गुपकार गठबंधन की बैठक आज, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई सर्वदलीय बैठक पर चर्चा होगी
श्रीनगर: गुपकार गठबंधन के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई सर्वदलीय बैठक पर चर्चा करने के लिए आज फिर मुलाकात करेंगे! पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) मुख्यधारा की छह पार्टियों का गठबंधन है, जो जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को बहाल करने की मांग कर रहा है! प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 24 जून को नई दिल्ली में हुई सर्वदलीय बैठक के बाद गठबंधन की यह पहली बैठक होगी!
गठबंधन के प्रवक्ता एमवाय तारिगामी ने सोमवार को कहा, ‘‘ पीएजीडी की कल बैठक होगी!’’ उन्होंने कहा कि सुबह 11 बजे शहर के गुपकार इलाके में गठबंधन के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के आवास पर बैठक होगी! बैठक में प्रधानमंत्री के साथ हुई सर्वदलीय बैठक और गठबंधन के आगे के रास्ते पर चर्चा होगी!
प्रदेश कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर और दिल्ली के बीच की दूरी कम होने की कही थी बात
पीएम मोदी के बैठक में शामिल होने के बाद जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर भी ने शनिवार को प्रदेश के कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक करके बातचीत का ब्यौरा दिया था!
गुलाम अहमद ने कहा था कि प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक का सबसे सकारात्मक पहलू यह रहा कि प्रदेश से धारा 370 के हटाए जाने के बाद पहली बार दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के बीच की दूरी कम हुई है! उन्होंने कहा था कि परिसीमन पूरा होने के बाद अगर जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलता है और उसके बाद चुनाव होते हैं तो लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में इन चुनावों में भाग लेंगे!
महबूबा मुफ्ती खुद चुनाव नहीं लड़ने का कर चुकी एलान
वहीं, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि वह खुद तब तक कोई चुनाव नहीं लड़ेंगी जब तक कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल नहीं हो जाता! महबूबा ने कहा था कि , ‘मैंने कई बार स्पष्ट किया है कि मैं केंद्र शासित प्रदेश के तहत कोई चुनाव नहीं लड़ूंगी, लेकिन साथ ही मेरी पार्टी इस तथ्य से भी अवगत है कि हम किसी को राजनीतिक स्थान नहीं लेने देंगे! हमने पिछले साल जिला विकास परिषद का चुनाव लड़ा था!’ पीडीपी अध्यक्ष ने कहा, ‘इसी तरह अगर विधानसभा चुनाव की घोषणा होती है तो पार्टी बैठकर चर्चा करेगी!’
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गुपकार गठबंधन ने कहा- पीएम की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक के नतीजे से निराश
गुपकार गठबंधन ने कहा- पीएम की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक के नतीजे से निराश
और: ग़पकार डिक्लेक्शन (पजीडी) के लिए उपयुक्त ग़पकार डिक्लेक्शन (पाजीडी) ने मन्नर की रीडिंग या मौसम-को 24 जून को सर्वदलीय मीटिंग के बाद खुश होने की स्थिति में। ️ गठबंधन️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ है है
गुपकार ने बाद में घोषित किए गए राज्य का राज्य को पुनः प्राप्त करने का स्थान दिया था। गुपकार की स्थिति में बेहतर इंटरनेट कांफ्रेंस (नेकां), माकपा, भाकपा, आवामी कांफ्रेंस और- अच्छी क्वालिटी…
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जम्मू कश्मीर पर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक के नतीजे से निराश, गुपकार गठबंधन ने जारी किया बयान Divya Sandesh
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जम्मू कश्मीर पर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक के नतीजे से निराश, गुपकार गठबंधन ने जारी किया बयान
श्रीनगर
पीपल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD या ) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में जम्मू-कश्मीर को लेकर हाल में हुई सर्वदलीय बैठक के नतीजे पर निराशा जताई है। सोमवार को गठबंधन की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि इसमें राजनीतिक कैदियों तथा अन्य कैदियों की रिहाई जैसे विश्वास बहाली के ठोस कदमों का अभाव है।
पीएजीडी के प्रवक्ता एवं माकपा नेता एमवाई तारिगामी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि रविवार शाम को नैशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता में उनके आवास पर गुपकार गठबंधन की बैठक हुई थी। इसमें बताया गया कि बैठक में गठबंधन की उपाध्यक्ष एवं पीडीपी अध्यक्ष , तारिगामी, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता हसनैन मसूदी, पीपल्स मूवमेंट के प्रमुख जावेद मुस्तफा मीर और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुजफ्फर अहमद शाह शामिल हुए।
