बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़... 8 राज्यों में भारी से अधिक भारी बारिश का अलर्ट, जानें अपने शहर के मौसम का हाल
Delhi: नई दिल्ली : देश के अलग-अलग हिस्सों में मॉनसून सक्रिय बना हुआ है। मौसम विभाग का कहना है कि अगले पांच दिनों के दौरान प्रायद्वीपीय भारत, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में सक्रिय मानसून की स्थिति जारी रहने की संभावना है। वहीं मध्य प्रदेश में मंगलवार से शुक्रवार के दौरान और गुजरात में गुरुवार और शुक्रवार को भारी बारिश होने की संभावना है। पूर्वी भारत में मौसम का पूर्वानुमान हल्की से व्यापक वर्षा की संभावना का संकेत देता है, साथ में आंधी, बिजली और भारी वर्षा की अलग-अलग घटनाएं भी हो सकती हैं। आईएमडी ने अपने बुलेटिन में कहा कि मौसम का यह मिजाज सोमवार और मंगलवार को गंगीय पश्चिम बंगाल में, सोमवार से गुरुवार तक ओडिशा में और सोमवार से शुक्रवार तक अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में होने की उम्मीद है। राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में मौसम साफ बना रहेगा। http://dlvr.it/SvcbHT
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भ्रष्टाचार तो भाजपा का शिष्टाचार है: JMM
Ranchi: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भ्रष्टाचार तो भाजपा का शिष्टाचार है। उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक पास होने पर भाजपा के विरोध को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि भाजपा को इसका विरोध करने का कोई हक नहीं है। भाजपा बताए कि क्या वह भाजपा शासित गुजरात, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का विरोध करेगी।…
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राजस्थान में फ्री स्मार्टफोन और डेटा सिम बांटने को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं..
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- अमेरिकी संसद में बुधवार को UFO'2 और एलियन को लेकर सुनवाई |
- Hearing on UFO'2 and Alien in US Parliament on Wednesday.
- दिल्ली, पंजाब, हिमांचल और गुजरात समेत उत्तर-पश्चिमी राज्यों में इस मानसून जमकर बारिश हो रही है |
- North-western states including Delhi, Punjab, Himachal Pradesh and Gujarat are receiving heavy rains this monsoon.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल यानी 28 जुलाई को गुजरात के गाँधीनगर में सेमिकॉन इंडिया इवेंट का उद्घाटन करेंगे |
- Prime Minister Narendra Modi will inaugurate the Semicon India event tomorrow i.e. on 28th July in Gandhinagar, Gujarat.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के शेखावाटी इलाके में भाजपा के चुनावी अभियान की शुरुआत कर कांग्रेस में लाल डायरी को लेकर उठे विवाद पर भी चुटकी ली |
- Prime Minister Narendra Modi also took a jibe at the controversy over the red diary in the Congress by launching the BJP's election campaign in Shekhawati area of Rajasthan.
- राजस्थान में फ्री स्मार्टफोन और डाटा सिम बाटने को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी है |
- Preparations have been completed for distribution of free smartphones and data sims in Rajasthan.
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July 27, 2023 at 06:02PM
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July 27, 2023 at 06:02PM
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मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से 3324 करोड़ रूपए की लागत की 3063 किमी लंबाई की सड़कों, आरओबी तथा पुलों के निर्माण कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। सड़कों का विकास नागरिक जीवन की मूलभूत आवश्यकता है। जहां सड़कों का विकास होगा वहां नागरिकों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और अधिक से अधिक उद्योगों की स्थापना होगी। राज्य सरकार प्रदेश के चहुंमुखी विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
सड़कों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए निरीक्षण प्रणाली को और अधिक सुदृढ़ किया जाएगा तथा गुणवत्ता नियंत्रण शाखा के अधिकारियों द्वारा सघन निरीक्षण भी सुनिश्चित किया जा रहा है। राज्य सरकार गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं करने तथा उचित मापदण्डों के अनुसार सड़कों का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध है। विभागीय अधिकारी ठेकेदारों से समन्वय कर सड़क बनने के बाद आवश्यक रखरखाव सुनिश्चित करें। इसके लिए ठेकेदारों के साथ किए गए अनुबंध में मौजूद सभी शर्ताें की पालना आवश्यक रूप से करवाई जाए। साथ ही, अधिकारी नियमित एवं औचक दौरे कर निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करें।
