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#छोटे बच्चों के लिए टीका
sabkuchgyan · 8 months
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Nazar Dosh: बच्चों को टीका लगवाना चाहिए या नहीं? जानिए इसके पीछे की सच्चाई
नज़र दोष: अक्सर हिंदू घरों में बच्चों को नज़र दोष से बचाने के लिए उन्हें काला टीका लगाया जाता है। यह बात कितनी सच है यह जानने के लिए इसके पीछे का कारण जानें। कई बार हम अपने बच्चों को नजर दोष से बचाने के लिए उन्हें काला टीका लगाते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार काला तिलक लगाने से बच्चे को नजर नहीं लगती है। अक्सर घरों में छोटे नवजात शिशुओं को मां या घर की बड़ी महिलाएं काला तिलक लगाती हैं, इसके…
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igamravatirange · 11 months
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Post#3
पेशवा पुराना दफ़्तर यानी हमारी स्कूल। उसका नाम था - ‘कृषि मूलोद्योग शाला क्रमांक-१.’ दरवाज़े-खिड़कियों पर लगे काले रंग के चलते यह ‘कालीशाला’ के उपनाम से मशहूर थी। कालीशाला में पहली कक्षा में मेरा नाम दाख़िल कराने के लिए, अर्थात मेरे साथ आए सुरेश मामा ! पूरी हनक के साथ उन्होंने रजिस्टर में मेरा नाम लिखा -‘जयवंत’। उन्हें भान ही नहीं रहा कि सर्व-सम्मति से रखा गया मेरा नाम ‘जयंत’ है। जयवंत नाम इसी तरह बरक़रार रहा और दसवीं के बाद योग्य नामांतरण कराना पडा। स्कूल में अभय परमार, सुधाकर पवार, दशरथ जाधव, संजय वाघ, दो-तीन बोरावके, बहुत से जगताप थे। यह अच्छी तरह याद है कि पहली कक्षामें खलदकर मिस और चौथी में मांडके गुरुजी थे। मांडके गुरुजी को सभी ‘तात्या’ कहते थे। न जाने क्यों लेकिन गुरुजी ने मुझे कुछ दिनों के लिए कक्षा का ग्रुप एडिमन बनाया था।
स्कूल में यदा-कदा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से टीका लगाने ‘दुश्मन’ लोग आ धमकते। ‘आतंकवाद’ का कॉन्सेप्ट मुझे तभी से पता है। ख़ुद को सुई जब लगे तब लगे लेकिन उससे पहले इंजेक्शन ले रहे बच्चों के रोने से दहशत का माहौल तैयार हो जाता था । ऐचा-बैंचा मुंह बनाकर किसी तरह इंजेक्शन लगवाने के बाद घर जाने पर उसे दिखाते घूमा जाता था। कभी कभार स्कूल की पिकनिक, बोरावके फार्म अथवा कर्‍हा नदी के किनारे संगमेश्वर, सिद्धेश्वर, वटेश्वर अथवा किसी आम के पेडोंके बाग में जाने वाली होती, तो आलू की सूखी सब्जी, गेंहू की रोटी, डालडा और गुड़ डाल कर तैयार किया गया हलवा, चुल्लेदार पीतल के डिब्बे में मिलता। लगे हाथ डिब्बे पर खुदे नाम को ध्यान से देखकर डिब्बा वापस लाने की सख़्त हिदायत भी मिलती थी। घर की गृहणियों के हाथ का सूजी का लड्डू अज्ञात कारणों से कभी नरम नहीं बनता था। सिंहगढ़ की तलहटी में पिकनिक के दौरान भूख लगने पर किसी नारियल फोडने जैसे पत्थर पर तोड़कर खाए गए सूजी के लड्डू की याद आज भी ज़ेहन में ताज़ा है।
ननद का लड़का होने के कारण अंजना मामी मुझे जयवंत और आप करके बुलाती थीं। माँ कचहरी में चली जातीं, तो ‘सत्ते पे सत्ता’ की हेमामालिनी की तरह मुर्गी पकड़ने जैसी, मुझे पकड़कर, पुचकार कर नहलाने का कठिन काम, मामी को करना पड़ता था। इस तरह झाँसा देकर नहलाने का निषेध मैं तिकोने की खिड़की पर बाहर से पत्थर मारकर करता था।
सुबह दो कप चाय मिलती थी। पहला कप बटर या खारी डुबाकर खाने के लिए और दूसरा कप केवल पीने के लिए। बटर-खारी न हो, तो कलेवे में रखी गई बाजरे की रोटी दूध में मीस���र स्वादानुसार नमक या शक्कर मिलाकर या फिर बासे भात को तवे पर हल्दी-नमक का तड़का लगाकर, नाश्ते में दिया जाता था। सूखी आलू, मेथी की सब्जी, अंकुरित मोठ में मसाला मिलाकर बनाई गई तरकारी, चूल्हे पर सेंकी गई बाजरे की हाथपोई रोटी, हरी प्याज़ और मूँगफली डालकर कूटी गई हरी मिर्च का खर्डा मेरे लिए आज भी अलौकिक मेन्यू है। गाँव में सब्जी का मतलब होता था, पत्तेदार सब्जी, बाक़ी अन्य का शुमार तरकारी या सालन में होता था। हालाँकि कालांतर में ज्ञात हुआ कि पुणे में सूखी आलू या रसदार आलू को भी ‘आलू की सब्जी’ कहते हैं।
तीज-त्यौहार पर पुरन पोली और कटाची आमटी फ़िक्स मेन्यू होता था। कटाची मतलब पुरन के लिए बनी चना-दाल पकाने के बाद जो पानी बच जाता है, उससे बनी आमटी। श्रीखंड, बासुंदी, गुलाब-जामुन कैसे होते है ये आगे पुणे में कॉलेज पहुँचने पर ठीक-ठाक ज्ञात हुआ। मिठाई का मतलब होता था मुंबई से आते समय खोदादाद सर्कल के ‘दामोदर मिठाईवाला’ के यहाँ से दादा की लायी मिक्स-मिठाई। इसके बॉक्स के चारों ओर रंगीन स्ट्राइप का बैंड लगा होता था। इसके ढक्कन को गांठ-मुक्त करने के बाद, सबसे पहले बटर-पेपर में माहिम के हलवे की गड्डी होती थी, उसके नीचे मैसूर-पाक, बूंदी लड्डू, वर्कदार बर्फ़ी, बादाम हलवा, कंदी पेड़े होते थे। खाने वालों की संख्या के अनुसार माँ इनके छोटे-छोटे हिस्से करतीं और सूखी भेल के साथ सकाल या प्रभात मराठी अखबार के कागजपर रखकर परोसती थी।
बचपन में लाउडस्पीकर और रेडियो पर बजने वाले हिंदी फिल्मों के गानोंसे, हिंदी भाषा से लगाव हो गया। उन दिनों रेडियो के लिए वार्षिक शुल्क भरकर लाइसेंस लेना पड़ता था। शुरुआती दिनों में आकाशवाणी पर हिंदी सिनेमा संगीत पर पाबंदी थी। आकाशवाणी वाले जब कभी लाइसेंस चेक करने के लिए मंडराने लगते, तो जिस तरह नगर निगम की गाड़ी आने के बाद फेरी वाले अपना माल छिपा देते हैं, उसी तरह घर-घर में रेडियो को बंद करके छिपा दिये जाते थे। सासवड़ में दादा का लाया सोनी कंपनी का इंपोर्टेड ट्रांजिस्टर था। ‘इससे आवाज़ कैसे आती है?’ इस बाल-मन की शंका का समाधान सुरेश मामा अपने अंदाज़ में ये कहकर करते कि ̶ ‘ट्रांजिस्टर के अंदर छोटे लोग होते हैं।’
