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bharatlivenewsmedia · 2 years
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One Nation One Gold Rate | देशभरात एकाच दरात सोने, बुलियन एक्स्चेंजमुळे परिवर्तनाची नांदी
One Nation One Gold Rate | देशभरात एकाच दरात सोने, बुलियन एक्स्चेंजमुळे परिवर्तनाची नांदी
One Nation One Gold Rate | देशभरात एकाच दरात सोने, बुलियन एक्स्चेंजमुळे परिवर्तनाची नांदी One Nation One Gold Rate | दोन दिवसांपूर्वी गुजरामधील गांधीनगरमध्ये बुलियन एक्स्चेंज सुरु झाले. त्यामुळे संपूर्ण देशात सोन्याचा एकच दर निश्चित होईल. ‘वन नेशन, वन गोल्ड रेट’ योजना लवकरच लागू होईल. One Nation One Gold Rate | एवढ्या मोठ्या विविधतेने नटलेल्या देशात सांस्कृतिक एकोपा असला, काही सण उत्सव सारखे…
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marathinewslive · 2 years
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ईडीने रक्षा बुलियन क्लासिक मार्बल्स एसपीबी 94 च्या 4 परिसरांची झडती घेतली
ईडीने रक्षा बुलियन क्लासिक मार्बल्स एसपीबी 94 च्या 4 परिसरांची झडती घेतली
पारेख अॅल्युमिनेक्स लिमिटेडशी संबंधित एका प्रकरणात मनी लाँड्रिंग झाल्याचा आरोप करण्यात आला होता. ईडीकडून या प्रकरणाची चौकशी करण्यात येत होती. दरम्यान, संक्तवसुली संचालनालयाने आज मुंबईतील रक्षा बुलियन आणि क्लासिक मार्बल्स यांच्याशी संबंधित चार ठिकाणी छापेमारी केली. यावेळी एकूण ४३१ किलो सोनं-चांदी जप्त करण्यात आली. हेही वाचा – मस्कतहून कोचीला येणाऱ्या एअर इंडियाच्या विमानानं धावपट्टीवरच घेतला पेट,…
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sharimpay · 2 years
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इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज क्या है, यह कैसे काम करेगा? - व्याख्याकार
इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज क्या है, यह कैसे काम करेगा? – व्याख्याकार
इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज: इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (International Bullion Exchange) भारत में बुलियन आयात का गेटवे होगा। भारत का पहला बुलियन एक्सचेंज भौतिक सोना और चांदी बेचेगा। इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 जुलाई, 2022 को गांधीनगर में गुजरात के GIFT (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी) शहर में भारत के पहले अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज (IIBX) का…
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samvadprakriya · 2 years
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प्रधानमंत्री ने गांधीनगर में गिफ्ट सिटी में आईएफएससीए मुख्यालय की आधारशिला रखी
प्रधानमंत्री ने गांधीनगर में गिफ्ट सिटी में आईएफएससीए मुख्यालय की आधारशिला रखी
प्रधानमंत्री ने गिफ्ट सिटी में भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज- आईआईबीएक्स का भी शुभारंभ किया “भारत अब यूएसए, यूके और सिंगापुर जैसे दुनिया के उन देशों की कतार में खड़ा हो रहा है जहां से ग्लोबल फाइनेंस को ��िशा दी जाती है” “गिफ्ट सिटी की परिकल्पना में देश के आम आदमी की आकांक्षाएं शामिल हैं” “गिफ्ट सिटी वेल्थ और विजडम, दोनों को सेलिब्रेट करता है” “हमें इसके लिए ऐसे इंस्टीट्यूशंस चाहिए,…
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todaymandibhav · 1 day
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सोना-चांदी हुआ महंगा, कीमतें पहुंची आसमान पर, चांदी में आज 1700 रुपए का उछाल, देखें नये रेट | Gold Price
Gold Price 28 May 2024: इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार आज मंगलवार को सोने व चाँदी के भाव में उछाल आया है। IBJA पर आज जारी कीमतों के मुताबिक़ 24 कैरेट सोने का भाव (Gold Price Today) 145 रुपये प्रति 10 ग्राम महँगा होकर 72336 रुपये जबकि 22 कैरेट गोल्ड का प्राइस 133 रुपये प्रति 10 ग्राम तेज होकर 66260 रुपये पर पहुंच गया है । वहीं आज चाँदी का दाम 1711 रुपये प्रति किलोग्राम की…
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n7india · 8 days
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Rise in Gold Prices: सोने का भाव हुआ 74,000, जानिए कब तक रहेगी तेजी
Rise in Gold Price: सोने की कीमतों में हाल के दिनों में काफी तेजी देखने को मिली है। इंडियन बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के अनुसार मंगलवार को 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने का भाव बढ़कर 74,220 रुपए हो गया है। इससे पहले के कारोबारी सत्र 17 मई को सोना 73,383 रुपये प्रति 10 ग्राम पर था। ऐसे में ज्यादातर निवेशक यह जानना चाहते हैं कि आखिर सोने की कीमतों में तेजी कब तक रहेगी और यह कहां तक जा सकता है।…
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currenthunt · 5 months
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न्यायमूर्ति के.एस.पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ, 2017 मामले में ऐतिहासिक निर्णय ने निजता को मौलिक अधिकार घोषित किया
