CG Police Recruitment: छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में 975 पदों पर सीधी भर्ती, मुख्य लिखित परीक्षा 26, 27 और 29 मई को
CG Police Recruitment रायपुर। Cg Police Recruitment on 975 Posts पुलिस मुख्यालय ने छत्तीसगढ़ में सूबेदार, उप-निरीक्षक संवर्ग, प्लाटून कमांडर के 975 रिक्त पदों पर सीधी भर्ती के लिए मुख्य लिखित परीक्षा की तिथि घोषित कर दी गई है। इन पदों के लिए मुख्य लिखित परीक्षा 26, 27 और 29 मई को छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित की जाएगी।
गेस्ट हाउस में सेक्स रैकेट, कपल के लिए था रूम,10…
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UP Police Constable Recruitment 2023 : यूपी पुलिस में 37,000 पदों पर नौकरी के लिए नोटिफिकेशन
UP Police Constable Recruitment 2023 : आपका हमारे हिंदी ब्लॉग http://www.dailysarkariupdate.com पर स्वागत हैं, जो उम्मीदवार Uttar Pradesh Police Recruitment and Promotion Board (UPPRPB) में सरकारी नौकरी के रूप में अपना करियर बनाना चाहते हैं, तो अब आप अपना करियर बना सकते हैं उतार प्रदेश सरकार आपके लिए एक सुनेहरा मौका लेकर आई हैं आप भी कांस्टेबल, फायरमैन बन सकते हैं, आपको इस आर्टिकल में UP Police…
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स्थिति स्थिति में लागू करने के लिए 393 अतिरिक्त
स्थिति स्थिति में लागू करने के लिए 393 अतिरिक्त
बिहार सरकार के गृह विभाग ने कार्यालय के कार्यालय के कार्यालय में बदल दिया (बदला बदलने के लिए पोस्टर के रूप में) इम्प्रेशन 20, 75 अवर्रीक् .
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झाड़ू लगाकर रोड के कंकड़ हटाता दिखा ट्रैफिक जवान, एक्सीडेंट से बचाने के लिए खुद की सड़क की सफाई
झाड़ू लगाकर रोड के कंकड़ हटाता दिखा ट्रैफिक जवान, एक्सीडेंट से बचाने के लिए खुद की सड़क की सफाई
सरकारी नौकरियों का हाल ये है कि पाना हर कोई चाहता है लेकिन उसकी हर ज़िम्मेदारी निभाना, उस काम को ईमानदारी से करना कोई नहीं चाहता. अधिकांश लोग आंशिक काम के बल पर पूरी तनख्वाह उठाना और आराम करना चाहते हैं. लेकिन ऐसी सोच रखने वालों के बीच भी कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने काम और ज़िम्मेदारी को पूरी इमानदारी और लगन के साथ केवल पूरा ही नही करते बल्कि उसे दो कदम आगे बढ़कर उसकी गुणवत्ता को बढाने पर ज़ोर…
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💐महत्वपूर्ण जानकारी💐
श्राद्ध शास्त्रविरुद्ध होने के कारण मूर्खों की क्रिया है जिसे करवाने से मुक्ति संभव नहीं ||
हिन्दू धर्म में हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से आश्विन मास की अमावस्या तक लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध निकालते हैं जिसका मूल उद्देश्य अपने पूर्वजों को याद करना व उनकी आत्मिक शांति के लिए पंडितों को भोजन कराना है। ये पूरी क्रिया हिन्दू धर्म के श्रद्धालुओं में इस कदर प्रचलित है कि वो इस क्रिया के संबंध में शास्त्रों को समझना भी जरूरी नहीं समझते। किसी भी धर्मिक क्रिया की सार्थकता या निरर्थकता इसी बात पर निर्भर करती है कि क्या उसका समर्थन पवित्र वेद या गीता जी करते हैं या नहीं? परन्तु यहां ताज्जुब की बात यह है कि जो श्राद्ध क्रिया वर्षों से हमारे समाज में चल रही ���ै कोई भी धर्मशास्त्र उसका समर्थन नहीं करता। संत रामपाल जी ने पवित्र वेदों व गीता जी से श्राद्ध क्रिया को तोलकर इसकी निरर्थकता को उजागर किया है तथा साबित कर दिया है कि यह एक फिजूल क्रिया है जिसको करने से कोई लाभ नहीं है।
गीता अध्याय 9 के श्लोक 25 में कहा है कि देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने (पिण्ड दान करने) वाले भूतों को प्राप्त होते हैं अर्थात् भूत बन जाते हैं, शास्त्रानुकूल (पवित्र वेदों व गीता अनुसार) पूजा करने वाले मुझको ही प्राप्त होते हैं अर्थात् काल द्वारा निर्मित स्वर्ग व महास्वर्ग आदि में कुछ ज्यादा समय मौज कर लेते हैं।
जैसे कोई तहसीलदार की नौकरी (सेवा-पूजा) करता है तो वह तहसीलदार नहीं बन सकता। हाँ ! उससे प्राप्त धन से रोजी-रोटी चलेगी अर्थात् उसके आधीन ही रहेगा। ठीक इसी प्रकार जो जिस देव (श्री ब्रह्मा देव, श्री विष्णु देव तथा श्री शिव देव अर्थात् त्रिदेव) की पूजा (नौकरी) करता है तो उन्हीं से मिलने वाला लाभ ही प्राप्त करता है। त्रिगुणमई माया अर्थात् तीनों गुण (रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शिव जी) की पूजा का निषेध पवित्र गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 तथा 20 से 23 तक में भी है। इसी प्रकार कोई पितरों की पूजा (नौकरी-सेवा) करता है तो पितरों के पास छोटा पितर बन कर उन्हीं के