IND vs SA 3rd ODI Weather Report: रद्द होगा भारत-दक्षिण अफ्रीका तीसरा वनडे
IND vs SA 3rd ODI Weather Report: रद्द होगा भारत-दक्षिण अफ्रीका तीसरा वनडे
भारत और साउथ अफ्रीका के बीच वनडे सीरीज का फाइनल और निर्णायक मुकाबला आज खेला जाना है. हालांकि दिल्ली के मौसम को देखते हुए कहा जा रहा है कि बारिश की वजह से यह मैच रद्द हो सकता है। आपको बता दें कि तीन मैचों की यह सीरीज फिलहाल 1-1 से बराबरी पर है। ऐसे में जो भी टीम तीसरा वनडे जीतेगी वह सीरीज पर कब्जा कर लेगी। हालांकि आज मौसम भी भारत और दक्षिण अफ्रीका के अरमानों को बिगाड़ने को तैयार है।
बारिश पर बड़ा…
यूपी: भारी बारिश की चेतावनी के कारण शुक्रवार को नोएडा में कक्षा 1-8 के लिए स्कूल बंद रहेंगे
यूपी: भारी बारिश की चेतावनी के कारण शुक्रवार को नोएडा में कक्षा 1-8 के लिए स्कूल बंद रहेंगे
आखरी अपडेट: 22 सितंबर 2022, 23:10 IST
दिल्ली में मौसम विभाग ने शुक्रवार के लिए ‘येलो’ अलर्ट जारी किया है, जिसमें लोगों को शहर के अधिकांश स्थानों पर मध्यम बारिश के प्रति आगाह किया गया है। (फाइल फोटो/पीटीआई)
उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में भी बारिश के कारण जान-माल के नुकसान की खबर है
जिला मजिस्ट्रेट सुहास एलवाई द्वारा गुरुवार को जारी एक आदेश में कहा गया है कि गौतम बौद्ध नगर जिले के नोएडा और…
यूपी: भारी बारिश की चेतावनी के कारण शुक्रवार को नोएडा में कक्षा 1-8 के लिए स्कूल बंद रहेंगे
यूपी: भारी बारिश की चेतावनी के कारण शुक्रवार को नोएडा में कक्षा 1-8 के लिए स्कूल बंद रहेंगे
आखरी अपडेट: 22 सितंबर 2022, 23:10 IST
दिल्ली में मौसम विभाग ने शुक्रवार के लिए ‘येलो’ अलर्ट जारी किया है, जिसमें लोगों को शहर के अधिकांश स्थानों पर मध्यम बारिश के प्रति आगाह किया गया है। (फाइल फोटो/पीटीआई)
उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में भी बारिश के कारण जान-माल के नुकसान की खबर है
जिला मजिस्ट्रेट सुहास एलवाई द्वारा गुरुवार को जारी एक आदेश में कहा गया है कि गौतम बौद्ध नगर जिले के नोएडा और…
दिल्ली में बीते दिन उमस से भरे थे मगर कल रात से जो सावन बरसा है, वह दिल को सुकून देने वाला है। कल रात देर रात चार बजे तक जागा और फिर सुबह उठके देखा तो बाहर रिम झिम बारिश हो रही थी, अब तो खैर संध्या का वक्त हो चुका है मगर यह दिलकश अभाव को महसूस कर एक गाना याद आया है, गाना है इजाज़त फिल्म का मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है, जो कि जावेद अख्तर द्वारा लिखा गया है, संगीत मेरे मनपसंदीदा राहुल देव बर्मन का और स्वर दिए है आशा भोंसले ने। यह गाना मेरे दिल के बेहद करीब है। जब आपके आस पास वर्षा हो रहीं हो तो यह गाना अपने आप ही ज़हन में उतर ही आता है। मैं इस गाने की कुछ पंक्तियां लिखना चाहूंगा।
मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है, हो सावन के कुछ भीगे भीगे दिन रखें है, और मेरे एक खत में लिपटी रात पड़ी है, वो रात बुझा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
पतझड़ है कुछ, है ना? पतझड़ में कुछ पत्तो की गिरने की आहट कानो में एक बार पहन के लौट आई थी, पतझड़ की वो शाख अभी तक कांप रही थी, वो शाख गिरा दो मेरा वो सामान लौटा दो।
है ना कितनी उम्दा पंक्तियां, अब मेरा सबसे पसंदीदा अंतरा
एक अकेली छत्री में जब आधे आधे भीग रहे थे, आधे सूखे आधे गीले सुखा तो मैं ले आई थी, गीला मन शायद बिस्तर के पास पड़ा हो, वो भिजवा दो मेरा कुछ सामान लौटा दो
एक सौ सोलह चांद की रातें, एक तुम्हारे कंधे का तिल, गीली मेहंदी की खुश्बू, झूठमूठ के शिकवे कुछ, झूठमूठ के वादे भी सब याद करा दो, सब भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो, सब भिजवा दो मेरा वो सामान लौटा दो, एक इजाज़त दे दो बस, जब इसको दफनाऊंगी, में भी वही सो जाऊंगी, में भी वही सो जाऊंगी
वाकई में यह गीत किसी जादू से कम नहीं, अपनी ही खयालों की दुनिया में मुझे खो देता है।
🌿कबीर साहेब जी को मारने के लिए 52 बार असफल प्रयास🌿
पूर्ण परमात्मा सर्व सृष्टि रचनहार कबीर साहेब जी जब 600 वर्ष पहले सन् 1398 से 1518 तक काशी में अपनी लीला करने आये थे।
तब 5 वर्ष की आयु से ही अपने ज्ञान का डंका बजाने लग गये थे बड़े बड़े धर्म गुरु ऋषि महर्षि पंडित काजी मुल्लाओं को अपने ज्ञान से परास्त कर चुके हैं मुस्लिम धर्म गुरु पीर शेकतखी दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी के गुरु भी उनसे ईर्ष्या करने लग गया और कबीर साहेब जी को नीचा दिखाने के लिए नई नई योजना बनाने लगा उनसे भी बात नहीं बनी तो कबीर साहेब जी को मारने के लिए 52 बार षड्यंत्र रचा अलग अलग तरीके से कबीर साहेब जी को मारने की कुचेष्टा की।
जैसे....
एक बार...
कबीर साहेब सिकंदर लोधी के दरबार में बैठकर सत्संग कर रहे थे तब शेखतकी ने सिपाही से कहा कि लोहे को गर्म करके पिघलाकर पानी की तरह बनाओ और कबीर साहेब पर डालो। ठीक ऐसा ही हुआ जब लोहा गर्म करके पिघलाकर कबीर साहेब पर डाला तब वह फूल बन गए जैसे की मानो फूलों की वर्षा होने लगी। तब सभी ने कबीर साहेब की जय जयकार लगाई।
फिर.....
कबीर साहेब को मारने के लिए शेखतकी ने तलवार से वार करवाये। लेकिन तलवार कबीर साहेब के आर पार हो जाती क्योंकि कबीर साहेब का शरीर पाँच तत्व का नहीं बना था उनका नूरी शरीर था। फिर सभी लोगों ने कबीर साहेब की जय जयकार की।
साहेब कबीर को मारण चाल्या, शेखतकी जलील।
आर पार तलवार निकल ज्या, समझा नहीं खलील।।
और.....
एक समय
"मुर्दे को जीवित करने की परीक्षा ली"
दिल्ली के बादशाह सिकन्दर लोधी के पीर शेख तकी ने कहा कबीर जी को तब अल्लाह मानेंगे जब मेरी मरी हुई लड़की को जीवित कर देगा जो कब्र में दबी हुई है। कबीर परमेश्वर जी ने अपनी समर्थ शक्ति से हजारों लोगों के सामने उस लड़की को जीवित किया और उसका नाम कमाली रखा।
कबीर साहेब जी के ऐसे ऐसे अनेकों चमत्कारों और लीलाओं को देखकर उस समय उनके 64 लाख शिष्य हुए थे
कबीर परमेश्वर सर्वशक्तिमान हैं।
#KabirPrakatDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#परमेश्वरकबीर_प्रकट दिवस2023
#कबीर_भगवान_के_चमत्कार
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar
Date: 16 May 2024
Time: 01.00 to 01.05 PM
Language Marathi
आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक: १६ मे २०२४ दुपारी १.०० वा.
