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#बैंगन खाने से क्या फायदा
jyotishwithakshayg · 1 month
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*🌞~ आज दिनांक - 22 मार्च 2024 का वैदिक हिन्दू और होली के अचूक उपाय पंचांग ~🌞*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - त्रयोदशी पूर्ण रात्रि तक*
*⛅नक्षत्र - मघा 23 मार्च प्रातः 04:28 तक तत्पश्चात पूर्वा फाल्गुनी*
*⛅योग - धृति शाम 06:36 तक तत्पश्चात शूल*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:18 से 03:49 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:42*
*⛅सूर्यास्त - 06:52*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:07 से 05:54 तक*
*⛅अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:22 से 01:11 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:22 से 01:10 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत*
*⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹प्रदोष व्रत : 22 मार्च🌹*
🌹 सूतजी कहते हैं - त्रयोदशी तिथि में सायंकाल प्रदोष कहा गया है । धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की इच्छा रखनेवाले पुरुषों को प्रदोष में नियम पूर्वक भगवान् शिव की पूजा, होम, कथा और गुणगान करने चाहिये ।*
🔹दरिद्रता के तिमिर से अन्धे और भवसागर में डूबे हुए संसार भय से भीरु मनुष्यों के लिये यह प्रदोषव्रत पार लगानेवाली नौका है ।*
🔸भगवान् शिव की पूजा करने से मनुष्य दरिद्रता, मुर्त्यु-दुःख और पर्वत के समान भारी ऋण-भार को शीघ्र ही दूर कर के सम्पत्तियों से पूजित होता है।*
*(स्कन्द पुराण : ब्रम्होत्तर खंड)*
*🔸कालसर्प योग से मुक्ति पाने के लिए🔸*
*🌹 ज्योतिष के अनुसार उनका कालसर्प योग नहीं रहता जिनके ऊपर केसुड़े (पलाश ) के रंग होली के रंग का फुवारा लग जाता है। फिर कालसर्प योग से मुक्ति हो गई । कालसर्प योग के भय से पैसा खर्चना नहीं है और अपने को ग्रह दोष है, कालसर्प है ऐसा मानकर डरना नहीं अपने को दुखी करना नहीं है*
*🔸पूरे साल स्वस्थ्य रहने के लिए क्या करें होली पर..??🔸*
🔹1- होली के बाद 15-20 दिन तक बिना नमक का अथवा कम नमकवाला भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।*
🔹2- इन दिनों में भुने हुए चने - ‘होला का सेवन शरीर से वात, कफ आदि दोषों का शमन करता है ।*
🔹3- एक महीना इन दिनों सुबह नीम के 20-25 कोमल पत्ते और एक काली मिर्च चबा के खाने से व्यक्ति वर्षभर निरोग रहता है ।*
🔹4- होली के दिन चैतन्य महाप्रभु का प्राकट्य हुआ था । इन दिनों में हरिनाम कीर्तन करना-कराना चाहिए । नाचना, कूदना-फाँदना चाहिए जिससे जमे हुए कफ की छोटी-मोटी गाँठें भी पिघल जायें और वे ट्यूमर कैंसर का रूप न ले पाएं और कोई दिमाग या कमर का ट्यूमर भी न हो । होली पर नाचने, कूदने-फाँदने से मनुष्य स्वस्थ रहता है।*
🔹5 - लट्ठी-खेंच कार्यक्रम करना चाहिए, यह बलवर्धक है ।*
🔹6 - होली जले उसकी गर्मी का भी थोड़ा फायदा लेना, लावा का फायदा लेना ।*
*🔹7 - मंत्र सिद्धि के लिए होली की रात्रि को (इसबार 24 मार्च की रात्रि को) भगवान नाम का जप अवश्य करें ।*
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बवासीर का घरेलू उपचार
रोजमर्रा के जीवन में हमें कोई ना कोई शारीरिक परेशानी घेरे रहती है। कभी-कभी तो हमारी परेशानी दवाइयों से ठीक हो जाती है तो कभी लंबे इलाज का सहारा लेना पड़ता है। इन शारीरिक परेशानियों से मानसिक  अवचेतन,  चिड़चिड़ापन आसानी से देखा जा सकता है। आपने आज तक बहुत सारे ऐसे रोगों के बारे में सुना होगा जो हमें मानसिक परेशानी के साथ साथ शारिरीक परेशानी भी देते हैं। आज हम ऐसे रोगों की बात करेंगे जिन्हे घरेलू उपाय से ही आप ठीक हो सकते हैं और वह रोग है बवासीर का। आप आसानी से बवासीर को अलविदा कह सकते हैं। यहाँ बवासीर के लिए घरेलू उपचार की सूची दी गई है जिससे आप अपने पाइल्स का इलाज कर सकते हैं।
बवासीर क्या है | Bawasir Kya Hai
यह बहुत ही दर्द युक्त रोग है, जो शुरुआत में ही पहचान लिया जाए तो इलाज करने में बेहतरीन होती है। इस रोग में मलाशय या गुदा में कुछ छोटे-छोटे मस्से होने लगते हैं। यह मस्से दर्द युक्त और चुभन युक्त होते हैं। यदि इसका सही इलाज नहीं किया जाए तो यह बड़े होकर मटर या चने के आकार या उससे भी बड़े हो जाते हैं जिनमें दर्द और भी बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में मल विसर्जन करने में बहुत ज्यादा पीड़ा होने लगती है क्योंकि बढ़े हुए मस्से मल विसर्जन में अवरोध उत्पन्न करने लगते हैं।
बवासीर के प्रकार |Bawasir ke prakar
बवासीर चार प्रकार के होते हैं1) अंदरूनी बवासीर
यह सामान्य प्रकार का बवासीर है, जो सामान्यतः मलाशय के अंदरूनी भागों में होता है। अगर इस बवासीर  के होने का पता लग जाए तो दवाइयों के माध्यम से भी ठीक किया जा सकता है।
2) बाहरी बवासीर
यह ठीक उसी जगह पर होता है जहां पर मल त्याग का द्वार होता है। शुरुआत में तो इसके बारे में सही पहचान नहीं की जा सकती पर समस्या बढ़ने पर बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
3) खूनी बवासीर
यह बवासीर का सबसे खतरनाक रूप कहा जा सकता है जिसमें मल त्याग के समय रक्तस्राव होने लगता है और बहुत ही पीड़ा होने लगती है। इस बवासीर के होने से व्यक्ति कमजोर होने लगता है और उसे उठने बैठने व दैनिक क्रिया करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
4)  प्रोलेप्सड बवासीर
जब अंदरूनी भाग में सूजन आने लगे और गुदा द्वार के बाहर की ओर निकलने लगे ऐसे में यह बवासीर प्रोलेप्सड बवासीर कहलाता है। इस बवासीर में एक गांठ भी दिखाई देती है, जो बहुत पीड़ादायक हो जाती है।
कैसे होता है बवासीर | Bawasir Kya Hota Hai
बवासीर होने के कई प्रकार के कारण देखे गए हैं। जिनमें व्यायाम न करना, लंबे समय तक खड़े होना, लगातार काम करना, कब्ज की शिकायत बने रहना, मोटापा, नियमित रूप से शौच न होना इसके मुख्य कारण है। समय रहते यदि समस्या का समाधान किया जाए तो बेहतर होता है।
बवासीर का घरेलू उपचार | bawaseer ka gharelu upchar
बवासीर का नाम सुनते ही मन में डर सताने लगता है और लोग परेशान होने लगते हैं। ऐसे में अगर आप घरेलू उपचार अपनाएं तो आपको फायदा हो सकता है
1) एलोवेरा जेल
बवासीर का मुख्य कारण कब्ज  का होना है। ऐसे में अगर आप एलोवेरा का उपयोग खाने में करें तो यह बवासीर को कम करता है। अगर आप एलोवेरा जेल को गुदाद्वार में लगाएं तो इससे भी आपको निश्चित रूप से आराम मिलेगा।
2) सेब का सिरका
बवासीर में रक्त वाहिनी का आकार बढ़ जाता है जिसके कारण भी बहुत दिक्कत होती है। ऐसे में अगर आप सेव के सिरके को पानी में डालकर उसका सेवन करें तो उससे आपको आराम ही मिलेगा।
3) जैतून का तेल
अगर आप जैतून के तेल को अपने दर्द वाले मस्सों में लगाएं तो कुछ ही दिनों में आपको आराम  होने लगेगा।
4) नारियल का तेल
अगर आप बवासीर से कुछ ज्यादा ही परेशान हो गए हो तो नारियल की जटाओं को जला ले। जब वह जलकर राख बन जाए तो उसे ताजे मट्ठे में डालकर पिए तो पेट में ठंडक मिलेगी और बवासीर में भी लाभ होगा।
5) अंजीर
बवासीर में मेवों का खास योगदान है। खासतौर से अंजीर का। अगर आप अंजीर को रोजाना पानी में भिगोकर रखें और सुबह उसको खाली पेट खाएं तो इससे भी बवासीर को खत्म करने में फायदा होगा
6) पपीता
पपीता हमारे लिए बहुत ही गुणकारी है। अगर आप पपीते का सेवन रात के भोजन के रूप में करें तो इससे सुबह आपको कब्ज की शिकायत नहीं रहेगी और धीरे-धीरे कुछ दिनों में बवासीर में भी राहत महसूस होगी।
7) अजवाइन और मट्ठा
अगर आप रोजाना ठंडे-ठंडे मट्ठे में अजवाइन पाउडर और काला नमक डालकर पिए तो निश्चित रूप से आप को राहत मिलेगी।
8) जामुन
बवासीर को ठीक करने में जामुन का भी महत्वपूर्ण योगदान है। अगर आप जामुन की गुठली को धूप में सुखाकर रख लें। जब यह अच्छे से सूख जाए तो उसका पाउडर बना लें। इस पाउडर को रोज गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से निश्चित रूप से बवासीर में राहत महसूस होगी। खूनी बवासीर के लिए बहुत ही कारगर उपाय है।