न्यायमूर्ति के.एस.पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ, 2017 मामले में ऐतिहासिक निर्णय ने निजता को मौलिक अधिकार घोषित किया। हालाँकि भारत में आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 द्वारा दी गई अतिरिक्त-सांविधानिक शक्तियों के संबंध में चिंताएँ सामने आई हैं क्योंकि वे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का ह��न करती प्रतीत होती हैं। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 - यह धारा वर्ष 1961 में आयकर अधिनियम, 1961 के भाग के रूप में, आय पर कराधान (अन्‍वेषण आयोग) अधिनियम, 1947 को प्रतिस्थापित करने के लिये प्रस्तुत की गई थी जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने सूरज मल मोहता बनाम ए.वी. विश्वनाथ शास्त्री (1954) मामले में रद्द कर दिया था क्योंकि न्यायालय के अनुसार इसमें करदाताओं के एक निश्चित वर्ग के साथ अन्य की तुलना में विशेष व्यवहार का प्रावधान था जिससे संविधान के अनुच्छेद 14 में निहित एकसमान व्यवहार की गारंटी का हनन हुआ। - वर्ष 1922 में प्रस्तुत मूल आयकर कानून में खोज तथा ज़ब्ती शक्तियों का अभाव था। - आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132, कर अधिकारियों को बिना किसी पूर्व न्यायिक वारंट के व्यक्तियों तथा संपत्तियों की खोज/तलाशी एवं ज़ब्ती करने का अधिकार देती है यदि उनके पास “संदेह करने का कारण” है कि व्यक्ति ने आय छुपाई है अथवा चोरी की है। - यह अधिकारियों को वित्तीय संपत्ति छिपाने के संदेह के आधार पर भवन, स्थानों, वाहनों अथवा विमानों की तलाशी लेने की शक्ति प्रदान करता है। - संबद्ध अधिकारी इस अधिनियम के तहत तलाशी अथवा सर्वेक्षण के दौरान किसी भी व्यक्ति के कब्ज़े में पाई गई ऐसी वस्तुओं को ज़ब्त कर सकते हैं। तलाशी के दौरान खोजी गई बहीखाते, धन, बुलियन, आभूषण अथवा अन्य मूल्यवान वस्तुओं को ज़ब्त करने की अनुमति देता है। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 से संबंधित मामला पूरन मल बनाम निरीक्षण निदेशक - अमुक प्रावधान की सांविधानिकता को पूरन मल बनाम निरीक्षण निदेशक (1973) मामले में चुनौती दी गई थी। - सर्वोच्च न्यायालय ने एम.पी. शर्मा बनाम सतीश चंद्रा (1954) में अपने निर्णय का हवाला देते हुए कानून को बरकरार रखा और तर्क दिया कि खोज व ज़ब्ती की शक्ति सामाजिक सुरक्षा के बचाव के लिये आवश्यक है एवं विधि द्वारा विनियमित है। - अदालत ने यह भी कहा कि संविधान तलाशी और ज़ब्ती के बारे में अमेरिकी चौथे संशोधन के समान निजता के मौलिक अधिकार को मान्यता नहीं देता है। - अमेरिकी चौथा संशोधन सरकार द्वारा अनुचित तलाशी और ज़ब्ती से बचाता है। - यह निष्कर्ष निकाला गया कि तलाशी के लिये वैधानिक प्रावधान अनुच्छेद 20(3) के तहत संवैधानिक सुरक्षा को पराजित नहीं करते हैं। - एम.पी. शर्मा मामले में फैसला आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत तलाशी से संबंधित था, जबकि आयकर अधिनियम के तहत तलाशी के लिये न्यायिक लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती है। - एम.पी. शर्मा के फैसले को औपचारिक रूप से खारिज कर दिये जाने के बाद से कानून के बारे में न्यायालय की समझ बदल गई है। निजता का अधिकार अब संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटीकृत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में अंतर्निहित माना जाता है। आयकर अधिनियम,1961 की धारा 132 के संबंध में चुनौतियाँ आनुपातिक सिद्धांत का उल्लंघन - आयकर अधिनियम की धारा 132, औपचारिक रूप से चुनौती नहीं दिये जाने के बावजूद, आनुपातिकता के सिद्धांत के संभावित उल्लंघन का सुझाव देती है। - तलाशी और ज़ब्त करने की राज्य की शक्ति को अब सामाजिक सुरक्षा के एक सरल उपकरण के रूप में नहीं देखा जाता है, बल्कि यह आनुपातिकता के सिद्धांत के अधीन है। इसका मतलब यह है कि इसका उपयोग एक वैध उद्देश्य के लिये किया जाना चाहिये, तर्कसंगत रूप से अपने उद्देश्य से जुड़ा होना चाहिये, कोई वैकल्पिक कम दखल देने वाला साधन उपलब्ध नहीं होना चाहिये और चुने गए साधनों तथा उल्लंघन किये गए अधिकार के बीच संतुलन होना चाहिये। - सर्वोच्च न्यायालय ने मुख्य आयकर निदेशक बनाम लालजीभाई कांजीभाई मांडलिया, 2022 के मामले में “वेडनसबरी (Wednesbury)” अवधारणा पर निर्भरता प्रदर्शित की, जो ब्रिटेन की अदालत के फैसले से लिया गया प्रशासनिक समीक्षा का एक मानक है, जिसमें तलाशी को न्यायिक नहीं बल्कि प्रशासनिक माना गया है। - वेडनसबरी सिद्धांत कहता है कि यदि कोई निर्णय इतना अनुचित है कि कोई भी समझदार प्राधिकारी इसे कभी नहीं ले सकता है, तो ऐसे निर्णय न्यायिक समीक्षा के माध्यम से रद्द किये जा सकते हैं। - आलोचकों का तर्क है कि पुट्टस्वामी के बाद, वेडनसबरी मानदंड का कोई स्थान नहीं है, खासकर जहाँ बुनियादी अधिकार खतरे में हैं और किसी भी कार्यकारी कार्रवाई को वैधानिक कानून का सबसे सख्त अर्थ में पालन करना चाहिये। निजता के अधिकार का हनन - निजता का अधिकार, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक बुनियादी अधिकार है, अनुचित तलाशी और ज़ब्ती के साथ-साथ गोपनीय रूप से व्यक्तिगत जान��ारी से सुरक्षा प्रदान करता है। - हालाँकि आयकर की जाँच व्यक्तियों की सहमति के बिना उनकी गोपनीयता में हस्तक्षेप करती हैं, जो प्रायः अस्पष्ट आधारों पर आधारित होती हैं, जिससे संभावित दुरुपयोग होता है। - इसके अतिरिक्त, दुरुपयोग को रोकने और I-T जाँचों के अधीन व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा के लिये पर्याप्त सुरक्षा उपायों तथा निरीक्षण तंत्र की कमी है। - कड़े सुरक्षा उपायों के अभाव के कारण  व्यक्तियों को कर अधिकारियों द्वारा शक्ति के संभावित दुरुपयोग के लिये उजागर किया जाता है। जाँच की अवधि और शर्तें - गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा उस छापेमारी पर सवाल उठाना जहाँ व्यक्तियों को कथित तौर पर उचित सुरक्षा उपायों के बिना कई दिनों तक आभासी हिरासत में रखा गया था, ऐसी खोजों की अवधि और शर्तों से संबद्ध चिंताओं को उजागर करता है। Read the full article
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sagar-jaybhay · 6 months
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Todays Gold Rate On 13 Nov 2023
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भारत में आज सोने का भाव क्या है?