प्रवक्ता ने बताया कि 24 जून को दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक के बारे में चर्चा करने के लिए यह बैठक बुलाई गई थी। पीएजीडी के सभी सदस्यों ने दिल्ली में हुई बैठक के परिणामों पर निराशा जताते हुए कहा कि इनमें विशेष रूप से राजनीतिक कैदियों तथा अन्य कैदियों को जेलों से रिहा करने तथा जम्मू कश्मीर में 2019 से बने कथित ‘दबाव के माहौल’ को समाप्त करने जैसे विश्वास बहाली के कोई ठोस कदम का अभाव था।
तारिगामी ने कहा कि विश्वास बहाली के कदमों (सीबीएम) से जम्मू कश्मीर की जनता तक पहुंच की अत्यंत जरूरी प्रक्रिया शुरू हो पाती, जो ‘जम्मू कश्मीर की समस्या में सबसे बड़े पक्ष और सबसे ज्यादा पीड़ित हैं।’
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जम्मू-कश्मीर की राजनीति पार्टियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री ने दिया भरोसा
जम्मू-कश्मीर की राजनीति पार्टियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री ने दिया भरोसा
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में हाल में हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कांफ्रेस समेत गुपकार गठबंधन के दलों ने भले ही अनुच्छेद-370 की वापसी की बात उठाई हो, लेकिन सच्चाई यह है कि अब वे भी मान चुके हैं कि इसकी वापसी नहीं हो सकती। यही कारण है कि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेस जैसे जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री के साथ गुरुवार को हुई बैठक में यह…
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नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) समेत जम्मू-कश्मीर की सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने 15 अक्टूबर को पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला के घर पर बैठक की। उन्होंने संविधान की धारा 370 को रीस्टोर करने और जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश से फिर पहले की तरह राज्य बनाने की मांग करने वाले गुपकार डिक्लेरेशन के लिए अपना कमिटमेंट दोहराया। यह मीटिंग ऐसे वक्त हुई जब कुछ ही घंटों पहले पीडीपी चीफ मेहबूबा की 14 महीने बाद नजरबंदी से रिहाई हुई थी। इस लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण थी। लेकिन, जो बड़ा मुद्दा मीटिंग से निकलकर आया, वह यह था कि इस ग्रुप का नाम बदलकर अब पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन हो गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने गुरुवार की मीटिंग के बाद कहा कि हम संविधान के दायरे में अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। हम चाहते हैं कि भारत सरकार राज्य के लोगों को 5 अगस्त 2019 के पहले के अधिकार फिर से दें। हमें यह भी लगता है कि इस राज्य के राजनीतिक मुद्दों का हल जल्द से जल्द निकाला जाएं और ऐसा सिर्फ जम्मू-कश्मीर की समस्या से जुड़े सभी लोगों के बीच शांति के साथ बातचीत से ही हो सकता है।
क्या है गुपकार डिक्लेरेशन?
करीब 14 महीने पहले, धारा 370 को रद्द करने के एक दिन पहले 4 अगस्त 2019 को श्रीनगर में भी जम्मू-कश्मीर की सभी राजनीतिक पार्टियों की मीटिंग हुई थी। यह मीटिंग फारुक अब्दुल्ला के गुपकार रोड स्थित बंगले में हुई थी और यहां पर जॉइंट स्टेटमेंट जारी हुआ था। कहा था कि वे जम्मू-कश्मीर की आइडेंटिटी, ऑटोनोमी और स्पेशल स्टेटस की सुरक्षा के लिए लड़ते रहेंगे। इसे ही गुपकार डिक्लेरेशन कहा गया।
कश्मीर की पार्टियों को इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
नई दिल्ली में कश्मीर पर नजर रखने वाले तबके को लग रहा है कि पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन राजनीतिक मजबूरी है। पिछले सालभर यह नेता हिरासत में रहे। इस दौरान उन्हें जमीनी स्तर पर कोई सपोर्ट नहीं मिला। ऐसे में वे इस अलायंस के जरिए अपनी विश्वसनीयता को लोगों के बीच कायम करना चाहते हैं।
नई दिल्ली में सरकारी सूत्र यह भी कहते हैं कि कश्मीर में मोटे तौर पर कानून व्यवस्था अच्छा काम कर रही है। आतंकवादियों के जनाजों को लेकर होने वाले टकराव भी खत्म हो गए हैं। इस वजह से कश्मीर के कुछ नेता पहले ही मर चुकी धारा 370 का जनाजा निकालना चाहते हैं। हकीकत यही है कि धारा-370 अब कभी लौटने वाली नहीं है।
मेहबूबा मुफ्ती से मिलने के लिए उनके घर जाते फारुक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला।
क्या चाहते हैं इस नए-नवेले अलायंस के नेता?