9)  मूली
बवासीर के इलाज है मूली का भी योगदान है। अगर मूली के रस में एक चुटकी नमक डालें और इसका सेवन रोजाना दो बार किया जाए तो इससे भी बहुत ही फायदा होता है। अगर इसमें  ऊपर से  शहद मिलाया जाए तो इससे भी बहुत ही फायदा होता है।
10) हल्दी
हल्दी में ऐसे गुण होते हैं जिससे किसी सूजन या घाव को भरने में आसानी होती है। हल्दी को एलोवेरा, देसी घी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाया जाए और उसे गुदाद्वार के आसपास लगाया जाए तो इससे भी आपको बहुत ही जल्द फायदा होगा।
11) गरम पानी
बवासीर का दर्द कभी भी असहनीय हो जाता है। ऐसे में अगर आप गर्म पानी को टब में रखें और उसमें कुछ देर बैठे रहे तो आपको इससे भी फायदा होगा। इससे बवासीर के सूजन में भी राहत महसूस होती है।
गर्भवती महिलाओं को हो सकती है बवासीर की समस्या
मां बनना भगवान का दिया हुआ तोहफा माना जाता है। इस दौरान कई सारी समस्याएं भी देखी जाती हैं जिनमें से एक समस्या बवासीर की है। ऐसा देखा जाता है कि गर्भवती महिलाओं में बवासीर की शिकायत होती है। ऐसे समय में महिलाओं में हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, तो कई बार ऐसे में महिलाओं  को आयरन की गोलियां भी दी जाती हैं इस कारण भी बवासीर की समस्या उत्पन्न होती है। ऐसे समय में डाइजेशन सही नहीं रहता और यह भी मुख्य कारण हैं जब बवासीर की समस्या उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को अपना खान-पान सही रखने की सलाह दी जाती है ताकि इस समस्या से बचा जा सके। समानता ऐसा भी होता है कि बच्चे के जन्म के समय स्वतः ही यह समस्या समाप्त हो जाती है।
कैसा आहार ले बवासीर के मरीज | Kaise Ahar Le Bawasir Ke Mareez
अगर आप बवासीर से ग्रसित हैं, तो ऐसे में आपको अपने खान-पान और आहार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। हम आपको बताएंगे कि बवासीर से बचाव के लिए कैसा आहार लेना उचित होगा।
1) इस रोग से बचाव के लिए आप अनाज के रूप में के रूप में गेंहू, जौ और थोड़ी मात्रा में चावल ��ेना उचित है।
2) सब्जी के रूप में आप टिंडा, परवल,  लहसुन,  आंवला, पपीता, मूली, गाजर, बींस ले सकते हैं।
3) ज्यादा पानी पिए एवं हल्का खाना खाए।
4) इसके अलावा जीरा, अजवाइन, सौंफ, पुदीना, हींग का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें।
गर्भावस्था के दौरान बवासीर का घरेलू इलाज
कैसा आहार ना ले बवासीर के मरीज | Kaise Ahar Na Le Bawasir Ke Mareez
1) अगर आप लगातार बवासीर  से परेशान हैं, तो मैदा, छोले, मटर, चना, उड़द दाल का सेवन नहीं करें।
2)  सब्जियों में आप भिंडी, बैंगन, अरबी, आलू ,शिमला, मिर्च एवं फलों के रूप में कच्चा आम, आडू का उपयोग नहीं करें तो बेहतर है।
3) इसके अलावा बहुत ज्यादा तेल एवं मसाले वाला व्यंजन लेने से बचें।
4) जंक फूड एवं डिब्बाबंद भोजन से दूर ही रहे।
बवासीर के मरीजों के लिए जीवन शैली में बदलाव है अनिवार्य
अगर आप बवासीर में जल्द से जल्द राहत चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपने जीवन शैली में बदलाव लाना होगा।
1) ज्यादा से ज्यादा पानी पिए।
2) जंक फूड से दूर रहें।
3) तला हुआ और ज्यादा मिर्च मसाले युक्त भोजन का उपयोग ना करें।
4) नियमित रूप से योग या  व्यायाम करें।
बवासीर के उपचार के लिए घरेलू आसान | Bawasir Ke Upchar Ke Liya Gharelu Upay
कई बार ऐसा होता है कि लाख कोशिश के बाद भी बवासीर में आराम नहीं मिल पाता है। ऐसे में कुछ घरेलू आसन के माध्यम से भी आराम प्राप्त किया जा सकता है।
आप चाहे तो कपालभाति, अनुलोम विलोम ,प्रणव जप, गोमुखासन, मर्कटासन, सर्वांगासन, ब्राह्मणी प्राणायाम के माध्यम से बवासीर से छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं। शुरुआत में आपको थोड़ा समय लगेगा पर धीरे-धीरे आपको राहत महसूस होने लगेगी।
बवासीर के लिए आवश्यक नहीं है सर्जरी
लोगों का ऐसा मानना रहता है कि बवासीर के लिए सर्जरी की आखिरी रास्ता है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। आप अगर बवासीर से परेशान है, तो घरेलू उपायों के माध्यम से भी अपने इस रोगों को ठीक कर सकते हैं। आपको इन उपायों को नियमित रूप से करना होगा तभी आपके लिए फायदेमंद होगा। आप इन उपायों को आजमाएं और फिर से खुद को इस रोग से दूर रखें।
बवासीर के मस्सों को सुखाने के प्रमुख उपाय | Bawasir Ke Masse Ko Sukhane Ki Pramukh Upay
बवासीर के मस्से दर्द वाले होते हैं, जो कभी-कभी यह असहनीय दर्द भी देते हैं। बवासीर के मस्सों को सुखाया जाए तो इससे परेशानी कम हो जाती है।
1) अगर लौकी को पीसकर गुड़ के साथ लेप बनाकर उसे मस्सों में लगाया जाए तो इससे मस्से जल्द ही ठीक हो जाते हैं।
2) नीम के पत्तों को अगर आप  घी में भुने और उसमे कपूर मिला ले। ऐसा रोजाना करने पर बवासीर के मस्सों में फायदा होगा और आपको जल्द ही राहत मिलेगी।
3) अगर आपने घर के आसपास आक का पेड़ हो, तो उसके पत्तों का लेप बनाकर भी मस्सों में लगाना फायदेमंद होता है।
4) इसके अलावा तोरई के रस में हल्दी का लेप बनाकर मस्सों में लगाने तो इससे भी दर्द से छुटकारा मिल सकता है।
5) इसके अलावा आप मस्सों में एलोवेरा जेल को लगाएं तो इससे भी आपको बहुत जल्दी ही फायदा मिलेगा।
सतर्क रहें बवासीर के रोग से
कभी-भी बवासीर रोग को छिपाने की कोशिश ना करें। जब इस रोग की शुरूआत हो तो उसी समय उपायों के माध्यम से बवासीर को बढ़ने से रोका जा सकता है। हमेशा अपने स्वास्थ्य के लिए सचेत रहना चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की दिक्कतों का सामना ना करना पड़े। उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा सुझाए गए उपाय आपको पसंद आएंगे और आपके लिए फायदेमंद होंगे
Source : बवासीर का घरेलू उपचार
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sabkuchgyan · 4 years
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आखिर लड़कियां क्यों पसंद करती हैं बैंगन? बड़ा खुलासा आप भी जानें
आखिर लड़कियां क्यों पसंद करती हैं बैंगन? बड़ा खुलासा आप भी जानें #health #food #girls #good #lifestyle
डॉक्टर्स ने किया बड़ा खुलासा: आखिर लड़कियां क्यों पसंद करती हैं बैंगन, जानिए पूरा सच आजकल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हर कोई अपनी सेहत का विशेष ध्यान नही रखते और
गलत खान पान के कारण तथा अनियमित जीवनशैली के चलते बहुत सारी छोटी- छोटी बीमारियों की चपेट में आ जाते है।
सरकारी नौकरियां यहाँ देख सकते हैं :-
सरकारी नौकरी करने के लिए बंपर मौका 8वीं 10वीं 12वीं पास कर सकते हैं आवेदन
1000 से भी ज्यादा रेलवे…
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rohtakmedia-blog · 5 years
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शरीर के हर दर्द के इलाज के बारे में जान��ए
