अयोध्या केस में कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा सुन्नी वक्फ बोर्ड
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद मामले में 40 दिन चली सुनवाई के बाद आज शनिवार को अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनेगा. जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ की अलग से जमीन दी जाए, जिस पर वो मस्जिद बना सकें. राम मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सर्वसम्मति से सुनाया.
फैसले को चुनौती नहीं देगा सुन्नी वक्फ बोर्ड
उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारुकी ने कहा कि बोर्ड अयोध्या विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा. बोर्ड की ओर से फैसले का स्वागत किया गया है और उन्होंने कहा कि हम पहले से कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा उसे दिल से माना जाएगा. फारुकी ने कहा कि सभी को भाईचारे के साथ इस फैसले का सम्मान करना चाहिए. बता दें कि इस केस में सुन्नी वक्फ बोर्ड एक अहम पक्षकार है. फारुकी से जब पूछा गया कि ओवैसी ने इस फैसले को चुनौती देने और मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन न लेने की बात कही है तो उन्होंने कहा कि ओवैसी कौन हैं, मैं उनको नहीं जानता और न ही कभी उनसे मिला हूं.
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असदुद्दीन ओवैसी बोले- हमें नहीं चाहिए 'खैरात', खारिज करें 5 एकड़ जमीन का ऑफर
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा, 'मैं वकीलों की टीम को धन्यवाद देता हूं. मैं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की इस बात से सहमत हूं कि सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम है, लेकिन वह अचूक (INFALLIBLE) नहीं है. मुस्लिम समाज ने अपने वैधानिक हक के लिए संघर्ष किया. हमें 'खैरात' की जरूरत नहीं है. ये मेरा निजी तौर पर मानना है कि हमें 5 एकड़ जमीन के ऑफर को वापस लौटा दिया जाना चाहिए.'उन्होंने आगे कहा कि फैक्ट्स पर आस्था की जीत हुई है. और मुझे इस बात की चिंता है कि संघ अब काशी और मथुरा के मुद्दे के भी उठाएगा.
शांति बनाने के लिए प्रदेश सरकार प्रतिबद्धः CM योगी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत है, देश की एकता व सद्भाव बनाए रखने में सभी सहयोग करें, उत्तर प्रदेश में शांति, सुरक्षा और सद्भाव का वातावरण बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है.
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद मामले में 40 दिन चली सुनवाई के बाद आज शनिवार को अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनेगा. जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ की अलग से जमीन दी जाए, जिस पर वो मस्जिद बना सकें. राम मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सर्वसम्मति से सुनाया.
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TV के 'राम' से बिलकुल अलग थे अयोध्या के 'राम', पढ़ें पूरी रिपोर्ट
मुंबई: अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है और विवादित जमीन पर रामलला का हक माना है. कोर्ट के इस फैसले से राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है और कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस संबंध में तीन महीने के अंदर एक ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है.
सिनेमाई राम ने खास तौर पर एक छवि के रूप में राम के चरित्र को साकार करने की कोशिश की है. साल 1987 में बनी रामानंद सागर की ऐतिहासित टीवी सीरीज रामायण में राम का किरदार अभिनेता अरुण गोविल ने निभाया था. छोटे पर्दे पर उनके अलावा कई कलाकरों ने राम का रोल निभाया लेकिन उनकी छवि जिस तरह दर्शकों के मन में बसी थी कि लोग उनकी छवि को भगवान राम की छवि मान कर पूजा करते नजर आ जाते.
यही कारण है की रामायण नाम से कई और सीरियल बने लेकिन जो ख्याति रामानंद सागर के रामायण को मिली थी वो किसी और सीरियल को नहीं मिला पाई. एनडीटीवी इमेजिन पर दिखाए गए सीरियल रामायण में अभिनेता गुरुमीत चौधरी ने राम का किरदार निभाया था. अरुण गोविल के अलावा गुरुमीत छोटे पर्दे पर सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले 'राम' रह चुके हैं. गुरुमीत अपनी पत्नी देबीना के साथ इस टीवी सीरीज का हिस्सा थे. उनकी पत्नी देबीना ने सीता का किरदार निभाया था.
छोटे पर्दे के चर्चित कलाकारों में टीवी अभिनेता आशीष शर्मा ने छोटे पर्दे भी राम का किरदार निभाया था. उन्होंने टीवी सीरियल सिया के राम के में राम का किरदार निभाया था.इन कलाकारों के अलावा एक कलाकार और हैं जिन्होंने राम के किरदार को छोटे पर्दे पर निभाया है. जी हां, हम बात कर रहे हैं. टीवी सीरियल बुद्धा से पहचान बनाने वाले अभिनेता हिमांशु कोहली की जो छोटे पर्दे पर राम का किरदार निभा चुके हैं. उन्होंने सीरियल लव-कुश में भगवान राम का किरदार निभाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर फैसला देते हुए कहा है कि विवादित जमीन पर मुस्लिम पक्ष अपना हक साबित नहीं कर पाया है. ये कहते हुए कोर्ट ने विवादित जमीन पर रामलला का हक माना है और केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर एक ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है, जो राम मंदिर निर्माण से लेकर बाकी सभी काम देखेगा. जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में किसी दूसरी जगह मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया है.