पास कष्ट उठाएगा। इसी प्रकार कोई भूतों (प्रेतों) की पूजा (सेवा) करता है तो भूत बनेगा क्योंकि सारा जीवन जिसमें आसक्तता बनी रही अन्त में उन्हीं में मन फंसा रहता है। जिस कारण से उन्हीं के पास चला जाता है। कुछेक का कहना है कि पितर-भूत-देव पूजाएं भी करते रहेंगे, आप से उपदेश लेकर साधना भी करते रहेंगे। ऐसा नहीं चलेगा। जो साधना पवित्र गीता जी में व पवित्र चारों वेदों में मना है वह करना शास्त्र विरुद्ध हुआ। जिसको पवित्र गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में मना किया है कि जो शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण (पूजा) करते हैं वे न तो सुख को प्राप्त करते हैं न परमगति को तथा न ही कोई कार्य सिद्ध करने वाली सिद्धि को ही प्राप्त करते हैं अर्थात् जीवन व्यर्थ कर जाते हैं। इसलिए अर्जुन तेरे लिए कर्तव्य (जो साधना के कर्म करने योग्य हैं) तथा अकर्तव्य (जो साधना के कर्म नहीं करने योग्य हैं) की व्यवस्था (नियम में) में शास्त्र ही प्रमाण हैं। अन्य साधना वर्जित है।
इसी का प्रमाण मार्कण्डे पुराण (गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित पृष्ठ 237 पर है, जिसमें मार्कण्डे पुराण तथा ब्रह्म पुराणांक इक्ट्ठा ही जिल्द किया है) में भी है कि एक रूची नाम का साधक ब्रह्मचारी रह कर वेदों अनुसार साधना कर रहा था। जब वह 40(चालीस) वर्ष का हुआ तब उस को अपने चार पूर्वज जो शास्त्र विरुद्ध साधना करके पितर बने हुए थे तथा कष्ट भोग रहे थे दिखाई दिए। “पितरों ने कहा कि बेटा रूची शादी करवा कर हमारे श्राद्ध निकाल, हम तो दुःखी हो रहे हैं। रूची ऋषि ने कहा पित्रमहो वेद में कर्म काण्ड मार्ग (श्राद्ध, पिण्ड भरवाना आदि) को मूर्खों की साधना कहा है। फिर आप मुझे क्यों उस गलत (शास्त्र विधि रहित) साधना पर लगा रहे हो। पितर बोले , बेटा यह बात तो तेरी सत्य है कि वेद में पितर पूजा, भूत पूजा, देवी-देवताओं की पूजा (कर्म काण्ड) को अविद्या ही कहा है इसमें तनिक भी मिथ्या नहीं है।” इसी उपरोक्त मार्कण्डे पुराण में इसी लेख में पितरों ने कहा कि फिर पितर कुछ तो लाभ देते हैं।
विशेष:- यह अपनी अटकलें पितरों ने लगाई है, वह हमने नहीं पालन करना क्योंकि पुराणों में आदेश किसी ऋषि विशेष का है जो पितर पूजने, भूत या अन्य देव पूजने को कहा है। परन्तु वेदों में प्रमाण न होने के कारण प्रभु का आदेश नहीं है। इसलिए किसी संत या ऋषि के कहने से प्रभु की आज्ञा का उल्लंघन करने से सजा के भागी होंगे।
परमात्मा का संविधान समझने के लिए ये एक छोटी सी कथा
एक समय एक व्यक्ति की दोस्ती एक पुलिस थानेदार से हो गई। उस व्यक्ति ने अपने दोस्त थानेदार से कहा कि मेरा पड़ोसी मुझे बहुत परेशान करता है। थानेदार ने कहा कि मार लट्ठ, मैं आप निपट लूंगा। थानेदार दोस्त की आज्ञा का पालन करके उस व्यक्ति ने अपने पड़ोसी को लट्ठ मारा, सिर में चोट लगने के कारण पड़ोसी की मृत्यु हो गई। उसी क्षेत्र का अधिकारी होने के कारण वह थाना प्रभारी अपने दोस्त को पकड़ कर लाया, कैद में डाल दिया तथा उस व्यक्ति को मृत्यु दण्ड मिला। उसका दोस्त थानेदार कुछ मदद नहीं कर सका क्योंकि राजा का संविधान है कि यदि कोई किसी की हत्या करेगा तो उसे मृत्यु दण्ड प्राप्त होगा। उस नादान व्यक्ति ने अपने दोस्त दरोगा की आज्ञा मान कर राजा का संविधान भंग कर दिया। जिससे जीवन से हाथ धो बैठा। ठीक इसी प्रकार पवित्र गीता जी व पवित्र वेद यह प्रभु का संविधान है। जिसमें केवल एक पूर्ण परमात्मा की पूजा का ही विधान है, अन्य देवताओं - पितरों - भूतों की पूजा करना मना है। पुराणों में ऋषियों (थानेदारों) का आदेश है। जिनकी आज्ञा पालन करने से प्रभु का संविधान भंग होने के कारण कष्ट पर कष्ट उठाना पड़ेगा। इसलिए आन उपासना पूर्ण मोक्ष में बाधक है।
सत्य साधना करने वाले साधक की 101 पीढ़ी पार होती हैं
कबीर भक्ति बीज जो होये हंसा, तारूं तास के एक्कोतर बंशा।
सत्य साधना केवल तत्वदर्शी सन्त दे सकता है जिसकी शरण में जाने के लिए गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में कहा गया है। वर्तमान में पूर्ण तत्वदर्शी सन्त हैं, सन्त रामपाल जी महाराज जी। तत्वदर्शी सन्त ही गीता अध्याय 17 में वर्णित श्लोक 23 के गुप्त मन्त्रों का उद्घाटन करता है।
पूर्ण तत्वदर्शी सन्त की शरण में भक्ति करने से न केवल स्वास्थ्य लाभ, आर्थिक लाभ एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं बल्कि भूत, प्रेतों एवं पितर दोष आदि से मुक्ति मिलती है। भक्ति करने वाले साधक के सर्व पापों का नाश परमात्मा करते हैं एवं उसकी 101 पीढ़ी का उद्धार करते हैं।
आज तक हमें, हमारे धर्मगुरुओं ,आचार्यों एवं पंडितों ने शास्त्रविरुद्ध साधना तक ही सीमित रखा? कारण था स्वयं का अज्ञानहीन होना। ये शास्त्रों का नाम अवश्य लेते थे, उन्हें पढ़ भी लेते थे लेकिन उनमें क्या लिखा है यह उनके समझ में नहीं आया।
