Tumgik
#वहां के लोगों से अनजान था। जिस दिन वह वहां पहुंचा उस दिन वहां एक समारोह हो रहा था
sakshiiiisingh · 1 year
Text
youtube
0 notes
questkahaniya · 1 year
Text
youtube
गरीब आदमी बना राजा 
ये कहानी एक गरीब आदमी की है जो एक बार घूमता हुआ एक राज्य की राजधानी में पहुंच गया. जगह से बिलकुल अनजान था , वहां के लोगों से अनजान था। जिस दिन वह वहां पहुंचा उस दिन वहां एक समारोह हो रहा था , उत्सव चल रहा था. उस भीड़ में वो भी शामिल हो गया। लोगों से पूछने लगा की ये सब क्या चल रहा है। तो भीड़ में से एक ने बताया कि यहां पर समारोह चल रहा है उसने पुछा भाई क्या होता है इसमें? तो लोगों ने उसे बताया की अभी थोड़ी देर में शाही हाथी आएगा और इस रास्ते से गुजरेगा उसकी में सूंड में एक माला होगी और वह माला जिस व्यक्ति को पहना दी उसे इस राज्य का राजा अगले पांच साल के लिए बना दिया जाएगा.
0 notes
shaileshg · 4 years
Link
Tumblr media
पिछले 53 दिन 53 सालों से भी बड़े थे, ऐसा कहना था उन परिवारों का जिनके बेटे 'फेक एनकाउंटर' में मारे जाने के बाद उनके शव के लिए 53 दिनों का इंतजार करना पड़ा। "हमें 10 अगस्त को तो पता चल गया था कि हमारे बेटों को धोखे से मार दिया गया है, मगर उनके शव कहां दफनाए गए ये मालूम नहीं था। आखिर 10 अगस्त से लेकर 3 अक्टूबर तक की इस 53 दिन की लड़ाई और जद्दोजहद के बाद जब शव कब्र से निकाले गए तो तीनों परिवारों का सब्र टूट गया।
2 अक्टूबर रात को 10 बजे उत्तरी कश्मीर के क्रीरी में कब्र खोदने का काम शुरू हुआ और 3 अक्टूबर सुबह पांच बजे जब गोलियों से छलनी तीन शव निकले तो उस वक्त तीनों लड़कों के परिवारों के एक-एक सदस्य वहां मौजूद थे। वहां वो समाजसेवी गुफ्तार अहमद भी खड़े थे जिनकी कोशिशों की बदौलत परिवारों को अपने बेटों के शव मिले हैं। गुफ्तार कहते हैं, ‘शव देख परिवार वाले जोर से बिलख पड़े, उन्हें देखकर मेरे होश उड़ गए। तीन बेकसूर युवकों को आतंकी बताकर कोई कैसे मार सकता है?’
Tumblr media
तीनों मृतकों के जब शव निकाले गए तब उनके परिवारों के एक-एक सदस्य वहां मौजूद थे।
अनजान आतंकियों के शवों की तरह इन्हें बारामुला से उडी जाने वाले हाईवे पर क्रीरी में दफना दिया गया था। जहां मुठभेड़ में मारे गए उन आतंकियों को दफनाया जाता है, जिनकी पहचान नहीं हो पाती। जिन परिवारों के बेटे घर से रोजी रोटी कमाने कश्मीर गए थे, उनके जाने के 79 दिनों बाद गोलियों के छलनी शव उनके घर पहुंचे।
इबरार अहमद, उसके मौसी और मामा के बेटे, मोहम्मद इबरार और इम्तियाज अहमद 18 जुलाई 2020 को दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में हुए एक मुठभेड़ में मारे गए थे। मगर 10 अगस्त को परिवारों को पता चला कि उनके बेटों का फेक एनकाउंटर किया गया है। उसके बाद उनके शवों को उत्तरी कश्मीर के बारामुला में दफनाया गया था। जहां से पुलिस और प्रशासन की मदद से खोदकर निकाला फिर जम्मू के राजौरी में परिवारों को सौंपा गया। 3 अक्टूबर को तीनों को दोबारा उनके पैतृक गावों में सुपुर्दे खाक किया गया।
जिस परिवार के सात लोगों ने सेना में सेवा की हो, उन्हीं के परिवार से तीन लोग सेना के 'फेक एनकाउंटर' में मारे जाएं तो भला उस परिवार का सेना पर कैसा भरोसा? जम्मू से 160 किलोमीटर दूर भारत-पाक नियंत्रण रेखा से सटे राजौरी के छोटे से गांव तरकसी में इन दिनों कुछ ऐसा ही माहौल है।
Tumblr media
इबरार अहमद, मोहम्मद इबरार और इम्तियाज अहमद 18 जुलाई 2020 को दक्षिण कश्मीर के शोपियां ज़ले में हुए एक मुठभेड़ में मारे गए थे।
"मुझे कितनी भी दौलत मिल जाए, पर मेरा बेटा तो वापस नहीं आ सकता, "मोहम्मद युसूफ चौहान का बेटा इबरार अहमद बमुश्किल 25 साल का था। वो कहते हैं, "हमारे लिए सबसे दुःख की बात यह है के जिस सेना में हमारे ��रिवार के सात लोगों ने अपना जीवन दिया, उस सेना की वर्दी हमारे लिए खुदा जैसी थी। मगर जैसे हमारे तीन बच्चों को उसी सेना के कुछ गलत लोगों ने बिना जाने पहचाने आतंकी बता कर मार दिया, उससे अब हमारे परिवार से सेना में कोई कैसे जायेगा?"