कहीं न कहीं कश्मीर की मुख्य धारा की क्षेत्रीय पार्टियां अब भी उम्मीद कर रही है कि धारा 370 लौट सकती है। गुपकार डिक्लेरेशन पर साइन करने वालों ने संकेत दिए हैं कि यह लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट में चलेगी।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पूर्व राजनीतिक सलाहकार तनवीर सादिक कहते हैं कि मुद्दा यह नहीं है कि पीपुल्स अलायंस केंद्र के खिलाफ आवाज उठा रहा है, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि सभी राजनीतिक पार्टियां साथ में हैं। वह शांति के साथ और संवैधानिक तरीके से वह हासिल करने की कोशिश शुरू कर रही है जो राज्य की जनता से असंवैधानिक और अवैध तरीके से छीना गया है।
वह कहते हैं कि हम केंद्र के सामने अपनी दलील नहीं रखने वाले। हम तो सुप्रीम कोर्ट में जाकर संवैधानिक तरीके से लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। हमारा मानना है कि केंद्र ने जो भी किया वह गैरकानूनी, असंवैधानिक और अनैतिक था, इस वजह से इसे बदला जाना चाहिए।
कितना समर्थन है इस अलायंस के नेताओं को?
अब्दुल्ला-मुफ्ती के भाईचारे ने कई लोगों को चौंकाया है। पिछले एक साल में एनसी और पीडीपी नेता नजरबंद थे। उनके समर्थन में न कोई बड़ा प्रदर्शन हुआ और न ही कोई लॉकडाउन। इससे यह साफ है कि जमीन पर उनके लिए कोई सपोर्ट नहीं बचा है।
उमर अब्दुल्ला के करीबी रहे और टीवी डिबेट्स में एनसी का कई बार प्रतिनिधित्व करते रहे जुनैद अजीम मट्टू भी आज नए ग्रुप को लेकर आशंकित हैं। उन्होंने खुद को इस ग्रुप से बाहर रखा है।
श्रीनगर के पूर्व मेयर जुनैद पीडीपी और एनसी दोनों में ही रहे हैं। वे कहते हैं, मेरा मानना है कि गुपकार डिक्लेरेशन दो ऐसी पार्टियों का गिल्ट (अपराध-बोध) है, जिनका नेतृत्व दो परिवार करते हैं। उनका यह सीजफायर खुद को रेलेवंट बनाए रखने की कोशिश है। ताकि वे एक-दूसरे को एक्सपोज न करें।
जुनैद कहते हैं, "मेरा भी यकीन है कि जम्मू-कश्मीर से जो छीना गया है, उसे वह वापस मिलना चाहिए। पर मैं यह भी नहीं मानता कि मुफ्ती और अब्दुल्ला रातोरात संत बन गए हैं। अगस्त 2019 से पहले जो भी हुआ, उसके लिए जवाब तो उन्हें देना ही होगा। वे इस सिचुएशन का लाभ उठाकर छुटकारा नहीं ले सकते।'
अब्दुल्ला ने चीन से सपोर्ट मांगा, इसका क्या मतलब है?
फारुक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को रीस्टोर करने में चीन से मदद लेने की बात कही और इस पर भाजपा के तीखे हमले हुए। अब्दुल्ला ने बातचीत के लिए सभी स्टेकहोल्डर्स को बुलाया तो यह भी राजद्रोह की नजर से देखा गया।
केंद्र सरकार को लगता है कि यदि सभी स्टेकहोल्डर्स को बातचीत के लिए बुलाएंगे तो उससे पाक-समर्थित भावनाएं बढ़ेंगी। इसका मतलब है कि अब्दुल्ला और उनकी गैंग को पहले चीन चाहिए था और अब पाकिस्तान। आम लोगों की तो बात ही नहीं हो रही।
जम्मू-कश्मीर का भविष्य क्या है?