इस बारे में कबीर जी कहते हैं-
गुरु बिन काहू न पाया ग्याना।
ज्यों थोथा भुस छडे मूड किसाना।।
धर्मगुरुओं की अज्ञानता व स्वार्थ सिद्धि का खामियाजा आज भी समाज भुगत रहा है शास्त्र विरुद्ध साधना करने से लोगों को लाभ के स्थान पर हानि हो रही है इसके फलस्वरूप अधिकतर जनता नास्तिक हो रही है और आए दिन लोगों का भगवान से विश्वास उठता जा रहा है ।
जीवित बाप से लठ्ठम-लठ्ठा, मूवे गंग पहुँचईयाँ।
जब आवै आसौज का महीना, कऊवा बाप बणईयाँ।।
भावार्थ:- परमेश्वर कबीर जी ने लोकवेद (दंत कथा) के आधार से चल रही पितर तथा भूत पूजा पर शास्त्रोक्त तर्क दिया है। अंध श्रद्धा भक्ति वाले जब तक माता-पिता जीवित रहते हैं, तब तक तो उनको प्यार व सम्मान के साथ कपड़ा-रोटी भी नहीं देते। झींकते रहते हैं। मृत्यु के उपरांत श्रद्धा दिखाते हैं। उसके शरीर को चिता पर जला दिया जाता है। कुछ हड्डियाँ बिना जली छोटी-छोटी रह जाती हैं। शास्त्र नेत्रहीन गुरूओं से भ्रमित पुत्र उन अस्थियों को उठाकर हरिद्वार में हर की पौड़ियों पर अपने कुल के पुरोहित के पास ले जाता है। उस पुरोहित द्वारा शास्त्रविरूद्ध साधना के आधार से मनमाना आचरण करके उन अस्थियों को पवित्र गंगा दरिया में प्रवाह किया जाता है। जो धनराशि पुरोहित माँगे, खुशी-खुशी दे देता है। कारण यह होता है कि कहीं पिता या माता मृत्यु के उपरांत प्रेत बनकर घर में न आ जाएं इसलिए उनकी गति करवाने के लिए कुलगुरू पंडित जी को मुँह माँगी धनराशि देते हैं कि पक्का काम कर देना। फिर पुरोहित के कहे अनुसार अपने घर की चोखट में लोहे की मेख (मोटी कील) गाड़ दी जाती है कि कहीं पिता जी-माता जी की गति होने में कुछ त्रुटि रह जाए और वे प्रेत बनकर हमारे घर में न घुस जाएं।
कबीर परमेश्वर जी ने बताया है कि जीवित पिता को तो समय पर टूक (रोटी) भी नहीं दिया जाता। उसका अपमान करता है। (सभी नहीं, अधिकतर) मृत्यु के पश्चात् उसको पवित्र दरिया में बहाकर आता है। कितना खर्च करता है। अपने माता-पिता की जीवित रहते प्यार से सेवा करो। उनकी आत्मा को प्रसन्न करो। उनकी वास्तविक श्रद्धा सेवा तो यह है।
कबीर जी जो स्पष्ट करना चाहते हैं कि आध्यात्मिक ज्ञान न होने के कारण अंध श्रद्धा भक्ति के आधार से सर्व हिन्दू समाज अपना अनमोल जीवन नष्ट कर रहा है। जैसे मृत्यु के उपरांत अपने पिता जी की अस्थियाँ गंगा दरिया में पुरोहित द्वारा क्रिया कराकर पिता जी की गति करवाई।
फिर तेरहवीं या सतरहवीं यानि मृत्यु के 13 दिन पश्चात् की जाने वाली क्रिया को तेरहवीं कहा जाता है। सतरह दिन बाद की जाने वाली लोकवेद धार्मिक क्रिया सतरहवीं कहलाती है। महीने बाद की जाने वाली महीना क्रिया तथा छः महीने बाद की जाने वाली छःमाही तथा वर्ष बाद की जाने वाली बर्षी क्रिया (बरसौदी) कही जाती है। लोकवेद (दंत कथा) बताने वाले गुरूजन उपरोक्त सब क्रियाऐं करने को कहते हैं। ये सभी क्रियाऐं मृतक की गति के उद्देश्य से करवाई जाती हैं।
सूक्ष्मवेद में इस शास्त्र विरूद्ध धार्मिक क्रियाओं यानि साधनाओं पर तर्क इस प्रकार किया है कि घर के सदस्य की मृत्यु के पश्चात् ज्ञानहीन गुरूजी क्या-क्या करते-कराते हैं:-
कुल परिवार तेरा कुटम्ब-कबीला, मसलित एक ठहराई।
बांध पींजरी (अर्थी) ऊपर धर लिया, मरघट में ले जाई।
अग्नि लगा दिया जब लम्बा, फूंक दिया उस ठांही।
पुराण उठा फिर पंडित आए, पीछे गरूड़ पढ़ाई।
प्रेत शिला पर जा विराजे, पितरों पिण्ड भराई।
बहुर श्राद्ध खाने कूं आए, काग भए कलि माहीं।
जै सतगुरू की संगति करते, सकल कर्म कटि जाई।
अमरपुरी पर आसन होता, जहाँ धूप न छांई।
कुछ व्यक्ति मृत्यु के पश्चात् उपरोक्त क्रियाएं तो करते ही हैं, साथ में गरूड़ पुराण का पाठ भी करते हैं। परमेश्वर कबीर जी ने सूक्ष्मवेद (तत्वज्ञान) की वाणी में स्पष्ट किया है कि लोकवेद (दंत कथा) के आधार से ज्ञानहीन गुरूजन मृतक की आत्मा की शांति के लिए गरूड़ पुराण का पाठ करते हैं। गरूड़ पुराण में एक विशेष प्रकरण है कि जो व्यक्ति धर्म-कर्म ठीक से नहीं करता तथा पाप करके धन उपार्जन करता है, मृत्यु के उपरांत उसको यम के दूत घसीटकर ले जाते हैं। ताम्बे की धरती गर्म होती है, नंगे पैरों उसे ले जाते हैं। उसे बहुत पीड़ा देते हैं। जो शुभ कर्म करके गए होते हैं, वे स्वर्ग में हलवा-खीर आदि भोजन खाते दिखाई देते हैं। उस धर्म-कर्महीन व्यक्ति को भूख-प्यास सताती है। वह कहता है कि भूख लगी है, भोजन खाऊँगा। यमदूत उसको पीटते हैं। कहते हैं कि यह भोजन खाने के कर्म तो नहीं कर रखे। चल तुझे धर्मराज के पास ले चलते हैं। जैसा तेरे लिए आदेश होगा, वैसा ही करेंगे। धर्मराज उसके कर्मों का लेखा देखकर कहता है कि इसे नरक में डालो या प्रेत व पितर, वृक्ष या पशु-पक्षियों की योनि दी जाती हैं। पितर योनि भूत प्रजाति की श्रेष्ठ योनि है। यमलोक में भूखे-प्यासे रहते हैं। उनकी तृप्ति के लिए श्राद्ध निकालने की प्रथा शास्त्रविरूद्ध मनमाने आचरण के तहत शुरू की गई है। कहा जाता है कि एक वर्ष में जब आसौज (अश्विन) का महीना आता है तो भादवे (भाद्र) महीने की पूर्णमासी से आसौज महीने की अमावस्या तक सोलह श्राद्ध किए जाऐं। जिस तिथि को जिसके परिवार के सदस्य की मृत्यु होती है, उस दिन वर्ष में एक दिन श्राद्ध किया जाए। ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाए। जिस कारण से यमलोक में पितरों के पास भोजन पहुँच जाता है। वे एक वर्ष तक तृप्त रहते हैं। कुछ भ्रमित करने वाले गुरूजन यह भी कहते हैं कि श्राद्ध के सोलह दिनों में यमराज उन पितरों को नीचे पृथ्वी पर आने की अनुमति देता है। पितर यमलोक (नरक) से आकर श्राद्ध के दिन भोजन करते हैं। हमें दिखाई नहीं देते या हम पहचान नहीं सकते।
भ्रमित करने वाले गुरूजन अपने द्वारा बताई शास्त्रविरूद्ध साधना की सत्यता के लिए इस प्रकार के उदाहरण देते हैं कि रामायण में एक प्रकरण लिखा है कि वनवास के दिनों में श्राद्ध का समय आया तो सीता जी ने भी श्राद्ध किया। भोजन खाते समय सीता जी को श्री रामचन्द्र जी के पिता दशरथ सहित रघुकुल के कई दादा-परदादा दिखाई दिए। उन्हें देखकर सीता जी को शर्म आई इसलिए मुख पर पर्दा (घूंघट) कर लिया।
विचार करो पाठकजनों:- श्री रामचन्द्र के सर्व वंशज प्रेत-पितर बने हैं तो अन्य सामान्य नागरिक भी वही क्रियाएं कर रहे हैं। वे भी नरक में पितर बनकर पितरों के पास जाएंगे। इस कारण यह शास्त्रविधि विरूद्ध साधना है जो पूरा हिन्दू समाज कर रहा है। श्रीमद्भगवत गीता के अध्याय 9 का श्लोक 25 भी यही कहता है कि जो पितर पूजा (श्राद्ध आदि) करते हैं, वे मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाते, वे यमलोक में पितरों को प्राप्त होते हैं।
जो भूत पूजा (अस्थियाँ उठाकर पुरोहित द्वारा पूजा कराकर गंगा में बहाना, तेरहवीं, सतरहवीं, महीना, छःमाही, वर्षी आदि-आदि) करते हैं, वे प्रेत बनकर गया स्थान पर प्रेत शिला पर बैठे होते हैं।
कुछ व्यक्तियों को धर्मराज जी कर्मानुसार पशु, पक्षी, वृक्ष आदि-आदि के शरीरों में भेज देता है।
परमात्मा कबीर जी समझाना चाहते हैं कि हे भोले प्राणी! गरूड़ पुराण का पाठ उसे मृत्यु से पहले सुनाना चाहिए था ताकि वह परमात्मा के विधान को समझकर पाप कर्मों से बचता। पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर अपना मोक्ष कराता। जिस कारण से वह न प्रेत बनता, न पितर बनता, न पशु-पक्षी आदि-आदि के शरीरों में कष्ट उठाता। मृत्यु के पश्चात् गरूड़ पुराण के पाठ का कोई लाभ नहीं मिलता। सभी प्रमाणों से सिद्ध हो गया है की श्राद्ध निकालना शास्त्रों के विरूद्ध कर्मकांड है ।
📺सम्बंधित वीडियो⤵️
https://youtu.be/79ScoAZmCJQ
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Jamshedpur suicide - बिरसानगर में बेरोजगार युवक ने लगाई फांसी, नशा का था आदी
जमशेदपुर : जमशेदपुर के बिरसानगर थाना क्षेत्र के जोन नंबर 3 निवासी हेमंत कच्छप 22 वर्ष ने गुरुवार की रात को घर में गमछा के सहारे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. घटना के वक्त परिवार के लोग बाहर गए थे. रात को लौटने पर उसे फंदे से लटका देखर इसकी सूचना बिरसानगर पुलिस को दी गयी. पुलिस ने फंदे से उतारकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. बताया जाता है कि युवक हेमंत कच्छप नशा करता था. वह नौकरी की तलाश में…
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लाओस में बैठा अंकित शौकीन, दिल्ली से पिता करता है कबूतरबाजी के ऑफिसों से संपर्क... बॉबी कटारिया का खुलासा
गुरुग्राम: लाओस में बैठकर अंकित शौकीन वहां साइबर ठगों से संपर्क कर भारतीय युवाओं को उन तक पहुंचाने की पूरी व्यवस्था देखता है। जबकि उसके पिता दिल्ली में रहकर दिल्ली-एनसीआर में के ऑफिस चलाने वाले लोगों से संपर्क करते हैं। एनआईए की टीम ने गुड़गांव से अरेस्ट किए गए से दो बार पूछताछ की जिसमें कई अहम जानकारी सामने आई है। बॉबी कटारिया ने कबूल किया कि अंकित शौकीन के पिता उससे कुछ महीने पहले मिलने ऑफिस में आए थे। जिसके बाद उन्होंने वॉट्सएप पर अंकित से बात कराई। अंकित से बात होने पर बॉबी ने अपनी कंपनी में विदेश में नौकरी पाने की चाह रखने आने वालों को लाओस भेजना शुरू किया। ऐसे में अब अंकित शौकीन के पिता और पूछताछ में सामने आए अन्य लोगों की गिरफ्तारी जल्द ही इस केस में हो सकती है।