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शरीर के हर दर्द के इलाज के बारे में जानिए सबकुछ : कोई गर्दन दर्द से परेशान है तो कोई कमर दर्द से तो कोई घुटने के दर्द से। एक्सपर्ट्स से पूछकर अलग-अलग तरह के दर्द के कारण, बचाव और उनके इलाज के बारे में पूरी जानकारी दे रही हैं प्रियंका सिंह और पूजा मेहरोत्रा  ! दर्द कितनी तरह का दर्द चार तरह का होता हैः फिजियोलॉजिकल (चोट लगने या किसी बाहरी दिक्कत की वजह से), न्यूरोपैथिक (नसों में दर्द), इनफ्लेमेटरी (सूजन वाला जैसे कि कमर दर्द, घुटने का दर्द आदि) और डिसफंक्शनल पेन (जिसकी वजह समझ नहीं आती लेकिन दर्द बना रहता है)। डिसफंक्शनल पेन शरीर के किसी भी हिस्से में अचानक उठता है और बहुत तेज होता है। मरीज दर्द की शिकायत करता है लेकिन डॉक्टर को दर्द की वजह का पता नहीं लग पाता। जहां तक मौसम की बात है तो सर्दियों के मौसम में सबसे ज्यादा जोड़ों का दर्द परेशान करता है।  जोड़ों के दर्द की वजह - चोट लगना  - एक्सरसाइज न करना  - वजन बढ़ जाना  - विटामिन डी और कैल्शियम की कमी हो जाना  - सेडंटरी लाइफस्टाइल यानी दिन भर ज्यादातर वक्त एक ही जगह बैठे रहना  - घंटों कंप्यूटर पर काम करना  - गलत पॉश्चर यानी झुककर बैठना, गलत तरीके से लेटना या चलना  - घंटों ड्राइव करना  - बेहद कम तापमान में लंबे समय तक रहना  - जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक का ज्यादा सेवन  - बहुत ज्यादा तनाव लेना, हमेशा हड़बड़ी में रहना  - गर्दन और कान के बीच फोन लगाकर लंबी बात करना  - मोटा या सख्त तकिया इस्तेमाल करना  - बेहद नर्म गद्दे पर सोना  इन्हे भी पढ़े :- भूलकर भी अखबार में न लपेटें खाना समझें दर्द के साइकल को शुरू में दर्द हल्का होता है और हम उसे नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन ऐसा करने से आगे जाकर दर्द क्रॉनिक हो जाता है और धीरे-धीरे उसे सहने की क्षमता भी कम हो जाती है। दर्द आमतौर पर जोड़ों से शुरू होता है यानी शरीर का जो भी अंग आसानी से मुड़ता है या जिसमें अकड़न होती है जैसे कि कोहनी, कलाई, घुटना, गर्दन, कमर, उंगलियां, टखने आदि में दर्द जल्दी होता है।  सर्वाइकल यानी गर्दन का दर्द युवाओं में दर्द का बड़ा कारण सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइसिस है। इसमें दर्द सबसे ज्यादा गर्दन को प्रभावित करता है और समय पर इलाज न कराने पर यह दर्द बढ़ता हुआ हाथ और कमर तक पहुंच जाता है। इससे रीढ़ की हड्डी में धीरे-धीरे सूजन आ जाती है या वह अकड़ जाती है। इसे इनक्लोसिंग स्पॉन्डिलाइसिस कहते हैं। कुछ युवाओं की गर्दन पीछे थोड़ी उठी-सी दिखती है। वे डिस्क बल्ज से पीड़ित होते हैं। इनमें गलत पॉश्चर या लगातार बैठने से हड्डी शेप बदलकर नया आकार लेती है। ऐसे लोगों को गर्दन में समय-समय पर तेज दर्द होता है। अगर आप इससे पीड़ित हैं तो गर्दन को आगे की ओर झुकाने से बचें।  कमर का दर्द कमर में दर्द दो तरह का होता है - पहला : अचानक हुआ तेज दर्द (एक्यूट पेन) और दूसरा : लंबे वक्त से हो रहा दर्द (क्रॉनिक पेन)। एक्यूट पेन अक्सर ज्यादा वजन उठाने या किसी नस के खिंचने से होता है। इसमें कमर में एक चुभन-सी महसूस होती है। कई बार यह आराम करने, सिकाई करने और बाम आदि लगाने से दो-चार दिन में अपने आप ठीक हो जाता है। क्रॉनिक पेन लंबे समय तक रहता है और उसका पूरा और सही इलाज जरूरी है। कमर दर्द के साथ साइटिका का दर्द भी जुड़ा है। साइटिका सबसे बड़ी नर्व है जोकि कमर से लेकर पंजे तक जाती है। अगर यह कहीं दब जाती है तो तेज दर्द शुरू हो जाता है। हां, दर्द होने के फौरन बाद कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं, मसलन वजन न उठाएं, आगे की ओर न झुकें। झुकना ही हो तो घुटनों के बल बैठें। फिर सामान उठाएं। बिस्तर से उठते हुए पहले करवट लें और फिर उठें।  घुटने का दर्द पहले घुटने में दर्द की शिकायत 50 पार के लोग करते थे लेकिन अब 30-35 साल की उम्र में ही लोगों के घुटने जवाब देने लगे हैं। वजन बढ़ने के अलावा ऑटोइम्यून बीमारी भी घुटने के दर्द की वजह बनती हैं। घुटने में दर्द हो जाए तो डॉक्टर की बताई एक्सरसाइज जरूर करें क्योंकि घुटना कमजोर होने से पैरों की मसल्स भी कमजोर होने लग जाती हैं। धीरे-धीरे दर्द कमर तक और फिर स्पाइन तक भी पहुंच सकता है। घुटनों में घिसावट है तो कुछ महीने ग्लूकोसामाइन और कोंड्रोटिन सल्फेट के कैप्सूल ले सकते हैं। यह डाइट सप्लिमेंट है। कब और कितना लेना है, इसके लिए डॉक्टर की सलाह लें। घुटने का दर्द ज्यादा होने पर घुटने में चिकनाई बढ़ाने के लिए इंजेक्शन भी दिए जाते हैं। इंजेक्शन दो तरह के होते हैं: एक स्टेरॉयड वाले और दूसरे प्रोटीन (विस्कस) वाले। स्टेरॉयड वाले इंजेक्शन के साइड इफेक्ट्स होते हैं इसलिए इ��्हें लेने से बचना चाहिए। विस्कस वाला एक इंजेक्शन करीब 10-15 हजार रुपये का होता है, जिसका असर कुछ महीने से लेकर कुछ साल तक रह सकता है। इससे भी फायदा न होने पर नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी की जाती है।  दर्द के फौरन बाद क्या करें दर्द होने पर डॉक्टर RICE का फॉर्म्युला अपनाने की सलाह देते हैं। राइस यानी रेस्ट, आइस, कंप्रेसन और एलिवेशन।  रेस्टः कोई भी दर्द हो, आराम करें। घुटने के दर्द में घुटने को मोड़े नहीं। कमर दर्द में आगे को न झुकें।  आइसः जहां दर्द है, वहां बर्फ से सिकाई करें।  कंप्रेसनः दर्द वाली जगह को बैंडेज से बांध लें। ज्यादातर घुटने, कोहनी आदि में दर्द के लिए यह इस्तेमाल किया जाता है। ध्यान रखें कि बैंडेज न बहुत टाइट हो और न ही ढीला।  एलिवेशनः पैर दर्द में एलिवेशन बहुत कारगर इलाज है। लेटते वक्त पैर के नीचे तकिया रखें जिससे पैर और घुटना थोड़ा ऊंचा रहे।  नोट: सूजन है, दर्द है तो कुछ दिन के लिए एक्सरसाइज बंद कर दें। जब दर्द ठीक हो जाए तो एक्सरसाइज फिर से शुरू करें और कमर व घुटने को फिर से पहले की तरह की मोड़ना शुरू करें क्योंकि अगर हम अपने शरीर के किसी अंग को पूरा इस्तेमाल नहीं करते तो उसमें अकड़न आ जाती है और फिर वह मुड़ नहीं पाता।  दर्द है तो सावधानी बरतें - विशेषज्ञ की देखरेख में ही एक्सरसाइज और योग करें।  - घुटनों को मोड़ने से बचें। लिफ्ट का इस्तेमाल करें।  - पालथी मारकर न बैठें।  - जमीन पर बैठने से बचें। जमीन पर बैठने के दौरान घुटनों पर दबाव बढ़ता है।  - 15-20 मिनट से ज्यादा एक ही पोजिशन में बैठने से बचें। एक जगह पर खड़े तो 5-10 मिनट से ज्यादा बिल्कुल न हों।  - ऑफिस में हर आधे घंटे या एक घंटे में सीट छोड़कर 5-7 मिनट के लिए घूमे-फिरें। बॉडी को स्ट्रेच करें।  - महिलाएं ऊंची हील की सैंडिल पहनने से बचें। इससे एड़ी़, घुटने और पिंडलियों के साथ कमर पर भी असर पड़ता है।  - जिन्हें सर्दियों में दर्द परेशान करता हो, वे सर्दियों में या ठंडी जगहों पर खुद को अच्छी तरह ढककर रखें।  पेनकिलर लें या नहीं आमतौर पर किसी भी दर्द को खत्म करने के लिए हम पेनिकलर ले लेते हैं लेकिन यह सही तरीका नहीं है। ऐसा करने से दर्द सिर्फ दब जाता है, खत्म नहीं होता। बहुत दर्द हो तो पैरासिटामॉल 500 एमजी (क्रोसिन, पैरासिटामोल आदि) ले सकते हैं क्योंकि यह सेफ है। जरूरत लगने पर छह घंटे में दोबारा ले सकते हैं। एक दिन में 2 ग्राम तक लेना सेफ है लेकिन 2-3 दिन तक आराम न आए तो डॉक्टर को दिखाएं। दूसरी कोई पेनकिलर लेने से बचें क्योंकि उनका साइड इफेक्ट होता है। वैसे साल में 12 से ज्यादा पेनकिलर न लें, वरना किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है। पेन-किलर क्रीम या जेल: कितने असरदार पेन-किलर क्रीम: ये ऑयल बेस्ड होती हैं और ज्यादा सफेद रंग में आती हैं। ये ज्यादा जज्ब नहीं होती इसलिए इन्हें लगाकर हल्का रगड़ना होता है।  पेन-किलर जेल: ये वॉटर बेस्ड होते हैं और ट्रांसपैरंट होते हैं। ये आसानी से जज्ब हो जाते हैं और इन्हें लगाकर ज्यादा रगड़ना नहीं होता।  पेन-किलर स्प्रे: ये स्प्रे के रूप में होते हैं और इन्हें लगाकर मसाज नहीं करनी होती। ये फौरन राहत के लिए होते हैं।  दर्दनाशक तेल: ये ज्यादा आयुर्वेदिक होते हैं। आयुर्वेद के एक्सपर्ट दावा करते हैं कि इनमें कई तरह की जड़ी-बूटियां होती हैं, जोकि दर्द में राहत देती हैं।  कितने फायदेमंद: जानकारों का मानना है कि फौरी राहत के लिए पेनकिलर जेल (वॉलिनी, मूव, डीएफओ आदि) लगाकर हल्की मसाज कर सकते हैं। ज्यादा नहीं रगड़ें, वरना जलन बढ़ जाएगी। जेल या क्रीम लगाकर किसी कपड़े से ढक दें ताकि गर्मी मिले। इनसे फौरी राहत जरूर महसूस होती है लेकिन ये परमानेंट इलाज के लिए नहीं हैं। वैसे भी मसाज करने से उस हिस्से की नसें रिलैक्स होती हैं। ऐसे में किसी भी आम तेल से हल्के हाथ से मालिश कर सकते हैं।  कब करें ठंडी सिकाई, कब गर्म ठंडी सिकाई: दर्द में सिकाई से राहत मिलती है। अगर चोट ताजा है, प्रभावित जगह लाल और सूजी हुई है तो बर्फ से सिकाई करें।  गर्म सिकाई: अगर चोट पुरानी है, चोटिल जगह में अकड़न है तो गर्म पानी से सिकाईं करें। वह जगह नरम पड़ जाएगी और आराम मिलेगा।  