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#लता मंगेशकर की मृत्यु
rudrjobdesk · 2 years
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एमी अवॉर्ड विजेता हन्ना वाडिंगम ने लता मंगेशकर को दी श्रद्धांजलि, देसी फैंस हुए इमोशनल
एमी अवॉर्ड विजेता हन्ना वाडिंगम ने लता मंगेशकर को दी श्रद्धांजलि, देसी फैंस हुए इमोशनल
नई दिल्ली: लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) की पॉपुलैरिटी सिर्फ देश नहीं दुनिया भर में फैली हुई है. 6 फरवरी 2022 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली. यहां वो कोरोनाग्रस्त होने के बाद लगभग 28 दिनों से भर्ती थीं. उनकी मृत्यु के बाद दुनिया भर के लोगों ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजली अर्पित की. ब्रिटिश अभिनेत्री हन्ना वाडिंगम (Hannah Waddingham) ने भी लता मंगेशकर को श्रद्धांजली अर्पित की है.…
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parichaytimes · 2 years
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क्या आप जानते हैं ब्रिटनी स्पीयर्स का 'टॉक्सिक' हुक लता मंगेशकर की 'तेरे मेरे बीच में' से लिया गया था? - टाइम्स ऑफ इंडिया
क्या आप जानते हैं ब्रिटनी स्पीयर्स का ‘टॉक्सिक’ हुक लता मंगेशकर की ‘तेरे मेरे बीच में’ से लिया गया था? – टाइम्स ऑफ इंडिया
गीत ‘ विषैला पोनी’ सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें किशोर आकर्षक धुन पर थिरक रहे हैं। लेकिन, पता चलता है कि संगीत जोड़ी ALTÉGO का गाना एक मैशअप है ब्रिटनी स्पीयर्स‘विषाक्त’ और जिनुवाइन की ‘टट्टू’। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ब्रिटनी के 2003 के हिट गाने में इसके हुक का एक नमूना था लता मंगेशकरी1981 का गाना है? स्पीयर्स का चार्ट-टॉपर लता मंगेशकर और एसपी बालासुब्रमण्यम द्वारा गाए गए गाने ‘तेरे…
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mykrantisamay · 2 years
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राजुला के इस युवक ने 27 साल तक की लता दीदी की सेवा
राजुला के इस युवक ने 27 साल तक की लता दीदी की सेवा
लता मंगेशकर की मृत्यु: लता मंगेशकर का रविवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। अमरेली जिले के राजुला तालुका के मोरांगी गांव के मूल निवासी महेशभाई राठौर पिछले 27 सालों से लता दीदी के साथ परछाई की तरह रह रहे हैं. लता दीदी ने अपने बेटे से खास रखा महेशभाई राठौर। लता दीदी को साईं बाबा पर अटूट आस्था थी। जब महेशभाई राठौर के गृहनगर में साईं बाबा का मंदिर बनना था तो लता दीदी ने अमूल्य योगदान दिया।…
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bharatalert · 2 years
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Lata Mangeshkar With Rajesh Khanna: Stars Share Throwback Memories
Lata Mangeshkar With Rajesh Khanna: Stars Share Throwback Memories
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lok-shakti · 2 years
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दक्षिण एशियाई देशों की लता मंगेशकर को दी श्रद्धांजलि, इमरान खान ने कहा 'वास्तव में महान गायिका' खो गई
