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#अम्लान
samacharchakra · 6 months
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कबड्डी संघ के महा संरक्षक बने अम्लान कुसुम सिन्हा, जवाहर सिंह बने अध्यक्ष
फोटो-मंचासीन अतिथि, सोर्स-समाचार चक्र समाचार चक्र संवाददाता पाकुड़। जिला कबड्डी संघ को भंग करते हुए गुरुवार को नई कमिटि की घोषणा की गई। सूचना भवन में आयोजित पाकुड़ जिला कबड्डी संघ की वार्षिक आम बैठक की गई। बैठक में बतौर मुख्य अतिथि झारखंड कबड्डी एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष सह पर्यवेक्षक हैदर हुसैन एवं साहेबगंज कबड्डी संघ के सचिव सह पर्यवेक्षक मनोज कुमार एवं चुनाव अधिकारी अजय कुमार यादव मौजूद थे।…
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vinodtawde · 1 year
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‘पुलं’ नावाचा अम्लान ठसा साहित्य,संगीत, नाटक, चित्रपट या प्रत्येक क्षेत्रात उमटला आहे. ‘रसिकहो’ ही त्यांची साद प्रत्येक कलाकृतीतून उमटली; जी रसिकांच्या मनात ‘गुण गाईन आवडी’ म्हणत आजही निनादत आहे. प्रसन्न,निखळ विनोदाची पखरण करणाऱ्या ‘हसवणूक’काराचा आज जन्मदिन. अभिवादन!
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rhymecloud · 2 years
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Ramdhari Singh Dinkar - Phool
Ramdhari Singh Dinkar – Phool
फूल अवनी के नक्षत्र! प्रकृति के उज्ज्वल मुक्ताहार! उपवन-दीप! दिवा के जुगनू! वन के दृग सुकुमार! मेरी मृदु कल्पना-लहर-से पुलकाकुल, उद्‌भ्रान्त! उर में मचल रहे लघु-लघु भावों-से कोमल-कान्त! वृन्तों के दीपाधारों पर झिलमिल ज्योति पसार, आलोकित कर रहे आज क्यों अमापूर्ण संसार? कहो, कहो, किन परियों को मुस्कानों में कर स्नान, कहाँ चन्द्र किरणों में धुल-धुल बने दिव्य, अम्लान? किस रुपहरी सरित में धो-धो किया…
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bharatlivenewsmedia · 2 years
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अम्लान प्रतिभेचा सजग आविष्कार
अम्लान प्रतिभेचा सजग आविष्कार
अम्लान प्रतिभेचा सजग आविष्कार अंजली कुलकर्णी मलिका अमर शेख हे मराठी स्त्रीवादी कवितेतील प्रथम नाव आहे. १९७९ साली आलेला मलिका यांचा ‘वाळूचा प्रियकर’ हा कवितासंग्रह म्हणजे १९७५ साली सुरू झालेल्या स्त्रीवादी चळवळीचा पहिला मराठी काव्यात्म उद्गार. या संग्रहात मलिका यांनी स्त्री म्हणून जाणवणाऱ्या वैयक्तिक आणि सार्वत्रिक पातळीवरील स्त्रीजीवनाच्या कोंडीवर, घुसमटीवर भाष्य करून विद्रोहाचा एक धारदार सूर…
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everynewsnow · 3 years
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5 प्राचीन सुपरफूड जो एक बैंग के साथ स्वस्थ आधुनिक आहार में एक वापसी करते हैं
5 प्राचीन सुपरफूड जो एक बैंग के साथ स्वस्थ आधुनिक आहार में एक वापसी करते हैं