गर्म-ठंडी, दोनों सिकाई: अगर किसी जगह पर ब्लड सप्लाई बढ़ाने की जरूरत है तो गर्म और ठंडी सिकाई बारी-बारी से करने की सलाह दी जाती है। आमतौर पर सुबह उठकर एड़ी में होने वाले दर्द में यह सिकाई की जाती है। गर्म से शुरू करें और गर्म पर ही खत्म करें। कुल 6 बार गर्म और 5 बार ठंडा करें। हर बार 30 सेकंड के लिए सिकाई करें।  कितनी बार, कितनी देर: सिकाई दिन में दो बार, करीब 15-15 मिनट के लिए करें।  किससे करें: सिकाई वॉटर बॉटल, कपड़ा या सिंपल हॉट जेल पैक से कर सकते हैं। हॉट जेल पैक केमिस्ट के पास मिल जाएंगे। बिजली से चलनेवाले हॉट पैक न यूज करें। इनसे जल जाने का खतरा है।  कब दिखाएं ऑर्थोपीडिक डॉक्टर को  अगर दर्द फ्रेक्चर की वजह से है या दर्द के साथ सूजन है, लालिमा है या गर्माहट है, या फिर दर्द के साथ बुखार है और वजन कम हो रहा है या रात में तेज दर्द होता है तो फौरन ऑर्थोपीडिक डॉक्टर को दिखाएं।  फिजियोथेरपिस्ट के पास कब जाएं अगर कोई भी दर्द मूवमेंट यानी चलने-फिरने या हिलने-डुलने पर बढ़े, सॉफ्ट टिश्यू इंजरी जैसे कि चलते हुए पैर मुड़ जाना, सोते हुए कमर या गर्दन मुड़ जाना आदि हो तो फिजियोथेरपिस्ट के पास जाना चाहिए। फिजियोथेरपिस्ट जितने दिन की थेरपी और एक्सरसाइज बताए, जरूर करें। बीच में थेरपी बंद न करें क्योंकि दर्द जल्दी चला जाता है लेकिन बीमारी को पूरी तरह ठीक होने में महीनों लग जाते हैं।  आयुर्वेद में दर्द का इलाज आयुर्वेद में दर्द के इलाज में खान-पान पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। खाने में कोई भी गरिष्ठ चीज जैसे कि बैंगन, आलू, उड़द दाल सहित सभी साबुत दालें, ठंडी चीजें मना होती हैं। दर्द के हिसाब से पंचकर्म, पोटली मसाज आदि दी जाती है।  अगर मरीज सर्वाइकल से पीड़ित है तो उसे ग्रीवा वस्ती थेरपी से ठीक किया जाता है जिसमें उड़द और गेहूं के आटे को गूंथ कर गर्दन में पीछे गोल कर रखा जाता है औऱ फिर गोल घेरे के अंदर दर्दनिवारक गुनगुने तेल से थेरपी दी जाती है। यह काम पूरा एक घंटे का होता है। हर सात दिन पर यह थेरपी दी जाती है।  - घुटने और कमर के दर्द के लिए जानू वस्ती और कटि वस्ती थेरपी का इस्तेमाल किया जाता है। लीफ डिटॉक्स थेरपी भी इन दर्द में कारगर साबित होती है।  - हर थेरपी के लिए 2000 से 3000 रुपये तक का खर्च आता है।  -आयुर्वेद में दवा, मालिश और लेप को मिलाकर विटामिन डी की कमी से होनेवाले दर्द का इलाज किया जाता है। आमतौर पर इलाज का नतीजा सामने आने में 3 महीने लग जाते हैं।  - पूरे शरीर पर तेल की धारा डालते हैं। इसके लिए क्षीरबला तेल, धनवंतरम तेल आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इसे 40 मिनट रोजाना और 5 दिन लगातार करते हैं। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं।  - महिलाएं सुबह और शाम शतावरी की एक-एक टैब्लेट लें। वैसे तो किसी भी उम्र में ले सकते हैं लेकिन मिनोपॉज के बाद जरूर लें।  - रोजाना एक चम्मच मेथी दाना भिगोकर खाएं। मेथी दर्दनिवारक है और हड्डियों के लिए अच्छी है।  - एक कप गुनगुने दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर पिएं।  - रोजाना एक चम्मच बादाम का तेल (बादाम रोगन) एक कप दूध में डालकर पिएं।  दर्द भगाए योग - गर्दन, साइटिका और कमर दर्द के लिए भुजंगासन, चक्रासन, शलभासन, धनुरासन कारगर हैं, वहीं ऑफिस में काम के दौरान चलित ताड़ासन यानी हर घंटे बाद 10 कदम आगे और 10 कदम पीछे चलने से बहुत आराम मिलता है। घुटने के दर्द वाले याद रखें कि वज्रासन बिलकुल नहीं करना है।  -अनुलोम-विलोम और कपालभाति काफी फायदेमंद हैं। सोने से पहले शवासन भी कई तरह के दर्द से आराम दिलाता है।  इन्हे भी पढ़े :- गद्दारो के जाने से पार्टी में जुड़ने लगे सामाजिक और राजनीतिक लोग : अभय घरेलू नुस्खे अपनाएं - किसी भी तरह के दर्द से निपटने के लिए एक गिलास गाय के गुनगुने दूध में एक छोटी चम्मच हल्दी और गाय के घी की पांच बूंदे रात में नियमित पीने से फायदा होता है।  - सोयाबीन, अंडे का पीला हिस्सा, फ्लैक्स सीड्स, सफेद तिल और आवंले का सेवन लाभकारी है।  - रात में खाना खाने के करीब आधे घंटे बाद करीब आधा गिलास गुनगुना पानी पीने से भी लाभ होता है।  - माइग्रेन में गाय के घी को गुनगुना कर दो-दो बूंदें नाक में डालने से बहुत आराम मिलता है। यह सर्वाइकल के दर्द में भी मदद करता है।  - गाय के घी में सेंधा नमक डाल कर दर्द वाली जगह पर मसाज करने से भी काफी फायदा होता है।  दर्द से ऐसे बचें  1. ऐक्टिव रहें, एक्सरसाइज करें - हमारा शरीर इस तरह से बना है कि सारे जोड़ चलते रहें। जरूरी है कि हम नियमित एक्सरसाइज करें और जितना मुमकिन हो, चलें। एक्सरसाइज में कार्डियोवस्क्युलर, स्ट्रेंथनिंग और स्ट्रेचिंग को मिलाकर करें। कार्डियो के लिए साइकलिंग, स्वीमिंग या डांस, स्ट्रेंथनिंग के लिए वेट लिफ्टिंग और स्ट्रेचिंग के लिए योग करें। वैसे, वॉक अपनेआप में संपूर्ण एक्सरसाइज है।  - अगर घुटने की समस्या नहीं है तो ब्रिस्क वॉक करें। ब्रिस्क वॉक में मोटेतौर पर 1 मिनट में 40-50 कदम चलते हैं। वैसे नॉर्मल वॉक (1 मिनट में लगभग 80 कदम) करना सबसे सेफ है। इससे घुटनों पर असर नहीं पड़ता। रोजाना कम-से-कम 3 किमी जरूर चलें।  - बीच-बीच में कलाइयों, घुटनों आदि को स्ट्रेच करते रहें। कमर को भी घुमाएं। साथ ही, जितना मुमकिन हो, अपना काम खुद करें और वजन कंट्रोल में रखें।  - जिन्हें पुराने दर्द परेशान करते हैं या सर्दियों में दर्द बढ़ जाता है, उन्हें तो एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए। कसरत से हमारे शरीर में मसल्स ऐक्टिव होती हैं, खून का दौरा बढ़ता है और इससे शरीर कुदरती तौर पर गर्म रहता है। ये लोग खासतौर पर पीटी जैसी एक्सरसाइज करें। ठंड की वजह से सुबह बाहर नहीं निकलना चाहते तो शाम को घूमने जाएं।  शरीर के हर दर्द के इलाज के बारे में जानिए सबकुछ स्त्रोत : navbharattimes छायाचित्र भिन्न हो सकता है Read the full article
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gethealthy18-blog · 5 years
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वजन बढ़ाने के लिए डाइट चार्ट – Weight Gain Diet Chart in Hindi
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वजन बढ़ाने के लिए डाइट चार्ट – Weight Gain Diet Chart in Hindi
Anuj Joshi April 18, 2019
स्वस्थ व आकर्षक दिखने के लिए न तो अधिक वजन ठीक है और न ही कम। जिन लोगों का वजन उनकी आयु व कद के अनुसार संतुलित होता है, वो स्वस्थ जीवन का आनंद लेते हैं। इसलिए, जितना जरूरी मोटापा कम करना है, उतना ही महत्व वजन बढ़ाने का भी है। अक्सर लोग मोटापा कम करने की सलाह तो देते हैं, लेकिन कम वजन को बढ़ाने की बात कोई नहीं करता। कम वजन के लोग न सिर्फ कमजोर दिखते हैं, बल्कि उनका व्यक्तित्व भी आकर्षक नजर नहीं आता।
स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम इसी बारे में बात करेंगे। हम दुबले-पतले लोगों के लिए वजन बढ़ाने का डाइट चार्ट लेकर आए हैं, जिसे फॉलो करने से उन्हें अपना वजन बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, हम कुछ अन्य टिप्स भी देंगे।
पहले बात वजन बढ़ाने वाले डाइट चार्ट की, जो दुबले लोगों के लिए बेहद काम का है।
विषय सूची
वजन बढ़ाने के लिए वेट गेन डाइट चार्ट – Diet Chart for Weight Gain in Hindi
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भोजन समय क्या खाएं (शाकाहारी/मांसाहारी) नाश्ते से पहले
7am-8am
चीनी के साथ फुल फैट वाले दूध की चाय
नाश्ता
8am-9am
कम फैट वाले मक्खन के साथ मल्टीग्रेन ब्रेड के दो पीस और ऑम्लेट खाएं।
इसकी जगह आप एक बाउल ऑटमील, कॉर्न फ्लैक्स या फिर दलिया खा सकते हैं।
आप विभिन्न सब्जियां डालकर पोहा, उपमा व खिचड़ी भी खा सकते हैं।
सब्जी के साथ दो चपाती या फिर दो पराठे खाना भी फायदेमंद साबित हो सकता है।
आप ऊपर बताए गए विभिन्न विकल्पों में किसी एक को चुनकर उसके साथ फल या फिर उनका जूस जरूर पिएं।
ब्रंच
10am-11am
एक गिलास फुल फैट वाले दूध का सेवन करें या फिर प्रोटीन शेक ले सकते हैं।
दोपहर का खाना
12:30pm-1:30pm