दक्षिण एशियाई देशों की लता मंगेशकर को दी श्रद्धांजलि, इमरान खान ने कहा ‘वास्तव में महान गायिका’ खो गई
पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल में जीवन के सभी क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियों ने रविवार को लता मंगेशकर के निधन पर शोक व्यक्त किया और महान गायिका को श्रद्धांजलि दी। पाकिस्तानी राजनेताओं, कलाकारों, क्रिकेटरों और पत्रकारों ने मंगेशकर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए इसे “संगीत की दुनिया का सबसे काला दिन” करार दिया। पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने ट्वीट किया, “लता मंगेशकर की मृत्यु…
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akashghoderao-blog · 4 years
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मराठी भाषा मे�� रामायण परंपरा
         राम के जीवन पर आधारित दो महान भारतीय ग्रंथ हैं, आदि कवि वाल्मीकि द्वारा रचित ‘रामायण‘ और तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’।  हिंदू धर्म को मानने वालों में इन्हें पूजनीय ग्रंथ भी माना जाता है। इन दोनों ग्रंथों के बीच समानता के साथ कुछ अंतर भी है, जो तुलनात्मक-अध्ययन क्या रुचिकर विषय रहा है।
         वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक लेखकों ने न केवल भारत भूमि, बल्कि विदेशों में भी राम कथा का अपनी-अपनी भाषाओं में अपने-अपने ढंग से वर्णन किया है। एक अनुमान के अनुसार दुनिया भर में 300 से ज्यादा रामायणें रची गई हैं, जो हमें राम-कथा के कई अनछुए पहलुओं की जानकारी देती हैं। लेकिन वास्तविकता में राम के चरित्र और गुणों का वर्णन जिन दो मुख्य ग्रन्थों में किया गया है, वे वाल्मीकि-रामायण और रामचरितमानस ही हैं।
        वाल्मीकि ने अपने महाकाव्य में राम को एक साधारण पुत्र, भाई और पति के रूप में ही चित्रित किया है। एक साधारण मानव, जिसे अपने हर काम के लिए अपने मित्रों और सहयोगियों की आवश्यकता होती है। न केवल राम, बल्कि इस महाकाव्य का हरेक पात्र, चाहे वह भरत, शत्रुघ्न, लक्ष्मण या विभीषण जैसा भाई हो, उर्मिला, सीता, कैकई और मंदोदरी जैसी पत्नी हो, हनुमान जैसा मित्र हो या फिर दशरथ जैसा पिता हो, वाल्मीकि द्वारा हर चरित्र को सशक्त और प्रेरक रूप में प्रस्तुत किया गया है। दूसरी ओर तुलसी के राम एक दैवीय शक्ति से युक्त अतिमानव हैं, जो स्वयं में एक महाशक्ति का रूप हैं। तुलसी के राम मर्यादा पुरषोत्तम हैं और वाल्मीकि के राम मानवीय भावनाओ के संतुलित रूप हैं। एक बड़ा अंतर है, दोनों ग्रंथों के रचना-आधार का। वाल्मीकि-रामायण की रचना ऐतिहासिक घटना पर आधारिक है, जबकि तुलसीदास ने वाल्मीकि रामायण को आधार मानकर अपने आदर्श चरित्र राम को रचा है।  
   भारत में विभिन्न भाषाओं में रामायणों की रचना हुई, लेकिन प्रत्येक रामायण का केंद्र बिंदु वाल्मीकि रामायण ही रही है। बारहवीं सदी में तमिल भाषा में “कंबन रामायण”, सोलावीं सदी में मराठी भाषा में “भावार्थ रामायण” और तेलुगु भाषा में “रंगनाथ रामायण”, पंद्रहवीं और सोलहवीं सदी में “उड़िया रामायण”, कन्नड में “कुमुदेन्दु रामायण”, पंजाबी में “रामावतार” या “गोबिन्द रामायण” और कृत्तिबास की “बँगला रामायण” प्रसिद्ध हैं, लेकिन इन सबमें तुलसी दास की “रामचरित मानस” सबसे प्रसिद्ध रामायण है।