किसी भी राज्य में निवेश एवं विकास के लिए उत्कृष्ट सड़क तंत्र पहली शर्त होती है। सभी विकसित देशों की प्रगति के पीछे उनकी उन्नत सड़कें एक मुख्य कारण हैं। राज्य में अक्टूबर में होने जा रही इन्वेस्ट राजस्थान समिट से पहले प्रदेश सरकार द्वारा निवेशकों के साथ लगभग 11 लाख करोड़ रूपए के एमओयू साइन कर लिए गए हैं। निवेशकों द्वारा प्रदेश में दिखाई जा रही रूचि के पीछे राज्य का सड़क इन्फ्रास्ट्रक्चर एक प्रमुख वजह है। राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण मुख्य जिला सड़कों, अन्य जिला सड़कों तथा ग्रामीण सड़कों का निर्माण कर विकास में राज्य के सभी क्षेत्रों की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
प्रदेश में इस बार सभी जिलों में अच्छी बरसात हुई है तथा कई जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति भी उत्पन्न हुई है। मानसून में हुई अतिवृष्टि/बाढ़ के कारण सड़कों को व्यापक नुकसान भी हुआ है। विभागीय अधिकारियों को 20 अक्टूूबर तक विशेष अभियान चलाकर सभी क्षतिग्रस्त सड़कों को ठीक करने के निर्देश दिए। सभी जिलों में सड़कों की मरम्मत के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे तथा संसाधनों में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। ठेकेदारों के साथ किए गए अनुबंधों की पालना करवाते हुए दोष निवारण अवधि के दौरान सड़कों में हुई किसी भी प्रकार की टूट-फूट की त्वरित मरम्मत हेतु उन्हें पाबंद किया जाए।
राज्य में लगातार सड़कों का निर्माण और विकास हो रहा है। गत साढ़े 3 वर्षों में राज्य में 42,384 किलोमीटर लम्बाई की सड़कों के विकास के लिए 25,395 करोड़ रूपये की लागत से 10,546 विकास कार्याें की स्वीकृतियां जारी की गई हैं। यह सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज राज्य की सड़कें गुणवत्ता की दृष्टि से पड़ोसी राज्य गुजरात से बेहतर स्थिति में हैं।
बैठक में बताया गया कि सड़कों की ज्यादा आयु एवं बेहतर रख-रखाव सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्वारा विभिन्न नवाचार किए जा रहे हैं। इसी क्रम में ‘कोल्ड मिक्स टेक्नोलोजी’ के माध्यम से क्षतिग्रस्त सड़कों की शीघ्र तथा टिकाऊ मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। क्षतिग्रस्त हो चुकी सड़कों की उपयोग योग्य सामग्री का इस्तेमाल नई सड़कों में किया जा रहा है। सेल फिल्ड जैसी तकनीक का उपयोग कर ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी गुणवत्ता की सीमेंटेड सड़कें बनाई जा रही हैं। साथ ही, अपशिष्ट प्लास्टिक का उपयोग भी सड़क निर्माण में किया जा रहा है।
प्रदेश में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली जनहानि को न्यूनतम करने के लिए सरकार संकल्पित है। ओवरलोडिंग, ओवरस्पीडिंग तथा क्षतिग्रस्त सड़कें इन दुर्घटनाओं के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी होती हैं। इसी दिशा में राज्य सरकार द्वारा सड़कों के चौडाईकरण का कार्य किया जा रहा है। क्षतिग्रस्त सड़कों का सर्वे करवाकर उनकी त्वरित मरम्मत की जा रही है। गुणवत्तापूर्ण सड़कों के निर्माण से सड़क दुर्घटनाओं में निश्चित कमी आती है। सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए ‘इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम’ (आईटीएमएस) जैसी उन्नत तकनीकों का सहारा लिया जाएगा। साथ ही, सख्त निगरानी तंत्र एवं नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन के द्वारा भी सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण सुनिश्चित किया जाएगा। विशेषज्ञों द्वारा सड़क दुर्घटना के सभी मुख्य कारणों को चिन्हित कर उनके उन्मूलन का कार्य किया जा रहा है।
राजस्थान राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में देशभर में अग्रणी राज्य बन चुका है तथा इनके निर्माण के लिए राज्य सरकार तमाम तरीकों से केन्द्र सरकार का सहयोग कर रही है। दिल्ली-वडोदरा तथा अमृतसर-जामनगर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण कार्य राज्य सरकार के सहयोग के कारण तेजी से पूरा हो रहा है। भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत चल रहे सड़क निर्माण कार्यों में राज्य सरकार द्वारा निशुल्क राजकीय भूमि उपलब्ध करवाई गई है। इसके अतिरिक्त भूमि अधिग्रहण, अतिक्रमण हटाने तथा वनक्षेत्र से गुजरने वाले मार्गों के लिए आवश्यक स्वीकृतियां जारी करने में राज्य सरकार का पूरा सहयोग रहा है। यही कारण है कि राज्य में तेजी से गुणवत्तापूर्ण राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण हो रहा है।
सार्वजनिक निर्माण मंत्री श्री भजनलाल जाटव ने कहा कि प्रदेश के विकास में सड़कों की अहम भूमिका है। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में सड़कों का एक बड़ा जाल बिछाया जा रहा है। अच्छी सड़कें होने से यातायात सुगम होता है तथा औद्योगिक विकास को भी गति मिलती है। इसी को ध्यान में रखते हुए सभी सड़क निर्माण गुणवत्तापूर्ण किए गए हैं।