एक्सपर्ट कहते हैं कि कश्मीर की नई राजनीति गुपकार से नहीं गुजरनी चाहिए। एनसी, पीडीपी, कांग्रेस और यहां तक कि भाजपा (पीडीपी-भाजपा गठबंधन) सरकारों ने भी सेपरेटिज्म को ही बढ़ावा दिया है। इससे नई दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में गैप बढ़ता गया। पॉलिसी पैरालिसिस की स्थिति भी बनी।
इस बार नई दिल्ली भी पॉलिटिकल आउटरीच के लिए डेस्पिरेट दिख रही है। मौजूदा सिचुएशन में लीडरशिप की नई पीढ़ी उभारने की कोशिश चल रही है। कश्मीर में लीडरशिप की नई पीढ़ी खड़ी करने की तैयारी हो रही है। यह भी देखना होगा कि नई पौध भी राजद्रोह की ओर न चल पड़ें। कश्मीर के पास अब तक सिर्फ धोखे की नहीं बल्कि पॉलिटिकल करप्शन और डबल गेम्स के भी भयावह किस्से रहे हैं।
आर्टिकल 370 को रद्द करने से पहले केंद्र के एक टॉप मिनिस्टर ने कहा था कि कश्मीर में अभूतपूर्व सिचुएशन से निकालने के लिए अभूपतूर्व उपाय करने होंगे। अब उपाय किए ही हैं तो कश्मीर को फिर टाइम बम पर न रखा जाएं, जिसका डेटोनेटर पाकिस्तान में हो। नई दिल्ली को ऐसा रास्ता नहीं पकड़ना चाहिए जो गुपकार से न गुजरता हो।
जम्मू-कश्मीर में चुनावों का क्या होगा?
इसी तरह जम्मू-कश्मीर में 2018 में पीडीपी-भाजपा सरकार के ब्रेक-अप के बाद चुनाव नहीं हुए हैं। सरकारी सूत्र संकेत दे रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में जल्द ही विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं।
धारा 370 रद्द करने और केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा देने के बाद यह पहला मौका है जब असेंबली इलेक्शन कराए जाएंगे। यह चुनाव 2021 की गर्मियों में कराए जा सकते हैं।
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The stalwarts of Kashmir politics came together to challenge the decision to repeal Article 370; Is this the Funeral of Section 370 that was long awaited?
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J&K: गुपकार गठबंधन की बैठक आज होगी, फारूक अब्दुल्ला के आवास पर मिलेंगे नेता
J&K: गुपकार गठबंधन की बैठक आज होगी, फारूक अब्दुल्ला के आवास पर मिलेंगे नेता
और: गुपकार से जुड़े व्यक्ति के प्रबंधन के लिए स्थायी बैठक में शामिल होने के बाद भी ऐसा ही होगा।.. एलायंस फॉर गपकार डिक्लेरेशन (पीजीडी) के लिए स्कर्क्स की सुविधा है, जो वॉशिंग की सुविधा के लिए विशेष को रिपेयर करता है। मोदी के नेतृत्व में 24 जून को नई दिल्ली में सर्वदलीय मीटिंग के बाद मीटिंग होगी।
संबद्ध के स्पीकर ने कहा, ”पाजी की बैठक की बैठक होगी।” कि सुबह 11 बजे शहर के गुपकार में संबद्ध के सदस्य…
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PM मोदी के साथ बैठक में शामिल हो रहे कश्मीरी नेता कौन हैं, क्या है उनका अजेंडा, जानिए Divya Sandesh
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PM मोदी के साथ बैठक में शामिल हो रहे कश्मीरी नेता कौन हैं, क्या है उनका अजेंडा, जानिए
जम्मू-कश्मीर को को लेकर राजधानी नई दिल्ली में गुरुवार को महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। पीएम नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक के लिए प्रधानमंत्री आवास में तैयारी पूरी हो गई है। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35ए हटाने के बाद वहां के राजनीतिक दलों के साथ केंद्र सरकार की यह पहली मीटिंग है, जिस पर देश भर की निगाहें लगी हुई हैं। केंद्र सरकार के शीर्ष स्तर के नेतृत्व के साथ ही जम्मू-कश्मीर के प्रमुख राजनीतिक और प्रशासनिक शख्सियतें इस बैठक में शामिल होंगी। जानिए, आज दोपहर होने वाली बैठक में कौन से चेहरे होंगे… पीएम नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक के लिए प्रधानमंत्री आवास में तैयारी पूरी हो गई है। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35ए हटाने के बाद वहां के राजनीतिक दलों के साथ केंद्र सरकार की यह पहली मीटिंग है, जिस पर देश भर की निगाहें लगी हुई हैं। केंद्र सरकार के शीर्ष स्तर के नेतृत्व के साथ ही जम्मू-कश्मीर के प्रमुख राजनीतिक और प्रशासनिक शख्सियतें इस बैठक में शामिल होंगी।जम्मू-कश्मीर को को लेकर राजधानी नई दिल्ली में गुरुवार को महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। पीएम नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक के लिए प्रधानमंत्री आवास में तैयारी पूरी हो गई है। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35ए हटाने के बाद वहां के राजनीतिक दलों के साथ केंद्र सरकार की यह पहली मीटिंग है, जिस पर देश भर की निगाहें लगी हुई हैं। केंद्र सरकार के शीर्ष स्तर के नेतृत्व के साथ ही जम्मू-कश्मीर के प्रमुख राजनीतिक और प्रशासनिक शख्सियतें इस बैठक में शामिल होंगी। जानिए, आज दोपहर होने वाली बैठक में कौन से चेहरे होंगे… प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सर्वदलीय बैठकप्रधान��ंत्री आवास में दोपहर करीब 3 बजे से होने वाली सर्वदलीय बैठक पीएम मोदी के नेतृत्व में ही होगी। इस मीटिंग में जम्मू-कश्मीर के भविष्य का रोडमैप तैयार करने पर गहन विचार-विमर्श होने की पूरी संभावना है। गृहमंत्री अमित शाहगृहमंत्री अमित शाह जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाए जाने के मुख्य सूत्रधारों में से हैं। बैठक का एजेंडा अभी तक स्पष्ट नहीं है। सभी को केवल बैठक के बारे में सिर्फ संभावित जानकारियां ही बताई गई हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंहकद्दावर नेता और वर्तमान में देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह इस बैठक की प्रमुख कड़ियों में से हैं। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राजनाथ के साथ मुलाकात भी की थी। सर्वदलीय बैठक को लेकर जम्मू कश्मीर से लेकर बॉर्डर तक हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।उपराज्यपाल मनोज सिन्हाजम्मू-कश्मीर प्रशासन के वर्तमान सर्वेसर्वा और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा इस बैठक में शामिल होंगे। मनोज सिन्हा ने हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ अफसरों के साथ दिल्ली में बैठक की थी। अजीत डोभालराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी इस अहम बैठक का हिस्सा होंगे। हाल ही में जम्मू कश्मीर को लेकर हुई बैठक में सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े अधिकारी, केंद्र सरकार के अफसर, जम्मू-कश्मीर के डीजीपी, सीआरपीएफ के महानिदेशक समेत कई बड़े चेहरों ने हिस्सा लिया था। इस बैठक में ही 24 जून को होने वाली बैठक की पटकथा लिखी गई थी। फारूख अब्दुल्लाजम्मू कश्मीर के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को इस बैठक में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया था। सीनियर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला इस अहम बैठक के लिए दिल्ली पहुंच चुके हैं। आर्टिकल 370 के प्रावधन हटाए जाने के बाद फारूक और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला भी नजरबंद थे। गुलाम नबी आजादकांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद राज्य के मुद्दों पर सर्वदलीय बैठक में अपनी बात रखेंगे। बैठक में कांग्रेस पार्टी के एजेंडे को लेकर पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी, पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों गुलाम नबी आजाद और पी. चिदंबरम के बीच चर्चा भी हुई। महबूबा मुफ्तीजम्मू-कश्मीर में एक वक्त भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार की मुखिया के रूप में काम कर चुकीं महबूबा मुफ्ती अब एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी से बातचीत करने जा रही हैं। महबूबा मुफ्ती अपने घर में कुल 434 रोज तक नजरबंद रहीं। महबूबा उन नेताओं में थीं, जिनकी रिहाई सबसे बाद में हुई। उन्होंने यह कह दिया है कि वो खुले मन से दिल्ली में बातचीत के लिए आई हैं। अल्ताफ बुखारीपीडीपी के पूर्व विधायक और जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने पीएम मोदी की इस सर्वदलीय बैठक का स्वागत किया है। वह पहले भी जम्मू कश्मीर की समस्या के समाधान का रास्ता देश के भीतर ही खोजे जाने की वकालत करते रहे हैं। कारोबारी से नेता बने बुखारी की गिनती घाटी के सबसे अमीर नेताओं में होती है। निर्मल सिंहबीजेपी के नेता निर्मल सिंह जम्मू कश्मीर के उपमुख्यमंत्री रहे थे। वह जम्मू-कश्मीर विधानसभा के आखिरी अध्यक्ष भी थे। निर्मल सिंह स्पष्ट कह चुके हैं कि बैठक के दौरान गुपकार गठबंधन की तरफ से आर्टिकल 370 की बहाली संबंधी किसी भी मुद्दे का बीजेपी की तरफ से विरोध होगा। एम वाई तारिगामीमोहम्मद युसूफ तारिगामी, कश्मीर घाटी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता हैं। कुलगाम सीट से चार बार विधायक बन चुके तारिगामी घाटी के एकमात्र कम्युनिस्ट विधायक रहे हैं। वह गुपकार गठबंधन के प्रवक्ता भी हैं। वह कश्मीर को लेकर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के रूख को नरेंद्र मोदी के मुकाबले