The Beautiful Love Story In Hindi of Nargis And Sunil Dutt
The Beautiful Love Story In Hindi of Nargis And Sunil Dutt
The Beautiful Love Story In Hindi of Nargis And Sunil Dutt
नरगिस थीं पदमश्री पुरस्कार पाने वाली पहली बॉलीवुड अभिनेत्री: जानिए उनके जीवन की कुछ रोचक बातें!
हिंदी सिनेमा को शुरूआती दौर में जिन अभिनेत्रियों ने ऊँचाइयों को छुआ था उनमें एक नाम उस दौर की खूबसूरत अभिनेत्री नरगिस का भी है। नरगिस राज्यसभा के लिए नामांकित होने और पद्मश्री पुरस्कार पाने वाली पहली बॉलीवुड अभिनेत्री थीं। बॉलीवुड में आज…
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Sanjay Dutt Biography
संजय दत्त
जन्मदिन
Jul 29, 1959 मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में
प्रतिष्ठित भारतीय अभिनेता सुनील दत्त और नरगिस दत्त के बेटे, संजय दत्त को खलनायक (1993), वास्तु: द रियलिटी (1999), मुन्ना भाई एमबीबीएस (2003), लगे रहो मुन्ना जैसी फिल्मों में विभिन्न भूमिकाओं के लिए जाना जाता है। भाई (2006), और अग्निपथ(2012)। उनकी पहली ऑन-स्क्रीन उपस्थिति उनके पिता की फिल्म रेशमा और शेरा (1972) में एक बाल कलाकार के रूप में थी, जिसके बाद उन्होंने रॉकी (1981) में मुख्य भूमिका के रूप में बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की। फिल्म दत्त के लिए एक अच्छा कदम साबित हुई, जिसने बॉक्स-ऑफिस पर अच्छी कमाई की। लोकप्रिय रूप से संजू बाबा के रूप में संदर्भित, उन्होंने लगभग चार दशकों के अपने करियर में कई पुरस्कार जीते हैं और उद्योग में बड़ी सफलता हासिल की है। 2012 में, उन्होंने उद्यमी राज कुंद्रा के साथ भारत के पहले पेशेवर रूप से आयोजित मार्शल आर्ट लीग, द सुपर फाइट लीग का शुभारंभ किया।
अप्रैल 1993 में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में, दत्त को आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। उन्हें हथियारों के अवैध कब्जे का दोषी ठहराया गया था। मार्च में, सुप्रीम कोर्ट ने दत्त की पांच साल की सजा को बरकरार रखा, जिसमें से 18 महीने उन्होंने पहले ही मुकदमे के दौरान जेल में बिताए। उन्हें 2016 की शुरुआत में रिलीज़ किया गया था। केवल
जीवन में
, अभिनेता फिल्म उद्योग के बहुत करीब हो गए, माता-पिता के लिए पैदा हुए, जो बॉलीवुड का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा थे। उन्होंने लॉरेंस स्कूल में भाग लिया, जो हिमाचल प्रदेश में एक निजी बोर्डिंग स्कूल है। संजय ने अपनी पहली फिल्म के प्रीमियर से ठीक पहले अपनी मां, नरगिस दत्त को खो दिया था और इस अपूरणीय क्षति को अक्सर उनके नशा के कारण के रूप में उद्धृत किया जाता है।
व्यक्तिगत जीवन
संजय दत्त ने अभिनेत्री ऋचा शर्मा से वर्ष 1987 में शादी की, जो उनसे तब मिली जब वह संयुक्त राज्य अमेरिका में एक पुनर्वसन में थीं। संजय और ऋचा ने वर्ष 1988 में एक बेटी त्रिशला को जन्म दिया। उसके जन्म के कुछ समय बाद, रिचा को ब्रेन ट्यूमर का पता चला, उसने ट्यूमर के खिलाफ अपनी लड़ाई खो दी और वर्ष 1996 में उसकी मृत्यु हो गई। त्रिशला की हिरासत के लिए लड़ने के बाद, संजय हार गया लड़ाई और त्रिशला अमेरिका में अपने दादा-दादी के साथ बड़ी हुई। 1998 में, संजय ने मॉडल रिया पिल्लई से शादी कर ली। वर्ष 2005 में तलाक होने से पहले वह 7 साल से अधिक समय तक रहे। वर्ष 2008 में, संजय ने गोवा में एक निजी समारोह में मान्या से शादी की। संजय और मान्या जुड़वाँ शाह��ान और इकरा के माता-पिता हैं।
टेलीविज़न कैरियर