एक कटोरी सब्जी व दाल के साथ दो चपाती और एक बाउल चावल
नॉनवेज खाने वाले चपाती व चावल के साथ चिकन के दो पीस/एक मछली/अंडा/पनीर ले सकते हैं।
दोपहर को खाने के साथ खीरा, गाजर, ककड़ी व बंदगोभी की सलाद जरूर लें।
साथ ही एक कटोरी दही भी ले सकते हैं।
शाम का नाश्ता
5:30pm-6:30pm
मक्खन के साथ वेज/नॉनवेज सूप
पनीर या मेयोनिज वाला सैंडविच भी खा सकते हैं।
रात का खाना
8:30pm-9:30pm
जो डाइट आपने दोपहर के खाने में ली, उसी तरह से आप रात को भी खा सकते हैं, लेकिन रात को चावल न खाएं।
सोने से पहले
10:30pm-11pm
एक गिलास दूध पिएं।
वजन बढ़ाने के लिए डाइट चार्ट के बाद हम कुछ अन्य टिप्स दे रहे हैं।
वजन बढ़ाने के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips for Weight Gain in Hindi
1. कैलोरी
शरीर का वजन काफी हद तक कैलोरी पर निर्भर करता है। जहां वजन कम करने के लिए कम कैलोरी की जरूरत होती है, वहीं वजन बढ़ाने के लिए अधिक मात्रा में कैलोरी लेनी चाहिए। अगर आप कम वजन से परेशान हैं, तो नियमित रूप से 250 कैलोरी ले सकते हैं।
क्या करें :
आप अपनी डाइट में ब्रोकली, बंदगोभी, गाजर, पालक, कद्दू व बैंगन को शामिल करें।
रेड मीट को भी भोजन में शामिल करने से फायदा हो सकता है। ध्यान रहे कि इसे जरूरत से ज्यादा न खाएं, वरना आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ सकता है।
आप जो भी सलाद खाएं उस पर थोड़ा-सा जैतून का तेल जरूर डालें।
प्रतिदिन डेयरी उत्पादों का सेवन करने से भी आपको पर्याप्त मात्रा में कैलोरी मिल सकती है। आप हमेशा वसा युक्त दूध व दही का सेवन करें।
कैसे है फायदेमंद :
कैलोरी का मतलब ऊर्जा से होता है। जब आप कैलोरी युक्त भोजन का सेवन करते हैं, तो शरीर पहले से ज्यादा सक्रिया हो जाता है तंत्रिका तंत्र भी मजबूत होता है (1)।
नोट : भोजन में कैलोरी बढ़ाने के नाम पर फास्ट फूड न खाएं। इससे फायदा होने की जगह नुकसान हो सकता है।
2. भोजन की मात्रा बढ़ाएं
अगर आप संतुलित मात्रा में अपनी खुराक बढ़ाते हैं, तो अपना वजन बढ़ा सकते हैं। आप दिनभर में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में तीन की जगह छह बार भोजन करें और हर बार कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। एक बार में ही अधिक खाने से आपका पाचन तंत्र खराब हो सकता है और वजन बढ़ने की जगह आप अन्य बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। थोड़ा-थोड़ा और बार-बार खाने से भोजन हजम भी होगा और उसका असर शरीर पर नजर भी आएगा।
क्या करें :
आप नाश्ते में एक बाउल फल और बटर लगे ब्रेड खा सकते हैं। अगर आपको सामान्य बटर पसंद नहीं, तो आप उसकी जगह पीनट बटर या फिर पनीर ले सकते हैं।
स्नैक्स में सूखे मेवे, उबली सब्जियां या फिर पनीर सैंडविच खा सकते हैं।
अगर आपको इनके अलावा कुछ और भी पसंद है, तो उसका सेवन भी कर सकते हैं, लेक��न ध्यान रहे है कि वह हेल्दी होना चाहिए।
कैसे है फायदेमंद :
थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाते रहने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। इससे आप हर समय एक्टिव रहते हैं और अपना काम पूरी क्षमता के साथ कर सकते हैं (2)।
3. अधिक प्रोटीन
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वजन बढ़ाने के लिए कैलोरी के साथ-साथ प्रोटीन की भी जरूरत होती है। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से शरीर को ऊर्जा मिलती है। इसके अलावा, मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं, क्योंकि कमजोर मांसपेशियां अधिक वजन को सहने में सक्षम नहीं होती हैं।
क्या करें :
अंडे, मछली, चिकन, दाल, स्प्राउट्स व डेयरी उत्पादों को प्रोटीन का प्रमुख स्रोत माना गया है।
टूना व मैकेरल जैसी मछलियों में अत्यधिक तेल पाया जाता है और इसके सेवन से वजन बढ़ाने में मदद मिलती है।
कैसे है फायदेमंद :
प्रोटीन में एमिनो एसिड पाया जाता है, जिससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इसलिए, प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ मांसपेशियों व वजन बढ़ाने के लिए जरूरी है (3) (4)।
4. स्वस्थ वसा
अगर आप यह सोच रहे हैं कि वजन बढ़ाने के लिए वसा की क्या जरूरत है, तो आप गलत हैं। शरीर के लिए सीमित मात्रा में वसा का सेवन करना भी जरूरी है। मांसपेशियों के विकास और टेस्टोस्टेरॉन जैसे हार्मोंस के लिए स्वस्थ वसा की जरूरत होती है। यह मेटाबॉलिक रेट को बढ़ाने में भी मदद करता है, जिससे शरीर को खराब वसा को बाहर निकालने और अच्छे वसा को बनाए रखने में मदद मिलती है। पोलीअनसैचुरेट और मोनोअनसैचुरेट फैट को स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। इस तरह का फैट आपको मेवों, हरी पत्तेदार सब्जियों, अलसी के तेल, एवोकाडो तेल व अन्य बीजों के तेल से मिल सकता है। साथ ही आपको बता दें कि अच्छी सेहत के लिए ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड की भी जरूरत होती है। इस लिहाज से अगर आप वजन बढ़ाने के बारे में सोच रहे हैं, तो अच्छे वसा की अनदेखी न करें (5)।
5. वजन बढ़ाने वाले सप्लीमेंट्स
कुछ लोग जरूरत से ज्यादा कमजोर होते हैं। ऐसे लोगों को पौष्टिक खाद्य पदार्थों व नियमित व्यायाम करने के साथ-साथ वजन बढ़ाने वाले सप्लीमेंट्स लेने भी जरूरी होते हैं। ये सप्लीमेंट्स आप अपने डॉक्टर की सलाह पर ही लें। डॉक्टर ही आपको बेहतर बता सकते हैं कि आपके स्वास्थ्य के अनुसार किस तरह के सप्लीमेंट्स फायदेमंद रहेंगे।
क्या करें :
बाजार में कई तरह के प्रोटीन शेक व सप्लीमेंट्स उपलब्ध हैं। आप इनका सेवन दूध या फिर स्मूदी में डालकर कर सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद :
अपनी दिनचर्या में सप्लीमेंट्स को शामिल करने से बॉडी मास इंडेक्स में वृद्धि होती है। साथ ही मांसपेशियों का विकास भी होता है (6)।
6. क्या खाएं
फुल वसा युक्त दूध
बीन्स, दाल व प्रोटीन युक्त अन्य पदार्थ
फल व सब्जियां
स्वस्थ फैट व ऑयल
अनाज
अच्छा व हेल्दी मीठा
7. योग
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कई समस्याओं का एकमात्र इलाज योग है। योग वजन कम करने के साथ-साथ वजन बढ़ाने में भी मददगार है। अगर आप वेट गेन के लिए डाइट चार्ट के साथ-साथ योग भी करते हैं, तो आपको अधिक लाभ हो सकता है। योग न सिर्फ तनाव को कम करता है, बल्कि आपके शरीर में ऊर्जा के स्तर को भी बेहतर करता है। इसके अलावा, योग से पाचन तंत्र भी बेहतर होता है, जिससे आपको भूख अच्छी लगती है। यहां हम कुछ योगासन बता रहे हैं, जिन्हें करने से वजन बढ़ सकता है।
सर्वांगासन : यह योगासन आपकी उम्र व कद के अनुसार आपके वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है।
पवनमुक्तासन : इसे करने से पाचन तंत्र अच्छा होता है, मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है और गैस, एसिडिटी व कब्ज जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इन सभी समस्याओं के खत्म होने से आपको भूख अच्छी लगती है।
वज्रासन : इस योगासन से भी पाचन तंत्र बेहतर होता है। आप जो कुछ भी खाते-पीते हैं, उसे हजम करना आसान हो जाता है। साथ ही पूरे शरीर खासकर पैर व कमर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
8. वजन बढ़ाने के लिए व्यायाम
यहां बताए जा रहे व्यायाम को करने से मांसपेशियों का विकास अच्छी तरह होता है। ध्यान रहे कि आप ये सभी एक्सरसाइज योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें।
ट्विस्टेड क्रंच
लेग प्रेस
लेग एक्सटेंशन
लेग कर्ल्स
आर्म कर्ल्स
शॉल्डर श्रग
सीटेड डंबल प्रेस
ट्राइसेप्स पुश डाउन
बारबेल स्क्वाट
पुल अप
एबी रोलर
इनक्लाइन डंबल प्रेस
साइड लेटरल रेस
डंबल लंग्स
वेट क्रंचेस
कैसे है फायदेमंद :
ये व्यायाम स्वस्थ मांसपेशियों के लिए जरूरी हैं। साथ ही इनसे बॉडी मास इंडेक्स बढ़ाने में भी मदद मिलती है। इससे आपका वजन धीरे-धीरे बढ़ने लगता है (7)।
9. खाने-पीने का रखें रिकॉर्ड
