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#ताजा हिंदी भाषा
hardinnews · 3 months
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स्वतंत्र पत्रकारों के लिए यह डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म इस मार्गदर्शक सिद्धांत के साथ डिजाइन किया गया था कि भारत एक लोकतांत्रिक, बहुलवादी और न्यायपूर्ण समाज है। हमारा मानना है कि प्रत्येक भारतीय इंटरनेट के माध्यम से अपनी भाषा में सच्ची और ईमानदार जानकारी तक पहुंच का हकदार है। यह प्लेटफॉर्म हमें इन जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाता है।
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divyansh75470-blog · 7 months
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Taaza Khabar Web Series Download Online - ताजा खबर वेब सीरीज डाउनलोड
Taaza Khabar Web Series Download। Taaza Khabar Web Series । ताजा खबर वेब सीरीज Taaza Khabar Web Series Download : नमस्कार दोस्तों आज हम आपको ताजा खबर वेब सीरीज के बारे में जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं Taaza Khabar Web Series Download करने के लिए आप तमिल्हड्रॉकर्स और टेलीग्राम का प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि यह है वेब सीरीज यहां उपलब्ध है भारतीय हिंदी भाषा की इस वेब सीरीज में मुख्य रूप से भुवन…
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hindi-khabar · 2 years
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amirulhaquekhan · 4 years
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एक सप्ताह से तलाश थी, गिरफ्त में आने के 24 घंटे के अंदर मारा गया विकास दुबे
एक सप्ताह से तलाश थी, गिरफ्त में आने के 24 घंटे के अंदर मारा गया विकास दुबे
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कानपुर गोलीकांड के मास्टरमाइंड विकास दुबे के मारे जाने की खबर सामने आ रही है। उज्जैन से जब ��ूपी एसटीएफ की टीम विकास दुबे को कानपुर ला रही थी, तो रास्ते में गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया है। इसी दौरान विकास ने जब भागने की कोशिश की, तो पुलिस और गैंगस्टर के बीच मुठभेड़ हुई।
विकास दुबे की तलाश एक सप्ताह से की जा रही थी, लेकिन पुलिस की पकड़ से वो दूर ही रहा था। गुरुवार को अचानक वेजैन के महाकाल मंदिर…
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granddreamerkingdom · 2 years
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हिंदी क्यों नहीं बन पाई राष्ट्रभाषा, क्या है विवाद, 57 साल
हिंदी क्यों नहीं बन पाई राष्ट्रभाषा, क्या है विवाद, 57 साल
Hindi National Language Hindi National Language: हिंदी…दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली यह भाषाओं में से एक है, लेकिन अपने ही देश में यह राष्ट्रभाषा के अस्तित्व के लिए लड़ रही है। ये विडंबना है कि राजभाषा हिंदी को जब भी राष्ट्रभाषा बनाने की बात हुई, इसके विरोध में स्वर उठे। हिंदी भाषा से जुड़े विवाद को गहराई से जानें, इससे ये जान लेते हैं कि इस पर ताजा विवाद क्या है। दरअसल, पिछले दिनों एक…
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hinditimesmedia · 2 years
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ताजा खबरें हिंदी में -हिंदी टाइम्स मीडिया
जानिए रोज की ताजा खबर सिर्फ हिंदी टाइम्स मीडिया चैनल पर। देश , राज्य की न्यूज़ जानकारी सिर्फ आपके हिंदी भाषा में सुनिए। जानिए स्वास्थ नुस्के हिंदी भाषा में।
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khsnews · 3 years
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सलीम खान का कहना है कि सलमान खान की राधे एक महान फिल्म नहीं है; लगता है उद्योग में अच्छे लेखक नहीं हैं: बॉलीवुड समाचार
सलीम खान का कहना है कि सलमान खान की राधे एक महान फिल्म नहीं है; लगता है उद्योग में अच्छे लेखक नहीं हैं: बॉलीवुड समाचार
सलमान खान की ताजा रिलीज राधे-योर मोस्ट वांटेड भाई महामारी के कारण 13 मई को भारत में एक डिजिटल रिलीज़ देखी गई। जबकि फिल्म ने दर्शकों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया, यह काफी हद तक नकारात्मक समीक्षाओं के लिए खुला। अब, अभिनेता सलमान खान के पिता पटकथा लेखक सलीम खान ने कहा है कि फिल्म महान नहीं है। हिंदी भाषा के एक दैनिक समाचार पत्र से बात करते हुए सलीम खान ने कहा कि समीक्षकों को सलमान की पिछली फिल्म की…
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nehahealth · 3 years
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 1.अंगूर(Grapes)
अंगूर के फायदे(Grapes Benefits)
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हमारे शरीर का स्वास्थ्य स्वास्थ्य बना रहे तथा उसकी रोगों से रक्षा भी हो सके इसके लिए यह आवश्यक हो जाता है कि हम अपने आहार में अधिक से अधिक हरी पत्तेदार साग- सब्जियों तथा फलों को का प्रयोग करें। इसके लिए इस बात की जानकारी होना आवश्यक है कि कौन-कौन से आहारीय द्रव्य हमारे शरीर को स्वास्थ्य ही नहीं रखते बल्कि उसके स्वास्थ्य की रक्षा भी करते हैं यानी रोगों से बचाव भी करते हैं। इसी उद्देश्य से, इस लेख के द्वारा, हम तृप्ति और तरावट देने के साथ-साथ सभी का पोषण और रोगों से रक्षा करने वाले एक फल 'अंगूर' के विषय में उपयोगी विवरण आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।
अंगूर से तो हम सभी का परिचय है लेकिन इसके गुणों का और प्रयोगों के विषय में ज्यादातर लोगों को जानकारी नहीं है।हमारे देश में बहुत प्राचीनकाल से इस फल का उपयोग होता आ रहा है।चरक, सुश्रुत,वाग्भट,भावप्रकाश इत्यादि प्रमाणित आयुर्वेदिक ग्रंथों में इस फल की काफी प्रशंसा की गई है।अंगूर एक बलपुष्टिदायक, रक्तशोधक ,वीर्यवर्द्धक,रक्तवर्द्धक, तरावट व तृप्ति देने वाला उत्तम फल है। इसे किसी भी ऋतु में यानी जब भी उप��ब्ध हो तब इसका खूब सेवन करना चाहिए। अलग-अलग अवस्थाओं में इसे अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। तो इस फल के गुण,परिचय, उपयोग व लाभ और घरेलू उपयोग से सम्बन्धित विवरण प्रस्तुत है।