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मुंबईतल्या घाटकोपरमध्ये छेडानगर परिसरात महाकाय फलक कोसळून झालेल्या दुर्घटनेतलं बचावकार्य आज सकाळी साडेदहा वाजेदरम्यान संपवण्यात आलं. मुंबई महापालिका आयुक्त भुषण गगराणी यांनी आज पत्रकारांशी बोलतांना ही माहिती दिली. जवळपास ६३ तास चाललेल्या या बचावकार्यात ९१ जणांना सुरक्षितरित्या बाहेर काढण्यात आलं. सध्या या ठिकाणचा मलबा हटवण्याचं काम सुरु आहे. या प्रकरणी गुन्हा दाखल करण्यात आला असून संबंधित पेट्रोल पंपाच्या अनुषंगाने फलकासंदर्भातल्या परवानग्या तपासण्यात येत असल्याचं ते यावेळी म्हणाले. शहरात असणाऱ्या अशा पद्धतीच्या सर्व जाहिरात फलकांची तपासणी करण्यात येत आहे. तसंच सर्व बेकायदेशीर फलकांविरोधात कारवाई सुरु असून, सर्व फलकांना स्ट्रक्चरल स्थिरता प्रमाणपत्र आवश्यक असल्याचं त्यांनी यावेळी सांगितलं. दरम्यान, १३ मे रोजी झालेल्या या दुर्घटनेत आतापर्यंत १६ जणांचा मृत्यू झाला आहे.
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यंदाच्या पदवी अभ्यासक्रमासाठीच्या सामायिक विद्यापीठ प्रवेश परिक्षा सीयुईटीत काल ७५ टक्क्यांहून अधिक उमेदवारांनी सहभाग घेतला. काल एकाच दिवशी झालेल्या परिक्षेसाठी, ३७९ शहरात दोन हजार १५७ परिक्षा केंद्रांवर एकूण ११ लाख ४ हजार उमेदवारांनी नोंदणी केली होती. दरम्यान, दिल्ली केंद्रासाठी काल होणारी ही परिक्षा काही अपरिहार्य कारणांमुळे पुढे ढकलण्यात आली असून आता ही परिक्षा २९ मे रोजी होईल.
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शेतकऱ्यांच्या तक्रार निवारणासाठी कृषि विभागामार्फत विभाग आणि प्रत्येक जिल्हास्तरावर निविष्ठा तक्रार निवारण कक्ष सुरु करण्यात आला आहे. ठाण्याचे कोकण विभागीय कृषी सहसंचालक अंकुश माने यांनी ही माहिती दिली आहे. खरीप हंगामात शेतकऱ्यांना बियाणं, खतं, किटकनाशकं आदींबाबत उदभवणाऱ्य़ा अडचणींचं निराकरण व्हावं, तसंच काळाबाजार आणि साठेबाजीला आळा बसण्याच्या उद्देशाने हा कक्ष सुरु करण्यात आला आहे.
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राष्ट्रीय डेंग्यू दिवस आज पाळला जात आहे. यानिमित्त छत्रपती संभाजीनगर जिल्ह्यात सर्व शासकीय आरोग्य संस्थेत विविध जनजागृतीपर कार्यक्रम होत आहेत. नागरिकांनी घरात कोणतेही साठविलेलं पाणी आठ दिवसांपेक्षा जास्त काळ ठेवू नये, पाणी साठवणुकीचं भांडं आठवड्यातून एकदा रिकामं आणि कोरडं करुन भरावं तसंच डेंग्यू ताप टाळण्यासाठी नागरिकांनी खबरदारी घ्यावी, असं आवाहन जिल्हा आरोग्य अधिकारी डॉ. अभय धानोरकर यांनी केलं आहे. डेंग्यु संदर्भात इंडिया फाईट डेंग्यू हे मोबाईल अॅप्लीकेशन तयार करण्यात आलं असून या ॲप्लिकेशनचा नागरिकांनी वापर करावा, डासांच्या उत्पत्तीवर नियंत्रण मिळविण्यासाठी नागरिकांनी आरोग्य यंत्रणेला सहकार्य करावं असंही त्यांनी म्हटलं आहे.
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नांदेड जिल्ह्यात पाणीटंचाई निवारण्याची कामं लोकसहभागातून हाती घ्यावीत असं जिल्हाधिकारी अभिजीत राऊत यांनी म्हटलं आहे. अशा कामांना शासकीय यंत्रणा आणि स्वयंसेवी संस्थामार्फत सहकार्य करण्यात येणार असल्याचं त्यांनी सांगितलं आहे. अनेक तालुक्याच्या ठिकाणी बैठका घेवून उपाययोजना करण्याच्या सूचना संबंधित यंत्रणाना त्यांनी दिल्या आहेत.
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लातूर जिल्ह्यात वृक्ष लागवडीवर भर देण्यात येणार असून यंदाच्या पावसाळ्यात जास्तीत जास्त वृक्ष लागवड करून त्याचं संवर्धन करण्याचा संकल्प प्रत्येकानं करावा, असं आवाहन जिल्हाधिकारी वर्षा ठाकूर-घुगे यांनी केलं आहे. वृक्षलागवड या चळवळीला लोकचळवळीचं स्वरुप येणं गरजेचं आहे. यासाठी माय गार्डन, माय प्राईड मोहीम राबविण्यात येईल. तसंच स्वयंसेवी संस्थांनी शहरी भागात रस्त्यांच्या दुतर्फा वृक्ष लागवड करून ग्रीन कॉरिडोर निर्माण करण्याची संकल्पना राबवावी असं त्यांनी यावेळी सांगितलं.
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मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड्यात आणि विदर्भात आज आणि उद्या जोराचे वारे, वीजा, गारपीटींसह हलका ते मध्यम पावसाचा इशारा हवामान विभागानं दिला आहे.
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यंदाच्या टी-ट्वेंटी विश्वचषक दरम्यान, भारतीय सांकेतिक भाषा आणि ऑडिओ वर्णनात्मक समालोचन प्रदान करण्यासाठी इंडिया साइनिंग हँड्स प्रायव्हेट लिमिटेडसह अनेक खाजगी क्रीडा वाहिनींच्या सहकार्याबद्दल माहिती आणि प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकूर यांनी कौतुक केलं आहे. समाज माध्यमावरील आपल्या संदेशात त्यांनी, सरकारच्या सर्वसमावेशकतेच्या दृष्टीकोनातून हे एक महत्वाचं पाऊल असल्याचं म्हटलं आहे.
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व्हिएतनाम इथं सुरु असलेल्या आशियाई तायक्वांदो स्पर्धेत भारताला दुसरं पदक प्राप्त झालं आहे. सीता, हर्षा सिंघा आणि उषा धामणस्कर या तिन्ही खेळाडूंनी सर्वोत्तम कामगिरी नोंदवत पुमसे खेळ प्रकारात भारतीय संघाला रौप्यपदक मिळवून दिलं. या खेळाडूंनी ३० गुणांची कमाई करत पदक प्राप्त केलं. १४ मे रोजी मंगळवारी स्पर्धेच्या पहिल्याच दिवशी अरुणाचल प्रदेशच्या रुपा बायोर हिनं पुमसे गटात कांस्यपदकाची कमाई केली होती. ही स्पर्धा १८ मेपर्यंत चालणार आहे.
