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#भारत अमेरिका व्यापार
newsdaliy · 2 years
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अमेरिका को निर्यात बढ़ाने से भारत अगला चीन बनने की होड़ में रहेगा
अमेरिका को निर्यात बढ़ाने से भारत अगला चीन बनने की होड़ में रहेगा
नई दिल्ली: भारत, जिसे कई लोगों का मानना ​​है कि अगला चीन बनने की क्षमता है, आखिरकार निर्यात बाजार में बढ़त बना रहा है क्योंकि यह अमेरिका को क्रिसमस की सजावटी वस्तुओं और टी-शर्ट के शीर्ष 5 आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। अमेरिकी सीमा शुल्क के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में त्योहार के सामान और सामान की समुद्री शिपमेंट पिछले महीने 20 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई, जो एक साल पहले की अवधि से लगभग तीन गुना अधिक…
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5gdiginews · 9 days
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China will never treat India as equal partner: USISPF President Aghi
अमेरिका स्थित शीर्ष भारत-केंद्रित व्यापार और रणनीतिक समूह के प्रमुख मुकेश अघी की फ़ाइल छवि। (फोटो: X@MukeshAghi) 4 मिनट पढ़ें आखरी अपडेट : 06 मई 2024 | सुबह 9:51 बजे प्रथम चीन कभी भी भारत को एक समान भागीदार के रूप में नहीं मानेगा और सीमा पर सैनिकों को इकट्ठा करके, बीजिंग नई दिल्ली को पूंजी निवेश की तुलना में रक्षा पर अधिक पैसा खर्च करने के लिए मजबूर कर रहा है, मुकेश अघी, अमेरिका स्थित एक शीर्ष…
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dainiksamachar · 3 months
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चीन के BRI का भारत देगा IMEC से जवाब... यूरोप से मिडिल-ईस्‍ट तक फील्डिंग सेट, क्‍या है प्‍लान?
नई दिल्‍ली: दुनिया में अशांति है। रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। इजरायल और हमास में छिड़ी जंग दूसरे देशों को भी अपनी जद में ले रही है। इसने अंतरराष्‍ट्रीय कारोबार को अंधी गलियों में धकेल दिया है। भारत इन चक्‍करों से दूर है। अब तक उसने किसी एक खेमे में शामिल होने से दूरी बनाई है। उसका टारगेट बड़ा साफ है। तीन साल के अंदर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यस्‍था बन जाना। क्षेत्र में उसका सबसे बड़ा और कट्टर प्रतिद्वंद्वी सिर्फ एक है। वो है चीन। ड्रैगन बेल्‍ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) के जरिये पूरी दुनिया में अपना माल पाट देने की जुगाड़ में है। यह उसकी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है। चीन की इस महात्‍वाकांक्षी योजना में भारत हिस्‍सा नहीं है। कारण है पाकिस्‍तान। यह कॉरिडोर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को शामिल करता है जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। भारत इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है। अलबत्‍ता, भारत बीआरआई का जवाब आईएमईसी से देने की तैयारी में है। इंडिया-मिडिल ईस्‍ट- यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) को लेकर सरकार का बड़ा प्‍लान है। वित्‍त मंत्री ने अंतरिम बजट में इसका जिक्र भी किया है। सीतारमण ने IMEC को बताया है गेम चेंजरमोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम बजट पेश करते हुए सीतारमण ने आईएमईसी को भारत के लिए गेम चेंजर बताया है। उन्‍होंने कहा है कि इससे आर्थिक गतिविधियों को बड़ा प्रोत्‍साहन मिलेगा। सरकार इस पर फोकस बनाए हुए है। इसके जरिये भारत को सड़कों के नेटवर्क से पश्चिम एशिया और यूरोप को जोड़ने का प्‍लान है। वित्‍त मंत्री ने यह बात ऐसे समय कही है जब लाल सागर के जरिये एशिया और यूरोप के बीच समुद्री कॉरिडोर में हूती विद्रोहियों के हमलों से व्‍यवधान पड़ा है। इसने केप ऑफ गुड होप के रास्‍ते मालवाहक जहाजों को ज्‍यादा लंबा रूट लेने पर मजबूर किया है। इसने यूरोप को होने वाले भारतीय निर्यात को महंगा बनाया है। भारत, मध्य पूर्व और यूरोप को जोड़ने वाले इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) की प्‍लानिंग 2023 में जी20 शिखर सम्मेलन में शुरू हुई थी। यह भारत को यूरोप और मिडिल ईस्‍ट के बाजारों तक बेहतर पहुंच प्रदान करेगा। आईएमईसी में 13 देश शामिल हैं। इनमें भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इजरायल, फ्रांस, इटली, जर्मनी, नीदरलैंड, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और हंगरी हैं।IMEC है चीन के BRI को जवाब IMEC को चीन के बीआरआई का जवाब मना जाता है। हालांकि, इजरायल और हमास में छिड़ी जंग के बीच अभी इसके अमलीजामा पहनने में अड़चनें हैं। इजयराल और जॉर्डन को इस गलियारे में अहम भूमिका निभानी हैं। लेकिन, जंग के बीच दोनों ही एक-दूसरे के सामने खड़े हैं। सीतामरण ने भी इस चुनौती का जिक्र किया है। उन्‍होंने कहा है कि युद्धों और संघर्षों के कारण दुनिया तेजी से बदल गई है। इसके कारण सप्‍लाई चेन में बाधाएं आने लगी हैं। इसने दुनिया के सामने चुनौती खड़ी कर रखी है। IMEC को सीतारमण ने भारत और दूसरे देशों के लिए गेम चेंजर बताया। अभी भारतीय कंपनियां स्‍वेज नहर के जरिये लाल सागर का इस्‍तेमाल करती हैं। इसी रूट से भारतीय माल यूरोप, उत्‍तरी अमेरिका, उत्‍तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के कई हिस्‍सों में पहुंचता है। आईएमईसी से क्‍या होगा फायदा? -व्यापार और निवेश को बढ़ावा -क्षेत्रीय एकीकरण को मजबूती -बुनियादी ढांचे का विकास - रोजगार के मौके - लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा आईएमईसी भारत के लिए क्‍यों महत्वपूर्ण? - भारत को यूरोप और मध्य पूर्व के बाजारों तक बेहतर पहुंच प्रदान करता है।- ऊर्जा और अन्य संसाधनों की सुरक्षित आपूर्ति में मदद करता है।- भारत को ग्‍लोबल वैल्‍यू चेन में एकीकृत करने में सहायक है।चीन का BRI क्‍या है? चीन के बीआरआई को 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (BRI) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक बड़ा प्रोजेक्‍ट है। इसकी शुरुआत 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने की थी। इसका मकसद एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जमीनी और समुद्री नेटवर्क से जोड़कर व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। भारत बीआरआई का हिस्सा नहीं है। कारण है कि यह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को शामिल करता है। यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है। भारत इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है। http://dlvr.it/T2CtcY