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Ayodhya Verdict: राम मंदिर पर फैसले के बाद पुलिस ने दी Whatsapp यूजर्स को यह हिदायत
अयोध्या मामले में शनिवार को उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद पुलिस ने यहां सोशल मीडिया यूजर्स को एहतियात के तौर पर अपने वाट्सऐप ग्रुप की सेटिंग बदलने का सुझाव दिया। पुलिस ने कहा कि आपत्तिजनक पोस्ट का प्रसार रोकने के लिये इन समूहों की सेटिंग इस तरह की जा सकती है कि केवल एडमिन ही संबंधित ग्रुप में सन्देश भेज सकें। अपराध निरोधक शाखा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) अमरेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर जारी परामर्श में कहा, “अयोध्या फैसले के मद्देनजर शांति व्यवस्था कायम रखने हेतु सभी वाट्सऐप ग्रुप के एडमिन को सूचित किया जाता है कि वे अगले कुछ दिनों तक अपने-अपने ग्रुप के सदस्यों को किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट ना करने की हिदायत दें।
अन्यथा ग्रुप में होने वाली किसी भी गलत पोस्ट के लिये वे (एडमिन) भी जिम्मेदार होंगे।” एएसपी ने कहा, “इस सिलसिले में यह भी बेहतर विकल्प होगा कि कुछ दिनों के लिये वाट्सऐप ग्रुप की सेटिंग इस तरह की जाये कि केवल एडमिन ही संबंधित समूह में सन्देश भेज सकें।” बहरहाल, सोशल मीडिया यूजर्स ने बताया कि पुलिस की इस हिदायत से पहले ही शहर में कई वाट्सऐप ग्रुप के एडमिन सचेत हो गये थे। उन्होंने (एडमिन) अयोध्या मामले में शीर्ष अदालत के फैसले से कई घंटों पहले ही अपने ग्रुप की सेटिंग बदलकर इस तरह कर दी थी कि केवल वे ही अपने समूह में सन्देश भेज सकें।
अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के मद्देनजर राजस्थान के कई जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को शनिवार को एहतियातन बंद कर दिया गया। जयपुर संभाग के आयुक्त के सी वर्मा ने बताया कि जयपुर, अलवर एवं सीकर जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवा को एहतियातन चौबीस घंटे के लिए बंद कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि मोबाइल इंटरनेट सेवा रविवार सुबह दस बजे तक बंद रहेगी।
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#Ayodhya Verdict : ये है वो शख्स जिसने 29 साल अकेले राम मंदिर के पत्थर तराशे, लेकिन फैसले से 4 महीने पहले छोड़ दी दुनिया
अयोध्या विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन रामलला और सुन्नी वक्फ बोर्ड को वैकल्पिक जगह ने की बात कही. ऐसे में हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो वर्षों से अकेले राम मंदिर की कार्यशाला में मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों पर नक्काशी कर रहा था, लेकिन सुप्रिम कोर्ट के फैसले से 4 महीने पहले ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
अयोध्या की राम मंदिर की कार्यशाला मेंअकेले मंदिर के पत्थरों को तराशने वाले इस शख्स का नाम था रजनीकांत सोमपुरा. बताते हैं कि कभी राम मंदिर के पत्थरों को तराशने और इनपर चित्रकारी करने के लिए 150 मजदूर रखे गए थे, जिसमें रजनीकांत भी शामिल थे. लेकिन कोर्ट में फैसले को लेकर हो रही देरी के बीच मजदूरों ने काम भी छोड़ दिया. रजनीकांत साल 1990 में 21 साल की आयु में अपने ससुर अनुभाई सोनपुरा के साथ गुजरात से अयोध्या आए थे.
मिली जानकारी के मुताबिक राम मंदिर निर्माण के लिए तराशे जाने वाले पत्थरों के प्रति रजनीकांत का लगाव इतना था कि कई बार ढाई फीट के पत्थर को तराशने और इसपर नक्काशी करने में उन्हें दो महीने तक लग जाते थे. लेकिन जुलाई में रजनीकांत के निधन के बाद से ही अयोध्या में पत्थरों को तराशने का काम बंद हो गया.
रजनीकांत के ससुर अनुभाई ने बताया कि रजनीकांत आखिरी शख्स थे जिसने अपनी आखिरी सांस तक अयोध्या में मंदिर के पत्थरों को तराशने का काम किया.
