રમઝાનના દિવસો દરમિયાન, એક તરફ તમે ખાસ નમાઝ (તરવીહ નમાઝ) અદા કરો છો અને બીજી તરફ તમે પ્રાણીને મારીને તેનું માંસ ખાઓ છો. છેવટે, પ્રાણીઓની હત્યા કરીને અલ્લાહ કેવી રીતે ખુશ થઈ શકે?
in Shivpuran, Chapter 6 and 7, there is evidence of the origin of Vishnuji and Brahmaji from the union of Mother Durga and Father Sadashiv (KaalBrahm).
For more information must watch Sadhna Channel at 07:30 pm.
If by killing an animal through Halal, its soul goes to heaven, then why are you sending animals there? This method should be used to send people(of your own family) to heaven.
Muslims say that while fasting during the month of Ramzan, they refrain from any sinful activities. Did you even think that killing an innocent animal for food to break the fast, Is not a sin??
कुरान शरीफ में मांस खाने का संकेत अल्लाह का नहीं है।
वास्तव में हजरत मुहम्मद जी को एक जिब्राईल नामक फरिश्ते ने गला घोंट-घोंट कर जबरदस्ती डरा धमका कर कुरान शरीफ का ज्ञान लिखवाया था, अपने ही बनाये जीवों को मार कर खाने का आदेश कभी अल्लाह का नहीं हो सकता। (प्रमाण- पुस्तक जीवनी हजरत मुहम्मद, सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, पृष्ठ 307-315)
कबीर जी ने गुरु की महिमा बताई है:-
वाणी:- गुरु ते अधिक न कोई ठहरायी।
मोक्षपंथ नहिं गुरु बिनु पाई।।
राम कृष्ण बड़ तिहुँपुर राजा।
तिन गुरु बंदि कीन्ह निज काजा।।
सरलार्थ:- गुरु से अधिक किसी को नहीं मानें। गुरु के बिना मोक्ष का रास्ता (भक्ति विधि) प्राप्त नहीं हो सकती। उदाहरण बताया है कि श्री राम तथा श्री कृष्ण जी को तो आप हिन्दू भगवान मानते हैं। इनसे बड़े तो आप नहीं हैं। जब श्री राम तथा श्री कृष्ण ने भी गुरु बनाए और उनको अर्थात् अपने गुरुदेवों को नमन किया। उनके सामने एक भक्त की तरह आधीन बनकर रहे। उनकी आज्ञा का पालन किया तो आप जी को भी गुरु बनाकर उपदेश दीक्षा लेकर साधना करनी चाहिए। श्री राम तथा श्री कृष्ण तो तीन लोक में बड़े हैं। उन्होंने भी गुरु को बन्दगी (प्रणाम) करके अपने निजी कार्यों को किया, उनकी आज्ञा मानी।
पवित्र कुरान शरीफ मुस्लिम धर्माचे आधारशील ग्रंथ आहे. रमज़ान वेळी या ग्रंथाचा पाठ करणे आवश्यक मानलं जाते. विचार करा, सतगुरु भेटल्याशिवाय आपल्याला ईश्वरीय ज्ञान समजू शकतं का?
अल्लाह साकार है, उन्हे देखा जा सकता है! अल्लाह का नाम 'कबीर' है।
कुरान ज्ञान दाता (काल ब्रह्म) का आदेश रोजा, बंग और नमाज करने का था। हज़रत मुहम्मद जी व उनके 1 लाख 80 हजार अनुयायी शाकाहारी थे। फिर क्यों मुसलमान धर्म में निर्दोष जानवरों का क़त्ल करके उनका मांस खाया जाता है? यह अल्लाह के विधान के विरुद्ध है!
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