प्रमुख शासन सचिव पीडब्ल्यूडी श्री नवीन महाजन ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से नवीन लोकार्पण एवं शिलान्यास कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने भविष्य में किए जाने वाले विभिन्न विकास कार्यों के बारे में भी जानकारी दी।
इस अवसर पर ऊर्जा मंत्री श्री भंवरसिंह भाटी, कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया, मुख्यमंत्री सलाहकार श्री संयम लोढ़ा, मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा, प्रमुख शासन सचिव वित्त श्री अखिल अरोरा, शासन सचिव पीडब्ल्यूडी श्री चिन्नहरी मीना, अतिरिक्त सचिव पीडब्ल्यूडी श्री संजीव माथुर सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। साथ ही, विभिन्न जिलों से जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी वीसी के माध्यम से जुड़े।
ये हुए लोकार्पण
भीलवाड़ा जिले में 39.38 करोड़ की लागत से आरओबी निर्माण
झालावाड़ जिले में 8.86 करोड़ की लागत से 13.10 किमी. सड़क निर्माण
प्रतापगढ़ जिले में 5.80 करोड़ की लागत से 4 किमी. सड़क निर्माण
ये हुए शिलान्यास
अजमेर जिले में 42.30 करोड़ रूपए की लागत से 55.50 किमी के 3 सड़क विकास कार्य
अलवर जिले में 78.00 करोड़ रूपए की लागत से 93.00 किमी के 2 सड़क विकास कार्य
बारां जिले में 194.76 करोड़ रूपए की लागत से 101.50 किमी के 4 सड़क विकास कार्य
बाड़मेर जिले में 148.40 करोड़ रूपए की लागत से 210.50 किमी के 6 सड़क विकास कार्य
भरतपुर जिले में 140.20 करोड़ रूपए की लागत से 87.90 किमी के 3 सड़क विकास कार्य
भीलवाड़ा जिले में 92.42 करोड़ रूपए की लागत से 99.60 किमी के 4 सड़क विकास कार्य
बीकानेर जिले में 84.00 करोड़ रूपए की लागत से 130 किमी के 2 सड़क विकास कार्य
बूंदी जिले में 45 करोड़ रूपए की लागत से 22.50 किमी के 1 सड़क विकास कार्य
चित्तौड़गढ़ जिले में 125.70 करोड़ रूपए की लागत से 96.60 किमी के 4 सड़क विकास कार्य
चूरू जिले में 48.50 करोड़ रूपए की लागत से 50.08 किमी के 2 सड़क विकास कार्य
दौसा जिले में 110 करोड़ रूपए की लागत से 146.10 किमी के 4 सड़क विकास कार्य
धौलपुर जिले में 60.07 करोड़ रूपए की लागत से 94.50 किमी के 6 सड़क विकास कार्य
डूंगरपुर जिले में 62.90 करोड़ रूपए की लागत से 81.00 किमी के 8 सड़क विकास कार्य
हनुमानगढ़ जिले में 89 करोड़ रूपए की लागत से 82.40 किमी के 4 सड़क विकास कार्य
जयपुर जिले में 85 करोड़ रूपए की लागत से 83 किमी के 3 सड़क विकास कार्य
जैसलमेर जिले में 63.35 करोड़ रूपए की लागत से 94 किमी के 2 सड़क विकास कार्य
जालौर जिले में 163 करोड़ रूपए की लागत से 194.50 किमी के 4 सड़क विकास कार्य
झालावाड़ जिले में 85 करोड़ रूपए की लागत से 72.30 किमी के 2 सड़क विकास कार्य
झुंझुनूं जिले में 93 करोड़ रूपए की लागत से 86 किमी के 4 सड़क विकास कार्य
जोधपुर जिले में 107 करोड़ रूपए की लागत से 114 किमी के 2 सड़क विकास कार्य
करौली जिले में 158 करोड़ रूपए की लागत से 108.60 किमी के 5 सड़क विकास कार्य
कोटा जिले में 75 करोड़ रूपए की लागत से 43 किमी के 2 सड़क विकास कार्य
नागौर जिले में 108 करोड रूपए की लाग��� से 176.25 किमी के 6 सड़क विकास कार्य
पाली जिले में 85 करोड़ रूपए की लागत से 96 किमी के 2 सड़क विकास कार्य
प्रतापगढ़ जिले में 32 करोड़ रूपए की लागत से 35.50 किमी के 2 सड़क विकास कार्य
राजसमंद जिले में 26 करोड़ रूपए की लागत से 36 किमी के 2 सड़क विकास कार्य
सवाईमाधोपुर जिले में 271.22 करोड़ रूपए की लागत से 189.05 किमी के 8 सड़क विकास कार्य
सीकर जिले में 108.30 करोड़ रूपए की लागत से 104 किमी के 4 सड़क विकास कार्य
सिरोही जिले में 24.55 करोड़ रूपए की लागत से 40 किमी के 2 सड़क विकास कार्य
श्रीगंगानगर जिले में 38.25 करोड़ रूपए की लागत से 39.30 किमी के 3 सड़क विकास कार्य
उदयपुर जिले में 89 करोड़ रूपए की लागत से 96 किमी के 3 सड़क विकास कार्य
शिलान्यास पीपीपी कार्य
जोधपुर एवं नागौर में 337 करोड़ रूपए की लागत से 87 किमी लंबाई का 1 सड़क विकास कार्य
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भारत के वनों के प्रकार और वनों से मिलने वाले उत्पाद|
वनों से प्राप्त होने वाले उत्पाद और भारतीय वनों का वर्गीकरण (Classification of Indian Forests & Forest Produce)
प्राकृतिक वनस्पतियों में विविधता के मामले में भारत विश्व के कुछ गिनती के देशों में शामिल है। हिमालय की ऊंचाइयों से लेकर पश्चिमी घाट और अंडमान तथा निकोबार दीप समूह पर पाई जाने वाली वनस्पतियां भारत के लोगों को अच्छा वातावरण उपलब्ध करवाने के अलावा कई प्रकार के फायदे पहुंचाती है। भारत में पाए जाने वाले जंगल भी इन्हीं वनस्पतियों की विविधताओं के हिस्से हैं।
क्या होते हैं जंगल/वन (Forest) ?
