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#सपना चौधरी प्रदर्शन प्रदर्शन कार्यक्रम
themanasranjan · 2 years
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बिग बॉस फेम सपना चौधरी कथित तौर पर एक इवेंट में परफॉर्म नहीं करने पर कानूनी मुसीबत में
बिग बॉस फेम सपना चौधरी कथित तौर पर एक इवेंट में परफॉर्म नहीं करने पर कानूनी मुसीबत में
बिग बॉस 11 फेम और लोकप्रिय हरियाणवी सिंगर और डांसर सपना चौधरी कानूनी मुसीबत में फंस गई हैं। जैसा कि ई-टाइम्स द्वारा रिपोर्ट किया गया है, सपना के खिलाफ 2018 में एक कार्यक्रम में कथित रूप से प्रदर्शन नहीं करने के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है, जिसके लिए उसे पहले ही भुगतान किया जा चुका है। कथित तौर पर, गायक को अब आने वाले दिनों में लखनऊ के एसीजेएम कोर्ट में पेश किया जाएगा। मामले से संबंधित…
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lok-shakti · 2 years
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शो से पहले कमरे में कैसे देखें?
शो से पहले कमरे में कैसे देखें?
सोशल मीडिया पर कोहराम मचा रहे हैं. वीडियो में दिखाई देने वाले दृश्य दिखाई देने लगे हैं I बार-बार होने की स्थिति में आने वाले संदेशों ने अपने रेडी होने से पहले का एक-एक बार डायल किया था। सोशल मीडिया पर दिखाई देने वाली किरणें दिखने को मिल रही हैं। ऐसे में अपने डेटाबेस को शेयर करना गलत है। शो के लिए ‘प्रॉपर्टी’ वर्ण क्रमांक वर्ण क्रमांक है. वीडियो की शुरुआत में पहली बार ऐसा लाइव प्रसारण दिखाई देता…
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ashokgehlotofficial · 4 years
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कोरोना संक्रमण के दौर में राज्य सरकार ने ‘कोई भूखा नहीं सोये‘ के संकल्प को पूरा करने के साथ ही जीवन बचाने एवं आजीविका के समक्ष आई चुनौती का मुकाबला करने में कोई कमी नहीं रखी। हमारा पूरा प्रयास रहेगा कि प्रदेश में कोरोना से किसी की जान नहीं जाए। इसके लिए अधिक से अधिक टेस्टिंग पर ध्यान दिया जा रहा है। राज्य सरकार का ध्येय राजस्थान को स्वास्थ्य के क्षेत्र में पूरे देश में सिरमौर बनाना है।
निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चिकित्सा शिक्षा के 37 चिकित्सा संस्थानों के भवनों के लोकार्पण एवं शिलान्यास के बाद सम्बोधित किया। करीब 300 करोड़ रूपए के लोकार्पण एवं शिलान्यास किए। इसमें 29 भवनों का लोकार्पण तथा 8 निर्माण कार्यों का शिलान्यास शामिल है।
हमारा सपना है कि प्रदेश से किसी भी व्यक्ति को इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़े। हमारे पिछले कार्यकाल के दौरान स्वास्थ्य ढांचे को मजबूती देने के लिए निशुल्क दवा योजना एवं निशुल्क जांच योजना शुरू की गई थी। कोरोना संक्रमण की शुरूआत के समय प्रदेश में कोरोना की जीरो टेस्टिंग सुविधा थी। आज प्रतिदिन 40 हजार से अधिक टेस्टिंग की सुविधा विकसित कर ली गई है, जो आगे चलकर 50 हजार तक पहुंच जाएगी। प्रदेश में 50 मरीजों का इलाज प्लाज्मा थैरेपी से करने में कामयाबी मिली है। पिछले एक साल में 15 जिलों को मेडिकल कॉलेज मिले हैं, इनको मिलाकर राजकीय क्षेत्र में 31 मेडिकल कॉलेज हो जाएंगे। हमारी मंशा है कि सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज खुलें। कोरोना संक्रमण से मुकाबला करते हुए हमने सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं विकसित करने पर जोर दिया। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं जिला अस्पतालों में उपकरण एवं चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है।