2.भाषा भेद से नाम भेद(Distinguishing names from language differences)
(1).संस्कृत -द्राक्षा
(2).हिंदी-दाख,अंगूर
(3).मराठी-द्राक्ष 
(4). गुजराती-दराख
 (5).बंगला-आंगूर, मेनका 
 (6).तेलुगु-द्राक्षा 
 (7).कन्नड़-द्राक्षे
(8). तामिल-कोडिमडि
 (9).फारसी-अंगूर रजताफ, मवेका
(10). इंग्लिश-ग्रेप(Grape)
 (11).लैटिन-वाइटिस विनिफेरा लिन(Vinifera Linn)
Read more-Grapes Benefits)
3.गुण(A quality)
पका हुआ मीठा अंगूर दस्तावर, शीतलता देनेवाला, नेत्रों के लिए हितकारी, पुष्टिकारक,भारी,पाक एवं रस में मधुर,स्वर को उत्तम करने वाला,कसैला,तृप्तिदायक,मल-मूत्र की प्रवृत्ति करने वाला, वृष्य(टॉनिक),वीर्यवर्द्धक,कफ तथा रूचिकारक होता है। यह तृषा ज्वर, श्वास, खांसी,वात,वातरक्त,कामला (पीलिया), पेशाब की रुकावट,रक्तपित्त,जलन, शोथ और मदात्यय रोग आदि में लाभ करता है। कच्चे अंगूर में ये  गुण नहीं होते और खट्टा अंगूर हानिकारक होता है ।ताजा और मीठा और रक्त को पतला करने वाला, छाती के रोगों में गुणकारी,जल्दी पचने वाला,रक्तशोधक और रक्तवर्धक
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pinkbonkweaselkid · 4 years
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अमेरिका का नेता कैसा हो, जो बाइडेन जैसा हो, अबकी बार ट्रम्प सरकार जैसे नारे हिंदी में लग रहे
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अमेरिकी चुनाव में इस बार भारतीय और दक्षिण एशियाई वोटर्स को लुभाने के कोई मौके पॉलिटिकल पार्टियां नहीं छोड़ रही हैं। ‘अमेरिका का नेता कैसा हो, जो बाइडेन जैसा हो’, ‘अबकी बार ट्रम्प सरकार’ जैसे हिंदी संबोधन इन दिनों अमेरिकी टीवी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर देखने-सुनने को मिल रहे हैं।
ऐसा पहली बार है, जब दोनों पार्टियां भारतीयों को ध्यान में रखकर कैंपेन लॉन्च कर रही हैं। यहीं नहीं एक ओर जहां मौजूदा राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी से उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प प्रधानमंत्री मोदी से दोस्ती को भुनाने के लिए ‘अबकी बार ट्रम्प सरकार’ कैंपेन चला रहे हैं, वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन की टीम ने 14 भारतीय भाषाओं में रेडियो, टीवी पर कैंपेन ‘हिंदू अमेरिकंस फॉर बाइडेन’ कैंपेन लॉन्च किया है। इस कैंपेन के बाद ट्रम्प के रणनीतिकारों ने ‘हिंदू वोट्स फॉर ट्रम्प’ कैंपेन शुरू किया है।
हिंदू अमेरिका में चौथा सबसे बड़ा धर्म है
अमेरिका में हिंदी नारों की वजह यह है कि हिंदू अमेरिका में चौथा सबसे बड़ा धर्म है। देश की कुल जनसंख्या में इनकी भागीदारी 1% है। बाइडेन की टीम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, भारत और एशियाई वोटरों से सीधा संपर्क बनाने के लिए स्थानीय भाषा का सहारा लिया गया है। बाइडेन की टीम के प्रमुख सदस्य अजय भतूरिया ने भा��्कर से कहा कि इस कैंपेन के जरिए हम भारतीय वोटरों को दिखाना चाहते हैं कि हम उनकी परवाह ट्रम्प से ज्यादा करते हैं।
कैंपेन टीम ने यह भी वादा किया है कि अगर बाइडेन सत्ता में आते हैं तो न्याय विभाग में भारतीय अमेरिकियों की नियुक्ति करेंगे, जिससे भारतीयों के विरुद्ध हेट-क्राइम के मामलों में सही न्याय हो पाएगा।
मोदी से दोस्ती ट्रम्प के लिए फायदेमंद
कई सर्वे बताते हैं कि मोदी से दोस्ती चुनावों में ट्रम्प के लिए मददगार साबित हो रही है। ताजा सर्वे के मुताबिक 66% भारतीय अमेरिकी बाइडेन के पक्ष में हैं और 28% ट्रम्प की तरफ। इससे बाइडेन खेमे की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि 2016 में 77% ने हिलेरी और 16% ने ट्रम्प को वोट किया था।
2012 में 84% ने ओबामा के पक्ष में वोट किया था। 2016 में ट्रम्प के पक्ष में भारतीयों की वोटिंग ने फर्क डाला था। इस बार उन्हें इस वर्ग से दोगुना समर्थन मिलता दिख रहा है। हाल के दिनों में डोनाल्ड ट्रम्प कई बार कह चुके हैं कि भारतीय अमेरिकियों का उन्हें समर्थन मिला है, जिसके कारण उन्होंने कमला हैरिस को चुना है। बीते महीने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा था- ‘मुझे पीएम मोदी और भारत का पूरा समर्थन है।
मुझे भरोसा है कि भारतीय अमेरिकी हमें ही वोट देंगे।’ टेनेसी राज्य के छट्टानूगा शहर में रेस्तरां मालिक विक्रम मल्होत्रा कहते हैं- ‘मैं इस चुनाव में बाइडेन के पक्ष में हूं। ट्रम्प खुद को मोदी का दोस्त जरूर बता रहे हैं, लेकिन उनकी नीतियां हम जैसे प्रवासियों के खिलाफ हैं।’ लेकिन लुइसविले में बिजनेसमैन रिक मेहता इससे इत्तेफाक नहीं रखते। वो कहते हैं कि ट्रम्प की पॉलिसी बिजनेस फ्रेंडली है और वे परिवारिक वैल्यू को महत्व देते हैं।
अमेरिका में एशियाई वोटर्स 50 लाख, कई जगह पर निर्णायक
अमेरिका में रह रहे भारतीय देश में दूसरे सबसे बड़े प्रवासी हैं, जिन्हें वोट देने की पात्रता है। 2011 के बाद दक्षिण एशियाई जनसंख्या में 43% की बढ़त हुई है, जो 2018 में बढ़कर 50 लाख से ज्यादा हो गई। इस दौरान 4.7% अमेरिकी बढ़े।
अमेरिका में 20 लाख भारतीय मूल के वोटर हैं। इनमें से 5 लाख वोटर एरिजोना, फ्लोरिडा, जॉर्जिया, मिशिगन, नॉर्थ कैरोलिना, पेंसिलवेनिया, टेक्सास और विस्कोन्सिन में रहते हैं। इन जगहों पर भारतीय निर्णायक हो सकते हैंं। 2016 में ट्रम्प ने मिशिगन 10 हजार से जीता था।
भारतीय वोटरों से प्रभावित सीटें कैलिफोर्निया, न्यूजर्सी और इलिनोइस, ह्यूस्टन के कुछ उपनगरों में हैं, जो ट्रम्प के लिए मुश्किल मानी जा रही हैं।
ट्रम्प की तरह 10 से ज्यादा राष्ट्रपति अपनी गंभीर बीमारी छिपा चुके हैं...
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुके हैं। पहले तो व्हाइट हाउस ने बताया कि उनमें संक्रमण के ‘आंशिक लक्षण’ हैं। लेकिन शुक्रवार शाम तक उन्हें भर्ती होना पड़ा। यहां राष्ट्रपतियों का बीमारी छिपाने का लंबा इतिहास है। पढ़ें रिपोर्ट...