दूसरे देशों में नौकरी दिलाना बताया जाता थाबॉबी कटारिया से पूछताछ और अन्य जांच में सामने आया है कि लाओस में साइबर ठगों के हवाले करने की बात भारतीय युवाओं से छुपाकर रखी जाती थी। जब भी कोई बॉबी कटारिया के ऑफिस आता या इससे संपर्क करता तो ये सिंगापुर, कनाडा समेत अन्य देशों में नौकरी दिलाने का झांसा देता। इसके लिए 4-5 लाख रुपये की मांग करता। इन युवकों के पासपोर्ट, आधार कार्ड की डिटेल आदि ले लेता। फिर इन डिटेल को ये अंकित शौकीन को भेजता था। अंकित इनके पासपोर्ट और वीजा अरेंज कराकर लाओस की टिकट कराकर भेजता था। टिकट वॉट्सएप मिलने पर ही युवक को पता चलता कि उसे फ्लाइट से लाओस जाना है। जिसके बाद सवाल कोई पूछता तो उसे कहा जाता कि वहां अच्छी नौकरी मिली है और रुपये व सुविधाएं भी बेहतर हैं। एक बार लाओस पहुंचने पर युवकों के पासपोर्ट व आईडी छीनकर उन्हें साइबर ठगों के हवाले कर दिया जाता था।27 मई को अरेस्ट किया गया था बॉबीएनआईए और गुड़गांव पुलिस की संयुक्त टीम ने बॉबी कटारिया को सोमवार 27 मई को द्वारका एक्सप्रेसवे के पास कांसियेंट वन मॉल में इसके ऑफिस से अरेस्ट किया था। बजघेड़ा थाना में इसके व अन्य के खिलाफ मानव तस्करी, इमिग्रेशन एक्ट, मारपीट, अपहरण, बंधक बनाने, धमकाने और ठगी की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई। लाओस में भारतीय एंबेसी की मदद से देश लौटे दो युवकों की शिकायत के बाद ये कार्रवाई हुई। रिमांड पर बॉबी कटारिया से पूछताछ में पता चला कि ये अब तक कुल 33 लोगों को विदेश भेज चुका था। जिनमें से 12 आर्मेनिया में, 2 सिंगापुर, 4 बैंकॉक, 3 कनाडा व 12 लाओस भेजे थे। http://dlvr.it/T7k1ym
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Deoghar: ग्रामीण डाकपाल की नौकरी से इस्तीफा देकर करता था साइबर क्राइम, अंतर जिला गिरोह के तीन साइबर अपराधी गिरप्तार
Deoghar: देवघर पुलिस अधीक्षक राकेश रंजन के निर्देष पर साइबर थाना पुलिस ने मधुपुर और कुंडा थाना क्षेत्र में छापेमारी कर अंतर जिला गिरोह के तीन साइबर अपराधी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जेल गये साइबर अपराधी का नाम टिंकू कुमार दास साकिन अरगाघाट राजपूत मोहल्ला जिला गिरिडीह, बबलू कुमार और दीपक मंडल साकिन गौरीपुर थाना कुंडा जिला देवघर है।
साइबर डीएसपी राजा मित्रा ने बताया कि गिरफ्तार साइबर अपराधी…
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Swati Maliwal: क्या है वीडियो में
जो वीडियो वायरल हुआ उसमें दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल के घर के ड्राइंग रूम में स्वाति मालीवाल सोफे पर बैठी हुई हैं। इस दौरान सिक्योरिटी के लोग उनसे बाहर चलने को कह रहे हैं। और स्वाति वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों से कह रही है, कि जब तक पुलिस नहीं आ जाती है, तब तक मैं कहीं नहीं जाने वाली।इस पर सिक्योरिटी ने कही की आपने पुलिस को कॉल भी किया है, तो वह बाहर ही गेट पर आएगी। उसे अंदर नहीं आने दिया जाएगा।
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Swati Maliwal ने दी धमकी
Swati Maliwal: वीडियो सामने आने के बाद तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे है। क्योंकि वीडियो में स्वाति सिक्योरिटी को धमकी दे रही है, कि वो उनकी नौकरी खा जाएगी। साथ ही वो विभव कुमार के लिए गलत शब्द भी यूज कर रही है, हालांकि वीडियो में कितनी सच्चाई है, ये कह पाना मुश्किल है।
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(खाटूश्यामजी के दर्शन कर घर आ रहे युवक की रास्ते में मौत) 4 महीने पहले ही लगी थी सरकारी नौकरी
जयपुर,(सुरेन्द्र कुमार सोनी) । जयपुर के श्याम नगर इलाके में 200 फीट चौराहे के पास शनिवार सुबह ट्रक ने बाइक सवार हाथनौदा निवासी वनपाल को पीछे से टक्कर मार दी। हादसे में वह गंभीर घायल हो गया,जिसे स्थानीय लोगों ने एसएमएस अस्पताल जयपुर पहुंचाया,जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजन के सुपुर्द कर दिया।
*शादी समारोह में शामिल होने उदयपुर से आया था जयपुर:
पुलिस…
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गुजरात से किडनैप कर राजस्थान में बेच रहे बेटियां:नौकरी के बहाने 12-14 साल की बच्चियों की सौदेबाजी, हर दिन होता रेप-गैंगरेप; एक बच्ची के रेस्क्यू से हुआ खुलासा
नाबालिग बच्चियों को किडनैप कर राजस्थान लाया जाता है। फिर उन्हें रेस्टोरेंट, ब्यूटी सैलून में नौकरी का झांसा देकर देह व्यापार करवाने वाली गैंग के हवाले कर दिया जाता है। गैंग से जुड़े लोग इन बच्चियों को होटलों में ले जाकर हर दिन रेप-गैंगरेप करवाते हैं। सूरत (गुजरात) के अमरोली इलाके से गायब हुई 14 साल की एक लड़की की तलाश में जब पुलिस राजस्थान पहुंची तो चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं। पढ़िए-…
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शातिरों ने बना डाली भारतीय तटरक्षक बल की फर्जी वेबसाइट, नौकरी के नाम पर युवाओं से ठगी की आशंका