राजस्थान चिकित्सा के क्षेत्र में काफी आगे बढ़ गया है। कोरोना से मुकाबले में हमारे प्रबंधन की देशभर में सराहना हुई है। हमने कोरोना से मृत्यु दर को काफी नियंत्रण में रखा है और सारे पैरामीटर्स पर अन्य राज्यों से बेहतर प्रदर्शन किया है। कोरोना से इस जंग में सभी दलों के जनप्रतिनिधियों, धर्म गुरूओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, भामाशाहों, सरकारी मशीनरी एवं आमजन का पूरा सहयोग मिला है। लॉकडाउन के दौरान गरीब, असहाय एवं जरूरतमंद लोगों के खातों में 3500-3500 रूपए हस्तांतरित कर सरकार ने उन्हें राहत पहुंचाई है।
प्रदेशवासी अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें, सभी से कोरोना को लेकर किसी तरह की लापरवाही नहीं बरतने, भीड़ एकत्रित नहीं करने, मास्क लगाने एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि कोरोना संक्रमण की चुनौती का मुकाबला करते हुए प्रदेश में मेडिकल कॉलेजोें में सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। कोटा एवं जयपुर में प्लाज्मा बैंक स्थापित किए गए हैं और लोगों को प्लाज्मा डोनेट करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। 750 से अधिक मोबाइल ओपीडी वेन संचालित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इस सरकार के डेढ़ साल के कार्यकाल में 12,500 नर्सिंगकर्मी एवं 765 डॉक्टरों की भर्ती की जा चुकी है। 2 हजार डॉक्टरों की भर्ती अंतिम चरण में है। 6,310 सीएचओएस की भर्ती की प्रक्रिया भी शीघ्र शुरू होगी।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि प्रदेश में पिछले एक साल में स्वास्थ्य ढांचे को मजबूती देने की दिशा में उल्लेखनीय काम हुआ है। पूर्व में स्थापित 7 मेडिकल कॉलेजों के लिए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा 819 करोड़ रूपए की अतिरिक्त राशि जारी की गई है। इससे इन मेडिकल कॉलेजों एवं इनसे सम्बद्ध अस्पतालों में विभिन्न सुविधाओं का विकास हो सकेगा।
वीसी की शुरूआत में चिकित्सा शिक्षा सचिव श्री वैभव गाल��िया ने कहा कि पिछले एक वर्ष में विभाग ने कई आयाम स्थापित किए हैं। उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेजों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की 961 अतिरिक्त सीटें मिली हैं, जिनमें से 861 सीटों पर प्रवेश प्रक्रिया शीघ्र शुरू हो जाएगी। स्नातक में 650 सीटों की बढ़ोतरी हुई है।
कार्यक्रम में ऊर्जा एवं जलदाय मंत्री डॉ. बीडी कल्ला भी उपस्थित थे। सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल आंजना, वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री सुखराम विश्नोई, श्रम राज्य मंत्री श्री टीकाराम जुली, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष श्री राजेन्द्र राठौड़, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री पीपी चौधरी, जालौर सांसद श्री देवजी पटेल, झालावाड़ सांसद श्री दुष्यंत सिंह, बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद श्री कनकमल कटारा सहित कई सांसद-विधायक एवं विभिन्न दलों के जनप्रतिनिधि वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जुडे रहे। वीसी में 20 जिलों से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं चिकित्सक भी जुड़े।