प्रमाण/पुरावा: कविर्देव (कबीर) अमर लोकातून सह शरीर येतात आणि सह शरीर वापस जातात..600 वर्षा पूर्वी कशी मगहर येथून सह शरीर सतलोक गमन केले. पूर्ण परमात्मा और उनका शरीर अमर तत्व से बनने के कारण सशरीर आते हैं सत्य भक्ति का प्रचार करते हैं और सशरीर अपने सतलोक वापस जाते हैं।साक्षी बिर्देव सिंह बघेल, राजा *मगहर*, *दिल्ली* के बादशहा शिकंदर लोधी, स्वामी रामानंद, पड़ीत सर्वानंद और उस समय के लाखो लोग। वेद गीता कुरान बाइबल और गुरु ग्रंथ साहिब
कबीर परमेश्वर जी को संत रविदास जी ने सुबह ही बता दिया था कि हे कबीर जी! आज तो विरोधियों ने बनारस छोड़कर भगाने का कार्य कर दिया। आपके नाम से पत्र भेज रखे हैं और ऐसा-ऐसा लिखा है। लगभग 18 लाख व्यक्ति साधु-संत लंगर खाने पहुँच चुके हैं। कबीर जी ने कहा कि मित्र आजा बैठ जा! दरवाजा बंद करके सांगल लगा ले। आज-आज का दिन बिताकर रात्रि में अपने परिवार को लेकर भाग जाऊँगा। कहीं अन्य शहर-गाँव में निर्वाह कर लूंगा। जब उनको कुछ खाने को मिलेगा ही नहीं तो झल्लाकर गाली-गलौच करके चले जाएंगे। हम सांकल खोलेंगे ही नहीं, यदि किवाड़ तोड़ेंगे तो हाथ जोड़ लूंगा कि मेरा सामर्थ्य आप जी को भण्डारा कराने का नहीं है। गलती से पत्रा डाले गए, मारो भावें छोड़ो। दोनों संत माला लेकर भक्ति करने लगे। मुँह बोले माता-पिता तथा मृतक जीवित किए हुए लड़का तथा लड़की सुबह सैर को गए थे। इतने में दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी ने दरवाजा खटखटाया। संत रविदास जी ने कहा प्रभु! लगता है कि अतिथि यहाँ पर भी पहुँच गए हैं।
कबीर जी ने कहा कि देख सुराख से बच्चे तो नहीं आ गए हैं। रविदास जी ने देखकर बताया कि नहीं, कोई और ही है। दो-तीन बार दरवाजा खटखटाकर राजा सिकंदर ने अपना परिचय देकर बताया कि आपका दास सिकंदर आया है, आपके दर्शन करना चाहता है। परमेश्वर कबीर जी ने कहा राजन! आज दरवाजा नहीं खोलूंगा। मेरे नाम से झूठी चिट्ठियाँ भेज रखी हैं, लाखों संत-भक्त पहुँच चुके हैं। रात्रि होते ही मैं अपने परिवार को लेकर कहीं दूर चला जाऊँगा। सिकंदर लोधी ने कहा परवरदिगार! आप मुझे नहीं बहका सकते, मैं आपको निकट से जान चुका हूँ। आप एक बार दरवाजा खोलो, मैं आपके दर्शन करके ही जलपान करूँगा।
परमेश्वर की आज्ञा से रविदास जी ने दरवाजा खोला तो सिकंदर लोधी मुकट पहने-पहने ही चरणों में लोट गया और बताया कि आप अपने आपको छिपाकर बैठे हो, आपने कितना सुंदर भण्डारा लगा रखा है। आपका मित्र केशव आपके संदेश को पाकर सर्व सामान लेकर आया है।
आपके नाम का अखण्ड भण्डारा चल रहा है। सर्व अतिथि आपके दर्शनाभिलाषी हैं। कह रहे हैं कि देखें तो कौन है कबीर सेठ जिसने ऐसे खुले हाथ से लंगर कराया है। मेरी भी प्रार्थना है कि आप एक बार भण्डारे में घूमकर सबको दर्शन देकर कृतार्थ करें। तब परमेश्वर कबीर जी ��ठे और कुटिया से बाहर आए तो आकाश से कबीर जी पर फूलों की वर्षा होने लगी तथा आकाश से आकर सिर पर सुन्दर मुकुट अपने आप पहना गया। तब हाथी पर बैठकर कबीर जी तथा रविदास जी व राजा चले तो सिकंदर लोधी परमेश्वर कबीर जी पर चंवर करने लगे और पीलवान से कहा कि हाथी को भण्डारे के साथ से लेकर चल। जो भी देखे और पूछे काशी वालों से कि कबीर सेठ कौन-सा है, उत्तर मिले कि जिसके सिर पर मोरपंख वाला मुकुट है, वह है कबीर सेठ जिस पर सिकंदर लोधी दिल्ली के बादशाह चंवर कर रहे हैं। सब एक स्वर में जय
बोल रहे थे। जय हो कबीर सेठ की, जैसा लिखा था, वैसा ही भण्डारा कराया है। ऐसी व्यवस्था कहीं देखी न सुनी। भोजन खाने का स्थान बहुत लम्बा-चौड़ा था। उसमें घूमकर फिर वहाँ पर आए जहाँ पर केशव टैंट में बैठा था। हाथी से उतरकर कबीर जी तम्बू में पहुँचे तो अपने आप एक सुंदर पलंग आ गया, उसके ऊपर एक गद्दा बिछ गया, ऊपर गलीचे बिछ गए जिनकी झालरों में हीरे, पन्ने, लाल लगे थे। टैंट को ऊपर कर दिया गया जो दो तरफ से बंद था।
खाना खाने के पश्चात् सब दर्शनार्थ वहाँ आने लगे, तब परमेश्वर कबीर जी ने उन परमात्मा के लिए घर त्यागकर आश्रमों में रहने वालों तथा अन्य गृहस्थी व्यक्ति व ब्राह्मणों को आपस में
(केशव तथा कबीर जी ने) आध्यात्मिक प्रश्न-उत्तर करके सत्यज्ञान समझाया। 8 पहर (24 घण्टे) तक सत्संग करके उनका अज्ञान दूर किया। कई लाख साधुओं ने दीक्षा ली और अपना
कल्याण कराया। विरोधियों ने तो परमेश्वर का बुरा करना चाहा था, परंतु परमात्मा को इकट्ठे करे-कराए भक्त मिल गए अपना ज्ञान सुनाने के लिए। उन भक्तों को सतलोक से आया हुआ
उत्तम भोजन कराया जिसके खाने से अच्छे विचार उत्पन्न हुए। उन्होंने परमेश्वर का तत्त्वज्ञान समझा, दीक्षा ली तथा कबीर जी ने उनको वर्षों का खर्चा भी दक्षिणा रूप में दे दिया। सब
भण्डारा पूरा करके सर्व सामान समेटकर बैलों पर रखकर जो सेवादार आए थे, वे चल पड़े।
तब सिकंदर लोधी, शेखतकी, कबीर जी, केशव जी तथा राजा के कई अंगरक्षक भी खड़े थे। अंगरक्षक ने आवाज लगाई कि बैल धरती से छः इन्च ऊपर चल रहे हैं। पृथ्वी पर पैर नहीं रख रहे। यह लीला देखकर सब हैरान थे। फिर कुछ देर बाद देखा तो आसपास तथा दूर तक न बैल दिखाई दिए और न बनजारे सेवक। सिकंदर लोधी ने पूछा हे कबीर जी! बनजारे और बैल कहाँ गए? परमेश्वर कबीर जी ने उत्तर दिया कि जिस परमात्मा के लोक से आए थे, उसी में चले गए। उसी समय केशव वाला स्वरूप देखते-देखते कबीर जी के शरीर में समा गया। सिकंदर राजा ने कहा हे अल्लाहु अकबर! मैं तो पहले ही कह रहा था कि यह सब आप कर रहे
हो, अपने आपको छिपाए हुए हो। शेखतकी तो जल-भुन रहा था। कहने लगा कि ऐसे भण्डारे तो हम अनेकों कर दें। यह तो महौछा-सा किया है। हम तो जग जौनार कर देते।
महौछा कहते हैं वह धर्म अनुष्ठान जो किसी पुरोहित द्वारा पित्तर दोष मिटाने के लिए थोपा गया हो। उसमें व्यक्ति बताए गए नग (Items) मन मारकर सस्ती कीमत के लाकर पूरे करता है, हाथ सिकोड़कर लंगर लगाता है।
जग जौनार कहते हैं जिसके घर कई वर्षों उपरांत संतान उत्पन्न होती है तो दिल खोलकर खर्च करता है, भण्डारा करता है तो खुले हाथों से।
संत गरीबदास जी ने उस भण्डारे के विषय में जिसकी जैसी विचारधारा थी, वह बताई :-
गरीब, कोई कहे जग जौनार करी है, कोई कहे महौछा।
बड़े बड़ाई कर्या करें, गाली काढ़ै औछा।।
◆ भावार्थ है कि जो भले पुर���ष थे, वे तो बड़ाई कर रहे थे कि जग जौनार करी है। जो विरोधी थे, ईर्ष्यावश कह रहे थे कि क्या खाक भण्डारा किया है, यह तो महौछा-सा किया है। जब शेखतकी ने ये वचन कहे तो गूंगा तथा बहरा हो गया, शेष जीवन पशु की तरह जीया। अन्य के लिए उदाहरण बना कि अपनी ताकत का दुरूपयोग करना अपराध होता है, उसका भयंकर
फल भोगना पड़ता है।
केशव आन भया बनजारा षट्दल किन्ही हाँस है।
परमेश्वर कबीर जी स्वयं आकर (आन) केशव बनजारा बने। षट्दल कहते हैं गिरी-पुरी, नागा-नाथ, वैष्णों, सन्यासी, शैव आदि छः पंथों के व्यक्तियों को जिन्होंने हँसी-मजाक करके चिट्ठी डाली थी। परमात्मा ने यह सिद्ध किया है कि भक्त सच्चे दिल से मेरे पर विश्वास करके चलता है तो मैं उसकी ऐसे सहायता करता हूँ।
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
शीतलहर, घना कोहरा... हाड़ कंपाने वाली ठंड के बाद कब राहत, IMD का ताजा अपडेट पढ़ लीजिए
