ग्राम सहित स्थानीय बाजार भी झूम उठा।मौका था बुढ़वा मंगल का।दिलदारनगर गांव स्थित पुराने पशु हाट के हनुमान मंदिर से पालकी पर विराजमान हो घोड़े, हाथी,ऊंट…
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आज का शब्द गठन रामधारी सिंह दिनकर सर्वश्रेष्ठ कविता उर्वशी - आज का शब्द: क्षितिज और रामेश्वरी सिंह दैत्य चकित 'उर्वशी' से अंश अंश
आज का शब्द गठन रामधारी सिंह दिनकर सर्वश्रेष्ठ कविता उर्वशी – आज का शब्द: क्षितिज और रामेश्वरी सिंह दैत्य चकित ‘उर्वशी’ से अंश अंश
अमर उजाला 'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- गठन, जिसका अर्थ है- निर्माण, संस्थापना, रचना, बनावट, गठे होने की अवस्था या भाव। प्रस्तुत है रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित उर्वशी से चुनिंदा अंश
सहजन्या
कौन व्यथा उर्वशी भला पाएगी भू पर जाकर?
सुख ही होगा उसे वहाँ प्रियतम को कंठ लगाकर।
रम्भा-
सो सुख तो होगा , परंतु, यह मही बड़ी कुत्सित है
जहाँ प्रेम की मादकता मॅ भी यातना निहित…
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छत्तीसगढ में पारंपरिक रूप में गाये जाने वाले लोकगीतों में जसगीत का अहम स्थान है । छत्तीसगढ का यह लोकगीत मुख्यत: क्वांर व चैत्र नवरात में नौ दिन तक गाया जाता है | पारंपरिक रूप से मांदर, झांझ व मंजिरे के साथ गाये जाने वाला यह गीत अपने स्वरों के ऊतार चढाव में ऐसी भक्ति की मादकता जगाता है जिससे सुनने वाले का रोम रोम माता के भक्ति में विभोर हो उठता है । छत्तीसगढ के शौर्य का प्रतीक एवं मॉं आदि शक्ति के प्रति असीम श्रद्धा को प्रदर्शित करता यह लोकगीत नसों में बहते रक्त को खौला देता है, यह अघ्यात्मिक आनंद का ऐसा अलौकिक ऊर्जा तनमन में जगाता है जिससे छत्तीसगढ के सीधे साधे सरल व्यक्ति के रग रग में ओज उमड पडता है एवं माता के सम्मान में इस गीत के रस में लीन भक्त लोहे के बने नुकीले लम्बे तारों, त्रिशुलों से अपने जीभ, गाल व हाथों को छेद लेते हैं व जसगीत के स्वर लहरियों में थिरकते हुए ‘बोलबम’ ‘बोलबम’ कहते हुए माता के प्रति अपनी श्रद्धा प्रदर्शित करते हुए ‘बाना चढाते’ हैं वहीं गांव के महामाया का पुजारी ‘बैइगा’ आनंद से अभिभूत हो ‘माता चढे’ बम बम बोलते लोगों को बगई के रस्सी से बने मोटे रस्से से पूरी ताकत से मारता है, शरीर में सोटे के निशान उभर पडते हैं पर भक्त बम बम कहते हुए आनंद में और डूबता जाता है और सोंटे का प्रहार मांदर के थाप के साथ ही गहराते जाता है । Exploring with: @image___factory #navratri2021 #navratri #villagelife #villagebeauty_westend #villageofchhattisgarh #chhattisgarh😍 #chhattisgarhdiaries #chhattisgarhiya_sable_badhiya #chhattisgarhi #chhattisgarh #chhattisgarhtourism #chhattishgarhtourism #jasgeet #matarani#mata #sewa #about #lifeofchhattisgarh #dholak #image__factory #dslrphotography #canon #canon_photo #canonphoto #canon200d #instagram #photographylover #likeforlikes #cfor36garh https://www.instagram.com/p/CVCv9HHhDys/?utm_medium=tumblr
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