चिकित्सा शिक्षा संस्थानों के निम्न भवनों का लोकार्पण हुआ
क्र.सं. कार्य का नाम लागत
(करोड़ रू. में)
1. एसएमएस मेडिकल कॉलेज में परीक्षा कक्ष 7.90
2. आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर-जूनियर बॉयज हॉस्टल, लेक्चर थिएटर ब्लॉक, ओपीडी एवं इंवेस्टिगेशन एकीकृत ब्लॉक, सीनियर रेजिडेंट हॉस्टल 61.36
3. मेडिकल कॉलेज अजमेर-आपातकालीन ब्लॉक (कार्डियोलॉजी विभाग) 0.63
4. एमजी हॉस्पिटल भीलवाड़ा 16.00
5. मेडिकल कॉलेज, डूंगरपुर-नया भवन, रेजिडेंट हॉस्टल, नर्सेज हॉस्टल 71.00
6. कोविड-19 जांच-19 माइक्रोबॉयोलॉजी लैब 46.71
कुल 203.60
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सेंसर बोर्ड से कहा, जनवरी से हर अश्लील भोजपुरी फिल्म का विरोध
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श्री प्रसून जोशी जी,  अध्यक्ष, भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड
व श्री वामन केंद्रे, श्री नरेंद्र कोहली, सुश्री विद्या बालन , श्री विवेक अग्निहोत्री , श्री रमेश पतंगे सुश्री गौतमी तादिमल्ला, श्री टी एस नागभरन, सुश्री वाणी त्रिपाठी टिक्कू , सुश्री जीविता राजशेखर, श्री  मिहिर भुत्ता , श्री नरेश चन्दर लाल, श्री नील हर्बर्ट नोंगकिनरिह  माननीय सदस्यगण, भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड
तथा  श्री तुषार करमरकर , रीजनल ऑफिसर , भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड, मुंबई
निवेदन : भोजपुरी फिल्मों के प्रमाणन में नियमों का सख्ती से पालन हो। माना जाने लगा है कि भोजपुरी फ़िल्में अश्लीलता का पर्याय बन गयी हैं। वे स्त्रियों के प्रति होनेवाली यौन हिंसा और अनाचार-अत्याचार की घटनाएं बढ़ा रही हैं, और कला के दूसरे रूपों को भी बिगाड़ रही हैं।  भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता क्यों फ़ैली है, और कैसे रुकेगी, इसकी सम्यक जांच कराई जाए। अश्लीलता रोकने के लिए नियमों में कोई बदलाव भी जरूरी हों तो उस बारे में समुचित विचार किया जाए। इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप की जरूरत इसलिए है कि उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड के भोजपुरी क्षेत्र का कुछ हिस्सा पहले से ही अश्लीलता प्रभावित रहा है, और वहां अश्लीलता का कोई हल्का सा भी उद्रेक बड़ी विषम स्थितियां पैदा करता है। पूर्वांचल की कई पीढ़ियां पहले भी अश्लीलता के भंवर में डूबी हैं, और समय रहते हस्तक्षेप न किया गया तो आनेवाली कई पीढ़ियां आगे फिर अश्लीलता के भंवर में डूबेंगी।
सूचना: पहली जनवरी २०१९ से रिलीज़ होनेवाली हर भोजपुरी फिल्म की पूर्वांचल के जाने-माने लेखकों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समाजसेवियों और विद्वानों द्वारा इस आधार पर समीक्षा कि अश्लीलता को लेकर फिल्म में भोजपुरी समाज के मूल्यों और मानकों को ध्यान में रखा गया है कि नहीं। समीक्षा की प्रति भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को भी भेजी जाएगी। फिल्म के अश्लील पाए जाने पर विरोध।
माननीय महोदयगण,