जिस तरह से वजन कम करने वाले एक नोटबुक में लिखकर रखते हैं कि उन्हें दिनभर में क्या खाना है और कौन-कौन सी एक्सरसाइज करनी है। उसी प्रकार वजन बढ़ाने वालों को भी करना चाहिए। आप रोज नोटबुक में लिखें कि आपने दिनभर में क्या खाया और हफ्ते के अंत में नोट करें कि आपके वजन में कितना अंतर आया है। इससे आपको अंदाजा रहेगा कि क्या-क्या खाने से आपके वजन पर असर पड़ रहा है। इस नोटबुक को देखने से आपको वजन बढ़ाने की प्रेरणा मिलती रहेगी।
10. तनाव से छुटकारा
आधे से ज्यादा समस्याओं की जड़ तनाव होता है। जब आप तनाव में होते हैं, तो वजन कम या ज्यादा हो सकता है। साथ ही अन्य प्रकार की शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए, अगर आप वजन बढ़ाने की सोच रहे हैं, तो सबसे पहले तनाव से बाहर निकलने का प्रयास करें। तनाव को दूर करने के लिए आप मेडिटेशन कर सकते हैं, डांस कर सकते हैं या फिर अपनी पसंद का कोई म्यूजिक सुन सकते हैं।
11. पर्याप्त नींद
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बेशक, स्वस्थ व संतुलित भोजन करने, नियमित व्यायाम व योग करने और जरूरी सप्लीमेंट्स लेने से फायदा होता है, लेकिन शरीर को पूरा आराम देने के लिए पर्याप्त सोना भी जरूरी है। विशेषज्ञों का भी कहना है कि चुस्त व तंदुरुस्त रहने के लिए प्रतिदिन सात-आठ घंटे सोना जरूरी है। इससे दिनभर की थकावट दूर हो जाती है और आपका शरीर अगले दिन पूरी ऊर्जा के साथ काम करने लिए तैयार हो जाता है।
12. स्वयं को प्रेरित करें
इसमें कोई शक नहीं कि वजन कम करने से मुश्किल वजन बढ़ाना है। इसलिए, अपनी डाइट को उतना ही बढ़ाएं और एक्सरसाइज करें, जितना कि आपका शरीर सह सके। अगर आप अपनी क्षमता से ज्यादा कुछ करते हैं, तो फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। साथ ही आपके लिए धैर्य रखना भी जरूरी है, क्योंकि वजन धीरे-धीरे बढ़े तभी अच्छा है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर आप वजन बढ़ाने वाले डाइट चार्ट को 30 दिन तक लगातार लेते हैं, तो प्रति माह करीब डेढ़ किलो वजन बढ़ सकता है। अगर आपका वजन एक माह में इससे ज्यादा बढ़ता है, तो यह सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। ध्यान रहे कि हर व्यक्ति का शरीर और उसकी जरूरतें अलग-अलग होती हैं। इसलिए, आप अपने स्वास्थ्य के अनुसार ही अपना लक्ष्य निर्धारित करें। महिलाओं के लिए वेट गेन करने के लिए डाइट चार्ट व नियम कुछ अलग हो सकते हैं।
आगे हम बात रहे कि आखिर वजन कम क्यों होता है।
जानिए वजन कम होने के कारण – Reasons for Being Underweight in Hindi
महिला व पुरुष दोनों का सामान्य वजन वैज्ञानिक तौर पर उनकी उम्र व कद के अनुसार निर्धारित है। अगर वजन सामान्य से 15-20 प्रतिशत कम है, तो आपको अंडरवेट माना जाता है। इसे हम उदाहरण के साथ समझते हैं। मान लीजिए किसी महिला कि उम्र 26-30 के बीच है और कद 148-151 सेमी की बीच है, तो वजन करीब 47 किलो होना चाहिए। अगर वजन 40 किलो (15%) या फिर 37 किलो (20%) रह जाता है, तो उसे कम वजनी कहा जाएगा। 47 वर्षीय महिला का बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) 20.6 किलो/स्कवेयर मीटर होना चाहिए। जब वजन कम होता है, तो बीएमआई भी घटने लगता है।
वहीं, अगर किसी पुरुष की उम्र 25-50 के बीच है और कद करीब 176 सेमी है, तो सामान्य वजन करीब 70 किलो होना चाहिए। अगर वजन 60 किलो (15%) और 57 किलो (20%) है, तो उसे अंडरवेट माना जाएगा (8)।
आइए, अब हम जान लेते हैं कि किन कारणों के चलते वजन कम होता है।
हाइपरथायरायडिज्म : गले में तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जिसे थायराइड कहते हैं। इससे निकलने वाले हार्मोंस शरीर के अंगों को ठीक प्रकार से संचालित करते हैं। हाइपरथायरायडिज्म में जरूरत से ज्यादा हार्मोंस का निर्माण होता है, जिससे मेटाबॉलिज्म स्तर खराब होने लगता है, ह्रदय ठीक से काम नहीं कर पाता और वजन भी कम होने लगता है (9)।
कैंसर : कैंसर होने पर भी वजन कम होने लगता है। साथ ही थकावट, भूख में कमी व मतली जैसी समस्याएं हो सकती है (10)।
टीबी : इस बीमारी की गिरफ्त में आने पर भी वजन तेजी से कम होता है (11)। साथ ही खांसी, अधिक थकावट व रात को पसीना आना आदि परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अगर टीबी के कारण आपका वजन लगातार कम हो रहा है, तो आपको तुरंत डॉक्टर को इस बारे में बताना चाहिए। डॉक्टर उसी के अनुसार आपका इलाज करेंगे।
एचआईवी एड्स : जो लोग एचआईवी एड्स से ग्रस्त होते हैं, उनका वजन भी धीरे-धीरे कम होने लगता है (12)। इसलिए, एक बार इसकी पुष्टि होने पर आपको डॉक्टर की सलाह के अनुसार समय-समय पर दवाइयां खानी चाहिए। साथ अपनी जीवनशैली में जरूरी परिवर्तन करना चाहिए, ताकि आपका स्वास्थ्य ठीक रहे।
किडनी की बीमारी : जब बार-बार लगे कि आपको यूरिन आ रहा है, लेकिन रेस्टरूम से आने के बाद भी आपको यूरिन आने का अहसास हो, तो किडनी में खराबी का संकेत हो सकता है। इससे आपको यूरिन को रोके रखने की क्षमता में कमी, मतली, उल्टी, थकावट, मुंह में अजीब-से स्वाद का अहसास, त्वचा पर रैशेज व खुजली और सांस में अमोनिया की गंध आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, आपकी भूख भी कम हो सकती है, जिससे वजन कम होने लगता है (13) (14)।
दवाइयां : कुछ एंटीबायोटीक दवाइयां ऐसी होती हैं, जो आपकी भूख को कम करने का काम करती हैं (15)। भूख कम लगने पर आप ठीक से भोजन नहीं कर पाते, जिससे आपको जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इसलिए, कोई भी दवा खाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
भोजन में असंतुलन : जब आप निश्चित समय पर और पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन नहीं करते हैं, तो एनोरेक्सिया नर्वोसा व बुलिमिया नर्वोसा जैसी बीमारी का शिकार हो जाते हैं। ये दोनों भोजन संबंधी विकार हैं। इससे ग्रस्त मरीज को वजन कम या ज्यादा होने का डर सताता रहता है। ऐसे लोग हमेशा अपने वजन को लेकर चिंतित रहते हैं और शरीर का आकार बिगड़ने के बारे में सोचते रहते हैं। एक प्रकार से कह सकते हैं कि यह मानसिक विकार से जुड़ी बीमारी भी है (16) (17)।
एंजाइम में कमी : पाचन तंत्र व पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए डाइजेस्टिव एंजाइम बेहद जरूरी हैं। इनकी मदद से ही शारीरिक विकास होता है। जब पेट की आंतरिक दीवारें डाइजेस्टिव एंजाइम को ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं, तो उससे वजन कम होने की आशंका बढ़ जाती है (18)।
आनुवंशिक : कुछ हद तक पारिवारिक पृष्ठभूमि भी कम वजन का कारण हो सकती है। अगर आपके परिजनों का वजन कम रहा है, तो ऐसा अंदाजा लगाया जा सकता है कि आपको भी इस समस्या से दो-चार होना पड़े।
खराब लिवर : लिवर खराब होने पर शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इस कारण से भी वजन कम होने लगता है।
लेख के अंतिम भाग में हम बता रहे हैं कि वजन कम होने पर क्या-क्या स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
वजन कम होने के कारण स्वास्थ्य समस्याएं – Health Problems Caused By Being Underweight in Hindi
कमजोर प्रतिरोधक क्षमता : वजन कम होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है। प्रतिरोधक क्षमता के ठीक से काम न करने पर आप जल्द ही अन्य बीमारियों के चपेट में आ जाते हैं। मौसम में थोड़ा-सा बदलाव होते ही स्वास्थ्य पर असर नजर आने लगता है। इसके अलावा, कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां होने का भी अंदेशा रहता है।
एनीमिया : कम वजन वाले व्यक्ति को अक्सर थकावट महसूस होती है। वह ठीक से भोजन नहीं कर पाता, जिस कारण उसे पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते और शरीर में ऊर्जा की कमी रहती है। परिणामस्वरूप, शरीर में रक्त की मात्रा भी कम होने लगती है और एनीमिया जैसी बीमारी शरीर में घर ���र लेती है।