ट्रम्प की ही तरह विल्सन ने भी संक्रमण की सूचना छिपाई थी
वुडरो विल्सन अप्रैल 1919 में पेरिस गए थे और बीमार पड़ गए। डॉक्टर कैरी ग्रैसन ने रात भर विल्सन की देखरेख के बाद वॉशिंगटन को बताया कि उनकी स्थिति गंभीर है। वे स्पेनिश फ्लू के शिकार थे, इससे अमेरिका में 6.75 जानें गई थीं।
रूजवेल्ट ने 1944 में अपनी बीमारी छिपाई, दूसरा टर्म पूरा नहीं कर पाए
फ्रेंकलिन डी रूजवेल्ट को 1944 में उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी बीमारियों का पता चला था। इसी बीच चुनाव आ रहा था तो व्हाइट हाउस ने कहा कि उनकी बीमारी गंभीर नहीं है। रूजवेल्ट चुनाव जीते लेकिन कुछ महीनों बाद निधन हो गया।
ग्रोवर ने आइलैंड में जाकर निजी जहाज में कराया था ऑपरेशन
राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड ने अपनी बीमारी को गुप्त रखते हुए एक निजी जहाज में मुंह का ऑपरेशन कराया था, जिसमें कैंसर वाले हिस्से को हटाया गया था। उन्हें डर था कि जनता को पता चला तो उन्हेें कमजोर राष्ट्रपति के तौर पर देखा जाएगा।
1841 में हेनरी ने बीमारी छिपाई और 9 दिन बाद मौत हो गई
1841 में विलियम हैरिसन निमोनिया से बीमार पड़े। लेकिन व्हाइट हाउस ने उनकी गंभीर बीमारी छिपाई। बीमार पड़ने के 9 दिन बाद उनकी मौत हो गई। उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ लिए हुए भी सिर्फ एक महीना ही बीता था।
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ताजा सर्वे के मुताबिक 66% भारतीय अमेरिकी बाइडेन के पक्ष में हैं और 28% ट्रम्प की तरफ।
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indianjadibuti · 5 years
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अश्वगंधा से वजन बढ़ाने का तरीका-
वजन बढाने के लिए अश्वगंधा का खास उपयोग
अश्वगंधा से वजन बढ़ाने का तरीका
आज हम बात करेंगे अश्वगंधा के फायदे के बारे में हालांकि आप ने कभी ने कभी अश्वगंधा के बारे में जरूर सुना होगा।
अश्वगंधा संस्कृत का नाम है। अश्व से घोड़ा और गंधा से गंध या स्मेल मतलब होता है। शुद्ध अश्वगंधा से घोड़े जैसे गंध आती है। और उसका सेवन करने से आदमी में ��ोड़े जैसी शक्ति आती है इस लिए उसे अश्वगंधा से जाना जाता है।
अश्वगंधा का मूल(root) का उपयोग होता है।
जो ताजा हो तो आपको घोड़े जैसी गंध का अनुभव करंगे।
पर्ण का देखाव सुअर का कान जैसा होता है।
छोटा सा पेड़ होता है।
आजकल जंगली के साथ खेत मे उगाई हुई अश्वगंधा बाजार में मिलती है।
जंगली अश्वगंधा गुणवत्ता में अच्छी होती है ।
इंग्लिश भाषा में अश्वगंधा को Winter Cherry और हिंदी में असगंध नाम से जानी जाती है
अश्वगंधा के फायदे आयुर्वेद में बताया है की अश्वगंधा उष्ण वीर्य और मधुर विपाक की वजह से वात का समन करता है।
तिक्त,कसाय रस और उष्ण वीर्य की वजह से कफ का समन करता है।
मतलब की वात कफ से होने वाले रोगो में प्रकृति की अनुसार अश्वगंधा का उपयोग कर सकते है।
कामरुपिणि से जानी जाती है क्योकि उसका नियमित रूप से सेवन करने से एक अच्छा सा दिखाव (good look ) देता है।
वजन बढाने के लिए अश्वगंधा के फायदे
आजकल हर कोई अच्छी बॉडी बनाना चाहते है।
पर कोई भी किंमत पर बॉडी बनानी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकर होती है।
मतलब की ऐसी चीजों को खाने में प्रयोग करना जो हमारे वजन को बढ़ा कर बॉडी तो अच्छी बना देते है, पर हमारे शरीर की ओर कई क्रिया या कामो पर एसा प्रभाव डालता है कि वोह ठीक से काम नही कर सकते।
हमे पता भी नही होता कि अच्छि पेकिंग में मिलन वाली ये चीजो हमारे बीमारी का ही न्योता है। अब आप ही बताये की जहर खा कर बॉडी बनाने का क्या फायदा?!
स्टीरोइड के बारे में आप ने अवश्य सुना होंगा , क्योकि उस का प्रयोग कुत्रिम बॉडी बनाने के लिए प्रयोग होता है।
अगर किसी ने इस प्रकार स्टिरॉयड का प्रयोग कर दिया तो उसकी रोगप्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है और बाकी की दवाईओ भी कम असर करती है।
अश्वगंधा में कुदरती स्टिरॉयड होता है जो नैचरली वजन बढ़ाने में मदद करता है।
सोमनिफेरिन नाम का तत्व अश्वगंधा में से पाया जाता है जो अच्छि नींद के लिए जवाबदार होता है।
अब हम सब जानते है कि वजन बढ़ाने के लिए अच्छि नीद की आवश्यकता है।
जो कि अश्वगंधा के प्रयोग से हमे प्राप्त होती है।
इसलिए Insomnia – निद्रानाश के रोगियो को अश्वगंधा का प्रयोग करना चाहिए।
वजन बढ़ाने के लिए अश्वगंधा को दूध , घी, या गर्म जल के साथ नियमित सेवन करना चाहिए।
यहां पर हमने वजन बढ़ने के लिए अश्वगंधा के फायदे से दो बाते जानी एक तो उसमे कुदरती स्टीरोइड होता है जो नेचुरल वजन बढ़ने में मदद करता है और सोमनिफेरस जो अच्छी नींद के लिए जवाबदार है। दोनों मिलकर प्राकृतिक तरीको से बॉडी या वजन बढ़ने में मदद करता है।
15 दिनो में ही आपको उस को परिणाम देखने मिलेगा।
शुक्राणु की कमी में अश्वगंधा के फायदे अश्वगंधा के फायदे शुक्राणु की कमी में बहुत ही ज्यादा लाभदायक है। ज्यादातर पुरूष की तरफ से वन्ध्यत्व होने के लिए या तो शुक्राणु की कमी या फिर उनका कमजोर होना।
संस्कृत में अश्वगंधा को पुत्रदा कहते है क्योकि उसका नियमित सेवन करने पुरुष के शुक्र धातु को बढ़ता है।
1 ग्लास दूध को 1 चमच अश्वगंधा चूर्ण को देशी घी के साथ उबाल कर लेने से शुक धातु के लिए बहुत ही लाभदायक होता है।
श्वास – उम्र के श्वास के तकलीफ बढ़ती है उस समय सही औषध का प्रयोग किया इस बीमारी पर हम काबू पा सकते है।
शास्त्रोक्त पद्धति से बनाया हुआ अश्वगंधा का क्षार को मधु और घी के साथ वैद्यकीय सलाह के अनुसार प्रयोग करने से स्वास के रोगों में बहुत ही लाभदायक होता है।
अश्वगंधा के साइड इफेक्ट उष्ण वीर्य होने के वजाह से गर्भनी को अश्वगंधा का सेवन नहीं करना चाहिए।
अश्वगंधा पचने में भारी होने की वजाह से मंदाग्नि वाले को उसका सेवन नहीं करना चाहिए।
हमने अपको थोड़ा बहुत हमारे ऋषिमुनियों और आधुनिक विज्ञान की बताई हुई बातो को बताने की कोशिश की है जिसे अगर आप ठीक से अनुसरण करते है तो आपके लिए अवश्य फायदेमंद होगा।
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newswave-kota · 5 years
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सीबीएसई 12वीं बोर्ड परीक्षाएं 15 फरवरी से प्रारंभ
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कॉपी में उत्तर लिखने की कला सुधारने के लिये सीबीएसई का नवाचार, मॉडल उत्तर पुस्तिकाएं वेबसाइट पर जारी न्यूजवेव @ नईदिल्ली/कोटा