शातिरों ने बना डाली भारतीय तटरक्षक बल की फर्जी वेबसाइट, नौकरी के नाम पर युवाओं से ठगी की आशंका
Government Job Fraud: साइबर अपराधियों ने नोएडा सेक्टर-62 स्थित भारतीय तटरक्षक बल (आइसीजी) कार्यालय के नाम से मिलती-जुलती फर्जी वेबसाइट बनाकर उस पर सहायक कमांडेंट की नौकरी का विज्ञापन जारी कर दिया। फर्जी वेबसाइट के जरिए देशभर के युवकों से ठगी की आशंका है। भारतीय तटरक्षक बल के प्रबंधन ने सेक्टर-58 थाने में केस दर्ज कराया है।
कमांडेंट टी. नगामलिएन ज्वाइंट डायरेक्टर रिक्रूटमेंट ने पुलिस को शिकायत दी…
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#UP जिसे दस साल पहले नौकरी दी उसने ही बेटी के साथ कर दिया दुष्कर्म,पुलिस ने किया गिरफ्तार!
#Uppolice #DCPNoida #noidapolice #CPNoida #icnewsnetwork #Noida
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बाबा के बुलडोजर की दहाड़, नकल माफिया की दी फाड़...
यूपी पेपर लीक मामले का आरोपी नीरज यादव गिरफ्तार, पहले मर्चेंट नेवी में करता था नौकरी, बलिया से है ताल्लुक
उत्तर प्रदेश में हुए यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा को निरस्त कर दिया गया है। साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने पेपर लीक के आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश जारी कर दिया है। इस बीच एसटीएफ एक्शन लेने की तैयारियां में जुट चुकी है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी पुलिस भर्ती…
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दिव्य संयोग: कबीर साहेब निर्वाण दिवस और संत रामपाल जी महाराज बोध दिवस
किसी भी व्यक्ति के लिए बोध दिवस बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ये वह दिन है जब उसे गुरु दीक्षा प्राप्त होती है और इस दिन वह व्यक्ति मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होता है। वहीं ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, 17 फरवरी के दिन को दुनिया के मुक्तिदाता सतगुरु रामपाल जी महाराज के बोध दिवस के रूप में मनाया जाता है। हरियाणा सरकार में जूनियर इंजीनियर की नौकरी करने वाले संत रामपाल जी ने 37 वर्ष की आयु में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज के तत्वज्ञान से प्रभावित होकर 17 फरवरी 1988 को अपने पूज्य गुरुदेव स्वामी रामदेवानंद जी से दीक्षा प्राप्त की थी। उस दिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन महीने की अमावस्या थी।
🌱 संत रामपाल जी महाराज का जीवन परिचय और आध्यात्मिक यात्रा
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को हरियाणा के सोनीपत जिले के धनाना गांव में हुआ। उन्होंने 1973 में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और फिर हरियाणा सरकार में जूनियर इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू किया। वर्ष 1988 में 17 फरवरी के दिन संत रामपाल जी ने स्वामी रामदेवानंद जी से दीक्षा ली और भगवद् गीता, कबीर सागर, गरीबदास जी द्वारा रचित सतग्रंथ साहेब और सभी पुराणों सहित विभिन्न धर्मों की आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन किया और फिर संत रामपाल जी ने सत्यज्ञान को शास्त्रों के साथ प्रमाण सहित हम सब के सामने प्रस्तुत किया।
🍀 संत रामपाल जी का आध्यात्मिक संघर्ष और साधना
1993 में स्वामी रामदेवानंद जी ने संत रामपाल जी को उपदेश देने का आदेश दिया और उन्हें अपना उत्तराधिकारी चुना। प्रारंभ में 1994 से 1998 तक संत रामपाल जी ने हरियाणा के गांव-गांव, नगर-नगर में घर-घर जाकर आध्यात्मिक प्रवचनों के माध्यम से सत्संग किया और जनता के लिए सच्चा भक्ति मार्ग चलाया। 1995 में उन्होंने जूनियर इंजीनियर के रूप में अपनी नौकरी छोड़ी और पूर्णकालिक रूप से आध्यात्मिक कार्य में लग गए।
संत रामपाल जी महाराज ने अपने जीवन के दौरान बुराइयों के खिलाफ एक महान युद्ध लड़ा है और लोगों को सत्य की ओर प्रेरित किया है। उनका उद्देश्य समाज में सतभक्ति का प्रचार-प्रसार करना है।
🌺 संत रामपाल जी के साथ नकली संतों का विवाद
संत रामपाल जी की बढ़ती लोकप्रियता से चिढ़कर नकली संतों ने उनके ज्ञान को अपनाने की जगह उल्टे उन पर कई आरोप लगाए। सन् 2006 में आर्य समाज के द्वारा भड़काई गई भीड़ ने संत रामपाल जी महाराज द्वारा संचालित सतलोक आश्रम करौंथा, हरियाणा पर अचानक हमला कर दिया जिसकी सुरक्षा के लिए बुलाई गई पुलिस और भीड़ के बीच हुई झड़प के कारण एक व्यक्ति की मौत हो गई। इस मामले में दर्ज किए गए झूठे मुक़दमे में अंततः सन् 2022 में न्यायालय ने संत रामपाल जी महाराज को पूर्ण रूप से निर्दोष साबित करते हुए बरी कर दिया।
🍁 संत रामपाल जी महाराज के अद्भुत ज्ञान से सत ज्ञान रूपी मोती प्राप्त होते हैं