उन्होंने सलमान खान के साथ भारतीय रियलिटी शो बिग बॉस के पांचवें सीजन की सह-मेजबानी की। यह शो 2 अक्टूबर 2011 से 7 जनवरी 2012 तक कलर्स टेलीविजन पर प्रसारित किया गया। बाद में दत्त ने कहा कि यह खान ही थे जिन्होंने उन्हें शो की सह-मेजबानी के लिए राजी किया।
MOVIE CARIR
बतौर अभिनेता
दत्त ने अपने करियर की शुरुआत रॉकी के साथ टीना मुनीम के साथ की थी(1981)। उनकी पहली फिल्म को मिली अच्छी प्रतिक्रिया के बाद, उन्होंने विधाता (1982) में अभिनय किया, जो एक बड़ी सफलता थी, और उस वर्ष की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्मों में से एक थी। तब उन्हें इनाम दास हज़ार (1987) में एक सेल्समैन की भूमिका निभाते हुए देखा गया था, जबकि उनकी अगली फ़िल्म 'जीते हैं शान से' (1988) उस साल की तीसरी सबसे बड़ी कमाई वाली फ़िल्म थी। उसी वर्ष, वह मार्डन वली बाट (1988), और IIaaka (1988) में दिखाई दिए, जो बॉक्स ऑफिस पर लोकप्रिय थे। उन्होंने कबज़ा (1988) और हैदर (1989) में भी अभिनय किया, दोनों फ़िल्मों को दर्शकों ने खूब सराहा।
तब से, दत्त ने कॉमेडी से लेकर रोमांस तक विभिन्न विषयों और शैलियों के साथ डब किया है। उनका सबसे उल्लेखनीय प्रदर्शन सदक (1991), साजन (1992), खलनायक (1993), और दुश्मन (1998) फिल्मों में रहा है। अपने भयंकर कारावास के बाद, वह दाऊद (1997) के साथ फिल्मों में लौटे, जिसे आलोचकों द्वारा फ्लॉप करार दिया गया था। 1999 में, संजय दत्त ने वापसी की और महेश मांजरेकर की क्राइम ड्रामा फिल्म वास्तु: द रियलिटी में दिल खोलकर परफॉर्मेंस दी। रघु के किरदार के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पहला फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।
2000 के दशक की शुरुआत में संजय ने गोविंदा के साथ कॉमेडी की शैली में उद्यम किया। दोनों ने साथ में हसीना मान जायेगी (2000), जोड़ी नंबर 1 (2001), एक और एक ज्ञान (2003) जैसी सफल कॉमेडी फिल्में कीं। उनकी 2004 की फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस ने उनके करियर को और ऊंचाइयों तक पहुंचाया। फिल्म को सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने की समाप्ति हुई, संजय दत्त ने सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। अगली कड़ी, लगे रहो मुन्ना भाई (2006) ने चार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीते। इसके बीच, उन्होंने प्रदीप सरकार के रोमांटिक नाटक परिणीता में सैफ अली खान और विद्या बालन के साथ अभिनय किया, जिससे उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए फिल्मफेयर नामांकन मिला। अग्निपथ (2012) में कांचा चीना के उनके किरदार ने उन्हें कई प्रशंसाएँ दिलवाईं। 2014 में, संजय दत्त राजकुमार हिरानी की 'पीके' में सहायक भूमिका में दिखाई दिए, जिसने अभिनय कियामुख्य भूमिका में आमिर खान । साहेब बीवी और गैंगस्टर (2018) में अभिनय करने से पहले वह ओमंग कुमार एक्शन फिल्म भूमि (2017) में भी दिखाई दिए। उनकी आगामी परियोजनाओं में प्रशस्तम (2019), पानीपत (2019), सदाक 2 (2020) और शमशेरा (2020) शामिल हैं।
निर्माता के रूप
में वर्ष 2001 में, संजय दत्त ने अपने दोस्त और फिल्म निर्माता संजय गुप्ता के साथ एक प्रोडक्शन हाउस व्हाइट फेदर फिल्म्स लॉन्च किया, जिसने कई गंभीर रूप से प्रशंसित और व्यावसायिक रूप से सफल फिल्में दी हैं जैसे कांते, मुसाफिर, योजना, जिंदा, शूटआउट एट लोखंडवाला और दस। काहनियां ।
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संगीत का कल्पवृक्ष शंकर ( शंकरजयकिशन)
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मिट जाते है जिस्म किन्तु नाम नही मिटते
ये हुनर खुदा चंद लोगो को बख्शता है !!