एक परिपूर्ण और बड़े आक्षेप में बात करें तो मैदानी भागों या हिल (Hill) वाले इलाकों में बड़े क्षेत्र पर, पेड़ों की घनी आबादी को जंगल कहा जाता है।
दक्षिण भारत में पाए जाने वाले जंगलों से, उत्तर भारत में मिलने वाले जंगल और पश्चिम भारत के जंगल में अलग तरह की विविधताएं देखी जाती है।ये भी पढ़ें: प्राकृतिक खेती ही सबसे श्रेयस्कर : ‘सूरत मॉडल’
भारत में पाए जाने वाले जंगलों के प्रकार :
जलवायु एवं अलग प्रकार की वनस्पतियों के आधार पर भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान (Forest Survey of India – FSI) के द्वारा भारतीय वनों को 5 भागों में बांटा गया है :
उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन (Tropical Evergreen Forest) :
सामान्यतः भारत के दक्षिणी हिस्से में पाए जाने वाले इस प्रकार के वन उत्तरी पूर्वी राज्य जैसे असम और अरुणाचल प्रदेश में भी फैले हुए हैं।
इस प्रकार के वनों के विकास के लिए वार्षिक वर्षा स्तर 200 सेंटीमीटर से अधिक होना चाहिए और वार्षिक तापमान लगभग 22 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए।
इस प्रकार के वनों में पाए जाने वाले पौधे लंबी उचाई तक बढ़ते हैं और लगभग 60 मीटर तक की ऊंचाई प्राप्त कर सकते हैं।
इन वनों में पाए जाने वाले पेड़ पौधे वर्ष भर हरे-भरे रहते हैं और इनकी पत्तियां टूटती नहीं है, इसीलिए इन्हें सदाबहार वन कहा जाता है।
भारत में पाए जाने वाले सदाबहार वनों में रोजवुड (Rosewood), महोगनी (Mahogany) और ईबोनी (ebony) जैसे पेड़ों को शामिल किया जा सकता है। उत्तरी पूर्वी भारत में पाए जाने वाले चीड़ (Pine) के पेड़ भी सदाबहार वनों की विविधता के ही एक उदाहरण हैं।
उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन (Tropical Deciduous Forest) :
भारत के कुल क्षेत्र में इस प्रकार के वनों की संख्या सर्वाधिक है, इन्हें मानसून वन भी कहा जाता है। इस प्रकार के वनों के विकास के लिए वार्षिक वर्षा 70 से 200 सेंटीमीटर के बीच में होनी चाहिए।
पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट के कुछ इलाकों के अलावा उड़ीसा और हिमालय जैसे राज्यों में पाए जाने वाले वनों में, शीशम, महुआ तथा आंवला जैसे पेड़ों को शामिल किया जाता है। पर्णपाती वन उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ क्षेत्रों में भी पाए जाते हैं, जिनमें तेंदू, पलाश तथा अमलतास और बिल्व तथा खैर के पेड़ों को शामिल किया जा सकता है।
इस प्रकार के वनों में पाए जाने वाले पेड़ों की एक और खास बात यह होती है, कि मानसून आने से पहले यह पेड़ अपनी पत्तियों को गिरा देते हैं और जमीन में बचे सीमित पानी के इस्तेमाल से अपने आप को जीवित रखने की कोशिश करते हैं, इसीलिए इन्हें पतझड़ वन भी कहा जाता है।
उष्णकटिबंधीय कांटेदार वन (Tropical Thorn Forest) :
50 सेंटीमीटर से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में उगने वाले कांटेदार वनों को सामान्यतः वनों की श्रेणी में शामिल नहीं किया जाता है, क्योंकि इनमें घास और छोटी कंटीली झाड़ियां ज्यादा होती है।
पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तथा गुजरात के कम वर्षा वाले क्षेत्रों में इन वनों को देखा जाता है। बबूल पेड़ और नीम तथा खेजड़ी के पौधे इस श्रेणी में शामिल किए जा सकते हैं।
पर्वतीय वन (Montane Forest) :
हिमालय क्षेत्र में पाए जाने वाले इस प्रकार के वन अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर उगने में सहज होते हैं, इसके अलावा दक्षिण में पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट के कुछ इलाकों में भी यह वन पाए जाते हैं।
वनीय विज्ञान के वर्गीकरण के अनुसार इन वनों को टुंड्रा (Tundra) और ताइगा (Taiga) कैटेगरी में बांटा जाता है।
1000 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाने वाले यह पर्वतीय जंगल, पश्चिमी बंगाल और उत्तराखंड के अलावा तमिलनाडु और केरल में भी देखने को मिलते हैं।