अभी तक परिवार में इबरार के पिता के बड़े भाई ऑनरेरी कैप्टन मदद हुसैन, उनके छोटे भाई लांस नायक मोहम्मद बशीर (करगिल युद्ध में थे), इबरार के कजिन सूबेदार जाकिर हुसैन, सिपाही जफर इकबाल अभी भी सेना में हैं। इबरार का एक 15 महीने का बेटा भी है।
परिवार का कहना है कि वह काम करने कुवैत जाने वाला था और उसकी हवाई जहाज की टिकट भी बन चुकी थी। मगर तभी कोरोना के कारण लॉकडाउन हो गया और अंतर्राष्ट्रीय उड़ाने बंद हो गयीं। इबरार ने अपने बड़े भाई जावेद को पीएचडी करवाने के बाद सऊदी अरब भी भेजा और दो छोटी बहनों की शादी भी करवाई।
अब वह खुद भी विदेश जाना चाहता था, ताकि परिवार मजदूरी से ऊपर पाए। कभी भी घर में आराम से नहीं बैठने वाले इबरार ने अपने मामा के बेटे मृतक इम्तियाज से संपर्क किया क्योंकि इम्तियाज पहले भी शोपियां में मजदूरी कर चुका था।
Tumblr media
मृतकों का शव जब उनके घर पहुंचा। 3 अक्टूबर को तीनों को दोबारा उनके पैतृक गावों में सुपुर्दे खाक किया गया।
इम्तियाज शोपियां के एक लम्बड़दार (पंचायत सदस्य) युसूफ को जानता था और इन तीनों ने शोपियां जाकर कुछ महीनों मजदूरी करने की सोची। वहीं इबरार ने घर पर कहा के अंतर्राष्ट्रीय उड़ाने शुरू होते ही वह आ जाएगा और उसके बाद कुवैत चला जाएगा।
इबरार के पिता कहते हैं उनके बेटों की हत्या का दर्द भी हाथरस की बेटी के दर्द से कम नहीं है। "हम लोग रोज़ टीवी और सोशल मीडिया में हाथरस के बारे में देख सुन रहे हैं, हमारे साथ भी तो गलत हुआ है, हम चाहते हैं के हाथरस की बेटी को इंसाफ मिले और हमारे बेटों को भी। सभी बेकसूर थे, मगर हमें सिर्फ इतना संतोष है के यहां हमें प्रशासन और पुलिस का सहयोग शव पाने और मामले की जांच शुरू होने में मिल रहा है। जम्मू कश्मीर पुलिस ने शोपियां में मामले की जांच शुरू कर दी है, दो लोगों को पूछताछ के लिए गिरफ्तार भी किया है।"
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Tumblr media
मृतक इबरार के पिता यूसूफ चौधरी, इबरार के 15 महीने के बच्चे के साथ।
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3nzxZPY via IFTTT
0 notes
sakshiiiisingh · 1 year
Text
youtube
समय बहुत बलबान है
समय बहुत बलबान है
#quest #story #kahani #gareeb #kahaniya #moralstory #moral #hindistory #raja
ये कहानी एक गरीब आदमी की है जो एक बार घूमता हुआ एक राज्य की राजधानी में पहुंच गया. जगह से बिलकुल अनजान था , वहां के लोगों से अनजान था। जिस दिन वह वहां पहुंचा उस दिन वहां एक समारोह हो रहा था , उत्सव चल रहा था. उस भीड़ में वो भी शामिल हो गया। लोगों से पूछने लगा की ये सब क्या चल रहा है। तो भीड़ में से एक ने बताया कि यहां पर समारोह चल रहा है उसने पुछा भाई क्या होता है इसमें? तो लोगों ने उसे बताया की अभी थोड़ी देर में शाही हाथी आएगा और इस रास्ते से गुजरेगा उसकी में सूंड में एक माला होगी और वह माला जिस व्यक्ति को पहना दी उसे इस राज्य का राजा अगले पांच साल के लिए बना दिया जाएगा. व
Popular Stories
⦿ लालची शेर की कहानी : https://www.youtube.com/watch?v=ZlMYa... ⦿ एक चिड़िया ने गाँव मे लगी आग को कैसे भुझायी : https://www.youtube.com/watch?v=sb95O...
⦿ जीवन संघर्ष : https://www.youtube.com/watch?v=pNfdH...
0 notes