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venkteshwara · 5 months
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श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय/ संस्थान में उत्तर प्रदेश सरकार श्रम व सेवायोजन मंत्रालय के संयुक्त तत्वाधान में ‘‘वृहद रोजगार मेला-2023‘‘ का शानदार आयोजन।
देश की शीर्ष पचास से अधिक आई.टी. इन्जीनियरिंग, प्रबंधन, हैल्थ सेक्टर, पैरामेडिकल, नर्सिंग, व्यापार एवं वाणिज्य कम्पनियों ने देश भर से आये पाँच हजार से अधिक युवाओं का साक्षात्कार लेकर पाँच सौ छयासी युवाओं को अन्तिम रूप से चयनित किया।
आदरणीय प्रधानमन्त्री जी की ‘मिशन रोजगार‘, डिजीटल इण्डिया, स्किल इण्डिया एवं शानदार राष्ट्रीय शिक्षा निति के दम पर रोजगारोन्मुखी योजनाओं से पिछले एक दशक अप्रत्याशित रूप से बेरोजगारी कम हुई है - डॉ. सुधीर गिरि, चेयरमैन वेंक्टेश्वरा समूह।
सरकारी एवं निजी क्षेत्र की नौकरियों के अलावा एंटरप्रेन्योर के दम पर स्वरोजगार की दिशा में आज देश पूरे विश्व में अव्वल - श्री एम.एस. कन्याल मुख्य अतिथि/ वक्ता वरिष्ठ आई.एफ.एस. अधिकारी भारत सरकार।
यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा रोजगार मेला - अश्वनी कुमार मिश्र, मुख्य विकास अधिकारी विशिष्ट अतिथि।
बड़ी संख्या में नौकरी पाकर खिले युवाओं के चेहरे, यू.पी. सरकार एवं वेंक्टेश्वरा का जताया आभार।
चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस (किसान जयन्ती) की पूर्व संध्या पर प्रदेश के चार दर्जन से अधिक प्रगतिशील अन्नदाता किसान भाईयों को पगड़ी पटका एवं ‘‘चौधरी चरण सिंह किसान सम्मान प्रशस्ति पत्र‘‘ देकर किया सम्मानित।
आज राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास स्थित श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय संस्थान एवं श्रम व सेवायोजन मन्त्रालय उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वाधान में आज ‘‘वृहद रोजगार मेला-2023‘‘ का शानदार आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से चार दर्जन से अधिक मल्टीनेशनल कम्पनियों ने देश भर से आये पाँच हजार से अधिक युवाओं का साक्षात्कार लेकर पाँच सौ छयासी अभ्यार्थियों/युवाओं को अन्तिम रूप से चयनित किया। इसके साथ ही किसान जयन्ती (23 दिसम्बर) की पूर्व संध्या पर प्रदेश के 51 प्रगतिशील अन्नदाता किसान भाईयों को चौधरी चरण सिंह किसान सम्मान/ प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय/ संस्थान के मेजर ध्यानचन्द्र ओपन खेल परिसर में उत्तर प्रदेश सेवायोजन मंत्रालय के संयुक्त तत्वाधान में ‘‘वृहद रोजगार मेला-2023‘‘ का शुभारम्भ समूह चेयरमैन डॉ. सुधीर गिरि, मुख्य अतिथि आई.एफ.एस श्री एम.एस. कन्याल, मुख्य विकास अधिकारी श्री अश्वनी कुमार मिश्र, परियोजना निदेशक श्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह, प्रतिकुलाधिपति डॉ. राजीव त्यागी, जिला सेवा योजन अधिकारी डॉ. सुशील कुमार कुलपति डॉ. राकेश कुमार यादव आदि ने सरस्वती माँ की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित करके किया।
अपने सम्बोधन में समूह चेयरमैन डॉ. सुधीर गिरी ने कहा कि प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के अथक प्रयासों से आज ‘‘स्किल इण्डिया डिजीटल इण्डिया मिशन रोजगार‘‘ एवं शानदार नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बदौलत सक्षम एवं पात्र युवाओं के लिए देश एवं विदेशों में रोजगार के लाखों अवसर उप्लब्ध है। आज आई.टी., मैनेजमेन्ट, हैल्थ सेक्टर, नर्सिंग समेत हर क्षेत्र में भारतीय युवाओं की भारी डिमांड है, जिसके दम पर भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
मुख्य अतिथि भारतीय विदेश सेवा के कई देशों के राजदूत रहे वरिष्ठ ��ई.एफ.एस. अधिकारी श्री एम.एस. कन्याल ने कहा कि मैने भारतीय विदेश सेवा में रहते हुए यूरोपियन देशों समेत विश्व के एक दर्जन से अधिक देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया कनाडा के अलावा भी देश दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं है, जहाँ भारतीय युवा अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज ना करा रहे हों।
‘‘वृहद रोजगार मेला-2023‘‘ को जिला सेवा योजन अधिकारी डॉ. सुधीर कुमार, सेवायोजन कार्यक्रम के संयोजक डॉ. लक्ष्मण सिंह आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर प्रधान सलाहकार डॉ. वी.पी.एस. अरोड़ा, सी.ई.ओ. अजय श्रीवास्तव, समूह सलाहकार आर.एस. शर्मा, कुलसचिव डॉ, पीयूष पाण्डे, डॉ, तेजपाल सिंह, डॉ. अनिल जयसवाल, डॉ, दिव्या गिरधर, डॉ, आशुतोष सिंह, डॉ. ओम प्रकाश गोसाई, डॉ. राहुल कुमार, अश्विन कुमार सक्सेना, डॉ. राजवर्धन, डॉ. सर्वनन्द साहू, डॉ. ऐना एरिक ब्राउन, अरूण कुमार गोस्वामी, मारूफ चौधरी, अभिषेक जैन, मेरठ परिसर से निदेशक डॉ. प्रताप सिंह मीडिया प्रभारी विश्वास राणा आदि लोग उपस्थित रहे। कुलसचिव डॉ. पीयूष पाण्डे ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह का शानदार संचालन डॉ. आशी नायर एवं प्रशान्त कुमार ने किया।
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studyara · 5 months
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विकासशील देशों पर बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रभाव
विकासशील देशों पर बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रभाव की चर्चा कीजिए |
उत्तर -
भूमिका :- वर्तमान समय में बहुराष्ट्रीय निगमों का बहुत तेजी से विस्तार हुआ है | अधिकांश नवीन राजनीति व अर्थशास्त्र के लेखकों को यह बात आश्चर्यजनक प्रतीत होती है, पर इतिहास के विद्यार्थी इस तथ्य से परिचित हैं कि पिरामिड में पाई जाने वाली बहुत सी वस्तुएं भारत की थी तथा रोम से भारत का व्यापार होता था | मध्यकाल में अरब और ईरानी भारत से व्यापार करते थे तथा ईस्ट इंडिया कंपनी, फ्रेंच और डच व्यापारिक कंपनियों ने व्यापार विस्तार में उल्लेखनीय भूमिका उस समय निभाई थी, परंतु अब अधिकांश वस्तुएं भारत के बाहर की होती है भारत में और भारत जैसे अनेक विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय निगमों का बोलबाला बहुत तेजी से बढ़ रहा है | इसके हमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभाव देखने को मिलते हैं कुछ विद्वान  बहुराष्ट्रीय निगमों के फायदे को गिनाते हैं, तो वहीं कुछ इससे होने वाले नुकसानों  पर जोर देते हैं | बहुराष्ट्रीय निगमों से विकासशील देशों के संप्रभुता को हानि हुई है | विकासशील और अल्पविकसित देशों के संसाधनों को भी बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा नुकसान पहुंचाया जाता है | वही दूसरी ओर बहुराष्ट्रीय निगमों से फायदे के रूप में रोजगार के अवसर और बेहतर उपभोक्ता वस्तुओं कि उपलब्धता को बताया जाता है |