एक अधिकारी के मुताबिक, 1990 के दशक में राम मंदिर कार्यशाला में 125 मजदूर काम करते थे, लेकिन बाद में यह संख्या 50 तक ही रह गई. साल 2007 में एक वक्त ऐसी स्थिति आई की कार्यशाला में पत्थरों को तराशने का काम कुछ वक्त के लिए रोकना पड़ा, हालांकि 2011 में काम दोबारा शुरू कराया गया.
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पहले राम मंदिर, फिर सरकार, अयोध्या पर फैसले के बाद बोली शिवसेना
मुंबई: शिवसेना ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने से पहले मंदिर निर्माण का नारा दिया है.शिवसेना नेता संजय राउत ने राम मंदिर पर फैसला आने के बाद ट्वीट किया है और लिखा है कि पहले मंदिर फिर सरकार.अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है और विवादित जमीन पर रामलला का हक माना है. कोर्ट के इस फैसले से राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है और कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस संबंध में तीन महीने के अंदर एक ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है.
शिवसेना नेता संजय राउत ने राम मंदिर पर फैसला आने के बाद ट्वीट किया है. इस ट्वीट में संजय राउत ने लिखा, 'पहले मंदिर फिर सरकार!!! अयोध्या में मंदिर, महाराष्ट्र में सरकार…जय श्रीराम!!!
महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन में टूट!
बता दें कि महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन टूट की कगार पर खड़ा है, जिसके चलते 24 अक्टूबर को चुनाव नतीजे आने के बाद से अब तक सरकार नहीं बन पाई है. अब शिवसेना ने सरकार गठन की लड़ाई को नया मोड़ दे दिया है और साफ कह दिया है कि पहले राम मंदिर बनेगा, फिर महाराष्ट्र में सरकार बनेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर फैसला देते हुए कहा है कि विवादित जमीन पर मुस्लिम पक्ष अपना हक साबित नहीं कर पाया है. ये कहते हुए कोर्ट ने विवादित जमीन पर रामलला का हक माना है और केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर एक ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है, जो राम मंदिर निर्माण से लेकर बाकी सभी काम देखेगा. जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में किसी दूसरी जगह मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया है.
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मोहन भागवत बोले, जीत-हार की दृष्टि से फैसले को नहीं देखा जाए
मोहन भागवतः हम फैसले का स्वागत करते हैंसुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से देश की जनभावना और आस्था को न्याय देने वाले फैसले का संघ स्वागत करता है. उन्होंने कहा कि इस लंबी प्रक्रिया में राम जन्मभूमि से संबंधित सभी पक्षों को धैर्य से सुना गया है.
सभी पक्षों के वकीलों का हम अभिनंदन करते हैं और बलिदानियों को प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि सरकार और आम लोगों की ओर से किए गए प्रयासों का अभिनंदन करते हैं. जय और पराजय की दृष्टि से इस फैसले को नहीं देखना चाहिए.
संघ आंदोलन करने वाला संगठन नहींः भागवतअयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद क्या संघ काशी और मथुरा में भी ऐसे ही आंदोलन करेगा, इस पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ आंदोलन करने वाला संगठन नहीं है. वह इंसान सृष्टि करने वाला संगठन है.
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आमिर खान अपनी फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' के अगले शेड्यूल की शूटिंग के लिए पंजाब हुए रवाना
बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान ने हाल ही में अपनी आने वाली फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' के मोशन पोस्टर को जारी किया था. जिस पर फैंस द्वारा बेहद अच्छा रिस्पांस देखने मिला. ऐसे में फिल्म के पहले शेड्यूल की शूटिंग रैप करने के आमिर खान ने पंजाब की तरफ अपना रुख किया है, जहां वह फिल्म का अगला शेड्यूल शुरू करने वाले हैं.
चंडीगढ़ और अमृतसर अगले दो लोकेश हैं, जहां फिल्म की आगे की शूटिंग होने वाली है. बात दें कि फिल्म के पहले शेड्यूल की शूटिंग को पिछले हफ्ते की शुरुआत में ही शुरू कर दिया गया था. हालांकि, आने वाले दिनों में फिल्म की शूटिंग भारत मे मौजूद 100 लोकेशन्स पर भी होने वाली है.
पहले शेड्यूल से पहले, आमिर खान की मां ज़ीनत हुसैन ने मुहूर्त क्लैप बजाकर प्रोडक्शन शुरू करने का मौका दिया क्योंकि यह एक्टर के लिए सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है.
फिल्म में एक्टर पंजाबी की भूमिका निभा रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने बड़े पैमाने पर अपने शरीर में बदलाव किया है.
अतुल कुलकर्णी द्वारा लिखित, फिल्म अद्वैत चंदन द्वारा निर्देशित है, जिसे वायाकॉम 18 स्टूडियो और आमिर खान प्रोडक्शंस द्वारा निर्मित किया जाएगा. फिल्म क्रिसमस 2020 के दौरान सिनेमाघरों में रिलीज होने की उम्मीद है.