सोने की महंगाई दरें जब भी बदल सकती हैं, और इसकी प्रति ग्राम कीमत विभिन्न बाजारों और शहरों में भिन्न हो सकती है। इसलिए, भारत में सोने की दर को लेकर नवीनतम जानकारी प्राप्त करने के लिए स्थानीय ज्वेलर, बैंक, या वित्तीय समाचार वेबसाइट की जाँच करना अच्छा होता है। सोने की दरें विभिन्न कारकों पर आधारित होती हैं, जैसे कि ग्लोबल वित्तीय घटक, सोने का मांग और पूर्ति, रुपये के मूल्य की तरह। 2023 के शुरुआत में, सोने की कीमतें चांदी की तरह विपरित दिशा में चल रही हैं, जब भी विश्व मार्केट में आर्थिक संकट और ग्लोबल घटकों के प्रभाव का सामना कर रही है। वित्तीय सामग्रियों के मूल्य की तरह, सोने की कीमतें भी निवेशकों और सोने को खरीदने वालों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं, क्योंकि यह निवेशकों के लिए एक मान्य निवेश विकल्प हो सकता है। यदि आप सोने की विस्तारित जानकारी चाहते हैं, तो आपको निवेश की नीतियों, सोने की मूल्यों के आधार पर निवेश करने के फायदों और हानियों की जानकारी के साथ एक वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना भी उपयुक्त हो सकता है। याद रखें कि सोने के बाजार में मूल्य सुविधाजनक हैं और वे नियमित रूप से बदलते रह सकते हैं, इसलिए आपको निवेश या खरीदारी के फैसले से पहले अच्छे से जांच लेनी चाहिए। कैरेट1 ग्राम10 ग्राम24 कैरेट₹ 6,024₹ 60,24022 कैरेट₹ 5,569₹ 55,69018 कैरेट₹ 4,915₹ 49,150
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सोने की कीमत भारत में कैसे निर्धारित होती है?
भारत में सोने की कीमत कई कारकों से निर्धारित होती है, जिनमें शामिल हैं: - अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत: भारत दुनिया में सबसे बड़े सोने के उपभोक्ताओं में से एक है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत का घरेलू बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत बढ़ती है, तो भारत में सोने की कीमत भी बढ़ती है, और इसके विपरीत। - रुपये की विनिमय दर: सोने को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर में खरीदा और बेचा जाता है। इसलिए, रुपये की विनिमय दर का सोने की कीमत पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जब रुपया कमजोर होता है, तो सोने की कीमत बढ़ती है, और इसके विपरीत। - आयात शुल्क: भारत में सोने पर आयात शुल्क लगाया जाता है। आयात शुल्क में किसी भी बदलाव का सोने की कीमत पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। आयात शुल्क बढ़ने से सोने की कीमत बढ़ जाती है, और इसके विपरीत। - मांग और आपूर्ति: भारत में सोने की मांग और आपूर्ति भी सोने की कीमत निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब मांग बढ़ती है और आपूर्ति अपरिवर्तित रहती है, तो सोने की कीमत बढ़ जाती है। और जब आपूर्ति बढ़ती है और मांग अपरिवर्तित रहती है, तो सोने की कीमत घट जाती है। -
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You can check live prices of gold here भारत में सोने की मांग भारत में सोने की मांग बहुत अधिक है। सोने को भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। इसे अक्सर शुभ माना जाता है और इसे निवेश के रूप में भी देखा जाता है। दिवाली, धनतेरस, और अक्षय तृतीया जैसे त्योहारों के दौरान सोने की मांग विशेष रूप से अधिक होती है। भारत में सोने की आपूर्ति भारत में सोने की आपूर्ति काफी हद तक आयात पर निर्भर करती है। भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा आयातक है। भारत में सोने का उत्पादन बहुत कम है। सोने की कीमत पर अन्य कारकों का प्रभाव सोने की कीमत पर अन्य कारकों का भी प्रभाव पड़ता है, जैसे कि: - केंद्रीय बैंकों की खरीदारी: केंद्रीय बैंक सोने को अपने भंडार में रखते हैं। जब केंद्रीय बैंक सोना खरीदते हैं, तो यह सोने की कीमत को बढ़ाता है। - आर्थिक अनिश्चितता: जब आर्थिक अनिश्चितता होती है, तो निवेशक सोने की ओर रुख करते हैं, क्योंकि इसे एक सुरक्षित-संपत्ति माना जाता है। इससे सोने की कीमत बढ़ती है। - भू-राजनीतिक तनाव: भू-राजनीतिक तनाव भी सोने की कीमत को बढ़ा सकते हैं।
सोने की कीमत कैसे निर्धारित की जाती है?