            मराठी रामायण और रचनाकार
   मराठी भाषा में सर्वप्रथम रामायण की रचना 1595 से 1599 तक, लगभग 4 वर्ष की अवधि में संत एकनाथ महाराज द्वारा “भावार्थ रामायण” के नाम से की गई। यह वाल्मीकि रामायण का एक प्राकृत मराठी भाष्य है अथवा कहें कि वाल्मीकि रामायण का आधार लेकर “भावार्थ रामायण” की रचना की गई। उन्होंने इसके 44 अध्याय लिखे। एकनाथ की मृत्यु के बाद, उनके शिष्य गायबा ने अन्य अध्याय पूरे किए।
   इस ग्रंथ का वैशिष्ट्य देखा जाए तो, इसमें भारतीय संस्कृति में रामायण का महत्व और संत तथा उनके पाठकों के बीच संबंध का परिचय दिया गया है। प्रत्येक चरण की शुरुआत में, उन्होंने कहानी को संक्षेप में प्रस्तुत किया है, जिससे प्रत्येक कांड के कथानक को समझा जा सकता है। प्रत्येक पृष्ठ में नीचे उस पृष्ठ के कठिन शब्दों के अर्थ दिए गए हैं, जिससे वाक्यों का अर्थ लगाना आसान होता है।
        कृष्णदास मुदगल एक महत्वपूर्ण मराठी कवि थे। उन्होंने सन 1600 में “सम्पूर्ण रामायण” रची या रूपांतर किया। वह एकनाथ के समकालीन थे, और पैठन के निवासी थे। उनका “युद्ध-रामायण” ग्रंथ इतना लोकप्रिय था कि पूरे महाराष्ट में दैनिक जीवन में उसे पढ़ा जाता था। कवि ने अपने रूपांतर में वाल्मीकि “रामायण” के साथ साथ “अध्यात्म रामायण” और “अग्निपुराण" का उल्लेख किया। उन्होने मराठी भाषा और कविता की समृद्ध विरासत पर गर्व किया।
    चिन्तामणि विनायक वैद्य (1861–1938) संस्कृत के विद्वान तथा मराठी लेखक एवं इतिहसकार थे। इन्होंने 1920 में “वाल्मीकि रामायण परीक्षण” ग्रंथ प्रकाशित किया और दूसरा ग्रंथ “श्रीराम चरित” 1926 में प्रकाशित किया। ‘श्रीराम चरित’ ग्रंथ जन्म ,बालकांड ,अयोध्या कांड ,अरण्य कांड ,किष्किंधा कांड ,सुंदर कांड ,युद्ध कांड ,उत्तर कांड तथा उपसंहार में विभाजित गद्य रचना है। इस कारण श्रीराम का परिचय होता है। मराठी लेखक ने पाठकों को श्रीराम के चरित्र का परिचय कराने हेतु इस ग्रंथ का लेखन किया। इस ग्रंथ की भाषा अत्यंत सुलभ तथा सरस है। इन्होंने तत्पश्चात वाल्मीकि की रामायण कथा को प्रस्तुत किया है। लेखक ने स्वयं बताया है कि उसने वाल्मीकि रामायण कि कथा को गद्य रूप में प्रस्तुत किया है। कथा तथा सभी वर्णन मूल ग्रंथ के समान दिए हैं।
    गजानन दिगंबर माडगूलकर (1 अक्टूबर 1919 – 14 दिसम्बर 1977) मराठी के प्रमुख कवि, गीतकार, लेखक तथा अभिनेता थे। महाराष्ट्र में वे अपने नाम के आद्यक्षरों से बने 'गदीमा' नाम से ही अधिक जाने जाते हैं। मराठी संस्कृति के लिए उनका योगदान मात्रा और गुणवत्ता दोनो दृष्टियों से बहुत अधिक है। वे आधुनिक काल के प्रमुख साहित्यकार थे।
   सन 1955 में गदीमा ने “गीतरामायण” की रचना की थी। यह अत्यन्त प्रसिद्ध हुआ। इस गीत को सुधीर फडके ने संगीतबद्ध किया था। यह प्रसिद्ध है कि 56 मराठी रामायण गीत रचे गए थे, जिन्हें आकाशवाणी पुणे द्वारा प्रसारित किया गया था। उन दिनों पुणे आकाशवाणी केंद्र पर सीताकात लाड़ स्टेशन डारेक्टर थे, जो गदीमा के मित्र थे। उन्हें समाज के प्रबोधन हेतु कार्यक्र्म प्रसारित करना था। सीताकात लाड़ ने अपनी योजना गदीमा के समक्ष प्रकट की। गदीमा को उनकी यह संकल्पना लुभा गई, अत:  गयी फिर उन्होंने गीत-रचना शुरू कर दी। गदीमा के पुत्र, आनंद माडगुलकर बताते हैं कि सन 1936 में गदीमा ने दत्तात्रेय पराडकर के घर जाकर मरोपंथ का 108 रामायण काव्य ग्रंथ पढ़ा था। तभी से उनकी इच्छा थी कि रामायण पर कुछ लिखा जाए।