इन पारंपरिक खाद्य पदार्थों को अपने आहार का हिस्सा बनाएं। हाइलाइट कई पारंपरिक खाद्य पदार्थ आधुनिक समय में वापसी कर रहे हैं। हमारे सलाहकार पोषण विशेषज्ञ ने बहुत से सर्वश्रेष्ठ सुपरफूड को सूचीबद्ध किया। अच्छे स्वास्थ्य के लिए इन सुपरफूड्स को अपने आहार में शामिल करें। पिछले कुछ वर्षों को देखते हुए मुझे पता है कि “भूल” और पारंपरिक का पुनरुत्थान हुआ था। हर किसी को अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए एक…
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rana2hinditech · 6 years
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B.Ed. Entrance Exam - most expected questions (up b.ed entrance exam 2018)
B.Ed. Entrance Exam – most expected questions (up b.ed entrance exam 2018)
[WpProQuiz 167]
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whyspeakin · 4 years
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फूल
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फूल
  फूल
  अवनी के नक्षत्र! प्रकृति के उज्ज्वल मुक्ताहार! उपवन-दीप! दिवा के जुगनू! वन के दृग सुकुमार! मेरी मृदु कल्पना-लहर-से पुलकाकुल, उद्‌भ्रान्त! उर में मचल रहे लघु-लघु भावों-से कोमल-कान्त! वृन्तों के दीपाधारों पर झिलमिल ज्योति पसार, आलोकित कर रहे आज क्यों अमापूर्ण संसार?   कहो, कहो, किन परियों को मुस्कानों में कर स्नान, कहाँ चन्द्र किरणों में धुल-धुल बने दिव्य, अम्लान? किस रुपहरी सरित में धो-धो किया वस्त्र परिधान चले ज्योति के किस वन को हे परदेशी अनजान?   मलयानिल के मृदु झोंकों में तनिक सिहर झुक-झूल मन-ही-मन क्या सोच मौन रह जाते मेरे फूल? निज सौरभ से सुरभित, अपनी आभा में द्युतिमान, मुग्धा-से अपनी ही छवि पर भूल पड़े छविमान!   अपनी ही सुन्दरता पर विस्मित नव आँखें खोल, हँसते झाँक-झाँक सरसी में निज प्रतिछाया लोल। रच-से रहे स्वर्ग भूतल पर लुटा मुक्त आनन्द, कवि को स्वप्न, अनिल को सौरभ, अलि को दे मकरन्द।   नभ के तारे दूर, अलभ इस अतल जलधि के सीप, देव नहीं, हम मनु, इसी से, प्रिय तुम भूमि-प्रदीप। गत जीवन का व्यथा न भावी का हो चिन्ता-क्लेश, घाटी में रच दिया तुम्हीं से प्रभु ने मोहक देश।   करो, करो, ऊषा के कंचन-सर में वारि-विहार, सोओ, रजनी के अंचल में सोओ, हे सुकुमार! मादक! उफ! कितनी मादक है! ये कड़ियाँ, ये छन्द! कुसुम, कहाँ जीवन में पाया यह अक्षय आनन्द?   जग के अकरुण आघातों से जर्जर मेरा तन है, आँसू, दर्द, वेदना से परिपूरित यह जीवन है। सूख चुका कब का मेरी कलिकाओं का मकरंद, क्या जानूँ जीवन में कैसा होता है आनन्द? उर की दैवी व्यथा कहाती जग में आज प्रलाप, कविता ही बन रही हाय! मेरे जीवन का शाप।   आशा के इंगित पर घुमा दर-दर हाथ पसार, पर, अंजलि में दिया किसी ने भी न तृप्ति-उपहार। इस लघु जीवन के कण-कण में लेकर हाहाकार सुन्दरता पर भूल खड़ा हूँ सुमन! तुम्हारे द्वार। पल भर तो मधुमय उत्सव में सकूँ वेदना भूल, ऐसी हँसी हँसो, निशि-दिन हँसनेवाले ओ फूल!  
रामधारी सिंह "दिनकर" 
Phool Ki Abhilasha  
Railway RRC-ER Online Form 2020.
