सौदों की तलाश में एस्ट्राजेनेका, लेकिन टीकों में नहीं रह सकती: रिपोर्ट
सौदों की तलाश में एस्ट्राजेनेका, लेकिन टीकों में नहीं रह सकती: रिपोर्ट
एस्ट्राजेनेका लंबे समय तक वैक्सीन व्यवसाय में नहीं रह सकती है और ऑन्कोलॉजी और हृदय उपचार में विशेषज्ञता वाली छोटी और मध्यम आकार की कंपनियों को खरीदना चाह रही है, मुख्य कार्यकारी पास्कल सोरियट ने मंगलवार को रॉयटर्स न्यूजमेकर साक्षात्कार में कहा।
उत्पादन में देरी, गंभीर दुष्प्रभावों के दुर्लभ मामलों के बाद नियामकों द्वारा जांच और अन्य शॉट्स की तुलना में इसके अपेक्षाकृत कम शेल्फ जीवन के बारे में…
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Leading Pharma Company AstraZeneca ने क्यों वापस ली कोविड-19 वैक्सीन?
New Delhi : दिग्गज फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सहयोग से बनाई गई अपनी कोविड-19 वैक्सीन को दुनिया भर से वापस ले रही है। कंपनी ने ब्रिटेन की एक अदालत में वैक्सीन के खतरनाक साइड इफेक्ट की बात स्वीकार की थी। इसके महीने बाद कंपनी ने यह कदम उठाया है।
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने स्वेच्छा से भारत में कोविशील्ड और यूरोप में वैक्सजेवरिया के रूप में बेची जाने वाली…
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Astrazeneca initiates global withdrawal of Covid-19 vaccine as demand dips
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (स्रोत/अनस्प्लैश)
2 मिनट पढ़ें आखरी अपडेट : 08 मई 2024 | सुबह 7:09 बजे प्रथम
एस्ट्राजेनेका ने मंगलवार को कहा कि उसने महामारी के बाद से “उपलब्ध अद्यतन टीकों की अधिकता” के कारण दुनिया भर में अपने कोविड-19 वैक्सीन को वापस लेने की पहल की है।
कंपनी ने यह भी कहा कि वह यूरोप के भीतर वैक्सीन वैक्सजेवरिया के विपणन प्राधिकरणों को वापस लेने के लिए आगे बढ़ेगी।
कंपनी ने कहा, “चूंकि…
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10 लाख लोगों में केवल सात...कोविशील्ड से कितना खतरा, क्या डरने की जरूरत है?
नई दिल्ली: एक बार फिर कोरोना की चर्चा शुरू है लेकिन वायरस नहीं बल्कि कोविड वैक्सीन की। पहले कोरोना से डर लगता था तो वहीं अब कोरोना वैक्सीन के नाम से अचानक लोगों को डर लगने लगा है। इस डर की शुरुआत हुई ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के एक खुलासे से। इस खुलासे के बाद कोरोना की वैक्सीन लेने वाले लोगों के मन में कई सवाल पैदा हो गए। वैक्सीन निर्माता ने कोर्ट में माना है कि दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस (TTS) का कारण बन सकता है। इससे खून के थक्के बन सकते हैं और प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कई गंभीर मामलों में यह स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। इस खुलासे के बाद भारत में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई। एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाई। भारत में बड़े पैमाने पर ये वैक्सीन लगाई गई है। लोगों के मन में कई सवाल हैं और इन सवालों के बीच भारत में अधिकांश हेल्थ एक्सपर्ट यह मान रहे हैं कि यह केवल दुर्लभ मामलों में ही हो सकता है। भारत में भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। एक वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जांच के लिए मेडिकल एक्सपर्ट का पैनल बनाया जाए। वैक्सीन के कारण किसी भी रिस्क फैक्टर का परीक्षण करने का निर्देश दिया जाए और यह सब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में किया जाना चाहिए। हालांकि देखा जाए तो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने साल 2021 में इस टीके से होने वाले साइड इफेक्ट के बारे में अपनी साइट पर जानकारी दी है। सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वेबसाइट पर अगस्त 2021 में कोविशील्ड टीका लगाने के बाद होने वाले साइड इफेक्ट की जानकारी दी है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया या प्लेट्सलेट की संख्या कम होने की वजह से ब्लड क्लाटिंग की समस्या हो सकती है। कंपनी ने कहा है कि यह एक लाख में से एक से भी कम लोगों में हो सकती है और कंपनी ने इसे बहुत ही दुर्लभ मामला बताया है। ICMR के पूर्व महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को लेकर कहा कि इसका साइड इफेक्ट टीका लेने के अधिकतम तीन से चार हफ्तों तक ही हो सकता है। वह भी केवल दुर्लभ मामलों में ही। भारत में कोविशील्ड के करोड़ों डोज लगाए गए हैं लेकिन न के बराबर मामलों में ही साइड इफेक्ट देखने को मिला। उनकी ओर से कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने के दो-ढाई साल बाद साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं है और इससे बेवजह डरने की जरूरत नहीं।ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि वैक्सीन के लॉन्च होने के 6 महीने के अंदर टीटीएस को एडेनोवायरस वेक्टर वैक्सीन के एक साइड इफेक्ट के रूप में पहचाना गया था। इस वैक्सीन की समझ में कोई नया चेंज नहीं है। उनकी ओर से कहा गया कि यह समझने की जरूरत है कि टीका लगवाने वाले दस लाख लोगों में केवल सात या आठ लोगों को ही खतरा है। मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा कि TTS रक्त वाहिकाओं में थक्का बना सकता है, लेकिन कुछ टीकों के इस्तेमाल के बाद इसका होना बेहद दुर्लभ होता है। जयदेवन केरल में नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि कोविड वैक्सीन ने कई मौतों को रोकने में मदद की है। न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, 'TTS का मतलब खून के थक्के बनने से है। कम प्लेटलेट काउंट के साथ दिमाग या अन्य रक्त वाहिकाओं में इससे थक्का बन सकता है।' http://dlvr.it/T6Jt7Y
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वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने खुद अदालत में स्वीकार किया है कि उसकी कोविड वैक्सीन से रक्त के थक्के जमने की स्थिति पैदा हो सकती है, हार्ट अटैक , ब्रेन स्ट्रोक, कार्डियक अरेस्ट होने की आशंकाएं बढ़ जाती है लेकिन अंधभक्त है कि मानने को तैयार ही नहीं
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कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट; 5 लक्षणों से तुरंत पहचाने
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन जो कोरोना से बचने के लिए बनाई गई थी हाल ही में कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट की चर्चा तेज हो गई है, एक व्यक्ति को जब कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट दिखाई दिए तब उसने वैक्सीन बनाने वाली कंपनी पर कोर्ट केस कर दिया। जिसके बाद कंपनी ने इस बात को स्वीकार किया कि ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट Read more..
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covishield new information: कोविशील्ड,कोरोना वैक्सीन से ब्रेन स्ट्रॉक व हार्ट अटैक का खतरा, निर्माता ब्रिटिश कंपनी का कोर्ट में हलफनामा, 175 करोड़ लोंगो को लगे थे डोज, आईसीएमआर की विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में
नयी दिल्ली: ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. हालांकि ऐसा बहुत रेयर मामलों में ही होगा. एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड नाम से वैक्सीन बनाई. ब्रिटिश मीडिया के अनुसार, एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन से कई लोगों की मौत हो गई. वहीं कई अन्य को गंभीर बीमारियों का सामना करना…
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AstraZeneca Nasal Spray Vaccine For Covid Fizzles In Small, Early Trial
AstraZeneca Nasal Spray Vaccine For Covid Fizzles In Small, Early Trial
शोध में कहा गया है कि स्प्रे वैक्सीन ने नाक के म्यूकोसल ऊतक में एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया नहीं दी
एस्ट्राजेनेका पीएलसी की कोविड -19 वैक्सीन का एक सरल सूत्रीकरण विकसित करने की महत्वाकांक्षा – जो संक्रमण को रोकने में भी मदद कर सकती है – नाक के स्प्रे के शुरुआती परीक्षणों में विफल होने के बाद सोमवार को एक झटका लगा।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, स्प्रे वैक्सीन ने नाक के…
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AstraZeneca India Gets Approval To Market Drug Treating Breast Cancer DGCI
AstraZeneca India Gets Approval To Market Drug Treating Breast Cancer DGCI
DGCI Give Approval For Breast Cancer Medicine: स्तन कैंसर (Breast Cancer) महिलाओं के लिए एक बड़ी समस्या है. इसका पता देर से चलने की वजह से देश में मौत की दर बढ़ रही है. वहीं, अब स्तन कैंसर का का समय से इलाज हो सकता है. साथ ही दवा आसानी से मिल सकता है. क्योंकि दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका इंडिया (AstraZeneca India) ने शुक्रवार (18 अगस्त) को कहा , भारत के औषधि महानियंत्रक से स्तन कैंसर के इलाज…
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प्री-ल्यूकेमिया का पता लगाने के जोखिम से जुड़े जीन...