    वैशिष्ट्य की दृष्टि से देखें, तो वाल्मीकि रामायण को गीतों का स्वरूप देकर ‘गीतरामायण’ की रचना की गई है। इस गीतों की निर्मिति में 26 से अधिक रागों का उपयोग किया गया है, जैसे- मिश्र भूप, मिश्र देशकर, देस, बिभास, मिश्र भैरव, मधुवंती, तोड़ी, मिश्र खमाज आदि। ‘गीतरामायण’ में 27 पात्र दिखने को मिलता है । इसमें सबसे अधिक दस गीत राम के मुख से गवाए गए हैं। सीता द्वारा आठ, कोसल्या तथा लव-कुश द्वारा तीन-तीन,  दशरथ, विश्वमित्र, लक्ष्म्ण, सूंमत, भरत, शुर्पणखा, हनुमान द्वारा दो-दो गीतों का गायन किया गया है। एक-एक गीत निवेदक, अयोध्या स्त्री और आश्रमिक ने गाया है । आगे चल कर संगीतकार सुधीर फडके, लता मंगेशकर, माणिक वर्मा, वसंतराव देशपांडे, राम फाटक, ललिता फडके, बबन नावडिकर आदि गीतकारों ने ‘गीतरामायण’ के गीतों का गायन कर इसे जन-जन तक पहुँचाया।  
    सन 1955 में “श्रीरामायन कथा” की रचना  त्र्यंबक गणेश बापट ने की।  इसकी कथावस्तु वाल्मीकि रामायण के अनुसार है।  वाल्या के वाल्मीकि बनने के प्रसंग से “श्री रामायण कथा” शुरू होती है। रावण के साथ युद्ध ,विजय प्राप्ति, वापसी, सीता त्याग, अश्वमेध यज्ञ, लक्ष्मण त्याग आदि का विश्लेषण किया गया है। इसके पात्रों के संवाद, वर्णन, पूर्ववर्ती रचनाकारों के उद्धरण आदि रामकथा को पढ़ने में आसान और प्रभावशाली बनाते हैं। ‘श्री रामायण कथा ’ का प्रारंभ श्री गणेश और सरस्वती वंदना से हुआ है, इस कारण अन्य रामकथाओं या रामायणों से भिन्नता नजर आती है। रामकथा के सभी संदर्भ इस रचना में आए हैं। बापट ने न केवल स्वयं सर्वश्रुत रामायण कथा लिखी, बल्कि अपने प्रसंग-लेखन या घटना-वर्णन को अपने पूर्वकालीन रामायणकारों के उदाहरणों द्वारा पुष्ट भी किया। उन्होंने एकनाथ ,श्रीधर ,कृष्णाबाई ,मोरोपन्त पराडकर आदि रामायणकर्ताओं की मदद लेकर अपना रामायण ग्रंथ अधिक ओजस्वी बनाया। श्रीराम तथा लव कुश की भेंट और उसके बाद श्री राम के आत्मस्वरूप में विलीन होने से बापट ने रामायण कथा समाप्त की है। अंत में उन्होंने लिखा है कि ‘राम चरित्र के मनन से सर्वाभूति राम के साथ अभिन्नता दृष्टिगत होने लगती है। राम ही परब्रह्म है।‘
            सन 2015 में सौ. सुनीता लूले द्वारा ‘प्रश्नोतरी रामायण’ की रचना की गई । इस में प्रश्न किए गए हैं और उनके उत्तर दिए गए हैं, जैसे- प्रश्न- राजा दशरथ ला किती पुत्र होते? उतर- चार।
      विदुला टोकेकर मराठी लेखिका हैं। उन्होंने अनेक अंग्रेजी ग्रंथों का मराठी में अनुवाद किया है। उन्हीं के द्वारा देवदत्त पटनायक की अंग्रेज़ी पुस्तक, ‘सीता’ (Sita-An illustrate re-telling of ramayan) का मराठी में “सीता: रामयनाचे चित्रमय पुन:कथन” नाम से अनुवाद किया गया है। इसमें चित्रमय प्रसंग दिखा कर सीता का परिचय दिया गया है। इसी प्रकार विवाह , वनवास, अपहरण, अपेक्षा, मुक्तता, आदि प्रसंगों का विश्लेषण किया गया है।  
      सुलेचना खांडेकर ने तुलसीदास की रामायण ‘श्रीराम चरित्रमानस’ का मराठी भाषा में अनुवाद किया है।