खेलते समय अक्सर मैं अपनी समझ के हिसाबसे दो हिंदी गाने ऊँची आवाज़ में गाया करता था। पहला गाना था – “माँजाईए माँजाईए बात मेरे दिल की माँजाईए” और दूसरा ‘पाकीज़ा’ का “होजी होजी पट्टा मेला।” तब समझ में नहीं आता था कि लोग हँस क्यों रहे हैं। शास्त्रीय संगीत वाणी का प्रसारण होते ही माँ कहतीं, ‘सुरेश, बाबा इसका रेंकना बंद करो।’ रेडियो सुनने की उच्चतर शिक्षा आगे चलकर मैंने परिंचे में काशीनाथ के यहाँ ग्रहण की।
सासवड़ में तीन टॉकीज़ थे ̶ गणेश, मंगला और दौलत। पहली तंबू की टूरिंग टॉकीज़, दूसरी आबासाहेब गढी के हाथीख़ाने की और तीसरी विधिवत निर्मित। अनेक फ़िल्मों में से गणेश टॉकीज़ में बार-बार कट हो जाने वाली रीलों की ‘फूल और पत्थर’, मंगला टॉकीज़ में ‘प्यार का मौसम’ और दौलत में ‘सच्चा-झठा’ देखना याद है। २५-३० प्रतिशत हिंदी समझ में आती थी, बाक़ी सब वॉश-आउट । मेरे मित्र जब कहते कि ‘मेरी प्यारी बहनिया’ गाने में क्लैरीनेट राजेश खन्ना ने नहीं बल्की किसी ओर ने पर्दे के पिछे बजाई है इसपर मुझे यकिन नहीं होता था। ‘प्यार का मौसम’ का ‘नी सुल्ताना रे’ गाना आज भी याद है। तात्पर्य यह है कि सासवड़ में हिंदी भाषा की जानकारी मुख्य रूप से लाउडस्पीकर और हिंदी फ़िल्मों के माध्यम से मिली।
सन १९७१ में, भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय ब्लैक आउट होता था। स्कूल में प्रार्थना के दौरान वेदपाठक मास्टरजी ब्लैक आउट के बारे में जानकारी देते। रात में सासवड़ अंधेरे में डूब जाता था । गली में विजयी जुलूस निकालकर ‘याहिया ख़ान मुर्दाबाद, इंदिरा गांधी ज़िंदाबाद’ का नारा लगाते गली के बच्चोंके साथ मैं भी घूमा हूँ। ‘बांग्लादेश, मुजीबुर्रहमान, मुक्तिवाहिनी, अमेरिका ने पाकिस्तान को पैटन तोपों की आपूर्ति की, लेकिन हमारे जवानों ने उसके परखच्चे उड़ा दिए, महाराष्ट्र में भीषण अकाल, कोयना के भूकंप का विवरण’ जैसी ख़बरें आकाशवाणी से सुधा नरवणे सुनाती थी। बाद में सोनी रेडियो बिगड़ गया और भोर गाँव के माधवमामा लाख कोशिशों के बाद भी उसे दुरुस्त नहीं कर पाए।
एक बार मैं मॉनिटर के रूप में मांडके मास्टरजी की संदूक में सामान सहेजने में मदद कर रहा था तो संदूक में सूतली से बंधा, चाय की डायरी के आकार का आठ-दस पुस्तकों का पुलिंदा मिला। जाने क्यों लेकिन मास्टरजीने वह पुलिंदा मुझे दे दिया। पाठ्य-पुस्तक से अलग ये कहानियों की किताबें थीं। तुकाराम महाराज, ज्ञानेश्वर माऊली, छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा फुले आदि संत और महापुरुषोंके जीवन चरित्र थे। मैंने घर जाकर एक-एक कर के सारी पुस्तकों को पढ़ डाला। मुझे लगता है कि अवांतर पुस्तकों को पढ़ने का सिलसिला यहाँ से शुरू हुआ। किताबों, रेडियो, सिनेमा और सिने-संगीत से लगाव के चलते, मुझे शायद ही कभी अकेलापन महसूस हुआ हो। मुझे लगता है कि किताबों और संगीत में खोया रहने और सपनों की उड़ान भरने वाला, लेकिन अपने बारे में किसी तरह का ‘सेंस ऑफ़ एन्टाईटलमेंट’ न पालने वाला मेरा यही व्यक्तित्व आगे भी बना रहा।
- Jayant Naiknavare IPS
(आनंदयात्री पुलिस अधिकारी की डायरी)
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telnews-in · 1 year
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खसरे के खिलाफ युवा मॉन्ट्रियालवासियों के टीकाकरण का आह्वान करें
खसरे के खिलाफ युवा मॉन्ट्रियालवासियों के टीकाकरण का आह्वान करें
मॉन्ट्रियल पब्लिक हेल्थ अपने बच्चों को खसरा का टीका लगाने के लिए माता-पिता को आमंत्रित करने के लिए एक अभियान शुरू कर रहा है। उनका अनुमान है कि पांच वर्षीय मॉन्ट्रियल के 80 से 85% लोगों को इस अत्यधिक संक्रामक बीमारी के खिलाफ पर्याप्त रूप से टीका लग��या गया है। हर्ड इम्युनिटी हासिल करने के लिए यह दर बढ़कर 95% होनी चाहिए। “यह देखते हुए कि छोटे बच्चों में टीकाकरण वायरस अत्यधिक प्रचलित हैं, हम सोचते…
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studycarewithgsbrar · 2 years
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टीकाकरण: जानिए सर्वाइकल कैंसर के टीके के बारे में, कब, कहां और कैसे लगवा सकते हैं टीका - Punjab News Latest Punjabi News Update आज
टीकाकरण: जानिए सर्वाइकल कैंसर के टीके के बारे में, कब, कहां और कैसे लगवा सकते हैं टीका – Punjab News Latest Punjabi News Update आज
एचपीवी वैक्सीन: भारत में शुरू की गई सबसे घातक बीमारियों में से एक, सर्वाइकल कैंसर का टीका, इस बीमारी को मिटाने के लिए बनाया गया है। इस मेड इन इंडिया वैक्सीन का नाम क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस वैक्सीन (एचपीवी वैक्सीन) है। दरअसल यह वैक्सीन इस कैंसर में पाए जाने वाले वायरस एचपीवी को खत्म करती है। तो अगर यह टीका छोटे बच्चों और लड़कियों को दिया जाए तो वे 30 साल की उम्र तक इस वायरस से बच सकते…
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ख्याति प्राप्त करने की स्थिति की खुराक 6 साल से कम त्रुटि वाला, कंपनी का का
ख्याति प्राप्त करने की स्थिति की खुराक 6 साल से कम त्रुटि वाला, कंपनी का का
. अगर न्यामक इससेमेत होते हैं, तो चूर्ते बचेन का कोविड टीकाकरन इस से मिल्मी से सदर हो सकोता है। डॉक्‍टरों ने डॉक्‍टरों को सम्‍मिलित करने के लिए डॉक्‍टर के संबंध में जोड़ा। कंपनी के खराब होने और खराब होने के लिए भी यह प्रभावी है। ? आयु वर्ग के लोग आधुनिक होते हैं। क्लोज़ खुराक के लिए विषाणु संक्रमण ने कीट-19 संक्रमण के लिए डॉ. दवा की खुराक के लिए आवश्यक दवा से निपटने के लिए दवा से रोग-19 रोग की…
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कोरोनोवायरस के बारे में क्या जानना है?