परमेश्वर कबीर साहेब के प्रतिरूप तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से सत ज्ञान के अनमोल मोती प्राप्त होते हैं। उनके सत्संग में अनेक मार्मिक उद्धरण हैं जो सीधा बुद्धि पर प्रहार करते हैं। संत रामपाल जी महाराज वहीं तत्वदर्शी संत हैं जिन्होंने अंधेरे में लोकवेद के अनुसार चलने वाले साधकों को दीपक हाथ दे दिया है।
परमेश्वर कबीर जी कहते है कि :
कबीर, पीछे लाग्या जाऊं था, मैं लोक वेद के साथ।
रस्ते में सतगुरू मिले, दीपक दीन्हा हाथ।।
मनुष्य जीवन का मिलना अत्यंत दुर्लभ है। वृक्ष से टूटे हुए पत्ते के समान यह होता है जो पुनः नहीं लग सकता। यह प्राप्त हो जाए तो इसका सदुपयोग करना चाहिए। संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान के अनुसार सच्चा सद्गुरु ही मोक्ष प्राप्त करवा सकता है।
कबीर, मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार |
जैसे तरुवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डार ||
🔰 संत रामपाल जी महाराज ने कबीर साहेब को भगवान सिद्ध किया
संत रामपाल जी महाराज ने सभी धर्मग्रंथों से कबीर साहेब को अजर, अमर, सर्वोच्च, कुल मालिक, सर्व सृष्टि के रचनहार, एकमात्र सर्व शक्तिमान, दयालु और सबका पालन पोषण करने वाला परमात्मा सिद्ध किया है। संत रामपाल जी महाराज ने कबीर साहेब और मोक्ष प्राप्ति के लिए गुरु के महत्व को समझाया है तथा बताया कि बिना गुरु के मुक्ति प्राप्त नहीं हो सकती।
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोनों निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।
कबीर, गुरू बिन काहु न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुस छडे़ मूढ़ किसाना।
कबीर, गुरू बिन वेद पढै़ जो प्राणी, समझै न सार रहे अज्ञानी।।
🍀 कबीर साहेब का निर्वाण दिवस
पाठकों, कबीर साहेब के विषय में यह निर्विवाद है कि न तो उनका जन्म हुआ और न ही मृत्यु। कबीर साहेब सशरीर इस पृथ्वी पर अवतरित हुए और हज़ारों लोगों की उपस्थिति में सशरीर सतलोक गए। आज से लगभग 506 वर्ष पूर्व (माघ मास की शुक्ल प��्ष, तिथि एकादशी वि. स. 1575 सन् 1518 को) परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी काशी उत्तरप्रदेश से चलकर मगहर गए और वहां से उन्होंने सशरीर सतलोक गमन किया। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार कबीर साहेब का निर्वाण दिवस इस वर्ष दिनांक 20 फरवरी 2024 को है।
संयोग है कि ठीक इसी समय पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की शिष्य प्रणाली के अंतर्गत वर्तमान के पूर्णसंत सतगुरु रामपाल जी महाराज का बोध दिवस 17 फरवरी को है। इसलिए दोनों दिवस संत रामपाल जी महाराज के सान्निध्य में एक साथ मनाये जा रहे हैं। इस अवसर पर इस साल 10 सतलोक आश्रमों में दिनाँक 17, 18, 19 तथा 20 फरवरी 2024 को 4 दिवसीय खुले पाठ एवं विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। आइए जानते हैं कबीर साहेब के सशरीर सतलोक जाने की लीला की जानकारी।
🌱 कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं
वेदों में बताया गया है कि पूर्ण परमात्मा प्रत्येक युग में आते हैं। सतयुग में वे सत सुकृत नाम से, त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के नाम से, द्वापरयुग में करुणामय के नाम से तथा कलियुग में अपने वास्तविक नाम कबीर से प्रकट होते हैं।
कबीर साहेब जब आज से लगभग 600 वर्ष पूर्व ब्रह्ममुहूर्त में काशी के लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर प्रकट हुए थे तब स्वामी रामानंद जी के एक शिष्य ऋषि अष्टानंद जी इस दृश्य के प्रत्यक्ष दृष्टा थे। तत्पश्चात नीरू और नीमा नाम के ब्राह्मण दंपत्ति शिशु रूप में कबीर साहेब को पाकर प्रसन्न हुए और उन्हें अपने साथ ले गए। वेदों में प्रमाण है (ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 4 मंत्र 3) कि परमात्मा माता के गर्भ से जन्म नहीं लेते हैं तथा उनका पालन पोषण कुंवारी गायों से होता है (ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9)।
गरीब, पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर |
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर ||
🍁 परमात्मा कबीर साहेब की पृथ्वी पर भूमिका
कबीर साहेब कमल के फूल पर एक शिशु रूप में प्रकट हुए और उन्हें एक जुलाहे दंपति नीरू और नीमा अपने घर ले गए। भगवान ने प्यारी आत्माओं को तत्वज्ञान से परिचित कराकर शास्त्रों के आधार पर सत्यभक्ति प्रदान की। हिंदू और मुस्लिम धर्म के लोगों को अपना शिष्य बनाया। उन्होंने कई चमत्कार किए और समाज में तत्वज्ञान, सत्यभक्ति और गुरु की भूमिका स्पष्ट की। उनके द्वारा बताए गए दोहे और साखियाँ समाज में सद्भाव और एकता का संदेश दे रहे हैं। समाज द्वारा दी गई प्रताड़नाओं के बावजूद उन्होंने किसी को बुरा भला नहीं कहा और 120 वर्ष की लीला के उपरांत मगहर जाकर सशरीर अपने शाश्वत लोक सतलोक को गमन कर गए।