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देश के 21 हजार 400 सीबीएसई स्कूलों में 12वीं बोर्ड परीक्षाएं 15 फरवरी से प्रारंभ होंगी। गत वर्ष पेपर लीक की घटनाओं के बाद सीबीएसई ने इस वर्ष पेपर की त्रिस्तरीय सुरक्षा की है। बोर्ड सचिव अनुराग त्रिपाठी के अनुसार, परीक्षा प्रातः 10ः30 से 1ः30 बजे तक होगी। प्रत्येक पेपर में प्रातः 10 बजे उत्तरपुस्तिका व 10ः15 बजे पेपर वितरित किये जाएंगे। इसलिये परीक्षार्थी 10 बजे से पूर्व परीक्षा केंद्र में प्रवेश अवश्य लें ले। परीक्षा की गोपनीय सामग्री की सुरक्षा निगरानी जियो टैग से की जाएगी। प्रत्येक परीक्षा हॉल में दो बच्चों की उपस्थिति में पेपर खोला जाएगा। पहली बार परीक्षाओं का लाइव वेबकास्टिंग किया जाएगा। परीक्षार्थी एप के जरिये अपने सेंटर का पता लगा सकते हैं। इस वर्ष रिजल्ट भी 7 दिन पहले घोषित कर दिये जाएगे। 2 मार्च को अंग्रेजी से अनिवार्य पेपर शुरू सीबीएसई परीक्षा में वैकल्पिक विषयों की संख्या अधिक होने से 12वीं बोर्ड परीक्षा 15 फरवरी से 3अप्रैल,2019 तक अर्थात् 47 दिन तक चलेगी। हालांकि अधिकांश परीक्षार्थियों के लिये बोर्ड परीक्षा 2 मार्च को इंग्लिश के पेपर से शुरू होगी। मार्च माह में 5 को फिजिक्स, 9 को हिंदी, 12 को केमिस्ट्री, 15 को बायोलॉजी, 18 को मैथ्स, 28 को कम्प्यूटर साइंस, 30 मार्च को फिजिकल एजुकेशन का पेपर होगा। कॉमर्स संकाय में 6 मार्च को अकाउंटेंसी, 14 मार्च को बिजनेस स्टडी व 17 मार्च को इकोनॉमिक्स का पेपर होगा। इसके बाद 3 अप्रैल को परीक्षा समाप्त हो जाएगी। इन बातों का विशेष ध्यान रखें सीबीएसई ने नवाचार करते हुये सैंपल पेपर्स, मार्किंग स्कीम एवं मॉडल उत्तर पुस्तिकाएं भी वेबसाइट पर जारी की हैं, इनको अवश्य देख लें। 12वीं बोर्ड परीक्षा में भी एनसीईआरटी बेस्ड सिलेबस पर ही अधिक फोकस करें। परीक्षा पैटर्न की बारीकियां समझने के लिये परीक्षार्थी प्रश्नपत्रों में पूछे जाने वालेे प्रश्नों के प्रकार एवं मार्किंग स्कीम को ठीक से समझें। सीबीएसई वेबसाइट पर दिए गए सैंपल पेपर्स से प्रश्नों के प्रकार को समझ लें। वेबसाइट पर मार्किंग स्कीम दी गई है, जिससे प्रत्येक विषय के विभिन्न भागों के अंकों का महत्व समझ सकते हैं। जिस प्रश्न में विषय वस्तु कठिन और अंकों का महत्व कम हो, उसे छोड दें। प्रत्येक प्रश्न के उत्तर में शब्द सीमा एवं सटीक लेखनी पर विशेष ध्यान दें। परिभाषाएं मानक भाषा में लिखें और भौतिक राशियों को मात्रकों सहित लिखें, जिससे पूरे अंक मिल सकें। सूत्रों की व्युत्पत्ति से संबंधित प्रश्नों में स्टेप्स अर्थात पदों का ध्यान रखें। मॉडल उत्तर पुस्तिकाओं को जरूर पढ़ें कॅरिअर पॉइंट के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट देव शर्मा ने बताया कि 12वीं बोर्ड में अध्यनरत विद्यार्थी इंजीनियरिंग एवं मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहे हैं।ऐसे परीक्षार्थियों वस्तुनिष्ठ प्रश्नों (एमसीक्यू) को हल करने की क्षमता तेज होती है। हालांकि इनकी लेखन क्षमता कम होने से कई प्रश्नों के उत्तर पूरे नहीं लिख पाते हैं। वे शॉर्टकट अपना लेते हैं, जो उचित नहीं है। उत्तर निर्धारित शब्दों में अवश्य लिखें। सीबीएसई वेबसाइट पर मॉडल उत्तर पुस्तिकाएं पढ़कर उत्तर देने की शैली को सुधार सकते हैं। पेपर से पहले देर रात तक नहीं पढें। लगभग 8 घंटे की नींद अवश्य लें। जंक फूड से बचें व ताजा फलों का सेवन करें। अभिभावक बच्चों में बोर्ड परीक्षा का भय पैदा न करें। दूसरे विद्यार्थियों के साथ कभी तुलना न करें। पढ़ाई में उनकी अच्छी बातों का जिक्र कर उनका मनोबल बढाएं। Read the full article
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cnnworldnewsindia · 6 years
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बच्चों का भविष्य संवारने की चुनौती: बच्चे हकीकत के सामूहिक-सामाजिक जीवन से हो रहे हैं अलग-थलग
बच्चों का भविष्य संवारने की चुनौती: बच्चे हकीकत के सामूहिक-सामाजिक जीवन से हो रहे हैं अलग-थलग
पिछले कुछ वर्षो में बाल और किशोर अपराधों के साथ-साथ बच्चों में विकृत-असामान्य व्यवहार के मामलों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। बच्चों की ओर से आक्रामक मनोवृत्ति का प्रदर्शन करने और यहां तक कि हिंसा, हत्या, दुष्कर्म की घटनाओं में शामिल होने की खबरें अब आए दिन दिखाई पड़ रही हैं। समस्या गांव से लेकर शहर और गरीब से लेकर अमीर, सभी तबकों में जिस तरह से फैल रही है वह एक महामारी का रूप धारण कर सकती है। इस खतरनाक हालत की वजहें जानने की कोशिश करने के साथ उनके समाधान में शिक्षा व्यवस्था की भूमिका पर गंभीरता से विचार होना चाहिए। इस क्रम में यह भी देखा जाना चाहिए कि क्या सिर्फ बच्चों का ही शिक्षण पर्याप्त है? पिछले कुछ सालों में भारतीय समाज काफी बदल गया है। नगरीकरण, शिक्षा, रोजगार इत्यादि के लिए नई जगहों में प्रवास, टूटते संयुक्त परिवार और बढ़ते हुए एकल परिवार के साथ आधुनिक जीवनशैली ने नए दवाबों को जन्म दिया है। अब वह सामूहिक टोला-मोहल्ला संस्कृति नहीं रही जिसमें समाज के बड़े-बुजुर्ग का दबाव बच्चों पर होता था। इस संस्कृति में हर बड़ा व्यक्ति चाचा या दादा हुआ करता था, जो गलत काम के लिए बच्चों-किशोरों को डांट भी सकता था। इसके अतिरिक्त बढ़ती हुई भौतिकता, आगे बढ़ने की अंधी होड़, पति-पत्नी, दोनों का कामकाजी होना, घर में दादा-दादी आदि के न होने से बच्चों को सही-गलत बताने वाला कोई नहीं रहा। ऊपर से कोढ़ में खाज की तरह टेलीविजन, इंटरनेट, सोशल मीडिया के उफान ने बच्चों को एक अंधी सुरंग में धकेल द���या है। 1टेलीविजन में पश्चिमी समाज-संस्कृति से प्रभावित ऐसे ऊटपटांग किस्म के सीरियल दिखाए जा रहे हैं जहां हर कोई हर किसी का प्रतिद्वंद्वी या दुश्मन है। बच्चों में लोकप्रिय काटरून चैनलों की हालत भी बुरी है। उनमें हर चरित्र यहां तक कि पौराणिक धार्मिक-ऐतिहासिक बाल नायक भी उग्र रूप में प्रस्तुत किए जा रहे हैं। उनकी आंखों में बालसुलभ सौम्यता की जगह आक्रामकता झलकती है। हिंदी काटरूनों की बात करें तो मोटू-पतलू, तेनालीरामा, गली गली सिमसिम, अकबर-बीरबल जैसे इने-गिने सीरियल हैं जो बाल मन पर वैसा कुप्रभाव नहीं छोड़ते। विदेशी काटरूनों की डबिंग करके हिंदी भाषा में पेश कर बच्चों के सामने एक ऐसी संस्कृति परोसी जा रही जहां बड़े-छोटे का लिहाज, समरसता, नम्रता और करुणा आदि भावों के लिए कोई जगह ही नहीं। ऊपर से इंटरनेट, वीडियो गेम्स और सोशल मीडिया ने बच्चों को ऐसी आभासी दुनिया में ला पटका है जहां हिंसा, अपराध और विकृत व्यवहार भी सहज खेल ही बन गए हैं। इन चीजों ने बच्चों को हकीकत के सामूहिक-सामाजिक जीवन से और भी अलग-थलग कर दिया है। आज पांचवीं- छठीं कक्षा के बच्चों के भी फेसबुक, वाट्सएप आदि के अकाउंट हैं। परंपरागत वैकल्पिक साधनों की अनुपस्थिति के कारण बच्चे सोशल मीडिया की लत का शिकार हो रहे हैं। आठवीं कक्षा के विद्यार्थी द्वारा ई-मेल पर अपनी शिक्षिका के साथ कैंडिल लाइट डिनर और फिर शारीरिक संबंध के प्रस्ताव की एक ताजा खबर भयावह स्थितियों का संकेत मात्र है। 