Tumgik
जब तक।
तमाम उम्र जब किसी का इंतजार करो, फिर बाद में वो केहते है कि हमे रिहा करो।
रात भी अब हमदर्द हो गई मेरी,तोफा देदिया अच्छि नींदों का।
पंख ना दिए तूने खुदा, चला जाता कही दूर,लो आसान हो गया उड़ना परिंदो का।
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