प्री-ल्यूकेमिया का पता लगाने के जोखिम से जुड़े जीन…
ब्रिस्टल और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों, वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट, स्पेन में अस्टुरियस हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट और एस्ट्राजेनेका के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में, अध्ययन से पता चला है कि विशिष्ट आनुवंशिक परिवर्तन ‘क्लोनल हेमटोपोइजिस’ के विकास की संभावना को प्रभावित करते हैं, एक सामान्य स्थिति। शरीर में गुणन रक्त कोशिकाओं के विस्तारित क्लोन के विकास से प्रेरित होता है, जो उनके डीएनए में उत्परिवर्तन…
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एईएफआई: 2 हजार एईएफआई के गंभीर मामले, दिए गए 123 करोड़ शॉट्स में से 0.004%: सरकार | इंडिया न्यूज - टाइम्स ऑफ इंडिया
एईएफआई: 2 हजार एईएफआई के गंभीर मामले, दिए गए 123 करोड़ शॉट्स में से 0.004%: सरकार | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया
नई दिल्ली: टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाएं (एईएफआई) कुल लगभग 123 करोड़ में से 0.004% के बाद दर्ज किए गए थे कोविड जाब्स 30 नवंबर तक प्रशासित। सरकार ने मंगलवार को संसद को बताया कि 49,819 प्रतिकूल घटनाओं में से 47,691 मामूली, 163 गंभीर और 1,965 गंभीर मामले थे। एईएफआई कोई भी अप्रिय चिकित्सा घटना है जो इनोक्यूलेशन के बाद होती है और जरूरी नहीं कि इसका कोविड -19 वैक्सीन के साथ एक कारण संबंध हो। उन्हें…
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पतंजलि की नाक में तो दम हो गया, लेकिन वाहियात विज्ञापनों से अटी पड़ी है फार्मा इंडस्ट्री, उसकी सुध कौन लेगा?
लेखक- किशोर पटवर्द्धनसाक्ष्य-आधारित दवाइयां तीन स्तंभों के आधार पर बनाए जाती हैं- रोगी की पसंद, डॉक्टर अनुभव और हालिया उपलब्ध साक्ष्य। गलत सूचना इन तीनों को कमजोर करती है और यही बात सुप्रीम कोर्ट में चल रहे पतंजलि के मामले को क्रिटिकल बनाती है। इस सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने कहा कि उसने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और उसकी सहयोगी कंपनी दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं। गौर करने वाली बात यह है कि यह कार्रवाई तब की गई जब सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए राज्य प्राधिकरण की तीखी आलोचना की।नवंबर 2023 में, पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि वह अब अपने अपने उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं करेगी। साथ ही दवा के असर का दावा करने वाले या किसी भी चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ कोई भी किसी भी रूप में मीडिया को जारी नहीं किया जाएगा। लेकिन कंपनी ने भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करना जारी रखा। इनमें उच्च रक्तचाप और मधुमेह सहित कई हेल्थ कंडीशंस के इलाज का झूठा वादा किया गया और साथ ही पश्चिमी चिकित्सा की विफलताओं की आलोचना भी की। इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया था। कंपनी ने नियमों का उल्लंघन करने वाले उत्पादों के विज्ञापन प्रकाशित करना जारी रखा था जबकि नवंबर में उसने कोर्ट को अंडरटेकिंग दी थी। इसके बाद पतंजलि को प्रमुख समाचार पत्रों में बिना शर्त माफी भी प्रकाशित करनी पड़ी।
पतंजलि से आगे
पतंजलि के विज्ञापनों में यह भी दावा किया गया है कि उन्होंने शोध के माध्यम से अपने फॉर्मूलेशन की प्रभावकारिता को साबित किया है। ऐसे कई शोध उद्धरणों के साथ समस्या यह है कि इनमें जरूरी शर्तों का अभाव है और यह विभिन्न बीमारियों के 'इलाज' के दावों को साबित करने के लिए नाकाफी हैं। इस खास फार्मा उद्योग में पेटेंट और मालिकाना दवाओं से जुड़ी समस्या है। इन फॉर्मूलेशन का उल्लेख आयुर्वेद की शास्त्रीय पाठ्यपुस्तकों में नहीं किया गया है लेकिन इनमें अलग-अलग मात्रा और संयोजन में बताए गए तत्व शामिल हैं। साथ ही फॉर्मूलेशन का लाइसेंस देने के लिए विभिन्न राज्य प्राधिकरणों द्वारा निर्धारित सुरक्षा और प्रभावकारिता मानक भी बहुत कड़े नहीं हैं।