Tumgik
#Contentsofcharge
laweducation · 11 months
Text
आरोप की परिभाषा एंव उसकी अन्तर्वस्तु का उल्लेख । संयुक्त आरोप किसे कहते है
आरोप सामान्य परिचय - आरोप (charge) एक सामान्य शब्द है जो हमारी दिन प्रतिदिन की आम भाषा में भी शामिल है, जब भी हमसे कोई विवादित कार्य अथवा बात होती है तब हम उस बात या कार्य का दोष किसी अन्य व्यक्ति पर मढ़ने लगते है, अथवा किसी व्यक्ति की शिकायत पुलिस या किसी अन्य से करते है, उस स्थिति में यह माना जाता है कि हमारे द्वारा उस व्यक्ति पर आरोप लगाया जा रहा है जबकि यह इसका वास्तविक रूप नहीं है| आरोप की परिभाषा क्या है | Definition of allegation दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 2(ख) में आरोप शब्द को परिभाषित किया गया है, लेकिन यह ना तो शाब्दिक परिभाषा है और ना ही अर्थबोधक है। इसके अनुसार - “आरोप के अन्तर्गत, जब आरोप में एक से अधिक शीर्ष हों, आरोप का कोई भी शीर्ष है।" वस्तुतः आरोप से तात्पर्य ऐसे लिखित कथन से है, जिसे किसी अपराध के सम्बन्ध में अभियुक्त व्यक्ति के विरुद्ध लगाया जाता है और उसे अपराध की पूर्ण जानकारी देता है। आसान शब्दों में यह कहा जा सकता है कि, आरोप अभियुक्त व्यक्ति के विरुद्ध अपराध की जानकारी का ऐसा लिखित कथन होता है जिसमें आरोप के आधारों के साथ-साथ, समय, स्थान, व्यक्ति एवं वस्तु का उल्लेख भी रहता है जिसके बारे अपराध कारित किया गया है। आरोप की अन्तर्वस्तु - सीआरपीसी, 1973 की धारा 211 में आरोप की अन्तर्वस्तुओं (Contents) का वर्णन किया गया है, आरोप की अन्तर्वस्तु से तात्पर्य उन बातों से है, जिनका उल्लेख आरोप में किया जाना होता है। यानि आरोप में निम्नांकित मुख्य बातों का उल्लेख किया जाना चाहिए - (क) प्रत्येक आरोप में उस अपराध का उल्लेख किया जाना आवश्यक है जिसका कि अभियुक्त पर आरोप है। (ख) यदि विधि के अन्तर्गत उस अपराध को कोई नाम दिया जा सकता है तो आरोप में उसका नाम दिया जायेगा, जैसे- चोरी, लूट, हत्या, बलात्संग आदि। (ग) यदि अपराध को विधि के अन्तर्गत कोई नाम नहीं दिया गया है तो आरोप में उस अपराध की ऐसी परिभाषा दी जायेगी जिससे अभियुक्त व्यक्ति को यह सूचना या जानकारी हो जाये कि उस पर क्या आरोप है। (घ) आरोप में उस विधि एवं धारा का उल्लेख भी किया जाना अपेक्षित है। जिसके अन्तर्गत वह अपराध आता है। जैसे- "भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 354 के अन्तर्गत ......।" (ङ) इस कथन का कि "आरोप लगा दिया गया है" यह तात्पर्य होगा कि, आरोपित अपराध को गठित करने के लिए विधि द्वारा अपेक्षित सभी शर्ते पूरी हो गई हैं। (च) आरोप न्यायालय की भाषा में लिखा जायेगा। (छ) यदि पश्चात्वर्ती अपराध के लिए अभियुक्त की किसी पूर्व दोषसिद्धि का सहारा लिया जाना हो तो आरोप में ऐसी पूर्व दोषसिद्धि का तथ्य, तिथि और स्थान का उल्लेख किया जायेगा। चितरंजनदास बनाम स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल के मामले में न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया कि, आरोप में न तो अनावश्यक बातों को स्थान दिया जाना चाहिये और न ही न्यायालय को छोटी-छोटी तकनीकी बातों पर ध्यान देना चाहिये। (ए. आई. आर. 1963 एस. सी. 1696) त्रुटिपूर्ण आरोप का प्रभाव - सी आर पी सी, 1973 की धारा 215 में त्रुटिपूर्ण आरोप के प्रभाव का वर्णन किया गया है। इस धारा के अनुसार - "अपराध के या उन विशिष्टियों के, जिनका आरोप में कथन होना अपेक्षित है, कथन करने में किसी गलती को और उस अपराध या उन विशिष्टियों के कथन करने में किसी लोप को मामले के किसी प्रक्रम में तब ही तात्विक माना जायेगा जब ऐसी गलती या लोप से अभियुक्त वास्तव में भुलावे में पड़ गया है और उसके कारण न्याय नहीं हो पाया है, अन्यथा नहीं।" इससे यह स्पष्ट है कि यदि, त्रुटिपूर्ण आरोप यदि तात्विक है और उससे (क) अभियुक्त भुलावे में पड़ जाता है, एवं (ख) उसके साथ न्याय नहीं हो पाता है, तब वह आरोप दूषित माना जायेगा और ऐसे आरोप के आधार पर किया गया विचारण भी दूषित होगा। संयुक्त आरोप किसे कहते है What Is Joint - CrPC की धारा 223 संयुक्त आरोप के सम्बन्ध में प्रावधान करती है, इसके अनुसार निम्नांकित व्यक्तियों पर एक साथ आरोप विरचित कर उनका एक साथ विचारण किया जा सकता है - (क) वे व्यक्ति जो एक ही संव्यवहार के अनुक्रम में किये गये एक ही अपराध के अभियुक्त हो। (ख) किसी अपराध को कारित करने के लिए दुष्प्रेरित करने वाले व्यक्तियों का विचारण एक साथ किया जा सकेगा। (ग) ऐसे व्यक्ति जो एक ही वर्ष के अन्दर एक ही प्रकार के अनेक अपराधों के लिए अभियुक्त हो। (घ) ऐसे व्यक्ति जो एक ही संव्यवहार के अनुक्रम में किये गये विभिन्न अपराधों के अभियुक्त हों। (ङ) ऐसे व्यक्ति जो चोरी, अपकर्षण, छल या आपराधिक दुर्विनियोग का अपराध कारित करने के अभियुक्त हो और वे व्यक्ति जो ऐसी सम्पत्ति का कब्जा प्राप्त करने के अभियुक्त हो। इन सभी का एक साथ विचारण किया जा सकेगा। उदाहरण - तीन व्यक्तियों द्वारा मिलकर चोरी या सात व्यक्तियों द्वारा मिलकर बलवा अथवा डकैती का अपराध कारित किया जाता है। इन सभी व्यक्तियों का अपने- अपने अपराधों के लिए एक साथ विचारण किया जा सकेगा। Read More -  आरोप किसे कहते है, आरोप की अंतर्वस्तु | CrPC Chapter 17 Sec. 211-217 Read the full article
0 notes