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कोरोनाविरस वायरस के प्रकार हैं जो आमतौर पर मनुष्यों सहित पक्षियों और स्तनधारियों के श्वसन पथ को प्रभावित करते हैं। डॉक्टर उन्हें सामान्य सर्दी, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (SARS) और COVID-19 से जोड़ते हैं। वे आंत को भी प्रभावित कर सकते हैं। ये वायरस आमतौर पर गंभीर बीमारियों से अधिक सामान्य सर्दी के लिए जिम्मेदार हैं। हालाँकि, कुछ अधिक गंभीर प्रकोपों के पीछे कोरोनवीरस भी हैं। पिछले 70 वर्षों में, वैज्ञानिकों ने पाया है कि कोरोनाविरस चूहों, चूहों, कुत्तों, बिल्लियों, टर्की, घोड़ों, सूअरों और मवेशियों को संक्रमित कर सकते हैं। कभी-कभी, ये जानवर कोरोनवीरस को मनुष्यों में पहुंचा सकते हैं।
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हाल ही में, अधिकारियों ने चीन में एक नए कोरोनोवायरस प्रकोप की पहचान की जो अब अन्य देशों में पहुंच गया है। इसे कोरोनावायरस बीमारी 2019, या COVID-19 नाम दिया गया है। इस लेख में, हम विभिन्न प्रकार के मानव कोरोनविर्यूज़, उनके लक्षणों और लोगों को उन्हें कैसे प्रसारित करते हैं, के बारे में बताते हैं। हम तीन विशेष रूप से खतरनाक बीमारियों पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं जो कोरोनाविरस के कारण फैलते हैं: COVID-19, SARS और MERS।शोधकर्ताओं ने पहली बार 1937 में एक कोरोनावायरस को अलग कर दिया। उन्होंने पक्षियों में एक संक्रामक ब्रोंकाइटिस वायरस के लिए एक कोरोनोवायरस को जिम्मेदार पाया, जो पोल्ट्री स्टॉक को नष्ट करने की क्षमता रखते थे। वैज्ञानिकों ने पहली बार 1960 के दशक में आम सर्दी के साथ लोगों की नाक में मानव कोरोनवीरस (HCoV) के सबूत पाए। आम सर्दी के एक बड़े अनुपात के लिए दो मानव कोरोनविर्यूज़ जिम्मेदार हैं: OC43 और 229E। "कोरोनावायरस" नाम उनके सतहों पर मुकुट जैसे अनुमानों से आता है। लैटिन में "कोरोना" का अर्थ है "हेलो" या "क्राउन"। मनुष्यों में, कोरोनोवायरस संक्रमण अक्सर सर्दियों के महीनों और शुरुआती वसंत के दौरान होता है। कोरोनवायरस के कारण लोग नियमित रूप से ठंड से बीमार हो जाते हैं और लगभग 4 महीने बाद उसी को पकड़ सकते हैं। COVID -19 2019 में, रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने एक नए कोरोनावायरस, SARS-CoV-2 के प्रकोप की निगरानी शुरू कर दी, जिससे श्वसन संबंधी बीमारी अब COVID-19 के रूप में जानी जाती है। अधिकारियों ने सबसे पहले चीन के वुहान में वायरस की पहचान की। तब से, वायरस एशिया के भीतर और बाहर, दोनों देशों में फैल गया है, जिसने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को एक महामारी के रूप में घोषित किया है। 23 मार्च तक, दुनिया भर में 340,000 से अधिक लोगों ने वायरस का अनुबंध किया है, जिससे 14,000 से अधिक मौतें हुई हैं। अमेरिका में, वायरस ने 35,000 से अधिक लोगों को प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप 450 से अधिक मौतें हुई हैं। COVID-19 वाले पहले लोगों का एक पशु और समुद्री भोजन बाजार से संबंध था। इस तथ्य ने सुझाव दिया कि जानवरों ने शुरू में वायरस को मनुष्यों में प्रसारित किया। हालांकि, अधिक हाल के निदान वाले लोगों का बाजार के साथ या संपर्क में कोई संबंध नहीं था, यह पुष्टि करते हुए कि मनुष्य एक दूसरे को वायरस पारित कर सकते हैं वायरस की जानकारी वर्तमान में दुर्लभ है। अतीत में, श्वसन स्थितियां जो कोरोनविरस, जैसे कि एसएआरएस और एमईआरएस से विकसित होती हैं, निकट संपर्क के माध्यम से फैल गई हैं। 17 फरवरी, 2020 को, WHO के महानिदेशक ने एक मीडिया में प्रस्तुत किया कि COVID-19 के लक्षण कितनी बार गंभीर या घातक हैं, इसकी पुष्टि निदान के साथ 44,000 लोगों के डेटा का उपयोग करके की। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट है कि दो समूह जो कि SARS-CoV-2 संक्रमण के कारण गंभीर बीमारी का सामना करने का सबसे अधिक जोखिम रखते हैं, वे बड़े वयस्क होते हैं, जिन्हें "60 वर्ष से अधिक उम्र" के रूप में परिभाषित किया गया है, और जिन व्यक्तियों में अन्य स्वास्थ्य स्थितियां हैं जो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली से समझौता करती हैं। सीडीसी के अनुसार, बच्चों को वयस्कों की तुलना में COVID-19 के लिए अधिक जोखिम नहीं है। जबकि वर्तमान में गर्भवती महिलाओं की संवेदनशीलता के बारे में कोई प्रकाशित वैज्ञानिक रिपोर्ट नहीं है, सीडीसी नोट करता है कि: "गर्भवती महिलाओं को इम्यूनोलॉजिकल और फिजियोलॉजिकल परिवर्तनों का अनुभव होता है, जो उन्हें वायरल श्वसन संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है, जिसमें COVID-19 शामिल है।" सीडीसी यह भी सिफारिश करता है कि संदिग्ध या पुष्टि किए गए सीओवीआईडी -19 के साथ माताओं से पैदा होने वाले शिशुओं को "जांच के तहत व्यक्ति" के रूप में अलगाव में रखा जाता है।COVID-19 के लक्षण लक्षण COVID-19 वाले व्यक्ति-से-व्यक्ति से भिन्न होते हैं। यह कुछ या कोई लक्षण नहीं पैदा कर सकता है। हालांकि, यह गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है और घातक हो सकता है। सामान्य लक्षणों में शामिल हैं: बुखार, सांस फूलना, खांसी, स्वाद या गंध का संभावित नुकसान,किसी व्यक्ति को संक्रमण के बाद लक्षणों को नोटिस करने में 2-14 दिन लग सकते हैं। वर्तमान में COVID-19 के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने ��ब वायरस को दोहराया है। यह उन लोगों में जल्दी पता लगाने और इलाज की अनुमति दे सकता है जिनके पास वायरस है लेकिन अभी तक लक्षण नहीं दिख रहे हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) का सुझाव है कि COVID-19 के कारण लोगों के कई समूहों में जटिलताओं के विकास का खतरा सबसे अधिक है। इन समूहों में शामिल हैं: छोटे बच्चे,65 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोग,जो महिलाएं गर्भवती हैं। सीडीसी सलाह देता है कि हालांकि छोटे बच्चों में जटिलताओं की रिपोर्टें आई हैं, ये दुर्लभ हैं। COVID-19 सबसे अधिक बच्चों में हल्के लक्षण पैदा करता है। प्रकार कोरोनविर्यूज़ परिवार के कोरोनैविरिडे में सबमिली कोरोनवीरिना से संबंधित हैं। विभिन्न प्रकार के मानव कोरोनविर्यूज़ भिन्न होते हैं कि परिणामी बीमारी कितनी गंभीर हो जाती है, और वे कितनी दूर तक फैल सकती हैं।डॉक्टर वर्तमान में सात प्रकार के कोरोनावायरस को पहचानते हैं जो मनुष्यों को संक्रमित कर सकते हैं। सामान्य प्रकारों में शामिल हैं: 1-229E (अल्फा कोरोनावायरस) 2- NL63 (अल्फा कोरोनावायरस) 3- OC43 (बीटा कोरोनावायरस) 4- HKU1 (बीटा कोरोनावायरस) अधिक गंभीर जटिलताओं का कारण बनने वाले दुर्लभ उपभेदों में MERS-CoV शामिल है, जो मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम (MERS), और SARS-CoV, गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (SARS) के लिए जिम्मेदार वायरस का कारण बनता है। 2019 में, SARS-CoV-2 नामक एक नया तनाव फैलने लगा, जिससे रोग COVID-19 हो गया।हस्तांतरण सीमित शोध इस बात पर उपलब्ध है कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में HCoV कैसे फैलता है। हालांकि, शोधकर्ताओं का मानना है कि वायरस श्वसन प्रणाली में तरल पदार्थ के माध्यम से संचारित होते हैं, जैसे कि बलगम। कोरोनवीरस निम्नलिखित तरीकों से फैल सकता है: मुंह ढके बिना खांसना और छींकना बूंदों को हवा में फैला सकता है।