प्रजनन संबंधी समस्या : महिलाओं में कम वजन का असर प्रजनन क्षमता पर भी पड़ता है। इससे मासिक धर्म चक्र अनियमित हो जाता है और महिला के लिए गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। अगर गर्भधारण कर भी ले, तो गर्भपात की आशंका रहती है। वहीं, कम वजन वाले पुरुषों को यौन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। संभोग के समय उन्हें दर्द हो सकता है, शुक्राणुओं की गुणवत्ता कम हो सकती है व इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी समस्या हो सकती है।
कमजोर हड्डियां : कम वजन वाली महिलाओं व पुरुषों दोनों को ऑस्टियोपोरोसिस का सामना करना पड़ सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों से जुड़ी एक बीमारी है, जिसमें फ्रैक्चर होने का अंदेशा कई गुना बढ़ जाता है। ऐसा हार्मोंस में बदलाव और विटामिन-डी व कैल्शियम में कमी के कारण होता है।
दुबले-पतले लोगों के लिए वजन बढ़ाना कोई मुश्किल भरा काम नहीं है। बस जरूरत है, तो अपना लक्ष्य निर्धारित कर उसे हासिल करने के लिए धैर्य रखने की। आप संतुलित व पौष्टिक भोजन का सेवन करें और अपने डॉक्टर की सलाह पर जरूरी सप्लीमेंट्स लेते रहें। इससे न सिर्फ आपका वजन बढ़ेगा, बल्कि आप स्वस्थ भी रहेंगे। साथ ही नियमित रूप से व्यायाम भी जरूर करें। आप इस संबंध में कुछ कहना या पूछना चाहते हैं, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं।
स्वस्थ रहें, खुश रहें।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/vajan-badhane-ke-liye-diet-chart-in-hindi/
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सिद्ध आयुर्वेदिक हार्ट ब्लॉकइज है तो कायाकल्प चुर्ण है कारगर रोजाना 50 ग्राम अर्जुन छाल का काढ़ा बनाएं । ★कैसे बनाएं काढ़ा★ 1 लीटर पानी मे 50 ग्राम अर्जुन छाल डाल कर तब तक पकाएं, जब तक 500 ग्राम न रह जाए। रोजाना ऐसा काढ़ा बनाना है। 500 ग्राम काढ़े की 3 खुराक बनाकर एक एक चम्मच कायाकल्प चुर्ण दिन में 3 बार ले। सुबह -दुहपर-शाम को 3 बार ले। 50 दिन बाद टेस्ट कराए आप को 70 %फायदा होगा। पूरे 100 दिन प्रयोग करे। जाने क्या है सदैव युवा रखने वाला, शरीर का पूरा कायाकल्प करने वाला सदाबहार चूर्ण ★★★ कायाकल्प चुर्ण वात पित्त कफ़ को संतुलित करता है। *ह्रदय की हर कमजोरी और रोग को ठीक करता है।* क्या है कायाकल्प चूर्ण (What is Kayakalpa churan) कायाकल्प चुर्ण आयुर्वेद की एक पुरानी तकनीक है जिसका प्रयोग दक्षिण भारत के संतो द्वारा जीवन में शक्तियों को बढ़ाने के लिए किया जाता था। कायाकल्प चुर्ण के तीन मुख्य लक्ष्य (Three main Objective of Kayakalpa churan) कायाकल्प चुर्ण के वैसे तो कई फायदे हैं लेकिन इसके तीन मुख्य लक्ष्य हैं- *नशों की कमजोरी को दूर करता है। • व्यक्ति की सुंदरता एंव स्वास्थ्य के साथ-साथ लंबे समय तक उन्हें जवानी को बरकरार बनाए रखना। • नेचुरल एजिंग प्रोसेस को धीमा करना • आयु बढ़ाना • शरीर में कहीं भी गाँठ हो तो यह 15 से 50 दिन 90% लाभ होगा। ●● क्या है काया कल्प चूर्ण में आए जाने -::: *त्रिफला -250 ग्रा *इंद्राण से बनी हुई अजमायन-200 ग्राम *गिलोय चूर्ण-100 ग्राम बेल 200 ग्राम *अर्जुन छाल चूर्ण -100 ग्राम * ब्रह्मा बूटी चूर्ण- 100 ग्राम *शंखपुष्पी चूर्ण-100 ग्राम *कलौंजी -100 ग्राम *आवला चूर्ण-100 ग्राम *नसांदर -100 ग्राम *अपामर्ग -50 ग्राम * जटामांसी -50 ग्राम * सत्यनाशी -50 ग्राम * काला नमक -50 ग्राम *सेंधानमक -50 ग्राम *ऐलोवैरा रस -500 ग्राम सभी चूर्ण को एलोवेरा रस में मिलाकर सांय मे सुखाय । जब सुख जाए तब आप का काया कल्प चूर्ण बनकर तैयार हो गया है । सेवन विधि - अगर आप बिमार ★★ हार्ट ब्लॉकइज के बारे जाने हार्ट ब्लॉकेज होने पर व्यक्ति की धड़कने अर्थात Pulses सुचारु तरीके से काम करना बंद कर देती है । इस प्रकार हार्ट ब्लॉकेज पर व्यक्ति की धड़कने रुक रुक कर चलती है| धड़कनो के रुक रूककर चलने को ही हार्ट ब्लॉकेज कहते है। हार्ट ब्लॉकेज की समस्या कुछ लोगो में जन्मजात होती है, लेकिन कुछ लोगो में हार्ट ब्लॉकेज की समस्या जन्म के बाद बड़े होने पर विकसित हो जाती है। जन्मजात हार्ट ब्लॉकेज की समस्या को कोनगेनिटल हार्ट ब्लॉकेज कहते है। और बड़े होने के होने वाली हार्ट ब्लॉकेज की समस्या को एक्वायर्ड हार्ट ब्लॉकेज कहते है। बड़े होने के बाद हार्ट ब्लॉकेज की समस्या खाने पीने की गलत आदतों और खराब जीवन शैली के चलते बढ़ती जा रही है। ★★ हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण (Heart Blockage Symptoms in Hindi) हार्ट ब्लॉकेज की तीन डिग्री होती है और इन डिग्री के आधार पैर ही हार्ट अटैक के लक्षणों की पहचान की जाती है। हार्ट ब्लॉकेज की पहली डिग्री में किसी प्रकार का कोई लक्षण नजर नहीं आता। हार्ट ब्लॉकेज की दूसरी डिग्री में दिल की धड़कने सामान्य से थोड़ी कम हो जाती है। हार्ट ब्लॉकेज की तीसरी डिग्री में दिल की धड़कने रुक रूककर धड़कना शुरू कर देती है। हार्ट ब्लॉकेज के अन्य लक्षण निम्न है – बार बार चक्कर आना बार बार सिरदर्द होना छाती में दर्द होना सांस फूलना थकान अधिक होना बेहोश होना ★★ हार्ट ब्लॉकइज में परहेज तेल में बने खाद्य पदार्थ कोल्ड ड्रिंक डेयरी उत्पाद धूम्रपान मक्खन शराब घी ★★★ ★साथ साथ घरेलू नुस्खे जरूर★ ★खाने में या सलाद में अलसी के बीजों का इस्तेमाल करें। ★खाने में सामान्य चावल की जगह लाल यीस्ट चावल का इस्तेमाल करें। ◆प्रतिदिन सुबह में 3 से 4 किलोमीटर की सैर करें। ★सुबह को लहसुन की एक कली लेने से कोलेस्‍ट्राल कम होता है। ★खाने में बैंगन का प्रयोग करने से कोलेस्‍ट्राल की मात्रा में कमी आती है। ★प्याज अथवा प्याज के रस का सेवन करने से हृदय गति नियंत्रित होती है। ★हृदय रोगी को हरी साग-सब्‍जी जैसे लौकी, पालक, बथुआ और मेथी जैसी कम कैलोरी वाली सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए। ★घी, मक्खन, मलाईदार दूध और तली हुई चीजों के सेवन से परहेज करें। ★अदरक अथवा अदरक का रस भी खून का थक्का बनने से रोकने में सहायक होता है। ★शराब के सेवन और धूम्रपान से बचना चाहिए। ★एक कप दूध में लहसुन की तीन से चार कली डालकर उबालें। इस दूध को रोज पीएं। ★एक गिलास दूध में हल्दी डालकर उबालें और गुनगुना रहने पर शहद डालकर पीएं। ★एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस, काली मिर्च और शहद डालकर पीएं। ★दो से तीन कप अदरक की चाय रोजाना पीएं। इसके लिए पानी में अदरक डालकर उबालें और शहद मिलाकर पीएं। ★मेथी दाने को रात भर पानी में भिगाकर, सुबह मेथी चबाकर खायें और बचा हुआ पानी पी जाएं। *ऑनलाइन मंगवाए* पूरी जानकारी के लिए संपर्क करे स्वामी वीत दास Whats 94178 62263 Call 78890 53063 https://ayurvedasidh.blogspot.com/2018/07/blog-post_12.html
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पेट साफ करने के घरेलू उपाय
हम अपने दिनचर्या में बहुत सी बातों का ध्यान रखते हैं। अपने घर, ऑफिस, परिवार, स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी होता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि ना चाहते हुए भी कुछ शारीरिक परेशानी हो सकती है जिसमें सिर दर्द, बदन दर्द, पेट की समस्या, बुखार, खांसी सामान्य से होने वाली परेशानी है पर कभी-कभी यह समस्याएं बढ़ती ही प्रतीत होती हैं।
जहां तक पेट की बात की जाए तो यह माना जाता है कि पेट का साफ होना बहुत जरूरी है क्योंकि बहुत सी बीमारियों की शुरुआत पेट से ही होती है। पेट हमारे शरीर का मुख्य अंग है ऐसे में खास सावधानी रखते हुए कार्य करें।
पेट साफ ना होने के कारण | Pet Saaf NA Hone KE Karan
ऐसा माना जाता है कि पेट का साफ होना तभी समझा जाता है जब पाचन की क्रिया सही तरह से कार्य करें पर कई बार कुछ दूसरे कारणों से भी पेट साफ नहीं हो पाता है।
1) अगर ज्यादा पानी का सेवन ना किया जाए तो इससे पेट साफ नहीं हो पाता है। पानी, पेट में उपस्थित सभी अपशिष्ट पदार्थों का शरीर से बाहर निकालने का काम करता है ऐसे में ज्यादा पानी पीना फायदेमंद है।
2). ज्यादा मात्रा में अल्कोहल लेने से भी पेट संबंधी विकार उत्पन्न हो जाते हैं।
3) कुछ लोगों को दूध या उस से बनी चीजों से पाचन सही से नहीं हो पाता और पेट साफ ना होने की समस्या बनी ही रहती है।