      “तत्वबोध रामायण” के लेखक सिद्धविनायक बोंद्रे ने वाल्मीकि रामायण में से कुछ निवडक श्लोक चुन कर उनका अनुवाद किया है।
      आदिकवि वाल्मीकि प्रणीत “श्रीरामायण” महाकाव्य का मराठी अनुवाद श्री दा. सातावलेकर और विष्णु दामोदरशास्त्री पंडित द्वारा किया गया है।
अनुवाद की भूमिका :
     मराठी साहित्य में रामायण की रचना मध्यकाल से लेकर आधुनिक काल तक होती आ रही है। आज तक मराठी में 10 से अधिक रामायणों की निर्मिति हुई है। सभी रचनाकारों ने मूल वाल्मीकि रामायण का आधार लेकर अपने काल के अनुसार कुछ परिवर्तन करके रामायण की रचना की है।  
  व्यापक तौर पर देखा जाए तो, मध्यकाल के दौरान वाल्मीकि ‘रामायण’ ने सांस्कृतिक उद्देश्य से अथवा भक्तिभाव के माध्यम से मराठी साहित्य और संस्कृति में प्रवेश किया होगा। प्रवेश करने के बाद संत, लेखक, कीर्तनकार और वारकारी संप्रदाय ने रामायण और उसके पात्रों के अच्छे-बुरे पहलुओं को परखा होगा। इस आधार पर यहाँ के वारकरी संप्रदाय ने “राम कृष्णहरी” के गुण गाए। कुछ संत ‘अभंगों’ में राम, सीता, हनुमान के संदर्भ गायन करते रहे। इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए एकनाथ जी ने ‘भावार्थ रामायण’ रची। उसके बाद कृष्णदास मुदगल ने सम्पूर्ण ‘रामायण’ लिखी तथा समर्थ रामदास ने ‘लघुरामायण’ लिखी। उसी के साथ भारतीय संस्कृति के राम का विस्तार मराठी के साथ गुजरती में भी हुआ। इस तरह अन्य भाषाओं में भी रामायण ग्रंथ रचे गए।
            मराठी साहित्य मे अन्य भाषाओं से आए कुछ ‘रामायण’ अनुवाद हैं। तात्पर्य यही है कि वाल्मीकि 'रामायण’ संस्कृत में लिखी गई। अनुमान किया जा सकता है कि विभिन्न भाषाओं में अनुवाद के द्वारा ‘रामायण’ रचे गए होंगे। इस से पता चलता है कि मध्यकाल से लेकर आधुनिक काल तक अनुवाद प्रत्येक क्षेत्र में अपना महत्व दर्शाता आ रहा है। उल्लेखनीय है कि भावार्थ रामायण वाल्मीकि रामायण का संदर्भ ले के काव्य रूप में रची गई और मध्यकाल में मराठी भाषा का जो रूप था, उस भाषा में भावार्थ रामायण की रचना हुई।
      मराठी साहित्य का आधुनिक काल सन 1875 से अब तक माना जाता है। इस काल में मराठी रामायण की रचना तो बहुत हुई, पर सबसे अधिक लोकप्रियता के शिखर पर ‘गीतरामायण’ है। गीतरामायण की रचना अत्यत साधारण और सुश्राव्य मानी जाती है। इसके गीतों का अनुवाद गुराजती, कन्नड, हिंदी, सिंधी, तेलुगु, कोंकणी, अंग्रेजी आदि में भी हुआ है। इस काल में एक दूसरे के ‘रामायण’ ग्रंथों या लेखकों से प्रेरित होकर रामायण की रचना हुई है, जैसे- सन 1955 में त्र्यबंक गणेश बापट ने मराठी के अन्य रचनाकारों से प्रेरित होकर अपनी रामायण रची।
 आकाश वा. घोडेराव एम.ए. अनुवाद अध्ययन (चतुर्थ सेमिस्टर) महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा-442001 (महाराष्ट्र) Mob no. 7588788073 Email id: [email protected]
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currentnewsss · 2 years
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Lata Mangeshkar's ‘Ae Malik Tere Bande Hum’ Once Travelled To Pakistan Becoming An Anthem In One Of Its Schools
Lata Mangeshkar’s ‘Ae Malik Tere Bande Hum’ Once Travelled To Pakistan Becoming An Anthem In One Of Its Schools