जिस व्यक्ति के पास वायरस है, उससे हाथ मिलाना या हिलाना व्यक्तियों के बीच वायरस को पारित कर सकता है। सतह या वस्तु से संपर्क बनाना जिसमें वायरस है और फिर नाक, आंख या मुंह को छूना।कुछ पशु कोरोनविर्यूज़, जैसे कि फेलिन कोरोनवायरस (FCoV), मल के संपर्क में आने से फैल सकता है। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह मानव कोरोनवीयरस पर भी लागू होता है। कोरोनवायरस अपने जीवनकाल के दौरान कुछ समय में अधिकांश लोगों को संक्रमित करेंगे। कोरोनावीरस प्रभावी ढंग से उत्परिवर्तित कर सकते हैं, जो उन्हें इतना संक्रामक बनाता है। संचरण को रोकने के लिए, लोगों को घर पर रहना चाहिए और लक्षण सक्रिय होने पर आराम करना चाहिए। उन्हें अन्य लोगों के साथ निकट संपर्क से भी बचना चाहिए। खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को टिश्यू या रूमाल से ढंकना भी संचरण को रोकने में मदद कर सकता है। घर के आसपास स्वच्छता के उपयोग और रखरखाव के बाद किसी भी ऊतक का निपटान करना महत्वपूर्ण है। Read the full article
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lok-shakti · 2 years
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कोविड समाचार लाइव: बोल्सनारो ने छोटे बच्चों के टीकाकरण की योजना की आलोचना की क्योंकि ब्राजील के मामले बढ़ गए हैं
कोविड समाचार लाइव: बोल्सनारो ने छोटे बच्चों के टीकाकरण की योजना की आलोचना की क्योंकि ब्राजील के मामले बढ़ गए हैं
राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने कोविद -19 के खिलाफ 5 से 11 वर्ष की आयु के बच्चों के टीकाकरण को अधिकृत करने के लिए ब्राजील के स्वास्थ्य नियामक अंविसा की आलोचना की है, रॉयटर्स की रिपोर्ट के एक दिन बाद, उनके स्वास्थ्य मंत्री ने उस आयु वर्ग को टीका लगाने की योजना का अनावरण किया। वैक्सीन संशयवादी बोल्सोनारो ने गुरुवार को एक रेडियो साक्षात्कार में कहा कि उन्होंने कोविड -19 से बच्चों के मरने के बारे में…
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parichaytimes · 3 years
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सीडीसी निदेशक का कहना है कि पूर्व कोविड संक्रमण वाले बच्चों को 'बिल्कुल' अभी भी टीका लगवाना चाहिए
सीडीसी निदेशक का कहना है कि पूर्व कोविड संक्रमण वाले बच्चों को ‘बिल्कुल’ अभी भी टीका लगवाना चाहिए
एक दस साल के बच्चे को 2 नवंबर, 2021 को कनेक्टिकट के हार्टफोर्ड में हार्टफोर्ड अस्पताल में 5-11 साल के बच्चों के लिए फाइजर-बायोएनटेक कोविड -19 वैक्सीन मिलती है। जोसेफ प्रीज़ियोसो | एएफपी | गेटी इमेजेज एक पूर्व संक्रमण के कारण कोविड एंटीबॉडी वाले छोटे बच्चों को अभी भी पूरी तरह से टीका लगाया जाना चाहिए, रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के निदेशक डॉ। रोशेल वालेंस्की ने बुधवार को सिफारिश की। कई अन्य…
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chhattisgarhrider · 3 years
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छत्तीसगढ़ राइडर की ओर ले सब्बो संगी मन ला पोरा तिहार के गाड़ा गाड़ा बधई कृषि संस्कृति से जुड़ा बहुत ही खास पर्व है पोरा, जिसे छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में विशेष रूप से मनाई जाती है। भाद्रपद मास के अमावस्या को मनाई जाने वाली इस पर्व को छत्तीसगढ़ में पोरा तिहार व महाराष्ट्र में पोला-पिठोरा व कर्नाटक में पोला कहा जाता है। कुछ प्रदेशों में इसे पिठोरी अमावस्या व कुशग्रहणी अथवा कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा जाता है। कृषि प्रधान अंचलों में अधिकांश लोकपर्व खेती से जुड़ा हुआ मिलता है और किसान सह परिवार उन उत्सवों को धूमधाम से मनाते हैं। इन पर्वों की खास विशेषता होती है कि किसान के साथ उनके घर की महिलाएं तथा बच्चों के लिए भी विविध परंपराओं का समावेश होता है। पोरा पर्व के दिन छत्तीसगढ़ में बैलों की विशेष पूजा होती है। इस त्योहार में कुम्हार (Potter)लड़कों के लिए मिट्टी के बैल व लड़कियों के लिए गृहणियों द्वारा उपयोग की जाने वाली बर्तनों का खिलौने बनाकर बेचते हैं। बच्चों के खेल के लिए बढ़ई (carpenter) द्वारा काठ का बैल बनाया जाता है। इस दिन किसान अपने घर के बैलों को नहला-धुलाकर कर कई रंग-बिरंगे पोषाक से श्रृंगार करते हैं। घर में ठेठरी, खुरमी, अरसा, सोहारी, देहरौही, चौसेला सहित अनेक छत्तीसगढ़ी व्यंजन (chhattisgarhi cuisine) बनाये जाते हैं। पोला पर्व का पूजा लोग अपने-अपने घरों में पारंपरिक तरीकों से करते हैं। महिलाएं एक स्थान में गोबर से लिपकर, चावल आटे अथवा धान से चऊक पुरती है। जिसमें लकड़ी की पिड़ुली रखकर मिट्टी के नंदी बैल व पोरा-चुकिया को रखा जाता है। तदोपरांत बंदन से सभी में टीका लगाते हैं, आटे के घोल से हाथा देते हैं। धूप-दीप से आरती करके, घर में बने छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। छत्ती‍सगढ़ में पोरा पर्व में बैलों का विशेष महत्व होता है। इस दिन किसान बैल से कोई काम नहीं लेते है। उन्हें अनेक प्रकार के रंग-बिरंगे वस्त्रों से सजाया जाता है। सींग में रंग-रोगन के साथ ही मोरपंख, आभूषण आदि से श्रृंगार किया जाता है। बैलों को लेकर साहड़ा (सांड) ठउर में बैल सजावट, बैल दौड़ की प्रतियोगिताएं पोरा पर्व का विशेष आकर्षण होता है। इस दिन छोटे लड़के भी अपने मिट्टी या काठ के बैल को लेकर खेलते हैं। वहीं लड़कियां मिट्टी के खिलौने से खेलती हैं जिसे पोरा-चुकिया कहा जाता है। खेलने के बाद शाम को उसी स्थान में कुछ खिलौने को तोड़ आती है जिसे पोरा पटकना कहा जाता है। #polafestivalcg #chhattisgarhtraditionfestival #cgfestivals #poratihar #tijapora #porafestival (at Raigarh) https://www.instagram.com/p/CTeM9yyM1j7/?utm_medium=tumblr
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jobssarkarinaukri · 3 years
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भारत में सितंबर-अक्टूबर तक कोविड-19 की तीसरी लहर आने की संभावना, बच्चों के लिए वैक्सीन जल्द आएगी: एम्स निदेशक
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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने 22 जुलाई, 2021 को कहा कि भारत सितंबर-अक्टूबर 2021 में कोविड-19 की तीसरी लहर देख सकता है। उन्होंने कहा कि भविष्य में कोविड-19 की संभावित लहर हो सकती है। दूसरे की तुलना में कम गंभीर, क्योंकि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के चौथे दौर के राष्ट्रीय सीरोसर्वे में पाया गया कि देश की दो-तिहाई आबादी में SARS-CoV-2 एंटीबॉडी हैं। एम्स निदेशक ने यह भी साझा किया कि उन्हें नहीं लगता कि तीसरी लहर बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी और गंभीर संक्रमण का कारण बनेगी। डॉ गुलेरिया ने दोहराया कि नवीनतम सीरोसर्वे में पाया गया है कि बच्चों को पहली और दूसरी लहर के दौरान भी इस बीमारी का अनुबंध किया गया था, लेकिन मुख्य रूप से हल्का संक्रमण था। उन्होंने कहा कि अन्य अध्ययनों में भी पाया गया है कि बच्चे भी बड़े पैमाने पर COVID-19 से संक्रमित हुए हैं, लेकिन उन्हें हल्का संक्रमण था और वे इससे उबर गए। उन्होंने कहा कि सीरोसर्वे और अन्य अध्ययनों में पाया गया कि कई बच्चों ने भी COVID-19 एंटीबॉडी विकसित कर ली है।
तीसरी लहर कब आएगी?