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Kartarpur Corridor Inauguration :PM मोदी ने भारत की भावनाओं के सम्मान के लिए इमरान खान को कहा शुक्रिया
गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करतारपुर कॉरिडोर देश को समर्पित किया. यह कॉरिडोर पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के नरोवाल जिले में स्थित करतारपुर के गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत में पंजाब के गुरदासपुर जिला स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ेगा. करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब को सिख श्रद्धालु गुरु नानक देव की कर्मस्थली के रूप में देखते हैं, जहां उन्होंने अपने जीवन के अंतिम तकरीबन 17-18 साल बिताए थे.
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डेरा बाबा नानक में कहा कि करतारपुर कॉरिडोर को कम वक्त में तैयार करने के लिए मैं इमरान खान को धन्यवाद देता हूं. उन्होंने कहा कि मैं पाकिस्तान के श्रमिक साथियों का भी आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने इतनी तेजी से अपनी तरफ के कॉरिडोर को पूरा करने में मदद की.
उन्होंने कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि मैं आज देश को करतारपुर साहिब कॉरिडोर समर्पित कर रहा हूं. जैसी अनुभूति आप सभी को कार सेवा के समय होती है, वही, मुझे इस वक्त हो रही है. मैं आप सभी को, पूरे देश को, दुनिया भर में बसे सिख भाई-बहनों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं.
करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद सिख श्रद्धालु गुरुद्वारा दरबार साहिब में खुला दर्शन कर सकेंगे. इससे पहले उन्हें करतारपुर साहिब पहुंचने के लिए वीजा लेकर तकरीबन 125 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी और जो लोग वहां नहीं जा पाते थे वे दूरबीन के जरिये गुरुद्वारा दरबार साहिब का दर्शन करते थे, जो पाकिस्तान के साथ लगने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगाया गया है. इसे भारत पाकिस्तान संबंधों को पटरी पर लाने की दिशा महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है.
आपको बता दें कि पहले जत्थे में 575 श्रद्धालु दरबार साहिब जाएंगे, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल हैं. ये शनिवार सुबह रवाना होंगे और शाम तक लौट आएंगे. साथ ही करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेने के लिए पंजाब कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू भी पाकिस्तान जाएंगे, जिसके लिए उन्हें अनुमति मिल गई है. उन्हें तीसरी बार विदेश मंत्रालय को खत लिखे जाने के बाद यह अनुमति मिली.
वहीं करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन से पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि 9 और 12 नवंबर को करतारपुर साहिब की यात्रा करने वाले भारतीय श्रद्धालुओं से 20 डालर की सर्विस फीस नहीं वसूली जाएगी.
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अयोध्या फैसले पर बोला बॉलीवुड, हिंदू-मुस्लिम एकता से बनता है महान भारत
स्वरा भास्कर ने अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए सिर्फ लक्ष्मणाचार्य की लिखी रामायण के एक भजन की दो लाइने लिखीं.
अयोध्या विवाद पर फैसला आने से चंद मिनट पहले बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने ट्वीट कर लोगों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की. स्वरा भास्कर ने अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए भजन की दो लाइने लिखीं.
उन्होंने लिखा, "रघुपति राघव राजा राम.. सब को सन्मति दे भगवान।" जिसका अर्थ है कि ईश्वर सभी को सदबुद्धि दे. ये भजन दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन था.
https://twitter.com/ReallySwara/status/1192915071577407488
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर ने भी इसी क्रम में ट्वीट करके लोगों ने अयोध्या पर फैसला आने के बाद लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. अनुपम खेर ने लिखा, "अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम। सबको सम्मति दे भगवान।"
https://twitter.com/AnupamPKher/status/1193018711210373120
https://twitter.com/narendramodi/status/1192848704945844224
अनुपम खेर के ट्वीट का भी लोगों ने विरोध किया है और उन पर आरोप लगाया है कि वह सरकार के खिलाफ कभी नहीं बोलते हैं. बता दें कि शनिवार (9 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट सालों से लटके हुए अयोध्या मामले पर फैसला सुना रही है. इस मामले को लेकर तमाम राजनेता और बॉलीवुड सेलिब्रिटी ट्वीट करके शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं.
कंगना रनौत ने भी ट्वीट किया है और लिखा है कि AYODHYAVERDICT से पता चलता है कि हम सभी कैसे शांति से इस देश में रहते हैं. हमारे महान देश की यही सुंदरता है और मैं हर किसी से इस बात का आनंद लेने का आग्रह करती हूं कि हम 'विविधता में एकता' को इसी तरह परिभाषित करते रहे.
https://twitter.com/FarOutAkhtar/status/1193032594322968576
https://twitter.com/anubhavsinha/status/1193016804198641664
पीएम मोदी ने की शांति की अपील-
अनुपम खेर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस ट्वीट को भी रीट्वीट किया है जिसमें उन्होंने लोगों से शांति की अपील की थी. पीएम ने अपने ट्वीट में लिखा, "अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा, वो किसी की हार-जीत नहीं होगा. देशवासियों से मेरी अपील है कि हम सब की यह प्राथमिकता रहे कि ये फैसला भारत की शांति, एकता और सद्भावना की महान परंपरा को और बल दे."