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hindumantramala · 4 years
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देवी महात्म्यं दुर्ग सप्तासति २ DEVI MAHATMYAM DURGA SAPTASATI 2 देवी महात्म्यं दुर्ग सप्तासति २ DEVI MAHATMYAM DURGA SAPTASATI 2 महिषासुर सैन्यवधो नाम द्वितीयोऽध्यायः || अस्य सप्त सतीमध्यम चरित्रस्य विष्णुर् ऋषिः | उष्णिक् छन्दः | श्रीमहालक्ष्मीदेवता| शाकम्भरी शक्तिः | दुर्गा बीजं | वायुस्तत्त्वं | यजुर्वेदः स्वरूपं | श्री महालक्ष्मीप्रीत्यर्थे मध्यम चरित्र जपे विनियोगः || ध्यानं ॐ अक्षस्रक्परशुं गदेषुकुलिशं पद्मं धनुः कुण्डिकां दण्डं शक्तिमसिं च चर्म जलजं घण्टां सुराभाजनम् | शूलं पाशसुदर्शने च दधतीं हस्तैः प्रवाल प्रभां सेवे सैरिभमर्दिनीमिह महलक्ष्मीं सरोजस्थितां || ऋषिरुवाच ||1|| देवासुरमभूद्युद्धं पूर्णमब्दशतं पुरा| महिषेऽसुराणां अधिपे देवानाञ्च पुरन्दर��� तत्रासुरैर्महावीर्यिर्देवसैन्यं पराजितं| जित्वा च सकलान् देवान् इन्द्रोऽभून्महिषासुरः ||3|| ततः पराजिता देवाः पद्मयोनिं प्रजापतिम्| पुरस्कृत्यगतास्तत्र यत्रेश गरुडध्वजौ ||4|| यथावृत्तं तयोस्तद्वन् महिषासुरचेष्टितम्| त्रिदशाः कथयामासुर्देवाभिभवविस्तरम् ||5|| सूर्येन्द्राग्न्यनिलेन्दूनां यमस्य वरुणस्य च अन्येषां चाधिकारान्स स्वयमेवाधितिष्टति ||6|| स्वर्गान्निराकृताः सर्वे तेन देव गणा भुविः| विचरन्ति यथा मर्त्या महिषेण दुरात्मना ||6|| एतद्वः कथितं सर्वं अमरारिविचेष्टितम्| शरणं वः प्रपन्नाः स्मो वधस्तस्य विचिन्त्यताम् ||8|| इत्थं निशम्य देवानां वचांसि मधुसूधनः चकार कोपं शम्भुश्च भ्रुकुटीकुटिलाननौ ||9|| ततोऽतिकोपपूर्णस्य चक्रिणो वदनात्ततः| निश्चक्राम महत्तेजो ब्रह्मणः शङ्करस्य च ||10|| अन्येषां चैव देवानां शक्रादीनां शरीरतः| निर्गतं सुमहत्तेजः स्तच्चैक्यं समगच्छत ||11|| अतीव तेजसः कूटं ज्वलन्तमिव पर्वतम्| ददृशुस्ते सुरास्तत्र ज्वालाव्याप्तदिगन्तरम् ||12|| अतुलं तत्र तत्तेजः सर्वदेव शरीरजम्| एकस्थं तदभून्नारी व्याप्तलोकत्रयं त्विषा ||13|| यदभूच्छाम्भवं तेजः स्तेनाजायत तन्मुखम्| याम्येन चाभवन् केशा बाहवो विष्णुतेजसा ||14|| सौम्येन स्तनयोर्युग्मं मध्यं चैन्द्रेण चाभवत्| वारुणेन च जङ्घोरू नितम्बस्तेजसा भुवः ||15|| ब्रह्मणस्तेजसा पादौ तदङ्गुल्योऽर्क तेजसा| वसूनां च कराङ्गुल्यः कौबेरेण च नासिका ||16|| तस्यास्तु दन्ताः सम्भूता प्राजापत्येन तेजसा नयनत्रितयं जज्ञे तथा पावकतेजसा ||17|| भ्रुवौ च सन्ध्ययोस्तेजः श्रवणावनिलस्य च अन्येषां चैव देवानां सम्भवस्तेजसां शिव ||18|| ततः समस्त देवानां तेजोराशिसमुद्भवाम्| तां विलोक्य मुदं प्रापुः अमरा महिषार्दिताः ||19|| शूलं शूलाद्विनिष्कृष्य ददौ तस्यै पिनाकधृक्| चक्रं च दत्तवान् कृष्णः समुत्पाट्य स्वचक्रतः ||20|| शङ्खं च वरुणः शक्तिं ददौ तस्यै हुताशनः मारुतो दत्तवांश्चापं बाणपूर्णे तथेषुधी ||21|| वज्रमिन्द्रः समुत्पाट्य कुलिशादमराधिपः| ददौ तस्यै सहस्राक्षो घण्टामैरावताद्गजात् ||22|| कालदण्डाद्यमो दण्डं पाशं चाम्बुपतिर्ददौ| प्रजापतिश्चाक्षमालां ददौ ब्रह्मा कमण्डलं ||23|| समस्तरोमकूपेषु निज रश्मीन् दिवाकरः कालश्च दत्तवान् खड्गं तस्याः श्चर्म च निर्मलम् ||24|| क्षीरोदश्चामलं हारं अजरे च तथाम्बरे चूडामणिं तथादिव्यं कुण्डले कटकानिच ||25|| अर्धचन्द्रं तधा शुभ्रं केयूरान् सर्व बाहुषु नूपुरौ विमलौ तद्व द्ग्रैवेयकमनुत्तमम् ||26|| अङ्गुलीयकरत्नानि समस्तास्वङ्गुलीषु च विश्व कर्मा ददौ तस्यै परशुं चाति निर्मलं ||27|| अस्त्राण्यनेकरूपाणि तथाऽभेद्यं च दंशनम्| अम्लान पङ्कजां मालां शिरस्यु रसि चापराम्||28|| अददज्जलधिस्तस्यै पङ्कजं चातिशोभनम्| हिमवान् वाहनं सिंहं रत्नानि विविधानिच||29|| ददावशून्यं सुरया पानपात्रं दनाधिपः| शेषश्च सर्व नागेशो महामणि विभूषितम् ||30|| नागहारं ददॊउ तस्यै धत्ते यः पृथिवीमिमाम्| अन्यैरपि सुरैर्देवी भूषणैः आयुधैस्तथाः ||31|| सम्मानिता ननादोच्चैः साट्टहासं मुहुर्मुहु| तस्यानादेन घोरेण कृत्स्न मापूरितं नभः ||32|| अमायतातिमहता प्रतिशब्दो महानभूत्| चुक्षुभुः सकलालोकाः समुद्राश्च चकम्पिरे ||33|| चचाल वसुधा चेलुः सकलाश्च महीधराः| जयेति देवाश्च मुदा तामूचुः सिंहवाहिनीम् ||34|| तुष्टुवुर्मुनयश्चैनां भक्तिनम्रात्ममूर्तयः| दृष्ट्वा समस्तं सङ्क्षुब्धं त्रैलोक्यं अमरारयः ||35|| सन्नद्धाखिलसैन्यास्ते समुत्तस्थुरुदायुदाः| आः किमेतदिति क्रोधादाभाष्य महिषासुरः ||36|| अभ्यधावत तं शब्दं अशेषैरसुरैर्वृतः| स ददर्ष ततो देवीं व्याप्तलोकत्रयां त्विषा||37|| पादाक्रान्त्या नतभुवं किरीटोल्लिखिताम्बराम्| क्षोभिताशेषपातालां धनुर्ज्यानिःस्वनेन ताम् ||38|| दिशो भुजसहस्रेण समन्ताद्व्याप्य संस्थिताम्| ततः प्रववृते युद्धं तया देव्या सुरद्विषां ||39|| शस्त्रास्त्रैर्भहुधा मुक्तैरादीपितदिगन्तरम्| महिषासुरसेनानीश्चिक्षुराख्यो महासुरः ||40|| युयुधे चमरश्चान्यैश्चतुरङ्गबलान्वितः| रथानामयुतैः षड्भिः रुदग्राख्यो महासुरः ||41|| अयुध्यतायुतानां