डॉ गुलेरिया ने कहा कि तीसरी लहर के समय में बहुत अधिक परिवर्तन हो सकते हैं, क्योंकि भारत में अभी भी एक बड़ी अतिसंवेदनशील आबादी वाले क्षेत्र होंगे। उन्होंने कहा कि इसलिए यह कहना मुश्किल है, यह अब से कुछ हफ्तों या महीनों में हो सकता है। वर्तमान में चीजें कैसी हैं, यह देखते हुए, डॉ गुलेरिया ने कहा कि ऐसा लगता है कि तीसरी लहर सितंबर या अक्टूबर तक आएगी, क्योंकि प्रतिबंध हटाए जा रहे हैं और बहुत सारी यात्रा हो रही है और COVID-उपयुक्त व्यवहार का पालन नहीं किया जा रहा है। यह होना चाहिए। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि हमारी संख्या अब 4 लाख प्रतिदिन से कम होकर 30,000 मामलों में आ गई है, पहली लहर की तुलना में, संख्या अभी भी अधिक है और हम यह कहने के लिए महत्वपूर्ण रूप से नीचे नहीं आए हैं कि दूसरी लहर खत्म हो गई है। .
क्या COVID-19 की तीसरी लहर दूसरी लहर जितनी गंभीर होगी?
डॉ गुलेरिया ने कहा कि भारतीयों की एक बड़ी संख्या में एंटीबॉडी हैं, इसलिए, यह दर्शाता है कि बाद की तरंगों के पिछले वाले की तरह खराब होने की संभावना कम है। पिछले सीरोसर्वे में केवल २०-२१ प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी पाए गए थे, लेकिन यह संख्या ५०-६० प्रतिशत को पार कर गई है। इसका मतलब है कि कई लोगों को संक्रमण हो चुका है और वे सुरक्षित हैं और टीके भी बढ़ती संख्या में दिए जा रहे हैं, जो एक अच्छा संकेतक है कि तीसरी लहर इतनी गंभीर नहीं हो सकती है।
क्या तीसरी लहर में बच्चों पर पड़ेगा असर?
डॉ. गुलेरिया ने बताया कि लोगों के पास थर्ड-वेव प्रभावित करने वाले बच्चों के लिए दो प्रमुख तर्क हैं क्योंकि वे अभी भी अतिसंवेदनशील हैं क्योंकि उन्हें पहले संक्रमण से बचाया गया है और उनके पास टीकाकरण नहीं है और इसलिए, जब वृद्धि होगी मामलों में, बच्चे उन वयस्कों की तुलना में अधिक प्रभावित होंगे जिन्हें या तो संक्रमण हुआ है या जिन्हें टीका लगाया गया है। हालांकि, एम्स के निदेशक ने जोर देकर कहा कि सीरोसर्वे से पता चलता है कि यह सच नहीं है क्योंकि बच्चों को भी काफी हद तक संक्रमण हुआ था, लेकिन उन्हें हल्का संक्रमण था और वे इससे उबर गए। बच्चों को उनके अध्ययन में 60 प्रतिशत तक एंटीबॉडी दिखाया गया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि बहुत सारे आंकड़े सामने आ रहे हैं जिससे पता चलता है कि बच्चे पहले ही संक्रमित हो चुके हैं और उन्हें हल्का संक्रमण था। उन्होंने आगे दोहराया कि पहली और दूसरी लहर में भी, बहुत कम बच्चे गंभीर कोविड के साथ भर्ती हुए, उनमें से अधिकांश को हल्की बीमारी थी और वे ठीक हो गए। इसलिए, इस सिद्धांत का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि आने वाली लहर में बच्चों को गंभीर संक्रमण होगा या वे सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
बच्चों के संबंध में राष्ट्रीय सेरोसर्वे के परिणाम
चौथे राष्ट्रीय सेरोसर्वे के लिए कुल 28,975 लोगों को नामांकित किया गया था, जिनमें से 5,799 10-17 वर्ष की आयु के बच्चे थे और 2,892 6-9 वर्ष की आयु के बच्चे थे। सेरोसर्वे में 6-9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों में 57.2 प्रतिशत, जबकि 10-17 वर्ष की आयु के बच्चों में यह 61.6 प्रतिशत पाया गया।
बच्चों के लिए वैक्सीन जल्द उपलब्ध होगी
एम्स निदेशक ने बताया कि भारत बायोटेक वैक्सीन और बच्चों के लिए जाइडस कैडिला वैक्सीन जल्द ही उपलब्ध हो सकती है। उन्होंने कहा कि जायडस कैडिला ने अपने टीके का परीक्षण पूरा कर लिया है और इसके सितंबर में लॉन्च होने की संभावना है।
स्कूलों के ग्रेड-ओपनिंग की सलाह
•एम���स के निदेशक ने बताया कि किस तरह से ऑनलाइन कक्षाओं के कारण 18 महीने से अधिक समय से बच्चों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है, खासकर उन बच्चों को जो हाशिए पर हैं और जिनके पास इंटरनेट, कंप्यूटर या स्मार्टफोन तक पहुंच नहीं है। उन्होंने कहा कि ये बच्चे सचमुच स्कूल छोड़ चुके हैं। • इसके अलावा, उन्होंने कहा कि स्कूल केवल शिक्षा देने के बारे में नहीं हैं, वे चरित्र निर्माण और सामाजिक संपर्क और बहुत सी अन्य चीजों के बारे में भी हैं। • अगर हम इस सब पर गौर करें तो उन्होंने यह कहते हुए जारी रखा कि हम केवल उन्हीं क्षेत्रों में स्कूल खोलने का एक क्रमबद्ध तरीका देख सकते हैं जहां सकारात्मकता दर कम है। उदाहरण के लिए 5 प्रतिशत से कम सकारात्मकता दर वाला क्षेत्र। लेकिन स्कूलों को कड़ी निगरानी के साथ खोलने की जरूरत है। •आईसीएमआर के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने पहले भी कहा था कि जब भी स्कूल फिर से खुलते हैं, तो माध्यमिक स्कूलों से पहले प्राथमिक स्कूलों को फिर से खोला जा सकता है क्योंकि छोटे बच्चों में आमतौर पर हल्का संक्रमण होता है। • एम्स निदेशक ने यह भी दोहराया कि आंकड़ों के अनुसार, बड़े बच्चों की तुलना में छोटे बच्चों में संक्रमण बहुत कम होता है क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण से बेहतर तरीके से निपटने में सक्षम होती है।
40 करोड़ लोग अभी भी असुरक्षित?
आईसीएमआर के डीजी डॉ. बलराम भार्गव ने इससे पहले कहा था कि जहां सामान्य आबादी के दो-तिहाई लोगों में SARS-CoV-2 एंटीबॉडीज थे, वहीं एक तिहाई आबादी में एंटीबॉडी नहीं थी। इसका मतलब है कि लगभग 40 करोड़ लोग अभी भी असुरक्षित श्रेणी में हैं। यहां तक ​​कि डॉ गुलेरिया ने भी कहा कि हमारी एक तिहाई आबादी अभी भी अतिसंवेदनशील है।
क्या एंटीबॉडी वाले लोग COVID से सुरक्षित हैं?