बहुराष्ट्रीय निगमों की परिभाषा
जो कंपनियां या निगम मूल रूप से एक देश में स्थापित होकर अन्य देश में अपनी शाखाओं का विस्तार करता है तथा वस्तुओं का निर्माण और व्यापार करता है, वह बहुराष्ट्रीय निगम कहलाता है | जैसे- कोका कोला या पेप्सी, कोलगेट, लीवर ब्रदर आदि |
पूंजी की विशालता, प्रचुरता व अनुभव और दक्षता के कारण इनका निरंतर विस्तार हो रहा है | ये बहुराष्ट्रीय निगम संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, हाॅलैंड, जर्मनी, जापान, कनाडा व दक्षिण कोरिया आदि देशों के हैं |
विकासशील देश Read This
विकासशील देशों पर बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रभाव
बहुराष्ट्रीय निगमों से विकासशील देशों पर सकारात्मक प्रभाव -
बहुराष्ट्रीय निगम क्षमता में आश्चर्यजनक विश्वास प्रदर्शित करते हैं, कम दाम पर अधिक और अच्छा उत्पादन प्रस्तुत करते हैं, इसलिए इन उत्पादों के लिए तीव्रता से सार्वभौमिक मांग पैदा हुई है | बहुराष्ट्रीय निगम के सकारात्मक पहलुओं  में अटल विश्वास के लिए प्रमुख कारण बहुराष्ट्रीय निगमों की कार्य क्षमता है | बहुराष्ट्रीय निगम रोजगार के नए अवसर पैदा करता है, विकसित प्रौद्योगिकी प्रस्तुत करता है तथा विश्व के विकसित देशों में स्थानीय नागरिकों को आधुनिक प्रबंधन की कला और विज्ञान में निपुण बनाने का कार्य करता है | बहुराष्ट्रीय निगमों की गतिविधियां उत्पादन और वितरण प्रक्रिया का अंतरराष्ट्रीयकरण करती है | इन्होंने राष्ट्रीय राज्य के अपने प्रबंधकों और कर्मचारियों की 'अंध देशभक्ति' या 'अन्ध राष्ट्रभक्ति' से दूर रखा है, इसलिए बहुराष्ट्रीय निगम विश्व के अच्छे नागरिक साबित हुए हैं | बहुराष्ट्रीय निगम विश्व कानून और सरकार के माध्यम से विश्व शांति और विकास का मार्ग तैयार करते हैं | बहुराष्ट्रीय निगम का अत्याधिक शक्तिशाली तर्क यह है कि उन्होंने अपने उत्पादों को विश्व स्तर पर पहुंचा दिया और उन्हें सुविधाओं के साथ सम्मिलित कर दिया है इसलिए अंतरराष्ट्रीय युद्धों का व्यवहार अपने आप में प्रचलित हो गया है अंटार्कटिक समुदाय धोखा एंकर और विध्वनशक युद्ध होगा साक्षी है परंतु अब बहुराष्ट्रीय निगमों की गतिविधियों के लाभदायक विकास के परिणाम स्वरूप पूर्ण रूप से परिवर्तित हो गया है जो कि क्षेत्र में क्षेत्रीय एकीकरण की प्रक्रिया भी सफल हो गई है बहुराष्ट्रीय निगम उत्साह का तर्क है कि अंतः निर्भरता में विकास होने तथा आपसी प्रतियोगिता का आज अंटार्कटिक देशों में विकास हुआ है इसलिए कहा जा सकता है कि अमेरिका और कनाडा या फ्रांस और जर्मनी के बीच युद्ध जैसी घटना होना असंभव है |
बहुराष्ट्रीय निगमों से विकासशील देशों पर नकरात्मक प्रभाव-
बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमंडलीय निगमित गतिविधियों के साथ समस्याओं की व्यापक क्षेत्रों में पहचान की गई है केवल तीसरी दुनिया या विकासशील देशों ने ही नहीं बल्कि बहुराष्ट्रीय निगमों के ऊपर विकसित देशों ने भी आशंका व्यक्त की है | विकसित भागों में बहुराष्ट्रीय निगमों के कार्यों के गंभीर निहितार्थ के संबंध में लगातार चिंता व्यक्त की जाती रही है | पश्चिमी देशों के अनेक संगठित मजदूर संघों का मानना है कि बहुराष्ट्रीय निगम अपने संयंत्रों को वहीं स्थापित करते हैं, जहां पर सस्ते श्रमिक मिलते हैं | इनके इस परिचालन के कारण अमेरिका, ब्रिटेन और विश्व के अन्य विकसित देशों में बेरोजगार की गंभीर समस्या पैदा हो गई है | बार्नेट और मूलर विद्वानों का मानना है कि बहुराष्ट्रीय निगम बहुत ही शक्तिशाली मानव संगठन है और यह भविष्य में उपनिवेश निर्माण के साधन के रूप में कार्य करेगा | बहुराष्ट्रीय निगमों पर वह सीधे प्रहार करते हुए कहते हैं कि इनसे विश्वशांति और समृद्धि थी कल्पना करना व्यर्थ है | बार्नेट और मूलर तर्क देते हैं कि व्यापक भुखमरी, अत्यधिक बेरोजगारी और व्यापक असमानता जैसी गंभीर समस्याओं के संबंध में इस तरह की निगमों के पास कोई कार्यक्रम अथवा कोई एजेंडा नहीं है | यहां पर मुख्य विवाद यह है कि बहुराष्ट्रीय निगम छुपे हुए जमीदार की तरह है, जो सबसे पहले अपने लाभ की चिंता करते हैं, वे बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं के बारे में गंभीर या संवेदनशील नहीं है | इसके अति विशाल और सम्मोहन विज्ञापन अभियानों के कारण यह कंपनियां विकासशील देशों के लोगों की पसंद और उनके जीवन शैली को ही नष्ट नहीं कर रही, बल्कि उनको ऐश्वर्य की वस्तुओं का आदि बनाकर उन्हें आवश्यकता के रूप में परिवर्तित कर रहे हैं | सामाजिकता के व्यापक और गंभीर मुद्दों जैसे कि पोषण, स्वच्छ वायु और सार्वजनिक स्वास्थ्य को इन निगमों ने कभी नहीं उठाया और न ही इन पर कुछ काम किया है | इसलिए बहुराष्ट्रीय निगम विकासशील देशों में संदेह की दृष्टि से देखे जाते हैं |
बहुराष्ट्रीय निगम भविष्य में घोर असमानता, व्यापक बेरोजगारी और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन जैसी समस्याओं को उत्पन्न करेगा और यह किसी भी विकासशील देश के लिए विनाशकारी साबित होगा | बहुराष्ट्रीय निगम विकासशील देशों में अपने उद्योगों को स्थापित करते हैं और विकासशील देशों को लाभ का कम अंश देकर अधिकांश लाभ स्वयं रख लेते हैं | बहुराष्ट्रीय निगम अल्प विकसित या विकासशील देशों के लिए पर्यावरणीय रूप से भी अत्यधिक हानिकारक है |
निष्कर्ष :- बहुराष्ट्रीय निगम बहुत तेजी से बढ़े हैं तथा यह बहुराष्ट्रीय गतिविधियों को धन व विस्तार के कारण प्रभावित करते हैं तथा अपने उद्गम वाले राज्यों व मुख्यालय के आदेशों का पालन करते हैं | उन राज्यों के आदेशों की अनदेखी करते हैं, जहां इनकी शाखाएँ हैं  तथा राज्य के नियम अंतरराष्ट्रीय कानूनों और नैतिकता के विरुद्ध है | उनका पालन राज्य संप्रभु होते हुए भी नहीं करवा सकता | जैसे- बहुराष्ट्रीय निगम की संपत्ति को भारत में संपत्ति का मूल अधिकार न होते हुए भी बिना मुआवजा दिए छीना नहीं जा सकता और न निगम के विदेशी स्वामी या अधिकारी का मुख्यालय आदि दूसरे देश में है, तो बंदी बनाया जा सकता है | अत: फासीवादी विचारकों का मत है कि इससे राज्य की संप्रभुता को हानि पहुंची है | परंतु उदारवादी विचारकों का मत है कि बहुराष्ट्रीय निगमों से अंतरराष्ट्रीयता और विश्वशांति को प्रोत्साहन मिला है तथा बहुराष्ट्रीय निगमों के भूमंडलीय निगमित गतिविधियों द्वारा शांति और समृद्धि के नव स्वर्ण युग का श्रीगणेश हुआ है |
दोनों से उनके मालिकों, अधिकारियों तथा शिक्षित कर्मचारियों को तो लाभ हुआ है, परंतु निर्धन देशों और निर्धन और अशिक्षित व्यक्तियों को तथा छोटे उद्योग -धंधों को हानि पहुंची है तथा बेकारी बढी है और अविकसित देश ऋणी हो जाने के कारण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के प्रभाव में आ गए हैं तथा उनकी संप्रभुता में कमी आई है |