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'पानीपत' में अहमद शाह अब्दाली के नेगेटिव चित्रण पर अफगान दूतावास ने जताई चिंता
अर्जुन कपूर और संजय दत्त स्टारर 'पानीपत' का ट्रेलर हाल ही में रिलीज हुआ है. फिल्म में संजय, अफगान शासक अहमद शाह अब्दाली के किरदार में हैं. और इसके ट्रेलर में उनके किरदार की झलक बेहद शानदार नजर आई है. जिसे लेकर संजय के फैंस उनकी बेहद तारीफ कर रहे हैं. लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान के दूतावास को लगता है कि फिल्म 'पानीपत' अब्दाली के किरदार से गलत संदेश दे रही है और इसलिए उन्होंने अपनी चिंताओं को व्यक्त करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्रालय को पत्र लिखा है.
मंत्रालय को लिखे पत्र में दूतावास ने कहा कि अफगान शासक अब्दाली के गलत चित्रण से अफगानिस्तान के नागरिकों की भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है. जिसका असर दोनों देशों के बीच भी पड़ सकता है. इसके अलावा भारत में अफगानिस्तान के पूर्व राजदूत डॉ शैदा अब्दाली ने भी एक ट्वीट कियाकरते हुए अपनी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने संजय को संबोधित करते हुए लिखा कि 'ऐतिहासिक रूप से भारतीय सिनेमा ने भारत-अफगान रिश्तों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. मुझे बहुत उम्मीद है कि फिल्म 'पानीपत' ने इस तथ्य को ध्यान में रखा होगा'. हालांकि अभी संजय की ओर से इसका कोई उत्तर नहीं आया है.
https://twitter.com/ShaidaAbdali/status/1191392073695539201
बताते चले कि फिल्म में अर्जुन सदाशिव राव भाऊ की भूमिका निभा रहे हैं. उन्होंने पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठा सेना के सरदार सेनापति के रूप में अहमद शाह अब्दाली के साथ साल 1761 को हुई 'पानीपत' की तीसरी लड़ाई में हिस्सा लिया था. फिल्म में संजय, अर्जुन और कृति सेनन के अलावा दिग्गज कलाकार जीनत अमान और पद्मिनी कोल्हापुरी भी अहम भूमिका में दिखेंगी. फिल्म 'पानी���त' 6 दिसंबर 2019 को रिलीज हो रही है.
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अयोध्या में राम मंदिर भी बनेगा, मस्जिद भी बनेगी, पढ़िए अयोध्या पर फैसले की बड़ी बातें
AyodhyaVedict: सत्य और तथ्य की जीत- हिन्दू पक्षना तेरी जीत न मेरी हार है ये फैसला हमें स्वीकार है- मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देशभर में हिन्दू और मुस्लिमों में ख़ुशी का माहौल
देश के सबसे पुराने केस में से एक अयोध्या विवाद पर फैसला आ गया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया है. अयोध्या में रामजन्मभूमि न्यास को विवादित जमीन दी गई है. साथ ही मुस्लिम पक्ष को अलग जगह जमीन देने का आदेश दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है.
फैसले की बड़ी बातें
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, मंदिर का रास्ता साफ
विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को मिलेगी
सुन्नी वक्फ को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन मिलेगी
निर्मोही अखाड़े और शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज
पक्षकार गोपाल विशारद को मिला पूजा-पाठ का अधिकार
तीन महीने में केंद्र सरकार करेगी मंदिर ट्रस्ट का गठन
राम मंदिर निर्माण की रूपरेखा तैयार करेगा नया ट्रस्ट
मुस्लिम पक्ष को जमीन देने की जिम्मेदारी योगी सरकार की
आस्था और विश्वास पर नहीं, कानून के आधार पर फैसला
अपना एकाधिकार सिद्ध नहीं कर पाए मुसलमान
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि दस्तावेज़ों से पता चलता है कि 1885 से पहले हिन्दू अंदर पूजा नहीं करते थे. बाहरी अहाता में रामचबूतरा सीता रसोई में पूजा करते थे. 1934 में दंगे हुए. उसके बाद से मुसलमानों का एक्सक्लुसिव अधिकार आंतरिक अहाते में नहीं रहा. मुसलमान उसके बाद से अपना एकाधिकार सिद्ध नहीं कर पाए. हिन्दू निर्विवाद रूप से बाहर पूजा करते रहे. 6 दिसंबर 1992 को मस्जिद का ढांचा ढहा दिया गया. रेलिंग 1886 में लगाई गई.
