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hindi2news · 4 years
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अब्दुल सत्तार बोले- मैंने इस्तीफा नहीं दिया, पार्टी का फैसला स्वीकार | Abdul Sattar says I have not resigned whatever decision will be taken by CM, we will accept it
अब्दुल सत्तार बोले- मैंने इस्तीफा नहीं दिया, पार्टी का फैसला स्वीकार | Abdul Sattar says I have not resigned whatever decision will be taken by CM, we will accept it
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India
oi-Rahul Kumar
| Updated: Saturday, January 4, 2020, 20:25 [IST]
मुंबई।महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना कोटे से बने मंत्री अब्दुल सत्तार के इस्तीफे की खबरें शनिवार दिनभर मीडिया में छाईं रहीं। शाम होते-होते खुद अब्दुल सत्तार ने अपने इस्तीफे की खबरों का खंडन कर दिया। मंत्री ��त्तार ने कहा कि, मैंने इस्तीफा नहीं दिया है। मैं मातोश्री में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बात करने जा रहा हूं।…
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indiatv360 · 5 years
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आगामी त्योहार को देखते हुए कोतवाली उतरौला पुलिस ने क्षेत्र के सभी डीजे मालिकों के साथ कोतवाल उतरौला उपेन्द्र नाथ राय ने बुधवार को कोतवाली मे बैठक की। रिपोर्ट-: रोहित कुमार गुप्ता उतरौला बलरामपुर। आगामी त्योहार को देखते हुए कोतवाली उतरौला पुलिस ने क्षेत्र के सभी डीजे मालिकों के साथ कोतवाल उतरौला उपेन्द्र नाथ राय ने बुधवार को कोतवाली मे बैठक की। बैठक में कोतवाल ने डीजे बजाने पर उच्च न्यायालय के प्रतिबन्धो की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय ने बढते प्रदूषण को देखते हुए डीजे बजाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। अब लाउडस्पीकर बजाने के लिए दो हार्न को सततर प्रतिशन डीएल से ज्यादा आवाज पर बजाने पर रोक लगी है। न्यायालय का आदेश व प्रशासन के आदेश का उल्लघंन करने पर कडी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। डीजे पर प्रतिबंध लगने से राम लीला कमेटी, दुर्गा पूजा समितियों में हड़कंप मच गया है।
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navhinduindia · 7 years
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चामुण्डा देवी चालीसा चामुण्डा देवी की साधना में दुर्गा जी या अम्बे मां की आरती या चालीसा का ही प्रयोग किया जाता है। चामुण्डा देवी दुर्गा माँ के सभी स्वरूपों में से प्रमुख है। चामुण्डा देवी की साधना से मनोकामना पूर्ण होती है। चामुण्डा देवी की चालीसा दोहा नीलवरण मा कालिका रहती सदा प्रचंड । दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुस्त को दांड्ड़ ।। मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत । मेरी भी बढ़ा हरो हो जो कर्म पुनीत ।। चौपाई नमस्कार चामुंडा माता । तीनो लोक मई मई विख्याता ।। हिमाल्या मई पवितरा धाम है । महाशक्ति तुमको प्रडम है ।।1।। मार्कंडिए ऋषि ने धीयया । कैसे प्रगती भेद बताया ।। सूभ निसुभ दो डेतिए बलसाली । तीनो लोक जो कर दिए खाली ।।2।। वायु अग्नि याँ कुबेर संग । सूर्या चंद्रा वरुण हुए तंग ।। अपमानित चर्नो मई आए । गिरिराज हिमआलये को लाए ।।3।। भद्रा-रॉंद्र्रा निट्टया धीयया । चेतन शक्ति करके बुलाया ।। क्रोधित होकर काली आई । जिसने अपनी लीला दिखाई ।।4।। चंदड़ मूंदड़ ओर सुंभ पतए । कामुक वेरी लड़ने आए ।। पहले सुग्गृीव दूत को मारा । भगा चंदड़ भी मारा मारा ।।5।। अरबो सैनिक लेकर आया । द्रहूँ लॉकंगन क्रोध दिखाया ।। जैसे ही दुस्त ललकारा । हा उ सबद्ड गुंजा के मारा ।।6।। सेना ने मचाई भगदड़ । फादा सिंग ने आया जो बाद ।। हत्टिया करने चंदड़-मूंदड़ आए । मदिरा पीकेर के घुर्रई ।।7।। चतुरंगी सेना संग लाए । उचे उचे सीविएर गिराई ।। तुमने क्रोधित रूप निकाला । प्रगती डाल गले मूंद माला ।।8।। चर्म की सॅडी चीते वाली । हड्डी ढ़ाचा था बलसाली ।। विकराल मुखी आँखे दिखलाई । जिसे देख सृिस्टी घबराई ।।