1समाधान के विविध आयाम हो सकते हैं। एक शिक्षार्थी होने के नाते मेरा दृष्टिकोण शिक्षापरक है। इस संदर्भ में पहला सुझाव है कि स्कूली शिक्षा में प्राचीन भारतीय संस्कृति के तत्वों का समावेश अर्थात नैतिक और मूल्यपरक शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए। हाल में सीबीएसई बोर्ड ने अपने से जुड़े स्कूलों में कक्षा छह से आठ के विद्यार्थियों के लिए एक तीन वर्षीय मूल्यपरक कोर्स का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत विद्यार्थियों को भाईचारा, विनय और करुणा से संबद्ध मानवीय गुणों की शिक्षा दी जाएगी, लेकिन इस स्वागतयोग्य प्रस्ताव की कुछ सीमाएं हैं। एक तो यह स्कूलों के लिए स्वैच्छिक होगा यानी वे इसे अपनाएं या न अपनाएं जबकि इसे अनिवार्य किया जाना चाहिए। दूसरे, यह पाठ्यक्रम साल भर में 16 पीरियड का प्रस्तावित है, जबकि इसे कम से कम प्रति सप्ताह एक यानी 32 पीरियड का होना चाहिए। इसे सिर्फ सीबीएसई बोर्ड तक ही न होकर पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए और, अंतत: इसमें उत्तीर्ण होना अनिवार्य किया जाना चाहिए। दूसरा सुझाव है कि नौवीं से 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए श्रम संबंधित पाठ्यक्रम की अनिवार्यता हो। हमारे गुरुकुलों में राजपुत्र से लेकर सामान्य बालक को भी लकड़ी चुनने से लेकर आश्रम व्यवस्था में हाथ बंटाने के विभिन्न श्रम-संबंधित कार्य करने पड़ते थे। आधुनिक युग में विवेकानंद से लेकर गांधीजी ने भी श्रम के महत्व पर जोर दिया है। यह ठीक है कि आधुनिक युग में लकड़ी चुनने जैसे कार्य संभव नहीं, लेकिन श्रम संबंधित शिक्षा में बागवानी या विभिन्न हस्तकलाओं जैसी चीजों का ज्ञान कराने से एक तरफ भविष्य में रोजगार की संभावना रहेगी तो दूसरी तरफ श्रम की महत्ता और उसके प्रति सम्मान का भाव भी बच्चों में पनपेगा। इस सबसे उनकी विपुल ऊर्जा कुप्रभावों की ओर न जाकर एक सकारात्मक दिशा में अग्रसर होगी। विद्यार्थियों के अलावा माता-पिता को जागरूक करना भी आज बहुत जरूरी हो गया है। 1भौतिकता की अंधी दौड़ में शामिल माता-पिता के पास आज बच्चों के लिए समय नहीं है और न ही उन्हें यह पता है कि आज की परिस्थितियों यथा इंटरनेट-सोशल मीडिया की आंधी में बच्चों का कैसे मार्गदर्शन करें? यूरोपीय देशों ने इस समस्या के लिए सामुदायिक बाल केंद्रों की स्थापना की है। इनमें स्कूल उपरांत बच्चों को व्यस्त रखने से लेकर माता-पिता को भी प्रशिक्षित किया जाता है। अपने देश में संसाधनों केअभाव में ऐसी व्यवस्था निकट भविष्य में संभव तो नहीं है, लेकिन अभिभावकों के लिए ग्राम पंचायतों, सार्वजनिक भवनों या सामुदायिक केंद्रों में पाक्षिक या मासिक वर्कशॉप-व्याख्यान होने चाहिए। इसके लिए गैर सरकारी संगठनों की मदद ली जा सकती है। वहीं कोष कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी यानी सीएसआर के तहत जुटाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त मीडिया के भी शिक्षण की जरूरत है। जिस तरह की चीजें विभिन्न मीडिया माध्यम परोस रहे हैं उसके प्रति उन्हें आगाह करने का वक्त आ गया है। इसके लिए मीडिया संगठनों को चार-छह माह में नियमित तौर पर रिव्यू या वर्कशॉप जैसा कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए। इस तरह का आदेश सूचना-प्रसारण मंत्रलय या अन्य मीडिया संगठन दे सकते हैं। इसी क्रम में मीडिया नीति शास्त्र का पेपर मीडिया कोर्स का अनिवार्य हिस्सा बनाया जाना चाहिए। भारत में छह से 15 वर्ष आयु समूह में करीब 28 करोड़ बच्चे हैं। उनका मानसिक विकास सही तरह से हो और वे देश की आवश्यकतानुरूप विकसित हों, यह चिंता सभी को करनी चाहिए। 1(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं)
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hindi-khabar · 2 years
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amirulhaquekhan · 4 years
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बैन के बाद टिकटॉक की सफाई- नहीं शेयर की यूजर की जानकारी, चीन को भी नहीं
बैन के बाद टिकटॉक की सफाई- नहीं शेयर की यूजर की जानकारी, चीन को भी नहीं
मोदी सरकार द्वारा भारत में टिकटॉक सहित 59 ऐप पर पाबंदी लगा दी गई है। सरकार ने रक्षा, सुरक्षा और गोपनीयता को खतरा बताते हुए ये फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले के बाद टिकटॉक की तरफ से सफाई दी गई है उसने किसी भी उपयोगकर्ता की जानकारी दूसरे देश, यहां तक ​​कि चीन को भी नहीं दी है।
आजतक के नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम रिव्यू और सभी खबरें। डाउनलोड करें
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margdarsanme · 4 years
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NCERT Class 12 Hindi Chapter 9 Rubaiyan aur Ghazal
NCERT Class 12 Hindi Chapter 9 :: Rubaiyan aur Ghazal
(रुबाइयाँ, गज़ल)
काव्य भाग
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
पाठ के साथ
प्रश्न 1.शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर क्या भाव व्यंजित करना चाहता है?उत्तर:शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर यह भाव व्यंजित करना चाहता है कि रक्षाबंधन सावन के महीने में आता है। इस समय आकाश में घटाएँ छाई होती हैं तथा उनमें बिजली भी चमकती है। राखी के लच्छे बिजली कौधने की तरह चमकते हैं। बिजली की चमक सत्य को उद्घाटित करती है तथा राखी के लच्छे रिश्तों की पवित्रता को व्यक्त करते हैं। घटा का जो संबंध बिजली से है, वही संबंध भाई का बहन से है।
प्रश्न 2.खुद का परदा खोलने से क्या आशय है?उत्तर:परदा खोलने से आशय है – अपने बारे में बताना। यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे की निंदा करता है या बुराई करता है। तो वह स्वयं की बुराई कर रहा है। इसीलिए शायर ने कहा कि मेरा परदा खोलने वाले अपना परदा खोल रहे हैं।
