सतभक्ति से लाभ
मेरी बेटी को संतान नहीं थी। पति नशा करते थे। संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दान लेने के बाद बेटी को संतान हो गयी। पति का नशा भी ठीक हो गया।
गुरप्रीत कौर, दिल्ली
Kabir Is God
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सतभक्ति के लाभ
आप देख रहे हैं जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा
SA True Story | 16 साल पुरानी भूत प्रेत की बाधा से मिली राहत | Iswar Das, Hisar (HR)
ईश्वर दास, हिसार
मुझे 16 साल से भूत प्रेत की बाधा थी। संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने के बाद भूत प्रेतों से छुटकारा मिला।
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सतभक्ति से लाभ
BLOOD CER
-Kamal Singh, Gurugram (HR)
मुझे ब्लड कैंसर था।
संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने के बाद कैंसर की बीमारी से छुटकारा मिल गया।
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हमें अपने शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ रखने के लिए सच्ची भक्ति की आवश्यकता है। यह सभी रोगों को जड़ से खत्म कर सकता है। योग का अभ्यास ऐसा नहीं कर सकता।
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जिन्हें सत्य भक्ति विधि प्राप्त नहीं वही भोले श्रद्धालु मेडिट���शन की तरफ जाते हैं।
पूर्ण संत की शरण प्राप्त होने के बाद वास्तविक मोक्ष मंत्रों की प्राप्ति हो जाती है जिसके बाद साधक विचलित नहीं होता और मेडिटेशन आदि गलत भक्ति विधियों का त्याग कर देता है।
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हठयोग से न तो परमात्मा मिलता है और न ही जन्म-मृत्यु से मुक्ति मिलती है।
बल्कि पवित्र गीता अध्याय 17 श्लोक 5 व 6 में मनमाने घोर तप (हठयोग) करने वालों को गीता ज्ञान दाता ने अज्ञानी, आसुर स्वभाव वाले बताया है। तत्वदर्शी संत से सत्यनाम और सारनाम प्राप्त करके जो कि सच्चे नाम मंत्र की ओर संकेत करते हैं और मर्यादा में रहकर सतभक्ति करने से पूर्ण मोक्ष प्राप्त होगा।
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शास्त्र विरुद्ध •-
मनमाना आचरण करने से कोई लाभ नहीं होता है। इस विषय में श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा गया है कि शास्त्रविधि को त्यागकर जो व्यक्ति मनमाना आचरण करता है उसे न कोई लाभ होता है, न सुख प्राप्त होता है और न ही परमगति यानी मोक्ष मिलता है।
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मेडिटेशन का सीधा सा अर्थ है लगातार के अभ्यास से अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करना। लेकिन पूर्ण संत इस तरह के अभ्यास को क्षणिक लाभ देने वाला बताते हैं जिसका मोक्ष से कोई लेना देना नहीं है।
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नकली संतों व महंतों ने मेडिटेशन को अधिक महत्व दिया है। परंतु मेडिटेशन करने से शरीर में शारीरिक सुख प्राप्त हो सकता है परंतु आध्यात्मिक लाभ नहीं मिल सकता। संत रामपाल जी महाराज जी यथार्थ भक्ति विधि बताते हैं जो सहज समाधि है जिससे साधक को आध्यात्मिक, शारीरिक एवं मानसिक तीनों प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
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मेडिटेशन
शरीर को हठ से नियंत्रित करना है। इसे नकली संत आध्यात्म से जोडक़र लोगों को मूर्ख बनाते है।
वास्तविक आध्यात्मिक ���्ञान पूर्ण संत ही बताता है जो एक सहज भक्ति मार्ग है।
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मेडिटेशन का तात्पर्य है प्रभु का चिंतन / ध्यान करना। पूर्ण गुरु से दीक्षा लेकर परमात्मा का नाम लेते रहना चाहिए, हठयोग (एक स्थान पर बैठकर ध्यान लगाना) शास्त्रों में मना किया है।
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मेडिटेशन का सीधा सा अर्थ है लगातार के अभ्यास से अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करना। लेकिन पूर्ण संत इस तरह के अभ्यास को क्षणिक लाभ देने वाला बताते हैं जिसका मोक्ष से कोई लेना देना नहीं है।
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मेडिटेशन की सही विधि क्या है?
मेडिटेशन (ध्यान / प्रभु के नाम) की सही विधि कबीर साहेब ने बताई है:-
नाम उठत नाम बैठत, नाम सोवत जागवे।
नाम खाते नाम पीते, नाम सेती लागवे।।
अर्थात परमात्मा का ध्यान/नाम सुमिरन करते रहना चाहिये।
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जिस दिन हम सच्चे संत के सत्संग में जाते हैं उस दिन यदि हमारे भाग्य में मृत्यु भी लिखी हो तो भी परमात्मा उस मृत्यु को टाल देता है।
कबीर साहेब जी कहते हैं:-
संत शरण में आने से, आई टले बला। जो मस्तक में सूली हो, वह कांटे में टल जा।।
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संत रामपाल जी महाराज बताते हैं
सत्संग
से आत्मा को गुरु वचनों की खुराक मिलती है और सकारात्मक भावनाएं जागती हैं।
संत समागम, हरि कथा, तुलसी दुर्लभ दोय। सुत दारा और लक्ष्मी यह तो घर पापी के भी होए।।
देखें साधना चैनल शाम 07:30 से 8:30 बजे तक । ॥ साधना ।
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संत रामपाल जी महाराज जी सत्संग में मोक्ष का रास्ता बताते है जो चारों वेद, छह शास्त्र, १८ पुराण से प्रमाणित है। सत्संग ही मोक्ष का द्वार है जहां पर लोग सत्य ज्ञान प्राप्त करते है और सत भक्ति करके सतलोक चले जाते है।
है सत्संग मोक्ष की धारा, कोई समझे राम का प्यारा ।।
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संत रामपाल जी महाराज
सत्संग से व्यक्ति बुरे संस्कारों को त्याग कर आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होता है।
संत रामपाल जी महाराज बताते हैं जितना अधिक सत्संग सुनेंगे उतने ही हमारे
काम, क्रोध जैसे विकार
नष्ट होंगे।
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