नई दिल्ली: मौसम के हवाले से खबर अच्छी नहीं है। यूपी, पंजाब, हरियाणा समेत उत्तर भारत में अभी ठंड का प्रकोप जारी रहने वाला है। अगले दो दिन सर्दी लोगों का इम्तिहान लेगी। हालांकि, इसके बाद ठंड कम होने का अनुमान है। इसे लेकर भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को चेतावनी दी। उसने जनवरी के लिए देश के मध्य भाग में शीतलहर वाले दिनों के बारे में आगाह किया है। अगले तीन दिनों के लिए उत्तर पश्चिम और पूर्वी भारत के क्षेत्रों में घना कोहरा छाए रहने का पूर्वानुमान व्यक्त किया है। जनवरी के लिए मासिक पूर्वानुमान के संबंध में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कई अहम जानकारी दीं। उन्होंने जनवरी, फरवरी और मार्च के दौरान सामान्य वर्षा का भी अनुमान जाहिर किया। इससे गेहूं की बेहतर फसल की उम्मीदें बढ़ गई हैं।महापात्रा ने कहा कि 1901 के बाद से साल 2023 दूसरा सबसे गर्म वर्ष था। कारण है कि देश का वार्षिक औसत वायु तापमान सामान्य से 0.65 डिग्री सेल्सियस अधिक था। 1901 के बाद से सबसे गर्म वर्ष 2016 था, जब देश का वार्षिक औसत वायु तापमान सामान्य से 0.710 डिग्री सेल्सियस अधिक था।महापात्रा ने कहा कि देश के ज्यादातर हिस्सों में अपेक्षाकृत गर्म सुबह रहने की उम्मीद है। लेकिन, मध्य और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में ठंडे दिन का अनुभव होगा। कारण है कि मौसम कार्यालय ने क्षेत्र में मासिक अधिकतम तापमान के सामान्य से नीचे रहने का अनुमान जताया है।दक्षिण प्रायद्वीपीय और उत्तर-पूर्व भारत में दिन के गर्म रहने का अनुभव हो सकता है क्योंकि जनवरी में इस क्षेत्र में मासिक अधिकतम तापमान के सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद है।मौसम कार्यालय ने यह भी कहा कि अगले दो दिनों के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तरी राजस्थान के कुछ हिस्सों में कड़ाके की ठंड की स्थिति के जारी रहने और इसके बाद ठंड कम होने का अनुमान है। http://dlvr.it/T0r6Q0
हमारे सभी धार्मिक ग्रन्थों व शास्त्रों में उस एक प्रभु/मालिक/रब/खुदा/अल्लाह/ राम/साहेब/गोड/परमेश्वर की प्रत्यक्ष नाम लिख कर महिमा गाई है। वह एक मालिक/प्रभु कबीर साहेब हैं जो सतलोक में मानव सदृश स्वरूप में आकार में रहता है।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जिन्हें जन समुदाय एक जुलाहा कवि,संत मात्र मानता है वे वास्तव में अनंत ब्रह्मांडों के स्वामी, सबके परम पिता हैं।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी चारों युगों में अपने तत्वज्ञान की अलख जगाने, हम तुच्छ जीवों को सत भक्ति प्रदान कर पूर्ण मोक्ष दिलाने के लिए, पृथ्वी पर प्रकट होते रहते हैं।
कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तत्वज्ञान लेकर संसार में आते हैं वह सर्वशक्तिमान हैं तथा काल (ब्रह्म) के कर्म रूपी किले को तोड़ने वाले हैं वह सर्व सुखदाता है तथा सर्व के पूजा करने योग्य हैं।
जिस समय पूर्ण परमात्मा प्रकट होते हैं उस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण अर्थात् पूजा द्वारा सर्व भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान अर्थात् स्वस्थ ज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं ही कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु ही आते हैं।
वर्तमान कलयुग में 626 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जब लीला करने आए तो उनके तत्वज्ञान का डंका हर और बजने लगा जिससे उस समय के धर्मगुरु और पीर उनसे जलने लगे और उन को नीचा दिखाने के लिए साजिश रचने लगे।
जब सब षड़यंत्र फैल हो गए तो सब काशी के पंडित, काजी-मुल्लाओं ने सभा करके निर्णय लिया कि कबीर एक निर्धन जुलाहा है। हम इसके नाम से पूरे हिन्दुस्तान में चिट्ठी भिजवा देते हैं कि कबीर सेठ, पुत्र नीरू, जुलाहा कालोनी, बनारस वाला तीन दिन का भोजन-भण्डारा (धर्म यज्ञ) करने जा रहा है। सब अखाड़े वाले बाबा, साधु-संत आमंत्रित हैं। साथ में अपने सर्व शिष्यों को अवश्य लाएं। तीनों दिन प्रत्येक भोजन के पश्चात् प्रत्येक साधु-संत, ब्राह्मण, काजी-मुल्ला, पीर-पैगम्बर, औलिया को एक दोहर, एक मोहर तथा जो कोई सूखा-सीधा (आटा, मिठाई, घी, दाल, चावल) भी लेना चाहे तो वह भी दिया जाएगा।
सर्वसम्मति से यह निर्णय लेकर पत्र भिजवा दिए, दिन निश्चित कर दिए। निश्चित दिन को 18 लाख साधु, संत, ब्राह्मण, मंडलेश्वर अपने-अपने सब शिष्यों सहित पहुंच गए।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने दो रूप में अभिनय किया एक रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे दूसरे रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर रखकर पका- पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर व मोहर भरकर ले आए ।
काशी के बाजार में टैंट लगाकर सारा सामान टैंटों में रख दिया और कुछ सेवादार भी सतलोक से साथ लाए थे जो सब व्यवस्था संभाल रहे थे, भंडारा शुरू कर दिया 3 दिन तक चिट्ठी में लिखे अनुसार सब दक्षिणा दी गई। भोजन भंडारे में दिल्ली का राजा सिकंदर लोदी भी आया था तथा उसका निजी पीर शेखतकी भी आया था।
उसका अनुमान था कि अबकी बार कबीर काशी से भाग जाएगा और भंडारे में पहुंचे साधु कबीर को गालियां दे रहे होंगे। राजा भी कबीर जी का प्रशंसक नहीं रहेगा परंतु जब भंडारे के स्थान पर पहुंचे तो देखा लंगर ��ल रहा था, सब दक्षिणा दी जा रही थी, सब कबीर सेठ की जय-जयकार कर रहे थे ।
शेख तकी चाहता था परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी सिकंदर लोदी के दिल से उतरे और मेरी पूर्ण महिमा बने। विरोधियों ने तो परमेश्वर का बुरा करना चाहा था परंतु परमात्मा को भक्त मिल गए अपना ज्ञान सुनाने के लिए, भक्तों को सतलोक से आया हुआ उत्तम भोजन कराया जिसके खाने से अच्छे विचार उत्पन्न हुए उन्होंने परमेश्वर का तत्वज्ञान समझा तथा कबीर जी ने उनको वर्षों का खर्चा भी दक्षिणा रूप में दे दिया।
सब भंडारा पूरा करके सामान समेत जिन बैलों पर रख कर आए थे, वे सब चल पड़े। जब वापस गए तो देखा कि वे पृथ्वी से ऊपर चल रहे थे पृथ्वी पर पैर नहीं रख रहे थे और कुछ देर बाद देखा तो आस-पास तथा दूर तक न बैल दिखाई दिये ना बंजारे सेवक। इस पर सिकंदर लोदी ने कबीर परमेश्वर से पूछा बंजारे और बैल दिखाई नहीं दे रहे, कहां गए ? कबीर परमेश्वर ने उत्तर दिया जिस परमात्मा के लोक से आए थे उसी में चले गए और केशव वाला स्वरूप देखते-देखते कबीर जी में समा गया यह सब देखकर शेख तकी जल-भुन रहा था।
वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में ऐसे अनेक धार्मिक भंडारों का आयोजन किया जाता रहा है। आगामी 26-28 नवंबर को "दिव्य धर्म भंडारे " का आयोजन किया जा रहा है। नेपाल समेत 10 आश्रमों में तीन दिवसीय भंडारा होगा व उनके सभी आश्रमों में वर्षभर (365 दिन) सदाव्रत भंडारे चलते रहते हैं।
धर्म यज्ञ करने से वर्षा होती है, धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता है, पर्यावरण-वातावरण में भी बड़े बदलाव लाता है, धर्म यज्ञ से पुण्य मिलता है, धर्म भंडारा करोड़ों पापों और रोगों को नष्ट करने में सक्षम है।
परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पाप नाश हो जाते हैं (गीता अ-3, श्लोक-13) क्योंकि सत्पुरुष पूर्ण परमात्मा को भोग लगाकर संगत में वितरित किया जाता है।
पूर्ण संत को दिए दान, धर्म भंडारे से करोडों पाप व दुःख नाश होते हैं व बहुत पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
भंडारा सभी देशवासियों के लिए पूर्णतया निःशुल्क है और सभी के लिए सार्वजनिक खुला भंडारा है। आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