प्रश्न 3.किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो ले हैं – इस पंक्ति में शायर की किस्मत के साथ तनातनी का रिश्ता अभिव्यक्त हुआ है। चर्चा कीजिए।उत्तर:कवि अपने भाग्य से कभी संतुष्ट नहीं रहा। किस्मत ने कभी उसका साथ नहीं दिया। वह अत्यधिक निराश हो जाता है। वह अपनी बदकिस्मती के लिए खीझता रहता है। दूसरे, कवि कर्महीन लोगों पर व्यंग्य करता है। कर्महीन लोग असफलता मिलने पर भाग्य को दोष देते हैं और किस्मत उनकी कर्महीनता को दोष देती है।
प्रश्न 4.टिप्पणी करें।(क) गोदी के चाँद और गगन के चाँद का रिश्ता।(ख) सावन की घटाएँ व रक्षाबंधन का पर्व।उत्तर:(क) गोदी के चाँद से आशय है – बच्चा और गगन के चाँद से आशय है – आसमान में निकलने वाला चाँद। इन दोनों में गहरा और नजदीकी रिश्ता है। दोनों में कई समनाताएँ हैं। आश्चर्य यह है कि गोदी का चाँद गगन के चाँद को पकड़ने के लिए उतावला रहता है तभी तो सूरदास को कहना पड़ा ”मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों।”(ख) रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार सावन के महीने में आता है। सावन की घटाएँ जब घिर आती हैं तो चारों ओर खुशी की बयार बहने लगती है। राखी का यह त्यौहार इस मौसम के द्वारा और अधिक सार्थक हो जाता है। सावन की काली-काली घटाएँ भाई को संदेश देती हैं कि तेरी बहन तुझे याद कर रही है। यदि तू इस पवित्र त्यौहार पर नहीं गया तो उसकी आँखों से मेरी ही तरह बूंदें टपक पड़ेगी।
कविता के आसपास
प्रश्न 1.इन रुबाइयों से हिंदी, उर्दू और लोकभाषा के मिले-जुले प्रयोग को छाँटिए।उत्तर:हिंदी के प्रयोग-
आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ीहाथों में झुलाती है उसे गोद-भरी
गूँज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी
किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को
दीवाली की शाम घर पुते और सजे
रक्षाबंधन की सुबह रस की पुतली
छायी है घटा गगन की हलकी-हलकी
बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे
भाई के है बाँधती चमकती राखी
उर्दूके प्रयोग-
उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके
देख आईने में चाँद उतर आया है
लोकभाषा के प्रयोग-
रह-रह के हवा में जो लोका देती है।
जब घुटनियों में ले के है पिन्हाती कपड़े
आँगन में दुनक रहा है जिदयाया है
बालक तो हई चाँद पै ललचाया है
प्रश्न 2.फिराक ने ‘सुनो हो, ‘रक्खो हो’ आदि शब्द मीर की शायरी के तर्ज पर इस्तेमाल किए हैं। ऐसी ही मीर की कुछ गज़लें ढूँढ़ कर लिखिए।उत्तर:
(1) उलटी हो गई सब तदबीरेंकुछ न दवा ने काम कियाअहदे जवानी रो-रो काटापीरी मैली आँखें मूंदयानि रात बहुत जागे थे।सुबह हुई आराम किया‘मीर’ के दीन ओ इमां कोआख़िर इस बीमारी-ए-दिल नेदिल का काम तमाम कियातुम पूछते हो क्या?उसने तो कशकां खींचादैर में बैठा कबकाअर्क इस्लाम किया।(2) मर्ग एक मादंगी का वक्फा है।यानि आगे चलेंगे दम लेकर ।हस्ती अपनी हबाब की-सी है।ये नुमाइश सबाब की-सी है।चश्मे दिल खोल इस ही आलम परयाँकि औकात ख्वाब की-सी है।(3) हस्ती अपनी हुबाब की-सी है।ये नुमाइश सराब की-सी है।नाजुक उसके लब की क्या कहिएपंखुड़ी इक गुलाब की-सी है।सहमे दिल खोल इस भी आलम परयाँ की औकता ख्वाब की-सी है।बारहा उसके दर पे जाता हूँ।हालत अब इज्तिराब की-सी है।मैं जो बोला कहा कि ये आवाजउसी खाना खराब की-सी है।मीर उन नीम बाज आँखों मेंसारी मस्ती शराब की-सी है।(4) हमने अपनी सी की बहुत लेकिनमरीजे-इश्क का इलाज नहींजफायें देखीं लियाँ बेवफाइयाँ देखींभला हुआ कि तेरी सब बुराइयाँ देखींदिल अजब शहर था ख्यालोंआवारगाने इश्क का पूछा जो मैं निशांमुश्ते-गुबारे लेके सबा ने उड़ा दियाशाम से ही बुझा-सा रहता है।दिल हुआ है चिराग मुफलिस काक्या पतंगों ने इल्तिमास किया।का दिल की वीरानी का क्या मज्कूर है।ये नगर सौ मरतबा लूटा गया।(5) इब्तिदाए इश्क है रोता है क्याआगे आगे देखिये होता है क्या,अब तो जाते हैं मयकदे से ‘मीर’फिर मिलेंगे अगर खुदा लायामेरे रोने की जिसमें थीएक मुद्द्दत तक वो कागज़ नम रहाइस इस शोर से ‘मीर’ रोता रहेगातो हमसाया काहे को सोता रहेगातो हमसाया काहे को सोता रहेगाहम फकीरों से बेवफाई कीआन बैठे जो तुमने प्यार कियासख्त क़ाफिर था जिसने पहले ‘मीर’मज़हब इश्क इख्तियार किया।मिले सलीके से मेरी निभी मुहब्बत मेंतमाम उम्र मैं नाकामियों से काम लिया
आपसदारी
प्रश्न 1.कविता में एक भाव, एक विचार होते हुए भी उसका अंदाजे बयाँ या भाषा के साथ उसका बर्ताव अलग-अलग रूप में अभिव्यक्ति पाता है। इस बात को ध्यान रखते हुए नीचे दी गई कविताओं को पढ़िए और दी गई फ़िराक की गज़ल-रूबाई में से समानार्थी पंक्तियाँ ढूंढ़िए(क) मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों।                                                                                                      -सूरदास(ख) वियोगी होगा पहला कवि                              उमड़ कर आँखों से चुपचापआह से उपजा होगा गान                                      बही होगी कविता अनजान                            -सुमित्रानंदन पंत(ग) सीस उतारे भुईं धरे तब मिलिहैं करतार                                                                                            -कबीरउत्तर:(क) आँगन में तुनक रहा है जिदयाया है।बालक तो हई चाँद पै ललचाया है।(ख) आबो ताबे अश्आर न पूछो तुम भी आँखें रक्खो होये जगमग बैतों की दमक है या हम मोती रोले हैं।ऐसे में तू याद आए हैं अंजमने मय में रिंदो को,रात गए गर्दै पे फरिश्ते बाबे गुनह जग खोले हैं।(ग) “ये कीमत भी अदा करे हैं हम बदुरुस्ती-ए-होशो हवासतेरा सौदा करने वाले दीवाना भी होलें हैं।”
अन्य महत���वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.बच्चे की हँसी सबसे ज्यादा कब पूँजी है?उत्तर:जब माँ अपने बच्चे को उछाल-उछाल कर प्यार करती है तो बच्चे की हँसी सबसे ज्यादा पूँजती है। बच्चा खुले वातावरण में आकर बहुत खुशी महसूस करता है। जब वह ऊपर की ओर बार-बार उछलता है तो वह रोमांचित हो उठता है।
प्रश्न 2.माँ बच्चे को किस प्रकार तैयार करती है?उत्तर:माँ बच्चे को छलकते हुए निर्मल और स्वच्छ पानी से नहलाती है। उसके बालों में प्यार से कंघी करती है। उसे कपड़े पहनाती है। यह सारे कार्य देखकर बच्चा बहुत खुश होता है। वह ठंडे पानी से नहाकर ताजा महसूस करता है। अपनी माँ को प्यार से देखता है।
