संत गरीबदास जी को 10 वर्ष की उम्र में सन 1727 में फाल्गुन मास सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10 बजे परमेश्वर कबीर जी एक जिन्दा महात्मा के वेश में मिले। उन्हें अपने अविनाशी लोक सतलोक को दिखाया जहां सर्व सुख है। तब गरीबदास जी ने बताया कि सृष्टि का रचनहार कबीर परमेश्वर है।
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के अनुसार ग्रेट शायरन हैं संत रामपाल जी महाराज। उन्हीं संत के बोध दिवस पर 17-20 फरवरी को 10 सतलोक आश्रमों में विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है जिसमें पूरा विश्व आमंत्रित है।
17 फरवरी को उस महापुरुष का बोध दिवस है जिन्होंने दहेज मुक्त, नशा मुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त समाज तथा विश्व शांति का बीड़ा उठाया है। विश्व कल्याण के लिये प्रकट वह महापुरुष जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिये उनके मूल मंत्र का जाप करना अनिवार्य होता है जिसकी जानकारी इस धरती पर पूर्ण संत प्रदान करता है। पूर्ण संत यानी तत्वदर्शी संत जो भक्ति विधि और मर्यादाएं बताता है उन पर चलने और भक्ति करने से दुर्गा माता एवं अन्य देवी देवताओं तथा ब्रह्मा, विष्णु, महेश को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।