एम्स के निदेशक ने कहा कि हमें नहीं पता कि कट-ऑफ कहां है जिस पर हम कह सकते हैं कि यदि आपके पास एंटीबॉडी की 'एक्स' मात्रा है तो आप पर्याप्त रूप से पुन: संक्रमण से सुरक्षित हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि एंटीबॉडी समय के साथ गिरती हैं, इसलिए उन लोगों के लिए जिनके पास एंटीबॉडी हैं, लेकिन पिछले साल संक्रमण हुआ है, उनकी एंटीबॉडी की संख्या धीरे-धीरे कम हो जाएगी यदि उन्हें टीका नहीं लगाया गया है और वे फिर से संक्रमण के लिए प्रवण हो सकते हैं।
पृष्ठभूमि
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने अगस्त के अंत तक भारत में तीसरी लहर के आने का अनुमान लगाया है। चिकित्सा निकाय ने यह भी कहा कि यह अपरिहार्य नहीं है। डॉ. गुलेरिया ने यह भी कहा कि राज्यों द्वारा धीरे-धीरे अपने लॉकडाउन जैसे प्रतिबंधों को हटाने और लोगों द्वारा COVID-19 प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने के कारण, सितंबर-अक्टूबर में देश में तीसरी लहर आने की संभावना सबसे अधिक है। Government Jobs / सरकारी नौकरी - दैनिक अद्यतन प्राप्त करने के लिए सदस्यता लें सरकारी नौकरियों / सरकारी नौकरी / सरकारी नौकरी परिणाम के सभी नवीनतम अधिसूचना प्राप्त करने के लिए अपने इनबॉक्स में सदस्यता लें। इसे अभी देखें और सरकारी क्षेत्र में एक शानदार पेशेवर कैरियर प्राप्त करें। https://jobssarkarinaukri.info सरकारी नौकरियों / सरकारी नौकरी और सरकार के परिणामों से संबंधित सभी प्रश्नों के लिए एक स्थान पर है। यहाँ आप सरकारी नौकरियों / सरकारी नौकरी / सरकारी नौकरी परिणाम / सरकारी नौकरी के सभी नवीनतम अधिसूचना पा सकते हैं। जॉब्स, परीक्षा, परिणाम, एडमिट कार्ड और कुछ शैक्षिक लेख, जिन्हें लिंक के रूप में देखा जा सकता है। आप यहाँ हर परीक्षा और परिणाम के लिए विस्तृत जानकारी पा सकते हैं। सरकारी नौकरियों के परिणाम / सरकारी परिणाम / सरकारी नौकरी समाचारों के लिए नियमित रूप से नौकरियों की जांच करें, सभी आवेदकों के लिए सभी जानकारी उंगलियों पर है। यह संभव है कि स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल कर आवेदन करे और सरकारी नौकरी पाने के सपने को पूरा करे । Read the full article
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vilaspatelvlogs · 3 years
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parichaytimes · 3 years
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डॉ. स्कॉट गॉटलिब का कहना है कि जैसे ही वे पात्र होंगे, वे अपने छोटे बच्चों को कोविड का टीका लगवाएंगे
डॉ. स्कॉट गॉटलिब का कहना है कि जैसे ही वे पात्र होंगे, वे अपने छोटे बच्चों को कोविड का टीका लगवाएंगे
डॉ। स्कॉट गोटलिब सोमवार को सीएनबीसी को बताया कि वह अपने छोटे बच्चों को कोविद के खिलाफ टीका लगाने की योजना बना रहा है “जैसे ही वे पात्र होंगे।” फाइजर शुक्रवार को कहा कि इसकी दो-शॉट वैक्सीन छोटी खुराक पर थी 90.7% प्रभावी 5-11 बच्चों में रोगसूचक बीमारी को रोकने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण में। खाद्य एवं औषधि प्रशासन के वैज्ञानिक – उस आयु वर्ग के लिए टीकाकरण पर विचार करने के लिए मंगलवार की वैक्सीन…
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yourwellnes · 4 years
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व्यायाम के 35 अतिरिक्त मिनट अवसाद के जोखिम को कम कर देते हैं
अवसाद और चिंता में एक नए अध्ययन से पता चलता है कि कोई भी शारीरिक व्यायाम अवसाद के एक व्यक्ति के जोखिम को कम करने और अवसाद के एपिसोड से बचाने में मदद कर सकता है, यहां तक ​​कि उन लोगों में भी, जिनके पास आनुवांशिक जोखिम है। वास्तव में, शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रति सप्ताह प्रत्येक अतिरिक्त 4 घंटे के व्यायाम के लिए, एक और अवसादग्रस्तता एपिसोड होने का जोखिम 17 प्रतिशत कम हो गया है। दोनों उच्च तीव्रता वाले वर्कआउट, जैसे कि एरोबिक व्यायाम या व्यायाम मशीनों का उपयोग करना, और कम तीव्रता वाली गतिविधि, जैसे कि योग या स्ट्रेचिंग, अवसाद के जोखिम को कम करता है। यहाँ अवसाद के लक्षण हैं जिन्हें आपको कभी भी अनदेखा नहीं करना चाहिए।
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आयु 60 मई के बाद व्यायाम हृदय रोग, स्ट्रोक को रोकें एक अध्ययन में पाया गया है कि 60 वर्ष की आयु से अधिक की गतिविधि हृदय रोग के जोखिम को काफी कम कर सकती है। लोगों की उम्र कम होने के साथ ही उनका सक्रिय होना आम बात है। लेकिन यूरोपियन हार्ट जर्नल में किए गए अध्ययन में पाया गया है कि दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिमों को कम करने के लिए या तो गतिविधि का स्तर बनाए रखना या जीवन के इस स्तर पर अधिक सक्रिय होना महत्वपूर्ण है। समय के साथ व्यायाम के अपने स्तर को कम करने वाले अध्ययन प्रतिभागियों में हृदय और रक्त वाहिका के मुद्दों के विकास की 27 प्रतिशत अधिक संभावना थी। जो लोग अधिक सक्रिय हो गए, उनके जोखिम में 11 प्रतिशत की कमी आई।
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अपने जीवन में सरलीकरण तनाव
यदि आपसे पूछा गया कि आप अपने जीवन में कितनी बार तनाव का अनुभव करते हैं, तो संभावना है कि आप बहुत बार कहेंगे। वास्तव में, हेल्दीवुमेन, प्रिवेंशन मैगज़ीन और हेल्थ केयर कम्युनिकेशन एजेंसी GCI Health द्वारा हाल ही में की गई 3,000 से अधिक महिलाओं के एक सर्वेक्षण में पता चला है कि 40 प्रतिशत महिलाएं दिन में कई बार लगातार तनाव का अनुभव करती हैं। छब्बीस प्रतिशत इसे दैनिक अनुभव करते हैं, और 22 प्रतिशत इसे सप्ताह में एक या दो बार अनुभव करते हैं।
जब महिलाओं को तनाव होता है, तो इसका उनके जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। समग्र स्वास्थ्य पर नींद के महत्व को देखते हुए, सत्तर प्रतिशत महिलाओं को अच्छी तरह से नींद नहीं आती है, और यह हमारे जीवन में तनाव का कारण बनने का एक बड़ा कारण है।
हेल्दीवुमेन के सीईओ आरएन-सी, बेथ बैटलगिनो कहते हैं, "नींद की कमी से मोटापा, मेमोरी प्रॉब्लम, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हार्ट डिजीज और डिप्रेशन जैसी तमाम तरह की हेल्थ इश्यूज हो जाती हैं।" "जब तनाव नींद के रास्ते में हो जाता है, तो यह एक संकेत है कि आपके तनाव को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।"
हमारे जीवन में तनाव पैदा करने वाली चीजें कभी-कभी अपरिहार्य हो जाती हैं और हमारे नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं - जैसे ट्रैफ़िक जाम - लेकिन ऐस��� कुछ जो हमें आश्चर्यचकित करता है कि हम पहचाने गए शीर्ष चार तनावग्रस्त महिलाओं के नियंत्रण में कितने थे: परिवार, घरेलू अव्यवस्था या परियोजनाएँ, वित्त, और नौकरी की मांग।