अधिक उदार और मानवतावादी करार दे चुके हैं। जितेंद्र सिंहजम्मू-कश्मीर के उधमपुर से सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह इस बैठक में शामिल होंगे। वह जम्मू क्षेत्र से संबंध रखने वाले बीजेपी के बड़े नेता हैं। बैठक के दौरान बीजेपी की नुमाइंदगी की जिम्मेदारी जितेंद्र के कंधों पर होगी। कविंद्र गुप्ताबीजेपी नेता कविंद्र गुप्ता महबूबा मुफ्ती और बीजेपी गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे थे। कविंद्र ने श्रीनगर से जम्मू के बीच दरबार मूव खत्म करने के फैसले को स्वागत किया था। उन्होंने कहा था कि आर्टिकल 370 हटने के बाद से बंद और पत्थरबाजी की घटनाएं रुक गई हैं। 70 सालों की स्थिति में परिवर्तन हुआ है।सज्जाद गनी लोनजम्मू कश्मीर पीपल्स कांफ्रेंस (JKPC) के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन पहले गुपकार गठबंधन में शामिल थे लेकिन बाद में अलग हो गए। उन्होंने कहा है कि वह बैठक के दौरान राजनीतिक गतिरोध, जम्मू कश्मीर के लोगों की पीड़ा के लोकतांत्रिक समाधान की बात उठाएंगे। सज्जाद पूर्व अलगाववादी नेता अब्दुल गनी लोन के बेटे हैं। पीडीपी और बीजेपी गठबंधन की सरकार में जेकेपीसी भी शामिल थी। सज्जाद, बीजेपी कोटे से मंत्री भी बने थे। अजय भल्लाकेंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला इस अहम बैठक का हिस्सा होंगे। जम्मू-कश्मीर में वर्तमान के हर हालात पर केंद्र की नजर बनी हुई है और खुद होम सेक्रेटरी पल-पल की अपडेट्स ले रहे हैं। कोरोना को लेकर बैठक के दौरान वह हाल ही में जम्मू-कश्मीर को देश के अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के लिए रोल मॉडल करार दे चुके हैं। पी के मिश्रासर्वदलीय बैठक में शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल होंगे। करीब 3 घंटे तक चलने वाली बैठक में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव प्रमोद कुमार मिश्रा भी उपस्थित रहेंगे।
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जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक आज
जम्मू-कश्मीर के सभी दल सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने के लिए नई दिल्ली में हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के बुलावे पर होने वाली इस बैठक पर सबकी नजर टिकी है। पांच अगस्त 2019 के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर के दल इस बैठक में शिरकत करने जा रहे हैं ये बात अलग है कि गुपकार नेता महबूबा मुफ्ती हों या मुजफ्फर शाह हों या तारिगामी हों इन लोगों ने कहा कि बात क्या होगी ये तो पता नहीं लेकिन पांच अगस्त से पहले वाली स्थिति की बहाली की वो मांग करेंगे। ऐसी पृष्ठभूमि में बातचीत से क्या कुछ निकलेगा उसे समझना जरूरी है।
आखिर यह बैठक क्यों है खास
रिपोर्टों से पता चलता है कि सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश में “राजनीतिक प्रक्रिया को मजबूत करने” के लिए इस सर्वदलीय बैठक को बुलाया है। हालांकि जम्मू-कश्मीर को फिलहाल केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा है। फिर भी इसमें एक विधायिका है।
जून 2018 में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन से बाहर होने के बाद महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली सरकार गिरने के बाद से जम्मू-कश्मीर में कोई निर्वाचित सरकार नहीं रही है। (महबूबा मुफ्ती पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख हैं)।
यह इस संदर्भ में है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराना उन प्रमुख मुद्दों में से एक होने की संभावना है जिन पर गुरुवार को सर्वदलीय बैठक के दौरान चर्चा की जा सकती है।
2018 के बाद से, जब महबूबा मुफ्ती की सरकार गिर गई, जम्मू-कश्मीर के लोगों ने 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 में जिला विकास परिषद के चुनावों में भाग लिया।
हालांकि, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराना अब आसान काम नहीं है। चूंकि इसे विभाजित किया गया है, जम्मू-कश्मीर को एक परिसीमन अभ्यास से गुजरना होगा जिसमें विधानसभा क्षेत्रों की सीमाएं फिर से खींची जाएंगी और कुछ नए निर्वाचन क्षेत्र बनाए जाएंगे। बैठक के दौरान इस परिसीमन अभ्यास के तौर-तरीकों पर भी चर्चा होने की संभावना है।
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के छह महीने बाद, एक परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग को मार्च में एक वर्ष का विस्तार दिया गया था। प्रक्रिया चल रही है।