लता मंगेशकर की ‘ऐ मलिक तेरे बंदे हम’ को पाकिस्तानी स्कूल में एक गान के रूप में बजाया गया था (फोटो क्रेडिट – लता मंगेशकर / इंस्टाग्राम; अभी भी ऐ मालिक तेरे बंदे हम / जाने नए पुराण से) 6 फरवरी को, भारत की प्रतिष्ठित गायिका लता मंगेशकर अपने स्वर्गीय निवास के लिए रवाना हुईं। लगभग एक महीने तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद, भारत की कोकिला ने एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। चूंकि उसे अपनी मृत्यु को छोड़े…
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sharimpay · 2 years
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लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में निधन, पीछे समृद्ध संगीतमय विरासत छोड़ गयी
लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में निधन, पीछे समृद्ध संगीतमय विरासत छोड़ गयी
भारत की कोकिला, लता मंगेशकर का 6 फरवरी, 2022 को निधन हो गया। यह जानकारी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दी, जो आज सुबह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल गए थे। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनका इलाज कर रहे डॉ. प्रतीत समदानी ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा, “यह बहुत दुख के साथ है कि हम सुबह 8:12 बजे # लता मंगेशकर के दुखद निधन की घोषणा करते हैं। मल्टी-ऑर्गन फेल्योर के बाद उनकी मृत्यु हो गई है।…
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sarhadkasakshi · 2 years
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स्वर कोकिला लता मंगेशकर की याद में: मृत्यु सदैव शोक का विषय ही नहीं होती अपितु मृत्यु जीवन की पूर्णता है
स्वर कोकिला लता मंगेशकर की याद में: मृत्यु सदैव शोक का विषय ही नहीं होती अपितु मृत्यु जीवन की पूर्णता है
आज का दिन स्वर कोकिला की याद में समर्पित करते हुए, ईश्वर से प्रार्थना कि ऐसा ही जीवन प्रत्येक भारतीय को मिले इस प्रार्थना के साथ,  “लता जी का शरीर पूरा हो गया, यात्रा पूरी …… जाने के एक दिन पहले सरस्वती पूजा थी, और कल लता दीदी विदा हो गई हैं। लगता है….. जैसे माँ सरस्वती इस बार अपनी सबसे प्रिय पुत्री को ले जाने ही स्वयं धरती पर आयी थीं। मृत्यु सदैव शोक का विषय ही नहीं होती। मृत्यु जीवन की पूर्णता…
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parichaytimes · 2 years
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जब आप गाते हैं तो आपको अपने बारे में सोचना चाहिए कि आप अपने गुरु से बेहतर गाएंगे: लता मंगेशकर को अपने पिता से मिली सलाह - टाइम्स ऑफ इंडिया
जब आप गाते हैं तो आपको अपने बारे में सोचना चाहिए कि आप अपने गुरु से बेहतर गाएंगे: लता मंगेशकर को अपने पिता से मिली सलाह – टाइम्स ऑफ इंडिया
92 वर्षीय प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर का 6 फरवरी, 2022 को निधन हो गया और उनकी मृत्यु संगीत की दुनिया में एक युग के अंत का प्रतीक है। भारत की कोकिला, लता जी ने अपनी जादुई और कालातीत आवाज के माध्यम से दुनिया भर के श्रोताओं की पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। लता जी ने अपना पहला गाना 1942 में 13 साल की उम्र में रिकॉर्ड किया था और बाकी, जैसा कि वे कहते हैं, इतिहास है। लगभग सात दशकों के करियर में,…