संगीत तपस्वी शंकर पर उक्त कथन मुफीद बैठता है,जिनका अपना अलग अंदाज था,अपनी अलग कहानी थी।उनकी ज़िंदगी को यूँ भी परिभाषित किया जा सकता है:-
चल सके तो चल इस तरह से तू नज़ीर
कि तू न चल सके तो तेरी दास्तां चले
अभी जब में Z न्यूज़ चैनल में श्री सुधीर चौधरी का DNA कार्यक्रम देख रहा था तो उसमे आज के दिन से जुड़े विश्व के महान व्यक्तियों के बारे में बताया जा रहा था तो उसमे से एक थे हिंदी फिल्म संगीत के ट्रेंड सेंटर संगीतकार शंकर जिन्हें शंकरजयकिशन के रूप में विश्व भर में जाना जाता है,शंकर को हिंदी फ़िल्म संगीत में ही अपितु सम्पूर्ण विश्व के फ़िल्म जगत में प्रथम स्थान पर रखा जाता है क्योकि उनकी संगीत साधना में प्रयोगात्मक प्रकृति तो थी ही साथ मे उनका सम्पूर्ण समर्पण सिर्फ और सिर्फ संगीत में ही था।गरीबी से वैभव के शीर्ष पर पहुंचे शंकर की संगीत लगन का कोई मुकाबला ही नही है। अनुशाषित,दृढ़निश्चयी, समय के पाबंद,विनम्र,मृदुभाषी,संगीत तपस्वी शंकर की आज 32 वी पुण्यतिथि है इस कारण प्रिंट,दृश्य व सोशल मीडिया पर आज पद्मश्री शंकर को लेकर ही चर्चे है, Z न्यूज़ के DNA कार्यक्रम में सुधीर चौधरी ने इसीलिए उन्हें याद किया।शंकरजयकिशन ने सम्पूर्ण फ़िल्म उद्योग को संगीत का अनुपम योगदान तो दिया ही साथ ही मित्रता की एक बेमिसाल नज़ीर भी पेश की जिसका फ़िल्म उद्योग में नामोनिशान तक नही है!किंतु शंकरजयकिशन ने इसे स्थापित कर दिखाया जैसा की पूर्व में कृष्ण सुदामा,दुर्योधन कर्ण ने स्थापित किया था। मित्रता विश्वास व त्याग मांगती है और यह गुण शंकर में कूट कूट कर भरे थे।शंकर पर विगत द���नों से कई कार्यक्रम विभिन्न शहरों में उनकी पुण्यतिथि पर आयोजित किये जा रहे है।मेरे पास आज कई फोन आये तथा व्हाट्सएप तथा फेसबुक पर उनके बारे में कई जानकारियां दी जा रही है,बहुत अच्छा लगा कि शंकरजयकिशन का फैंस ग्रुप बहुत विशाल है।में कभी तन्हाई में सोचता हूँ कि क्या संगीत उन लोगो मित्र बना देता है जिनसे कभी मुलाकात तक नहीं हुई थी?किन्तु शंकरजयकिशन के कारण आज असंख्य मित्र अब व्यक्तिशः मिलने लगे है,एक दूसरे के स्वभाव को जानने लगे है,किस सदस्य की क्या पोजिशन है जानने लगे है उस आधार पर मित्रता के गठबन्धन बनने लगे है किन्तु असली मज़ा तो तब है जब शंकरजयकिशन जैसी वास्तविक मित्रता हो।विचारणीय बात है कि शंकराचार्य की चार पीठों की भांति
शंकरजयकिशन की भी कई पीठे बन गई है जिन्हें विभिन्न मठाधीश व उनके चेले चलाकार अपने नामो को स्थापित करने की कोशिशों में लगे है!जब तक इनमें एकजुटता नही आ जाती तब तक
शंकरजयकिशन को सच्ची श्रद्धांजलि देना असंभव है।आज मुझसे कई मित्रो ने पूंछा कि आप शंकर का आंकलन कैसे करते है?तो में विस्तार में नही गया बस एक चर्चित शेर सुना दिया---------
हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है
बरस में जाकर चमन में होता है दीदावर पैदा