इस रहस्योद्घाटन के बारे में अच्छी और बुरी खबर है। अच्छी खबर यह है कि आपके जीवन में इन तनावों में से कुछ का प्रबंधन करने में आपकी मदद करने के लिए कदम हैं। बुरी खबर यह है कि ये ऐसी चीजें हैं जिनका आप प्रतिदिन सामना करते हैं, इसलिए उनका प्रभार लेना भारी लग सकता है और वास्तव में आपको तनाव देना शुरू कर सकता है! यह ठीक है - हम यहाँ मदद करने के लिए हैं।
जबकि महिलाएं अपने तरीके से तनाव का प्रबंधन कर रही हैं - मुख्य रूप से टीवी देखने के माध्यम से, व्यायाम करना और खाना, हमारे सर्वेक्षण के अनुसार - ऐसे अन्य तरीके हैं जिनसे हम इन सामान्य त��ावों से निपट सकते हैं जो ल���बे समय तक चलने वाले सकारात्मक प्रभाव को बनाएंगे।
आपके जीवन में तनाव को कैसे सरल बनाया जाए, इसके कुछ उपाय यहां दिए गए हैं।
परिवार से तनाव को कम करें- चाहे वह एक छुट्टी परिवार की सभा हो या एक नियमित रूप से मंगलवार की शाम, पहला कदम यह पहचानना है कि आपके परिवार में गतिशील तनाव क्या है। एक बार जब आप पारिवारिक तनाव को पहचान लेते हैं, तो आपको अपने परिवार के साथ इस पर चर्चा करने की आवश्यकता होती है। क्या यह आपके चाचा को बता रहा है कि थैंक्सगिविंग डिनर टेबल के आसपास राजनीतिक बकवास बंद है या अपने पति को बताएं कि आपको बच्चों के स्नान के समय के लिए अतिरिक्त हाथ चाहिए, बाहर बात करें। पचहत्तर प्रतिशत महिलाओं का मानना ​​है कि उनके साथी पर उतना जोर नहीं दिया जाता है जितना कि वे समझती हैं, और जब तक चर्चा नहीं होगी। परिवर्तन अभी नहीं हो सकता है, लेकिन अगर आपके प्रियजनों को पता है कि कुछ आपको तनाव दे रहा है, तो संभावना है कि वे एक समाधान के साथ आने में मदद करने के लिए काम करेंगे।
घरेलू अव्यवस्था से तनाव को सरल बनाएं- "घरेलू अव्यवस्था दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों और एक घर में दिनचर्या के साथ हस्तक्षेप करती है," राशेल आइसेप, पेशेवर आयोजक और उत्पादकता सलाहकार ने कहा theorderexpert.com। अपने सुबह के बारे में सोचो: यदि आप अपने जूते नहीं खोज सकते हैं, तो आप देर से समाप्त हो सकते हैं, जो तनाव का कारण बनता है। अपनी शाम के बारे में सोचें: यदि आप सोते समय एक गन्दे कमरे में रहते हैं, तो यह संभव है कि आप विश्राम की भावना महसूस नहीं करेंगे। इस्प्रिट कहते हैं, "अगर आप को तनाव से मुक्त करने का विचार" एक आसान पहला कदम है, तो अपने घर में एक छोटे से समस्या क्षेत्र की पहचान करना और उसे समाप्त करना है। "समय की पहचान करने और एक भयावह या तनावपूर्ण स्थिति की पहचान करने के लिए, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, कुछ तात्कालिक राहत प्रदान करेगा, और आपको घर पर भविष्य की सफलता के लिए तैयार करेगा।" अपने घर में किस क्षेत्र (क्षेत्रों) को पहचानें या दैनिक आधार पर परेशान करें, और वहां से शुरू करें। इसे एक बार में एक कार्य से दूर करें।
वित्त से तनाव को सरल बनाएं- वित्तीय तनाव अलग-थलग महसूस कर सकता है, लेकिन आप अकेले नहीं हैं। साठ प्रतिशत महिलाओं का कहना है कि वे अपने पैसे के बजाय अपनी मौत के बारे में बात करेंगी। अधिक महिलाएं अपने घरों की वित्तीय जिम्मेदारी ले रही हैं, और उस तनाव को नेविगेट करने के तरीके हैं। अपनी वर्तमान स्थिति का आकलन करें और किसी भी तत्काल व्यवहार की पहचान करें जिसे आपके भविष्य को बेहतर बनाने के लिए बदला जा सकता है। पैसे के साथ अपने रिश्ते को गहराई से देखें: क्या आप आराम, विलासिता, प्रेम, शक्ति या कुछ और खोजने के लिए खर्च कर रहे हैं? पैसे की पहचान खुशी या सुरक्षा की गारंटी नहीं देती है। सलाह के लिए किसी विश्वसनीय मित्र, वित्तीय सलाहकार, वरिष्ठ केंद्र, चर्च, सामुदायिक एजेंसी या क्रेडिट परामर्श सेवा से जुड़ें। और एक बजट बनाओ। शब्द आपको तनाव दे सकता है, लेकिन इसे सशक्त बनाने के रूप में देखें। एक यथार्थवादी बजट बनाना और उससे चिपकना आपके वित्तीय स्वास्थ्य और अंततः, व्यक्तिगत कल्याण में सुधार करने में मदद कर सकता है।
नौकरी की मांग से तनाव को कम करें- जबकि करियर अविश्वसनीय रूप से पुरस्कृत हो सकता है, वे एक महिला के जीवन में एक प्रमुख तनाव हो सकते हैं। यदि आपके जीवन में काम एक तनाव है, तो आपको सीमाएं स्थापित करने की आवश्यकता है। वह टोन सेट करें जिसे आप एक निश्चित समय के बाद ईमेल की जाँच नहीं करेंगे या घंटों के बाद कॉल नहीं लेंगे। जब आप घर आते हैं, तो रात में दरवाजे पर चलने से पहले रुकें। कार में कुछ संगीत सुनें या सामने के दरवाजे पर कुछ गहरी साँस लें। इस तरह, आप अपने परिवार को देखने से पहले बेहतर मूड में होंगे। और छुट्टी के दिनों को बेकार मत जाने दो। आपको आराम करने के लिए समय निकालने की ज़रूरत है ताकि आप काम पर लगाम लगा सकें और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए तैयार हो सकें। "आज के काम के माहौल में, कोई भी दिन-प्रतिदिन के दबावों को प्रबंधित करने के लिए अजनबी नहीं है - यही कारण है कि यह इतना महत्वपूर्ण है कि कंपनियां संस्कृतियों का निर्माण करती हैं जहां कर्मचारी तनाव के प्रबंधन में एक-दूसरे का समर्थन करते हैं और उनके नियंत्रण में रहते हैं।" वेंडी लंड, जीसीआई हेल्थ के सीईओ।
तनाव को सरल बनाएं- आपके जीवन में तनाव का कारण कोई बात नहीं है, कुल मिलाकर सामान्य विषय पर बात करना है, जो कि ऐसा नहीं लगता है। लगभग आधी महिलाएं अपने तनाव के बारे में शायद ही कभी या कभी बात नहीं करती हैं क्योंकि वे बोझ नहीं बनना चाहती हैं, या उन्हें नहीं लगता कि लोग परवाह करेंगे।
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छोटे-छोटे लम्हों से मिलती हैं मां को भरपूर सांसें और पूरे जीवन की प्राणवायु, हर पल ममता छलकाती हैं मां https://ift.tt/2L78J1l
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इस रविवार मदर्स डे है। बच्चे उन जरियों को तलाशेंगे, जिनमें मां की खुशी छुपी हो।वे जान पाएंगे कि मां का मां होना ही उसकी सबसे बड़ी ख़ुशी है। हर वो लम्हा, जो उसे ममता छलकाने का अवसर दे, उसी पल के लिए मां जीती है, खुश होती है, सुख पाती है। छोटे-छोटे लम्हों से मिलती हैं मां को भरपूर सांसें, उसके पूरे जीवन की प्राणवायु।
मां को बहुत ऊंचे सिंहासन पर बैठाकर, उसकी भूमिका का महिमामंडन किया जाना, मातृ दिवस का आम चलन है। बहुत सारी मांओं को तो पता भी नहीं चलता कि ऐसा कोई दिन आया और चला भी गया। और मां को ऊंचे सिंहासनों पर बैठने की फ़ुर्सत भी कहां है! उसे मां होने से अवकाश मिले, तो ना अपनी भूमिका पर नज़र डाले! इस दिन भी हंसकर अपने बच्चों के तोहफ़े स्वीकार कर पूछ जरूर लेती है, ‘मां के लिए क्यों लाए कुछ? अपने लिए ले आते, भाई-बहन के लिए लाते। मेरे पास तो तुम लोग हो ना, और मुझे क्या चाहिए!’