भारत में सोने की कीमत मुंबई और दिल्ली के दो प्रमुख बुलियन एक्सचेंजों में निर्धारित की जाती है। ये एक्सचेंज सोने की कीमतों को निर्धारित करने के लिए एक पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया का उपयोग करते हैं।
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निष्कर्ष
भारत में सोने की कीमत कई कारकों से निर्धारित होती है, जिनमें अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत, रुपये की विनिमय दर, आयात शुल्क और मांग और आपूर्ति शामिल हैं। अन्य कारकों जैसे कि केंद्रीय बैंकों की खरीदारी, आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव का भी सोने की कीमत पर प्रभाव पड़ता है। To read here use this link Read the full article
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moneywellglobal · 8 months
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सोना फिर 59 हजार पर आया, चांदी 73 हजार के पार निकली
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nbs-hindi-news · 9 months
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Gold-Silver Price Today: सोना हुआ महंगा, चांदी भी 73 हजार के पार, जानें आज क्या है गोल्ड-सिल्वर का रेट
सोना हुआ महंगा, चांदी भी 73 हजार के पार
नई दिल्ली। भारतीय सर्राफा बाजार में आज, 24 अगस्त 2023 को सोना और चांदी महंगा हुआ है. सोने की कीमत 58 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के पार है. वहीं, चांदी का भाव 73 हजार रुपये प्रति किलो से अधिक है. राष्ट्रीय स्तर पर 999 शुद्धता वाले 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमत 58787 रुपये है. जबकि 999 शुद्धता वाली चांदी (Silver) की कीमत 73809 रुपये है. इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (India Bullion And…
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dotengine · 9 months
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Gold-Silver Price Today: सोना हुआ महंगा, चांदी भी 73 हजार के पार, जानें आज क्या है गोल्ड-सिल्वर का रेट - gold silver rates today august 24 sone chandi ke bhav check latest price on ibjarates com sone ki keemat hplbsb
Sona-Chandi Ke Bhav: भारतीय सर्राफा बाजार में आज, 24 अगस्त 2023 को सोना और चांदी महंगा हुआ है. सोने की कीमत 58 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के पार है. वहीं, चांदी का भाव 73 हजार रुपये प्रति किलो से अधिक है. राष्ट्रीय स्तर पर 999 शुद्धता वाले 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमत 58787 रुपये है. जबकि 999 शुद्धता वाली चांदी (Silver) की कीमत 73809 रुपये है. इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (India…
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bharatlivenewsmedia · 2 years
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आंतरराष्ट्रीय बुलियन एक्स्चेंज सुरू; ट्रेडिंग नियम, पात्रता आणि सर्वकाही जाणून घ्या...
आंतरराष्ट्रीय बुलियन एक्स्चेंज सुरू; ट्रेडिंग नियम, पात्रता आणि सर्वकाही जाणून घ्या…
आंतरराष्ट्रीय बुलियन एक्स्चेंज सुरू; ट्रेडिंग नियम, पात्रता आणि सर्वकाही जाणून घ्या… International Bullion Exchange: पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी देशाला पहिले आंतरराष्ट्रीय सराफा एक्सचेंज दिले आहे, ज्याच्या मदतीने आता भारत आयात प्रक्रिया फक्त पारदर्शक आणि सोपी होईल. या एक्सचेंजचे इतरही अनेक फायदे आहेत, ज्यांची संपूर्ण माहिती आपण या लेखात जाणून घेणार आहोत. International Bullion Exchange:…
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iobnewsnetwork · 1 year
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9 Years of Modi Government: अधिकांश भारतीय मीडिया पीएम मोदी के बारे में आंशिक रूप से और नकली सफलता बता रहे हैं
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आतिश चाफे द्वारा लिखित (मुख्य संपादक)  26 मई यानी के आज पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के 9 साल पूरे हो गए है। साल 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल कर सरकार बनाई थी। 26 मई को पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार शपथ ली थी। इस नौ साल के कार्यकाल में पीएम मोदी ने कई ऐसे फैसले लिए और कई ऐसे काम किए जा हमेशा याद किए जाएंगे। सर्जिकल स्ट्राइक (2016) जम्मू-कश्मीर के उरी कैंप में आतंकवादियों ने भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वॉटर्स पर हमला कर दिया था। भारत के 18 जवान शहीद हुए थे। इस हमले के ठीक 10 दिन बाद पाकिस्तान से बदला लिया गया जिसे सर्जिकल स्ट्राइक का नाम दिया गया। पिछले हफ्ते, सरकार ने 29 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक दिवस मनाने की अपनी योजना का खुलासा किया, दो साल पहले पाकिस्तान में आतंकी शिविरों के खिलाफ भारत द्वारा किए गए सीमा पार ऑपरेशन की याद में। लगभग इशारे पर, भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने एक और सर्जिकल स्ट्राइक की ओर इशारा करते हुए, सीमा पर भारतीय सैनिकों की हालिया मौत का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ एक और "कड़ी कार्रवाई" करने का आह्वान किया। साथ ही, विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला। भारत-पाकिस्तान वार्ता के लिए निमंत्रण स्वीकार करने के लिए, आंशिक रूप से भारत के अंतिम समय में वार्ता से बाहर निकलने में योगदान देने के लिए। ये घटनाक्रम भारत की रणनीतिक संस्कृति के मौलिक परिवर्तन के संकेत हैं- नई दिल्ली अब मनोवैज्ञानिक आधार पर रणनीतिक विकल्प बना रही है सुविचारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के बजाय संतुष्टि। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है जो दक्षिण एशिया में पहले से ही बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को और खराब करने की संभावना है। नोटबंदी साल 2016 में ही मोदी सरकार का एक और ऐसा फैसला ऐसा आया जिसने पूरे देश को हिला दिया। 8 नवंबर साल 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया और रात 12 बजे 500 और 1000 के नोट को चलन से बाहर कर दिया था। नोटबंदी:  मोदी मेड डिजास्टर 8 नवंबर को, "काले धन" और "नकली नोटों" को साफ करने के प्रयास में भारत की 86% मुद्रा को रद्द कर दिया गया था; इस प्रयास के परिणामस्वरूप दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उभरते बाजार के मौजूदा सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कार्यों में भारी व्यवधान आया। सभी 500 और 1,000 रुपये के नोटों को तत्काल रद्द कर दिया गया था, और 50-दिन की अवधि शुरू हुई जहां आबादी (आदर्श रूप से) 2,000 और बाद में 500 रुपये के नए जारी किए गए नोटों के लिए अपनी रद्द की गई नकदी को भुना सकती थी या उन्हें अपने संबंधित बैंक खातों में जमा कर सकती थी। नोटबंदी के बाद के दिनों में आम जनता पर काफी मार पड़ी थी, लेकिन सबसे ज्यादा दर्द गरीबों ने उठाया। गरीब और निम्न मध्यम वर्ग, जो जनसंख्या का विशाल बहुमत है, के पास इस तरह के झटकेदार अर्थशास्त्र के अनुकूल होने के लिए आवश्यक संरचनात्मक और सांस्कृतिक संसाधनों तक पहुंच नहीं थी। यहां तक ​​कि जमीन पर सभी भारी भार उठाने के लिए पदार्पण करने वाले बैंकों को भी पाश में नहीं रखा गया था; संकट के लिए कम सुसज्जित और एक अजीब सरकारी आदेश की भावना बनाने में असमर्थ, वे अभी भी एक उल्लेखनीय काम करने में कामयाब रहे, यहां तक ​​कि अमान्य मुद्रा को संतुलित करने के लिए नए नोटों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने के बावजूद। चलन में मौजूद 86% नकदी के विमुद्रीकरण के साथ, भारतीय अर्थव्यवस्था अचानक, भयानक रूप से रुक गई। अर्थव्यवस्था के सभी पहलुओं पर व्यापार बाधित हो गया था, और कृषि, मछली पकड़ने और बड़े पैमाने पर अनौपचारिक बाजार जैसे नकद-केंद्रित क्षेत्रों को लगभग बंद कर दिया गया था। कई व्यवसाय और आजीविका पूरी तरह से समाप्त हो गए, देश पर आर्थिक प्रभाव का उल्लेख नहीं करना जब आपके पास लाखों उत्पादक लोग काम करने या अपना व्यवसाय चलाने के बजाय, केवल रद्द किए गए नोटों को बदलने या जमा करने के लिए घंटों और घंटों तक लाइन में खड़े रहते हैं। यहां तक ​​कि समाचार कक्षों में अघोषित आपातकाल भी पूरे भारत में जंगल की आग की तरह फैल रही खबरों को रोकने में विफल रहा: विमुद्रीकरण एक भारी और पूरी तरह से टाली जा सकने वाली विफलता थी और इतिहास में सरकार द्वारा प्रेरित सबसे बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग योजना थी। नोटबंदी काले धन पर लगाम लगाने में विफल रही, क्योंकि आरबीआई के अनुसार 500 और 1000 रुपये के नोटों में से 99% को वापस कर दिया गया था। यह अपेक्षित था क्योंकि काला धन आमतौर पर मुद्रा में नहीं रखा जाता है, लेकिन संपत्ति, बुलियन और डॉलर जैसी अधिक आसानी से परिवर्तनीय मुद्रा में। इस प्रकार, 'ब्लैक मनी' और 'ब्लैक वेल्थ' के बीच विरोधाभास: एक प्रवाह चर है और एक स्टॉक चर है। और कोई भी विमुद्रीकरण स्टॉक चर में कोई बदलाव नहीं ला सकता है। बड़ी मात्रा में काले धन का पता लगाने के दावे निराधार हैं और वास्तव में काला धन क्या है, इस बारे में एक भोले और बेख़बर दृष्टिकोण पर आधारित है। इसके अलावा, घोषणा किसी भी प्रकार के आतंकी हमलों और उग्रवाद को रोकने में विफल रही क्योंकि घोषणा के बाद अकेले कश्मीर में 23 और हमले हुए। भारतीय सीमा पर बड़ी संख्या में नए नोटों के साथ विद्रोहियों के पकड़े जाने की कई रिपोर्टें थीं। भारतीय अर्थव्यवस्था में नकली नोटों के प्रचलन की सीमा अतिशयोक्तिपूर्ण है। भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI), कोलकाता द्वारा की गई एक विशेष रिपोर्ट में पाया गया कि नकली मुद्रा का प्रचलन लगभग रु। संचलन में कुल नोटों का 400 करोड़ यानी मात्र 0.022%; भारत की जीडीपी वृद्धि को 2% की क्षति के लायक नहीं है। यह कैशलेस अर्थव्यवस्था का उत्पादन करने में विफल रहा क्योंकि उस अवधि के दौरान ई-कॉमर्स की बिक्री में जो कुछ भी वृद्धि हुई थी, कुछ महीनों के मामले में पहले की तरह उसी विकास प्रवृत्ति-रेखा पर लौट आई, जब नकदी की आपूर्ति अंततः सामान्य हो गई। भारतीय असंगठित क्षेत्रों की सीमा को ध्यान में रखते हुए, वैकल्पिक भुगतान अवसंरचना बनाने से पहले डिजिटलीकरण का प्रयास करना भी अतार्किक था। इस विनाशकारी कदम के परिणामस्वरूप, राष्ट्रीय आय में 3 लाख करोड़ रुपये की हानि हुई; एक रूढ़िवादी अनुमान दिया गया है कि अनौपचारिक नकदी आधारित अर्थव्यवस्था सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 50% या 65.25 लाख करोड़ रुपये है। कुछ बैंक मैनेजर लोगों की गाढ़ी कमाई के बाल कटाने से अमीर हो गए, जिससे जल्दी ही एक परिष्कृत और