शंकरजयकिशन के शंकर के बारे में इतनी ज्यादा जानकारी उपलब्ध् कराई जा चुकी है कि उनके ऊपर
बार बार एक ही तरह की बात लिखना उचित प्रतीत नही होता।किन्तु विस्मय होता है कि संगीत के इस क्राइस्ट का जन्म स्थान आज तक कोई भी प्रामाणिक प्रमाण सहित न बता सका!माना उनका बचपन हैदराबाद में ही बीता ओर वही से उनका संघर्ष आरम्भ हुआ किन्तु उनकी पैदाइश कहाँ हुई इसका कुछ भी पता नही!यह इतिहास के साथ किया गया एक प्रकार का छल नहीं तो क्या!शंकर जी की ज़िन्दगी के भीतर झांकने उनके उपर विषवमन करने में कोई कौर कसर नही छोड़ी गई किन्तु यह बुद्धिजीवी वर्ग उनके जन्मस्थान के बारे में मौन हैं।शंकर के जन्म की भांती उनकी मृत्यु भी रहस्यमय रही?इतने महान संगीतकार का अंतिम क्रियाकर्म इतनी खामोशी से कर दिया गया कि फ़िल्म इंडस्ट्री को पता ही न चला? इस महान संगीतकार को एक मात्र समय पर श्रद्धांजलि देने वाले थे तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी।
खामोशी से यूँ चल दिये इस जहां से
जैसे कि कोई वास्ता ही न था
शंकरजयकिशन की जोड़ी शंकर ने ही 1949 में बनाई तथा इस कहानी का अंत भी 1987 में उन्होंने ही किया।राजकपूर, जयकिशन ,लतामंगेशकर, दत्ताराम,शारदा तथा मन्नाडे आदि को स्थापित करने का श्रेय शंकर को ही जाता है।निर्माताओं को कतार में बिठाने का श्रेय शंकर को ही जाता है,विशाल आरकेस्ट्रा का परिचय फिल्म इंडस्ट्री को शंकर ने ही दिया।जैसा कि जयकिशन बताते है वो सदा बहुत बड़ी सौंच को साकार करने में जुट जाते थे,संगीत उनका जनून था तो स्वभाव में स्वाभिमान उनका शस्त्र था।शंकर ने हिंदी फिल्मों में सदा के लिए एक ट्रेंड स्थापित कर दिया जिसे संगीत का संविधान भी कहा जा सकता है जिसमे समय के अनुरूप संशोधन होते रहते है।
न जाने क्यो शंकर को राज कपूर, लता मंगेश्कर व मुकेश समझ ही न पाए और जाने अनजाने शंकर की सरल भावना को ठुकराने की ऐतिहासिक भूल कर बैठे जिन्हें शंकर ने ही पहचान दिलाई थी।
शंकर ने राजकपूर से लेकर सुधाकर शर्मा तक को दिल से लगाया,फ़िल्म बरसात में लता मंगेश्कर का प्रवेश करवाया,मुकेश का बुरे दिनों में साथ दिया,उन्हें बेहतरीन अवसर दिए वह बस इस बात को दिल मे बसा बैठे कि मन्नाडे को फ़िल्म चोरी चोरी में स्थान दिलाने का कार्य शंकर की ही देन है,लता मंगेश्कर ने ठान लिया उनके लिए कदापि नही गाऊँगी,राजकपूर की फ़िल्म में तभी स्वर दूंगी जब उनके साथ शंकर न होंगे!जिनको कभी शंकर ने स्थापित किया था वही उनके विरुध्द हो गए यही सबसे बड़ी विडंबना है।शंकर असाधारण इंसान थे तभी तो तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन शंकर के संगीत के बड़े प्रशंसक थे।यह एक प्रशंसक ही स्थापित कर देता है कि उनका कद किंतना ऊंचा है।शंकर के आगे पीछे कोई नही था बस जयकिशन में ही वह बसते थे,संगीत ही उनकी दुनियाँ थी,वह बस संगीत की ही बात करते थे,देश के प्रति वह बहुत लगाव रखते थे।