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sagar-jaybhay · 6 months
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United States Willing to Invest $150 Million for E mobility
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United States Willing to Invest $150 Million for E mobility
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका का साथीत्व बढ़ा हुआ है जिसके तहत वे नई दिल्ली के इलेक्ट्रिक सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में शीघ्रता प्रदान करने के लिए सहयोग करने के लिए तैयार हैं, जो इसके नेट-जीरो उद्देश्यों के साथ समर्थित हैं। यह साझेदारी दोनों देशों के बीच व्यापार और राजनीतिक संबंधों को मजबूत करती है जब वे चीन के प्रभाव का सामना करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
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United States Willing to Invest $150 Million वर्तमान में अंतर-मंत्रालय परामर्श कर रहे प्रस्ताव के अनुसार, संयुक्त राज्य $150 मिलियन (लगभग ₹1,250 करोड़) का योजना स्थापित करने के लिए तैयार है जिससे एक कोष बनेगा। यह कोष कंपनियों के लिए एक भुगतान गारंटी के रूप में कार्य करेगा जो स्टेट ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग्स (STUs) को इलेक्ट्रिक बसें प्रदान कर रही हैं। इस वित्तीय तंत्र के विवरणों को सुधारने के लिए दो पक्षों के बीच चर्चाएं जारी हैं। इस पहल का उद्दीपन इंडिया में ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए किया गया है, जो दुनिया भर में सबसे प्रदूषित शहरों में से कुछ में शामिल है। मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने पर, सरकार का इरादा है कि वह लगभग 50,000 इलेक्ट्रिक बसों के लिए राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक बस प्रोग्राम के तहत पाँच वर्षों के भीतर इस प्रक्रिया की शुरुआत करेगी। सरकार इन बसों को महंगे क्रूड आयात को रोकने और यानीव प्रदूषण को कम करने के रूप में देख रही है। "हम एक भुगतान सुरक्षा योजना को स्थापित करने के लिए चर्चा के अंतिम चरण में हैं, पुरानी, प्रदूषणकारी डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों के साथ बदलने के लिए। प्रस्ताव को इंटर-मंत्रीय परामर्श के लिए आगे बढ़ा गया है, जिसके बाद यह मंत्रिमंडल के मंजूरी के लिए भेजा जाएगा," एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने आर्थिक टाइम्स से गुप्त रूप से कहा। "बसों को इलेक्ट्रिक बनाना सरकार के लिए एक प्राथमिकता है क्योंकि इसका सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से सबसे अधिक प्रभाव हो सकता है।" यह प्रस्ताव वित्त और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के यूएस यात्रा के दौरान पर गौरवान्वित किया जा रहा है। गोयल इस सप्ताह टेस्ला की सीईओ एलन मस्क से मिलने के लिए तैयार हैं ताकि वे अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार निर्माता की इंडिया में अपने पहले कारख़ाने की योजना पर चर्चा कर सकें, जैसा कि मीडिया ने रिपोर्ट किया है। यूएस प्रेसिडेंट जो बाइडेन की आशीर्वादित उपस्थिति में जनवरी में नई दिल्ली के रिपब्लिक डे समारोहों के मुख्य अतिथि के रूप में आने की प्रत्याशा है, इससे संयुक्त राजस्थानों के बीच के संबंधों की मौजूदा गति को और बढ़ाएगा। सरकार ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक बस प्रोग्राम (NEPB) के तहत पुरानी और पर्यावरण के लिए हानिकारक डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों से बदलने के लिए टेंडर जारी करने की कड़ी कोशिशें की है। यह प्रयास देश में वाहन प्रदूषण के उच्च स्तरों के बारे में बढ़ते चिंताओं का सामना करने के लिए है, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में। दुर्भाग्यवश, जनवरी 2023 में स्थानीय सरकार की संघटन ऊर्जा सेवाएं लिमिटेड (CESL) द्वारा शुरू किए गए 4,675 इलेक्ट्रिक बसों के लिए हाल ही में निकाले गए टेंडर को कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। ₹5,000 करोड़ के टेंडर के लिए कोई भी स्थापित ऑटोमोबाइल निर्माता उत्तरदाता नहीं बने, मुख्यत: पर्याप्त भुगतान गारंटी की अभाव के कारण। "जब सभी मंजूरियां तैयार होंगी, तब पेमेंट सुरक्षा योजना लागू की जाएगी। इसके बाद, केंद्र नए टेंडर्स की ओर देखेगा," उपर्युक्त उद्धृत अधिकारी ने कहा। मामले की जानकारी रखने वाले अंदरूनी लोगों ने सुझाव दिया है कि सरकार इलेक्ट्रिक बस निर्माताओं के लिए सुरक्षित उपाय के रूप में एक एस्क्रो खाता का अमल करने की विचार कर रही है। यह पूर्वानुमानत उपाय का उद्देश्य है कि राज्य परिवहन उपक्रमों (STUs) द्वारा भुगतान में दोष होने के खतरे को कम करें। उन लोगों ने जिन्हें इस विकास के बारे में जानकारी है, उन्होंने सूचित किया है कि सरकार एक एस्क्रो खाता को एक भुगतान सुरक्षा योजना के रूप में तैयार करने की प्रक्रिया में है, विशेषकर उन स्थितियों में जहां STUs भुगतान करने में दोष कर सकती हैं। Read more about Vehicles United States Willing to Invest $150 Million for E mobility Read the full article
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newdelhimart · 7 months
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ruby-arun · 9 months
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** After #Investigation my #take of #manipurvoilance **
Everyone is talking about #Manipur. But no one is talking about the true causes of violence.
#Meiteis have been given the status of #tribe so that a huge business of #drugs can be #captured.
The #state_government is also complicit in this.
The drug trade in Manipur is protected by #Burmese drug lords such as Zhang Zhi Ming, Lo Sin Nian and the Wei brothers.
Just like the #Columbian / #Mexico drug lords use #USA and in turn USA use #AFG for #Drug_Laundering with #CIA in tow, #China has been exporting Fentanyl to USA Large scale .
So #Manipur also is hunting ground for #China and forment trouble for our country #India .
And this is the reason why "Saheb" is not able to show his #red_eyes against those responsible for #Manipur_violence.
** मेरी #investigation के बाद #मणिपुर_हिंसा पर मेरी राय **
हर कोई मणिपुर के बारे में बात कर रहा है. लेकिन कोई भी हिंसा के असली कारणों के बारे में बात नहीं कर रहा है.
मैतेई को जनजाति का दर्जा दिया गया है ताकि ड्रग्स के बड़े कारोबार पर कब्ज़ा किया जा सके.
इसमें राज्य सरकार की भी मिलीभगत है.