च सहस्रेण महाहनुः| पञ्चाशद्भिश्च नियुतैरसिलोमा महासुरः ||42|| अयुतानां शतैः षड्भिःर्भाष्कलो युयुधे रणे| गजवाजि सहस्रौघै रनेकैः परिवारितः ||43|| वृतो रथानां कोट्या च युद्धे तस्मिन्नयुध्यत| बिडालाख्योऽयुतानां च पञ्चाशद्भिरथायुतैः ||44|| युयुधे संयुगे तत्र रथानां परिवारितः| अन्ये च तत्रायुतशो रथनागहयैर्वृताः ||45|| युयुधुः संयुगे देव्या सह तत्र महासुराः| कोटिकोटिसहस्त्रैस्तु रथानां दन्तिनां तथा ||46|| हयानां च वृतो युद्धे तत्राभून्महिषासुरः| तोमरैर्भिन्धिपालैश्च शक्तिभिर्मुसलैस्तथा ||47|| युयुधुः संयुगे देव्या खड्गैः परसुपट्टिसैः| केचिच्छ चिक्षिपुः शक्तीः केचित् पाशांस्तथापरे ||48|| देवीं खड्गप्रहारैस्तु ते तां हन्तुं प्रचक्रमुः| सापि देवी ततस्तानि शस्त्राण्यस्त्राणि चण्डिका ||49|| लील यैव प्रचिच्छेद निजशस्त्रास्त्रवर्षिणी| अनायस्तानना देवी स्तूयमाना सुरर्षिभिः ||50|| मुमोचासुरदेहेषु शस्त्राण्यस्त्राणि चेश्वरी| सोऽपि क्रुद्धो धुतसटो देव्या वाहनकेसरी ||51|| चचारासुर सैन्येषु वनेष्विव हुताशनः| निःश्वासान् मुमुचेयांश्च युध्यमानारणेऽम्बिका||52|| त एव सध्यसम्भूता गणाः शतसहस्रशः| युयुधुस्ते परशुभिर्भिन्दिपालासिपट्टिशैः ||53|| नाशयन्तोऽअसुरगणान् देवीशक्त्युपबृंहिताः| अवादयन्ता पटहान् गणाः शङां स्तथापरे||54|| मृदङ्गांश्च तथैवान्ये तस्मिन्युद्ध महोत्सवे| ततोदेवी त्रिशूलेन गदया शक्तिवृष्टिभिः||55|| खड्गादिभिश्च शतशो निजघान महासुरान्| पातयामास चैवान्यान् घण्टास्वनविमोहितान् ||56|| असुरान् भुविपाशेन बध्वाचान्यानकर्षयत्| केचिद् द्विधाकृता स्तीक्ष्णैः खड्गपातैस्तथापरे||57|| विपोथिता निपातेन गदया भुवि शेरते| वेमुश्च केचिद्रुधिरं मुसलेन भृशं हताः ||58|| केचिन्निपतिता भूमौ भिन्नाः शूलेन वक्षसि| निरन्तराः शरौघेन कृताः केचिद्रणाजिरे ||59|| शल्���ानुकारिणः प्राणान् ममुचुस्त्रिदशार्दनाः| केषाञ्चिद्बाहवश्चिन्नाश्चिन्नग्रीवास्तथापरे ||60|| शिरांसि पेतुरन्येषां अन्ये मध्ये विदारिताः| विच्छिन्नजज्घास्वपरे पेतुरुर्व्यां महासुराः ||61|| एकबाह्वक्षिचरणाः केचिद्देव्या द्विधाकृताः| छिन्नेपि चान्ये शिरसि पतिताः पुनरुत्थिताः ||62|| कबन्धा युयुधुर्देव्या गृहीतपरमायुधाः| ननृतुश्चापरे तत्र युद्दे तूर्यलयाश्रिताः ||63|| कबन्धाश्चिन्नशिरसः खड्गशक्य्तृष्टिपाणयः| तिष्ठ तिष्ठेति भाषन्तो देवी मन्ये महासुराः ||64|| पातितै रथनागाश्वैः आसुरैश्च वसुन्धरा| अगम्या साभवत्तत्र यत्राभूत् स महारणः ||65|| शोणितौघा