*✰जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सान्निध्य में 510वें दिव्य धर्म यज्ञ दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विशाल भंडारे में आप सपरिवार सादर आमंत्रित हैं✰*
हमारे सभी धार्मिक ग्रन्थों व शास्त्रों में उस एक प्रभु/मालिक/रब/खुदा/अल्लाह/ राम/साहेब/गोड/परमेश्वर की प्रत्यक्ष नाम लिख कर महिमा गाई है। वह एक मालिक/प्रभु कबीर साहेब हैं जो सतलोक में मानव सदृश स्वरूप में आकार में रहता है।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जिन्हें जन समुदाय एक जुलाहा कवि,संत मात्र मानता है वे वास्तव में अनंत ब्रह्मांडों के स्वामी, सबके परम पिता हैं।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी चारों युगों में अपने तत्वज्ञान की अलख जगाने, हम तुच्छ जीवों को सत भक्ति प्रदान कर पूर्ण मोक्ष दिलाने के लिए, पृथ्वी पर प्रकट होते रहते हैं।
कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तत्वज्ञान लेकर संसार में आते हैं वह सर्वशक्तिमान हैं तथा काल (ब्रह्म) के कर्म रूपी किले को तोड़ने वाले हैं वह सर्व सुखदाता है तथा सर्व के पूजा करने योग्य हैं।
जिस समय पूर्ण परमात्मा प्रकट होते हैं उस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण अर्थात् पूजा द्वारा सर्व भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान अर्थात् स्वस्थ ज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं ही कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु ही आते हैं।
वर्तमान कलयुग में 626 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जब लीला करने आए तो उनके तत्वज्ञान का डंका हर और बजने लगा जिससे उस समय के धर्मगुरु और पीर उनसे जलने लगे और उन को नीचा दिखाने के लिए साजिश रचने लगे।
जब सब षड़यंत्र फैल हो गए तो सब काशी के पंडित, काजी-मुल्लाओं ने सभा करके निर्णय लिया कि कबीर एक निर्धन जुलाहा है। हम इसके नाम से पूरे हिन्दुस्तान में चिट्ठी भिजवा देते हैं कि कबीर सेठ, पुत्र नीरू, जुलाहा कालोनी, बनारस वाला तीन दिन का भोजन-भण्डारा (धर्म यज्ञ) करने जा रहा है। सब अखाड़े वाले बाबा, साधु-संत आमंत्रित हैं। साथ में अपने सर्व शिष्यों को अवश्य लाएं। तीनों दिन प्रत्येक भोजन के पश्चात् प्रत्येक साधु-संत, ब्राह्मण, काजी-मुल्ला, पीर-पैगम्बर, औलिया को एक दोहर, एक मोहर तथा जो कोई सूखा-सीधा (आटा, मिठाई, घी, दाल, चावल) भी लेना चाहे तो वह भी दिया जाएगा।
सर्वसम्मति से यह निर्णय लेकर पत्र भिजवा दिए, दिन निश्चित कर दिए। निश्चित दिन को 18 लाख साधु, संत, ब्राह्मण, मंडलेश्वर अपने-अपने सब शिष्यों सहित पहुंच गए।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने दो रूप में अभिनय किया एक रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे दूसरे रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर रखकर पका- पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर व मोहर भरकर ले आए ।
काशी के बाजार में टैंट लगाकर सारा सामान टैंटों में रख दिया और कुछ सेवादार भी सतलोक से साथ लाए थे जो सब व्यवस्था संभाल रहे थे, भंडारा शुरू कर दिया 3 दिन तक चिट्ठी में लिखे अनुसार सब दक्षिणा दी गई। भोजन भंडारे में दिल्ली का राजा सिकंदर लोदी भी आया था तथा उसका निजी पीर शेखतकी भी आया था।
उसका अनुमान था कि अबकी बार कबीर काशी से भाग जाएगा और भंडारे में पहुंचे साधु कबीर को गालियां दे रहे होंगे। राजा भी कबीर जी का प्रशंसक नहीं रहेगा परंतु जब भंडारे के स्थान पर पहुंचे तो देखा लंगर चल रहा था, सब दक्षिणा दी जा रही थी, सब कबीर सेठ की जय-जयकार कर रहे थे ।
शेख तकी चाहता था परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी सिकंदर लोदी के दिल से उतरे और मेरी पूर्ण महिमा बने। विरोधियों ने तो परमेश्वर का बुरा करना चाहा था परंतु परमात्मा को भक्त मिल गए अपना ज्ञान सुनाने के लिए, भक्तों को सतलोक से आया हुआ उत्तम भोजन कराया जिसके खाने से अच्छे विचार उत्पन्न हुए उन्होंने परमेश्वर का तत्वज्ञान समझा तथा कबीर जी ने उनको वर्षों का खर्चा भी दक्षिणा रूप में दे दिया।
सब भंडारा पूरा करके सामान समेत जिन बैलों पर रख कर आए थे, वे सब चल पड़े। जब वापस गए तो देखा कि वे पृथ्वी से ऊपर चल रहे थे पृथ्वी पर पैर नहीं रख रहे थे और कुछ देर बाद देखा तो आस-पास तथा दूर तक न बैल दिखाई दिये ना बंजारे सेवक। इस पर सिकंदर लोदी ने कबीर परमेश्वर से पूछा बंजारे और बैल दिखाई नहीं दे रहे, कहां गए ? कबीर परमेश्वर ने उत्तर दिया जिस परमात्मा के लोक से आए थे उसी में चले गए और केशव वाला स्वरूप देखते-देखते कबीर जी में समा गया यह सब देखकर शेख तकी जल-भुन रहा था।
वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में ऐसे अनेक धार्मिक भंडारों का आयोजन किया जाता रहा है। आगामी 26-28 नवंबर को "दिव्य धर्म भंडारे " का आयोजन किया जा रहा है। नेपाल समेत 10 आश्रमों में तीन दिवसीय भंडारा होगा व उनके सभी आश्रमों में वर्षभर (365 दिन) सदाव्रत भंडारे चलते रहते हैं।
धर्म यज्ञ करने से वर्षा होती है, धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता है, पर्यावरण-वातावरण में भी बड़े बदलाव लाता है, धर्म यज्ञ से पुण्य मिलता है, धर्म भंडारा करोड़ों पापों और रोगों को नष्ट करने में सक्षम है।
परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पाप नाश हो जाते हैं (गीता अ-3, श्लोक-13) क्योंकि सत्पुरुष पूर्ण परमात्मा को भोग लगाकर संगत में वितरित किया जाता है।
पूर्ण संत को दिए दान, धर्म भंडारे से करोडों पाप व दुःख नाश होते हैं व बहुत पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
भंडारा सभी देशवासियों के लिए पूर्णतया निःशुल्क है और सभी के लिए सार्वजनिक खुला भंडारा है। आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
#MiracleOfGodKabir_In_1513
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस
26-27-28 नवंबर 2023
#SantRampalJiMaharaj
#trending
#viralpost
अधिक जानकारी के लिए "Sant Rampal Ji Maharaj" App Play Store से डाउनलोड करें और "Sant Rampal Ji Maharaj" YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जिन्हें जन समुदाय एक जुलाहा कवि,संत मात्र मानता है वे वास्तव में अनंत ब्रह्मांडों के स्वामी, सबके परम पिता हैं।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी चारों युगों में अपने तत्वज्ञान की अलख जगाने, हम तुच्छ जीवों को सत भक्ति प्रदान कर पूर्ण मोक्ष दिलाने के लिए, पृथ्वी पर प्रकट होते रहते हैं।
कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तत्वज्ञान लेकर संसार में आते हैं वह सर्वशक्तिमान हैं तथा काल (ब्रह्म) के कर्म रूपी किले को तोड़ने वाले हैं वह सर्व सुखदाता है तथा सर्व के पूजा करने योग्य हैं।
जिस समय पूर्ण परमात्मा प्रकट होते हैं उस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण अर्थात् पूजा द्वारा सर्व भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान अर्थात् स्वस्थ ज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं ही कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु ही आते हैं।
वर्तमान कलयुग में 626 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जब लीला करने आए तो उनके तत्वज्ञान का डंका हर और बजने लगा जिससे उस समय के धर्मगुरु और पीर उनसे जलने लगे और उन को नीचा दिखाने के लिए साजिश रचने लगे।