मणिपुर में नशीली दवाओं के व्यापार को झांग ज़ी मिंग, लो सिन नियान और वेई बंधुओं जैसे बर्मी ड्रग लॉर्ड्स द्वारा संरक्षित किया जाता है.
जैसे कोलंबियाई/मेक्सिको ड्रग माफिया संयुक्त राज्य अमेरिका का उपयोग करते हैं और बदले में संयुक्त राज्य अमेरिका सीआईए के साथ ड्रग लॉन्ड्रिंग के लिए एएफजी का उपयोग करता है, चीन बड़े पैमाने पर संयुक्त राज्य अमेरिका को फेंटेनल का निर्यात कर रहा है.
तो मणिपुर भी चीन के लिए शिकारगाह है और हमारे देश भारत के लिए परेशानी का कारण है.
और यही कारण है कि "साहब" #मणिपुर_हिंसा के जिम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ अपनी #लाल_आँखें नहीं दिखा पा रहे हैं.
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dgnews · 11 months
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भारत अमेरिका रक्षा त्वरित पारिस्थितिक तंत्र (इंडस-एक्स) अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में लांच किया गया
भारत अमेरिका रक्षा त्वरित पारिस्थितिक तंत्र (इंडस-एक्स) 21 जून 2023 को वाशिंगटन डीसी, संयुक्त राज्य अमेरिका में एक कार्यक्रम में लांच किया गया। इंडस-एक्स कार्यक्रम का सह-आयोजन, रक्षा क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के रक्षा विभाग (डीओडी) द्वारा अमेरिका- भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) की मेजबानी में किया गया। रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव, (रक्षा…
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deepinsideheartsblog · 11 months
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"सेंधा नमक"
भारत से कैसे गायब कर दिया गया... आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज हम आपको बताते है कि नमक मुख्यत: कितने प्रकार का होता है। एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक "rock salt"सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है । वहाँ से ये नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस ��ढ़ते हैं। अतः: आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले। काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे, क्यूंकि ये प्रकृति का बनाया है, भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीयां भारत में नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भाली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है, हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियों अन्नपूर्णा,कैप्टन कुक ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत में एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ , आयोडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश में प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने में 2 से 3 रूपये किलो में बिकता था । उसकी जगह आयोडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है।
दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बैन कर दिया अमेरिका में नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस में नहीं ,डेन्मार्क में नहीं , डेन्मार्क की सरकार ने 1956 में आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने आयोडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिकों ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनों में जब हमारे देश में ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओं ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत में बिक नहीं सकता । वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।
आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे ।
सेंधा नमक के फ़ायदे:- सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline) क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं, ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत में सब सेंधा नमक ही खाते है। तो आप सोचिए जो समुद्री नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??
सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis) का अटैक आने का सबसे बडा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।
यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भास्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।
समुद्री नमक के भयंकर नुकसान :- ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप में ही बहुत खतरनाक है! क्योंकि कंपनियाँ इसमें अतिरिक्त आयोडीन डाल रही है। अब आयोडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक में होता है । दूसरा होता है “industrial iodine” ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है। जिससे बहुत सी गंभीर बीमरियां हम लोगों को आ रही है । ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों में निर्मित है।
आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है । जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है । ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ।
रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने में परेशानी होती है। जोड़ो का दर्द और गठिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है, एक ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओं के पानी को कम करता है, इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।
आप इस अतिरिक्त आयोडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आयोडीन हर नमक में होता है सेंधा नमक में भी आयोडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक में प्रकृति के द्वारा बनाया आयोडीन होता है इसके इलावा आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है..
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iobnewsnetwork · 1 year
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भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था अमेरिकी कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण : USIBC
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वाðशगटन। भारत की आर्थिक वृद्धि अमेरिकी कंपनियों के लिए अवसर प्रदान करने के अलावा द्बिपक्षीय व्यापारिक संबंधों को आगे बढ़ाने में मददगार है। अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के अध्यक्ष अतुल केशप ने यह बात कही है। केशप ने बुधवार को कहा कि भारत के साथ अमेरिका के 'बिजनेस-टू-बिजनेस संबंध अमेरिका के मध्यम वर्ग के लिए सीधे नौकरियां पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस साल अमेरिका-भारत का द्बिपक्षीय व्यापार 190 अरब डॉलर को पार कर गया है। औद्योगिक मशीनरी, फार्मास्युटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के अमेरिकी निर्यात में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ेगा, इसकी अर्थव्यवस्था अमेरिकी कंपनियों के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण होती जाएगी। उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि भारतीय आबादी के शहरीकरण और इसके वैश्विक मध्यम वर्ग में शामिल होने के साथ अमेरिका वस्तुओं के लिए उनकी मांग बढ़ेगी। इससे नवोन्मेषण और संस्कृति का विस्तार होगा। केशप ने कहा कि वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की भारत की महत्वाकांक्षा आगे बढ़ने के साथ ही उसकी अमेरिकी औद्योगिक उपकरणों तथा बौद्धिक संपदा (आईपी) की मांग तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और इस वजह से आज यह अमेरिकी नौकरियों का समर्थन करने वाले उद्योगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण निर्यात बाजार है। Read the full article