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mykrantisamay · 2 years
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लता मंगेशकर के सम्मान में डाक टिकट जारी करेगा केंद्र : अश्विनी वैष्णव
लता मंगेशकर के सम्मान में डाक टिकट जारी करेगा केंद्र : अश्विनी वैष्णव
लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में 6 फरवरी को निधन हो गया था। मशहूर गायिका और भारत रत्न से सम्मानित लता मंगेशकर का रविवार को मुंबई में 92 साल की उम्र में मल्टी-ऑर्गन फेल्योर के कारण निधन हो गया। News18.com आखरी अपडेट:फरवरी 07, 2022, 23:58 IST पर हमें का पालन करें: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर के सम्मान में एक डाक टिकट जारी करेगी, जिनका रविवार को निधन हो गया। इंडिया…
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bharatalert · 2 years
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How Lata Mangeshkar Entered Films. Remembering Her Acting Roles And More
How Lata Mangeshkar Entered Films. Remembering Her Acting Roles And More
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lok-shakti · 2 years
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लता मंगेशकर ने राज्यसभा सांसद के रूप में अपने छह साल के कार्यकाल के दौरान कभी कोई भत्ता नहीं लिया
लता मंगेशकर ने राज्यसभा सांसद के रूप में अपने छह साल के कार्यकाल के दौरान कभी कोई भत्ता नहीं लिया
लता मंगेशकर ने अपनी बिगड़ती तबीयत के बारे में बीच-बीच में डरने के बाद रविवार सुबह अंतिम सांस ली। गायन की किंवदंती होने के अलावा, मंगेशकर छह साल के लिए राज्यसभा का भी हिस्सा थीं, उनका कार्यकाल कोई भत्ता नहीं लेने के लिए प्रसिद्ध था। भाजपा द्वारा समर्थित, वह 22 नवंबर, 1999 को चुनी गईं, और 21 नवंबर, 2005 तक सदन का हिस्सा थीं। एक आरटीआई के बाद, यह पता चला कि अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कभी भी एक…
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ankurranjan813 · 2 years
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लता जी का शरीर पूरा हो गया। कल सरस्वती पूजा थी, आज माँ विदा हो रही हैं। लगता है जैसे माँ सरस्वती इस बार अपनी सबसे प्रिय पुत्री को ले जाने ही स्वयं आयी थीं। मृत्यु सदैव शोक का विषय नहीं होती। मृत्यु जीवन की पूर्णता है। लता जी का जीवन जितना सुन्दर रहा है, उनकी मृत्यु भी उतनी ही सुन्दर हुई है। 93 वर्ष का इतना सुन्दर और धार्मिक जीवन विरलों को ही प्राप्त होता है। लगभग पाँच पीढ़ियों ने उन्हें मंत्रमुग्ध हो कर सुना है, और हृदय से सम्मान दिया है। उनके पिता ने जब अपने अंतिम समय में घर की बागडोर उनके हाथों में थमाई थी, तब उस तेरह वर्ष की नन्ही जान के कंधे पर छोटे छोटे चार बहन-भाइयों के पालन की जिम्मेवारी थी। लता जी ने अपना समस्त जीवन उन चारों को ही समर्पित कर दिया। और आज जब वे गयी हैं तो उनका परिवार भारत के सबसे सम्मानित प्रतिष्ठित परिवारों में से एक