प्रश्न 3.बच्चा किस वस्तु के कारण लालची बन जाता है?उत्तर:बच्चा जब चाँद को देखता है तो उसका मन लालची हो जाता है। वह चाँद को पकड़ने की जिद करता है। वह माँ से कहता है कि मुझे यही वस्तु चाहिए। चाँद को देखत��� ही उसका मन लालच से भर जाता है।
प्रश्न 4.क्या शायर भाग्यवादी है?उत्तर:शायर बिलकुल भी भाग्यवादी नहीं है। उसे अपने भाग्य पर बिलकुल भरोसा नहीं। वह तो कहता है कि मैं और मेरी किस्मत दोनों मिलकर रोते हैं। वह मुझ पर रोती है और मैं उस पर रो लेता हूँ। दोनों परस्पर विरोधी हैं। इसलिए कह सकते हैं। कि शायर भाग्यवादी नहीं कर्मवादी है। भाग्य की अपेक्षा उसे अपने कर्म पर विश्वास है।
प्रश्न 5.इश्क की फितरत को शायर ने क्या बताया है?उत्तर:इश्क की फितरत अर्थात् आदत है कि इससे व्यक्ति को कुछ प्राप्त नहीं होता। व्यक्ति जितना पाता है उतना ही नँवा भी देता है। इसलिए इश्क में कुछ पा लेना संभव ही नहीं है। किसी ने आज तक इश्क में कुछ भी नहीं पाया केवल खोया ही है। अपना चैन आँवाया है।
प्रश्न 6.फिराक गोरखपुरी की भाषा-शैली पर विचार करें।उत्तर:फिराक गोरखपुरी मूलत: शायर हैं। रुबाइयाँ भी उन्होंने लिखी हैं। इन सबके लिए उन्होंने प्रमुख रूप से उर्दू भाषा का प्रयोग किया है। खास बात यह है कि इनकी भाषा में कठिनाई नहीं है। हाँ, कुछ शब्द उलझाव पैदा करते हैं, लेकिन वे पाठक को कठिन नहीं लगते।
प्रश्न 7.गोरखपुरी की अलंकार योजना पर प्रकाश डालें।उत्तर:फिराक ने कई अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग किया है। इसलिए उनकी रुबाइयों और गजलों में अलंकारों का प्रयोग थोपा हुआ नहीं लगता। ये भावों और प्रसंगों के अनुकूल इनमें आए हैं। शायर ने मुख्य रूप से रूपक, उपमा, अनुप्रास, संदेह और पुनरुक्ति प्रकाश अलंकारों का प्रयोग किया है।
प्रश्न 8.गोरखपुरी की रुबाइयों के कला पक्ष के बारे में बताएँ।उत्तर:गोरखपुरी की रूबाइयाँ कलापक्ष की दृष्टि से बेहतरीन बन पड़ी हैं। भाषा सहज, सरल और प्रभावी हैं। भावानुकूल शैली का प्रयोग हुआ है। उर्दू शब्दावली के साथ-साथ शायर ने देशज संस्कृत के शब्दों का प्रयोग भी स्वाभाविक ढंग से किया है। लोका, पिन्हाती, पुते, लावे आदि शब्दों के प्रयोग से उनकी रुबाइयाँ अधिक प्रभावी बन पड़ी हैं।
प्रश्न 9.रक्षाबंधन की सुबह रस की पुतली छायी है घटा गगन की हलकी-हलकी बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे भाई के हैं बाँधती चमकती राखी”-इस रुबाई का कला सौंदर्य स्पष्ट करें।उत्तर:भाषा सहज, सरल और प्रभावशाली है। शायर ने उर्दू शब्दों के साथ-साथ देशज शब्दों का भावानुकूल प्रयोग किया है। अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश और रूपक अलंकारों का सुंदर प्रयोग हुआ है।
प्रश्न 10.काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें-आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ीं हाथों पे झुलाती है उसे गोद-भरी रह-रह के हवा में जो लोका देती हैगूंज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी।उत्तर:कवि बताता है कि माँ अपने चाँद जैसे बच्चे को आँगन में लिए खड़ी है। वह हाथों के झूले में झुला रही है। वह उसे हवा में धीरे-धीरे उछाल रही है। इस काम से बच्चे की हँसी गूंज उठती है। ‘चाँद के टुकड़े’ में उपमा अलंकार है। ‘रहरह’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। बालसुलभ चेष्टाओं का वर्णन है। उर्दू मिश्रित शब्दावली है। गेयता है। दृश्य बिंब है। भाषा सहज व सरल है। उर्दू भाषा है।
प्रश्न 11.फिराक की रुबाइयों में उभरे घरेलू जीवन के बिंबों का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।अथवा‘फिराक गोरखपुरी की रुबाइयों में ग्रामीण अंचल के घरेलू रूप की स्वाभाविकता और सात्विकता के अनूठे चित्र चित्रित हुए हैं’ – पाठ्यपुस्तक में संग्रहीत रुबाइयों के आधार पर उत्तर दीजिए। (CBSE-2013)उत्तर:फिराक की रुबाइयों में ग्रामीण अंचल के घरेलू रूप का स्वाभाविक चित्रण मिलता है। माँ अपने शिशु को आँगन में लिए खड़ी है। वह उसे झुलाती है। बच्चे को नहलाने का दृश्य दिल को छूने वाला है। दीवाली व रक्षाबंधन पर जिस माहौल को चित्रित किया गया है। वह आम जीवन से जुड़ा हुआ है। बच्चे का किसी वस्तु के लिए जिद करना तथा उसे किसी तरह बहलाने के दृश्य सभी परिवारों में पाए जाते हैं।
प्रश्न 12.रुबाइयाँ के आधार पर घर आँगन में दीवाली और राखी के दृश्य बिंब को अपने शब्दों में समझाइए।उत्तर:दीवाली के त्योहार पर पूरा घर रंगरोगन से पुता हुआ है। माँ अपने नन्हें बेटे को प्रसन्न करने के लिए चीनी मिट्टी के जगमगाते खिलौने लेकर आती है। वह बच्चों के घर में दीया जलाती है। इसी तरह राखी के समय आकाश में काले-काले बादलों की हल्की घटा छाई हुई है। छोटी बहन ने पाँवों में पाजेब पहनी हुई है जो बिजली की तरह चमक रही है।
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shriram8823 · 4 years
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How to increase blood platelets in Hindi|खून के अंदर blood platelets कैसे बढ़ाएं हिंदी में जाने How to increase blood platelets How to increase blood platelets के बारे में जानने से पहले हमें यह जानना जरूरी है कि आखिर blood platelets क्या होती हैं और यह हमारे शरीर में किस प्रकार से कार्य करती हैं। एक सेहतमंद शरीर की निशानी यह है कि शरीर में सही मात्रा में blood platelets का होना और प्लेटलेट्स का सही तरीके से कार्य करना। सेहत की बात आते ही हमारे मन में कई सवाल उठते हैं उन्हीं में से platelets को लेकर के भी हमारे मन में कई सवाल उठते हैं कि (how to increase blood platelets) और भी ऐसे कई सवाल हैं जैसे कि:- •how to increase platelets •how to increase blood platelets •platelets function •platelets normal range •what level of platelets is dangerous •platelets count platelets function: प्लेटलेट की कार्य करने की प्रक्रिया शरीर में low platelets count होने की वजह से शरीर और सेहत को काफी बड़ा नुकसान भुगतना पड़ता है। Blood platelets शरीर में होने वाले घाव के जरिए खून को बहने से रोकने में मदद करती है या फिर हम यह कह सकते हैं की blood platelets खून में थक्के बनाने में मदद करते हैं। प्लेटलेट्स की कमी होने के बाद रोगी के दिमाग में बस यही सवाल होता है की how to increase blood platelets यानी कि शरीर में प्लेटलेट की मात्रा किस प्रकार बढ़ाई जाए। platelets normal range|प्लेटलेट्स की नियमित मात्रा Platelets की औसतन आयु 4 से 5 दिन की होती है। हमारे शरीर में रोजाना हजारों platelets टूटते और बनते रहते हैं। एक सेहतमंद इंसान के अंदर blood platelets की मात्रा लगभग 1.5 लाख से 4.5 लाख होती है।