देवदार (Cedrus Deodara) के पेड़ इस प्रकार के वनों का एक अनूठा उदाहरण है। देवदार के पेड़ केवल भारतीय उपमहाद्वीप में ही देखने को मिलते हैं। देवदार के पेड़ों का इस्तेमाल विनिर्माण कार्यों में किया जाता है।
विंध्या पर्वत और नीलगिरी की पहाड़ियों में उगने वाले पर्वतीय वनों को ‘शोला‘ नाम से जाना जाता है।
तटीय एवं दलदली वन (Littoral and Swamp Forest) :
वेटलैंड वाले क्षेत्रों में पाए जाने वाले इस प्रकार के वन उड़ीसा की चिल्का झील (Chilka Lake) और भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय पार्क के आस पास के क्षेत्रों के अलावा सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र और राजस्थान, गुजरात और कच्छ की खाड़ी के आसपास काफी संख्या में पाए जाते हैं।
यदि बात करें इन वनों की विविधता की तो भारत में विश्व के लगभग 7% दलदली वन पाए जाते है, इन्हें मैंग्रोव वन (Mangrove forest) भी कहा जाता है।
वर्तमान समय में भारत में वनों की स्थिति :
भारतीय वन सर्वेक्षण के द्वारा जारी की गयी इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021 (Forest Survey of India – STATE OF FOREST REPORT 2021) के अनुसार, साल 2019 की तुलना में भारतीय वनों की संख्या में 1500 स्क्वायर किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है और वर्तमान में भारत के कुल क्षेत्रफल के लगभग 21.67 प्रतिशत क्षेत्र में वन पाए जाते हैं। “इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021” से सम्बंधित सरकारी प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) रिलीज़ का दस्तावेज पढ़ने या पीडीऍफ़ डाउनलोड के लिए, यहां क्लिक करें।
मध्य प्रदेश राज्य फॉरेस्ट कवर के मामले में भारत में पहले स्थान पर है।
पर्यावरण के लिए एक बेहतर विकल्प उपलब्ध करवाने वाले वन क्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में सहयोग के अलावा किसानों के लिए भी उपयोगी साबित हो सकते है।ये भी पढ़ें: कम उर्वरा शक्ति से बेहतर उत्पादन की तरफ बढ़ती हमारी मिट्टी
किसानों को वनों से मिलने वाले फायदे :
कृषि और वनों के सहयोग से मिलने वाले फायदों को कृषि वानिकी (Agroforestry) की श्रेणी में शामिल किया जाता है।
जंगलों में उगने वाले पेड़ों से मिलने वाले फायदे निम्न प्रकार के हैं :
अलग-अलग और बहुउद्देशीय वृक्षों से किसान भाइयों को दैनिक प्रयोग के लिए इंधन और पशुओं के लिए चारा तथा फलियां प्राप्त हो सकती हैं।
कृषि वानिकी की मदद से मृदा अपरदन (Soil Erosion) को रोका जा सकता है। यदि आप के खेत के आसपास काफी पेड़ उगे हुए हैं तो भूमि के कटाव से मिट्टी को आसानी से बचाया जा सकता है, जिससे मृदा की उर्वरता भी बरकरार रहती है।
कृषि वानिकी का एक और फायदा यह है कि कम वर्षा वाले क्षेत्रों में यदि सूखे की स्थिति आए, तो साथ में उगे हुए पेड़ों से कुछ ना कुछ उत्पाद प्राप्त करके काम चलाया जा सकता है।
कृषि वानिकी की मदद से मिलने वाले इन अप्रत्यक्ष फायदों के अलावा वनीय क्षेत्रों में रहने वाले कई किसान भाई जंगलों से प्राप्त होने वाले उत्पादों को सीधे ही बाजार में बेचकर भी मुनाफा कमा रहे है, इस प्रकार प्राप्त उत्पादों को लघु वनोपज (Minor forest product) बोला जाता है।ये भी पढ़ें: Natural Farming: प्राकृतिक खेती में छिपे जल-जंगल-जमीन संग इंसान की सेहत से जुड़े इतने सारे राज
वनों से प्राप्त होने वाले लघु वनोपज (माइनर फॉरेस्ट प्रोडक्ट) :
वनीय क्षेत्रों में रहने वाले किसानों से जुड़ी सरकारी संस्था त्रिफेद यानि ‘भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ‘ (‘TRIFED’ – Tribal Co-Operative Marketing Development Federation of India Limited) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 10 करोड़ किसान जीवन यापन करने के लिए वनों में स्थित पेड़ों से सीधे उत्पाद प्राप्त कर मार्केट में बेच रहे हैं।
ऐसे ही कुछ उत्पाद निम्न प्रकार है :-
इमली (Tamarind) :