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crazynewsindia · 1 year
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आई टी के क्षेत्र में भारत ने अमेरिका की सिलिकॉन वैली को भी पिछड़ा : अनुराग
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    • बजट में कैपिटल एक्सपेंडिचर 10 लाख करोड़ निर्धारित किया गया है इससे 33% सीधी नौकरियां देश के युवाओं को प्राप्त होने जा रही है • जी 20 की अध्यक्षता भारत कर रहा है और इसको लेकर पूरे देश में 55 स्थानों पर 200 से अधिक बैठके होने जा रही है जिसमें से कुछ बैठके हिमाचल के धर्मशाला में भी होगी   ऊना, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने भाजपा कार्यसमिति को संबोधित करते हुए कहा की आज से 9 साल पूर्व जब कांग्रेस की सरकार केंद्र में सत्ता में थी तो 12% महंगाई दर था, पूरे देश में भ्रष्टाचार का बोलबाला था और देश नीतिगत पक्षाघात की ओर अग्रसर था। तब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को देश के प्रधानमंत्री के रूप में चुनावी रण में उतारा और उन्होंने संकल्प लिया की वह ना खाएंगे, ना खाने देंगे और तब से अब तक भाजपा की केंद्र सरकार पर किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लग पाया है।   कांग्रेस के नेता केवल झूठे आरोप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि पर चिपकाने का प्रयास करते है पर उनके सभी प्रयास फेल हो जाते है। केंद्र की मजबूत सरकार ने कोविड के कठिन समय में देश में 220 करोड़ कोरोना वैक्सीन जनता को मुफ्त में लगाई, 28 महीने तक 80 करोड़ गरीबों को अनाज मुफ्त में देने का कार्य किया और इसके लिए 4 लाख करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने खर्चे किया। भाजपा अंत्योदय को ध्यान में रखकर काम करती है और अंतिम पंक्ति में जो व्यक्ति खड़ा होता है उसकी सहायता के लिए योजना बनाती है।   आज यूनाइटेड स्टेट्स जैसे देश महंगाई से जूझ रहे हैं और वहां की महंगाई दर 8.3% है और भारत की महंगाई दर आज 5.7% है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था 7% की दर से बढ़ने जा रही है, भारत में अगर कांग्रेस साशनकाल के समय के साथ तुलना की जाए तो फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट 2 गुना से भी ज्यादा बढ़ गई है और आज देश में 90 हजार स्टार्टअप चल रहे हैं।   आज देश डिजिटल इकोनामी की ओर बढ़ रहा है चाहे वह चाय वाला हो या रेडी फड़ी वाला, सब गूगल पर के माध्यम से व्यापार कर रहे हैं। देश में 12 लाख 62 हजार करोड़ की डिजिटल ट्रांजैक्शंस रिकॉर्ड हुई है। आज हमारे देश की विश्वसनीयता पूरे विश्व में बढ़ रही है। आज भारत का कोविद वैक्सीन का सर्टिफिकेट डिजिटली फोन पर उपलब्ध है और बाकी देशों का आज भी कागज पर है इस मामले में , आज भारत में अमेरिका की सिलिकॉन वैली को भी पीछे छोड़ दिया है।   कांग्रेस केंद्र में भी केवल प्रदेश सरकारों की बात करती है पर केंद्रीय मुद्दों पर बात नहीं कर पाती, कांग्रेस पार्टी ने अपने शासनकाल में केवल जनता को गुमराह करने का कार्य किया था। मोदी सरकार ने 3.50 करोड़ पक्के मकान गरीबों को स्वीकृत किए थे जिसमें से 2 करोड से ज्यादा बन कर गरीबों को दे दिए गए हैं। आज प्रधानमंत्री आवास योजना का बजट 66% बढ़ा दिया गया है यह दिखाता है कि मोदी सरकार गरीबों से किए गए वादे को लेकर संकल्पित रूप से कार्य कर रही है।   आज बजट में कैपिटल एक्सपेंडिचर 10 लाख करोड़ निर्धारित किया गया है इससे 33% सीधी नौकरियां देश के युवाओं को प्राप्त होने जा रही है। किसानों के लिए 20 लाख करोड़ के किसान क्रेडिट कार्ड का प्रावधान इस बजट में किया गया है इससे किसानों को बहुत लाभ होगा।   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दमदार नेता है जब से जम्मू कश्मीर में धारा 370 और 35ए को हटाया गया है तब से प्रतिवर्ष दो करोड़ पर्यटक जम्मू कश्मीर की सैर करने जा रहे है।   जी 20 की अध्यक्षता भारत कर रहा है और इसको लेकर पूरे देश में 55 स्थानों पर 200 से अधिक बैठके होने जा रही है जिसमें से कुछ बैठके हिमाचल के धर्मशाला में भी होगी इसके साथ-साथ शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन की अध्यक्षता भी भारत कर रहा है। यह हमारे लिए गर्व की बाथ है।   केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है कॉविड के समय कई ठेके ऐसे वितरित किए गए थे जिनका काम पूरा नहीं हो पाया और उनके 95% पैसे फंस गए थे, अब केंद्र सरकार उन ठेकेदारों को 95% पैसा वापस करने जा रही है।   देश में 2024 लोकसभा चुनावों के लिए 400 दिन रह गई और हम एक बार फिर केंद्र में एक मजबूत सरकार बनाने जा रहे और हिमाचल प्रदेश में सभी चारों सीटों को एक बार फिर भाजपा जीतेगी। Read the full article
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dainiksamachar · 3 months
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चीन के खिलाफ भारत का मिडिल ईस्ट प्लान क्या है, बजट में निर्मला सीतारमण ने बताया गेम चेंजर
रियाद: भारत मध्य-पूर्व को जोड़ने के लिए एक बड़ा भू-राजनीतिक दांव चल रहा है। अपने बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने इसे रणनीतिक गेम चेंजर बताया है। अगर यह प्लान सफल होता है तो इससे अरबों डॉलर का व्यापार हो सकता है और चीन का मुकाबला किया जा सकता है। इसका नाम भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर है, जिसे जी20 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया था। इस कॉरिडोर की लॉन्चिंग के वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, यूरोपीय यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेन मौजूद थी। चीन ने इस कॉरिडोर को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी थी, लेकिन इजरायल-हमास युद्ध के कारण इस कॉरिडोर के भविष्य पर सवाल उठने लगे थे। भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) भारत को शिपिंग लेन और ओवरलैंड रेलवे के माध्यम से मध्य पूर्व और यूरोप को जोड़ेगा। इस गलियारे के मुख्य रूप से दो भाग हैं। पूर्वी गलियारा भारत को जहाज के जरिए मध्य पूर्व से जोड़ेगा। इसके बाद, माल को संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजरायल से होकर जाने वाली रेल लाइनों के माध्यम से मध्य पूर्व में ले जाया जाएगा। इसके बाद इजराइल से यूरोप तक माल जहाज से जाएगा। यह परियोजना सितंबर 2023 में अमेरिका, भारत, सऊदी अरब और कई यूरोपीय संघ देशों ने एक साथ मिलकर शुरू की थी। ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि आईएमईसी क्यों मायने रखता है? चीन कई विश्लेषकों का मानना है कि आईएमईसी चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का विकल्प विकसित करने में मदद करेगा। 