महानद्यस्सद्यस्तत्र विसुस्रुवुः| मध्ये चासुरसैन्यस्य वारणासुरवाजिनाम् ||66|| क्षणेन तन्महासैन्यमसुराणां तथाऽम्बिका| निन्ये क्षयं यथा वह्निस्तृणदारु महाचयम् ||67|| सच सिंहो महानादमुत्सृजन् धुतकेसरः| शरीरेभ्योऽमरारीणामसूनिव विचिन्वति ||68|| देव्या गणैश्च तैस्तत्र कृतं युद्धं तथासुरैः| यथैषां तुष्टुवुर्देवाः पुष्पवृष्टिमुचो दिवि ||69|| जय जय श्री मार्कण्डेय पुराणे सावर्निके मन्वन्तरे देवि महत्म्ये महिषासुरसैन्यवधो नाम द्वितीयोऽध्यायः|| आहुति ॐ ह्रीं साङ्गायै सायुधायै सशक्तिकायै सपरिवारायै सवाहनायै अष्टाविंशति वर्णात्मिकायै लक्श्मी बीजादिष्टायै महाहुतिं समर्पयामि नमः स्वाहा |
http://hindumantramala.blogspot.com/2020/03/devi-mahatmyam-durga-saptasati-2.html
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khabarsamay · 6 years
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जलपाईगुड़ी जिला स्कूल को मिला पहला स्थान
सरस्वती पूजा के बेहतर अयोजन के लिए जलपाईगुड़ी जिला स्कूल को पहला स्थान प्राप्त हुआ है. वहीं मारवाड़ी गर्ल्स स्कूल को दूसरा, सेंट्रल उच्च वालिका विद्यालय को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ. जलपाईगुड़ी प्रेस क्लब की ओर से इन स्कूलों को पुरस्कार प्रदान किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन एसजेडीए चेयरमैन सौरभ चक्रवर्ती ने किया. इस्व्सर पर जिलाशासक अम्लान ज्योति साहा, पुलिस सुपर अमिताभ माईती, सुचना व संस्कृति अधिकारी सूर्य बनर्जी समेत कई प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से प्रेस क्लब को तीन लाख रूपए देने की घोषणा की गई. Read the full article
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samacharchakra · 1 year
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बैठक में राज्य स्तरीय सीनियर ओपन एथलेटिक्स प्रतियोगिता के सफल आयोजन पर चर्चा
समाचार चक्र संवाददाता पाकुड़। बैंक कॉलोनी स्थित स्टेडियम में रविवार को जिला एथलेटिक्स संघ की बैठक संघ के अध्यक्ष अम्लान कुसुम सिन्हा उर्फ बुल्टी की अध्यक्षता में आयोजित हुई। जिसमें दो जून से शुरू होने वाली तीन दिवसीय राज्य स्तरीय सीनियर ओपन एथलेटिक्स प्रतियोगिता के सफल आयोजन पर चर्चा हुई। संघ के सचिव रणवीर सिंह ने बैठक में जानकारी देते हुए बताया कि झारखंड एथलेटिक्स संघ ने राज्य स्तरीय सीनियर ओपन…
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