उत्तरी पूर्वी भारत के कुछ स्थानों एवं दक्षिणी भारत के वन्य क्षेत्रों में पाए जाने वाला इमली का पेड़ स्थानीय किसानों के द्वारा लघु वनोपज के रूप में इस्तेमाल किए जाते है। विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करने वाली इमली कि लगभग दो लाख मीट्रिक टन से ज्यादा की उपज भारत के वन्य क्षेत्रों से प्राप्त की जाती है।
महुआ के फल :
उष्णकटिबंधीय जंगलों में पाए जाने वाला महुआ उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों में स्थित वनों से प्राप्त किया जाता है।
इस वृक्ष की खास बात यह है कि यह काफी तेजी से बढ़ता है और सदाबहार वनों की श्रेणी में आने की वजह से पूरे वर्ष भर इसके पेड़ से महुआ का उत्पादन किया जा सकता है।
तेंदू की पत्तियां :
भारत के पूर्वी राज्यों में कुछ वनीय क्षेत्र और तमिलनाडु के कोरोमंडल तट के जंगली क्षेत्रों में उगने वाला तेंदू का यह पौधा भारत और श्रीलंका के कुछ क्षेत्रों में पाया जाता है।
इस पौधे की पत्तियों को तोड़कर बीड़ी के निर्माण में इस्तेमाल किया जाता है।
ट्राईफेड की एक रिपोर्ट के अनुसार वनों के आसपास रहने वाले किसानों में से लगभग 70% किसान जंगलों से तेंदू की पत्तियां तोड़ वर्तमान में बेच रहे हैं।
बांस (Bamboo) :
पृथ्वी पर सबसे तेजी से बढ़ने वाला यह पेड़, हिमालय से सटे हुए उत्तरी और उत्तरी पूर्वी राज्यों के वनों में पाया जाता है।
असम राज्य भारत में उगाए जाने वाले बांस में पहला स्थान रखता है।
बोडोलैंड क्षेत्र के कई किसान भाई पेड़ों से प्राप्त बांस से अपना जीवन यापन कर रहे है।
चिरौंजी सूखा मेवा :
मीठे व्यंजनों में मिठाई में इस्तेमाल होने वाले इस ड्राई फ्रूट का आकार दाल के दानों के जैसा होता है। कई पोषक तत्व वाला चिरौंजी सर्दी-जुकाम और सिरदर्द में आराम और पाचन को बेहतर बनाने में लाभदायक साबित होता है।
दूसरे ड्राई फ्रूट की तुलना में चिरौंजी को पेड़ों से बहुत ही आसान विधि से प्राप्त किया जा सकता है और कुछ दिन धूप में सुखाने के बाद बाजार में बेचा जा रहा है।
जंगली शहद (Wild honey) :
पिछले 2 से 3 सालों में झारखंड के पलामू बाघ अभ्यारण के आसपास स्थित किसानों की मेहनत की वजह से जंगली शहद की उत्पादकता में काफी बड़े स्तर पर बढ़ोतरी हुई है।
केवल 240 रुपए प्रति किलो की लागत में तैयार होने वाला यह जंगली शहद वर्तमान में 400 रुपए प्रति किलो की दर से बाजार में बेचा जा रहा है।
ट्राईफेड और दूसरी सरकारी संस्थाओं के सहयोग से इस प्रकार तैयार शहद की पैकेजिंग करके कई ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर भी बेचा जाता है।ये भी प���़ें: Natural Farming: प्राकृतिक खेती के लिए ये है मोदी सरकार का प्लान
2015 के बाद पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (Public-Private Partnership) की पॉलिसी अपनाने वाली भारतीय सरकार भी इन जंगलों में रहने वाले किसानों और जनजातीय ��ोगों को अलग-अलग योजनाओं के ��हत कई तरह के लाभ उपलब्ध करवा रही है। इसके अलावा समय-समय पर सरकार लघु वनोपज की श्रेणी में आने वाले वन्य उत्पादों की संख्या लगातार बढ़ा रही है, जिससे इन क्षेत्रों में रहने वाली किसान भाई बिना किसी कानूनी समस्या के अपना जीवन यापन कर अच्छा मुनाफा कमा सकें।
आशा करते हैं हमारे किसान भाइयों को merikheti.com के द्वारा भारत में पाए जाने वाले वनों की इस श्रेणीवार वर्गीकरण के बारे में जानकारी पसंद आई होगी। आशा करते है हमारे किसान भाई भविष्य में भी जंगलों के महत्व को समझते हुए कृषि में अच्छी उन्नति कर पाएंगे।
Source भारत के वनों के प्रकार और वनों से मिलने वाले उत्पाद
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Weather Update There will be heavy rain in these parts of the country for the next 3 days, IMD's warn । अगले 3 दिनों तक देश के इन हिस्सों में होगी भारी बारिश, IMD की चेतावनी, जानें क्या है मौसम का हाल