2005 से 2022 तक, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में चीनी निवेश और अनुबंध कुल 273 बिलियन डॉलर हो गए हैं। उन निवेशों का एक बड़ा हिस्सा बुनियादी ढांचे में रहा है। प्रमुख क्षेत्रीय शक्तियों ने चीन की बेल्ट एंड रोड पहल पर हस्ताक्षर किए हैं, जो बुनियादी ढांचे के निर्माण और मध्य पूर्व को चीन की अर्थव्यवस्था से जोड़ने की एक ट्रिलियन डॉलर की परियोजना है। भारत और अमेरिका ने चीन के बीआरआई के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता भी जताई है। इस कारण बीआरआई के काट के तौर पर आईएमईसी को विकसित किया गया है। व्यापार जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, मध्य पूर्व के साथ इसके व्यापार और निवेश संबंध भी बढ़े हैं। सिर्फ संदर्भ के लिए, भारत ने पिछले साल अरब दुनिया के साथ 240 अरब डॉलर का व्यापार किया। भारत उस संख्या को बढ़ाना चाहता है। लेकिन, ऐसा करने के लिए बेहतर कनेक्टिविटी की आवश्यकता है। इस कमी को आईएमईसी दूर करेगी। पाकिस्तान और अफगानिस्तान से होकर गुजरने वाले जमीनी मार्गों के कारण, भारत के लिए पश्चिम एशिया तक पहुंचने के लिए समुद्री संपर्क ही एकमात्र व्यवहार्य विकल्प है। यह कनेक्टिविटी भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए नए रास्ते बनाएगी। मध्य-पूर्व नीति आईएमईसी पर फोकस भारत की मध्य-पूर्व नीति में एक बड़े बदलाव को भी दर्शाता है। एक समय भारत की नीति तेल समृद्ध इन अर्थव्यवस्थाओं में श्रमिकों को भेजने पर केंद्रित थी। ऐसे में विशाल कनेक्टिविटी परियोजना आईएमईसी भारत की महत्वाकांक्षाओं में बदलाव को दर्शाती है। यह परियोजना दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाने वाली भी साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि भारतीय कंपनियां मध्य-पूर्व में रेलवे कनेक्टिविटी बनाने में मदद कर सकती हैं। भारतीय कंपनियों ने विदेशों में भी रेलवे परियोजनाएं बनाई हैं। इन परियोजनाओं को विदेशों में अंजाम देना एक बड़ी जीत होगी। खामियां आईएमईसी परियोजना भले ही रोमांचक और महत्वकांक्षी है, लेकिन इसके सटीक विवरण अब भी अस्पष्ट हैं। वित्तीय प्रतिबद्धताओं और इसमें शामिल लागतों के बारे में विवरण अभी तक तैयार नहीं किया गया है। कुछ लोगों को यह भी संदेह है कि क्या आईएमईसी का "जहाज-रेल" मार्ग मौजूदा मार्गों से सस्ता होगा। आईएमईसी के पीछे राजनीतिक सहमति भी कमजोर हो रही है। इस परियोजना के लिए इजरायल, अमेरिका और कई अरब देशों के बीच समन्वय की आवश्यकता है। लेकिन, 7 अक्टूबर के हमलों और गाजा में संघर्ष के बाद से, अरब शक्तियों के साथ इजरायल के संबंध खराब हो गए हैं। ऐसे में राजनीतिक इच्छाशक्ति के बिना, यह स्पष्ट नहीं है कि आईएमईसी सफल हो सकता है या नहीं। इस पर संदेह इसलिए भी क्योंकि इस परियोजना के कुछ हिस्से काफी पुराने विचार हैं। जैसे कि इजरायल और खाड़ी देशों दोनों ने अतीत में एक क्षेत्रीय रेलवे नेटवर्क का प्रस्ताव रखा है, लेकिन ये प्रस्ताव अभी भी प्रगति पर हैं। http://dlvr.it/T29v34
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newswave-kota · 1 year
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सरहद पार पहुंची राजस्थानी मसालों की खुशबू
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नेशनल स्पाइस बिजनेस मीट-2023: किसानों की आय बढ़ाने के लिये देश में एग्रोनॉमिक्स पर कार्य करना होगा विदेशो में पेस्टिसाइड व फर्टिलाइजर मुक्त मसालों की मांग राजस्थान में जीरा, धनिया, स���ंफ, कसूरी मैथी, सरसों की सर्वाधिक पैदावार न्यूजवेव@ जयपुर राजस्थानी एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेस (RAS) के तत्वावधान में जयपुर में आयोजित दो दिवसीय नेशनल स्पाइस बिजनेस मीट-2023 में रविवार को देश-विदेश के प्रमुख मसाला उद्यमियों, निर्यातकों एवं व्यवसायियों ने राजस्थान के मसाला उत्पादों की पैदावार, क्वालिटी, प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन, एक्सपोर्ट एवं विपणन पर मंथन किया।
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रास के संस्थापक निदेशक विनीत चौपडा, बनवारी लाल अग्रवाल, राकेश कुमार आटोलिया, श्याम सुंदर जाजू, जोधपुर जीरा मंडी के अध्यक्ष पुरूषोत्तम मूंदड़ा, पीसीके महेश्वरन, लाडेश गोलछा, महावीर गुप्ता ने बताया कि दो दिन में छह सत्रों में देशभर से आये 600 प्रतिनिधियों ने पैनल चर्चा में भाग लिया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को  नेशनल स्पाइस मीट-2023 का उद्घाटन किया।
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पैनल चर्चा में ईस्टर्न कॉडिमेंट्स प्रा.लि.,अर्नाकुलम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के.के. मेनन ने कहा कि धनिया, जीरा, सौंफ, मिर्च, सरसों आदि की प्रोसेसिंग कर अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, मिडिल ईस्ट के देशों को एक्सपोर्ट कर रहे हैं। यदि किसानों की पैदावार को सोर्टिंग व क्लिनिंग से उच्च क्वालिटी उत्पाद बनाया जाये तो उनकी आय दो से तीन गुना बढ सकती है। इन देशो में डिमांड बढ़ी
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प्रथम सत्र में ‘एक्सपोर्ट व्यापार-समस्या और समाधान’ पर पैनल चर्चा करते हुये मॉडरेटर मृत्युंजय कुमार झा ने कहा कि राजस्थान से जीरे का निर्यात सीरिया, टर्की, अफगान, ईरान, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, चीन व खाडी के देशो में अधिक हो रहा है। उन्होंने सवाल पूछा कि जीरे में पेस्टिसाइड नहीं डालने पर क्या पैदावार कम होती है। इस पर किरणदीप सिंह स्वानी ने कहा कि सरकार किसानों को इको फ्रेंडली केमिकल्स उपलब्ध करवाये। किसान ग्रीन पेस्टिसाइड्स का प्रयोग कर सकते हैं।
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एफआईएसएस, दुबई के चेयरमैन अश्विन नायक ने बताया कि राजस्थान के जीरे में तुलनात्मक रूप से पेस्टिसाइड का उपयोग कम होता है। जैसलमेर व बाडमेर में गर्मी के कारण जीरे की पैदावार कम होती है। एमएम इंटीनेशनल, मुंबई के निदेशक निमिश बोहरा ने कहा कि प्रदेश की यूनिवर्सिटी के रिसर्च सेंटर में मसाला के बीजों पर अनुसंधान हो। उद्यमी मीतेश पटेल व अपूर्वा पटेल ने अपने सुझाव दिये। पेस्टिसाइड को नियंत्रित करना होगा कोच्ची से एबी मौरी इंडिया प्रा.लि. के निदेशक प्रकाश नम्बूद���ि ने कहा कि भारत में सीधे किसानों के साथ मिलकर बेकग्राउंड एग्रीनॉमिक्स करने की जरूरत है। हम एग्री एप से सर्वे कर संभाव��त पैदावार का अनुमान लगाते हैं। विदेशो में मसालों की ग्रेड पेस्टिसाइड व फर्टिलाइजर जांच से तय होती है। अच्छे दाम के लिये इसे नियंत्रित करना होगा। सरकार कृषि संगठनों के साथ लेकर एफपीओ को प्रोत्साहन देते हुये नई जनरेशन को एग्रीकल्चर से जोडने का कार्य करे। नेपाल के विवेक अग्रवाल ने कहा कि रास ने हमें आवाज उठाने का अवसर दिया है। हमें मसालों के आयात में कस्टम ड्यूटी अधिक होने जैसी कई दिक्कतें आती हैं। प्रदेश में मसाला पैदावार 20 फीसदी कम
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दूसरे सत्र में रास द्वारा कृषि विश्वविद्यालय,जोधपुर के रिसर्च स्कॉलर्स द्वारा किये गये सेटेलाइट सर्वे की विस्तृत रिपोर्ट को प्रस्तुत किया गया। RMSI के सौरभ जैन ने प्रजेंटेशन में बताया कि 20 जिलों में जीरा, साैंंफ, कसूरी मैथी, सरसों के खेतों में जाकर सेटेलाइट सर्वे किया गया है। इस वर्ष राजस्थान में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 8519 बीघा भूमि में 19.54 प्रतिशत मसालों की पैदावार कम होने का अनुमान है। हालांकि नवंबर-दिसंबर में बुआई अधिक की गई है लेकिन पैदावार कम हुई है। धनिये की खूशबू व दाने की मांग
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कुंभराज के व्यवसायी सुमित तापडिया ने बताया कि आज देश में 6 लाख मीट्रिक टन धनिये की मांग है। इसकी तुलना में गुजरात से 2.80 लाख मीट्रिक टन, मप्र से 3 लाख मीट्रिक टन, राजस्थान व अन्य राज्यों से 1-1 मीट्रिक टन धनिये की पैदावार हो रही है। कुल मिलाकर 7.8 लाख मीट्रिक टन की अच्छी पैदावार होने से इस वर्ष धनिये के भाव में कुछ गिरावट आ सकती है। प्रदेश के जयपुर, जोधपुर, कोटा, नागौर, मेडता, पाली, भीलवाडा, बिलाडा आदि से बडी संख्या में मसाला व्यवसायी शामिल हुये। Read the full article