भोजपुरी फिल्मों की मौजूदा छवि से आप सभी वाकिफ ही होंगे। उन्हें अश्लीलता, अभद्रता, फूहड़ता, भ्रष्टता का पर्याय कहा जाने लगा है। समाज के एक बड़े वर्ग ने इन फिल्मों को देखना ही छोड़ दिया है, और जो देख भी रहे हैं, वे परिवार के साथ बैठ कर इन्हें नहीं देख सकते। अधिकांश फिल्मों में औरत को केवल देह, वस्तु के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। फिल्मों ने मनोरंजन के दूसरे माध्यमों को भी प्रभावित किया है , और सबने मिल कर भोजपुरी भाषा, पुरबिया रहन-सहन, सोच-विचार और संस्कृति की बहुत गंदी छवि बनायी है। पुलिस के आला अधिकारी मान रहे हैं कि औरतों के प्रति अनाचार और दुष्कर्म की जो घटनाएं बड़ी हैं, उसके पीछे अश्लीलता इस आंधी का भी बड़ा हाथ है। स्थिति इतनी बिगड़ी है कि उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड तीनों ही राज्यों में पुलिस निर्देश जारी हुए हैं कि पर्वों-उत्सवों में फ़िल्मी गीत-संगीत न बजाए जाएँ। बिहार में तो राज्य सरकार को यह आदेश भी निकालना पड़ा है कि किसी भी यात्री वाहन में कोई भी भोजपुरी गीत-संगीत न बजाय जाए। फिल्मों और भोजपुरी मनोरंजन उद्योग में छाई इस अश्लीलता के खिलाफ जगह-जगह आंदोलन चल रहे हैं, धरने-प्रदर्शन हो रहे हैं। जन जागरण सभाएं, यात्राएं निकल रही हैं। अदालतों के भी दरवाजे खटखटाये गए हैं।  कुल मिला कर मोटामोटी स्थिति ये है-
१. औरतों को वस्तु के रूप में चित्रित किया जा रहा है। उन्हें वस्तु बनाया जा रहा है। इस मामले में समाज को आगे ले जाने के बदले उसे पीछे की ओर , सामंती मूल्यों और औरतों को लूट और उपभोग की वस्तु समझने की मध्ययुगीन कुरीतियों की ओर ले जाया जा रहा है।  इससे औरतों की सुरक्षा भी प्रभावित हो रही है और उन पर यौनिक हमले, अनाचार और अत्याचार बढ़ रहे हैं।  २. भोजपुरी फ़िल्में मनोरंजन के दूसरे माध्यमों को भी गन्दा कर रही हैं।  ३. अश्लीलता का भाषा, साहित्य, संस्कृति तथा लोक और प्रदर्शनकारी कलाओं पर भी बुरा असर पड़ रहा है।  ४. लैंगिक समता-समानता की सारी अवधारणाओं का हनन हो रहा है। लैंगिक संवेदीकरण के सारे सरकारी-गैरसरकारी प्रयासों पर पानी फिर रहा है।  ५. भोजपुरी फ़िल्में और उनसे जुडी अश्लीलता, फूहड़पन, अभद्रता, स्तरहीनता भोजपुरी समाज की बहुत बुरी छवि बना रही हैं। इससे समाज का रहन-सहन, विकास आदि तो प्रभावित हो ही रहा है; समाज अरक्षित ( vulnerable ) भी हो रहा है। गुजरात में हाल में हिंदीभाषियों को लेकर जो कुछ हुआ, समाज के अरक्षित हो जाने का वह एक ज्वलंत उदहारण है।  ६. पूर्वांचल के कुछ इलाकों में भोजपुरी फ़िल्में और भोजपुरी मनोरंजन उद्योग सामाजिक और जातीय विद्वेष और हिंसा का भी कारण बन रहा है। अभी २६ अक्टूबर, २०१८ को वैशाली में भोजपुरी के एक सुपरस्टर पर लोगों ने धावा बोल दिया। अभिनेता वहां से जान बचा कर भागे। बाद में उन्होंने रोते हुए बयान भी जारी किया कि `` मैं भी अश्लीलता के विरोध में हूँ। '' लेकिन दो-तीन दिन बाद ही ३१ अक्टूबर को उन पर हुए हमले के विरोध में उनके समर्थकों ने छपरा में सड़क जाम कर दिया, हिंसा फैलायी और ट्रेनों पर पथराव किया। एक-दो नहीं, दर्जनों जगहों पर ऐसा हो रहा है। यह कहना अनुचित नहीं कि भोजपुरी फिल्मों और उसके लाव-लश्कर द्वारा अश्लीलता को लेकर बरती जा रही सामाजिक असंवेदनशीलता और उत्तरदायित्वहीनता पूर्वांचल के लिए कैंसर बन रही है।  ७. भोजपुरी फ़िल्में बच्चों, युवाओं की ���ौनिक समझ पर बुरा असर डाल रही हैं। उग्र यौनिक हमलों में बच्चे, तरुण, किशोर शामिल पाए जा रहे हैं। यह कहानी बहुत कुछ कहती है। निर्भया काण्ड को ही याद कर लें।  ८. भोजपुरी फ़िल्में समाज के कमजोर वर्गों के नवोदय को दिशाहीन कर रही हैं, और उनके सशक्तीकरण के रास्ते में बाधक बन रही हैं।  ९, कुछ इलाकों में लड़कियों, स्त्रियों की कमज़ोर होती स्थिति, उनकी असुरक्षा आतंरिक पलायन का भी कारण बन रही है।