Weather Update There will be heavy rain in these parts of the country for the next 3 days, IMD’s warn । अगले 3 दिनों तक देश के इन हिस्सों में होगी भारी बारिश, IMD की चेतावनी, जानें क्या है मौसम का हाल
Image Source : INDIA TV
IMD Alert
Highlights
महाराष्ट्र, बंगाल, ओडिसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, हिमाचल व राजस्थान के कुछ हिस्सों में होगी भारी बारिश
यूपी, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड में हल्की बारिश की संभावना
उत्तर प्रदेश में मानसून के आने के बाद से कई इलाकों में अच्छी बारिश दर्ज
Weather Update: देश के कई हिस्सों में बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर के कारण भारी बारिश की…
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गुजरात तट पर अफीम के पैकेट मिलने के बाद गश्त तेज
पोरबंदर, 4 अगस्त (SuryyasKiran)। स्थानीय पुलिस को पिछले तीन दिनों में गुजरात के पश्चिमी तट पर पोरबंदर, मांगरोल और वेरावल इलाकों के पास से 180 से 200 अफीम के पैकेट मिले हैं।
यह पहली बार है कि पोरबंदर या वेरावल में तट के किनारे पैकेटों का पता चला है।गिर सोमनाथ जिले के पुलिस अधीक्षक मनोहरसिंह जडेजा ने कहा, जैसे ही यह हमारे संज्ञान में आया, पुलिस ने और पैकेटों के लिए तट पर तलाशी अभियान शुरू कर दिया, यहां तक कि तट पर गश्त भी बढ़ा दी गई है।तटीय सुरक्षा के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर SuryyasKiran को बताया, पहले इस तरह के पैकेट सर क्रीक में, या कच्छ में जखाऊ और सौराष्ट्र में देवभूमि द्वारका तट के पास पाए जाते थे। पैकेजिंग एक ही है, प्रत्येक कपड़े के बैग में 20 छोटे पैकेट होते हैं। यह पहली बार है कि यह पोरबंदर, मैंग्रोल और वेरावल तक पहुंच गए हैं।अधिकारी की जानकारी के अनुसार, भारतीय, पाकिस्तान और ईरानी एजेंसियां पिछले कुछ वर्षों से गश्त कर रही हैं और समुद में चौकसी बढ़ा दी गई है, इसलिए जब भी वाहक को डर होता है कि वे ड्रग्स के साथ पकड़े जा सकते हैं, तो वे समुद्र में पैकेट फेंक देते हैं, जिससे पैकेट तट की ओर तैर कर आ जाते हैं।अधिकारी ने कहा, मिले हुए पैकेट दो साल पुराने लग रहे हैं। मानसून में समुद्र में पानी का प्रवाह पश्चिम से पूर्व की ओर होता है, यही कारण हो सकता है कि पैकेट पोरबंदर या वेरावल तक पहुंच गए हों।
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Weather Today: दिल्ली, पंजाब और उत्तराखंड में बरसेंगे बादल, MP से राजस्थान तक जानें पूरे उत्तर भारत के मौसम का हाल
Weather Today: दिल्ली, पंजाब और उत्तराखंड में बरसेंगे बादल, MP से राजस्थान तक जानें पूरे उत्तर भारत के मौसम का हाल
Weather Update Today:HN/ देश के अधिकांश राज्यों में इस समय मानसून (Monsoon) का असर देखने को मिल रहा है. राजस्थान, गुजरात, असम, उत्तराखंड (Uttarakhand) समेत कई राज्यों में मूसलाधार बारिश (Heavy Rainfall) का दौर जारी है. देश के अधिकांश इलाकों के भारी बारिश के बाद अब मानसून गंगा के मैदानी इलाकों की ओर अपना रुख करने वाला है. वहीं यूपी, बिहार, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली जैसे राज्यों में बारिश (Rain) का…
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Today Weather Forecast Heavy Rainfall Likely In Delhi Punjab And Uttarakhand Know The Weather Condition
Today Weather Forecast Heavy Rainfall Likely In Delhi Punjab And Uttarakhand Know The Weather Condition
Weather Update Today: देश के अधिकांश राज्यों में इस समय मानसून (Monsoon) का असर देखने को मिल रहा है. राजस्थान, गुजरात, असम, उत्तराखंड (Uttarakhand) समेत कई राज्यों में मूसलाधार बारिश (Heavy Rainfall) का दौर जारी है. देश के अधिकांश इलाकों के भारी बारिश के बाद अब मानसून गंगा के मैदानी इलाकों की ओर अपना रुख करने वाला है. वहीं यूपी, बिहार, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली जैसे राज्यों में बारिश (Rain) का…