9।। चंदड़ मूंदड़ ने चकरा चलाया । ले तलवार हू साबद गूंजाया ।। पपियो का कर दिया निस्तरा । चंदड़ मूंदड़ दोनो को मारा ।।10।। हाथ मई मस्तक ले मुस्काई । पापी सेना फिर घबराई ।। सरस्वती मा तुम्हे पुकारा । पड़ा चामुंडा नाम तिहरा ।।11।। चंदड़ मूंदड़ की मिरतट्यु सुनकर । कालक मौर्या आए रात पर ।। अरब खराब युध के पाठ पर । झोक दिए सब चामुंडा पर ।।12।। उगर्र चंडिका प्रगती आकर । गीडदीयो की वाडी भरकर ।। काली ख़टवांग घुसो से मारा । ब्रह्माड्ड ने फेकि जल धारा ।।13।। माहेश्वरी ने त्रिशूल चलाया । मा वेश्दवी कक्करा घुमाया ।। कार्तिके के शक्ति आई । नार्सिंघई दित्तियो पे छाई ।।14।। चुन चुन सिंग सभी को खाया । हर दानव घायल घबराया ।। रक्टतबीज माया फेलाई । शक्ति उसने नई दिखाई ।।15।। रक्त्त गिरा जब धरती उपर । नया डेतिए प्रगता था वही पर ।। चाँदी मा अब शूल घुमाया । मारा उसको लहू चूसाया ।।16।। सूभ निसुभ अब डोडे आए । सततर सेना भरकर लाए ।। वाज्ररपात संग सूल चलाया । सभी देवता कुछ घबराई ।।17।। ललकारा फिर घुसा मारा । ले त्रिसूल किया निस्तरा ।। सूभ निसुभ धरती पर सोए । डेतिए सभी देखकर रोए ।।18।। कहमुंडा मा ध्ृम बचाया । अपना सूभ मंदिर बनवाया ।। सभी देवता आके मानते । हनुमत भेराव चवर दुलते ।।19।। आसवीं चेट नवराततरे अओ । धवजा नारियल भेट चाड़ौ ।। वांडर नदी सनन करऔ । चामुंडा मा तुमको पियौ ।।20।। दोहा सरणागत को शक्ति दो हे जाग की आधार । ‘ओम’ ये नेया दोलती कर दो भाव से पार ।।
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nepal123 · 7 years
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गाईबस्तुलाई सोत्तर लगाइने लौठसल्ला महँगो मूल्यमा बिक्री इलाम, १२ माघ- माइमझुवा–२ का शुक्रराज राईलाई गाईबस्तुलाई सोत्तरका रूपमा प्रयोग गरिँदै आएको लौठसल्ला बिक्री गरेर मनग्य आम्दानी गर्न सकिएला भन्ने कहिल्यै लागेको थिएन् । सधैँ गाईबस्तुलाई सोत्तर लगाइने लौठसल्ला महँगो मूल्यमा बिक्री हुन्छ भन्ने थाहा नपाए पनि त्यही लौठसल्लाले उनलाई आज लखपति बनाएको छ । एक दशकअघिसम्म लेकाली क्षेत्रमा हुने आलु, मकैलगायत परम्परागत बाली लगाएर मुस्किलले वर्ष दिनको गुजारा चलाउँदै आउनुभएका शुक्रराजले लौठसल्लाको बिक्रीबाट यस वर्ष रु छ लाख आम्दानी गर्नुभयो । क्यान्सरको औषधिको कच्चा पदार्थका रूपमा लिइने लौठसल्लाको खेती गर्ने लहर चलेपछि जे परे पर्ला भनेर १०५ रोपनी जग्गामा लौठसल्ला रोप्नु भएका उहाँलाई लौठसल्लाले लखपति बनाएको हो । “गाउँका धेरै साथीभाइले लौठसल्लाको व्यावसायिक खेती गर्दा पनि आफूलाई अत्तोपत्तो थिएन,” उहाँले भन्नुभयो– “लौठसल्लाबाट नसोचेको आम्दानी भएको छ । अघिल्लो वर्ष रु पाँच लाखको लौठसल्ला बिक्री गरे ।” लौठसल्लाको पातबाट मात्र होइन, राईले बिरुवा बेचेर पनि मनग्य आम्दानी गर्नुहुन्छ । गत वर्ष ३५ हजार बोट लौठसल्लाक��� बिरुवा बिक्री गरेर रु दुई लाख कमाउनुभयो । लौठसल्लाको पात प्रतिकिलो रु २० र बिरुवा रु १५ मा बिक्री भएको उहाँले बताउनुभयो । माबुका किसान डुलबहादुर राईले पनि लौठसल्लाबाट यथेष्ट आम्दानी गरिरहनुभएको छ । चिराइतोमा रोग देखिनु र मिसावटका कारण बिक्न छोडेका बेला लौठसल्लाले किसानलाई राहत दिएको छ । पूर्वी पहाडी जिल्लामा लामो समयदेखि औषधिजन्य लौठसल्लाको खेती गरिएको भए पनि भर्खरै मात्र यसको किनबेच सुरु भएको छ । करिब २५ वर्षदेखि लौठसल्लाको खेती गर्दै आउनुभएका माइपोखरी–८ का जगत राई ७० रोपनी जमिनमा व्यावसायिक रुपमा खेती गर्दै आउनुभएको छ । उहाँ बर्र्सेनी रु तीन लाखदेखि रु चार लाख बिक्री गर्नुहुन्छ । यहाँका अधिकांश किसानले लौठसल्ला बुटवलस्थित माछापुच्छ«े लौठसल्ला प्रशोधन कारखाना र नेचुरल हर्बल कम्पनीमा पठाउने गरेका छन् । व्यावसायिक खेती बढिरहेको भए पनि लौठसल्ला बेच्न सहज छैन । सुकेको पात मात्र कम्पनीले किन्ने गरेको छ । सुलुबुङ, जमुना, जोगमाई, चमैता, माईपोखरी, मावु नयाँबजार, पुवामझुवालगायत गाविसका चार हजारभन्दा बढी किसानले लौठसल्लाको व्यावसायिक खेती गरिरहेका छन् ।
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