बुधवार को, भारत के चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में परिसीमन अभ्यास पर एक बैठक की। बैठक जम्मू-कश्मीर के 20 डिप्टी कमिश्नरों के साथ हुई। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, इसने विधानसभा क्षेत्रों के संबंध में उपायुक्तों के सामने आने वाली प्रशासनिक कठिनाइयों पर चर्चा की।
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 – जिसने तत्कालीन राज्य को विभाजित किया – जम्मू-कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 कर दी, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के अंतर्गत आने वाली 24 सीटें शामिल हैं। व्यवहार में, निर्वाचित होने पर जम्मू और कश्मीर विधानसभा की प्रभावी ताकत 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी। ऐसी अटकलें हैं कि सरकार पीओके के प्रतिनिधियों के रूप में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 24 सदस्यों को नामित करने का विकल्प चुन सकती है। बैठक में इस पर भी चर्चा होने की उम्मीद है।
मुख्य धारा के दल राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने के पक्ष में
कश्मीर के भीतर अधिकांश मुख्यधारा के राजनीतिक दलों ने सर्वदलीय बैठक में भाग लेने का फैसला किया है। इसमें पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) भी शामिल है। नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख और गठबंधन के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि पीएजीडी के पांच घटक दल पीएम मोदी के साथ बैठक में हिस्सा लेंगे।
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मीटिंग से पहले ही महबूबा के 'पाक प्रेम' पर कश्मीर में उबाल, जेल भेजने की मांग Divya Sandesh
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मीटिंग से पहले ही महबूबा के 'पाक प्रेम' पर कश्मीर में उबाल, जेल भेजने की मांग
जम्मू
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ होने वाली कश्मीर की सर्वदलीय बैठक से प��ले पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती का विरोध हो रहा है। पीडीपी चीफ के खिलाफ जम्मू में डोगरा फ्रंट के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं। हाथ में तिरंगा लेकर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मुफ्ती का एक पोस्टर लगाकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस पोस्टर में महबूबा की तस्वीर के आगे जेल की सलाखें एडिट कर लगाई गई हैं। इसमें लिखा है- पाकिस्तान समर्थकों की जगह है जेल। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘यह प्रदर्शन मुफ्ती के उस बयान के विरुद्ध है जो उन्होंने गुपकार बैठक के बाद दिया था। उन्होंने कहा था कि कश्मीर के मुद्दे में पाकिस्तान भी पक्षकार है। उन्हें सलाखों के पीछे होना चाहिए।’
कश्मीर मसले पर पाकिस्तान से बात करने की वकालत
सर्वदलीय बैठक को लेकर मुफ्ती ने गुपकार गठबंधन के नेताओं के साथ बैठक के बाद कश्मीर मामले में पाकिस्तान से बात करने की वकालत की थी। उनके इसी बयान का विरोध हो रहा है। पीएम मोदी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक का हिस्सा बनने के लिए पीडीपी प्रमुख बुधवार को ही दिल्ली पहुंच गई हैं। उन्होंने कहा था कि वह पीएम के साथ खुले मन से बात करने आई हैं।
आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पहली बैठक
5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35ए हटाने के बाद वहां के राजनीतिक दलों के साथ केंद्र सरकार की यह पहली मीटिंग है। जाहिर है सभी की निगाहें इस बैठक पर हैं। प्रधानमंत्री आवास में दोपहर करीब 3 बजे से होने वाली इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के भविष्य का रोडमैप तैयार करने पर गहन विचार-विमर्श होने की पूरी संभावना है।
बैठक में ये होंगे शामिल
इस बैठक में पीएम मोदी के अलावा, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, नैशनल कॉन्फ्रेंस से फारूक अब्दुल्ला, कांग्रेस से गुलाम नबी आजाद, पीडीपी से महबूबा मुफ्ती, JKAP से अल्ताफ बुखारी, JKPC के सज्जाद लोन वगैरह शामिल होंगे।
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PM मोदी की मीटिंग में जाने पर गुपकार की रजामंदी, महबूबा बोलीं- तालिबान से बात तो पाक से क्यों नहीं? Divya Sandesh
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PM मोदी की मीटिंग में जाने पर गुपकार की रजामंदी, महबूबा बोलीं- तालिबान से बात तो पाक से क्यों नहीं?