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मुख्यमंत्री निवास पर केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने मुलाकात की एवं जयपुर में आगामी 21 से 25 अगस्त तक आयोजित होने जा रही जी-20 के वाणिज्य एवं निवेश मंत्रीसमूह की बैठक के संबंध में चर्चा की।
जी-20 के वाणिज्य एवं निवेश मंत्रीसमूह की बैठक पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है। इससे देश-प्रदेश में व्यापक स्तर पर निवेश आने की संभावना है। जयपुर में आयोजित होने वाली बैठक के लिए राज्य सरकार द्वारा पूरा सहयोग दिया जाएगा। अधिकारियों को जी-20 वाणिज्य एवं निवेश मंत्रीसमूह की बैठक के दौरान उत्कृष्ट प्रबंधन के निर्देश दिए।
केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि उदयपुर में जी-20 की शेरपा बैठक के आयोजन की विश्व भर में सराहना हुई है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी राजस्थान सरकार की इसके लिए प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि उदयपुर जी-20 शेरपा बैठक आयोजन के अध्ययन के लिए अन्य राज्यों से अधिकारियों के समूह लगातार राजस्थान आ रहे हैं ताकि राज्यों में होने वाली जी-20 की बैठकों का बेहतर आयोजन कर सकें।
इस दौरान मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग एवं वाणिज्य श्रीमती वीनू गुप्ता, प्रमुख शासन सचिव गृह श्री आनंद कुमार, पर्यटन विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ सहित केन्द्र एवं राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि जयपुर में आगामी 21 से 25 अगस्त तक जी-20 के वाणिज्य एवं निवेश मंत्रीसमूह की बैठक आयोजित होने जा रही है। इस बैठक में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, रूस, मेक्सिको, सउदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, यूरोपीयन यूनियन, स्पेन सहित कुल 21 सदस्य देश, मिस्त्र, नीदरलैंड्स, सिंगापुर, मॉरिशस, संयुक्त अरब अमीरात, आसियान, अफ्रीकन यूनियन सहित कुल 11 आमंत्रित देश एवं क्षेत्रीय समूह तथा विश्व बैंक, विश्व व्यापार संगठन, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, एशियाई विकास बैंक जैसे वाणिज्य एवं उद्योग क्षेत्र के कुल 9 प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों सहित कुल 41 प्रतिभागी शामिल होंगे।
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sagar-jaybhay · 6 months
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Unitited State Willing to Invest $150 Million for E mobility
New Post has been published on https://majornewshub.com/unitited-state-willing-to-invest-150-million-for-e-mobility/
Unitited State Willing to Invest $150 Million for E mobility
Unitited State Willing to Invest $150 Million for E mobility
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका का साथीत्व बढ़ा हुआ है जिसके तहत वे नई दिल्ली के इलेक्ट्रिक सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में शीघ्रता प्रदान करने के लिए सहयोग करने के लिए तैयार हैं, जो इसके नेट-जीरो उद्देश्यों के साथ समर्थित हैं। यह साझेदारी दोनों देशों के बीच व्यापार और राजनीतिक संबंधों को मजबूत करती है जब वे चीन के प्रभाव का सामना करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
Unitited State Willing to Invest $150 Million
वर्तमान में अंतर-मंत्रालय परामर्श कर रहे प्रस्ताव के अनुसार, संयुक्त राज्य $150 मिलियन (लगभग ₹1,250 करोड़) का योजना स्थापित करने के लिए तैयार है जिससे एक कोष बनेगा। यह कोष कंपनियों के लिए एक भुगतान गारंटी के रूप में कार्य करेगा जो स्टेट ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग्स (STUs) को इलेक्ट्रिक बसें प्रदान कर रही हैं। इस वित्तीय तंत्र के विवरणों को सुधारने के लिए दो पक्षों के बीच चर्चाएं जारी हैं।
इस पहल का उद्दीपन इंडिया में ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए किया गया है, जो दुनिया भर में सबसे प्रदूषित शहरों में से कुछ में शामिल है। मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने पर, सरकार का इरादा है कि वह लगभग 50,000 इलेक्ट्रिक बसों के लिए राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक बस प्रोग्राम के तहत पाँच वर्षों के भीतर इस प्रक्रिया की शुरुआत करेगी। सरकार इन बसों को महंगे क्रूड आयात को रोकने और यानीव प्रदूषण को कम करने के रूप में देख रही है।
“हम एक भुगतान सुरक्षा योजना को स्थापित करने के लिए चर्चा के अंतिम चरण में हैं, पुरानी, प्रदूषणकारी डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों के साथ बदलने के लिए। प्रस्ताव को इंटर-मंत्रीय परामर्श के लिए आगे बढ़ा गया है, जिसके बाद यह मंत्रिमंडल के मंजूरी के लिए भेजा जाएगा,” एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने आर्थिक टाइम्स से गुप्त रूप से कहा। “बसों को इलेक्ट्रिक बनाना सरकार के लिए एक प्राथमिकता है क्योंकि इसका सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से सबसे अधिक प्रभाव हो सकता है।”
यह प्रस्ताव वित्त और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के यूएस यात्रा के दौरान पर गौरवान्वित किया जा रहा है। गोयल इस सप्ताह टेस्ला की सीईओ एलन मस्क से मिलने के लिए तैयार हैं ताकि वे अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार निर्माता की इंडिया में अपने पहले कारख़ाने की योजना पर चर्चा कर सकें, जैसा कि मीडिया ने रिपोर्ट किया है। यूएस प्रेसिडेंट जो बाइडेन की आशीर्वादित उपस्थिति में जनवरी में नई दिल्ली के रिपब्लिक डे समारोहों के मुख्य अतिथि के रूप में आने की प्रत्याशा है, इससे संयुक्त राजस्थानों के बीच के संबंधों की मौजूदा गति को और बढ़ाएगा।
सरकार ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक बस प्रोग्राम (NEPB) के तहत पुरानी और पर्यावरण के लिए हानिकारक डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों से बदलने के लिए टेंडर जारी करने की कड़ी कोशिशें की है। यह प्रयास देश में वाहन प्रदूषण के उच्च स्तरों के बारे में बढ़ते चिंताओं का सामना करने के लिए है, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में। दुर्भाग्यवश, जनवरी 2023 में स्थानीय सरकार की संघटन ऊर्जा सेवाएं लिमिटेड (CESL) द्वारा शुरू किए गए 4,675 इलेक्ट्रिक बसों के लिए हाल ही में निकाले गए टेंडर को कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। ₹5,000 करोड़ के टेंडर के लिए कोई भी स्थापित ऑटोमोबाइल निर्माता उत्तरदाता नहीं बने, मुख्यत: पर्याप्त भुगतान गारंटी की अभाव के कारण।
“जब सभी मंजूरियां तैयार होंगी, तब पेमेंट सुरक्षा योजना लागू की जाएगी। इसके बाद, केंद्र नए टेंडर्स की ओर देखेगा,” उपर्युक्त उद्धृत अधिकारी ने कहा।
मामले की जानकारी रखने वाले अंदरूनी लोगों ने सुझाव दिया है कि सरकार इलेक्ट्रिक बस निर्माताओं के लिए सुरक्षित उपाय के रूप में एक एस्क्रो खाता का अमल करने की विचार कर रही है। यह पूर्वानुमानत उपाय का उद्देश्य है कि राज्य परिवहन उपक्रमों (STUs) द्वारा भुगतान में दोष होने के खतरे को कम करें। उन लोगों ने जिन्हें इस विकास के बारे में जानकारी है, उन्होंने सूचित किया है कि सरकार एक एस्क्रो खाता को एक भुगतान सुरक्षा योजना के रूप में तैयार करने की ��्र���्रिया में है, विशेषकर उन स्थितियों में जहां STUs भुगतान करने में दोष कर सकती हैं।
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