जब सब षड़यंत्र फैल हो गए तो सब काशी के पंडित, काजी-मुल्लाओं ने सभा करके निर्णय लिया कि कबीर एक निर्धन जुलाहा है। हम इसके नाम से पूरे हिन्दुस्तान में चिट्ठी भिजवा देते हैं कि कबीर सेठ, पुत्र नीरू, जुलाहा कालोनी, बनारस वाला तीन दिन का भोजन-भण्डारा (धर्म यज्ञ) करने जा रहा है। सब अखाड़े वाले बाबा, साधु-संत आमंत्रित हैं। साथ में अपने सर्व शिष्यों को अवश्य लाएं। तीनों दिन प्रत्येक भोजन के पश्चात् प्रत्येक साधु-संत, ब्राह्मण, काजी-मुल्ला, पीर-पैगम्बर, औलिया को एक दोहर, एक मोहर तथा जो कोई सूखा-सीधा (आटा, मिठाई, घी, दाल, चावल) भी लेना चाहे तो वह भी दिया जाएगा।
सर्वसम्मति से यह निर्णय लेकर पत्र भिजवा दिए, दिन निश्चित कर दिए। निश्चित दिन को 18 लाख साधु, संत, ब्राह्मण, मंडलेश्वर अपने-अपने सब शिष्यों सहित पहुंच गए।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने दो रूप में अभिनय किया एक रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे दूसरे रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर रखकर पका- पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर व मोहर भरकर ले आए ।
काशी के बाजार में टैंट लगाकर सारा सामान टैंटों में रख दिया और कुछ सेवादार भी सतलोक से साथ लाए थे जो सब व्यवस्था संभाल रहे थे, भंडारा शुरू कर दिया 3 दिन तक चिट्ठी में लिखे अनुसार सब दक्षिणा दी गई। भोजन भंडारे में दिल्ली का राजा सिकंदर लोदी भी आया था तथा उसका निजी पीर शेखतकी भी आया था।
उसका अनुमान था कि अबकी बार कबीर काशी से भाग जाएगा और भंडारे में पहुंचे साधु कबीर को गालियां दे रहे होंगे। राजा भी कबीर जी का प्रशंसक नहीं रहेगा परंतु जब भंडारे के स्थान पर पहुंचे तो देखा लंगर चल रहा था, सब दक्षिणा दी जा रही थी, सब कबीर सेठ की जय-जयकार कर रहे थे ।
शेख तकी चाहता था परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी सिकंदर लोदी के दिल से उतरे और मेरी पूर्ण महिमा बने। विरोधियों ने तो परमेश्वर का बुरा करना चाहा था परंतु परमात्मा को भक्त मिल गए अपना ज्ञान सुनाने के लिए, भक्तों को सतलोक से आया हुआ उत्तम भोजन कराया जिसके खाने से अच्छे विचार उत्पन्न हुए उन्होंने परमेश्वर का तत्वज्ञान समझा तथा कबीर जी ने उनको वर्षों का खर्चा भी दक्षिणा रूप में दे दिया।
सब भंडारा पूरा करके सामान समेत जिन बैलों पर रख कर आए थे, वे सब चल पड़े। जब वापस गए तो देखा कि वे पृथ्वी से ऊपर चल रहे थे पृथ्वी पर पैर नहीं रख रहे थे और कुछ देर बाद देखा तो आस-पास तथा दूर तक न बैल दिखाई दिये ना बंजारे सेवक। इस पर सिकंदर लोदी ने कबीर परमेश्वर से पूछा बंजारे और बैल दिखाई नहीं दे रहे, कहां गए ? कबीर परमेश्वर ने उत्तर दिया जिस परमात्मा के लोक से आए थे उसी में चले गए और केशव वाला स्वरूप देखते-देखते कबीर जी में समा गया यह सब देखकर शेख तकी जल-भुन रहा था।
वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में ऐसे अनेक धार्मिक भंडारों का आयोजन किया जाता रहा है। आगामी 26-28 नवंबर को "दिव्य धर्म भंडारे " का आयोजन किया जा रहा है। नेपाल समेत 10 आश्रमों में तीन दिवसीय भंडारा होगा व उनके सभी आश्रमों में वर्षभर (365 दिन) सदाव्रत भंडारे चलते रहते हैं।
धर्म यज्ञ करने से वर्षा होती है, धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता है, पर्यावरण-वातावरण में भी बड़े बदलाव लाता है, धर्म यज्ञ से पुण्य मिलता है, धर्म भंडारा करोड़ों पापों और रोगों को नष्ट करने में सक्षम है।
परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रस���द को खाने से कोटि-कोटि पाप नाश हो जाते हैं (गीता अ-3, श्लोक-13) क्योंकि सत्पुरुष पूर्ण परमात्मा को भोग लगाकर संगत में वितरित किया जाता है।
पूर्ण संत को दिए दान, धर्म भंडारे से करोडों पाप व दुःख नाश होते हैं व बहुत पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
भंडारा सभी देशवासियों के लिए पूर्णतया निःशुल्क है और सभी के लिए सार्वजनिक खुला भंडारा है। आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
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हमारे सभी धार्मिक ग्रन्थों व शास्त्रों में उस एक प्रभु/मालिक/रब/खुदा/अल्लाह/ राम/साहेब/गोड/परमेश्वर की प्रत्यक्ष नाम लिख कर महिमा गाई है। वह एक मालिक/प्रभु कबीर साहेब हैं जो सतलोक में मानव सदृश स्वरूप में आकार में रहता है।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जिन्हें जन समुदाय एक जुलाहा कवि,संत मात्र मानता है वे वास्तव में अनंत ब्रह्मांडों के स्वामी, सबके परम पिता हैं।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी चारों युगों में अपने तत्वज्ञान की अलख जगाने, हम तुच्छ जीवों को सत भक्ति प्रदान कर पूर्ण मोक्ष दिलाने के लिए, पृथ्वी पर प्रकट होते रहते हैं।
कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तत्वज्ञान लेकर संसार में आते हैं वह सर्वशक्तिमान हैं तथा काल (ब्रह्म) के कर्म रूपी किले को तोड़ने वाले हैं वह सर्व सुखदाता है तथा सर्व के पूजा करने योग्य हैं।
जिस समय पूर्ण परमात्मा प्रकट होते हैं उस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण अर्थात् पूजा द्वारा सर्व भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान अर्थात् स्वस्थ ज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं ही कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु ही आते हैं।
वर्तमान कलयुग में 626 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जब लीला करने आए तो उनके तत्वज्ञान का डंका हर और बजने लगा जिससे उस समय के धर्मगुरु और पीर उनसे जलने लगे और उन को नीचा दिखाने के लिए साजिश रचने लगे।
जब सब षड़यंत्र फैल हो गए तो सब काशी के पंडित, काजी-मुल्लाओं ने सभा करके निर्णय लिया कि कबीर एक निर्धन जुलाहा है। हम इसके नाम से पूरे हिन्दुस्तान में चिट्ठी भिजवा देते हैं कि कबीर सेठ, पुत्र नीरू, जुलाहा कालोनी, बनारस वाला तीन दिन का भोजन-भण्डारा (धर्म यज्ञ) करने जा रहा है। सब अखाड़े वाले बाबा, साधु-संत आमंत्रित हैं। साथ में अपने सर्व शिष्यों को अवश्य लाएं। तीनों दिन प्रत्येक भोजन के पश्चात् प्रत्येक साधु-संत, ब्राह्मण, काजी-मुल्ला, पीर-पैगम्बर, औलिया को एक दोहर, एक मोहर तथा जो कोई सूखा-सीधा (आटा, मिठाई, घी, दाल, चावल) भी लेना चाहे तो वह भी दिया जाएगा।
सर्वसम्मति से यह निर्णय लेकर पत्र भिजवा दिए, दिन निश्चित कर दिए। निश्चित दिन को 18 लाख साधु, संत, ब्राह्मण, मंडलेश्वर अपने-अपने सब शिष्यों सहित पहुंच गए।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने दो रूप में अभिनय किया एक रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे दूसरे रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर रखकर पका- पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर व मोहर भरकर ले आए ।
काशी के बाजार म��ं टैंट लगाकर सारा सामान टैंटों में रख दिया और कुछ सेवादार भी सतलोक से साथ लाए थे जो सब व्यवस्था संभाल रहे थे, भंडारा शुरू कर दिया 3 दिन तक चिट्ठी में लिखे अनुसार सब दक्षिणा दी गई। भोजन भंडारे में दिल्ली का राजा सिकंदर लोदी भी आया था तथा उसका निजी पीर शेखतकी भी आया था।