शास्त्रीय आयुर्वेद की पाठ्यपुस्तकों में सीधे दर्ज किए गए फॉर्मूलेशन में भारी मात्रा में धातु और अन्य संभावित विषाक्त अवयवों की मौजूदगी के कारण इनकी सेफ्टी पर पहले से ही बहस चल रही है। नए फॉर्मूलेशन को बाजार में लाने से पहले विश्वसनीय डेटा की आवश्यकता होती है। हाल में यूपी ने 30 से अधिक आयुर्वेद उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसकी वजह यह थी कि इनमें से कई उत्पादों में स्टेरॉयड, दर्द निवारक और ओरल हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट पाए गए थे। पब्लिक हेल्थ के लिए आगे के जोखिम से बचने के लिए आयुर्वेद प्रतिष्ठान को नकली और मिलावटी उत्पादों के मुद्दे पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
आयुर्वेद से आगे
यह समस्या सिर्फ आयुष क्षेत्र तक सीमित नहीं है। हाल के वर्षों में फार्मा उद्योग में व्यावसायिक हितों के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करने वाले कई मामले सामने आए हैं। केवल पतंजलि पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय इस बहस को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। कुछ ऐसे हालिया मामलों पर विचार करें जो उद्योग और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच संघर्ष को उजागर करते हैं। ब्रिटिश-स्वीडिश बहुराष्ट्रीय फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने हाल ही में अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया कि उसके कोविड वैक्सीन से एक दुर्लभ दुष्प्रभाव थ्रोम्बोसाइटोपेनिया स���ंड्रोम (Thrombosis with thrombocytopenia syndrome) हो सकता है। टीटीएस रक्त के थक्के बना सकता है जो डीप वेन थ्रोम्बोसिस, दिल के दौरे और स्ट्रोक का कारण बन सकता है। यह दुष्प्रभाव सभी एडेनोवायरस वेक्टर-आधारित टीकों के लिए जाना जाता है। कई देशों ने इसका पता चलते ही इन टीकों को रोक दिया या एज-रेस्टिक्टेड कर दिया।इसी तरह यूके की एक अथॉरिटी ने हाल ही में फैसला दिया कि फाइजर ने ट्विटर पर अपनी बिना लाइसेंस वाली कोविड वैक्सीन का प्रचार किया लेकिन इसके साइड-इफेक्ट्स के बारे में कुछ भी नहीं बताया। इस कंपनी पर यूके में जुर्माना लगाया गया। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी को गहरा खेद है और वह अथॉरिटी के फैसले में उठाई गई बातों से पूरी तरह वाकिफ है और इसे स्वीकार करती है। तीसरा उदाहरण जिसे हमारे सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का ध्यान जाना चाहिए, वह यह है कि यूरोपीय संघ के खाद्य सुरक्षा एजेंसियों ने भारत से निर्यात किए जाने वाले 500 से अधिक खाद्य उत्पादों में कैंसर पैदा करने वाले एथिलीन ऑक्साइड की उपस्थिति का खतरा बताया है।… http://dlvr.it/T6J9ZZ
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तीसरी तिमाही के नुकसान का सामना करने के बाद, एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन बिक्री से लाभ उठाएगी
तीसरी तिमाही के नुकसान का सामना करने के बाद, एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन बिक्री से लाभ उठाएगी
ब्रिटिश फार्मास्युटिकल दिग्गज एस्ट्राजेनेका ने शुक्रवार को कहा कि उसने अपनी कोविड वैक्सीन को लाभ पर बेचना शुरू कर दिया है क्योंकि कंपनी ने उच्च लागत पर तीसरी तिमाही में नुकसान दर्ज किया है।
एस्ट्राजेनेका, जिसने अमेरिकी दिग्गज फाइजर सहित प्रतिद्वंद्वियों के विपरीत महामारी के दौरान उच्च कीमत पर अपना टीका बेचा है, ने कहा कि यह उम्मीद करता है कि वर्तमान चौथी तिमाही और उसके बाद में “उत्तरोत्तर संक्रमण…
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भारत बायोटेक के कोवैक्सिन को ओमान की स्वीकृत कोविद -19 टीकों की सूची में जगह मिली
भारत बायोटेक के कोवैक्सिन को ओमान की स्वीकृत कोविद -19 टीकों की सूची में जगह मिली
भारत बायोटेक के कोवैक्सिन को बिना क्वारंटाइन के ओमान की यात्रा के लिए कोविड-19 टीकों की अनुमोदित सूची में शामिल किया गया है।
एक ट्वीट में, भारत बायोटेक ने उल्लेख किया: “कोवैक्सिन को अब # COVID19 टीकों की अनुमोदित सूची में जोड़ा गया है, जो बिना संगरोध के ओमान की यात्रा के लिए हैं। इससे भारत के यात्रियों को कोवैक्सिन का टीका लगाने में सुविधा होगी।”
वैक्सीन प्रमुख ने इस संबंध में भारतीय दूतावास,…
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