हमें लगता है कि सूचना प्रसारण मंत्रालय और भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को भोजपुरी सिनेमा के दुष्प्रभावों को लेकर तुरंत एक विस्तृत सर्वेक्षण कराना चाहिए, और उसके नतीजे सार्वजनिक करने चाहिए। हमारी समझ यह भी है कि भोजपुरी सिने उद्योग में संसाधनों , प्रशिक्षण, कलात्मक गुणवत्ता आदि की जो कमी है, कुछ तिजारती लोग उसकी व्यावसायिक भरपाई औरतों को वस्तु के रूप में प्रस्तुत करके कर रहे हैं। भोजपुरी समाज के साथ किये जा रहे इस घात का भी पर्दाफाश किया जाना चाहिए।
साथ ही, कुछ और बुनियादी बातों की ओर हम आपका ध्यान खींचना चाहते हैं । सेंसर बोर्ड बनाये जाने के पांच उद्देश्य बताये गए हैं--  १. ताकि सिनेमा सामाजिक मूल्यों और मानकों के अनुरूप और उनके प्रति संवेदनशील रहे। २. ताकि वह स्वस्थ और साफ़-सुथरा मनोरंजन दे।  ३. ताकि उसका स्तर ठीक रहे और उसमें कलात्मक सौंदर्यबोध हो।
४. ताकि सिनेमा सामाजिक बदलावों के प्रति उत्तरदायी रहे। और,  ५. ताकि कलात्मक अभिव्यक्ति और सर्जनात्मक स्वतंत्रता पर असम्यक रोक न लगे।
अश्लीलता, फूहड़ता, नंगई और अभद्रता का, बल्कि असामाजिकता का पर्याय बन चुका भोजपुरी सिनेमा पहले चार उद्देश्यों का तो उल्लंघन ही कर रहा है, इसमें विवाद की तो कोई गुंजाइश ही नहीं। लैंगिक समानता जैसे आधुनिक बदलावों की भी उपेक्षा ही हो रही है। रहा पांचवां उद्देश्य तो, उस बारे में सम्यक रोक लगी ही नहीं। अश्लीलता, नंगई , अभद्रता, भ्रष्टता फैलाने की इस तरह की खुली छूट दे दी गयी कि भोजपुरी सिनेमा की अश्लीलता भाषा, साहित्य, समाज , संस्कृति, लोक कला आदि सभी का हनन कर रही है।
फिल्म पास करने के कुछ मानक ये हैं --
१. उनसे किसी किस्म के आपराधिक कृत्य को बढ़ावा न मिले।  २. उनमें अभद्रता, अश्लीलता और भ्रष्टता न हो.  ३. उनमें घटिया भावनाएं पैदा करनेवाले द्विअर्थी संवाद न हों।  ४. उनमें औरतों को किसी भी रूप में नीचा न दिखाया गया हो और उनकी अवमानना न की गयी हो।  ५. उनमें सेक्सुअल विकृति न दिखाई गयी हो।  ६. औरतों के खिलाफ यौनिक हमले, छेड़छाड़ आदि के दृश्य बढ़ा कर न दिखाए गए हों। बल्कि उन्हें सूक्ष्म किया गया हो।
हमारी समझ है कि इन मामलों में भी प्रमाणन के वक्त नियमों का ठीक से पालन नहीं हो रहा है । उन भावनाओं का ख्याल नहीं रखा जा रहा जिनकी वजह से ये नियम बनाये गए थे। हमारा मानना है कि सेंसर बोर्ड द्वारा नियमों और उद्देश्यों का ठीक से अनुपालन न किये जाने से ही भोजपुरी सिनेमा , भोजपुरी भाषा, भोजपुरी समाज आदि की यह दुर्गति हुई है।