संगठित मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट बन गया। इस बीच, 'नोटबंदी' के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में 115 लोगों की मृत्यु हुई—लगभग सभी गरीब थे। समर्थक मुख्यधारा के मीडिया द्वारा विमुद्रीकरण को विफल घोषित करने के बाद भी, पीएम मोदी अभी भी अपने शोक संतप्त परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त करने या उन्हें कई मामलों में उनके प्राथमिक कमाऊ सदस्यों के नुकसान के लिए कोई मुआवजा देने में सक्षम नहीं हुए हैं। विमुद्रीकरण कदम न केवल एक दोषपूर्ण आर्थिक नीति का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि डिजिटल भुगतान प्रणाली के साथ नकद भुगत��न के प्रतिस्थापन के साथ अंधाधुंध राज्य निगरानी, ​​​​निजता के उल्लंघन और नागरिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की उच्च क्षमता भी रखता है। बिग डेटा एनालिटिक्स दिन-ब-दिन बड़े होते जा रहे हैं, निजी नागरिकों का व्यक्तिगत डेटा ग्रे मार्केट्स में वस्तुओं में बदल गया है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य और उसके नागरिकों के बीच बुनियादी सामाजिक-अनुबंध और विश्वास टूट सकता है। अंतिम सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री को उन लोगों को बेदखल करने से 4 लाख करोड़ का अच्छा लाभ होने की उम्मीद थी जो अपने नोटों को बदलने में सक्षम नहीं थे। इसके बजाय, हमारे कर के 21,000 करोड़ रुपये नोट छापने में उड़ा दिए गए, जबकि केवल 16,000 करोड़ ही लावारिस रह गए। जीएसटी 30 जून और 1 जुलाई की मध्य रात्रि को संसद के सेंट्रल हाल में आयोजित समारोह में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी लॉन्च किया था। देश में किए जाने वाले सबसे कठिन सुधारों में से एक- जहां राज्यों ने देश और करदाताओं के व्यापक हित में अपनी कर संप्रभुता को छोड़ दिया- जीएसटी ने एक तरह से करों के बेहतर प्रशासन में मदद की है, राज्य की सीमाओं के पार माल के प्रवाह में वृद्धि हुई है साथ ही सभी राज्यों में दरों में अधिक एकरूपता हासिल की। सुस्त शुरुआत और भारी कर संग्रह के बाद, पिछले दो वर्षों में जीएसटी संग्रह में एक मजबूत उछाल देखा गया है। औसत मासिक संग्रह पहले चार वर्षों में 90,000-100,000 करोड़ रुपये से बढ़कर अब 1.20 लाख करोड़ रुपये हो गया है। GST ने करों का भुगतान करने, इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने, चालान बनाने, ई-वे बिल आदि के लिए एक पूरी नई डिजिटल प्रणाली का निर्माण करने का भी नेतृत्व किया है। डिजिटल प्रणाली, यहां तक ​​​​कि इसकी कई खामियों के साथ, करों के प्रशासन और कर को ट्रैक करने में मदद मिली है। टालना। जीएसटी दो प्रमुख मामलों में विफल रहा है। इसने केवल केंद्र और राज्यों के बीच दरार को चौड़ा किया है और यह 'सही' कर दरों को प्राप्त करने में विफल रही है। जीएसटी संग्रह में हाल ही में तेजी के बावजूद, सरकार और जीएसटी परिषद का मानना ​​है कि वर्तमान कर दरें वांछित स्तरों से काफी नीचे हैं। 15वें वित्त आयोग ने एक रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि 15.5% की राजस्व तटस्थ दर के मुकाबले, औसत जीएसटी दरें लगभग 11.8% हैं। प्रारंभिक वर्षों में, जीएसटी परिषद ने एक नई कर प्रणाली द्वारा बनाई गई प्रारंभिक वर्ष अराजकता के जवाब में दरों में कटौती की और बदल दी। वो रेट कट और छूट सरकार को काटने के लिए वापस आ रहे हैं। इससे केंद्र और राज्यों के बीच दरार भी पैदा हो गई। कई राज्य अपने राजस्व के साथ संघर्ष कर रहे हैं, और वे इसे आंशिक रूप से जीएसटी के तहत अपने कर अधिकारों को छोड़ने के लिए दोषी ठहराते हैं। अब, वे मुआवजे (जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण राजस्व में नुकसान के लिए) की मांग करते हैं, जो केंद्र राज्यों को देता है (शुरुआत में पहले पांच वर्षों के लिए) और तीन से पांच साल तक बढ़ाने के लिए, एक मांग केंद्र बहुत उत्सुक नहीं है देने के लिए। जीएसटी की सफलता (या विफलता) अब इन मुद्दों के सुचारू समाधान पर निर्भर करती है। बालाकोट एयर स्ट्राइक 26 फरवरी 2019 को भारत ने बालाकोट एयरस्ट्राइक करके जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को ढेर कर दिया था। बालाकोट हमले के बाद, सीमा पार से घुसपैठ और आतंकी हमलों/घटनाओं में कमी देखी गई है। तब से भारत की कूटनीतिक ऊंचाई और विशेष स्टैंड-ऑफ सटीक हथियारों के साथ राफेल लड़ाकू विमान को शामिल करने के साथ इसकी सैन्य क्षमता में वृद्धि हुई है। 26 फरवरी, 2019 को, 12 मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने भारत से उड़ान भरी और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के ठिकाने पर दंडात्मक हमला करने के लिए सीमा पार की। कोड-नाम ऑपरेशन बंदर, यह हमला पुलवामा आतंकवादी हमले के प्रतिशोध में किया गया था जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवान मारे गए थे। “आज के शुरुआती घंटों में एक खुफिया नेतृत्व वाले ऑपरेशन में, भारत ने बालाकोट में JeM के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर पर हमला किया। इस ऑपरेशन में बहुत बड़ी संख्या में आतंकवादी, प्रशिक्षक, वरिष्ठ कमांडर और जिहादियों के समूह जिन्हें फिदायीन कार्रवाई के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था, को समाप्त कर दिया गया, “विदेश मंत्रालय ने कहा। बालाकोट स्ट्राइक पहली बार था जब भारत ने एक साहसिक युद्धाभ्यास