काशी तज गुरु मगहर आये, दोनों दीन के पीर।
कोई गाड़े कोई अग्नि जरावे, ढुंढा ना पाया शरीर।।
🌺 कबीर साहेब का मगहर प्रस्थान और वहां सूखी पड़ी आमी नदी को फिर से बहाना
कबीर साहेब ने अंधविश्वास और रूढ़ियों का खंडन किया और धार्मिक भ्रम को दूर किया। उन्होंने काशी और मगहर के धार्मिक भ्रांतियों को समाप्त किया और लोगों को सच्चे भक्ति मार्ग की ओर प्रेरित किया।
‘काशी में मरने से स्वर्ग मिलता है’ इसका खंडन करने के लिए कबीर साहेब अपनी लीला के अंत में अपने शिष्यों के साथ काशी से मगहर गए। वहां कबीर साहेब ने अपनी अद्भुत शक्तियों का प्रदर्शन किया और आमी नदी को पुनः बहाया जो कि शिव जी के श्राप से सूख गई थी। उन्होंने लोगों को प्रेम से रहने की सीख दी और उन्हें भक्ति करने के लिए प्रेरित किया। कबीर साहेब ने हिंदू और मुस्लिम धर्म के लोगों को आपसी भाईचारे और एकता का महत्व समझाया और उन्हें एक साथ रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने लोगों को धार्मिक भेदभावों को छोड़कर मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।
हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना।
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना।।
🍀 कबीर साहेब का सतलोक गमन
जब कबीर साहेब लीला के अंत में मगहर पहुँचे तो वहाँ बीरदेव सिंह बघेल और बिजली खां पठान अपनी अपनी सेना लेकर पहुँच गए थे। उनका लक्ष्य था कि कबीर साहेब का अंतिम संस्कार अपने अपने रीति रिवाजों से करना। चाहे उसके लिए उन्हें युद्ध ही क्यों ना करना पड़े वे उसके लिए भी तैयार थे। लेकिन कबीर साहेब के अंतिम संस्कार के समय एक अद्भुत घटना घटी, जिसमें उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित पुष्प मिले। उसी दिन के उपलक्ष्य में कबीर साहेब निर्वाण दिवस मनाया जा रहा हैं। इस चमत्कार ने साबित कर दिया कि पूर्ण परमेश्वर सशरीर आते हैं और सशरीर संसार से सतलोक को गमन करते हैं।
आदरणीय गरीबदास जी महाराज की वाणी में कबीर साहेब के सतलोक गमन की घटना कुछ इस प्रकार बताई गई है -
तहां कबीर कही एक भाषा, शस्त्रा करै सो ताहीं तलाका।
शस्त्रा करै सो हमरा द्रोही, जा की पैज पिछोड़ी होई।।
सुन बिजली खां बात हमारी, हम हैं शब्द रूप निर्विकारी।
बीर सिंह बघेला विनती करि है, हे सतगुरू तुम किस विधि मरि है।।
तहां वहां चादर फूल बिछाये, सिज्या छाड़ी पदहि समाये।
दो चादर दहूँ दीन उठाई, ताके मध्य कबीर न पाई।।
तहां वहां अबिगत फूल सुवासी, मगहर घोर और चैरा काशी।
अबिगत रूप अलख निरवाणी, तहां वहां नीर क्षीर दिया छांनी।।
🌀 निर्वाण दिवस और बोध दिवस समारोह 2024
इस साल 17 फरवरी से 20 फरवरी 2024 तक, जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के 37वें बोध दिवस और कबीर साहेब के 506वें निर्वाण दिवस के अवसर पर एक विशेष समागम का आयोजन हो रहा है।
• निःशुल्क भंडारा: सभी आगंतुकों के लिए 17 से 20 फरवरी 2024 तक निःशुल्क भंडारे का आयोजन होगा।
• निःशुल्क नाम दीक्षा: इस अद्वितीय अवसर पर संत रामपाल जी महाराज से निःशुल्क नाम दीक्षा प्राप्त की जा सकती हैं।
• 4 दिवसीय खुले पाठ: 17 से 20 फरवरी 2024 तक, 4 दिनों तक खुले पाठ का आयोजन होगा।
• विशेष सत्संग प्रसारण: 20 फरवरी को संत रामपाल जी महाराज के सत्संग का विशेष प्रसारण साधना टीवी चैनल पर सुबह 9:15 बजे (IST) पर होगा।
• सोशल मीडिया प्रसारण: इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण निम्नलिखित सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर भी उपलब्ध होगा:
Facebook page:- Spiritual Leader Saint Rampal Ji Maharaj
YouTube:- Sant Rampal Ji Maharaj
Twitter:- @SaintRampalJiM
आप सभी इस महान अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करें और आध्यात्मिक आयोजन का लाभ उठाएं। वहीं इस कार्यक्रम में आने के लिए आप निम्न स्थानों पर आ सकते हैं:
1. सतलोक आश्रम धनाना धाम, सोनीपत हरियाणा
2. सतलोक आश्रम मुण्डका दिल्ली
3. सतलोक आश्रम धुरी पंजाब
4. सतलोक आश्रम सोजत राजस्थान
5. सतलोक आश्रम शामली उत्तर प्रदेश
6. सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र हरियाणा
7. सतलोक आश्रम भिवानी हरियाणा
8. सतलोक आश्रम खमानो पंजाब
9. सतलोक आश्रम धनुषा नेपाल
10. सतलोक आश्रम बैतूल मध्य प्रदेश
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा लेने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें ⬇️
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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