अब कुछ बातें हमारे बारे में; ज्ञात हो कि पूर्वांचल के आर्थिक-औद्योगिक विकास और उसके लिए जरूरी सांस्कृतिक बदलावों के लिए काम कर रही संस्था पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान ने भोजपुरी मनोरंजन उद्योग में फ़ैली अश्लीलता के खिलाफ पूरे पूर्वांचल में सघन अभियान छेड़ रखा है। पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र, पद्मश्री सुश्री शोमा घोष, कथाकार डॉ काशीनाथ सिंह, क्रींकुण्ड पीठाधीश्वर श्री गौतम राम , कबीर मठ के महंत स्वामी विवेक दास , ज्योतिषाचार्य श्री चंद्रमौलि उपाध्याय , उत्तर प्रदेश की काबीना मंत्री श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी , संगीतकार श्री साजन मिश्र , संकटमोचन के महंत श्री विश्वम्भरनाथ मिश्र, महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री द्वय श्री चंद्रकांत त्रिपाठी और श्री कृपा शंकर सिंह , पत्रकार श्री उमेश त्रिवेदी , श्री सुमंत मिश्र, डॉ. त्रिविजय सिंह, श्री विमल मिश्र , श्री सत्यप्रकाश पांडे असीम , श्री हेमंत तिवारी, श्री अजीत सिंह, श्री राजेंद्र गहरवार, श्री हेमंत पाल, श्री विभूति शर्मा, श्री उमेश सिंह , मीडिया प्रबंधक श्री अखंड प्रताप सिंह, लेखक श्री दयानन्द पांडे, समाज सुधारक स्वामी सारंग, पूर्वांचल के दो बहुत जाने-माने डॉक्टर डॉ, इंदु सिंह और डॉ. शिप्रा धर, प्रशासनिक अधिकारी श्री रंजन द्विवेदी, जाने-माने उद्योगपति श्री केशव जालान, काशी विद्यापीठ के मालवीय पत्रकारिता संस्थान के निदेशक डॉ. ओम प्रकाश सिंह, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के पूर्व अध्यक्ष श्री सुनील श्रीवास्तव, जौनपुर के सांसद श्री के पी सिंह, जौनपुर पत्रकार संघ के अध्यक्ष श्री ओम प्रकाश सिंह, बदलापुर के विधायक श्री रमेश मिश्र , मड़ियाहूं की विधायक श्रीमती लीना तिवारी, जफराबाद के विधायक डॉ. हरेंद्र सिंह, रांची विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर डॉ. जय राम तिवारी, माइक्रो फाइनेंस एक्सपर्ट डॉ. जी. पी. सिंह, लैंगिक संवेदीकरण विश��षज्ञ सुश्री कुमुद सिंह , टी डी कॉलेज के प्रबंधक श्री अशोक सिंह, अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अधिवक्ता श्री जेड के फैज़ान, मुंबई मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष श्री सुशील व्यास, हम -आप फाउंडेशन के चेयरमैन अधिवक्ता सय्यद जलालुद्दीन, लखनऊ के शिक्षक विधायक श्री उमेश द्विवेदी, उत्तर क्षेत्रीय महिला मंच, मुंबई की अध्यक्ष डॉ. पुष्पा सिंह, मुंबई कांग्रेस के उपाध्यक्ष श्री जय प्रकाश सिंह, मुंबई भाजपा उपाध्यक्ष श्री आर यू सिंह, बीएचयू के प्रो. डॉ. रत्नाकर त्रिपाठी, विद्यापीठ की प्रो डॉ. निशा सिंह जैसे प्रतिष्ठित लोग इस अभियान का समर्थन कर रहे हैं। देश के २५ ००० से ज्यादा जाने-माने लेखकों, पत्रकारों, कलाकारों , राजनीतिक-सामाजिक व्यक्तित्वों और सुधी लोगों ने उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड के मुख्यमंत्रियों को इस बाबत दिए जा रहे ज्ञापन पर दस्तखत करके अपने को इस अभियान से जोड़ा है। प्रतिष्ठान के समर्थन में आये कई जाने-माने गायक अपने कार्यक्रम की शुरुआत ही अश्लीलता के खिलाफ पब्लिक अपील से कर रहे हैं। प्रतिष्ठान की ओर से अब तक मुंबई, बनारस और जौनपुर में बड़ी अभियान सभाएं हो चुकी हैं, और पटना और रांची में जल्द ही होने जा रही हैं। शुरुआती प्रयास के तौर पर जौनपुर को सम्पूर्ण अश्लीलतामुक्त जिला बनाने के प्रयत्न किये जा रहे हैं।प्रतिष्ठान की पहल पर जौनपुर और मुंबई में सपना चौधरी और राकेश प्रेमी जैसे गायकों के कार्यक्रम रद्द किये गए हैं। हमें उम्मीद है कि यह जनांदोलन और बढ़ेगा और फिल्मों और भोजपुरी मनोरंजन उद्योग को अश्लीलता से मुक्त कराके उसे सबके लिए ग्राह्य बनाएगा।