किया, इसे आसन्न खतरे के सामने एक गैर-सैन्य पूर्व-खाली कार्रवाई के रूप में उचित ठहराया। भारत ने कहा कि विश्वसनीय ख़ुफ़िया जानकारी से संकेत मिलता है कि और अधिक फिदायीन हमलों की योजना बनाई जा रही थी। भारत सरकार की मंशा पाकिस्तान और दुनिया को स्पष्ट रूप से बताई गई थी कि वह अब ऐसे देश के साथ बातचीत का सहारा नहीं लेगी जो 2004 में किए गए अपने वादे को पूरा करने में बार-बार विफल रहा है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए अपने क्षेत्र की अनुमति नहीं देगा। दुनिया भारत के पक्ष में थी। पाकिस्तान ने क्षति से इनकार करने का प्रयास किया, यह दावा करते हुए कि हमलों ने केवल कुछ पेड़ों को नष्ट कर दिया और कोई जनहानि नहीं हुई। यह प्रशंसनीय खंडन, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस द्वारा बार-बार दोहराई जाने वाली रणनीति, एक बार फिर प्रदर्शित हुई, जैसा कि यह कारगिल घुसपैठ के दौरान हुआ था, जिसे शुरू में आतंकवादियों और कश्मीरी स्वतंत्रता सेनानियों पर दोषी ठहराया गया था। जूरी अभी भी बालाकोट में हताहतों के पैमाने पर बाहर है, लेकिन तब से पुल के नीचे पर्याप्त पानी बह चुका है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक से बेलआउट के लिए बार-बार अनुरोध के साथ पाकिस्तान आर्थिक दबाव में है; राष्ट्र हर पांच साल में अपने कर्ज को दोगुना करना जारी रखता है। भारी राजकोषीय घाटे के साथ मुद्रास्फीति का स्तर रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। यह अनिश्चित वित्तीय स्थिति वर्तमान सरकार से मोहभंग करने के लिए बाध्य है, जो "नया पाकिस्तान" बनाने के वादे के साथ सत्ता में आई थी। इसके अलावा, तालिबान के साथ पाकिस्तान का हनीमून, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर निकलने के बाद अफगानिस्तान में सत्ता में आया था, दिन पर दिन खट्टा होता जा रहा है, डूरंड रेखा पर बार-बार संघर्ष की खबरें आ रही हैं। प्रस्थान करने वाली अमेरिकी सेनाओं से जब्त किए गए हथियारों की अवैध बिक्री ने इस व्यवसाय को एक नया प्रोत्साहन दिया है, जो इस क्षेत्र में और अशांति को बढ़ावा देगा। चीन के लिए, जिसका पाकिस्तान के साथ "पहाड़ों से भी ऊंचा और समुद्र से गहरा" रिश्ता फलता-फूलता रहा है, अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी उसकी खुद की चुनौतियां हैं। शिनजियांग क्षेत्र में उइगर अशांति के साथ-साथ टीआईपी और टीटीपी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए चीन को आतंक और उग्रवाद के प्रसार के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। ये चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे में बीजिंग के निवेश के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करते हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान के साथ चीन के रणनीतिक गठबंधन का निकट भविष्य में परीक्षण किया जाएगा, तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद पड़ोस में खतरनाक स्थिति और पाकिस्तान के बिगड़ते आर्थिक संकट के साथ मोहभंग के साथ। रिश्तों और नीतियों में निवेश, जब निहित और पारलौकिक हितों के साथ किया जाता है, तो कभी लाभांश का भुगतान नहीं करेगा। पाकिस्तान की अपनी धरती के माध्यम से आतंकवाद को बढ़ावा देने की नीति, भारत के खिलाफ बचाव के रूप में पाकिस्तान के साथ चीन का गठबंधन, रणनीतिक गहराई हासिल करने के लिए तालिबान को पाकिस्तान का समर्थन और अफगानिस्तान पर प्रभाव डालने के लिए पाकिस्तान के साथ अमेरिकी साझेदारी ने यह सुनिश्चित किया है कि मुर्गियां आखिरकार घर लौट आई हैं। बालाकोट हमले के बाद, सीमा पार से घुसपैठ और आतंकी हमलों/घटनाओं में कमी देखी गई है। तब से भारत की कूटनीतिक ऊंचाई और विशेष स्टैंड-ऑफ सटीक हथियारों के साथ राफेल लड़ाकू विमान को शामिल करने के साथ इसकी सैन्य क्षमता में वृद्धि हुई है। भारतीय वायुसेना द्वारा किया गया आखिरी फायर पावर डिस्प्ले (एफपीडी) पुलवामा हमले के दो दिन बाद हुआ। इस साल का एफपीडी 7 मार्च को किया जा रहा है। आतंकी हमलों में खामोशी हमें आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए। नहीं। पाउडर को सूखा रखा जाना चाहिए और अभिनव विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिए और बहस की जानी चाहिए क्योंकि आश्चर्य और धोखे को शामिल करने वाली ठंडे, गणनात्मक और निर्णायक कार्रवाइयाँ लाभांश का भुगतान करेंगी और यह सुनिश्चित करेंगी कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया गया है।क्या सीमा पार आतंकवाद का बंदर आखिरकार भारत की पीठ से उतर गया है? केवल समय बताएगा। आर्टिकल 370 5 अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर खंडों को समाप्त कर दिया था जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करते थे। साथ ही जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा हटाकर अब वहां के सरकारी दफ्तरों में तिरंगा लहराने लगा। आर्टिकल 370 भी सरकार का बड़ा फैसाला रहा। “इसे एक ऐसे कदम के रूप में पेश करना जो कश्मीर में विकास और शांति लाएगा, भारत की कार्रवाई ने हमारी संस्कृति और राजनीति के लगभग हर पहलू को बाधित कर दिया है। हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है, अर्थव्यवस्था नाटकीय रूप से धीमी हो गई है, सामान्य जीवन राजनीतिक आवश्यकता का शिकार हो गया है, ”उसने लिखा। पिछले साल 5 अगस्त को, भारत सरकार ने विवादास्पद अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था और अपने स्वयं के कानूनों को बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में स्वायत्तता प्रदान की थी। निर्णय राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के साथ था: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। इस कदम के बाद मुख्यधारा के राजनीतिक नेताओं को हिरासत में लिया गया और पूरे क्षेत्र में एक संचार नाकाबंदी की गई। नबी ने लिखा, "भारत चाहता था कि हम यह विश्वास करें कि अनुच्छेद 370 आर्थिक विकास में बाधा था, लेकिन पिछले साल विकास के रास्ते में बहुत कम आया है, कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने करीब 6 अरब डॉलर का नुकसान होने का अनुमान लगाया है।" लेखक के अनुसार, मुख्यधारा के कई नेता अभी भी सलाखों के पीछे हैं। 20 नवंबर, 2019 को केंद्र ने कहा कि 5 अगस्त से अब तक 5,161 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें से 609 को हिरासत में लिया गया है, जबकि बाकी को रिहा कर दिया गया है। भारत सरकार के दावों को चुनौती देते हुए, उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति के सदस्यों द्वारा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के हालिया बयान के अनुसार, लगभग 13,000 लोग अभी भी हिरासत में हैं। उन्होंने लिखा, "अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जम्मू-कश्मीर राज्य मानवाधिकार आयोग और महिला आयोग सहित विभिन्न आयोगों का समापन हुआ है और इसने हमारी शिक्षा प्रणाली को संकट में डाल दिया है।" उन्होंने आगे इस बात पर जोर दिया कि फैसले के बाद से घाटी में बच्चे 10 दिनों से अधिक समय से स्कूल नहीं जा पाए हैं। हाई-स्पीड इंटरनेट पर चल रहे प्रतिबंध के बारे में उन्होंने कहा कि बच्चों को शिक्षा के मूल अधिकार से वंचित किया जा रहा है. वर्तमान भारत-चीन सीमा संघर्ष पर कटाक्ष करते हुए, नबी ने लिखा कि चीन ने आक्रामक रूप से विवाद के लिए तीसरे पक्ष के रूप में खुद को लद्दाख में प्रवेश करके आग की एक श्रृंखला में शामिल होने के लिए प्रस्तुत किया है, जिसने सीमा पार तनाव को बढ़ा दिया है, भले ही नई दिल्ली ने दावा किया हो कि फैसले के बाद विदेशी दखल खत्म होगा। उन्होंने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि भारत कभी भी यह स्वीकार नहीं करेगा कि अनुच्छेद 370 को हटाना विफल रहा है और नई दिल्ली यह पुष्टि करने की कोशिश करेगी कि कश्मीर में जीवन सामान्य है। "यह आशा करना जारी रखेगा कि संचार को अवरुद्ध करने और जमीन पर असंतोष को नियंत्रित करने से किसी को पता नहीं चलेगा कि स्थिति कितनी बिगड़ गई है"। इससे पहले कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने भारत सरकार से जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा और विशेष दर्जा बहाल करने की मांग की थी। सुलह, राहत और पुनर्वास नामक समूह ने सरकार से जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को बहाल करने का आग्रह किया है। समूह ने भारतीय पीएम, गृह मंत्री और सरकार से यह कहते हुए अपील की है, “जम्मू और कश्मीर के लोग आपके अपने लोग थे, उनसे प्यार करें। एक अच्छे भाव के रूप में, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करें। प्रतिनिधि/सांसद जनता के लिए, जनता के द्वारा हैं और उन्हें लोगों की आकांक्षाओं और इच्छाओं को समझने की जरूरत है। बयान में कहा गया है कि पिछड़े क्षेत्रों के हितों और आकांक्षाओं की रक्षा के लिए, लोगों के सांस्कृतिक और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए, अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और राज्य के कुछ हिस्सों में अशांत कानून ��्यवस्था से निपटने के लिए विशेष प्रावधान किए जाने चाहिए। आतिश ��ाफे द्वारा लिखित (मुख्य संपादक) Read the full article
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goldsilverreports · 1 year
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dgnews · 1 year
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बिहार, लालू परिवार से एक करोड़ की बेहिसाब नकदी और जेवर जब्त
नई दिल्ली। नौकरी के बदले जमीन घोटाले की जांच कर रहे ईडी ने शनिवार को कहा कि संबंधित घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद के परिवार पर छापेमारी में एक करोड़ रुपए की बेहिसाब नकदी, 1900 अमरीकी डॉलर, 540 ग्राम गोल्ड बुलियन और 1.5 किलो से ज्यादा सोने के जेवर बरामद किए गए।ईडी ने इस घोटाले में 24 स्थानों पर छापे मारे थे। छापों के दौरान 600 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति का पता…
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todaymandibhav · 1 month
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Gold Price 26 April: सोना चांदी हुआ महंगा, जानें आज क्या है गोल्ड-सिल्वर का रेट
Gold-Silver Price 26 April 2024: आज यानी 26 अप्रैल को सोने-चांदी की कीमतों (Gold-Silver Rate Today) में फिर उछाल देखने को मिल रहा है। मजबूत वैश्विक रुख से सोने के भाव लगातार बढ़ रहे है। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के मुताबिक़ आज 24 कैरेट सोने का भाव (Gold Price Today) 266 रुपये प्रति 10 ग्राम तेज होकर 72360 रुपये पर पहुँच गया है। जबकि 22 कैरेट सोने का भाव 244 रुपये प्रति 10 ग्राम महँगा…
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