इस संवैधानिक पीठ ने सुनाया फैसला
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया. इस पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने फैसला सुनाया. खास बात है कि यह फैसला पांचों जजों की सर्वसम्मति से सुनाया गया है.
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#AYODHYAVERDICT : सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ज़फ़रयाब गिलानी ने SC के फैसले पर जताई नाराजगी, कहा- सहमत नहीं, चुनौती देंगे
देश के सबसे लंबे चले मुकदमे यानी अयोध्या विवाद पर देश की सबसे बड़ी अदालत का फैसला आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित जमीन रामलला की है. कोर्ट ने इस मामले में निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि तीन पक्ष में जमीन बांटने का हाई कोर्ट फैसला तार्किक नहीं था.
वहीं कोर्ट ने फैसला किया है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन दी जाए. हालांकि वह सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से खुश नहीं है. मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर नाराजगी जाहिर की है.
https://twitter.com/ANI/status/1193046585841569792
जफरयाब जिलानी ने कहा,''सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट फैसले को चुनौती देगा. मैं फैसले से सहमत नहीं हूं.''
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने में ट्र्स्ट बना कर फैसला करे. ट्रस्ट के मैनेजमेंट के नियम बनाए, मन्दिर निर्माण के नियम बनाए. विवादित जमीन के अंदर और बाहर का हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाए.'' मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन मिले या तो केंद्र 1993 में अधिगृहित जमीन से दे या राज्य सरकार अयोध्या में ही कहीं दे.
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#AYODHYAVERDICT : यहां पढ़ें 1528 से लेकर आज तक अयोध्या भूमि विवाद में क्या-क्या हुआ ?
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट अपना बहुप्रतीक्षित फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने संविधान पीठ ने 16 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई पूरी की थी. मामले का घटनाक्रम इस प्रकार है-
1528 : मुगल बादशाह बाबर के कमांडर मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया.
1885 : महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर कर विवादित ढांचे के बाहर शामियाना तानने की अनुमति मांगी. अदालत ने याचिका खारिज कर दी.
1949 : विवादित ढांचे के बाहर केंद्रीय गुंबद में रामलला की मूर्तियां स्थापित की गईं.
1950 : रामलला की मूर्तियों की पूजा का अधिकार हासिल करने के लिए गोपाल सिमला विशारद ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर की.
1950: परमहंस रामचंद्र दास ने पूजा जारी रखने और मूर्तियां रखने के लिए याचिका दायर की.
1959 : निर्मोही अखाड़ा ने जमीन पर अधिकार दिए जाने के लिए याचिका दायर की.
1981 : उत्तरप्रदेश सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने स्थल पर अधिकार के लिए याचिका दायर की.
1 फरवरी 1986 : स्थानीय अदालत ने सरकार को पूजा के मकसद से हिंदू श्रद्धालुओं के लिए स्थान खोलने का आदेश दिया.
14 अगस्त 1986 : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित ढांचे के लिए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया.
6 दिसम्बर 1992 : रामजन्मभूमि – बाबरी मस्जिद ढांचे को ढहाया गया.
3 अप्रैल 1993 : विवादित स्थल में जमीन अधिग्रहण के लिए केंद्र ने ‘अयोध्या में निश्चित क्षेत्र अधिग्रहण कानून’ पारित किया. अधिनियम के विभिन्न पहलुओं को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कई रिट याचिकाएं दायर की गईं. इनमें इस्माइल फारूकी की याचिका भी शामिल. सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 139-ए के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर ��िट याचिकाओं को स्थानांतरित कर दिया जो ��च्च न्यायालय में लंबित थीं.
24 अक्टूबर 1994 : सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक इस्माइल फारूकी मामले में कहा कि मस्जिद इस्लाम से जुड़ी हुई नहीं है.
अप्रैल 2002 : उच्च न्यायालय में विवादित स्थल के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू.
13 मार्च 2003 : सुप्रीम कोर्ट ने असलम उर्फ भूरे मामले में कहा- अधिग्रहीत स्थल पर किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं है.
30 सितम्बर 2010 : सुप्रीम कोर्ट ने 2 : 1 बहुमत से विवादित क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया.
9 मई 2011 : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या जमीन विवाद में उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगायी.
26 फरवरी 2016 : सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाए जाने की मांग की.
21 मार्च 2017 : सीजेआई जे एस खेहर ने संबंधित पक्षों के बीच अदालत के बाहर समाधान का सुझाव दिया.
7 अगस्त : सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय पीठ का गठन किया जो 1994 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.
8 अगस्त : उत्तरप्रदेश शिया केंद��रीय वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि विवादित स्थल से उचित दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में मस्जिद बनाई जा सकती है.
11 सितम्बर : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया कि दस दिनों के अंदर दो अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति करें जो विवादिस्त स्थल की यथास्थिति की निगरानी करे.
20 नवम्बर : यूपी शिया केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मंदिर का निर्माण अयोध्या में किया जा सकता है और मस्जिद का लखनऊ में.