मां की सेवा में खुश होते बच्चे
बहुत सारे बच्चे मां की सेवा करके खुश होते हैं। उसके पैर दबाकर, उसके सिर की मालिश करके, तो कभी उसके लिए चाय- भोजन बनाकर वे मां के चेहरे पर सुकून और खुशी तलाशते हैं। मां मुस्कराती है, तो बच्चों को लगता है उसे सुकून मिल रहा है। जब बेटियां खुद मां बन जाती हैं, तब उन्हें पता चलता है कि वो सुकून कहां मिलता था। कुछ बेटों को भी इसका पता हासिल हो जाता है। वे भी उन छोटे-छोटे लम्हों में इत्मीनान पाती मां को समझ जाते हैं।
मां परवाह का ही एक और नाम है। प्यार, स्नेह, वात्सल्य इसके पर्यायवाची हैं। तो यह स्पष्ट है कि परवाह के क्षणों में मां सुख पाती है।
बच्चे की पुकार कि ‘मां, एक रोटी और देना’ पर...
मां स्नेह की सुगंध से भरी फूली-फूली गर्म रोटी उसकी थाली में रखकर जो आनंद पाती है, वह है मां की खुशी का लम्हा। बच्चा पेट-भर खाए, उसकी भूख शांत हो जाए, बस, यही तो वो चाहती है।
बच्चे को थपकी देकर सुलाते हुए...
बच्चा चैन से सोए, दुनिया के दु:ख उसे छू न पाएं, हर थपकी में मां यह दुआ पिरोती रहती है। बच्चा जितनी देर जागता रहे, मां को चाहे कितनी थपकियां देनी पड़े, उसकी दुआओं के मनके उंगलियों पर फेरियां लगाते रहते हैं। उस लम्हे में मां ख़ुशियां पाती है।
बच्चे के बालों पर कंघी फेरते हुए...
बच्चे को लगता है मां केवल बाल संवार रही है, लेकिन वो बलाएं हटा रही होती है। अनदेखा नज़र का टीका उसके माथे पर लगाती है। बच्चे के बनने-ठनने का यह लम्हा मां को बहुत प्रिय होता है। बहुत ख़ुशी देता है।
बच्चे का सामान व्यवस्थित करते हुए...
यह केवल मां के हिस्से की खुशी है। बच्चा नज़र के सामने न भी हो, तो भी वो बच्चे के इस्तेमाल वाली वस्तुओं में अपना वात्सल्य भरती रहती है। कितनी ही मांओं के पास अपने बच्चों के बचपन के कपड़े या खिलौने मिल जाएंगे। रहती दुनिया तक, मां जब भी अपने बच्चे के सामान को स्पर्श करती है, उसे हर बार उतनी ही ख़ुशियों वाला लम्हा मिलता है।
अपने बच्चे को कम्बल ओढ़ाते समय...
कितने ही बच्चे, शायद ज़्यादातर बच्चे एक उम्र के बाद मां को अपना बड़ा हो जाना जताने लगते हैं। अपना ध्यान ख़ुद रख लेने में सक्षम बताते हैं, लेकिन सोते हुए कम्बल ओढ़ना भूल जाते हैं या उसे नींद में संभाल नहीं पाते। तब मां आती है सर्द रात में अपने स्नेह की ओट देने। ठिठुरते बच्चे को ऊष्मा मिलने वाले लम्हे में मां सुखी होती है।
बच्चा शाम को घर आए, तो उसकी एक झलक पाकर...
इस सुख का तो क्या बखान किया जाए! लौटने में थोड़ी-सी भी देर हो जाए, तो बच्चे के शब्द होते हैं, ‘चिंता करने की क्या बात थी। आ ही तो रहे थे।’ मां बता नहीं सकती कि जब शाम के हाथ से धूप फिसलती जाती है, तो मां का चैन भी लेती जाती है। उसे उस समय अपने बच्चे घर में सुरक्षित चाहिए होते हैं। उनके क़दमों की आहट पा जाए, उनकी झलक दिख जाए, वो लम्हा मां के इत्मीनान का होता है।
ऐसे हज़ार-हज़ार लम्हों में सिमटी होती है मां, जो मां बनने पर ही मिलते हैं। चौखट पर सिर टिकाए, अपने में मगन बच्चे को निहारती मां की आंखें एक-साथ बलाएं ले रही होती हैं, दुआएं देती है, फ़िक़्र ���ें आंसू भर लेती हैं, स्नेह से छलक जाती हैं... हर रोज़, ऐसे ही असंख्य पल वो आंचल में समेटती है। मां के हिस्से के इन लम्हों से बनते हैं मातृ दिवस, मातृ वर्ष, मातृ जीवन।
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Mother's Day: Mother gets happiness from every single moment in which she cares for her children, mother always showers love on her children
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jobssarkarinaukri · 3 years
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मॉडर्न छोटे बच्चों, शिशुओं पर COVID-19 वैक्सीन का परीक्षण शुरू करता है
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मॉडर्न ने एक अध्ययन में 6 महीने और 12 साल की उम्र के बीच के शिशुओं और बच्चों पर इसके कोरोनावायरस वैक्सीन का परीक्षण शुरू किया है। दवा कंपनी द्वारा परीक्षण शुरू कर दिया गया है क्योंकि यह बच्चों पर अपने टीके के लिए अनुमोदन का विस्तार करना चाहता है। कंपनी ने बताया कि पहले प्रतिभागियों को चरण 2/3 अध्ययन में किडकोव अध्ययन कहा जाता है, जिसे बाल चिकित्सा कोरोनावायरस टीकाकरण पर रखा गया है। प्रतिभागियों को mRNA-1273, COVID -19 के खिलाफ मॉडर्न के टीके उम्मीदवार के साथ लगाया गया है। मॉडर्न संयुक्त राज्य अमेरिका में शिशुओं के बीच परीक्षण शुरू करने के लिए अधिकृत वैक्सीन वाली कंपनियों में से पहली बन गई हैं। क्लिनिकल ट्रायल, जिसे मॉडर्न द्वारा किडकोव अध्ययन कहा जाता है, लगभग नामांकित करेगा। 6 महीने और 11 साल की उम्र के बीच कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में 6,750 बच्चे। हमने अभी घोषणा की है कि पहले प्रतिभागियों को चरण 2/3 अध्ययन में लगाया गया है, जिन्हें किडकोव अध्ययन कहा जाता है, mRNA-1273 का, COVID-19 के खिलाफ हमारा टीका उम्मीदवार, 6 महीने से 12 साल से कम उम्र के बच्चों में। और पढ़ें: https://t.co/FpQ2NCcRxR pic.twitter.com/oWZ0UET8e1 Read the full article
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