है। किसी भी व्यक्ति का जीवन इससे अधिक सफल क्या होगा ? भारत पिछले अस्सी वर्षों से लता जी के गीतों के साथ जी रहा है और आगे भी कब तक जियेगा पता नही। हर्ष में, विषाद में, ईश्वर भक्ति में, राष्ट्र भक्ति में, प्रेम में, परिहास में हर भाव में लता जी का स्वर हमारा स्वर बना है। लता जी गाना गाते समय चप्पल नहीं पहनती थीं। गाना उनके लिए ईश्वर की पूजा करने जैसा ही था। कोई उनके घर जाता तो उसे अपने माता-पिता की तस्वीर और घर में बना अपने आराध्य का मन्दिर दिखातीं थीं। बस इन्ही तीन चीजों को विश्व को दिखाने लायक समझा था उन्होंने। सोच कर देखिये, कैसा दार्शनिक भाव है यह.. इन तीन के अतिरिक्त सचमुच और कुछ महत्वपूर्ण नहीं होता संसार में। सब आते-जाते रहने वाली चीजें हैं। कितना अद्भुत संयोग है कि अपने लगभग सत्तर वर्ष के गायन कैरियर में लगभग 36भाषाओं में हर रस/भाव के 50 हजार से भीअधिक गीत गाने वाली लता जी ने अपना पहले और अंतिम हिन्दी फिल्मी गीत के रूप में भगवान भजन ही गाया है। 'ज्योति कलश छलके' से 'दाता सुन ले' तक कि यात्रा का सौंदर्य यही है कि लताजी न कभी अपने कर्तव्य से डिगीं न अपने धर्म से! इस महान यात्रा के पूर्ण होने पर हमारा रोम रोम आपको प्रणाम करता है लता जी ! संयोग देखें, सरस्वती पुत्री लता मंगेशकर माँ सरस्वती पूजन (बसंत पंचमी ) के दूसरे दिन माँ के साथ ही विदा हो गई। प्रत्यक्ष को प्रमाण कि आवश्यकता नही होती। आप सदैव हमारे दिलों में जीवित रहेंगी। ॐ शांति शांति 😥💐💐🙏🏻🙏🏻 #latamangeshkar #singer #tribute (at Shahapur, Maharashtra) https://www.instagram.com/p/CZo4O5-PM9S/?utm_medium=tumblr
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vatankiawazcom · 2 years
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जब जहर भी नहीं रोक पाया लता की सुरीली आवाज 
जब जहर भी नहीं रोक पाया लता की सुरीली आवाज 30 से अधिक भाषाओं में अपनी सुरीली आवाज से गाना गाकर सबको मंत्रमुग्ध कर देने वाली स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने अलविदा कह दिया है। 92 वर्ष की उम्र में उनका कंठ हमेशा के लिए बंद हो गया। यह सत्य है जो जन्मा है उसकी मृत्यु भी होनी है, लेकिन लता जी के साथ जुडी एक घटना ऐसी है जब लगा था कि वह अब कभी भी स्वर की दुनिया में अपना जादू नहीं बिखेर पाएंगी। लता जब 33…
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biowikihindi · 2 years
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Lata Mangeshkar death: आखिर क्यों लता मंगेशकर की मौत से सदमे में है पूरा हिंदुस्तान
Lata Mangeshkar death: आखिर क्यों लता मंगेशकर की मौत से सदमे में है पूरा हिंदुस्तान
बॉलीवुड में जब भी कोई बड़े कलाकार की मृत्यु होती है या फिर उनकी तबीयत खराब होती है तो उनके चाहने वाले भारतीय दर्शक हो या दुनिया भर के उनके फैन उनकी खबरों को जानने के लिए काफी परेशान हो जाते हैं। उनकी स्वास्थ्य की चिंता लोगों को सताने लगती है। बॉलीवुड की मशहूर गायिका और स्वर कोकिला के नाम से विख्यात लता मंगेशकर की अचानक निधन हो जाने से पूरा भारत सदमे में है। वह पिछले कुछ समय से अस्पताल में भर्ती…
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