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गुजरात के गीरा जलप्रपातों को मिलता है शानदार मॉनसून लुक
गुजरात के गीरा जलप्रपातों को मिलता है शानदार मॉनसून लुक
गीरा जलप्रपात अंबिका नदी में 30 मीटर नीचे गिरता है।
सुरम्य दृश्य पेश करते हुए गुजरात में गीरा जलप्रपात लगातार बारिश के बाद पानी से भर गया है। हरे भरे जंगलों के बीच स्थित यह झरना मानसून के दौरान बेहद खूबसूरत दिखता है।
#घड़ी | गुजरात: हरे भरे जंगल के बीच बसे, गिर दोध जलप्रपात एक रमणीय और प्राकृतिक दृश्य प्रस्तुत करते हैं क्योंकि यह डांग जिले के सापुतारा में लगातार वर्षा के बाद पानी से भर जाता है…
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देश के ज्यादातर राज्यों में मानसून सक्रिय,यूपी-बिहार में गर्मी और उमश से लोग बेहाल
देश के ज्यादातर राज्यों में मानसून सक्रिय,यूपी-बिहार में गर्मी और उमश से लोग बेहाल
दिल्ली।मौसम विभाग के अनुसार छत्तीसगढ़, विदर्भ, मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, तटीय आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और इनसे संबंधित अलग-अलग स्थानों पर गरज के साथ तेज बारिश और बिजली गिरने की संभावना है। यह प्रक्रिया अगले 4-5 दिनों तक चल सकती है। इसके कारण में विभाग ने बताया है कि निम्न दबाव का क्षेत्र दक्षिण तटीय ओडिशा और पड़ोस में स्थित है, जो संबंधित चक्रवात के साथ मध्य क्षोभमंडल…
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Monsoon: छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी रायपुर। देश के अधिकतर हिस्सों में मानसू...
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गुजरात: 13-17 जुलाई तक सौराष्ट्र-कच्छ में भारी से बहुत भारी बारिश का अनुमान
गुजरात: 13-17 जुलाई तक सौराष्ट्र-कच्छ में भारी से बहुत भारी बारिश का अनुमान
छवि स्रोत: पीटीआई राजकोट: राजकोट में मानसून की बारिश के बाद जलमग्न रिंग रोड से मोटरसाइकिल पर सवार एक व्यक्ति।
हाइलाइट
13 जुलाई से सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र में भारी बारिश की भविष्यवाणी
लोगों को खतरे वाले इलाकों से निकालने के लिए प्रशासन को जारी किए जरूरी निर्देश
एनडीआरएफ की टीमों को भी विभिन्न स्थानों पर तैनात किया गया है
मानसून की बारिश: गुजरात में पिछले एक सप्ताह से लगातार बारिश हो रही है,…
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देश के कई राज्यों में झमाझम बारिश, लेकिन यूपी-बिहार में मानसून का इंतजार जारी
देश के कई राज्यों में झमाझम बारिश, लेकिन यूपी-बिहार में मानसून का इंतजार जारी
Image Source : PTI
Heavy rains in many states of India
Highlights
देश के 25 राज्यों में हो रही झमाझम बारिश
हिमाचल से लेकर केरल तक बरस रहे बदरा
गुजरात में दक्षिण-मध्य के 6 जिलों में बाढ़ जैसे हालात
Weather Update: क्या पहाड़ी और क्या मैदानी इलाके, देश के कम से कम 25 राज्यों में इंद्रदेव झमाझम बरस रहे हैं। हिमाचल प्रदेश से लेकर, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना, केरल तक भारी बारिश हो रही है।…
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देशभर के कई राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट, पढ़ें वेदर रिपोर्ट...
देशभर के कई राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट, पढ़ें वेदर रिपोर्ट…
दिल्लीः देश में मानसून दस्तक दे चुका है। उत्तराखंड सहित कई राज्यों में बारिश का दौर जारी है। मौसम विभाग ने उत्तराखंड, बिहार, यूपी के कुछ हिस्से, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा और हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। वहीं, मेघालय, त्रिपुरा, असम, गुजरात, कोंकण, गोवा, तटीय आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और माहे में भी भारी बारिश का पुर्वानुमान है। ऐसे में सावधानी बरतने की…
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