1.5 से कम मात्रा में blood platelets होना low platelets count कहा जाता है। what level of platelets is dangerous|प्लेटलेट्स की कितनी कम मात्रा हमारे लिए खतरनाक साबित हो सकती है। लगभग 50 हजार से कम मात्रा में शरीर में platelets की कमी से जान का खतरा होता है। ऐसी अवस्था में डॉक्टर को शरीर में प्लेटलेट चढ़ाना आ��श्यक होता है। ऐसा देखा गया है कि 15000 से भी कम प्लेटलेट वाले व्यक्तियों को डॉक्टरों द्वारा platelets चढ़ाए जाने की वजह से बचाया गया है। लेकिन जिनके शरीर में 50 हजार से ज्यादा blood platelets है तो उन व्यक्तियों को डरने की जरूरत नहीं है वह आसानी से अपने शरीर की प्लेटलेट की मात्रा बढ़ा सकते हैं। How to increase blood platelets home remedies|शरीर में blood platelets बढ़ाने के घरेलू उपाय। अगर आपके मन में भी यही सवाल उठता है कि how to increase blood platelets या फिर आपके शरीर में low platelets count की समस्या हो गई है तो हम आपको कुछ ऐसे घरेलू उपाय बताएंगे जो आप आसानी से कर सकते हैं और अपने शरीर में blood platelets को आसानी से बड़ा सकते हैं। 1.पपीता:-कई अनुसंधान में यह पाया गया है कि पपीते के पत्तों के ताजा रस से शरीर में blood platelets को बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए रोजाना साफ-सुथरे पत्तों का 20 से 30 मिलीग्राम रस दिन में दो से तीन बार पीने से शरीर में blood platelets को तेजी से बढ़ाया जा सकता है। अगर पपीते के पत्ते का रस पीने से आपका जी मचलता है या फिर आपको उल्टी होती हैं तो उसकी जगह आप ताजा पका हुआ पपीता भी खा सकते हैं ताजा पका हुआ पपीता खाने से भी blood platelets तेजी से बढ़ाया जा सकता है। 2.चुकंदर:-चुकंदर के अंदर कई ऐसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। चुकंदर का इस्तेमाल करने से blood platelets और हीमोग्लोबिन को बढ़ाने मैं काफी अधिक मदद मिलती है। रोगी को चुकंदर की स्वादिष्ट सब्जी बनाकर भी खिला सकते हैं या फिर इसका ताजी जूस बनाकर पिलाया जा सकता है। चुकंदर के सेवन से शरीर में platelets को आसानी से बढ़ाया जा सकता है। 3.सीताफल:-सीताफल यानी कद्दू के अंदर विटामिन ए की अच्छी खासी मात्रा पाई जाती हैं। जिसकी वजह से यह blood platelets को शरीर में अच्छी खासी मात्रा में बनाए रखने में मदद करता है। कद्दू  के जरिए सेल्स द्वारा बनाए गए प्रोटीन को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। शरीर में blood platelets increase करने के लिए आप कद्दू के ताजा रस मे शहद मिलाकर  सेवन कर सकते हैं। कद्दू के ज्यादा लाभ लेने के लिए या फिर शरीर में blood platelets increase करने के लिए आप कद्दू की सब्जी या सलाद तथा सूप बनाकर भी पी सकते हैं और कद्दू के जरिए आप अपने शरीर में blood platelets को बढ़ा सकते हैं। 4.किसमिस:-किसमिस स्वाद में जितनी ही अच्छी होती है उतना ही यह सेहत के लिए लाभकारी होती हैं किसमिस के सेवन से हमारे शरीर में खून बनने की प्रक्रिया तेज होती हैं। किसमिस के अंदर प्रचुर मात्रा में आयरन और अन्य कई ऐसे पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए लाभकारी होते हैं। किसमिस खाने से हमारे शरीर में खून का प्रोडक्शन होता है यानी कि हम यह भी कह सकते हैं कि खून के साथ-साथ हमारे शरीर में blood platelets को भी बढ़ाने में मदद मिलती है। किशमिश को आप अपने खाने में कई तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं। किसमिस आपके शरीर में blood platelets increase करने के साथ-साथ कई अन्य ऐसे लाभ प्रदान करता है जो आपको कई बीमारियों से बचाते हैं। 5.गेहूं के पौधे का रस:-गेहूं के पौधे का रस यानी कि हम साधारण भाषा में कहें wheatgrass juice पीने से हमारे खून में blood platelets की मात्रा बढ़ती है। क्योंकि गेहूं के पौधे में क्लोरोफिल की मात्रा अच्छी खासी पाई जाती हैं जो हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन एटम की तरह कार्य करता है। गेहूं के पौधे का रस लगभग दिन में दो से तीन बार करने से शरीर में blood platelets काफी तेजी से बढ़ता है।गेहूं के पौधे का रस का और ज्यादा फायदा लेने के लिए आप गेहूं के पौधे के रस में थोड़ा सा नींबू मिलाकर पिए जिससे यह आपको और ज्यादा फायदा पहुंचाए और blood platelets की मात्रा आपके शरीर में सही बनी रहे। 6.पानी:-हम सभी जानते हैं कि पानी हमारे शरीर के लिए कितना जरूरी है। शरीर में पानी की कमी होने से हमें कितनी परेशानी हो सकती हैं डेंगू बुखार होने पर शरीर में पानी की कमी हो जाती है और यही पानी की कमी हमारे शरीर में low platelets count का कारण बनती है। लगभग रोजाना दिन में 8 से 10 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए जिससे हमारे शरीर में पानी की कमी ना हो और हमारा खून हमारे शरीर में सुचारू रूप से दौड़ सके। रिसर्च में यह पाया गया है कि जो लोग नियमित रूप से दिन में लगभग 10 से 12 गिलास पानी पीते हैं उनके शरीर में blood platelets की मात्रा सही बनी रहती हैं। निष्कर्ष:- इस पोस्ट के जरिए हमने यह जाना की प्लेटलेट्स की कमी ( low platelets count )हमारे लिए कितना नुकसान दायक है और हम किस तरीके से अपने शरीर में blood platelets को बढ़ा सकते हैं (how to increase blood platelets) शरीर में प्लेटलेट्स कम होने की वजह हमारा खून अत्याधिक पतला हो जाता है और हमें चोट लगने पर खून ना रुकने जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है क्योंकि प्लेटलेट्स हमारी चोट से खून बहने को रोकने में हमारी मदद करता है। तो हमें हमारे शरीर में प्लेटलेट सही मात्रा में बनाए रखना चाहिए और हमें प्लेटलेट्स कम होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और हमारे ऊपर बताए गए सभी उपायों को आजमाना चाहिए। लेकिन हम आपसे इस बात को जरूर कहना चाहेंगे कि ऊपर दिए गए सभी उपायों को आजमाने से पहले एक बार आप अपने चिकित्सक से जरूर परामर्श करें। •  •  • इन पोस्टों को जरूर पढ़ें:- AAM KHANE KE FAYDE - आम खाने के फायदे और नुकसान Papita KHANE KE FAYDE |पपीता खाने के फायदे और नुकसान    Benefits of Aloe Vera - एलोवेरा के फायदे तथा उपयोग  प्रोटीन से भरपूर शाकाहारी भोजन |PROTEIN RICH VEGETARIAN FOOD
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