1 दिसम्बर : इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले को चुनौती देते हुए 32 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने याचिका दायर की.
8 फरवरी 2018 : सिविल याचिकाओं पर ने सुनवाई शुरू की.
14 मार्च 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी की याचिका सहित सभी अंतरिम याचिकाओं को खारिज किया.
6 अप्रैल 2018 : राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 1994 के फैसले की टिप्पणियों पर पुनर्विचार के मुद्दे को बड़े पीठ के पास भेजने का आग्रह किया.
छह जुलाई 2018 : यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कुछ मुस्लिम समूह 1994 के फैसले की टिप्पणियों पर पुनर्विचार की मांग कर सुनवाई में विलंब करना चाहते हैं.
20 जुलाई 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा.
27 सितम्बर 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष भेजने से इंकार किया. मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर को तीन सदस्यीय नयी पीठ द्वारा किए जाने की बात कही.
29 अक्टूबर 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई उचित पीठ के समक्ष जनवरी के पहले हफ्ते में तय की जो सुनवाई के समय पर निर्णय करेगी.
12 नवम्बर 2018 : अखिल भारत हिंदू महासभा की याचिकाओं पर जल्द सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इंकार.
चार जनवरी 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मालिकाना हक मामले में सुनवाई की तारीख तय करने के लिए उसके द्वारा गठित उपयुक्त पीठ दस जनवरी को फैसला सुनाएगी.
आठ जनवरी 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन किया जिसकी अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई करेंगे और इसमें न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एन वी रमन्ना, न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ शामिल होंगे.
दस जनवरी 2019 : न्यायमूर्ति यू यू ललित ने मामले से खुद को अलग किया जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 29 जनवरी को नयी पीठ के समक्ष तय की.
25 जनवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का पुनर्गठन किया. नयी पीठ में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर शामिल थे.
26 फरवरी 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का सुझाव दिया और फैसले के लिए पांच मार्च की तारीख तय की जिसमें मामले को अदालत की तरफ से नियुक्त मध्यस्थ के पास भेजा जाए अथवा नहीं इस पर फैसला लिया जाएगा.
आठ मार्च 2019 :सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए विवाद को एक समिति के पास भेज दिया जिसके अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला बनाए गये.
नौ अप्रैल 2019 : निर्मोही अखाड़े ने अयोध्या स्थल के आसपास की अधिग्रहीत जमीन को मालिकों को लौटाने की केन्द्र की याचिका का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया.
10 मई 2019 : मध्यस्थता प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 15 अगस्त तक समय बढ़ायी.
11 जुलाई 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने “मध्यस्थता की प्रगति” पर रिपोर्ट मांगी.
18 जुलाई 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति देते हुए एक अगस्त तक परिणाम रिपोर्ट देने के लिये कहा.
एक अगस्त 2019 : मध्यस्थता की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को दी गयी.
दो अगस्त 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता नाकाम होने पर छह अगस्त से रोजाना सुनवाई का फैसला किया.
छह अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना के आधार पर भूमि विवाद पर सुनवाई शुरू की.
चार अक्टूबर 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 17 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी कर 17 नवंबर तक फैसला सुनाया जाएगा. उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को सुरक्षा प्रदान करने के लिये कहा.
16 अक्टूबर 2019 : सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा.
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#AYODHYAVERDICT : फैसले से पहले बोले बाबा रामदेव, हिंदू के लिए ना मुसलमान के लिए, जीयें हिंदुस्तान के लिए…
अयोध्या विवाद के फैसले से पहले आज योग गुरू बाबा रामदेव ने आम लोगों से सद्भावना की अपील करते हुए कहा कि हिंदू के लिए ना मुसलमान के लिए, जीयें हिंदुस्तान के लिए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला चाहे जो भी आये, वह सबके लिए स्वीकार्य होना चाहिए. बाबा रामदेव ने कहा कि हमारी संस्कृति ही सर्वधर्म सद्भाव की रही है.
बाबा रामदेव ने कहा कि हम बचपन से ही यह गाते आये हैं कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखन��, इसलिए मुझे पूरी उम्मीद है कि जनता सद्भाव रखेगी और कोर्ट के फैसले को स्वीकार करेगी. बाबा रामदेव ने कहा कि देश में शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए यह जरूरी है कि जनता संयम रखे और फैसले को स्वीकार करे.
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#AYODHYAVERDICT : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सद्भाव का माहौल बनाए रखने की अपील की
दो दिवसीय दौरे पर वाल्मीकि नगर पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अयोध्या मामले पर कहा है कि सभी को सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानना चाहिए. यह मामला काफी दिनों से चल रहा था. साथ ही उन्होंने सौहार्द पूर्वक वातावरण बनाये रखने की अपील की.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जल संसाधन मंत्री संजय झा ने शनिवार को प्रभात खबर की ओर से प्रस्तुत ‘मैं हूं बेतिया’ किताब का विमोचन किया.
इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रभात खबर के प्रयास की सराहना की. उन्होंने कहा कि यह पुस्तक चंपारण के ऐतिहासिक व दार्शनिक स्थलों, इतिहास पर्यटन आदि को समेटे हुए हैं. उन्होंने प्रभात खबर की टीम को बधाई दी और आगे भी इस तरह के प्रयास करने के सुझाव दिये.
मौके पर कमिश्नर पंकज कुमार, डीआईजी ललन मोहन प्रसाद, डीएम डॉ नीलेश रामचंद्र देवरे, एसपी राजीव रंजन, विधायक धीरेंद्र प्रताप उर्फ रिंकू सिंह समेत अन्य मौजूद रहे. मालूम हो कि मैं हूं बेतिया किताब पश्चिम चंपारण के विभिन्न ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों, महत्वपूर्ण जानकारियों, टेलीफोन डायरेक्टरी आदि पर केंद्रित किताब है.
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गांधी परिवार से SPG सिक्योरिटी छीनने पर कांग्रेस का प्रहार- अटल जी ने दिलाई थी सुरक्षा
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके पुत्र राहुल गांधी और पुत्री प्रियंका गांधी वाड्रा को प्राप्त विशेष सुरक्षा दल (एसपीजी) के सुरक्षा घेरे से बाहर करने के केन्द्र सरकार के फैसले को राजनीत��क प्रतिशोध से प्रेरित बताते हुये शुक्रवार को पार्टी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को राजनीतिक प्रतिशोध में कुछ नहीं दिख रहा है और सरकार इन नेताओं की ज़िंदगी से खिलवाड़ कर रही है।
कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘एसपीजी सुरक्षा वापस ले कर सरकार, सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका की ज़िंदगी से खिलवाड़ कर रही है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को निजी बदले की भावना के चलते कुछ नजर नहीं आ रहा है, इसलिये गांधी परिवार से राजनीतिक प्रतिशोध के चलते एसपीजी सुरक्षा वापस ली गई है।
अति विशिष्ट लोगों को प्राप्त एसपीजी सुरक्षा कवच की समीक्षा के आधार पर गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा वापस लेने के इस फैसले के बाद राहुल गांधी के दिल्ली में तुगलक लेन स्थित 12 नंबर सरकारी बंगले से एसपीजी का सुरक्षा घेरा हट गया और इसकी जगह केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के सुरक्षा दस्ते ने ले ली।
प्राप्त जाकारी के मुताबिक सोनिया गांधी के दस जनपथ स्थित आवास पर भी सीआरपीएफ के सुरक्षा दस्ते की तैनाती शुरु होने के साथ ही एसपीजी का स्थान लेने की कवायद शुरु हो गयी। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी की एसपीजी सुरक्षा वापस लिये जाने के फैसले को चौंकाने वाला बताते हुये कहा कि यह कदम बदले की भावना के कारण उठाया गया। उन्होंने कहा कि इस फैसले से गांधी परिवार सुरक्षा संकट के दायरे में आ गया है।
शर्मा ने कहा, ‘‘यह भूलना नहीं चाहिये कि इस परिवार के दो सदस्य, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आतंकी हमले में जान गयी थी। परिवार को सुरक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है, एसपीजी सुरक्षा कवच किसी का अहसान नहीं है।’’ उन्होंने दलील दी कि संप्रग सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सुरक्षा कवच कभी नहीं हटाया और यह उनका निधन होने तक मोदी सरकार में भी बरकरार रहा।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने भी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके पुत्र और पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी एवं बेटी प्रियंका गांधी को मिला एसपीजी का सुरक्षा घेरा हटाये जाने के सरकार के फैसले को बदले की कार्रवाई बताते हुये कहा कि भाजपा निजी तौर पर बदला लेने के स्तर पर उतर आयी है।
पटेल ने कहा ‘‘भाजपा आतंकवादी हिंसा में जान गंवाने वाले दो पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के परिवार की सुरक्षा से समझौता कर रही है।’’ उल्लेखनीय है कि लगभग तीन हजार सुरक्षार्किमयों के दस्ते वाली एसपीजी की सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी को प्राप्त है। गांधी परिवार के तीनों सदस्यों को अब सीआरपीएफ के सुरक्षा कवच वाली जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा मिलेगी। गांधी परिवार को अतिविशिष्ट लोगों को मिलने वाला एसपीजी सुरक्षा कवच 28 साल से मिला हुआ था।
श्रीलंका के तमिल आतंकवादी संगठन लिट्टे द्वारा 21 मई 1991 को किये गये हमले का शिकार हुए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के परिजनों की एसपीजी सुरक्षा हटाये जाने के फैसले के बारे में सरकार की ओर से दलील दी गयी है कि विस्तृत समीक्षा के बाद यह निर्णय किया गया है।
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