श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर में क्या कुछ बड़ा घटनाक्रम होने वाला है। ऐसे कयास इसलिए लगाए जा रहे हैं क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 जून को राज्य की तमाम पार्टियों के नेताओं की बैठक बुलाई है। इस बैठक में गुपकार ग्रुप के नेताओं ने शामिल होने पर अपनी रजामंदी जताई है। श्रीनगर में से पहले नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने खुद इस बात का ऐलान किया है।
बैठक में जाने से पहले महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हम दिल्ली जाएंगे और अपनी बात रखेंगे। उन्होंने कहा कि जब दूसरे देशों में जाकर बातें की जाती हैं तो जम्मू-कश्मीर में आकर बात क्यों नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 को लेकर उनकी जो मांगें हैं उस पर गुपकार अब भी कायम है। महबूबा ने यहां तक कहा कि केंद्र को पाकिस्तान से भी बात करनी चाहिए।
‘केंद्र ने नहीं बताया अजेंडा’
बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुपकार गठबंधन ने कहा कि हमें दिल्ली में बुलाई गई बैठक का अजेंडा नहीं बताया गया है। लेकिन हम अपना अजेंडा लेकर जाएंगे। उन्हें गलतफहमी न हो कि हम उनके अजेंडा में हस्ताक्षर कर देंगे। जो जम्मू-कश्मीर के हक में होगा उसी में हम हां करेंगे नहीं तो साफ इनकार कर देंगे।
‘नहीं करेंगे समझौता’
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि दोहा जाकर तालिबान के साथ बात करते हैं। जम्मू-कश्मीर आकर सरकार को बात करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान से भी भारत को बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 35 ए और धारा 370 को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे।
‘दिल्ली में रखेंगे अपनी बात’
फारूक अब्दुल्ला ने भी कहा कि पीएम की मीटिंग में गुपकार नेता शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को बुलाया गया है वे लोग जाएंगे। पीएम मोदी और गृह मंत्री के सामने अपनी बात रखेंगे।
‘जेलों से रिहा करें कैदियों को’
हमें मुद्दा नहीं पता है कि पीएम ने बैठक बुलाई है लेकिन हम अपने आवाम को भरोसा दिलाते हैं कि हम वहां जाकर अपने लोगों की वकालत करेंगे।जम्मू-कश्मीर में बंद कैदियों को रिहा करना चाहिए था। दो साल से लोगों को प्रताड़ित किया है। हम अपना अजेंडा रखेंगे। जो लोग जेलों में हमारे लोग बंद हैं उन्हें रिहा करें। अगर उन्हें रिहा नहीं कर सकते तो उन्हें जम्मू-कश्मीर की जेलों में लाएं।
14 राजनीतिक दलों को बुलाया गया
प्रधानमंत्री के साथ 24 जून को जम्मू कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों की बैठक इस केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने समेत केंद्र की राजनीतिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने की पहल का हिस्सा है। जम्मू कश्मीर के 14 राजनीतिक दलों को यह न्योता भेजा गया है।
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J&K पर पीएम मोदी की सर्वदलीय बैठक में गुपकार गठबंधन की तरफ से शामिल होंगे फारूक अब्दुल्ला
J&K पर पीएम मोदी की सर्वदलीय बैठक में गुपकार गठबंधन की तरफ से शामिल होंगे फारूक अब्दुल्ला
नई दिल्ली: 24 को संवादी-सेट-केक्स के साथ संवाद करने के लिए संवादी मोदी की बैठक में गड़बड़ी (पंजाब) की तरफ से फारूकबुला डब्ल्यूडी. से संपर्क करने के लिए संपर्क में आने के साथ ही संपर्क में आने के लिए भी संपर्क किया जाता है। ️ इस बात की जानकारी दी। ट्विल ने कहा कि सर्वदलीय मीटिंग में पीडीपी की अध्यक्षता में महबूबाबी इंप्लीमेंट नहीं है। ️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ ; सर्वदलीय बैठक के बाद समस्याएँ हल करने…
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