शंकर का जीवन एक ऐसी कहानी है जिसमे पीड़ा है किंतु पीड़ित शंकर ने कभी भी एक भी अपशब्द किसी के लिए नही कहा,वह पीड़ा को पी जाते थे तभी तो इतने बड़े संगीतकार बने!उन्हें न समझने की भूल हिंदी फिल्म उद्योग ने की है।इन सबके बावजूद शंकरजयकिशन के शंकर का नाम सदा अजर अमर रहेगा क्योकि उन्होंने परमात्मा की भाषा संगीत में ही अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया!शंकर का संगीत के प्रति जो भाव था उसको उनका एक गीत प्रमाणित करता है....
ये मेरा दीवानापन है या मोहब्बत का सरूर
तू न पहचाने तो ये है तेरी नज़रों का कसूर ..
Shyam Shanker Sharma
Jaipur,Rajasthan
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रिया चक्रवर्ती से पहले बॉलीवुड के ये 9 सितारे भी ड्रग एडिक्शन की वजह से हो चुके बदनाम!
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रिया चक्रवर्ती से पहले बॉलीवुड के ये 9 सितारे भी ड्रग एडिक्शन की वजह से हो चुके बदनाम!
दोस्तों बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के कैसे में सीबीआई की जांच में कई बड़े खुलासे होते जा रहे है हाल ही में सुशांत के मामले में अब ड्रग्स एंगल सामने आया है। उनकी गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती पर आरोप है कि वो ड्रग्स लिया करती थीं। रिया के कुछ व्हाट्सएप चैट भी सामने आए हैं जिनमें वो ड्रग्स लेने की बात स्वीकार कर रही हैं। ऐसे में मामले की जांच में अब नारकोटिक्स विभाग भी जुड़ गया है जो कि जल्द ही रिया से पूछताछ करने की तैयारी में है। आपको बता दे की ये फली बार नहीं है जब कोई सितारा ड्रग्स के मामले में चर्चा में आया हो, इससे पहले भी कई सितारों को ड्रग्स के मामले में बदनानी झेलनी पड़ी है, आईये जानते है उन सितारों के बारे में जो इस बदनामी का सामना कर चुके है।
संजय दत्त
बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त जो फ़िलहाल लंग्स के कैंसर से लड़ रहे है वो स्कूल के दिनों में ही ड्रग्स लेने लगे थे। 1981 में उनकी मां नरगिस की डेथ के बाद संजय की ड्रग्स की लत और ज्यादा बढ़ गई थी। 1981 में संजय की पहली फिल्म ‘रॉकी’ रिलीज़ हुई, जब उनकी उम्र 22 साल की थी। एक तरफ उनके करियर की शुरुआत शानदार रही तो दूसरी तरफ ड्रग्स रखने के केस में 1982 में उन्हें 5 महीनों की जेल हुई थी। तब पिता सुनील दत्त ने उन्हें मुश्किल दौर से उबारा था। इससे छुटकारा पाने के लिए सुनील दत्त ने यूएस के रिहैब सेंटर में स्पेशल ट्रीटमेंट दिलवाया था। इसके लगभग तीन साल बाद 1985 में संजय दत्त फिल्म ‘जान की बाजी’ से बॉलीवुड में वापसी कर पाए थे। संजय तकरीबन नौ साल तक ड्रग एडिक्ट रहे थे।
रणबीर कपूर
बॉलीवुड के जाने माने अभिनेता ऋषि कपूर के बेटे अभिनेता रणबीर ने एक इंटरव्यू में कबूला था कि स्कूल के दिनों से ही उन्होंने ड्रग्स लेना शुरू कर दिया था और जल्द ही उन्हें इसकी आदत पड़ गई थी। लेकिन अब रणबीर अपनी इस बुरी लत से छुटकारा पा चुके हैं। भले ही रणबीर ने ड्रग्स छोड़ दिया हो, लेकिन वे अब भी चेन स्मोकर हैं।