4) कई बार अत्यधिक मात्रा में दवाइयों के सेवन से भी पेट साफ नहीं हो पाता है।
5). ऐसा भी देखा गया है कि रात में कैल्शियम और आयरन की दवाइयां को रात मे लेने से भी अपच होती है। ऐसे में इन दवाइयों को दिन मे हीं लेना बेहतर होगा।
पेट साफ करने का घरेलू उपाय | Pet Saaf Karne Ke Gharelu Upay
अगर आपका पेट साफ ना हो रहा हो, तो आप कुछ घरेलू उपाय ( Pet Saaf Karne Ka Gharelu Nuskha In Hindi) करके भी पेट को आराम दे सकते हैं और स्वस्थ हो सकते हैं।
1).  सौंफ और जीरा — यह दोनों ही चीजें पेट के लिए बहुत ही फायदेमंद है। अगर आप जीरा और सौंफ को हल्का सा भून लें और उसे बारीक पीस लें। उस मिश्रण को आप खाली पेट एक चम्मच, गरम पानी के साथ पिए तो यह आपके पेट को साफ करने में मददगार होगा।
2). शहद और नींबू –– अगर आपको पेट दर्द का वास्तविक कारण ना भी पता हो, तो ऐसे में आप खाली पेट एक गिलास गर्म पानी में नींबू और शहद डालकर पिए, तो इससे भी आपको फायदा ही होगा और पेट साफ हो जाएगा।
3). गरम पानी –– अगर लगातार पेट साफ ना होने की समस्या से परेशान हैं, तो गर्म पानी का सेवन जरूर करें। इससे पाचन सही से होता है और अपशिष्ट पदार्थ आसानी से शरीर के बाहर आ जाते हैं तो जब भी पिए गर्म पानी ही पिए।
4). हींग — अगर आप एक चुटकी हींग को गर्म पानी के साथ लें तो इससे भी आपको बहुत ही फायदा होने वाला है।
5).सेब –– अगर आपको रोजाना पेट साफ ना होने की समस्या से परेशान हैं, तो सेब का सेवन जरूर करें। सेब में उपस्थित फाइबर आपको पेट की किसी भी समस्या से दूर ही रखेगा।
6). अजवाईन — अगर आप अजवाइन को बारीक पीस लें और उसे रोजाना गर्म पानी में डालकर सेवन करें तो यह फायदेमंद होगा। इसके अलावा अजवाइन को बिना पीसे भी उपयोग कर सकते हैं।
7). एलोवेरा — अब तक हम एलोवेरा के कई उपायों के बारे में जानते हैं ऐसे में यह पेट के लिए भी फायदेमंद होगा। अगर आप एलोवेरा को  निकालकर उसका जूस बना ले या फिर उसके गूदे को पानी में डालकर पिया जाए तो यह भी पेट के लिए बहुत ही फायदेमंद होगा।
8). अरंडी का तेल — पेट के मामले में अरंडी का तेल भी बहुत ही फायदेमंद है। ऐसे में आप सोते समय गर्म दूध में अरंडी के तेल को डालकर पिए तो इससे भी बहुत ही फायदा होगा और पेट की समस्या दूर हो जाएगी।
9). नारियल पानी — नारियल पानी को भी पेट के लिए फायदेमंद कहा जाता है। ऐसे में अगर आप नारियल पानी का रोजाना सेवन करें तो इस से भी आपको फायदा मिलेगा।
10). त्रिफला चूर्ण —  त्रिफला चूर्ण के गुणों से हम सभी वाकिफ हैं। ऐसे में अगर आप 5 से 6 ग्राम त्रिफला चूर्ण को 200 ग्राम हल्के गर्म दूध के साथ पीते हैं, इससे आपको बहुत ही फायदा होगा इसे जरूर अपनाएं।
11). पुदीना –– पेट को साफ करने में पुदीने की पत्तियों का भी योगदान है। आप चाहे तो इस का शरबत पी सकते हैं या फिर इसे पीसकर भी खाया जा सकता है।
12). अलसी के बीज ––  पेट साफ करने में अलसी के बीजों का भी महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। अगर अलसी के बीजों को पीसकर उसे दूध में डालकर सेवन करें तो फायदेमंद ���ोगा। इनका उपयोग बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं करना चाहिए। इसे आप चाहे तो  शहद के साथ भी ले सकते हैं।
13). दही — दही में उपस्थित प्रोबायोटिक पेट को साफ करने में भी मददगार है इसे आप शरबत के रूप में भी ले सकते हैं।
कच्ची सब्जियों का सूप भी है फायदेमंद–
अगर आप लगातार पेट की समस्या से परेशान हैं, तो ऐसे में अगर आप कच्ची सब्जियों का सूप बनाकर भी पीते हैं तो यह फायदेमंद होगा। इसके साथ ही दूसरे समस्या भी ठीक हो सकती है। इन सब्जियों में आप गाजर, चुकंदर, पालक, गोभी, करेला, लौकी का उपयोग कर सकते हैं। सारी सब्जियों को बारीक पीसकर थोड़े पानी के साथ मिक्सर में पीस लें और उसका सूप तैयार कर लें। सब्जियों में सभी प्रकार के पोषक तत्व होते हैं, जो पेट साफ करने के साथ-साथ इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाकर रखते हैं। इनमें नमक कम मात्रा में इस्तेमाल करें।
पेट साफ ना होने पर ना खाए इन आहारों को
पेट साफ ना होने पर हमें समझ नहीं आता कि आखिर यह हो क्या रहा है? ऐसे में अगर कुछ आहार को अपने भोजन में शामिल ना करें तो फायदा ही होगा।
1). डेयरी  प्रोडक्ट — पेट साफ ना होने पर डेयरी प्रोडक्ट से दूर ही रहे। दूध या दूध से बनी चीजें पाचन करने में ज्यादा समय लगाती हैं और यह गरिष्ठ भोजन की श्रेणी में आता है। ऐसे में अगर आपका पेट साफ ना होने की समस्या है, तो कुछ दिनों के लिए डेयरी प्रोडक्ट से दूरी बना ले।
2). बिस्किट और कुकिज –– ऐसे समय में मैदे से बनी चीजें का सेवन करने से मना किया जाता है क्योंकि इनके पचने में बहुत समय लगता है। ऐसे में बिस्किट और कुकीज़ से दूरी बना लें इससे भी पेट को समस्या हो सकती है।
3).कच्चे केले — पेट को साफ रखना चाहते हैं, तो कच्चे केले का सेवन नहीं करें। अगर आप चाहें तो पका केला खा सकते हैं।
4). चिप्स — पेट को साफ रखना हो तो चिप्स खाना सही नहीं है, जो भी आलू से बने होते हैं उनमें कार्बोहाइड्रेट, वसा, मसाले अधिक मात्रा में होते हैं, जो कहीं ना कहीं पेट को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में इन रेडिमेड चिप्स से दूर ही रहे।
5). मसालेदार भोजन — पेट साफ करने के लिए मसालेदार और गरिष्ठ भोजन से दूर ही रहे। ऐसे में पाचन में दिक्कत आती है।
6). जंक फूड और मैदा युक्त भोजन से दूरी बनाना सही है।
पेट साफ करने के कुछ अचूक नुस्खे | Pet Saaf Karne Ke kuch achuk nuskhe
पेट साफ करने के लिए कुछ अचूक नुस्खे अपनाकर स्वस्थ रहा जा सकता है।
1). रात को खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ जरूर खाएं इससे आपका पेट साफ रहेगा।
2).  जब भी दाल का सेवन करें तो उसके छिलके को ना ही निकाले तो बेहतर होगा।
3).  अगर खाने के सोडे को पानी में डालकर पिए तो इससे भी फायदा होता है।
4) खाने के बाद थोड़ी सी सौंफ और मिश्री को चबा लिया जाए तो बेहतर होगा।
5). सब्जियों में अगर आप परवल, टमाटर, बैंगन ,लौकी, तोरई का सेवन करें तो अच्छा रहेगा।
6). पेट साफ करने में फलों का भी महत्वपूर्ण योगदान है इसमें आप केला, अंगूर, अंजीर, बेर, अमरूद का सेवन करें तो बेहतर होगा।
7). अपने खानपान का भी विशेष ध्यान रखें।
8). पानी में भिगोकर किशमिश मुनक्का खाने से फायदा होगा।
बुजुर्गों का रखना होगा खास खयाल–
अगर घर में बुजुर्ग  हो, तो ऐसे में उनके खान-पान का विशेष ध्यान रखें। बुजुर्गों की इम्युनिटी कमजोर होती है और पाचन संबंधी दिक्कतें भी देखी जा सकती है। अगर बुजुर्गों को हल्का खाना दिया जाए तो बेहतर होगा। इसके अलावा मसालेदार और तला हुआ खाना बिल्कुल ना दे। गर्म पानी और नींबू पानी का सेवन फायदेमंद है। इसे आप दिन में तीन या चार बार अवश्य दें।
त्रिफला का चूर्ण भी है फायदेमंद–
पेट साफ करने के लिए त्रिफला चूर्ण को भी फायदेमंद माना गया है। यह आपके पेट की समस्याओं को भी दूर कर देता है। त्रिफला देखा जाए तो आंवला, हरण और बहरा का मिश्रण है, जो बराबर मात्रा में  कूटकर बनाया जाता है। ऐसे में इसमें वह सारे गुण मौजूद होते हैं, जो आंतरिक रूप से  परेशानी को दूर कर देते हैं। ऐसे में पेट को साफ करने के लिए यह चूर्ण महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसे गर्म पानी के साथ ले सकते हैं और स्वस्थ रहा जा सकता है।
निष्कर्ष
हमने देखा कि पेट का साफ होना बहुत ही जरूरी है नहीं तो कई प्रकार की बीमारियां और समस्याएं आ सकती हैं। अपने उचित खान-पान और जीवनशैली से खुद को स्वस्थ बनाते हुए पेट साफ रखा जा सकता है। इसके लिए शुरुआत खुद को ही करना होगा। इन उपायों को अपनाकर आप अपनी समस्या को दूर कर सकते हैं। हमेशा स्वस्थ रहिए, मस्त रहिए और खुश रहिए।
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Source : http://www.ghareluayurvedicupay.com/pet-saaf-karne-ke-gharelu-upay/
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