पत्र समापन की ओर है तो प्रमाणन बोर्ड के दिशा निर्देशों का पहला वाक्य मन को बार-बार मथ रहा है- ``The objective of film certification will be to ensure that the medium of film remains responsible and sensitive to the values and standards of society. '' तो क्या भोजपुरी फिल्मों के मामले में इस दिशानिर्देश का अनुपालन हो रहा है? या कि प्रमाणन बोर्ड ने भी मान लिया है कि भोजपुरी समाज के मूल्य और मानक ही अश्लील और गंदे हैं? हमारी विनती है कि सेंसिटिव कब होंगे आप हमारे प्रति?  इस सम्बन्ध में हम आपकी एक मदद भी करना चाहते हैं। चाहें तो आप हमें इसके लिए अधिकृत भी कर सकते हैं। पहली जनवरी, २०१९ से रिलीज़ हो रही हर भोजपुरी फिल्म की पूर्वांचल के जाने-माने विद्वानों से हम एक समीक्षा कराएँगे। यह भोजपुरी समाज द्वारा अपने मूल्यों और मानकों व प्रमाणन बोर्ड के नियमों के हिसाब से की गयी समीक्षा होगी। इससे प्रमाणन बोर्ड के काम में कोई चूक हो रही होगी तो आप सभ��� उस पर ज्यादा तल्लीनता से ध्यान दे सकेंगे। हमने इस बारे में भी आपको सूचित किया है कि फ़िल्में अश्लील पायीं गयीं तो समाज द्वारा उसका विरोध किया जाएगा।
आशा है, जब तक उचित कार्रवाइयां नहीं होतीं, हमारे और आपके बीच अब निरंतर संवाद बना रहेगा।
सादर प्रणाम,  ओम प्रकाश, पत्रकार, संपादक; सचिव, पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान
प्रति: श्री राज्यवर्धन राठौर  माननीय सूचना प्रसारण राज्य मंत्री, नई दिल्ली।
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rajtasuresh-blog · 6 years
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#Solan : जिला मंडी और सोलन में डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के अंतर्राष्ट्रीय रेसलर्स रिंग में दिखेगे अपने अपने जलवे। सोलन। जिले में दी ग्रेट खली दिलीप सिंह राणा ने प्रेस वार्ता का आयोजन किया और 7 जुलाई को सोलन में होने वाले अंतरराष्ट्रीय WWF प्रतियोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी उन्होंने कहा की वह हिमाचल प्रदेश मे पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता का आयोजन करने जा रहे हैं जिसमें 10 पुरुष रेसलर एवं 5 महिला रेसलर बाहरी देशों से आएंगे और रेसलिंग का प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने बताया कि हिमाचल के टूरिज़्म और खेलों को बढ़ावा देने के लिए वह इस प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल के युवा नशे की ओर बहुत तेजी से बड़ रहे है यह कार्यकरम खस्स युवा को जागरूक करने क लिए किया जा रहा है ताकि वह नशा छोड़ खेल मे अपनी रुचि बनाए ओर साथ ही रेस्लिंग को भी बड़वा मिले साथ ही उन्होने यह भी कहा की वह राजनीति में आना और चुनाव जीतना वह बड़ी बात नहीं समझते बल्कि वह खेल को सर्वोपरी मानते है| इसी लिए वह यह प्रतियोगिता करवा रहे है ताकि हिमाचल जो अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है वह खेलों में भी नंबर वन बन सके| साथ ही इस कार्यक्रम में फिल्मी दुनिया की जानी मानी अभिनेत्री राखी सावंत सपना चौधरी ओर अभिनेता मनोज तिवारी भी शामिल रहेगे। यह जानकारी ग्रेट खली दलीप सिंह राणा ने सोलन मे आयोजित पत्रकार वार्ता में दी।
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