फरदीन खान
बॉलीवुड के जाने माने अभिनेता फ़िरोज़ खान के बेटे अभिनेता फरदीन खान को 5 मई 2001 में कोकीन रखने के लिए गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने जेल में 5 दिन बिताए थे बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया। फरदीन को जेल से सीधा रिहैब्लिटेशन सेंटर भेजा गया था।
गीतांजलि नागपाल
90 के दशक की मॉडल गीतांजलि रैम्प पर सुष्मिता सेन जैसी प्रतिष्ठित मॉडल्स के साथ कैटवॉक करती नजर आती थी। वे ड्रग्स की इतनी आदी हो चुकी थीं कि उसे पाने के लिए एक मैड के रूप में काम किया। जिंदगी के आखिरी दिनों में वे दिल्ली की सड़कों पर भीख मांगते नजर आई थीं।
विजय राज
बॉलीवुड फिल्म जगत में आने अभिनय का लोहा मनवाने वाले अभिनेता विजय राज भी ड्रग्स के मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं। उन्हें 2005 में दुबई में ड्रग रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में वह जमानत पर रिहा हुए थे।
ममता कुलकर्णी
दो हजार करोड़ रुपए के ड्रग्स रैकेट केस में ममता कुलकर्णी का नाम भी सामने आया था। बताया जाता है कि जनवरी 2016 को ड्रग्स स्मगलरों की एक अहम मीटिंग केन्या के मोंबासा की एक होटल ब्लिस में हुई थी। इसमें ममता पति विक्की गोस्वामी के साथ शामिल हुई थी। विक्की ड्रग डीलिंग का बड़ा सरगना बताया जाता है। इस मामले में नाम सामने आने के बाद ममता ने मुंबई पुलिस को चैलेंज किया था कि वो उनके खिलाफ आरोप साबित करके दिखाए। ममता ने कहा था- मेरा बैंक बैलेंस तो एक करोड़ रुपए भी नहीं हैं। पुलिस साबित करके दिखाए कि ड्रग्स रैकेट केस में मेरा हाथ है।
हनी सिंह
जाने माने रैपर हनी सिंह अपने शुरूआती दिनों में ड्रग्स के चंगुल में फंस गए थे। उन्हें शराब और ड्रग्स की इतनी लत पड़ गई थी कि एक साल तक रिहैब सेंटर में रहकर इलाज करवाना पड़ा था। हनी बड़ी मुश्किल से इस लत से छुटकारा पा पाए और इसका असर उनके अच्छे-खासे करियर पर भी पड़ा।
प्रतीक बब्बर
2017 में स्मिता पाटिल और राज बब्बर के बेटे प्रतीक ने ड्रग एडिक्ट होने की बात स्वीकार की थी। वह पांच साल तक इसकी गिरफ्त में रहे थे। प्रतीक का कहना था कि, फिल्मों का एक के बाद एक फ्लॉप होना और एक्ट्रेस एमी जैक्सन संग रोमांस के विफल होने जैसी बातों ने उन्हें नशे की ओर धकेल दिया। लेकिन अब वो रिकवर कर चुके हैं।
राहुल महाजन
टीवी के विवादित शो में नज़र आये राहुल महाजन 2015 में शराब और ड्रग्स के सेवन के बाद की तबीयत खराब हो गई थी और उनके पिता प्रमोद महाजन के पर्सनल सेक्रेटरी रहे विवेक मैत्रा की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद नशीली दवा रखने और उसके सेवन के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था, हालांकि बाद में उन्हें दो लाख रुपए के मुचलके पर जमानत मिल गई थी।
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