Maujinama 2.3
यूँ तो सिवा राख के कुछ नही है बाकी फिर भीतुझे देख मेरे दिल में कोई शोला उठा दहक पर
मनीष जैन’मौजी”
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Maujinama 1.8
सही कहते है बज़ा कहते है लोगदर्द को भी तो दवा कहते है लोगकैज़ की हर आह में निकले लैलायूँ नही इश्क़ को सज़ा कहते है लोग
मनीष जैन’मौजी”
मौजीनामा
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Maujinama
आखिरी रात मेरी है बस इतनी इज़ाज़त दे दोतेरे शाने पे हो सर रुख़्सत की जब आयें सहर
मनीष जैन’मौजी”
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क'ता
क’ता
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Poem
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Maujinama 2.1
दिल-गिरफ़्ता में बपा है यादे-जानाँ और एकदिल है मेरा कि रो पड़ता है फफक फफक पर
मनीष जैन’मौजी”
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Maujinama 2.0
कभी शब भर जिनसे रोशन रहती थी बज़्मे-सुख़नआज उनसे ही तब्-ए-शोअरा है थलक पर
बज़्म-ए-सुख़न-gathering where poets recite thier poetryतब्-ए-शोअरा-temperament of poetsथलक-overflowing
मनीष जैन’मौजी”
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Maujinama 1.8
अब जो बनके सितारे सजे है फ़लक परवो कभी जमीं पे बिखरते थे चमक पर
मनीष जैन’मौजी”
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Maujinama 1.7
हो फ़ुर्सत तो हम आप से दास्ताने-ज़िंदगी कह देबयाँ करने को तवील है सुनने में मुख़्तसर सी बात है
मनीष जैन’मौजी”
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Maujinama 1.6
मैंने जब चाहा जिसे वक़्त ने उसे चुरा लिया मुझसेसाथ साज़िश में शामि��� रहती सारी क़ायनात है
मनीष जैन’मौजी”
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Maujinama 1.5
टूट जाती है चुप्पी हदे-बर्दाश्त से जो गुज़र जाता हूँबहुत रखता हूँ काबू पर उफन जाते मेरे ज़ज़्बात है
मनीष जैन’मौजी”
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Maujinama 1.4
मैं दर्द में भी मुस्कुरा पाता हूँ तो किसकी ज़ानिबदुआ है या सदके में मुझे मिली ये सौगात है
मनीष जैन’मौजी”
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Maujinama
किस्सा कुछ यूँ है कि बस इतनी हमें मालूमात हैमेरे तुझसे ऐ ज़िंदगी कुछ मासूम से सवालात है
मनीष जैन’मौजी”
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आब्ला-पा हूँ तेरी ज़ुस्तज़ू में अब कहाँ जाऊँतू एक मक़ाम बता ज़िंदगी हम ठहर जायें जिधर
मनीष जैन’मौजी”
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Q'ta
Q’ta
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