उसका अनुमान था कि अबकी बार कबीर काशी से भाग जाएगा और भंडारे में पहुंचे साधु कबीर को गालियां दे रहे होंगे। राजा भी कबीर जी का प्रशंसक नहीं रहेगा परंतु जब भंडारे के स्थान पर पहुंचे तो देखा लंगर चल रहा था, सब दक्षिणा दी जा रही थी, सब कबीर सेठ की जय-जयकार कर रहे थे ।
शेख तकी चाहता था परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी सिकंदर लोदी के दिल से उतरे और मेरी पूर्ण महिमा बने। विरोधियों ने तो परमेश्वर का बुरा करना चाहा था परंतु परमात्मा को भक्त मिल गए अपना ज्ञान सुनाने के लिए, भक्तों को सतलोक से आया हुआ उत्तम भोजन कराया जिसके खाने से अच्छे विचार उत्पन्न हुए उन्होंने परमेश्वर का तत्वज्ञान समझा तथा कबीर जी ने उनको वर्षों का खर्चा भी दक्षिणा रूप में दे दिया।
सब भंडारा पूरा करके सामान समेत जिन बैलों पर रख कर आए थे, वे सब चल पड़े। जब वापस गए तो देखा कि वे पृथ्वी से ऊपर चल रहे थे पृथ्वी पर पैर नहीं रख रहे थे और कुछ देर बाद देखा तो आस-पास तथा दूर तक न बैल दिखाई दिये ना बंजारे सेवक। इस पर सिकंदर लोदी ने कबीर परमेश्वर से पूछा बंजारे और बैल दिखाई नहीं दे रहे, कहां गए ? कबीर परमेश्वर ने उत्तर दिया जिस परमात्मा के लोक से आए थे उसी में चले गए और केशव वाला स्वरूप देखते-देखते कबीर जी में समा गया यह सब देखकर शेख तकी जल-भुन रहा था।
वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में ऐसे अनेक धार्मिक भंडारों का आयोजन किया जाता रहा है। आगामी 26-28 नवंबर को "दिव्य धर्म भंडारे " का आयोजन किया जा रहा है। नेपाल समेत 10 आश्रमों में तीन दिवसीय भंडारा होगा व उनके सभी आश्रमों में वर्षभर (365 दिन) सदाव्रत भंडारे चलते रहते हैं।
धर्म यज्ञ करने से वर्षा होती है, धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता है, पर्यावरण-वातावरण में भी बड़े बदलाव लाता है, धर्म यज्ञ से पुण्य मिलता है, धर्म भंडारा करोड़ों पापों और रोगों को नष्ट करने में सक्षम है।
परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पाप नाश हो जाते हैं (गीता अ-3, श्लोक-13) क्योंकि सत्पुरुष पूर्ण परमात्मा को भोग लगाकर संगत में वितरित किया जाता है।
पूर्ण संत को दिए दान, धर्म भंडारे से करोडों पाप व दुःख नाश होते हैं व बहुत पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
भंडारा सभी देशवासियों के लिए पूर्णतया निःशुल्क है और सभी के लिए सार्वजनिक खुला भंडारा है। आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
#MiracleOfGodKabir_In_1513
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बारिश ने दिल्ली को झकझोर दिया, गर्म और उमस भरे मौसम से मिली राहत
बारिश ने दिल्ली को झकझोर दिया, गर्म और उमस भरे मौसम से मिली राहत
द्वारा एएनआई
नई दिल्ली: नई दिल्ली के कई हिस्सों में मंगलवार को बारिश हुई, जिससे शहर के गर्म और उमस भरे मौसम से राहत मिली।
हालांकि, बारिश के कारण राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में जलभराव और यातायात बाधित हो गया।
बारिश के बीच सरिता विहार की सड़कों पर जलजमाव के साथ-साथ इलाके में ट्रैफिक जाम भी देखा जा सकता है. आईटीओ के पास भी ट्रैफिक जाम देखा जा सकता है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने आज के लिए…
हमारे सभी धार्मिक ग्रन्थों व शास्त्रों में उस एक प्रभु/मालिक/रब/खुदा/अल्लाह/ राम/साहेब/गोड/परमेश्वर की प्रत्यक्ष नाम लिख कर महिमा गाई है। वह एक मालिक/प्रभु कबीर साहेब हैं जो सतलोक में मानव सदृश स्वरूप में आकार में रहता है।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जिन्हें जन समुदाय एक जुलाहा कवि,संत मात्र मानता है वे वास्तव में अनंत ब्रह्मांडों के स्वामी, सबके परम पिता हैं।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी चारों युगों में अपने तत्वज्ञान की अलख जगाने, हम तुच्छ जीवों को सत भक्ति प्रदान कर पूर्ण मोक्ष दिलाने के लिए, पृथ्वी पर प्रकट होते रहते हैं।
कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तत्वज्ञान लेकर संसार में आते हैं वह सर्वशक्तिमान हैं तथा काल (ब्रह्म) के कर्म रूपी किले को तोड़ने वाले हैं वह सर्व सुखदाता है तथा सर्व के पूजा करने योग्य हैं।
जिस समय पूर्ण परमात्मा प्रकट होते हैं उस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण अर्थात् पूजा द्वारा सर्व भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान अर्थात् स्वस्थ ज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं ही कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु ही आते हैं।
वर्तमान कलयुग में 626 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जब लीला करने आए तो उनके तत्वज्ञान का डंका हर और बजने लगा जिससे उस समय के धर्मगुरु और पीर उनसे जलने लगे और उन को नीचा दिखाने के लिए साजिश रचने लगे।
जब सब षड़यंत्र फैल हो गए तो सब काशी के पंडित, काजी-मुल्लाओं ने सभा करके निर्णय लिया कि कबीर एक निर्धन जुलाहा है। हम इसके नाम से पूरे हिन्दुस्तान में चिट्ठी भिजवा देते हैं कि कबीर सेठ, पुत्र नीरू, जुलाहा कालोनी, बनारस वाला तीन दिन का भोजन-भण्डारा (धर्म यज्ञ) करने जा रहा है। सब अखाड़े वाले बाबा, साधु-संत आमंत्रित हैं। साथ में अपने सर्व शिष्यों को अवश्य लाएं। तीनों दिन प्रत्येक भोजन के पश्चात् प्रत्येक साधु-संत, ब्राह्मण, काजी-मुल्ला, पीर-पैगम्बर, औलिया को एक दोहर, एक मोहर तथा जो कोई सूखा-सीधा (आटा, मिठाई, घी, दाल, चावल) भी लेना चाहे तो वह भी दिया जाएगा।
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परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने दो रूप में अभिनय किया एक रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे दूसरे रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर रखकर पका- पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर व मोहर भरकर ले आए ।
काशी के बाजार में टैंट लगाकर सारा सामान टैंटों में रख दिया और कुछ सेवादार भी सतलोक से साथ लाए थे जो सब व्यवस्था संभाल रहे थे, भंडारा शुरू कर दिया 3 दिन तक चिट्ठी में लिखे अनुसार सब दक्षिणा दी गई। भोजन भंडारे में दिल्ली का राजा सिकंदर लोदी भी आया था तथा उसका निजी पीर शेखतकी भी आया था।
उसका अनुमान था कि अबकी बार कबीर काशी से भाग जाएगा और भंडारे में पहुंचे साधु कबीर को गालियां दे रहे होंगे। राजा भी कबीर जी का प्रशंसक नहीं रहेगा परंतु जब भंडारे के स्थान पर पहुंचे तो देखा लंगर चल रहा था, सब दक्षिणा दी जा रही थी, सब कबीर सेठ की जय-जयकार कर रहे थे ।
शेख तकी चाहता था परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी सिकंदर लोदी के दिल से उतरे और मेरी पूर्ण महिमा बने। विरोधियों ने तो परमेश्वर का बुरा करना चाहा था परंतु परमात्मा को भक्त मिल गए अपना ज्ञान सुनाने के लिए, भक्तों को सतलोक से आया हुआ उत्तम भोजन कराया जिसके खाने से अच्छे विचार उत्पन्न हुए उन्होंने परमेश्वर का तत्वज्ञान समझा तथा कबीर जी ने उनको वर्षों का खर्चा भी दक्षिणा रूप में दे दिया।
सब भंडारा पूरा करके सामान समेत जिन बैलों पर रख कर आए थे, वे सब चल पड़े। जब वापस गए तो देखा कि वे पृथ्वी से ऊपर चल रहे थे पृथ्वी पर पैर नहीं रख रहे थे और कुछ देर बाद देखा तो आस-पास तथा दूर तक न बैल दिखाई दिये ना बंजारे सेवक। इस पर सिकंदर लोदी ने कबीर परमेश्वर से पूछा बंजारे और बैल दिखाई नहीं दे रहे, कहां गए ? कबीर परमेश्वर ने उत्तर दिया जिस परमात्मा के लोक से आए थे उसी में चले गए और केशव वाला स्वरूप देखते-देखते कबीर जी में समा गया यह सब देखकर शेख तकी जल-भुन रहा था।
वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में ऐसे अनेक धार्मिक भंडारों का आयोजन किया जाता रहा है। आगामी 26-28 नवंबर को "दिव्य धर्म भंडारे " का आयोजन किया जा रहा है। नेपाल समेत 10 आश्रमों में तीन दिवसीय भंडारा होगा व उनके सभी आश्रमों में वर्षभर (365 दिन) सदाव्रत भंडारे चलते रहते हैं।
धर्म यज्ञ करने से वर्षा होती है, धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता है, पर्यावरण-वातावरण में भी बड़े बदलाव लाता है, धर्म यज्ञ से पुण्य मिलता है, धर्म भंडारा करोड़ों पापों और रोगों को नष्ट करने में सक्षम है।
परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पाप नाश हो जाते हैं (गीता अ-3, श्लोक-13) क्योंकि सत्पुरुष पूर्ण परमात्मा को भोग लगाकर संगत में वितरित किया जाता है।
पूर्ण संत को दिए दान, धर्म भंडारे से करोडों पाप व दुःख नाश होते हैं व बहुत पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
भंडारा सभी देशवासियों के लिए पूर्णतया निःशुल्क है और सभी के लिए सार्वजनिक खुला भंडारा है। आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
#MiracleOfGodKabir_In_1513
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस
26-27-28 नवंबर 2023
#SantRampalJiMaharaj
#trending
#viralpost
अधिक जानकारी के लिए "Sant Rampal Ji Maharaj" App Play Store से डाउनलोड करें और "Sant Rampal Ji Maharaj" YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
हमारे सभी धार्मिक ग्रन्थों व शास्त्रों में उस एक प्रभु/मालिक/रब/खुदा/अल्लाह/ राम/साहेब/गोड/परमेश्वर की प्रत्यक्ष नाम लिख कर महिमा गाई है। वह एक मालिक/प्रभु कबीर साहेब हैं जो सतलोक में मानव सदृश स्वरूप में आकार में रहता है।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जिन्हें जन समुदाय एक जुलाहा कवि,संत मात्र मानता है वे वास्तव में अनंत ब्रह्मांडों के स्वामी, सबके परम पिता हैं।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी चारों युगों में अपने तत्वज्ञान की अलख जगाने, हम तुच्छ जीवों को सत भक्ति प्रदान कर पूर्ण मोक्ष दिलाने के लिए, पृथ्वी पर प्रकट होते रहते हैं।
कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तत्वज्ञान लेकर संसार में आते हैं वह सर्वशक्तिमान हैं तथा काल (ब्रह्म) के कर्म रूपी किले को तोड़ने वाले हैं वह सर्व सुखदाता है तथा सर्व के पूजा करने योग्य हैं।
जिस समय पूर्ण परमात्मा प्रकट होते हैं उस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण अर्थात् पूजा द्वारा सर्व भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान अर्थात् स्वस्थ ज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं ही कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु ही आते हैं।
वर्तमान कलयुग में 626 वर्ष पूर्व परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी जब लीला करने आए तो उनके तत्वज्ञान का डंका हर और बजने लगा जिससे उस समय के धर्मगुरु और पीर उनसे जलने लगे और उन को नीचा दिखाने के लिए साजिश रचने लगे।
जब सब षड़यंत्र फैल हो गए तो सब काशी के पंडित, काजी-मुल्लाओं ने सभा करके निर्णय लिया कि कबीर एक निर्धन जुलाहा है। हम इसके नाम से पूरे हिन्दुस्तान में चिट्ठी भिजवा देते हैं कि कबीर सेठ, पुत्र नीरू, जुलाहा कालोनी, बनारस वाला तीन दिन का भोजन-भण्डारा (धर्म यज्ञ) करने जा रहा है। सब अखाड़े वाले बाबा, साधु-संत आमंत्रित हैं। साथ में अपने सर्व शिष्यों को अवश्य लाएं। तीनों दिन प्रत्येक भोजन के पश्चात् प्रत्येक साधु-संत, ब्राह्मण, काजी-मुल्ला, पीर-पैगम्बर, औलिया को एक दोहर, एक मोहर तथा जो कोई सूखा-सीधा (आटा, मिठाई, घी, दाल, चावल) भी लेना चाहे तो वह भी दिया जाएगा।
सर्वसम्मति से यह निर्णय लेकर पत्र भिजवा दिए, दिन निश्चित कर दिए। निश्चित दिन को 18 लाख साधु, संत, ब्राह्मण, मंडलेश्वर अपने-अपने सब शिष्यों सहित पहुंच गए।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने दो रूप में अभिनय किया एक रूप में अपनी कुटिया में बैठे रहे दूसरे रूप में अपने सतलोक से 9 लाख बैलों पर रखकर पका- पकाया सामान तथा सूखा सामान तथा दोहर व मोहर भरकर ले आए ।
काशी के बाजार में टैंट लगाकर सारा सामान टैंटों में रख दिया और कुछ सेवादार भी सतलोक से साथ लाए थे जो सब व्यवस्था संभाल रहे थे, भंडारा शुरू कर दिया 3 दिन तक चिट्ठी में लिखे अनुसार सब दक्षिणा दी गई। भोजन भंडारे में दिल्ली का राजा सिकंदर लोदी भी आया था तथा उसका निजी पीर शेखतकी भी आया था।
उसका अनुमान था कि अबकी बार कबीर काशी से भाग जाएगा और भंडारे में पहुंचे साधु कबीर को गालियां दे रहे होंगे। राजा भी कबीर जी का प्रशंसक नहीं रहेगा परंतु जब भंडारे के स्थान पर पहुंचे तो देखा लंगर चल रहा था, सब दक्षिणा दी जा रही थी, सब कबीर सेठ की जय-जयकार कर रहे थे ।
शेख तकी चाहता था परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी सिकंदर लोदी के दिल से उतरे और मेरी पूर्ण महिमा बने। विरोधियों ने तो परमेश्वर का बुरा करना चाहा था परंतु परमात्मा को भक्त मिल गए अपना ज्ञान सुनाने के लिए, भक्तों को सतलोक से आया हुआ उत्तम भोजन कराया जिसके खाने से अच्छे विचार उत्पन्न हुए उन्होंने परमेश्वर का तत्वज्ञान समझा तथा कबीर जी ने उनको वर्षों का खर्चा भी दक्षिणा रूप में दे दिया।
सब भंडारा पूरा करके सामान समेत जिन बैलों पर रख कर आए थे, वे सब चल पड़े। जब वापस गए तो देखा कि वे पृथ्वी से ऊपर चल रहे थे पृथ्वी पर पैर नहीं रख रहे थे और कुछ देर बाद देखा तो आस-पास तथा दूर तक न बैल दिखाई दिये ना बंजारे सेवक। इस पर सिकंदर लोदी ने कबीर परमेश्वर से पूछा बंजारे और बैल दिखाई नहीं दे रहे, कहां गए ? कबीर परमेश्वर ने उत्तर दिया जिस परमात्मा के लोक से आए थे उसी में चले गए और केशव वाला स्वरूप देखते-देखते कबीर जी में समा गया यह सब देखकर शेख तकी जल-भुन रहा था।
वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में ऐसे अनेक धार्मिक भंडारों का आयोजन किया जाता रहा है। आगामी 26-28 नवंबर को "दिव्य धर्म भंडारे " का आयोजन किया जा रहा है। नेपाल समेत 10 आश्रमों में तीन दिवसीय भंडारा होगा व उनके सभी आश्रमों में वर्षभर (365 दिन) सदाव्रत भंडारे चलते रहते हैं।
धर्म यज्ञ करने से वर्षा होती है, धन-धान्य की उपज होती है जिससे सभी जीवों का पेट भरता है, पर्यावरण-वातावरण में भी बड़े बदलाव लाता है, धर्म यज्ञ से पुण्य मिलता है, धर्म भंडारा करोड़ों पापों और रोगों को नष्ट करने में सक्षम है।
परमेश्वर के भोग लगे पवित्र भंडारे प्रसाद को खाने से कोटि-कोटि पाप नाश हो जाते हैं (गीता अ-3, श्लोक-13) क्योंकि सत्पुरुष पूर्ण परमात्मा को भोग लगाकर संगत में वितरित किया जाता है।
पूर्ण संत को दिए दान, धर्म भंडारे से करोडों पाप व दुःख नाश होते हैं व बहुत पुण्य मिलता है तथा पितरों की भी मुक्ति हो जाती है।
भंडारा सभी देशवासियों के लिए पूर्णतया निःशुल्क है और सभी के लिए सार्वजनिक खुला भंडारा है। आप भी इस भंडारे में अवश्य आइए और अपना कल्याण करवाइए।
#MiracleOfGodKabir_In_1513
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26-27-28 नवंबर 2023
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